2 २) नव जन्म होन पोर्य पवित्र आत्मिक दुध नी लालस करा ; तिनाम तिनो द्वारा उद्वार पायवानी करता मोट होत जावा ,
3 ३) किसाका तुमु न प्रभु नी साराना स्वाद चखी लेनस, ( भज : - ३४ : ८ ) 4 ४) तिनी जाग ययण, जोला मंय ना निकम्मा ठहराया पण परमेश्वर नि जाग पसन करोय, अंन बहुमुल्य जिवता दगडो स,
5 ५) तु भी तु जीवते दगडा नी गत आत्मिक घर बनत जात स जिना ती याजक ना पवित्र समाज बनीन ईसडो आत्मिक बलिदान चढावी वा, जो येशू मसिह न द्वारा परमेश्वर ला ग्रहणयोग्य होय, , 6 ६) इनि करता पवित्रशास्त्र मभी यनास देखा में सिय्योन म कोन सिरे ला पसन करेल अंन बहुमुल्य दगडो धर आस, अंन जो कोई तिप विश्वास करी तो कोळसा बी गत लाज नहा यवाव. ( यशा :- २८:१६) 7 ७) छेले तुमनो करता जो विश्वास करत स, तात बहुमुल्य स, पन जो विश्वास नहा करत तिनी करता जो दगडाला राजमिस्त्री कामनो नहा आकनलो, तोज कोन नो सिरा होय गयो, ( भजन :- ११८ :२२ , दानि :- २:३४-३५ )
8 ८) अंन ठेस लागनारो दगडो अंन ठोकर खनारो चट्टान होय गयो. 9 ९) पण तु एक पसन्द करोलो पोर्या , अंन राज - पदधारी, याजक नो समाज, अंन पवित्र लोग, अंन परमेश्वर नी लोक आस, इनि करता का जो तुमला अंधकार मथी आपनो अद्भुत ज्योति म वारन सत, तिन गुवा प्रगट करा. ( निर्ग :- १९:५-६ , व्याव :- ७:६ , व्याव :- १४:२ , यशा :- ९:२ , यशा :- ४२:२०-२१ )
10 १०) तु पयल कायज नहा हाथलो, पण आमी परमेश्वर न लोक आस, तुमय दया नहा होनीलिका पण आमि तुमय य दया होनी आस ( होशे :- १:१० , होशे :- २:२३ ) . 11 ११) एंय प्रिय मय तुला विनंती करूस कातु आपनो आप परदेशी आन यात्री जानिन तिसंसार अभिलाषा जो आत्मा थी
युध्द करू स, बची खा ( गला :- ५:२४ , १ पत :- ४:२ )
12 १२) जिसरो जातम तुमनो वेवहार सारो स, ईनि करता का जि - जि गोटम तुमला कुकर्मी जानि बदनाम करत स, ते तुमन सार काम ला हेरिन ती कारण कृपा - दृष्टि ना दिन परमेश्वर नी महीमा करो ( मत्ती :- ५:१६ , तीतु :- २:७-८ ) 13 १३) प्रभु नि करता मंच ठहराए बड एक प्रबन्ध नो अधीन रवा, राजा नी ई करता का तो बड य प्रधान स,
14 १४) अंन राज्यपाल ल, किसाका ते कुकर्मियों ला सजा देवाला अन सुकर्मियों नो प्रशंसा नि करता तिन मोकलेल स,
15 १५) किसाका परमेश्वर नि ईच्छा ईस, का तु सारा काम करवानि निबुध्दी लोअ नो अज्ञानता नो गोटयो बंद करय देवा,
16 १६) आपण आपण स्वतंत्र समजन पण आपनी ई स्वतंत्रता ला खराब नी करता आड नहा बनावा पण आपण आपला परमेश्वर नो द्बारा समजीन चाला,
17 १७) बटला आदर करा भाइस प मया थवा परमेश्वरथी बीवा राजा ना सम्मान करा, ( नीति :- २४:२१ , रोम :- १२:१० ) 18 १८) एय सेवक बडी गत थी भय नो द्बारा आपण मोटी नीउ अधीन रवा, नहा केवल सार अंन नम्रो ला, पण कुटीलो ला भी !
19 १९) किसाका नहात कोई परमेश्वर नो विचार करवाथी अन्याय थी दु:ख लयन कलेश सय स, त ई सुहावना स,
20 २०) किसाका नहात तुमन गुना करवाथी मार खाय अंन धीर थव त तिम काय बडाई नि गोट स, पण नहात सारा काम करवाथी दु:ख होय अंन धीर थवत स, त ई परमेश्वर ला सारा लाग स, 21 २१) अंन तुमुबी ईनि करता वारेल स किसाका मसीह भी तुमनि करता दु:ख लेन तुमला एक आदर्श दि गयो स का तुमुबी तिन पद - चिन्ह प चला!
22 २२) नहात तो पाप करनो, अंन नहा तिनी मुयति छल नी कोई गोट लिगतो रहो! ( यशा :-५३:९-२ , कुरि :- ५:२१ )
23 २३) तो गायो वनायिन गायो नाहा देव लागो, अन दु:ख सहन करिन कोला धमकी नाहा देव लागो, पन सोताला खरी न्यायनी हारी सोपी देव लागो। 24 २४) तो आपनी ज पापो ला आपनी देह प लेनो क्रूस प चडी गीयो जीनाथी हामु पापा नि करता मरोन धार्मिकता थी जीवन जिवा! तिला मार खावावि तुमु सार होन! ( यशा :- ५३:४-५ , १२ , गला :-३:१३ , )
25 २५) किसाका तु पयल भटकति भेडो नी गत हातल पण आमी जीव नो रखवालो अंन चारनारो नि गज वापीस यय गयो! ( यशा :- ५३:६ , यहे :- ३४:५-६ )