यह निर्देशिका बताती है कि अनुवाद किए गए बाइबल की सटीकता को कैसे जाँचे कि यह सही, स्पष्ट और स्वाभाविक है या नही।
इस निर्देशिका की शुरूआत उन निर्देशों से होती है जिनका उपयोग अनुवादक दल एक दूसरे के कार्य को जाँचने के लिए करेगा। यदि वे निर्देशों का पालन करते हैं, तो वे स्तर एक जाँच को पूरा करेंगे। फिर, वे निर्देश हैं जिनके उपयोग से अनुवादक दल भाषा समुदाय के साथ मिलकर इसकी सटीकता, स्पष्टता और स्वाभाविकता को जाँचेगा और फिर कलीसिया के अगुवे इसकी सटीकता की जाँच कर पाएँगे। यदि वे निर्देशों का पालन करते हैं, तो वे स्तर दो जाँच को पूरा करेंगे।
इस निर्देशिका में कलीसियार्इ संगतियों के अगुवों के लिए भी निर्देश हैं जो स्तर तीन पर इसकी सटीकता की जाँच करेंगे। इस निर्देशिका की मदद से कलीसियार्इ संगतियों के अगुवे अनुवाद की जाँच कर सकते हैं। चूँकि कलीसियार्इ संगतियों के सभी अगुवे अनुवाद की भाषा को नही बोलते हैं, तो एक आधारभूत अनुवाद को बनाने के निर्देश भी इसमें शामिल हैं जिससे लोग उस भाषा में भी अनुवाद को जाँच सकते हैं जिसे वे नही जानते।
अनुवाद प्रक्रिया के तहत, यह अनिवार्य है कि विभिé लोग अनुवाद को जाँचें जिससे यह निश्चित हो सके कि संदेश के अर्थ को सही तरीके से कहा गया है। एक शुरूआत का अनुवादक ने कहा, जिसे उसके अनुवाद को जाँचने के लिए कहा गया था, ‘‘परंतु मैं अपनी स्थानीय भाषा अच्छे से जानता हूँ’’ अनुवाद उस भाषा के लिए है। और क्या चाहिए? उसकी सही थी, परंतु दो और बातों को मन में रखना है।
एक, शायद उसने स्रोत लेख को अच्छी तरह से नही समझा होगा, अत: ऐसा व्यक्ति जो जानता है कि इसका अर्थ क्या है, वही उस अनुवाद को सही कर सकता है । ऐसा इसलिए क्योंकि उसे स्रोत भाषा में लिखा कथन या पद समझ में नही आया था। ऐसे मामले में, स्रोत भाषा को अच्छी तरह से जानने वाला ही अच्छी तरह से अनुवाद कर सकता है।
या ऐसा भी हो सकता है कि उसने पता नही चला कि बाइबल उस जगह में वास्तव में क्या कहना चाहती है। ऐसे मामले में, जिसे बाइबल अच्छी तरह से पता है, उदाहारण, बाइबल शिक्षक बाइबल अनुवाद जाँच के लिए सही रहेगा और उसे सही कर पाएगा।
इतना ही नही, यद्यपि अनुवादक को पता है कि लेख क्या कह रहा है, परंतु उसके अनुवाद का तरीका ऐसे था जिससे दूसरा व्यक्ति उसके अर्थ को समझ नही नही पा रहा। दूसरा व्यक्ति सोच सकता है कि अनुवाद अनुवादक के द्वारा सोची गर्इ बात से कुछ अलग ही बता रहा है, या अनुवाद को पढ़ने या सुनने वाला समझ ही नही पाए कि अनुवादक क्या कह रहा है। इसीलिए यह जाँचना जरूरी है कि कोर्इ दूसरा उस अनुवाद को पढ़कर क्या समझता है जिससे कि इसे अधिक स्पष्ट और सटीक बनाया जा सके।
यह जाँच प्रक्रिया की निर्देशिका है, जिसमें तीन स्तरों का एक मापदण्ड है।
जाँच का मापदण्ड इस सीमा को भी बताता है कि अनुवाद की कितनी सटीकता और स्पष्टता को नापा गया है। इन जाँच के मानदण्डों को अनफोल्ड नेटवर्क (देखें https://unfoldingword.org) के द्वारा विकसित किया गया है, वही दल जो कर्इ वोलन्टियरों की मदद से Door43 का संचालन करता है और उन्होने Door43 में बाइबल के सभी भागों पर सभी जाँच स्तरों को लागु किया है।
तीन प्रकार के जाँच स्तर हैं:
जिस अनुवाद की स्तर एक जाँच भी नही हुर्इ है, उसे जाँचरहित माना जाता और उस पर ‘‘जाँचरहित’’ की निशानी लगा दी जाती है।
कर्इ सारी जाँच प्रक्रियाओं में से होकर गुजारने का मकसद कलीसिया की पहुँच तक सामग्रियों को बनाना है जिससे लेख की खुली जाँच और पुष्टिकरण का भी अवसर मिलता है। हर समय, यह बात स्पष्ट रूप से दर्शायी जाएगी कि सटीकता के लिए किस सीमा तक लेख की जाँच हुर्इ है। हमारा विश्वास है कि इससे जाँच पक्रिया में गति आएगी, कलीसियार्इ बॉर्ड एवं अधिकार की भागिदारी होगी और बेहतर अनुवाद बाहर लाया जा सकेगा।
जाँच स्तर पर कार्य करते समय याद रखने हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव निम्न हैं:
हमारे द्वारा उपयोग किया जाने वाला तीन स्तरीय जाँच का मापदण्ड अनफॉल्डिंग-वर्ड अनुवाद के निर्देश पर आधारित है।अनुवाद किये गये भाग की तुलना विश्वास कथन के धर्मविज्ञान एवं अनुवाद के निर्देशों की प्रक्रियाओं एवं तरीकों के आधार पर की जाती है। इस प्रकार तैयार हो रहे इन दस्तावेजों की मदद से, अनफॉल्डिंग-वर्ड प्रोजेक्ट में जाँच के तीन स्तर लागु किए जाते हैं।
इस दस्ताचेज में उपलब्ध जाँच प्रक्रिया एवं कार्यप्रणाली, लेखों की निरंतर जाँच एवं संसोधन का हिस्सा है जिसे कलीसिया ने निर्धारित किया है जिसका वह इस्तेमाल करती है। टिप्पणियों अथवा सुझावों का स्वागत है (जहाँ हो सके, अनुवाद में उदाहरण पेश किया गया है) जो लेख को इस्तेमाल करने वाले अनगिनत लोगों के सुझावों को प्राप्त करने के मकसद से रखा गया है। लेखों के अनुवाद को अनुवाद मंच (देखें ) पर उपलब्ध कराया गया है जिसे लोगों के इस्तेमाल के लिए बहुत ही आसान बनाया गया जिससे आसानी से लेख के गुण को लगातार बढ़ाया जा सके।
जाँच का लक्ष्य एक ऐसा अनुवाद करने में अनुवादक दल की मदद करना है जो सही, स्वाभाविक, स्पष्ट और कलीसिया के द्वारा स्वीकार्य हो। अनुवादक दल भी इसी लक्ष्य को पाना चाहता है।यह आसान लग सकता है, परंतु ऐसा करना बहुत ही मुश्किल है और इसके लिए कर्इ सारे लोगों एवं कर्इ बार अवलोकन करने की जरूरत पड़ती है। इसीलिए, सही, स्वाभाविक, स्पष्ट और कलीसिया के द्वारा स्वीकार्य अनुवाद को पाने के लिए, जाँचकर्ता अनुवादक दल की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जाँचकर्ता जो पासवान, कलीसियार्इ अगुवे या कलीसियार्इ संगतियों के अगुवे हैं, वे सही अनुवाद करने में अनुवादक दल की मदद करेंगे। वे यह कार्य स्रोत अनुवाद के साथ्, और हो सके तो, बाइबल की मूल भाषा के साथ तुलना करके करेंगे। (सही अनुवाद के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें सही अनुवाद बनाएँ)
जाँचकर्ता जो भाषा समुदाय के सदस्य हैं, वे स्पष्ट अनुवाद को करने में मदद करेंगे । वे यह कार्य अनुवाद को सुनकर करेंगे और जहाँ अनुवाद संदेहपूर्ण है या अर्थ नही लगता, उसे बताएँगे। उसके बाद अनुवादक दल उन कमियों को दूर कर सकता है जिससे अनुवाद स्पष्ट हो सके। (स्पष्ट अनुवाद के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें स्पष्ट अनुवाद बनाएँ)
जाँचकर्ता जो भाषा समुदाय के सदस्य हैं, वे स्वाभाविक अनुवाद को करने में मदद करेंगे। वे यह कार्य अनुवाद को सुनकर करेंगे और जहाँ अनुवाद की आवाज अलग सी लगे या ऐसा लगे कि ऐसी भाषा तो यहाँ कोर्इ नही बोलता, तो उसे लिख लें। उसके बाद अनुवादक दल उन कमियों को दूर कर सकता है जिससे अनुवाद स्वाभाविके लगे। (स्वाभाविक अनुवाद के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें स्वाभाविक अनुवाद बनाएँ)
जाँचकर्ता जो भाषा समुदाय के सदस्य हैं, वे कलीसिया के द्वारा स्वीकार्य एवं पुष्टिकृत अनुवाद को करने में अनुवादक दल की मदद करेंगे। वे यह कार्य उस भाषा समुदाय में मौजूद कलीसियाओं के सदस्यों और अगुवों के साथ मिलकर करेंगे। जब भाषा समुदाय में मौजूद कलीसियाओं के अगुवे और सदस्य एक साथ मिलकर कार्य करते हैं और सहमत हों कि अनुवाद अच्छा है, तब इसे स्वीकार और उस समाज में इस्तेमाल किया जाएगा। (कलीसिया के द्वारा स्वीकार्य अनुवाद के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें कलीसिया स्वीकार्य अनुवाद)
इस भाग का उद्देश्य नए अनुवाद की खरार्इ अथवा सटीकता को निश्चित करना है। दूसरे शब्दों में, स्रोत के अनुवाद के साथ तुलना करने पर, क्या नया अनुवाद उसी अर्थ को बताता है (जरूरी नही है कि समान शब्दों या क्रम का उपयोग हुआ हो)
पहले स्तर में भाषा की सटीकता को जाँचने वाले अनुवाद के दल का हिस्सा बन सकते हैं परंतु वे वही हों नही जिन्होने उसी कहानी या बाइबल के भाग का पहली बार अनुवाद किया हो, जिसे वे अभी जाँच रहे हैं। वे समुदाय के लोग भी हो सकते हैं जो अनुवाद के दल का हिस्सा न हों। वे अनुवाद की जाने वाली भाषा को बोलने वाले हों, समुदाय में आदरणीय हों, और यदि हो सके तो, अधिकतर लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा में बाइबल का अच्छा ज्ञान हो। इस कदम का उद्देश्य यह निश्चित करना है कि यह अनुवाद पूरी शुद्धता के साथ मूल कहानी अथवा बाइबल के भाग के अर्थ को बताए।जाँच करने वाले कहानी अथवा बाइबल के भाग का उनकी भाषा में सही अर्थ के साथ सबसे अच्छे तरीके से, अनुवाद करने में मदद करेंगे। कहानी या बाइबल के भाग को एक व्यक्ति या अधिक लोग जाँच सकते हैं। एक से ज्यादा लोगों के द्वारा जाँच लाभदायक होगी क्योंकि विभिé जाँचकर्ता ही विभिé बातों को देख सकते हैं।
स्तर दो या तीन के जाँचकर्ता अनुवाद दल के हिस्सा न हों। वे कलीसिया के अगुवे हों जो अनुवाद की भाषा को जानते हों और मूल भाषा में बाइबल का अच्छा ज्ञान हो। यह सही है कि भाषा समुदाय जाँच करने वाले अनुवाद की स्वाभाविकता और स्पष्टता को निश्चित करने के लिए स्रोत के लेख को बिल्कुल भी न देखें। सटीकता की जाँच के लिए, जाँचकर्ता स्रोत के लेख को अवश्य देखें जिससे वे नए अनुवाद के साथ उसकी तुलना कर सकें
जाँच करने वाले निम्न कदमों का पालन करें:
जाँचकर्ता उन सब बातों को लिख ले जहाँ उसे लगता हो कि कुछ गलत है या कुछ सही किया जा सकता है। हर जाँचकर्ता उन बातों को अनुवाद के दल के साथ बाँटे
एक बाइबल कहानी या अध्याय को व्यक्तिगत तौर पर जाँचने के बाद, जाँचकर्ता अनुवादक अथवा अनुवादक दल से मिलकर, उस कहानी अथवा बाइबल के भाग पर पुनरावलोकन करें। जब वे उस जगह पर पहुँचते हैं जहाँ जाँचकर्ता ने समस्या या प्रश्न को इंगित कर रखा है, तो वे उसमें फेरबदल या विकास के लिए, आपस में प्रश्न पूछें या सुझाव दें। जब जाँचकर्ता और अनुवादक दल प्रश्नों और सुझावों पर विचार विमर्श कर लें, तो वे दूसरे प्रश्नों अथवा बातों को कहने के दूसरे तरीकों के बारे में विचार विमर्श कर सकते हैं। यह अच्छा है ।
जब जाँचकर्ता और अनुवादक दल एक साथ काम करें, तो कहानी अथवा बाइबल के भाग के अर्थ को सही तरीके से बताने में परमेश्वर उनकी मदद करेगा।
जब जाँचकर्ता और अनुवादक दल बदलने वाली बातों को निर्धारित कर लें, तो अनुवादक दल अनुवाद को अवलोकन करें। अनुवादक दल के द्वारा अनुवाद के अवलोकन के बाद, वे इसे एक दूसरे के सामने या भाषा समुदाय के लोगों के साथ पढ़कर सुनाएँ जिससे कि वह भाषा सुनने में स्वाभाविक लगे।
अनुवादक (या दल) उस बाइबल के भाग को इंगित कर लें जो अभी भी कठिन लगते हों और जहाँ उन्हे बाइबल के जाँचकर्ताओं की अधिक जरूरत महसूस होती हो । कलीसिया के अगुवे और जाँचकर्ता इन लेखों का स्तर दो और तीन में इस्तेमाल करेंगे, जिससे अनुवादकों को उसका अर्थ पता चल सके और पूरी स्पष्टता के साथ उसे बताया जा सके।
इन प्रश्नों की मदद से यह भी पता लगाया जा सकता है कि अनुवाद में कहीं और भी सटीकता की कमी है या नही
अनुवादक दल के द्वारा, स्तर एक के तहत, जाँच कर लेने के बाद, अब यह समय है कि अनुवाद को समुदाय के पास ले जाया जाए जहाँ यह निश्चित किया जा सके कि लक्षित भाषा में यह संदेश को स्पष्ट और स्वाभाविक तरीके बता पा रहा है।
इस जाँच के लिए, आप अनुवाद के भाग को समुदाय के सदस्यों को पढ़कर सुनाएँगे। अनुवाद को पढ़ने से पहले, सुन रहे लोगों से कहें कि जब भी उन्हे कुछ भी स्वाभाविक न लगे तो बीच में रोक दें। (अनुवाद की स्वाभाविकता का पता लगाने में अधिक जानकारी के लिए, देखें स्वाभाविक अनुवाद
हर ऑपन बाइबल स्टोरी और बाइबल के हर अध्याय के लिए प्रश्नों और उत्तरों का एक सेट तैयार है जिससे आप अनुवाद की जाँच कर सकते हैं कि यह सही तरीके से संदेश समझा पा रहा है या नही। (प्रश्नों के लिए, देखें http://ufw.io/tq/)
इन प्रश्नों का उपयोग करने के लिए, निम्न कदमों का पालन करें:
भाषा समुदाय के एक या अधिक लोगों के सामने अनुवाद के अनुच्छेद को पढ़ें जो इन प्रश्नों का उत्तर देंगे। भाषा समुदाय के ये लोग, कभी भी अनुवादक दल का हिस्सा नही रहे हों।दूसरे शब्दों में, प्रश्न पूछे जा रहे समुदाय के इन सदस्यों को इन प्रश्नों का उत्तर पता नही होना चाहिए जो उन्हे अनुवाद के दौरान या बाइबल के ज्ञान से मिला होगा। हम चाहते हैं कि वे कहानी या बाइबल के भाग के अनुवाद को केवल सुनकर या पढ़कर की उत्तर दें। इसी प्रकार हम पता लगा पाएँगे कि अनुवाद स्पष्ट है या नही। इसी वजह से, यह भी महत्वपूर्ण है कि समुदाय के सदस्य उत्तर देते वक्त बाइबल को नही देखें।
इस अनुच्छेद के लिए, समुदाय के सदस्य से प्रश्न पूछें, एक बार में एक प्रश्न। यह जरूरी नही है कि हर कहानी या अध्याय के लिए सभी प्रश्नों का उपयोग किया जाए यदि यह लगता है कि समुदाय के सदस्य अनुवाद को अच्छी तरह से समझ पा रहे हैं।
हर प्रश्न के पश्चात, भाषा समुदाय का एक सदस्य उस प्रश्न का उत्तर देगा। यदि व्यक्ति प्रश्न का उत्तर केवल ‘‘हाँ’’ या ‘‘नही’’ में दे रहा है तो प्रश्न पूछने वाला एक और प्रश्न पूछे जिससे वह निश्चित हो सके कि अनुवाद को अच्छी तरह से समझा जा रहा है। अगला प्रश्न कुछ इस तरह का हो सकता है, ‘‘आपको यह कैसे पता?’’ या ‘‘अनुवाद का कौनसा भाग यह बात कह रहा है?’’
व्यक्ति के दिए उत्तर को लिख लें। यदि व्यक्ति का उत्तर दिए गए सुझावित उत्तर के समान है, तो कहानी का अनुवाद सही तरीके से संदेश को बता पा रहा है। जरूरीर नही है ेिक दिया गया उत्तर, एकदम सुझावित उत्तर के समान होना चाहिए, परंतु आधारभूत तरीके से उसी सूचना को हम तक पहुँचाने वाला हो। कर्इ बार, सुझावित उत्तर बहुत लंबा होता है। यदि वह व्यक्ति सुझावित उत्तर का एक अंश ही बता रहा है, तो वह भी सही उत्तर है।
यदि दिया गया उत्तर, सुझावित उत्तर से बिल्कुल अलग और अनेपक्षित है या व्यक्ति उत्तर नही दे पा रहा है, तो अनुवादक दल अनुवाद के उस भाग को पुन: देखे जिससे कि संदेश को स्पष्ट किया जा सके।
अनुवादक दल के द्वारा अनुवाद में फेरबदल कर लिए जाने के बाद, समुदाय के किसी दूसरे सदस्य से वही प्रश्न दुबारा पूछें, अर्थात ऐसे व्यक्ति से जो किसी भी प्रकार से, अनुवाद की पिछली जाँचे की प्रक्रिया का हिस्सा नही रहा है। यदि वे प्रश्न का उत्तर सही देते हैं तो अब अनुवाद सही संदेश दे रहा है
हर कहानी अथवा बाइबल के अध्याय के साथ यही प्रक्रिया तब तक दोहराएँ, जब तक कि समुदाय के सदस्य प्रश्नों का सही उत्तर दे सकें जिससे साबित होता है कि अनुवाद सही संदेश दे पा रहा है । जब समुदाय के ये लोग, जिन्होने पहले अनुवाद को नही सुना है, सभी प्रश्नों का सही उत्तर दे देते हैं तो अब अनुवाद कलीसियार्इ जाँच स्तर 2 के लिए तैयार हो जाता है।
समुदाय मुल्यांकन पृष्ठ में जाँ और प्रश्नों के उत्तर दें (देखें भाषा समुदाय मूल्यांकन प्रश्न)
समुदाय के सदस्यों के द्वारा स्पष्टता के लिए अनुवाद सटीकता के लिए इसे कलीसिया के अगुवे जाँच करेंगे। इस समूह में उक्त भाषा को बोलने वाली कम से कम तीन कलीसियाओं के अगुवे शामिल हों जो मूल स्रोत लेख की भाषा को अच्छी तरह से जानते हों। वे अनुवादक दल के किसी भी सदस्य के रिश्तेदार या किसी भी प्रकार से जानकार, न हों। आम तौर पर, अवलोकन करने वाले लोग पासवान होंगे। ये कलीसियार्इ अगुवे भाषा समूह में मौजूद विभिé कलीसियाओं के प्रतिनिधि हों। हम सुझाव देते हैं कि यदि समुदाय में कर्इ सारी कलीसियाएँ हैं तो कम से कम तीन कलीसियाओं की संगति से लोगों को समूह में शामिल करें।
अवलोकन करने वाले निम्न कदमों का पालन करें:
प्रश्न पूछने के साथ साथ, जाँच के कुछ और भी तरीके हैं जिनसे आप निश्चित कर सकते हैं कि अनुवाद पढ़ने में आसान और श्रोताओंं को सुनने में स्वाभाविक लगता है या नही। निम्नलिखित कुछ तरीके हैं जिन्हे आप इस्तेमाल कर सकते हैं:
यह निश्चित करना जरूरी है कि नया अनुवाद एकदम सही अथवा सटीक हो। सटीकता की जाँच करने के लिए चुने गए लोगों की जिम्मेदारी है कि उन्हे वही अर्थ लोगों तक पहुँचाना है जो मूल लेखक बताना चाहता था या बताने की प्रतीक्षा में था।
ऐसा करने के निर्देशों के लिए, सटीकता की जाँच में जाएँ और ‘‘सब स्तर’’ के तहत दिए गए कदमों का पालन करें।
अनुवाद को पढ़ते समय यह जानने के लिए अनुवाद का संदेश स्पष्ट है या नही, निम्न प्रकार के प्रश्न पूछें। जाँच के इस भाग के लिए, स्रोत भाषा के अनुवाद से नए अनुवाद की तुलना न करें। यदि कहीं कोर्इ समस्या है, तो इंगित करें या लिख लें जिससे कि आप बाद में अनुवादक दल के साथ उक्त समस्या पर विचार विमर्श कर सकें।
अतिरिक्त मदद:
ऐसा अनुवाद कि बाइबल स्वाभाविक लगे, इसका अर्थ है:
अनुवाद ऐसा लगे कि इसे लक्षित भाषा समुदाय के सदस्यों ने तैयार किया है, किसी विदेशी ने नही।
अनुवाद की स्वाभाविकता को जाँचने के लिए, स्रोत अनुवाद के साथ तुलना करना लाभदायक नही होगा। स्वाभाविकता की जाँच के दौरान, कोर्इ भी स्रोत भाषा की बाइबल को नही देखे। सटीकता जैसे अन्य जाँचों के लिए लोग स्रोत भाषा की बाइबल को बाद में देखेंगे परंतु इस जाँच के दौरान उसे न देखें।
स्वाभाविकता की जाँच के लिए, आप या भाषा समुदाय का सदस्य इसे ऊँची आवाज में पढ़े। आप इसे लक्षित भाषा समुदाय के किसी एक व्यक्ति या बड़े समूह के सामने पढ़ सकते हैं। पढ़ना शुरू करने से पहले, सुनने वाले लोगों से कहें कि सुनते समय, यदि कहीं पर भी उन्हे ऐसा लगे कि स्वाभाविक नही या ऐसी आवाज में उसे नही कहा जाता है, तो वे आपको रोक दें। जब कोर्इ आपको रोकता है, तो आप किसी को वही बात अधिक स्वाभाविक तौर पर बोलने को कहें।
ऐसा करना मददगार होगा कि आप अपने गाँव के माहौल में अनुवाद के उस भाग की कल्पना करके देखें जिसके बारे में अनुवाद बता रहा है कि वहाँ के लोग इसे कैसे कहेंगे। आप जिन लोगों को जानते हैं, कल्पना करें कि वे यह बात कह रहे हैं, और फिर उसे ऊँची आवाज में कहें। यदि दूसरे सहमत हैं कि यही कहने का अच्छा और स्वाभाविक तरीका है, तो उस अनुवाद को उसी तरीके से लिखें
नये अनुवाद को पढ़ते समय, स्वयं से ये प्रश्न पूछें। इन प्रश्नों से आपको पता चल पायेगा कि अनुवाद उक्त भाषा समाज के द्वारा मान्य तरीके में किया गया है या नही:
यदि किसी जगह पर अनुवाद भाषा का गलत तरीके से इस्तेमाल करता है, तो उसका उल्लेख करें जिससे आप अनुवाद के दल के साथ उसके बारे में विचार विमर्श कर सको।
इस भाग का उद्देश्य यह निश्चित करना है कि अनुवाद संपूर्ण है। इस भाग में, नये अनुवाद की तुलना स्रोत अनुवाद से करनी है। जब आप दोनों अनुवादों को पूरा कर लें तो निम्न प्रश्न पूछें:
यदि ऐसी जगह है जहाँ अनुवाद संपूर्ण नही है, तो उसे लिखें जिससे कि आप अनुवादक दल के साथ उस पर विचार विमर्श कर सकें।
इस भाग का मकसद एक ऐसी प्रक्रिया को वर्णन करना है जिसके द्वारा कलीसिया स्वयं एक अनुवाद की गुणवत्ता जाँच कर निर्धारित कर सकती है। निम्न मूल्यांकन का उद्देश्य हर की जा सकने वाली जाँच का पूरा ब्यौरा देना नही, वरन् एक अनुवाद को जाँचने की कुछ तकनीकों को प्रस्तुत करना है। अंतत:, किस जाँच का उपयोग करना है, कब करना है और कौन करेगा, इत्यादि का निर्णय कलीसिया ही को लेना है।
मूल्यांकन का यह तरीका दो प्रकार के कथनों को बताता है। कुछ कथन हाँ/नही में हैं जहाँ नही में दिया गया उत्तर समस्या को बताता है जिसे सही करना जरूरी है। दूसरे भागों में एक समान-महत्व के तरीके का उपयोग हुआ है जो अनुवादकों और जाँचकर्ताओं को अनुवाद के कथन प्रस्तुत करता है। हर कथन को (अनुवादक दल से शुरू कर) जाँच करने वाले सदस्य के द्वारा 0-2 तक के मापदण्ड में अंक दिए जाएँ:
** 0** - असहमत
** 1** - थोड़ा बहुत सहमत
** 2** - एकदम सहमत
अवलोकन के बाद, एक भाग में मिले सभी उत्तरों के कुल अंकों को जोड़ा जाए, और यदि दिए गए उत्तर वास्तव में अनुवाद के सही स्तर को बताते हैं, तो अवलोकनकर्ताओं के अवलोकनों के आधार पर अधिकतम मान्य तरीके से कहा जा सकता है कि अनुवाद के अध्याय की गुणवत्त अच्छी है। निम्न निर्देश, अवलोकनकर्ताओं को एक आसान अवलोकन का तरीका देने के लिए तैयार किया गया है जिसकी मदद से कार्य को सही तरीके से विकसित किया जा सके। उदाहरण के तौर पर, यदि एक अनुवाद को ‘‘सटीकता’’ में अच्छे अंक मिलते हैं, परंतु ‘‘स्वाभाविकता’’ और ‘‘स्पष्टता’’ में कम अंक मिलते हैं, तो अनुवादक दल को सामाजिक जाँच पर थोड़ा अधिक ध्यान देना पड़ेगा।
ये निर्देश अनुवाद किए गए हर बाइबल भाग के हर अध्याय में इस्तेमाल करने के लिए दिए गए हैं। अन्य जाँचों को करने के बाद, अनुवादक दल हर अध्याय का मूल्यांकन करे, और उसके बाद, स्तर 2 कलीसिया जाँचकर्ता इसे दुबारा करें और फिर, स्तर 3 जाँचकर्ता इसी जाँचसूची के द्वारा इसका मूल्यांकन करे। हर स्तर पर कलीसिया के द्वारा अघ्याय पर इतनी सारी जाँचों को कर लेने के पश्चात, सभी चार भागों (समीक्षा, स्वाभाविकता, स्पष्टता, सटीकता) के तहत, अध्याय के अंकों को जोड़ा जाए, जहाँ कलीसिया और समुदाय को भी अनुवाद के विकास को देखने का अवसर हो।
यह प्रक्रिया पाँच भागों में बाँटी गर्इ है: समीक्षा (अनुवाद के बारे में जानकारी), स्वाभाविकता, स्पष्टता, सटीकता एवं कलीसिया का पुष्टिकरण
** नही | हाँ ** यह अनुवाद अर्थ-आधारित अनुवाद है जो मूलभूत लेख के अर्थ को लक्षित भाषा के समान, स्वाभाविक, स्पष्ट और सटीक तरीके से पेश करने की कोशिश करता है।
** नही | हाँ ** अनुवाद की जाँच कर रहे लोग लक्षित भाषा को स्वयं बोलने वाले लोग हैं।
** नही | हाँ ** इस अध्याय का अनुवाद विश्वास कथन के अनुसार है।
** नही | हाँ ** इस अध्याय के अनुवाद को अनुवाद के निर्देशों के आधार पर किया गया है।
इस भाग को अधिक समुदाय जाँच के दौरान और भी लागु किया जा सकता है। (देखें भाषा समुदाय की जाँच)
** 0 1 2** भाषा को बोलने एवं इस अध्याय को पढ़ने वाले सहमत है कि अनुवाद में भाषा का सही रूप इस्तेमाल किया गया है।
** 0 1 2** भाषा बोलने वाले सहमत हैं कि इसके अध्यायों में प्रयुक्त प्रमुख शब्द इस संस्कृति में स्वीकार्य एवं सही है।
** 0 1 2** इस भाषा को बोलने वाले, अध्याय के प्रयुक्त उदाहरणों एवं कहानियों को समझ सकते हैं।
** 0 1 2** इस भाषा को बोलने वाले सहमत हैं कि इसकी वाक्य रचना एवं लेखों का क्रम स्वाभाविक है और सही बहाव को प्रस्तुत करता है।
** 0 1 2** स्वाभाविकता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में समुदाय के वे लोग शामिल थे, जिन्होने इस अध्याय के अनुवाद की प्रक्रिया में भाग नही लिया।
** 0 1 2** स्वाभाविकता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में विश्वासी एवं गैर-विश्वासी दोनों शामिल थे जिन्हे बाइबल का इतना ज्ञान नही था जिससे कि लेख को सुनते ही उन्हे यह आभास न हो जाए कि लेख क्या कह रहा है।
** 0 1 2** स्वाभाविकता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में विभिé उम्र के उक्त भाषा बोलने वाले शामिल थे।
** 0 1 2** स्वाभाविकता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में स्त्री एवं पुरूष दोनों शामिल थे।
इस भाग को अधिक समुदाय जाँच के दौरान और भी लागु किया जा सकता है। (देखें भाषा समुदाय की जाँच)
** 0 1 2** इस अध्याय का अनुवाद उस भाषा के उपयोग से किया गया है जिसे स्थानीय भाषा बोलने वाले आसानी से समझ सकते हैं।
** 0 1 2** भाषा बोलने वाले सहमत हैं कि इस अध्याय में नाम, स्थान और क्रिया के शब्दों का सही उपयोग किया गया है।
** 0 1 2** इस अध्याय में प्रयुक्त भाषा के अलंकार इस संस्कृति के लोगो को समझ आते हैं।
** 0 1 2** भाषा बोलने वाले सहमत हैं कि अध्याय की संरचना इसके मूल अर्थ के विपरीत या उससे अलग नही है।
** 0 1 2** स्पष्टता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में समुदाय के वे लोग शामिल थे, जिन्होने इस अध्याय के अनुवाद की प्रक्रिया में भाग नही लिया।
** 0 1 2** स्पष्टता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में विश्वासी एवं गैर-विश्वासी दोनों शामिल थे जिन्हे बाइबल का इतना ज्ञान नही था जिससे कि लेख को सुनते ही उन्हे यह आभास न हो जाए कि लेख क्या कह रहा है।
** 0 1 2** स्पष्टता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में विभिé उम्र के उक्त भाषा बोलने वाले शामिल थे।
** 0 1 2** स्पष्टता के लिए इस अध्याय के अनुवाद की जाँच में स्त्री एवं पुरूष दोनों शामिल थे।
इस भाग को अधिक सटीकता जाँच के दौरान और भी लागु किया जा सकता है। (देखें सटीकता की जाँच)
** 0 1 2** मूलभूत स्रोत लेख के इस अध्याय के सभी महत्वपूर्ण शब्दों की सूची की मदद से, इस अनुवाद में उनके उपयोग को निश्चित किया गया है।
** 0 1 2** इस अध्याय में सभी महत्वपूर्ण शब्दों का अनुवाद सही तरीके से किया गया है।
** 0 1 2** उन सभी महत्वपूर्ण शब्दों का अनुवाद, सतत् तौर पर, इस अध्याय में एवं जहाँ जहाँ भी उनकी जरूरत पड़ी है, किया गया है।
हर जन जाति में मौजूद कलीसिया के पास यह निर्धारित करने का अधिकार है कि उनकी भाषा में किये गये बाइबल के अनुवाद की गुणवत्ता सही है या नही है। बाइबल अनुवाद को जाँचने एवं पुष्टि करने का अधिकार (जो निरंतर होता है), बाइबल के अनुवाद को जाँचने की प्रक्रिया को करने की योग्यता एवं क्षमता से अलग है (जिसे बढ़ाया जा सकता है) ।गुणवत्ता को निर्धारित करने का अधिकार कलीसिया पर है जो संसाधनों पर उनकी वर्तमान क्षमता, अनुभव और पहुँच से अलग है जिससे वे बाइबल अनुवाद की जाँच का कार्य करते हैं। अत: जबकि भाषा समूह की कलीसिया के पास अपने बाइबल अनुवाद को जाँचने और पुष्टि करने का अधिकार है, ट्राँसलेशन अकेडमी के मापदण्ड समेत, शब्दों की सामग्रियाँ इस बात को निश्चित करने के लिए तैयार की गर्इ हैं कि उत्तम प्रक्रियाओं के द्वारा, कलीसिया के पास भी अपने बाइबल अनुवाद को जाँचने का अधिकार है।
निर्धारित नमूना एक अनुवाद की गुणवत्ता को मान्य ठहराने के तीन चरणीय प्रस्ताव को प्रस्तुत करता है, जिन्हे उक्त जन समूह में मौजूद कलीसिया के अधिकारों के तीन स्तरों को दिखाने के लिए बनाया गया है:
अनुवाद को जाँचने की प्रक्रिया को ‘‘जाँच प्रक्रिया’’ शीर्षक के तहत मौजुद मापदण्ड के आधार पर किया जाएगा।
इस स्तर का मकसद आदर्श मसीही सिद्धांतों के साथ एवं स्वयं अनुवाद की सटीकता को निश्चित करने के लिए दिए गए निर्देंशों के साथ अनुवादक दल की सहमति की पुष्टि करना है।
इस स्तर में प्रकाशित लेख सक्रिय प्रोजेक्ट के तौर पर एक खुला आमंत्रण देता है जहाँ भाषा समुदाय से सीधे लोगों को फेरबदल अथवा विकास के सुझावों को बताने का अवसर दिया जाता है।
इस स्तर को पूरा करने के लिए, अनुवादक दल सत्यापित करता है कि विश्वास कथन उनकी अपनी मान्य विचारधाराओं का सही प्रकटीकरण है और अनुवाद भी उसी के अनुसार किया गया है।
इस भाग के दो उद्देश्य हैं:
इस स्तर के तहत, जाँच प्रक्रिया में ‘‘दो या तीन लोगों की गवाही’’ का नमूना लागु किया जाएगा।
इस स्तर को पूरा करने के लिए, अनुवादक दल अपना अनुवाद भाषा समुदाय को देगा जो उस अनुवाद का उपयोग करेंगे। भाषा समुदाय अनुवाद की स्पष्टता एवं स्वाभाविकता को समझने के लिए अवलोकन करेगा।
उसके बाद, अनुवादक दल वह अनुवाद, उसका उपयोग करने वाले भाषा समुदाय की कलीसिया के अगुवों को देगा। कलीसिया के ये अगुवे मूल स्रोत लेख, व्याख्या सामग्रियों, विश्वास कथन एवं अनुवाद के निर्देश के साथ तुलना कर इसकी स्पष्टता की जाँच करेंगे।
उसके बाद, अनुवादक दल इन अवलोकनों के आधार पर अनुवाद में संसोधन करेगी जिससे भाषा समुदाय पुष्टि कर सके कि अनुवाद स्वाभाविक और स्पष्ट है और कलीसिया के अगुवे पुष्टि कर सकें कि यह सटीक है।
इस स्तर का उद्देश्य इस बात की पुष्टि करना है कि अनुवाद मूल लेख के उद्देश्य से तथा ऐतिहासिक एवं वैश्विक कलीसिया के सिद्धांतों से मेल खाता है।
इस स्तर को पूरा करने के लिए, अनुवादक दल, यह अनुवाद अवलोकन के लिए, कलीसिया के उन बड़े अगुवों को देगा जो उस भाषा को बोलते हैं। यह सबसे अच्छा होगा यदि ये अगुवे उस भाषा समुदाय में मौजूद अधिकाँश कलीसियाओं का प्रतिनिधित्व करते हों।
अत: उस क्षेत्र की विभिé कलीसियाओं के सहयोग एवं सहमति से ही स्तर 3 को पूरा किया जा सकता है। अनुवादक दल अनुवाद में संसोधन करेगा जिससे इन कलीसियाओं के अगुवे पुष्टि कर सकें कि अनुवाद सटीक है और उसे कलीसियाओं की संगति स्वीकार करती है।
उस क्षेत्र की कम से कम दो कलीसियाओं के ऐसे अगुवे (या उनके सहयोगी) जो अनुवाद के सिद्धांतों को जानते और बाइबलीय भाषा तथा लेख से परिचित हैं, इस अनुवाद को संपूर्ण तौर पर जाँचकर पुष्टि कर दें तो स्तर 3 पूरा हो जाता है।
स्तर एक की जाँच को प्राथमिक तौर पर अनुवादक दल करता है जिसमें भाषा समुदाय के कुछ लोगों की मदद ली जाती है. अनुवादक अथवा अनुवादक दल बहुत सारी कहानियों या बाइबल के अध्यायों का अनुवाद करने से पहले अपने अनुवाद को देखें जिससे कि वे अनुवाद की प्रक्रिया के दौरान ही अपनी गलतियों को सही कर सकें. इस प्रक्रिया में कर्इ सारे कदमों को अनुवाद के पूरे होने से पहले कर्इ बार दोहराया जा सकता है.
अनफॉल्डिंग-वर्ड प्रोजेक्ट के उद्देश्य के लिए, बाइबल लेख एवं बाइबल के भाग जाँच स्तर एक के पूरे होते ही प्रकाशित होने के योग्य होने चाहिए. इससे उन भागों को तैयार कर, अधिक से अधिक लोगों में पहुँच में लाया जा सकता है जिससे भाषा समुदाय के लोगों को भी अनुवाद में फेरबदल अथवा विकास के लिए बुलाया जा सकता है.
जाँच के स्तर एक को पूरा करने के लिए अनुवादक दल को निम्न कदम पूरे करने होंगे:
हम, अनुवादक दल के सदस्य, पुष्टि करते हैं कि हमने स्तर 1 की जाँच प्रक्रिया के निम्न कदमों को पूरा कर लिया है:
स्तर दो जाँच का उद्देश्य यह सत्यापित करना है कि स्थानीय भाषा समुदाय के प्रतिनिधि दल इस बात से सहमत हैं कि अनुवाद अच्छा है। स्तर दो जाँच दो चरणों में पूरा होता है:
इसे पूरा करने के बाद, इस कार्य का पुष्टिकरण भी जरूरी है। (देखें स्तर 2 पुष्टिकरण)
हम, अनुवादक दल के सदस्य, पुष्टि करते हैं कि हमने भाषा समुदाय के सदस्यों के साथ मिलकर अनुवाद को जाँचा है।
निम्न प्रश्नों का भी उत्तर दें। इन प्रश्नों के उत्तर बड़े मसीही समुदाय वालों की यह समझने में मदद करेंगे कि लक्षित भाषा समुदाय के लिए अनुवाद स्पष्ट, सटीक और स्वाभाविक है।
आपने उन भागों को स्पष्ट करने के लिए क्या बदला?
समुदाय के अगुवे शायद इस बात में अपनी कुछ जानकारियाँ डालना या सारांश बनाना चाहें कि स्थानीय समुदाय के लिए भाषा कैसी है।इसे स्तर दो समुदाय जाँच मूल्याकंन में शामिल किया जा सकता है। वृहद कलीसियार्इ अगुवे इन जानकारियो को ले सकेगे और इससे उन्हे, स्थानीय मसीही समुदाय के द्वारा स्तर दो कलीसिया जाँच एवं स्तर तीन जाँच को करने के बाद, अनुवाद की पुष्टि करने में मदद मिलेगी।
क्लीसियार्इ अगुवे होने के नाते, हम निम्न बातों की पुष्टि करते हैं:
यदि कोर्इ समस्या अभी भी शेष है तो उन्हे लिखें जिन्हे स्तर तीन के जाँचकर्ताओं के ध्यान में लाया जा सके।
स्तर 2 जाँचकर्ताओं के नाम एवं स्थान:
स्तर तीन की जाँच भाषा समुदाय की कलीसियाओं के द्वारा मान्य समूहों अथवा संगठनों के द्वारा की जाएगी। इन समूहों के अगुवे सत्यापित करेंगे कि वे उनके द्वारा मान्यता प्राप्त लोगों में अनुवाद के वितरण और उपयोग की अनुमति देते हैं। यह अनुमति अनुवाद के वितरण के लिए जरूरी नही है, परंतु इसको प्रमाणित करती है।
स्तर तीन जाँच करने वाले स्तर दो जाँच में शामिल लोगों से अलग हों।
इस स्तर का उद्देश्य, भाषा बोलने वाली कलीसिया के अगुवों के अवलोकन एवं पुष्टिकरण के द्वारा, आधारभूत लेख एवं ऐतिहासिक तथा वैश्विक कलीसिया के सही सिद्धांतों के साथ इस अनुवाद की सहमति को सत्यापित करना है।अत: स्तर 3 को विभिé कलीसियार्इ अगुवों की आपसी सहमति के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है. कलीसियार्इ संगतियाँ उक्त भाषा समुदाय में मौजूद कलीसियाओं की प्रतिनिधि हों. अनुवाद को जाँचने वाले उस भाषा को बालने वाले हों, और जाँच पर अपने हस्ताक्षर करने वाले लोग कलीसियार्इ संगतियों के अगुवे हों. कलीसियार्इ संगति का एक अगुवा, जो अनुवाद की भाषा को बोलने वाला भी है, अनुवाद की जाँच और जाँच पर हस्ताक्षर, दोनों कर सकता है।
अनुवाद को जब कम से कम दो कलीसियार्इ संगतियों के अगुवे, जिन्हे बाइबल की भाषा एवं लेख का अच्छा ज्ञान है, अच्छी तरह से जाँचकर, सत्यापित कर दें तो स्तर 3 पूरा हो जाता है।
स्तर तीन जाँच मे आगे बढ़ने के लिए, स्तर तीन की जाँच के प्रश्न को देखें।
स्तर तीन की जाँच के लिए इन प्रश्नों को अपने मन में रखकर नया अनुवाद पढ़ना है।
अनुवाद के भाग को पढ़ने के बाद या लेख में समस्या का संदेह पैदा हो तो आप इन प्रश्नों को पढ़ें. यदि आप पहले समूह में इन प्रश्नों का उत्तर ‘‘नही’’ में देते हैं, तो कृपया इसका विस्तृत तौर पर विवरण दें, जहाँ आपको सही नही लगता है और सुझाव दें कि अनुवादक दल उसमें क्या फेरबदल लाए।
यह ध्यान रखें कि अनुवादक दल का लक्ष्य स्रोत लेख को स्वाभाविक एवं स्पष्ट तरीके से उसकी लक्षित भाषा में अर्थ दिलाना है। इसका मतलब है कि हमें कुछ खण्डों के क्रम को बदलना पड़ सकता है क्योंकि स्रोत भाषा में एक शब्द कर्इ अर्थों को दिखाता थ, तो लक्षित भाषा में उनके स्थान पर कर्इ सारे शब्दों का उपयोग किया गया. दूसरी भाषाओं (OL) के अनुवाद में ये बातें इतनी समस्याएँ खड़ी नही करती हैं। ULB और UDB की गेटवे भाषाओं (GL) के लिए अनुवाद करते वक्त, अनुवादक कोर्इ बदलाव न करें। ULB का मकसद OL अनुवादकों को यह बताना है कि किस प्रकार मूलभूत बाइबलीय भाषा में एक अर्थ दिया गया है और UDB का मकसद उसी अर्थ को सरल, स्पष्ट तरीके से प्रकट करना है, चाहे इससे OL में एक कहावत का उपयोग भी बहुत ही स्वाभाविक लगे। GL अनुवादक उन दिशानिर्देंशों को याद रखे। परंतु OL अनुवादों के लिए, लक्ष्य उन्हे स्वाभाविक और स्पष्ट बनाना है।
यह भी ध्यान रखें कि अनुवादकों ने उन सुचनाओं को भी शामिल किया होगा जिन्हे मूलभूत संदेश को पाने वाले आरंभिक श्रोताओं ने समझा होगा, परंतु आरंभिक लेखक ने उसे इतना व्यक्त नही लिखा होगा। जब यह सूचना जरूरी लगे जिससे श्रोता लेख के संदेश को समझ सकें, उसे सुस्पष्ट तरीके से लिखना लाभदायक होता है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए, देखें अंतर्निहित एवं व्यक्त सूचना
क्या अनुवाद विश्वास कथन एवं अनुवाद के निर्देशों के अनुरूप है?
क्या अनुवाद से पता चलता है कि इसे स्रोत भाषा एवं लक्षित भाषा तथा उनकी संस्कृति का अच्छा ज्ञान है
क्या भाषा समुदाय पुष्टि करता है कि अनुवाद उनकी भाषा को स्पष्ट और स्वाभाविक तरीके से बोल पा रहा है?
निम्न में से अनुवाद के किस तरीके को अनुवादक ने इस्तेमाल किया है?
शब्द दर शब्द अनुवाद, स्रोत अनुवाद के बिल्कुल समान दिखने की कोशिश।
वाक्य दर वाक्य अनुवाद, भाषा के स्वाभाविक वाक्यों का इस्तेमाल
अर्थ केन्द्रित अनुवाद, स्थानीय भाषा के भावों का पूरी आजादी से इस्तेमाल
क्या समुदाय के अगुवों को लगता है कि अनुवाद के द्वारा इस्तेमाल किया गया तरीका (जैसा प्रश्न 4 में पहचाना गया) समुदाय के लिए उचित है?
क्या समुदाय के अगुवों को लगता है कि अनुवादक के द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द समुदाय के अधिकतर लोगों के द्वारा बोले जाने वाले हैं? उदाहरण के तौर पर, क्या अनुवादक ने ऐसे भाव, वाक्य या स्पेलिंग का उपयोग किया है जिसे भाषा समुदाय के अधिकाँश लोग मान्यता देते हैं?
जब आप अनुवाद को पढ़ते हैं, तो स्थानीय समुदाय के उन सांस्कृतिक विषयों के बारे में सोचें जो पुस्तक में लिखे कुछ भागों के अनुवाद को मुश्किल बना सकते है? क्या अनुवादक ने उस भाग को अनुवाद इस प्रकार किया है जिससे स्रोत भाषा का संदेश स्पष्ट लगे और सांस्कृतिक विषयों के कारण, लोग गलतफहमी में भी न पड़ें।
ऐसे कठिन भागों में, क्या समुदाय के अगुवों को लगता है कि अनुवादक ने ऐसी भाषा का उपयोग किया है जो स्रोत भाषा के संदेश को ही बता रहा है
आपके अनुसार, क्या अनुवाद स्रोत भाषा में बताए गए संदेश को ही बता रहा है? यदि अनुवाद के किसी भी अंश में, ‘‘नही’’ उत्तर देना पड़ रहा है तो नीचे लिखे दूसरे समूह के प्रश्नों का उत्तर दें
यदि आप दूसरे समूह के प्रश्नों में से किसी भी एक का उत्तर ‘‘हाँ’’ में देते हैं, तो वर्णन देकर समझाएँ जिससे अनुवादक दल अच्छी तरह से जान सके कि वास्तव में समस्या क्या है, क्या किसी भाग में फेरबदल की जरूरत है, और आप इसे कैसे सही करवाना चाहते हैं?
यदि अनुवाद में समस्याएँ थीं, तो अनुवादक दल से मुलाकात कर, उन समस्याओं को दूर करने की योजना बनाएँ। उनके मिलने के पश्चात, अनुवादक दल समुदाय के अगुवों के साथ मिलकर, उस संशोधित प्रति को पुन: देखेंगे जिससे यह निश्चित हो सके कि इसका संदेश सही है और फिर तुमसे मिले।
जब आप अनुवाद की पुष्टि के लिए तैयार हैं, तो आप स्तर तीन पुष्टिकरण पर जाएँ।
मैं, भाषा समुदाय का नाम लिखें भाषा समुदाय में सेवा कर रहे कलीसियार्इ संगति या बाइबल अनुवाद संगठन का नाम भरें , के प्रतिनिधि के रूप में अनुवाद की पुष्टि और निम्न को सत्यापित करता हूँ:
दूसरी बर अनुवादक दल के साथ मुलाकात के बावजूद भी, यदि समस्या है, तो उन्हे यहाँ लिखें।
हस्ताक्षर: यहाँ हस्ताक्षर करें
पद: यहाँ अपने पद का नाम लिखें
प्रमुख भाषाओं के लिए, आपको स्रोत लेख प्रक्रिया का पालन करना होगा जिससे आपका अनुवाद एक स्रोत लेख बन सके।
हम देख चुके हैं कि कहाँ अनुवादक दल अपने खुद के अनुवाद की कर्इ सारी जाँच करेगा। वे जाँचें उनके कार्य को जाँच स्तर एक तक ले आते हैं।
स्तर दो और स्तर तीन के लिए, अनुवादक दल अपने कार्य को भाषा समुदाय के सदस्यों और कलीसिया के अगुवों के पास लाए। यह जरूरी है क्योंकि अनुवादक दल अपने कार्य के काफी करीब और उसमें इतने संलग्न है कि कर्इ बार वे स्वयं कमियों को देख नही पाते हैं जो दूसरों की नजर में आसानी से आ जाती हैं। भाषा के अन्य वक्ता उन्हे बोलने के बेहतर तरीकों के बारे में सुझाव दे सकते हैं जिसके बारे में अनुवादक दल ने सोचा नही होगा। कर्इ बार अनुवादक दल अनुवाद को अपरिचित सा बना देता है क्योंकि वे स्रोत भाशा के शब्दों को नजदीकी के साथ इस्तेमाल करता है। भाषा को बोलने वाले दूसरे लोग ऐसी कमियों को दूर करने में कदद कर सकते हैं। इतना ही नही, अनुवादक दल के पास बाइबल ज्ञान या अन्य बातों की जानकारी की कमी होगी जो दूसरों में हो सकती है और इसीलिए उनकी कुछ कमियों को वे दूर कर सकते हैं।इसी कारण, जो लोग अनुवाद का भाग नही हैं, वे ही अनुवाद की जाँच करें।
इस हस्तपुस्तिका का शेष भाग उन मार्गनिर्देशों को बताएगा जिन्हे कलीसिया के अगुवे स्तर दो और स्तर तीन के तहत अनुवाद को जाँचने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
पिछला अनुवाद का अर्थ है, स्थानीय स्रोत भाषा के बाइबल के भाग को उससे बड़े समुदाय की भाषा में अनुवाद करना. इसे इसलिए ‘‘पिछला अनुवाद’’ कहा जाता है क्योंकि यह स्थानीय स्रोत भाषा के अनुवाद को बनाने की बजाय, उसकी विपरीत दिशा में किया जाने वाला अनुवाद है.
पिछला अनुवाद एक सामान्य तरीके से नही किया जाता है क्योंकि इसमें स्वाभाविकता नही होती, जो किसी भी अनुवाद (इस मामले में, बड़े समूह की भाषा) का एक लक्ष्य होता है. इसकी बजाय, इसका लक्ष्य स्थानीय भाषा के अनुवाद के भाव को लिखित तरीके में ही पेश करना है जिसमें बड़े समुदाय में उपयुक्त व्याकरण एवं शब्दों के क्रम का उपयोग किया जा सकता है. इस प्रकार, अनुवाद जाँचकर्ता लक्षित भाषा के लेख में इसके अर्थ को और पिछले अनुवाद को अधिक स्पष्ट तरीके से समझ सकता है और आसानी से पढ़ भी सकता है.
पिछले अनुवाद का मकसद बाइबल के लेख की जाँच करने या जानकारी पाने वाले की लक्षित भाषा के अनुवाद को समझने में मदद करना है, यद्यपि उसे उस भाषा का ज्ञान न भी हो. अत: पिछले अनुवाद की भाषा ऐसी हो जिसे पिछला अनुवाद करने वाला और जाँचकर्ता दोनों अच्छी तरह से समझते हों. इसका अक्सर मतलब होता है कि पिछले अनुवादक को लेख का अनुवाद वृहद समुदाय में बोली जाने वाली उसी भाषा में करना है जिसका उपयोग स्रोत लेख में हुआ था.
कुछ लोगों को यह अनावश्यक लगे, क्योंकि स्रोत भाषा में बाइबल के लेख पहले से ही मौजूद होते हैं. परंतु याद रखें कि पिछले अनुवाद का मकसद क्या है: जाँचकर्ता की इस बात में मदद करना कि स्रोत भाषा अनुवाद में क्या है. मूलभूत स्रोत भाषा के अनुवाद को केवल पढ़ने से जाँचकर्ता नही समझ पाएगा कि स्रोत भाषा अनुवाद में क्या है. अत: पिछला अनुवादक एक नया अनुवाद पीछे की ओर बड़े समुदाय में बोली जाने वाली भाषा के लिए करे जो लक्षित भाषा अनुवाद पर ही आधारित हो. इसीलिए, पिछला अनुवादक अनुवाद करते वक्त मूल स्रोत लेख को नही देखे, वह केवल लक्षित भाषा लेख को देख सकता है. इस प्रकार, जाँचकर्ता किसी भी समस्या को ढ़ूँढ़ सकता है जो लक्षित भाषा में हो और अनुवादक के साथ मिलकर उसे सही कर सकता है.
पिछला अनुवाद, जाँचकर्ता के द्वारा अनुवाद की जाँच करने से पहले ही, लक्षित अनुवाद को विकसित करने में भी मदद कर सकता है. जब अनुवादक दल अनुवाद को पढ़ता है, तो वे समझ सकते हैं कि पिछला अनुवादक ने अनुवाद को कैसे समझा है. कभी कभार, पिछला अनुवादक अनुवाद को एक अलग तरीके से समझता है परंतु उसका अर्थ वास्तव में कुछ और होता है. ऐसे मामले में, वे अपना अनुवाद बदल सकते हैं जिससे अर्थ स्पष्ट हो सके और असली अर्थ समझ आ सके. जाँचकर्ता को देने से पहले, यदि अनुवादक दल इस प्रकार पिछला अनुवाद को इस्तेमाल कर सकते हैं, तो वे अपने अनुवाद में आवश्यक बदलाव कर सकते हैं. ऐसा करने पर, जाँचकर्ता अपनी जाँच में गति ला सकते हैं क्योंकि अनुवादक दल ने अनुवाद की कर्इ कमियों को जाँचकर्ता से मिलने से पहले ही सही कर लिया होता है.
एक अच्छा पिछला अनुवाद करने के लिए, एक व्यक्ति में तीन योग्यताएँ होनी चाहिए.
मौखिक अनुवाद वो होता है जो पिछला अनुवादक लक्षित भाषा को पढ़कर या सुनकर, वृहद तौर पर बोली जाने वाली भाषा में अनुवाद-जाँचकर्ता को मँूह जबानी बताता है।वह एक एक कथन कर उसे बताता है या एक बारे में दो कथन भी बता सकता है यदि कथन छोटे हैं। जब अनुवाद जाँचकर्ता कुछ ऐसा सुनता है जिसमें कोर्इ समस्या है, तो वह मौखिक तौर पर बोल रहे पिछले अनुवादक को रोकेगा कि उससे इसके बारे में सवाल पूछ सके। अनुवादक दल के दो या तीन लोग भी मौजूद रहें जिससे कि वे भी अनुवाद के बारे में सवाल का जवाब दे सकें।
मौखिक पिछला अनुवाद का एक लाभ यह है कि अनुवाद जाँचकर्ता आसानी से पिछले अनुवाद को समझ सकता और पिछले अनुवाद के बारे में जाँचकर्ता के सवाल का जवाब दे सकता है। मौखिक पिछला अनुवाद का एक नुकसान यह है कि पिछले अनुवादक के पास सर्वश्रेष्ट पिछला अनुवाद के शब्दों को सोचने का काफी सीमित समय रहता है और वह शायद अनुवाद का सर्वश्रेष्ठ तरीका बता भी न पाए। यदि पिछला अनुवाद बेहतर तरीके से बताया गया होता तो शायद यह जाँचकर्ता के लिए प्रश्नों को पूछना अनिवार्य नही कर पाता। एक और नुकसान यह है कि जाँचकर्ता के पास पिछला अनुवाद को जाँचने का बहुत कम समय रहता है। उसके पास एक वाक्य को सुनने के बाद और अगला सुनने से पहले कुछ ही सेकण्ड सोचने के मिलते हैं. इसके कारण, वह केवल कुछ ही समस्याओं को ढ़ूँढ़ सकेगा, जबकि यदि उसके पास हर वाक्य के बाद सोचने का मौका मिलता तो अधिक समस्याओं को ढ़ूँढ़ सकता था।
लिखित पिछला अनुवाद दो प्रकार का होता है। अगले भागों में इन दोनों के अंतरों के बारे में बताया जाएगा। मौखिक की बजाय, लिखित पिछला अनुवाद के कर्इ सारे लाभ हैं। पहला, जब पिछला अनुवाद लिखा होता है तो अनुवादक दल उसे पढ़कर देख सकता है कि कहीं पिछले अनुवादक ने अनुवाद के अर्थ को गलत तो नही समझ लिया है। यदि अनुवाद का गलत अर्थ लिख दिया गया है तो निसंदेह, दूसरे पाठक एवं श्रोता भी उसी अर्थ को समझ बैठते हैं इसलिए ऐसी जगहों पर अनुवादक दल जरूरी बदलाव करे।
दूसरा, जब पिछला अनुवाद लिखा होता है तो अनुवाद जाँचकर्ता अनुवादक दल से मिलने से पहले पिछला अनुवाद को पढ़ सकता और उस अनुवाद से उठने वाले सवालों पर विचार विमर्श कर सकता है। यद्यपि अनुवाद जाँचकर्ता को सवाल पर विचार विमर्श करने की जरूरत न भी हो, उसे अनुवाद के बारे में सोचने का काफी समय मिल जाता है। व्ह अनुवाद से संबंधित अधिक समसयाओं को पहचान सकता और हल निकालने की कोशिश कर सकता है क्योंकि उसके पास अनुवाद के बारे में सोचने का काफी समय मौजूद रहता है।
तीसरा, जब पिछला अनुवाद लिखा होता है, अनुवाद जाँचकर्ता अनुवादक दल से मुलाकात करने से पहले, अपने सवालों को भी तैयार कर सकता है। यदि मुलाकात से पहले उनके पास समय है या बातचीत का कोर्इ और तरीका मौजूद है तो जाँचकर्ता अपने लिखित सवालों को दल के पास भेज सकता है जिससे उनके पास उन्हे पढ़ने और अनुवाद के अंश को बदलने का समय रहता है यदि जाँचकर्ता को उसमें कोर्इ समस्या नजर आती है। इससे अनुवादक दल और अनुवाद जाँचकर्ता को मुलाकात के दौरान बाइबल के अधिकतम भागों का पुनरावलोकन करने का मौका मिलता है क्योंकि मुलाकता से पहले ही उन्होने कर्इ सारी समस्याओं का हल निकाल लिया होता है। मुलाकात के दौरान, शेष बची समस्याओं पर वे केंद्रित हो सकते हैं। ये अक्सर ऐसी जगह होती हैं, जहाँ अनुवादक दल को जाँचकर्ता का कोर्इ सवाल समझ में नही आया होगा या जाँचकर्ता लक्षित भाषा की किसी चीज को नही समझ पाया होगा और सोचता है कि वहाँ समस्या हो सकती है, परंतु वास्तव में समस्या न भी हो। ऐसे मामले में, मुलाकात के दौरान, अनुवादक दल जाँचकर्ता को उसके बारे में समझा सकता है जो उन्हे समझ नही आया ।
यदि जाँचकर्ता के पास मुलाकात से पहले, अपने सवाल अनुवादक दल को भेजने का समय न हो, वे मुलाकात के दौरान भी वे भागों का अवलोकन कर सकते हैं क्योंकि जाँचकर्ता पिछले अनुवाद को पढ़कर अपने सवालों को तैयार कर चुका होता है। चूँकि उसे तैयारी का यह समय मिल गया था, वह और अनुवादक दल अपने मुलाकात के समय में, अनुवाद को धीरे धीरे पढ़कर पूरा करने की बजाय, जैसा कि मौखिक पिछला अनुवाद में किया जाता है, अनुवाद की समस्याओं पर विचार विमर्श करने में समय बिताए।
चौथा, लिखित पिछला अनुवाद, अनुवाद जाँचकर्ता के तनाव को कम करता है क्योंकि उसे कर्इ घंटे मौखिक अनुवाद को सुनने और समझने में बिताने की जरूरत नही पड़ती। यदि अनुवाद जाँचकर्ता और अनुवादक दल की मुलाकात किसी शोर से भरे स्थल में होती है तो हर शब्द को बड़े ध्यान से सुनने की कोशिश में ही जाँचकर्ता थक जाएगा। इतनी कोशिश में यह संभव है कि जाँचकर्ता कुछ समस्याओं को समझ ही न पा और परिणामस्वरूप वे गलतियाँ बाइबल के लेख में भी बिना सही किए बनी रहें। इसीलिए, हमारा सुझाव है कि यदि संभव हो, तो लिखित पिछला अनुवाद ही करें।
लिखित पिछला अनुवाद के दो प्रकार हैं:
अंतर्निहित पिछला अनुवाद वह होता है जिसे पिछला अनुवादक लक्षित भाषा अनुवाद के हर शब्द के नीचे लिखता है. इसका परिणाम एक ऐसा लेख होता है जिसमें लक्षित भाषा अनुवाद के हर वाक्य के बाद वृहद बातचीत की भाषा का वाक्य आएगा . इस प्रकार के पिछले अनुवाद का लाभ यह है कि जाँचकर्ता आसानी से देख सकता है कि अनुवादक दल किस प्रकार लक्षित भाषा के हर शब्द का अनुवाद कर रहा है. वह लक्षित भाषा के हर शब्द के स्तर को आसानी से देखकर, तुलना कर सकता है कि इसी शब्द का दूसरी पृश्ठभूमि में किस प्रकार उपयोग हो सकता है. इस प्रकार के पिछले अनुवाद का नुकसान यह है कि वृहद तौर पर बोली जाने वाली भाषा के लेख का हर वाक्य अलग अलग शब्दों के मिश्रण से बनता है. और इससे लेख को पढ़ना और समझना कठिन हो जाता है और पिछला अनुवाद के दूसरे तरीकों की बजाय, इस तरीके से जाँचकर्ता के मन में अधिक प्रश्न और गलतफहमियाँ उत्पé हो सकते हैं. इन्ही कारणों से, हम शब्द के लिए शब्द तरीके के बाइबल के अनुवाद की सिफारिश नही करते हैं.
स्वतंत्र पिछला अनुवाद वह होता है जिसमें पिछला अनुवादक वृहद तौर बोली जाने वाली भाषा में अनुवाद के बाद एक अंतराल देकर लक्षित भाषा के अनुवाद को लिखता है. इस तरीके का नुकसान यह है कि पिछला अनुवाद लक्षित भाषा के अनुवाद से नजदीकी से जुड़ा नही होता है. ल्ेकिन फिर भी, पिछले अनुवाद के साथ आयतों की संख्याओं को जोड़कर, पिछला अनुवादक बाइबल के पिछले अनुवाद के द्वारा इस नुकसान पर जय पा सकता है. दोनों अनुवादों में आयतों की संख्याओं की मदद से, अनुवाद जाँचकर्ता जान सकता है कि वृहद भाषा का कौनसा भाग लक्षित भाषा के किस भाग से जुड़ा है. इस तरीके का लाभ यह है कि पिछला अनुवादक बातचीत की वृहद भाषा के व्याकरण और शब्दों के क्रम का उपयोग कर सकता है और इससे अनुवाद जाँचकर्ता उसे आसानी से पढ़ और समझ सकता है. वृहद भाषा के व्याकरण एवं शब्दों के क्रम के उपयोग करने के साथ साथ, पिछला अनुवादक यह भी ध्यान रखे कि वह शब्दों का अनुवाद लेख दर लेख के आधार पर ही करे. हम सुझाव देते हैं कि पिछला अनुवादक स्वतंत्र पिछला अनुवाद तरीके का इस्तेमाल करे.
यदि किसी शब्द का आधारभूत अर्थ केवल एक है, तो पिछला अनुवाद करने वाले बड़े समुदाय की भाषा के अनुवाद में उसी अर्थ को शुरू से लेकर अंत तक इस्तेमाल करें। परंतु यदि लक्षित भाषा में उस शब्द के एक से अधिक अर्थ हैं, और पृष्ठभूमि के अनुसार उस शब्द का अर्थ बदलता रहता है तो पिछला अनुवाद करने वाले हर एक शब्द को इस प्रकार इस्तेमाल करें कि उस पृष्ठभूमि में उसका सही अर्थ निकलता हो । अनुवाद जाँचकर्ताओं का संदेह दूर करने के लिए, पिछला अनुवाद करने वाले उस शब्द के खुले अर्थ को वहाँ इंगित कर सकते हैं जिससे जाँचकर्ता समझ पाएँ कि उस शब्द के एक से ज्यादा अर्थ हैं। उदाहरण के तौर पर, उसने लिखा होगा, ‘‘आओ (जाओ)’’ यदि लक्षित भाषा के शब्द का अर्थ पिछले अनुवाद में ‘‘जाओ’’ होगा परंतु नयी पृष्ठभूमि में इसे बेहतर तरीके से ‘‘आओ’’ लिखा गया है।
यदि लक्षित भाषा किसी कहावत का उपयोग करती है तो जाँचकर्ताओं के द्वारा यह जाँचना बहुत जरूरी है कि पिछला अनुवादकों ने उस कहावत का अनुवाद लेख के अनुसार किया है (शब्द के अर्थ के अनुसार) और साथ ही साथ, वहीं पर उसके अन्य अर्थों को भी इंगित किया है। इस प्रकार, अनुवाद जाँचकर्ता देख सकते हैं कि स्रोत भाषा अनुवाद में उस जगह पर कहावत का उपयोग होता है और उसका अर्थ भी देख सकता है। उदाहरण के तौर पर, पिछला अनुवादक ‘‘उसने बाल्टी पर लात मारी (वह मर गया)’’ नामक कहावत का अनुवद कर रहा है। यदि यह कहावत एक से अधिक बार इस्तेमाल हो रही है तो पिछला अनुवादक को उसका वर्णन बार बार देने की जरूरत नही है, परंतु वह इसका अनुवाद या तो शब्द के अर्थानुसार या वर्णनानुसार कर सकता है।
पिछला अनुवाद में, पिछला अनुवादक लक्षित अनुवाद में शब्दों के भेद को बड़े समुदाय की भाषा के अनुवाद में भी वही रखे। इसका अर्थ है कि अनुवादक संज्ञा का अनुवाद संज्ञा में, क्रिया का अनुवाद क्रिया में और विशेषण का अनुवाद विशेषण में ही करे। इससे अनुवादक जाँचकर्ता को यह देखने में मदद मिलेगी कि लक्षित भाषा कैसे कार्य करती है।
पिछला अनुवाद में, पिछला अनुवादक लक्षित अनुवाद में वाक्य खंडों के प्रकार को, बड़े समुदाय की भाषा के अनुवाद में भी समान रखे। उदाहरण के तौर पर, यदि लक्षित भाषा का वाक्य खंड एक आदेश है तो पिछला अनुवादक भी उसे आदेश के तौर पर ही लिखें, सुझाव या विनती के रूप में नही। अथवा यदि लक्षित भाषा एक अलंकारिक प्रश्न का इस्तेमाल कर रहा है तो पिछला अनुवाद भी कथन अथवा प्रकटीकरण की बजाय, एक प्रश्न ही होना चाहिए।
पिछला अनुवादक पिछले अनुवाद में उन्ही विराम चिन्हों का ही उपयोग करे जो स्रोत भाषा के अनुवाद में इस्तेमाल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, यदि लक्षित अनुवाद में अल्प विराम चिन्ह का उपयोग हुआ है तो पिछला अनुवाद भी अल्प विराम का उपयोग करे। अंतराल, विस्मयादिबोधक चिन्ह, उद्धरण चिन्ह और सभी विराम चिन्हों का उपयोग दोनों अनुवादों में समान स्थल पर किया जाए। इस प्रकार, अनुवाद जाचकर्ता आसानी से देख सकता है कि पिछले अनुवाद का कौनसा हिस्सा लक्षित भाषा के अनुवाद के कौनसे हिस्से को दिखा रहा है। बाइबल का पिछला अनुवाद करते वक्त, यह निश्चित करना बहुत जरूरी है कि सभी अध्यायों और आयतों की संख्याएँ पिछले अनुवाद में भी सही जगह पर हों।
कर्इ बार, बड़े समुदाय की भाषा के शब्दों के मुकाबले, लक्षित भाषा के शब्द जटिल अथवा कठिन होते हैं। ऐसे मामलों में, पिछला अनुवाद लक्षित भाषा के शब्द को बड़े समुदाय की भाषा के अनुसार पूरा खोलकर बताए। यह जरूरी है क्योंकि इससे अनुवाद जाँचकर्ता उसके अर्थ को अधिक स्पष्ट तौर पर समझ सकता है। उदाहरण के तौर पर, लक्षित अनुवाद के एक शब्द का अर्थ बताने के लिए बड़े समुदाय की भाषा में एक लंबे कथन का उपयोग करना पड़े, जैसे कि ‘‘ऊपर जा’’ या ‘‘जाकर लेट जा’’। इतना ही नही, कर्इ भाषाओं के शब्द इतनी सूचनाओं से भरे होते हैं जिन्हे बड़े समुदाय की भाषा में बताने के लिए अधिक शब्दों का उपयोग करना पड़ता है। ऐसे मामले में, लाभदायक रहेगा यदि पिछला अनुवादक उस सूचना को अतिरिक्त सूचना के रूप में लिखे, जैसे कि ‘‘हम (सब सम्मिलित)’’ या ‘‘तुम (स्त्रीवाचक, बहुवचन)’’।
पिछले अनुवाद में लक्षित भाषा में उपयुक्त संरचना की बजाय, उन वाक्यों और अर्थपूर्ण संरचनाओं का उपयोग होना चाहिए जो वृहद तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली बातचीत में सामान्य हो। इसका मतलब है कि पिछला अनुवाद ऐसे शब्दों का उपयोग करे जो वृहद तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली बातचीत में आम हों, लक्षित भाषा में उपयोग होने वाले शब्द नही। पिछला अनुवाद एक जैसे स्वभाव वाले वाक्यों एवं उन्हे जोड़ने वाले शब्दों को दिखाने के लिए ऐसे तरीकों का उपयोग करे जो वृहद तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली बातचीत में सामान्य हों। इससे पिछला अनुवाद अनुवाद-जाँचकर्ता के लिए पढ़ने और समझने में आसान होगा। इससे पिछले अनुवाद की जाँच प्रक्रिया भी तेज गति से हो पाएगी।
आपको जो भी सही नही लगे, पूछें जिससे कि अनुवादक दल उसका वर्णन कर सके। यदि वह उन्हे भी सही नही लगे, तो वे अनुवाद को सही कर सकते हैं। सामान्य तौर पर:
जाँचें कि कहीं कुछ जोड़ना तो नही है जो स्रोत लेख के अर्थ का भाग नही था । (याद रखें कि मूल अर्थ में अंतर्निहित सूचना भी शामिल है)
जाँचें कि कहीं कुछ गायब तो नही है तो मूल स्रोत लेख का भाग था परंतु अनुवाद में शामिल नही हुआ है।
जाँचें कि कहीं ऐसा अर्थ तो नही आ रहा जो स्रोत लेख के अर्थ से बिल्कुल अलग हो।
यह निश्चित करने के लिए जाँचें कि हर भाग का मुख्य बिन्दु या मुख्य विषय स्पष्ट है। अनुवादक दल से एक भाग का सार कहने को कहें और देखें कि वह स्पष्ट है या नही। यदि आप किसी छोटे बिन्दु को मुख्य बिन्दु के रूप में लेते हैं तो उन्हे उस भाग के अनुवाद में आवश्यक बदलाव करना जरूरी है।
जाँचें कि पद्यांशों के विभिé भाग आपस में सही तरीके से जुडे़ हैं - अर्थात लक्षित भाषा में बाइबल पद्यांशों के बीच के जोड़ने वाले, कारण, जोड़, परिणाम, सारांश इत्यादि तथ्य सही तरीके से जुड़े हों।
कुछ ऐसी भी जाँचें हैं जिन्हे आप बाइबल के एक पुस्तक के अनुवाद से पहले, उसके दौरान या बाद में कर सकते हैं जिससे अनुवाद को और आसान, दिखने में अच्छा और पढ़ने में अधिक से अधिक सरल बनाया जा सकता है। इस भाग के मापदण्ड निम्न विषयों पर अधिक जानकारी प्रदान करते हैं:
अनुवादक दल अनुवाद शुरू करने से पहले निम्न निर्णय ले
कुछ अध्यायों का अनुवाद कर लेने के बाद, अनुवादक दल अनुवाद के दौरान दिखीं समस्याओं के आधार पर इन निर्णयों में फेरबदल कर सकते हैं। आप लेख में निरंतरता की जाँच कर सकते और पता लगा सकते हैं कि स्पेलिंग या विराम चिन्हों के बारे में निर्णयों में फेरबदल की जरूरत है या नही।
पुस्तक को समाप्त कर लेने के पश्चात, आप यह निश्चित करने के लिए जाँच कर सकते हैं कि सभी आयत सही हैं और उस दौरान आप भागों के शीर्षकों को भी निर्धारित कर सकते हैं। अनुवाद के दौरान की, शीर्षक के लिए विचारों को आप लिख सकते हैं।
जब आप अनुवाद को पढ़ते हैं तो शब्दों के उच्चारण के लिए निम्न प्रश्नों को पूछें। इन प्रश्नों से आपको भाषा के उच्चारण के लिए एकदम सही शब्द को चुनने में मदद मिलेगी और क्या इन शब्दों को उनकी निरंतरता में लिखा गया है जिससे उन्हे पढ़ना आसान हो।
क्या वह शब्द उस भाषा के उच्चारण में इस्तेमाल करने योग्य है? (क्या कोर्इ और उच्चारण हैं जिनका अर्थ अलग लगता है परंतु उन्हे अलग आवाज के लिए उसी अक्षर के साथ इस्तेमाल करना है) क्या इससे शब्द को पढ़ना कठिन तो नही हो जाता? क्या इन शब्दों को कहीं पर लगाने के लिए कुछ अलग चिन्हों को लगाने की जरूरत है जिससे उनका अंतर पता चल सके
क्या पुस्तक में इस्तेमाल की गर्इ स्पेलिंग सही है? (क्या लेखक को बताने के लिए कोर्इ नियम हैं कि कैसे विभिé हालातों में शब्द कैसे बदलते हैं?) क्या उनका वर्णन किया जा सकता है जिससे दूसरे लोग भाषा को आसानी से पढ़ और लिख सकें?
क्या अनुवाद ने उन भावों, कथनों, प्रत्ययों या स्पेलिंगों का उपयोग किया है जिन्हे उस भाषा समुदाय के अधिकाँश लोग जानते हैं? यदि अक्षर या स्पेलिंग के बारे में कुछ गलत है, उसको लिख लें जिससे अनुवादक दल के साथ विचार विमर्श किया जा सके
अनुवाद को पाठक अच्छी तरह से समझ और पढ़ पाएँ, इसके लिए जरूरी है कि शब्दों के अक्षर सही हों। यदि कठिन हो सकता है यदि लक्षित भाषा में अक्षरों को लिखने या बोलने का रिवाज न हो। एक अनुवाद के कर्इ भागों पर कर्इ अनुवादकों के कार्य करने से भी कार्य कठिन हो सकता है। और इसीलिए, अनुवादक दल को अनुवाद शुरू करने से पहले, आपस में मिलना और शब्दों की सही वर्जनी को निर्धारित करना महत्वपूर्ण है।
दल में उन शब्दों पर विचार विमर्श करें जिनही वर्जनी अर्थात बोलना कठिन है। यदि शब्दों के उच्चारण में कुछ भी कठिन लगता है तो आप अपने लिखने के तरीके में बदलाव ला सकते हैं। (देखें Alphabet/Orthography) यदि एक शछ का कर्इ प्रकार से उच्चारण है तो दल एक साथ मिलकर, एक सही उच्चारण का निर्धारण करें। सहमत शब्दों की अक्षरानुक्रम में सूची बनाएँ। दल के हर सदस्य के पास इस सूची की प्रति रहे जिसकी अनुवाद के दौरान मदद ली जा सकती है। यदि और भी कठिन शब्द इस दौरान मिलते हैं तो उसको भी सूची में जोड़ें और निश्चित करें कि हर एक के पास ताजी सूची हो। स्प्रेडशीट को बनाना इस जाँच के लिए लाभदायक हो सकता है।
बाइबल के व्यक्तियों और स्थलों के नामों के उच्चारण कठिन हो सकते हैं क्योंकि उनमें से अधिकतर नाम लक्षित भाषा के लिए अपरिचित हैं। उन्हे भी अक्षरों की सूची में शामिल करें।
उच्चारण जाँच में कम्प्यूटर अच्छे मददगार हो सकते हैं। यदि आप गेटवे भाषा पर कार्य कर रहे हैं, तो उसका शब्दकोष पहले से ही उपलब्ध होगा। यदि आप और किसी भाषा में अनुवाद कर रहे हैं तो आप खोजें और बदले के विकल्प का उपयोग कर गलत शब्दों को सही कर सकते हैं। ParaTExt में शब्द जाँच की सुविधा है जिससे शब्दों के उच्चारणों को जाना जा सकता है। यह आपको उच्चारण बताएगा और फिर आप निर्णय ले सकते हैं कि आपको उनमें से कौनसा चुनना है।
‘‘विराम चिन्ह’’ उन चिन्हों को दिखाता है जो ये बताते हैं कि एक वाक्य को कैसे पढ़ना या समझना है। उदाहरणों में अल्पविराम या अंतराल या कोटेशन चिन्ह जैसे वाक्य के बीच में रूकने को इंगित किया गया है जिन्हे वक्ता के शब्दों के चारों ओर लगाया जाता है।अनुचाद को अच्छी तरह से पढ़ने यश समझने के लिए, जरूरी है कि उनमें सही प्रकार के चिन्हों का उपयोग किया जाए।
अनुवाद करने से पहले, अनुवादक दल को निश्चित करना है कि किस प्रकार के चिन्हों का उपयोग अनुवाद में किया जाए। उन चिन्हों के तरीकों का इस्तेमाल करना बेहतर होगा जिन्हे राष्ट्रीय भाषा में उपयोग किया जाता है या राष्ट्रीय भाषा की बाइबल या उससे संबंधित बाइबल में किया जाता है। तरीके का निर्णय कर लेने के पश्चात, निश्चित करें कि हर कोर्इ उनका पालन करे। हर दल को एक मार्गनिर्देशिका देना लाभप्रद होगा जिनमें चिन्हों का इस्तेमाल करने के तरीके दिए गए हों।
मार्गनिर्देशिका होने के बावजूद भी, यह सामान्य बात है कि अनुवादकों से गलतियाँ हो सकती हैं। इसीलिए, पुस्तक के अनुवाद के बाद, हमारा सुझाव है कि इसे ParaTExt में इंपोर्ट कर दिया जाए । आप ParaTExt में लक्षित भाषा के लिए उपयोगी चिन्हों के उपयोग के नियमों को डाल सकते हैं और उसके बाद, उसमें उपलब्ध चिन्ह-जाँच को चला सकते हैं। ParaTExt चिन्हों से संबंधित गलती को ढूँढ़ेगा और आपको दिखाएगा। उसके बाद आप उन गलतियों का अवलोकन कर देख सकते हैं कि वहाँ गलती है या नही । यदि गलती है, तो उसे दूर करें। चिन्ह-जाँच चलाने के बाद, आप निश्चित हो सकते हैं कि आपने अपने अनुवाद में सही चिन्हों का इस्तेमाल किया है।
यह महत्वपूर्ण है कि आपकी अनुवादित भाषा में वे सभी शब्द मौजूद हों जो स्रोत भाषा बाइबल में मौजूद हैं। हम नही चाहते कि गलती से भी कोर्इ शब्द छूटे। परंतु यह भी याद रखें कि कुछ बाइबलों में उन शब्दों को लिखने के अपने कारण हो सकते हैं जो दूसरी बाइबल में न हों।
अपने अनुवाद में गायब आयतों की जाँच के लिए, एक पुस्तक के अनुवाद के बाद, अनुवाद के अंश को ParaTExt में इम्पोर्ट करें और फिर, ‘‘अध्याय /आयत संख्या’’ चलाएँ । ParaTExt उस पुस्तक की हर जगह दिखागा जहाँ भी कोर्इ आयत गायब लगेगा । और फिर आप उस हर जगह को देखें और निर्धारित कर सकते हैं कि आयत को किसी मकसद से हटा रखा है जिनके बारे में हमने ऊपर देखा था, या गलती से हट गया है और यदि जरूरी हो तो वापिस उस आयत का अनुवाद करें।
अनुवादक दल को एक निर्णय यह लेना पड़ेगा कि भागों के शीर्षकों का उपयोग करे या नही । भागों के शीर्षक बाइबल के हर उस भाग को दिया गया शीर्षक या नाम है जो नए विषय को शुरू करता है। भागों के शीर्षक से लोगों को उस भाग की जानकारी मिलती है। कुछ अनुवाद उनका उपयोग करते हैं तो कुछ नही । आप अधिकतर लोगों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले, राष्ट्रीय भाषा में बाइबल के नमूने का पालन कर सकते हैं। आप यह भी पता लगा सकते हैं कि भाषा समुदाय क्या पसंद करता है।
भागों के शीर्षकों का उपयोग आपको अधिक काम देता है क्योंकि बाइबल के लेख के अलावा, आपको हर भाग के शीर्षक का भी अनुवाद करना पड़ेगा। यह आपके बाइबल के अनुवाद को भी लंबा बनाएगा। परंतु भागों के शीर्षक पाठकों के लिए लाभदायक होंगे। भागों के शीर्षक की वजह से ढ़ूँढ़ना आसान को जाता है कि बाइबल में कहाँ कौनसा विषय लिखा है। यदि कोर्इ व्यक्ति किसी विशेष चीज को खोज रहा है तो वह भागों के शीर्षक को देखकर उस विषय तक पहुँच सकता है जिसे वह पढ़ना चाहता है। तत्पश्चात वह उस भाग को पढ़ सकता है।
यदि आपने भागों के शीर्षक का उपयोग करने का निर्णय ले लिया है, तो आपको यह निर्णय लेना होगा कि किस प्रकार का उपयोग करना है। पुन:, आपको यह देखना होगा कि किस प्रकार के भागों के शीर्षकों को समुदाय पसंद करता है और आप शायद राष्ट्रीय भाषा के तरीके का ही उपयोग करना चाहें। ऐसे प्रकार को ही चुनें जिसे लोग यह समझ सकें कि यह लेख का हिस्सा नही है जिसका यह परिचय करवा रहा है। भागों के शीर्षक वचन के भाग नही हैं; वे केवल वचन के विभिé भागों के निर्देश हैं। आप इस चीज को भागों के शीर्षक से पहले और बाद में एक अतंर देकर, अलग फोंट (विभिé तरीके से अक्षर का) इस्तेमाल कर दिखा सकते हैं। देखें कि राष्ट्रीय भाषा की बाइबल में इसे कैसे दर्शाया गया है और भाषा समुदाय के विभिé तरीकों का उपयोग करें।
भागों के शीर्षक के कर्इ सारे प्रकार हैं। यहाँ मरकुस 2:1-12 के संबंध में इस्तेमाल किए गए कुछ उदाहरणों से हम कुछ प्रकारों के बारे में जान सकते हैं:
और जैसा आप देख सकते हैं, कर्इ प्रकार के भागों के शीर्षकों को बनाना संभव है परंतु सबका उद्देश्य समान है। सारे तरीके बाइबल के उस मुख्य भाग के मुख्य विषय की जानकारी देते हैं। कुछ छोटे हैं, तो लंबे हैं। कुछ थोड़ी जानकारी देते हैं, तो कुछ अधिक। आप किसी और प्रकार का भी उपयोग कर सकते हैं और लोगों से पूछें कि उनके लिए कौनसा तरीका लाभप्रद है।