अध्याय ३

1 १) ऐय पत्नियों, तु भी तुनो माटी नो हारी रज ईनि करता का नहा ईनि मथी कोय ईसाका नहा होय जो वचन ला नहा मानतो स,

2 २) तरू भी तुमनो भय सहित पवित्र चाल चलन लो देखीन कायन हाना वचन ला आपनी आपनी बायको नी चाल चलन नो द्बारा पण रवेयाय जाई , 3 ३) अंन तुमना श्रृंगार दिखावटी नहा होय अथवा नायन गुथने, अंन सोनानं वस्तु, नहात जात - जातने कपड पवाना!

4 ४) नहात तुमना दखेला अंन गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता अंन मन नी दीनता नो अविनाशी सजावट थी सुसज्जित रहो, किसाका परमेश्वर नी नजरम ईना मुल्य वदी गया! 5 ५) अंन पयलनो टाईम पवित्र बायो भी, जो परमेश्वर प आशा थवतली , आपन आपलाज ईनो गत तयार होतली अंन आपन - आपन माटीला अधीन अधीन थवतली!

6 ६) जिस सारा अब्राहम नो आज्ञा मानतलो अंन तिला स्वामी आकतली अत : तुभी यदि सारा करा अंंन तिनो गत भय थी भय भीत नहा होवा त तिनी पोटा पोटी आकासे! 7 ७) तिसज स्त्री स माटो तुमुबी बुध्दिमानो थी माटो नी हारी जीवन बितावा अंन बायो ना निर्बल पात्र जानीन तीला समान करा, ई समजीन का आपु बेनी जीवनो वरदान नो वारिस स, जिनाथी तुमनो प्रार्थना रुको नहा जाई, 8 ८) अंत : बड ज बड एक मन आ दया करनार अंन भाईचारे स प्रेम थवनार अंन करूणामय, अंन नम्र बना,

9 ९) खराबनो बदलाम खराब नह करा अंन नहा गाई नी बदलाम गाई देवा पण ईनि विपरीत आर्शीवाद देवा किसाका तुभी आर्शीवाद नी वारिस होवानो करता वारन आस! 10 १०) किसाका जो कोय जीवन इच्छा थवस अंन सारा दिन देख वाना आस, ती आपनो जीभ ला खराब थी, अंन आपना होइ नी छल नो गोटयो करवाथी रोकी थवा ,

11 ११ )तो खराब नो साथ छोडा अंन सारा करा, तो मेल मिलाप लो हेरा, अंन तिनी यत्न म रवा रवा !

12 १२) किसाका प्रभु नी नजर धर्मि प लिगेलो रय आस, अंन तिना कान तिन विनंती नी गुम लागेल रत स , पण प्रभु खराब करनार नी विमुख रय आस! ( भज :- ३४:१५-१६ , युह :- ९:३१ , नीति :- १५:२९ ) . 13 १३) अंन तुमु सारा करवाम उत्तेजित रवा त तुमनो खराब करनार फिरो कोन स,

14 १४) अंन तुमु धार्मिकता नो करता दु:ख भी लेसा, त धन्य स, पण तिनाथी बिवाट वाथी नहा बिवसा अंन नहा घबरास, 15 १५) पण मसिह ला प्रभु समझीन आपनो - आपन मन म पवित्र समझा, अंन जो कोई तुमनाथी तुमनो आशा नो विषय म काय विचारो त तिला जवाब देवाला तयार रवा पण नम्रता अंन भय नो हारी.

16 १६) अंन विवेक भी शुद्ध थवा, ईनि करता का जि गोटनो विषय म तुनी बदनामी होस, तिनी विषय ते जो मसिह म तुमनो सारी वेव हार नो अपमान करता स लज्जित हो!

17 १७) किसाका यदि परमेश्वर नी ईज इच्छा होय का तु सारा करवा नी कारण दु:ख लेय लेवा! तई खराब करवानो कारण दु:ख लेवाथी सारा स, 18 १८) ईनि करता का मसिह भी अथवा अर्धामियों नी करता धर्मी पाप नी कारण एक दाव दु:ख लेवा ईनि करता हामला परमेश्वर नो जाग पोचाळनल ते शरीर न भाव थी तो मारा गयो, पण आत्मानो भाव थी जिवतो होय गयो,

19 १९) तिमज तिला जानिनि कयदी आत्मा ला भी प्रचार करन ,

20 २०) जो तो बीतो समय म आज्ञा नहा मानन जव परमेश्वर नुह नो दिनम धीर धरनो स दकी रनो, अंन तो हुडी बनवी रनोलज्ञ, जिम बटनो अरध्द लोग नहात आठ प्राणी यीनो नी थी बची गयल! 21 २१) अंन ता पानी नी दुष्टान्ट भी अथवा बाप्तिस्मा, यीशु मसिह ला जोवता उठवानो द्वारा, जव तुमला बचावस, ( तिना थी शरीर नो मैल ला दुर करवानो नो अर्थ नहा आस, पण शुद्ध वश गुधी थी परमेश्वर नी वश मस जाने का अर्थ स,

22 २२) तो स्वर्ग म जाईन परमेश्वर नी सिदो गुम गठी गयो, अंन स्वर्ग दुतो, अधिकारीयों अंन सामार्थियों ला तिनी जाग करी देन स,! ( इफि :- १:२०-२१ , भज :- ११०:१ )