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‏ ऐलान, ‘ऐलान करता है, ‘ऐलान किया, ‘ऐलान करना, ‘ऐलान, ‘ऐलानात#‏

ता’अर्रुफ़

लफ़्ज़ “’ऐलान” और “’ऐलान” या’नी ज़ाती या अवामी बयान करने का हवाला देते है ”, ज़्यादातर किसी बात पर ज़ोर देने के लिए।

  • एक “’ऐलान” न सिर्फ़ अहमियत पर ज़ोर देता है, लेकिन यह भी एक बयान करने पर तवज्जोह देता है|
  • मिसाल के पर , पुराने ‘अहनामे में, ख़ुदा की तरफ़ से पैग़ाम से अक्सर पहले, “यहोवा का ‘ऐलान” या “यह वही है जो यहोवा ने ‘ऐलान किया” जुमला आता है। इस जुमले से इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि इस पैग़ाम को पहुंचाने वाला यहोवा ही है। यह हक़ीक़त है कि पैग़ाम यहोवा की तरफ़ से आता है ज़ाहिर है कि यह पैग़ाम कितना ख़ास है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुन्हस्सिर है, “’ऐलान” को इस तरह भी तर्जुमा किया जा सकता है “’ऐलान” या “अवामी बयान” या “ज़ोर से कहना” “ग़ैर मा’मूली बयान”
  • लफ़्ज़ “’ऐलान” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “बयान” या “’ऐलान”
  • जुमला “यह यहोवा का ‘ऐलान है” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है “यह वही है जो यहोवा ने ‘ऐलान किया है” या “यह वही है जो यहोवा कहता है”

(यह भी देखें: बयान

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में

शब्दकोश:

  • Strong's: H262, H559, H560, H816, H874, H952, H1696, H3045, H4853, H5002, H5042, H5046, H5608, H6567, H6575, H7121, H7561, H7878, H8085, G312, G394, G518, G669, G1107, G1213, G1229, G1335, G1344, G1555, G1718, G1732, G1834, G2097, G2511, G2605, G2607, G3140, G3670, G3724, G3822, G3853, G3870, G3955, G5319, G5419

, क़ैदख़ाना, क़ैदी, क़ैदख़ाना, क़ैद में, क़ैद में, क़ैदी बनाना, क़ैदी बनना, क़ैदी बनना

ता’अर्रुफ़:

“क़ैदख़ाना” वह जगह है जहाँ मुजरिमों को उनके जुर्म की सज़ा देने के लिए रखा जाता है। “क़ैदी ” वह आदमी है जो क़ैदख़ाना में रखा गया है।

  • मुजरिम को ‘अदालत के वक़्त तक क़ैदख़ाना में रखा जाता है।
  • “क़ैदी बनाया” या’नी “क़ैदख़ाना में रखा” या “गुलाम में रखा”।
  • अनेक नबियों और ख़ुदा के ख़ादिमों बेगुनाह क़ैदख़ाने में डाले गए थे।

तर्जुमे की सलाह:

  • “क़ैदख़ाना” का दूसरा लफ़्ज़“जेल खाना” है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “कालकोठरी” भी किया जा सकता है, जब जेल खाना किसी मकान या राजमहल के तहख़ाने में हो।
  • “क़ैदी ” का बयान उन लोगों से भी हो सकता है जिन्हें उनके दुश्मन क़ैदी बनाकर उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी जगह में रखते हैं। इसका तर्जुमा “ग़ुलाम ” भी किया जा सकता है।
  • “क़ैदी बनाने” के तर्जुमें हो सकते हैं, “क़ैदी बनाकर रखना” या “ग़ुलामी में रखना” या “क़ैद कर लेना”

(यह भी देखें:ग़ुलामी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H612, H613, H615, H616, H631, H1004, H1540, H3608, H3628, H3947, H4115, H4307, H4455, H4525, H4929, H5470, H6115, H6495, H7617, H7622, H7628, G1198, G1199, G1200, G1201, G1202, G1210, G2252, G3612, G4788, G4869, G5084, G5438, G5439

, भेड़-बकरियाँ, झुण्ड, काफ़िला, झुण्ड, गाय-बैलों

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “झुण्ड” लफ़्ज़ भेड़ या बकरियों के जमा’ के लिए काम में लिया गया है और कभी-कभी यह लफ़्ज़ मवेशियों, बैलों और सूअरों के लिये भी काम में लिया गया है।

  • मुख़तलिफ़ ज़बानों में जानवरों और परिंदों के नाम मुख़तलिफ़ शक्लों में ज़ाहिर किये जाते है।
  • मिसाल के तौर पर अंग्रेजी में “हर्ड” लफ़्ज़ भेड़ों और बकरियों के लिए भी काम में लिए जाते हैं। लेकिन किताब-ए-मुक़द्दस में नहीं।
  • अंग्रेजी में “फ्लॉक” लफ़्ज़ी परिंदों के लिए भी काम में लिया जाता है लेकिन सूअरों, बैल और मवेशियों के लिए नहीं।
  • अपनी ज़बान में मुख़तलिफ़ जानवरों के झुण्ड के लिए काम में लिए गए अलफ़ाज़ का ख़ुलासा करें।
  • जिन आयात में “झुण्ड और ग़ोल” का हवाला है वहाँ सही होगा कि उनके आगे “भेड़ों का” या “मवेशियों का”, मिसाल के तौर पर अगर उस ज़बान में जानवरों के झुण्ड के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ न हों।

(यह भी देखें: बकरी, बैल, सुअर, भेड़,)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H951, H1241, H2835, H4029, H4735, H4830, H5349, H5739, H6251, H6629, H7399, H7462, G34, G4167, G4168

'उक़ाब, 'उक़ाबों

ता'अर्रुफ़:

'उक़ाब एक ताक़तवर परिन्दा होता है जो मछली, चूहा, साँप और मुर्गी के बच्चे खाता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में फ़ौज की रफ़्तार और ताक़त के मुक़ाबले 'उक़ाब के झपटने की फुर्ती से की गई है।
  • यसायाह कहता है कि ख़ुदावन्द का डर माननेवाले 'उक़ाब के बराबर हवा से बातें करेंगे। यह एक ‘अलामती ज़बान है जिसका इस्ते’माल ज़ाहिर करने के लिए है ख़ुदा में यक़ीन करने और उसके हुक्मों को मानने से आज़ादी और ताक़त हासिल होती है।
  • दानीएल की किताब में बादशाह नबूकदनज़्ज़र के बालों की लम्बाई की बराबरी 'उक़ाब के परों से की गई है, 'उक़ाब का पर 50 सेन्टी मीटर से भी लम्बा होता है।

(यह भी देखें: दानीएल, आज़ादी, नबूकदनज़्ज़र, ताक़त)

(यह भी देखें: \ ना मा'लूम लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5403, H5404, H7360, G105

'ऐब, 'ऐबों, बे'ऐब

सच्चाई:

“'ऐब” ये है जानवर या आदमी में जिस्मानी बुराई । इसका मतलब इंसानों में रूहानी कमज़ोरी और ग़लती से भी है।

  • कुछ कुर्बानियाँ, ख़ुदा ने इस्राईलियों को बे'ऐब जिसमें कोई कमी न हो ऐसे जानवर की क़ुर्बानी पेश करने के लिए हुक्म दिया हैं|
  • यह एक बात की तस्वीर है कि कैसे मसीह 'ईसा ख़ुद एक बेगुनाह कामिल क़ुर्बानी था |
  • मसीह के ईमानदार 'ईसा के ख़ून के ज़रिए गुनाहों से पाक किए गए हैं, और बेगुनाह या बे'ऐब समझे गए हैं|
  • इस लफ्ज़ के तर्जुमें के और भी तरीक़े हैं , “'ऐब” या “कमी” या “गुनाह ” मज़मून पर मुनहस्सिर।

(यह भी देखें: ईमानदार, पाक , क़ुर्बानी, गुनाह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H3971, H8400, H8549, G3470

‘अज़व, ‘अज़ूवओं

ता’अर्रुफ़:

“अज़व” या'नी एक पेचीदा जिस्म या गिरोह का एक हिस्सा।

  • नये 'अहद नामे में ईमानदारों को “मसीह का जिस्म” का अज़व कहा गया है। मसीह के ईमानदार एक क़ौम के अज़व है जो क़ौम कई ईमानदारों का मुश्तरक है।
  • इस जिस्म का “सिर” मसीह है और इमानदार उस जिस्म के अज़व की तरह काम करते हैं। पाक रूह जिस्म हर एक अज़व को एक ख़ास किरदार अदा करता है कि पूरा जिस्म सही तौर से काम करे।
  • यहूदी इज्तिमा’ और फ़रीसी जैसे गिरोह के लोगों को उन गिरोह का अज़व कहा जाता है।

(यह भी देखें: जिस्म, फ़रीसी, इज्तिमा’)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1004, H1121, H3338, H5315, H8212, G1010, G3196, G3609

‘अहद, ‘अहद, क़सम खा, क़सम खाए, क़सम खाकर, क़सम खाके, की क़सम खाता है

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “’अहद” का मतलब है किसी काम को करने का फ़ौरी वा’दा। ‘अहद मानने वाले के लिए ज़रूरी है कि वह उस वा’दे को पूरा करे। ‘अहद में ईमदार और सच्चा होने का वा’दा होता है।

  • एक ‘अदालत के कानून में, गवाह क़सम खाता है कि वह जो भी कहेगा वह सच और हक़ीक़त होगा।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “क़सम” खाने का मतलब है न टूटने वाला ‘अहद करना ।
  • लफ़्ज़ “की क़सम खाना” का मतलब किसी चीज़ या इन्सान के नाम को बुनियाद या ताक़त मानना जो ‘अहद बना है|
  • कभी-कभी इन दोनों अलफ़ाज़ को एक साथ काम में लिया जाता है, “क़सम और ‘अहद”।
  • इब्राहीम और अबीमलिक ने क़सम खाई थी, जब उन्होंने कुएं को एक साथ इस्ते’माल करने का ‘अहद बाँधा था|
  • इब्राहीम ने अपने ख़ादिम को क़सम (फ़ौरी वा’दा) खाने के लिए कहा था, कि वह इब्राहीम के ख़ानदानों में से इस्हाक़ के लिए बीवी लाएगा।
  • ख़ुदा भी क़सम खाता था जिसमें वह अपने लोगों से वा’दा करता था।
  • आज के दिनों में लफ़्ज़ “Swear” का मतलब है “गन्दी ज़बान का इस्ते’माल करना”। किताब-ए-मुक़द्दस में इसका ऐसा मतलब नहीं है।

तर्जुमे की सलाह :

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “क़सम” का तर्जुमा “’अहद बाँधना” या “न टूटने वाला वा’दा करना”
  • “क़सम” का तर्जुमा “फ़ौरी वा’दा करना” या “’अहद करना” या “किसी काम को करने का वा’दा करना”।
  • “मेरे नाम की क़सम खाना” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, “मेरे नाम का इस्ते’माल कर तस्दीक करने के लिए वा’दा करना”
  • “आसमान और ज़मीन की क़सम खाना” का तर्जुमा “कुछ करने के लिए वा’दा करना, बताना कि आसमान और ज़मीन उसकी तस्दीक करते हैं”।
  • यक़ीनी बनाएं कि “क़सम खाना” या “’अहद करना” का मतलब ला’नत से न हो। किताब-ए-मुक़द्दस में ऐसा कोई मतलब नहीं है।

(यह भी देखें: अबीमलिक, ‘अहद, क़सम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H422, H423, H3027, H5375, H7621, H7650, G332, G3660, G3727, G3728

‘आलिम, नजूमी

ता’अर्रुफ़:

मत्ती की ख़ुशख़बरी में मसीह की पैदाइश की तफ़सील में, “’आलिम” या "पढ़े-लिखे" इन्सान थे, जो ‘ईसा की पैदाइश के कुछ वक़्त बा’द, उसके लिए हदिया लेकर बैतलहम आए थे। * वे मुमकिन मुस्तक़बिल बतानेवालें थे जो सितारों का मुताला’ करते थे।

  • वे इस्राईल के पूरब में एक दूर के मुल्क से आये थे। वे कौन थे और कहां से आये थे नामा’लूम है। लेकिन वे ज़ाहिरी तौर से ‘आलिम थे जिन्होंने सितारों का मुताला’ किया था।
  • मुमकिन है कि वे दानिएल के ज़माने में बाबुल के बादशाहों के ‘आलिमों की नसल से थे जो कई मज़मूनों में ‘इल्म रखते थे जैसे सितारों का ‘इल्म और ख़्वाबों का मतलब बताना।
  • तहज़ीब के मुताबिक़ तीन ‘आलिम आए थे क्योंकि उन्होंने ‘ईसा को तीन हदिए पेश किए थे। लेकिन किताब-ए-मुक़द्दस में उनका शुमार ज़ाहिर नहीं है।

(यह भी देखें: बाबुल, बैतलहम, दानिएल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1505, G3097

‘इल्म ग़ैब, ग़ैबबीन, फ़ालदेखना, फ़ालगीर

ता’र्रुफ़:

लफ़्ज़ “’इल्म ग़ैब” तथा “फ़ाल देखना” का मतलब लोग ख़ुदाई दुनिया में रूहों से मा’लूमात करने की कोशिश करने की मशक़ है। ऐसा काम करने वाले को “ग़ैबबीन” या “फ़ालगीर” कहते थे।

  • पुराने ‘अहदनामे के वक़्त, ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि ग़ैबबीनी और फ़ालगीरी की मश्क़ न करें|
  • ख़ुदा ने अपने लोगों को उरीम और तुम्मीम के इस्ते’माल करके उनसे मा’लूमात हासिल करने की को इजाज़त दी, ये दो पत्थर थे जिन्हें उसने इस मक़सद के लिए सरदार काहिन की तरफ़से इस्ते’माल किया था| लेकिन बदरूहों की मदद के ज़रिए’ मा’लूमात हासिल करने की इजाज़त नहीं दी|
  • बुतपरस्त ग़ैबबीन ने रूहानी दुनिया की मा’लूमात हासिल करने के लिए अलग क़िस्म के तरीक़ों का इस्ते’माल किया| * कभी वे एक मरे हुए जानवर के अंदरूनी हिस्सों की जाँच करते या जानवर की हड्डियों को ज़मीन पर फेंकते, ऐसे नमूने की तलाश करते है जो वह अपने झूठे मा’बूदों की पैग़ाम के तौर पर बयान करते हैं।
  • नए ‘अहद नामे में, ’ईसा और रसूलों ने भी ग़ैबबीनी, जादूगर, जादूगरी, और जादू इनकार किया है| और इन तमाम तरीक़ों में बुरी रूहों की ताक़त का इस्ते’माल करना, और ख़ुदा की मज़म्मत करना शामिल है|

(यह भी देखें: रसूल, झूठे मा’बूद, जादू, जादूगरी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1870, H4738, H5172, H6049, H7080, H7081, G4436

‘ईद, ‘ईदों

ता’अर्रुफ़:

‘आम मतलब में, ‘ईद ख़ुशी मनाने के लिए क़ौम के लोगों के ज़रिए’ ‘ईद मनाना होता है।

  • पुराने ‘अहदनामे में लफ़्ज़ “‘ईद“ का लफ़्ज़ी मतलब है “मुक़र्रर वक़्त ”

  • इस्राईल की ‘ईद ख़ुदावन्द की तरफ़ मुक़र्रर वक़्त और मौसम थे जिसकी ‘इता’अत का हुक्म ख़ुदावन्द ने उन्हें दिया था।

  • कुछ अंग्रेजी तर्जुमों में "‘ईद" की जगह में खाना लफ्ज़ का इस्ते’माल किया गया है क्योंकि ‘ईदों में वसी’ खाने का इन्तिज़ाम किया जाता था।

  • इस्राईल की कई ख़ास ‘ईदें थीं जिन्हें वह हर साल मनाया करते थे:

  • फ़सह

  • खुली रोटी की ‘ईद

  • पहली फसल

  • हफ़्ते का त्योहार (पिन्तेकुस्त)

  • तुरहियों की ‘ईद

  • अदायगी का दिन

  • झोपड़ियों की ‘ईद

  • इन ‘ईदों का मक़सद था ख़ुदावन्द को शुक्र करना और मो’जिज़े की बातें याद दिलाना, और बचाव, हिफ़ाज़त और फ़राहम करना है|

(यह भी देखें: ‘ईद )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1974, H2166, H2282, H2287, H6213, H4150, G1456, G1858, G1859

‘ऐलान करना, ‘ऐलान किया, मुबल्लिग़ , वा’ज़ करने वाला ,मुनादी की ,मुनादी किया

ता’अर्रुफ़:

लोगों से बातें करना, उन्हें ख़ुदा के बारे में ता’लीम देना और ख़ुदा के हुक्मों को मानने के लिए अमादा करना। 'ऐलान 'का मतलब हमेशा लोगों में खुलकर बोलते हैं |

  • ‘ऐलान हमेशा एक इंसान के ज़रिये’ लोगों में किया जाता है। ‘ऐलान बोलकर किया जाता है, लिखकर नहीं।
  • “’ऐलान” और “ता’लीम ” एक जैसी बात है लेकिन एक सी नहीं हैं।
  • “’एलान ” या’नी रूहानी या सच्चाई की बातें करना और सामईन से जवाब की गुज़ारिश करना। “ता’लीम ” में किसी ख़ास लफ़्ज़ पर ज़ोर दिया जाता है, या’नी आदमियों को ख़बर देना या उन्हें तरबियत देना की उन्हें कैसे काम करना है।
  • “’ऐलान ” ज़्यादातर “ख़ुशख़बरी ” के साथ किया जाता है।
  • मुबल्लिग़ आदमियों में ‘ऐलान करता है तो उसे आमतौर पर उसकी “तरबियत ” कहते हैं।
  • अक्सर किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा का हुक्म दिया गया है कि खुदा के बारे में ‘ऐलान करने के लिए ,या ख़ुदा के बारे में दूसरों को बताना और कैसे बहुत अच्छा ‘एलान करने का मतलब है |
  • नये ;अहद नामे में ,रसूलों ने बहुत से अलग अलग शहरों और इलाक़ों ,में जाकर ‘ईसा की ख़ुशख़बरी का ‘ऐलान किया |
  • ”’ऐलान”लफ़्ज़ के मा’नी बादशाहों की तरफ़ से बताया गया है या आम तौर पर बुराई की मज़म्मत करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है |
  • “’ऐलान “में शामिल करने के दूसरे तरीक़ों में “’ऐलान”या “खुली तबलीग़”या “आम तौर पर ‘ऐलान” करना शामिल हो सकता है |
  • तमसीली मतलब “’ऐलान “को भी “मुनादी “या लोगों में ख़ुश ख़बरी बताना”के तौर पर इसका तर्जुमा किया जा सकता है |

(यह भी देखें: ख़ुशख़बरी , ‘ईसा , ख़ुदा की बादशाहत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 24:02 यूहन्ना ने उनसे कहा, “तोबा करो क्योंकि ख़ुदा की बादशाही नजदीक आ गई है !”
  • 30:01 ‘ईसा ने ’ऐलान करने के लिए और कई अलग- अलग में शहरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने शागिर्दों को भेजा।
  • 38:01 ‘ईसा मसीह के अवामी ता’लीमों के तीन साल बाद अपनी पहली ता’लीम शुरू किया। ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि वह यरूशलीम में उनके साथ फसह का जश्न मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा।
  • __45:06__इसके बा’द , जहा कही भी वह गए, हर जगह ‘ईसा मसीह का ’ऐलान करते रहे|
  • 45:07 वह सामरिया शहर में गया और वहा लोगों को ‘ईसा के बारे में बताया और बहुत से लोगों बचाए गए |
  • __46:06__फ़ौरन ही, शाऊल दमिश्क़ के यहूदियों से ’ करने लगा कि, "’ईसा ही ख़ुदा का बेटा है!"
  • 46:10 फिर कलीसिया ने उन्हें कई और जगहों में ‘ईसा के बारे में ’ऐलान करने के लिये भेज दिया |
  • 47:14 पौलुस और और मसीही रहनुमाओं ने कई शहरों में ‘ईसा का ’ऐलान किया और लोगों को ख़ुदा के कलाम की ता’लीम दी।
  • 50:02 जब ‘ईसा ज़मीन पर रहता था तो उसने कहा, "मेरे शागिर्द दुनिया में हर जगह लोगों को ख़ुदा की बादशाहत के बारे में ख़ुशख़बरी का ’ऐलान करेंगे, और फिर क़यामत आ जाएगी ।"

शब्दकोश:

  • (for proclaim): H1319, H1696, H1697, H2199, H3045, H3745, H4161, H5046, H5608, H6963, H7121, H7440, H8085, G518, G591, G1229, G1861, G2097, G2605, G2782, G2784, G2980, G3142, G4135

’अदालत , जमा’त

ता’अर्रुफ़:

‘अदालत आदमियों की एक मजलिस थी जो ज़रूरी मज़मून पर ख़्याल करने, राय देने तथा फ़ैसला लेने के लिए बैठता है।

  • किसी ख़ास मक़सद के लिए सदर-ए-‘अदालत का इन्तिज़ाम ज़्यादा तर और मुक़र्रर शक्ल में किया जाता है जैसे क़ानूनी मज़मून पर पर फैसला लेना।
  • “यहूदी’अदालत ” यरूशलीम, को “सेनहेद्रिन” कहते थे, उसके 70 रुक्न थे जिनमें यहूदी रहनुमा जैसे सरदार काहिन , बुज़ुर्ग , ‘आलिम , फरीसी, सदूकी थे, वे यहूदी शरी’अत से मुता’ल्लिक मौज़ू पर फ़ैसला लेने के लिए मुस्तक़िल तौर पर मजलिस करते थे। इसी ‘अदालत ने ‘ईसा पर इलज़ाम लगा कर उसे मौत देने का फ़ैसला लिया था।
  • और शहरों में भी छोटी यहूदी मजलिसें थी।
  • पौलुस रसूल को रोमी हुकमरान के सामने हाज़िर किया गया था क्योंकि वह ख़ुश ख़बरी की मुनादी कर रहा था।
  • मज़मून के मुताबिक़ “मजलिस” का तर्जुमा हो सकता है, “असमबली ” या “सियासी असमबली ”
  • “मजलिस में होना” या’नी किसी बात का फ़ैसला लेने के लिए मजलिस में हाज़िर होना।
  • ध्यान दें कि यह लफ़्ज़“असमबली” से अलग है जिसका मतलब है, “अक़्लमन्दी की सलाह देना”

(यह भी देखें: मजलिस, जमा’त, फ़रीसी, क़ानून, काहिन, सदूकी, ‘आलिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4186, H5475, H7277, G1010, G4824, G4892

बंजर

ता'अर्रुफ़:

"बंजर" का मतलब बंजर या बे फ़ल

  • बंज़र ज़मिन में पेड़ पौधे नहीं उगते हैं
  • 'औरत जो जिस्मानी तौर पर इस लायक़ नहीं जो हामिला हो और बच्चा पैदा करे उसे बाँझ कहते हैं

तर्जुमें की सलाह:

  • ज़मीन के हवाले में कहा जा सकता है, "बंजर " या, " बे फ़ल", या "बग़ैर पेड़ -पौधों का "
  • जब बाँझ 'औरत के मुता'अल्लिक़ कहा जा सकता है, इसका तर्जुमा "बेऔलाद" या "औलाद पैदा करने के लायक़ नहीं" या "हामिला होने के लायक़ नहीं"किया जा सकता है|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H4420, H6115, H6135, H6723, H7909, H7921, G692, G4723

दा’वत, दा’वतें, दा’वतनामा:

ता’अर्रुफ़:

“दा’वत” लफ़्ज़ का हवाला किसी ख़ास मौक़े से है, जहाँ लोगों की जमा’अत एक बड़ी दा’वत एक साथ खाते हैं, अक्सर किसी चीज़ का जश्न मनाने के लिए| “दा’वत” का ‘अमल का मतलब है बहुत ज्यादा ता’ दाद में खाना या एक साथ खाने के लिए शरीक़ होना|

  • अक्सर ख़ास क़िस्म के खाने हैं जो एक ख़ास दा’वत में खाते हैं|

मज़हबी ‘ईदों जिनको ख़ुदा ने यहूदियों को मनाने का हुक्म दिया था अक्सर उसमें बड़ी दा’वत का इंतज़ाम रखते थे| यही वजह है कि ‘ईदों को दा’वत कहा गया था।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में बादशाह और दूसरे दौलतमन्द और ताक़तवर लोग अपने ख़ानदान और दोस्तों की तफ़रीह के लिए दा’वत देते थे|
  • खोए हुए बेटे की कहानी में, बाप ने बेटे के लौट आने की ख़ुशी में एक ख़ास दा’वत का इंतज़ाम किया|
  • कभी-कभी दा’वत का खाना कई दिनों तक चलता था।
  • “दा’वत मनाने” का तर्जुमा, “बहुत ज़्यादा खाना” या “बहुत खाने के ज़रिए’ ख़ुशी मनाना” या “ख़ास, बहुत सा खाना” के तौर पर भी हो सकता है|
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “दा’वत” का तर्जुमा हो सकता है, “बड़ी दा’वत की एक साथ मिलकर ख़ुशी मनाना” या “बहुत ज़्यादा खाने की दा’वत” या “ख़ुशी की दा’वत”|

(यह भी देखें : ‘ईद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H398, H2077, H2282, H2287, H3899, H3900, H4150, H4580, H4797, H4960, H7646, H8057, H8354, G26, G755, G1062, G1173, G1403, G1456, G1858, G1859, G2165, G3521, G4910

घमण्ड

ता’अर्रुफ़:

“ग़ुरूर” (फ़ख़्र) लफ़्ज़ का मतलब है मग़रूर या घमण्डी “मग़रूर” ऐसा इन्सान से है जो अपने आपको बहुत बड़ा समझता है।

  • अक्सर यह लफ़्ज़ ऐसे इन्सान के घमण्ड को ज़ाहिर करता है जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह करने से नहीं रूकता है।
  • अक्सर वह इन्सान जो अपने आप अपने बारे में बड़ी-बड़ी बातें करता है
  • मग़रूर इन्सान दानिशमन्द नहीं बेवक़ूफ़ है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “फ़ख़्र”, या “घमण्डी” या “ख़ुदग़र्ज़” किया जा सकता है।
  • ‘अलामती इज़हार “घमण्डी आंखें” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “घमण्ड से भरी नज़र” या “दूसरों को अपने आप से छोटा समझना” या “दूसरों को नीचा समझने वाला घमण्डी इन्सान”।

(यह भी देखें: ख़ुद की बड़ाई, घमण्ड)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1361, H1363, H1364, H3093, H4791, H7312

अक़्लमंदों

सच्चाई:

किताब-ए-मुक़द्दस में, जुमलों " अक़्लमंद" अक्सर उन इन्सानों को दिखाता है जो ख़ुदा की ख़िदमत करते हैं और अक़्लमंदी से काम करते हैं, बेवक़ूफ़ी से नहीं। “अक़्लमंद” या’नी ख़ास ‘इल्म और सलाहियतें रखनेवाला इन्सान जो ज़्यादातर बादशाह के दरबार का फ़र्द होता था।

  • कभी-कभी लफ़्ज़ " अक़्लमंद आदमी " को मज़मून में "होशियार इन्सानों " या "समझ वाले आदमी " की शक्ल में समझाया जाता है। यह उन लोगों का हवाला देता है जो अक़्लमंदी और सच्चाई से काम करते हैं क्योंकि वे ख़ुदा के हुक्मों को मानते हैं।
  • " अक़्लमंदों " जिन्होंने फिर’औन और दीगर बादशाहों की ख़िदमत की थी, वे अक्सर ‘आलिम थे, जिन्होंने सितारों का मुता’आला किया था, ख़ास कर उन सितारों के ‘अहम मतलबों की तलाश करते थे कि सितारों ने आसमान में कैसी जगह बनायी थी।
  • अक्सर अक़्लमंद इन्सानों से ख्व़ाब के मा’नी की तशरीह करने की उम्मीद की जाती थी। मिसाल के लिए, बादशाह नबूक़दनज़र ने मांग की कि उसके अक़्लमंद इन्सान उसके ख़्वाबों का बयान करें और उसे बताए कि इसका क्या मतलब है, लेकिन उनमें से दानीएल के सिवा कोई भी ऐसा करने के लिए, क़ाबिल नहीं थे जिसने ख़ुदा की ओर से इस ‘इल्म को पाया था।
  • कभी-कभी अक़्लमंद लोगों ने जादुई कामों को ज़ाहिर किया जैसे कि बदरूहों की ताक़त के ज़रिए’ से की गयी नबूव्वत या मो’जिज़ा
  • नए ‘अहद नामे में, पूरब के ‘इलाक़ों से आने वाले आदमियों के झुण्ड को "मागी" कहा जाता था, जिसे अक्सर " अक़्लमंद आदमी " की शक्ल में तर्जुमाई की जाती है, क्योंकि यह शायद उन ‘आलिमों को ज़ाहिर करता है जिन्होंने मुल्क के एक हाकिम की ख़िदमत की थी।
  • मुमकिन है कि वे नजूमी थे जो सितारों का मुता’आला करते थे। कुछ रोशन ख़याल लोगों का मानना था कि वे अक़्लमंद लोग उनकी औलाद है जिन्हें दानीएल ने सिखाया था।
  • बयान के मुताबिक़ पर, " अक़्लमंद आदमी " लफ़्ज़ का तर्जुमा " अक़्लमंद" या "दानिशमंद आदमी " या "ता’लीम याफ़्ता आदमी " या किसी और लफ़्ज़ जैसे जुमले के साथ किया जा सकता है जिसका मतलब है उन आदमियों के बारे में है जो ख़ास काम किसी हाकिम के लिए करते है।
  • जब " अक़्लमंद आदमी " केवल एक इसम लफ़्ज़ है, तो " अक़्लमंद" लफ़्ज़ का तर्जुमा एक तरह से किया जाना चाहिए जैसे किताब-ए-मुक़द्दस में और जगह इसका तर्जुमा किया गया है।

(यह भी देखें: बाबुल , दानीएल , शैतानी , जादू-टोना, नबूकदनज़र , हाकिम , अक़्लमंद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2445, H2450, H3778, H3779, G4680

अक़्लमन्द, अक़्लमन्दी, अक़्लमन्दी से

सच्चाई:

“अक़्लमन्द” (होशियार) वह इन्सान जो अपने कामों के बारे में होशियारी से सोचता है और समझदारी के फ़ैसले लेता है।

  • “अक़्लमन्दी” हमेशा उस हिम्मत के बारे में होती है जिसके ज़रिए’’अमली , दुनयावी बातों के फ़ैसले लिए जाते हैं, जैसे पैसे या दौलत का इन्तिज़ाम करना।
  • अगर चे “अक़्लमन्दी” और “अक़्ल” मतलब में एक से हैं, अक़्ल ज़्यादा आम और रूहानी या अच्छी बातों पर मुनहसिर होती है।
  • मज़मून के मुताबिक़ " अक़्लमन्द का तर्जुमा हो सकता हैः "होशियार " या "चालाक " या समझदार।"

(यह भी देखें: चालाक , रूह, अक़्लमन्द)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H995, H5843, H6175, H6191, H6195, H7080, H7919, H7922, G4908, G5428

अँगूर का रस ,अँगूर का रस

ता'अर्रुफ़:

“अँगूर का रस ” मय के बारे में काम में लिया गया लफ़्ज़ है जिसमैं में शराब है।

मय अनाज या फलों से बनाई जाती है जिसको सड़ा कर तैयार किया जाता है।

  • "अँगूर के रस" की तरह में, अँगूर का रस, खजूर की शराब शराब , बीयर और सेब का रस शामिल हैं। कलाम में, अँगूर का रस सबसे ज़्यादा बार बयान किया जाने वाला अँगूर का रस था।
  • काहिन या नासिरी लोगों को किसी भी तरह का ख़मीर किया गया पीने के लिए इजाज़त नहीं थी ।
  • इस लफ़्ज़ को "जोश पैदा करने वाला " या "शराब पीने " की शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है।

(यह भी देखें: अंगूर, नासिरी , मन्नत , अँगूर का रस )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5435, H7941, G4608

अँगूर, अँगूर, अँगूर की बेल

ता’अर्रुफ़:

अँगूर (दाख) एक छोटा चिकना गोल फल होता है जो अँगूर की बेल में गुच्छों में उगता है। अँगूर का रस शराब बनाने के काम में आता है।

  • अँगूर अलग अलग रंग के होते हैं, जैसे हरे, काले और लाल।
  • हरएक अंगूर का क़द एक से तीन सेंटी मीटर का होता है।
  • अँगूर के बगीचों को अँगूर का बाग़ कहते हैं। अँगूर के बाग़ में अँगूर की बेल की लम्बी कतारें होती हैं।
  • कलाम के वक़्त में अँगूर एक बहुत ही ख़ास खाने की चीज़ थी और अँगूर की बाग़ माल की 'अलामत थी ।
  • अँगूर को सड़ने से बचाने के लिए उन्हें सुखा लिया जाता है। * सूखे अँगूर किशमिश कहलाते है जिन्हें केक बनाने में काम में लिया जाता है।
  • ‘ईसा ने अपने शागिर्दों को ख़ुदा की बादशाही की ता'लीम देने के लिए अँगूर के बाग़ की मिसाल दी थी ।

(यह भी देखें: अँगूर , अँगूर का बाग़, शराब )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H811, H891, H1154, H1155, H1210, H2490, H3196, H5563, H5955, H6025, H6528, G288, G4718

अज़ाब

ता’अर्रुफ़:

“अज़ाब ” लफ़्ज़ सज़ा के बारे में है जिसमें अपील या बचने की इमकान हरगिज़ नहीं होते है।

  • इस्राईलियों को बाबुल में क़ैदी बनाकर ले जाया गया था, तब हिज़क़ीएल नबी ने कहा था, “हम पर तबाही आ पड़ी है”।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “तबाही” या “सज़ा” या “नाउम्मीद बर्बादी”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1820, H3117, H6256, H6843, H8045

अंजीर, अंजीरों

ता’अर्रुफ़ :

“अंजीर” एक छोटा मीठा फल होता है जो पेड़ में उगता है। पक जाने पर इस फल के मुख्तलिफ़ रंग होते हैं, भूरा, पीला या बैंगनी।

  • अंजीर का पेड़ छः मीटर तक लम्बा हो जाता है और इसके चौड़े पत्तों कि वजह से पेड़ के नीचे बहुत छाया होती है । इसके फल की लम्बाई 3-5 से.मी. होती है।
  • आदम और हव्वा ने गुनाह करने के बा’द अंजीर के पत्तों से अपने कपड़े बनाए थे।
  • अंजीर का फल खाया जाता है, पकाया जाता है या सुखा कर भी रखा जाता है। लोग उन्हें टुकड़े करके उनकी टिक्कियाँ बनाकर सुखा लेते हैं कि बा’द में खाने के काम आए।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में अंजीर खाने के लिए बेचकर पैसा कमाने के लिए ख़ास थे।
  • फलदार अंजीर के पेड़ की बात किताब-ए-मुक़द्दस में बार-बार की गई है। जिसका हवाला शरी’अत से है।
  • ‘ईसा ने भी कई बार अंजीर के दरख्त की मिसालें देकर रूहानी सच्चाई की तशरीह की थी।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1061, H1690, H6291, H8384, G3653, G4808, G4810

अधिकार में लेना, मोल लिया, कब्ज़ा था, अधिकार में रखना, अधिकार, सम्पति, निकाल देना

सच्चाई:

“अधिकार में लेना” (वारिस होना) और “सम्पत्ति” प्रायः किसी वस्तु के स्वामीत्व को दर्शाते हैं। इनका अर्थ किसी वस्तु पर अधिकार करना था ज़मीन पर अधिकार करना भी होता है।

  • पुराने नियम में ये शब्द “ज़मीन पर अधिकार” या “अधिकार करने” के संदर्भ में उपयोग किए गए हैं।
  • यहोवा ने इस्राएलियों को आज्ञा दी कि वे कनान देश पर “अधिकार” करें तो इसका अर्थ था कि वे उस देश में जाकर वहां रहें। इसमें पहले वहां के निवासियों को जीतना था।
  • परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा था कि उसने उन्हें वह देश उनकी संपदा होने के लिए दे दिया है। * इसका तर्जुमा हो सकता है, “उनका अधिकृत निवास स्थान”।
  • इस्राएल को यहोवा की “निज धन” भी कहा गया है। इसका अर्थ है कि वे उसके अपने लोग थे जिन्हें उसने विशेष करके अपनी आराधना और सेवा के लिए बुलाया था।

अनुवाद के सुझाव:

  • “अधिकारी होना” का तर्जुमा “स्वामी होना” या “रखना” या “अधिकार रखना” भी हो सकता है।
  • “पर अधिकार करो” का अनुवाद “वश में करो” या “अधिग्रहण करो” “वहां रहो”-प्रकरण के अनुसार तर्जुमा करें।
  • मनुष्यों की संपदा के संदर्भ में “संपदा” का तर्जुमा “सामान” या “सम्पत्ति” या “अधिकार की वस्तुएं” या “जो वस्तुओं के वे स्वामी हैं”।
  • यहोवा इस्राएल को “मेरा निज धन” कहता है जिसका तर्जुमा “मेरे विशेष लोग” या “मेरे लोग” या “मेरे लोग जिन से मैं प्रेम करता हूं और जिन घर में राज करता हूं”।
  • ज़मीन के संबन्ध में जब कहा गया है, “वह उनका भाग होगा” तो इसका अर्थ है, “वे उस ज़मीन के अधिकारी होंगे” या “वह देश उनका होगा”।
  • “उसके यहां पाया जाए” का तर्जुमा “वह रखे हुए था” या “उसके पास था”।
  • “तुम्हारा निज भाग” का तर्जुमा “जो देश तुम्हारा है” या “वह स्थान जहां तुम रहोगे”।
  • “उसकी संपदा” का तर्जुमा “जो उसके अधिकार में था” या “जो उसका था”।

(यह भी देखें :कनान, इबादत)

बाइबल सन्दर्भ:

शब्दकोश:

  • Strong's: H270, H272, H834, H2505, H2631, H3027, H3423, H3424, H3425, H3426, H4180, H4181, H4672, H4735, H4736, H5157, H5159, H5459, H7069, G1139, G2192, G2697, G2722, G2932, G2933, G2935, G4047, G5224, G5564

अनाज की क़ुर्बानी , सुलह की क़ुर्बानी

ता’अर्रुफ़:

“अनाज क़ुर्बानी” ख़ुदा के लिए अनाज या आटे की रोटी की शक्ल में क़ुर्बानी थी।

“अनाज” का मतलब है अनाज का आटा।

  • आटे को पानी या तेल में गूंध कर रोटी बनाई जाती थी। कभी-कभी रोटी पर तेल लगाया जाता था।
  • यह क़ुर्बानी हमेशा आतिशी क़ुर्बानी के साथ पेश की जाती थी।

(यह भी देखें:आतिशी क़ुर्बानी, अनाज, क़ुर्बान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4503, H8641

अनाज क़ुर्बानी, अनाज क़ुर्बानियों

ता’अर्रुफ़:

अनाज क़ुर्बानी ख़ुदावन्द को पेश की जानेवाली गेहूं या जौ के आटे की क़ुर्बानी थी जो आतिशी क़ुर्बानी के बा'द पेश की जाती थी।

  • अनाज क़ुर्बानी के लिए काम में लिया गया अनाज बारीक़ पिसा हुआ होना था। कभी-कभी उसे पका कर भी क़ुर्बानी पेश की जाती थी और कभी कच्चा भी पेश किया जाता था।

अनाज के आटे में तेल और नमक मिलाया जाता था लेकिन ख़मीर और शहद मना' था।

  • क़ुर्बानी के अनाज का एक हिस्सा जला दिया जाता था बाक़ी काहिन खाता था।

(यह भी देखें: आतिशी क़ुर्बानी , इल्ज़ाम क़ुर्बानी, क़ुर्बान , गुनाह की क़ुर्बानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4503, H8641

अनाज, अनाज , खेत

ता’अर्रुफ़:

“अनाज” या'नी गेहूं, जौ, मक्का, दाल, चावल। इसका पूरा मतलब पेड़ से भी हो सकता है।

  • कलाम में ख़ास अनाज हैं गेहूं और जौ।
  • बालियां गेहूं के पेड़ का वह ऊपरी हिस्सा है जो दाने को पकड़े रहता है।
  • कुछ पुराने मज़मून (अंग्रेजी) में “मकई” लफ़्ज़ या'नी दाना लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया गया है जो 'आम तौर पर अनाज के बारे में है। लेकिन अंग्रेज़ी में “मकई” का मतलब सिर्फ़ मक्का से है।

(यह भी देखें: सिर, गेहूँ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1250, H1430, H1715, H2233, H2591, H3759, H3899, H7054, H7383, H7641, H7668, G248, G2590, G3450, G4621, G4719

अनार, अनारों

सच्चाई:

अनार एक फल है जिसका छिलका मोटा होता है जिसमें लाल रंग का खाने के दाने होते हैं।

बाहरी छिलका लाल रंग का होता है और बीजों का गूदा चमकदार और लाल होता है।

  • अनार गर्म और सूखी आब हवा के मुल्कों में बहुतायत से उगते हैं, जैसे मिस्र और इस्राईल।
  • ख़ुदा ने इस्राईल से वा’दा किया था कि कना’न पानी और ज़रख़ेज़ ज़मीन थी जिसकी वजह से वहां खाने की चीज़ें और अनार बहुतायत से हैं।
  • सुलेमान के ता’मीरी हैकल की सजावट में तांबे के अनार बने हुए थे।

(यह भी देखें: ताँबा, कना’न, मिस्र, सुलेमान, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

मिस्र

शब्दकोश:

  • Strong's: H7416

अमसाल,अमसाल

ता’अर्रुफ़:

अमसाल एक छोटा जुमला है जो की अक़्ल की बात या सच ज़ाहिर करती है।

  • अमसाल असरदार होते है क्योंकि उन्हें याद रखना और दोहराना आसान होता है।
  • अमसाल में ज़्यादा तर रोज़ मर्रा ज़िन्दगी की कार आमद मिसालें होती हैं।
  • कुछ अमसाल साफ़ और सीधे होते है जबकि कुछ अमसाल समझने में कठिन होते हैं।
  • बादशाह सुलैमान अपनी अक़्ल के लिए मशहूर था, उसने 1,000 से ज़्यादा अमसाल लिखे थे।
  • ‘ईसा इन्सानों को ता’लीम देने के लिए हमेशा अमसाल और तम्सीलों का इस्तेमाल करता था।
  • “अमसाल ” का तर्जुमा हो सकता है, “अक़्ल की बातें” या “सच कलाम ”

(यह भी देखें: सुलेमान, सच, अक़्लमंदी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2420, H4911, H4912, G3850, G3942

अर्ग़वानी

सच्चाई:

“अर्ग़वानी” लफ़्ज़ एक रंग का नाम है जिसमें नीले और लाल रंग को मिलाया जाता है।

  • पुराने ज़माने में, अर्ग़वानी रंग मुश्किल था और क़ीमती रंग था जिससे बादशाहों और आला हाकिमों के लिबास रंगे जाते थे।
  • इस रंग को बनाना महंगा और वक़्त लेनेवाला होता था, अर्ग़वानी लिबास मालदार होने, ख़ास होने तथा बादशाही होने का निशान था।
  • रहने के तंबू और हैकल के परदों का रंग भी अर्ग़वानी था काहिनो के जुब्बा का रंग भी अर्ग़वानी था।
  • अर्ग़वानी रंग समुद्री घोंघे को कुचल कर या गर्म पानी में डालकर निकाला जाता था, घोंघा ज़िन्दा रहकर यह रंग छोड़ता था। यह एक मंहगा ‘अमल था
  • रोमी सिपाहियों ने ‘ईसा को सलीब देने से पहले उसे अर्ग़वानी लिबास पहनाकर उसकी बे हुरमती की थी क्योंकि उस पर इल्ज़ाम लगाया गया था कि वह यहूदियों का बादशाह है।
  • फ़िलिप्पी नगर की लुदिया अर्ग़वानी रंग बेचकर ज़िन्दगी को चलाया करती थी

(तर्जुमे की सलाह: तर्जुमे का नाम

(यह भी देखें: एपोद, फ़िलिप्पी, शाही,सुलह का ख़ेमा , हैकल )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H710, H711, H713, G4209, G4210, G4211

अलग करना, ख़ारिज, ख़ारिज, बेमिशाल

ता'अर्रुफ़:

“ख़ुशी करना” और “ख़ुशी”के जरीए’ किसी कामयाबी और ख़ास बरकत कि वजह ज़्यादा तर ख़ुशगवार होने से है।

  • “अगल "करने में हैरत अंगेज़ कुछ मनाने का एहसास भी शामिल है |
  • एक शख्स ख़ुदावन्द की नेकी में ख़ुश हो सकता है
  • “ख़ुशी करनेवाले” कि ख़ुशी के एहसास में घमण्ड भी हो सकता है, कामयाबी या बरकत की वजह ।
  • “ख़ुशी मनाना” का तर्जुमा“बहुत ज़्यादा ख़ुशी” या “बड़ी ख़ुशी के साथ ता'रीफ़ करना” हो सकता है।
  • जुमले के मुताबिक़“ ख़ुश करना” का तर्जुमा “ फतह के साथ ता'रीफ़ करना” या “ख़ुद ता'रीफ़ के साथ मसरूर होना” या “फ़ख्र” हो सकता है।

(यह भी देखें:शख़्त, ख़ुश, ता'रीफ़, ख़ुशी मनाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5539, H5947, H5970

अलग किया, अलग करे, काटकर

ता’अर्रुफ़:

“काटा जाए” एक मुहावरा है जिसका मतलब है, ख़ास क़ौम से अलग किया जाना, मुल्क से निकाल देना, या रिश्ते ख़त्म कर देना। इसका बयान गुनाह की सज़ा के ख़ुदा के काम के ज़रिए’ हलाक किया जाना।

  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा का हुक्म नहीं मानने का अंजाम होता था काटा जाना या ख़ुदा के लोग या उसकी हुज़ूरी से अलग कर दिया जाना।
  • ख़ुदा ने यह भी कहा था कि वह ग़ैर कौमों को “अलग किया” या हलाक कर देगा क्योंकि वे उसकी इबादत नहीं करते थे न ही उसके हुक्मो को माना करते थे इसलिए वे इस्राईल के दुश्मन थे।
  • “अलग किया” ख़ुदा के ज़रिए’नदी के बहाव को रोकने के बारे में भी काम में लिया गया है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “काट दिया जाए” का तर्जुमा हो सकता है, “मुल्क से निकाल दिया जाए”, या “दूर भेज दिया जाए” या “अलग कर दिया जाए” या “मार डाला जाए” या “हलाक कर दिया जाए”।
  • मज़मून के मुताबिक़ “काट देना” का तर्जुमा किया जा सकता है, “हलाक करना” या “दूर कर देना” या “अलग करना” या “हलाक करना”।
  • बहते पानी को काट देने का तर्जुमा हो सकता है, “रोक देना” या “पानी के बहाव को रोक देना” या “पानी को अलग कर देना”।
  • चाकू के ज़रिए’किसी चीज़ को काटने का मतलब इस लफ़्ज़ के तम्सीली तर्जुमा से हमेशा अलग होना है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1214, H1219, H1438, H1468, H1494, H1504, H1629, H1820, H1824, H1826, H2498, H2686, H3582, H3772, H5243, H5352, H6202, H6789, H6990, H7082, H7088, H7096, H7112, H7113, G609, G851, G1581, G2407, G5257

अलहदा, अलहदगी, दूरियाँ

ता’रीफ़:

अलफ़ाज़ “अलहदा” और “अलहदगी” उस जगह का हवाला देते हैं जो ऐसा बरबाद हो जाए कि वह तबाह हो जाए।

  • जब किसी इन्सान के बारे में बयान करते हैं, तब लफ़्ज़ “अलहदा” को बर्बादी, तन्हाई, और ग़म की सूरत में इस्ते’माल होते हैं|
  • लफ़्ज़ “अलहदगी” अलहदा होने की हालत के बारे में है|
  • अगर एक खेत, जिसकी फ़सल बर्बाद हो जाए, इसका मतलब है कि किसी चीज़ ने फ़सल बर्बाद की है, जैसे कीड़ों या हमलावर फ़ौज ने|
  • “अलहदा मुल्क” ये किसी ऐसी जगह के बारे में है जहाँ कुछ लोग ही रहते हैं क्यूँकि वहाँ फ़सलें या दीगर क़िस्म के पौदे बहुत कम उगते हैं ।
  • “अलहदा जगह” या “जंगल” वह जगहें थीं जहां अवाम से निकाले हुए लोग (कोढ़ी) और जंगली जानवर रहते थे।
  • अगर एक शहर “अलहदा” हो गया, इसका मतलब है कि इसकी ‘इमारतें और माल सब बर्बाद हो गया या चोरी हो गया, और उसके लोग मार दिए गए या पकड़े गए| वह शहर, “ख़ाली” और “बर्बाद” हो गया। इसका मतलब “अलहदा करना” या “वीरान” एक जैसा ही है लेकिन ख़ाली होना ख़ास जगह पर ज़ोर दिया गया है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बर्बाद” या “तबाह” या “वीरान करना” या ”बर्बाद” “अकेला और निकाला हुआ” या “सुनसान” हो सकता है।

(यह भी देखें: वीरान, तबाह, बर्बाद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H490, H816, H820, H910, H1327, H1565, H2717, H2720, H2721, H2723, H3173, H3341, H3456, H3582, H4875, H4876, H4923, H5352, H5800, H7582, H7612, H7701, H7722, H8047, H8074, H8076, H8077, G2048, G2049, G2050, G3443

असलहा, असलहों का घर

ता'अर्रुफ़:

“असलहा” या'नी फ़ौज के ज़रिए' काम में आने वाले असलहा और दुश्मन के वार से बचाने वाला कवच। इसका इस्ते'माल सही तरीक़े से रूहानी असलहों के लिए भी काम में लिया गया है।

  • फ़ौज के असलहों में टोप, ढाल, सीनाबन्ध, पांव के कवच और तलवार वग़ैरह।
  • पौलुस रसूल असलहों की मिसाल के ज़रिए' रूहानी असलहों के बारे में बताता है जो ख़ुदा ने ईमानदारों को रूहानी जंग के लिए दिए हैं।
  • गुनाह और शैतान के ख़िलाफ़ जंग करने के लिए ख़ुदा अपने लोगों को जो रूहानी असलहे देता है, वह हैं, सच्चाई, रास्तबाज़ी, सुकून की ख़ुशख़बरी , यक़ीन, नजात और पाक रूह ।
  • इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों से किया जाए जिसका मतलब हो, “फ़ौज के असलहे” या “जंग के हिफ़ाज़ती लिबास” या “हिफ़ाज़ती कवर” या “असलहा”

(यह भी देखें: यक़ीन , पाक रूह ।, सुकून, नजात , रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2185, H2290, H2488, H3627, H4055, H5402, G3696, G3833

अहतराम, अहतराम माना, अहतराम मानकर, अहतरामों, बा’इज़्ज़त

ता’अर्रुफ़:

“अहतराम मानकर” लफ़्ज़ का मतलब, किसी इन्सान या चीज़ के लिए गहरी ‘इज़्ज़त का अहसास है। किसी आदमी या चीज़ के लिए "अहतराम" दिखाने के लिए ‘इज़्ज़त|

  • अहतराम के अहसास के हक़दार की ‘इज़्ज़त के काम में देखी जा सकती है।
  • ख़ुदा का डर अंदरूनी अहतराम है जो ख़ुदा के हुक्मों को मानने से ज़ाहिर होती है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “डर और ‘इज़्ज़त” या “दिली ‘इज़्ज़त” हो सकता है।

(यह भी देखें: डर, अहतराम, ‘अमल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3372, H3373, H3374, H4172, H6342, H7812, G127, G1788, G2125, G2412, G5399, G5401

आ पड़े, पड़ जाना, आ पकड़ा, पकड़ लिया

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “आ पड़े” और “पकड़ लिया” का हवाला किसी इन्सान या किसी चीज़ को क़ाबू में कर लेने से है। ‘आमतौर इसमें ख़याल यह है कि पीछा करके पकड़ना।

  • जब फ़ौज किसी और दुश्मन फ़ौज को घेर लेती है तो इसका मतलब है कि उन्होंने उस फ़ौज को जंग में हरा दिया।
  • जब शिकारी शिकार को पकड़ता है तो इसका मतलब है कि उसने पीछा करके शिकार को पकड़ लिया।
  • अगर किसी पर ला’नत आ पड़े तो इसका मतलब है कि ला’नत में जो कुछ कहा गया था वह उसके साथ होगा।
  • अगर किसी पर बरकत आती है तो इसका मतलब है कि उसे बरकत मिलेगी।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “घेरना” का तर्जुमा “जीतना” या “बन्दी बनाना” या “हराना ” या “पकड़ लेना” या “पूरी तरह मुताअस्सिर करना” हो सकता है।
  • गुज़िस्ता ज़माने का ‘अमल “आ पड़ी” का तर्जुमा “पकड़ लिया” या “साथ आ गया” या “जीत लिया” या “हरा दिया” या “नुकसान कर दिया” किया जा सकता है।
  • जब ख़बरदार किया जाए कि तरीकी या सज़ा या डर इन्सानों के गुनाहों की वजह से आ पड़ेगा तो इसका मतलब है कि अगर वे गुनाहों से न फिरे तो उन्हें इन मनफ़ी बातों का तजरुबा होगा।
  • “मेरे कलाम तुम्हारे बुज़ुर्गों पर आ पड़े है” का मतलब है कि यहोवा ने उनके बुज़ुर्गों को जो ता’लीमात दी थी उनकी वजह से उन्हें सज़ा मिलेगी क्योंकि वे उन ता’लीमात पर ‘अमल करने में नाकाम रहे।

(यह भी देखें: बरकत देना, फटकारने लगा, शिकार, सज़ा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

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शब्दकोश:

  • Strong's: H579, H935, H1692, H4672, H5066, H5381, G2638, G2983

आग, आग, लुकटियों, करछों, चिमनियों, भट्ठा, अंगीठियाँ

ता’अर्रुफ़:

आग गर्म होती, जब किसी चीज़ के जलने पर पैदा गर्म, रोशनी और लौ।

  • लकड़ी आग के ज़रिए’ जलकर राख हो जाती है।
  • लफ्ज़ “आग” को अलामती शक्ल में भी काम में लिया गया है, जिसके बारे में हमेशा सज़ा और नुमाइश से है।
  • बे-ईमानों को आख़िरी सज़ा जहन्नम की आग में डाला जाता है।
  • आग का इस्ते’माल सोने और और धातुओं को दुबारा बेहतर करने के लिए होता है| किताब-ए-मुक़द्दस में, इस ‘अमल की तफ़सील करने के लिए इस्ते’माल किया जाता है जैसे ख़ुदा के ज़रिए’ मुश्किल हालातों से इन्सान को बेहतर करता है जो उसकी ज़िन्दगी में होते हैं|
  • “आग से बपतिस्मा देना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है “पाक करने के लिए तकलीफ़ उठाने के लिए पाबन्द करना।”

(यह भी देखें: पाक )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H215, H217, H398, H784, H800, H801, H1197, H1200, H1513, H2734, H3341, H3857, H4071, H4168, H5135, H6315, H8316, G439, G440, G1067, G2741, G4442, G4443, G4447, G4448, G4451, G5394, G5457

आज़माइश में रहेगा, सब्र करेगा, बर्दाश्त करना, मुस्तहकम रहता है, सब्र

ता'अर्रुफ़:

“आज़माईश में रहेगा” या'नी “लम्बा वक़्त बिताना या किसी मुश्किल में सब्र करना।“

  • इसका मतलब आज़माइश के वक़्त, हिम्मत न हारकर मज़बूत रहना।
  • “सब्र ” लफ्ज़ का मतलब“परेशानी ”, “आज़माइश में बर्दाश्त करना” या “परेशानी में सब्र करना”
  • ईमानदारों को हौसला अफज़ाई किया गया है कि “आख़िर तक सब्र करता रहेगा” या'नी उन्हें कहा गया है कि 'ईसा की इता'अत को चाहे इसकी वजा उन्हें दुख भी उठाना पड़े।
  • “मुसीबत सहने” का मतलब है, “दुख उठाना”

तर्जुमा की सलाह:

  • “सब्र से बर्दाश्त करते रहना” के शक्ल तर्जुमा हो सकता हैं, “क़ायम रहना” या “यक़ीन करते रहना” या “ख़ुदावन्द जो चाहता है वह करते रहना” या “मज़बूती से खड़े रहना”।
  • कुछ हवालों में “सब्र के साथ ” का मतलब है तर्जुमा हो सकता है, “तजुर्बा करना” या “भोगना”
  • लम्बे वक़्त के मतलब में “बर्दाश्त ” का तर्जुमा हो सकता है, “लम्बे वक़्त रहना” या “होते रहना”। “बर्दाश्त नहीं करे” का तर्जुमा हो सकता है “हमेशा नहीं रहेगा” या “वजूद में नहीं रहेगा”।
  • “सब्र करना ” के शक्ल तर्जुमा हो सकते हैं, “मज़बूती” या “यक़ीन करते रहना” या “'भरोसेमन्द बने रहना”।

(यह भी देखें:सब्र )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H386, H3201, H3557, H3885, H5331, H5375, H5975, G430, G907, G1526, G2005, G2076, G2553, G2594, G3114, G3306, G4722, G5278, G5281, G5297, G5342

आज़माइश, मुसीबत

ता’अर्रुफ़:

“आज़माइश” का मतलब है किसी चीज़ या इन्सान को “आज़माना ” या “जांचना”।

  • अदालत या’नी अदालती सुनवाई जिसमें इन्सान को मुजरिम या बेक़ुसूर साबित करने के लिए सुबूतों को पेश किया जाता है।
  • ख़ुदा के ज़रिए’ ईमान को आजमाने के लिए पैदा किये गये मुश्किल हालातों को भी “आज़माइश” कहा जाता है। इसके लिए और लफ़्ज़ है " आज़माइश " या "लालच " ख़ास तरह की आज़माइश है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में बहुत से इन्सानों की आज़माइश ली गई थी कि ख़ुदा के लिए उनके ईमान और फ़र्माबर्दारी को तय किया जाए। वे हर तरह की आज़माइश से होकर निकले जैसे कोड़े खाना, क़ैदखाने में डाले जाना या ईमान की वजह से हलाक किए जाना।

यह भी देखें: आज़माइश करना, आज़माना , बे क़ुसूर , इल्ज़ाम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H974, H4531, H4941, H7378, G178, G1382, G1383, G2919, G3984, G3986, G4451

आज़ाद, आज़ाद है, आज़ाद हो गया, आज़ाद होना, आज़ादी, आज़ादी से, आज़ाद आदमी, मर्ज़ी, नजात

ता’अर्रुफ़:

“आज़ाद” और “आज़ादी” का मतलब है ग़ुलामी या और किसी तरह की बंदिश में न रहना। “आज़ादी” के लिए दूसरा लफ़्ज़ है “नजात”

  • इज़हार “किसी को आज़ाद करना” या “आज़ाद करना” या’नी किसी की ग़ुलामी या बन्धुआई से निकल आने की राह अता करना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, ये लफ़्ज़ अमूमन ‘अलामती तौर पर काम में लिए गए हैं कि ज़ाहिर किया जाए कि ‘ईसा में ईमान करनेवाला अब गुनाह के क़ाबू में नहीं है।
  • “आज़ादी” या “नजात” का मतलब यह भी है कि मूसा की शरी’अत की लम्बे वक़्त तक ज़रूरत ‘अमल करने के ताबे’ नहीं बल्कि पाक रूह की ता’लीम और अगुआई में रहने के लिए आज़ाद

तर्जुमे की सलाह:

  • लफ़्ज़ “आज़ाद” ऐसे लफ़्ज़ और जुमले के ज़रिए’ तर्जुमा किए जा सकते हैं जैसे “बन्धन आज़ाद” या “ग़ुलामी में नहीं” या “ग़ुलामी से आज़ाद” या “बन्धुआ नहीं”।
  • “आज़ादी” या “नजात” का तर्जुमा ऐसे अलफ़ाज़ से हो जैसे “आज़ाद होने की हालत” या “ग़ुलाम न होने की हालत” या “बन्धुआ नहीं”।
  • इज़हार “आज़ाद करना” इसका तर्जुमा “आज़ाद होने की वजह” या “ग़ुलामी से बचाना” या “बन्धन से छुटकारा दिलाना”
  • जो इन्सान “आज़ाद किया गया” वह बन्धुआई या ग़ुलामी से “छुड़ाया गया” या “बाहर निकाला गया”।

(यह भी देखें: बाँधना, ग़ुलाम बनाना, ख़ादिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1865, H2600, H2666, H2668, H2670, H3318, H4800, H5068, H5069, H5071, H5081, H5337, H5352, H5355, H5425, H5674, H5800, H6299, H6362, H7342, H7971, G425, G525, G558, G572, G629, G630, G859, G1344, G1432, G1657, G1658, G1659, G1849, G2010, G3032, G3089, G3955, G4174, G4506, G5483, G5486

आराम करना, आराम, आराम किया, आराम, बे-आराम

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़“आराम करना” का मतलब है काम करने से रूकना कि थकान से आज़ादी हासिल हो या नई क़ुव्वत हासिल हो। लफ़्ज़ “बाक़ी” का मतलब किसी चीज़ का बचा हुआ काम बंद करना “आराम करना” है

  • किसी चीज़ के लिए कहा जाए कि वह रखी हुई है तो इसका मतलब है, कि वह वस्तु वहां मौजूद है या “क़ायम है”,
  • नाव जो “आकर रूकी” कही पर तो इसका मतलब है, “ठहर गई” या “पहुंच गई।”
  • इन्सान या जानवर “आराम” करता है तो इसका मतलब है कि वह बैठा है या लेटा है ताकि ताजगी पाए।
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि सप्ताह के सातवें दिन आराम करें। काम नहीं करने का यह दिन “सब्त” का दिन कहलाता था।
  • किसी चीज़ को कहीं रखना या’नी उसे वहां क़ायम करना या रखना|

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, "आराम करना (ख़ुद को)" "काम करना बंद करना" या "खुद को ताज़ा करने के लिए" या "बोझ उठाना बंद करने के लिए" के तौर पर भी तर्जुमा किया जा सकता है।
  • किसी चीज़ पर "आराम" करने का तर्जुमा "मक़ाम" या "डालना" या "क़ायम" किसी चीज़ को किसी पर, की शक्लमें किया जा सकता है
  • जब ‘ईसा ने कहा, "मैं तुम्हें आराम दूंगा," इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, "मैं आपको अपना बोझ उठाना बंद कर दूंगा" या "मैं आपको सुकून में रहने में मदद करूंगा" या "मैं तुमको मुझ मे आराम और ईमान करने के लिए मज़बूत बनाता हूं ।"
  • ख़ुदा ने कहा, "वे मेरे आराम में दाख़िल नहीं होंगे" और इस जुमले का तर्जुमा किया जा सकता है कि "वे बाकी की बरकतों का अहसास नहीं करेंगे" या "वे मुझ पर भरोसा करने से आने वाली ख़ुशी और इत्मिनान का अहसास नहीं करेंगे।"
  • लफ़्ज़ "आराम" का तर्जुमा "जो लोग" या "दीगर सभी लोग" या "जो कुछ भी बचा है" की में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: बचे हुए लोग, सब्त)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H14, H1824, H1826, H2308, H3498, H3499, H4494, H4496, H4771, H5117, H5118, H5183, H5564, H6314, H7258, H7280, H7599, H7604, H7605, H7606, H7611, H7673, H7677, H7901, H7931, H7954, H8058, H8172, H8252, H8300, G372, G373, G425, G1515, G1879, G1954, G1981, G2270, G2663, G2664, G2681, G2838, G3062, G4520

आलूदा, अलूदा करता, अलूदा हुआ, अलूदा हो जाना, अलूदा हैं, अलूदा था, अलूदा हैं, आलूदा था, अलूदा थे

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “आलूदा” और “आलूदा होना” का मतलब आलूदगी या गन्दगी से है। कोई चीज़ जिस्मानी, इख़लाक़ी या दुनियावी तौर से नापाक हो सकती है।

  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को उन चीज़ों को खाने या छूने से ख़बरदार किया है जिन्हें उसने “आलूदा” और “नापाक” क़रार दिया है|
  • कुछ चीज़ों जैसे मुर्दा जिस्म और बीमार शख़्स ख़ुदा के ज़रिए’ नापाक क़रार दिए गए हैं, अगर कोई शख़्स इनको छू लेगा तो वह नापाक हो जाएगा|
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को ज़िना के गुनाह से बचने का हुक्म दिया था। यह उनको नापाक करेगा और उनको ख़ुदा के लिए नाक़ाबिल-ए-क़ुबूल बनाएगा|

जिस्मानी काम कुछ और क़िस्म के भी थे, जो किसी शख़्स को फ़ौरी तौर पर नापाक कर दिया जब तक कि वह रवायती तौर पर दुबारा पाक हो न सके|

  • नये ‘अहदनामे में ‘ईसा ने ता’लीम दी थी कि गुनाहों का ख़याल और काम हक़ीक़त में इन्सान को नापाक करते हैं।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

  • लफ़्ज़ “आलूदा”का तर्जुमा इस तरह भी हो सकता है “ नापाकी की वजह होना” या “रवायती तौर पर नाक़ाबिल-ए-क़ुबूल होना”
  • "आलूदा होना" का तर्जुमा इस तरह भी हो सकता है, "गन्दा होना" या "इखलाक़ी तौर से नाकाबिल-ए-क़ुबूल होना(खुदा के लिए)” या “रवायती तौर से नाक़ाबिल-ए-क़ुबूल होना”

(यह भी देखें: पाक,पाक

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में

शब्दकोश:

  • Strong's: H1351, H1352, H1602, H2490, H2491, H2610, H2930, H2931, H2933, H2936, H5953, G733, G2839, G2840, G3392, G3435, G4696, G5351

आवाज़ , आवाजें

ता’अर्रुफ़:

“आवाज़ ” का इस्ते’माल हमेशा बोलने या ख़्यालों का तबादला करने के लिए किया गया है।

  • ख़ुदा अपने आवाज़ को कहता है अगर चे उसकी आवाज़ इन्सान जैसी नहीं है।
  • आवाज़ पूरे इन्सान का बयान देती है जैसे “जंगल में एक पुकारने वाले की आवाज़ सुनाई देती है, ख़ुदावन्द की राह तैयार करो।” इसका तर्जुमा हो सकता है, “जंगल में एक इन्सान की पुकार सुनी जाती है”। (देखें:हम आहंगी
  • “किसी की आवाज़ सुनना” या’नी “किसी को बोलते सुनना”।

कभी कभी "आवाज़ " का इस्तेमाल ऐसी चीजों के लिए भी किया गया है जो बोल नहीं सकती, जैसे दाऊद लिखता है कि ख़ुदा की हैरत अंगेज़ तख़लीक़ उसके कामों का बयान करती है, या’नी उनकी आवाज़ उनकी अज़मत का ‘एलान करती है। इसका तर्जुमा हो सकता हैः "उनकी बड़ाई ख़ुदा के जलाल का बयान कर रही है।"

(यह भी देखें: बुलाहट, ‘एलान करना, जलवा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6963, H7032, H7445, H8193, G2906, G5456, G5586

आशिक़, आशिक़ों

ता’अर्रुफ़:

“आशिक़” या’नी “मुहब्बत करने वाला इन्सान” यह लफ़्ज़ अक्सर उन इन्सानों के लिए है जिनके जिस्मानी ता’अल्लुक़ात होते हैं।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “आशिक़” लफ़्ज़ उस इन्सान के लिए काम में लिया जाता है जो किसी के साथ जिस्मानी ता’अल्लुक़ रखता है, जिससे उसकी शादी नहीं हुई है।
  • ऐसा नाजायज़ ता’अल्लुक़ किताब-ए-मुक़द्दस में इस्राईल के ज़रिए’ बुतपरस्ती करके ख़ुदा की नाफ़रमानी के लिए काम में लिया जाता है। लिहाज़ा “आशिक़” लफ़्ज़ ‘अलामती तौर पर इस्राईल के ज़रिए’ ‘इबादत किये जानेवाले बुतों के लिए भी काम में लिया गया है। इन मज़मूनों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुमकिन हो तो इस तरह किया जाए, “नाजायज़ साथी” या “ज़िनाकार के साथी” या “बुतों”,(देखें: मिसाल)
  • पैसों के “लालची” (आशिक़) ऐसा इन्सान जो पैसा कमाने और दौलतमन्द होने को बहुत ज़्यादा अहमियत देता है।
  • पुराने ‘अहदनामे में ग़ज़ल-उल-ग़ज़लात की किताब में “आशिक़” लफ़्ज़ का इस्ते’माल मुश्बत तौर पर किया गया है।

(यह भी देखें: ज़िनाकर, झूठे मा’बूद, बुत, मुहब्बत)

‏## ‏किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H157, H158, H868, H5689, H7453, H8566, G865, G866, G5358, G5366, G5367, G5369, G5377, G5381, G5382

इल्ज़ाम लगाना, इल्ज़ाम लगाता है, इल्ज़ाम, इल्ज़ाम लगा रहे है,क़ुसूर लगाने वाला, क़ुसूर लगाने वाले, क़ुसूरवार

ता’अर्रुफ़:

“इल्ज़ाम लगाना” या “क़ुसूरवार” यहाँ तक कि किसी ग़लत काम का इल्ज़ाम किसी पर लगाना। किसी पर इल्ज़ाम लगाने वाले को “इल्ज़ाम लगाने वाला” कहते हैं।

  • झूठा इल्ज़ाम यहाँ तक कि किसी पर लगाया गया इल्ज़ाम सच नहीं है जैसे यहूदी उस्तादों ने ईसा पर ग़लत काम करने का झूठा इल्ज़ाम लगाया था
  • नये अहद नामे की किताब, मुक़ाश्फा में शैतान को “इल्ज़ाम लगाने वाला” कहा गया है

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3198, H8799, G1458, G2147, G2596, G2724

इस्राईल के बारह क़बीले, इस्राईली बच्चों के बारह क़बीले, बारह क़बीले

ता’अर्रुफ़:

इस्राईल के बारह क़बीलों का मतलब या’क़ूब के बारह बेटों और उनकी औलादों से हैं .

  • या’क़ूब इब्राहीम का पोता था ख़ुदा ने बा’द में या’क़ूब के नाम को बदल कर इस्राईल रखा
  • यह बारह क़बीलों के नाम हैं रुबेन ,शमा’ऊन लावी, यहूदाह, दान, नफ़्ताली, जद, अशेर, अशकार, जबुलून, यूसुफ़ और बिनयामीन
  • लावी की औलाद ने कन’आन में कोई शहर नहीं दिया गया क्यूँकि वह काहिंनो के क़बीला से थे जो ख़ुदा और उसके लोगों की ख़िदमत करने के लिए अलग अलग थे,
  • यूसुफ़ को मुल्क का दो गुना हिस्सा दिया गया जो उसके दो बेटों इफ्राईम और मनस्सी की औलादों को मिला ,
  • किताब-ए-मुक़द्दस में कई जगहो में है जहाँ बारह क़बीलों की फ़ेहरिस्त में थोड़ा मुखतलिफ़ है कहीं कहीं लावी ,यूसुफ़, और दान , फ़ेहरिस्त से अलग किया हैं और कुछ जगहों में यूसुफ़ के दो बेटे इफ्राईम और मनस्सी फ़हरिस्त में साथ हैं

(यह भी देखें:,वारिस, इस्राईल, या’क़ूब, काहिन, क़बीला)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3478, H7626, H8147, G1427, G2474, G5443

उठा लिया ,जा लिया ,दौड़ गया

ता’रीफ़:

“उठा लिया गया”अक्सर ख़ुदा के ज़रिये’ किसी को अचानक ही मो’जिज़े की शक्ल में जन्नत में उठा लेने के बारे में होता है |

  • “जा लिया” किसी के नज़दीक जल्दी से पहुँचना इसी मा’नी का दूसरा लफ़्ज़ है ,”पड़ेगा”
  • पौलूस रसूल तीसरे आसमान में “उठा लिए जाने”की बात करता है | इसका तर्जुमा “ऊपर ले लेना”भी हो सकता है
  • पौलूस कहता है कि जब मसीह दोबारा आएगा तब ईमानदार उससे आसमान में मुलाक़ात करने के लिए उठा लिए जायेंगे “|
  • यह तम्सीली ख़ुलासा “मेरे बेदीनी के कामों ने मुझे आ पकड़ा “ इसका तर्जुमा हो सकता है “मै अपने गुनाहों का नतीजा पा रहा हूँ “या मेरे गुनाहों की वजह से मै दुःख उठा रहा हूँ “या “मेरे गुनाह मुझे दुःख देते हैं |

(देखें: मो’जिज़े, घेरना, दुःख उठाना, परेशानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1692, G726

उस्ताद, उस्तादों , ता’लीम देने वाला

ता’अर्रुफ़:

उस्ताद वह इन्सान है जो इन्सानों को नई मा’लूमात देता है। उस्ताद (सिखाने वाला) इन्सानों को ‘इल्म और तरबियत लेने में मददगार होता है।

  • कलाम में सिखाने वाला लफ़्ज़ एक ख़ास मतलब में काम में लिया गया है जो ख़ुदा के बारे में ता’लीम देनेवाले के बारे में है।
  • उस्ताद से ‘इल्म पाने वाले को “तालिब-ए-इल्म ” या “शागिर्द ” कहते हैं।
  • कुछ अंग्रेजी किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे में इस लफ़्ज़ को बड़े हरफ़ों में लिखा गया है अगर वह ‘ईसा के बारे में है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में आम लफ़्ज़ उस्ताद का इस्तेमाल किया जा सकता है, जब तक कि लफ़्ज़ केवल एक स्कूल उस्ताद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
  • कुछ मज़हबी ज़ुबान में आलिम -उस्तादों के लिए ख़ास ‘ओहदे का नाम होता है जैसे “उस्ताद-उस्ताद ” या “रब्बी” या “मुबललिग़ ”।

(यह भी देखें: शागिर्द, उस्ताद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 27:01 एक दिन, यहूदी मज़हब में निपुण एक इन्तिज़ामी 'ईसा के पास उसका इम्तेहान लेने के लिए आया, और कहने लगा, “हे __उस्ताद __ हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं?”
  • 28:01 एक दिन, एक अमीर जवान हाकिम 'ईसा के पास आया और उससे पूछा, "अच्छा उस्ताद, मुझे क्या करना चाहिए अब्दी ज़िन्दगी पाने के लिए ?"
  • 37:02 दो दिन बीतने के बाद, 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “आओ हम फिर यहूदिया को चलें |” शागिर्दों ने उससे कहा “हे रब्बी, कुछ वक़्त पहले तो लोग तुझे मरना चाहते थे |”
  • 38:14 यहूदा 'ईसा के पास आया और कहा, “ सलाम, उस्ताद,” और उसे चूमा |
  • 49:03 'ईसा एक बड़ा__उस्ताद__ भी था, और वह इख्तियार के साथ बोलता था क्योंकि वह ख़ुदा का बेटा है |

शब्दकोश:

  • Strong's: H3384, H3887, H3925, G1320, G2567, G3547, G5572

ऊँचे मक़ाम पर, आसमान में

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “ऊँचे मक़ाम पर” या “आसमान में” इज़हार हैं जिसका अक्सर का मतलब होता है “जन्नत में”

  • इज़हार का दुसरा मतलब “आसमान में” का मतलब “सबसे इज़्ज़त वाला” भी हो सकता है।
  • इस इज़हार का इस्ते’माल ‘अलामती तौर पर भी होता है जैसे “सबसे ऊंचे पेड़ में”।
  • इज़हार “ऊंचे पर” का हवाला आसमान में ऊंचाई पर भी हो सकता है जैसे परिन्दे का घोंसला जो ऊंचाई पर है। इस मज़मून में इसका तर्जुमा हो सकता है, “आसमान में ऊँचा” या “ऊँचे पेड़ की चोटी पर”।
  • “ऊंचा” लफ़्ज़ उठा हुआ मक़ाम या इन्सान या चीज़ की अहमियत ज़ाहिर करता है|
  • इज़हार “ऊपर से” का तर्जुमा “आसमान से” हो सकता है।

(यह भी देखें: आसमान, ‘इज़्ज़त)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1361, H4605, H4791, H7682, G1722, G5308, G5310, G5311

ऊँचे मक़ाम, ऊँचे मक़ामों

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़“ऊंचे मक़ाम” का मतलब क़ुर्बानगाहों और पाक मक़ामों से है जहाँ बुतपरस्ती की जाती थी। वे ऊँचे मक़ामों पर बनाई जाती थी जैसे पहाड़ी पर या पहाड़ों की चोटियों पर।

  • इस्राईल के बहुत से बादशाहों ने ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया उन्होंने ऊंचे मक़ामों में बुतों के लिए क़ुर्बानगाहें बनवाई थी। जिसकी वजह से क़ौम बुतपरस्ती में शामिल हो गई थी।
  • जब इस्राईल या यहूदाह की बादशाही में ख़ुदा का ख़ौफ़ माननेवाला कोई बादशाह बादशाही करने आया तब उसने ऊंचे मक़ामों या इन क़ुर्बानगाहों को तबाह किया कि बुतपरस्ती को रोका।
  • लिहाज़ा इन अच्छे बादशाहों में से कुछ बेपरवाह रहे और उन्होंने इन क़ुर्बानगाहों को तबाह नहीं किया जिसके नतीजे में पूरा इस्राईल मुल्क बुतपरस्ती करता रहा”

तर्जुमे के सलाह:

  • इस जुमले के तर्जुमे के और भी तरीक़े हो सकते हैं, “बुतपरस्ती के ऊंचे मक़ाम” या “पहाड़ों की चोटियों पर बुतों के पाक मक़ाम” या “बुतों की क़ुर्बानगाहों के टीले”।
  • यक़ीनी बनाएं कि इन अलफ़ाज़ से बुतों की क़ुर्बानगाहों का मतलब ज़ाहिर हो न कि उन क़ुर्बानगाहों के ऊँचे मक़ाम सिर्फ़ जहाँ क़ुर्बानगाहें थी।

(यह भी देखें: क़ुर्बानगाह, झूठे मा’बूद, परस्तिश)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1116, H1181, H1354, H2073, H4791, H7311, H7413

ऊँट ,ऊंटों

ता’रीफ़:

ऊँट एक बड़ा चौपाया जानवर होता है जिसकी पीठ पर एक या दो उभार होते हैं | (यह भी देखें : अनजाने अल्फ़ाज़ों का तर्जुमा कैसे करें

  • किताब-ए-मुक़द्दस के वक़्त में ,ऊँट इस्राईल और आस-पास के ‘इलाक़ों में पाए जाने वाले सबसे बड़े जानवर थे |
  • ऊँट लोग और बोझ भी ले जाने के लिए ज़्यादा तर इस्ते’माल किया जाता था |
  • कुछ लोगों के गिरोहों में ऊँटों को खाने के लिए इस्ते’माल करते थे लेकिन इस्राईलियों को नहीं ,क्यूँकि ख़ुदा ने कहा कि ऊँट नापाक थे और खाए नहीं जाते थे |
  • ऊँट क़ीमती थे क्यूँकि वह तेजी से रेत में जा सकते थे और कई हफ़्तों तक खाना और पानी के बिना रह सकते थे |

(यह भी देखें: बोझ , पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H327, H1581, G2574

ओला, ओले, ओले, ओले गिरना

सच्चाई:

यह लफ़्ज़ आमतौर पर आसमान से गिरने वाले जमे हुए पानी की गांठों का हवाला देता है। अगरचे अंग्रेजी में एक ही तरह से लिखा गया है, एक अलग लफ़्ज़, "हैलो" का इस्ते’माल किसी के इस्तक़बाल में किया जाता है और इसका मतलब हो सकता है, "हैलो" या "आपको मुबारक।"

  • आसमान से नीचे आने वाली गेंदों की शक्ल के या बर्फ के टुकड़ों को "ओले” कहा जाता है।
  • ‘आम तौर पर ओले छोटे होते हैं (सिर्फ़ कुछ सेंटीमीटर चौड़े होते हैं), लेकिन कभी-कभी ये ओले होते हैं जो कि 20 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं और यह एक किलो से ज़्यादा वजन होता है
  • नए ‘अहदनामे में मुकाशिफ़ा की किताब में 50 किलोग्राम वजन वाले बड़े ओलों का ज़िक्र किया गया है, जब वह आख़िरी वक़्त में लोगों को उनकी बुराई के लिए इन्साफ़ करते हैं, तो ख़ुदा ज़मीन पर गिरने का ज़रिया’ बनेंगा।
  • पुरानी अंग्रेजी में रस्मी इस्तक़बाल लफ़्ज़ "ओले" लफ़्ज़ का लफ्ज़ी मतलब है "ख़ुशी" और इसका तर्जुमा "मुबारकबाद" के तौर पर किया जा सकता है! या "हैलो!"

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H68, H417, H1258, H1259, G5463, G5464

कटीले, झड़बेरी, झाड़ियों, काँटों, झाड़ी, ऊँटकटारे

सच्चाई:

कटीले झाड़ियां या ऊंटकटार वे पेड़ होते हैं जिनकी डालियों में कांटे या फूल होते हैं। इन पेड़ों में फल या काम की कोई चीज़ नहीं उगती है।

  • "कांटा" पेड़ की डाल पर एक कड़ी नुकीली नोक है। “कंटीली झाड़ी” एक छोटा पेड़ या झाड़ी है जिसकी टहनियों पर कांटे होते हैं।
  • “ऊंटकटार” वह पेड़ है जिसकी टहनियां और पत्तों पर कांटे होते हैं। उसके फूल अक्सर बैगंनी रंग के होते हैं।
  • कंटीली झाड़ियां बहुत जल्दी बढ़ती हैं और अच्छे पेड़ों को बढ़ने से रोकते हैं। यह गुनाह के ज़रिए’ आदमी की रूहानी तरक्क़ी को रोकने का एक अच्छा तरीक़ा है।
  • ‘ईसा को सलीब देने से पहले उसके सिर पर कांटों का ताज रखा गया है।
  • अगर मुमकिन हो तो, इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा दो अलग-अलग पेड़ों या झाड़ियों के नाम से किया जाना चाहिए जो कि ज़बानी ‘इलाक़े’ में जाना जाता है।

(यह भी देखें: ताज , फल, रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H329, H1863, H2312, H2336, H4534, H5285, H5518, H5544, H6791, H6796, H6975, H7063, H7898, G173, G174, G4647, G5146

क़त्ल करना, क़त्ल किए गए

ता’अर्रुफ़:

“ क़त्ल करना” या'नी किसी जानवर या इन्सान को क़त्ल करना इसका मतलब है, ताक़त के ज़ोर या बेरहमी से मार डालना। अगर किसी आदमी ने एक जानवर को मार डाला है तो उसने " क़त्ल किया"

  • जानवर या किसी झुण्ड के बारे में “ज़बह” लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।
  • ज़बह करना, का एक काम भी है जिसे "ज़बह" कहा जाता है।
  • “ क़त्ल किए गए” का तर्जुमा हो सकता है, “मारे गए लोग” या “जिन लोगों को क़त्ल किया गया ”।

(यह भी देखें:ज़बह करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2026, H2076, H2490, H2491, H2717, H2763, H2873, H2874, H4191, H4194, H5221, H6991, H6992, H7523, H7819, G337, G615, G1315, G2380, G2695, G4968, G4969, G5407

क़बीला , क़बीलों , क़बीला , क़बीले के अफ़राद

ता’अर्रुफ़:

क़बीला इन्सानों का वह झुण्ड है जो एक ही नसल से पैदा हुआ है।

  • क़बीले का मतलब है एक ही ज़बान और तहज़ीब को बोला करते है।
  • पुराने ‘अहद नामे में, ख़ुदा ने इस्राईल को 12 क़बीलों में तक़सीम किया था। हर एक क़बीला याक़ूब के एक बेटे और उसके बुज़ुर्गों का था।
  • क़बीला एक क़ौम से छोटा लेकिन ख़ानदान से बड़ा था।

यह भी देखें :ख़ानदान , क़ौम, लोग केझुण्ड , इस्राईल के बारह क़बीले)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H523, H4294, H7625, H7626, G1429, G5443

क़बीला, क़बीलों

ता’अर्रुफ़:

“क़बीला” एक ही बुज़ुर्ग की औलादों का बड़ा घराना होता है।

  • पुराने ‘अहद नामे में इस्राईलियों को उनके क़बीले या ख़ानदान के मुताबिक़ गिना जाता था।
  • क़बीला का नाम ज़्यादातर मशहूर वाकिफ़ बुज़ुर्ग के नाम पर होता था।
  • कभी-कभी आदमियों को उसके क़बीले के नाम से भी पुकारा जाता था। इसकी एक मिसाल है मूसा का ससुर यित्रो कभी-कभी रूएल नाम से भी बुलाया जाता है जो उसके क़बीले का नाम था।

क़बीला लफ़्ज़ का तर्जुमा“ख़ानदान” या “बड़े घराने” या “रिश्ते दार” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: घराना, यित्रो; \क़बीला](../other/tribe.md))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1, H441, H1004, H4940

क़ब्ज़ाबनाना, क़ब्ज़ा, क़ब्ज़ा, क़ब्ज़ा किया

ता'अर्रुफ़:

"क़ब्ज़ा करना" किसी आदमी या चीज़ का ताक़त के ज़ोर से क़ब्ज़े में करना। इसका मतलब किसी पर हावी होना या क़ाबू करना भी होता है।

  • जब फ़ौज की ताक़त के ज़रिए' शहर को फ़तह कर लिया जाता है तब फ़ौजी वहाँ के रहने वालों की क़ीमतीचीज़ें लूट लेते हैं।
  • 'अलामती शक्ल में इस्ते'माल करने पर इस लफ़्ज़ का मतलब है, "ख़ौफ़ज़दह होना।" इसका मतलब है कि अचानक खौफ से क़ाबू पाना होता है। अगर कोई शख्स "ख़ौफ़ज़दह" है तो यह भी कहा जा सकता है कि वह, "अचानक ही बहुत डर गया"।
  • औरत के दर्द ज़ह के बारे में है तो इसका मतलब है दर्द अचानक ही उठा और बहुत ज़्यादा हो गया। इस लफ़्ज़ का तर्जुमा , औरत की दर्द ज़ह का "बे क़ाबू होना" या "अचानक ही आ पड़ना" हो सकता है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, "क़ाबू करना" या " अचानक ले लेना" या "जकड़ लेना”।"
  • “उसे पकड़ कर उसके साथ सोया” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उस पर क़ुव्वत के ज़रिए' हावी हुआ” या “उसको बे हुरमत किया” या “उसके साथ ज़िना किया”।" साबित करें कि यह तसव्वुर क़ाबिले क़ुबूल हो।

(देखें: अलफ़ाज़

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H270, H1497, H2388, H3027, H3920, H3947, H4672, H5377, H5860, H6031, H7760, H8610, G724, G1949, G2638, G2902, G2983, G4815, G4884

क़ब्र, मिट्टी देनेवाले, क़ब्रें, क़ब्र, क़ब्रों, क़ब्रिस्तान

ता’अर्रुफ़:

  • “क़ब्र” वह जगह है जहां मुर्दे की लाश को रखा जाता है। * इसी बयान में “कब्रिस्तान” भी है।

  • यहूदी कभी-कभी गुफाओं में लाशों को रखते थे। कभी-कभी वे पहाड़ों में गुफा खोदते थे।

  • नये ‘अहद नामे के वक़्त ऐसी क़ब्रों को बन्द करने के लिए उन पर बड़ा पत्थर लुढ़का देना एक आम तरीका था।

  • अगर क़ब्र का मतलब लाश को दफन करने के लिए ज़मीन के नीचे गड्डा हो तो इसका तर्जुमा करने के और तरीके “गुफा” या “पहाड़ में छेद करना” हो सकता है।

  • ‘अलामती शक्ल में और अक्सर “क़ब्र” लफ़्ज़ मुर्दे के जैसी हालत को या मुर्दे की रूहों की जगह के लिए काम में आता है।

(यह भी देखें: दफ़न करना, मौत

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 32:04 वह क़ब्रों में रहा करता था। वह रात दिन चिल्लाता रहता था
  • 37:06 ‘ईसा ने उनसे पूछा “तुमने लाज़र को कहाँ रखा है?, ” उन्होंने उससे कहा, "क़ब्र में आओ और देख लो |
  • 37:07 वो क़ब्र एक गुफा थी जिसके दरवाज़े पर एक बड़ा पत्थर लगा हुआ था |
  • 40:09 तब यूसुफ़ और नीकुदेमुस, दो यहूदी काहिन जिन्हें यक़ीन था कि ‘ईसा ही मसीह है, पिलातुस के पास जाकर ‘ईसा की लाश माँगा | उन्होंने उसकी लाश को सफ़ेद चादर में लपेटा, और चट्टान में खुदवाई गई क़ब्र में रख दिया | तब उन्होंने दरवाज़े पर बड़ा पत्थर लुढ़काकर उसे बन्द कर दिया |
  • 41:04 उसने क़ब्र के पत्थर को जो क़ब्र के दरवाजे पर लगा था हटा दिया और उस पर बैठ गया, क़ब्र की रखवाली करने वाले पहरेदार काँप उठे और मुर्दे की तरह हो गए |
  • 41:05 जब औरतें क़ब्र पर पहुँची, फ़रिश्ते ने ‘औरतों से कहा, “मत डरो ‘ईसा यहाँ नहीं है, लेकिन अपने कलाम के मुताबिक़ जी उठा है आओ, यह जगह देखो तब ‘औरतों ने क़ब्र में और जहाँ ईसा का जिस्म रखा गया था देखा | उसका जिस्म वहाँ नहीं था |

शब्दकोश:

  • Strong's: H1164, H1430, H6900, H6913, H7585, H7845, G86, G2750, G3418, G3419, G5028

कम तरफ़दारी, तरफ़दारी करना,तरफ़दारी

ता’अर्रुफ़:

“तरफ़दारी करना” और “तरफ़दारी” कुछ लोगों को औरों से ज़्यादा अहमियत देना।

  • यह वैसा ही है जैसा कुछ लोगों के साथ औरो से ज़्यादा इज़्ज़त का बर्ताव करना।
  • तरफ़दारी या ख़ास गुज़ारिश ज़ाहिर करना ज़्यादातर इसलिए किया जाता है कि आदमी ज़्यादा मालदार है या औरों से ज़्यादा इज़्ज़तदार है।
  • कलाम अपने लोगों को ता’लीम देता है कि वे मालदारों और इज़्ज़त दार लोगों के लिए तरफ़दार न हों।
  • रोम की कलीसिया को लिखे ख़त में पौलुस कहता है कि ख़ुदा तरफ़दारी नहीं करता है वह बिना तरफ़दारी के इन्साफ़ करता है।
  • याक़ूब के ख़त में भी यही ता’लीम दी गई है कि मालदारों को ज़्यादा ऊँची जगह देना या उनके साथ ज़्यादा नर्म बर्ताव करना सही नहीं है।

(यह भी देखें: तरफ़दार)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5234, H6440, G991, G1519, G2983, G4299, G4383

कमर

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “कमर” एक जानवर या इन्सान के जिस्म के हिस्से के बारे में बताता हैं जो पसलियों और कूल्हे की हड्डियों के बीच होता है, जिसे निचले पेट की शक्ल में भी जाना जाता है|

  • इज़हार “कमर कसना” का मतलब है मेहनत करने के लिए तैयार हो जाओ। यह मुहावरा उस मश्क़ से आता है जब वे अपने चोगे के निचले भाग को उठाकर कमर में बांध लेते थे कि चलना फिरना आसान हो जाए।
  • “कमर” लफ़्ज़ किताब-ए-मुक़द्दस में अक्सर क़ुर्बानी के जानवर के पिछले हिस्से के लिए काम में लिया जाता था।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “कमर” का ‘अलामती शक्ल में हलीमी के तौर पर इन्सान के तख़लीकी ‘उज़्व अपनी नसल का ज़रिया’ लिए काम में लिया गया लफ़्ज़ है। (देखें: अलफ़ाज़
  • “से पैदा होना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “तेरी औलाद होगी” या “तेरे नुत्फ़े से पैदा होगा” या “ख़ुदा तुम से पैदा करेगा।” (देखें: अलफ़ाज़
  • जिस्म के बारे में इसका तर्जुमा हो सकता है, “पेट” या “कूल्हा” या “कमर” मज़मून पर मुनहस्सिर|

(यह भी देखें: नसल, बाँधना, नसल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2504, H2783, H3409, H3689, H4975, G3751

कमान और तीर, कमान और तीर

ता'अर्रुफ़:

यह एक हथियार क़िस्म है, जिसमें कमान से तीर चलाना होता है। किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में इसका इस्ते'माल दुश्मनों की फ़ौज से लड़ने में किया जाता था और खाने के लिए जानवरों को मारने में भी किया जाता था।

  • कमान लकड़ी, हड्डी, धात या और सख्त चीज़ से जैसे हिरण शुतुरमुर्ग से बनाया जाता था। वह रस्सी या बेल से बान्ध कर कमान की तरह बनाया जाता था।
  • तीर एक पतली डंडी होता है जिसका एक सिरा नुकीला होता था। पुराने ज़माने में तीर मुख्तलिफ़ चीज़ों से बनाये जाते थे जैसे लकड़ी, हड्डी, पत्थर या धातु से।

कमान और तीर 'आम तौर पर शिकारियों और जंगबाजों की ज़रिए’ से काम में लिए जाते थे।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में तीर का इस्ते'माल जुमलों कि शक्ल में दुश्मन के हमला या ख़ुदा की सज़ा के लिए भी किया गया है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2671, H7198, G5115

कराहते, रोना, कराहना

ता’अर्रुफ़:

“कहरना” या'नी जिस्मानी या जज़्बाती हालत की वजह से गहरी हलकी सी की आवाज़ निकालना। यह बिना किसी भी लफ़्ज़ की आवाज़ निकलना हो सकता है।

  • एक शख़्स दुःख की वजह से कराहता है।
  • खौफ़ नाक ज़ालिमाना बोझ को महसूस करके भी शख़्स कराहता है।

“कराहना ” के तर्जुमे हो सकते हैं, “दर्द की वजह से आवाज़ ” या “गहरा दुःख”

  • एक तरीक़े में इसका तर्जुमा हो सकता है, “ गहरे दर्द की आवाज़ ” या “मुसीबत ”।

(यह भी देखें: दोहाई)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H584, H585, H602, H603, H1901, H1993, H5008, H5009, H5098, H5594, H7581, G1690, G4726, G4727, G4959

करूब,करूबी,करूबियों

ता’अर्रुफ़:

“करूब” और इसके जमा’ की शक्ल “करूबियों” इसके बारे में ख़ुदा के ज़रिये’ बनाए ख़ास जानदार से है | किताब-ए-मुक़द्दस के बयान के मुताबिक़ करूबियों के पर होते है और आग निकलती है |

  • करूबी ख़ुदा के जलाल और क़ुदरत को ज़ाहिर करते हैं और पाक चीज़ों की हिफ़ाज़त का निशान होते हैं |
  • आदम और हव्वा के गुनाह के बा’द ख़ुदा ने अदन के बगीचे के पूरब में करूबियों को आग की तलवार के साथ मुक़र्रर कर दिया था कि ज़िन्दगी के दरख़्त के नज़दीक कोई न जा पाए |
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि वह करूबों को इस तरह बनाएं कि वह एक दूसरे के आमने सामने हों और उनके पर एक दूसरे से को छूते हुए ‘अहद के सन्दूक़ के कफ़्फ़ारे के ढकने पर छाए हों|
  • ख़ुदा ने उन से यह भी कहा था कि मिलाप वाले ख़ेमें के पर्दों पर कढ़ाई करके करूब बनाएं |

कुछ मज़मूनों में इन जानदारों के चार मुँह बनाये गये हैं ,इन्सान,शेर,बैल,और उकाब के मुँह |

  • करूबियों को फ़रिश्ता भी समझा जाता है लेकिन किताब-ए-मुक़द्दस में ऐसा साफ़ नहीं कहा गया है |

तर्जुमे की सलाह:

  • करूबों* लफ़्ज़ का तर्जुमा “पर वाले जानदार “ या परों वाले मुहाफ़िज़ “ या “परो वाली मददगार रूहें” या “पाक,परों वाले मुहाफ़िज़ “|
  • ”कुरूब’का तर्जुमा करूबियों के वाहिद की शक्ल में तर्जुमा करना चाहिए मसलन “पर वाला जानदार “ या “पर वाली मददगार रूह “|
  • वाज़ेह करें कि इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा “फ़रिश्तों” से अलग हो |
  • यह भी ध्यान रखें कि मुक़ामी या क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमें में इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा किया गया है | (देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: फ़रिश्ता

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

हिज़कीएल 09:3-4

शब्दकोश:

  • Strong's: H3742, G5502

कलाम, लफ़्ज़

ता’अर्रुफ़:

“कलाम ” लफ़्ज़ का मतलब है किसी के ज़रिए’ कही गई बात।

  • मसलन , फ़रिश्ते ने ज़करियाह से कहा था, “तूने मेरी बातों का यक़ीन न किया ” या’नी “मैंने जो तुझ से कहा उस पर तूने यक़ीन नहीं किया।”
  • यह लफ़्ज़ अक्सर सिर्फ़ एक लफ़्ज़ की बजाय पूरी ख़बर के बारे में होता है।
  • कभी-कभी “कलाम ” लफ़्ज़ आम बात के बारे में भी होता है जैसे “कलाम और काम में ताक़ती ” जिसका मतलब है “कहने और बर्ताव में ताक़ती ”।
  • कलाम-ए-मुक़द्दस में “कलाम ” लफ़्ज़ अक्सर ख़ुदा की बात या हुक्म के बारे में होता है जैसे खुदा का कलाम या हक़ का कलाम
  • इस लफ़्ज़ का बहुत ख़ास इस्ते’माल है जब ‘ईसा को “कलाम ” कहा गया है। इन आख़री दो मा’नी के लिए, देखें खुदा का कलाम

तर्जुमे की सलाह:

  • “कलाम ” या “कलामों ” के तर्जुमे की कई शक्ल , “ता’लीम ” या “पैग़ाम ” या “ख़बर ” या “कहना ” या “जो कहा गया।”

(यह भी देखें: ख़ुदा का कलाम

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H561, H562, H565, H1697, H1703, H3983, H4405, H4406, H6310, H6600, G518, G1024, G3050, G3054, G3055, G3056, G4086, G4487, G4935, G5023, G5542

कानाफूसी, गपशप, कानाफूसी करनेवाला

ता’अर्रुफ़:

“कानाफूसी” किसी के बारे में या ज़ाती मु'आमिलात में या बेकार की बातें करना। अक्सर बात क्या है वह सच बात नहीं कही गई है ।

  • कलाम में किसी के बारे में बेकार की बातें करना ग़लत है। बकबक करना और बुराई करना ऐसी बेकार बातों की मिसाल है।
  • जिसके बारे में बेकार की बातें की जा रहीं हैं , उसको नुक़सान करती हैं, क्यूँकि ऐसा करने से लोगों के साथ उसके रिश्तों पर ग़लत असर पड़ता है।

(यह भी देखें: झूठा इल्ज़ाम लगाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5372, G2636, G5397

क़ानून, क़ानूनों, शरी’अत देनेवाला, मुजरिम, मुजरिमों, मुकदमा, वकील, उसूल, उसूल , उसूलों

ता’अर्रुफ़:

“कानून” सरकारी नियम होते हैं, जो अक्सर लिखे हुए रहते हैं और मुलाजिम के ज़रिए’ लागू किए जाते हैं। “उसूल” फ़ैसले लेने और सुलूक करने के हिदायती कानून हैं।

  • “कानून” और उसूल दोनों ही इन्सान के सुलूक की हिदायत या ‘आम कानून या सलाहें होती हैं।
  • “शरी’अत” का मतलब “मूसा की शरी’अत” के मतलब से अलग है क्योंकि यह ख़ुदा के ज़रिए’ इस्राईल को दिए गए हुक्म और हिदायात थे।
  • जब कानूनों का ‘आम मतलब में ज़िक्र किया गया है तो शरी’अत का तर्जुमा “उसूल” या “अवामी कानून” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: क़ानून, शरी’अत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1285, H1881, H1882, H2706, H2708, H2710, H4687, H4941, H6310, H7560, H8451, G1785, G3548, G3551, G4747

कांपना, काँप उठना, काँपकर, थरथराते हुए

ता’अर्रुफ़:

“कांपना” (थरथराकर) या’नी डर या बहुत नाउम्मीदी की वजह से कंपकंपाना।

  • इसका तमसीली इस्तेमाल “बहुत ज़्यादा डर” होने से है।
  • कभी-कभी जब ज़मीन हिलती है, तो इसे "कांपना" कहा जाता है। यह ज़ल्जले के दौरान या बहुत जोर से आवाज़ की शक्ल में हो सकती है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में लिखा है कि ख़ुदा की हुज़ूरी में ज़मीन लरज़ उठती है। इसका मतलब है कि ज़मीन के लोग ख़ुदा के डर से कांप उठेंगे या ज़मीन लरज़ उठेगी।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है “खौफ़ माने” या “ख़ुदा से डरो” या “कांप उठो” या मज़मून के मुताबिक़

(यह भी देखें: ज़मीन , डर, ख़ुदावन्द )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1674, H2111, H2112, H2151, H2342, H2648, H2729, H2730, H2731, H5128, H5568, H6342, H6426, H6427, H7264, H7268, H7269, H7322, H7460, H7461, H7478, H7481, H7493, H7578, H8078, H8653, G1719, G1790, G5141, G5156, G5425

कामयाब होना, , कामयाबी , इक़बाल मंदी , कामयाब

ता’अर्रुफ़:

“कामयाबी ” लफ़्ज़ का मतलब है अच्छी ज़िन्दगी और इसका बयान दुनयावी और रूहानी कामयाबी से भी हो सकता है। जब इन्सान या मुल्क “कामयाब ” होते हैं तो इसका मतलब है वे दौलत मंद हैं और कामयाबी के लिए उनके पास सब कुछ है। वे “इक़बाल मंदी ” को महसूस करते हैं।

  • “कामयाब ” लफ़्ज़ हमेशा माल -दौलत का हवाला देता है या इन्सानों की सुखी ज़िन्दगी के लिए सब ज़रूरतों के पूरा होने का बयान देता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “कामयाब ” लफ्ज़ का मक़सद है, तंदुरुस्त और औलादों की बरकत
  • “कामयाब ” शहर या मुल्क वह है जिसमें बहुत से लोग हों, खाने की अच्छी पैदावार हो तथा बहुत पैसा लानेवाली तिजारत हों।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के मुताबिक़ ख़ुदा के हुक्मों को मानने वाला रूहानी कामयाबी पाता है। उसे ख़ुशी और सुकून भी मिलता है। ख़ुदा इन्सान को हमेशा माल-दौलत नहीं देता है लेकिन उसके रास्तों पर चलने से उन्हें रूहानी कामयाबी ‘अता करता है।
  • मज़मून पर मुनहसिर “कामयाब ” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “रूहानी तरक्क़ी ” या “ख़ुदा के ज़रिए’बरकत ” या “भली चीज़ों का तजुर्बा ” या “अच्छी ज़िन्दगी ”।
  • “कामयाब ” लफ़्ज़ का तर्जुमा यह भी हो सकता है, “कामयाबी ” या “मालदार ” या “रूहानी सरसब्ज़ी ”।
  • “इक़बाल मंदी ” का तर्जुमा ऐसे भी हो सकता है, “भला ” या “माल असबाब ” या “कामयाबी ” या “बहूत बरकतें ”।

(यह भी देखें: बरकत, फल, रूह)

किताब-ए-मुक़द्दसके बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1129, H1767, H1878, H1879, H2428, H2896, H2898, H3027, H3190, H3444, H3498, H3787, H4195, H5381, H6500, H6509, H6555, H6743, H6744, H7230, H7487, H7919, H7951, H7961, H7963, H7965, G2137

कामिल,कामिलयत ,कामिल करने वाला

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में”कामिल”लफ़्ज़ का मतलब है मसीह ज़िन्दगी में कामिलयत हासिल करना | किसी काम को कामिलयत में करने का मतलब है सही और बिना नुक्स काम करना |

  • कामिल और मुकम्मल का मतलब है वह ईमान दार फ़र्माबरदार है न कि बेगुनाह |
  • ”कामिल लफ़्ज़ का मतलब ‘मुकम्मल “और कामिल भी होता है |
  • नये ‘अहद नामें मे या’क़ूब के ख़त में लिखा है कि परखे जाने से ईमानदारों में कामिलयत और कमाल पैदा करती है |

ईमानदार किताब -ए-मुक़द्दस का मुता’ला करके उस पर अमल करते हैं तो रूहानी ज़िन्दगी में बहुत ही कामिल और मुकम्मल हो जाते है |

तर्जुमे की सलाह:

इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है,”बिना नुक्स के”या “बिना चूक के “या “बेगुनाह”या बे ‘ऐब” या बिना किसी इल्ज़ाम के “|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H724, H998, H1584, H1585, H3632, H3634, H4357, H4359, H4512, H8003, H8502, H8503, H8535, H8537, H8549, H8552, G195, G197, G199, G739, G1295, G2005, G2675, G2676, G2677, G3647, G5046, G5047, G5048, G5050, G5052

काल, क़हत

ता’अर्रुफ़:

“काल” लफ़्ज़ किसी मुल्क या ‘इलाक़े में खाने की बहुत ज़्यादा कमी की वजह है, ‘आमतौर पर बारिस की कमी की वजह से नहीं|

  • खाने की फसलें क़ुदरती वजहों से नाक़ाम हो सकती हैं जैसे बारिस की कमी, फ़सल की बीमारी या कीड़े|
  • लोगों के ज़रिए’ खाने को जमा’ भी किया जा सकता है, जैसे दुश्मन फ़सलों को बर्बाद करते हैं|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा ने अक्सर काल को मुल्कों को सज़ा देने के तरीक़े के तौर पर पैदा किया जब उन्होंने उसके ख़िलाफ़ गुनाह किया|
  • आमोस 8:11 में “काल” लफ़्ज़ का इस्ते’माल उस वक़्त के लिए किया जाता है जब ख़ुदा ने उनसे बिना बात किये अपने लोगों को सज़ा दी| इसका तर्जुमा आपकी ज़बान “काल” के लफ़्ज़ के साथ तर्जुमा किया जा सकता है या “इन्तहाई कमी” या “शदीद महरूमियत” के जुमले के साथ|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3720, H7458, H7459, G3042

क़ासिद, क़ासिदों

सच्चाई:

“क़ासिद” या'नी किसी तक पैग़ाम पहुंचानेवाला।

  • पुराने वक़्त में क़ासिद जंग के 'इलाक़े से शहर में लोगों को ख़बर देने भेजा जाता था कि जंग की ख़बर सुनाए।
  • फ़रिश्ता एक ख़ास क़ासिद होता था जिसे ख़ुदावन्द लोगों को पैग़ाम देने भेजता था। कुछ तर्जुमों में “फ़रिश्ता” का तर्जुमा “क़ासिद” किया गया है।
  • यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला भी एक क़ासिद था जो 'ईसा के पहले आया कि मसीह के आने की ख़बर दे और उसे क़ुबूल करने के लिए लोगों को तैयार करे।
  • रसूल उसके क़ासिद थे कि ख़ुदावन्द की बादशाही की ख़ुश ख़बरी लोगों को सुनाए।

(यह भी देखें: फ़रिश्ता, रसूल, यूहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला))

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1319, H4397, H4398, H5046, H5894, H6735, H6737, H7323, H7971, G32, G652

की तरह, एक दिल, जैसा करना, बराबरी, मिसाल, वैसे ही, बराबर, से अलग

ता’अर्रुफ़:

“कीट तरह” या “जैसा” का मतलब है कोई चीज़ किसी दूसरी चीज़ के जैसी हो।

  • “तरह” जब उसे मिसाल के तौर पर भी काम में लिया जाता है जिसमें खुसूसियत को ज़ाहिर करते हुए किसी की मिसाल किसी और से की जाती है। मिसाल के तौर पर, “उसके कपड़े सूरज की तरह चमकने लगे” और “उसकी आवाज़ गर्जन की सी थी” (देखें:मिसाल)
  • “के जैसा होना” या “ की तरह सुनाई देना” या “बराबरी में होना” का मतलब है जिससे मिसाल दी जा रही है उसकी ख़ुसूसियत उसमें होना।
  • इन्सान ख़ुदा की “तरह” में बनाया गया था या’नी उसकी “शक्ल” में। इसका मतलब है कि इन्सान ख़ुदा की ख़ुसूसियत की तरह या शक्ल में है जैसे सोचने की हैसियत, अहसास और ख़यालों का लेन-देन करना।

किसी चीज़ की “मिसाल” किसी का मतलब है कि उसके पास चीज़ या शख़्स की ख़ुसूसियत नज़र आती है|

तर्जुमे की सलाह

  • कुछ मज़मूनो में यह जुमले “की बराबरी” का तर्जुमा “जैसा दिखता है” या “जैसा ज़ाहिर होता है”।
  • “उसकी मौत की बराबरी में” इस जुमले का तर्जुमा “उसकी मौत के तजुर्बे को बांटना” या “जैसे कि उसके साथ मौत का अहसास करना”।
  • “गुनाहगार जिस्म की मिसाल में” का तर्जुमा हो सकता है, “गुनाहगार इन्सान की तरह होना” या “इन्सान होना”। यक़ीनी बनाएँ कि इस इज़हार का तर्जुमा यह न ज़ाहिर करे कि ‘ईसा गुनाहगार था।
  • “उसकी मिसाल में” का तर्जुमा हो सकता है, “उसके जैसे होना” या “उसके जैसी बहुत ख़ुसूसियतें होना”।
  • इज़हार “हलाक होने वाला इन्सान या जानवरों जैसे परिन्दों चौपायों और रेंगनेवाले कीड़ों की मिसाल में” का तर्जुमा हो सकता है “हलाक होने वाले इन्सानों या जानवरों जैसे परिन्दों चौपायों तथा छोटे-छोटे रेंगनेवाले कीड़ों की शक्ल में बनाए गए बुत”

(यह भी देखें: जानवर, गोश्त, ख़ुदा की तस्वीर, तस्वीर, हलाकत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1823, H8403, H8544, G1503, G1504, G2509, G2531, G2596, G3664, G3665, G3666, G3667, G3668, G3669, G3697, G4833, G5108, G5613, G5615, G5616, G5618, G5619

क़ुरआ’, क़ुर’आ डालकर

ता’अर्रुफ़:

“क़ुर’आ” पर्चियों पर नाम लिखे जाते हैं और फ़ैसले लेने के लिए उनमें से एक उठाई जाती है। “क़ुर’आ डालना” मतलब निशान लगाकर पर्चियों को ज़मीन पर या और जगह में डालकर एक उठाना।

  • क़ुर’आ अक्सर निशान लगाये पत्थर या मिट्टी के बर्तनों के टूटे हुए टुकड़े होते थे।
  • कुछ रवायतों में क़ुर’आ डालने में तिनकों का गट्ठा काम में लिया जाता था। एक इन्सान उन तिनकों को पकड़ कर रखता था कि कोई देख न पाए कि वे कितने लम्बे हैं। हर एक इन्सान एक तिनका खींचता था और जिसके पास सबसे लम्बा तिनका आता था (या सबसे छोटा) वही चुना हुआ माना जाता था।
  • चिट्ठियां डालने की मश्क़ इस्राईली ख़ुदा की मर्ज़ी जानने के लिए करते थे।
  • जैसा ज़करियाह और इलीशिबा के वक़्त में किया गया था कि हैकल में कौन ख़िदमत करेगा।
  • ‘ईसा के सलीब चढ़ाने वाले सिपाईयों ने भी चिट्ठियाँ डाली थी कि ‘ईसा का चोग़ा किसे मिलना चाहिए।
  • “क़ुर’आ डालना” का तर्जुमा, “पर्चियां डालना” या “पर्ची खींचना” या पर्ची गिराना” भी हो सकता है। “डालना” का तर्जुमा ऐसा ज़ाहिर न करे कि चिट्ठियां बहुत दूर तक फेंकी जाती थी।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “क़ुर’आ” का तर्जुमा “निशान लगाए पत्थर” या “मिट्टी के बर्तनों के टुकड़ों” या “लकड़ियां” या “तिनके” भी किए जा सकते हैं।
  • अगर “क़ुर’आ” के ज़रिए’ फ़ैसला लिया गया तो उसका तर्जुमा “क़ुर’आ डालकर” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: इलीशिबा, काहिन, ज़करियाह (पुराना ‘अहदनामा), ज़करियाह (नया ‘अहदनामा))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1486, H2256, H5307, G2624, G2819, G2975, G3091

कुर्ता, कमीज़

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ "कुर्ता" का मतलब लिबास के लिए है जो बनयान है कि और कपड़े के नीचे पहना जाता था।

  • “कमीज़” कंधे से कमर या घुटनों तक पहुंचने वाला लिबास था और आमतौर पर एक कमरबन्द के साथ पहना जाता था। अमीर लोगों के ज़रिए’ पहना जाने वाला कुर्ता कभी-कभी आस्तीन होती थी और टखनों तक की होती थी।
  • कमीज़ चमड़ा, टाट, ऊन, या लिनेन से बने थे, और दोनों आदमी और औरतों के ज़रिये पहना जाता था।
  • कमीज़ लम्बे लबादे के नीचे पहना जाता था, जैसे एक चोगा या बाहरी लिबास गर्म मौसम में एक कमीज़ कभी-कभी बाहरी बनयान के साथ नहीं पहना जाता था।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा , “लंबी कमीज” या “लंबे नीचे पहनने के कपड़े” या "कमीज जैसी बनयान " हो सकती है। यह एक तरह से " कमीज़ " की तरह लिखा जा सकता है, यह समझाने के लिए कि यह कैसे कपड़े थे

(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का अनुवाद कैसे करें)

(यह भी देखें: लबादा

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2243, H3801, H6361, G5509

क़ुर्बानी करना, क़ुर्बानी, क़ुर्बान किये, क़ुर्बान करना, हदिया, हदिया की चीज़ें

ता’अर्रुफ़:

कलाम में "क़ुर्बानी" और "हदिया " के बारे में ख़ुदावन्द की 'इबादत में ख़ास हदिया पेश करने से है। लोगों ने भी झूठे मा'बूदों के लिए क़ुर्बानी पेश कीं ।

  • "हदिया" लफ़्ज़ का मतलब है 'आम चीज़ें है कि जो कुछ भी पेश किया गया था दिया गया। "हदिया" के बारे में उस हर एक बात से था जो पेश करने वाले के लिए बहुत क़ीमती होती थी।
  • ख़ुदावन्द के लिए हदिया ख़ास चीजें थीं, जिन्हें उसने इस्राईलियों को रास्तबाज़ी और फ़रमाबरदारी बयान करने के लिए हुक्म दिया था।
  • कई तरह की क़ुर्बानियों के नाम थे "आतिशी क़ुर्बानी" और "सुलह की क़ुर्बानी" वग़ैरह से ज़ाहिर था कि कैसी क़ुर्बानी पेश रा करें ।
  • ख़ुदावन्द के लिए क़ुर्बानी पेश करने में हमेशा जानवरों को ज़बह किया जाता था।
  • सिर्फ़ ईसा- ख़ुदावन्द का सच्चा बेगुनाह बेटे, की क़ुर्बानी लोगों के गुनाहों से मुकम्मल तौर से पाक कर सकती है, जानवरों की क़ुर्बानी कभी ऐसा नहीं कर सकती थी ।
  • ‘अलामती इज़हार "अपने आप को एक ज़िन्दा क़ुर्बानी के शक्ल में पेश करें" का मतलब है, " ख़ुदावन्द की मुकम्मल तौर से फ़र्माबरदारी में अपनी ज़िन्दगी गुज़ारना , उसकी ख़िदमत करने के लिए सब कुछ छोड़ देना।"

तर्जुमा की सलाह:

  • "पपेश करो " का तर्जुमा " ख़ुदावन्द के लिए हदिया" या " ख़ुदावन्द को दी हुई कोई चीज़ " या "कोई क़ीमती चीज़ जो ख़ुदावन्द को दी गई है" हो सकता है।
  • बयान के मुताबिक़, लफ़्ज़ "क़ुर्बानी" का तर्जुमा " ‘इबादत में कुछ क़ीमती चीज़" या "एक ख़ास जानवर को ज़बह किया और ख़ुदावन्द को दिया गया" की शक्ल में भी किया जा सकता है।
  • "क़ुर्बानी के लिए" काम का तर्जुमा "क़ीमती चीज़" या "किसी जानवर को ज़बह करने और इसे ख़ुदावन्द को दे" देने के लिए किया जा सकता है।
  • "ज़िन्दा क़ुर्बानी के शक्ल में अपने आप को पेश करने" का तर्जुमा करने का एक और तरीक़ा हो सकता है "जैसे कि आप अपनी ज़िन्दगी जीते हैं, अपने आप को ख़ुदावन्द के लिए पूरी तरह से क़ुर्बानगाह पर पेश करें , जानवर के जैसे अपने आप को ख़ुदावन्द को दे देना।"

(यह भी देखें: क़ुर्बानगाह, आतिशी क़ुर्बानी, पीने की क़ुर्बानी, झूठे मा’बूद , सुलह की क़ुर्बानी, ख़ुशी की क़ुर्बानी, सलामती की क़ुर्बानी, काहिन , गुनाह की क़ुर्बानी, ‘इबादत

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :

  • __03:14__तब नूह जहाज में से निकल आने के बा'द, उसने एक क़ुर्बानगाह बनाई, जिसे क़ुर्बानी के लिये इस्ते'माल किया जा सके और सभी तरह के जानदारों की क़ुर्बानी दी| ख़ुदावन्द उस क़ुर्बानी से ख़ुश हुआ और नूह और उसके ख़ानदान को बरकत दी|
  • 05:06"अपने सिर्फ़ एक बेटे, इस्हाक़ को ले, और क़ुर्बानी के तौर में ज़बह करो ।" फिर इब्राहीम ने ख़ुदावन्द के हुक्म को माना , और अपने बेटे की क़ुर्बानी देने के लिये तैयार हो गया|
  • 05:09 ख़ुदा ने इस्हाक़ के बदले क़ुर्बानी के लिए मेढ़ा अता' किया था|
  • __13:09__जो कोई भी ख़ुदावन्द के क़ानून को नज़रअंदाज़ करता है, वह ख़ेमे-ए-इज्तिमा' के सामने क़ुर्बानगाह पर ख़ुदावन्द के लिये जानवर की क़ुर्बानी पेश करेगा । एक काहिन जानवर को ज़बह करके क़ुर्बानगाह पर जला देगा। उस जानवर का खून जो क़ुर्बान किया गया था, उस आदमी के गुनाह को छिपा दिया और उस आदमी को ख़ुदावन्द की नज़र में साफ़ कर दिया।
  • 17:06 दाऊद चाहता था कि वह एक हैकल को ता'मीर करें जिसमें सभी इस्राईली ख़ुदावन्द की 'इबादत करें और क़ुर्बानी पेश करें ।
  • 48:06 ईसा सबसे 'अज़ीम सरदार काहिन है| दूसरे काहिनों से अलग, उसने अपने आप को उस एकलौती क़ुर्बानी की शक्ल में सुपुर्द कर दिया जो जहान के सभी इन्सानों के गुनाहों को हटा सकती है|
  • 48:08 लेकिन ख़ुदावन्द ने ईसा को भेजा, ख़ुदावन्द का मेम्ना, कि वह हमारी जगह पर अपने आप को क़ुर्बान करे|
  • 49:11 क्यूँकि ईसा ने ख़ुद की क़ुर्बानी दी, इसलिए ख़ुदावन्द किसी भी गुनाह को मु'आफ़ कर सकता है, यहाँ तक कि ख़तरनाक गुनाह को भी|

शब्दकोश:

  • Strong's: H801, H817, H819, H1685, H1890, H1974, H2076, H2077, H2281, H2282, H2398, H2401, H2402, H2403, H2409, H3632, H4394, H4469, H4503, H4504, H5066, H5068, H5069, H5071, H5257, H5258, H5261, H5262, H5927, H5928, H5930, H6453, H6944, H6999, H7133, H7311, H8002, H8426, H8548, H8573, H8641, G266, G334, G1049, G1435, G1494, G2378, G2380, G3646, G4376, G5485

कुल्हाड़ा, कुल्हाड़े

ता'अर्रुफ़:

कुल्हाड़ी दरख़्त या लकड़ी काटने का औज़ार है।

  • कुल्हाड़ी में एक लकड़ी का डंडा और लोहा लगा होता है।
  • अगर आप की ज़बान में लकड़ी काटने का एक औज़ार है तो "कुल्हाड़ी" की जगह में उस लफ़्ज़ का इस्ते'माल करें।
  • इस लफ़्ज़ के कई तर्जुमें हो सकते हैं, “पेड़ काटने का औज़ार”, “लकड़ी में लगा हुआ लोहे का सामान”, या “लकड़ी काटने का लंबे डंडे का औज़ार ”
  • पुराने 'अहद नामे की एक वाक़िया है कि कुल्हाड़ी डंडे में से निकल कर पानी में गिर गई थी, लिहाज़ा उसके तर्जुमें से ज़ाहिर है कि कुल्हाड़ी डंडे से निकल कर गिर सकती है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1631, H4621, H7134, G513

कुँवारी, कुवारियों, कुँवारीपन

ता’अर्रुफ़:

कुँवारी, वह ‘औरत होती है जिसने किसी इन्सान के साथ जिस्मानी रिश्ते नहीं बनाए हैं।

  • नबी यसा’याह ने कहा था कि मसीह एक कुँवारी से पैदा होगा
  • मरियम ‘ईसा को रिहम में रख करके भी कुँवारी थी। उसका दुनियावी बाप नहीं था।
  • कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ के लिए एक कुँवारापन लफ़्ज़ हो सकता है। (देखें: अदबी

(यह भी देखें: मसीह, यसा’याह, ‘ईसा , मरियम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाल:

  • 21:09 यसा’याह नबी ने नबूव्वत की थी , कि एक कुँवारी से मसीह की पैदाइश होगी
  • __22:04__वह एक कुँवारी थी जिसकी मंगनी यूसुफ़ नाम के सख़्स के साथ हुई थी |
  • 22:05 मरियम ने फ़रिश्ते से कहा कि, “यह कैसे होगा, मैं तो एक कुँवारी हूँ?”
  • 49:01 एक फ़रिश्ते ने मरियम नाम की एक कुंवारी से कहा कि वह ख़ुदा के बेटे को पैदा करेगी | और जबकि वह एक कुँवारी ही थी, तो उससे एक बेटा पैदा हुआ और उसका नाम ‘ईसा रखा |

शब्दकोश:

  • Strong's: H1330, H1331, H5959, G3932, G3933

क़ुसूर , जुर्मों, बदकार , ख़ताकार लोग

ता’अर्रुफ़:

“क़ुसूर” हमेशा गुनाह का बयान देता है जिसमें मुल्क का क़ानून तोड़ना भी होता है। “बदकार ” या’नी ख़ता करनेवाला।

  • जुर्म अनेक तरह के होते हैं जैसे आदमी का क़त्ल करना या चोरी करना।
  • मुजरिम को पकड़ कर बन्दी बनाया जाता है और क़ैद ख़ाने में रखा जाता है।
  • कलाम-ए-मुक़द्दस के ज़माने में कुछ मुजरिम भगोड़े होते थे। वे जगह-जगह भागते फिरते थे कि उनके जुर्म का बदला लेने वालों से बचे”।

(यह भी देखें: चोर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2154, H2400, H4639, H5771, H7563, H7564, G156, G1462, G2556, G2557, G4467

के साथ रिश्ते थे, प्यार में मस्त होना, साथ सोना, साथ सोता है, के साथ सोया, के साथ सोना

ता’अर्रुफ़:

कलाम में, यह लफ़्ज़ यौन संबन्ध का संदर्भ देने वाले व्यंजना लफ़्ज़ हैं। (देखें: [अलफ़ाज़)

  • ज़ाहिरी "साथ सो जाओ" किसी इन्सान को उस इन्सान के साथ जिस्मानी रिश्ता रखने के लिए बयान करता है। इसका माज़ी है “साथ सोया”
  • पुराने 'अहद नामे की किताब “ग़ज़वलुल ग़ज़लात” में -यू.एल.बी.- में “मुहब्बत” लफ़्ज़ काम में लिया गया है जो जिस्मानी रिश्ते के बारे में है। इसकी इस्लाह,“मुहब्बत ज़ाहिर करना” के मता'अल्लिक़ है

तर्जुमा की सलाह:

  • कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ों को कई तरीक़ों से अलग अलग जुमले हैं जो साबित करते हैं कि शौहर बीवी के बारे में है या और किसी के बारे में यह तय करना ज़रूरी है कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हर एक जुमले में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुनासिब मतलब में हो।
  • जुमले पर मुन्हसिर तर्जुमें के ऐसे जुमले होंगे,“साथ सोना” या "के साथ लेटना" या "प्यार करने के लिए" या "के साथ सोह्बत करना "
  • कई और तर्जुमा के तरीक़े हैं,“साथ रिश्ता बनाना” जिसमें आ सकता है,“साथ ज़िना करना” या“साथ शादी शुदा ता'अल्लुक़ बनाना"
  • “प्यार करना”का तर्जुमा,“मुहब्बत करना” या“जिस्मानी रिश्ता” हो सकता है। या कोई ऐसा जुमला हो सकता है जो कि अलग ज़बान में इसका तर्जुमा करने का एक आसान तरीका है।
  • यह साबित करना ज़रूरी है कि इस ख़्याल का तर्जुमा कलाम के पढने वालों को क़ुबूल हो

(यह भी देखें: जिस्मानी रिश्ते ग़ैर इख़लाक़ी )

किताब-ए-मुक़द्दस: के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H160, H935, H1540, H2181, H2233, H3045, H3212, H6172, H7250, H7901, H7903, G1097

क़ैदी बनाना ,क़ैदी ,क़ब्ज़े में करना ,फ़रेफ़्ता,ग़ुलामी

ता’रीफ़:

क़ैदी बनाना ,और “ग़ुलामी “के मा’नी हैं इन्सानों को ताक़त से क़ैदी बनाना और जहाँ वह नहीं चाहते वहाँ उन्हें रखना जैसे ग़ैर मुल्क में |

  • यहूदिया के इस्राईलियों को बाबुल में 70 साल ग़ुलाम बना कर रखा गया था |
  • ग़ुलाम लोगों को क़ैदी बनाने वाले लोगों या मुल्कों के लिए काम करना पड़ता था |
  • दानीएल और नहमियाह इस्राईली ग़ुलाम थे जो बाबुल के बादशाह की ख़िदमत में थे |

“* क़ैदी बनाना” इन्सानों को ग़ुलामी में ले जाने के लिए एक और ख़ुलासा है |

  • “तुम्हे क़ैदी बना कर ले जायेंगे “का तर्जुमा “तुम्हे ग़ुलाम होकर रहने के लिए मजबूर करेंगे “या “तुम्हे ग़ैर मुल्क में क़ैदी बना कर रखेंगे “किया जा सकता है |
  • तम्सीली शक्ल में पौलूस रसूल ईमानदारों से कहता है कि वह हर ख़्याल को “क़ैदी बनाकर “मसीह का फ़रमाबरदार बना दें |
  • वह यह भी कहता है कि इन्सान गुनाह की “ग़ुलामी में हो जाता है या गुनाह की “क़ैद” में हो जाता है |

तर्जुमें की सलाह

  • मज़मून के मुताबिक़ “ग़ुलाम होकर “लफ़्ज़ का तर्जुमा “आज़ाद होने की इजाज़त नहीं है “या “क़ैद ख़ाने में रखा “या ग़ैर मुल्क में रहने के लिए मजबूर किया “हो सकता है |
  • ग़ुलाम होकर या “ग़ुलामी में”इसका तर्जुमा “ले लिया”या “क़ैद “या “ग़ैर मुल्क में जाने के लिए मजबूर किया “हो सकता है |
  • “क़ैदी” का तर्जुमा जो लोग पकड़े गये” या “ग़ुलाम बनाये गये लोग “भी किया जा सकता है |
  • मज़मून में मुताबिक़ “ग़ुलामी” लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़ैद” या “ग़ुलामी” या “ग़ैर मुल्क में रहने के लिए मजबूर किया” हो सकता है |

(यह भी देखें: बाबुल , ग़ुलामी, क़ैद ख़ाने, क़ैदी बनाना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1123, H1473, H1540, H1546, H1547, H2925, H6808, H7617, H7622, H7628, H7633, H7686, H7870, G161, G162, G163, G164, G2221

कोढ़ी, कोढ़ियों, कोढ़, कोढ़

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़“कोढ़” का ज़िक्र किताब-ए-मुक़द्दस में आया है कि वह कई जिल्दी बीमारियों का हवाला देता है। “कोढ़ी” वह इन्सान है जो कोढ़ में मुब्तिला है, “कोढ़” इन्सान या इन्सान के जिस्म के उस हिस्से का हवाला देता है जहाँ कोढ़ की आलूदगी ज़ाहिर होती है।

  • एक क़िस्म के कोढ़ में जिल्द का रंग उड़ जाता है और वहां सफेद दाग हो जाते हैं जैसे मिर्याम और नामान को था।
  • आज के ज़माने में कोढ़ की वजह से हाथ, पांव और जिस्म के और हिस्से ज़रर होकर बेकार हो जाते हैं।
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को जो हुक्म दिए थे उनके मुताबिक़ अगर किसी इन्सान को कोढ़ हो जाता था तो उसे “नापाक” माना जाता था और उसे दीगर इन्सानों से अलग रहना होता था कि उन्हें बीमारी न हो।
  • कोढ़ी को “नापाक” चिल्लाना पड़ता था कि इन्सानों को उससे दूर रहने की हिदायत मिले।
  • ‘ईसा ने अनेक कोढ़ियों को और दूसरी तरह की बीमारियों में मुब्तिला लोगों को ठीक किया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “कोढ़” का तर्जुमा “जिल्दी बीमारी” या “भयानक ख़ौफ़नाक जिल्दी बीमारी” किया जा सकता है।
  • “कोढ़” का तर्जुमा “कोढ़ में मुब्तिला” या “जिल्दी बीमारी में मुब्तिला” या “जिल्द के घावों से भरा” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: मिरियाम, नामान, साफ़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6879, H6883, G3014, G3015

क़ौम, क़ौमें

ता’अर्रुफ़:

क़ौम एक बड़ी इन्सानी जमा’अत है जो किसी तरह की सरकार के ताबे’ रहती है। एक क़ौम के लोगों के बुज़ुर्ग अक्सर एक ही होते हैं और एक ‘आम क़ौमियत रखते हैं|

  • “क़ौम” ‘आम तौर पर ता’रीफ़ शुदा तहज़ीब और ‘इलाक़ाई हुदूद है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “क़ौम” कोई मुल्क (जैसे मिस्र, इथोपिया) हो सकता है लेकिन ‘आम तौर में लोगों की जमा’अत के बारे में होता है, ख़ास करके जमा’ में हो तब। लिहाज़ा मज़मून पर ध्यान देना ज़रूरी है
  • किताब-ए-मुक़द्दस में जिन क़ौमों का ज़िक्र किया गया है उसमें इस्राईली, फ़िलिश्ती, अश्शूरी, बाबुली, कना’नी, रोमी और यूनानी और दीगर हैं।
  • कभी-कभी “क़ौम” लफ़्ज़ ‘अलामती शक्ल में काम में आया है जो किसी ख़ास क़बीले के बुज़ुर्गों के बारे में है, जैसे रिब्क़ा से ख़ुदा ने कहा था कि उसके पैदा होने वाले बेटे दो “क़ौमें” होंगे जो आपस में लड़ते रहेंगे। इसका तर्जुमा हो सकता है, “दो क़ौमों के रहनुमा” या “दो क़बीलों के बुज़ुर्ग ”।
  • जिस लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़ौम” किया गया है उस लफ़्ज़ का इस्ते’माल कभी-कभी ग़ैरक़ौमों के लिए भी किया जाता है या उन क़बीलों के लिए जो यहोवा की ‘इबादत नहीं करते। मज़मून से इसका मतलब ज़ाहिर हो जाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “क़ौम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़बीलों” या “लोगों ” या “मुल्क” किया जा सकता है।
  • अगर किसी ज़बान में “क़ौम” के लिए इन सब अलफ़ाज़ से अलग कोई लफ़्ज़ है तो किताब-ए-मुक़द्दस में जहां भी यह लफ़्ज़ आता है वहां उस लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जा सकता है, जब तक कि वह हरएक मज़मून में क़ुदरती और सही है।
  • जमा’ लफ़्ज़ “क़ौमों” का भी तर्जुमा “लोगों की जमा’अत” किया जा सकता है।
  • कुछ मज़मूनों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ग़ैर-क़ौम” या “ग़ैर यहूदी” किया जा सकता है।

(यह भी देखें:अश्शूर, बाबुल, कना’न, ग़ैर-क़ौम, यूनानी, लोगों की जमा’अत, फ़िलिश्ती, रोम)

‏## ‏ किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H249, H523, H524, H776, H1471, H3816, H4940, H5971, G246, G1074, G1085, G1484

क़ौम, लोगों, लोग, एक ‘अवाम

ता’अर्रुफ़:

“लोगों” या “क़ौम” या’नी एक ही ज़बान और तहज़ीब के लोग। * “लोग” लफ़्ज़ अक्सर किसी जगह में या किसी ख़ास वारदात पर आदमियों का इकठ्ठा होना।

  • जब ख़ुदा अपने लिए “एक कौम ” को चुन लेता है तो उसका मतलब है कि उसके लिए और उसकी ख़िदमत के लिए ख़ास इन्सानों को चुन लेना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में किसी क़ौम के अफ़राद के बाप दादा एक ही थे और किसी ख़ास जगह में या ज़मीन के हिस्से में रहते थे।
  • मज़मून पर मुनहसिर करके “तेरे लोग” का मतलब हो सकता है, “तेरी क़ौम” या “तेराघराना ” या “तेरेलोग ”।
  • लफ़्ज़“लोगों” ज़मीन के सब लोगो के बारे में है। कभी-कभी इसका बयान ख़ास करके ग़ैर इस्राईलियों या उन लोगों से होता है जो यहोवा की ख़िदमत नहीं करते। कुछ अंग्रजी कलामी मज़हबों में “नेशन्स(क़ौम)” का मक़सद यही है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “क़ौम” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बड़ा क़बीला ” या “क़बीला ” या “नसली ”।
  • “मेरे लोग ” का तर्जुमा हो सकता है, “मेरे चुने लोग ” या “मेरे इस्राईली भाई” या “मेरा घराना ” या “मेरी क़ौम के लोग” लेकिन यह मज़मून पर मुनहसिर करेगा।
  • “ग़ैर क़ौमों में तितर-बितर” का तर्जुमा हो सकता है, “तुम्हें तमाम क़ौमों में रहने पर मजबूर कर दूंगा” या “तुम्हें अलग-अलग करके दुनिया के तमाम ‘इलाकों में भेज दूंगा”।
  • “क़ौम - क़ौम” या “ग़ैर क़ौमें” का तर्जुमा हो सकता है, “दुनिया के सब लोग” या “सब कौमें ” लेकिन मज़मून पर मुनहसिर करके।
  • “एक क़ौम” का तर्जुमा हो सकता है “एक झुण्ड के लोग” या “नसल ” या “घराना ” यह तय करेगा कि वह किसी जगह या आदमी के नाम के पीछे है।
  • “ज़मीन के सब लोगों” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़मीन पर रहने वाला हर एकइन्सान ” या “दुनिया का हर एकआदमी ” या “सब लोग”।
  • “एक ऐसी क़ौम” इसका तर्जुमा हो सकता है, “एकलोगों का झुण्ड ” या “एक ख़ास क़ौम” या “आदमियों का एक झुण्ड ” या “लोगों का घराना ”

(यह भी देखें : बाप दादों, क़ौम, क़बीला, जहान

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 14:02 ख़ुदा ने जो वा’दा इब्राहीम , इसहाक़ और याक़ूब से कियाथा , कि वह वा’दे की ज़मीन उनके बाप दादों को देंगा, लेकिन अब वहाँ बहुत से क़बीले रहते हैं |
  • 21:02 ख़ुदा ने इब्राहीम से वा’दा किया कि दुनिया के सारे __क़बीले __ तेरे ज़रिए’ बरकत पाएँगे | यह बरकत तब पूरी होगी जब मसीह आइन्दा आयेगा | यह फ़ज़ल आने वाला मसीह है जो एक दिन हर क़ौम के लोगों के लिए नजात की राह ‘अता करेगा |
  • 42:08 “पाक कलाम में यह भी लिखा था कि मेरे शागिर्द ‘ऐलान करेंगे कि हर एक को गुनाहों की मु’आफ़ी पाने करने के लिये तोबा करना चाहिए। वे यरूशलीम से इसकी शुरुआत करेंगे और हर जगह सब __कौमों __ में जायेंगे, तुम इन सब बातों के गवाह हो।”
  • 42:10 इसलिये तुम जाओ, सब __ क़ौमों __ को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप , औरबेटे , और रूह-उल-कुद्दूस के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दिए हैं , मानना सिखाओ। "
  • 48:11 क्योंकि इस नये ‘अहद के ज़रिये’ किसी भी __कौम __ का कोई भी आदमी ख़ुदा के चुने हुए लोगों में ‘ईसा पर ईमान करने के ज़रिये’ शामिल हो सकता है।
  • 50:03 उसने कहा, “जाओ और सारे __क़ौमों __ को शागिर्द बनाओ!”, "खेत कटनी के लिए पके खड़े हैं!"

शब्दकोश:

  • Strong's: H249, H523, H524, H776, H1121, H1471, H3816, H5712, H5971, H5972, H6153, G246, G1074, G1085, G1218, G1484, G2560, G2992, G3793

खजूर, खजूरो

ता’अर्रुफ़:

“खजूर”, लम्बा पेड़ जिसके पत्ते और डालियां आसान होती हैं और परों के जैसे दिखाई देती हैं।

  • कलाम में जिस खजूर के पेड़ का बयान किया गया है जिसके फलों को “खजूर” कहते हैं। उसकी पत्तियां परिन्दों के पर जैसी होती हैं।
  • खजूर का पेड़ गर्म नम मौसम में उगता है। उसकी पत्तियां पुरे साल हरी रहती हैं।
  • जब ‘ईसा गधे पर सवार होकर यरूशलीम में दाख़िल हो रहा था तब लोगों ने उनके सामने राह में खजूर की डालियां बिछा दी थी।
  • खजूर की डालियां सुकून और फ़तह का निशान हैं।

(यह भी देखें: गधे, यरूशलीम, \सुकून](../other/peace.md))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3712, H8558, H8560, H8561, G5404

खड़ा करना, उठाना, उठाया, खड़ा होना, उठना, उठा, उठा था

ता’अर्रुफ़:

ज़िन्दा करना, खड़ा करना

उमूमन ज़िन्दा करने असल लफ़्ज़ का मतलब है, “ऊंचा उठाना” या “ऊंचा बनाना”

  • इसका ‘अलामती मतलब है, किसी को ज़वजूदहूर में लाना या ज़ाहिर होना। इसका मतलब यह भी हो सकता है, किसी को किसी काम के लिए मुक़र्रर करना।
  • कभी-कभी इस मूल लफ़्ज़ का मतलब “दुबारा क़ायमकरना” या “दुबारा ता’मीर करना” होता है।
  • “मुर्दों में से जिलाया” इस जुमले में इस असल लफ़्ज़ का मतलब ख़ास है। इसका मतलब है मुर्दे को ज़िन्दा करना।
  • कभी-कभी इस असल लफ़्ज़ का मतलब किसी चीज़ या आदमी को ऊंचा करना है।

उठाना, उठना

“उठाना” या “उठना” का मतलब है, “ऊपर चढ़ना” या “उठ खड़ा होना” लफ़् ज़“जी उठा है” या “जी उठा” या “उठ कर” ये लफ़्ज़ सब माज़ी को ज़ाहिर करता हैं।

  • जब कोई कहीं जाने के लिए उठता है तो उसको कभी-कभी, “वह उठकर गया” या “वह खड़ा होकर गया” के तौर पर ज़ाहिर किया जाता है।
  • अगर कोई बात “उठती” है तो उसका मतलब है कि, वह "होती है" या “उसका होना शरू’ होता है”
  • ‘ईसा ने नबूव्वत की थी कि वह “मुर्दों में से जी उठेगा”। ‏‘‏ईसा की मौत के तीसरे दिन फ़रिश्ते ने कहा था, की “वह जी उठा है”।

तर्जुमे की सलाह:

  • “उठना” या “उठ खड़ा होना” के तर्जुमा “उठाना” या “ऊंचा करना” हो सकते है।
  • “उठाना” का तर्जुमा, “ज़ाहिर करना” या “मुक़र्रर करना” या “वजूद में लाना” हो सकता है।
  • “तेरे दुश्मनों का ज़ोर बढ़ाऊंगा” का तर्जुमा, “तेरे दुश्मनों को ताक़त दूंगा” हो सकता है।
  • “मुर्दों में से जी उठाना” का तर्जुमा “मौत से ज़िन्दगी में ले आना” या “दुबारा ज़िन्दा करना” हो सकता है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “उठाने” का तर्जुमा, “मौजूद करवाना”, “मुक़र्रर करना” या “होना मुमकिन करना” या “ता’मीर करना” या “दुबारा ता’मीर करना” या “सुधारना” हो सकता है।
  • “उठकर गया” इस जुमले का तर्जुमा, “खड़ा होकर गया” या “गया” हो सकता है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “उठा” का तर्जुमा, “शुरू’ किया” या “चल पड़ा” या “खड़ा हुआ” या “खड़ा हो गया” हो सकता है।

(यह भी देखें: क़यामत, मुक़र्रर, बलन्द करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 21:14 नबियों ने यह भी नबूव्वत की कि मसीह मारा जाएगा और ख़ुदा उसे मुर्दों में से जी उठाएगा
  • 41:05 ‘ईसा यहाँ नहीं है, लेकिन अपने कलाम के मुताबिक़ जी उठा है।" वह मुर्दों में से ज़िन्दा हुआ, जैसा उसने कहा था कि वह करेगा|
  • 43:07 अगरचे “‘ईसा की मौत हुई लेकिन उसी को ख़ुदा ने मौत के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया, और यह नबूव्वत की गई थी कि, ‘न तो उसका आलम-ए-अर्वाह में छोड़े गई और न उसका जिस्म सड़ने पाया |’ इसी ‘ईसा को ख़ुदा ने फिर से जिलाया, जिसके हम सब गवाह है |”
  • 44:05 " और तुम ने ज़िन्दगी के मुसन्निफ़ को मार डाला, जिसे ख़ुदा ने मरे हुओ में से जिलाया।"*
  • 44:08 तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “‘ईसा मसीह की क़ुव्वत से यह आदमी तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है | तुमने ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाया, लेकिन ख़ुदा ने मरे हुओं में से जिलाया |”
  • 48:04 इसका मतलब यह हुआ कि, शैतान मसीह को मार देगा, पर ख़ुदा उसे तीसरे दिन फिर ज़िन्दा कर देगा | ‘ईसा शैतान की ताक़त को हमेशा के लिए बर्बाद कर देगा |

49:02 वह पानी पर चला, तूफान को रोक दिया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, बदरूहों को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए क़ाफ़ी हो।

  • 49:12 तुम्हें ईमान करना होगा कि ‘ईसा ख़ुदा का बेटा है, कि वह तुम्हारी जगह सलीब पर क़ुर्बान हुआ, और यह कि ख़ुदा ने उसे फिर मुर्दों में से ज़िन्दा कर दिया

शब्दकोश:

  • Strong's: H2210, H2224, H5549, H5782, H5927, H5975, H6209, H6965, H6966, H6974, H7613, H7721, G305, G386, G393, G450, G1096, G1326, G1453, G1525, G1817, G1825, G1892, G1999, G4891

ख़बर, समाचारों, ख़बर दिया

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “ख़बर सुनाना” का मतलब है हादसों की ख़बर देना, या ज़्यादा तफ़सील पेश करना। ख़बर वह है जो बताया जाता है और तहरीर या ज़ुबानी हो सकता है।

  • “ख़बर” का तर्जुमा, “कहना” या ज़िक्र करना” या “तफ़सील सुनाना” हो सकता है
  • “किसी से न कहना” इस इज़हार का तर्जुमा “इसका ज़िक्र किसी से न करना” या “किसी से इसका बयान न करना” हो सकता है
  • “ख़बर” के तर्जुमा के तरीक़े, “ज़िक्र” या “कहानी” या “तफ़्सीली बयान” मज़मून पर मुनहस्सिर करें।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1681, H1696, H1697, H5046, H7725, H8034, H8052, H8085, H8088, G189, G191, G312, G518, G987, G1225, G1310, G1426, G1834, G2036, G2162, G2163, G3004, G3056, G3140, G3141, G3377

ख़बरदार

ता’अर्रुफ़:

“ख़बरदार” या'नी किसी को मज़बूत ख़बरदार दकरना या समझाना।

  • “ख़बरदार” का 'आमतौर पर मतलब है कि किसी को कोई काम न करने के लिए समझाना।
  • “मसीह की जिस्म में, ईमानदारों को ता'लीम दी गई है कि वह आपस में समझाएं कि गुनाह से बचना है और पाक ज़िन्दगी ज़िन्दगी जीना है।”
  • “ख़बरदार” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “गुनाह नहीं करने के लिए हौसला अफज़ाई करना” या “किसी को गुनाह नही करने की गुज़ारिश करना”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2094, H5749, G3560, G3867, G5537

ख़मीर, ख़मीरी, ख़मीर, ख़मीर बनाना, बेख़मीरी

ता’अर्रुफ़:

"ख़मीर" एक पदार्थ के लिए एकआम लफ़्ज़ है जिसकी वजह रोटी का आटे को वसी'अ और ज़्यादा करना होता है। “ख़मीर” एक ख़ास तरह का ख़मीर होता है।

अंग्रेजी तर्जुमों में ख़मीर का तर्जुमा “यीस्ट” किया गया है। यह ज़्यादातर ख़मीर का तरीक़ा है जिससे आटे में झाग उठते हैं इससे पकाने के पहले आटा फूल जाता है। आटा गूंधते वक़्त उसमें ख़मीर मिलाया जाता है कि वह पूरे आटे में मिलाया जाए।

  • पुराने 'अहद नामे के वक़्त में ख़मीर पैदा करने के लिए आटे को कुछ वक़्त गूंधकर रख दिया जाता था * ख़मीर किए हुए आटे का एक हिस्सा रख दिया जाता था कि नये आटे को ख़मीर करने के काम में आए।
  • मिस्र से निकलते वक़्त इस्राईलियों के पास वक़्त नहीं था कि आटे को ख़मीर होने का इन्तिज़ार करें। जबकि उन्होंने रास्ते के लिए बेख़मीरी रोटियाँ बनाई थी। इस बात की याद में यहूदी हर साल 'ईद के पहले में बेख़मीरी खाया करते थे।
  • कलाम में ख़मीर को गुनाह के 'अलामती तौर में काम लिया गया है कि वह लोगों के पूरी ज़िन्दगी में फैल जाता है और लोगों को भी को भी मुता'अस्सिर करता है।
  • यह झूठी ता'लीम को भी बयान कर सकता है जो हमेशा कई लोगों तक फैलता है और उन्हें मुता'अस्सिर करता है।
  • “ख़मीर” को आम ताऊ में भी काम में लिया जाता है कि ख़ुदा की बादशाही कैसे लोगों से लोगों में फैल जाता है।

तर्जुमा की सलाह

  • इसका तर्जुमा “ख़मीर”या “वह चीज़ जो आटे को फुला देती है” या “फुलानेवाला पदार्थ” किया जा सकता है। * “फुलाना” का तर्जुमा “वसी'अ” या “हिशियार होना” या “फूल जाना” किया जा सकता है।
  • अगर आटे को ख़मीर करने के लिए कोई और मक़ामी चीज़ काम में ली जाती है तो तर्जुमा में उसका इस्ते'माल करें। अगर ज़बान को एक अच्छी तरह से जाना जाता है, आम लफ़्ज़ जिसका मतलब है, "ख़मीर करना," यह इस्ते'माल करने के लिए बेहतर लफ़्ज़ होगा।

(यह भी देखें: मिस्र, ‘ईद, बे ख़मीरी रोटी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H2556, H2557, H4682, H7603, G106, G2219, G2220

खराई

ता’अर्रुफ़:

“मन की खराई” के बारे में सच्चाई और मज़बूत इख़लाक़ी तरीक़ा और सिफ़त से है।

  • खराई का मतलब यह भी है कि जब कोई देख न रहा हो तब भी सच्चाई और मुनासिब काम करना।
  • कलाम के कुछ जुमले जैसे यूसुफ़ और दानिएल ने मन की खराई को ज़ाहिर किया था जब उन्होंने बुराई करना छोड़ दिया और ख़ुदा के हुक्म मानने का फ़ैसला लिया था।
  • अम्साल की किताब में लिखा है कि मालदार और बद या ग़ैर ज़िम्मेदार होने के बदले खरा और मुफ़लिस होना बेहतर है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “खराई” का तर्जुमा, “सच्चाई” या “इख़लाक़ी” या “सच्चा सुलूक” या “क़ाबिल एतमाद , ईमानदारी से काम करना” किया जा सकता है ।

(यह भी देखें: दानिएल, यूसुफ़ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3476, H6664, H6666, H8535, H8537, H8538, H8549, G4587

खा जाना, खा जाता, खा गया, खाना

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “फाड़ खाना” का मतलब जारिहाना तरीक़े से खाना खर्च करना।

  • इस लफ़्ज़ का ‘अलामती मतलब में इस्ते’माल करते हुए पौलुस ईमानदारों से कहता है कि एक दूसरे को फाड़ न खाओ, या’नी अलफ़ाज़ और ‘आमाल के ज़रिए’ एक दूसरे को नुक़सान मत पहुंचाओ। (गला. 5:15)
  • लफ़्ज़ “खाना” को अक्सर “पूरी तरह से तबाह” के मतलब के साथ ‘अलामती तौर पर इस्ते’माल क्या जाता है, जबकि क़ौमों के बारे में बात करते हुए एक दूसरे को खाते हुए या एक आग का ‘इमारत को निगलना या आदमी को|
  • इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, "पूरी तरह से बर्बाद होना" या "पूरी तरह से तबाह होंना।"

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H398, H399, H400, H402, H1104, H1105, H3216, H3615, H3857, H3898, H7462, H7602, G2068, G2666, G2719, G5315

ख़ाक कर देगा, ख़ाक, ख़ाक किया, ख़ाक करती जाएगी

ता’अर्रुफ़:

“ख़ाक करना” (खा जाना) का ख़ास मतलब है, ख़त्म करना इसके बहुत से ‘अलामती इस्ते’माल हैं।

कलाम में "खाए" लफ़्ज़ को हलाक करने के बारे में काम में लिया गया है

  • आग ख़ाक करती है या’नी जलाकर राख कर देती है।
  • ख़ुदा को “ख़ाक करने वाली आग” कहा गया है जो गुनाह के ख़िलाफ़ उसके ग़ज़ब का बयान है। उसका ग़ज़ब तोबा न करने वालों को गुनहगारों को खौफ़नाक सज़ा देता है।
  • खाना खा जाना या’नी किसी खाने वाली चीज़ को खाना-पीना।
  • "ज़मीन को बर्बाद करना" का तर्जुमा "उसको हलाक करना।" हो सकता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • ज़मीन और इन्सानों के बारे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “हलाक ” किया जा सकता है।
  • जब बयान आग का हो तो इसका तर्जुमा “जलाकर राख कर देना” हो सकता है।
  • मूसा ने जिस जलती हुई झाड़ी को देखा था वह "ख़ाक नहीं हो रही थी", इसका तर्जुमा हो सकता है, “जल कर राख नहीं हुई” या “जल कर ख़त्म नहीं हुई”
  • खाने के बारे में "ख़ाक कर देगा" का तर्जुमा हो सकता है, “खाना” या “चट कर जाना”
  • किसी की ताक़त के बारे में "ख़ाक किया" का तर्जुमा हो सकता है, उसकी क़ुव्वत “ख़त्म हो गई” या “धीमी हो गई”।
  • “ख़ुदा ख़ाक करने वाली आग है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा ऐसी आग है जो ख़ाक कर देती है” या “ख़ुदा गुनाह से ग़ुस्सा होकर गुनहगारों को आग की तरह जलाकर राख कर देता है।”

(यह भी देखें: चट कर जाना , ग़ज़ब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H398, H402, H1086, H1104, H1197, H1497, H1846, H2000, H2628, H3615, H3617, H3631, H3857, H4127, H4529, H4743, H5486, H5487, H5595, H6244, H6789, H7332, H7646, H7829, H8046, H8552, G355, G1159, G2618, G2654, G2719, G5315, G5723

ख़ानदान, ख़ानदानों

ता’अर्रुफ़:

“ख़ानदान” लफ़्ज़ ख़ून के रिश्तेदारों की जमा’अत का हवाला देता है, इनमें अक्सर वालिदैन और औलाद शामिल होती हैं| ख़ानदान में और अफ़राद भी होते हैं जैसे दादा-दादी, पोता-पोती, चाचा-चाची वग़ैरह

  • इब्रानी ख़ानदान एक मज़हबी क़बीला था जो परस्तिश और हिदायतों के ज़रिए’ रवायतों को आगे बढ़ाता था।
  • बाप अक्सर ख़ानदान का ख़ास इख़्तियार होता था।
  • ख़ानदान में ख़ादिम, लौंडियाँ और परदेशी भी होते थे।
  • कुछ ज़बानों में वसी’ लफ़्ज़ होते है जैसे “क़बीला” या “ख़ानदान” जो उन मज़मूनों में ज़्यादा ठीक होंगे जहाँ मतलब वालिदैन और औलाद से ज़्यादा अफराद का हो|
  • लफ्ज़ “ख़ानदान” का इस्ते’माल उन लोगों के बारे में बताने के लिए किया जाता हैं जो रूहानी शक्ल से मुता’अल्लिक हैं, जैसे कि लोग जो ख़ुदा के ख़ानदान का हिस्सा हैं क्यूँकि वह ‘ईसा में यक़ीन रखते हैं|

(यह भी देखें: क़बीला, बुज़ुर्ग, घर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1, H251, H272, H504, H1004, H1121, H2233, H2859, H2945, H3187, H4138, H4940, H5387, H5712, G1085, G3614, G3624, G3965

ख़ानदान, ख़ानदानों

ता’अर्रुफ़:

“ख़ानदान” उन सब अफ़राद के बारे में है जो एक घर में रहते हैं, या’नी ख़ानदान के फ़र्द और उनके सभी ग़ुलाम|

  • एक घर के इन्तजाम में नौकरों को हुक्म देने और दौलत की देखभाल भी शामिल है।
  • कभी-कभी ख़ानदान लफ़्ज़ का ‘अलामती मतलब ख़ानदानी नसबनामा भी होता था, ख़ास करके नसल|

(यह भी देखें: ख़ानदान)

किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1004, H5657, G2322, G3609, G3614, G3615, G3616, G3623, G3624

ख़िदमत करना, ग़ुलाम बनाना, ग़ुलामी, पाबंदी में, या क़ाबू में, बन्धन, बाँधा

ता'अर्रुफ़:

किसी को "गुलाम" करने का मतलब है कि उस शख्स को मालिक या हाकिम मुल्क की ख़िदमत करने के लिए मजबूर करना है। “ग़ुलाम बनाया जाना” या “पाबंदी में होना” या’नी किसी बात को या किसी शख्स के क़ाबू में होना।

  • एक शख्स जो ग़ुलाम या ग़ुलामी में है, उसे अदाइगी के बिना दूसरों की ख़िदमत करनी चाहिए; वह जो भी चाहता है वह करने के लिए आज़ादी नहीं है।
  • ‏ ‏* "गुलाम" के लिए भी एक शख्स की आज़ादी को दूर करने का मतलब है।

‏* "‏ग़ुलामी" के लिए एक और लफ्ज़ "ग़ुलामी" है।

  • 'अलामती शक्ल में इंसान गुनाहों के “ग़ुलामी” में है। जब तक कि 'ईसा उन्हें उसके क़ाबू और ताक़त से आज़ाद न कराए।
  • जब कोई शख्स मसीह में नई जिंदगी पाकर वह गुनाह का ग़ुलाम नहीं रहता है, वह रास्तबाज़ी का ग़ुलाम हो जाता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ग़ुलाम बनाने” का तर्जुमा “आज़ाद नहीं रहने देना” या “दोसरों की ख़िदमत करने के लिए मजबूर किया जाना” या “दोसरे किसी के क़ब्ज़े में कर देना”।
  • जुमले में “ग़ुलामी में” का तर्जुमा “ग़ुलाम होने के लिए मजबूर किया जाना” या “ख़िदमत करने के लिए मजबूर” या “किसी के क़ब्ज़े में होना”।

(यह भी देखें: आज़ाद, रास्तबाज़ लोग, ख़ादिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3533, H5647, G1398, G1402, G2615

ख़िदमत करना, ग़ुलाम बनाना, नौकर बना दिया, ख़ादिम, ख़ादिमों, मेरा ग़ुलाम, ग़ुलामों, ख़िदमत करना, ग़ुलामी, लौंडी

ता'अर्रुफ़:

“ख़ादिम” का मतलब “ग़ुलाम” भी हो सकता है और उस आदमी के बारे में है जो किसी और आदमी के लिए काम करनेवाले आदमी से है, अपनी मर्ज़ी से या ताक़त के ज़ोर पर । आस-पास के बाब से साबित हो जाता है कि ग़ुलाम के बारे में कहा जा रहा है या ख़ादिम के बारे में । "ख़िदमत " के लिए लफ़्ज़ ग़ैर लोगों की मदद करने के लिए चीजों को करने का भी मतलब होता है इसका मतलब 'इबादत भी हो सकता है * किताब-ए-मुक़द्दस के वक़्त में ग़ुलाम और ख़ादिम में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं था जैसा आज समझा जाता है। ख़ादिम और ग़ुलाम दोनों ही अपने मालिक के ख़ानदान के बहुत ही ख़ास फ़र्द होते थे और ज़्यादातर ख़ानदान के फ़र्द ही माने जाते थे। कभी-कभी ख़ादिम अपने मालिक के ता ज़िन्दगी अपनी मर्ज़ी से ख़ादिम बनना चाहते थे।

  • ग़ुलाम एक ऐसा ख़ादिम होता था जो अपने मालिक की जायदाद होता था। जो ग़ुलाम को खरीदता था वह उसका “मालिक” कहलाता था। कुछ मालिक अपने ग़ुलामों के साथ बे रहमी सा सुलूक करते थे लेकिन कुछ मालिक अपने ग़ुलामों के साथ बहुत अच्छा सुलूक करते थे जैसे वह ख़ानदान के अहम रुक्न हों।
  • पुराने ज़माने में कुछ लोग किसी को बड़े नुक़सान की वजह से अपनी मर्ज़ी से उसके ग़ुलाम बन जाते थे कि लिया हुआ उधार चुका सकें।
  • मेहमानों की ख़िदमत करने वाले सख्स के बारे में, इस लफ़्ज़ का मतलब "निगरानी" या "खाने की ख़िदमत" या "खाना '’अता करना" है। जब 'ईसा ने शागिर्दों से लोगों को मछली "ख़िदमत" करने के लिए कहा, तो इसका तर्जुमा "बाँटना " या "हाथ से बाहर" या "देना" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • कलाम में बयान एक जुमला “तेरा ग़ुलाम” का इस्ते'माल किसी इख्तियारी आदमी जैसे बादशाह के लिए 'इज़्ज़त को ज़ाहिर करने के लिए किया जाता था। इसका मतलब यह नहीं कि कहने वाला हक़ीक़त में उसका ग़ुलाम था।
  • मज़मून के तौर पर "ख़िदमत" लफ़्ज़ का तर्जुमा "वज़ीर" या "काम करने" या "निगरा" या "’अमल " की शक्ल में भी किया जा सकता है।

‏ ‏* पुराने 'अहद नामे में ख़ुदा के नबियों और उसकी 'इबादत करने वाले लोगों को हमेशा उसका “ग़ुलाम” कहा जाता था।

  • "ख़ुदा की ख़िदमत करना” का तर्जुमा “ख़ुदा की इबादत और फ़रमाबरदारी ” या “ख़ुदा का हुक्म का काम करना” भी हो सकता है।."
  • नए 'अहद नामे में मसीह में ईमान करके ख़ुदा के हुक्म माननेवालों को हमेशा उसके ख़ादिम कहा जाता था।
  • मेज की ख़िदमत” या'नी मेज पर बैठने वालों को खाना देने वाला । आम तौर पर, "खाना बाँटना "
  • लोगों को ख़ुदा के बारे में ता'लीम देने वालों को ख़ुदा और जिन्हें ता'लीम दी जाती है दोनों को ख़ादिम कहा जाता है।
  • पौलुस रसूल ने कुरिन्थ शहर के ईमानदारों को लिखा था कि वेहपुराने 'अहद नामे की "ख़िदमत" कैसे करते थे। इसका बारे मूसा की शरी'अत का अमल बयान करता है। * अब वह नए 'अहद की "ख़िदमत" करते हैं। या'नी सलीब पर 'ईसा की क़ुर्बानी की वजह से 'ईसा के ईमानदार पाक रूह के ज़रिए' ख़ुदा को ख़ुश करने पाक ज़िन्दगी गुज़ारने के लायक़ हो गए हैं।
  • पौलुस उनके ज़रिए' पुराने 'अहद या नए 'अहद की "ख़िदमत" के बारे में ज़िक्र कर रहा था। इसका तर्जुमा हो सकता है, “ ख़िदमत करना” या “हुक्म मानना” या “'इबादत करना”
  • ईमानदार को हमेशा रास्त्बाज़ी के ग़ुलाम ” कहा गया है।यह ख़ुदा के हुक्मों पर 'अमल की बराबरी एक गुलाम के ज़रिए'उसके मालिक के हुक्म फरमाबरदारी के बराबर की गई है।

(यह भी देखें: प्रतिबद्ध, ख़िदमत करना, घराना, मालिक, फ़र्माबरदार, ईमानदार , ख़िदमत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 06:01 जब इब्राहीम बहुत 'उम्र दराज़ था और उसका बेटा, इस्हाक़, जवान हो गया था, इब्राहीम ने अपने ग़ुलामों में से एक को ख़ानदानियों के पास भेजा की वह उसके बेटे इस्हाक़ के लिए एक बीवी ले आये।
  • 08:04 ग़ुलाम__ ताजिरों ने यूसुफ़ को एक __नौकर __ की शक्ल में एक मालदार हुकूमती हाकिम को बेचा।
  • 09:13 "मैं(ख़ुदावन्द) तुझे(मूसा) फ़िर'औन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इस्राईली रिआया को मिस्र के ग़ुलामी से निकाल आए।"
  • 19:10 फिर एलिय्याह ने दु'आ की, “ऐ इब्राहीम , इस्हाक़ और इस्राईल के ख़ुदा यहोवा! आज यह ज़ाहिर कर कि इस्राईल में तू ही ख़ुदावन्द है, और मैं तेरा ग़ुलाम हूँ,
  • 29:03 "जबकि चुकाने को ग़ुलाम के पास कुछ न था, तो उसके मालिक ने कहा, ‘यह (ग़ुलाम) और इसकी बीवी और बच्चे और जो कुछ इसका है सब बेचा जाए, और क़र्ज चुका दिया जाए।’"
  • 35:06 "मेरे बाप के कितने ही मजदूरों को खाने से ज़्यादा रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ।"
  • 47:04 __ लौंडी__ पीछे आकर चिल्लाने लगी, “यह आदमी ख़ुदावन्द ख़ुदा का ख़ादिम है, जो हमें नजात के रास्ते का वाक़ि'आ सुनाता है।”
  • 50:04 ‘ईसा ने यह भी कहा, " ग़ुलाम अपने मालिक से बड़ा नहीं होता"

शब्दकोश:

  • (Serve) H327, H3547, H4929, H4931, H5647, H5656, H5673, H5975, H6213, H6399, H6402, H6440, H6633, H6635, H7272, H8104, H8120, H8199, H8278, H8334, G1247, G1248, G1398, G1402, G1438, G1983, G2064, G2212, G2323, G2999, G3000, G3009, G4337, G4342, G4754, G5087, G5256

ख़िराज

ता’अर्रुफ़:

“ख़िराज”, एक बादशाह के ज़रिए’ दूसरे बादशाह को दिए जानेवाले तोहफ़े जिसका मक़सद होता था, हिफ़ाज़त और दोनों मुल्कों के अच्छे रिश्ते

  • ख़िराज एक अदायगी भी हो सकती है जिसे किसी हाकिम या हुकूमत को लोगों से ज़रूरत होती है,जैसे कि चुंगी या ख़िराज
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में कोई बादशाह या हाकिम किसी और बादशाहत में से होकर सफ़र करता था तो उस मुल्क के बादशाह को ख़िराज देता था कि उस ‘इलाक़े में उसकी हिफ़ाज़त तय की जाए।
  • ख़िराज में पैसों के अलावा खाने की चीज़ें, मसाले, अच्छे लिबास, और सोने जैसी क़ीमती धातुएं भी होती थी।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ , “ख़िराज” का तर्जुमा किया जा सकता है, “सरकारीतोहफ़ा ” या “ख़ास अदाएगी ” या “ज़रूरी अदाएगी ”।

(यह भी देखें: सोना, बादशाह , हाकिम , ख़िराज)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1093, H4060, H4061, H4371, H4503, H4522, H4530, H4853, H6066, H7862, G1323, G2778, G5411

ख़ुद, क़ाबू , ख़ुद को क़ाबू किया , ख़ुद पे क़ाबू

ता'अर्रुफ़:

“ख़ुद” गुनाह से बचने के लिए अपने सुलूक को अपने क़ब्ज़े में रखना।

  • इसका बयान अच्छे सुलूक से है या’नी गुनाह के ख़्यालों, ज़बान और कामों से बचना।
  • ख़ुद रूह-उल-क़ुदुस के ज़रिए' ईमानदारों को दिया गया फल या हुनर है।
  • ख़ुदी रखने वाला आदमी किसी ग़लत काम को करने की ख़्वाहिश से अपने आप को रोक लेता है। ख़ुदावन्द ही लोगों को सब्र 'अता करता है।

(यह भी देखें: फल, रूह-उल-क़ुदुस

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4623, H7307, G192, G193, G1466, G1467, G1468, G4997

खुर, खुरों, टापों

सच्चाई:

ये अलफ़ाज़ कुछ जानवरों के पाँवों के नीचे की शख़्त सतह के बारे में हैं जैसे ऊँट, मवेशी, हिरन, घोड़ा, गधा, सुअर, बैल, भेड़ और बकरी।

  • खुर जानवर के चलने में उसके पांवों का हिफ़ाज़ती कवर होते हैं।
  • कुछ जानवरों के खुर दो हिस्सों में बटें होते हैं और कुछ के नहीं होते।
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि जिन जानवरों के खुर बंटे हों और जो जुगाली करते हैं उनका माँस खाने के लिए पाक है। इसमें मवेशी, भेड़, हिरन और बैल हैं।

(यह भी देखें: नामा’लूम अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: ऊँट, गाय, गधे, बकरी, सुअर, भेड़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6119, H6471, H6536, H6541, H7272

ख़ुशबू

ता’अर्रुफ़:

"ख़ुशबू" के बयान उस ख़ुशबूदार मजमू'आ से है जिसे जलाने पर दिलकश ख़ुशबू उठती है।

  • ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि वह उसके लिए हदिया की तरह ख़ुशबू जलाया करे।
  • यह ख़ास ख़ुशबू ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबिक़ पाँच मख़सूस ख़ुशबूदार मजमू'आ को बराबर मिक़दार में मिलाकर बनाया जाता था। यह ख़ुशबू पाक होती थी इस वजह से इसे दूसरे किसी भी मक़सद के बराबर काम में लेना ग़लत था।
  • "ख़ुशबू की क़ुर्बानगाह" यह क़ुर्बानगाह सिर्फ़ ख़ुशबू जलाने के लिए थी।
  • दिन में चार बार, जब हैकल में दु'आ की जाती थी तब ख़ुशबू जलाना ज़रूरी था। जब-जब सोख़्तनी क़ुर्बानी की जाती थी तब-तब ख़ुशबू भी जलाई जाती थी।
  • ख़ुशबू जलाने का मक़सद था, ख़ुदावन्द के लोगों की दु'आ और 'इबादत उसके धुए के ज़रिए' ख़ुदावन्द तक जाती है।
  • "ख़ुशबू" का तर्जुमा हो सकता है: "ख़ुशबूदार मसालेह" या " ख़ुशबूदार पेड़"

(यह भी देखें: ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह, आतिशी क़ुर्बानी, लोबान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2553, H3828, H4196, H4289, H5208, H6988, H6999, H7002, H7004, H7381, G2368, G2369, G2370, G2379, G3031

ख़ुशी, ख़ुशहाल, ख़ुशी से, ख़ुशी, ख़ुशी से भरा , ख़ुश किया, ख़ुश-एश-ओ-इशरत

ता’अर्रुफ़:

ख़ुशी ख़ुदावन्द से हासिल है ख़ुशी गहरे इत्मिनान का एहसास है | “ख़ुशहाल” या'नी इन्सान जो बहुत ज़्यादा ख़ुश हैं और गहरी ख़ुशी से मा'मूर है।

  • इन्सान ख़ुशहाल तब होता है जब उसे यह महसूस होता है कि जिसका वह तजुर्बा कर रहा है वह बहुत अच्छा है।
  • ख़ुदावन्द इन्सान को सच्ची ख़ुशी 'अता करता है।
  • ख़ुशी ख़ुशग्वार हालातों में हासिल नहीं होती है। ख़ुदावन्द इन्सान की ज़िन्दगी में तमाम परेशानियों में भी ख़ुशी हासिल कर सकता है।
  • कभी-कभी जगहों को भी ख़ुशी की कहते हैं जैसे घर और शहर। इसका मतलब है कि वहाँ रहने वाले लोग ख़ुशहाल हैं।

इसका मतलब है, “ख़ुश" या "ख़ुशी से भरा हुआ |

यह ख़ुदा की इस्लाह ख़ुदा ने किया हैं , जो अच्छी चीज़ों के बारे में बहुत ख़ुश हैं | इसका तर्जुमा हो सकता हैं, "बहुत ख़ुश हो" या "ख़ुशी से भरा हुआ" की शक्ल में भी कर सकते हैं | जब मरियम ने कहा कि मेरी जान ख़ुदा के नजात दहिन्दा में ख़ुश है , इसका मतलब यह था की मेरा नजात दहिन्दा ख़ुदा ने मुझे ख़ुश किया है , मुझे अपने रब से और क्या चाहिए |

तर्जुमा के सलाह :

  • “ख़ुशी” लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ुशी” या “ख़ुशहाली” या “अज़ीम ख़ुशहाली” भी हो सकता है।
  • “ख़ुशहाल रहो” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुश करना” या “रूहानी ख़ुशी होना” या “ख़ुदावन्द की भलाई में रूहानी ख़ुशी होना” जैसे जुमले ।
  • एक ख़ुशहाल इन्सान को “बहुत ख़ुशी या “ख़ुशी हुई ” या “बहुत खुश” कह सकते हैं।
  • “ख़ुश ख़बरी करो” का तर्जुमा हो सकता है, “इस तरह चिल्लाओ कि बहुत ज़्यादा ख़ुशी ज़ाहिर हो।”
  • “ख़ुशहाल शहर” या “ख़ुशहाल घर” का तर्जुमा हो सकता है “वह शहर जिसमें ख़ुशहाल लोग रहते हैं” या “ख़ुशहाल लोगों से भरा घर” या “जिस शहर के लोग बहुत ख़ुश हैं।” (देखें:मो’तबर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 33:07 “वैसे ही जो पथरीली ज़मीन पर बोए जाते है, यह वह है जो कलाम को सुनकर फ़ौरन ख़ुशी से क़ुबूल कर लेते है।”
  • 34:04 “आसमान की बादशाही खेत में छिपे हुए माल की तरह है, जिसे किसी शख़्स ने छिपाया। एक दूसरे शख़्स को वह माल मिला और उसने भी उसे वापस छिपा दिया। वह बहुत ख़ुशी से भर गया और जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया।”
  • 41:07 वह 'औरत खौफ़ और बड़ी ख़ुशी से भर गई। वह शागिर्दों को यह ख़ुशी की ख़बर देने के लिये दौड़ गई।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1523, H1524, H1525, H1750, H2302, H2304, H2305, H2654, H2898, H4885, H5937, H5938, H5947, H5965, H5970, H6342, H6670, H7440, H7442, H7444, H7445, H7797, H7832, H8055, H8056, H8057, H8342, H8643, G20, G21, G2165, G2167, G2620, G2744, G2745, G3685, G4640, G4796, G4913, G5463, G5479

ख़ुशी, ख़ुशियाँ, ख़ुश हुआ, मसर्रत

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुश होना” ऐसी चीज़ है जो किसी को बहुत ख़ुश करती है या बहुत ख़ुशी का सबब बनती है|

  • “ में ख़ुश होना” का कुछ मतलब “में लुत्फ़ लेना” या “के बारे में खुश होना”
  • जब कोई बात बहुत मुत्तफ़िक़ हो या दिलकश हो तो उसे “ख़ुशी” कहते हैं।
  • जब कोई शख़्स किसी बात में ख़ुश होता है तो इसे “मसर्रत” कहते हैं|
  • अलफ़ाज़ “मेरी ख़ुशी यहोवा की शरी’अत में है ” इसका तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा की शरी’अत मुझे बहुत ख़ुशी ‘अता करती है”, या “मैं ख़ुदा के क़वानीन का ‘अमल करने से ख़ुश होता हूँ” या “यहोवा के हुक्मों का ‘अमल करके मुझे ख़ुशी हासिल होती है।”
  • जुमले “ख़ुशी नहीं मिलती है” और “में ख़ुशी नहीं है” इनका तर्जुमा हो सकता है, “हरगिज़ ख़ुशी नहीं” या “के बारे में ख़ुशी नहीं।”
  • जुमले “में अपने आप ख़ुश रहना” या’नी “वह ख़ुशी हासिल करता है” या “वह इसके बारे में बहुत खुश है” सभी या कोई एक।
  • लफ़्ज़ "ख़ुशी" उन चीज़ों का हवाला देता है जो एक ख़ुशी हासिल करता है| इसका तर्जुमा “मसर्रत” या “चीज़ें जो खुशी देती हैं ” के तौर पर किया जा सकता है।
  • इज़हार जैसे “मुझे तेरी ख़्वाहिश से ख़ुशी है ”, इसका तर्जुमा हो सकता है, “मुझे ख़ुशी होती है तेरी ख़्वाहिश से” या “जब मैं तेरी फरमाबरदारी करता हूँ, तब मुझे बहुत ख़ुशी होती है|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1523, H2530, H2531, H2532, H2654, H2655, H2656, H2836, H4574, H5276, H5727, H5730, H6026, H6027, H7306, H7381, H7521, H7522, H8057, H8173, H8191, H8588, H8597

ख़ून बहाना

ता'अर्रुफ़:

“ख़ून बहाने” का मतलब है क़त्ल, जंग या और किसी तशदुद की तरफ़ से इंसानों का क़त्ल ।

  • इस लफ्ज़ का सही मतलब है, “ख़ून बहाना” जो इस बात बताता हैं इन्सानके जिस्म से ख़ून का गहरे घाव से निकल जाना|
  • “ख़ून बहाने” को हमेशा इंसानों के क़त्ल करने के लिए काम में लिया जाता है।
  • इसका इस्ते'माल 'आम तौर पर क़त्ल के गुनाह के लिए भी किया जाता है।

तर्जुमा की सलाह :

  • “ख़ून बहाने” का तर्जुमा किया जा सकता है, “इंसानों के क़त्ल ” या “कई इंसानों को क़त्ल किया गया ”।
  • “ख़ून बहाने की”तरफ़ से तर्जुमा “इंसानों को क़त्ल करने के ज़रिए’ ”
  • “मा'सूमों का ख़ून बहाने” का तर्जुमा “मा'सूमों को क़त्ल करना” हो सकता है।
  • “क़त्ल के बा'द क़त्ल” का तर्जुमा हो सकता है, “वह इंसानों को मारते रहे” या “इंसानों को क़त्ल करने का लगा तार सिल्सिला चलता रहता है”, या “उन्होंने कई लोगों को क़त्ल किया किया और कर रहे हैं”, या “आदमी इंसानों को क़त्ल करते रहते हैं”।
  • एक और 'अलामती इस्ते'माल है, “मौत तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगी” का तर्जुमा हो सकता है, “तुम्हारे लोगों का क़त्ल होता रहेगा” या “तुम्हारे लोग मारे जाते रहेंगे” या “तुम्हारे लोग क़ौम-क़ौमो से जंग करते हुए मरते रहेंगे”।

(यह भी देखें:ख़ून ज़बह करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1818, G2210

ख़ेमा-ए-इज्तिमा’

सच्चाई:

लफ़्ज़ " ख़ेमा-ए-इज्तिमा’" एक ख़ेमे का हवाला देता है जो एक ग़ैर मुक़र्रर जगह थी जहां घर के सामने ख़ुदा ने मूसा से मुलाकात की थी।

  • ख़ुरूज की किताब में लिखा है कि ख़ेमा-ए-इज्तिमा’ इस्राईलियों की छावनी से बाहर था।
  • जब मूसा ख़ेमा-ए-इज्तिमा’ में ख़ुदा से मुलाकात करने जाता था तब बादलों का एक सुतून वहां हाज़िर होकर ख़ुदा की हुज़ूरी को ज़ाहिर करता था।
  • जब इस्राईलियों ने ख़ुदा के रहने के घर को बनाया, तो मुक़र्रर ख़ेमे की ज़रूरत नहीं थी और घर के बारे में " ख़ेमा-ए-इज्तिमा’" कभी-कभी इस्ते’माल किया जाता था।

(यह भी देखें: इस्राईल, मूसा, खंभा, ख़ेमा-ए-इज्तिमा’, ख़ेमा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 13:08 ख़ुदा ने इस्राईलियों को ख़ेमा बनाने का तफ़सीली तज़किरह दिया | यह __ ख़ेमा-ए-इज्तिमा’__ कहलाता था, और इसमें दो कमरे थे, जिन्हें एक बड़ा परदा अलग कर रहा था |
  • 13:09 जो कोई भी खुदा की शरी’अत की नाफ़रमानी करता है, वह __ ख़ेमा-ए-इज्तिमा’__ के सामने क़ुर्बानगाह पर ख़ुदा के लिये जानवर की क़ुर्बानी पेश करेगा
  • 14:08 ख़ुदा बहुत ग़ुस्सा था , और ख़ुदा का जलाल __ ख़ेमा-ए-इज्तिमा’__ में सब इस्राईलियों पर रोशन हुआ |
  • __18:02अब लोग __ ख़ेमा-ए-इज्तिमा’ की जगह पर उस घर में ख़ुदा की इबादत करते और क़ुर्बानी पेश करते थे |

शब्दकोश:

  • Strong's: H168, H4150

ख़ेमा, ख़ेमों, ख़ेमा बनाने वाला

ता’अर्रुफ़:

ख़ेमा एक बा आसानी ले जाने के क़ाबिल होता है जो खम्भों पर लगाया जाता है।

  • ख़ेमा छोटा हो सकता है, कुछ लोगों के लिए सोने की मुनासिब जगह के साथ, या वे बहुत बड़े हो सकते हैं, एक पूरे घराने के सोने, पकाने और रहने के लिए हो।
  • कुछ लोगों के लिए ख़ेमा मुक़र्रर जगह है। मिसाल के लिए, ज़्यादातर वक़्त में इब्राहीम का घराना कना’न मुल्क में रहता था, वे बकरियों के बाल के बड़े कपड़े से बने बड़े ख़ेमों में रहते थे।
  • सीनै के जंगल में चालीस साल विचरण करते वक़्त इस्राईली ख़ेमों में रहते थे।
  • ख़ुदा के रहने का ख़ेमा एक बड़ा तम्बू था जिसमें कपड़े के मोटे पर्दे दीवारों का काम करते थे।
  • जब पौलुस रसूल ने ख़ुशखबरी फ़ैलाने के लिए तमाम शहरों का सफ़र किया , तो उन्होंने ख़ेमे बनाकर ख़ुद की परवरिश किया।
  • “ख़ेमा ” लफ़्ज़ तमसीली शक्ल में इन्सानों के रहने की जगह है। यहां ख़ेमे का तर्जुमा “घर” या “रहना ” या “मकान ” किया जा सकता है। (देखें:

(यह भी देखें :इब्राहीम , कना’न, परदा, पौलुस, सीनै, सुलह का ख़ेमा , मिलापवाला ख़ेमा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H167, H168, H2583, H3407, H6898

खैरात

ता’अर्रुफ़:

खैरात , या'नी ग़रीबों की मदद के लिए पैसा, खाना और तमाम चीज़ें देना।

  • खैरात करना ज़्यादातर रास्तबाज़ी के लिए हे मज़हब की ज़रूरी होता था।

ईसा,ने कहा कि खैरात देना लोगों को दिखाने के लिए नहीं होना है*

  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा , पैसा, या ग़रीबों को देना , या ग़रीबों की मदद , हो सकता है‏

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G1654

ख़ौफ़, ख़ौफ़, ख़ौफ़ज़दा, डरते हुए, डरा हुआ, ख़ौफ़नाक

ता’अर्रुफ़:

“ख़ौफ़” का हवाला डरावना और डर के अहसास से है। जिस इन्सान को डर से कंपकंपी हो रही हो उसे डरा हुआ कहते हैं।

“ख़ौफ़” सिर्फ़ डर से ज़्यादा ज़ोरदार होता है।

  • ‘आम तौर पर जब कोई डरा हुआ है तो वह भी झटके में या हैरान है|

(यह भी देखें: ख़ौफ़, डर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H367, H1091, H1763, H2152, H2189, H4032, H4923, H5892, H6343, H6427, H7588, H8047, H8074, H8175, H8178, H8186

ख़ौफ़, ख़ौफ़नाक

ता'अर्रुफ़:

“ख़ौफ़” लफ़्ज़ किसी बड़े , ताक़तवर और डरावनी बात को देखकर हैरान और बड़ी 'इज़्ज़त के जज़्बात के बारे में है।

  • “ख़ौफ़” लफ़्ज़ किसी आदमी या चीज़ के ज़रिए' ख़ौफ़ पैदा करने के बारे में है।

हिज़कीएल नबी ने ख़ुदा के जलाल का ख़्वाब देखा जो “ख़ौफ़नाक” या “डरावना ख़ौफ़” का था।

  • ख़ुदा की मौजूदगी के लिए ख़ौफ़ के लफ़्ज़ हैं, डरना, सिजदा करना या घुटने टेकना, मुंह छिपाना और कांपना।

(यह भी देखें: ख़ौफ़, जलाल )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H366, H1481, H3372, H6206, H7227, G2124

ख़ौफ़, डराएँगे, दहशत, डर , डराएँ, घबरा गए, ख़ौफ़नाक

ता’अर्रुफ़:

  • “ख़ौफ़” लफ़्ज़ बहुत डर को ज़ाहिर करता है। किसी को “डराना” या’नी उसे ख़ौफ़ज़दा करना।

  • “ख़ौफ़” किसी चीज़ या इन्सान के ज़रिए’ पैदा डर भी होता है। ख़ौफ़ की एक मिसाल हमलावर दुश्मन फ़ौज या वबा या बीमारी है जो फैलती है, कई लोगों का क़त्ल कर सकता है।

  • इन ख़ौफ़ों को " ख़ौफ़ नाक " की शक्ल में बयान किया जा सकता है। इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “दर की वजह ” या “दहशत -पैदा करना ”

  • ख़ुदा की ‘अदालत एक दिन तोबा न करने वाले इन्सानों में जो उसके फ़ज़ल को नामंज़ूर करते हैं, डर पैदा करेगा।

  • “यहोवा काडर ” का तर्जुमा “यहोवा की ख़ौफ़नाक हुज़ूरी ” या “यहोवा की ख़ौफ़नाक’अदालत ” या “जब यहोवा बहुत डर पैदा करता है।” हो सकता है।

  • दहशत का तर्जुमा करने के तरीके में "बहुत ज़्यादा डर " या "गहरा डर " शामिल हो सकता है।

(यह भी देखें: दुशमन , खौफ़, इन्साफ़, महामारी, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे मे:

शब्दकोश:

  • Strong's: H367, H926, H928, H1091, H1161, H1204, H1763, H2111, H2189, H2283, H2731, H2847, H2851, H2865, H3372, H3707, H4032, H4048, H4172, H4288, H4637, H6184, H6206, H6343, H6973, H8541, G1629, G1630, G2258, G4422, G4426, G5401

ख़्वाब

ता’अर्रुफ़:

ख़्वाब वह है जो इन्सान सोते वक़्त अपने ज़हन में देखता या मससूस करता है।

  • ख़्वाब अक्सर हक़ीक़त लगते हैं, जबकि वे होते नहीं हैं।
  • कभी-कभी ख़ुदा ख़्वाबों में लोगों को किसी चीज़ के बारे में ख़्वाब दिखाता है ताकि वह इससे सीखें। वह लोगों से ख़्वाबों में सीधे बात करता है|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा ने कुछ लोगों को ख़ास ख़्वाबों के ज़रिए’ अक्सर मुस्तक़बिल में होने वाली वाक़ि’आत की ख़बर दी|
  • ख़्वाब रोया से अलग होता है। ख़्वाब इन्सान को नींद में दिखाई देते हैं लेकिन रोया जागने की हालत में दिखाई देते हैं।

(यह भी देखें: ख़्वाब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 08:02 यूसुफ़ के भाई उससे नफ़रत रखते थे क्योंकि जब यूसुफ़ के भाइयो ने देखा कि हमारा बाप हम सबसे ज़्यादा उसी से मुहब्बत रखता है, और यूसुफ़ ने ख़्वाब में देखा था कि वह अपने भाइयो पर बादशाही करेगा।
  • 08:06 एक रात को मिस्र के बादशाह ने, जिसे फ़िर’औन कहते है उसने रात में दो ख़्वाब देखे जो उसे मुसलसल परेशान कर रहे थे। जो __ ख़्वाब __ उसने देखा उसका फल बताने वाला कोई भी नहीं है।
  • 08:07 ख़ुदा ने यूसुफ़ को यह सलाहियत दी थी कि वह __ ख़्वाब __ का मतलब समझ सके, इसलिये फ़िर’औन ने यूसुफ़ को क़ैदख़ाने से बुलवा भेजा। यूसुफ़ ने उसके लिये __ ख़्वाब __ की तफ़सील की और कहा कि “ख़ुदा सात साल तो कसरत की पैदावार करेगा, और उनके बा’द सात साल अकाल के आयेंगे।”
  • 16:11 उसी रात जब गिदोन मिद्यानियों के डेरे में आया तब एक मिद्यानी सिपाही अपने साथी से अपना __ ख़्वाब __ कह रहा था। उस शख़्स के साथी ने कहा,, “इस ख़्वाब का मतलब यह हुआ कि गिदोन की सेना हरा देंगी मिद्यानियों की फ़ौज को।”
  • 23:01 उसने (यूसुफ़) ने उसको बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से छोड़ देने का ख़याल किया। इससे पहले कि वह कुछ कर पाता कि ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसे __ ख़्वाब __ में दिखाई दिया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1957, H2472, H2492, H2493, G1797, G1798, G3677

ख़्वाब, ख़्वाबो, ख़्वाबों में

सच्चाई:

“ख़्वाब” का मतलब है, इंसान के ज़रिए’ कुछ देखना। इसका बयान ख़ास तौर से नामुमकिन या क़ुदरती काम से है जो ख़ुदा अपने पैग़ाम के लिए इन्सानों को दिखाता है।

  • ख़्वाबइन्सान की जागने की हालत में देखे जाते हैं। मगर नींद में भी इन्सान को ख़्वाबदिखाई देते हैं।
  • ख़ुदा इन्सान को ख़्वाबदिखाता है कि उन पर कोई ख़ास बात ज़ाहिर करे। मसलन , पतरस को ख़्वाबदिखाया गया जिसका मक़सद था कि उसे ग़ैर क़ौमों को ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए क़ुबूल करना सिखाए।

तर्जुमे की सलाह:

  • जुमला "एक ख़्वाबदेखा" का तर्जुमा किया जा सकता है "ख़ुदा से नामुमकिन कुछ देखा" या "ख़ुदा ने उसे कुछ खास दिखाया।"
  • कुछ ज़बानों में "निगाह " और "ख़्वाब" के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ नहीं होंगे। तो "दानीएल के मन में ख़्वाबऔर रोया थे" जुमले का तर्जुमा "दानीएल सोते हुए ख़्वाबदेख रहा था और ख़ुदा ने उसे अनोखी चीज़ों को दिखाया। "

(यह भी देखें: ख्व़ाब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2376, H2377, H2378, H2380, H2384, H4236, H4758, H4759, H7203, H7723, H8602, G3701, G3705, G3706

ख़्वाहिश, ख़्वाहिश, ख़्वाहिश की, ख़्वाहिश करना, ख़्वाहिशमन्द

ता’अर्रुफ़:

ख़्वाहिश, अक्सर गुनाह या ग़ैर-इख़लाक़ी बात की गहरी ख़्वाहिश को कहते हैं। ख़्वाहिश का मतलब है लालच करना।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “लालच” अपने शरीक-ए-हयात के ‘अलावा किसी और के लिए ज़िनाकारी की ख़्वाहिश को कहा गया है।
  • कभी-कभी इस लफ़्ज़ को ‘अलामती तौर पर काम में लिया गया है, बुतपरस्ती के लिए।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “ख़्वाहिश” का तर्जुमा “नाजायज़ ख़्वाहिश” या “गहरी ख़्वाहिश” या “नाजायज़ जिस्मानी ख़्वाहिश” या “पुरज़ोर ग़ैर-इख़लाक़ी ख़्वाहिश” या “गुनाह करने की पुरज़ोर ख़्वाहिश” किया जा सकता है।
  • “का लालच करना” का तर्जुमा हो सकता है, “ग़लत ख़्वाहिश रखना” या “के बारे में ग़लत ख़्वाहिश करना” या “किसी बात की ग़लत ख़्वाहिश करना” या “ग़ैर-इख़लाक़ी ख़्वाहिशें।”

(यह भी देखें: ज़िनाकार, झूठे मा’बूद)

‏## ‏किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H183, H185, H310, H1730, H2181, H2183, H2530, H5178, H5375, H5689, H5691, H5869, H7843, H8307, H8378, G766, G1937, G1938, G1939, G1971, G2237, G3715, G3806

ग़ज़ब, ग़ुस्सा होना, ग़ज़बनाक होना, ग़ज़ब भड़काता

सच्चाई:

“ग़ुस्सा” ग़ज़ब है क़ाबू से बाहर है। जब किसी के ग़ज़ब का हवाला दिया जाए तो इसका मतलब है कि वह इन्सान ख़ौफ़नाक ग़ुस्सा में है।

  • ग़ुस्सा में मुब्तिला इन्सान जब क़ाबू खो बैठता है तो उसे ग़ज़ब कहते हैं।
  • ग़ुस्से के क़ाबू में इन्सान ख़तरनाक और और बातें करते हैं।
  • “ग़ज़ब” लफ़्ज़ ताक़तवर रद्द-ए-‘अमल जैसे आंधी का “ग़ज़ब” या समंदरी लहरों का “ग़ज़ब” का हवाला भी देता है।
  • जब “क़ौमों का ग़ज़ब” मतलब है कि बेदीन लोगों के ज़रिए’ ख़ुदा की नाफ़रमानी और उसके ख़िलाफ़ बग़ावत करना।
  • “ग़ुस्सा से भर जाना” का मतलब बहुत ज़्यादा ग़ुस्से का अहसास होना।

(यह भी देखें: ग़ुस्सा, ख़ुद पर-क़ाबू)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H398, H1348, H1984, H1993, H2121, H2195, H2196, H2197, H2534, H2734, H2740, H3491, H3820, H5590, H5678, H7264, H7265, H7266, H7267, H7283, H7857, G1693, G2830, G3710, G5433

गड्ढा, गड्ढे, फंदों

ता’अर्रुफ़:

गड्ढा ज़मीन में खोदा गया गड्ढा होता है।

  • ज़मीन में गड्ढा खोदने के दो वजह ख़ास थे, जानवरों को फंसाना या पानी निकालना।
  • गड्ढा क़ैदी को रखने का न मुकम्मल जगह भी होता है।
  • कभी-कभी “गड्ढा” लफ़्ज़ क़ब्र या दोज़ख़ के लिए भी काम में लिया गया है। कभी-कभी इसका बयान “गहरे -कुएं ” से भी है।
  • बहुत गहरे गड्ढे को “हौज” भी कहा गया है।
  • “गड्ढा” लफ़्ज़ मिसालों में भी काम आया है जैसे “हलाकत कागढ्ढा ” जिसका मतलब है हलाकत वाले हालात में फंसना या गुनाह के मिटने वाले मशक में पड़ जाना।

(यह भी देखें: गहरा कुआँ, दोज़ख़, क़ैद खाना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H875, H953, H1356, H1360, H1475, H2352, H4087, H4113, H4379, H6354, H7585, H7745, H7816, H7825, H7845, H7882, G12, G999, G5421

गढ़, गढ़ों, क़िला' क़िले’, क़िलों’, क़िले’

ता'अर्रुफ़:

“गढ़” यह वह जगह है जो दुश्मनों की फ़ौज के हमले में महफ़ूज़ होता है और आसानी से हिफ़ाज़त की जा सकती है। लफ़्ज़ "गढ़वाले" एक शहर या दूसरी जगह का बयान करता है जिसे हमले से महफ़ूज़ बनाया गया है।

  • अक्सर, क़िले’ और क़िले’की महफ़ूज़ दीवारें इन्सान के ज़रिए' बनाई गईं थीं। वह आम तौर से महफ़ूज़ करने के साथ भी हो सकते थे जैसे चट्टानी चट्टान या ऊँचे पहाड़ों ।
  • लोगों ने मोटी दीवारों या दूसरे ढाँचे को ता'मीर कर के बनाए क़िले’- वह क़िले’, जिससे दुश्मन के ज़रिए' से तोड़ना मुश्किल हो गया।
  • “क़िले’” या “मजबूत क़िले’” का तर्जुमा हो सकता है “मज़बूत हिफ़ाज़ती जगह ” या “हिफ़ाज़त के लिए मज़बूत जगह ”।
  • लफ़्ज़ लफ़्ज़ "गढ़वाले शहर" का तर्जुमा " महफ़ूज़ शक्ल से महफ़ूज़ शहर" या "मज़बूत बनाया हुआ शहर" की शक्ल में भी किया जा सकता है।

यह लफ़्ज़ को 'अलामती शक्ल में ख़ुदा के लिए भी काम में लिया गया हैं, ख़ुदा उसमें ईमान करनेवालों के लिए पनाहगाह या क़िला' है। (देखें: मिसाल)

  • लफ़्ज़ "क़िले" के लिए एक और 'अलामती मतलब जिसका मतलब है कि किसी को ग़लत हिफ़ाज़त के लिए भरोसा किया गया, जैसे कि एक झूठे मा'बूद या दूसरी चीज जो कि यहोवा के 'अलावह 'इबादत की गई थी । इसे "झूठे क़िले " की शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है।
  • इस लफ़्ज़ को "पनाह" से अलग तरह का तर्जुमा किया जाना चाहिए, जो कि मज़बूत होने की मुक़ाबले से ज़्यादा हिफ़ाज़त पर ज़ोर देती है।

(यह भी देखें:झूठे मा’बूद , बुत , पनाह, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H490, H553, H759, H1001, H1002, H1003, H1219, H1225, H2388, H4013, H4026, H4581, H4526, H4679, H4685, H4686, H4692, H4693, H4694, H4869, H5794, H5797, H5800, H6438, H6696, H6877, H7682, G3794, G3925

गधा, खच्चर

ता’अर्रुफ़:

गधा एक काम करने वाला चौपाया जानवर है, घोड़े जैसा, लेकिन छोटा से होता है और कान ज़्यादा लंबे होते हैं।

  • खच्चर घोड़ी और गधे का बच्चा होता है वह मुखन्नस होता है।
  • खच्चर ताक़तवर जानवर है इसलिए उसे ज़्यादा काम का माना जाता है।
  • खच्चर और गधा दोनों इन्सान और माल को ढोने में काम में आता है।
  • किताब-इ-मुक़द्दस के ज़माने में, बादशाह अमन के वक़्त गधे की सवारी करते थे, न कि घोड़े की, जो जंग में काम आता था।
  • ‘ईसा अपने मस्लूब होने से एक हफ्ता पहले एक जवान गधे पर बैठकर यरूशलीम में आया था।

(यह भी देखें: अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H860, H2543, H3222, H5895, H6167, H6501, H6505, H6506, H7409, G3678, G3688, G5268

गन्धक, गन्धक

ता'अर्रुफ़:

“गन्धक” एक पीले रंग का पदार्थ होता है जो आग में जलने के बा'द जलने वाला तेल पदार्थ हो जाता है।

  • गन्धक की भी एक बहुत मजबूत गंध है जो सड़े हुए अंडे की गंध की तरह है।
  • कलाम में जलता हुआ गंधक बे'एतक़ादी और मुख़ालिफ़ लोगों के लिए सज़ा की 'अलामत है।
  • लूत के वक़्त मैं ख़ुदा ने सदूम और अमूरा के बद किरदार शहरों पर आग और गन्धक बरसाया था।
  • कुछ अंग्रेजी कलाम के तर्जुमों में गन्धक को “जलता हुआ पत्थर” कहा गया है जिसका लफ़्ज़ी मतलब है "जलता हुआ पत्थर।"

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का मुनासिब तर्जुमा हो सकता है, “पीला पत्थर जो आग पकड़ता है” या “जलनेवाला पीला पत्थर”।

(यह भी देखें: अमूरा, इन्साफ़ करना, लूत, बग़ावत करना, सदूम, बे'एतक़ादी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1614, G2303

ग़लत, ग़लतियाँ, ग़लत करना, ग़लत तरीके से, ग़लत तरीके से, ग़लत करनेवाले, ग़लत, ज़ुल्म करना , सितम करना , सताया हुआ, दर्द, चोट पहुँचाना, दर्दनाक

ता’अर्रुफ़:

“ग़लत” करने का मतलब है उसके साथ ना इन्साफ़ी करना या बुरा बर्ताव करना।

  • लफ़्ज़ ""; का मतलब है किसी आदमी पर बुरी और बेअदबी से सुलूक करना, उस आदमी को जिस्मानी या जज़्बाती ठेस पहुंचाना।
  • लफ़्ज़ "चोट"; ज़्यादा आम है और इसका मतलब है "किसी को किसी तरह नुक़सान पहुंचाना।" इसका अक्सर "जिस्मानी चोट" का मतलब होता है।
  • बयान के मुताबिक़, इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा "ग़लत करना" या "ना इन्साफी का सुलूक "; या "नुक़सान पहुँचाना" या "नुकसानदायक तरीके से बर्ताव करना" या "चोट पहुँचाना" की शक्ल में किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H816, H2248, H2250, H2255, H2257, H2398, H2554, H2555, H3238, H3637, H4834, H5062, H5142, H5230, H5627, H5753, H5766, H5791, H5792, H5916, H6031, H6087, H6127, H6231, H6485, H6565, H6586, H7451, H7489, H7563, H7665, H7667, H7686, H8133, H8267, H8295, G91, G92, G93, G95, G264, G824, G983, G984, G1536, G1626, G1651, G1727, G1908, G2556, G2558, G2559, G2607, G3076, G3077, G3762, G4122, G5195, G5196

गहरा गड्ढ़े, अथाह गड्ढ़े

ता’अर्रुफ़:

“गहरे गड्ढ़े , एक बहुत गहरे गड्ढ़े के बारे में बताता है |।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में, “गहरे गड्ढ़े” सज़ा की जगह है |
  • मिसाल के तौर पर, ईसा ने एक बदरूह वाले आदमी से बदरूहों को निकाला तो उन्होंने ईसा से मिन्नत की कि उन्हें गहरे गड्ढ़े में न डालें |

“गहरे गड्ढ़े का तर्जुमा गेहरे गड्ढ़े या वह खाई जिसकी कोई इन्तेहा न हो किया जा सकता है|।

  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा बे इन्तिहा गेहराई या दोज़ख़ से अलग होना चाहिए |।

यह भी देखें: बे इन्तिहा गेहराई , दोज़ख़, सज़ा देना

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G12, G5421

गाय, गायें, बैल, बैलों, बछड़ा, बछड़ों, जानवरों, बछिया, बैल, बैलों

ता’अर्रुफ़:

“जानवरों ” का बयान एक बड़े चार पैर वाले जानवर से है जो घास खाता है और गोश्त और दूध के लिए पाला जाता है।

  • ऐसे जानवर की मादा को गाय कहते हैं और नर को बैल और उसके बच्चे को बछड़ा कहते हैं।
  • कभी-कभी गाय लफ़्ज़ को आम तौर सब मवेशियों के लिए काम में लिया गया है। * कुछ तहज़ीब में सामान लेने के बदले में मवेशी दिए जाते थे।

बछिया वह गाय होती थी जिसने बच्चा न दिया हो।

“बैल” एक चौपाया जानवर है जिसे खेती के काम के लिए तरबियत दी जाती है। इस लफ़्ज़ का जमा’है “बैलों” बैल नर हैं और बधिया किया गया है।

  • पूरे कलाम में बैल जूए में या गाड़ी में या हल में जोते जाते दिखाए गए हैं।
  • जूए में जुते हुए बैलों में एक ऐसी आम बात थी कि “जूए में जुतना” कठिन काम या मेहनत की मिसाल हो गयी ।
  • सांड भी नर गाय है लेकिन उसको खस्सी नहीं किया जाता है और न ही उससे काम कराया जाता है।

(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: जुआ)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H47, H441, H504, H929, H1165, H1241, H1241, H1241, H4399, H4735, H4806, H5695, H5697, H5697, H6499, H6499, H6510, H6510, H6629, H7214, H7716, H7794, H7794, H7921, H8377, H8377, H8450, H8450, G1016, G1151, G2353, G2934, G3447, G3448, G4165, G5022, G5022

गीबत, बदनामी, बदनाम, गीबत, कुफ़्र, बदनाम कुन

ता’अर्रुफ़:

गीबत मन्फ़ी पर मुस्तामिल हैं, किसी दूसरे शख़्स के बारे में बोली जाने वाली बातें ( लिखी नहीं) जो बदनाम करती हैं। किसी शख़्स के बारे में ऐसी बातें (लिखने के लिए नहीं) कहने के लिए उस शख़्स को बदनाम करना है । ऐसी बातें कहने वाला शख़्स एक गीबत करने वाला है।

  • गीबत सच्ची बात नहीं होती है, यह झूठा इल्ज़ाम होता है लेकिन इससे सुननेवाला किसी शख़्स के बारे में ग़लत सोचता है।
  • गीबत का तर्जुमा "के ख़िलाफ़ बोलना" या "बुराई फैलाने" या "बदनामी" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • बदनामी करने वाले को “मुख़बिर” या “अफ़वाह फैलाने वाला” भी कहते हैं।

(यह भी देखें: कुफ़्र )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1681, H1696, H1848, H3960, H5006, H5791, H7270, H7400, H8267, G987, G988, G1228, G1426, G2636, G2637, G3059, G3060, G6022

गुजारिश ,मिन्नत ,वकालत,बहस करना, गिड़गिड़ाना ,दरख़्वास्त करना

सच्चाई

“गिड़गिड़ाकर मिन्नत करना” और “दरख़्वास्त ” का मतलब है किसी से कुछ करने की बहुत ज़्यादा गुजारिश “गिड़गिड़ाना” एक शदीद गुज़ारिश है।

  • मिन्नत का मतलब अक्सर यह होता है कि आदमियों को मदद की बहुत ज़रूरत है।
  • इन्सान ख़ुदा से रहम की मिन्नत कर सकते हैं या गुज़ारिश कर सकते हैं या उससे कुछ देने का दरख़्वास्त कर सकते हैं ख़ुद के लिए या किसी और के लिए।
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “मांगना”, “गिड़गिड़ाकर मिन्नत करना” या बहुत ज़्यादा गुजारिश “”
  • “मिन्नत ” का तर्जुमा हो सकता है, “गुज़ारिश करना ” या “बहुत ज़्यादा गुजारिश”।
  • वाज़े’ करें कि मज़मून में इसका मतलब पैसा मांगना नहीं है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1777, H2603, H3198, H4941, H4994, H6279, H6293, H6664, H6419, H7378, H7379, H7775, H8199, H8467, H8469, G1189, G1793, G2065, G3870

गुनाह की क़ुर्बानी , गुनाह की क़ुर्बानियाँ

ता’अर्रुफ़:

गुनाह की क़ुर्बानी,एक ऐसी क़ुर्बानी या क़ुर्बानी थी जो ख़ुदा ने इस्राईल के लिए मुक़र्रर किया था जब अनजाने में वह ख़ुदा की तौहीन या किसी की जायदाद को नुक़सान पहुँचाए।

  • इस क़ुर्बानी में जानवर पेश किया जाता था और सोने या चांदी की नक़दी में अदा किया जाता था।
  • इसके 'अलावह ग़लती पर अदा करने का पूरा ज़िम्मेदार था ।

(यह भी देखें: आतिशी क़ुर्बानी, अनाज की क़ुर्बानी, क़ुर्बान , गुनाह की क़ुर्बानी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H817

गुनाह की क़ुर्बानी , गुनाह की क़ुर्बानियाँ

ता’अर्रुफ़:

“गुनाह की क़ुर्बानी ” उन क़ुर्बानियों में से एक थी जिनका हुक्म ख़ुदा ने इस्राईलियों को दिया था ।

  • इस क़ुर्बानी में बैल की क़ुर्बानी पेश होती थी, क़ुर्बानगाह पर उसका ख़ून और चर्बी जलाई जाती थी और जानवर के जिस्म को इस्राईल की छावनी के बाहर ज़मीन पर जला दिया जाता था।
  • इस जानवर को पूरी तरह ख़ाक करने का मतलब था कि ख़ुदा बहुत पाक है और गुनाह खौफ़नाक है।
  • कलाम की ता'लीम में गुनाह से पाक होने के लिए गुनाह की क़ीमत चुकाने के लिए ख़ून का बहाना ज़रूरी है।
  • जानवर की क़ुर्बानी गुनाह के लिए हमेशा की मु'आफ़ी नहीं हासिल कर सकती थी।
  • सलीब पर 'ईसा की मौत ने हमेशा के लिए गुनाहों की सज़ा चुका दी । वह एक मुक़द्दस क़ुर्बानी थी ।

(यह भी देखें: क़ुर्बानगाह, गाय, मु'आफ़ी, क़ुर्बानी, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2401, H2402, H2398, H2403

गुमराह, गुमराह हो जाते हैं, गुमराह हो गए, गुमराह कर देना, गुमराह कर दिया, फिरना, फेर दिया, गुमराह

ता'अर्रुफ़:

“फिर जाना” और “गुमराह” का मतलब है ख़ुदा की मर्ज़ी न मानना। लोग जो “ गुमराह हो गए” उन्होंने ग़ैर लोगों या हालातों से परेशान होकर ख़ुदा के हुक्मों को नहीं माना ।

“गुमराह” लफ़्ज़ बराबर रास्ता या हिफ़ाज़त की जगह को छोड़कर ग़लत और ख़तरनाक रास्ते में जाने का ख़्याल बयान करता है। चरवाहे की चारागाह से दूर जानेवाली भेड़ को “ गुमराह हुई” कहते हैं। ख़ुदा गुनाहगारों की बराबरी उन भेड़ों से करता है जो उसको छोड़ करके “ गुमराह हो गई” हैं।

तर्जुमा की सलाह;

  • “गुमराह” का तर्जुमा, “ख़ुदा से दूर हो जाना” या “ख़ुदा की मर्ज़ी से अलग ग़लत रास्ते पर चलना” या “ख़ुदा के हुक्मों को न मानना छोड़ देना” या “ख़ुदा के रास्ते से दूर जाते रहना” हो सकता है।
  • “किसी को गुमराह करना” का तर्जुमा, “किसी को ख़ुदा के हुक्मों को न मानने के लिए ज़ोर करना” या “किसी को ख़ुदा के हुक्मों को न मानने के लिए अममादा करना” या “किसी को ग़लत रास्ते पर अपने पीछे चलाना”हो सकता है।

(यह भी देखें: नाफ़रमानी , चरवाहे)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5080, H7683, H7686, H8582, G4105

ग़ुस्सा, ग़ुस्सा हुआ, ग़ुस्सा

ता'अर्रुफ़:

“ग़ुस्सा होना” या “ग़ुस्सा में आना” या'नी किसी बात के बारे में किसी पर बहुत ज़्यादा नाराज़ होना, खीजना या नाराज़ होना।

  • जब लोग ग़ुस्सा हो जाते हैं, तो वह अक्सर गुनाहगार और मतलबी होते हैं, लेकिन कभी-कभी वह ना इंसाफ़ी या ज़ुल्म के ख़िलाफ़ मुंसिफ़ ग़ुस्सा भी करते हैं।
  • ख़ुदा का ग़ुस्सा (जो ग़ज़ब भी कहलाता है) गुनाह के ख़िलाफ़ उसकी बड़ी नाराज़गी को बयान करता है।
  • “ग़ुस्सा दिलाना” या'नी “ग़ुस्सा होने की वजह होना”।

(यह भी देखें: ग़ज़ब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H599, H639, H1149, H2152, H2194, H2195, H2198, H2534, H2734, H2787, H3179, H3707, H3708, H3824, H4751, H4843, H5674, H5678, H6225, H7107, H7110, H7266, H7307, G23, G1758, G2371, G2372, G3164, G3709, G3710, G3711, G3947, G3949, G5520

गेहूँ

ता’अर्रुफ़:

गेहूँ एक तरह का अनाज है जो आदमी खाने के लिए उगाते है। जब किताब-ए-मुक़द्दस "अनाज" या "बीज" का बयान करती है, तो यह अक्सर गेहूँ के अनाज या बीज के बारे में बात करती है।

  • गेहूँ के पौधों के दाने (अनाज ) ऊपर के हिस्से में लगता है।
  • कटनी के बाद गेहूँ के दाने को खलिहान से निकाला जाता है। * गेहूँ के पेड़ों को ज़मीन पर रखा जाता था कि उस पर जानवर सोएं।
  • खलिहान के बाद, अनाज बीज के आसपास के भूसे सूप के ज़रिए’अनाज से अलग किए जाते है और फेंक दिया जाता है।
  • गेहूँ को पीस कर आटा तैयार किया जाता है जिससे रोटियाँ बनाई जाती हैं।

(यह भी देखें: जौ, भूसा, अनाज , बीज, दांवना, हवा में उड़ाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1250, H2406, G4621

ग़ैर क़ौम ,ग़ैर क़ौमें

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “ग़ैर क़ौम” लफ़्ज़ उन लोगों के लिए काम में लिया गया है जो यहोवा की तरह बुत -बुतों की ‘इबादत करते थे |

  • ऐसे लोगों से जुडी मुता’अल्लिक कोई भी बात जैसे उनके इबादत की जगह की क़ुर्बान गाहें , मजहबी तहज़ीब और उनकी उनका अदब -यक़ीन वगैरह सब ग़ैर क़ौम कहलाते थे।
  • ग़ैर क़ौम के ईमान में ग़ैर मा’बूदों के सिफ्तों की ‘इबादत थी।
  • इन ग़ैर क़ौमों के मज़हब में ज़िनाकारी या जानदार की क़ुर्बानी ‘इबादत का हिस्सा होता था।

(यह भी देखें: क़ुर्बान गाह, झूठे मा’बूद, क़ुर्बानी, इबादत, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1471, G1484

गोदाम , ज़ख़ीरा

ता'अर्रुफ़:

"ज़ख़ीरा" अनाज और दूसरी चीज़ों को महफ़ूज़ रखने के लिए बनाये गए ख़ास घर ।

  • कलाम में “ज़ख़ीरा” हमेशा अनाज के 'अलावह और खाने की चीज़ों को मुस्तक़बिल के लिए महफ़ूज़ रखा जाता था, जब काल की वजह से खाने की कमी हो जाए।
  • यह लफ़्ज़ 'अलामती शक्ल में उन सब अच्छी चीज़ों के लिए भी काम में लिया जाता है जो ख़ुदा अपने लोगों को देना चाहता है।
  • हैकल के ज़ख़ीरे में क़ीमती चीजें थीं जो यहोवा के हवाले थीं, जैसे सोने और चांदी। हैकल में मरम्मत और रखरखाव करने के लिए इस्ते'माल की जाने वाली इनमें से कुछ चीजों को भी वहाँ रखा गया था।
  • “ज़ख़ीरा” लफ़्ज़ के दूसरे तर्जुमे हो सकते हैं “अनाज के ज़ख़ीरे का गोदाम” या “खाना रखने की जगह” या “क़ीमती चीज़ों को महफ़ूज़ रखने की जगह ”।

(यह भी देखें: \ बरकत देना](../kt/consecrate.md), क़ुबूल करना, काल, सोना, अनाज, चांदी, हैकल )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H214, H618, H624, H4035, H4200, H4543, G596

गोबर, खाद

ता’अर्रुफ़:

“गोबर” इन्सान और जानवरों की नजिस होती है जिसे पाख़ाना कहते हैं। जब इसका इस्ते’माल ज़मीन की पैदावार बढ़ाने के लिए किया जाता है तो इसे खाद कहते हैं।

  • इन अलफ़ाज़ को ‘अलामती शक्ल में किसी निकम्मी या बे-अहमियत चीज़ के लिए काम में लिया गया है।
  • जानवरों का सूखा हुआ गोबर ईंधन के लिए काम में लिया जाता था।
  • “ज़मीन के ऊपर खाद के समान पड़ी रहेंगी” का तर्जुमा हो सकता है, “निकम्मे गोबर की तरह ज़मीन पर फैलाय गए।”
  • “कूड़ा फाटक” यरूशलीम की दख्खिनी दीवार में था जो यक़ीनन शहर का कूड़ा बाहर ले जाने के लिए काम में आता था।

(यह भी देखें: फ़ाटक)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H830, H1119, H1557, H1561, H1686, H1828, H6569, H6675, G906, G4657

ग़ौर , ग़ौर करता, तवज्जोह

ता’अर्रुफ़:

“ग़ौर ” या'नी किसी बात पर एहतियात के साथ और गहराई से ग़ौर करना।

  • कलाम में इस लफ़्ज़ का इस्ते'माल हमेशा ख़ुदा और उसकी ता'लीमों पर ग़ौर करने के लिए काम में किया गया है।
  • ज़बूर 1 में लिखा है कि वह इन्सान जो “दिन रात” ख़ुदा की शरी'अत पर ग़ौर करता है, मुबारक है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ग़ौर” का तर्जुमा हो सकता है, “एहतियात के साथ और गहराई से ग़ौर करना” या “ फ़िक्र मन्द होकर गहराई से ग़ौर करना” या “बार-बार सोचना”।
  • इसकी जमा' की शक्ल है, “तवज्जोह” और इसका तर्जुमा “गहराई के ख़यालात” हो सकता है। “मेरे मन के ख़याल” का तर्जुमा हो सकता है, “मैं जिसका गहराई से ग़ौर करता हूं” या “मै अक्सर किस बारे में सोचता हूँ”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1897, H1900, H1901, H1902, H7742, H7878, H7879, H7881, G3191, G4304

घंटे, घंटा

ता'अर्रुफ़:

“वक़्त ” किताब-ए-मुक़द्दस में हमेशा इस्ते'माल किया जाता है ये बताता है कि मखसूस वाक़ि'या कहाँ से हुआ है । इसका 'अलामती इस्ते'माल “वक़्त” या “लम्हे ” के लिए भी किया जाता है।

  • यहूदी दिन को सूरज निकलने से गिनते थे। (तक़रीबन सुबह 6 बजे) मिसाल के तौर पर, "नवें घंटे" का मतलब है कि" दुपहर में (तक़रीबन तीन बजे)
  • रात का वक़्त गुरूब आफ़ताब (तक़रीबन 6 बजे) शाम की शुरू'आत से शुमार होती है मिसाल के तौर पर “रात के तीसरे घंटे” का मतलब हमारे मौजूदा दिन के निज़ाम में "रात में नौ बजे के तक़रीबन"।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में वक़्त के बारे में मौजूदा वक़्त के निज़ाम के मुताबिक़ नहीं होंगे, इसलिए "तक़रीबन नौ" या "तक़रीबन छः बजे" जैसे जुमलों का इस्ते'माल किया जा सकता है।
  • कुछ तर्जुमों में ऐसे जुमले काम में लिए गए हैं जैसे “शाम का वक़्त ” या “सुबह के वक़्त ” या “दोपहर के वक़्त ” कि दिन के वक़्त को तें किया जाए।
  • “उस घड़ी में” का तर्जुमा हो सकता है, “उस वक़्त ” या “उस लम्हे ”
  • 'ईसा के बारे में “घड़ी आ पहुंची है” का तर्जुमा हो सकता है, “उसका वक़्त आ गया है कि” या “उसका मुक़र्रर वक़्त आ चूका है”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8160, G5610

घड़ी, घंटे

ता’अर्रुफ़:

किसी बात को होने के वक़्त या ‘अरसा के बारे में “घड़ी” लफ़्ज़ के कई ‘अलामती इस्ते’माल हैं।

  • कभी-कभी “घड़ी” का हवाला किसी काम को करने का मुसलसल मुक़र्रर वक़्त होता है जैसे “दु’आ का वक़्त”
  • जब मज़मून में लिखा होता है, “वह घड़ी आ पहुंची है” जब ‘ईसा दुःख उठाएगा और मारा जाएगा तो इसका मतलब है, इस बात के होने के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ बहुत पहले ही मुक़र्रर किया गया वक़्त|
  • “घड़ी” लफ़्ज़ का मतलब यह भी हो सकता है, “उस लम्हा” या “उसी वक़्त”
  • जब "घंटे" की बात की जाए तो इसका मतलब है, जल्दी ही सूरज ग़ुरूब होने वाला है।

तर्जुमे की सलाह:

  • जब ‘अलामती इस्ते’माल में, लफ़्ज़ “घड़ी” का तर्जुमा “वक़्त” या “लम्हा” या “मुक़र्रर वक़्त”
  • “उस घड़ी में” या “उसी वक़्त” का तर्जुमा हो सकता है, “उस वक़्त” या “उस लम्हा” या "फ़ौरन" या "ठीक उसी वक़्त"
  • इज़हार "वक़्त बहुत देर हो चुकी थी" का तर्जुमा "यह दिन में देर हो गई" या "यह जल्द ही अंधेरा हो जाएगा" या "यह देर दोपहर था" के रूप में तर्जुमा किया जा सकता है।

(यह भी देखें: घड़ी)

किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8160, G5610

घमण्ड, घमण्ड से, फ़ख्र, ग़ुरूर से भरा

ता’अर्रुफ़:

“घमण्ड” और “ग़ुरूर से भरा” लफ़्ज़ उस इन्सान के बारे में हैं जो अपने आपको बहुत बड़ा समझता है और ख़ास करके सोचता है कि वह औरों से कहीं ज़्यादा अच्छा है।

  • घमण्डी इन्सान हमेशा अपनी गलतियां क़ुबूल नहीं करता है। वह हलीम इन्सान नहीं है।
  • घमण्ड और बातों में ख़ुदा की नाफ़रमानी की तरफ़ ले जाता है।
  • “घमण्ड” और “फ़ख्र ” को सरीही मतलब में भी काम में लिया जाता है जैसे किसी की कामयाबी पर घमण्ड करना या बच्चों पर घमण्ड करना। “अपने काम पर घमण्ड करना” इस कलाम का मतलब है अपना काम करने में ख़ुशी को महसूस करना।
  • कोई घमण्ड से भरे बिना अपने काम पर घमण्ड कर सकता है। कुछ ज़बानों में “घमण्ड” के इन दोनों लफ़्ज़ों के मतलब अलग-अलग लफ़्ज़ों में ज़ाहिर किए जा सकते हैं।
  • “घमण्ड से भर जाना” हमेशा हर्फ़े नफ़ी होता है या’नी “ग़ुरूर ” या “तकब्बुर ” या “अपने आपको बहुत बड़ा समझने वाला”।

तर्जुमे के लिए सलाह:

  • इसम "घमंड" का तर्जुमा "तकब्बुर " या "ग़ुरूर " या "ख़ुद –‘वक़ार " की शक्ल में किया जा सकता है।
  • और बयानों में, "घमंड" का तर्जुमा "ख़ुशी" या "सब्र " या "ख़ुश " की शक्ल में किया जा सकता है।
  • 'पर फ़ख्र करने के लिए' का तर्जुमा "के साथ खुश" या "मुतमईन " या " (कामयाबी की) " की शक्ल में किया जा सकता है।
  • “अपने काम पर घमण्ड कर” इस जुमले का मतलब है अपना काम करने में ख़ुशी को महसूस करना करना।
  • "यहोवा पर फ़ख्र करने" का मतलब भी तर्जुमा किया जा सकता है, "यहोवा ने जो कुछ हैरत अन्गेज़ काम किया है, उसके बारे में ख़ुश होना" या "खुश होना कि यहोवा कितना हैरान कुन है।"

(यह भी देखें: तकब्बुर,हलीम,ख़ुश )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :

  • 04:02 उन्हें बहुत घमंड था, और ख़ुदा ने जो कहा था उन्होंने उसकी परवाह नहीं की |
  • 34:10 ‘ईसा ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि, ख़ुदा ने चुंगी लेनेवाले की दुआ’ सुनी और उसे रास्तबाज़ मुक़र्रर कर दिया | लेकिन उसे रास्तबाज़ रहबर की दुआ’ पसंद नहीं आई। “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह(ख़ुद) छोटा किया जाएगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा |”

शब्दकोश:

  • Strong's: H1341, H1343, H1344, H1346, H1347, H1348, H1349, H1361, H1362, H1363, H1364, H1396, H1466, H1467, H1984, H2086, H2087, H2102, H2103, H2121, H3093, H3238, H3513, H4062, H1431, H4791, H5965, H7293, H7295, H7312, H7342, H7311, H7407, H7830, H8597, G212, G1391, G1392, G2744, G2745, G2746, G3173, G5187, G5229, G5243, G5244, G5308, G5309, G5426, G5450

घर, घरों, छत के ऊपर, छतों, ज़खीरा, ज़खीरों, घर के निगहबान

ता’अर्रुफ़:

“घर” लफ़्ज़ का इस्ते’माल किताब-ए-मुक़द्दस में ‘अलामती तौर से किया जाता है।

कभी-कभी इसका मतलब “घरेलू” से है या’नी एक ही घर में रहने वाले सब फ़र्द।

  • “घर” अक्सर किसी की नसलों या दीगर रिश्तेदारों के बारे में आता है। मिसाल के तौर पर, “दाऊद का घराना” या’नी बादशाह दाऊद की सब नसलें|
  • लफ़्ज़ “ख़ुदा का घर” और “यहोवा का घर” मतलब तम्बू या हैकल| ये इज़हार का अक्सर मतलब यह होता है कि ख़ुदा की हाज़िरी का मक़ाम या उसके रहने का मक़ाम
  • इब्रानियों बाब 3 में, “ख़ुदा के घर” एक मिसाल की तरह काम में लिया गया है जो ख़ुदा के लोगों के बारे में है या ज़्यादा ‘आम ख़याल में, ख़ुदा से मुता’अल्लिक़ सब चीज़ों के बारे में है।
  • जुमले “इस्राईल का घराना” उमूमन पूरी इस्राएली क़ौम के बारे में काम में लिया गया है या ख़ास तौर से उत्तरी सल्तनत के इस्राईल के क़बीलों के लिए है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “घर” लफ़्ज़ का तर्जुमा , “ख़ानदान” या “लोग” या “घरेलू” या “नसल” या “हैकल” या “रहने का मक़ाम”हो सकता है।
  • “दाऊद का घराना”, इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “दाऊद का कुल” या “दाऊद का ख़ानदान” या “दाऊद की नसल”। मुता’अल्लिक़ इज़हारों का तर्जुमा भी इसी बुनियाद पर किया जा सकता है।
  • “इस्राईल का घराना” इस जुमले के तर्जुमा के मुख़तलिफ़ तरीक़े हो सकते हैं, “इस्राईल की क़ौम” या “इस्राईल की नसल” या “इस्राईली”
  • जुमला “यहोवा का घर” इसका तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा का हैकल” या “यहोवा की ‘इबादत का मक़ाम” या “जहां यहोवा अपने लोगों के साथ मिलते है” या “यहोवा का रहने का मक़ाम”।
  • “ख़ुदा का घर” इसका तर्जुमा भी ऐसे ही किया जाए।

(यह भी देखें: दाऊद, नसल, ख़ुदा का घर, घराना, इस्राईल की बादशाही, ख़ेमा, हैकल, यहोवा)

किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1004, H1005, G3609, G3613, G3614, G3624

घुड़सवार, घुड़सवारों

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में “सवारों” का मतलब था जंग में घोड़े की सवारी करनेवाला।

  • रथों पर सवारी करनेवाले फ़ौजियों को भी “घुड़सवार” कहते थे। जबकि घुड़सवार हक़ीक़त में घोड़े की सवारी करनेवाला होता है।
  • इस्राईलियों का मानना था कि जंग में घोड़े काम में लेना यहोवा के मुक़ाबले अपनी ताक़त पर ज़्यादा भरोसा रखना था, लिहाज़ा, वे ज़्यादा घुड़सवारों को नहीं रखते थे।
  • इसका तर्जुमा “घोड़े के सवार” या “घोड़े पर सवार इन्सान” हो सकता है।

(यह भी देखें: रथ, घोड़ा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6571, H7395, G2460

घोड़ा, घोड़े, जंग का घोडा, जंग के घोड़ों, सवार होकर

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में घोड़ा एक चौपाया, खेती और सवारी में काम में लिया जाता था।

  • कुछ घोड़े गाड़ी और रथ खींचने के लिए भी काम में लिए जाते थे, उन पर सवारी भी की जाती थी।
  • घोड़ों को लगाम लगाई जाती थी कि मर्ज़ी के मुताबिक़ चलाया जाए।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, घोड़े एक क़ीमती दौलत थे, उन्हें जानवर दौलत माना जाता था क्योंकि वे जंग में काम आते थे। मिसाल के तौरपर, सुलैमान की शान का एक हिस्सा हजारों घोड़ें और रथ थे।
  • घोड़े जैसे चौपाए गधे और खच्चर भी होते हैं।

(यह भी देखें: रथ, , गधा, सुलैमान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H47, H5483, H5484, H6571, H7409, G2462

चरवाहे, चरवाहा, चरवाया , चरवाही

ता’अर्रुफ़:

चरवाहा भेड़ों की निगरानी करता है “चरवाहा ” या'नी भेड़ों की हिफ़ाज़त करना और उनके लिए खाना-पानी का इन्तिज़ाम करना। चरवाहे भेड़ों की निगरानी करते हैं और उन्हें अच्छे खाने और पानी के पास ले जाते हैं। चरवाहे भेड़ों को भटकने से और जंगली जानवरों से भी बचाते हैं।

  • कलाम में इस लफ़्ज़ का मक़सदी इस्ते'माल भी किया गया है जो लोगों की रूहानी ज़रूरतों के ख़बर लेने के बार में है। या'नी उन्हें कलाम से ख़ुदा की बातों की त'लीम देना और जिस रास्ते में उन्हें चलना है उसमें उनकी रहनुमाई करना।
  • पुराने 'अहद नामे में ख़ुदा को “चरवाहा” कहा गया है क्यूँकि वह अपने लोगों की सब ज़रूरतों को पूरा करता है और उनकी हिफ़ाज़त करता है। वह उनकी रह्नुमाई करता है और उनको रास्ता दिखाता है। (देखें: मिसाल)
  • मूसा इस्राईलियों का चरवाहा था क्यूँकि उसने यहोवा की रूहानी तौर पर 'इबादत की और जिस्मानी तौर से उनकी रह्नुमाई की और कन'आन के सफ़र में उनको रास्ता दिखाया ।
  • नए 'अहद नामे में 'ईसा अपने आपको को “अच्छा चरवाहा” कहता है। पौलुस रसूल उसे कलीसिया का “हाकिम चरवाहा” कहता है।
  • नए 'अहद नामे में “चरवाहा” लफ़्ज़ उस शख्स के बारे में भी बताता है जो ईमानदारों का रूहानी रहनुमा है। "पासबान" की शक्ल में तर्जुमे का लफ़्ज़ एक ही है जिसका तर्जुमा "चरवाहा" है। बुज़ुर्ग और निगराँ भी चरवाहे कहलाते थे।

तर्जुमा की सलाह

  • लफ़्ज़ी तौर में “चरवाहा” लफ़्ज़ का तर्जुमा “भेड़ों की रखवाली करना” या “भेड़ों की निगरानी” करना है।

“चरवाहे” लफ़्ज़ का तर्जुमा “भेड़ों की रखवाली करनेवाला” या “भेड़ों की रहनुमाई ” या “भेड़ों की ख़बर लेने वाला”।

  • मिसाल के तौर पर इस्ते'माल करने में इसके मतलब अलग-अलग होते हैं, “रूहानी चरवाहा” या “रूहानी रहनुमा” या “चरवाहे की तरह” या “भेड़ों की रखवाली करने वाले चरवाहे के जैसा अपने लोगों की ख़बर लेनेवाला” या “चरवाहा जैसे अपनी भेड़ों की रहनुमाई करता है वैसे अपने लोगों की रहनुमाई करनेवाला” या “ख़ुदा की भेड़ों की ख़बर लेनेवाला”।
  • इस बारे में “चरवाहे” का तर्जुमा “रहनुमा” या “रास्ता दिखने वाला” या “ख़बर लेनेवाला” हो सकता है।
  • "चरवाहा" के रूहानी जुमले का तर्जुमा "देखभाल करने के लिए" या "रूहानी शक्ल से देखभाल करने" या "रास्ता दिखाने और सिखाने" या " रहनुमाई करने और देखभाल करने के लिए" (जैसे चरवाहा भेड़ों का ख़्याल रखता है) की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
  • ‘अलामती शक्ल में, इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में "चरवाहा" के लिए लफ़्ज़ी जुमले का इस्ते'माल करना या इसमें शामिल करना सबसे अच्छा है।

(यह भी देखें: ईमान, कन'आन, ‘इबादतखाना, मूसा, रहनुमा, भेड़, रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 09:11_ मूसा मिस्र से बहुत दूर जंगल में एक चरवाहा बन गया.
  • 17:02 दाऊद बेतेलहम के शहर से एक चरवाहा था। अलग-अलग वक़्त में जब वह अपने बाप के भेड़ देख रहा था, तब दाऊद ने शेर और एक भालू दोनों को मार दिया था जिसने भेड़ पर हमला किया था।
  • 23:06 उस रात, वहाँ कुछ __ चरवाहे __ पास के एक 'इलाक़े में उनके झुंड की हिफ़ाज़त करते थे।
  • 23:08 चरवाहे __ जल्द ही उस जगह पर पहुंचे जहाँ 'ईसा था और उन्होंने उसे लेटे हुआ पाया, जैसा फ़रिश्ते ने उन्हें बताया था।
  • 30:03 ‘ईसा के लिए, यह लोग किसी चरवाहे के बिना भेड़ की तरह थे।

शब्दकोश:

  • Strong's: H6629, H7462, H7469, H7473, G750, G4165, G4166

चराग़, चराग़ों

ता’अर्रुफ़:

“चराग़” लफ़्ज़ रोशनी पैदा करने का ज़रिया’ होता है। किताब-ए-मुक़द्दस में जिन चराग़ों का ज़िक्र किया गया है वे तेल से जलते थे,

वह एक छोटी कटोरी होती थी जिसमें तेल डालकर जलाया जाता था कि रोशनी हो।

  • ‘आमतौर पर चराग़ मिट्टी का बनता था जिसमें ज़ैतून का तेल भरा जाता था, उसमें एक बत्ती रखकर जलाई जाती थी।
  • कुछ चराग़ अण्डानुमा होते थे जिनकी एक शिरा दबा होता था जहां बत्ती रखी जाती थी।
  • एक तेल की चराग़ को लेकर चला जा सकता है या तो एक ऊँचे मक़ाम पर रखा जा सकता है ताकि इसकी रोशनी एक कमरे या घर को रोशन कर सके।
  • कलाम में, चराग़ ‘अलामती तौर पर ज़िन्दगी और नूर की ‘अलामत है।

(यह भी देखें: चराग़दान, ज़िन्दगी, रोशनी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3940, H3974, H4501, H5215, H5216, G2985, G3088

चराग़दान, चराग़दानों

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में, “चराग़दान” लफ़्ज़ उस बनावट का हवाला होता है जिस पर चराग़दान रखा जाता था कि कमरे में रोशनी फैले।

  • एक ‘आम चराग़दान मिट्टी, लकड़ी या धातु का बना होता था (धातु जैसे तांबा, चांदी या सोना)
  • यरूशलीम की हैकल में एक ख़ास चाराग़दान था जिसमें सात चराग़ों के लिए सात शाखाएं थी और वह सोने का था।

तर्जुमा की सलाह

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “चराग़ की बुनियाद में” या “चराग़ रखने का ढाँचा” या “चराग़ रोकने वाला” किया जा सकता है।
  • हैकल के चराग़दान, का तर्जुमा “सात चराग़ों का चराग़दान” या “सात चराग़ों की सोने की चौकी” किया जा सकता है।
  • तर्जुमा के साथ चराग़दान की तस्वीर और किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में सात शाख़ाओं का चराग़दान की तस्वीर देना मददगार होगा।

(यह भी देखें: पीतल, सोना, चराग़, रोशनी, चाँदी, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4501, G3087

चलना, चलता, चले, चलता

ता’अर्रुफ़:

तम्सीली शक्ल में “चलने का" इस्ते’माल "आदत " का इल्म करवाता है।

  • "हनूक ख़ुदा के साथ चलता था" या’नी वह ख़ुदा के साथ गहरे रिश्ते में था।
  • “पाक -रूह के साथ चलना” या’नी पाक रूह की रहनुमाई में चलना कि ख़ुदा को ख़ुश करनेवाले और उसे इज़्ज़त पहुंचाने वाले काम करें।
  • ख़ुदा के हुक्मों में या ख़ुदा की राहों में चलना या’नी उसके हुक्मों को मान कर ज़िन्दगी जीना या’नी उसके “हुक्मों को मानना” या “उसकी मर्ज़ी पूरी करना।”
  • ख़ुदा कहता है कि वह “अपने लोगों के बीच सुकूनत करेगा” या उनके साथ “अच्छा बर्ताव ” करेगा।
  • “उल्टी चाल चलना” का मतलब ऐसी ज़िन्दगी की आदत रखना जो किसी के ख़िलाफ़ हो।
  • “पीछे चलना” या’नी किसी का पीछा करना। * इसका मतलब फ़र्माबर्दारी करना भी होता है।

तर्जुमे के लिए सलाह:

  • “जब तक “चलना” का सही मतलब समझ में आए तब तक इसे वैसा का वैसा रखना ही सही है।
  • “चलना” के तम्सीली इस्ते’मालों का तर्जुमा हो सकता है “ज़िन्दगी जीना” या “बर्ताव करना” या “काम करना।”
  • “रूह के मुताबिक़ चलना” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक -रूह की फ़र्माबर्दारी में जीना।” या “पाक -रूह को ख़ुश करनेवाली ज़िन्दगी जीना” या “पाक रूह की रहनुमाई में ख़ुदा के लिए क़ाबिल-ए-क़ुबूल काम करना”।
  • “ख़ुदा के हुक्मों पर चलना” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा के हुक्मों को मानने में जीना” या “खुदा के हुक्मों को मानना”।
  • “ख़ुदा के साथ चलता था” इसका तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा के हुक्मों को मानकर और उसकी इज़्ज़त करके ख़ुदा के साथ क़रीबी रिश्ते की ज़िन्दगी जीना”।

(यह भी देखें: पाक रूह , इज़्ज़त )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1869, H1979, H1980, H1981, H3212, H4108, H4109, G1330, G1704, G3716, G4043, G4198, G4748

चाँदी

ता’अर्रुफ़:

चाँदी एक चमकीली सफ़ेद रंग की धातु होती है जिससे सिक्के, ज़ेवर, बर्तन और साज सजावट का सामान बनाया जाता है।

  • बर्तनों में चाँदी के बड़े-छोटे कटोरे और खाना पकाने, खाने या निकालने के बर्तन बनते हैं।
  • सोना और चाँदी ख़ुदावन्द के घर और हैकल की ता'मीर में भी काम में लिए गए थे। यरूशलीम की हैकल में सब बर्तन चाँदी के थे।
  • कलाम के वक़्त में, एक शेकेल वजन का एक इकाई था, और अक्सर एक ख़ालिस चाँदी की शेकेल की क़ीमत पर ख़रीदारी की जाती थी । नए 'अहद नामे के मुताबिक़ शेकेल में नापा जाने वाले अलग अलग वजन के चाँदी के सिक्के थे।
  • यूसुफ़ के भाइयों ने उसे चाँदी के बीस शेकेल (सिक्कों) में ग़ुलाम होने के लिए बेचा था।
  • ‘ईसा के पकड़वाने के लिए यहूदा को चाँदी के 30 सिक्के दिए गए थे।

(यह भी देखें: मुलाक़ात का ख़ेमा, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3701, H3702, H7192, G693, G694, G695, G696, G1406

चालाक , चालाकी

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ "चालाक" एक ऐसे आदमी का बयान करता है जो अक़लमंद और चालाक है, खासकर सुलूक के मु'आमिलात में।

  • इस लफ़्ज़ का मतलब हमेशा मनफ़ी होता है क्यूँकि इसमें ख़ुद गर्ज़ी छिपी होती है।
  • चतुर आदमी औरों के बदले ख़ुद का फ़ायदा खोजता है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “चालाक” या “चतुर” या “होशियार ” या “चालाकी ” हो सकता है जुमलों के मूताबिक़ ।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2450, H6175, G5429

चिट्ठी, ख़त, ख़ुतूत

ता’अर्रुफ़: ##‏##

ख़त किसी को या किसी क़बीले को भेजा गया तहरीरी पैग़ाम है जो लिखने वाले से बहुत दूर है। एक चिट्ठी एक ख़ास क़िस्म का ख़त होता है जो ज़्यादा ज़ाहिरी अंदाज़ में लिखा होता है जिसका मक़सद ख़ास करके त’लीम देना होता है।

  • नये ‘अहदनामे के ज़माने में जानवर की जिल्द से बने चमड़े के थे या पेड़ों की खाल से बने कागज़ों पर लिखे जाते थे।
  • नये ‘अहदनामे के ख़त जिन्हें पौलुस, यूसुफ़, या’क़ूब और यहूदाह और पतरस ने लिखे वे हिदायत थे जो पूरी रोमी बादशाही के मुख़तलिफ़ मक़ामों में ईमानदारों को हौसला देने का पैग़ाम देना और ता’रीफ़ देने के मक़सद से लिखे गए थे।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “तहरीरी पैग़ाम” या “लिखे हुए लफ़्ज़” या “तहरीर” हो सकता है।

(यह भी देखें: हौसला अफ़ज़ाई, हिदायत, ता’लीम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H104, H107, H3791, H4385, H5406, H5407, H5612, H6600, G1121, G1989, G1992

चीता, चीतों

सच्चाई:

चीता, बिल्ली जैसा एक बड़ा जानवर है जिसका रंग भूरा होता है और उस पर काले धब्बे होते हैं।

  • चीता और जानवरों को मार कर खाता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में अचानक के वाक़े’आत की मिसाल चीते से दी जाती है क्योंकि चीता अपने शिकार पर अचानक हमला करता है।
  • नबी दानिएल और रसूल युहन्ना ने मिकाशिफ़े में चीते जैसा एक जानवर देखा था।

(यह भी देखें: नामा’लूम का तर्जुमा किसे करें

( तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: वहशी जानवर, दानिएल, शिकार, ख्व़ाब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5245, H5246

चोगा, लिबास, मुलब्बस

ता’अर्रुफ़:

चोगा लम्बी बांह का बाहरी लिबास था जिसे ‘औरत और मर्द दोनों पहनते थे। यह दिखने में कोट के जैसा होता है।

  • लिबास सामने खुलते हैं और एक कमरबंद या बेल्ट के साथ बाँधा जाता है।
  • उनकी लम्बाई बड़ी या छोटी होती है।
  • बैंगनी रंग का लिबास बादशाह पहनते थे जो तख़्त, शान और ‘इज़्ज़त की ‘अलामत था।

(यह भी देखें: शाही, चोगा)

किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H145, H155, H899, H1545, H2436, H2684, H3671, H3801, H3830, H3847, H4060, H4254, H4598, H5497, H5622, H6614, H7640, H7757, H7897, H8071, G1746, G2066, G2067, G2440, G4749, G4016, G5511

चोर, चोर, लूटने, लूटने, लूटने, डाकू, लुटेरे, डकैती, लूट

सच्चाई:

“चोर” या “लुटेरा” वह इन्सान है जो आदमियों का पैसा या सामान चुराता है। "चोर" का जमा’ है "चोरों।" लफ़्ज़ "डाकू" अक्सर एक चोर को ज़ाहिर करता है जो जिस्मानी तौर से उन लोगों को नुक़सान पहुँचाता या धमकाता है जिससे वह चोरी करता हैं।

  • ‘ईसा ने एक सामरी की तमसील सुनाया, जिसने एक यहूदी शख़्स का ख़्याल रखा जिस पर लुटेरों ने हमला किया था। लुटेरों ने यहूदी आदमी को पीटा और उसके पैसे और कपड़े चोरी करने से पहले उसे घायल कर दिया था।
  • चोर और लुटेरों दोनों चोरी करने अचानक ही आते है, जब लोग इसकी उम्मीद नहीं करते। वे अक्सर अँधेरे में काम करते हैं कि छिपे रहें।
  • नये ‘अहद नामे में शैतान को तमसीली शक्ल में एक चोर कहा गया है जो चोरी करने, क़त्ल करने और हलाक करने आता है। इसका मतलब है कि शैतान का मंसूबा है कि ख़ुदा के लोगों को बहका कर उसका हुक्म मानने से रोके। अगर शैतान ऐसा करने में क़ामयाब हुआ तो लोगों से अच्छी चीजें चोरी कर लेगा जो ख़ुदा ने उनके लिए मंसूबा बनाया है।
  • ‘ईसा ने अपने फिर से आने की बराबरी चोर से किया जो अचानक लोगों से चोरी करने आता है। जैसे चोर ऐसे वक़्त में आता है जब इन्सान उसके इन्तिज़ार में नहीं रहता है वैसे ही ‘ईसा भी अचानक ही आ जाएगा जब इन्सान उसके वापस आने के लिए तैयार न हो।

(यह भी देखें: बरकत , जुर्म , सलीब पर चढ़ाई, अँधेरा , बर्बाद करने वाला , क़ुदरत , सामरिया, शैतान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1214, H1215, H1416, H1589, H1590, H1980, H6530, H6782, H7703, G727, G1888, G2417, G2812, G3027

चौकस, ताकता, देखा, देख रहा था, चौकीदार , पहरुओं, होशियार रहो

ता’अर्रुफ़:

“चौकस” किसी चीज़ को ध्यान से देखना या किसी चीज़ पर नज़दीकी से और बहुत होशियारी से ध्यान देना। इसके बहुत से लफ़्ज़ी मतलब भी हैं। एक "चौकीदार" ऐसा कोई था जिसका काम ध्यान से शहर को चारों तरफ से देखना कि किसी भी खतरे या धमकी से शहर के लोगों की हिफ़ाज़त करे।

  • अपनी ज़िन्दगी और खरी ता’लीम की “चौकसी” करने का हुक्म का मतलब है अक़्लमंदी से ज़िन्दगी जीना और झूठी ता’लीमों पर यक़ीन नहीं करना।
  • “होशियार रहो” या’नी मुसीबत से बचने और नुक़सानदेह असर के लिए चौकस रहने की हिदायत दी|

“जागते रहो” या “चौकस रहो” का मतलब है हमेशा होशियार रहना और होशियार रहना कि गुनाह में और बुराई में न पड़ें। इसका मतलब “तैयार रहना” भी है।

  • “पहरा देना” या “चौकसी करना” या’नी किसी जानदार या किसी चीज़ की हिफ़ाज़त करना, निगाह रखना या निगहबानी करना।
  • तर्जुमे की और शक्ल “ध्यान देना” या “मेहनती होना” या “बहुत जयादा होशियार रहना” या “चौकस रहना”।
  • "चौकीदार " के लिए और लफ़्ज़"पहरेदार" या "निगहबान " हैं।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H821, H2370, H4929, H4931, H5027, H5341, H5894, H6486, H6822, H6836, H6974, H7462, H7789, H7919, H8104, H8108, H8245, G69, G70, G991, G1127, G1492, G2334, G2892, G3525, G3708, G3906, G4337, G4648, G5083, G5438

चौखट

ता’रीफ़:

“चौखट” दरवाज़े के ऊपर का सीधा खड़ा भाग है, जो दरवाज़े को मज़बूती देता है।

  • इससे पहले जब ख़ुदा इस्राईलियों को मिस्र से निकालने वाला था तब उसने उन्हें हिदायत दी कि वे एक मेम्‍ने को ज़बह करके उसका ख़ून चौखट पर लगाएं।
  • पुराने ‘अहदनामे में, एक ग़ुलाम जो अपने मालिक की ख़िदमत करना चाहता था उसकी बाक़ी ज़िन्दगी में उसका कान उसके मालिक के दरवाज़े की चौखट में कील से छेद दिया जाता था|
  • इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “दरवाज़े के दोनों पहलुओं की लकड़ी का खंभा” या “दरवाज़े की लकड़ी की चौखट” या “दरवाज़े के पहलुओं की लकड़ी की शहतीर”।

(यह भी देखें: मिस्र, फ़सह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H352, H4201

छड़ी , छड़ी

ता'अर्रुफ़:

छड़ी एक लम्बी लकड़ी होती थी जिसका इस्ते'माल चलने में सहारा लेने के लिए किया जाता था।

या'क़ूब अपनी 'उम्र दराज़ी में चलने के लिए छड़ी का सहारा लेता था। ख़ुदावन्द ने अपनी क़ुव्वत ज़ाहिर करने के लिए मूसा की छड़ी को सांप बना दिया था। चरवाहे भी छड़ी का इस्ते'माल करके भेड़ों को चलाते थे या वह गिर जाएं या भटक जाएं तो उनका बचाव करते थे। छड़ी के सिरे पर एक कांटा होता था लेकिन वह चरवाहे की लाठी से अलग होती थी क्यूँकि चरवाहे की लाठी सीधी होती थी और भेड़ों पर हमला करने वाले जंगली जानवरों को मारने के लिए काम में ली जाती थी।

(यह भी देखें: फ़िर’औन , क़ूव्वत , भेड़, चरवाहे)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4132, H4294, H4731, H4938, H6086, H6418, H7626, G2563, G3586, G4464

छेदना, बेधाता, बेधा, भेदता हुआ

ता’अर्रुफ़

“छेदना” लफ़्ज़ किसी नुकीले धारवाला हथियार घोंपना। इसका तम्सीली इस्तेमाल किसी को गहरा दिमाग़ी चोट पहुंचाने के लिए भी किया जाता है।

  • जब ‘ईसा सलीब पर लटका हुआ था तब एक सिपाही ने उसकी पसलियों पर छेदा था।
  • कलाम के ज़माने में जब ग़ुलाम को आज़ाद कर दिया जाता था तब वह अपने मालिक की ख़िदमत करने का अपनी मर्ज़ी से फ़ैसला लेता था तब उसका कान छेदा जाता था जो उसकी मर्ज़ी की ख़िदमत का निशान था।
  • शम’ऊन ने जब मरियम से कहा था कि एक तलवार उसका कलेजा छेदेगी तो वह तम्सीली शक्ल में कह रहा था कि बेटा , ‘ईसा के साथ होने वाले बर्ताव की वजह उसे गहरा दुःख होगा।

(यह भी देखें: सलीब, ‘ईसा, ख़ादिम, शम’ऊन

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H935, H1856, H2342, H2490, H2491, H2944, H3738, H4272, H5181, H5344, H5365, H6398, G1330, G1338, G1574, G2660, G3572, G4044, G4138

छोटा, हलीमी, हिल्म

ता’अर्रुफ़:

हलीम और हलीमी का हवाला गरीब या छोटी हालत से है। छोटा होने का मतलब “हलीम” होने से भी है।

  • ‘ईसा इन्सानी शक्ल में होने और इन्सानों की ख़िदमत करने तक हलीम बना था।
  • उसकी पैदाइश ग़रीबी की हालत में हुई थी क्योंकि वह शाही महल की बजाय गौशाला में हुई थी
  • हलीम रवैया घमण्ड का उल्टा है।
  • “हलीमी” के तर्जुमें के तरीक़े है “हलीम” या “ग़रीब हालत” या “बे-अहमियत”।
  • “ग़रीबी की हालत” का तर्जुमा “हलीमी” या “बहुत कम अहमियत” भी हो सकता है।

(यह भी देखें: हलीम, घमण्डी)

‏## ‏किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H6041, H6819, H8217, G5011, G5012, G5014

छोड़ना, छोड़ देना, छोड़ा हुआ, छोड़ना, ख़ारिज

ता’अर्रुफ़:

“इन्कार करना” का मतलब किसी आदमी या चीज़ को क़ुबूल करने से इन्कार करना।

  • “इन्कार” लफ़्ज़ का मतलब यह भी हो सकता है, कि किसी बात में ईमान नहीं करना।
  • ख़ुदा को छोड़ने का मतलब है उसके हुक्म मानने से इन्कार करना।
  • इस्राईलियों ने मूसा की रहनुमाई को क़ुबूल नहीं किया, इसका मतलब है कि वे उसके इख़्तियार की मुख़ालिफ़त कर रहे थे। वे उसके हुक्म मानना नहीं चाहते थे।
  • इस्राईलियों के ज़रिए’ बुतपरस्ती करने का मतलब था कि वे ख़ुदा को छोड़ रहे है।
  • इस लफ़्ज़ का मूल मतलब है, “धक्का देना”। दीगर ज़बानों में ऐसा ही इज़हार हो सकता है जिसका मतलब किसी चीज़ या इन्सान में ईमान करने का छोड़ देना या इन्कार करना।

तर्जुमे की सलाह

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “छोड़ना” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ुबूल नहीं करना” या “मदद करना रोक देना” “हुक्म मानने से इन्कार करना” या “हुक्म मानना छोड़ देना”।
  • इज़हार में “ मिस्रियों ने जिस पत्थर को छोड़ दिया था” या “तर्क कर दिया” या’नी “काम में नहीं लिया” या “क़ुबूल नहीं किया” या “फेंक दिया” या “निकम्मा जानकर काम में नहीं लिया”।
  • मज़मून में लोग, जो ख़ुदा के हुक्मों को छोड़ते हैं का तर्जुम “हुक्म मानने से इन्कार करना” या “हठ करके क़ुबूल न करना” की शक्ल में तर्जुमा हो सकता है।

(यह भी देखें: हुक्म, नाफ़रमानी, ‘अमल, ज़िद्दी

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H947, H959, H2186, H2310, H3988, H5006, H5034, H5186, H5203, H5307, H5541, H5800, G96, G114, G483, G550, G579, G580, G593, G683, G720, G1609, G3868

जज़िया ,जज़िये ,महसूल ,महसूल ,महसूल लेना ,महसूल लेने वाले ,महसूल इकठ्ठा करना ,महसूल इकठ्ठा करने वाले

ता’अर्रुफ़:

“जज़िया” और “खिराज ” या’नी हुकूमत के मुता’अल्लिक सरकार को पैसा या सामान देना। * खिराज की क़ीमत तय किसी चीज़ की क़ीमत या इन्सान की जायदाद की क़ीमत पर किया जाता है।

  • महसूल के तौर पर अदा करने वाली रक़म आम तौर पर किसी चीज़ की कीमत पर मुनहसिर होती है या उस इंसान की जायदाद की क़ीमत कितनी है |
  • ’ईसा और रसूलों के वक़्त रोमन हुकूमत रोमियों की सल्तनत में रहने वाले सब से महसूल की ज़रूरत होती है जिसमे यहूदी भी शामिल हैं |
  • जब खिराज नहीं चुकाया तब सरकार हुकूमत के ज़रिए’ किसी इन्सान या तिजारती काम के ख़िलाफ़ तहक़ीक़ कर सकती है कि देने वाली रक़म की वसूली की जाए।
  • यूसुफ़ और मरियम, सफ़र करके बैतलहम को गए ताकि मरदुम शुमारी में गिने जाए,जो कर देने के लिए रोमी सल्तनत में रहनेवाले हर इन्सान के लिए बनाया गया था।
  • बयान के मुताबिक़ "कर" लफ़्ज़ का तर्जुमा "ज़रूरी अदाइगी " या "सरकारी माल " या "हैकल का माल "की शक्ल में भी किया जा सकता है।
  • "करों का अदाएगी " करने का तर्जुमा "सरकार को पैसा" या "सरकार के लिए माल लेना " या "ज़रूरी अदाएगी करना" की शक्ल में भी किया जा सकता है। "करों को इकठ्ठा करने" का तर्जुमा "सरकार के लिए माल लेने के लिए किया जा सकता है"
  • “चुंगी लेने वाला” सरकारी नौकर है जो इन्सानों से ज़रूरी माल – इकठ्ठा करता है।
  • जो लोग रोमन हुकूमत के लिए टेक्स जमा’ करते हैं वह लोगों से अक्सर ज़्यादा पैसे मांगते हैं जो हुकूमत की ज़रूरत होती है | महसूल के अजज़ा’ अपने लिए ज़्यादा रक़म रखेगी |

क्यूँकि महसूल लेने वाले ने इस तरह लोगों को धोका दिया है |यहूदियों ने उन्हें गुनाहगारों को बेहद बदतरीन बताया है |

  • यहूदी ने यहूदियों के महसूल वालों को भी अपने लोगों को गुस्सा करार दिया है क्यूँकि उन्होंने रोमन हुकूमत के लिए जो यहूदियों पर ज़ुल्म कर रहा था |
  • यह ‘अहद नामा “महसूल जमा’ करने वाले और गुनाहगार ,नये ‘अहद नामे में एक आम इज़हार था ,कि ये ज़ाहिर करता है यहूदियों ने कितने महसूल जमा’ करने वालों को मुक़र्रर किया था |

(यह भी देखें: यहूदी, रोम, गुनाह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

34:06 उस ने कहा “दो मर्द हैकल में दुआ करने के लिए गए थे उन में से एक महसूल लेने वाला था और दूसरा मज़हबी रहनुमा था | 34:07 “मज़हबी रहनुमा ने इस तरह दुआ की “शुक्र ,है ख़ुदा का कि मई दूसरे मर्दों जैसा गद्दार नहीं हूँ जैसे चोर ,ज़ालिम इन्सान, ज़िनाकार, या उस महसूल लेने वाले की तरह | 34:09 “लेकिन महसूल वाला मज़हबी रहनुमा से बहुत दूर खड़ा था “उसने आसमान तक नहीं देखा | इसके बजाय ,उसने अपनी सीने पर बैठाया और दुआ की ,ख़ुदा मेरे लिए मेहरबान रहें क्यूँकि मै गुनाहगार हूँ | 34:10 फिर ‘ईसा ने कहा “मै तुमसे सच कहता हूँ ,ख़ुदा ने महसूल लेने वाले की दुआ सुनी और उसे रास्तबाज़ ठहराया | 35:01 एक दिन ‘ईसा कई महसूल लेने वालों और गुनाहगारों को ता’लीम दे रहा था जो उसे सुनने के लिए इकठ्ठे हुए थे

शब्दकोश:

  • Tax Collector: Strong's: H5065, H5674, G5057, G5058

ज़बह , ज़बह करना, ज़बह किए , क़त्ल किया

ता’अर्रुफ़:

“ ज़बह करना” लफ़्ज़ का मतलब है बड़ी तादाद में जानवरों या इन्सानों का ज़बह करना या “बेरहमी से क़त्ल करना”। इसका मतलब खाने के लिए जानवर का ज़बह करना भी होता है। * ज़बह करने का एक काम भी " ज़बह करना" कहा जाता है।

  • रेगिस्तान में वास करते वक़्त जब इब्राहीम के पास तीन मेहमान आए थे तब उसने अपने ख़ादिमों को हुक्म दिया था कि उनके लिए बछड़ा ज़बह करके खाना तैयार किया जाए।
  • हिज़्क़ीएल नबी ने नबूव्वत की थी कि ख़ुदावन्द अपना फ़रिश्ता भेजकर उन सबको क़त्ल करेगा जो उसके कलाम की पैरवी नहीं करते ।
  • 1 शमूएल में क़त्ल 'आम का ज़िक्र किया है जिसमें 30,000 इस्राईलियों को क़त्ल किया था क्यूँकि वह ख़ुदा के हुक्मों पर नहीं चलते थे।
  • “ ज़बह करने के हथियार” का तर्जुमा हो सकता है, “क़त्ल करने के औज़ार ”।
  • “बड़ा क़त्ल 'आम हुआ” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “बड़ी ता'दाद में लोग मारे गए” या “क़त्ल किए हुओं की ता'दाद बहुत ज़्यादा थी” या “बहुत ही ज़्यादा लोग मरे”।
  • “ज़बह” की कई शक्लें तर्जुमा की हो सकती हैं , “क़त्ल करना”, या “मार डालना” या “जान लेना”।

(यह भी देखें: फ़रिश्ते , गाय, नाफ़रमान, हिज़्क़ीएल, ख़ादिम, क़त्ल करना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2026, H2027, H2028, H2076, H2491, H2873, H2874, H2878, H4046, H4293, H4347, H4660, H5221, H6993, H7524, H7819, H7821, G2871, G4967, G4969, G5408

ज़बान, ज़बानों

ता’अर्रुफ़:

“ज़बान ” के किताब-ए-मुक़द्दस में तमसीली इस्तेमाल भी हैं।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ का सबसे ज़्यादा आम तमसीली मतलब है, “ज़बान ” या “तक़रीर ”।
  • कभी-कभी "ज़बान " एक मुक़र्रर आदमियों के झुण्ड के ज़रिए’ बोली जाने वाली ज़बान का हवाला देता है।
  • कई बार यह एक फ़ितरती ज़बानों का हवाला देता है कि पाक रूह मसीह में ईमानदारों को "रूह का तोहफ़ा " की शक्ल में देता है।
  • “ज़बान की तरह आग की लपटें” या’नी आग की “लौ”।
  • ज़ाहिरयत में "मेरी ज़बान ख़ुश हुई," लफ़्ज़ "ज़बान " पूरे इन्सान को दिखाती है। (देखें :इल्मियत )
  • जुमले "झूठी बातें" एक आदमी की आवाज या तक़रीर का हवाला देता है। देखें:सिफ़त )

तर्जुमें की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “ज़बान ” लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है, “ज़बान” या “रूहानी ज़बान ” * अगर मतलब वाज़े’ न हो रहा हो तो इसका तर्जुमा “ज़बान ” ही करें।
  • आग के बारे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “लौ” किया जा सकता है।
  • “मेरी ज़बान ख़ुशी करती है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “मैं ख़ुशी करता हूँ और ख़ुदा की ता’रीफ़ करता हूँ या “मैं ख़ुशी के साथ ख़ुदा की ता’रीफ़ करता हूँ”।
  • “झूठ बोलने वाली ज़बान ” का तर्जुमा हो सकता है, “आदमी जो झूठ बोलते हैं” या “जो लोग झूठ बोलते हैं”।
  • “उनकी ज़बानों से” जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उनके कलामों से” या “उनके लफ़्ज़ों से”।

(यह भी देखें: तोहफ़ा, पाक रूह , ख़ुशी, ता’रीफ़ , ख़ुशी करना, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे:

शब्दकोश:

  • Strong's: H762, H2013, H2790, H3956, G1100, G1258, G1447, G2084

ज़मीन, ज़मीन का, ज़मीन

ता'अर्रुफ़:

लफ़्ज़“ज़मीन” इस बात को ज़ाहिर करता है कि वह दुनिया जिसमें इंसान और सब मख़लुक़ात एक साथ रहते हैं ।

  • “ज़मीन” का मतलब ज़मीन या मिट्टी भी हो सकता है जो ज़मीन को ढकता है।

इस लफ्ज़ का 'अलामती इस्ते'माल हमेशा ज़मीन के रहने वालों को दिखाता है। (देखें: सिफ़त)

  • इज़हार “ज़मीन को ख़ुश हो जाने दो” और “वह ज़मीन का इंसाफ़ करेगा” इस लफ़्ज़ के 'अलामती इस्ते'माल भी मिसाल हैं।
  • “दुन्यावी” लफ्ज़ जिस्मानी चीज़ों के बारे में हैं।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा मुक़ामी ज़बान या आस पास की क़ौमी ज़बान के काम में आनेवाले लफ्ज़ का जुमले के तौर पर किया जा सकता है जो जिस ज़मीन जिस पर हम रहते हैं उस मंसूबा के लिए काम में लिया जाता है।
  • जुमले के मुताबिक़ “ज़मीन” का तर्जुमा “दुन्या” या “ज़मीन” या “धूल” या “मिट्टी” किया जा सकता है।
  • 'अलामती इस्ते'माल में ज़मीन का तर्जुमा “ज़मीन के लोग” या “ज़मीन पर रहनेवाले लोग” या “ज़मीन की सब चीज़ें” किया जा सकता है।
  • “दुन्यावी” का तर्जुमा “जिस्मानी” या “ज़मीन की चीज़ें” या “देखने लायक़” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: रूह, दुनिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H127, H772, H776, H778, H2789, H3007, H3335, H6083, H7494, G1093, G1919, G2709, G2886, G3625, G3749, G4578, G5517

जलावतन, जलावतनों, जलावतन किया

ता'अर्रुफ़:

“जलावतन” लफ्ज़ का मतलब है कि इन्सानों को वतन से बाहर कहीं दूर बसाया जाना।

  • इन्सान सज़ा के लिए या सियासी वजहों से अपने मुल्क से बाहर किया जाता है।
  • शिकस्त पाए मुल्क की क़ौम को, फतह मुल्क जलावतनी के तौर अपने मुल्क को ले जाता ताकि वह उनके लिए काम करें|।
  • " किताब-ए-मुक़द्दस "की ता'रीख़ की मुद्दत है जब यहुदाह के बहुत से यहूदी शहरी अपने घरों से निकल कर बाबुल में रहने के लिए मजबूर थे | यह 70 साल तक चली।
  • “जलावतनी ” लफ्ज़ उन लोगों के ता'ल्लुक़ में है जिन्हें वतन से दूर रास्ते में रखा जाता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “जलावतनी में ले जाने” का तर्जुमा एक ऐसे लफ्ज़ या ऐसे जुमले के ज़रिए’ किया जा सकता है जिसका मतलब “दूर करना” या “निकालना” या “मुल्क से निकाल देना”।
  • “जलावतनी " का वक़्त ” लफ्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ्ज़ या ऐसे जुमले के ज़रिए किया जा सकता है जिसका मतलब , “भेजे गए वक़्त ” या “जलावतन का वक़्त ” या “मजबूर ग़ैर मौजूदगी का वक़्त ” या “बर्तन”।
  • “जलावतनी ” के तर्जुमें की तरीक़े हो सकते है, “बे घर लोग” या “वह लोग जिन्हें मुल्क से निकाल दिया गया है” या “बाबुल में बे घर लोग”

(यह भी देखें: बाबुल, यहूदाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1123, H1473, H1540, H1541, H1546, H1547, H3212, H3318, H5080, H6808, H7617, H7622, H8689, G3927

जादू, जादू टोना, जादूगर, जादूगरों

ता’अर्रुफ़:

“जादू” लफ़्ज़ एक ऐसी ताक़त का काम है जो ख़ुदा से नहीं आती है। “जादूगर” वह शक़्स है जो जादू करता है।

  • मिस्र मुल्क में ख़ुदा ने मूसा के ज़रिए' से जब अजीब काम किए थे तब मिस्र के बादशाह फ़िर'औन के जादूगरों ने भी वैसे ही कुछ जादू किए लेकिन वह ख़ुदा की ताक़त से नहीं थे।
  • जादू में मंत्रों का बोलना और जादू-टोना होता है ताकि रूहानी हादसा घटे।
  • ख़ुदा ने अपने लोगों को ऐसा जादू-टोना करना मना' किया था।
  • जादू-टोना करने वाला एक तरह का जादूगर है जो अक्सर जादू के ज़रिए' दूसरों को नुक़सान पहुचाता है।

(यह भी देखें: जादूगरी, मिस्र, फ़िर'औन, ताक़त, टोना)

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2748, H2749, H3049, G3097

जादूगर, जादूगर, जादूगर, जादूगर, जादूगर, जादू टोना

ता'अर्रुफ़:

“जादू-टोना” या “भूत-सिद्धी” का बयान जादू से है जिसमें बदरूह की मदद से ताक़तवर काम किए जाते हैं। एक "जादूगर" ऐसा कोई है जो इन ताक़तवर , जादुई चीज़ों को करता है।

  • जादू-टोना और भूत-सिद्धी के ज़रिए' अच्छे और बुरे दोनों काम किए जा सकते हैं जैसे बीमारी से छुटकारा या किसी का नुक़सान । जादू टोना किसी भी तरह का हो ग़लत ही है क्यूँकि इसमें बदरूहों का काम होता है।
  • कलाम में जादू टोना को दूसरे किसी भी तरह के बड़े गुनाह जैसा माना गया है(जैसे हरामकारी, बुत परस्ती, और बच्चों की क़ुर्बानी ) ।
  • "जादू-टोना" और "भूत-सिद्धी" का तर्जुमा “बदरूह की ताक़त” या “सम्मोहन करना” किया जा सकता है।
  • "जादू" का मुमकिन तर्जुमा होगा "जादू करनेवाले" या "सम्मोहन करनेवाले" या "बदरूह की ताक़त से अजीब काम दिखानेवाले"।
  • तवज्जह दें कि "जादूगर" का मतलब "नबूव्वत " से अलग है, जो कि रूहानी दुनिया से ता'अल्लुक़ करने की कोशिश करता है।

(यह भी देखें: ज़िना, बदरूह, मुस्तक़बिल की बातें , बुत, जादू, क़ुर्बानी , ‘इबादत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3784, H3785, H3786, H6049, G3095, G3096, G3097, G5331, G5332, G5333

जानदार , जानदारों

ता’अर्रुफ़:

“जानदार ” का मतलब है ख़ुदा के ज़रिये’बनाये सब मख़लूक़ चाहे इन्सान हो या जानवर |

  • हिज़क़ीएल नबी ने ख़ुदा के जलाल के रोया में "ज़िन्दा मख़लूक़ों" का बयान किया है। वह उन्हें पहचानता नहीं था इसलिए उसने उन्हें यह नाम दिया।
  • ध्यान दें कि मख़लूक़ का मतलब यहां अलग है क्योंकि ख़ुदा ने सब कुछ बनाया है जानदार और बेजान चीज़े (जैसे ज़मीन , पानी , सितारे)। “जानदार ” लफ़्ज़ का मतलब है केवल जानदार चीज़ें |

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “जानदार” “मख़लूक़” या “ज़िन्दा मख़लूक़” या बना जानदार “भी किया जा सकता है |

इस लफ़्ज़ का जमा’ “जानदारों” का तर्जुमा “सभी ज़िन्दा मख़लूक़" या “इन्सान और जानवर ” या "जानवर " या “इन्सान ”|

(यह भी देखें: पैदा करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H255, H1320, H1321, H1870, H2119, H2416, H4639, H5315, H5971, H7430, H8318, G2226, G2937, G2938

जानना, जानता है, जानता था, जानना, ‘इल्म, ‘इल्म होना, पता करना, पता करता है, पता किया, अनजान, पहले से जानना, पहले से ‘इल्म

ता’अर्रुफ़:

“जानना” का मतलब किसी बात को समझना या किसी चीज़ का आगाह होना। "पता करना" एक इज़हार है जिसका मतलब है जानकारी देना।

  • “’इल्म” लफ़्ज़ उनके बारे में है जो इन्सान जानकारी रखते हैं। इसका मतलब जिस्मानी और रूहानी दुनिया, दोनों की जानकारी हो सकता है।

ख़ुदा के “बारे में जानना” या’नी उसके बारे में चीज़ों को समझना जो उसने हम पर ज़ाहिर किया है।

  • ख़ुदा को “जानना” का मतलब है उसके साथ रिश्ता क़ायम करना। यह इन्सानों को जानने के लिए भी काम में लिया जाता है।
  • ख़ुदा की मर्ज़ी जानना का मतलब है उसके हुक्मों के लिए होशियार रहना या इन्सान से जो चाहता है उसे समझना।
  • “शरी’अत को जानना” का मतलब है ख़ुदा के हुक्मों के लिए होशियार रहना या ख़ुदा ने मूसा को शरी’अत में जो हिदायत दी हैं उन्हें समझना।
  • कभी-कभी “’इल्म” “’अक़्ल” के मुवाफ़िक़ लफ़्ज़ के तौर पर काम में लिया जाता है जिसमें ख़ुदा को ख़ुश करनेवाली ज़िन्दगी शामिल है।
  • “ख़ुदा का ‘इल्म” को कभी-कभी “यहोवा का डर” का मुवाफ़िक़ लफ़्ज़ के तौर पर काम में लिया जाता है।

तर्जुमे की सलाह

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “जानना” के तर्जुमे हो सकते हैं, “समझना” या “जानकार होना” या “होशियार होना” या “जानकार होना” या “के बारे में” में होना।
  • कुछ ज़बानों के पास दो अलग-अलग लफ़्ज़ हैं "जानना," एक चीज़ जानने के लिए और दूसरा एक इन्सान को जानने के लिए और उसके साथ रिश्ता होने के लिए।
  • लफ़्ज़ “ज़ाहिर करना” का तर्जुमा “इन्सानों को जानने के क़ाबिल बनाना” या “ज़ाहिर करना” या “बारे में बताना” या “ज़िक्र करना” हो सकता है।

“किसी के बारे में बताना” का तर्जुमा “होशियार होना” या “जानकार होना हो सकता है।” “जानना कैसे” का मतलब कुछ करने का तरीक़ा या ढंग समझना। इसका तर्जुमा हो सकता है, “क़ाबिल होना” या “करने में हुनरमन्द होना”।

  • “’इल्म” लफ़्ज़ का तर्जुमा “जो पता है” या “अक़्ल” या “समझ” मज़मून पर मुनहस्सिर हो सकता है।

(यह भी देखें: शरी’अत, ज़ाहिर, समझना, अक़्लमन्द)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1843, H1844, H1847, H1875, H3045, H3046, H4093, H4486, H5046, H5234, H5475, H5869, G50, G56, G1097, G1107, G1108, G1231, G1492, G1921, G1922, G1987, G2467, G2589, G3877, G4267, G4894

जानवर

सच्चाई:

“जानवर” उन जानवरों को कहते हैं जो खाना और दीगर ज़रूरी सामान पैदा करते हैं। कुछ जानवरों को काम के लिए पाला जाता है

  • जानवर में भेड़, मवेशी, बकरियां, घोड़े और गधे आते हैं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में दौलत का एक हिस्से में जानवर भी गिना जाता था।
  • जानवर से ऊन, दूध, पनीर, घरेलू चीज़ें और कपड़ों का कच्चा माल पैदा होता था।
  • इसका तर्जुमा, “पालतू जानवर” भी किया जा सकता है।

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: गाय, गदहे, बकरा, घोड़ा, भेड़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H929, H4399, H4735

जानवर, जानवरों

सच्चाई:

किताब-ए- मुक़द्दस में “जानवर ” लफ्ज़ “जानवर” को कहने के लिए दूसरा लफ्ज़ है।

  • जंगली जानवर जंगल या खेतों में आज़ाद घूमता है, वह तरबियत वाला नहीं होता कि घरेलू जानवर कहलाए।
  • घरेलु जानवर इंसानों के साथ रहता है और खाना या काम करवाने के लिए इस्ते'माल में आता है जैसे हल चलाना वग़ैरा। अक्सर 'आम तौर पर ज़ाहिर करने के लिए इस्ते'माल में आता है |
  • पुराने 'अहदनामें में दानिएल की किताब और नये 'अहद नामें में मुक़ाशिफा की किताब में ख़्वाब के बारे में बताया गया है जिनमें बुराई की ताक़त और ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ बुरी ताक़त और इख्तियार को दिखाता है उसको जानवर कहा गया है। देखें , मिसाल
  • इनमें कुछ जानवरों को 'अजीब दिखाया गया है जैसे कई सिर और कई सींग। उनके पास ताक़त और इख्तियार हैं जो दिखाता हैं कि वह मुल्क, क़ौमों या सियासी ताक़तों की अलामत हैं।
  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “जानदार ” या “बनाई हुई चीज़ें ” या “जानवर ” या जंगली जानवर मज़मून पर मून ह्स्सिर

(यह भी देखें : इख्तियार, दानिएल, ज़िन्दगी, क़ौम, ताक़त, ज़ाहिर, इबलीश ,

किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H338, H929, H1165, H2123, H2416, H2423, H2874, H3753, H4806, H7409, G2226, G2341, G2342, G2934, G4968, G5074

जायज़, जायज़, शरी’अत के तौर पर, जायज़ नहीं, ग़ैर-क़ानूनी, ग़लत

ता’अर्रुफ़:

“जायज़” मतलब शरी’अत या और ज़रूरतों के मुताबिक़ इजाज़त हासिल इसका उल्टा “शरी’अत के मुख़ालिफ़” या’नी “ग़लत”।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में, अगर किसी बात को “जायज़” कहा गया है तो इसका मतलब है कि वह ख़ुदा की शरी’अत में इजाज़त हासिल है, या मूसा की शरी’अत या यहूदी रवायतों के मुताबिक़। जो “शरी’अत के ख़िलाफ़”, “जिसकी इजाज़त नहीं दी गई थी” उन कानूनों के मुताबिक़
  • “शरी’अत के मुताबिक़” करने का मतलब है, “जायज़” तौर पर करना या “सही” करना।
  • यहूदी कवानीन में जो बहुत बातें जायज़ या नाजायज़ मानी जाती थीं लेकिन ख़ुदा की शरी’अत जो दूसरों से मुहब्बत करने के बारे में थी उससे दुरुस्त नहीं थी।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर तर्जुमा “जायज़” हो सकते हैं “इजाज़त हासिल” या “ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़” या “अपने क़वानीन के ‘अमल में” या “जायज़” या “दुरुस्त”
  • “क्या यह जायज़ है” का तर्जुमा “क्या हमारी शरी’अत इजाज़त देती है?” या “क्या यह शरी’अत के मुताबिक़ है”

लफ़्ज़ “जायज़ नहीं” और नाजायज़” कानून तोड़ने वालों के लिए कामा में लिए जाते हैं|

  • नए ‘अहदनामे में, लफ़्ज़ “नाजायज़” सिर्फ़ क़ानून तोड़ने वालों के लिए ही इस्ते’माल नहीं होता बल्कि उनके लिए भी है जो यहूदी इंसानों के बनाए हुए क़ानून को भी तोड़ता है

सालों बा’द, यहूदियों ने उन क़वानीन को भी शामिल किया जो ख़ुदा ने उनको दिए थे| यहूदी रहनुमा उसे “ग़ैरकानूनी” जो उनके बनाये हुए क़वानीन के मुताबिक़ नहीं होता| जब ‘ईसा और उसके शागिर्द जब सबत के दिन पर अनाज खा रहे थे, तब फ़रीसियों ने उन पर इलज़ाम लगाया थे “ग़ैर क़ानूनी” क्यूँकि उस दिन यहूदी काम करने के बारे में, यहूदी क़ानून तोड़ रहा था| जब पतरस ने कहा कि नापाक खाना खाने से उसके लिए ग़ैर क़ानूनी था, तो उसका मतलब था कि अगर उसने उन खाने की चीज़ों को खा लिया तो वह उन क़वानीन को तोड़ देगा जो ख़ुदा ने इसराईलियों को कुछ खाने के बारे में नहीं दिया था|

लफ़्ज़ “नाजायज़” उस आदमी के बारे में बताता है जो कानून और शरी’अत को नहीं मानता| जब एक मुल्क या जमा’अत “ग़ैर क़ानूनी” की हालत में है, तो बड़ी नाफ़रमानी, बग़ावत या ग़ैर-इख़लाक़ी है|

एक ग़ैरक़ानूनी आदमी बाग़ी और ख़ुदा की शरी’अत की नाफ़रमानी करने होता है| रसूल पौलुस ने लिखा था कि आख़िरी दिनों में “बुराई का आदमी” या “बुरा” होगा, जो शैतान के ज़रिए’ बुरी चीज़ों को करने के लिए मुतास्सिर

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ “ग़ैरक़ानूनी” का तर्जुमे किसी लफ़्ज़ या इज़हार का इस्ते’माल करके किया जाना चाहिए जिसका मतलब है “जायज़ नहीं” या “क़ानून तोड़ने वाला”|

  • “ग़ैरक़ानूनी” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, जैसे “इजाज़त नहीं दी जा सकती” या “ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़” या “हमारे क़ानूनों के मुताबिक़”

  • इज़हार “शरी’अत के ख़िलाफ़” और “नाफ़रमान” का मतलब एक ही है|

  • “कानून न मानने वाला” लफ़्ज़ का तर्जुमा “बाग़ी” या “नाफ़रमान” या “क़ानून के ख़िलाफ़” भी किया जा सकता है|

  • “क़ानून तोड़ना” लफ़्ज़ का तर्जुमा “किसी भी तरह के क़ानून का ‘अमल नहीं करना” या “बग़ावत (ख़ुदा के क़वानीन के ख़िलाफ़) के तौर पर किया जा सकता है|

  • जमला “बुराई का आदमी” का तर्जुमा “आदमी जो किसी भी क़ानून का ‘अमल नहीं करता” या “वह इन्सान जो ख़ुदा के क़वानीन के ख़िलाफ़ बग़ावत करता है” के तौर पर भी किया जा सकता है|

  • अगर मुमकिन हो तो इस लफ़्ज़ में “क़ानून” का तसव्वुर को रखना ज़रूरी है|

  • ध्यान दें कि “ग़ैर-क़ानूनी” लफ़्ज़ का मतलब इस लफ़्ज़ से अलग है|

(यह भी देखें: कानून, शरी’अत, मूसा, सबत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4941, H6530, H6662, H7386, H7990, G111, G113, G266, G458, G459, G1832, G3545

जाल , फंदे, फंसाना, फंसाना, फँसना, फंसाना, जाल, जालें, फंस गए

ता'अर्रुफ़:

"जाल" और "फंदा" यह ऐसी चीजें होती थे जिनसे जानवर परिन्दे पकड़े जाते थे। जाल में फँसाने के लिए "फंसे" या "जाल" करना" है, और "जाल" या "फंसाने" के लिए एक जाल से पकड़ना है । कलाम में इन लफ़्ज़ों को जुमले की शक्ल में भी काम में लिया गया है कि गुनाह और आज़माइश छिपे हुए फंदे हैं। जिनमें फंसकर इन्सान नुक़सान उठाता है।

  • “जाल” रस्सी या तार का एक कुंडलाकार फंदा होता है जिसमें जानवर का पैर पड़ जाए तो वह उसमें उलझ जाता है।
  • “जाल ” धातु या लकड़ी का बना होता है जिसके दो हिस्से होते हैं जो जानवर का पैर पड़ने पर बन्द हो जाते हैं और जानवर भाग नहीं पाता है। कभी-कभी ज़मीन में खोदे हुए गड्ढा में जाल होता है जिसमें जानवर गिर जाता है।
  • जाल या फंदा छिपाकर रखा जाता है कि जानवर उसे देख न पाए।
  • “जाल बिछाना” या'नी किसी को फंसाने के लिए जाल लगाना।
  • “जाल में फंसना” या'नी किसी गहरे गड्ढे में गिरना जो पहले से जानवर को फंसाने के लिए खोदा गया है।
  • एक शख्स जो गुनाह करना शुरू' कर देता है और रोक नहीं सकता, उसे "गुनाह से फंसे" की शक्ल में बयान किया जा सकता है, जिस तरह एक जानवर को फँसाने के लिए किया जा सकता है और बच नहीं सकता।
  • जिस तरह कि जानवर फंदे में फंसकर मिसीबत में पड़ जाता है और नुक़सान उठाता है उसी तरह इन्सान गुनाह में फंस कर नुक़सान उठाता है और उसे आज़ादी की ज़रूरत होती है।

(यह भी देखें: आज़ाद , , शिकार, शैतान, आज़माइश में डालना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2256, H3353, H3369, H3920, H3921, H4170, H4204, H4434, H4685, H4686, H4889, H5367, H5914, H6315, H6341, H6351, H6354, H6679, H6983, H7639, H7845, H8610, G64, G1029, G2339, G2340, G3802, G3803, G3985, G4625

ज़िनाकारी, ग़ैर इख़लाक़ी, ग़ैर इख़लाक़ी, ज़िना

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “ज़िना” का मतलब ज़ीनी काम के बारे में है जो एक मर्द और ‘औरत से बाहर ले जाता है| यह ख़ुदा के मंसूबे के ख़िलाफ़ है पुरानी अंग्रेजी की किताब-ए-मुक़द्दस में इसे फोर्निकेशन (ज़िना) कहा गया है।

  • यह लफ़्ज़ किसी भी तरह के ज़ीनी काम के बारे में बताता है जो ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है, जिनमें हमजिन्सी और फ़हास के काम शामिल हैं|
  • ग़ैर इख़लाक़ी भी एक तरह का ज़िना है, ख़ास तौर से ऐसे जिन्सी काम जिसमें शादीशुदा इन्सान और कोई और जो उस इंन्सान का शरीक-ए-हयात नहीं है|
  • तवायफ़ से ता’अल्लुक़ एक दूसरी क़िस्म का ग़ैर इख़लाक़ी ज़िना है जिसमें जिन्सी ता’अल्लुक़ात के लिए किसी पैसा दिया जाता है।
  • इस लफ़्ज़ को ‘अलामती शक्ल में इस्राईल की बुतपरस्ती के लिए काम में लिया गया है जो ख़ुदा से धोका है।

तर्जुमे की सलाह:

  • लफ़्ज़ “ज़िनाकारी” का तर्जुमा “ग़ैरइख़लाक़ी” किया जा सकता है जब तक कि इस लफ़्ज़ का सही मतलब समझ में आए।
  • इसके और तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “ग़लत जिन्सी ता’अल्लुक़ात” या “शादीशुदा रिश्ते के बाहर जिंसी ता’अल्लुक़”।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ज़िना” से अलग लफ़्ज़ में किया जाए।
  • इसके ‘अलामती इस्ते’माल के तर्जुमे में वहीं लफ़्ज़ रखना ठीक है क्योंकि ख़ुदा के साथ धोखा और जिन्सी ता’अल्लुक़ में धोका का किताब-ए-मुक़द्दस में ‘आम मुक़ाबला है।

(यह भी देखें: ज़िना, झूठे मा’बूद, तवायफ़, बे-ईमान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2181, H8457, G1608, G4202, G4203

ज़िन्दगी की किताब:

ता'अर्रुफ़:

“ज़िन्दगी की किताब” का हवाला दिया जाता है उस किताब से है जिसमें ख़ुदा ने उन सब इंसानों के नाम लिखे हैं जिनको उसने नजात करके उन्हें हमेशा की ज़िन्दगी दे दी है।

  • मुक़ाशिफ़े की किताब में इस किताब को “मेम्ने कि ज़िन्दगी की किताब” कहा गया है। इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “ख़ुदा के मेम्ने 'ईसा की ज़िन्दगी की किताब ”। सलीब पर 'ईसा की क़ुर्बानी ने इंसानों के गुनाह की सज़ा उठा ली कि वह उसमें ईमान की तरफ़ से हमेशा की ज़िन्दगी पाएं।
  • “किताब” लफ्ज़ का मतलब है “तूमार” या “ख़त” या “मज़मून” या “जायज़ दस्तावेज़।” यह लफ्ज़ी या 'अलामती हो सकता है।

(यह भी देखें: हमेशा, मेम्ना, ज़िन्दगी, क़ुर्बानी, \ तूमार)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2416, H5612, G976, G2222

ज़ियाफ्त

ता'अर्रुफ़:

“ज़ियाफ्त” एक बड़ा रवायती खाना जिसमें कई तरह के खाने होते थे।

  • पुराने ज़माने में बादशाह सियासी रहनुमाओं और ख़ास मेहमानों के लिए हमेशा ज़ियाफ्त का इन्तिज़ाम करते थे।
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “ख़ास ज़ियाफ्त ” या “ख़ास खाना ” या “मुख्तलिफ़ क़िस्म खानों की ज़ियाफ्त ”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H3739, H4797, H4960, H4961, H8354, G1173, G1403

ज़ुल्म करना, ज़ुल्मों, मज़लूम, ज़ुल्म करना, ज़ुल्म, मज़लूम , ज़ालिम, ज़ुल्म करनेवालों

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “ज़ुल्म करना” और “ज़ुल्म” उस इन्सान के बारे में है जो शख़्त सुलूक करता है| ज़ालिम “ज़ालिम” इन्सानों पर ज़ुल्म करता है।

  • लफ़्ज़ “ज़ुल्म” ख़ास करके उस हालत का हवाला देता है जिसमें बहुत ताक़तवर इन्सान अपने इख़्तियार के ताबे’ या अपनी बादशाही के लोगों के साथ बुरा सुलूक करते हैं या उन्हें ग़ुलाम बना लेते हैं।
  • लफ़्ज़ “मज़लूम” उन लोगों के बारे में बताता है जिनके साथ बुरा सुलूक किया जाता है।
  • अक्सर दुश्मन मुल्क और उनके हाकिम इस्राईल की क़ौम पर ज़ुल्म करते थे।

तर्जुमा की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “ज़ुल्म” का तर्जुमा किया जा सकता है, “शख़्त सुलूक करना” या “भारी बोझ डालना” या “बदक़िस्मती की ग़ुलामी में रखना” या “बेरहम हुकूमत करना”।
  • “ज़ुल्म” के तर्जुमा के और भी तरीक़े हो सकते हैं, “बहुत ज़ुल्म और ग़ुलामी” या “भारी क़ाबू”
  • जुमले “मज़लूम लोग” का तर्जुमा हो सकता है, “मज़लूम इन्सान” या “भारी ग़ुलामी में इन्सान” या “बेरहमी का सुलूक सहनेवाले."
  • लफ़्ज़ “ज़ुल्म करने वाले” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़ुल्मी इन्सान” या “शख़्त सुलूक या हुकूमत करनेवाला मुल्क” या “जालिम”

(यह भी देखें: बांधना, ग़ुलाम बनाना, सताना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1790, H1792, H2541, H2555, H3238, H3905, H3906, H4642, H4939, H5065, H6115, H6125, H6184, H6206, H6216, H6217, H6231, H6233, H6234, H6693, H7429, H7533, H7701, G2616, G2669

जूआ, जूए, जूए में

ता’अर्रुफ़:

जूआ लकड़ी या लोहे का होता है जिसमें दो या ज़्यादा जानवर जोते जाते हैं कि हल चलाएं या गाड़ी खीचें। इसके कई 'अलामती मतलब हैं।

  • लफ़्ज़ "जूआ" का इस्ते'माल अलामती शक्ल से किया जाता है, जो कि एक साथ काम करने के मक़सद से लोगों को शामिल करना, जैसे कि 'ईसा की ख़िदमत करने के लिए।
  • पौलुस ने किसी ऐसे शख़्स को बयान करने के लिए "जुआ " लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया जो मसीह की ख़िदमत कर रहा था। इसका तर्जुमा “साथी काम करने वाला” या “साथी ख़ादिम” या “जोड़ना” भी हो सकता है।
  • लफ़्ज़ "जूआ" का इस्ते'माल अक्सर एक भारी बोझ का बयान करने के लिए किया जाता है, जिसे किसी को ले जाना पड़ता है, जैसे ग़ुलामी या परेशानी के ज़रिए' दमन करते वक़्त।
  • जुमले के तौर पर इसका तर्जुमा ज्यों का त्यों ही हो और 'अलामती ज़बान में खेती के लिए जो जूआ काम में आता है वही लफ़्ज़ काम में लिया जाए।

इस लफ़्ज़ के 'अलामती इस्ते'मालों का तर्जुमा हो सकता है, जुमले का तौर पर “ज़ूल्म का बोझ” या “भारी बोझ” या “बंधन”।

(यह भी देखें: बांधना, बोझ, ज़ूल्म करना, सताना, ख़ादिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3627, H4132, H4133, H5674, H5923, H6776, G2086, G2201, G2218, G4805

जूता, जूतियाँ

ता'अर्रुफ़:

"जूते" असल में बराबर तले की जूते होते थे जिसे पांवों और टखने पर चमड़े की पट्टी से बांधी जाती थी। 'औरत-मर्द दोनों ही इन जूतों को पहनते थे।

  • कभी-कभी जूते किसी क़ानूनी फ़ैसले को साबित करने के लिए भी काम में लिया जाता था जैसे कोई अपने माल को बेचता हो तो वह अपने जूते उतार कर ख़रीददार को दे देगा।एक आदमी एक जूता ले जाएगा और दूसरे को दे देगा।
  • अपने जूते उतारना सामने वाले के लिए 'इज़्ज़त और एहतराम का निशान था, ख़ास करके ख़ुदा की मौजूदगी में।
  • यूहन्ना ने कहा था कि वह 'ईसा की जूतियों (जूतों)के फ़ीता खोलने के लायक़ भी नहीं है, ऐसा काम 'आम तौर पर नीचे तबक़े के या ग़ुलाम का होता था।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5274, H5275, H8288, G4547, G5266

ज़ैतून

ता’अर्रुफ़:

ज़ैतून एक छोटा अण्डा जैसा फल होता है, यह ज़्यादातर रोम के समंदरी इलाक़े में उगाया जाता था।

ज़ैतून के पेड़ सदाबहार बड़ी झाड़ी होते है, उनके फूल छोटे और सफ़ेद होते हैं। वे गर्म आब-ओ-हवा में सबसे अच्छे उगते हैं और उन्हें पानी भी बहुत कम चाहिए होता है।

  • ज़ैतून का फल हरा होता है और पकने पर काला पड़ जाता है। ज़ैतून खाने के लिए और उनसे निकाले जाने वाले तेल के लिए इस्ते’माल होता था।
  • ज़ैतून का तेल पकाने के, चराग़ जलाने और मज़हबी जश्नों के लिए काम आता था।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ज़ैतून के पेड़ और डाल इंसानों के लिए ‘अलामती तौर पर में काम में लिए जाते थे।

(यह भी देखें: चराग़, समन्दर, ज़ैतून का पहाड़ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2132, H3323, H8081, G65, G1636, G1637, G2565

जौ

ता'अर्रुफ़:

"जौ" एक तरह, का अनाज होता है जिससे वह रोटी बनाते थे |

  • जौ का पेड़ लम्बा होता है जिसके उपरी हिस्से पर आनाज की बाली होती है|
  • जौ गर्म मौसम में फलती है और इसकी कटनी बसन्त मौसम या गर्म मौसम में होती है
  • जौ को भूसे से अलग करने के लिए जौ दांवा जाता है |
  • जौ को पीसकर आटा बनाते हैं तब पानी या तेल में गूंध कर रोटी बनाई जाती है |
  • अगर जो मुनासिब ज़बान में जानी नहीं जाती है तो इसका तर्जुमा "जौ कहलाने वाला अनाज ' या "जौके दाने " किया जा सकता है |

(यह भी देखें: नावाकिफ़ लफ्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: अनाज, [दांवना, गेंहूँ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8184, G2915, G2916

झाड़ना, , झाड़ा-सफ़ाई , झाडू

सच्चाई:

"झाड़ना" को आम तौर पर झाड़ू या ब्रश के साथ चौड़ा, धीरे धीरे कर के गंदगी को दूर करना होता है । "झाड़ना" का माज़ी झाड़ा है। इन लफ़्ज़ों का इस्ते'माल तमसीली भी है।

  • “झाड़ना” का 'अलामती मतलब है फ़ौज के ज़रिए' ,तेज़ फ़ैसला कुन, वासी' पैमाने पर कदम उठाना कहलाता है।
  • मिसाल के तौर पर , यसा'याह ने नबूव्वत की थी कि असूरों की फ़ौज यहूदा मुल्क का सफाया कर देगी। इसका मतलब है कि वह यहूदा के मुल्क को हलाक करके लोगों को क़ैदी बनाकर ले जायेंगे।
  • लफ़्ज़ "झाड़ना" का इस्ते'माल उस तरीक़े का बयान करने के लिए भी किया जा सकता है जिसमें तेज़ी से बहने वाले पानी चीज़ों को धक्का दे और उन्हें दूर कर दें।
  • जब एक शख़्स के लिए मुश्किल चीज़ें भारी हो रही हैं, तो यह कहा जा सकता है कि वह "उसे ख़त्म" कर रहे हैं।

(यह भी देखें: असूर, यसा'याह, यहूदा, नबी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H622, H857, H1640, H2498, H2894, H3261, H5500, H5502, H5595, H7857, H8804, G4216, G4563, G4951

झिड़कना, घुड़कने, डांटा

ता’अर्रुफ़:

झिड़कना या’नी शख़्त अलफ़ाज़ के इस्ते’माल के ज़रिए’ किसी का सुधार करना कि वह गुनाहों से फिर जाए। इस तरह के सुधार झिड़कना है।

नये ‘अहदनामे में ईमानदारों को हुक्म दी गई है कि वे साथ के ईमानदारों को ख़ुदा की हुक्मों का ‘अमल न करने पर डाँटे। अम्साल में वालिदैन को हिदायत है कि वे अपनी औलाद की ताड़ना करें।

  • झिड़की ख़ास करके गलती करनेवाले को गुनाह करने से रोकने के लिए की जाती थी।
  • इसका तर्जुमा “शख़्ती से सुधार करना” या “मशविरा करना” की शक्ल में हो सकता है।

जुमला “एक झिड़की” का तर्जुमा, शख़्त सुधार” या “शख़्त तनक़ीद” के तौर पर हो सकता है। “बिना झिड़के” इस जुमले का तर्जुमा “बिना समझाए” या “तनक़ीद किए बिना” की शक्ल में हो सकता है।

(यह भी देखें: आगाह कराना, नाफ़रमानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1605, H1606, H2778, H2781, H3198, H4045, H4148, H8156, H8433, G298, G299, G1649, G1651, G1969, G2008, G3679

झिलम, झिलमें, सीनाबन्द

ता'अर्रुफ़:

लफ्ज़ "सीनाबन्द" का मतलब कपड़े के एक खास टुकड़े को दिखाता है जो इस्राईली सरदार काहिन अपनी छाती के सामने के हिस्से पर पहनते थे। लफ्ज़ "सीनाबन्द" का मतलब कपड़े के एक ख़ास टुकड़े को दिखाता है जो इस्राईली सरदार काहिन अपनी छाती के सामने के हिस्से पर पहनते थे।

  • सिपाहियों की तरफ़ से पहने जाने वाली "झिलम" लकड़ी, धातु या जानवर के चमड़े की होती थी। उनको पहनने का मक़सद था कि फौजी का सीना भाले, तीर और तलवार से महफूज़ रहे।
  • इस्राईली सरदार काहिन के कपडे की "झिलम" कपड़े की होती थी जिससे क़ीमती पत्थर जड़े होते थे। काहिन हैकल में ख़ुदा की ख़िदमत करते वक़्त इसे पहनता था।
  • लफ्ज़ "झिलम" का तर्जुमा करने के और तरीक़ों में "धातु सीनाबन्द छाती कवर" या "छाती की हिफ़ाज़त करने के लिए कवर टुकड़ा" शामिल हो सकते हैं।
  • लफ्ज़ "चपरास" का एक लफ्ज़ के साथ तर्जुमा किया जा सकता है जिसका मतलब है "कहानत का लिबास, जिससे सीना ढका होता है।" या "सरदार काहिन लिबास के टुकड़े" या "सरदारों के कपड़ों के सामने का टुकड़ा"।

(यह भी देखें: हथियार, सरदार -काहिन, छेदना, काहिन, हैकल , जंग)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2833 , H8302, G2382

झूठा नबी, झूठे नबियों

ता’अर्रुफ़:

एक झूठा नबी वह इन्सान होता है जो ग़लत तरीक़े से दा’वा करता है कि उसका पैग़ाम ख़ुदा से आता है।

  • झूठे नबियों की नबूव्व्तें ज़्यादातर पूरी नहीं होती थी। लिहाज़ा, वे सच में नहीं आते थे।
  • झूठे नबी ऐसे पैग़ाम सिखाते हैं जो किताब-ए-मुक़द्दस कहती हैं कि थोड़े तौर से या पूरी तरह से रद्द करते हैं।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा "ऐसे इन्सान की शक्ल में भी किया जा सकता है जो झूठे तौर पर ख़ुदा के तर्जुमान होने का दा’वा करते हैं" या "कोई ऐसा इन्सान जो ख़ुदा के अलफ़ाज़ को बोलने का झूठा दा’वा करता है।"
  • नया ‘अहदनामा सिखाता है कि आख़िर में कई झूठे नबी होंगे जो लोगों को यह सोचने के लिए धोखा देने की कोशिश करेंगे कि वे ख़ुदा की तरफ़ से आए हैं।

(यह भी देखें: पूरा, नबी, सच्चा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G5578

टाट

ता'अर्रुफ़:

टाट बकरी के या ऊँट के बालों से बना एक चुभनेवाला सख्त लिबास होता था।

  • जो लोग इससे बने हुए कपड़े पहनते थे उनको आराम नहीं होता था । * टाट मातम, ग़म या ‘आजिज़ी तौबा दिखाने के लिए पहना गया था ।
  • "टाट और राख" एक तरह के जुमले थे जो नौहा और तौबा के लिए एक तरह के जुमलें है ।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा इस तरह से भी किया जा सकता है जैसे "जानवरों के बालों से बना मोटा लिबास" या "बकरी के बालों से बना लिबास" या "मोटा चुभने वाला लिबास ।"
  • इस तरह से भी इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है "सख्त,खुरखुरा ग़म के कपड़ों।"
  • "टाट ओढ़कर राख में बैठना" का तर्जुमा ऐसे भी हो सकता है जैसे "चुभने वाला लिबास पहनकर राख में बैठने के ज़रिए' मुसीबत और हलीमी ज़ाहिर करना।"

(यह भी देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: राख, ऊंट, बकरी, आजिज़ी, ग़म, तौबा, निशान )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8242, G4526

टिड्डी, टिड्डियाँ

सच्चाई:

“टिड्डी” एक क़िस्म का उड़नेवाला टिड्डा जैसा बड़ा कीड़ा होता है जो कभी कभी उड़ते है अपनी तरह की और टिड्डियों के साथ एक बहुत ही नुक़सानदायक झुंड बनकर जो सभी फ़सलों खा जाते है।

  • टिड्डियां या ‘आम टिड्डे बड़े और सीधे पर काले लम्बे पैरों वाले कीट होते है। इनके जुड़े हुए पिछले पैरों की वजह से ये बहुत दूर तक कूद सकते हैं।
  • पुराने नियम में टिड्डियों के झुण्ड ‘अलामती तौर से तबाही के निशानी होते थे जो इस्राईल की नाफ़रमानी का मुस्तक़बिल का नतीजा था।
  • ख़ुदा ने मिस्रियों पर जो दस आफ़तें भेजी थी उनमें टिड्डियां भी एक आफ़त थी।
  • नये ‘अहदनामे में युहन्ना का ख़ास खाना जंगल की टिड्डियां था।

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: क़ैदी, मिस्र, इस्राईल, यूहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला), बीमारी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H697, H1357, H1462, H1501, H2284, H3218, H5556, H6767, G200

टेढ़ी, गुमराही , बिगड़ा , बे इन्साफ़ी , उलट फेर, बिगाड़ने, टेढ़ी-मेढ़ी, उलट-पुलट कर दिया, बहकाते

ता’अरूफ़:

“टेढ़ी” लफ़्ज़ एक ऐसे इन्सान वाज़े’ करते हैं जो सही तौर से बेकार या बिगड़े तरीके के हैं। “गुमराही ” या’नी “बिगड़ा तरीका ”। किसी चीज़ को “टेढ़ा” करना या’नी उसे सही या अच्छी हालत से बुरी हालत में कर देना।

  • कोई आदमी या चीज़ टेढ़ी है तो वह सही और अच्छे से ख़िलाफ़ हो गया या गई है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में इस्राईली ख़ुदा के हुक्मों को न मानने की वजह से टेढ़ा बर्ताव करते थे। वे हमेशा झूठे मा’बूदों की इबादत करके ऐसा करते थे।
  • ख़ुदा के मन को या उसके बरअक्स सही बर्ताव के ख़िलाफ़ हर एक काम टेढ़ा माना जाता था।
  • “टेढ़े” के तर्जुमा की और शक्ल है, “एख़लाक़ मेंबिगाड़ ” या “बुरे एखलाक़ ” या “ख़ुदा के सीधे हिस्से से बेराह होना”, यह सब मज़मून पर मुनहसिर होना है।
  • “टेढ़ी ज़बान ” का तर्जुमा हो सकता है, “बुरी ज़बान बोलना” या “फ़रेब की बातें करना” या “बे एखलाक़ी ज़बान काम में लेना”।
  • “टेढ़े लोग” का तर्जुमा हो सकता है, “बुरे लोग” या “बे एखलाक़ आदमी ” या “लगातार ख़ुदा के हुक्मों को तोड़ने वाले लोग”।
  • “टेढ़ी चाल चलना” का तर्जुमा हो सकता है, बुरा बर्ताव करना” या “ख़ुदा के हुक्मों के ख़िलाफ़ चलना” या “ख़ुदा की ता’लीम के ख़िलाफ़ ज़िन्दगी जीना”।
  • “टेढ़ी” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बर्बाद होना” या “बुराई में बदल जाना”।

(यह भी देखें: बेकार, धोका देना, नाफ़रमानी, बुरा, फिरना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1942, H2015, H3399, H3868, H3891, H4297, H5186, H5557, H5558, H5753, H5766, H5773, H5791, H5999, H6140, H6141, H8138, H8397, H8419, G654, G1294, G3344, G3859

टोकरियाँ, टोकरियाँ ,टोकरीभर

ता'अर्रुफ़:

“टोकरी” सरकंड़ों से बना एक बर्तन होता है।

  • किताब-ए- मुक़द्दस के ज़माने में टोकरियां 'आम तौर पर पौधों के मज़बूत हिस्सों से बनती थी जैसे पेड़ की शाख़ाओं के छिलके या सरकंडे।
  • टोकरी में पानी रोकना राल लगाने से वह पानी पर तैरती थी।
  • जब मूसा एक बच्चा था तब उसकी माँ ने एक राल वाली टोकरी बनाकर उसमें मूसा को रखा और नील नदी के बीच में रख दिया वह नील नदी में तैरने लगी।
  • इस कहानी में जिस लफ्ज़ का तर्जुमा “टोकरी” किया गया है उसी लफ्ज़ का तर्जुमा “नाव” भी किया गया है जिसको नूह ने बनाया था। इन दोनों मज़मून में इन लफ़्ज़ों का सही तर्जुमा “तैरने वाला बर्तन ” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: नाव, मूसा, नील नदी, नूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H374, H1731, H1736, H2935, H3619, H5536, H7991, G2894, G3426, G4553, G4711

ठोकर, ठोकर की वजह , ठोकर की वजह होना , ठोकर का पत्थर

ता'अर्रुफ़:

“ठोकर की वजह ” या “ठोकर का पत्थर” कोई चीज़ जिससे किसी का पैर टकराए और वह गिर जाए।

  • अलामती शक्ल में “ठोकर की वजह ” “वह कोई भी बात है जिसकी वजह से इन्सान की इख़लाक़ी या रूहानियत में रुकावट जाए।
  • ‘अलामती शक्ल में “ठोकर की वजह ” या “ठोकर का पत्थर” ऐसी कोई भी बात है जो इन्सान को 'ईसा में ईमान करने से रोकती है या इन्सान को रूहानियत में तरक्की नहीं करने देती है।
  • गुनाह हमेशा किसी के लिए या दूसरे के लिए ठोकर की वजह है।
  • कभी-कभी ख़ुदा उससे बग़ावत करने वाले के रास्ते में ठोकर की वजह पैदा कर देता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • अगर एक ज़बान में फंदे को खुला रखनेवाली चीज़ का कोई लफ़्ज़ है तो वह लफ़्ज़ तर्जुमा में लिया जा सकता है।
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “ठोकर लगने का पत्थर” या “शक पैदा करनेवाली रुकावट” या “ईमान में रुकावट” या “किसी से गुनाह कराने वाली बात”।

(यह भी देखें: ठोकर खाना, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4383, G3037, G4349, G4625

ठोकर, ठोकर खाए, ठोकर खाया, ठोकर खाता

सच्चाई:

"ठोकर" खाना मतलब चलते या दौड़ते वक़्त पैर टकराने की वजह तक़रीबन गिर जाना। इसमें किसी चीज़ से पैर के लगन की वजह से गिरना होता है।

  • ‘अलामती शक्ल में "उसके लिए ठोकर खाना" का मतलब उसके लिए गुनाह " या "के लिए "धोकेबाज़" हो सकता है ।
  • यह लफ़्ज़ भी एक लड़ाई के लड़ते वक़्त की कमज़ोरी दिखा रहा है या उन्हें परेशान या सज़ावार किया जा रहा है को ज़ाहिर करता है ।

तर्जुमा की सलाह:

  • उन बारों में जहाँ "ठोकर" लफ़्ज़ का मतलब जिस्मानी शक्ल से किसी चीज़ के सफ़र पर होता है, इसका तर्जुमा एक लफ़्ज़ के साथ किया जाना चाहिए जिसका मतलब है "तक़रीबन गिरना" या "सफ़र करना।"
  • इस बारे में यह सही मा'ने रखता है कि अगर इस बारे में सही मतलब का बयां किया जाता है, तो यह लफ़्ज़ी मतलब भी एक 'अलामत के बारे में इस्ते'माल किया जा सकता है।
  • जुमलों के इस्ते'माल के लिए जहाँ 'अलामती ज़बान में लफ़्ज़ी मतलब नहीं होगा, जैसे बयान के मुताबिक़ "ठोकर" का तर्जुमा किया जा सकता है, "गुनाह" या "लड़खड़ाना" या "ईमान में रुकावट" या "कमजोर होना"।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करने का एक दूसरा तरीक़ा हो सकता है, "गुनाह करने से ठोकर" या "ईमान न करने से ठोकर"।
  • जुमला "ठोकर करने के लिए बनाया" का तर्जुमा "कमजोर होने की वजह " या "लड़खड़ाना " के वजह किया जा सकता है।

(यह भी देखें: ईमान , औलाद, गुनाह, रुकावट)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1762, H3782, H4383, H4384, H5062, H5063, H5307, H6328, H6761, H8058, G679, G4348, G4350, G4417, G4624, G4625

ढाल, ढालें, बचाया

ता’अर्रुफ़:

ढाल, फ़ौज के जरिए' हाथ में पकड़ने का औज़ार जिससे वह दुश्मन के वार से बचता है। “किसी की ढाल होना” या'नी उसे नुक़सान से बचाना।

  • ढाल, दिखने में गोल या अन्डे के जैसी होती थी और चमड़े, लकड़ी या धातु की बनी होती थी और तलवार का वार और तीर वग़ैरह को रोकने के लिए बहुत सख़्त होती थी।
  • इस लफ़्ज़ को 'अलामती शक्ल में इस्ते'माल करते हुए, कलाम ख़ुदावन्द को उसके लोगों का हिफ़ाज़ती कवच कहा गया है। (देखें: ) मिसाल
  • पौलुस “ईमान की ढाल” जुमले का इस्ते'माल करता है, यह एक वाक़ि'आ है जिसका मतलब है, ‘ईसा में ईमान करना और ख़ुदा का हुक्म मानकर उस ईमान की ज़िन्दगी गुज़ारना, ईमानदारों को शैतान के हमले से बचाता था।

(यह भी देखें: ईमान, फ़रमाबरदारी, शैतान, रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2653, H3591, H4043, H5437, H5526, H6793, H7982, G2375

ढालना, साँचा, ढालकर, बना रहा था, बनानेवाला, सड़ना

ता’अर्रुफ़:

ढालना लकड़ी, मिट्टी या धातु का खोखला औज़ार होता है जिसमें बुत या दूसरी चीज़ें बनाने के लिए सोना,चाँदी या दूसरी धातुएं या प्लास्टिक को पिघला कर डाला जाता है।

  • ज़ेवरात, बर्तन या दूसरी चीज़ें सांचों में डाल कर बनाई जाती थी।
  • कलाम में सांचा ख़ास तौर से बुत बनाने के बारे में काम में लिया गया है।
  • धातुओं को तेज़ गरमी से पिघलाया जाता है कि वह सांचे में उण्डेली जाएं।
  • ढालने का मतलब है सांचे के ज़रिए' या हाथों के ज़रिए' किसी चीज़ को शक्ल देना।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “शक्ल देना” या “शक्ल देना” या “बनाना” हो सकता है।
  • “ढालना” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “ शक्ल देना” या “बनाना”।
  • “सांचा” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “ शक्ल बनाने का बर्तन” या “तराशी हुई चीज़”

(यह भी देखें: झूठे मा’बूद , सोना, झूठे मा’बूद , चाँदी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4541, H4165, G4110, G4111

ढूँढ़े, ढूँढ़ते हैं, खोजना, मांगा

ता'अर्रुफ़:

"ढूँढ़े" या'नी किसी चीज़ या आदमी की तलाश करना। माज़ी में क्या काम है " ढूंढा गया" इसका मतलब यह भी है, किसी काम को करने की "पूरी कोशिश करना" या "मेहनत करना।"

  • "खोज करना" या "इन्तिज़ार करना" या'नी किसी ख़ास काम को करने के मौक़े' को "वक़्त निकालने की कोशिश" कहते है।
  • "यहोवा की खोज करना" या'नी "यहोवा को जानने और उसके हुक्म मानने में वक़्त और तवानाई लगाना।"
  • "हिफ़ाज़त खोजना" या'नी "किसी आदमी या जगह को ढूंढने की कोशिश करना कि परेशानी से बचाए।"
  • "इन्साफ़ खोजना" या'नी "लोगों के साथ इन्साफ़ और ख़ुद गर्ज़ी के सुलूक की कोशिश करना।"
  • "सच्चाई की खोज करना" या'नी "सच्चाई क्या है जानने की कोशिश करना।"
  • "फ़ज़ल की खोज करना" या'नी "अच्छा बर्तन बनने की कोशिश" या "ऐसे काम करना कि किसी से मदद मिले।"

(यह भी देखें: मुन्सिफ़, सच)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H579, H1156, H1239, H1243, H1245, H1556, H1875, H2470, H2603, H2658, H2664, H2713, H3289, H7125, H7592, H7836, H8446, G327, G1567, G1934, G2052, G2212

तख़्त, तख़्तों, तख़्त नशीन होना

ता’अर्रुफ़:

एक तख़्त एक ख़ास शक्ल से बनाई गई कुर्सी है जहाँ एक हाकिम बैठता है जब वह अहम मामलों का फ़ैसला करता है और अपने लोगों की फ़रियाद को सुनता है।

  • तख़्त हाकिम का इख़्तियार और ताक़त का निशान है।
  • “तख़्त ” लफ़्ज़ का तमसीली इस्ते’माल बादशाह या उसकी सल्तनत या उसकी क़ुदरत के लिए भी किया जाता है। (देखें: ‘इल्म बयान की एक सिफ़त )
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा को बादशाह की शक्ल में तख़्त पर बैठे हुए कहा गया है। ‘ईसा को ख़ुदा बाप के दाहिनी ओर तख़्त पर बैठा हुआ बयान किया गया था।
  • ‘ईसा ने कहा कि आसमान ख़ुदा का अर्श है। इसका तर्जुमा , "जहां ख़ुदा बादशाह की शक्ल में सल्तनत करता है" किया जा सकता है।

(यह भी देखें इख़्तियार, ताक़त , बादशाह , बादशाहत करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3427, H3676, H3678, H3764, H7675, G968, G2362

तबाह करना, तबाह करना, बर्बाद

ता’अर्रुफ़:

“तबाह करना” या’नी लूटना, तबाह करना, या निकम्मा कर देना। लफ़्ज़ “खण्डहर” या “खण्डहरों” तबाह किए गए मलबे या तबाह किए गए अवशेष।

नबी ज़ेपनियाह ने ख़ुदा के ग़ज़ब के दिन को “तबाही का दिन” कहा था, जब दुनिया का इंसाफ़ किया जाएगा और सज़ा दी जाएगी। अम्साल की किताब में लिखा है कि बेदीनों के फल के लिए तबाही और बर्बादी है। मज़मून पर मुनहस्सिर, “तबाह करना” का तर्जुमा “बर्बाद करना” या “नाबूद कर देना” या “निकम्मा कर देना” या “तोड़ देना” किया जा सकता है। लफ़्ज़ “तबाह” या “तबाही” का तर्जुमा “मलबा” या “तबाह ‘इमारते” या “तबाह किया गया शहर” या “तबाही” या “तोड़फोड़” या “बर्बादे” हो सकता है मज़मून पर मुनहस्सिर।

किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6, H1197, H1530, H1820, H1942, H2034, H2040, H2717, H2719, H2720, H2723, H2930, H3510, H3765, H3782, H3832, H4072, H4288, H4383, H4384, H4654, H4658, H4876, H4889, H5221, H5557, H5754, H5856, H6365, H7451, H7489, H7582, H7591, H7612, H7701, H7703, H7843, H8047, H8074, H8077, H8414, H8510, G2679, G2692, G3639, G4485

तबाह होना, तबाह हुआ, तबाह करना, तबाही, तबाहियाँ

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “तबाह कर दिया” या “तबाही” किसी जायदाद या ज़मीन के बर्बाद या तबाह होने बारे में बताता है| अक्सर इसमें उस मुल्क के बाशिंदों को तबाह कर देना और बन्दी बनाना भी शामिल है।

  • इसका हवाला बहुत शदीद और पूरी तरह से बर्बादी से है।
  • मिसाल के तौर पर, सदोम शहर के बाशिंदों के गुनाह की सज़ा में ख़ुदा ने उस शहर को तबाह कर दिया था।
  • लफ़्ज़ “तबाही” के मतलब में सज़ा या तबाही के ज़रिए’ अज़ीम जज़्बाती ग़म से भी शामिल हो सकता है।

तर्जुमे की सलाह के:

  • “उजड़ना” का तर्जुमा “पूरी तरह से तबाह” या “पूरी तरह से बर्बाद” के तौर पर किया सकता है।
  • मज़मून पर मुनह्स्सिर, “उजाड़” का तर्जुमा “पूरी तरह से तबाह ” या “पूरा तबाह होना” या “बहुत ज़्यादा ग़म होना” या “मुसीबत होना” हो सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1110, H1238, H2721, H1826, H3615, H3772, H7701, H7703, H7722, H7843, H8074, H8077

तरह, क़िस्में, हलीम, हलीमी

ता’अर्रुफ़:

“हलीम” और “क़िस्म” लफ़्ज़ उन चीज़ों की मजमू’आ या दर्जाबन्दी के बारे में बताते हैं जो ख़ुसूसियात से मुंसलिक होते हैं”| हैं।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में, इस लफ़्ज़ का ख़ास तौर पर ख़ास क़िस्म के पेड़ और जानवरों के बारे में बताता है जिन्हें ख़ुदा ने बनाया जब उसने दुनिया की तख़लीक की|
  • अक्सर “क़िस्म” में भी मुख़्तलिफ़ क़िस्में होती हैं| मिसाल के तौर पर, घोड़े, ज़ेबरा, और गधे वग़ैरह सब एक ही “क़िस्म” के लेकिन उनकी नसलें मुख़तलिफ़ हैं|
  • एक ख़ास बात जिसमें “क़िस्म” को अलग अलग जमा’अत के तौर पर अलग करती है कि उस जमा’अत के अफ़राद उन की “नस्ल” में से ज़्यादातर दुबारा पेश कर सकते हैं| मुख़्तलिफ़ क़िस्म के लोग एक दूसरे के साथ ऐसा नहीं कर सकते

तर्जुमें की सलाह

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमा करने के तरीक़े में “तरह” या “दर्जा” या “क़ौम” या “जानवर(पौंधा) के नसल” या “क़िस्म”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2178, H3978, H4327, G1085, G5449

तरीक़ा , तरीक़े

ता'अर्रुफ़:

तरीक़ा, ख़ास तौर से लिखा क़ानून हैं जो लोगों की ज़िन्दगी के लिए रास्ता तय करता है।

  • लफ़्ज़ "क़ानून" "फ़रमान " और "हुक्म" और "क़ानून" और "डिक्री" के तरह है। इन सभी शर्तों में उन हुक्मों और ज़रूरतें शामिल हैं जिनमें ख़ुदावन्द अपने लोगों या हाकिमों को उनके लोगों को देता है।
  • दाऊद बादशाह कहता था कि वह यहोवा के तरीक़ों से ख़ुश रहता था।
  • “तरीक़ा” का तर्जुमा “ख़ास हुक्म ” या “ख़ुसूसी फ़रमान ” की शक्ल मैं किया जा सकता है।

(यह भी देखें: हुक्म , हुक्म, क़ानून, फ़रमान , यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2706, H2708, H6490, H7010

तलवार, तलवारें, तलवार रखनेवाले

ता'अर्रुफ़:

एक तलवार सपाट ब्लेड, धातु का एक हथियार होता है जो काटने या छेदने के लिए इस्ते'माल किया जाता है। इसमें एक बहुत तेज काटने वाले किनारे के साथ एक लम्बा धार ब्लेड और एक कुंदा होता है ।

पुराने ज़माने में तलवार के ब्लेड की लंबाई तक़रीबन 60 से 91 सेंटीमीटर थी। कुछ तलवारों में दोनों तरफ़ धार लगी होती है जिन्हें दोधारी तलवार कहते हैं।

  • ‘ईसा के शागिर्द भी ख़ुद की हिफ़ाज़त के लिए तलवारें रखते थे । पतरस अपनी तलवार चलाकर सरदार काहिन के ख़ादिम का कान काट दिया था

यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला और या'क़ूब रसूल दोनों का सिर तलवार से काटा गया था।

तर्जुमा की सलाह:

एक तलवार ख़ुदा के लफ़्ज़ के लिए एक इस्ति'यार की शक्ल में इस्ते'माल किया जाता है । कलाम में ख़ुदा की ता'लीमों ने लोगों के अंदरूनी ख़्यालों को रोशन किया और उन्हें अपने गुनाहों के मुजरिम ठहराया। इसी तरह एक तलवार गहराई से काटती है, दर्द पैदा करती है। (देखें: इस्ति'यार

  • इस 'अलामती इस्ते'माल का तर्जुमा करने का एक तरीक़ा हो सकता है, “ख़ुदा का कलाम तलवार जैसा है जो गहरा वार करके गुनाह को ज़ाहिर करता है”।
  • इस आयत का एक दूसरा 'अलामती इस्ते'माल ज़बूर में हुआ है, जहां किसी शख्स की ज़बान या 'एलान की बराबरी तलवार से होती है, जो लोगों को घायल कर सकती है। इसका तर्जुमा किया जा सकता है "जीभ एक तलवार की तरह है जो किसी को बुरी तरह से घायल कर सकती है।"
  • अगर आपके माहोल में तलवारें नहीं जानी जाती हैं, तो इस लफ़्ज़ का तर्जुमा एक लंबे मोहरे हथियार के नाम से किया जा सकता है जिसका इस्ते'माल काटने या छेदने के लिए किया जाता है।

तलवार का तर्जुमा “धारवाला हथियार” या “लम्बी छुरी” भी किया जा सकता है। कुछ तर्जुमों में तलवार की तस्वीर देना भी मुनासिब हो सकता है।

(यह भी देखें:नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: या'क़ूब (‘ईसा का भाई), युहन्ना (बपतिस्मा देनेबाला), जीभ, ख़ुदा का कलाम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H19, H1300, H2719, H4380, H6609, H7524, H7973, G3162, G4501

तलाक़

ता’अर्रुफ़:

तलाक़ देना शादी तोड़ने का कानूनी ‘अमल है। लफ़्ज़ "तलाक़" का मतलब है कि शादी का ख़ात्मा करने के लिए शौहर बीवी को रस्मी और कानूनी तौर से छोड़ देना।

  • “तलाक” का लफ़ज़ी मतलब हैः "अलग कर देना" या "रस्मी तौर से अलग होना।" और ज़बानों में तलाक़ के लिए इसी तरह का कोई लफ़्ज़ हो सकता है।
  • "तलाक़ का फ़रमान" का तर्जुमा हो सकता हैः " शादी तोड़ने के दस्तावेज़।"

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1644, H3748, H5493, H7971, G630, G647, G863

तवारीख़

ता’अर्रुफ़:

“तवारीख़” या वक़्त के किसी ज़माने की लिखी हुई वारदात की तहरीर।

  • पुराने ‘अहद नामे की दो किताबें, “पहली तवारीख़” और “दूसरी तवारीख़” कहलाती हैं।
  • “तवारीख़” की इन किताबों में इस्राईल की तवारीख़ का एक हिस्सा ज़ाहिर करता है जिनका शुरू’ आदम से लेकर हर एक नसल के लोगों की फ़हरिस्त से है।
  • ”पहली तवारीख़”इस किताब में बादशाह साऊल की ज़िन्दगी का ख़ात्मा और बादशाह दाऊद की सल्तनत तहरीर है |
  • ”दूसरी तवारीख़” बादशाह सुलेमान और ग़ैर बादशाहों की बादशाहत का बयान है ,हैकल ता’मीर और उत्तरी सलतनत इस्राईल और दाख्खिन की सलतनत यहूदा का बटवारा भी |
  • दूसरी तवारीख़ की किताब के आख़ीर में बाबुल की ग़ुलामी के शुरू’ होने की गुफ्तुगू की गयी है |

(यह भी देखें: बाबुल, दाऊद, ग़ुलामी, इस्राईल की सलतनत, यहूदा; सुलेमान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1697

तशरीह करना, बयान करना, तफ़सीर दिया, तशरीह, मतलब बताना, तशरीहात , तर्जुमा करने वाला

सच्चाई:

“ तशरीह करना” और “मतलब बताना” का मतलब है किसी अधूरी बात का मतलब समझाना।

  • कलाम में इन लफ़्ज़ों के बारे ख़्वाब और रोया के मतलब बताने से है।
  • बाबुल के बादशाह ने ख़्वाब देखा और वह परेशान हो गया तब ख़ुदावन्द ने दानिएल की मदद की कि वह उसका ख़्वाब बताए और उसका मतलब समझाए।
  • ख़वाब का “मतलब” बताना या'नी उस का तर्जुमा समझाना।
  • पुराने 'अहद नामे में ख़ुदा कभी-कभी ख़वाबों के ज़रिए' लोगों को मुस्तक़बिल की बातें बताता था। लिहाज़ा उन तर्जुमों का मतलब नबूव्वत होता था।

“मतलब बताना” दूसरी बातों की तशरीह समझाना भी होता है, जैसे कि यह मा'लूम करना कि मौसम कितना ठंडा या गर्म है, कैसी हवा है, और आसमान कैसा दिखता है।

  • “मतलब बताना” का तर्जुमा “मतलब की वज़ाहत ” या “ख़ुलासा करना” या “मतलब समझाना” भी हो सकता है।
  • “मतलब बताना” का तर्जुमा “तफ़सीर” या “मतलब का ख़ुलासा ” भी हो सकता है।

(यह भी देखें: बाबुल, दानिएल, ख़्वाब, नबी , मक़सद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H995, H3887, H6591, H6622, H6623, H7667, H7760, H7922, G1252, G1328, G1329, G1381, G1955, G2058, G3177, G4793

तसल्ली, तसल्ली, तसल्ली दी, तसल्ली देने वाला, तसल्ली देनेवाला, तसल्ली देनेवाले, तसल्ली नहीं मिली

ता’रीफ़:

“तसल्ली” और “तसल्ली देनेवाला” का बयान उस इन्सान से है जो जिस्मानी या जज़्बाती दर्द में मुब्तिला की मदद का बयान करने के लिए काम में लिया गया है।

  • तसल्ली देने वाले को तसल्ली देने वाला कहते हैं
  • पुराने ‘अहद नामे में “तसल्ली देना” ख़ुदा की क़ौम के लिए उसकी महरबानी और उसके प्यार और दुखों में उनकी मदद का बयान करने के लिए काम में लिया गया है।
  • नये ‘अहद नामे में कहा गया है कि ख़ुदा अपनी पाक रूह के ज़रिये अपने लोगों को तसल्ली ‘अता करेगा। जिन्हें तसल्ली मिलती है वे बदले में दुःख उठानेवालों को तसल्ली देंगे।
  • “इस्राईल का तसल्ली देने वाला ” मसीह के बारे में है जो अपने लोगों को नजात देगा।
  • ’ईसा ने पाक रूह को मददगार कहा जो ‘ईसा पर ईमान रखने वालों की मदद करेगा |

तर्जुमे की सलाह:

मज़मून के मुताबिक़ “तसल्ली देना “ का तर्जुमा हो सकता है “दुखों को हटाने वाला “या “(किसी को)दुःख से उबरने में मदद “ या “हौसला देते हैं” या तसल्ली “

  • ”हमारी तसल्ली “इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है ,”हमारा हौसला’या हमारी (किसी के)हमदर्दी “या “दुखी होने के वक़्त हमारी मदद”|
  • लफ़्ज़"तसल्ली देनेवाला" का तर्जुमा"कोई इन्सान तसल्ली देता है" या "कोई इन्सान जो दर्द को कम करने में मदद करता है" या "कोई इन्सान जो हौसला देता है"।
  • जब पाक रूह को "तसल्ली देनेवाला" कहा गया तो इसका तर्जुमा "तसल्ली देना वाला " या "मददगार " या "जो मदद और रास्ता दिखाता है।"
  • जुमला "इस्राईल की तसल्ली" का तर्जुमा "मसीहा जो इस्राईल को तसल्ली ‘अता करता है" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • एक दिल पसन्दकलाम की तरह, "उनके पास कोई तसल्ली देनेवाला नहीं" का भी तर्जुमा किया जा सकता है, "कोई भी उन्हें तसल्ली नहीं देता" या "उन्हें हौसला देने या उनकी मदद करने के लिए कोई नहीं है।"

(यह भी देखें: हौसला देना , पाक रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2505, H5150, H5162, H5165, H5564, H8575, G302, G2174, G3870, G3874, G3875, G3888, G3890, G3931

तस्वीर, तस्वीरों , खुली तस्वीर, खोदी हुई तस्वीर, धातु की तस्वीर , सूरत, तस्वीर बनाने वाला ,खुली हुई शक्ल, खुदी हुई शक्ल , धात की शक्ल ,

ता’अर्रुफ़:

यह सब लफ़्ज़ झूठे मा'बूदों की 'इबादत में बुतों के बारे में हैं। बुत परस्ती के रिश्ते में बुत का मतलब था, तराशे हुए बुत।

  • “ख़ुदी हुई तस्वीर” या “खुदे हुए बुत” लकड़ी से बनाया हुआ जानवर, इन्सान या किसी चीज़ की तरह नज़र आती हो।
  • “धातु की खुदी हुई मूरत” धातु को पिघला कर सांचे में डालकर किसी चीज़, जानवर या इन्सान की शक्ल देना।
  • यह लकड़ी के या धातु की तरह झूठे मा'बूदों की 'इबादत के काम में लिए जाते थे।
  • किसी बुत के लिए “बुत” लफ़्ज़ का मतलब है लकड़ी या धातु के बुत ।

तर्जुमा के लिए सलाह:

  • बुत के बारे में “बुत ” का तर्जुमा “सूरत ” या “ख़ुदे हुए बुत ” या “ख़ुदी मज़हबी चीज़ ” किया जा सकता है।
  • कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ के साथ मनफ़ी लफ़्ज़ काम में लेना ज़्यादा बेहतर होगा जैसे “ख़ुदी हुई सूरत” या “ढले हुए बुत” चाहे कहीं-कहीं सिर्फ़ “बुत” या “लाठ” लफ़्ज़ हो जो असल ज़बान के हैं।
  • वाज़ेह करें कि यह लफ़्ज़ ख़ुदा की सूरत से अलग हो।

(यह भी देखें: झूठे मा’बूद, ख़ुदावन्द, बुत, ख़ुदावन्द की सूरत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H457, H1544, H2553, H4541, H4676, H4853, H4906, H5257, H5262, H5566, H6091, H6456, H6459, H6754, H6755, H6816, H8403, H8544, H8655, G1504, G5179, G5481

तहम्मुल , तहम्मूल से, सब्र करना , बर्दाश्त

ता’अर्रुफ़:

“तहम्मुल ” और “सब्र ” लफ़्ज़ कठिन हालातों में मज़बूत खड़े रहने के बारे में है। “सब्र करना ” में अक्सर इन्तिज़ार करना होता है।

  • किसी के साथ तहम्मुल होने का मतलब है उससे मुहब्बत करना और उसकी गलतियों को मु’आफ़ कर देना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा के लोगों को ता’लीम दी गई है कि वे परेशानियों में सब्र करें और एक दूसरे की बर्दाश्त हो।
  • अपनी रहमत की वजह से खुदा इन्सानों के साथ तहम्मुल वाला है जबकि वे सज़ा के लायक़ गुनहगार हैं।

(यह भी देखें: बर्दाश्त करना, मुआ’फ़ी , सब्र)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H750, H753, H2342, H3811, H6960, H7114, G420, G463, G1933, G3114, G3115, G3116, G5278, G5281

ता’मीर करना, ता’मीर की, ता’मीर करने वाला, बुनियाद, बुनियादें

ता’अर्रुफ़:

फ़े’अल लफ़्ज़ “ता’मीर करना” का मतलब ता’मीर, बनाना या उसके लिए बुनियाद रखना। जुमले “पर क़ायम” का मतलब है हिमायत की या उसकी बुनियाद पर। “बुनियाद” वह नींव है जिस पर ता’मीर किया जाता है।

  • घर या ‘इमारत की नींव मज़बूत होनी चाहिए, वह पूरी ता’मीर को संभालने के लिए मुनहस्सिर करने के लायक़ होनी चाहिए।
  • “बुनियाद” का हवाला किसी बात को शुरू’ से भी हो सकता है या वह वक़्त जब किसी चीज़ को ता’मीर किया गया था।
  • ‘अलमाती मतलब में, मसीह के ईमानदारों का मुक़ाबला एक ऐसी ‘इमारत से किया गया है जिसकी नींव रसूलों और नबियों की ता’लीम पर पड़ी है जिस ‘इमारत के कोने का पत्थर मसीह ख़ुद है।
  • “नींव का पत्थर” नींव में रखा गया पत्थर होता है। इन पत्थरों को आज़मा कर देखा जाता था कि वे पूरी ‘इमारत को संभालने के लिए मज़बूत हैं या नहीं।

तर्जुमे की सलाह:

  • जुमला “दुनियाँ की तख़लीक से पहले” का तर्जुमा किया जा सकता है, “क़ायनात की तख़लीक से पहले”, या “क़ायनात के ज़ाहिर होने के वक़्त से पहले” या “पूरी क़ायनात के बनने से पहले”।
  • लफ़्ज़ “बुनियाद... मज़बूत करके रखी” का तर्जुमा हो सकता है, “हिफ़ाज़ती बनाया” या “मज़बूती से बुनियाद रखना”।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “नींव” का तर्जुमा “मज़बूत नींव” या “ठोस बुनियाद” या “शुरू’” या “तख़लीक”।

(यह भी देखें: कोने का पत्थर, बनाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H134, H787, H803, H808, H2713, H3245, H3247, H3248, H4143, H4144, H4146, H4328, H4349, H4527, H6884, H8356, G2310, G2311, G2602

ताक़त, ताक़तवर करना, मज़बूत किया, मज़बूत, मज़बूत करना

सच्चाई:

“ताक़त” या'नी जिस्मानी, जज़्बाती या रूहानी ताक़त। “ मज़बूत करना” (क़ायम होना, मज़बूत होना) या'नी किसी को ज़्यादा ताक़तवर बनाना।

  • “ताक़त” का मतलब यह भी है कि किसी तरह की मुख़ालिफ़ ताक़त का सामना करना।
  • आज़माइश में नहीं गिरनेवाले में “मर्ज़ी की ताक़त ” होती है।
  • ज़बूर का मुंसिफ़ यहोवा को अपनी “ताक़त” कहता है या'नी ख़ुदा उसे ताक़तवर होने में मदद करता है।
  • दीवार या हैकल जैसी 'इमारत को मज़बूत किया जाए तो इसका मतलब है कि उसको दोबारा तैयार किया जा रहा है उसमें पत्थर और ईंटों को जोड़कर उसे ज़्यादा मज़बूत किया जा रहा है कि वह हमले का सामना कर पाए।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ मज़बूत करना” का 'आम तर्जुमा हो सकता है, “ मज़बूत करना” या “ज़्यादा ताक़तवर बनाना”।

  • रूहानी मतलब में “अपने भाइयों को मज़बूत कर” का तर्जुमा होगा, “अपने भाइयों की हौसला अफ़ज़ाई कर” या “अपने भाइयों को सब्र करने में मदद हासिल कर”।

  • लिखी हुई मिसालें इन लफ़्ज़ों का मतलब दिखाते हैं, और इसलिए उनका तर्जुमा कैसे किया जा सकता, जब उन्हें लंबे वक़्त तक तजुर्बे में शामिल किया जाता है।

  • “पटके की ताक़त ” या'नी “पूरी ताक़त देना जैसे पटका कमर को घेरे रहता है”।

  • “सुकून और ईमान तेरी ताक़त होगी” या'नी “पुर सुकून भरोसा और ख़ुदा में ईमान तुझे रूहानी ताक़त हासिल करेगा”।

  • "अपनी ताक़त का तजुर्बा करेगा" का मतलब "फिर से मजबूत हो जाएंगे”।

  • "मेरी ताक़त और मेरी 'अक़्ल से मैंने काम किया" इसका मतलब है "मैंने यह सब किया है क्यूँकि मैं बहुत ताक़तवर और 'अक़्लमन्द हूं।"

  • "दीवार को मजबूत करें" का मतलब है "दीवार को मज़बूत करना" या "दीवार को फिर से बनाना"।

  • “मैं तुझे मज़बूत करूंगा” या'नी “मैं तुझे ताक़तवर बनाऊंगा”।

  • “नजात और ताक़त यहोवा से है, या'नी “सिर्फ़ यहोवा हमारी नजात करता है और हमें ताक़त देता है”।

  • “ ताक़त की चट्टान” या'नी “वह ईमान के लायक़ है जो तुझे ताक़त देता है”

  • “उसकी दहिने हाथ की नजात की ताक़त से” या'नी “वह तुझे मुसीबतों से ताक़त के ज़ोर उबारता है जैसे कोई तुझे ताक़तवर हाथ से पकड़े रहे”।

  • “छोटी ताक़त” या'नी “कमज़ोर” या “ज़यादा मज़बूत नहीं”।

  • “अपनी पूरी ताक़त से” या'नी “अपने पूरी कोशिश से” या “मज़बूती से मुकम्मल तौर से ”

(यह भी देखें: ईमान, मज़बूत रहना, दाहिना हाथ, नजात)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H193, H202, H353, H360, H386, H410, H553, H556, H905, H1082, H1369, H1396, H1679, H2220, H2388, H2391, H2392, H2393, H2428, H2633, H3027, H3028, H3559, H3581, H3811, H3955, H4206, H4581, H5326, H5331, H5332, H5582, H5797, H5807, H5810, H5934, H5975, H6106, H6109, H6697, H6965, H7292, H7293, H7296, H7307, H8003, H8443, H8510, H8632, H8633, G461, G772, G950, G1411, G1412, G1743, G1765, G1840, G1849, G1991, G2479, G2480, G2901, G2904, G3619, G3756, G4599, G4732, G4733, G4741

ताक़त, ताक़तवर, बहुत ताक़तवर, ताक़त से

ता’अर्रुफ़:

“क़ादिर-ए-मुतलक़” और “ताक़त” के बारे में बड़ी क़ूव्वत या ताक़त से है।

  • “ताक़तवर” हमेशा “मज़बूती” के लिए दूसरा लफ़्ज़ है। ख़ुदावन्द के बारे में बात करते वक़्त इस लफ़्ज़ का मतलब “क़ूव्वत” हो सकता है।
  • “ताक़तवर आदमी” के बारे में हिम्मत और जंग में माहिर आदमियों के लिए किया गया है। दाऊद के ईमानदार साथी जो उसकी हिफ़ाज़त और देखरेख करते थे उन्हें कई बार “ताक़तवर आदमी” कहा गया है।
  • ख़ुदावन्द को भी “क़ादिर-ए-मुतलक़” कहा गया है।
  • “ क़ुदरत वाले काम” हमेशा ख़ुदावन्द के मो’जिज़ों, ख़ास करके अजीब कामों को कहा गया है
  • यह लफ़्ज़ “क़ादिर-ए-मुतलक़” ख़ुदा के नारे में है जो ख़ुदावन्द के लिएआम बयान है जिसका मतलब है कि उसके पास पूरी क़ूव्वत है।

तर्जुमा के लिए सलाह:

  • बयान के मुताबिक़ “ताक़तवर” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “ताक़तवर” या “” या हैरत अंगेज़“बहुत मज़बूत ”
  • “उसकी ताक़त” का तर्जुमा हो सकता है, “उसकी क़ूव्वत” या “उसकी ताक़त”।
  • रसूलों के 'आमाल 7 में मूसा को “कलाम और अमल दोनों में ताक़तवर” कहा गया है। इसका तर्जुमा हो सकता है, “मूसा ख़ुदावन्द के ताक़तवर कलाम बोलता था और अजीब काम करता था।” या “मूसा ख़ुदावन्द के कलाम की ताक़त के साथ कलाम करता था और अजीब के काम करता था।”
  • बयान के मुताबिक़ , “ताक़तवर काम” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदावन्द के ज़रिए' काम ” या "मो'जिज़ा" या “ख़ुदावन्द ताक़त के साथ काम करता है।”
  • “ताक़त” का तर्जुमा “क़ूव्वत” या “बहुत मज़बूत ” हो सकता है।
  • इस लफ़्ज़ का अंग्रेजी में इमकान केलिए इस्ते'माल किया जाता है जैसे बारिश हो सकती है।

(यह भी देखें:[क़ादिर-ए-मुतलक़, मो'जिज़ा, क़ूव्वत, बल

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H46, H47, H117, H193, H202, H352, H386, H410, H430, H533, H650, H1219, H1368, H1369, H1370, H1396, H1397, H1401, H1419, H2220, H2389, H2394, H2428, H3201, H3524, H3581, H3966, H4101, H5794, H5797, H5807, H5868, H6099, H6105, H6108, H6184, H6697, H6743, H7227, H7580, H7989, H8623, H8624, H8632, G972, G1411, G1413, G1414, G1415, G1498, G1752, G1754, G2159, G2478, G2479, G2900, G2904, G3168, G3173, G5082

ताज , ताज, ताज पहनाना, ताज रखा

ता’अर्रुफ़:

ताज बादशाह रानी के सिर पर पहना जानेवाला ज़ेवर हैं। “ताज पहनाना” का मतलब किसी के सिर पर ताज रखना ; जिसका ‘अलामती मतलब है “इज़्ज़त करना।”

  • ताज सोने या चांदी के बने होते थे और उनमे क़ीमती पत्थर मरकत और माणिक जड़े होते थे।
  • ताज बादशाह की ताक़त और माल -दौलत का निशान था।
  • इसके बरख़िलाफ़ सिपाहियों ने ‘ईसा के सिर पर कांटों का ताज रखा था तो वह उसका मज़ाक़ उड़ाने और उसे दुःख देने के लिए था।
  • पुराने ज़माने में जीतने वाले खिलाड़ियों को जैतून के पेड़ की टहनियों का ताज पहनाया जाता था। पौलुस रसूल तीमुथियुस को लिखे दूसरे ख़त में इस ताज की गुफ़्तुगू करता है।
  • तम्सीली शक्ल में “ताज पहनाने” का मतलब है इज़्ज़त करना। हम ख़ुदा का हुक्म मानकर और ग़ैरों में उसकी ता’रीफ़ बयान करके उसकी इज़्ज़त करते हैं। यह ऐसा है जैसे उसके सिर पर ताज रखना और उसे बादशाह क़ुबूल करना।
  • पौलुस ईमानदारों को अपनी “ख़ुशी और ताज ” कहता है। इस कलाम में “ताज ” का मतलब ‘अलामती है जिसका मतलब है कि पौलुस बहुत बरकत से मा’मूर और क़ाबिल-ए-इज़्ज़त है क्योंकि ईमानदार ख़ुदा की ख़िदमत में यकीन के लायक़ रहे हैं।
  • तम्सीली शक्ल में इस्ते’माल करने पर ताज का तर्जुमा “इना’म ” या “इज़्ज़त ” या “बदला ” किया जा सकता है।
  • “ताज पहनाने” को जब तम्सीली शक्ल में काम में लिया जाए तो इसका तर्जुमा “इज़्ज़त देना” या “आरास्ता करना” हो सकता है।
  • किसी को ताज पहनाने का तर्जुमा हो सकता है, “उसके सिर पर ताज रखा गया”।
  • “जलाल और इज़्ज़त का ताज ” का तर्जुमा “उसे ता’ज और इज़्ज़त दिया गया” या “उसे जलाली या क़ाबिल-ए-इज़्ज़त किया गया” या “वह जलाल और इज़्ज़त के साथ मा’मूर था”।

(यह भी देखें: जलाल, बादशाह, जैतून)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2213, H3803, H3804, H4502, H5145, H5849, H5850, H6936, G1238, G4735, G4737

ताबे' होना, ताबे' रहना, ताबे' हुआ, ताबे' रहना, ताबे'दार ,ताबे'दारी में

ता'अर्रुफ़:

“ताबे' होना” का 'आम मतलब है अपनी मर्ज़ी से किसी के या हुकूमत के ताबे' होना।

  • कलाम में 'ईसा के ईमानदारों को कहा गया है कि वह अपनी ज़िन्दगी में ख़ुदा और दूसरे हाकिमों के ताबे रहो ।
  • “एक दूसरे के ताबे' रहो” या'नी हलीमी से एक दूसरे को क़ुबूल करें और अपने जैसे दूसरों की ज़रूरतों पर ज़्यादा तवज्जह दें।
  • “ताबे'दारी में रहो” या'नी ख़ुद को किसी के ताबे' रखो।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ताबे' रहो” का तर्जुमा “इख्तियार के नीचे हो जाओ” या “रहनुमाई की पैरवी करो” या “हलीमी से 'इज़्ज़त करो और बड़ाई करो”।
  • “ताबे'दारी” का तर्जुमा “हुक्मों पर 'अमल” या “ इख्तियार को क़ुबूल करना” हो सकता है।
  • “ताबे'दारी में रहो” का तर्जुमा “करो” फरमा बरदार या “किसी के मातहत रहो”।
  • “ताबे'दारी में रहो” का तर्जुमा “हलीमी से इख्तियार को क़ुबूल करो”

(यह भी देखें: मज़मून )

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3584, H7511, G5226, G5293

तारीकी

ता’अर्रुफ़

तारीकी का लफ़्ज़ी मतलब है रोशनी की ग़ैरमौजूदगी| इस लफ़्ज़ के ’अलामती मतलब भी हैं:

  • इस्ता’रा की शक्ल में “तारीकी” का मतलब “नापाकी”, या “बुराई”, या “रूहानी अँधापन” है |
  • यह गुनाह और इख़लाक़ी फ़सादात के हवाले से है|
  • “तारीकी का बादशाह” इस जुमले का मतलब है सब कुछ जो बुरा है और शैतान के ताबे’ है|
  • तारीकी मौत की शक्ल भी है| (देखें: इस्ता’रा
  • जिन इंसानों को ख़ुदा का ‘इल्म नहीं उन्हें उनके लिए कहा जाता है कि वे “तारीकी में रह रहे हैं” या’नी रास्तबाज़ी को समझते नहीं और न ही उसका सुलूक करते हैं|
  • ख़ुदा नूर(रास्तबाज़ी) है और तारीकी (बुराई)उस पर नहीं छा सकती है|
  • ख़ुदा को छोड़ने वालों को सज़ा की जगह को कभी-कभी “बाहरी तारीकी” कहा जाता है|

तर्जुमे की सलाह

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जैसा का तैसा करना ठीक है, मक़सदी ज़बान में इसका मुतरज्जिम लफ़्ज़ जिसका ता’अल्लुक रोशनी की ग़ैरमौजूदगी से है | यह किसी कमरे की तारीकी का भी लफ़्ज़ हो सकता है जहाँ रोशनी नहीं या वक़्त का वह पहर जब रोशनी नहीं होती|
  • ‘अलामती इस्ते’माल में भी रोशनी के मुख्तलिफ़ लफ़्ज़ का मतलब ज़ाहिर होना है, भलाई और सच्चाई के मुख़ालिफ़ बुराई और धोके का ज़िक्र करना|
  • मज़मून पर मुनहस्सिर इसका तर्जुमा हो सकता है, “रात की तारीकी” (जैसा कि “दिन की रोशनी” की मुख़ालिफ़त की गयी थी) या “कुछ भी नहीं देखना, रात की तरह” या “बुराई, तारीक जगह जैसा|

(यह भी देखें: फ़साद, इख़्तियार, बादशाही, नूर, नजात देना, रास्तबाज़

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H652, H653, H2816, H2821, H2822, H2825, H3990, H3991, H4285, H5890, H6205, G2217, G4652, G4653, G4655, G4656

तीरंदाज़, तीरंदाज़ों

ता’अर्रुफ़:

“तीरंदाज़” धनुष और तीर को हथियार की तरह काम में लेने में माहिर आदमी ।

  • कलाम में तीरंदाज़ एक सिपाही है जो फ़ौज में धनुष और तीर का इस्तेमाल करता है।
  • तीरंदाज़ अश्शूरों की फ़ौज का सबसे ख़ास हिस्सा थे।
  • कुछ ज़बानों में इसके लिए अपना लफ़्ज़ होगा जैसे “तीरंदाज़”

(यह भी देखें: अश्शूर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1167, H1869, H2671, H2686, H3384, H7198, H7199, H7228

तुरही, तुरहियां, तुरही फूँकनेवालों

ता’अर्रुफ़:

“तुरही” मौसीक़ी के लिए या लोगों को ‘ऐलान या मजलिस के लिए इकठ्ठा करने के लिए बजाने वाला था।

  • तुरही आमतौर पर धातु, शंख या जानवर के सींग से बनाई जाती थी।
  • तुरही जुंग के लिए या इस्राईल की मजलिसे आम के लिए फूंकी जाती थी।
  • मुकाश्फ़ा की किताब में आख़ीर वक़्त के मन्ज़र का बयान किया गया है जब फ़रिश्ते तुरही फूंकेंगे जो ज़मीन को खुदा के ग़ज़ब को उण्डेले जाने का इशारा होगा।

(यह भी देखें: फ़रिश्ता , मजलिस , ज़मीन , सींग, इस्राईल, ग़ज़ब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2689, H2690, H3104, H7782, H8619, H8643, G4536, G4537, G4538

तूमार , तूमारों

ताअर्रुफ़:

पुराने ज़माने में, एक किताब तूमार या चमड़े की बनी एक छोटी चादर होती थी जिस पर लिखकर उसे लपेट लिया जाता था।

  • लिखकर या पढ़ कर उसे फिर दोनों सिरों पर लगे डंडों पर लपेट दिया जाता था।
  • क़ानूनी कागज़ात ओर मज़हबी-सहीफ़ों के लिए किताब काम में ली जाती थी।
  • क़ासिद के हाथ लाई गई उन किताब पर मोम की मुहर लगी होती थी। जब किताब (दस्तावेज़ों) हासिल होने पर मोम अभी भी मौजूद था, तो हासिल करने वाले को पता था कि किताब को पढ़ने के लिए किसी ने भी इसे खोला नहीं था या उस पर लिखने के बा'द से इसे सील कर दिया गया था।
  • 'इब्रानी मज़हब की मुक़द्दस किताब (दस्तावेज़ों) इबादतख़ानों में पढ़े जाते थे।

(यह भी देखें: मुहर, ‘इबादतख़ाना, ख़ुदा का कलाम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4039, H4040, H5612, G974, G975

तेल

ता’अर्रुफ़:

तेल एक मोटा, पानी जैसी चीज़ है जो पेड़ों से निकाला जाता है। किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में ज़ैतून का तेल ज़्यादातर काम में लिया जाता था।

  • ज़ैतून का तेल पकाने, मसह करने, क़ुर्बानी चढ़ाने, चराग़ जलाने और दवाइयाँ के बनाने में काम में लिया जाता था।
  • पुराने ज़माने में ज़ैतून का तेल बेशक़ीमत था और तेल का जमा’ करना दौलत का पैमाना माना जाता था।
  • यक़ीनी बनाएँ कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा पकाने के तेल का मतलब ज़ाहिर करे न कि, गाड़ियों में डालने वाले तेल का। कुछ ज़बानों में इन अलग-अलग तेलों के लिए अलग अलग लफ़्ज़ है।

(यह भी देखें: ज़ैतून, क़ुर्बानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1880, H2091, H3323, H4887, H6671, H7246, H8081, G1637, G3464

दरख़्त , पेड़ , लगाए गए, पेड़ लगाना, बनाना , दोबारा बनाना , एक जगह से दूसरी जगह लगाना , बोना, बोया बोया, बोया, बुवाई

ता'अर्रुफ़:

एक "पेड़" आम तौर पर कुछ ऐसा होता है जो बढ़ता है और जमीन से जुड़ा होता है। “बोना” या'नी ज़मीन में बीज डालना कि पेड़ उगें। “बोनेवाला” वह शख़्स है जो बीज डालता है या पेड़ लगाता है।

  • बीज बोने और पेड़ लगाने का तरीक़ा अलग-अलग होता है। एक तरीक़े में बीज हाथ में लेकर ज़मीन पर बोया जाता हैं।
  • एक और तरीक़ा है जिसमें ज़मीन में छेद करके बीज डाले जाते हैं।
  • “बोना” लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'अलामती शक्ल में भी किया जाता है जैसे,जो शख़्स बोता है वही काटता है। कहने का मतलब है कि शख़्स बुरा करता है तो ग़लत नतीजा होता है, अगर कोई शख़्स अच्छा करता है, तो उसे सही का फ़ल हासिल होगा ।

तर्जुमा की सलाह:

  • 'बोना' लफ़्ज़ को "पेड़" के शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है। वाज़ेह करें कि इसका तर्जुमा करने के लिए लफ़्ज़ लगाना बीज शामिल कर सकते हैं ।
  • "बोनेवाला" का तर्जुमा करने के कई तरीकों में "बोनेबाला" या "किसान" या " शख़्स जो पेड़ों के बीज बोते हैं" शामिल हो सकते हैं।
  • अंग्रेजी में, "बोना " का इस्ते'माल सिर्फ़ बीज लगाए जाने के लिए किया जाता है, लेकिन अंग्रेजी लफ़्ज़ "पेड़" का इस्ते'माल बीज के साथ-साथ बड़ी चीजों जैसे कि दरख़्तों के लिए किया जा सकता है। कई ज़बानों में भी अलग-अलग लफ़्ज़ों का इस्ते'माल किया जा सकता है, जो कि लगाए जा रहे हैं पर मुन्हसिर करता है।
  • जुमला "किसी शख़्स ने जो कुछ भी बोया है" का भी तर्जुमा किया जा सकता है "एक सही तरह के बीज की तरह ही एक सही तरह का पेड़ पैदा होता है, इसी तरह से किसी शख़्स की अच्छी देखभाल से अच्छे नतीजे आएंगे और एक शख़्स की लापरवाही से बुरे नतीजे आएंगी। "

(यह भी देखें:बुराई, भलाई, कटनी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2221, H2232, H2233, H2236, H4218, H4302, H5193, H7971, H8362, G4687, G4703, G5300, G5452 , G6037

दस हुक्म

सच्चाई:

"दस हुक्म " हुक्म थे कि ख़ुदा ने मूसा को सीनै पहाड़ पर दिया था, जब इस्राईलियों ने कना’न मुल्क के रास्ते में वीराने में रह रहे थे। ख़ुदा ने दस हुक्म पत्थरों की दो तख़्तियों पर लिखी थी।

  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म मानने के लिए बहुत से हुक्म दिए थे,पर दस हुक्म ख़ास थे कि इस्राईली ख़ुदा से मुहब्बत करना और उसकी इबादत करना और आपस में मुहब्बत रखें।
  • ये हुक्म उनके साथ ख़ुदा के ‘अहद का एक हिस्सा भी था ख़ुदा के हुक्म को मानना इस्राईली यह साबित करते थे कि वे ख़ुदा से मुहब्बत करते थे और उसके लोग हैं।
  • उन पत्थरों पर लिखी गए हुक्मो के साथ पत्थर की तख़्तियों को ‘अहद का सन्दूक़ में रखा गया था, जो कि ख़ेमे के सबसे पाक जगह और बा’द में हैकल में मौजूद था।

(यह भी देखें: ‘अहद का सन्दूक़, हुक्म , ‘अहद , रेगिस्तान, शरी’अत , मानना , सीनै, इबादत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :

  • 13:07 ख़ुदा ने यह __दस हुक्म __ मूसा को दो पत्थर की तख्तियों पर लिख के दे दी |
  • 13:13 जब मूसा पहाड़ से नीचे उतर आया, और उसने उस मा’बूद को देखा, तो उसका ग़ज़ब भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पहाड़ के नीचे पटककर तोड़ डाला, क्योंकि वह ख़ुदा के __दस हुक्मों __ के ख़िलाफ़ था |
  • 13:15 तब मूसा ने पहली तख्तियों की तरह दो और तख्तियाँ गढ़ी; क्योंकि पहली उसने तोड़ डाली थी |

शब्दकोश:

  • Strong's: H1697, H6235

दसवां, दसवें, दसवां हिस्सा, दसवें हिस्से

ता’अर्रुफ़:

“दसवां” या “दसवां हिस्सा ” का मतलब है, पैसा, फ़सल, जानवरों या और जायदाद का दस फ़ीसद हिस्सा ख़ुदा को देते थे।

  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने इस्राईल को हुक्म दिया था कि वे अपने सब कुछ का दसवां हिस्सा ख़ुदा के लिए शुक्र के हदिये की शक्ल में अलग कर दे।
  • यह हदिये लावियों के याद के लिए थी क्योंकि वे इस्राईलियों के लिए काहिनो की ख़िदमत करते थे और घर और हैकल की देखरेख करते थे।
  • नये ‘अहद नामे में ख़ुदा के लिए दसवां हिस्सा अलग करने का हुक्म तो नहीं है लेकिन हलीमी और ख़ुशी से देने का ख़्याल है कि मसीही ख़िदमत में मदद और गरीबों को मदद मिली हो।
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “दसवां हिस्सा ” या “दस में से एक।”

(यह भी देखें: ईमान , इस्राईल, लेवी, ज़िन्दगी , मेलिकिसिदक, ख़ादिम , क़ुर्बानी सुलह का ख़ेमा, हैकल )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4643, H6237, H6241, G586, G1181, G1183

दहलीज़ , दहलीज़ों

ता’अर्रुफ़:

कभी-कभी “दहलीज़ ” मकान का वह हिस्सा भी होता है जो दाख़िल होने के दरवाज़े के अन्दर का हिस्सा है।

  • कभी-कभी दहलीज़ लकड़ी या पत्थर की एक पट्टी होती है, जिस पर कमरे या मकान में दाख़िल होने के लिए कदम रखते है।
  • फाटक और ख़ेमे दोनों के दाख़िल होने के दरवाज़े पर दहलीज़ हो सकती है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़्सदी ज़बान में उस लफ़्ज़ से किया जाना चाहिए जो एक घर के बहुत दाख़िले के दरवाज़े की जगह का हवाला देता है जहाँ से एक आदमी घर में दाख़िल होता है।
  • अगर “दरवाज़े ” लिए कोई लफ़्ज़ नहीं है, तो इसका तर्जुमा "दरवाज़ा " या "खोलने" या " दाख़िल होने का दरवाज़ा " की शक्ल में भी किया जा सकता है।

(यह भी देखें: फाटक, ख़ेमा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H624, H4670, H5592

दाख़ की बारी, दाख़ की बारियों

ता’रीफ़:

दाख की बारी एक बड़ा बगीचा का ‘इलाक़ा है जहाँ अंगूर उगते हैं और अंगूर की खेती होती है।

  • दाख की बारी दीवारों से घिरी होती है कि चारों ओर जानवरों से दाख की हिफाज़त की जाए।
  • ख़ुदा इस्राईल की बराबरी दाख की बारी से करता है और उसमें अच्छे फल नहीं लगे। (देखें: मिसाल
  • दाख की बारी का तर्जुमा किया जा सकता है, “अंगूरों का बगीचा” या “अंगूर की खेती”

(यह भी देखें: अंगूर, इस्राईल, दाखलता)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H64, H1612, H3657, H3661, H3754, H3755, H8284, G289, G290

दाख़लता, दाख़लताओं

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़"बेल" एक पेड़ का हवाला देता है है जो जमीन के साथ बांधते हुए या पेड़ों और और बनावटों पर चढ़ने से बढ़ता है। किताब-ए-मुक़द्दस में “दाख़लता” लफ़्ज़ केवल फल लानेवाली डाली के लिए काम में लिया गया है और ज़्यादा तर दाख़लता के लिए काम में लिया गया है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में "दाख़लता" ज़्यादा तर “अंगूर की बेल” के बारे में काम में लिया गया है।
  • अंगूर की डालियाँ ख़ास तने से जुड़ी होती हैं जो उन्हें पानी और कुछ गिज़ाई चीज़े देती हैं ताकि वे बढ़ सकें।
  • ‘ईसा ने ख़ुद को “दाखलता” और ईमानदारों को “डालियाँ” कहा है। यहाँ “दाख़लता” का तर्जुमा हो सकता है “दाख़लता की डाली” या “टहनी ” (देखें: मिसाल

(यह भी देखें: अंगूर, दाख की बारी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5139, H1612, H8321, G288, G290, G1009, G1092

दाँवना, दाँवना, दाएँ हुए, दाँवने

ता’अर्रुफ़:

  • “दाँवना” और “दाँवने” गेहूं से गेहूं का दाना अलग करने के काम को कहते हैं।

  • गेहूं के पेड़ को दाँवना से पुआल और भुसा से अनाज को ढीला करता है। बाद में अनाज को "फटका जाता है" ताकि बेकार चीज़ों से अनाज को पूरी तरह से अलग किया जा सके, केवल उस हिस्से को छोड़कर जो खाया जा सकता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में खलिहान एक बराबर बड़ी चट्टान होती थी या मलबा दबा कर कठोर बनाया हुआ फर्श होता था जिस पर गेहूं की दाँवनी की जाती थी कि गेहूं के दाने अलग किए जाएं।

  • “दंवनी छकड़ा” या “दंवनी चर्खी” गेहूं को रौंदने और दानों को भूसी से अलग करने के काम में लिया जाता था।

  • “दंवनी हथौड़ा” या “दंवनी पटल” गेहूं के दानों की अलग करने के लिए काम में लिया जाता था। यह लकड़ी का एक तख्ता होता था जिसमें कीले लगी होती थी।

(यह भी देखें: भूसी, अनाज , हवा में उड़ाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H212, H4173, H1637, H1758, H1786, H1869, H2251, G248

दिन, दिनों

ता'र्रुफ़:

“दिन” हक़ीक़त में 24 घन्टे का वक़्त होता है जिसकी शुरू'आत ग़ुरूब आफ़ताब से होती थी | इसका इस्ते'माल 'अलामती तौर भी हो सकता है।

  • इस्राईलियों और यहूदियों के लिए दिन की शुरू'आत गुरूब आफ़ताब से होती थी और दूसरे दिन ग़ुरूब आफ़ताब पर ख़त्म होती थी |
  • कभी-कभी “दिन” लफ्ज़ का इस्ते'माल शक्ल बा बशक्ल एक लम्बे वक़्त के लिए भी किया जाता था जैसे “यहोवा का दिन” या “आख़री दिन|”

कुछ ज़बानों में इन तरह के तर्जुमों में मुख्तलिफ़-मुख्तलिफ़ लफ़्ज़ों का इस्ते'माल होता हैं या “दिन” का तर्जुमा शक्ल बा शक्ल नहीं करता हैं।

  • “दिन” के और तर्जु में शामिल हो सकते हैं, “वक़्त ”, “मौसम ” या “मौक़ा' ” का “घटना” जुमले के मुताबिक़।

(यह भी देखें: सज़ा के दिन, आख़िरी दिन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3117, H3118, H6242, G2250

दिमाग़, दिमाग़ों ,दिमाग़ में लेना, एहसास लेना, एहसास दिला, याद दिलाता है, याद किए गए, याद, याद दिलाने वाला, याद दिलाना, एक दिमाग़

ता’अर्रुफ़:

“दिमाग़” इन्सान का वह हिस्सा है जो सोचता और फ़ैसला लेता है।

  • इन्सान का दिमाग़ उसके तवज्जोह और ख़्यालों का मज्मू'आ है।
  • “मसीह का दिमाग़ रखना” या'नी 'ईसा के जैसा सोचना और काम करना। इसका मतलब है बाप ख़ुदा के वफ़ादार होना, मसीह की ता'लीमों का याद करना, पाक रूह की ताक़त से ऐसा करना।
  • “ दिमाग़ बदलना, फ़ैसला बदलना या अब पूरे तौर से ख़याल से अलग होना।

तर्जुमा की सलाह:

  • “दिमाग़” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़याल” या “तवज्जोह करना” या “सोचना” या “समझना।”
  • “ दिमाग़ में रखना” का तर्जुमा हो सकता है, याद रखना या “ तवज्जोह देना” या “ज़रूर जान लेना।”
  • “दिल, जान और दिमाग़” का तर्जुमा हो सकता है, “तजुर्बा करना, यक़ीन करना और ख़याल करना।”
  • “ दिमाग़ में लाना” का तर्जुमा हो सकता है, “याद करना” या “सोचना”।
  • “ दिमाग़ बदल करके गया” इसका तर्जुमा हो सकता है, “फ़ैसला बदल कर गया” या “यहाँ तक कि जाने का फ़ैसला ले ही लिया” या “ख़याल बदल कर गया।”
    • जुमला "दो दिमाग़ " का तर्जुमा "शक" या "फ़ैसला लेने में कमज़ोर" या "बग़ावती ख़्यालों के साथ" किया जा सकता है।

(यह भी देखें: यक़ीन, दिल, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3629, H3820, H3824, H5162, H7725, G1271, G1374, G3328, G3525, G3540, G3563, G4993, G5590

दिलेर, बे खौफ़ होकर, हिम्मत, हिम्मत देना

ता'अर्रुफ़:

यह अलफ़ाज़ इस बात का हवाला देते हैं, सच बोलने के लिए हिम्मत और ऐ’तमाद होना मुश्किल हालात में भी सही करना|।

  • “दिलेर” इंसान अच्छा और अच्छी बात कहने और बद बख्ती सहनेवालों को बचाने में घबराता नहीं है। इसका तर्जुमा“हिम्मती” या “कमज़ोर” भी हो सकता है।
  • नये 'अहद नामें में रसूल 'अवामी जगहों में 'ईसा की बात करने में बे खौफ़ थे चाहे उन पर जेल में डालने या क़त्ल का ख़तरा था। इसका तर्जुमा, “ख़ुद 'एतमादी के साथ” या “ताक़तवर हिम्मत के साथ” या “दबाव” हो सकता है।
  • इन इब्तिदाई शागिर्दों की तरफ़ मसीह के सलीब पर मौत की तरफ़ नजात की ख़ुशख़बरी सुनाने में “बे खौफ़” रहने का नतीजा यह हुआ कि 'ईसा की ख़ुशख़बरी इस्राईल और आसपास के मुल्कों में और आख़िर में दुनिया में फैल गई। “बेख़ौफ़” का तर्जुमा, “ऐ’तमाद हिम्मत” हो सकता है।

(यह भी देखें:ख़ुद 'एतमादी, ख़ुशख़बरी, छुटकारा दिलाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H982, H983, H4834, H5797, G662, G2292, G3618, G3954, G3955, G5111, G5112

दुःख

ता'अर्रुफ़:

“दुःख ” लफ़्ज़ का मतलब है लोगों में जिस्मानी जज़्बाती टकराव।

  • एक शख़्स जो लड़ाई की वजह बनता है, लोगों के बीच मज़बूत ना इतिफ़ाक़ी और जज़्बात को चोट पहुंचाते हैं।
  • कभी-कभी “झगड़े” लफ़्ज़ का इस्ते'माल करने से साबित होता है ग़ुस्सा या कड़वाहट जैसे मज़बूत जज़्बात शामिल होना।
  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमे हो सकते हैं, “ना इत्तिफ़ाक़ी ” या “झगड़ा” या “लड़ाई”।

(यह भी देखें: ग़ुस्सा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1777, H1779, H4066, H4090, H4683, H4808, H7379, H7701, G485, G2052, G2054, G3055, G3163, G5379

दुःख उठाए, मुसीबत उठाना, तकलीफ़ उठाया, परेशानी उठता, दुःख उठाता

ता'अर्रुफ़:

“दुःख उठाए” और “ मुसीबत उठाना” का मतलब है दुःख का तजुर्बा जैसे बीमारी, मुसीबत जदह या दूसरी परेशानियाँ ।

  • जब लोगों को परेशान किया जाता है या जब वह बीमार होते हैं तब उन्हें तकलीफ़ होती है।
  • कभी-कभी लोग ग़लत कामों की वजह से भी तकलीफ़ उठाते हैं, कभी-कभी दुनिया में गुनाह और मर्ज़ की वजह से इन्सान तकलीफ़ उठाता है।
  • तकलीफ़ जिस्मानी भी होती है जैसे दर्द और मर्ज़ । जज़्बाती तकलीफ़ भी होती है जैसे डर, उदासी या अकेलापन।
  • “मुझे बर्दाश्त करो ” या'नी “मेरे साथ सब्र दार रहो” या “मेरी बात सुनो” या “सब्र के साथ सुनो”।

(तर्जुमा की सलाह:

  • “ तकलीफ़ उठाना” का तर्जुमा “दर्द का तजुर्बा करना” या “मुश्किल और तकलीफ़ का तजुर्बा करना” या "मुश्किल और दर्दनाक तजुर्बों के ज़रिए' जाना"।
  • बयान के तौर पर, "दर्द" का तर्जुमा "इन्तिहाई मुश्किल हालात " या "बहुत बड़ी मुश्किलों " या "मुश्किलात का तजुर्बा " या "दर्दनाक तजुर्बों का वक़्त" के तौर में किया जा सकता है।
  • “प्यास लगना” का तर्जुमा “प्यासा होना” या “प्यास की वजह परेशान होना” हो सकता है”।
  • “दुःख बर्दाश्त ” का तर्जुमा “दुःख का शिकार होना” या “दुःख कामों से नुक़सान उठाना”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 09:13 ख़ुदावन्द ने कहा, “मैं ने अपनी रि'आया के लोग जो मिस्र में है उनके तकलीफ़ को मैंने देखा है |”
  • 38:12 ‘ईसा ने तीन बार दु'आ की कहा, “ऐ मेरे बाप, अगर हो सके तो इस दुःख के कटोरे में से मुझे पीने मत देना |
  • 42:03 उसने(ईसा) उन्हें नबियों ने जो कहा था याद दिलाया कि मसीह दुःख उठाएगा और मारा जाएगा और फिर तीसरे दिन जी उठेगा |
  • 42:07 उसने(‘ईसा) कहा कि, “लिखा है कि मसीह दुःख उठाएग, मारा जायेगा और तीसरे दिन मरे हुओ में से जी उठेगा |”
  • 44:05 अगर्चे तुम्हे नहीं मा'लूम था कि क्या करते हो, लेकिन ख़ुदावन्द ने तुम्हारे कामो का इस्तेमाल किया नबियों को पूरा करने के लिए, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा, और मारा जाएँगा |
  • 46:04 ख़ुदा ने कहा, "तू चला जा क्यूँकि वह तो ग़ैर क़ौमों और बादशाहों के सामने मेरा नाम ज़ाहिर करने के लिये मेरा चुना हुआ वसीला है | और मैं उसे बताऊँगा कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुःख उठाना पड़ेगा |”
  • 50:17 वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई दुख़, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मौत नहीं होगी |

शब्दकोश:

  • Strong's: H943, H1741, H1934, H4342, H4531, H4912, H5142, H5254, H5375, H5999, H6031, H6040, H6041, H6064, H6090, H6770, H6869, H6887, H7661, G91, G941, G971, G2210, G2346, G2347, G3804, G3958, G4310, G4778, G4841, G5004, G5723

दुःख देने, सताया, अंधेर करना, दुःख देनेवालों

सच्चाई:

“दुःख देने” या’नी ज़्यादा तकलीफ़ देना। किसी को दुःख देने का मतलब है बेरहमी से सताना।

  • कभी-कभी दुःख देने का बयान जिस्मानी तकलीफ़ और हालत से होता है। मिसाल के लिए, मुकाश्फ़ा की किताब में जिस्मानी परेशानी का बयान किया गया है जो "जानवर " की इबादत करने वाले को आखीर वक़्त में सहना पड़ेगा।
  • तकलीफ़ रूहानी और दिमाग़ी हालत भी होती है जैसा अय्यूब के साथ था।
  • मुकाश्फ़ा की किताब के मुताबिक़ ‘ईसा में यक़ीन नहीं करनेवालों को आग की झील में रूहानी हमेशा की तकलीफ़ सहनी होगी।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा , “बेहद तकलीफ़” या “ज़्यादा तकलीफ़ ” या “परेशानी ” हो सकता है। कुछ तर्जुमे में ज़ाहिरयत के लिए “जिस्मानी ” या “रूहानी ” लफ़्ज़ को इसके साथ जोड़ दिया जाता है।

(यह भी देखें: जानवर, हमेशा , अय्यूब, नजात दहिन्दा , रूह , दुख उठाना, इबादत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3013, G928, G929, G930, G931, G2558, G2851, G3600

दुःख, सताव , परेशान होना, सताना, सतानेवाले, फ़सादी

ता’अर्रुफ़:

“दुःख” ज़िन्दगी की मुश्किलों और मायूसी का तजुर्बा * “सताव ” या’नी किसी को “परेशान” करना या “तकलीफ़ ” देना।“परेशान होना” का मतलब है किसी बात से घबराना और परेशान होना।

  • घबराना, जिस्मानी , जज़्बाती या रूहानी दुःख की वजह से हो सकता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा ईमानदारों की तरक्क़ी और कमाल को लिए आज़माने के ऐसे वक़्त पैदा करता है।
  • पुराने ‘अहद नामे में “दुःख” बुरे और ख़ुदा के छोड़ने वाले मुल्कों की सज़ा माना गया है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “घबराना” या “सताव” का तर्जुमा “मुसीबत ” या “दुःख देंने वाले हादसे ”या “सताव” या “मुश्किल तजुर्बा ” या “मुसीबत ” भी किया जा सकता है।
  • “घबराना” का एसे लफ़्ज़ या जुमले से तर्जुमा किया जा सकता है, जिसका मतलब हो “तकलीफ़ में होना” या “ख़तरनाक तकलीफ़ का तर्जुमा करना” या “गहरी फ़िक्र ” या “तनाव” या “सताव ” या “डर” या “परेशानी”।
  • “उसे परेशान मत करो” का तर्जुमा हो सकता है, “उसे रहने दो” या “उसकी बुराई मत करो”
  • “मुसीबत के दिन” या “मुसीबत केवक़्त ” का तर्जुमा हो सकता है, “जब तुम तकलीफ़ों का तजुर्बा करो” या “जब तुम्हारे सामने कठिनाइयां आएं” या “जब ख़ुदा मुसीबतें लाए”।
  • “तकलीफ़ लाना” या “तकलीफ़ की वजह” का तर्जुमा हो सकता है, “ तकलीफ़देह बातें करना” या “कठिनाई पैदा करना” या “कठिनाइयों का तजुर्बा कराना”

(यह भी देखें: सताव देना, सताना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H598, H926, H927, H928, H1204, H1205, H1607, H1644, H1804, H1993, H2000, H2113, H2189, H2560, H2960, H4103, H5590, H5753, H5916, H5999, H6031, H6040, H6470, H6696, H6862, H6869, H6887, H7264, H7267, H7451, H7481, H7489, H7515, H7561, H8513, G387, G1298, G1613, G1776, G2346, G2347, G2350, G2360, G2553, G2873, G3636, G3926, G3930, G3986, G4423, G4660, G5015, G5016, G5182

दुल्हन, दुल्हनें, दुल्हन

ता'अर्रुफ़:

दुल्हन, शादी के जशन में वह 'औरत होती है जो अपने शौहर से शादी करती है, दूल्हा।

  • “दुल्हन” लफ्ज़ 'ईसा के ईमानदारों, कलीसिया के लिए भी शक्ल बा शक्ल काम में लिया गया लफ्ज़ है।
  • 'ईसा को 'अलामती शक्ल में कलीसिया का दुल्हा कहा गया है। (देखें: मिसाल )

(यह भी देखें: दुल्हा, 'इबादतख़ाना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3618, G3565

दुल्हा, दुल्हे

ता'अर्रुफ़:

शादी के जशन में, दुल्हा-दुल्हन से शादी करने वाला आदमी होता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में यहूदी तहज़ीब में, जशन में दुल्हे की तरफ़ से दुल्हन को लेने आने पर मरकज़ होता था।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में 'ईसा को "दुल्हें" की मिसाल दी गई है जो एक दिन अपनी "दुल्हन", कलीसिया को लेने आएगा।
  • 'ईसा ने अपने शागिर्दों की बराबरी दुल्हे के दोस्तों से की थी। जो दुल्हे के साथ ख़ुशी मनाते हैं लेकिन दुल्हे के चले जाने के बा'द दुखी होते हैं।

(यह भी देखें:दुल्हन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2860, G3566

देवदारों ,देवदार की लकड़ी

ता’रीफ़:

“देवदार “ एक बड़ा पेड़ होता है जिसकी लकड़ी लाल -भूरे रंग की होती है | और देवदार नसल के पेड़ों की तरह इसके नुकीले पत्ते होते है और शंकु जैसे फल होते है

  • पुराने ‘अहद नामे में लबानोन के बारे में देवदार पेड़ों की गुफ्तुगू की गयी है ,वहाँ ये पेड़ बहुतायत से आते थे |
  • यरुशलीम के हैकल के बनाने में देवदार की लकड़ी काम में ली गयी थी |
  • इसका इस्ते’माल क़ुर्बानी पेश करने और पाक हदियों के पेश करने में किया जाता था |

(यह भी देखें: सनोबर , पाक, क़ुर्बानी, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H730

दोस्ती की नज़्र, दोस्ती की नज़्

सच्चाई:

पुराने ‘अहद नामें में “दोस्ती की नज़्र” एक ऐसी क़ुर्बानी थी जो कई वजहों से पेश की जाती थी, जैसे ख़ुदावन्द का शुक्र करने के लिए या मन्नत पूरी करने के लिए।

  • इस क़ुर्बानी में जानवर क़ुर्बान किया जाता था, मुज़क्कर जानवर या मु’अन्नस जानवर यह आतिशी क़ुर्बानी से अलग था, जिसके लिए मुज़क्कर जानवर की ज़रूरत होती है|
  • क़ुर्बानी का एक हिस्सा ख़ुदा को पेश करने के बा’द, क़ुर्बानी पेश करने वाला बाक़ी गोश्त काहिनों और दूसरे इस्राईलियों के साथ बाँटता था।
  • यह मुन्सलिक़ खाने की नज़्र थी, जिसमें खुली हुई रोटी शामिल होती थी|
  • इसे कभी-कभी “अमन की नज़्र” भी कहा जाता है।

(यह भी देखें: दोस्ती की नज़्र, पूरी, अनाज की नज़्र, गुनाहों की नज़्र, दोस्ती की नज़्र, काहिन, क़ुर्बानी, बेखमीरी रोटी, क़सम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8002

दौड़ना, दौड़ना, दौड़ना, दौड़ना, दौड़ना

ता’अर्रुफ़:

सही लफ़्ज़ "दौड़ना" का मतलब है "पैर पर बहुत जल्दी चलना", आमतौर पर तेज़ रफ़्तार से चलना के ज़रिए’ पूरा किया जा सकता है

"दौड़ना" का ख़ास मतलब भी ‘अलामती इज़हारों में इस्ते’माल किया जाता है जैसे कि दर्जज़ेल:

  • "इस तरह से जीतने के लिए जिस तरह से इनाम जीतने के लिए" - एक ही मज़बूती से जीतने के सिलसिले में एक दौड़ चलाने की शक्ल में ख़ुदा की मर्ज़ी को करने में मज़बूती से बताता है

“हुक्म ‘अमल” या’नी ख़ुदा के हुक्मों को ख़ुशी से और ज़ल्दी मानो।

  • "दीगर मा’बूदों के पीछे चलने के लिए" दीगर मा’बूदों की ‘इबादत करने में जारी रहने का मतलब है।

“मैं तेरा पनाह में हूँ” या’नी कठिनाइयों से पनाह पाने और हिफ़ाज़त के लिए ख़ुदा के पास ज़ल्दी आ जाना पानी और दीगर तरल चीज़ें जैसे आंसू, ख़ून, पसीना और नदियों को भी बहना कहते हैं। इसका तर्जुमा “बहना” हो सकता है। किसी मुल्क या ‘इलाक़े की सरहद को किसी नदी सा किसी मुल्क की सरहद के साथ चलना कहा जाता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि मुल्क की सरहद नदी या दीगर मुल्क के बगल में है या कहती है कि देश नदी या दीगर मुल्क की "सरहदें" है। नदी और सोते सूख जाते हैं या’नी उनमें पानी नहीं है। इसका तर्जुमा हो सकता है, “सूख गए” या “बे-पानी हो गए।” फ़सह के दिन “अपना सिलसिला पूरा करते हैं” या’नी “निकल गए” या “ख़त्म हो गए” या “पूरे हो गए।”

(यह भी देखें: झूठे मा’बूद, मज़बूत रहें, पनाह, फिरना)

किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H213, H386, H1065, H1272, H1518, H1556, H1980, H2100, H2416, H3001, H3212, H3332, H3381, H3920, H3988, H4422, H4754, H4794, H4944, H5074, H5127, H5140, H5472, H5756, H6437, H6440, H6544, H6805, H7272, H7291, H7310, H7323, H7325, H7519, H7751, H8264, H8308, H8444, G413, G1377, G1601, G1530, G1532, G1632, G1998, G2027, G2701, G3729, G4063, G4370, G4390, G4890, G4936, G5143, G5240, G5295, G5302, G5343

धक्का देना, धक्का दिया, धक्का

ता’अर्रुफ़:

“धक्का देना” या’नी ताक़त लगाकर किसी चीज़ को हटाना। इस लफ़्ज़ के तम्सीली मतलब भी हैं।

  • “धक्का देने” का मतलब है, “छोड़ना ” या “मदद करने से इन्कार करना”।
  • “दबाना” या’नी “ज़ुल्म करना” या “सताना” या “हराना”। इसका मतलब यह भी है कि कोई हक़ीक़त में ज़मीन पर गिराया गया है।
  • किसी को “बाहर धकेल देना” या’नी किसी से “पीछा छुड़ाना” या “दूर भेज देना”।
  • “आगे बढ़ना” या’नी किसी काम को हिफ़ाज़त से रखना या “सही और हिफ़ाज़त का अन्दाज़ा न होते हुए किसी काम को करते चले जाना”।

(यह भी देखें: ज़ुल्म करना, सताना, छोड़ देना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1556, H1760, H3276, H3423, H5055, H5056, H5186, H8804, G683, G4261

धोखा, धोखे, धोखा दिया, धोखा देना, धोखा देना वाला, धोखा देने वाले

ता'अर्रुफ़:

“धोखा” का मतलब है किसी को धोखा देना या नुक्सान पहुंचाना है। * “धोखा वाने वाला” वह शख़्स होता है जो यक़ीन करने वाले को धोखा दे।

  • यहूदाह “धोखा देने वाला” था क्योंकि उसने यहूदी रहनुमाओं को तरीक़ा बताया था कि 'ईसा को कैसे पकड़ें।
  • यहूदाह के ज़रिए' धोखा गुनाह था, क्योंकि वह 'ईसा का रसूल था और उसने पैसों के बदले में यहूदी रहनुमाओं को जानकारी दी थी जिसका अन्जाम से 'ईसा की बेइंसाफ़ की मौत हुई।

तर्जुमें की सलाह:

जुमले के मुताबिक़“पकड़वाने” का तर्जुमा “धोखा देना और नुक्सान पहुंचाना” या “दुशमनों के हाथों में कर देना” या “बे रहमी का सलुक़ करना” हो सकता है।

  • “पकड़वानेवाला” लफ्ज़ का तर्जुमा “धोखा देने वाला शख्स” या “बुरा सलूक ” या “बाग़ी” हो सकता है।

(यह भी देखें यहूदाह इस्करियोती, यहूदी रहनुमा, रसूल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:

  • 21:11 नबियों ने पहले से नबूव्वत की थी, कि जो लोग मसीह को मारने वाले होंगे वह उसके कपड़ों के लिए जुआ खेलेंगे और उसका उल्टा दोस्त उसे धोखा देगा। ज़करियाह नबी ने पहले से ही नबूव्वत की थी, कि मसीह का ही एक शागिर्द उसे तीस चाँदी के सिक्कों के लिए धोखा देगा
  • 38:02 'ईसा और शागिर्दों के यरूशलीम में पहुँचने के बा'द यहूदाह यहूदी सरदार के पास गया और पैसों के बदले 'ईसा के साथ __धोखा __ देने की तजवीज़ रख्खी |
  • __38:03__यहूदी सरदारों ने 'आला सरदार काहिन के मौजूदगी में 'ईसा को धोखा देने के लिये उसे तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए।
  • 38:06 फिर 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।” 'ईसा ने कहा कि, “जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा दूँगा वही मेरा पकड़वाने वाला होगा।”
  • 38:13 जब 'ईसा तीसरी बार दू'आ करके आया तो उसने अपने शागिर्दों से कहा कि, “उठो, मेरे पकड़ने वाले आ गए है।”
  • 38:14 'ईसा ने यहूदाह से कहा कि, “ तूने मुझे पकड़वाने के लिए चूमा है।”
  • 39:08 इसी दौरान जब यहूदाह, धोखेबाज़, ने देखा कि यहूदी काहिन 'ईसा को मुजरिम ठहरा कर उसे मारना चाहते है। यह देख यहूदाह ग़मगईं हुआ और खुद को मार डाला।

शब्दकोश:

  • Strong's: H7411, G3860, G4273

धोखा, धोखे, धोखा दिया, धोखा देना, धोखेबाज़, धोखेबाज़, धोखेबाज़ों, धोकेबाज़, धोखे से, धोखे में , धोखेबाज़ी, धोखेबाज़

ता’अर्रुफ़

अलफ़ाज़ “धोखा” का मतलब है किसी को किसी बात पर यक़ीन दिलाना जो सच्ची नहीं होती| किसी को फ़रेब देने का काम “धोखा” कहलाता है।

  • एक और लफ़्ज़, “धोखेबाज़ी” भी किसी को कुछ ऐसा यक़ीन करने का काम करता है जो सच्चा नहीं है।
  • किसी को झूठी बात में यक़ीन दिलाने वाले को “धोखेबाज़” कहते हैं| मिसाल के तौर पर, शैतान को धोखेबाज़ कहा गया है। बदरूहें जो वह क़ाबू करता है वह भी धोखेबाज़ हैं|
  • इन्सान, काम या ख़बर जो सच नहीं है, उसे "धोखा देनेवाला" कहते हैं।
  • अलफ़ाज़ “धोखा” और “धोखा” का मतलब एक ही है, लेकिन उनके इस्ते’माल करने में कुछ फ़र्क़ है।
  • तफ़सीली अलफ़ाज़ “धोखेबाज़ी” और “गुमराही” एक ही जैसे हैं और इस्ते’माल में भी एक ही मतलब में होते हैं|

तर्जुमे की सलाह:

  • “धोखा” के तर्जुमे के और तरीक़े “झूठ बोलना” या “झूठा यक़ीन दिलाना” या “किसी का किसी बात पर ख़याल करवाना जो सच नहीं है।
  • लफ़्ज़ “धोखा देना” का तर्जुमा हो सकता है, “झूठ पर ग़ौर करने की वजह” या “झूठ कहना” या “चाल चलना” या “बेवक़ूफ़ बनाना” या “गुमराह करना”।
  • “धोखेबाज़” का तर्जुमा हो सकता है “झूठा” या “जो गुमराह करता है” या “जो धोका देता है”|
  • मज़मून पर मुन्हस्सिर है, लफ़्ज़ “धोखा” का तर्जुमा या जुमले में किया जा सकता है जिसका मतलब “बातिल” या “झूठा” या “चाल चलने वाला” या “बेईमान” होता है|
  • लफ़्ज़ "गुमराही " या "धोखेवाज़ी" का तर्जुमा हो सकता है “झूठा” या “गुमराह” “झूट” एक ऐसे शख़्स की तफ़सील जो और लोगों को यक़ीन दिलाने के लिए ऐसा बोलता और काम करता है जो सच नहीं होता|

(यह भी देखें: सच)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

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शब्दकोश:

  • Strong's: H898, H2048, H3577, H3584, H4123, H4820, H4860, H5230, H5377, H6121, H6231, H6280, H6601, H7411, H7423, H7683, H7686, H7952, H8267, H8496, H8501, H8582, H8591, H8649, G538, G539, G1386, G1387, G1388, G1389, G1818, G3884, G4105, G4106, G4108, G5422, G5423

नक़दरी, नक़दरी करना, नक़दरी किया, नाक़दर

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “नक़दरी” का मतलब है कि किसी का अहतराम खोने का काम करना। ये भी वजह हो सकती है, शर्मिन्दा इन्सान या बे’इज़्ज़त|

“नक़दरी” लफ़्ज़ का मतलब, एक शर्मनाक काम या किसी को शर्मिन्दा करने की वजह ज़ाहिर करता है।

  • कभी-कभी “नक़दरी” लफ़्ज़ ऐसी चीज़ों के लिए भी काम में लिया जाता है जो किसी अहमियत की नहीं हैं।
  • बच्चों के लिए हुक्म है कि वे अपने वालिदैन की ‘इज़्ज़त करें और उनका हुक्म मानें। * जब बच्चे नाफ़रमानी करते हैं तो वे अपने वालिदैन की नक़दरी करते हैं। वे अपने वालिदैन के साथ ऐसा सुलूक करते हैं जिससे उनको ‘इज़्ज़त हासिल नहीं होती है।
  • बुतपरस्ती करके और ग़ैर-इख़लाक़ी सिफ़त के ज़रिए’ इस्राईल यहोवा की बे’इज़्ज़ती करते थे।
  • यहूदी ‘ईसा को बदरूह से भरा कहकर उसकी बे’इज़्ज़ती करते थे।
  • इसका तर्जुमा “’इज़्ज़त नहीं करना” या “अहतिराम का सुलूक न करना” हो सकता है।
  • “बे’इज़्ज़त” इस्म लफ़्ज़ का तर्जुमा “बे’इज़्ज़ती” या “अहतराम खोना” किया जा सकता है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “बे’इज़्ज़ती” का तर्जुमा “’इज़्ज़त के लायक़ नहीं” या “शर्मनाक ” या “बे-अहमियत” या “क़ीमती नहीं” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: बे’इज़्ज़ती, ‘इज़्ज़त)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1540, H2490, H2781, H3637, H3639, H5006, H5034, H6172, H6173, H7034, H7036, H7043, G818, G819, G820, G2617

नक़ल करना, इम्तियाज़, की तरह चाल चलने, जैसी चाल चलो

ता’अर्रुफ़:

“की तरह चाल चलना” और “नक़ल करना” के बारे किसी की नक़ल करने से है, ठीक उसी शख़्स के जैसा किरदार रखना।

  • ईमानदारों को ता'लीम दी गई है कि 'ईसा मसीह की नक़ल करें, ‘ईसा के जैसा ख़ुदा के हुक्म मानें और लोगों से मुहब्बत करें।
  • पौलुस रसूल ने शुरू'आती कलीसिया से कहा था कि वह उसकी जैसी चाल चलें, जैसे वह मसीह की तरह चाल चलता है।

तर्जुमा के लिए सलाह:

  • “नक़ल” का तर्जुमा “वैसा ही करना” या “उसकी मिसाल पर चलना”
  • “ख़ुदा की नक़ल ” का तर्जुमा, “ऐसे लोग होना जो ख़ुदा का किरदार रखते हैं” या “ख़ुदा के जैसे काम करनेवाले होना”
  • “तुम हमारी जैसी चाल चलते हो” का तर्जुमा “हमारी मिसाल पर चले” या “तुम वैसे ही ख़ुदा परस्ती के काम करते हो जो तुमने हमें करते हुए देखा हैं”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H310, H6213, G1096, G2596, G3401, G3402, G4160

नजात, नजात देता है, नजात दिलाई , नजात दिलाना, नजात दिलाने वाला , छुटकारा

ता’अर्रुफ़

“छुड़ाना” मतलब है किसी शख़्स को बचाना। लफ़्ज़ “नजात दिलाने वाला” उसके बारे में बताता है, जो इन्सानों को ग़ुलामी, ज़ुल्म, या और तरह के ख़तरों से बचानेवाला है। “नजात” लफ़्ज़ उसका हवाला देता है जो या इंसानों का ग़ुलामी, ज़ुल्म या और तरह के ख़तरों से निकाल लेने के बा’द की हालत होती है।

  • पुराने ‘अहदनामे में ख़ुदा ने इस्राईल के लिए नजात दिलाने वाले मुक़र्रर किए थे कि और लोग जब उन पर हमला करें तो उनके ख़िलाफ़ जंग में उनकी रहनुमाई करें।
  • इन नजात दिलाने वालो को “मुन्सिफ़” कहा जाता था और पुराने ‘अहदनामे में क़ुज़ात में इस्राईल पर इन मुंसिफ़ों की तवारीख़ में दर्ज है जब यह मुंसिफ़ इस्राईल पर हुकूमत करते थे।
  • ख़ुदा को भी “नजात दिलाने वाला” कहा गया है। इस्राईल के पूरी तवारीख़ में, उसने अपनी क़ौम को उनके दुश्मनों से छुड़ाया था।
  • लफ़्ज़ “पकड़वाना” या “सौंपा जाना” का मतलब हमेशा अलग है, या’नी किसी को दुश्मन के हाथों में दे देना, जैसे यहूदा ने ‘ईसा को यहूदी रहनुमाओं के हाथों में पकड़वा दिया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • लोगों को उनके दुश्मनों से बचने में मदद के बारे में “छुटकारा” का तर्जुमा हो सकता है, “बचाना” या “आजादी दिलाना” या “बचाना”।
  • जब मतलब दुश्मनों के हाथों पकड़वाना हो तो इसका तर्जुमा होगा “फ़रेब करके” या “पकड़वाना” या “सौंप देना”।
  • “छुटकारा दिलाने वाला का तर्जुमा हो सकता है, “बचानेवाला” या “मुन्जी”।
  • जब “छुटकारा दिलाने वाला” लफ़्ज़ इस्राईल के मुंसिफ़ों कें बारे में हो तो उसका तर्जुमा हो सकता है, “हाकिम”, या “मुन्सिफ़” या “रहनुमा”।

(यह भी देखें: मुंसिफ़,बचाना)

किताब-ए मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:)

  • 16:03तब ख़ुदा ने एक नजात दिलाने वाला ‘अता किया, जो उन्हें अपने दुश्मनों से बचाया और मुल्क में अमन लाया।
  • 16:16 उन्होंने(इस्राईल) ख़ुदा से एक बार फिर मदद माँगी और ख़ुदा ने एक और मुन्जी को उनके लिए भेजा।
  • 16:17 कई सालों में ख़ुदा ने बहुत से नजात दिलाने वालों को भेजा जिन्होंने इस्राईलियों को दुश्मनों से बचाया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H579, H1350, H2020, H2502, H3052, H3205, H3444, H3467, H4042, H4422, H4560, H4672, H5337, H5338, H5414, H5462, H6299, H6308, H6403, H6405, H6413, H6475, H6487, H6561, H7725, H7804, H8000, H8199, H8668, G325, G525, G629, G859, G1080, G1325, G1560, G1659, G1807, G1929, G2673, G3086, G3860, G4506, G4991, G5088, G5483

नफ़रत, नफ़रत की , नफ़रती

सच्चाई:

लफ़्ज़ “नफ़रती” मतलब किसी ऐसे के बारे में है जो नापसन्द और ख़ारिज किया हुआ| किसी चीज़ से “नफ़रत” करने का मतलब उसे शख़्ती से नफ़रत करना|

  • किताब-ए-मुक़द्दस बुराई को रोकने के लिए अक्सर बात करती है| इसका मतलब है बुराई से नफ़रत करके उसे ख़ारिज करना|
  • ख़ुदा ने “नफ़रती” लफ़्ज़ का इस्ते’माल उन लोगों के बुरे कामों का ख़ुलासा करने के लिए किया है, जो झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करते हैं|
  • इस्राईलियों को उन पड़ोसी जातियों के गुनाहगारों से “नफ़रत” करने का हुक्म दिया गया था, जो ग़ैर-इख़लाक़ी मशक़ से नफ़रत करते हैं|
  • ख़ुदा ने सब जिन्सी कामों को “नफ़रती” क़रार दिया है|
  • मुस्तक़बिल कहना, जादूगरी करना और बच्चे की क़ुर्बानी, सब ख़ुदा के लिए "नफ़रती" थे।
  • लफ़्ज़ “नफ़रत” का तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है “शख़्ती से इनकार” या “नफ़रत” या बहुत बुराई के तौर पर अहतराम”
  • “नफ़रती” लफ़्ज़ का तर्जुमा “बहुत बुरा” या “नफ़रत ” या “ख़ारिज करने का रद्द-ओ-‘अमल ” किया जा सकता है।
  • जब बदकारी करने वालों को “करने के क़ाबिल” रास्तबाज़ होने पर लागू किया जाता है, तो इसका तर्जुमा "बहुत नापसन्द समझा जाता है" या "नाक़ाबिल" या "किसी ज़रिए ख़ारिज कर दिया " के तौर में किया जा सकता है।
  • ख़ुदा ने कुछ क़िस्म के जानवरों से "नफ़रत" करने के लिए इस्राईलियों से कहा था कि ख़ुदा ने उन्हें "नापाक" और खाने के लिए मुनासिब नहीं मुक़र्रर किया था। * इसका तर्जुमा “ज़ोर देकर नापसंद करना” या “ख़ारिज” या “नाक़ुबूल मानना” के तौर पर किया जा सकता है।

(यह भी देखें: तक़सीम, पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1602, H6973, H8130, H8251, H8262, H8263, H8441, H8581, G946, G947, G948, G4767, G5723, G3404

नया चाँद, नये चाँद

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “नया चाँद” का मतलब चाँद के बारे में है जब वह छोटा सा, आधे चाँद की सूरत में दिखाई देता है| सूरज ग़ुरूब होने पर ज़मीन का चक्कर करने में यह चाँद की पहली सूरत है। यह भी पहले दिन के बारे में बताता है कि चाँद के कुछ दिनों के लिए अंधेरा होने के बा’द एक नया चाँद दिखाई देना चाहिए।

  • पुराने ज़माने में नया चांद वक़्त की शुरू’आत जैसे महीनों की शुरू’आत का इशारा माना जाता था।
  • इस्राईली नये चांद की ‘ईद मनाते थे और नरसिंगा फूंकते थे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में इस वक़्त को “महीने की शुरू’आत” माना गया है।

(यह भी देखें: महीने, ज़मीन, ‘ईद, सींग, भेड़)

‏## ‏ किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H2320, G3376, G3561

नरसुल, सरकंडा

सच्चाई:

“नरसुल” पानी में उगनेवाली एक लम्बी डंडी की घास होती है। जो अक्सर नदी या झरने के तट पर पाई जाती है।

  • नील नदी के तट पर उगनेवाले नरकट जिनमें बच्चा मूसा को छिपाया गया था, उन्हें “सरकंडा” भी कहा गया है। वह नदी के पानी में घने उगते थे। इनके डंडे लम्बे और खोखले होते थे।
  • पुराने मिस्र में इस घास से कागज, टोकरियां और छोटी नावें बनाई जाती थी।
  • नरसुल के डंडे नरम होने की वजह हवा में झुक जाते थे।

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा)

(यह भी देखें: मिस्र, मूसा, नील नदी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H98, H100, H260, H5488, H6169, H7070, G2063, G2563

नसल

ता’अर्रुफ़:

“नसल” लफ़्ज़ उन लोगों के बारे में है जो एक ही वक़्त पैदा हों।

  • नसल भी वक़्त का हवाला दे सकता है। कलाम के वक़्त में एक नसल को तक़रीबन चालीस साल माना जाता था।
  • माँ-बाप और औलाद दो अलग-अलग नसलों के होते है।
  • कलाम में नसल लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'अलामती शक्ल में उन लोगों के लिए भी काम में लिया गया है जिनके किरादर ठीक नहीं होते हैं।

तर्जुमा की सलाह:

  • “यह नसल” या “इस नसल के लोग” का तर्जुमा हो सकता है, “मौजूदा वक़त में ज़िन्दा लोग ” या “तुम लोग”
  • “बदकार नसल” का तर्जुमा हो सकता है, “इस वक़्त के बुरे लोग”।
  • “ नसल दर नसल” या “एक नसल से दूसरी नसल तक” का तर्जुमा हो सकता है, “हाल में जो लोग है वह और उनके पोते-परपोते” या “हर एक वक़्त के लोग” या “इस वक़्त और आनेवाले वक़्त के लोग” या “सब लोग और उनकी औलाद ”।
  • “आनेवाली नसल उसकी ख़िदमत करेगी, वह आनेवाली नसल को ख़ुदा का 'इल्म देंगे”। इसका तर्जुमा हो सकता है, “मुस्तक़बिल में कई लोग ख़ुदा की ख़िदमत करेंगे और अपनी औलाद का बयान औलाद की औलाद को उसके बारे में बताएंगे”।

(यह भी देखें: औलाद, बुराई, बुज़ुर्ग)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:


नसल

ता’अर्रुफ़:

“नसल” लफ़्ज़ ‘आमतौर पर इन्सान या जानवर की नसल के बारे में बताता है।

  • किताब-मुक़द्दस में “नसल” का मतलब “औलाद” या “नसल” होता है।
  • कभी-कभी “बीज” लफ़्ज़ ‘अलामती तौर पर औलाद के लिए काम में लिया जाता है।

(यह भी देखें: नसल, बीज)

किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1121, H2233, H5209, H6363, H6529, H6631, G1081, G1085

नसल, नसलें, नसल हुई, नसल होना, नसल, नस्लें

ता’रीफ़:

"नसल” वह इन्सान है जो तवारीख़ में किसी पुराने वक़्त के इन्सान का ख़ूनी रिश्तेदार है।

मिसाल के तौर पर, इब्राहीम नूह की नसल से था।

  • नसल किसी की औलाद, पोते, परपोते वग़ैरह होते हैं। इस्राईल के बारह क़बीले या’क़ूब की नसल थे।
  • जुमले " की नसल से" को "की नसल" की शक्ल में कहने का एक और तरीक़ा है "इब्राहीम नूह की नसल था।" इसका तर्जुमा “ख़ानदान के रिश्ते से” भी हो सकता है।

(यह भी देखें: इब्राहीम, बुज़ुर्ग, या’क़ूब, नूह, इस्राईल के बारह क़बीले)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 02:09 “’औरत की नसल वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”
  • 04:09 “मैं तेरी नसल को कना’न मुल्क देता हूँ।”
  • 05:10 तेरी नसल को आसमान के तारों की तरह बेशुमार करूँगा |
  • 17:07 तेरी ही नसल में से कोई एक बादशाह मेरे लोगों पर हमेशा के लिए हुकूमत करेगा, और मसीह भी तुम्हारी नसल से होगा।”
  • 18:13 यहूदा के बादशाह दाऊद की नसल के थे।
  • 21:04 ख़ुदा ने बादशाह दाऊद से वा’दा किया है कि मसीह दाऊद के अपनी नसल में से एक होगा।
  • 48:13 ख़ुदा ने बादशाह दाऊद को वा’दा किया था कि मसीह उनकी नसल एक होगा। क्योंकि ‘ईसा मसीह दाऊद की ख़ास नसल है|

शब्दकोश:

  • Strong's: H319, H1004, H1121, H1323, H1755, H2232, H2233, H3205, H3211, H3318, H3409, H4294, H5220, H6849, H7611, H8435, G1074, G1085, G4690

नाज़िन निगराँ निगरों, देरेख करने वाले , नाज़िमों , इन्तिज़ाम

ता’अर्रुफ़:

“ नाज़िन ” या "कारिन्दे" कलाम में यह लफ़्ज़ उस ख़ादिम के लिए लिया गया है जो अपने मालिक की जायदाद और कारोबार को संभालता है।

  • निगराँ बहुत ज़िम्मेदार होते थे जिनमें दूसरे ख़ादिमों के कामों की निगरानी भी थी ।
  • “ नाज़िन ” निगराँ का नया लफ़्ज़ है। दोनों लफ़्ज़ों का मतलब है किसी के अमली मु'आमिलात को संभालना

तर्जुमा की सलाह

  • इसका तर्जुमा “निगरा” या “घरेलू नाज़िम” या “निज़ाम करनेवाला ख़ादिम” या “निज़ाम करने वाला शाख़्स” हो सकता है।

(यह भी देखें: ख़ादिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H376, H4453, H5057, H6485, G2012, G3621, G3623

नापाक करना, नापाक , नापाक करना

ता’अर्रुफ़:

नापाक करने का मतलब है: नापाक करना, गन्दा करना या मुक़द्दस चीज़ की बेहुरमती करना ।

  • नापाक इन्सान वह है जो नजिस है और ख़ुदा की इज़्ज़त नहीं करता है ।
  • "नापाक करना" किया लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है: "बेहुरमती का बर्ताव करना" या "बुराई का बर्ताव करना" या "इज़्ज़त नहीं करना ।"
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों से कहा था कि उन्होंने अपने आप को “नापाक ” कर लिया है। या’नी वे बुतों की इबादत के गुनाह से “नापाक ” या “ग़ैर मुक़द्दस ” हो गए थे। वे ख़ुदा की बेहुरमती कर रहे थे।
  • मज़मून के मुताबिक़ सिफती लफ़्ज़ “नापाक ” का तर्जुमा हो सकता है: “इज़्ज़त से दूर ” या “नापाक ” या “बेदीन”।

(यह भी देखें: नापाक, पाक, नापाक

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2455, H2490, H2491, H2610, H2613, H5234, H8610, G952, G953

नापाक करना, नापाक किया, नापाक

ता’अर्रुफ़

लफ़्ज़ “नापाक करना” या’नी किसी मुक़द्दस जगह को या पाक चीज़ के बर्बाद या आलूदा करना कि वह ‘इबादत में इस्ते’माल के लायक़ न रह जाए।

  • “ अक्सर किसी चीज़ को नापाक करने में बहुत बे’अदबी ज़ाहिर होना शामिल है|
  • मिसाल के तौर पर, बुतपरस्त बादशाहों ने ख़ुदा के हैकल के पाक बर्तनों को अपने जश्नों में इस्ते’माल करके नापाक कर दिया था|
  • ख़ुदा की हैकल के क़ुर्बानगाह को नापाक करने के लिए दुश्मन मुर्दों की हड्डियों इस्ते’माल करते थे।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “नापाक करने की वजह होना” या “नापाक करके बेहुरमती करना” या “मुक़द्दस चीज़ों की बेहुरमती करना” या “नापाकी की वजह होना”।

(यह भी देखें : क़ुर्बानगाह, [गन्दा](../other/defile.md), बेहुरमती, मुक़द्दस चीज़ों की बेहुरमती, पाक, हैकल, पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2490, H2610, H2930, G953

नाफ़रमानी करना, नाफ़रामानियाँ, नाफ़रमानी की, नाफ़रमानी, नाफ़रमानी

ता’अर्रुफ़:

“नाफ़रमानी” लफ़्ज़ का मतलब है हाकिम के हुक्म या हिदायत को न मानना। ऐसा करने वाले मनुष्य को “नाफ़रमान” कहते है।

  • इन्सान जो वह काम करता है, जिसे करने के लिए मना किया गया था, उसे नाफ़रमानी कहते हैं।
  • नाफ़रमानी का मतलब यह भी है कि वह काम करने से मना’ कर देना जिसका हुक्म दिया गया था।
  • “नाफ़रमान” लफ़्ज़ ऐसे इन्सान का भी किरदार बयान करता है जिसकी आदत हुक्म न मानना और बग़ावत करना है। इसका मतलब है कि वह गुनाहगार और बुरा है।
  • “नाफ़रमानी” लफ़्ज़ का मतलब है, हुक्म न मानने का काम” या “ऐसा सुलूक जो ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है।”
  • “नाफरमान क़ौम” का तर्जुमा “नाफ़रमानी ही में रहनेवाली क़ौम” या “ख़ुदा के हुक्मों का ‘अमल न करनेवाली क़ौम” के तौर में हो सकता है।

(यह भी देखें: इख़्तियार, बुराई, गुनाह, फ़रमाबरदारी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 02:11 ख़ुदा ने उस आदमी से कहा, "तुमने अपनी बीवी को सुनकर मेरी नाफ़रमानी की।"
  • 13:07 अगर लोग इन ‘अहदों का ‘अमल करते थे, तो ख़ुदा ने वा’दा किया था कि वह उन्हें बरकत और उनकी हिफ़ाज़त करेगा। अगर वे नाफ़रमानी करे तो ख़ुदा उन्हें सज़ा देगा।
  • 16:02 क्योंकि इस्राईल ख़ुदा की नाफ़रमानी करते रहे, उसने उन्हें अपने दुश्मनों को उन्हें हराने करने की इजाज़त देकर सज़ा दी।
  • 35:12 "बड़े बेटे ने अपने बाप से कहा, 'इन सभी सालों से मैंने आपके लिए ईमानदारी से काम किया है! मैंने कभी भी आपकी नाफ़रमानी नहीं किया लेकिन फिर भी तुमने मुझे एक छोटी बकरी नहीं दी, ताकि मैं अपने दोस्तों के जश्न साथ मना सकूं ।"

शब्दकोश:

  • Strong's: H4784, H5674, G506, G543, G544, G545, G3847, G3876

निकाला ,निकाल दिया ,बाहर निकालना ,फेंक देना ,फेंक कर

ता’रीफ़:

निकालना ,या “निकालता”या’नी किसी आदमी या चीज़ को ताक़त से दूर करना |

  • “डालना “या’नी फेंकना जाल डालना या’नी पानी में जाल फेंकना
  • तम्सीली इस्ते’माल में “निकालना” या दूर करना या’नी किसी को छोड़ना या उसे अपने से दूर करना

तर्जुमें की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहसिर इसके और तर्जुमें होंगे ,ताक़त से हटाना या अलग कर देना ,या पीछा छुड़ाना
  • बदरूह निकालना “ इसका तर्जुमा हो सकता है ,”बदरूह को निकल जाने पर मजबूर करना “ या बदरूह को बाहर निकालना “ या बदरूह का हटाना “ या बदरूह को निकल जाने का हुक्म देना “|

(यह भी देखें: बदरूह, बदरूह से भरा , ख़त)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1272, H1644, H1920, H3423, H7971, H7993, G1544

निगरानी, निगरानी करना, निगरानी की, निगहबान, निगहबानों

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ "निगहबान" उस इन्सान के बारे में है जो इन्सानों के कामों और ख़ैरियत के इख़्तियार में है।

  • पुराने ‘अहदनामे में निगहबान का काम था कि अपने मुलाज़िमों से अच्छा काम करवाए।
  • नये ‘अहदनामे में यह लफ़्ज़ शुरू’आती कलीसिया के रहनुमाओं के बारे में था। उनका काम था कि कलीसिया की रूहानी ज़रूरतों को पूरा करें और पक्का करें कि ईमानदारों को सही कलाम की ता’लीम दी जाए।
  • पौलुस निगबान को चरवाहा कहता है जो मक़ामी कलीसिया में ईमानदारों की ख़बर लेता है क्योंकि कलीसिया उसकी "भेड़ें" हैं।
  • एक चरवाहे की तरह निगहबान अपनी भेड़ों की हिफ़ाज़त करता है। वह झूठी रूहानी ता’लीम और दीगर बुरे आसार से अपनी कलीसिया की हिफ़ाज़त करता है।
  • नये ‘अहदनामे में “निगहबान”, "बुजुर्गों" और “रखवाले/चरवाहे” रूहानी रहनुमों का ‘इल्म कराने के लिए मुख़तलिफ़ लफ़्ज़ हैं।

तर्जुमे की सलाह

  • इस ‘लफ़्ज़ के और तर्जुमे हो सकते हैं, “निगराँ” या “देखभाल करने वाला” या “मुन्तज़िम”
  • जब ख़ुदा के लोगों के मुक़ामी क़बीलों के बारे में हो, तो इस लफ़्ज़ का तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से किया जा सकता है जिसका मतलब हो, “रूहानी निगहबान” या “ईमानदार क़बीले की रूहानी ज़रूरतों की खबर लेनेवाला” या “कलीसिया की रूहानी ज़रूरतों की निगहबानी करने वाला इन्सान”|

(यह भी देखें: कलीसिया, बुज़ुर्ग, पासबान, चरवाहा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5329, H6485, H6496, H7860, H8104, G1983, G1984, G1985

निन्दा, मज़ाक़ करता, मज़ाक़ करके, मज़ाक़, हँसी करनेवाला, मज़ाक़ करनेवालों, हँसी उड़ाने, इल्ज़ाम लगाते, मज़ाक़ करने लगे, नफ़रत करते, ठट्ठे में उड़ाया

ता’अर्रुफ़:

“निन्दा”, “निन्दा करना”, “मज़ाक़ करना” या'नी किसी को बे रहमी से ठट्ठे में उड़ाना ।

  • ठट्ठा करने में किसी के लफ़्ज़ों और 'आमाल की नक़ल करना कि उसे ज़लील करें या नफ़रत बयान करें।
  • रोमी फ़ौजियों ने 'ईसा का मज़ाक़ किया था जब उसे बादशाह का लिबास पहना कर उसके साथ मज़ाक़ किया था।
  • जवानों के ज़रिए' एलीशा का भी ठट्ठा किया या मज़ाक़ उड़ाया था, उसके गंजे सिर की हंसी करके।
  • किसी ख़याल को ईमान के लायक़ या ख़ास न मानना भी “ठट्ठा करना” था।
  • एक "ठट्ठा करनेवाला" वह है जो मज़ाक़ उड़ाता है और लगातार मज़ाक़ करता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 21:12 यसा'याह ने नबूव्वत की थी, कि लोग मसीह के ऊपर थूकेंगे, उसको ठट्ठों में उड़ाएँगे, और उसे मारेंगे।
  • 39:05 यहूदी रहनुमाओं ने सरदार काहिन को जवाब दिया, “यह मरने के लायक़ है |” तब उन्होंने 'ईसा की आँखें ढक दी, उसके मुँह पर थूका और उसे मारा, और उसका मज़ाक़ उड़ाया |
  • 39:12 रोमन फ़ौजियों ने 'ईसा को कोड़े मारे, और शाही लबादा पहनाकर काँटों का ताज उसके सिर पर रखा | तब उन्होंने यह कहकर 'ईसा का मज़ाक़ उड़ाया “यहूदियों का बादशाह” देखो |
  • 40:04 'ईसा को दो डाकुओं के बीच सलीब पर चढ़ाया गया | उनमें से एक जब 'ईसा का मज़ाक़ उड़ा रहा था तो ,दूसरे ने कहा कि, “क्या तू ख़ुदा से नहीं डरता?
  • 40:05 यहूदी और दूसरे लोग जो भीड़ में थे वह 'ईसा का मज़ाक़ उड़ा रहे थे यह कहकर कि, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो सलीब पर से उतर जा, और अपने आप को बचा | तब हम तुझ पर यक़ीन करेंगे |”

शब्दकोश:

  • Strong's: H1422, H2048, H2049, H2778, H2781, H3213, H3887, H3931, H3932, H3933, H3934, H3944, H3945, H4167, H4485, H4912, H5058, H5607, H5953, H6026, H6711, H7046, H7048, H7814, H7832, H8103, H8148, H8437, H8595, G1592, G1701, G1702, G1703, G2301, G2606, G3456, G5512

नींद, सो जाना, सो गए थे, सोना, सोना, “उसे नींद आ गई”, सोना, सोना, नींद ना आना, नींद

ता’अर्रुफ़:

इन लफ़्ज़ों के 'अलामती मतलब "मौत" है।

  • “नींद” या “सोये रहो ” एक मिसाल जिसका मतलब है "मर जाना" हो सकता है। (देख: मिसाल )
  • जुमला "सो जाओ" का मतलब है सोना शुरू करना, या, मरना मरना।
  • 'अपने बाप दादा के साथ सो जाओ' का मतलब है, जैसा कि किसी के बिज़ुर्गों की तरह मरना, मरने के लिए या मरने का मतलब है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “सो जाना” का तर्जुमा हो सकता है, “अचानक ही सो जाना” या “सोने लगना” या “मरना” जैसा भी जुमला हो उसके मुताबिक़।
  • टिप्पणी: ख़ास ज़रूरी बात है कि 'अलामती जुमलों के मुताबिक़ हों, जहाँ सुनने वाले मतलब न समझा पाते हों। मिसाल के तौर पर, जब 'ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि लाज़र “सोता है” तब वह समझे कि वह सो रहा है। ऐसे में “सोता है” का तर्जुमा “मर गया” करना मिनासिब होगा।
  • अगर मक़सदी ज़बान में “सोता है” या “सोया हुआ है” समझ में न आए तो इस ज़बान में मौत या मरने के अलग लफ़्ज़ों का इस्ते'माल किया जाए।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1957, H3462, H3463, H7290, H7901, H8139, H8142, H8153, H8639, G879, G1852, G1853, G2518, G2837, G5258

पक्का करने, पक्का करता, पक्की की, तसदीक़ देने

ता’अर्रुफ़:

“पक्का करने” (यक़ीन करना) और “तसदीक़ देना” कि कोई बात सच है, पक्की है और क़ाबिल-ए-ऐतिबार है।

  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा अपने लोगों से कहता है कि वह उनके साथ अपने ‘अहद को पक्का करेगा। इसका मा’नी है कि वह कह रहा है कि उसने ‘अहद में जो वा’दे किये हैं उन्हें वह ज़रूर ही पूरा करेगा।
  • जब किसी बादशाह को “पक्का” किया जाता है तो इसका मा’नी है कि लोग राज़ी हैं| और तसदीक़ करती है।
  • किसी की लिखी बात का यक़ीन करने के मा’नी है कि लिखी हुई बात सच है।
    • ख़ुशख़बरी का “सुबूत ” या’नी ‘ईसा के बारे में ख़ुशख़बरी इस तरह सुनाना कि वह सच साबित हो।
  • क़सम को “पक्का करना” या’नी सख़्ती से कहना या यक़ीनी होना कि वह बात सच है।
  • इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा “सच कहना” या “यक़ीन के लायक़ साबित करना” या “राज़ी होना” या “यक़ीन दिलाना” या “’अहद करना” हो सकते हैं लेकिन उन्हें मज़मून के मुताबिक़ होना है।

(यह भी देखें: ‘अहद, क़सम; भरोसा)

किताब-ए-मुक़द्दस की बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H553, H559, H1396, H3045, H3559, H4390, H4672, H5414, H5975, H6213, H6965, G950, G951, G1991, G2964, G3315, G4300, G4972

पड़ोसी, पड़ोसियों, पड़ोस, आस पास के

ता’अर्रुफ़:

पड़ोसी या’नी क़रीब में रहनेवाला इन्सान। यह ‘आमतौर पर उस इन्सान के लिए है जो किसी क़बीले या क़ौम के बीच बसता है।

  • पड़ोसी इन्सान एक ही क़बीले का होने की वजह से हिफ़ाज़त और रहम का हक़दार होता है।
  • नये ‘अहदनामे में नेक सामरी की मिसाल में ‘ईसा ने पड़ोसी लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया है जिसमें वह सब इन्सानों को शामिल करता है, यहाँ तक कि जिसे हम अपना दुश्मन समझते हैं।
  • अगर मुमकिन हो तो इसका तर्जुमा लफ़्ज़ी मतलब में ही किया जाए जिसका मतलब है, “क़रीब रहनेवाला इन्सान”।

(यह भी दखें: दुश्मन, मिसाल, लोगों की भीड़, सामरिया)

‏## ‏ किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H5997, H7138, H7453, H7468, H7934, G1069, G2087, G4040, G4139

पण्डुकी, कबूतर

ता’अर्रुफ़:

पण्डुकी और कबूतर दो छोटे भूरे रंग के परिन्दे हैं जो एक से दिखते हैं। पण्डुकी रंग में हल्की होती है, लगभग सफ़ेद|

  • कुछ ज़बानों में इन दोनों परिंदों के नाम अलग-अलग हैं और कुछ ज़बानों दोनों परिंदों के लिए एक ही नाम काम में लेते हैं।
  • पण्डुकी और कबूतर दोनों ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी चढ़ाने के काम में आते थे, ख़ास करके उन इन्सानों के ज़रिए’ जो बड़ा जानवर ख़रीदने की सलाहियत नहीं रखते थे।
  • जब तूफान का पानी घट रहा था तब पण्डुकी ज़ैतून का पत्ता लेकर नूह के पास लौट आई थी।
  • पण्डुकी कभी-कभी पाकी, मासूमियत और सुकून की ‘अलामत भी है।
  • अगर तर्जुमे की मक़ामी ज़बान में पण्डुकी और कबूतर नहीं जाने जाते हैं जहाँ तर्जुमा किया गया है, इस लफ़्ज़ तर्जुमा किया जा सकता है, “एक छोटा भूरा परिन्दा जो पण्डुकी कहलाता है” या “एक छोटा भूरे रंग का परिन्दा जो (किसी मक़ामी परिन्दे का नाम) की तरह दिखता है।”
  • अगर पण्डुकी और कबूतर दोनों का ज़िक्र एक ही आयत में है तो ठीक होगा कि हर मुमकिन दो अलग-अलग अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाए।

(यह भी देखें: नामा’लूम अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसा करें

(यह भी देखें: ज़ैतून, मासूम, पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस की बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1469, H1686, H3123, H8449, G4058

पनाह, पनाहगुज़ीन, पनाहगुज़ीनों, पनाहगाह, पनाहगाहों, पनाह दी, पनाह देना

ता’अर्रुफ़:

“पनाह” का मतलब हिफ़ाज़त और की हालत या मक़ाम “पनाहगाह” एक ऐसा मक़ाम जो मौसम और खतरों से महफ़ूज़ रखता है। एक “पनाह” उस जगह के बारे में जो मौसम या ख़तरे से हिफ़ाज़त करता है|

  • किताब-ए-मुक़द्दस में अक्सर ख़ुदा को पनाहगाह कहा गया है, जहां उसके लोग महफ़ूज़ और निगरानी में संभाले हुए रहते हैं।
  • “शहर पनाह” पुराने ‘अहदनामे में कुछ शहर ऐसे थे जिनमें अगर किसी ने गलती से क़त्ल कर दिया तो वह बदला लेने वालों से भागकर वहां पनाह ले सकता था।
  • “पनाहगाह” एक ऐसी जिस्मानी तख़लीक होती है जैसे कोई घर या छत जो इन्सानों को या जानवरों को हिफ़ाज़त ‘अता करती थी।
  • कभी-कभी "पनाह" का मतलब "हिफ़ाज़त" होता है, जैसा कि लूत ने कहा था कि उनके मेहमान "छत के नीचे" उसकी छत के। उसके कहने का मतलब है कि वे उसके घर में हैं इसलिए वे महफ़ूज़ रहें।

तर्जुमे की सलाह:

  • “पनाह गाह” का तर्जुमा “महफ़ूज़ मक़ाम” या “हिफ़ाज़त का मक़ाम” हो सकता है।

“पनाहगुज़ीन”

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “पनाह” का तर्जुमा “हिफ़ाज़त देने वाला” या “हिफ़ाज़त” या “महफ़ूज़ मक़ाम”।
  • अगर उसका हवाला जिस्मानी बनावट से है तो “महफ़ूज़” का तर्जुमा “महफ़ूज़ ईमारत” हो सकता है या
  • “महफ़ूज़ मक़ाम में” का तर्जुमा “महफ़ूज़ मक़ाम में” या “इस मक़ाम में जहां हिफ़ाज़त हासिल होगी” की शक्ल में हो सकता है।
  • “पनाह पाना” या “पनाह लेना” या “हिफ़ाज़त का मक़ाम पाना” का तर्जुमा “किसी के महफ़ूज़ मक़ाम में रखना” के तौर पर हो सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2620, H4268, H4498, H4585, H4733, H4869

परदा, घूँघटों, परदा पड़ा, निक़ाब

ता’अर्रुफ़:

“परदा” लफ़्ज़ पतले कपड़े का सिर या चेहरा ढांकने का एक पतला कपड़ा होता है।

  • यहोवा की हुज़ूरी में रहने के बाद मूसा ने अपने चेहरे पर परदा डाल लिया था कि उसके चेहरे की चमक इस्राईलियों से छिपी रहे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में में ‘औरतें सिर ढांकने के लिए और ज़्यादातर चेहरा भी ढांकने के लिए परदा डालती थी, आदमियों के सामने या आम जगहों में।
  • “परदा डालना” या’नी किसी चीज़ को ढांकना।
  • मगरबी तहज़ीब में मुक़द्दस जगह को तक़सीम करने वाले मोटी परदे को भी परदा कहा गया है लेकिन मोटा लफ़्ज़ ज़्यादा सही है क्योंकि वह एक मोटा कपड़ा हुआ करता था। इस बारे में "परदा" लफ़्ज़ सही है क्योंकि वह एक मोटा कपड़ा था।

तर्जुमे की सलाह:

  • “परदा” लफ़्ज़ का तर्जुमा “पतले कपड़े का ढकना ” या “कपड़े का ढकना ” या “सिर ढांकना” हो सकता है।
  • कुछ तह्ज़ीबों में ‘औरतों के परदे के लिए अलग लफ़्ज़ होगा। मूसा के लिए एक और लफ़्ज़ काम में लेना होगा।

(यह भी देखें: मूसा

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7289, G2665

परदा, परदे

ता’अर्रुफ़:

कलाम में “परदा” लफ़्ज़ रहने की जगह और हैकल में काम में आनेवाला कपड़े का बहुत मोटा परदा था।

  • रहने की जगह परदों की चार परतों के ज़रिए’ बनाया गया था। ऊपर के लिए और हिस्सों के लिए। ये परदे जानवरों की खाल या कपड़ो के थे।
  • रहने के चारों ओर मैदान को ढांपने के लिए दीवार की तरह परदे डाले गए थे। ये परदे “लिनन” से बने थे ये जो एक तरह का कपड़ा है जो सन के पेड़ से बनाया जाता था।
  • रहने (तम्बू ) और हैकल में पाक जगह और मुक़द्दस जगह के बीच कपड़े का एक बहुत मोटा परदा था। यही वह परदा था जो ‘ईसा की मौत पर मो’जिज़ाना तौर से फट गया था।

तर्जुमा की सलाह :

  • क्योंकि मौजूदा ज़माने के परदे कलाम के वक़्त में काम में आनेवाले परदों से शायद अलग थे, अलग लफ़्ज़ का इस्तेमाल करना या बयान के लिए और लफ़्ज़ को जोड़ना सही होगा।
  • मज़मून के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “परदे काढकना ” या “ढकना ” या “मोटा कपड़ा” या “जानवर की खाल काढकना ” या “लटकनेवाला कपड़ा”।

(यह भी देखें: पाक जगह, \सुलह का ख़ेमा](../kt/tabernacle.md), हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1852, H3407, H4539, H6532, H7050, G2665

परदेशी, फूट डाली, अलग किए, पराई, परदेशी, परदेशियों

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “परदेशी” उस शख़्स के बारे में है जो किसी और मुल्क में रहता है जो उसका अपना नहीं है। “परदेशी” का दूसरा लफ़्ज़ है, बैरूनी

  • पुराने ‘अहदनामे में, यह लफ़्ज़ ख़ास तौर से उस इन्सान का हवाला देता है जो लोगों के बीच रह रहा था, जो मुख़तलिफ़ लोगों की जमा’अत से आया हो|
  • परदेशी वह इन्सान भी है जिसकी ज़बान और तहज़ीब किसी ख़ास इलाक़े से अलग होती है।
  • मिसाल के तौर पर, जब नाओमी और उसका ख़ानदान मोआब गए थे तब वहां परदेशी हो कर रहते थे। जब नाओमी और उसकी बहू रूत इस्राईल लौटे तब रूत को “परदेशी” कहा गया क्योंकि वह असल में इस्राईली नहीं थी।
  • रसूल पौलुस ने इफिसियों की कलीसियाँ को लिखा कि मसीह को जानने से पहले वे ख़ुदा की शरी’अत के लिए “परदेशी” थे।
  • कभी-कभी “परदेशी” का तर्जुमा “अजनबी” भी किया जा सकता है लेकिन इसका मतलब सिर्फ़ उसके लिए न हो जो वह “अजनबी” या “अन्जान” है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H312, H628, H776, H1471, H1481, H1616, H2114, H3363, H3937, H4033, H5236, H5237, H5361, H6154, H8453, G241, G245, G526, G915, G1854, G3581, G3927, G3941

पहनाना, पहनना, लिबास, कपडे, उतारना

ता’अर्रुफ़:

|कलाम में “पहने हुए” के मा’नी हैं किसी बात से सवारना “पहन लो” का मा’नी है किसी ख़सलती सिफ़त को अपनाने की कोशिश करना।

  • जिस तरह लिबास बदन के बाहर दिखाई देते हैं उसी तरह किसी सिफ़त से मा’मूर होने के मा’नी है इन्सान वह सिफ़त देखते हैं। “रहीम हो जाओ ” का मा’नी है तुम्हारे काम रहम का ऐसी ख़सलत ज़ाहिर करें कि सब पर ज़ाहिर हो।
  • “आसमान से क़ुव्वत ” या’नी आसमान से क़ुव्वत ‘अता किया जाना।
  • इस लफ़्ज़ के ज़रिये’न मंज़ूर मिजाज़ भी ज़ाहिर किए जाते है जैसे “शर्मिन्दा” और “डरावना ”

तर्जुमे की सलाह:

अगर मुमकिन हो तो आरास्ता को वैसे ही रखें ,”पहन लो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “पहन लो” अगर लिबास पहनने के बारे में है।

  • अगर मक़सद सही ज़ाहिर न हो रहा हो तो “पहनने” का दूसरा तर्जुमा हो सकता है, “रोया ” या “ज़ाहिर करना” या “भर जाना” या “सिफ़त होना”
  • “पहन लो” का तर्जुमा “से ढांक लो” या “नज़र आने वाला मिजाज़ ”।

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H899, H1545, H3680, H3736, H3830, H3847, H3848, H4055, H4346, H4374, H5497, H8008, H8071, H8516, G294, G1463, G1562, G1737, G1742, G1746, G1902, G2066, G2439, G2440, G3608, G4016, G4470, G4616, G4683, G4749, G5509, G6005

पहली फसल

ता’अर्रुफ़ :

“पहली फसल ” या’नी मौसम के फल और सब्जियों की पहली फसल का एक हिस्सा |

  • इस्राईली ख़ुदा के लिए ये पहले फल क़ुर्बानी के लिए लाते थे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में इस जुमले का इस्ते’माल ‘अलामती शक्ल में भी किया जाता है, पहलौठा बेटा ख़ानदान का पहला फल है। क्योंकि वह ख़ानदान में पैदा होने वाला पहला बेटा है, वह ख़ानदान का नाम और ‘इज़्ज़त देने वाला है।
  • ‘ईसा मुर्दों में से जी उठा इसलिए वह ‘ईसा के सब ईमानदारों में पहला फल है क्योंकि वह भी एक दिन मुर्दों में से जी उठेंगे।
  • ‘ईसा के ईमानदारों को भी मख्लूक़ का “पहला फल ” कहा गया है, ‘ईसा ने जिनकी नजात की और अपने लोग होने के लिए बुलाया है उनके ख़ास ख़ुश क़िसमत और ‘उहदे को ज़ाहिर करता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस जुमले का लफ़्ज़ी इस्ते’माल का तर्जुमा “पहला हिस्सा (फसल का)” या "फसल का पहला हिस्सा" किया जा सकता है।
  • अगर मुम्किन हो तो, अलग-अलग हवालों में अलग-अलग मतलबों की इजाज़त देने के लिए, ‘अलामती इस्ते’मालों का लफ़्ज़ी तर्जुमा किया जाना चाहिए। यह लफ़्ज़ी मतलब और लफ़्ज़ी इस्ते’मालों के बीच के ता’ल्लुक़ को भी दिखाएगा।

(यह भी देखें: पहलौठा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H1061, H6529, H7225, G536

पहले से जान लिया, पहले से ‘इल्म

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “पहले से जान लिया”, या “पहले से ‘इल्म” फ़े’अल “पहले से जानना” से आता है जिसका मतलब है वाक़े’ होने से पहले उसका ‘इल्म हो जाना।

  • ख़ुदा वक़्त से महदूद नहीं है। वह माज़ी, हाल और मुस्तक़बिल की सब बातें जानता है।
  • यह लफ़्ज़ अमूमन इस बारे में काम में लिया जाता है कि ख़ुदा पहले से ही जानता है कि ‘ईसा को अपना मुन्जी क़ुबूल करने के ज़रिए’ किसकी नजात होगी।

तर्जुमे की सलाह:

  • लफ़्ज़ “पहले ही से जानता था” का तर्जुमा हो सकता है, “पहले से जाना था” या “वक़्त से आगे जानता था” या “पहले से जानता था” या “पहले से ही पता था।”
  • लफ़्ज़ “पहले से ‘इल्म” का तर्जुमा “पहले से जानना” या “वक़्त से पहले जानना” या “पहले से जानना” या “पहले से जानना”।

(यह भी देखें: जानना, पहले से ठहराए गए)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G4267, G4268

पहलौठे

ता’अर्रुफ़ :

“पहलौठे” लफ्ज़ इन्सान या जानवर के सबसे पहले बच्चे को कहते हैं।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “पहलौठे” के बारे में सबसे पहले पैदा होनेवाले बेटे से है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, सबसे पहले पैदा होने वाले बेटे को ख़ास जगह दी जाती थी और माँ-बाप की दौलत में से दूसरे बेटों की बराबरी में दो गुना हिस्सा दिया जाता था।
  • ख़ुदावन्द के लिए जिस जानवर की क़ुर्बानी पेश की जाती थी, वह पहला मुज़क्कर बच्चा होता था।
  • इसका इस्ते’माल ‘अलामती भी किया जा सकता है। मिसाल के तौर, इस्राईली क़ौम को ख़ुदावन्द का पहलौठा कहा गया है क्योंकि ख़ुदा ने उसे दूसरी क़ौमों की बराबरी में ख़ास ख़ुशक़िस्मती ‘अता की हैं।
  • ख़ुदा के बेटे ‘ईसा को पहिलौठा कहा गया है, उसकी अहमियत और सब इन्सानों पर उसके इख्तियार की वजह से।

तर्जुमा की सलाह :

  • अगर पहलौठा दस्तावेज़ में अकेला लफ्ज़ है तो इसका तर्जुमा हो सकता है, “पहलौठा आदमी” या “पहलौठा बेटा” क्योंकि इसका मतलब यही है। (देखें: क़बूल ‘इल्म और अनदुरूनी जानकारी )
  • इस लफ़्ज़ी के तर्जुमा हो सकते हैं, “बेटा जो पहले पैदा हुआ” या “सबसे बड़ा बेटा” या “पहला बेटा”।
  • जब ‘अलामती इस्ते’माल में ’ईसा का हवाला हो, तब एक लफ्ज़ या जुमले के साथ तर्जुमा किया जा सकता है जिसका मतलब है "बेटा जो सब कुछ पर इख्तियार रखता है" या "बेटा, जो अहतराम में पहला है।"
  • ख़बरदार: यक़ीन करें कि ‘ईसा लफ्ज़ का तर्जुमा ऐसा न लगे कि वह बनाया गया था।

(यह भी देखें: इख्तियार होना, क़ुर्बानी, बेटा

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1060, H1062, H1067, H1069, G4416, G5207

पानी, पानी , पानी पिलाया, पानी देना

ता’अर्रुफ़:

“पानी” का ख़ास मतलब के अलावा मा’नी तालाबों से भी है जैसे समन्दर , सागर, झील या नदी भी है।

  • "पानी " इस जुमले का बयान तालाबों या बहुत पानी के चश्मों से है। इसका बयान आम तौर पर पानी की बड़ी ता’दाद से भी है।
  • “पानी” का तम्सीली इस्तेमाल बड़ी नाउम्मीदी, कठिनाइयों और तकलीफों के लिए भी किया जाता है। मिसाल के तौर पर , ख़ुदा ‘अहद करता है कि जब हम “पानी से होकर चलें” तब वह हमारे साथ-साथ होगा।
  • “बहुत पानी ” का मतलब है परेशानियां बहुत बड़ी हैं।
  • जानदारों और कुछ जानवरों को पानी पिलाने का मतलब है उनके लिए "पीने के पानी का इन्तिज़ाम करना"। किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में पानी बाल्टी के ज़रिये कुएँ से निकाल कर हौज़ में या किसी और बर्तन में डाला जाता था कि जानवर उसमें से पानी पीएं।
  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा को उसके लोगों के लिए “ज़िंदगीका पाने ” का चश्मा कहा गया है। इसका मतलब है कि वह रूहानी ताक़त और नई ज़िन्दगी का चश्मा है
  • नये ‘अहद नामे में ‘ईसा ने “ज़िन्दगी के पानी” जुमले का इस्ते’माल किया है जो इंसान को बदलने और नई ज़िन्दगी देने के लिए पाक रूह का काम है।

तर्जुमे की सलाह :

  • “पानी भरना” का तर्जुमा होगा, “बाल्टी के ज़रिए’कूएँ से पानी निकालना”
  • “उसके दिल में से ज़िन्दगी के पानी की नदियां बह निकलेंगी”। इसका तर्जुमा हो सकता है, “पाक रूह की ताक़त और बरकतें उनमें से नदियों के जैसे बहने लगेंगी” “बरकतों ” की जगह में “तोहफ़ा ” या “फल” या “ख़ुदाई सिफ़त ” का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कूएँ पर उस सामरी ‘औरत से बातें करते वक़्त “ज़िन्दगीका पानी ” का तर्जुमा “ज़िन्दगी देने वाला पानी” या “पानी जो ज़िन्दगी देता है” किया जा सकता है। इस बारे में पानी की मिसाल को तर्जुमा में ज़ाहिर करना है।
  • मज़मून के मुताबिक़ , “पानी” और “बहुत पानी” का तर्जुमा “गहरा दुःख ” हो सकता है (जो आपको पानी की तरह चारों ओर से घेरे होता है) "या" भारी मुश्किलों (जैसे पानी की बाढ़) "या "बड़ी मिक़दार में पानी "।

(यह भी देखें: ज़िन्दगी , रूह , पाक रूह, ताक़त )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2222, H4325, H4529, H4857, H7301, H7783, H8248, G504, G4215, G4222, G5202, G5204

पाँवों की चौकी

ता’अर्रुफ़:

“पाँवों की चौकी” बैठते वक़्त पाँवों को आराम देने के लिए रखने की चौकी। इस जुमले का ‘अलामती मतलब है, जमा’ करना रहना या छोटा ‘उहदा।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में पाँवों को जिस्म का सबसे कम इज़्ज़त वाला हिस्सा माना जाता है। लिहाज़ा पाँवों की चौकी और भी ज़्यादा नाचीज़ थी, क्योंकि उस पर पाँव रखे जाते थे।
  • ख़ुदा कहता है, मैं अपने दुश्मनों को अपने पाँवों की चौकी कर दूँगा तो वह बाग़ियों पर अपनी , क़ुव्वत और जीत की मुक़र्रर कर रहा है। वे हार कर इतने हलीम हो जाएंगे कि ख़ुदा की मर्ज़ी के ताबे’ सुपुर्द कर देंगे।
  • “ख़ुदा के पाँवों की चौकी पर परस्तिस करना” मतलब ख़ुदा तख़्त पर बैठा है और परस्तिस करने वाले उसके क़दमों में सज्दा करते हैं। यह फिर बात चीत करता है कि आजिज़ी और बरकत खुदा के लिए है|
  • दाऊद हैकल को ख़ुदा के पाँवों की चौकी कहता है। इसका हवाला उसके अपने लोगों पर उसके पूरे इख़्तियार से है। यह तख़्त पर बैठे ख़ुदा का तसव्वुर भी है जिसके पाँव चौकी पर रखे हुए हैं जो उसके ताबे’ सबकी सुपुर्दगी ज़ाहिर करता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1916, H3534, H7272, G4228, G5286

पिघलना, पिघल गया, पिघलाई, पिघल जाता, ढालकर

सच्चाई:

“पिघलना” या'नी गरमी पाकर किसी ठोस सामान का पानी जैसा हो जाना। इसका 'अलामती इस्ते'माल भी किया गया है। पिघली हुई चीज़ को “ढालना” भी कहते हैं।

  • अलग अलग धातुओं को पिघला कर सांचों में डालकर हथियार या मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। * “ढाली गई धातु” या'नी पिघलाई गई धातु।
  • मोमबत्ती जलती है तो उसका मोम पिघलकर गिरता है। पुराने वक़्त में ख़तों के सिरों पर पिघला हुआ मोम डालकर उन्हें मुहरबन्द किया जाता था।
  • “पिघलने” का 'अलामती मतलब है, मुलायम और कमज़ोर जैसे पिघला हुआ मोम।
  • यह जुमला , “दिल पिघल जायेंगे” या'नी ख़ौफ़ की वजह से बहुत कमज़ोर हो जायेंगे।
  • एक और 'अलामती जुमला है, “वह पिघल जायेंगे” वह चले जाने के लिए मजबूर किये जायेंगे या वह कमज़ोर दिखाई देंगे और हार जायेंगे।
  • “पिघलने” का सही तर्जुमा होगा “पानी जैसा हो जाना” या “पानी की तरह होना” या “पानी बनाना।”
  • “पिघलने” के 'अलामती मतलबों का तर्जुमा होगा, “मुलायम होना” या “ कमज़ोर होना” या “शिकस्त होना।”

(यह भी देखें:दिल, झूठे मा’बूद, तरह, मुहर)

किताब-ए-* मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1811, H2003, H2046, H3988, H4127, H4529, H4541, H4549, H5140, H5258, H5413, H6884, H8557, G3089, G5080

पिया हुआ, शराबी

सच्चाई:

“नशे में” का मतलब बहुत ज़्यादा मयनोशी से मदहोश होना|

  • “शराबी” इन्सान अक्सर मयनोशी करता है। ऐसे इन्सान को मयख़्वार भी कह सकते हैं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ईमानदारों से कहा गया है कि मय से मतवाले होने की बजाय पाक रूह के ताबे’ हो जाएं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस की ता’लीम के मुताबिक़ मतवालापन बे’अक़्ल है और इन्सान को गुनाहों में गिराता है।

“मतवालापन” का तर्जुमें के तरीक़े हो सकते हैं, “मतवाले” या “नशे में चूर” या “बहुत ज़्यादा मय नोशी” या “शराब से भरा हुआ ”।

(यह भी देखें: मय)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5433, H5435, H7301, H7302, H7910, H7937, H7941, H7943, H8354, H8358, G3178, G3182, G3183, G3184, G3630, G3632

पीतल

ता'अर्रुफ़:

“पीतल” (कांसा) एक धातु है जिसे तांबा और टिन के मिलने से तैयार किया जाता है। इसका रंग हल्की सुर्ख़ी लिए गहरा भूरा होता है।

  • यह पीतल पानी से होने वाले नुक़सान से महफूज़ रहता है और गर्मी को अच्छी तरह से मुन्तक़िल करता है।
  • बुज़र्गों के ज़माने में पीतल औज़ारों, हथियारों, नाख्खासी, क़ुर्बानगाहों, खाना पकाने के बर्तन, फ़ौजों की हिफ़ाज़त के लिए कई चीज़ों की ता'मीर में काम आता था।
  • बहुत से ख़ेमों और हैकल की 'इमारत करने वाले सामान पीतल के बने होते थ|
  • झूठे मा'बूदों के बुत भी तांबे से बनते थे।
  • तांबे से चीज़ें बनाने के लिए पहले तांबे को पिघलाया जाता था उसके बा'द सांचों में डाला जाता था। इस 'अमल को "ढालना" कहते थे।

(यह भी देखें: ना मा'लूम लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: हथियार, ख़ेमा, हैकल )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5153, H5154, H5174, H5178, G5470, G5474, G5475

पीने का नज़राना

ता’अर्रुफ़ :

मय ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी या जिसमें क़ुर्बानगाह पर मय उण्डेला जाती थी| यह अक्सर एक साथ, आतिशी क़ुर्बानी और अनाज की कुर्बानी के साथ पेश किया जाता था।

  • पौलुस अपनी ज़िन्दगी को मय की तरह उण्डेले जा रहा है। इसका मतलब था कि वह ख़ुदा की ख़िदमत में पूरी तरह सुपुर्द था कि इन्सानों में ख़ुशख़बरी सुनाए चाहे वह तकलीफ़ उठाए या चाहे मार डाला जाए।
  • सलीब पर ‘ईसा की मौत फ़ौरी तौर पीने का नज़राना था जैसा कि हमारे गुनाहों की वजह से उसका ख़ून बहाया गया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • इसका तर्जुमा हो सकता है “मय का नज़राना”
  • जब पौलुस कहता है कि वह नज़राने की तरह उण्डेला जा रहा है तब इसका तर्जुमा हो सकता है, “मैं इन्सानों में ख़ुदा की ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए पूरी तरह हाज़िर हूं जैसे मय को क़ुर्बानगाह पर नज़्र करके पेश किया जाता है”।

(यह भी देखें: आतिशी नज़राना, अनाज का नज़राना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5257, H5261, H5262

पुकार, चिल्लाहट, पुकारकर, रोना, दोहाई, दोहाई, पुकारकर, चिल्लाहट, -नारे बुलन्द करना

ता’अर्रुफ़:

“पुकार” या “दोहाई” हमेशा किसी बात को ऊँची आवाज़ में कहना और ज़रूरत ज़ाहिर करना। कोई “दोहाई” तकलीफ़ या नाउम्मीदी या ग़ुस्से में भी पुकार सकता है।

  • “दोहाई” का मतलब चिल्लाना या आवाज देना, ज़्यादातर मदद के लिए।
  • इसका तर्जुमा “ऊँची आवाज़ में ऐलान करना” या “जल्दी में मदद मांगना” हो सकता है-मज़मून के मुताबिक़
  • “मैं तुझे पुकारता हूं” इस जुमले का तर्जुमा “मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूं” या “मैं मुश्किल हालात में मदद के लिए तुझे पुकारता हूं” हो सकता है

(यह भी देखें: बुलाहट, मिन्नत करना)

किताब -ए- मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H603, H1058, H2199, H2201, H6030, H6463, H6670, H6682, H6817, H6818, H6873, H6963, H7121, H7123, H7321, H7440, H7442, H7723, H7737, H7768, H7769, H7771, H7773, H7775, H8173, H8663, G310, G349, G863, G994, G995, G1916, G2019, G2799, G2805, G2896, G2905, G2906, G2929, G4377, G5455

पूछना, जांच करना, जाँच-की , पूछ-ताछ

सच्च्चाई:

“पूछना” या'नी किसी से किसी बात को मा'लूमात करने के लिए पूछना । * “से पूछना” हमेशा ख़ुदा के लिए हिकमत और मदद को पूछने में मदद के लिए इस्ते'माल करते हैं

  • पुराने 'अहद नामे में कई मिसालें हैं जब लोगों ने ख़ुदा से बातें पूछी हैं।
  • यह लफ़्ज़ बादशाह या किसी हुकूमती हाकिम के ज़रिए' लिखे हुए के बारे में मा'लूमात हासिल करने के लिए भी काम में लिया जाता था।
  • जुमले के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “पूछना” या “जानकारी मांगते हैं।”
  • “यहोवा से पूछना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा से सही रास्ता खोजना” या “यहोवा से पूछना कि क्या किया जाए”।
  • "पूछताछ करने के लिए" का तर्जुमा "सवाल पूछें" या " मा'लूमात के लिए पूछें" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • जब यहोवा कहता है, “मैं उत्तर नहीं दूंगा” तो इसका तर्जुमा हो सकता है, “मैं तुम्हें मा'लूमात पूछने की इजाज़त नहीं दूंगा” या “तुम्हें मुझसे मदद मांगने की इजाज़त नहीं मिलेगी”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1240, H1245, H1875, G1830

पैदा करना, जच्चा की सी, दर्द-ए-ज़ेह

ता’अर्रुफ़:

एक ‘औरत “दर्द-ए-ज़ेह” में उस दर्द को महसूस करती है जिसके ज़रिए’ वह बच्चे को पैदा करती है। इसे “दर्द-ए-ज़ेह” कहते हैं।

  • गलातिया मुल्क की कलीसियाओं को लिखे ख़त में पौलुस इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल ‘अलामती तौर पर करता है जिसका मतलब है कि पौलुस अपने ईमानदार भाइयों को ज़्यादा से ज़्यादा मसीह की तरह लाने के लिए ज़ोरदार कोशिश करता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में की मिसाल दर्द-ए-ज़ेह आख़िरी दिनों की तबाही को ज़ाहिर करने के लिए भी दी गई है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा तेज़ और ज़ोर में होगा।

(यह भी देखें: दर्द-ए-ज़ेह, आख़िरी दिन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2342, H2470, H3018, H3205, H5999, H6045, H6887, H8513, G3449, G4944, G5088, G5604, G5605

पैदा करना,बनाना ,पैदा किया ,’आलम ,ख़ालिक़

ता’अर्रुफ़:

“पैदा करना” या’नी बनाना या किसी को हक़ीक़त में लाना | जो कुछ बनाया गया उसे दुनिया कहते हैं। ख़ुदा को “ख़ालिक़ ” कहते हैं क्योंकि उसने पूरी दुनिया को हकीक़त बख़्शा|

  • जब ख़ुदा के लिए कहा जाता है कि उसने पूरी दिनिया को बनाया तो इसका मतलब है कि उसने अव्वल से उसे पैदा किया।
  • जब इन्सान कोई चीज़ बनाता है तो इसका मतलब है कि वह मौजूदा चीज़ों से कुछ बनाता है।
  • कभी-कभी “बनाना” ‘अलामती तौर से काम में लिया जाता है जैसे “सुकून को पैदा करना” या “इन्सान में पाक दिल बनाना ”
  • “तख़लीक़ ” लफ़्ज़ का मतलब है, शुरू में जब ख़ुदा ने सब कुछ बनाया। यह लफ़्ज़ ख़ुदा के ज़रिये’ बना सब के लिए काम में लिया जा सकता है। कभी-कभी “तख़लीक़” लफ़्ज़ ख़ास करके ज़मीन पर आदमियों के लिए काम में लिया जाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • कुछ ज़बानों में साफ़ ज़ाहिर किया जा सकता है कि ख़ुदा ने “शुरू’से” पूरी दुनिया की तख़लीक़ की, यक़ीन करें कि इसका मतलब वाज़े’ह हो।
  • “दुनिया की तख़लीक़ के वक़्त से” या’नी “उस वक़्त से जब ख़ुदा ने पूरी दुनिया को बनाया था|”।
  • ’आम जुमलों , “दुनिया के शुरू’ में ” का तर्जुमा किया जा सकता है, “जब ख़ुदा ने आलम को वक़्त की शुरुआत में बनाया” या “जब ‘आलम को पहली बार बनाया गया।”
  • “सारी दुनिया के लोगों को” ख़ुशख़बरी की मुनादी करो या’नी “पूरी ज़मीन पर आदमियों को” ख़ुशख़बरी सुनाओ।
  • “पूरी दुनिया ख़ुशी करे” या’नी “ख़ुदा के ज़रिये’ बना सब कुछ ख़ुशी मनाए ”।
  • मज़मून के मुताबिक़ “पैदा करना” का तर्जुमा “बनाना” या “हक़ीक़त में लाना” या “शुरू’से पैदा करना” हो सकता है।
  • “ख़ालिक़ ” का तर्जुमा “जिसने सब कुछ बनाया” या “ख़ुदा जिसने पूरी दुनिया की तख़लीक़ की”।
  • “तेरा बनाने वाला ” का तर्जुमा “ख़ुदा जिसने तुझे बनाया” हो सकता है।

(यह भी देखें: ख़ुदा, ख़ुशख़बरी, दुनिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3335, H4639, H6213, H6385, H7069, G2041, G2602, G2675, G2936, G2937, G2939, G4160, G5480

फटकना, फटकता, फटका, फटकेगा, फटके, छानना

ता’अर्रुफ़:

“फटकना” और “फटके” या’नी अनाज को भूसी से अलग करना। किताब-ए-मुक़द्दस में ये दोनों लफ़्ज़ों का इस्तेमाल तम्सीली शक्ल में भी किया जाता है, इन्सानों को अलग करने और उनको तक़सीम करने में।

“फटकना” भी ग़ैर ज़रूरी भूसी को अनाज से अलग करना है अनाज में मिली भूसी को हवा में उड़ाया जाता था कि हवा भूसी को उड़ाकर अनाज से अलग कर दे।

  • “फटके” उस गेहूँ को जो हवा में उड़ाकर भूसी से अलग किया गया है एक छलनी में फटका जाता था कि उसमें से मिट्टी और कंकड़ अलग किये जाएं।
  • पुराने ‘अहद नामे में फटकना और हवा में उड़ना जुमलों का तम्सीली इस्तेमाल किया गया है जिसका बयान रास्तबाज़ों को नारास्तों से अलग करने वाली मुश्किलों से है।
  • एक बार ‘ईसा ने भी “फटके” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया है जब वह शम’उन पतरस से कह रहा था कि वह और दीगर शागिर्द अपने ईमान में कैसे परखे जायेंगे।
  • इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा करने के लिए, मक़सदी ज़बान में उन लफ़्ज़ों या जुमलों का इस्ते’माल करें जो इन हरकतों का हवाला हो; मुमकिन तर्जुमा "हिलाना" या "हवा करना" हो सकता हैं। अगर सूप या छानना नहीं जानते हैं, तो उन लफ़्ज़ों का तर्जुमा दुसरे लफ़्ज़ के ज़रिए’ किया जा सकता है जो अनाज से भूसी या गंदगी को अलग करने, या इस काम का बयान करने का एक अलग तरीक़े का हवाला देता हो।

(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: भूसी, अनाज )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2219, H5128, H5130, G4425, G4617

फ़रमान, फ़रमानों

ता’अर्रुफ़:

एक फ़रमान एक अवामी फ़रमान या कानून होता है जिसमें अवाम के ज़रिए’ ‘अमल करने के हुक्म और नियम होते हैं। यह लफ़्ज़ “मुक़र्रर” से मुता’अल्लिक़ है।

  • कभी-कभी फ़रमान एक रिवाज़ होता है, जो सालों की मश्क़ के बा’द अच्छी तरह से क़ायम हो जाता है|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, फ़रमान कोई चीज़ है जो ख़ुदा ने इस्राईलियों को करने के लिए हुक्म दिया था| कभी-कभी वह उन्हें हमेशा करने के लिए हुक्म देता था|
  • लफ़्ज़ “फ़रमानों” को “अवामी हुक्म” या “फ़रमान” या “कानून” तर्जुमा किया जा सकता है, मज़मून पर मुनहस्सिर|।

(यह भी देखें: हुक्म, फ़रमान, कानून, मुक़र्रर करना, हालत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2706, H2708, H4687, H4931, H4941, G1296, G1345, G1378, G1379, G2937, G3862

फल, फलों, फलदार, बेफल

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “फल” का मतलब पेड़ के उस हिस्से से है जो खा सकते हैं| कुछ भी “फलदार” है जो बहुत फलदायक है। किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ को ‘अलामती तौर भी काम में लिया गया है।

  • किताब मुक़द्दस में “फल” लफ़्ज़ अक्सर इन्सान के ‘आमाल के लिए काम में लिया गया है। जिस तरह कि फल ज़ाहिर करता है कि पेड़ कैसा है उसी तरह इन्सान के अलफ़ाज़ और ‘आमाल ज़ाहिर करते हैं कि उसका किरदार कैसा है।
  • इन्सान अच्छे या बुरे रूहानी फल पैदा कर सकता है, लेकिन “फलदार” का मतलब हमेशा ही सही है या’नी बहुत अच्छे फल लाना।
  • लफ़्ज़ “फलदार” का ‘अलामती मतलब है, “ख़ुशगवार” इसका हवाला अक्सर अनेकी औलाद और नसल और खाने की कसरत तथा दौलत से है।
  • ‘आमतौर पर, इज़हार “का फल” का मतलब है किसी से पैदा कोई बात। मिसाल के तौर पर, “’अक़्ल का फल” का मतलब है ’अक़्लमन्द होने के अंजाम में अच्छी चीजें पाना|
  • इज़हार “ज़मीन का फल” का मतलब उन सभी चीज़ों से है जो खाने के लिए ज़मीन देती है| इसमें न सिर्फ़ फल जैसे कि खजूर और अंगूर ही नहीं, सब्जियाँ, मेवे और अनाज भी शामिल है।
  • ‘अलामती इज़हार “रूह का फल” फरमाबरदार इन्सानों में पाक रूह के ज़रिए’ पैदा ख़ुदा की ‘इबादत की ख़ुसीसियत|
  • इज़हार “हमल का फल” का मतलब है जो ‘औरत पैदा करती है” जो बच्चा है|

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “फल” के लिए ‘आम लफ़्ज़ के ज़रिए’ ही किया जाए तो अच्छा होगा, जो ‘आम तौर मक़सदी ज़बान में इस्ते’माल होता है जिसका मतलब है एक फलदार पेड़ का खाने वाला फल| कई ज़बानों में जमा’ लफ़्ज़ “फलों” ज़्यादा क़ुदरती होगा।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “फलदार” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़्यादा रूहानी फल पैदा करना” या “बहुत औलाद होना” या “ख़ुसगवार होना”
  • इज़हार “ज़मीन की पैदावार” का तर्जुमा “ज़मीन के ज़रिए’ पैदा खाना” या “उस इलाक़े की फसल”।
  • जब ख़ुदा ने जानवर और इन्सान की तख़लीक की, तब उसने उन्हें हुक्म दिया “फलदार हो और ज़रब हो” जिसका मतलब है बहुत ज़्यादा औलाद होना| इसका तर्जुमा “बहुत औलाद होना” या “बहुत औलाद और नसलें होना” या “बहुत औलाद होना कि बहुत नसलें हों” हो सकता है|
  • इज़हार “हमल का फल” का तर्जुमा हो सकता है, “हमल से पैदा” या “’औरत के ज़रिए’ पैदा औलाद” या सिर्फ़ “औलाद”। जब इलीशिबा ने मरियम से कहा, “मुबारक है तेरे रिहम का फल,” तो उसका मतलब था “जिस बच्चे को तू पैदा करेगी वह मुबारक है”। मक़सदी ज़बान में इस जुमले के लिए मुख़्तलिफ़ इज़हार हो सकते हैं।
  • एक और इज़हार “अँगूर का फल” का तर्जुमा “अँगूर की बेल का फल” या “अंगूर” हो सकता है।
  • मज़मून पर मुनह्स्सिर, “ज़्यादा फलदार होना” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़्यादा फल देगी” या “ज़्यादा औलाद होगी” या “ख़ुसगवार होगे”।
  • रसूल पौलुस का इज़हार “फलदार मज़दूरी” का तर्जुमा हो सकता है, “अच्छे नतायज लाने वाला काम” या “मसीह में ईमान करने के लिए काम को लाने वाली कोशिश”।
  • “रूह का फल” का तर्जुमा “पाक रूह के ज़रिए’ पैदा काम” या “लफ़्ज़ और काम जिनसे ज़ाहिर हो कि पाक रूह इन्सान में काम करती है” हो सकता है।

(यह भी देखें: नसल, अनाज, अंगूर, पाक रूह, अँगूर की बेल, हमल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3, H4, H1061, H1063, H1069, H2173, H2233, H2981, H3206, H3581, H3759, H3899, H3978, H4022, H4395, H5108, H5208, H6500, H6509, H6529, H7019, H8256, H8393, H8570, G1081, G2590, G2592, G2593, G3703, G5052, G5352, G6013

फ़सल काटना, लवनेवाला, फ़सल काटी, फ़सल काटने वाले, फ़सल काटने वालों, फ़सल की कटाई

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “फ़सल काटना” का मतलब अनाज जैसे फ़सलों की फ़सल काटना। “काटने करने वाला” मतलब फ़सल काटने वाला।

‘आम तौर पर लवने काटने वाले फ़सल को हाथ से काटा करते थे, पौधों को खींच कर या उन्हें तेज काटने वाले औज़ार के साथ काटकर। फ़सल काटना का इस्ते’माल ‘अलामती शक्ल में भी किया गया है जिसका हवाला इन्सानों को ‘ईसा के बारे में ख़ुशख़बरी सुनाकर उन्हें ख़ुदा के ख़ानदान में लाने से है। इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल इन्सानों के ‘आमाल के नतीजे के बारे में भी किया जाता है। जैसे कहा जाता है “इन्सान जो बोता है वही काटता है” (देखें: मिसाल “काटना” और काटने वाले” के तर्जुमा और भी तरीक़े हो सकते हैं, “फ़सल काटना” और “फ़सल काटने वाला” (या इन्सान जो फ़सल काटता है।)

(यह भी देखें: ख़ुशख़बरी,फ़सल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4672, H7114, H7938, G270, G2325, G2327

फ़सल, फ़सल, कटाई, कटनी, काटनेवाला, काटनेवालों

ता’रीफ़:

“फ़सल” लफ़्ज़ का मतलब है पेड़-पौधों से पके फल या सब्जियाँ इकठ्ठा करना।

  • कटनी का वक़्त फसल पकने का वक़्त होता है।
  • इस्राईल कटनी का ‘ईद मनाता था कि खाने की फसल काटें। ख़ुदा ने उन्हें हुक्म दिया था कि वह उसके लिए पहला फल चढाएं।
  • ‘अलामती मतलब में, “फ़सल” का मतलब ईसा में ईमान करने वाले लोगों से या इन्सान की रूहानी तरक़्क़ी का ज़िक्र से हो सकता है।
  • रूहानी फ़सल की कटनी का ख़याल फलों का ‘अलामती तसव्वुर हो सकता है, ख़ुदा की ‘इबादत के किरदार की ख़ुसूसियत।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा उस लफ़्ज़ में करना सही होगा, जो ‘आमतौर ज़बानों में फ़सल की कटाई के लिए इस्ते’माल किया जाए|
  • कटनी के मौक़े का तर्जुमा हो सकता है, “फल इकठ्ठा करने का वक़्त” या “फ़सल उठाने का वक़्त” या “फल तोड़ने का वक़्त”।
  • “कटाई करना” का तर्जुमा हो सकता है, “इकठ्ठा करना”, “तोड़ना” या “जमा’ करना”

(यह भी देखें: पहला फल, ‘ईद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2758, H7105, G2326, G6013

फाटक, फाटकों, बेंड़ों, चौकीदार , चौकीदारों, दरवाज़े के खम्भे, दरवाज़ा

ता’अर्रुफ़:

“दरवाज़ा ” किसी अहाते में या दीवार में जो शहर या घर के चारों तरफ़ से उसमें चूल पर लगी एक रुकावट होती है। “बेड़ों” दरवाज़ा को बन्द करने के लिए लकड़ी या धातु की ज़ंजीर ।

  • दरवाज़ा के फाटकों को खोला जाता था कि लोग, जानवर और ताजिर शहर में आ सकें और शहर से जा सकें।
  • शहर को महफ़ूज़ रखने के लिए शहरपनाह और दरवाज़े बहुत मोटे होते थे। दरवाज़ों को ज़ंज़ीरों से बन्द किया जाता था कि दुश्मन की फ़ौज को शहर में दाख़िल होने से रोका जाए।
  • शहर का दरवाज़ा शहर की ख़बर और क़ौमी मरकज़ होता था। वहां कारोबारियों के लेनदेन और फ़ैसला भी किया जाता था क्यूँकि शहरपनाह के मोटे होने की वजह से वहाँ धूप से बचने के लिए मौजूद ठंडी छांव होती थी। शहरियों को उसके साए में बैठना अच्छा लगता था कि वहाँ बैठकर फ़ैसला करें या कारोबार करें।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमलों के मुताबिक़ “दरवाज़े” का तर्जुमा “दरवाज़ा” या “दीवार से दाख़िल होने की जगह” या “रुकावट” या “दाख़िल होने का दरवाज़ा ” किया जा सकता है।
  • “दरवाज़े की सलाखों” का तर्जुमा “फाटक की सिटकनी” या “दरवाज़े को बन्द करने की लम्बी लाठी ” या “दरवाज़े को बन्द करने की धातु की ज़ंजीर ”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1817, H5592, H6607, H8179, H8651, G2374, G4439, G4440

फ़ायदा,फ़ायदा ,फ़ायदे मंद

ता’अर्रुफ़

आम तौर पर, " फ़ायदा " और " फ़ायदे मंद " लफ़्ज़ कुछ काम या बर्ताव करने के ज़रिए’ से कुछ अच्छा पाने के लिए कहते हैं

कोई चीज़ किसी के लिए “फ़ायदे मंद” होना या’नी किसी को अच्छी चीज़ें पाया करता है या किसी को अच्छी चीज़ मिलने में मदद गार है।

  • “फ़ायदा” ख़ास करके तिजारत में पैसा मुनाफ़ा पाने के बारे में होता है। तिजारत फ़ायदे मंद होता है जहां ख़र्च से ज़्यादा पैसा मिलता हो।
  • काम फ़ायदे मंद तब होते हैं जब उनके ज़रिए’ आदमियों को फ़ायदा होता है।
  • 2तीमु. 3:16 में लिखा है कि पुरी किताब-ए-मुक़द्दस इन्सानों के तरबियत और ता’लीम के लिए “फ़ायदे मंद” है। इसका मतलब है कि किताब-ए-मुक़द्दस की ता’लीमें इन्सान को ख़ुदा की मर्ज़ी की जिन्दगी जीने में मददगार और फ़ायदे मंद हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “फ़ायदा” का तर्जुमा “फ़ायदेमन्द” या “मदद ” या “मिलना” हो सकता है।
  • “फ़ायदे मंद” का तर्जुमा “इस्तेमाल” या “फ़ायदेमन्द” या “मदद” हो सकता है।
  • “से फ़ायदा मिलना” का तर्जुमा “से फ़ायदा उठाना” या “से पैसा मिलना” था, “से मदद मिलना” हो सकता है।

(यह भी देखें: लायक़)

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ के “फ़ायदा” का तर्जुमा “मुफ़ीद ” या “मदद ” या “पाना ” हो सकता है।
  • “फ़ायदे मंद” का तर्जुमा “कार आमद ” या “मुफ़ीद ” या “मददगार ” हो सकता है।
  • “से फ़ायदा पाना ” का तर्जुमा “से फ़ायदा उठाना” या “से पैसा पाना ” था, “से मदद पाना ” हो सकता है।
  • तिजारत के बारे में “फ़ायदा” का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमलों के ज़रिए’ कियें जाएँ जिसका मतलब “पैसों का फ़ायदा” या “पैसों कीज़्यादती ” या “अलग से पैसा” हो।

किताब-इ-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1215, H3148, H3276, H3504, H4195, H4768, H5532, H7737, H7939, G147, G255, G512, G888, G889, G890, G1281, G2585, G2770, G2771, G3408, G4297, G4298, G4851, G5539, G5622, G5623, G5624

फ़ाहेशा , रण्डी , ज़ानी , क़स्बी , छिनाल , जिना करने वाली

ता’अर्रुफ़:

“फ़ाहेशा” या’नी पैसों के लिए या सालाना रस्मों के लिए ज़िनाकारी करना। कस्बियाँ अक्सर ‘औरतें होती थी लेकिन आदमी भी होते थे।

  • कलाम में “फ़ाहेशा” लफ़्ज़ तमसीली शक्ल में बुत की इबादत या जादू टोना करने वाले के लिए काम में लिया जाता था।
  • “ज़िना करना” या’नी फ़ाहेशा के जैसा बुरा काम करना। कलाम में यह जुमला बुत की इबादत के लिए भी काम में लिया गया है।
  • “जिना होना” या’नी बुरे काम करना या तमसीली शकल में -ग़ैर मा’बूदों की इबादत करना।
  • पुराने ज़माने में हैक्लों में ‘औरत और आदमी काम के लिए जिना के हक़दार होते थे।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मकसदी ज़बान में उसी लफ़्ज़ से किया जाए जिसका मतलब क़स्बी हो। कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ के लिए एक ख़ास लफ़्ज़ हो सकता है। (देखें: किस्म

(यह भी देखें: ज़िना, झूठेमा’बूद , बुरा काम , बुत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2154, H2181, H2183, H2185, H6945, H6948, H8457, G4204

फूल जाना, फूल जाना

ता’अर्रुफ़:

“फूल जाना” एक कलाम है जिसका मतलब है मग़रूर या गुस्ताख़ होना। (देखें:कलाम

  • एक आदमी जो फूल जाता है वह ख़ुद को औरों से ज़्यादा बड़ा समझता है।
  • पौलुस ने सिखाया था कि मा’लूमात और सच्चाई या मज़हबी इल्म की ज़्यादती की वजह से इन्सान “फूल जाता है” और मुताकब्बिर हो जाता है।
  • और ज़बानों में भी ऐसी ही या इससे अलग जुमला हो सकता है जिसका मतलब यही हो जैसे “अकड़ में रहना”।
  • इसका तर्जुमा "बहुत ग़ुरूर " या "दूसरों से नफ़रत " या "तकब्बुर " या "दूसरों की बराबरी में खुद को बेहतर समझने" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: मग़रूर, मुताकब्बिर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बार में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6075, G5229, G5448

फ़ैसला, फ़ैसलों, फ़ैसला दिया

ता’रीफ़:

फ़ैसला एक ‘ऐलान या क़ानून है जो अवामी तौर से सुनाया जाता है।

  • ख़ुदा के कवानीन को भी फ़ैसला, कानून और फ़रमान कहते हैं।
  • कवानीन और फ़रमानों की तरह फ़ैसलों का भी मानना होता है।
  • इन्सानी हाकिम के ज़रिए’ ज़ारी फ़रमान फ़ैसले की मिसाल है, क़ैसर ऑगुस्तुस का फ़ैसला था की रोमी हुकूमत में हर एक इन्सान अपनी पैदाइश की ज़गह जाकर मर्दुमशुमारी करवाए।
  • फ़ैसले का मतलब है हुक्म देना जिसका मानना करना ज़रूरी है। इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है “फ़ैसला” या “फ़रमान”या “ज़ाती तौर पर ज़रूरी” या “अवामी तौर पर एक कानून बनाना”
  • जो कुछ “फ़ैसला किया है” वह ज़रूर होगा इसका मतलब यह है “ज़रूर ज़रूर होगा” या “जो फ़ैसला किया गया है और वह नहीं बदलेगा” या “ पक्का ‘ऐलान किया है कि यही होगा”

(यह भी देखें: हुक्म, ‘ऐलान करना, क़ानून, ‘ऐलान करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H559, H633, H1697, H5715, H1504, H1510, H1881, H1882, H1696, H2706, H2708, H2710, H2711, H2782, H2852, H2940, H2941, H2942, H3791, H3982, H4055, H4406, H4941, H5407, H5713, H6599, H6680, H7010, H8421, G1378

बकरा, बकरियों, बकरियों की खालें, , बच्चे

ता’अर्रुफ़:

बकरी एक औसत क़द का भेड़ जैसा चौपाया होता है जिसे दूध और गोश्त के लिए पाला जाता है। एक छोटी बकरी को बकरी का बच्चा कहते हैं।

  • भेड़ की तरह बकरी भी क़ुर्बानी के लिए ज़रूरी जानवर था ख़ास करके फ़सह के वक़्त ।

  • अगर्चे भेड़ और बकरी देखने में एक से हैं, वह दिखने कुछ में अलग हैं:

  • बकरी के बाल सख़्त होते है और भेड़ के बाल ऊन होते हैं।

  • बकरी की पूंछ ऊपर रहती है जबकि भेड़ की पूंछ लटकी होती है।

  • भेड़ अपने झुण्ड में रहती है, लेकिन बकरी में आज़ादी होती है और वह झुण्ड को छोड़ कर यहाँ वहाँ भागती है।

  • कलाम के वक़्त में बकरी इस्राईल के लिए दूध का ख़ास जानवर थी।

  • बकरी की खाल से ख़ेमे की पोशीदा चीज़ें और मशकें बनाई जाती थी।

  • पुराने और नये 'अहद नामे में दोनों में बकरी लफ़्ज़ को नारास्तों की 'अलामत के तौर पर काम में लिया गया है, शायद रखवाले से दूर भागने के उनके सुलूक की वजह ।

  • इस्राईली बकरे को 'अलामती गुनाहगार के तौर पर काम में लेते थे। एक बकरे की कुर्बानी पेश करने के बा'द काहिन दूसरे बकरे के सिर पर हाथ रखकर उसे बयाबान में भेज देता था जो लोगों का गुनाह उठा ले जाने वाले की 'अलामत थी ।

(यह भी देखें: झुण्ड, कुर्बानी, भेड़, नारास्त, अँगूर का रस)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H689, H1423, H1429, H1601, H3277, H3629, H5795, H5796, H6260, H6629, H6842, H6939, H7716, H8163, H8166, H8495, G122, G2055, G2056, G5131

बखूर की क़ुर्बानगाह , ख़ुशबू की क़ुर्बानगाह

सच्चाई:

ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह वह मक़ाम था जहां काहिन ख़ुदावन्द को नज़र पेश करने के लिए ख़ुशबू जलाता था। उसे सोने की क़ुर्बानगाह भी कहते थे।

  • ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह लकड़ी की बनी हुई थी और उस पर सोना चढ़ा हुआ था। उसकी लम्बाई और चौड़ाई आधा-आधा मीटर की थी और ऊंचाई एक मीटर की थी।
  • पहले वह ख़ेम-ए-इज्तिमा' के अन्दर थी। उसके बा'द उसे हैकल में लाया गया था।
  • काहिन रोज़ाना सुबह-शाम उस पर खुशबू जलाता था।
  • इसका तर्जुमा “ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह” या सोने की क़ुर्बानगाह” या “ख़ुशबू जलाने वाली” या “ख़ुशबू की मेज” किया जा सकता है।

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

[

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4196, H7004, G2368, G2379

बग़ावत , बग़ावत, बग़ावत की, बग़ावत करना, बग़ावत, बाग़ी, बग़ावत

ता’अर्रुफ़:

“बग़ावत” लफ़्ज़ का मतलब है किसी के इख़्तियार के ताबे’ होने से इन्कार करना। “बग़ावत करने वाला” हुक्म नहीं मानता है और बुरा काम करता है। ऐसा इन्सान “बाग़ी” कहलाता है

इन्सान बग़ावत करता है जब वह ऐसा काम करता है जिसके लिए मुलाज़िमों ने मना’ किया है।

  • इन्सान मुलाज़िमों के ज़रिए’ मुक़र्रर काम न करे तो वह बग़ावत करता है।
  • कभी-कभी इन्सान अपने सरकार या शासकों से भी बग़ावत (बग़ावत ) करते हैं।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “बग़ावत करना” का तर्जुमा “हुक्म न मानना” या “बग़ावत करना” भी हो सकता है।
  • “बाग़ी” का तर्जुमा “लगातार फ़रमाबरदार” या “फ़रमाबरदारी से इन्कार” भी किया जा सकता है।
  • “बग़ावत” का मतलब है, “हुक्म मानने से इन्कार” या “नाफ़रमानी” या “क़ानून की मुख़ालिफ़त”
  • “बग़ावत” का हवाला एक संगठित जमा’अत से भी हो सकता है जो क़ानून को तोड़कर रहनुमा और अवाम पर अवामी हमला कर देते हैं। ये लोग दीगर इन्सानों को भी साथ देने के लिए भड़काते हैं।

(यह भी देखें: इख़्तियार, हाकिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 14:14 इस्राईलियों के चालीस साल तक जंगल में भटकने के बा’द, वह सभी जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ बोलते थे मर गए।
  • 18:07 दस इस्राईली क़बीले रहूबियाम के ख़िलाफ़ बग़ावत की|
  • 18:09 यरुबआम ने ख़ुदा का __बग़ावत __ किया और लोगों को गुनाह में धकेल दिया।
  • 18:13 यहूदाह के बहुत से लोग ख़ुदा के विरुद्ध हो गए और दीगर मा’बूदों की ‘इबादत करने लगे।
  • 20:07 लेकिन कुछ सालों के बा’द, यहूदाह के बादशाह ने बाबुल के ख़िलाफ़ बग़ावत की|
  • 45:03 फिर स्तिफनुस ने कहा, “ऐ ज़िद्दी और ख़ुदा से बग़ावत करने वालों, तुम हमेशा पाक रूह की मुख़ालिफ़त करते हो, जैसा तुम्हारे बुज़ुर्गों ने हमेशा ख़ुदा की मुख़ालिफ़त की और उसके नबियों को मार डाला।

शब्दकोश:

  • Strong's: H4775, H4776, H4777, H4779, H4780, H4784, H4805, H5327, H5627, H5637, H6586, H6588, H7846, G3893, G4955

बड़ा , जिन्नात

ता’अर्रुफ़:

“दानव” उस इन्सान को कहते हैं जो क़द और ताक़त में 'आम तौर से बड़ा हो।

  • फ़िलिस्ती फ़ौज गोलियत जो दाऊद से लड़ा उसको दानव कहा गया है क्यूँकि वह बहुत लम्बा चौड़ा और ताक़तवर आदमी था।
  • कन'आन का राज़ लेने जो इस्राईली जासूस गये थे उन्होंने कहा कि वहाँ दानव बसते हैं।

(यह भी देखें: कन'आन, गोलियत, फ़िलिस्ती)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1368, H5303, H7497

बढ़ाएगा, बढ़ाता रहता, बढ़ गए, बढ़ने लगी, बढ़ती करेगा

ता’अर्रुफ़:

“बढ़ाएगा” या'नी ता'दाद बहुत बढ़ जाना। इसका मतलब और बातों से भी होता है जैसे दर्द का बढ़ना।

  • ख़ुदा ने इन्सानों और जानवरों से कहा था कि वह बढ़ कर (फूलो फलो) ज़मीन को भर दें। यह औलाद बढ़ाने का हुक्म था।
  • ‘ईसा ने 5,000 लोगों को खाना खिलाने के लिए रोटी और मछलियों की ता'दाद बढ़ाई थी। खाने की मिक़दार बढ़ती गई कि सबके लिए ज़रूरत से ज़्यादा खाना हो।
  • जुमले के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “फैलना” या “बढ़ने की वजह होना” या “ता'दाद बढ़ते रहना” या “ता'दाद ज़्यादा होना” या “ला ता'दाद हो जाना” भी हो सकता है।
  • “तेरे दर्द को बहुत बढ़ा देगा” का तर्जुमा हो सकता है, “तेरी दर्द को ज़्यादा बड़ा बना दे” या “तुझे बहुत ज्यादा दर्द दे”।
  • “घोड़े बढ़ाना” या'नी “लालच करके घोड़ों का जाए' करना” या “बहुत ज़्यादा घोड़े जमा' करना”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H3254, H3527, H6280, H7231, H7233, H7235, H7680, G4052, G4129

बदकार, बदकारियों, बदतरीन

ता'अर्रुफ़:

“बदकार” लफ्ज़ गुनाह करनेवालों और बुराई करनेवालों के लिए यह एक 'आम लफ्ज़ है।

  • यह लफ्ज़ उन लोगों के लिए एक 'आम लफ्ज़ हो सकता है जो ख़ुदा के हुक्मों पर 'अमल नहीं करते।
  • इस लफ्ज़ के तर्जुमें में “बुरा” और “बदकार” के लिए लफ़्ज़ों के इस्ते'माल एक ऐसे लफ्ज़ के साथ जो “करना” या “बनाना” या “वजह होना” ज़ाहिर करता है, इस्ते'माल किया जा सकता है।

(यह भी देखें: बुराई)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H6213, H6466, H7451, H7489, G93, G458, G2038, G2040 , G2555

बदला लेना, बदला लेनेवाला, बदला लिया, इन्तक़ाम लेने, बदला लेनेवाला, इन्तक़ाम, इन्तक़ाम लेना

ता'अर्रुफ़:

“बदला लेना”,“बदला लो” या “ इन्तक़ाम करना” किसी को उसके ज़रिए' किए गए नुक़सान का बदला लेने के लिए सज़ा देना। बदला लेने का काम, इन्तक़ाम कहलाता है।

  • “बदला लेना” हमेशा इन्साफ़ करने या ग़लत को सही करने के मतलब से होता है।
  • जब लोगों के बारे में हो तो “बदला लेना” या “इन्तक़ाम” नुक़सान करने वाले तक पहुंचने के लिए होता है।
  • जब ख़ुदा “बदला लेता ” या “ इन्तक़ाम लागू करता है” तो वह उसकी वफ़ादारी का दा'वा है क्यूँकि वह गुनाह और बग़ावत की सज़ा देता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “बदला लेना” का तर्जुमा “ग़लतियों को सुधारना” या “इन्साफ़ चुकाना” भी हो सकता है।
  • जब लोगों से “बदला लेना” हो तब इसका तर्जुमा “हिसाब चुकाना” या “सज़ा देने के लिए नुक़सान पहुंचाना”, या “बदला लेना” हो सकता है।
  • जुमले के मुताबिक़, “बदला” का तर्जुमा हो सकता है, “सज़ा” या “गुनाह की सज़ा ” या “ग़लत काम का बदला देना” “बदला” लफ़्ज़ लोगों के बारे में इस्ते'माल किया गया है।
  • ख़ुदा कहता है “मेरा बदला लो” तो इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “मेरे ख़िलाफ़ किए गए ग़लत काम की सज़ा उन्हें दो” या “उनका बुरा करो क्यूँकि उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ गुनाह किया है।”
  • ख़ुदा के बदले की बात करते वक़्त वाज़ेह करें कि आपके तर्जुमा में साफ़ हो कि गुनाह की सज़ा देने में ख़ुदा मुंसिफ़ है ।

(यह भी देखें: सज़ा, मुनासिब, ईमानदार लोग)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1350, H3467, H5358, H5359, H5360, H6544, H6546, H8199, G1349, G1556, G1557, G1558, G2917, G3709

बदला, बदले, बदला देना, बदला दिया, बदला देने बाला

ता’अर्रुफ़:

“बदला” लफ़्ज़ का मतलब है कि किसी आदमी का अच्छा या बुरा किया हुआ काम के लिए जो कुछ उसको मिलता है उसको जानकारी करता है। “बदला” या’नी किसी को उसकी क़ाबिलियत के लिए कुछ देना।

  • बदला अच्छा और मुश्बत होता है जिससे भलाई करनेवाला या ख़ुदा का हुक्म मानने वाला हासिल करता है।
  • कभी-कभी बदला मनफ़ी होता है जो बुरे सुलूक का नतीजा होता है जैसे “बुराई का फल” इस बारे में “बदला” मनफ़ी नतीजा या गुनाह की सज़ा होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “बदला” का तर्जुमा “अदायगी” या “जो कुछ मुस्तहक़ कोई बात” या “सज़ा” हो सकता है।
  • “बदला देना” का तर्जुमा हो सकता है, “बदले में देना” या “जो मुस्तहक़ है वह देना”।
  • यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ के तर्जुमा का मतलब मज़दूरी न हो। बदला काम की मज़दूरी नहीं है।

(यह भी देखें: दण्ड)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H319, H866, H868, H1576, H1578, H1580, H4864, H4909, H4991, H5023, H6118, H6468, H6529, H7809, H7810, H7936, H7938, H7939, H7966, H7999, H8011, H8021, G469, G514, G591, G2603, G3405, G3406, G3408

बबूल

ता’रीफ़:

"बबूल" कन’आन में पुराने ज़माने का एक कटीला दरख़्त था जो आज भी बहुतायत से पाया जाता है ।

  • बबूल के पेड़ की नारंगी भूरे रंग की लकड़ी बहुत सख्त और लंम्बे वक़्त के लिए इस्ते'माल होती है। जिससे चीजें तैयार करने के लिए और इस्तेमाल की जाने वाली चीजें बनती है।
  • यह लकड़ी आसानी से सड़ती नहीं है क्यूँकि इसकी घनता बहुत ज़्यादा है यह पानी को भी रोकती है, इसमें क़ुदरती तौर से कीड़े नहीं होते हैं
  • कलाम में बबूल की लकड़ी से रहने की जगह (बैतुल माल ) और अहद का सन्दूक बनाने में काम में ली गई थी

(यह भी देखें: ना मा’लूम लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: अहद का संदूक़ , सुलह का ख़ेमा

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7848

बरस, साल , उम्र

ता'अर्रुफ़:

उम्र ,या'नी इन्सान की ज़िन्दगी के साल जो इंसान जीता है इसका इस्ते'माल आम तौर पर वक़्त की मुद्दत के बारे में

  • लम्बी मुद्दत को बयान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दूसरे लफ़्ज़ों में, ज़माना, और साल शामिल हैं
  • 'ईसा ने मौजूदा ज़माने को जब ज़मीन पर गुनाह, बुराई और ना फ़रमानी बहुत ज़्यादा हो जायेगी , यह ज़माना कहा था
  • एक आने वाला ज़माना भी होगा जब नए आसमान और नई ज़मीन पर रस्तबाज़ी का बादशाह होगा।

तर्जुमा की सलाह:

  • शर्तों के मुताबिक़ , ज़माना, लफ्ज़ का तर्जुमा , वक़्त , या इतने साल की उम्र , या मुक़रर्रा वक़्त, या, वक़्त हो सकता है
  • बहुत ज़्यादा ‘उम्र, इसका सही तर्जुमा , कई साल का होकर , या, जब वह बहुत ‘उम्र का हो गया , जब वह बहुत वक़्त ज़िन्दा रहा , हो सकता है
  • यह मौजूदा ज़माना बुरा ज़माना, या'नी मौजूदा इस वक़्त के दौरान लोग बहुत बुरे थे

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2465, G165, G1074

बर्फ़, बर्फ़ पड़ा, बर्फ़ गिरने के वक़्त

सच्चाई:

"बर्फ़" लफ़्ज़ का मतलब है जमे हुए पानी के सफ़ेद टुकड़े जो कि बादलों से उन जगहों पर गिरता है जहाँ हवा का मिजाज़ ठंडा होता है।

  • इस्राईल के ऊँचे मक़ामों में बर्फ़ गिरता है लेकिन ज़मीन पर ज़्यादा वक़्त नहीं रुकता फ़ौरन पिंघल जाता है। पहाड़ों की चोटी पर बर्फ़ जमता है। कलाम के बयान में हिम की जगह का एक मिसाल लबनान पहाड़ है ।
  • बहुत सफ़ेद रंग का कुछ हिस्सा अक्सर उसके रंग की बराबरी में बर्फ़ के रंग के बराबर में होता है। मिसाल के लिए, मुक़ाश्फा की किताब में 'ईसा के कपड़े और बाल को "बर्फ़ की तरह सफ़ेद" होने की शक्ल में बयान किया गया था।
  • बर्फ़ (बर्फ़) की ख़ूबी और पाकीज़गी भी सफ़ाई की 'अलामत है। मिसाल के तौर पर , हमारे “गुनाह की तरह बर्फ़ के तौर पर ” हो जाएंगे या'नी “ख़ुदा अपने लोगों को गुनाह से मुकम्मल तरीक़े से साफ़ कर देता है।
  • कुछ ज़बानों में बर्फ़ को “जमी हुई बारिश” या “ बर्फ़ के टुकड़े” या “जमे बरफ़ का टुकड़ा” कहा जाता है।
  • “बर्फ़ का पानी” या'नी पिघली हुई बर्फ़ का पानी।

(यह भी देखें: नए जुमलों का तर्जुमा कैसे करें)

(तर्जुमा की सलाह : नामों का तर्जुमा)

(यह भी देखें: लबनान, साफ़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7949, H7950, H8517, G5510

बर्बाद , हलाक , हलाक हो गया, हलाक कर, उजाड़, वीरानों

ता’अर्रुफ़:

किसी चीज़ को गवांना या’नी उसे लापरवाही से फेंक देना या उसका बद अक़ली से इस्ते’माल करना। कुछ ऐसा जो "उजाड़" या "बर्बाद " है, वह ज़मीन या एक शहर का हवाला देता है जिसे बर्बाद कर दिया गया है कि इसमें कुछ भी नहीं रह सके।

  • लफ़्ज़" हलाक हो जाएँगे" एक तमसील है जिसका मतलब है कि ज़्यादा से ज़्यादा बीमार या बर्बाद हो जाए। जो इन्सान बर्बाद हो रहा है वह आमतौर पर बीमारी या खाने की कमी की वजह से बहुत दुबला हो जाता है।
  • किसी शहर या जगह को “उजाड़ छोड़ देना” या’नी उसे बर्बाद कर देना।
  • एक "उजाड़" के लिए एक और लफ़्ज़ "रेगिस्तान" या "वीरान " हो सकता है। लेकिन एक बंजर ज़मीन भी यह ज़ाहिर करती है कि लोग वहाँ रहते थे और ज़मीन में पेड़ों और पौधों को खाने के लिए इस्ते’माल किया जाता था।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H535, H1086, H1104, H1110, H1197, H1326, H2100, H2490, H2522, H2717, H2720, H2721, H2723, H3615, H3765, H3856, H4087, H4127, H4198, H4592, H4743, H4875, H5307, H5327, H7334, H7582, H7703, H7722, H7736, H7843, H8047, H8074, H8077, H8414, H8437, G684, G1287, G2049, G2673, G4199

बर्बाद, बर्बाद करता, बर्बाद किया, बर्बाद करनेवाला, बर्बाद करने वाले, बर्बाद करना

ता’अर्रुफ़

कुछ बर्बाद करना मतलब है उसको पूरी तरह से ख़त्म, लिहाज़ा यह अब मौजूद नहीं|

  • लफ़्ज “बर्बाद करनेवाला” का लफ़्ज़ी मतलब “क़हर ढाने वाला इन्सान”।
  • पुराने ‘अहदनामे में ये लफ़्ज़ अक्सर किसी शख़्स के ‘आम हवाले के तौर पर इस्ते’माल होतें जो दूसरे लोगों को बर्बाद कर देता है, जैसे हमला और फ़ौज|
  • जब ख़ुदा ने मिस्र के पहलौठों को मार डालने के लिए फ़रिश्ता भेजा था तब उस फ़रिश्ते को “पहलौठे को बर्बाद करनेवाला कहा गया है” इसका तर्जुमा “वह (फ़रिश्ता) जिसने पहलौठे बेटों को हलाक किया” के तौर पर हो सकता है,।
  • मुकाशिफ़ा की क़िताब में आख़िरी वक़्त के बारे में, शैतान या किसी बुरी रूह को “बर्बाद करनेवाला” कहा गया है। वही “नाश करने वाला” है क्योंकि उसका मक़सद ख़ुदा के ज़रिए’ बनाई हर चीज़ को बर्बाद करना है।

(यह भी देखें: फ़रिश्ता, मिस्र, पहलौठा, फ़सह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6, H7, H622, H398, H1104, H1197, H1820, H1942, H2000, H2015, H2026, H2040, H2254, H2255, H2717, H2718, H2763, H2764, H3238, H3341, H3381, H3423, H3582, H3615, H3617, H3772, H3807, H4191, H4199, H4229, H4591, H4889, H5218, H5221, H5307, H5362, H5420, H5422, H5428, H5595, H5642, H6789, H6979, H7665, H7667, H7703, H7722, H7760, H7843, H7921, H8045, H8074, H8077, H8316, H8552, G355, G396, G622, G853, G1311, G1842, G2049, G2506, G2507, G2647, G2673, G2704, G3089, G3645, G4199, G5351, G5356

बलूत का पेड़, बलूत के पेड़

ता’अर्रुफ़:

बलूत, या बलूत के पेड़ मोटे तने और फैली हुई शाख़ाओं का एक लम्बा पेड़ होता है।

  • बलूत के पेड़ की लकड़ी कठोर और मज़बूत होती है जिससे जहाज, हल, जूए और सहारे की छड़ी बनाए जाते थे।
  • इस पेड़ के फल को बलूत का फ़ल कहते हैं।
  • कुछ बलूत पेड़ों के तने 6 मीटर मोटे होते हैं।
  • बलूत का पेड़ लम्बी ‘उम्र के ‘अलामत थे, उनके और रूहानी मतलब भी हैं किताब-ए-मुक़द्दस में इनका ता’अल्लुक़ पाक मक़ामों से है।

तर्जुमे की सलाह:

  • कई तर्जुमों में "बलूत पेड़" लफ़्ज़ के इस्ते’माल में अहमियत देने के बजाय सिर्फ़ "बलूत" लफ़्ज़ का इस्ते’माल करना सही होगा।
  • अगर बलूत का पेड़ उस ‘इलाक़े में नहीं है जाना जाता है तो इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “एक बड़ा बलूत का छायादार पेड़ जैसे....” और इसके खुसूसियत वाले किसी मक़ामी पेड़ का नाम दें।
  • देखें: अनजान लफ़्ज़ का तर्जुमा

(यह भी देखें: पाक)

किताब-एमुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H352, H424, H427, H436, H437, H438

बहन, बहनों

ता’अर्रुफ़:

बहन माँ या बाप के रिश्ते से किसी की 'औरत रिश्तेदार होती है। उसे कहा जाता है कि दूसरे शख़्स की बहन या उस शख़्स की बहन ।

  • नए 'अहद नामे में "बहन" लफ़्ज़ का तम्सीली इस्ते'माल मसीह 'ईसा में ईमान करनेवाली 'औरतों के लिए किया जाता है।
  • कभी-कभी,"भाइयों और बहनों" लफ़्ज़ मसीह के सब ईमानदार मर्द-ओ-’औरत के लिए इस्ते'माल किया गया है।
  • पुराने 'अहद नामे की किताब ख़ास गीतों में "बहन" लफ़्ज़ 'आशिक़ या शरीक़-ए-हयात के लिए इस्ते'माल किया गया है।

तर्जुमा की सलाह:

  • और बेहतर होगा कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जैसे है वैसे ही करें, जब तक कि इसका मतलब ग़लत न हो।
  • इसके कई तर्जुमा की शक्लें हो सकती हैं, “मसीह में बहन” या “रूहानी बहन” या “मसीह की ईमानदार 'औरत” या “ईमानदार 'औरत '”।
  • मुम्किन हो तो ख़ानदानी लफ़्ज़ काम में लेना सबसे बेहतर है।
  • अगर 'अलामती ज़बान में ईमानदार लफ़्ज़ को 'औरतों की शक्ल हो तो इसे काम में लेना मुनासिब तर्जुमा हो सकता है।
  • ‘आशिक़ या बीवी के बारे में “प्यारे” या “'अज़ीज़” 'औरतें लफ़्ज़ को काम में ले।

(यह भी देखें: भाई मसीह में, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H269, H1323, G27, G79

बाग़ी गवाह, झूठी जानकारी, झूठी गवाही, झूठे गवाह , झूठे गवाहों

ता’अर्रुफ़:

“झूठा गवाह” और “बाग़ी गवाह” उस इंसान के बारे में है जो किसी के बारे में या किसी हादसे के बारे में, ‘अदालत जैसी मजलिस में झूठी बातें कहता है।

  • “झूठी गवाही” या “झूठी जानकारी” को हक़ीक़त में झूठ ही कहते है।
  • “झूठी गवाही देना” या’नी झूठ कहना या गलत ज़िक्र करना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में बहुत मिसालें हैं जब झूठे गवाहों को भाड़े पर लाया गया कि किसी को सज़ा या सज़ा-ए-मौत दिलवाने के लिए झूठी गवाही दी जाए।

तर्जुमे की सलाह:

  • “झूठी गवाही देना” या “झूठी गवाही देना” इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “झूठा गवाह” या “किसी के बारे में झूठा ज़िक्र करना” या “किसी के ख़िलाफ़ झूठा इल्ज़ाम लगाना” या “झूठ कहना”
  • जब “झूठी गवाही” किसी इन्सान के बारे में हो तब कहा जा सकता है, “झूठ बोलने वाला इन्सान” या “झूठी गवाही देने वाला इन्सान” या “झूठी बातें करने वाला इन्सान”।

(यह भी देखें: गवाही, सच्चा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5707, H6030, H7650, H8267, G1965, G3144, G5571, G5575, G5576, G5577

बाढ़, बाढ़ें, जल में डूब गया, बाढ़ आना, बाढ़ का पानी

ता’अर्रुफ़:

“बाढ़” लफ़्ज़ का लफ़्ज़ी मतलब बहुत ज़्यादा पानी से है जो पूरी तरह से ज़मीन को ढक ले|

  • यह लफ़्ज़ ‘अलामती तौर पर भी काम में लिया जाता है जिसका हवाला किसी चीज़ पूरी तरह से हैरान करनेवाली बात से होता है, ख़ास करके अचानक ही होनेवाले हादसे से।
  • नूह के ज़माने में, इन्सान ऐसा ज़िनाकारी हो गया था कि ख़ुदा ने ज़मीन को पानी सराबोर करके सब कुछ तबाह कर दिया था, यहां तक कि पहाड़ भी पानी में डूब गए थे। जो कोई नूह की कश्ती में नहीं था बाढ़ में डूब गया| और सब बाढ़ थोड़ी ही ज़मीन को पानी से भरा करती है।
  • यह लफ़्ज़ भी एक ‘अमल है, जिसमें “ज़मीन पूरी तरह से नदी के पानी के ज़रिए’ डुबा दी गयी थी|

तर्जुमे की सलाह:

  • “बाढ़” का हक़ीक़ी मतलब का तर्जुमे के तरीक़े “पानी बहुत बढ़ जाना” या “बहुत ज़्यादा पानी” हो सकते हैं|
  • ‘अलामती मुक़ाबले “बाढ़ जैसा” को ज्यों का त्यों रहने दिया जाए। या इसका लफ़्ज़ी जुमला काम में लिया जाए जिसका मतलब बाढ़ हो जैसे नदी।
  • इज़हार के लिए “बाढ़ के जैसा” जिसमें पानी का ज़िक्र हो चुका है, लिहाज़ा “बाढ़” का तर्जुमा हो सकता है, “बहुत ज़्यादा ता’दाद में” या “उमड़ना”
  • इस लफ़्ज़ को मिसाल के तौर पर भी काम में लिया जा सकता है, जैसे “मुझ पर बाढ़ न आने दो” जिसका मतलब “ये उमड़ती हुई आफ़ात मुझ पर न होने दो” या “मुझे आफ़ात की तबाही में न पड़ने दो” या “मुझ पर अपना ग़ज़ब न करो”। (देखें:मिसाल
  • ‘अलामती इज़हार, “मैंने आँसुओं से अपना बिस्तर बहाया” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “मेरे आँसू पानी में एक बाढ़ की तरह मेरे बिस्तर पर बह रहे हैं।”

(यह भी देखें: कशिश, नूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H216, H2229, H2230, H2975, H3999, H5104, H5140, H5158, H5674, H6556, H7641, H7857, H7858, H8241, G2627, G4132, G4215, G4216

बादशाह, बादशाहों, सल्तनत, सल्तनतों, बादशाही, बादशाहत

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ "बादशाह" एक ऐसे इन्सान के बारे में बताता है जो शहर, बादशाही या मुल्क का सबसे बड़ा हाकिम है।

  • बादशाह को ‘आम तौर पर अपने पिछले बादशाहों के ख़ानदान में से हुकूमत करने के लिए चुना गया था।
  • जब एक बादशाह की मौत हो गई, तो वह ‘आमतौर पर उसका पहलौठा बेटा था जो अगला बादशाह बन गया।
  • पुराने ज़माने में, बादशाह की बादशाही में लोगों पर पूरा इख़्तियार था।
  • शायद ही कभी "बादशाह" लफ़्ज़ का इस्ते’माल किसी ऐसे इन्सान को बताने के लिए किया गया था जो नए ‘अहदनामे में "बादशाह हेरोदेस" के जैसा सच्चा बादशाह नहीं था।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा को अक्सर बादशाह की शक्ल में जाना जाता है जो अपने लोगों पर हुकूमत करता है।
  • "ख़ुदा की बादशाही" अपने लोगों पर ख़ुदा की हुकूमत को ज़ाहिर करता है।
  • ‘ईसा को "यहूदियों का बादशाह", "इस्राईल के बादशाह" और "बादशाहों के बादशाह" कहा जाता था।
  • जब ‘ईसा वापस आएगा, तो वह दुनिया भर में बादशाह की शक्ल में हुकूमत करेगा।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा "सबसे बड़ाख़ास " या "पूरा रहनुमा" या "ख़ुद इख़्तियार हाकिम" की शक्ल में भी किया जा सकता है।
  • "बादशाहों के बादशाह" जुमले का तर्जुमा "बादशाह जो और सभी बादशाहों पर हुकूमत करता है" या "सबसे बड़ा हाकिम जो और सभी हाकिमों पर इख़्तियार रखता है" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।

(यह भी देखें: \ इख़्तियार, \ हेरोदेस अन्तिपास, \ हुकूमत](../other/kingdom.md), \ ख़ुदा की बादशाही)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-एमुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:

  • 08:06 एक रात, फ़िर’औन, जिसने मिस्रियों को अपने बादशाहों से बुलाया था, दो सपने थे जो उसे बहुत परेशान करते थे।
  • 16:01 इज़राइलियों के पास कोई बादशाह नहीं था, इसलिए हर कोई ऐसा करता था जो उन्होंने सोचा था कि उनके लिए सही था।
  • 16:18 आख़िर में, लोगों ने ख़ुदा को और सभी हुकूमतों की तरह एक__बादशाह__ के लिए कहा।
  • 17:05 आखिरकार, शाऊल जंग में मर गया, और दाऊद इस्राईल का__बादशाह__ बन गया। वह एक अच्छा बादशाह था, और लोग उसे प्यार करते थे।
  • 21:06 ख़ुदा के नबियों ने यह भी कहा कि मसीह एक नबी, काहिन और एक बादशाह होगा।
  • 48:14 दाऊद इज़राइल का बादशाह था, लेकिन ‘ईसा पूरी क़ायनात का बादशाह है!

शब्दकोश:

  • Strong's: H4427, H4428, H4430, G935, G936

बादशाही करना, बादशाही करता है, बादशाही करता, बादशाही कर रहा है

ता’अर्रुफ़:

“बादशाही करना” का मतलब क़ौम पर या किसी मुल्क पर या किसी बादशाही पर बादशाही करना है। एक बादशाह का शासनकाल वह वक़्त है, जिसके दौरान वह हुकूमत कर रहा है।

  • लफ़्ज़ "बादशाही करना" भी ख़ुदा को पूरी दुनिया पर बादशाह की शक्ल में बादशाही करने के लिए ज़िक्र किया जाता है
  • ख़ुदा ने इन्सानी बादशाहों को इस्राईल पर बादशाही करने का हुक्म तब दिया जब लोगों ने उन्हें अपने बादशाह की शक्ल में ख़ारिज कर दिया।
  • मसीह ‘ईसा जब दुबारा आयेगा तब वह पूरे क़ायनात पर बादशाही करेगा और उसके ईमानदार उसके साथ बादशाही करेंगे।

इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “पूरी बादशाही” या “बादशाह की तरह हुकूमत करना” हो सकता है।

(यह भी देखें: बादशाही)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3427, H4427, H4437, H4438, H4467, H4468, H4475, H4791, H4910, H6113, H7287, H7786, G757, G936, G2231, G4821

बादशाही लाठी, बादशाही लाठी

ता'अर्रुफ़:

"बादशाही लाठी " बादशाह के ज़रिए' पकड़ा जानेवाला एक सजावटी छड़ी को एलान करता हैं।

  • बादशाही लाठी लकड़ी पर नक्काशी किया हुआ डंडा होता था। बा'द में सोने की भी बादशाही लाठी बनाई गई थी ।
  • बादशाही लाठी बादशाही तरीक़े और इख्तियार का निशान होता था जो बादशाह की 'इज़्ज़त और शान-ओ-शौकत को दिखाता था।
  • पुराने 'अहद नामे में, ख़ुदा के हाथ में रास्तबाज़ी के बादशाही की लाठी पकड़े को ज़ाहिर किया गया है क्यूँकि ख़ुदा अपने लोगों पर बादशाह के तौर में हुकूमत करता हैं।
  • पुराने अहद नामे की एक नबूव्वत में मसीह को 'अलामती तौर में बादशाही लाठी कहा गया है जो इस्राईल से निकलकर सब क़ौमों पर बादशाहत करेगा।
  • इसका तर्जुमा "हुकूमत करने का दण्ड" या "मुल्क की लाठी" की शक्ल में भी किया जा सकता है।

(यह भी देखें: इख्तियार, मसीह, बादशाह, ईमानदार )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2710, H4294, H7626, H8275, G4464

बादशाही, बादशाहियाँ

ता’अर्रुफ़:

बादशाही लोगों की क़ौम होती है जिसपर बादशाह के ज़रिए’ हुकूमत की जाती है | इसका हवाला एक मुल्क या सियासी इलाक़े से भी हो सकता है। जिस पर एक बादशाह या हाकिम का क़ाबू और इख़्तियार होता है।

  • बादशाह का ज़मीनी हद कितनी भी बड़ी हो सकती है। बादशाह के इख़्तियार में एक क़ौम या मुल्क या सिर्फ़ एक शहर हो सकता है।
  • “बादशाही” रूहानी हुकूमत या इख़्तियार के बारे में भी हो सकता है जैसे “ख़ुदा की बादशाही”
  • ख़ुदा पूरी क़ायनात का बादशाह है लेकिन “ख़ुदा की बादशाही” ख़ास करके ‘ईसा में ईमान करके उसके इख़्तियार के ताबे’ हो जाने पर लोगों पर उसकी बादशाई और इख़्तियार के बारे में है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में शैतान की “बादशाही” का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें वह ज़मीन की बहुत सी बातों पर ‘आरज़ी तौर बादशाही कर रहा है। उसकी बादशाही बुराई की है जिसे “तारीकी” कहा गया है

तर्जुमे की सलाह:

  • बादशाह के ज़मीनी हद के बारे में “बादशाही” का तर्जुमा "मुल्क (एक बादशाह के ज़रिए’ हुकूमत)" या "बादशाह का इलाक़ा" या "एक बादशाह के ज़रिए’ हुकूमत वाला इलाक़ा" किया जा सकता है।
  • एक रूहानी ख़याल में, " बादशाही " का तर्जुमा "हुकूमत करना" या "हुकूमत" या "क़ाबू" या "हुकूमत" के तौर पर किया जा सकता है।
  • "काहिनों की बादशाही " का तर्जुमा "रूहानी काहिन जो ख़ुदा के ज़रिए’ हुकमत में हैं" कर सकते है।
  • जुमले "रोशनी की बादशाही " का तर्जुमा "ख़ुदा की हुकूमत जो रोशनी की तरह अच्छी है" या "जब ख़ुदा, जो रोशनी है, लोगों पर हुकूमत करता है" या "ख़ुदा की बादशाही की रोशनी और अच्छाई।" “रोशनी” लफ़्ज़ को संभाले रखना ठीक है क्योंकि यह किताब-ए-मुक़द्दस में एक बहुत ख़ास लफ़्ज़ है।
  • ध्यान दें कि लफ़्ज़ "बादशाही" हुकूमत से अलग हो, जिसमें एक हाकिम बहुत से मुल्कों पर हुकूमत करता है।

(यह भी देखें: : इख़्तियार, बादशाह, ख़ुदा की बादशाही , इस्राईल की बादशाही, यहूदाह, यहूदाह, काहिन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:

  • 13:02 ख़ुदा ने मूसा से कहा कि वह इस्राइलियों से कहे ,“ अब अगर तुम यक़ीनन मेरी मानोगे, और मेरे ‘अहद का ‘अमल करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरी मुबारक मीरास, काहिनों की __ बादशाही __ और पाक क़ौम ठहरोगे।”
  • 18:04 तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी नारास्ती की वजह उसे सज़ा दी, और ‘अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा’द वह इस्राईल की __ बादशाही __ को दो हिस्सों में तक़सीम कर देंगा।
  • 18:07 दस इस्राईली क़बीलों ने रहूब’आम के ख़िलाफ़ बग़ावत की। सिर्फ़ दो क़बीले उसके लिए वफ़ादार रहे। यह दो क़बीले यहूदाह की __ बादशाही __ बन गए।
  • 18:08 दीगर दस इस्राईली क़बीले जो रहुब’आम के मुख़ालिफत में थे, उन्होंने अपने लिए यरुब’आमम नाम के एक बादशाह को मुक़र्रर किया। उसने मुल्क के उत्तरी हिस्से में अपनी बादशाही को क़ायम किया और उसे इस्राईल की बादशाही कहा गया।
  • 21:08 बादशाह वह होता है जो बादशाही पर हुकूमत करता है और लोगों का इन्साफ़ करता है।

शब्दकोश:

  • Strong's: H4410, H4437, H4438, H4467, H4468, H4474, H4475, G932

बाँधे, बांधा हुआ

ता’अर्रुफ़:

“बाँधे” या'नी किसी चीज़ पर कुछ बान्धना। इसका मतलब हमेशा बाग़ा की कमर पर पट्टा बान्धना होता है कि वह अपनी जगह पर रहे।

  • “कमर कसना” या'नी कपड़े का नीचे का हिस्सा उठाकर कमर में बांधना कि इन्सान आसानी से काम कर पाए।
  • इस मुहावरे का मतलब है "काम करने के लिए तैयार होना" या कठिन काम करने की तैयारी करना।
  • “कमर कसना” का तर्जुमा में ,अलामती ज़बान के मुनासिब जुमले काम में ली जा सकती है। या इसका आसन तर्जुमा भी किया जा सकता है, “काम करने के लिए तैयार होना” या “तैयार हो जाना।”
  • “लिपटा हुआ” या'नी “चारों तरफ़ लपेटा हुआ” या “घिरा हुआ” या “बन्धा हुआ”

(यह भी देखें: कमर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H247, H640, H2290, H2296, H8151, G328, G1241, G2224, G4024

बाशिन्दा, बाशिन्दे, शहरियत

ता’रीफ़:

बाशिन्दा उस इन्सान को कहते हैं जो किसी शहर, मुल्क या बादशाहत में रहता है। या’नी जो उस जगह का इख़्तियारी बाशिन्दा माना जाता है।

  • बयान के मुताबिक़, इसका तर्जुमा, “बाशिन्दों” या “इख़्तियारी बाशिन्दा” भी किया जा सकता है।
  • बाशिन्दा एक हिस्से में रहता है जो किसी मुल्क का एक हिस्सा हो सकता है जिस पर राजा या बादशाह या हाकिम राज करता है। मसलन, पौलुस रोमी बाशिन्दा था, रोम के कई सूबे थे, पौलुस इनमें से एक सूबे में रहता था।
  • ‘अमली शक्ल में ‘ईसा के ईमानदार आसमान के बाशिन्दे कहलाते हैं, या’नी वे एक दिन वहां होंगे। किसी मुल्क के बाशिन्दों की तरह ईमानदार ख़ुदा की बादशाहत के बाशिन्दे हैं।

(देखें :बादशाही पौलुससूबा, रोम)

किताब-एमुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6440, G4175, G4177, G4847

बाँसुरी, बाँसुरी, बाँसुरी, सीटी बजाने का सामान

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, बाँसुरी हड्डियों या लकड़ी के खोखले बजाने वाले सामान- थे जिनसे आवाज़ निकलती थी। बाँसुरी एक क़िस्म की नली थी।

  • ज़्यादातर नलियों में सरकंडे जो मोटे घास के बने थे, हवा फूंकने पर कंपकपी पैदा होती थी।
  • एक नली जिसमें सरकंडे नहीं होते थे उन्हें बाँसुरी कहते थे।
  • चरवाहे अपनी भेड़ों को सुकून देने क लिए सीटी बजाते थे।
  • इन बाजों के ज़रिए’ ख़ुशी या ग़म का मोशीकी बजाई जाती थी।

(यह भी देखें: झुण्ड, चरवाहा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4953, H5748, H2485, H2490, G832, G834, G836

बिखरा, बिखराव

ता’अर्रुफ़:

  • लफ़्ज़ “बिखरा” और “बिखराव” का मतलब है इन्सानों या चीज़ों का मुख़तलिफ़ सिम्तों में फैल जाना।

  • पुराने ‘अहदनामे में, ख़ुदा लोगों को “बिखेरने” की बात कहता है। उन्हें अलग-अलग करके एक दूसरे से दूर अलग अलग जगहों में कर देगा। उन्हें गुनाहों की सज़ा देने के लिए ख़ुदा ने ऐसा किया था। मुमकिन था कि बिखरने की वजह से वे तौबा करें और दुबारा ख़ुदा की ‘इबादत करने लगें।

  • नये ‘अहदनामे में “बिखराव” लफ़्ज़ ऐसे ईमानदारों के बारे में है जो मुसीबत से बचने के लिए अपना घर छोड़ कर मुख़तलिफ़ जगहों को चले गए|

  • अलफ़ाज़ “बिखरना” का तर्जुमा हो सकता है, “ईमानदार मुख़तलिफ़ जगहों में” या “वे लोग जो मुख़तलिफ़ मुल्कों में जाकर रहने लगे”।

  • “बिखरना” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मुख़तलिफ़ जगहों में भेजना” या “परदेश में बसाना ” या “मुख़तलिफ़ मुल्कों में बसने के लिए मज़बूर करना”।

(यह भी देखें: ईमान, मुसीबत देना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2219, H4127, H5310, H6327, H6340, H6504, H8600, G1287, G1290, G4650

बिगड़कर, हलाक होती है, बिगड़ गए, बेकार , सड़ाहट, बिगड़ गए

ता’अर्रुफ़:

“बिगड़कर” या “सड़ाहट” का बयान ऐसी हालत से है जिसमें इन्सान हलाक हो जाता है बुरा या बेईमान हो जाता है।

“बिगड़कर” लफ़्ज़ का ख़ास मतलब है, अच्छाई में “झुकना” या “तोड़ा जाना” है।

  • जो इन्सान “बिगड़ गया” वह हक़ से मुँह मोड़ गया और बुरे और ग़ैर इख़लाकी काम करता है।
  • किसी को बिगाड़ना या’नी उसे ग़लत और बुरा काम करने के लिए मुता’स्सिर करना।

तर्जुमे के सलाह:

  • “बिगाड़ना” या’नी “बुरा काम करने के लिए मुता’स्सिर करना” या “बुरा होने के लिए हौसला देना ”।
  • बिगड़ा इन्सान वह है, “जो बुरा हो गया है” या “जो बुराई करता है”
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बुरा” या “ग़लत ” या “बदकार ” भी किया जा सकता है।
  • “बिगड़ना” का तर्जुमा हो सकता है, “बुरासुलूक ” या “बुराई” या “बदकारी ”

(यह भी देखें: बुरा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1097, H1605, H2254, H2610, H4167, H4743, H4889, H4893, H7843, H7844, H7845, G853, G861, G862, G1311, G1312, G2585, G2704, G4550, G4595, G5349, G5351, G5356

बीज, नुत्फ़ा

ता'अर्रुफ़:

दरख़्त का बीज वह हिस्सा है जिसे ज़मीन में डालने पर उसी नसल का दरख़्त पैदा होता है। इसके कई 'अलामती मतलब भी हैं।

  • "बीज" लफ़्ज़ 'अलामती और सूल्ब की शक्ल में औरत-मर्द की औलाद पैदा करने की महफ़ूज़ 'आज़ाओं के लिए भी काम में लिया गया है। इनको नुत्फ़ा कहा जाता है।
  • इसी बारे में "बीज" लफ़्ज़ लोगों को औलाद या नस्लों के लिए भी काम में लिया जाता है।
  • इस लफ़्ज़ का मतलब हमेशा जमा' में होता है जो एक से ज़्यादा बीज और एक से ज़्यादा औलादों के बारे में होता है।
  • बीज बोनेवाले की मिसाल में ख़ुदा के कलाम की बराबरी बीजों से करता है, जब यह शख्स के मन में पैदा होता है तो बेहतर रूहानी फल लाता है।
  • पौलुस रसूल "बीज" लफ़्ज़ का इस्ते'माल ख़ुदा के कलाम के बारे में करता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • जब बयान बीज का हो, तो "बीज" लफ़्ज़ का ही इस्ते'माल तर्जुमा में किया जाए, जो मक़सदी ज़बान में इस्ते'माल किया जाता है, उसके लिए जो किसान अपने खेत में बोता है।
  • जब ख़ुदा के कलाम के बारे में हो तब बीज लफ़्ज़ को ज्यों का त्यों काम में लेना होगा.
  • 'अलामाती इस्ते'माल में जब एक ख़ानदान कुल ता'दाद के लोगों के बारे में 'अलामाती शक्ल में बयान किया जाए तब बीज की मुक़ाबिले औलाद या “औलादों” लफ़्ज़ का इस्ते'माल ज़्यादा साफ़ मतलब बयान करेगा। कुछ ज़बानों में ऐसा लफ़्ज़ भी हो सकता है जिसका मतलब "औलाद और पोता-पोती" हो।
  • 'औरत या मर्द के "बीज" के लिए देखें कि मक़सदी ज़बान में कि इसे किस तरह बयान किया जा सकता है जिससे पढने वालों को बुरा न लगे या शर्मिंदगी का तर्जुमा न हो। (देखें: अल्फ़ाज़ )

(यह भी देखें: नसल , औलाद

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2232, H2233, H2234, H3610, H6507, G4615, G4687, G4690, G4701, G4703

बीनने, बीनता, बीना हुआ, इकट्ठा करना

ता’अर्रुफ़:

“सीला बीनना” खेत से या बगीचे से अनाज और फल जो लवनी करने वालों के हाथों से गिर गए उनको उठाना।

  • ख़ुदा ने इस्राईल को हुक्म दिया था कि वह बेवाओं, ग़रीबों और परदेशियों को गिरा हुआ अनाज उठाने दें कि उनके खाने के लिए हो।
  • कभी-कभी खेत का मालिक सीला बीनने वालों को लवनी करनेवालों के क़रीब भी आने नहीं देता था जिससे वह और भी ज़्यादा अनाज बटोर सकते थे।
  • इस कहानी की सही मिसाल रूत की कहानी में है उसे हलीमी के साथ उसके एक रिश्तेदार बो'अज़ के खेत में लवनी करनेवालों के पास ईमानदारी से सीला बीनने दिया था।
  • “सीला बीनने” के तर्जुमे हो सकते हैं, “चुनना” या “जमा' करना” या “उठाना”।

(यह भी देखें: बो'अज़, अनाज, फ़सल, रूत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3950, H3951, H5953, H5955

बीमारी

ता'अर्रुफ़:

“बीमारी” या'नी सख्त दर्द या मुसीबत ।

  • बीमारी जिस्मानी या दिमाग़ी तकलीफ़ या परेशानी हो सकती है।
  • ख़तरनाक बीमारी में पड़े लोगों के चेहरे या सुलूक से वह ज़ाहिर होती है।
  • मिसाल के तौर पर, बीमार इन्सान दांत पीसता है या रोता है।
  • “बीमारी” का तर्जुमा हो सकता है, “दिमाग़ी परेशानी” या “ज़्यादा गम ” या “ज़ोरों की दर्द ”।

किताब-ए-मुक़द्दस : के बारे में

शब्दकोश:

  • Strong's: H2342, H2479, H3708, H4164, H4689, H4691, H5100, H6695, H6862, H6869, H7267, H7581, G928, G3600, G4928

बुज़ुर्ग ख़ानदान , बुज़ुर्ग ख़ानदानों

ता’अर्रुफ़:

“बुज़ुर्ग ख़ानदान” लफ़्ज़ पुराने ‘अहद नामे में यहूदियों के ख़ास बाप दादों का बयान देता है, ख़ास करके इब्राहीम , इसहाक़ और याक़ूब।

  • यह लफ़्ज़ याक़ूब के बारह बेटों के बारे में भी काम में लिया गया है जो इस्राईल के बारह क़बीलों के बुज़ुर्ग ख़ानदान हुए थे।
  • “बुज़ुर्ग ख़ानदान” लफ़्ज़ का मतलब “बुजुर्गों ” ही है लेकिन इसका ख़ास बयान क़ौम के सबसे ज्यादा इज्ज़तदार बुज़ुर्ग आदमी से है।

(यह भी देखें: बुज़ुर्ग,बाप,बाप दादा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1, H7218, G3966

बुज़ुर्ग, बुज़ुर्गों, बाप, बापों, बाप बना, निगरानी करना, बुज़ुर्ग, बुज़ुर्गों, दादा

ता’अर्रुफ़:

जब लफ़्जी तौर पर इस्ते’माल किया जाता है, तब “बाप” लफ़्ज़ किसी शख़्स के वालिदैन के बारे में बताता है| इस लफ़्ज़ के बहुत से ‘अलामती इस्ते’माल भी हैं।

  • “बाप” और “बुज़ुर्ग” लफ़्ज़ उमूमन किसी इन्सान या क़बीले के बुज़ुर्गों के लिए भी काम में लिया जाता है। * इसका तर्जुमा “बुज़ुर्ग” या “बुज़ुर्ग बाप” किया जा सकता है।
  • इज़हार “का बाप” ‘अलामती तौर पर उस इन्सान के बारे में होता है जो लोगों की जमा’अत का रहनुमा हो या किसी का ज़रिया’ हो। मिसाल के तौर पर पैदाइश. 4 में “ वह उन लोगों का बाप था जो तम्बूओं में रहते थे” इसका मतलब हो सकता है पहले लोगों के पहली नसल के रहनुमा जो “तम्बूओं में रहते थे”।
  • पौलुस रसूल ने ख़ुद को उन लोगों का बाप कहा है जिन्होंने ख़ुशख़बरी बाँटने के ज़रिए’ मसीही बनने में मदद की|

तर्जुमे की सलाह

  • जब हम एक बाप और उसके लफ़्ज़ी बेटे के बारे में बात करते हैं, तब लफ़्ज़ तर्जुमा ‘आम लफ़्ज़ का इस्ते’माल करके किया जाना चाहिए ताकि ज़बान में एक बाप के बारे में बताया जा सके|
  • “ख़ुदा बाप” का तर्जुमा भी उसी लफ़्ज़ से करना होगा जो “बाप” के लिए काम में आता है।
  • बुज़ुर्गों के ज़िक्र में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बुज़ुर्ग” या “बाप के बुज़ुर्ग” किया जाए।
  • जब पौलुस ख़ुद को मसीही ईमानदारों का बाप कहता है तब इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “रूहानी बाप” या “मसीह में बाप”।
  • कभी-कभी “बाप” लफ़्ज़ का तर्जुमा “क़बीले का सरदार” किया जा सकता है।
  • जुमले “सब झूठों का बाप” का तर्जुमा “सब झूठों का ज़रिया’” या “जिससे सारे झूठ आते हैं”।

(यह भी देखें: ख़ुदा बाप, बेटा, ख़ुदा का बेटा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1, H2, H25, H369, H539, H1121, H1730, H1733, H2524, H3205, H3490, H4940, H5971, H7223, G256, G540, G1080, G2495, G3737, G3962, G3964, G3966, G3967, G3970, G3971, G3995, G4245, G4269, G4613

बुज़ूर्ग, बुज़ूर्गों

ता'अर्रुफ़:

बुज़ूर्ग रूहानी बालिग़ मर्द होते हैं जिनकी ज़ूम्मेदारी होती है कि ख़ुदा के लोगों की रूहानी और मश्क़ी रहनुमाई करें।

  • “बुज़ूर्ग” लफ्ज़ का असल इस ता'रीफ़ में है कि ये मर्द 'उम्र में ज़्यादा होते थे और 'उम्र और तजुर्बे के बारे में उनमें ज़्यादा 'अक्ल होती थी।
  • पुराने 'अहद नामें में बुज़ूर्ग क़ौमी 'और मूसा की शरी'अत से मुता'ल्लिक़ मौज़ू'आत में इस्राईलियों की रहनुमाई और मदद करते थे।
  • नये 'अहद नामें में यहूदी बुज़ूर्ग अपने क़बीलों में रहनुमाओं का किरदार निभाते थे और क़बीलों के मुंसिफ़ भी थे।
  • इब्तिदाई मसीही कलीसियाओं में मसीही बुज़ूर्ग ईमानदारों के नज़दीकी मण्डली की रूहानी क़बीले में रहनुमाई करते थे।
  • उन कलीसियाओं में बुज़ूर्ग में नौजवान शामिल थे जो रूहानी शक्ल से बालिग़ थे।
  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा " 'बूढ़े मर्दों " या " रूहानी शक्ल से बालिग़ लोगों” के शक्ल में किया जा सकता है जो कलीसिया की क़यादत कर रहे हैं।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1419, H2205, H7868, G1087, G3187, G4244, G4245, G4850

बुझाना, बुझेगी, नहीं बुझती

ता’अर्रुफ़:

“बुझाना” लफ़्ज़ का मतलब है आग बुझाना या की ख्वाहिश को मुतमईन करना छोड़ देना |

  • इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल आमतौर पर प्यास बुझाने के बारे में किया जाता है, पीने वाली चीज़ को पीकर प्यास को बुझाना
  • इसका बयान आग बुझाने से भी है।
  • आग और प्यास दोनों ही पानी से बुझते हैं।
  • पौलुस “बुझाने” लफ़्ज़ को तम्सीली शक्ल में काम में लेता है, जब वह ईमानदारों को कहता है, “पाक रूह को न बुझाओ”। इसका मतलब है कि इंसानों में पाक रूह के फल और ने;मत से इन्सानों को मायूस न करें। पाक रूह को बुझाने का मतलब है ऐसे काम करना कि पाक रूह इन्सान में अपनी ताक़त और काम ज़ाहिर न कर पाए।

(यह भी देखें: फल, ने’मत, पाकरूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1846, H3518, H7665, H8257, G762, G4570

बुराई, बे’इज़्ज़ती, बुराई, बुराई, बदनामी

ता’अर्रुफ़:

किसी की बुराई करने का मतलब है तनक़ीद करना किरदार या आदत को क़ुबूल नहीं करना। बुराई करना इन्सान के लिए मनफ़ी तनक़ीद करना है।

  • इन्सान “बुराई के क़ाबिल नहीं” या “बुराई के परे” या “बुराई का नहीं” है तो इसका मतलब है कि इन्सान ख़ुदा को ‘इज़्ज़त देनेवाला सुलूक रखता है और उसकी तनक़ीद नहीं की जा सकती है।
  • लफ़्ज़ "बुराई" का तर्जुमा "इल्जाम" या "शर्म" या "बे’इज़्ज़ती" की शक्ल में भी किया जा सकता है।
  • "बुराई करने के लिए" का तर्जुमा "ठट्ठा करने के लिए" या "इल्जाम लगाने के लिए" या "तनक़ीद करने के लिए" की शक्ल में भी किया जा सकता है, मज़मून पर मुनहस्सिर|

(यह भी देखें: इल्जाम लगाना, झिड़कना, शर्म)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1421, H1442, H2617, H2659, H2778, H2781, H3637, H3639, H7036, G410, G423, G819, G3059, G3679, G3680, G3681, G5195, G5196, G5484

बे‘इज़्ज़त, बे‘इज़्ज़त, शर्म, शर्मनाक , शर्मिंदगी से, बे शर्म, बे शर्मी से,शर्म, बे‘इज़्ज़त नहीं

ता’अर्रुफ़:

“शर्मनाक” लफ़्ज़ लोगों की बे‘इज़्ज़त के एहसास के बारे में है या'नी बे‘इज़्ज़त या ग़लत काम जो किसी ने किया।

  • “शर्मनाक बात” या'नी “ग़लत ” या “नाक़ाबिले क़ुबूल ” काम।
  • “बे‘इज़्ज़त” लफ़्ज़ का मतलब है किसी शर्मनाक काम को करने पर लोगों के मन में पैदा होने वाले एहसास ।
  • “ शर्मनाक करना” या'नी किसी को हरा देना या उसके गुनाहों को ज़ाहिर करना कि उसे अपने पर शर्म आए।
  • यसा'याह नबी यह कहता है कि जो बुत बनाते हैं और बुत परस्ती करते हैं वह बे‘इज़्ज़त किए जाएंगे।
  • ख़ुदावन्द तौबा न करने वाले के गुनाह ज़ाहिर करके और उसे ज़लील करके बे‘इज़्ज़त करेगा।

(यह भी देखें: झूठे मा’बूद, हलीमी , ज़लालत , यसा'याह, तौबा, गुनाह, ‘इबादत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H937, H954, H955, H1317, H1322, H2616, H2659, H2781, H3001, H3637, H3639, H3640, H6172, H7022, H7036, H8103, H8106, G127, G149, G152, G153, G422, G808, G818, G819, G821, G1788, G1791, G1870, G2617, G3856, G5195

बे’इज़्ज़ती, बे’इज़्ज़त करता, बे’इज़्ज़त किया, शर्मनाक

सच्चाई:

लफ़्ज़ “बे’इज़्ज़त” का मतलब है ‘इज़्ज़त और अहतिराम खो देना|

  • जब इन्सान गुनाह करता है तो वह बे’इज़्ज़ती और शर्मिंदगी की हालत में होता है|
  • “शर्मनाक” लफ़्ज़ गुनाह को या गुनाह करनेवाले का ज़िक्र करता है।
  • कभी-कभी नेक काम करने वाले के साथ ऐसा सुलूक किया जाता है जिससे वह शर्मिंदा और बे’इज़्ज़त होता है।
  • मिसाल के तौर पर, ‘ईसा की सलीब पर मौत एक शर्मनाक मौत थी। ‘ईसा ने ऐसी बे’इज़्ज़ती के लायक़ कुछ नहीं किया था।
  • “बे’इज़्ज़ती” का तर्जुमा “शर्म” या “बे’इज़्ज़त” हो सकता है।
  • “शर्मनाक” का तर्जुमा “शर्मनाक” या “बे’इज़्ज़त” हो सकता है।

(यह भे देखें: बे’इज्ज़त, ‘इज़्ज़त, शर्म)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H954, H1984, H2490, H2617, H2659, H2781, H2865, H3637, H3971, H5007, H5034, H5039, H6031, H7036, G149, G819, G3680, G3856

बेकार, पाजी

ता’अर्रुफ़:

“बेकार ” लफ़्ज़ किसी निकम्मी बात या बे मक़सद बात को ज़ाहिर करता है। बेकार बातें बे मा’नी और निकम्मी होती हैं।

  • “पाजी ” (बेकार ही बेकार) या’नी निकम्मापन या बे मतलब इसका बयान घमंड और ग़ुरूर से भी है।
  • पुराने ‘अहद नामे में बुतों को बेकार, निकम्मी कहा गया है, वे छुटकारा या नजात नहीं दिला सकतीं। वे निकम्मी हैं, उनकी न तो कोई लियाक़त है न ही कोई मक़सद
  • अगर कोई काम “बेकार” में किया गया है तो इसका मतलब है कि उसका कोई अच्छा फल नहीं मिला उस कोशिश या काम से कुछ भी फ़ायदा नहीं हुआ है।
  • बेकार में भरोसा करने' का मतलब कुछ ऐसी चीज़ों में यक़ीन करना है जो सच नहीं है और वह झूठी उम्मीद देती है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “बेकार” लफ्ज का तर्जुमा “खाली” या “निकम्मा” या “ना उम्मीदी ” या “घटिया” या “बिन माने ” हो सकता है।
  • “बेकार होना” का तर्जुमा “बे फल ” या “फल से महरूम ” या “बे मा’नी ” या “बे मक़सद ” हो सकता है।
  • “बेकार ही बेकार” का तर्जुमा “घमंड” “निकम्मी बात” या “नाउम्मीदी बात” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: बुत, लायक़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H1891, H1892, H2600, H3576, H5014, H6754, H7307, H7385, H7386, H7387, H7723, H8193, H8267, H8414, G945, G1432, G1500, G2755, G2756, G2757, G2758, G2761, G3150, G3151, G3152, G3153, G3154, G3155

बेक़ुसूर , बे क़ुसूर ठहराना, आज़ाद हो जाना ,

ता’रीफ़:

"बेक़ुसूर ठहराना, यहाँ तक कि किसी को क़ानून के ख़िलाफ़ चाल चलन के इल्ज़ाम से आज़ाद करना,।

  • कलाम, में यह लफ़्ज़ कभी - कभी गुनाहगारों को मुआफ़ करने में लिया जाता है ।
  • ज़्यादा तर, बदकारों और ख़ुदावन्द की ख़िलाफ़त करने वालों को सही तौर से क़ुसूर से आज़ाद करने के बारे में है|।
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, बेक़ुसूर ठहराना , या मुजरिम न होने का ऐलान कर देना”

(यह भी देखें: \ मुआफ़, क़ुसूर, गुनाह)

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3444, H5352, H5355, H6403, H6663

बेश क़ीमत

सच्चाई

“बेश क़ीमत” उन आदमियों या चीज़ों का बयान देता है जिन्हें बहुत ज़्यादा क़ीमती माना जाता है।

  • “बेश क़ीमत पत्थर” या “बेश क़ीमत मूंगे” उन चट्टानों या लगानों के बारे में काम में लिए जाते है जो रंगीन होते हैं या ऐसे और ख़ूबी वाले होते हैं जो उन्हें ख़ूबसूरत या इस्तेमाल वाले बनाते हैं।
  • बेश क़ीमत पत्थरों में हैं, हीरे, माणिक और पन्ना।
  • सोना और चांदी “बेश क़ीमत धातु” हैं।
  • यहोवा कहता है कि उसके लोग “बेश क़ीमत है”। (यशा. 43:4)
  • पतरस कहता है, “हलीमी और मन की हलीमी ख़ुदा की नज़र में इसकी क़ीमत बड़ी है”। (1पत. 3:4)
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “क़ीमती ” या “बहुत प्यारी ” या “सजाने के लायक़” या “बहुतपसन्दीदा ”।

(यह भी देखें: सोना,चाँदी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H68, H1431, H2532, H2580, H2667, H2896, H3357, H3365, H3366, H3368, H4022, H4030, H4261, H4262, H4901, H5238, H8443, G927, G1784, G2472, G4185, G4186, G5092, G5093

बोझ, बोझ, बोझ से दबे, भारी

ता'अर्रुफ़:

बोझ उठाने के लिए कोई भारी चीज़ हो सकती है। यह किसी जानवर के ज़रिए' उठाया जानेवाला भारी सामान भी होता है। "बोझ" लफ़्ज़ के कई 'अलामती लफ़्ज़ भी हैं।

  • बोझ आदमी का एक शख़्त ज़िम्मेदारी या ख़ास ज़िम्मेदार भी होता है। उसके लिए कहा जाता है कि वह “भारी बोझ” "उठा रहा है" या “से दबा है”।
  • बेरहम बादशाह अवाम पर बोझ डालता है जैसे बहुत ज़्यादा कर चुकाना।
  • जो इंसान किसी पर बोझ होना नहीं चाहता वह किसी के लिए तकलीफ़ का ज़रिया' नहीं होता है।
  • इंसान के लिए गुनाह का बोझ एक बोझ है।
  • “ख़ुदा का बोझ” का नबी के ज़रिए' ख़ुदावन्द की क़ौम को सुनाए गए “ख़ुदा की ख़ुशख़बरी” 'अलामती मतलब है।
  • “बोझ” जिसका तर्जुमा हो सकता है, “ज़िम्मेदारी” या “ज़िम्मेदारी” या “भारी बोझ” या “ख़ुशख़बरी” जुमले के मुताबिक़ जैसा भी हो।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H92, H3053, H4614, H4853, H4858, H4864, H4942, H5445, H5447, H5448, H5449, H5450, H6006, G4, G916, G922, G1117, G2347, G2599, G2655, G5413

बोसा, बोसे, बोसा दिया, बोसा देना

ता’अर्रुफ़:

बोसा एक ऐसा काम है जिसमें एक इन्सान अपने होंठ किसी और इन्सान के होंठ या चेहरे पर रखता है| इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल तम्सीली तौर भी किया जा सकता है|

  • कुछ रवायतों में गाल पर एक दूसरे के इस्तक़बाल के तौर पर या अलविदा कहने के लिए बोसा दिया जाता है|
  • एक बोसा शौहर और बीवी के दरमियान गहरी मुहब्बत ज़ाहिर कर सकता है|
  • “किसी को विदाई पर चूमना” का मतलब है किसी को बोसे के साथ अलविदा कहना|
  • कभी कभी “बोसे” लफ़्ज़ का मतलब “अलविदा कहने” के लिए किया जाता है| जब एलीशा ने एलियाह से कहा, “मुझे पहले मेरे वालिदैन को चूमने दो” वह एलियाह का ‘अमल करने से पहले अपने वालिदैन से विदा लेना चाहता था|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5390, H5401, G2705, G5368, G5370

भट्ठा

सच्चाई:

भट्ठा एक बहुत बड़ा आग का गड्ढा होता था जिसमें बहुत ज़्यादा हरारत की आग जलती थी।

  • पुराने वक़्त में भट्ठे धातु को पिघलाकर पकाने के बर्तन, गहने, हथियार और बुत बनाने के लिए धधकाए जाते थे।
  • मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए भी भट्ठे जलाए जाते थे।
  • कभी मिट्टी लफ़्ज़ को मिसाल के तौर पर भी काम में लिया जाता है कि बहुत गर्म का मतलब ज़ाहिर हो।

(यह भी देखें: झूठे मा’बूद, तस्वीर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H861, H3536, H3564, H5948, H8574, G2575

भड़काना, भड़काना, भड़काना, भड़काना, भड़काना

सच्चाई:

“भड़काना” किसी में नामंज़ूरी का रद्दे ‘अमल या ख़्याल पैदा करवाना।

  • किसी को ग़ुस्सा दिलाने का मतलब है किसी के लिए ग़ुस्से की वजह होना। इसका तर्जुमा हो सकता है, “ग़ुस्सा दिलाना” या “ग़ुस्सा करना”
  • “उसे भड़काओ नहीं” इसका तर्जुमा हो सकता है, “ग़ुस्सा मत दिलाओ” या “ग़ुस्से करने का वजह मत बनो” या “ग़ुस्सा मत करो”।

(यह भी देखें: ग़ुस्सा)

किताब-ए-मुक़द्दसक्र बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3707, H3708, H4784, H4843, H5006, H5496, H7065, H7069, H7107, H7264, H7265, G653, G2042, G3863, G3893, G3947, G3948, G3949, G4292

भरोसा, भरोसा करना, यक़ीन के साथ

ता’अर्रुफ़:

“भरोसा” (हियाव) यक़ीनी होना कि कोई बात सच है या उसका होना यक़ीनी है।

  • कलाम में, "उम्मीद" लफ़्ज़ का मा’नी अक्सर कुछ के लिए इंतजार करना है जो यक़ीनी तौर से होने वाला है। यूएलबी अक्सर इसका तर्जुमा "भरोसा" या "मुस्तक़बिल के लिए भरोसा" या "मुसतकबिल के भरोसे" की शक्ल में करते हैं, ख़ासकर जब इसका मतलब है कि ख़ुदा ने ‘ईसा में ईमानदारों के लिए किए हुए वादों पर भरोसा करना है।
  • अक्सर लफ़्ज़"भरोसा" ख़ास शक्ल में यक़ीनी तौर से यह ज़ाहिर करता है कि ‘ईसा के ईमानदारों में यह है कि वे किसी दिन आसमान में हमेशा के लिए ख़ुदा के साथ होंगे।
  • “ख़ुदा पर भरोसा” इस जुमले का मा’नी है कि ख़ुदा ने जो वा’दा किया है उसे हासिल करने और उसको महसूस करने की उम्मीद
  • “भरोसा करना” का मा’नी है ख़ुदा के वा’दों में यक़ीन करना और इरादे के साथ काम करना कि ख़ुदा ने जो कह दिया है, उसे वह पूरा करेगा। इस लफ़्ज़ का मा.नी निडर या हिम्मत वर सुलूक है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “भरोसा” लफ़्ज़ का तर्जुमा “यक़ीनी ” या “पूरा यक़ीन ” भी हो सकता है।
  • जुमला "भरोसा करना"; का तर्जुमा "पूरी तरह से यक़ीन " या "पूरी तरह से यक़ीनी " या "यक़ीनी तौर से पता" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • लफ़्ज़"भरोसे के साथ " का तर्जुमा "निडरता " या "यक़ीनी शक्ल से" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • बयान के मुताबिक़ , "भरोसा" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "पूरी उम्मीद " या "यक़ीनी उम्मीद" या "यक़ीन " शामिल हो सकते हैं।

(यह भी देखें: ईमान, ईमानदार. \हिम्मत](../other/bold.md),वफ़ादार , उम्मीद, भरोसा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

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शब्दकोश:

  • Strong's: H982, H983, H985, H986, H3689, H3690, H4009, G1340, G2292, G3954, G3982, G4006, G5287

भाला, भाले, भाला करनेवाला सिपाही

ता'अर्रुफ़:

भाला एक ऐसा हथियार था जिसके धातु के फल के पीछे लम्बा डंडा लगा होता था और उसे फेंक कर दूर तक वार किया जाता था।

  • कलाम के वक़्त में जंग के लिए भाले काम में आते थे। आज भी कभी-कभी लोगों के गिरोह के झगड़े में भाले काम में लिए जाते हैं।
  • ‘ईसा सलीब पर लटका हुआ था तब एक रोमी फ़ौजी ने भाले से उसकी पसली को छेदा था ।
  • कभी-कभी लोग मछली या दूसरे शिकार को मारने के लिए भाला काम में लेते हैं।
  • ऐसे ही हथियार “बर्छी” और "नेज़ह” हैं।
  • वाज़ेह करें कि भाले का तर्जुमा “तलवार” से अलग हो। तलवार छेदने या घांपने के काम में आती है न कि फेंक कर वार करने के। तलवार का फल लम्बा होता है और पकड़ने के लिए हत्था होता है। जबकि भाले के सिरे पर एक छोटा लगा होता है।

(यह भी देखें: शिकार, रोम. तलवार, जंगजू )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1265, H2595, H3591, H6767, H7013, H7420, G3057

भालू, बहुत भालू

ता'र्रूफ़ :

भालू भूरा या काले रंग का बाल दार जानवर है जिसके दांत और पंजे तेज़ होते है। कलाम-ए-मुक़द्दस के ज़माने में भालू एक 'आम जंगली जानवर था।

  • ये जानवर जंगलों और पहाड़ी इलाक़े में रहते हैं यह मछली, कीड़े और पौधे खाते हैं।
  • पुराने 'अहदनामें में भालू ताक़तवर का मिसाल था।
  • भेड़ों की रखवाली करते वक़्त दाऊद ने एक भालू को मार गिराया था।
  • कुछ लड़के एलीशा का मज़ाक उड़ा रहे थे तब दो भालू जंगल से निकल कर आए और उन्हें मार डाला।

(यह भी देखें : दाऊद, एलीशा )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1677, G715

भूसी

ता’रीफ़:

भूसी गेहूँ का हिफ़ाज़ती छिलका होता है जिसे सूखे गेहूँ से अलग किया जाता है | भूसी खाने लायक़ नहीं होती है इसलिए उसे सूखे गेहूँ से अलग करके फेंक दिया जाता है |

  • अनाज को हवा में उछालने से भूसी उड़कर गेहूँ से अलग हो जाती है | भूसी हवा में उड़ जाती थी और अनाज के दाने नीचे ज़मीन पर गिर जाते थे | इस तरकीब को “सूप “ कहते हैं |
  • किताब -ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ को बुरे लोगों और बुराई के लिए तमसीली शक्ल में काम में लिया गया है |

(यह भी देखें: अनाज, गेहूँ, हवा में उड़ाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2842, H4671, H5784, H8401, G892

भेजना, भेजा जाता, भेजा गया, भेजा जाना, बाहर भेजना, बाहर भेजना, बाहर भेजा गया, बाहर भेजा जाना

ता'अर्रूफ़:

“भेजना” या'नी किसी को या किसी चीज़ को कहीं जाने के लिए मजबूर करना। “बाहर भेजना” या'नी किसी को किसी दूर काम पर ले जाना

  • "बाहर भेजा गया" इन्सान हमेशा किसी ख़ास काम के लिए मुक़र्रर किया जाता है
  • “बारिश भेजना” या “आफ़त लाना” या'नी “आने की वजह होना” ऐसे जुमले ख़ुदावन्द के लिए काम में लिए जाते हैं कि वह ऐसा कर रहा है।
  • “भेजना” लफ़्ज़ का इस्ते'माल “ख़बर भेजना” या “ख़ुशख़बरी भेजना” में भी काम में लिया जाता है या'नी किसी को ख़बर सौंपना कि किसी को सुनाए।
  • किसी को किसी चीज़ के साथ “भेजना” या'नी किसी और की वह चीज़ ले जाकर देना, हमेशा कुछ दूर जाना कि ख़्वाहिशमन्द लोगों को वह हासिल हो।
  • ‘ईसा बार-बार कहता था “वह जिसने मुझे भेजा है” या'नी बाप ख़ुदावन्द जिसने उसे ज़मीन पर लोगों को आज़ादी दिलाने या “उनकी नजात करने के लिए भेजा है”। इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “वह है जिसे ख़ुदावन्द ने चुना है”

(यह भी देखें: मुक़र्रर , छुटकारा दिलाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H935, H1540, H1980, H2199, H2904, H3318, H3474, H3947, H4916, H4917, H5042, H5130, H5375, H5414, H5674, H6963, H7368, H7725, H7964, H7971, H7972, H7993, H8421, H8446, G782, G375, G630, G649, G652, G657, G1026, G1032, G1544, G1599, G1821, G3333, G3343, G3936, G3992, G4311, G4341, G4369, G4842, G4882

भेड़, भेड़ें, मेंढ़ा, मेंढ़ा, भेड़, भेड़शाला, भेड़ रहने की जगह , भेड़-बकरी, भेड़ की खाल

ता’अर्रुफ़:

“भेड़” एक छोटा चार पैरों का जानवर होता है जिसके जिस्म पर ऊन होती है। नर भेड़ को मेढ़ा कहते हैं। मादा भेड़ को भेड़ कहते हैं "भेड़" का जमा' भी "भेड़" है।

  • भेड़ के बच्चे को मेम्ना कहते हैं।
  • इस्राईली ज़्यादातर भेड़ को क़ुर्बानी के लिए काम में लेते थे, ख़ास करके नर भेड़ और मेम्ना।
  • लोग भेड़ का गोश्त खाने के लिए और उसकी ऊन को कपड़े और कई चीज़े बनाने के लिए इस्ते'माल करते है।
  • भेड़ बहुत भरोसेमंद, कमज़ोर और बुज़दिल जानवर होता है। वह घूमने के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं। उन्हें रहनुमाई , हिफ़ाज़त, खाना-पानी और रहने के लिए चरवाहे की ज़रूरत होती है।
  • कलाम में लोगों की बराबरी भेड़ से की गई है जिनका चरवाहा ख़ुदा है।

(तर्जुमा की सलाह: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें )

(यह भी देखें:इस्राईल, मेम्ना, क़ुर्बानी, चरवाहा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 09:12 एक दिन, मूसा जब अपनी भेड़ो की देख रेख कर रहा था , तब उसने देखा कि किसी झाड़ी में आग लगी है |
  • __17:02__बैतलहम शहर में दाऊद एक चरवाहा था | वह अपने बाप की भेंड़ों की रखवाली करता था, दाऊद ने अलग-अलग वक़्त पर भालू व शेर दोनों को मार गिराया जिन्होंने भेड़ों पर हमला किया था |
  • 30:03 ‘ईसा ने लोगों की बड़ी भीड़ देखी और उन पर तरस खाया | क्यूँकि वह उन भेड़ो की तरह थे जिनका कोई रखवाला न हो |
  • 38:08 तब 'ईसा ने उनसे कहा, “तुम सब मुझे छोड़ दोगे, क्यूँकि लिखा है: मैं रखवाले को मारूँगा, और भेड़े तितर-बितर हो जाएँगी |”

शब्दकोश:

  • Strong's: H352, H1494, H1798, H2169, H3104, H3532, H3535, H3733, H3775, H5739, H5763, H6260, H6629, H6792, H7353, H7462, H7716, G4165, G4262, G4263

भेड़िया, भेड़िए, जंगली कुत्ते

ता’अर्रुफ़:

भेड़िया एक गोश्त खाने वाला जानवर होता है जो कुत्ते जैसा दिखता है।

  • भेड़िये आमतौर पर झुण्डों में शिकार करते हैं और एक शातिर और गुपचुप तरीक़े से अपने शिकार का शिकार करते हैं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ "भेड़िए" का इस्तेमाल तम्सीली शक्ल से झूठे उस्ताद या झूठे नबियों के लिए किया जाता है जो ईमानदारों को बर्बाद करते हैं, जिनकी तशबीह भेड़ों से की जाती हैं। झूठी ता’लीम से लोगों को गलत चीजों पर यक़ीन करने की वजह बनता है जो उन्हें नुकसान पहुँचाते हैं।
  • यह तशबीह इस सच्चाई पर मुनहसिर है कि भेड़े भेड़ियों के हमले के लिए मजरूह होती हैं क्योंकि उनके पास अपनी हिफ़ाज़त के लिए कुछ भी नहीं होता है।

तर्जुमे की सलाह:

इस लफ़्ज़ का तर्जुमा , “जंगली कुत्ते” या “जंगली जानवर” हो सकता है।

  • जंगली कुत्ते के दुसरे नाम हो सकता है "सियार" या "भेड़िया।"
  • जब तम्सीली शक्ल से इन्सान के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो इसका तर्जुमा "बुरे लोग को जो लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं जैसे जानवर जो भेड़ों पर हमला करता है। "

(यह भी देखें: बुराई, झूठेनबी , भेड़, सिखाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2061, H3611, G3074

मग़रूर, ग़ुरूर करके, गुरूर

ता'अर्रुफ़:

“मग़रूर” या'नी घमण्डी, हमेशा ज़ाहिरी शक्ल में।

  • मग़रूर आदमी अपनी बड़ाई करता है।
  • मग़रूर का मतलब है कि और लोग इतने अहम या होनहार नहीं हैं।
  • ख़ुदा की बे'इज़्ज़ती करनेवाले लोग जो उसके मुख़ालिफ़ है, मग़रूर हैं, क्यूँकि वह क़ुबूल नहीं करते कि वह ख़ुदावन्द बड़ी 'इज़्ज़त वाला है।

(यह भी देखें:: पहचानना, फ़ख्र करना, घमण्डी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1346, H1347, H6277

मछली पकड़ने वाला, पकड़नेवाले

ता’अर्रुफ़ :

मछली पकड़ने वाले वह लोग होते हैं जो पानी में से मछली पकड़कर रोज़गार चलाते हैं। नये ‘अहद के ज़माने में मछली पकड़ने वाले बड़े-बड़े जाल डाल कर पकड़ते थे। मछुए को मछुआरे भी कहते हैं।

  • ‘ईसा के बुलाने से पहले पतरस और दूसरे रसूल भी मछली पकड़ने वाले थे।
  • इस्राईल पानी के सामने था किताब-ए-मुक़द्दस में मछलियों और मछली पकड़ने वाले की बात बहुत बार की गई है।
  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा, “मछली पकड़नेवाले” या “मछली पकड़कर रोज़ी हासिल करने वाले” जैसी जुमलों के ज़रिए’ किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1728, H1771, H2271, G231, G1903

मजमा’, मजलिसों, इकट्ठा करना, इकट्ठा किया

ता'अर्रुफ़:

“मजमा’” के बारे में लोगों के एक झुण्ड से है जो परेशानी पर मशवरा करने के लिए बुलाया जाता है कि सलाह दें और फ़ैसला लें।

  • मजलिस लोगों का एक ऐसा झुण्ड हो सकता है जो इख्तियार और एक तरह से मक़ामी तौर पर मुक़र्रर किया गया है या वह लोगों का एक झुण्ड हो सकता है जो किसी ख़ास मक़सद या मौक़ा' के लिए फौरी तौर पर जमा' होता है।
  • पुराने 'अहद नामे में एक ख़ास मजलिस होती थी जिसे “मुक़द्दस मजलिस ” कहते थे, वह इस्राईलियों के ज़रिए' यहोवा की 'इबादत के लिए झुण्ड जमा' होता था।
  • कभी-कभी “मजमा'” लफ़्ज़ इस्राईलियों के झुण्ड को भी कहा जाता था।
  • दुश्मन की फ़ौजों के बड़े झुण्ड को भी "मजमा’" कहा गया है। इसका तर्जुमा “फ़ौज ” किया जा सकता है।
  • नये 'अहद नामे में यरूशलीम जैसे ख़ास शहरों में 70 यहूदी रहनुमाओं की मजलिस क़ानूनी तौर पर फ़ैसला लेने और लोगों में लड़ाई झगड़े सुलझाने के लिए बैठक करते थे। इस मजलिस को इज्तेमा' कहते थे।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ “मजलिस” का तर्जुमा “ख़ास गिरोह” या “महफ़िल” या “मजलिस ” या “फ़ौज” या “बड़ा झुण्ड” भी किया जा सकता है।

जब “मजलिस” लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'आम तरीक़े से इस्राईल के लिए काम में लिया जाता है तो इसका तर्जुमा “क़ौम” या “इस्राईली लोग ” किया जा सकता है।

  • “पूरी मजमा'” का तर्जुमा “सब लोग” या “सब इस्राईलियों का पूरी जमा'अत” या “हर एक शख्स” किया जा सकता है। (देखें:

(यह भी देखें: अदालत-ए-'आलिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H622, H627, H1413, H1481, H2199, H3259, H4150, H4186, H4744, H5475, H5712, H5789, H6116, H6633, H6908, H6950, H6951, H6952, H7284, G1577, G1997, G3831, G4863, G4864, G4871, G4905

मज़मून , मौज़ू’, , ताबे’, मुस्तहकम , मौज़ू’ के ताबे’, मज़ामीन, ताबे’, मज़ामीन था, मज़ामीन किए गए थे, मज़ामीन में

सच्चाई:

एक शख़्स दूसरे शख़्स का "ताबे’" होता है, अगर दूसरा शख़्स पहली पर हुकूमत करता है। “ताबे' रहो” यह जुमला एक हुक्म है जिसका मतलब है, “हुक्म मानों” या “किसी के इता'अत के ताबे' रहो”

  • “के ताबे' करना” का मतलब है लोगों को किसी रहनुमा या हाकिम के इख्तियार के ताबे' करना।
  • “किसी को किसी बात के ताबे' करना” या'नी किसी को मन्फ़ी तौर पर तजुर्बा करवाना जैसे सज़ा के हुक्म के ताबे' करना।
  • कभी-कभी “ताबे'” लफ़्ज़ का मौज़ू' “वजह” या किसी बात का तवज्जह होना भी होता है जैसे “मज़ाक़ की वजह होगे”
  • “के ताबे'” का मतलब भी वही है जैसे “के ताबे' रहो” या “फ़रमाबरदारी ”

(यह भी देखें:ताबे')

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1697, H3533, H3665, H4522, H5647, H5927, G350, G1379, G1396, G1777, G3663, G5292, G5293

मय के हौज़

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में मय के हौज़ वह जगह थी जहाँ अंगूर का रस निकाला जाता था कि मय तैयार किया जाए।

  • इस्राईल मय के ये हौज़ ज़मीन में बनाए गए बड़े और चौड़े गड्ढे होते थे। अंगूर के गुच्छे इन गड्ढों में डालकर पांवों से रौंदे जाते थे कि रस बह निकले।
  • आमतौर पर एक मय के हौज़ के दो हिस्से होते है, ऊँची जगह पर अंगूरों को कुचल दिया जाता है, जिससे कि रस निचले हिस्से पर चला जाएगा जहां यह इकठ्ठा किया जा सकता है।

यह लफ़्ज़ तम्सीली शक्ल में किताब-ए-मुक़द्दस में बुरे लोगों पर ख़ुदा के ग़ज़ब के उण्डेले जाने का बयान भी देता हे। (देखें: मिसाल)

(यह भी देखें: अंगूर, गज़ब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1660, H3342, H6333, G3025, G5276

मय, दाखरस, मशक़, मशक़ो, नई दाखरस

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में, "मय" लफ़्ज़ एक तरह का शीरा पीने का जो एक फल के रस से बनता है जिसे अंगूर कहते हैं। मय मशक़ों में रखा जाता था। मशक़ जानवरों की खाल से बनी थैली होती थी।

  • “नई मय” या’नी अंगूर का ताजा रस जिसका शीरा नहीं किया गया है। कभी-कभी मय शीरा के बिना मय को भी कहते थे।
  • मय निकालने के लिए अंगूरों को हौज़ में कुचला जाता है ताकि उनका रस निकले। रस का शीरा किया जाता था कि उसका मय बने।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में मय खाने के साथ एक आम तौर से पीने का रस था। उसमें नशे की मिक़दार उतनी नहीं होती थी जितनी आज की मय में होती है।
  • खाने के वक़्त पेश की गई शराब में अक्सर पानी मिलाया गया होता था।
  • पुरानी मशक़ कड़क होकर चिटक जाती थी जिसकी दरारों में से मय बह जाता था। नई मशक़ें नाज़ुक एवं लचीली होती थी या;नी वे फटती नहीं थी और मय को महफ़ूज़ रखने के लिए सही थी।
  • अगर आपके मज़हब में मय नहीं जानी जाती है तो इसका तर्जुमा “शीरा किया हुआ अंगूर का रस” कह सकते हैं या “अंगूर के फलों से शीरा किया हुआ रस” या “शीरा किया हुआ फलों का रस” (देखें:अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें )
  • “मशक़” का तर्जुमा “शराब की थैली” या “जानवर की खाल शराब का थैला” या “जानवर की खाल शराब का थैला”।

(यह भी देखें: अंगूर, मय, मय की बारी, मय के हौज़ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

बर्बाद करना

शब्दकोश:

  • Strong's: H2561, H2562, H3196, H4469, H4997, H5435, H6025, H6071, H8492, G1098, G3631, G3820, G3943

मरदुम शुमारी

ता’रीफ़:

मरदुम शूमारी (ज़ाहिरी शुमार) किसी मुल्क या बादशाहत में रहने वालों की सही गिनती करना |

  • पुराने ‘अहद नामे के तहरीरों में उन वक़्तों का बयान किया गया है जब ख़ुदा ने इस्राईल के आदमियों का शुमार करने का हुक्म दिया था जैसे जब इस्राईलियों ने मिस्र से कूच किया था और दूसरी बार जब वे कना’न में दाख़िल होने पर थे |
  • ज़ाहिरी शुमार का मक़सद हमेशा यह होता था कि कर वसूली करने के लिए आदमियों की ता’दाद मा’लूम हो |
  • मसलन ,ख़ुरूज की किताब में एक बार आदमियों का शुमार किया गया था कि हर एक आदमी हैकल के रख रखाव के लिए आधी शेकेल दे |
  • जब ‘ईसा बच्चा ही था तब रोमी हुकूमत ने मरदुम शुमारी करवाई थी कि अपने पूरी बादशाहत की लोगों की ता’दाद मा’लूम करके ज़रूरी किया जाये |

तर्जुमे की सलाह:

  • इस जुमले का मुमकिन तर्जुमा हो सकता है ,”नाम का शुमार” या “नामों की फ़हरिस्त” या “लिखे हुए ”
  • मरदुम शुमारी करवाना ,इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है ,”अवाम के नाम दर्ज करना”या “आदमियों का नाम लिखना ” या “आदमियों का नाम लिखकर रखना” |

(यह भी देखें: [क़ौम[, रोम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3789, H5674, H5921, H6485, H7218, G582, G583

मरना, मरता, मर गया, मरे हुए, जान लेवा, मुर्दा, मौत, मौतें

सच्चाई:

यह लफ़्ज़ जिस्मानी और रूहानी मौत दोनों का हवाला देता है| जिस्मानी तौर पर, इसका हवाला देता है जब किसी शख़्स का जिस्म का जीना ख़त्म जाता है| रूहानी तौर पर, यह गुनाहगारों को उनका गुनाहों की वजह से मुक़द्दस ख़ुदा से अलग हो जाना.

1. जिस्मानी मौत

  • “मरना” मतलब जीना छोड़ देना| मौत जिस्मानी ज़िन्दगी की आख़िर है|
  • किसी शख़्स की रूह उसका जिस्म छोड़ देती है, जब वह मरता है|
  • जब आदम और हव्वा ने गुनाह किया, तब जिस्मानी मौत दुनिया में आई|
  • इज़हार “सज़ा-ए-मौत” से मतबल है किसी को क़त्ल करना या किसी को मार डालने का हुक्म देना, ख़ास तौर से किसी बादशाह या कोई और हाकिम किसी को मारने का हुक्म देता है|

2 रूहानी मौत

  • रूहानी मौत ख़ुदा की तरफ़ से एक शख़्स की जुदाई है|
  • आदम रूहानी मौत मरा, जब उसने ख़ुदा की नाफ़रमानी की| उसका ख़ुदा के साथ रिश्ता टूट गया| वह शर्मिन्दा हो गया और ख़ुदा से छिपने की कोशिश की|
  • आदम की हर नसल एक गुनाहगार है, और रूहानी तौर पर मुर्दा है| जब हम ‘ईसा मसीह पर ईमान रखते हैं तो ख़ुदा हमें रूहानी तौर पर दुबारा ज़िन्दा करता है|

तर्जुमे की सलाह

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के लिए, रोज़ाना इस्ते’माल करना बेहतर है, क़ुदरती लफ़्ज़ या इज़हार मक़सदी ज़बान जो मौत की तरफ़ इशारा करती है|
  • कुछ ज़बानों में, “मरने” के लिए “ज़िन्दा नहीं” का इस्ते’माल किया जा सकता है| लफ़्ज़ “मरा” को “ज़िन्दा नहीं” या “कोई ज़िन्दगी नहीं है” या “नहीं रहना” के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है|

बहुत सी ज़बानों में मौत की तफ़सील के लिए ‘अलामती इज़हार का इस्ते’माल किया जाता है, मिसाल के तौर पर अंग्रेज़ी में “गुज़र जाना” ताहम, किताब-ए-मुक़द्दस में यह सबसे बेहतर है कि रोज़ाना की ज़बान में मौत के लिए सीधे लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें| किताब-ए-मुक़द्दस में जिस्मानी ज़िन्दगी और मौत अमूमन रूहानी ज़िन्दगी और मौत के मुक़ाबिल में होती हैं| तर्जुमे में जिस्मानी मौत और रूहानी मौत दोनों के लिए एक ही लफ़्ज़ या जुमले का इस्ते’माल ज़रूरी है|

  • कुछ ज़बानों में “रूहानी मौत” कहना ज़्यादा साफ़ होता है जब मजमूनों में उस मतलब की ज़रूरत हो। कुछ मुतरज्जिम भी महसूस कर सकते हैं कि मज़मून में “जिस्मानी मौत” कहना अच्छा है, जहाँ इसका इस्ते’माल रूहानी मौत के मुक़ाबिल किया जा रहा है|
  • इज़हार “मुर्दा” एक नामज़द सिफ़त है जो मरने वाले लोगों के हवाले से है| कुछ ज़बानों में इसका तर्जमा इस तरह होगा “मुर्दा लोग” या “जो लोग मर गए हैं” (देखें: नामज़द सिफ़त
  • अलफ़ाज़ “सज़ा-ए-मौत” को “मारना” या “क़त्ल करना” के तौर पर भी किया जा सकता है|

(यह भी देखें: यक़ीन, ईमान, ज़िन्दगी, रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस कीं कहानियों से मिसालें:

  • 01:11 ख़ुदा ने आदम से कहा कि वह भले और बुरे के ‘इल्म के पेड़ के फल को छोड़कर बाग़ के किसी भी पेड़ से खा सकता है। अगर वह इस पेड़ के फल को खाएगा, तो वह मर जाएगा|
  • __02:11__तब तुम मर जाओगे और जिस्म वापस मिट्टी में मिल जाएगा|
  • 07:10 इस्हाक़ की मौत हो गयी और उसके बेटे ‘ऐसौ और या’कूब ने उसको मिट्टी दी।
  • 37:05 ‘ईसा ने जवाब दिया, "मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ।" जो कोई मुझ पर ईमान करता है वह अगर मर भी जाए तोभी जीता रहेगा। और हर कोई जो मुझ पर ईमान करता है वह कभी न मरेंगा।”
  • 40:08 अपनी __ मौत__ के जरिए’ ‘ईसा ने लोगों के लिये ख़ुदा के पास आने का रास्ता खोल दिया।
  • 43:07 "अगरचे ‘ईसा मरा, लेकिन ख़ुदा ने उसे मुर्दों में से जी उठाया|
  • 48:02 क्यूँकि वह गुनाहगार थे, इसलिए ज़मीन पर हर एक बीमार हुआ और__मरा__|
  • 50:17 वह (‘ईसा) हर आँसू को पोछेगा और यहाँ तक कि और कोई परेशानी, दुःख, रोना, बुराई, दर्द, या __मौत__नहीं होगी|

शब्दकोश:

  • Strong's: H6, H1478, H1826, H1934, H2491, H4191, H4192, H4193, H4194, H4463, H5038, H5315, H6297, H6757, H7496, H7523, H8045, H8546, H8552, G336, G337, G520, G581, G599, G615, G622, G684, G1634, G1935, G2079, G2253, G2286, G2287, G2288, G2289, G2348, G2837, G2966, G3498, G3499, G3500, G4430, G4880, G4881, G5053, G5054

मरी, बलाएँ

ता’अर्रुफ़:

बलाएँ ऐसे हादसे होते है जिनकी वजह से बड़ी ता’दाद में आदमियों पर दुःख आते हैं या आदमी मरने लगते हैं। बलाओं में महामारी का मर्ज़ भी होता है जिसकी वजह से इलाज से पहले ही बड़ी ता’दाद में लोग मर जाते हैं।

  • बहुत सी बलाओं की क़ुदरती वजह होती है लेकिन कुछ ख़ुदा के ज़रिये’ आदमियों के गुनाह की शक्ल में भेजी जाती हैं।
  • मूसा के वक़्त ख़ुदा ने मिस्र पर दस बलाएँ भेजी थी कि इस्राईल के मिस्र से जाने के लिए फ़िर’औन को मजबूर करे। उन बलाओं में पानी ख़ून में बदल गया था, जिस्मानी बीमारी थीं , टिड्डियों और ओला बरसने के ज़रिये’ फसल का बर्बाद होना, तीन दिन पूरा अँधेरा होना और पहिलौठों की मौत
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “फ़ैली हुई बर्बादी ” या “फैली हुई बीमारी ” मज़मून के मुताबिक़ करे।

(यह भी देखें: सलाम, इस्राईल. मूसा, फ़िर’औन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1698, H4046, H4194, H4347, H5061, H5062, H5063, G3061, G3148, G4127

मलिका, रानियाँ

ता’अर्रुफ़:

मलिका या’नी बादशाह की बीवी या किसी मुल्क की हाकिम

  • बादशाह अख़्सूयरस से शादी करके आस्तर फारस सल्तनत की मलिका बन गई थी।
  • मलिका ईज़ेबेल बदकार राजा अहाब की बीवी थी।
  • शीबा की मलिका एक मशहूर हाकिम थी जो सुलैमान से मुलाक़ात करने आई थीं
  • “मलिकाआल्या ” बादशाहत करने वाले बादशाह की माँ या दादी को कहते है या बादशाहत की बीवी को कहते हैं। “मलका आलिया ” का बहुत असर होता है जैसा अतल्याह में देखा गया है जिसने बुतों की इबादत को बढ़ावा दिया था।

(यह भी देखें: अख़्सूयरस, अतल्याह, आस्तर, बादशाह . फ़ारस, हाकिम, शीबा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1404, H1377, H4410, H4427, H4433, H4436, H4438, H4446, H7694, H8282, G938

मशहूर, मशहूर हुआ

ता’अर्रुफ़:

“मशहूर” लफ़्ज़ का मतलब अच्छी तरह से पता होने के साथ जुड़ी बड़ाई को ज़ाहिर है और ता’रीफ़ की इज़्ज़त हासिल करना है। कुछ या कोई "मशहूर हुआ" है अगर वह मशहूर है

  • मशहूर हुआ इन्सान वह है जो मशहूर और बहुत मो’अज़्ज़िज़ इन्सान है|
  • “मशहूर” लफ़्ज़ ख़ास करके लम्बे ‘अरसे की इज़्ज़त का हवाला देता है|
  • एक शहर जिसे "मशहूर" कहा जाता है वह अक्सर उसकी दौलत और ख़ुशहाली के लिए जाना जाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “मशहूर” का तर्जुमा “शोहरत” या “मो’अज़्ज़िज़ इज़्ज़त” या “इन्सानों में ‘आम बड़ाई” भी हो सकता है।
  • “मशहूर” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मशहूर और मो’अज़्ज़िज़ ” या “बेहतरीन शोहरत” भी हो सकता है।
  • इज़हार “यहोवा का नाम इस्राईल में मशहूर हो” इस जुमले का तर्जुमा “यहोवा का नाम इस्राईल के ज़रिए’ जाना जाए और अहतराम के लायक़ ठहरे” हो सकता है।
  • मज़मून "मशहूर के लोग" का तर्जुमा "इन्सान जो आपनी हिम्मत के लिए जाने जाते है" या "मशहूर जंगी मर्द" या "बहुत ज़्यादा मो’अज़्ज़िज़ इन्सान" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • इज़हार “तेरी मशहूरियत नसल दर नसल तक बनी रहेगी” का तर्जुमा “साल ब साल तक हर एक नसल तेरी अज़मत को जानेगी” या “तेरी बड़ाई हर एक नसल में देखी और सुनी जायेगी”।

(यह भी देखें: इज़्ज़त)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1984, H7121, H8034

मसला

ता’अर्रुफ़:

“मसला” का ज़बानी मतलब है ता’लीम देना। यह अमूमन रास्तबाज़ी की ता’लीमों के बारे में है।

  • मसीही ता’लीम के बारे में “मसला” के मज़मून में, बाप, बेटा, और पाक रूह, उसके किरदार की सिफ़तों और सब कामों में शामिल हैं।
  • इसका मतलब यह भी है कि ख़ुदा के ज़रिए’ ईमानदारों को पाक ज़िन्दगी जीने की ता’लीम देना कि ख़ुदा का जलाल हो।
  • लफ़्ज़ " मसला" कभी-कभी झूठी या दुनियावी रास्तबाज़ी की ता’लीमों का ज़िक्र करने के लिए भी इस्ते’माल किया जाता है जो इन्सानों से हैं। मज़मून से इसका मतलब ज़ाहिर होता है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा "ता’लीम" हो सकता है।

(यह भी देखें: ता’लीम देना

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3948, H4148, H8052, G1319, G1322, G2085

महल, महलों

ता’अर्रुफ़:

“महल” उस इमारत या घर के बारे में बयान करता है जहां एक बादशाह रहता था, और उसका घराना और उसके ख़ादिम के रहने की जगह होता था।

  • सरदार काहिन् भी महल में रहता था जैसा नए ‘अहद नाम में से ज़ेल है।
  • महल सजे हुए होते थे, उनकी नक्काशी और साज-सजावट ख़ूबसूरत होती थी।
  • महल पत्थर या लकड़ी के बने होते थे और उन पर क़ीमती लकड़ी, सोना या हाथी के दांत का काम होता था।
  • महलों में और भी लोग रहते थे और काम करते थे, जो आमतौर पर महलों में कई और ईमारतें तथा मैदान थे।

(यह भी देखें: आँगन, सरदार काहिन, बादशाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H643, H759, H1001, H1002, H1004, H1055, H1406, H1964, H1965, H2038, H2918, G833, G933, G4232

महीना, महीनों, महीने के

ता'र्रुफ़:

“महीना” लफ्ज़ चार हफ़्तों के वक़्त के बारे में है। हर महीने के दिनों में फ़र्क तब आ जाता है जब चांद या सूरज को कैलेण्डर से काम में लिया जाता है।

  • चांद के कैलेण्डर में महीने का वक़्त चांद की तरफ़ से ज़मीन की चक्कर के दिनों की बुनियाद पर होता है या 29 दिन। इस निज़ाम में साल 12 या 13 महीनों का होता है। 12 या 13 महीनों का साल होने के बा'द भी पहले माहीने का नाम वही होता है अगरचे मौसम अलग होगा।
  • “नया चांद” या चांद का इब्तिदाई मरहले -चांदी कैसी रोशनी, चांद के हर महीने की सुरु'आत है।
  • कलाम में जिन महीनों का तज़ किरह किया गया है वह चन्द सालों के महीने हैं क्योंकि इस्राईल इसी कैलेण्डर को मानता था। आज के यहूदी मज़हबी मक़ासिद में इसी कैलेण्डर को इस्ते'माल करते हैं।
  • आज का मौजूदा कैलेण्डर शमसी कैलेण्डर पर मबनी करता है कि ज़मीन सूरज के चारो तरफ़ चक्कर करने में कितने दिन लगाती है (तक़रीबन 365 दिन) इस कैलेण्डर में साल बारह महीनों में तक़सीम होता है, हर साल 28 से 31 दिन तक का होता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H2320, H3391, H3393, G3376

मातम करना, मातम कर रहा है, शोक करने लगे, मातम करता हुआ, मातम करनेवाला, मातम करनेवालों, उदासी, ग़म

सच्चाई:

“मातम” और मातम करना” का मतलब है ग़म करना, हमेशा किसी की मौत पर।

कई रवाजों में मातम के लिए ख़ास बाहरी सुलूक होता है जिससे दुःख और ग़म ज़ाहिर होता है। पुराने वक़्त में इस्राईल और दूसरी क़ौमें ऊँची आवाज़ा में रोकर मातम ज़ाहिर करके दुःख बयान करते थे। वह टाट के बने लिबास पहन कर और सिर में राख डालते थे।

  • किराए के ग़म मनाने वाले भी होते थे, हमेशा ‘औरतें, वह मौत के वक़्त से लेकर दफ़न तक रोती और मातम करती थी।
  • ग़म का वक़्त सात दिन होता था लेकिन तीस दिन तक भी होता था (जैसे मूसा और हारून के लिए था) या सत्तर दिन (जैसा या'क़ूब के लिए किया गया था)
  • कलाम इस लफ़्ज़ का 'अलामती इस्ते'माल भी करता है गुनाह के लिए “मातम करना”। इसका बयान गहरे दुःख के एहसास से है क्यूँकि गुनाह ख़ुदा के लोगों को तकलीफ़ पहुँचाता है।

(यह भी देखें: टाट, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H56, H57, H60, H205, H578, H584, H585, H1058, H1065, H1068, H1669, H1671, H1897, H1899, H1993, H4553, H4798, H5092, H5098, H5110, H5594, H6937, H6941, H6969, H7300, H8386, G2354, G2875, G3602, G3996, G3997

मानना, मान लेता है, मानकर, मान लेता, मान लिया

ता’अर्रुफ़:

पहचानना” (मानना) यहाँ तक कि किसी आदमी को या चीज़ को मुनासिबन मान लेना।

  • ख़ुदावन्द का मानना (पहचानना) में ऐसा लगता है जिससे ज़ाहिर हो कि वह जो कहता है वह सच है.
  • ख़ुदावन्द को माननेवाले उसके हुक्मों को मानने के ज़रिए ज़ाहिर करते हैं, जिससे उसके नाम की बड़ाई होती है.
  • किसी बात को मानने का मतलब है कि उसकी सच्चाई को क़ुबूल करना, कामों आयर लफ़्ज़ों के ज़रिए' उसको साबित करना।

तर्जुमा की सलाह :

  • किसी बात को मानने का मतलब है कि उसकी सच्चाई को क़ुबूल करना, कामों और लफ़्ज़ों के ज़रिए' उसको मज़बूत करना ”।
  • किसी आदमी को मानने (पहचान लो) के बारे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “क़ुबूल करना” या “के हक़ीक़त को पहचानना” या “औरों से कहना कि वह वफ़ादार रहै।”।”
  • इस बारे में ख़ुदावन्द को मानने का तर्जुमा ख़ुदावन्द पर यक़ीन और उसके हुक्मों पर अमल करना" या "ऐलान करे कि ख़ुदावन्द कौन है" या "और लोगों को बताएं कि ख़ुदावन्द कितना महान है" या "क़ुबूल करे कि ख़ुदावन्द जो कहता है और करता है सच है।"

(यह भी देखें: \ हुक्म मानना, बड़ाई, नजात)

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H3045, H3046, H5046, H5234, H6942, G1492, G1921, G3670

मिटा दे, मिटा देता, मिटाया जाता, मिटा डाले, मिटा, मिट गए

ता'अर्रुफ़:

अलफ़ाज़ “मिटा दे” और “इज़हार हैं इसका मतलब मिटा डाले” या किसी चीज़ को या किसी आदमी को पूरी तरह से हलाक कर देना या हटा देना।

  • इन लफ़्ज़ों का इस्ते'माल 'अलामती शक्ल में भी किया जाता है जैसे ख़ुदावन्द गुनाहों को मिटा डालता है, उन्हें मा'फ़ करके कभी याद नहीं करता है।
  • इसका मनफ़ी इस्ते'माल ज़्यादा तर क़ौमो को मिटा देने, गुनाह कि वजह से उन्हें तबाह कर देने के लिए भी किया जाता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में आदमी का नाम ख़ुदा की ज़िन्दगी की किताब में से “मिटाया जाता” या “मिटा डाले” की बहस की गई है, या उस आदमी को हमेशा की ज़िन्दगी हासिल नहीं होगी।

तर्जुमा की सलाह :

  • जुमले के मुताबिक़ इनका तर्जुमा “पीछा छुड़ाना” या “हटाना” या “बिलकुल तबाह कर देना” या “पूरी तरह से ख़त्म कर देना” हो सकता है।
  • ज़िन्दगी की किताब से किसी का नाम मिटा देने के बारे में इसका तर्जुमा “हटा देना” या “मिटाना” हो सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3971, H4229, G631, G1591, G1813

मिट्टी देना, दबा देता है, गाड़े गए, मिट्टी दे, मिट्टी देना

ता’अर्रुफ़:

“मिट्टी देना” लफ़्ज़ अक्सर मुर्दे को को क़ब्र में या और किसी क़ब्रिस्तान में रखना है। लफ़्ज़ “क़ब्रिस्तान” किसी चीज़ को दफ़नाने के काम को कहते हैं का मतलब किसी को गाड़ना या गाड़ने की जगह।

  • अक्सर लोग मुर्दे को दफ़नाने के लिए मुर्दे को ज़मीन में एक गहरे सुराख़ में रखते हैं और उसे मिट्टी से ढक देते हैं|
  • कभी-कभी मुर्दे को एक सन्दूक में रखा जाता है जैसे ताबूत, फिर गाड़ा जाता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में,मुर्दा इन्सान को एक गुफ़ा में या उसके जैसी किसी जगह में रखते थे| ‘ईसा के मौत के बा’द ‘ईसा की लाश कपड़ों में लपेटकर एक गुफा की शक्ल की कब्र में रखा गया था जिसके मुंह पर बड़ा पत्थर लुढ़का दिया गया था।
  • “कब्रिस्तान”, “कब्र” या “दफन का कमरा” या “दफन की गुफा” वग़ैरह सब लफ्ज़ मुर्दे को दफनाने के की जगह के बारे में हैं।
  • और चीज़ों को भी गाड़ा जाता था जैसे अकान ने यरीहू से चुराया हुआ सोना और और चीज़ों का गाड़ा था।
  • जुमले “मुंह ढांपना”“ का अमूमन मतलब “हाथों से मुंह को छिपाना” होता है
  • कभी-कभी “छिपाना” लफ़्ज़ का मतलब “गाड़ना” भी होता है जैसे अकान ने यरीहू से चुराई हुई चीज़ों को ज़मीन में गाड़ दिया था। इसका मतलब उसने उन्हें ज़मीनी कर दिया था।

(यह भी देखें: यरीहू, क़ब्र)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6900, H6912, H6913, G1779, G1780, G2290, G4916, G5027

मिन्नत, गुज़ारिश की, मिन्नत करना, भिखारी

ता'अर्रुफ़:

“गुज़ारिश” या किसी से किसी चीज़ के लिए बहुत ज़्यादा दरख्वास्त करना। अक्सर इसका हवाला पैसा मांगने से है, लेकिन इसका मतलब किसी बात की दरख्वास्त करने से भी है।

  • अक्सर लोग गुज़ारिश या मिन्नत करते हैं जब उन्हें शख़्त ज़रूरत होती है, लेकिन वह नहीं जानता की दूसरा शख़्स उसे देगा भीं या नहीं जिसके लिए वह गुज़ारिश कर रहा है|
  • “भिखारी” वह आदमी है जो 'आम जगहों में बैठकर या खड़ा होकर इंसानों से पैसा मांगता है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “गुज़ारिश करना” या “बहुत ज़्यादा दरख्वास्त करना” या “पैसा मांगना” या “हमेशा पैसा मांगना”

(यह भी देखें: दरख्वास्त )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 10:04 ख़ुदावन्द ने सारे मिस्र मुल्क में मेंढकों को भेज दिया। फ़िर 'औन ने मेंढकों को दूर ले जाने के लिये मूसा से __ गुज़ारिश__ की
  • 29:08 तब बादशाह ने उसे बुलाकर उस से कहा, ‘ऐ बुरे ग़ुलाम, तू ने जो मुझ से गुज़ारिश की, तो मैं ने तेरा वह पूरा क़र्ज़ मा'फ़ कर दिया।’
  • 32:07 बुरी रूह ने ‘ईसा से बहुत गुज़ारिश की, “हमें इस मुल्क से बाहर न भेज।” वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। बुरी रूह ने उससे __ गुज़ारिश __ करके कहा “ बराए करम हमें उन सूअरों में भेज दे कि हम उनके अंदर जाएं !”
  • 32:10 तो वह आदमी जिसमें पहले बुरी रूह थी, “ईसा के साथ जाने की गुज़ारिश करने लगा ।”
  • 35:11 उसका बाप बाहर आया और उसे सबके साथ ख़ुशी मनाने के लिये उससे गुज़ारिश करने लगा लेकिन उसने मना' कर दिया।”
  • 44:01 एक दिन पतरस और यूहन्ना दु'आ करने के लिये हैकल में जा रहे थे। तब उन्होंने एक लंगड़े भिखारी को देखा जो पैसों के लिए भीख माँग रहा था|

शब्दकोश:

  • Strong's: H34, H7592, G154, G1871, G4319, G4434, G6075

मीनार , पहरे की मिनारों, गुम्मद

ता’अर्रुफ़:

“गुम्मद” एक ऊँची बनावट जहाँ से निगहबान किसी आने वाली मुसीबत पर नजर रख सकते थे। ये गुम्मद पत्थरों के बने होते थे।

  • जमींदार भी कभी-कभी गुम्मद बनाते थे कि वहाँ से अपनी फ़सल की चौकीदारी करें और चोरी होने से उसे बचाएं।
  • गुम्मटों में कमरे भी होते थे कि चौकीदार या उसका घराना वहाँ रहे जिससे कि दिन रात फ़सल की चौकसी की जा सके।
  • शहर के गुम्मद शहरपनाह से ऊँचे बनाए जाते थे कि पहरूए किसी दुश्मन की फ़ौज को आते हुए देख पाएं।
  • गुम्मद दुश्मन से हिफ़ाज़त का निशान था। (देखें: इस्ता’रह )

(यह भी देखें: दुश्मन , पहरा देना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H803, H969, H971, H975, H1785, H2918, H4024, H4026, H4029, H4692, H4707, H4869, H6076, H6438, H6836, H6844, G4444

मुक़द्दस शहर, मुक़द्दस शहरों

ता’अर्रुफ़

किताब-ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ “मुक़द्दस शहर” का मतलब यरुशलीम के बारे में है|

  • इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल यरुशलीम के पुराने शहर साथ-साथ नए आसमानी यरुशलीम के बारे में किया जाता है जहाँ खुदा अपने लोगों के बीच रहेगा और हुकूमत करेगा|
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “मुक़द्दस” और “शहर” के अलफ़ाज़ से मिलाकर किया जा सकता है, जिसका तर्जुमा बाक़ी तर्जुमे में किया जा सकता है|

(यह भी देखें: आसमान, मुक़द्दस, यरुशलीम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5892, H6944, G40, G4172

मुक़र्रर करना, बांटा, ठहराए, हिस्सा, हिस्सों, फिर दे देना

सच्चाई:

“ मुक़र्रर करना” या “बांटा” किसी को कोई ख़ास काम देना या एक या अधिक लोगों को किसी काम के लिए मुक़र्रर किया जाना।

  • शाऊल नबी ने नबूव्वत की थी कि शाऊल बादशाह इस्राईल के जवान मर्दों को फ़ौज के लिए मुक़र्रर करेगा।
  • मूसा ने इस्राईल के बारह क़बीलों को उनके रहने के लिए कन'आन मुल्क की ज़मीन बांट दी थी।
  • पुराने 'अहद नामे के क़ानून के मुताबिक़ कुछ क़बीलों को काहिन की ख़िदमत, फनकारों की ख़िदमत, मौसीक़ी कारों की ख़िदमत और बनाने वालों की ख़िदमत बांट दिए गए थे ।
  • जुमलों के मुताबिक़ “ मुक़र्रर करना” का तर्जुमा “बांटना” या “काम देना” "काम के लिए चुनें" किया जा सकता है।
  • जुमलों के मुताबिक़, “बांटना” का तर्जुमा “ मुक़र्रर करना” या “काम सौंपना” हो सकता है।

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा)

(यह भी देखें: मुक़र्रर करना, शमूएल, शाऊल (पुराना ‘अहद नाम ))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2506, H3335, H4487, H4941, H5157, H5307, H5414, H5596, H5975, H6485, H7760, G3307

मुक़र्रर, मुक़र्रर किया, तक़दीर, मुक़द्दर

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज “तक़दीर” इंन्सान की ज़िन्दगी के मुस्तक़बिल में होने वाली बात के बारे में बताता हैं| अगर किसी को मुस्तक़बिल के लिए “मुक़र्रर” गया है तो इसका मतलब है कि वह इन्सान मुस्तक़बिल में क्या करेगा, जो ख़ुदा की तरफ से मुक़र्रर किया गया है|

  • जब खुदा अपने गज़ब के लिए किसी मुल्क को “मुक़र्रर” कर लेता है, तो इसका मतलब है कि ख़ुदा ने फ़ैसला कर लिया है कि उस मुल्क को गुनाहों की सज़ा मिलेगी।
  • यहूदाह तबाही के लिए “मुक़र्रर” गया था, जिसका मतलब है कि ख़ुदा ने फ़ैसला कर लिया था कि उसके बग़ावत की वजह से वह बर्बाद होगा।
  • हरएक इन्सान की आख़िरत, अबदी मुक़द्दर है कि वह जन्नत में जाए या जहन्नुम में जाए।
  • जब वा’इज़ का मुसन्निफ़ कहता है कि सबका मुक़द्दर एक ही है तो उसका मतलब है कि सब मरेंगे।

तर्जुमे की सलाह:

  • जुमला “ग़ज़ब के लिए मुक़र्रर” का तर्जुमा “तुम्हारी सज़ा यक़ीनी है” या “फ़ैसला लिया जा चुका है कि तुम मेरे ग़ज़ब का तजुरबा करोगे”।
  • ‘अलामती ख़याल में “वे तलवार से बर्बाद होने के लिए मुक़र्रर किए गए हैं” इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है “ख़ुदा ने फ़ैसला कर लिया है कि वे अपने दुश्मनों के ज़रिए’ तलवार से हलाक किए जाएंगे” या “ख़ुदा ने ठान लिया है कि उनके दुश्मन उन्हें तलवार से हलाक करें”।
  • अलफ़ाज़ “तुम मुक़र्रर किए गए हो” का तर्जुमा ऐसे जुमलों के ज़रिए’ किया जाए जैसे “ख़ुदा ने फ़ैसला कर लिया है कि तुम...”
  • मज़मून के मुताबिक़ “मुस्तक़बिल” का तर्जुमा हो सकता है, “आख़िरत” या “आख़िर में जो होगा” या “ख़ुदा ने जो फ़ैसला किया है वह होगा”

(या भी देखें: क़ैदी, अबदी, जन्नत, जहन्नुम, युहन्ना (बपतिस्मादेने वाला), तौबा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:##

शब्दकोश:

  • Strong's: H2506, H4150, H4487, H4745, H6256, H4507, G5056, G5087

मुक़र्रर, मुक़र्ररा, ‘आम, मुक़र्रर

ता’अर्रुफ़:

मुक़र्रर करने का मतलब है किसी ख़ास काम या किरदार के लिए किसी इन्सान को फ़ौरी तौर पर मुक़र्रर करना| इसका मलतब फ़ौरी तौर पर कानून या हुक्म भी हो सकता है।

  • लफ़्ज़ "मुक़र्रर" का हवाला अक्सर काहिन, ख़ादिम या उस्ताद मुक़र्रर करने फ़ौरी ‘अमल से भी है।
  • मिसाल के तौर पर, ख़ुदा ने हारून और उसकी नसलों को काहिन होने के लिए मुक़र्रर किया है।
  • इसका मतलब रखना या क़ायम करना भी है, जैसे कोई मज़हबी दा’वत या ‘अहद ।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “मुक़र्रर करना” का तर्जुमा हो सकता है” काम-काज़ सौंपना” या “ठहराना” या “हुक्म देना” या “कानून बनाना ” या “क़ायम करना”।

(यह भी देखें: हुक्म, ‘अहद, हुक्म, कानून, शरी’अत, काहिन

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3245, H4390, H4483, H6186, H6213, H6466, H6680, H7760, H8239, G1299, G2525, G2680, G3724, G4270, G4282, G4309, G5021, G5500

मुखालिफ़ ,बाग़ियों ,अदावती,दुश्मनों

ता'अर्रुफ़:

"मुख़ालिफ़,” एक आदमी, या झुण्ड जो किसी के या किसी चीज़ के ख़िलाफ़ हो अदावती, लफ़्ज़ का भी यही मतलब है

  • अदावती, वह आदमी है आपकी ख़िलाफ़त करता है या आपको तकलीफ़ पहुँचाता है
  • जब दो मुल्कों की लड़ाई होती है, तो हर एक को दूसरे का दुश्मन कहा जा सकता है
  • कलाम में शैतान को, मुख़ालिफ़ या अदावती कहा गया है
  • अदावती का तर्जुमा मुखालिफ़ या दुश्मन किया जा सकता है लेकिन यह लफ़्ज़ मुखालिफ़ को ज़्यादा मज़बूती बयान करता

(यह भी देखें: \ शैतान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H341, H6146, H6887, H6862, H6965, H7790, H7854, H8130, H8324, G476, G480, G2189, G2190, G4567, G5227

मुड़ना, मुड़ता, लौटना, पीछे मुड़ता है, वापस मुड़ता है, वापस मुड़ना, वापस मुड़ा, मुड़ जाना, वापस मुड़ा,मोड़, मुड़ कर दूर जा रहा है, लौटता है, वापस लौटाया, वापस लौट रहा है, वापस लौट जाता है

ता’अर्रुफ़:

“मुड़ना” का मतलब है सिम्त बदलना या किसी बात की वजह किसी की सिम्त बदलना।

  • “मुड़ना” का मतलब “पीछे मुड़ना” कि पीछे देखें या दूसरी सिम्त के रुख़ में हों।
  • “वापस मुड़ना” या “चाल से फिरना” का मतलब है “लौट जाना” या “दूर हो जाना” या “दूर करने की वजह होना”
  • “किसी बात से फिर जाने” का मतलब है कुछ करने का “छोड़ना” या किसी को ना मंज़ूर करना।
  • “की ओर मुड़ें” या’नी किसी को सीधा देखना।
  • “मुड़कर चल देना” या “मुंह मोड़कर चल देना” या’नी “चले जाना”
  • " वापस मुड़ना" का मतलब है "कुछ फिर से शुरू करना।"
  • “किसी बात से फिर जाने” या’नी “किसी काम को छोड़ देना ”

तर्जुमे की सलाह:

  • बयान के मुताबिक़ “वापस” का तर्जुमा “सिम्त बदलना” या “जाना” या “चलना” हो सकता है।
  • कुछ बयानों में “वापस” का तर्जुमा “वजह” (कोई) कुछ करने के लिए। "(किसी) से दूर मुड़ना" का तर्जुमा "वजह (कोई) जाने के लिए" या "वजह (किसी) को रोकने के लिए किया जा सकता है।"
  • " ख़ुदा से दूर हो जाना" जुमले का तर्जुमा " ख़ुदा की इबादत करना बंद करना" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • "ख़ुदा की ओर मुड़ना" जुमले का तर्जुमा "फिर से ख़ुदा की इबादत करना शुरू’ करना" किया जा सकता है।
  • जब दुश्मन "पीछे मुड़ें," इसका मतलब है कि वे "पीछे हटना" "दुश्मन को पीछे मुड़ना" का मतलब है "दुश्मन के पीछे हटने की वजह "
  • वाकई, जब इस्राईल "झूठे मा’बूदों " के पास लौट आए, तब वे "उनकी इबादत करने लगे" जब वे बुतों से "मुड़ गए", उन्होंने "उनकी इबादत करना बंद कर दिया"
  • जब ख़ुदा अपने बाग़ी लोगों से "दूर हो गया", तब उसने "उनकी हिफ़ाज़त करना बंद कर दिया" या "उनकी मदद करना बंद कर दिया"
  • जुमला "अपने बच्चों के लिए पिता के दिलों को मोड़ना" का तर्जुमा "पिता अपने बच्चों की देखभाल फिर से करे" किया जा सकता है।
  • ज़ाहिरयत"मेरे जलाल को शर्मिंदगी में बदलना" का तर्जुमा "मेरी जलाल को शर्मिंदा बनाने की वजह " या "मुझे बेइज़्ज़त करना है कि मैं शर्मिंदा हो जाऊँ" या "मुझे शर्मिंदा करना (बुरा काम करके) ताकि लोग मुझे इज़्ज़त न दें ।" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • "मैं तुम्हारे शहरों को बर्बाद कर दूंगा" का तर्जुमा किया जा सकता है, "मैं तुम्हारे शहरों को बर्बाद कर दूंगा" या "मैं दुश्मनों को तुम्हारे शहरों को बर्बाद करने की वजह बनाऊंगा।"
  • जुमला " में बदलना" का तर्जुमा "बन जाना हैं" के शक्ल में किया जा सकता है।" जब मूसा की छड़ी एक साँप "में बदल गई", तो यह एक सांप "बन गया"। इसका तर्जुमा भी "में बदल गया" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: बुत , कोढ़ , इबादत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H541, H1750, H2015, H2017, H2186, H2559, H3399, H3943, H4142, H4672, H4740, H4878, H5186, H5253, H5414, H5437, H5472, H5493, H5528, H5627, H5753, H5844, H6437, H6801, H7227, H7725, H7734, H7750, H7760, H7847, H8159, H8447, G344, G387, G402, G576, G654, G665, G868, G1294, G1578, G1612, G1624, G1994, G2827, G3179, G3313, G3329, G3344, G3346, G4762, G5077, G5157, G5290, G6060

मुंसिफ़, फ़ैसला

ता’अर्रुफ़:

मुंसिफ़ वह शख्स है जो सही और ग़लत का फ़ैसला लेता है, ख़ास करके क़ानून मु'आमिलात के बारे में जब लोगों में तनाज़ा' हो।

  • कलाम में ख़ुदा को ज़्यादातर एक मुंसिफ़ कहा गया है क्यूँकि वही सिर्फ़ एक बेहतरीन मुंसिफ़ है जो सही या ग़लत का आख़िरी फ़ैसला देता है।
  • इस्राईल जब कन'आन में दाख़िल हो गए और उनके बादशाहों से पहले ख़ुदा उनके लिए रहनुमा मुक़र्रर करता था कि परेशानी के वक़्त उनकी रहनुमाई करे इन रहनुमाओं को मुंसिफ़ कहा गया है। ये मुंसिफ़ ज़्यादातर फ़ौजी रहनुमा थे जिन्होंने दुश्मन को शिकस्त करके इस्राईलियों की नजात की थी ।
  • “मुंसिफ़” को “फ़ैसला लेने वाला” या “रहनुमा” या “मुन्जी ” या “हाकिम” कह सकते हैं लेकिन जुमलों के मुताबिक़ ।

(यह भी देखें: हाकिम, इन्साफ़, [क़ानून )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H148, H430, H1777, H1778, H1779, H1780, H1781, H1782, H2940, H4055, H6414, H6415, H6416, H6417, H6419, H8196, H8199, H8201, G350, G1252, G1348, G2919, G2922, G2923

मुंसिफ़, मुंसिफ़ो

ता’अर्रुफ़:

हाकिम एक मुक़र्रर ज़िम्मेदार होता है जो मुंसिफ़ के तौर पर काम करता है और क़ानून के बारे में फ़ैसला देता है।

  • कलाम के वक़्त में हाकिम आपसी ना इतिफ़ाक़ी का फ़ैसला करता था।
  • जुमलों पर मुन्हसिर इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “हुक्मरा मुंसिफ़” या “क़ानूनी अफ़सर” या “शहर का रहनुमा ”।

(यह भी देखें: मुंसिफ़, क़ानून)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6114, H8200, H8614, G758, G3980, G4755

मुसीबत ज़दा परेशानी देना, मज़लूम, मारेगा, मुसीबत,परेशानी

ता'अर्रुफ़:

परेशानी देना ,यहाँ तक कि किसी को मुसीबत या दुःख देना * "मुसीबत" ,जज़बाती लड़ाई या उससे पैदा और कई आफ़तें हैं

  • ख़ुदावन्द अपने बन्दे को बीमारी और सख्त हालात में मुसीबत देता था कि वे अपने गुनाहों से फिर कर उसके पास लौट आएं।
  • ख़ुदावन्द ने मिस्र पर मुसीबत या परेशानी डाली थी क्यूँकि उनके बादशाह ने ख़ुदावन्द का हुक्म नहीं माना था ।
  • किसी बात से “दबना” बीमारी, परेशानी या जज़्बाती तकरार की वजह से परेशानी उठाना।

तर्जुमें की सलाह:

  • किसी को मुसीबत देने का तर्जुमा , किसी को परेशानी का अहसास दिलाना , या किसी को परेशानी देना , या किसी की मुसीबत की वजह होना
  • कुछ शर्तों में ,मुसीबत का तर्जुमा हो सकता है , होना , या , पहुँचाना , या मुसीबत लाना
  • “कोढ़ी ” का तर्जुमा“कोढ़ का मरीज़ होना” हो सकता है।
  • इन्सानों या जानवरों को परेशानी देने के लिए जब क़हर भेजी जाटी है तो इसका तर्जुमा हो सकता है परेशानी देना
  • शर्तों के मुताबिक़ ,परेशानी का तर्जुमा हो सकता है मुसीबत , या मर्ज़, या ग़म , बड़ी मुसीबत
  • मुसीबत पाते हैं , इस जुमले का तर्जुमाहो सकता है , से घिरा , या बीमार

(यह भी देखें: कोढ़, बीमारी, मुसीबत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H1790, H3013, H3905, H3906, H4157, H4523, H6031, H6039, H6040, H6041, H6862, H6869, H6887, H7451, H7489, H7667, G2346, G2347, G2552, G2553, G2561, G3804, G4777, G4778, G5003

मुँह, मुँह, के सामने, के सामने, चेहरे, मुँह के बल गिरे

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “मुँह ” का लफ़्ज़ी मतलब इन्सान के सिर का सामने का हिस्सा। इस लफ़्ज़ के कई ‘अलामती मतलब होते हैं।

  • इज़हार “तेरा मुँह” को कहने का लफ़्ज़ी तरीक़ा “तू” * इसी तरह इज़हार “मेरा मुँह” का अक्सर मतलब “मैं” या “मुझे” होता है।
  • “सामना करना” का जिस्मानी तौर पर किसी का या किसी चीज़ का या’नी किसी को देखना या किसी चीज़ को देखना|
  • “आमने-सामने देखना” मतलब है “सीधा एक दूसरे को देखना”
  • “आमने-सामने” मतलब दो इन्सान क़रीब में एक दूसरे के सामने हैं।
  • “’ईसा ने यरूशलीम जाने का फ़ैसला किया” मतलब उसने जाने का मज़बूत फ़ैसला किया था।
  • “मुँह फेर लेना” का मतलब किसी जगह या इन्सान की मदद ना देने या उसको छोड़ने का फ़ैसला कर लेना।
  • इज़हार “ज़मीन का चेहरा” मतलब ज़मीन के बारे है, उमूमन तमाम ज़मीन के बारे में है। मिसाल के तौर पर “अकाल ज़मीन का मुँह है” बहुत बड़ा अकाल जिससे ज़मीन पर बहुत से जानदार मुतास्सिर हुए।
  • यह ‘अलामती इज़हार, “अपने लोगों से अपना मुँह न छिपा” या’नी “अपने लोगों को छोड़ न दे” या “अपने लोगों को अकेला न छोड़ दे” या “अपने लोगों की ख़बर लेने से इन्कार न कर।”

तर्जुमे की सलाह:

  • अगर मुमकिन हो, इसी जुमले को रखा जाए या मक़सदी ज़बान में इस अलफ़ाज़ में एक मतलब का जुमला इस्ते’माल किया जाए।
  • लफ़्ज़ "सामना करने के लिए" का तर्जुमा किया जा सकता है "की ओर मुड़ना" या "सीधे देखने के लिए" या "चेहरे को देखने के लिए।"
  • इज़हार "आमने-सामने" का तर्जुमा "बहुत करीब से" या "ठीक सामने में" या "की हाज़िरी में" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, "उसके चेहरे के सामने" का तर्जुमा "उसके आगे" या "उसके सामने" या "उसके पहले" या "उसकी हाज़िरी में" के तौर पर किया जा सकता है।
  • इज़हार "उसके चेहरे की तरफ मुड़ें" अलफ़ाज़ का तर्जुमा “की ओर बढ़ने” या “मज़बूती से करने के लिए अपना दिल बनाया।”
  • इज़हार “से उसके चेहरा छिपाना” का तर्जुमा “से मुड़ जाना” या “मदद करना या हिफ़ाज़त करना रोकें” या “खारिज़” के तौर में किया जा सकता है।
  • 'मुँह फेरना' किसी शहर या लोगों के ख़िलाफ़ की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, "ग़ुस्सा और मुज़म्मत के साथ देखो" या "क़ुबूल करने से मना’ करना " या "ख़ारिज करने का फ़ैसला लेना" या " मुज़म्मत करना और ख़ारिज करना" या "फ़ैसला देना"।
  • इज़हार “उनके मुँह पे बोले” का तर्जुमा “उनको सीधे बोलना” या “उनकी हाज़िरी में उन्हें यह कहो” या “उन्हें इन्सान में कहें” की शक्ल में किया जा सकता है।
  • इज़हार “ज़मीन का मुँह” का तर्जुमा “तमाम ज़मीन” या “पूरी ज़मीन पर” या “पूरी ज़मीन पर रह रहे है” की शक्ल में किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H600, H639, H5869, H6440, H8389, G3799, G4383, G4750

मुहर, मुहर, मुहर लगाना, खुली

ता'अर्रुफ़:

मुहर लगाने का मतलब है कि मुहरबन्द चीज़ मुहर तोड़े बिना खोली नहीं जा सकती है।

  • मुहर में हमेशा कोई निशान होता था जिससे ज़ाहिर होता था कि वह किस की है।
  • ख़तों और दीगर दस्तावेज़ों पर मुहर लगाने के लिए मोम को पिघलाकर काम में लिया जाता था। मोम जब ठंडा होकर सख्त हो जाता था तब मुहर को तोड़े बिना ख़त खोला नहीं जा सकता था।
  • ‘ईसा की क़ब्र के सामने रखे पत्थर पर मुहर लगाई गई थी कि कोई उस पत्थर को हटाए नहीं।
  • पौलुस पाक रूह को 'अलामती शक्ल में मुहर कहता है जिससे हमारी नजात तय होती है

(यह भी देखें: पाक रूह, क़ब्र)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2368, H2560, H2856, H2857, H2858, H5640, G2696, G4972, G4973

मुहासिरा , मुहासिरा लकरना, मुहासिरा किया, मुहासिरा करनेवाला, घेर लेना, मुहासिरा

ता’अर्रुफ़:

“मुहासिरा ” दुश्मन की फ़ौज के जरिए' शहर को घेर कर खाना-पानी का आना रोक दिया था । किसी शहर को "मुहासिरा " करने या इसे "घेराबंदी के नीचे" रखने के लिए इसका मतलब है घेराबंदी के जरिए' से हमला करना।

  • जब बाबुल ने इस्राईल पर हमला किया, तो उन्होंने शहर के अंदर लोगों को कमज़ोर करने के लिए यरूशललीम के ख़िलाफ़ घेराबंदी के मन्सूबे का इस्ते'माल किया।
  • मुहासिरा के वक़्त धूल मिट्टी के ढेले बनाए जाते थे कि दुश्मन की फ़ौज शहरपनाह को पार करके शहर पर हमला कर पाए।
  • एक शहर को "मुहासिरा " करने के लिए इसे "घेराबंदी" की शक्ल में बयान किया जा सकता है या उस को "घेराबंदी" करने के लिए कहा जा सकता है।
  • “घेराव कर दिया” का मतलब “घेराव” ही है। इन दोनों जुमलों के ज़रिए' किसी शहर के ज़रिए' मुहासिरा को दिखता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4692, H4693, H5341, H5437, H5564, H6693, H6696, H6887

मेहनत, मेहनत करे, मेहनत की, मज़दूर, मज़दूरों

ता’अर्रुफ़:

मेहनत या’नी किसी भी तरह का कठिन काम करना।

  • उमूमन मेहनत करना मतलब जिस्मानी ताक़त काम में लेना। इसका मतलब है कि काम मुश्किल है।
  • मजदूर वह इन्सान है जो जिस्मानी मेहनत का काम करता है।

अंग्रेजी ज़बान में “मेहनत” (लेबर) का मतलब बच्चे को पैदा करने के काम से भी होता है। और ज़बानों में इसके लिए पूरी तरह से एक अलग लफ़्ज़ होता है।

  • “मेहनत” लफ़्ज़ के तर्जुमे हो सकते हैं, “काम” या “शख़्त काम करना” या “शख़्त काम” या “जिस्मानी मेहनत करना”।

(यह भी देखें: शख़्ती, दर्द-ए-ज़ेह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H213, H3018, H3021, H3022, H3023, H3205, H5447, H4522, H4639, H5445, H5647, H5656, H5998, H5999, H6001, H6089, H6468, H6635, G75, G2038, G2040, G2041, G2872, G2873, G4704, G4866, G4904, G5389

मो’जिज़ा ,हैरान, हैरान कुन, हैरत, हैरत ज़दः,हैरत अंगेज़ , त'अज्जुब ,अजीब काम #‏

ता’अर्रुफ़:

‏ ‏यह सब लफ़्ज़ बहुत त'अज्जुब का बारे में बता देते हैं, क्यूँकि एक बहुत अजीब बात हुई है।

  • इनमें से कुछ लफ़्ज़ यूनानी कहावत में तर्जुमा हैं जैसे, “हैरान होना” या “अपने आपे से बाहर होना”। * इन जुमलों से मा'लूम होता है कि आदमी कैसे त'अज्जुब और हैरान हुआ है। और ज़बानों में भी इन जुमलों को बयान करने के लफ्ज़ होंगे।

बराबर हैरान और त'अज्जुब पैदा करने वाले हादसे मो'जिज़े होते हैं ऐसा काम सिर्फ़ ख़ुदा ही कर सकता है‏

  • इन लफ़्ज़ों के मतलब में घबराहट का एहसास भी हो सकता है क्यूँकि जो हुआ वह न उम्मीद था।
  • इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा करने की कई शक्लें हैं, “रूहानी हैरत” या “बहुत ज़्यादा ”
  • इस लफ्ज़ का एक ही जैसे मतलब हैं, “अजीब (हैरान कुन, त’अज्जुब) “हैरान” “हैरान करना”
  • आम तौर से यह लफ्ज़ बराबर हैं और दिखाते हैं कि इंसान किसी ख़ास वजह से ख़ुश हैं।

(यह भी देखें: अजीबकाम, \निशान](../kt/sign.md)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H926, H2865, H3820, H4159, H4923, H5953, H6313, H6381, H6382, H6383, H6395, H7583, H8047, H8074, H8078, H8429, H8539, H8540, H8541, H8653, G639, G1568, G1569, G1605, G1611, G1839, G2284, G2285, G2296, G2297, G2298, G3167, G4023, G4423, G4592, G5059

यहूदियों, यहूदी

सच्चाई:

“यहूदी रहनुमा ” या “यहूदियों के हाकिम” या'नी मज़हबी रहनुमा जैसे इमाम और ख़ुदा के कलाम का उस्ताद । उन्हें मज़हब के 'अलावह दूसरे मज़्मूनों के बारे में भी फ़ैसला देने का इख़्तियार था।

  • यहूदियों के रहनुमा थे ‘आला और ख़ास इमामों, और क़ानून के उस्ताद (ख़ुदावन्द की शरी'अत के उस्ताद)
  • यहूदी रहनुमाओं के दो ख़ास गिरोह थे फ़रीसी और सदूक़ी।
  • यरूशलीम की मजलिस में क़ानूनी मु'आमिलात के बारे में फ़ैसला लेने के लिए सत्तर यहूदी रहनुमा जमा' हुए थे।
  • कई यहूदी रहनुमा मग़रूर थे और अपने आप को नेक समझते थे। * वह 'ईसा से हसद करते थे और उसे नुक़सान पहुंचाना चाहते थे। वह ख़ुदा को जानने का दावा तो करते थे, लेकिन उसके हुक्मों को नहीं मानते थे।
  • “यहूदी” लफ़्ज़ ज़्यादातर यहूदी रहनुमाओं के लिए काम में लिया जाता था। ख़ास करके जब वह 'ईसा से नाराज़ होकर उसे जाल में फंसाना चाहते थे या उसे नुक़सान पहुंचाना चाहते थे।
  • इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा किया जा सकता है, “यहूदी हाकिम” या “यहूदियों के ” या इख़्तियारी हाकिम “यहूदी मज़हबी उस्ताद”

(यह भी देखें: यहूदी, हाकिम-काहिनों, मजलिस, सरदार काहिन, फ़रीसी, काहिन, सदूक़ी, ‘आलिम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 24:03 उन्होंने अपने-अपने गुनाहों को मानकर, बपतिस्मा लिया, बहुत से मज़हबी काहिन यूहन्ना से बपतिस्मा लेने को आए, लेकिन उन्होंने अपने गुनाहों से तौबा न किया |
  • 37:11 लेकिन यहूदियों के मज़हबी उस्ताद ‘ईसा से हसद रखते थे, इसलिए उन्होंने आपस में मिलकर मन्सूबा बनाना चाहा कि कैसे वह 'ईसा और लाजर को मरवा सकें ।
  • 38:02 वह(यहूदा) जानता था कि __ यहूदी उस्तादों__ ने 'ईसा को मसीहा की शक्ल में इन्कार कर दिया था और वह उसे मरवा डालने का मन्सूबा बना रहे थे।
  • 38:03 यहूदी रहनुमाओं ने हाकिम काहिन के ज़िम्मेदारी में 'ईसा को धोखा देने के लिये उसे तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए।
  • 39:05 यहूदी रहनुमाओं ने सरदार काहिन को जवाब दिया, “यह मरने के लायक़ है।”
  • 39:09 अगली सुबह यहूदी रहनुमाओं ने 'ईसा को ले जाकर पिलातुस को सौंप दिया जो एक रोमन गवर्नर था।
  • 39:11 लेकिन यहूदी रहनुमाओं ने चिल्लाकर कहा कि, “इसे सलीब पर चढ़ा दो।”
  • 40:09 तब यूसुफ़ और नीकुदेमुस, दो यहूदी काहिन जिन्हें यक़ीन था कि 'ईसा ही मसीह है, पिलातुस के पास जाकर 'ईसा की लाश को माँगा।
  • 44:07 दूसरे दिन ऐसा हुआ कि __यहूदी काहिन __पतरस और यूहन्ना को लेकर सरदार काहिन के पास गए।

शब्दकोश:

  • Strong's: G2453

यहूदी मज़हब, यहूदियों

ता’अर्रुफ़:

“यहूदी मज़हब” का मतलब है यहूदियों का ,अमली मज़हब इसे “यहूदी मज़हब” भी कहा गया है।

  • पुराने 'अहद नामे में “यहूदी मज़हब” का ज़िक्र है जबकि नये 'अहद नामे में “यहूदी मज़हब” को काम में लिया गया है।
  • यहूदी मज़हब में पुराने 'अहद नामे के क़ानून और इस्राईलियों के 'अमल करने के लिए ख़ुदा के हुक्म थे। उसमें वक़्त के साथ काम में जुड़ने वाली रवाजे और तौर तरीक़े भी थी।
  • यहूदी मज़हब के तर्जुमे में दोनों पुराने और नये 'अहद नामों में भी “यहूदी मज़हब” काम में लिया जा सकता है।
  • “यहूदी मज़हब” का इस्ते'माल सिर्फ़ नये 'अहद नामे में किया जाए क्यूँकि यह लफ़्ज़ इससे पहले नहीं था।

(यह भी देखें: यहूदी, क़ानून )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G2454

याद दिलानेवाले, हदिया याद के लिये

ता’अर्रुफ़:

“ याद दिलानेवाले” या'नी कोई काम या चीज़ जो किसी का या किसी बात को याद कराती है।

  • यह लफ़्ज़ ख़ास तौर में काम में लिया जाता है कि बात का बयान करे जिससे याद हो जैसे “यादगार की नज़र” या “यादगार का हिस्सा ” या “ यादगार के पत्थर”
  • पुराने 'अहद नामे में नज़र पेश की जाती थी कि इस्राईल याद रखें कि ख़ुदा ने उनके लिए क्या किया।
  • ख़ुदा ने इस्राईल के काहिनों को ख़ास लिबास पहनने का हुक्म दिया था जिन पर यादगार के लिए पत्थर लगे थे। * इन पत्थरों पर इस्राईल के बारहों क़बीलों के नाम लिखे थे। ये शायद उन्हें ख़ुदा की क़ाबिलियत का याद कराने के लिए थे।
  • नये 'अहद नामे में, ख़ुदा ने कुरनेलियुस नाम का एक आदमी को नवाज़ा था क्यूँकि वह ग़रीबों पर तरस खाता था। उसके इन कामों को ख़ुदा के सामने “यादगार के लिए” माना गया था।

तर्जुमा की सलाह:

  • इसका तर्जुमा “हमेशा के लिए यादगार ” हो सकता है।
  • “ यादगार के पत्थर” का तर्जुमा “उन्हें याद कराने के लिए पत्थर” हो सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2142, H2146, G3422

रज़ा की क़ुर्बानी, रज़ा की क़ुर्बानियाँ

ता’अर्रुफ़:

रज़ा की क़ुर्बानी ख़ुदा को चढ़ायी जानेवाली क़ुर्बानी थी जिसकी ज़रूरत मूसा की शरी’अत में नही थी। यह इन्सान की अपनी मर्ज़ी की नज़्र थी।

  • अगर रज़ा की क़ुर्बानी में जानवर था तो उस जानवर में कुछ ‘ऐब क़ुबूल थे क्योंकि वह इन्सान की अपनी मर्ज़ी से थी।
  • इस्राईली क़ुर्बानी के जानवर का गोश्त खाते थे जो ‘ईद का हिस्सा था।
  • जब रज़ा की क़ुर्बानी पेश की जा सकती,या इस्राईल की ख़ुशी की वजह थी क्यूँकि इसका मतलब था कि फसल अच्छी हुई है और उनके पास बहुत खाने का सामान है
  • ‘अज़्रा की किताब में एक मुख़तलिफ़ रज़ा की क़ुर्बानी है जो हैकल के दुबारा ता’मीर के लिए चढ़ाई गई थी। इस चढ़ावे में सोना-चाँदी और सोने चाँदी के बर्तन थे।

(यह भी देखें: सोख़्तनी क़ुर्बानी, ‘अज़्रा, दा’वत, अनाज का हदिया, जुर्म का हदिया, शरी’अत, गुनाह का हदिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5068, H5071

रथ, रथों ,रथियों

ता’अर्रुफ़:

पुराने ज़माने में रथ घोड़ो के ज़रिये’ खींची जाने वाली दो पहियों की गाड़ियाँ होती थीं |

  • सवार रथ में बैठते थे या खड़े होते थे और उन्हें आम सवारी के लिए या जंग के लिए काम में लेते थे |

जंग में जिस फ़ौज के पास रथ थे वह सामने वाली फ़ौज जिसके पास रथ नहीं थे उससे ज़्यादा तेज़ व तैयारी में ताक़त रखते थे | पुराने ज़माने में मिस्र और रोमी रथों के इस्ते’माल के लिए जाने जाते थे

(यह भी देखें: अनजाने लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: मिस्र, रोम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

_*12:10_इस लिए वह समन्दर के रास्ते में इस्राईलियों के पीछे चल रहे थे लेकिन ख़ुदा ने उन्हें घबरा दिया ,और उनके _रथो_के पहिये को निकाल डाला जिससे उनका चलना मुश्किल हो गया|

शब्दकोश:

  • Strong's: H668, H2021, H4817, H4818, H5699, H7393, H7395, H7396, H7398, G716, G4480

रहन, वा’दा करना , ‘अहद

ता’अर्रुफ़:

“रहन” रस्मी तौर से और ईमानदारी से की बात को करने या किसी चीज़ को देने का ‘अहद करना।

  • पुराने ‘अहद नामे में इस्राईल के हाकिमों ने दाऊद के साथ वफ़ादारी निभाने का वा’दा किया था।
  • वा’दे को पूरा करने की शकल दी गई चीज़ वा’दा पूरे होने के वक़्त उसके मालिक को लौटा दी जाती थी।
  • “वा’दा करने ” का तर्जुमा हो सकता है, “पूरी तरह हवाले करना” या “पक्का अहद करना”
  • इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल उस चीज़ के लिए भी किया जाता है जो क़र्ज़ चुकाने के भरोसे या रहन की शकल में रखी जाती है।
  • “वा’दा करना ” का तर्जुमा हो सकता है, “पूरी तरह से वा’दा करना” या “रस्मी तौर और हवाले ” या “’अहद ” या “रस्मी तौर पर भरोसा ” मज़मून के मुताबिक़

(यह भी देखें: वा’दा, क़सम, अहद

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H781, H2254, H2258, H5667, H5671, H6148, H6161, H6162

राख, राख, धूल

सच्चाई:

“राख” लफ़्ज़ उस काले पावडर के बारे में काम में लिया जाता है जो लकड़ी के जलने के बा'द रह जाता है। कभी-कभी इस लफ़्ज़ का इस्ते'माल किसी बेकार और निकम्मी चीज़ के लिए भी किया जाता है।

  • कलाम में कभी-कभी राख के लिए "धूल" लफ़्ज़ का इस्ते'माल भी किया गया है। इसके बारे में सूखी ज़मीन की मिट्टी से भी है।
  • “राख का ढेर” या'नी बहुत राख का ढेर पड़ा है।
  • पुराने ज़माने में राख में बैठना दुःख और नौहा का इशारा देता था।
  • नौहा के वक़्त टाट का बना कड़ा चुभनेवाला लिबास पहन कर राख में बैठना या सिर में राख डालना होता था।
  • सिर में राख डालना बे'इज़्ज़त और शर्मिंदगी की भी पहचान थी ।
  • जब कोई किसी निकम्मी चीज़ के लिए कोशिश करता है जो कहा जाता है कि वह “राख खा रहा है”।
  • “राख” लफ़्ज़ का तर्जुमा करते वक़्त मक़सदी ज़बान में ऐसा लफ़्ज़ काम में लें जो जली लकड़ी के जल जाने के बा'द काले चूर्ण को बयान करता है।
  • तवज्जुह दें कि “राख का दरख़्त(राख का दरख़्त)” एक मुकम्मल अलग लफ़्ज़ है।

(यह भी देखें: आग, टाट)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H80, H665, H666, H766, H1854, H6083, H6368, H7834, G2868, G4700, G5077, G5522

राज़, भेदों, भेद, पोशीदा

ता’अर्रुफ़:

कलाम में “राज़” लफ़्ज़ का बयान किसी अंजान या समझने में ला 'इल्म बात से है जिसे ख़ुदा अब ज़ाहिर कर रहा है।

  • नये 'अहद नामे में कहा गया है कि मसीह की ख़ुश ख़बरी गुज़रे हुए ज़माने में एक राज़ की बात थी।
  • एक ख़ास बात जिसे राज़ कहा गया है, वह है कि यहूदी और ग़ैर क़ोम मसीह में एक हैं।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “राज़ ” या “पोशीदा बात” या “अंजान बात” भी किया जा सकता है।

(यह भी देखें: मसीह, ग़ैर क़ोम, अच्छी ख़बर, यहूदी, सच्चाई)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1219, H7328, G3466

रिवायत , रिवायतें

ता’अर्रुफ़:

रिवायत, तहज़ीब और मश्क़ थे जो बहुत ज़माने से इस्तेमाल में रहे और आनेवाली नसलों को दिए गए।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में अक्सर " रिवायतों" लफ़्ज़ जो कि लोगों के ज़रिए’ की गई ता’लीमों और तहजीबों के बारे में बताया जाता है, ख़ुदा की शरी’अत के मुताबिक़ नहीं। ज़ाहिरयत "आदमियों की रिवायत " या "इन्सानों रिवायत " इस को वाज़े’ करता है।
  • जुमला जैसे कि "बाप दादों की रिवायतों" या "मेरे बाप की रिवायतों" खास कर से यहूदी रीति-रिवाजों और रस्मों के लिए ख़ास शक्ल में बयान करता हैं, जो वक़्त के साथ यहूदी रहनुमाओं ने मूसा के ज़रिए’इस्राईलियों को दिए गए क़ानूनों में वक़्त के साथ जोड़ा गया था। अगर चे इन जोडी गई रिवायतें ख़ुदा से नहीं आई थीं, और लोगों ने सोचा कि उन्हें रास्तबाज़ होने के लिए उन्हें इनको मानना होगा।
  • पौलुस रसूल ने “रिवायत” को अलग तरीके से इस्तेमाल किया मसीही मशक के बारे में ता’लीमों को जो ख़ुदा से आया था बयान करने के लिए जो उसने और और रसूलों ने नए ईमानदारों को सिखाया।
  • आज के वक़्त में, कई मसीही रिवायतें हैं जो किताब-ए-मुक़द्दस में सिखाई नहीं जाती हैं बल्कि तावारीखी शक्ल से क़ुबूल किए गए रस्मों -रिवाजों और रिवायत का नतीजा है। ये रिवायतें हमेशा किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा के बारे में हमें सिखाए गए कामों के मुताबिक़ परख की जानी चाहिए।

(यह भी देखें: रसूल , ईमान, मसीही ईमानदार, बाप दादो, नसल, यहूदी, शरी’अत, मूसा)

किताब-ए-मुक़द्दस सन्दर्भ:

शब्दकोश:

  • Strong's: G3862, G3970

रिश्तेदार, रिश्तेदार, रिश्तेदारी, रिश्तेदार, अज़ीज़ मर्द, अज़ीज़ लोग

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ "रिश्तेदार" एक इंसान के ख़ून के रिश्तेदारों को बताता है, जिसे ख़ानदान के तौर पर माना जाता है। लफ़्ज़ "अज़ीज़मर्द" ख़ासतौर से आदमी रिश्तेदार के बारे में बताता है।

  • "रिश्तेदार" सिर्फ़ एक इंसान के क़रीबी रिश्तेदारों को देख सकता है, जैसे माँ-बाप और भाई बहन, या इसमें चाची, चाचा, या चचेरे भाई जैसे ज़्यादा दूर के रिश्तेदार भी शामिल हो सकते हैं।
  • पुराने इस्राईल में, अगर एक आदमी की मौत हो गई, तो उसके क़रीबी आदमी रिश्तेदार से उसकी बेवा से शादी करने, अपनी मीरास का इंतजाम करने और अपने ख़ानदान के नाम को चलाने में मदद की उम्मीद थी। इस रिश्तेदार को "बचाने वाला रिश्तेदार" कहा जाता था।
  • इस लफ़्ज़ "रिश्तेदार" का तर्जुमा "रिश्तेदार" या "ख़ानदान के अफ़राद" के तौर पर भी किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H251, H1350, H4129, H4130, H7138, H7607, G4773

रिश्वत , रिश्वत , रिश्वत दी, रिश्वत लेना

ता'अर्रुफ़:

“रिश्वत ”, किसी से गलत काम करवाने के लिए क़ीमती तोहफ़ा जैसे पैसा देना।

  • 'ईसा की क़ब्र की चौकसी करनेवाले फौजियों को झूठ बोलने के लिए रिश्वत दी गई थी।
  • कभी-कभी सरकारी अफ़सर को जुर्म को नज़रअंदाज़ करने या कोई फ़ैसला लेने के लिए भी रिश्वत दी जाती है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में रिश्वत लेना या रिश्वत देना मना है।
  • “रिश्वत ” लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बेइमानी का पैसा” या “झूठ बोलने के लिए दिया गया पैसा” या “उसूल तोड़ने की क़ीमत ।”
  • “रिश्वत देना” का तर्जुमा ऐसे लफ्ज़ या जुमले के ज़रिये’ किया जा सकता है जिसका मतलब है, “असर डालने के लिए पैसा देना” या “बेईमानी से तरफ़दारी करने की क़ीमत देना” या “तरफ़दारी के लिए पैसा देना।”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3724, H4979, H7809, H7810, H7936, H7966, H8641, G5260

रिहम ,बच्चेदानी

ता’अर्रुफ़:

“रिहम ” या’नी ‘औरत के जिस्म में बच्चे दानी |

  • यह एक पुराना लफ़्ज़ है जिसका इस्तेमाल अच्छाई और सीधी ज़बान के लिए किया गया है। (देखें तमसील ).
  • “रिहम ” का नया लफ़्ज़ है “बच्चे दानी ”।
  • कुछ ज़बानों में रिहम या बच्चेदानी की जगह में “पेट” लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।
  • मक़सदी ज़बान में आम और क़ुदरती व मंज़ूरी लफ़्ज़ का इस्ते’माल करे।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H990, H4578, H7356, H7358, G1064, G2836, G3388

रेगिस्तान , रेगिस्तान, वीरान, सुनसान

ता’अर्रुफ़:

रेगिस्तान या वीरान, एक ख़ुश्क बंजर ज़मीन की जगह होती है जहां बहुत ही कम पेड़ पौधे उगते हैं।

  • रेगिस्तान एक ख़ुश्क आब-ओ-हवा और थोड़े दरख़्त और जानवर की जगह होती है|
  • शख़्त हालात की वजह से, रेगिस्तान में बहुत ही कम लोग रह सकते हैं, इस लिए इसका हवाला “वीरान” के तौर पर देते हैं|
  • “वीरान” दूर होने का मतलब बयान करता है, लोगों से दूर वीरान जगह|
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “वीरान जगह” या “दूर दराज की जगह” या “अजनबी जगह” किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H776, H2723, H3293, H3452, H4057, H6160, H6723, H6728, H6921, H8047, H8414, G2047, G2048

रोज़ा, रोज़े, रोज़ा रखा, रोज़ा, रोज़ा रखना

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “रोज़ा” का मतलब है कुछ वक़्त के लिए खाना नहीं खाना जैसे एक दिन या ज़्यादा वक़्त। कभी-कभी इसमें पानी भी नहीं पिया जाता है।

  • रोज़ा इंसानों को ख़ुदा में दिल लगाने में मदद करता है और खाना पकाने और खाने की फ़िक्र किए बिना दु’आ कर पाएं।
  • ‘ईसा ने यहूदी रहनुमाओं के ज़रिए’ ग़लत वजह से रोज़े से इनकार किया है| रोज़ा रखने में उनका मक़सद था कि लोग उन्हें रास्तबाज़ समझें।
  • इन्सान कभी-कभी दुःख या ग़म की वजह से भी रोज़ा रखता है।
  • “रोज़ा रखना” इस काम का तर्जुमा हो सकता है, “खाने का छोड़ना” या “खाना नहीं खाना”
  • “रोज़ा” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “खाना नहीं, खाने का वक़्त” या “खाना खाने छोड़ने का वक़्त”

(यह भी देखें: यहूदी रहनुमा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 25:01 फ़ौरन ही ‘ईसा के बपतिस्मा लेने के बा’द, रूह ने ‘ईसा को जंगल की ओर भेजा जहाँ उन्होंने चालीस दिन और चालीस रात रोज़ा रखा
  • 34:08 “मिसाल के लिये, मैं सप्ताह में दो बार रोज़ा रखता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ।”
  • 46:10 एक दिन जब अन्ताकिया की कलीसिया के मसीही रोज़ा के साथ ख़ुदावन्द की ‘इबादत कर रहे थे, तो पाक रूह ने कहा, "मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैंने उन्हें बुलाया है।"

शब्दकोश:

  • Strong's: H2908, H5144, H6684, H6685, G777, G3521, G3522, G3523

रोटी

ता'अर्रुफ़:

रोटी, आटे में पानी और तेल मिलाकर बनाई जाती है। आटे को बेलकर रोटी की शक्ल देकर सेंका जाता है।

  • जब “रोटी” लफ्ज़ अकेला हो तो इसका मतलब है, रोटी।
  • रोटी के आटे को फूलाने के लिए उसमें खमीर मिलाया जाता है।
  • रोटी बिना खमीर के भी बनाई जाती है। * किताब-ए-मुक़द्दस में ऐसी रोटी को “बे ख़मीरी रोटी” कहा गया है, यह रोटी यहूदी 'ईद के जशन में खाते थे।
  • रोटी किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में ख़ास खाना होता था, इसे खाने कि जगह में भी काम में लिया गया है। (देखें: इस्ते'माल)
  • “नज़र की रोटियां” घर के ख़ेमे या हैकल में ख़ुदावन्द को अदा की गई बारह रोटियां थी जिन्हें एक सोने की मेज पर रखा जाता था। ये रोटियां इस्राईल के बारह क़बीलों की नुमाइन्दगी करती थी और सिर्फ़ काहिन ही उन्हें खा सकता था। इसका तर्जुमा हो सकता है, “उनमें ख़ुदा की हाज़री के नज़र की रोटियां।”
  • 'अलामती लफ्ज़, “जन्नत की रोटी” खास सफेद रंग की अन्न, मन्ना के बारे में है, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों के लिए जंगल में इसका ज़िक्र किया था।
  • 'ईसा ने ख़ुद को “जन्नत से उतरने वाली रोटी” और “ज़िन्दगी की रोटी” कहा है।
  • 'ईसा अपने शागिर्दों के साथ 'ईद का खाना खा रहा था तब उसने अपने जिस्म को बेख़मीरी रोटी कहा था जो घायल की जायेगी और आख़िर में सलीब पर मार दी जायेगी।
  • कई जगहों में “रोटी” का तर्जुमा “खाना” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: 'ईद , ख़ेमा , हैकल , बेख़मीरी रोटी, ख़मीर )

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2557, H3899, H4635, H4682, G106, G740, G4286

रोशनी, रोशनियाँ, रोशनी होना, बिजलियाँ, दिन की रोशनी, सूरज की रोशनी, शाम, रोशन, रोशन हुआ

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “रोशनी” लफ़्ज़ के कई ‘अलामती इस्ते’माल किए गए हैं। इसका इस्ते’माल ज़्यादातर रास्तबाज़ी, पाकीज़गी और सच की मिसालों के ज़रिए’ किया जाता है। (देखें: मिसाल

  • ‘ईसा ने कहा, “दुनिया की रोशनी मैं हूँ” उसके कहने का मतलब था वह दुनिया को ख़ुदा का सच्चा पैग़ाम सुनाता है और इनसानों को उनके गुनाहों की तरीकी से उबारता है।
  • ईमानदारों को हुक्म दिया गया है, “रोशनी में चलो” या’नी उन्हें ख़ुदा की मर्ज़ी के मुताबिक़ ज़िन्दगी जीना है और बुराई से बचना है।
  • रसूल युहन्ना ने कहा, “ख़ुदा रोशनी है” और उसमें तारीकी नहीं
  • रोशनी और तारीकी एक दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं। तारीकी का मतलब है रोशनी की ग़ैरमोजूदगी|
  • ‘ईसा ने कहा कि वह “दुनिया की रोशनी है” और उसके ईमानदारों को दुनिया में रोशनी की तरह चमकना है, उन्हें ऐसी ज़िन्दगी रखना है जिससे साफ़ ज़ाहिर हो कि ख़ुदा कैसा बड़ा है।
  • “रोशनी में चलो” का मतलब ऐसी ज़िन्दगी रखो जिससे ख़ुदा ख़ुश होता है या’नी भलाई और अच्छे काम करो। अन्धकार में चलने का अर्थ है, ख़ुदा से बग़ावत करना और परेशान करना।

तर्जुमे की सलाह:

  • जब तर्जुमा करें, “रोशनी” और “तारीकी” अलफ़ाज़ को ज्यों का त्यों रखा जाए चाहे उनका इस्ते’माल ‘अलामती हो।
  • मज़मून के मुक़ाबले का ज़िक्र करना ज़रूरी है। मिसाल के तौर पर, “रोशनी की औलाद की तरह चलो” इसका तर्जुमा हो सकता है, खुली रास्तबाज़ी की ज़िन्दगी जिओ जैसे कोई सूरज की तेज़ रोशनी में चलता है”।
  • यक़ीनी बनाएं कि “रोशनी” का तर्जुमा ऐसा इशारा दे कि वह रोशनी का ज़रिया’ है जैसे चराग़| इस लफ़्ज़ का तर्जुमा उजियाला ही का हवाला है।

(यह भी देखें: तारीकी, पाक, नजात, सच)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H216, H217, H3313, H3974, H4237, H5051, H5094, H5105, H5216, H6348, H7052, H7837, G681, G796, G1645, G2985, G3088, G5338, G5457, G5458, G5460, G5462

रौंदना, रौंदेगा, पामाल , पामाल करना

ता’अर्रुफ़:

“कुचलना” या’नी पांव रखकर बर्बाद कर देना। किताब-ए-मुक़द्दस में इस जुमले का इस्तेमाल तमसीली शक्ल में भी किया जाता है, “पामाल करना” या “हराना” या “बेईज्ज़त करना” है।

  • "रौंदना" का एक और मिसाल हो सकती है लोगों के ज़रिए’ मैदान में दौड़ने की वजह घास का कुचला जाना ।

  • पुराने ज़माने में, अंगूर को पांवों से कुचला (रौंदा) जाता था कि उसका रस निकले।

  • कभी-कभी "रौंदना" का तमसीली मतलब है "बेइज़्ज़त करके सज़ा देना " की बराबरी यह खलिहान के लिए गन्दगी कुचलता है।

  • “रौंदना” लफ़्ज़ ख़ुदा के ज़रिए’ इस्राईल को सज़ा देने के लिए अक्सर तमसीली शक्ल में काम में लिया गया है कि उन्हें उनके ग़ुरूर और बग़ावत की मिज़ाज से गिराया जाए।

  • "रौंदने " का और तर्जुमा हो सकता है, “पांवों तले कुचलना” या “पांवों से रौंदना” या “ठोकना और कुचलना” या “जमीन में रौंदना”।

  • बयान के मुताबिक़ , इस लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है।

  • बयान के मुताबिक़ , इस लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दसके बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H947, H1758, H1869, H4001, H4823, H7429, H7512, G2662, G3961

लटकाना, लटकाए, लटकाया गया, लटकाकर, पर्दे, लटका दिया

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “लटका हुआ” का मतलब किसी चीज़ या इन्सान को ज़मीन से ऊपर अधर में रखना।

  • फाँसी देकर मारने में रस्सी का फँदा बनाकर इन्सान के गले में डाला जाता है और उसे पेड़ की डाली पर ज़मीन से ऊपर करके लटका दिया जाता है। यहूदा ने फाँसी लगाकर ख़ुदकशी की थी।
  • सलीब पर लटका कर ‘ईसा की मौत हुई, उसके गर्दन पर कुछ नहीं था: सिपाहियों ने उसके हाथ और पाँवों को सलीब की लकड़ी पर कीलों से ठोंका था और उसे सलीब पर लटकाया था।
  • किसी को फाँसी देने का मतलब है रस्सी का फँदा उसके गले में डालकर उसे लटका देना।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2614, H3363, H8518, G519

लाठी, छड़ें

ता’अर्रुफ़:

“लाठी” एक पतली लम्बी लकड़ी होती है जिसका उपयोग नाना प्रकार से किया जाता है। इसकी लम्बाई लगभग एक मीटर की होती थी

  • चरवाहे हिंसक पशुओं से भेड़ों की रक्षा करने के लिए लाठी साथ रखते थे। लाठी फेंक कर भटकती हुई भेड़ को झुण्ड में लाया जाता था।
  • भजन 23 में राजा दाऊद ने “छड़ी” और “लाठी” शब्दों को काम में लिया हैं जो उसके लोगों के लिए उसके मार्गदर्शन और अनुशासन के रूपक हैं।
  • चरवाहा अपनी लाठी उठाकर भेड़ों की गिनती करता था।
  • “लोहे का दण्ड” भी परमेश्वर से विमुख काम करने वालों के लिए परमेश्वर के दण्ड का प्रतीक है।
  • प्राचीन युग में मापदण्ड धातु, लकड़ी या पत्थर के बने होते थे जिनकी सहायता से किसी ईमारत या वस्तु की लम्बाई नापी जाती थी।
  • बाइबल में लकड़ी की छड़ी बच्चों के अनुशासन के लिए काम में ली जाती थी।

(यह भी देखें:लाठी, भेड़, चरवाहे)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2415, H4294, H4731, H7626, G2563, G4463, G4464

लायक़ करना, लायक़ , निकम्मा ठहरा

ता’अर्रुफ़:

“लायक़ करना” का बयान फ़ायदा पाने का इख़्तियार होना या क़ाबिलयत के लिए पहचाना जाना।

  • किसी काम के लिए “लायक़” इन्सान के पास उस काम को करने की ज़रूरी क़ाबिलयत और तरबियत होती है।
  • कुलुस्से की कलीसिया के लिये ख़त में पौलुस लिखता है कि ख़ुदा बाप ने ईमानदारों को नूर की बादशाहत में शरीक होने के “लायक़” बनाया है। इसका मतलब है कि खुदा ने उन्हें वह सब दिया है जो ख़ुदा -की फ़र्माबर्दारी की ज़िन्दगी जीने के लिए ज़रूरी है।
  • ईमानदार ख़ुदा की बादशाहत का हाकिम ख़ुद नहीं हो सकता है वह केवल मसीह के लहू के ज़रिए’ नजात के लायक़ ठहरता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के तर्जुमे “लायक़” का तर्जुमा “पूरा ” या “क़ाबिल ” या “मुस्तहक ” हो सकता है।
  • किसी को “लायक़ करना” बनाने का तर्जुमा “पूरा करना” या “लायक़ बनाना” या “लायक़ बनाना” हो सकता है।

(यह भी देखें: कुलुस्से, दीनदार , मुल्क , नूर , पौलुस, नजात दिलाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3581

लिखा गया

ता’अर्रुफ़:

“जैसा लिखा है” या “जो लिखा है” नये ‘अहद नामे में यह जुमला बार-बार आता है जो इब्रानी किताब-ए-मुक़द्दस के हुक्मों और नबूव्वतों के बारे में है।

  • कभी कभी “जैसा लिखा है” मूसा की शरी’अत की बातों के बारे में भी काम में लिया गया है।
  • अगर यह जूमला पुराने ‘अहद नामे की नबूव्वतों के लिखे हुए के बारे में हैं।
  • इसका तर्जुमा हो सकता है, “जैसा मूसा की शरी’अत में लिखा है” या “जैसा नबियों ने सालों पहले लिखा था” या “मूसा की लिखी ख़ुदा की शरी’अत में कहा गया है”।
  • एक तरीक़ा यह भी है कि इसे जैसे का जैसा ही रखें, “लिखा है कि” और लिखी तहरीर में इसका मतलब वाज़े’ करें।

(यह भी देखें: हुक्म, शरी’अत, नबी, ख़ुदा का कलाम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3789, H7559, G1125

लोबान

ता’अर्रुफ़:

लोबान पेड़ के रस से बना एक ख़ुशबूदार मसाला है। यह ‘इत्र और धूप बनाने के लिए इस्ते’माल किया जाता है|

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, मुर्दों को दफ़न के लिए तैयार करने में लोबान एक बहुत ही ख़ास मसाला था।
  • यह मसाला शिफ़ा और ताक़त देने की ख़ुसीसियत के लिए अहमियत रखता है।
  • जब नजूमी बलक़ ‘ईसा से मिलने से पहले चलकर बैतलहम आए थे तब जो तोहफ़ा वे लाए थे उनमें लोबान भी था।

(यह भी देखें: बैतलहम, नजूमी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3828, G3030

लौट आना, लौट आना, लौटकर, लौट रहे

ता’अर्रुफ़:

“लौट आना” या’नी दुबारा लौट जाना या किसी चीज़ को फेर देना।

  • “पर लौट आना” या’नी दुबारा वही काम करना। "लौट आना" किसी मक़ाम या आदमी की ओर का मतलब है किसी मक़ाम या आदमी के पास लौट जाना
  • इस्राईली बुतपरस्ती में लौट आए, या’नी उन्होंने बुतपरस्ती की दुबारा शुरू’आत कर दी थी|
  • जब वे यहोवा के पास लौट आए, तो उन्होंने तौबा किया और यहोवा की फिर से ‘इबादत की।
  • किसी ली गई ज़मीन या चीज़ लौटाने का मतलब था जिसकी वह दौलत थी उसको दुबारा उसे दे देना।

(यह भी देखें: फिरना

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5437, H7725, H7729, H8421, H8666, G344, G360, G390, G1877, G1880, G1994, G5290

वक़्त , वक़्त के मुताबिक़ , वक़्त, ख़ास

सच्चाई:

किताब-ए-मुक़द्दस में "वक़्त " लफ़्ज़ का इस्ते’माल तमसीली शक्ल में ख़ास मौसम या वक़्त की वक़्तों के बारे में में किया गया है जब कुछ हादसे हुए थे इसका मतलब “ज़माने ” या “मुद्दत ” या “मौसम ” की तरह है।

  • दानीएल और मुकाशिफ़ा दोनों किताबों में "वक़्त " का इशारा तक़लीफ़ और दर्द से है जो ज़मीन पर आएंगी।
  • “वक़्त , वक़्तों और आधे वक़्त ” इस जुमले में वक़्त का मतलब है, “साल ” यह जूमला साढ़े तीन साल के वक़्त के बारे में है जो अज़ीम दर्द भरपूर इस मौजूदा ज़माने के आखिर का वक़्त है।
  • "वक़्त " का मतलब "मौक़ा’" एक जूमले में "तीसरी बार" की शक्ल में हो सकता है। जुमला "कई बार" का मतलब "कई मौक़ों’ पर" हो सकता है।
  • "वक़्त पर" होने का मतलब तब आना जब आने की उम्मीद है, देर से नहीं।
  • मज़मून के मुताबिक़ “वक़्त ” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मौसम” या “मुद्दत ” या “लम्हा ” या "हादसा " या "माजरा " हो सकता है ।
  • “वक़्तों और मौसमों ” यह जुमला , तमसीली तौर पर एक ही ख़्याल को बार-बार ज़ाहिर करती है। इसका तर्जुमा हो सकता है, “किसी मुक़र्रर वक़्त में हादसों का होना” (देखें :जोड़ा

(यह भी देखें: ज़माना, दर्द

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H116, H227, H268, H310, H570, H865, H1697, H1755, H2165, H2166, H2233, H2465, H3027, H3117, H3118, H3119, H3259, H3427, H3706, H3967, H4150, H4279, H4489, H4557, H5331, H5703, H5732, H5750, H5769, H6049, H6235, H6256, H6258, H6440, H6471, H6635, H6924, H7105, H7138, H7223, H7272, H7281, H7637, H7651, H7655, H7659, H7674, H7992, H8027, H8032, H8138, H8145, H8462, H8543, G744, G530, G1074, G1208, G1441, G1597, G1626, G1909, G2034, G2119, G2121, G2235, G2250, G2540, G3379, G3461, G3568, G3763, G3764, G3819, G3956, G3999, G4178, G4181, G4183, G4218, G4277, G4287, G4340, G4455, G5119, G5151, G5305, G5550, G5551, G5610

वक़्त (किताब-ए-मुक़द्दस का वक़्त

ता'र्रुफ़:

किताब-ए- मुक़द्दस के ज़माने में “वक़्त ” रात का एक वक़्त था जिस वक़्त शहर को दुश्मन के ख़तरे से पहरेदार हिफाज़त करता था।

  • पुराने 'अहद नामें में इस्राईल के लिए तीन लम्हे होते थे, पहला, ग़ुरूब आफ़ताब से रात 10 बजे तक, दूसरी रात दस बजे से 2 बजे तक, और सुबह, 2 बजे से तुलु'आफ़ताब तक।
  • नये 'अहद नामें में यहूदी रोमी तरीक़े पर चलने लगे थे जिसमें रात चार वक़्त में तक़सीम थी, पहला (ग़ुरूब आफ़ताब से रात 9 बजे तक), दूसरी (रात 9 बजे से आधी रात 12 बजे तक), तीसरा (आधी रात 12 बजे से सुबह 3 बजे तक) और चौथा (3 बजे से तुलु' आफ़ताब तक)।
  • इसका तर्जुमा कई 'आम शक्ल में “देर शाम या आधी रात या सुबह” जो निर्भर करता है कि किस वक़्त की बात की जा रही है।

(यह भी देखें:वक़्त )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H821, G5438

वारिस, वारिसों

ता’अर्रुफ़:

“वारिस” वह इन्सान है जो मुर्दे की जायदाद या दौलत को कानूनी तौर से हासिल करता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में, पहलौठा बेटा ख़ास वारिस होता है, जिसे बाप की जायदाद और दौलत का ज़्यादा हिस्सा मिलता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “वारिस” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी किया गया है, ईमानदार ख़ुदा बाप से रूहानी मुनाफ़ा पाते हैं।
  • ख़ुदा की औलाद होने के नाते ईमानदार मसीह ‘ईसा के “साथी वारिस” कहलाते हैं। इसका तर्जुमा हो सकता है, “साथीवारिस” या “साथी वारिसों” या “के साथ वारिस”।
  • “वारिस” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “फ़ायदा हासिल करनेवाला इन्सान” या अपने वालिदैन या रिश्तेदार के मरने पर दौलत-ओ-जायदाद हासिल करने वाले के लिए जो भी लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।

(यह भी देखें: पहलौठा,मीरास)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1121, H3423, G2816, G2818, G2820, G4789

वीणा, तार वाला बाजा, सारंगियाँ

ता’अर्रुफ़:

“वीणा” और “तारवाला बाजा” ये मोशिकी के सामान ख़ुदा की ‘इबादत में इस्राईल के ज़रिए’ काम में लिए जाते थे।

  • मोशीकी का यह सामान एक छोटे वीणा की तरह दिखता है, जिसमें एक चौखटे में तार लगा होता था।
  • जिसे तारवाला बाजा कहा गया है वह क़ाफ़ी कुछ आज के गिटार जैसा होता था एक खोखला डब्बा और लम्बी डंडी जिस पर तार कसे होते थे।
  • मोशीकी को बजाने के लिए एक हाथ से तारों को दबाया जाता था और दूसरे हाथ से उन तारों को छेड़ा जाता था।
  • वीणा, तारवाला बाजा और सारंगी सबको तार छेड़ कर बजाया जाता था।
  • इनके तारों की गिनती अलग-अलग थी लेकिन पुराने ‘अहदनामे में ज़ाहिरी ज़िक्र किया गया है कि दस तार वाले बाजे।

(यह भी देखें: वीणा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3658, H5035, H5443

वीणा, वीणाओं, बजानेवाला, वीणा बजानेवाले

ता’अर्रुफ़ :

  • वीणा, एक तारवाला बजाने सामान होता था।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में चीड़ की लकड़ी से वीणा और दुसरी तरह के बजाने वाले सामान बनाए जाते थे।

  • वीणा हाथ में उठाकर चलते हुए बजाया जाता था।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में वीणा ख़ुदा की हम्द और परस्तिस में बजाई जाती थी।

  • दाऊद के बहुत से ज़ुबूर वीणा की मोशीकी पर बनाए गए थे।

  • वह बादशाह शाऊल की परेशान रूह को सुकून देने के लिए भी वीणा बजाता था।

(यह भी देखें: दाऊद, सनोबर, ज़ुबूर, शाऊल (पुराना ‘अहदनामा))

किताब-ए-मुक़द्दस :

शब्दकोश:

  • Strong's: H3658, H5035, H5059, H7030, G2788, G2789, G2790

शख़्त, बहुत शख़्त, सबसे शख़्त, शख़्त, शख़्त कर लेता है, शख़्त हुआ, शख़्त होना, शख़्ती

ता’अर्रुफ़:

  • “शख़्त” लफ़्ज़ के मुख़तलिफ़ मतलब हैं, मज़मून पर मुनहस्सिर| यह लफ़्ज़ अमूमन किसी मुश्किल, मुसलसल या ज़िद्दी बात का ज़िक्र करता है।

  • “शख़्त दिल” “ज़िद्दी” उन लोगों के बारे में है जो ज़िद करके पछतावा नहीं करते। यह इज़हार उन लोगों का ज़िक्र करता है जो ख़ुदा का हुक्म न मानने की ज़िद करते हैं।

  • ‘अलामती इज़हार “दिलों की शख़्ती” और “उनके दिलों की शख़्ती” का हवाला भी ज़िद्दी नाफ़रमानी से है।

  • अगर किसी का दिल “शख़्त” है तो इसका मतलब है कि ऐसा इन्सान हुक्म मानने से इन्कार करता है और तौबा न करने की ज़िद करता है।

  • जब इसे फ़े’अल ख़ुसूसियत के तौर पर काम में लिया जाता है जैसे “शख़्त मेहनत” या “मुश्किल कोशिश” तो इसका मतलब है किसी काम को मज़बूती के साथ कोशिश से करना, किसी काम को बहुत सही तौर से करने की कोशिश करना।

तर्जुमे की सलाह:

  • “शख़्त” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मुश्किल” या “ज़िद्दी” या “चुनौती से भरा” किया जा सकता है, जो मज़मून पर मुनहस्सिर हो।
  • “शख़्ती” लफ़्ज़ या “दिल की शख़्ती” या “शख़्त दिल” का तर्जुमा “ज़िद्दी पन” या “मुसलसल बग़ावत” या “बाग़ी आदत” या “ज़िद्दी नाफ़रमानी” या “ज़िद करके तौबा न करना” किया जा सकता है।
  • “शख़्त हो गया” का तर्जुमा “तौबा की ज़िद” या “हुक्म मानने से इन्कार” किया जा सकता है।
  • “अपने दिलों को शख़्त मत करो” का तर्जुमा “तौबा से इन्कार मत करो” या “ज़िद करके नाफ़रमानी मत करो”।
  • “हठीले” के तर्जुमे के तरीक़े हैं, “ज़िद्दी नाफ़रमानी” या “मुसलसल नाफ़रमानी करना” या “तौबा का इन्कार” या “हमेशा बग़ावत करना”
  • इज़हार में जैसे “शख़्त मेहनत करना” या “मुश्किल कोशिश करना” इसे “शख़्त” का तर्जुमा “कोशिश के साथ” या “लगन के साथ” किया जा सकता है।
  • “दौड़ा चला जाता हूँ” का तर्जुमा “ज़ोर से आगे बढ़ता हूँ” या “हिम्मत से बढ़ता हूँ”।
  • “इन्सानों को शख़्त मेहनत करके दुःख देना” (ज़ुल्म करना) इसका तर्जुमा “इन्सान से ऐसी शख़्त मेहनत कराना कि वे परेशान हों” या “इन्सानों को बहुत ज़्यादा मुश्किल काम के ज़रिए’ दुःख देना”।
  • ‘औरत का बच्चा जनना भी शख़्त मेहनत है।

(यह भी देखें: नाफ़रमानी, बुरा, दिल, दर्द-ए-ज़ेह, ज़िद्दी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H280, H386, H553, H1692, H2388, H2389, H2420, H2864, H3021, H3332, H3513, H3515, H3966, H4165, H4522, H5450, H5539, H5564, H5646, H5647, H5797, H5810, H5980, H5999, H6089, H6277, H6381, H6635, H7185, H7186, H7188, H7280, H8068, H8307, H8631, G917, G1419, G1421, G1422, G1423, G1425, G2205, G2532, G2553, G2872, G2873, G3425, G3433, G4053, G4183, G4456, G4457, G4641, G4642, G4643, G4645, G4912, G4927

शर्मिंदा करना, बे’इज़्ज़ती, हलीमी

सच्चाई:

“शर्मिन्दा करना” का मतलब है किसी की बे’इज़्ज़ती और शर्मिंदा करना। यह अक्सर अवामी होता है किसी को शर्मिंदा करने का काम “बे’इज़्ज़ती” है।

  • जब ख़ुदा किसी को हलीम बनाता है तो इसका मतलब है, वह मग़रूर को नाकाम करता है कि गुरूर पर जीत पाने में उसकी मदद करे। यह बे’इज़्ज़ती से अलग है जो किसी को दुःख पहुँचाने के लिए किया जाता है।
  • “बे’इज़्ज़ती” का मतलब शर्मिंदा करना भी हो सकता है या “शर्मे की अह्सास” या “शर्म”।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर बे’इज़्ज़ती के तर्जुमे हो सकते है, “शर्म” या “बे’इज़्ज़ती” या “शर्मिंदगी”

(यह भी देखें: बे’इज़्ज़ती · हलीम · शर्म)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H937, H954, H1421, H2778, H2781, H3001, H3637, H3639, H6030, H6031, H6256, H7034, H7043, H7511, H7817, H8216, H8213, H8217, H8589, G2617, G5014

शहज़ादा , शहज़ादे, शहज़ादी , शाह्ज़ादियाँ

ता’अर्रुफ़:

“शहज़ादा” बादशाह का बेटा होता है। “शहज़ादी” बादशाह की बेटी होती है।

  • “शहज़ादा” लफ़्ज़ को अलामती शक्ल में भी काम में लिया जाता है जो रहनुमा , हाकिम या और इख़्तियार पाए हुए इन्सान के लिए होता है।
  • इब्राहीम का माल-ओ-दौलत और इज़्ज़त की वजह से हित्ती लोग उसे “शहज़ादा” कहते थे।
  • दानीएल की किताब में “शहज़ादा” लफ़्ज़ “फ़ारस का शहज़ादा” या “यूनान का शहज़ादा” के बारे में काम में लिया गया है। जिसका मुमकिन मक़सद उन क़ुदरती बदरूहों से है जो उस ‘इलाक़े पर इख़्तियार रखती थी।
  • दानीएल की किताब में सरदार फ़रिश्ता मीकाईल को भी “शहज़ादा” कहा गया है।
  • कलाम में कहीं कहीं शैतान को “इस दुनिया का हाकिम” कहा गया है।
  • ‘ईसा को “सलामती का शहज़ादा “ और “ज़िन्दगी का शहज़ादा” कहा गया है।
  • रसूलों के आमाल 2:36 में ‘ईसा को “ख़ुदावन्द और मसीह” कहा गया है और रसूलों केआमाल . 5:31 में इसे “ख़ुदावन्द औ रनजात दहिन्दा ” कहा गया है जिससे “ख़ुदावन्द ” और “शहज़ादा” के एक जैसे मतलब ज़ाहिर होते हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • “शहज़ादा” के तर्जुमे की शक्ल हो सकते है, “बादशाह काबेटा ” या “हाकिम ” या “रहनुमा ” या “मुखिया” या “कप्तान”।
  • फ़रिश्तों के बारे में इसका तर्जुमा “रूह का हाकिम ” या “रहनुमाई करनेवाला फ़रिश्ता ” हो सकता है।
  • शैतान और बदरूहों के बारे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बदरूहों का हाकिम ” या ताक़ती रूह “रहनुमा ” या “हाकिम रूह ” जैसे जो मज़मून पर मुनहसिर हों।

(यह भी देखें: फ़रिश्ता, इख्तियार, ‘ईसा, शैतान, ख़ुदा, ताक़त, हाकिम, शैतान, मुन्जी, रूह

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1, H117, H324, H2831, H3548, H4502, H5057, H5081, H5139, H5257, H5387, H5633, H5993, H6579, H7101, H7261, H7333, H7336, H7786, H7991, H8269, H8282, H8323, G747, G758, G1413, G2232, G3175

शहद, शहद का छत्ता

ता’अर्रुफ़:

“शहद” खानेवाला एक चिपचिपी मीठी चीज़ होती है जो शहद की मक्खियाँ फूलों के रस से तैयार करती हैं। छत्ता मोम का बना हुआ साँचा है, जिसमें शहद की मक्खियाँ शहद जमा’ करती हैं।

  • शहद का रंग कुछ पीला या कुछ भूरा होता है।
  • शहद पेड़ के खोखले मक़ाम में या जहाँ भी शहद की मक्खी छत्ता बनाए वहाँ मिलेगा। लोग शहद की मक्खियों को पालकर शहद खाते हैं या बेचते हैं लेकिन किताब-ए-मुक़द्दस में जिस शहद की मक्खी का ज़िक्र किया गया है वह जंगली शहद है।
  • किताब-इ-मुक़द्दस में तीन इन्सानों को शहदखाते हुए ज़ाहिर किया गया है, यूनातन, शमसून और यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला।
  • इस लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किसी मीठी या ख़ुशी देने वाली बात के लिए भी किया गया है। मिसाल के तौर पर, ख़ुदा का कलाम और हुक्म "शहद से भी ज़्यादा मीठे" कहे गए हैं। (यह भी देखें: Simile, इस्ता’रा
  • कभी-कभी इन्सान के अलफ़ाज़ को भी शहद के बराबर मीठा कहा जाता है लेकिन जिसका नतीजा इन्सानों से धोखा और नुक़सान होता है।

यूहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला), यूनातान, फ़िलिस्ती, शमसून

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1706, H3293, H3295, H5317, H6688, G2781, G3192, G3193

शान

ता'अर्रुफ़ :

लफ़्ज़ "शान" का मतलब इन्तिहाई ख़ूबसूरती और लालित्य है जो अक्सर माल और एक शानदार शक्ल से जुड़ा होता है ।

  • “शान” लफ़्ज़ ज़्यादातर बादशाह के पास कितना माल है या उसके बेश क़ीमती ख़ूबसूरत लिबास में वह कैसे दिखते है बयान करने के लिए इस्ते'माल किया जाता है।
  • "शान" लफ़्ज़ दरख़्तों, पहाड़ों और ख़ुदा की मख़लूक़ की कई चीज़ों का बयान करने के लिए भी किया जाता है।
  • कुछ शहरों को भी शान वाला कहा जाता है, उनके क़ुदरती वसायल , बड़ी 'ईमारतों और सड़कों और रहने वालों के माल जायदाद जिसमें ज़ेवरात, सोना-चांदी वग़ैरह है ।
  • मज़मून पर मुन्हसिर , यह लफ़्ज़ "शानदार ख़ूबसूरती" या "बे पनाह जलाल " या "’अज़ीम बादशाहत " की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।

(यह भी देखें: जलाल , राजा बादशाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1925, H1926, H1927, H1935, H2091, H2122, H2892, H3314, H3519, H6643, H7613, H8597

शान-ओ-शौकत, रईसों, दौलतमन्द इन्सान, मोहतरम

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “मोहतरम” का मतलब अच्छाई और ऊँची ख़ुसूसियत की चीज़| “शोहरतमन्द” ऊंचे सियासी या समाजी दर्जे का इन्सान। एक इंसान " मोहतरम की पैदाइश " वह है जो एक बड़े शख़्स की पैदाइश हुई है।

  • किसी बादशाह का मुलाज़िम, बादशाह का क़रीबी ख़ादिम क़रीबी ख़ादिम होता था।
  • लफ़्ज़ “धनी इन्सान” का तर्जुमा “बादशाह का मुलाज़िम” या “सरकारी मुलाज़िम” किया जा सकता है।

‏##‏ किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में: ‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H117, H678, H1281, H1419, H2715, H3358, H3513, H5057, H5081, H6440, H6579, H7336, H7261, H8282, H8269, H8321, G937, G2104, G2903

शाही, बादशाही शान

ता’अर्रुफ़:

“शाही” लफ़्ज़ बादशाह या मलिका से मुता’अल्लिक़ चीज़ों और इन्सानों का इशारा देता है।

  • जो चीज़ें “बादशाही” कहलाती हैं उनकी मिसालें हैं, लिबास महल, तख़्त और ताज|
  • बादशाह या मलिका बादशाही महल में रहते हैं।
  • बादशाह के लिबास “शाही लिबास” कहलाती है। बादशाह का चोगा बैंगनी रंग का होता था बैंगनी रंग कम मौजूद और बेशक़ीमत होता था।
  • नये ‘अहदनामे में ‘ईसा के ईमानदारों को “शाही काहिन” कहा गया है। इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, ख़ुदा बादशाह की ख़िदमत में काहिन” या “ख़ुदा बादशाह के काहिन होने लिए बुलाए गए।”
  • “शाही” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बादशाह की तरह” या “बादशाह के”।

(यह भी देखें: बादशाह. महल, काहिन, बैंजनी, मलिका, चोगा)

किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H643, H1921, H1935, H4410, H4428, H4430, H4437, H4438, H4467, H4468, H7985, H8237, G933, G934, G937

शिकार , शिकार करना

ता’अर्रुफ़

लफ़्ज़ "शिकार " हमेशा खाने के लिए किसी जानवर का शिकार करना।

  • तम्सीली मतलब में “शिकार” लफ़्ज़ उस आदमी के लिए भी काम में लिया जा सकता है जिसका फ़ायदा उठाया जाए, ग़लत इस्ते’माल किया जाए या ज़्यादा ताक़तवर आदमी के ज़रिये’ उस पर ज़ुल्म किया जाए।
  • इन्सानों को “गारत ” करना या’नी उन पर ज़ुल्म करके फ़ायदा उठाना या उनकी चोरी करना।
  • “शिकार ” का “तर्जुमा किया गया जानवर ” या “जिसका शिकार किया गया है” या “शिकार”

(यह भी देखें:ज़ुल्म )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H400, H957, H961, H962, H2863, H2963, H2964, H4455, H5706, H5861, H7997, H7998

शिफ़ा, शिफ़ा किया, शिफ़ा करना, शिफ़ा हो गया, शिफ़ा करने, शिफ़ा करनेवाला, सेहतियाब, बीमार

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “शिफ़ा करना” मतलब बीमार, अंधे या अपाहिज को शिफ़ा ‘अता करना।

  • चंगाई पाने वाला या “बीमारी से शिफ़ा पाया इन्सान” “अच्छा किया गया” या “सेहतियाब किया गया” होना है।
  • चंगाई क़ुदरत भी होती है क्योंकि ख़ुदा ने हमारे जिस्म को बहुत क़िस्म की चोटों और बीमारियों से शिफ़ा हो जाने की सलाहियत ‘अता की है। ऐसी शिफ़ा धीरे धीरे होती है।
  • ताहम जैसे अंधा होना, अपाहिज और कोढ़ अपने आप शिफ़ा नहीं पाते हैं। जब इन्सान को ऐसी बीमारियों या अपाहिज से शिफ़ा मिलती है तो वह एक मो’जिज़ा होता है।
  • मिसाल के तौर पर ‘ईसा ने बहुत से अंधों, लंगड़ो और रोगियों को फ़ौरन शिफ़ा दी थी और वे उसी पल सेहतमन्द हो गए थे।
  • रसूलों ने भी बीमारों को मो’जिज़े से शिफ़ा दी थी जैसे पतरस ने एक लंगड़े को चलने के क़ाबिल बनाया था।

(यह भी देखें: मो’जिज़ा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • __19:14__जिनमे से एक मो’जिज़ा नामान नाम के इन्सान की ज़िन्दगी में हुआ, वह दुश्मनों की फ़ौज का रहनुमा था और कोढ़ी था। उसने एलीशा के बारे में सुना था तो वह एलीशा के पास गया कि वह उसे __ शिफ़ा__दे।
  • 21:10 उसने यह भी नबूव्वत की थी , कि मसीह बीमारों को __ शिफ़ा __ देगा, तब अन्धे की आँखें खोली जाएँगी, बहरों के कान भी खोले जाएँगे, लंगड़े चलने लगेंगे, गूँगे बोल उठेंगे।
  • 26:06 ‘ईसा ने कहना जारी रखा,“और एलीशा नबी के वक़्त इस्राईल में बहुत से कोढ़ी थे, और ऐसे भी थे जिन्हें जिल्द की बीमारी थी। लेकिन एलीशा ने उनमें से किसी को भी __ शिफ़ा __ नहीं किया| उसने सिर्फ़ इस्राईल के दुश्मनों के एक फ़ौजी रहनुमा, नामान की जिल्द की बीमारी को __ शिफ़ा __ दी”
  • 26:08 वह ‘ईसा के पास बहुत से लोगों को लाए जो बहुत सी बीमारियों में मुब्तिला थे, उनमें लंगड़े थे, और वे लोग थे, जो बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे और इन सभी को ‘ईसा ने __ शिफ़ा दी__।
  • 32:14 उसने ‘ईसा का ज़िक्र सुना था कि वह बीमारों को ठीक करता है और उसने सोचा कि अगर मैं ‘ईसा के कपड़ों को ही छू लूँगी तो __ शिफ़ा__पा जाऊँगी__ , ”
  • 44:03 फ़ौरन, ख़ुदा ने उस लँगड़े इन्सान को शिफ़ा दी, तब उसने चलना और चारों ओर कूदना शुरू’ किया और ख़ुदा की ता’रीफ़ करने लगा।
  • 44:08 तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “’ईसा मसीह की क़ुदरत से यह इन्सान तुम्हारे सामने शिफ़ा पाया खड़ा है।
  • 49:02 ‘ईसा बहुत से मो’जिज़े किये जो यह साबित करते हैं कि वह ख़ुदा है। वह पानी पर चला, तूफान को रोक दिया, बहुत से बीमारों को शिफ़ा दी, बदरूहों को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए क़ाफ़ी हो।

शब्दकोश:

  • Strong's: H724, H1369, H1455, H2280, H2421, H2896, H3444, H3545, H4832, H4974, H7495, H7499, H7500, H7725, H7965, H8549, H8585, H8644, H622, G1295, G1743, G2322, G2323, G2386, G2390, G2392, G2511, G3647, G4982, G4991, G5198, G5199

शेरों, शेर, शेरनी, शेरनियाँ

ता’अर्रुफ़:

शेर एक बड़ी बिल्ली जैसा जंगली जानवर है जिसके दांत और नाखून नुकीले होते। जिससे वह अपना शिकार फाड़ता है।

  • शेर का जिस्म ताक़तवर होता है और उसकी चाल बहुत तेज़ होती है कि शिकार को पकड़ पाए। उसके रोंए सुनहरे भूरे रंग के होते हैं।
  • नर शेर के गले में बालों का केसर होता है।
  • शेर गोश्तखोर होते हैं, वे इन्सान के लिए हमलावर भी होते हैं।
  • जब बादशाह दाऊद बच्चा था उसने अपनी भेड़ों पर हमला करने वाले शेरों को मारा था।
  • शमसून ने भी निहत्थे शेर को मारा था।

(यह भी देखें: नामा’लूम अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: दाऊद, चीता, शमसून, भेड़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H738, H739, H744, H3715, H3833, H3918, H7826, H7830, G3023

सख़्त , हठीला, मग़रूर होकर,सख़्ती

ता'अर्रुफ़:

“हठीले”, कलाम में इस्ते'माल किया जाने वाला जुमला है जो उन लोगों के लिए है जो ख़ुदावन्द के हुक्म न मानते हैं और तौबा करने से इन्कार करते हैं। ऐसे लोग बहुत मग़रूर होते है और ख़ुदावन्द के इख़्तियार के ताबे' नहीं होते है।

  • इसी तरह, "हठीला" लफ़्ज़ का बयान उस जुमले के बारे में किया गया है, जिसने ऐसा करने के लिए कहा जाने पर भी अपनी सोच या काम बदलने से इन्कार कर दिया है। हठीले लोग अच्छी सलाह या ख़बरदारी नहीं सुनेंगे जो दूसरे लोग उन्हें देते हैं।
  • पुराने 'अहद नामे ने इस्राईलियों को "ज़िद्दी" कहा क्यूँकि उन्होंने ख़ुदावन्द के नबियों से बहुत से पैग़ाम नहीं सुने, जिन्होंने उन्हें तौबा करने और यहोवा के पास वापस लौटने दरख़्वास्त की |
  • अगर एक गर्दन "सख़्त" है तो यह आसानी से मुड़ता नहीं । मक़सदी ज़बान में एक अलग मुहावरे हो सकते हैं जो बात करता है कि कोई शख्स "बे बुनियाद " है जिसमें वह अपने तरीक़े को बदलने से इनकार करता है ।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के दूसरे तरीक़ों में " तकब्बुर ज़िद्दी" या " मग़रूर और ग़ैर जिस्मानी" या "बदलाव करने से इन्कार कर सकते हैं" शामिल हो सकते हैं।

(यह भी देखें: तकब्बुर , मग़रूर, तौबा करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H47, H3513, H5637, H6203, H6484, H7185, H7186, H7190, H8307, G483, G4644, G4645

सजदा करना, सजदा किया

ता’अर्रुफ़:

“सजदा” का मतलब है मुंह के बल ज़मीन पर सीधा गिरना।

  • किसी को “सजदा करना” या “मुंह के बल ज़मीन पर गिरना” का मतलब है बहुत ज़्यादा झुकना या किसी के सामने झुकना।
  • सजदा करने की यह रुख़ हमेशा अचानक , ता’अज्जुब और डर का रद्दे ‘अम्ल है, किसी क़ुदरती हादसे की वजह इसमें जिसको सजदा किया जा रहा है उसके लिए इज़्ज़त और अदब की ज़ाहिरयत भी है।
  • सजदा करना ख़ुदा की इबादत का तरीक़ा भी थी। आदमी ‘ईसा के मो’जिज़े या उस्ताद की शक्ल में उसकी इज़्ज़त के लिए शुक्रगुज़ारी के साथ ऐसा रद्दे ‘अमल दिखाते थे।
  • मज़मून के मुताबिक़ “सजदा” का तर्जुमा हो सकता है, “ज़मीन पर चेहरा करके झुकना” या “उसके सामने मुंह के बल गिरकर ‘इबादत करना” या “हैरत की वजह से ज़मीन पर मुंह के बल गिरना” या “इबादत करना”।
  • “हम सजदा नहीं करेंगे” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “इबादत नहीं करेंगे” या “इबादत में मुंह के बल नहीं गिरेंगे” या “हम इबादत में नहीं झुकेंगे”।
  • “को सजदा करना” का तर्जुमा हो सकता है, “इबादत करना” या “सामने झुकना”

(यह भी देखें: जलाल, झुकना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5307, H5457, H6440, H6915, H7812

सज़ा देना, सज़ा देने , सज़ा करने, सज़ा करने, सज़ा , बे सज़ा

ता’अर्रुफ़:

“सज़ा देना” लफ़्ज़ का मतलब है किसी ग़लत काम के इनकार का अन्जाम भुगतना “सज़ा” का मतलब है बुरे सुलूक का अन्जाम और इनकार का बर्ताव मिलना

  • सज़ा का मक़सद होता है कि इन्सान गुनाह करना छोड़ दे।
  • ख़ुदा इस्राईलियों को हुक्म अदूली की सज़ा देता था, ख़ास करके झूठे मा’बूद की इबादत की उनके गुनाहों की वजह से ख़ुदा उनके दुश्मनों को इजाज़त देता था कि वे उन पर हमला करके उन्हें क़ैदी बना लें।
  • ख़ुदा मुंसिफ़ और ईमानदार है इसलिए उसे गुनाह की सज़ा देना पड़ता है। हर एक इन्सान ने ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह किया है और सज़ा के लायक़ है।
  • ‘ईसा को हर एक इन्सान के सब बुरे कामों की सज़ा मिली उसने हर एक इन्सान की सज़ा अपने ऊपर ले लिया जबकि उसने तो कोई भी गलत काम नहीं किया था कि सज़ा पाए
  • “सज़ा न होना” या “बेक़ुसूर ठहराना” या’नी इन्सान को ग़लत काम की सज़ा न देना। ख़ुदा हमेशा गुनाह की सज़ा में देर करता है क्योंकि वह इन्सानों के ज़रिये तोबा का इन्तिज़ार करता है।

(यह भी देखें: सच्चा, तोबा , रास्तबाज़ , गुनाह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाले:

  • 13:07 ख़ुदा ने और भी बहुत सी शरी’अतों व क़ानूनों को मानने के लिये कहा। अगर लोग इन क़ानूनों को मानते रहेंगे, तो ख़ुदा ने वा’दा किया था कि वह उन्हें बरकत और उनकी हिफ़ाज़त करेगा। अगर वे इन क़ानूनों को नहीं मानेगे तो वह __ सज़ा __ के हक़दार बनेंगे।
  • 16:02 क्योंकि इस्राईल के लोग ख़ुदा की नाफ़रमानी करते रहे, उसने उन्हें अपने दुश्मनों को उन्हें हराने की इजाज़त देकर __ सज़ा __ दिया।
  • 19:16 नबियों ने लोगों को ख़बरदार किया कि, अगर उन्होंने बुरे काम करना बंद न किया, और ख़ुदा के हुक्मों को ना मानना शुरू’ न किया, तब ख़ुदा उन्हें मुजरिम ठहराएगा और उन्हें __सज़ा __ देगा |
  • 48:06 ‘ईसा सबसे अच्छा अज़ीम आलिम है क्योंकि उसने सभी इन्सानों के सभी गुनाहों की __ सज़ा __, जो उन्होंने अपने ज़िन्दगी में कभी भी किया हो, अपने ऊपर ले लिया |
  • 48:10 जब कोई ‘ईसा पर ईमान लाता है, ‘ईसा का लहू उस इन्सान के सब गुनाहों की कीमत चुका देता है, और ख़ुदा की __ सज़ा __ उस इन्सान के ऊपर से हट जाती है |
  • 49:09 लेकिन ख़ुदा ने दुनिया के हर इन्सान से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई ‘ईसा पर ईमान उसे उसके गुनाहों की __सज़ा __ नहीं मिलेगी, लेकिन हमेशा ख़ुदा के साथ रहेगा।
  • 49:11 ‘ईसा ने कभी कोई गुनाह नहीं किया था, लेकिन फिर भी उसने __सज़ा __ उठाने और मारे जाने को चुना ताकि एक कामिल क़ुर्बानी की शक्ल में आपके और दुनिया के हर इन्सान के गुनाहों को उठा ले जा सके |

शब्दकोश:

  • Strong's: H3027, H3256, H4148, H4941, H5221, H5414, H6031, H6064, H6213, H6485, H7999, H8199, G1349, G1556, G1557, G2849, G3811, G5097

सज्दा, सज्दे, सज्दा किया, झुकने, सज्दा करना, सज्दा करे, सज्दा किया, सज्दा करते रहे

ता'अर्रुफ़:

“सज्दा” करने का मतलब है किसी को 'इज्ज़त अदा करने के लिए हलीमी से झुकना। “सज्दा करना” का मतलब है बहुत ज़्यादा झुकना या घुटनों पर गिरना जिसमें मुंह और हाथ ज़मीन की तरफ़ हों।

  • और जुमलों में “घुटने ज़मीन पर टिकाना” और “सिर झुकाना” (सिर को हलीमी से 'इज्ज़त में आगे की तरफ़ झुकना या ग़म में ऐसा करना)
  • “सज्दा करना” मायूस और गम का निशान भी होता है। जिसने “घुटने टेके” वह हलीमी छोटी हालत में होता है।
  • इंसान हमेशा ऊँचे ओहदा या ऊँचे सतह के इंसान के सामने घुटने टेकता है जैसे बादशाहों और हाकिमों को।
  • ख़ुदावन्द के सामने घुटने टेकना उसकी 'इबादत का मतलब है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में लोग 'ईसा के सामने घुटने टेकते थे जब उन्हें उसके हैरत अंगेज़ और ता'लीम से यह जानना होता था कि वह ख़ुदा की तरफ़ से भेजा गया है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में लिखा है कि जब 'ईसा दुबारह आएगा तब हर एक इंसान उसकी 'इबादत में घुटने टेकेगा

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ इस जुमले का तर्जुमा एक ऐसे लफ्ज़ या जुमले की तरफ़ किया जाए जिसका मतलब है “आगे को झुकना” या “सिर झुकाना” या “घुटने टेकना”।
  • “घुटने टेकने” का तर्जुमा “घुटनों पर गिरना” या “सजदा करना” हो सकता है।
  • कुछ ज़बानों में इसके तर्जुमों की एक से ज़्यादा तरीक़े हो सकते हैं जो मज़मून पर मुनहस्सिर करते हैं।

(यह भी देखें: हलीम, \ 'इबादत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H86, H3721, H3766, H5186, H5753, H5791, H6915, H7743, H7812, H7817, G1120, G2578, G2827, G4098, G4781, G4794

सताएँ, सताए जाते, सताता, सताव , तक्लीफ देना , सतानेवाला, पीछा करनेवाले

ता’अर्रुफ़:

“सताएँ” और “सताव ” या’नी किसी आदमी को को या झुण्ड के साथ सख़्त मिजाज़ी करना कि जिससे उन्हें नुक़सान पहुंचे।

  • सताव किसी एक आदमी या बहुत से आदमियों पर हो सकता है जिसमें बार-बार, लगातार वार करना होता है।
  • इस्राईलियों को तमाम क़ौमों ने हमला करके सताया था। उन्होंने उन्हें क़ैदी बनाया और उनके शहरों को लूटा।
  • हमेशा उन लोगों को सताता है जिनका मज़हब अलग हो या जो कमज़ोर हों।
  • यहूदी मज़हब के रहनुमा ‘ईसा को सताते थे क्योंकि उन्हें उसकी ता’लीम अच्छी नहीं लगती थी।
  • ‘ईसा के आसमान पर उठाये जाने के बाद यहूदी मज़हब के रहनुमा और रोमी हाकिमो ने ‘ईसा के मानने वालों को सताने लगे थे।
  • “सताना” का तर्जुमा “ज़ुल्म करते रहना” या “सख़्त मिजाज़ी करना” या “लगातार बुरा सुलूक करना” भी हो सकता है।
  • “सताव” के तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं “सख़्त मिजाज़ी” या “ज़ुल्म ” या “लगातार जान लेवा सुलूक ”

(यह भी देखें: मसीहा, जमात, स्ताव, रोम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :

  • 33:07 “वैसे ही जो पथरीली ज़मीन पर बोए जाते है, ये वह है जो कलाम को सुनकर फ़ौरन ख़ुशी से क़ुबूल कर लेते है | इसके बा’द जब कलाम की वजह उन पर __सताव __ होता है, तो वे फ़ौरन ठोकर खाते है |”
  • 45:06 उसी दिन,कई लोग यरूशलीम में ‘ईसा मसीह पर ‘ईमान रखने वालो पर बड़ा __सताव __ करने लगे, इसलिए ईमानदार और जगहों में भाग गए |
  • 46:02 शाउल ने यह लफ़्ज़ सुना, हे शाउल हे शाऊल तू मुझे क्यों सताता है? उसने पूछा, “हे ख़ुदावन्द तू कौन है? ‘ईसा ने उसे जवाब दिया कि, “मैं ‘ईसा हूँ जिसे तू सताता है |”
  • 46:04 लेकिन हनन्याह ने कहा, "हे ख़ुदावन्द मैनें इस आदमी के बारे में सुना है कि इसने तेरे पाक लोगों के साथ बड़ी सताव की है |"

शब्दकोश:

  • Strong's: H1814, H4783, H7291, H7852, G1375, G1376, G1377, G1559, G2347

सताव

ता’अर्रुफ़:

“सताव” लफ़्ज़ का मतलब है, कठिनाइयां, तकलीफ़ और मुसीबत

  • नये ‘अहद नामे में लिखा है कि मसीही ईमानदारों पर सताव का वक़्त आएगा और हर तरह का सताव क्योंकि इस दुनिया में कई लोग ‘ईसा की ता’लीमों के ख़िलाफ़ में होंगे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “सताव” लफ़्ज़ काम में लिया गया है जो ‘ईसा के दुबारा आने से पहले का वक़्त होगा जब बहुत सालों तक ज़मीन पर ख़ुदा का अज़ाब नाज़िल किया जाएगा।
  • “सताव” का तर्जुमा हो सकता है, “बहुत मुसीबत का वक़्त ” या “ख़तरनाक सताव का वक़्त ” या “बड़ी परेशानियों का वक़्त ”।

(यह भी देखें: ज़मीन, ता’लीम देना, अज़ाब )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6869, G2346, G2347

सनोबर

ता’अर्रुफ़:

“सनोबर” कलाम के जमाने में बहुतायत से उगते थे ख़ास करके समन्दर से दूर के किनारे के सूबों में।

  • साइप्रस और लबानोन दो ऐसी जगह थीं जिनकी चर्चा कलाम में की गई है कि वहां सनौबर बहुतायत से थे।
  • नूह ने अपना जहाज बनाने के लिए जिस लकड़ी को इस्तेमाल किया था वह मुमकिन है सनौबर ही की थी।
  • क्योंकि सनौबर की लकड़ी ठोस और बहुत दिनों की होती है इसलिए पुराने ज़माने के लोग इससे नाव और ता’मीरी काम करते थे।

(यह भी देखें: सन्दूक, साइप्रस, देवदार, लबानोन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8645

सनोबर, सनोबर

ता’अर्रुफ़:

सनोबर एक क़िस्म का दरख़्त है जो पूरे साल हरा रहता है इसमें शंकु होते हैं जिसमे बीज होते हैं|

  • सनोबर के दरख़्त को “सदा बहार” दरख़्त भी कहते हैं|
  • पुराने ज़माने में सनोबर के दरख़्त की लकड़ी का इस्ते’माल मोशीक़ी का सामान बनाने ‘इमारतों का ढाँचा जैसे किस्तियों, घरों और हैकलों को ता’मीर करने के लिए करते हैं|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में सनोबर दरख़्तों की कुछ मिसाले है जैसे, पाइन, देवदार, साइपरस और जूनिपर हैं

(यह भी देखें: अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: देवदार, साइपरस)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H766, H1265, H1266

सफ़ीर, फ़रिश्तों नुमाइंदा, नुमाइंदों

ता’अर्रुफ़:

नुमाइंदा वह आदमी है जिसे इख्तियार के साथ चुना गया कि मुल्कों के साथ रिश्ता रखे। इसका इस्तेमाल पहचान के लिए भी किया गया है जिसका ज़्यादा तर आम तर्जुमा “नुमाइन्दा ” होता है।

  • फ़रिश्ता या नुमाइन्दे अपने भेजने वाले या अपनी सल्तनत की ख़ुशख़बरी लोगों तक पहुंचाता है।
  • ‘आम तौर पर नुमाइंदा उस आदमी के बारे में है जिसे उस आदमी की तरफ़ से कहने या करने का इख्तियार हासिल होता है जिसने उसे भेजा है।
  • रसूल पौलुस ने ता'लीम दी कि ईमानदार मसीह के "सफ़ीर " या "नुमाइन्दगी " करते हैं क्यूँकि वे इस दुनिया में मसीह की ख़ुशख़बरी सुनाते हैं।
  • जुमले के मुताबिक़ इस लफ्ज़ का तर्जुमा “इख्तियारी शक्ल से नुमाइन्दा” या “मुक़र्रर ख़ुशख़बरी देने वाला ” या “चुना हुआ नुमाइन्दा” या “ख़ुदा का चुना नुमाइन्दा ” हो सकता है।
  • “ सफ़ीर की नुमाइन्दगी” का तर्जुमा “ज़्यादा तर ख़ुशख़बरी देने वाला” या “चुने हुए नुमाइन्दों का झुण्ड ” या “सबकी तरफ़ से बोलने वाला एक गिरोह ”

(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: सफ़ीर

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3887, H4135, H4136, H4397, H6735, H6737, G4243

सब्र करना , सब्र

ता’अर्रुफ़:

“सब्र करना ” और “सब्र ” का मतलब है किसी काम को करते रहना चाहे वह बहुत कठिन या लम्बा वक़्त क्यों न लेने वाला हो।

सब्र करने का मतलब यह भी हो सकता है कि मसीह के जैसा सुलूक करना चाहे कठिन इम्तिहानों या हालातों में हो।

  • “सब्र करने वाला” इन्सान वह है जो अपने काम को करता रहता है जो उसे करना चाहिए चाहे वह तकलीफ़देह या दुःख वाला हो।
  • ख़ुदा की ता’लीमों पर चलते रहना सब्र करना है चाहे कोई कितनी भी झूठी ता’लीमें दे।
  • यहां होशियार रहें कि “ज़िद ” लफ़्ज़ का इस्ते’माल न करें क्योंकि इसका मतलब नफ़ी में है।

(यह भी देखें: सब्र करना, इम्तिहान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G3115, G4343, G5281

समझ, समझा, समझना, समझदार

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “समझ” का मतलब किसी बात को समझ लेना, ख़ास करके समझाना कि कोई बात सही है या ग़लत।

  • “समझ” समझकर किसी बात का अक़्लमंदी से फ़ैसला लेना।
  • इसका मतलब है अक़्लमंदी और सही फ़ैसला लेना।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून [आर मुनहस्सिर, “पहचान” का तर्जुमा, “समझना” या “में फ़र्क़ पहचानना” या “अच्छे और बुरे में फ़र्क़ करना” या “किसी का सही फ़ैसला लेना” या “सही को ग़लत से अलग करके देखना” हो सकता है।
  • “समझ” का तर्जुमा “समझना” या “अच्छे और बुरे में फ़र्क़ पहचानने की क़ुव्वत” हो सकता है।

(यह भी देखें: फ़ैसला, ‘अक़्ल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H995, H2940, H4209, H5234, H8085, G350, G1252, G1253, G1381, G2924

समझना, समझता है, समझ लिया, समझ

ता’अर्रुफ़:

“समझना” लफ़्ज़ का मतलब है सुनना या किसी जानकारी को क़ुबूल करना और समझना कि वह क्या है।

  • “समझ” लफ़्ज़ के बारे में “'इल्म” या “'अक़्ल” से भी हो सकता है या “किसी काम को करने की समझ से भी”।
  • किसी को समझने का मतलब यह भी हो सकता है कि वह आदमी कैसा महसूस कर रहा है।
  • इम्माऊस के रास्ते में 'ईसा ने उन शागिर्दों को किताब-ए-मुकद्दस से मसीह का मतलब समझने में मदद की थी।
  • जुमले के मुताबिक़ “समझ” का तर्जुमा “जानना” या “ईमान रखना” या “क़ुबूल करना” या “ मतलब समझना” भी हो सकता है।
  • “समझ” का तर्जुमा हमेशा “'इल्म” या “अक़्ल” या “क़ुबूल” किया गया है।

(यह भी देखें: ईमान, जानना, अक़्लमन्द)

किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H995, H998, H999, H1847, H2940, H3045, H3820, H3824, H4486, H7200, H7306, H7919, H7922, H7924, H8085, H8394, G50, G145, G191, G801, G1097, G1107, G1108, G1271, G1921, G1922, G1987, G1990, G2657, G3129, G3539, G3563, G3877, G4441, G4907, G4908, G4920, G5424, G5428, G5429, G6063

समन्दरी गाय

ता'अर्रुफ़:

"समन्दरी गाय और " एक बड़े जानदार है जो समन्दरी घास और समन्दरी मैदान पर हरी घास खाती है।

  • समन्दरी गाय राख के रंग की होती है जिसकी खाल मोटी होती है। वह पानी में पंखों के ज़रिए' तैरती है।
  • कलाम के ज़माने में इस जानदार की खाल ख़ेमे बनाने के काम में आती थी। इन जानवरों की खाल रहने वाले ख़ेमे की छत के लिए काम में ली जाती थी।
  • घास खाने की वजह इसे "समन्दरी गाय" कहा गया है, लेकिन वह हक़ीक़त में गाय नहीं है।
  • "डगोंग" और "समन्दरी गाय " के जैसे जानवर हैं।

(यह भी देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: ख़ेमा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

जिस शख्स ने इस किताब को हासिल किया था वह अटूट मुहर को देखेगा और उसे पता चलेगा कि किसी ने भी इसे खोला नहीं था।

शब्दकोश:

  • Strong's: H8476

सलाह , सलाह , मशवरा दिया , मुशीर , सलाह देनेवालों, तजवीज़, तजवीज़ करनेवाला, मुशीरों , राय दी

ता’अर्रुफ़:

“सलाह ” या “तजवीज़ ” के मतलब एक ही है जिसमें किसी को किसी हालात में काम करने के लिए ‘अक़्लमन्दी का फ़ैसला लेने में मदद दी जाती है। अक़्लमन्द “तजवीज़ करनेवाला” या “मुशीर”, वह आदमी जो किसी को सही फ़ैसला लेने में मदद करता है।

  • बादशाहों के पास हमेशा ज़्यादातर मुशीर या सलाह दाता होते थे जो ‘अवाम से जुड़े ख़ास मौज़ू पर फ़ैसला लेने के लिए उनकी मदद करते थे।
  • कभी-कभी दी गई सलाह या सुझाई गई तजवीज़ ठीक नहीं होती थी। बुरे मुशीर बादशाह को ऐसी तजवीज़ बताते थे जिससे वह ‘अवाम को नुक़्सान का हुक्म देता था।
  • मज़मून पर मुनहसिर “तजवीज़ ” या “सलाह ” का तर्जुमा हो सकता है, “फैसला लेने में मदद करना” या “हिदायत ” या “समझना” या “रहबरी ”
  • “सलाह ” देने के काम का तर्जुमा हो सकता है, “राय देना” या “सुझाव देना” या “नसीहत देना”।
  • ध्यान दें कि “सलाह ” “मजलिस ” से अलग लफ़्ज़ है। मजलिस का मतलब है आदमियों का झुण्ड

(यह भी देखें: समझा, पाक रूह , अक़्लमन्द)

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1697, H1847, H1875, H1884, H1907, H2940, H3245, H3272, H3289, H3982, H4156, H4431, H5475, H5779, H5843, H6440, H6963, H6098, H7592, H8458, G1010, G1011, G1012, G1106, G4823, G4824, G4825

सहन , ‘सहनो , ‘अदालत , आँगनों

ता’रीफ़:

“सहन ” और “’अदालत ” या’नी दीवारों से घिरी खुली जगह अंग्रेजी का लफ़्ज़ “कोर्ट” ‘अदालत को भी कहते हैं

  • मिलापवाला ख़ेमा मोटे कपड़े के परदों के ज़रिये’ घिरे हुए सहन के अन्दर था।
  • हैकल के तीन अंदरूनी सहन थे एक काहिनो के लिए, एक यहूदी आदमियों के लिए और एक यहूदी ‘औरतों के लिए।
  • ये सहन बाहरी सहन से छोटी पत्थरों की दीवार से बराबर बटे थे। बाहरी सहन में गै़र यहूदी दुआ’ कर सकते थे।
  • घरों के सहन घर के बीच में खुली जगह में होते थे।
  • “बादशाह का सहन ” का बयान बादशाह के महल या उसके राजमहल के उस जगह से हो सकता है जहां बादशाह फ़ैसला देने के लिए बैठता है।
  • “यहोवा के सहनों” यह जुमला यहोवा के रहने की जगह या इन्सानों के लिए यहोवा की ‘इबादत की जगह के बारे में ‘अलामती इस्ते’माल है।

तर्जुमे की सलाह:

“सहन ” का तर्जुमा “मिली हुई जगह ” या “दीवारों से घिरी जगह ”, या “हैकल का मैदान” या “हैकल जगह ”

  • कभी-कभी “हैकल ” लफ़्ज़ का तर्जुमा “हैकल के सहनों” या “हैकल का घेरा ” से है ताकि साबित हो कि बयान मैदान से है न कि हैकल से।
  • “यहोवा के सहन ” का तर्जुमा “यहोवा की रहने की जगह ” या “यहोवा की इबादत की जगह ” हो सकता है।
  • “बादशाह का सहन ” का लफ़्ज़ यहोवा के सहन के लिए भी काम में लिया जा सकता है।

(यह भी देखें: ग़ैर क़ौम, इन्साफ़, बादशाह, सुलह का ख़ेमा, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1004, H1508, H2691, H5835, H6503, H7339, H8651, G833, G933, G2681, G4259

सहना,सह लेता है , उठाने वाला

सच्चाई:

“सहने” का लफ्ज़ी मतलब है "उठाना", लेकर चलना। इस लफ्ज़ के कई ज़ाहिरी तौर पर मतलब हैं।

  • बच्चे के पैदा होने के बारे में इसका मतलब है, बच्चे को "पैदाइश देना"।
  • बोझ उठाना” या " मुश्किलात का सामना करना"। इन मुश्किल चीज़ों में जिस्मानी और जज़्बाती परेशानी शामिल है ।
  • “फल लाना” का 'आम तौर पर एक इज़हार है , जिसका मतलब “फल पैदा करना ” या “फलदायक होना”।
  • गवाही देना” या “गवाह देना” या “जो देखा है तजुर्बा किया है उसका बयान करना।”
  • बेटा बाप के गुनाह का फल नहीं पाएगा ” या "वह इसका ज़िम्मेदार नहीं होगा” या "वह इसके लिए सज़ा नहीं पाएगा “सज़ा नहीं पाएगा।” उसके बाप के गुनाहों का |
  • 'आम तौर पर: इस लफ्ज़ का तर्जुमा “उठाना” या “जिम्मेदार होना” या “पैदा करना” या “सब्र करना” या “सहना” पसमंजर के मुक़ाबिल भी हो सकता है।

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा

(यह भी देखें : एलीशा, सब्र करना, फल, बे दीन के काम, ख़ुशख़बरी, भेड़, ताक़त, गवाह, गवाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2232, H3201, H3205, H5187, H5375, H5445, H5449, H6030, H6509, H6779, G142, G399, G430, G503, G941, G1080, G1627, G2592, G3114, G3140, G4064, G4160, G4722, G4828, G4901, G5041, G5088, G5297, G5342, G5409, G5576

साक़ी ,साक़ी

ता’रीफ़:

पुराने ‘अहद नामे के ज़माने में “साक़ी” बादशाह का वह ख़ादिम होता था जो बादशाह को मय का कटोरा देता था, वह पहले ख़ुद मय का ज़ायक़ा लेकर तय करता था कि उसमें ज़हर तो नहीं है।

  • इसका लफ़्ज़ी मतलब हो सकता है “कटोरा लाने वाला” या “वह जो कटोरा लाता है”।
  • “साक़ी” भरोसे मंद होने और राजा का वफ़ादार होने के लिए जाना जाता था।
  • उसकी वफ़ादारी की वजह से साक़ी हमेशा बादशाह के ज़रिये’ लिए गए फ़ैसले पर असर डाल सकता था।
  • नहमियाह ख़ास बादशाह का साक़ी था, उस वक़्त भी कुछ इस्राईली बाबुल की ग़ुलामी में थे।

(यह भी देखें: ख़ास , बाबुल, क़ैदी, फ़ारस, फ़िर’औंन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8248

साथी, शरीक़, हम ख़िदमत ,हम ख़िदमत

सच्चाई:

“साथी” का मा’नी है किसी के साथ रहनेवाला इन्सान या किसी से जुड़ा हुआ इन्सान जैसे दोस्ती या शादी में। “साथी”का मा’नी एक साथ काम करने वाला शख़्स|

  • साथी एक ही तजुरबे को महसूस करते हैं, एक साथ खाना खाते हैं और एक दूसरे को मदद देते हैं और हौसला देते हैं।
  • मज़मून के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ का तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से हो जिसका मा’नी है, “दोस्त” या “शरीक़” या “किसी के साथ चलने वाला मददगार शख़्स”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H251, H441, H2269, H2270, H2271, H2273, H2278, H3674, H3675, H4828, H7453, H7462, H7464, G2844, G3353, G4791, G4898, G4904

साँप, साँपों, साँप, साँप, साँप, साँपों

सच्चाई:

यह सब लफ़्ज़ एक ऐसे रेंगनेवाले जानदार के बारे में हैं जिसका जिस्म लम्बा और निकले हुए दांत होते हैं वह ज़मीन पर टेढ़ी मेढ़ी चाल से रेंगता है। “सांप” (सांप) लफ़्ज़ एक बड़े सांप के बारे में है और “नाँग ” ज़हरीला साँप होता है जो अपने शिकार को मारने के लिए ज़हर को काम में लेता है।

  • यह लफ़्ज़ 'अलामती शक्ल में एक ऐसे शख़्स के लिए काम में लिया जाता है जो बदकार है, ख़ास तौर से धोखा देनेवाले के लिए।
  • ‘ईसा मज़हबी रहनुमाओं को “साँप के बच्चे” कहता था क्यूँकि वह रास्तबाज़ी का दिखावा करते थे लेकिन असल में लोगोंको धोखा देते थे और उनके साथ ख़ुद गर्ज़ी के जैसा सुलूक करते थे।
  • अदन की बाग़ में, शैतान ने साँप की शक्ल इख्तियार की और हव्वा को बहला कर ख़ुदावन्द के हुक्म की नाफ़रमानी करवाई।
  • जब शैतान ने साँप की शक्ल में हव्वा को आज़माइश में डालकर गुनाह करवाया, तब ख़ुदावन्द ने उसे ला'नतीकर दिया कि सारे साँप ज़मीन पर रेंग कर चलेंगे, इसका मतलब तो यह हुआ कि इससे पहले साँपों के पैर थे।

(तर्जुमा की सलाह नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: ला’नत, छलना, नाफ़रमानी, अदन, बुरा, औलाद, शिकार, शैतान, गुनाह, आज़माइश करना

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H660, H2119, H5175, H6620, H6848, H8314, H8577, G2191, G2062, G3789

साया, साये, सायादार, सायादार

ता’अर्रुफ़:

“साया” का मतलब है रौशनी को रोकने वाली चीज़ का साया है। इसके कई 'अलामती मतलब भी हैं।

  • “मौत का साया ” या'नी मौत क़रीब है, जिस तरह कि साया ज़ाहिर करता है कि कोई चीज़ क़रीब है।
  • कलाम में कई बार लोगों की ज़िन्दगी की बराबरी साया से की गई है जो ज़्यादा वक़्त की नहीं होती है और उसकी कोई हक़ीक़त नहीं होती है।
  • कभी-कभी “साया” लफ़्ज़ को “तारीकी” के लिए भी काम में लिया जाता है।
  • ख़ुदावन्द के परों या हाथों की साया में रखने का ज़िक्र कलाम में किया गया है। यह महफ़ूज़ रहने और ख़तरे से छिप जाने की एक 'अलामती शक्ल है। “साया” के तर्जुमे की शक्लें हो सकती हैं “साया” या “हिफ़ाज़त” या “महफ़ूज़ ”।
  • बेहतर तो यह होगा कि “साया” लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उसी लफ़्ज़ से किया जाए जिसे साया के लिए काम में लिया जाता है।

(यह भी देखें: ख़ुदावन्द, रोशनी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2927, H6738, H6751, H6752, H6754, H6757, H6767, G644, G1982, G2683, G4639

साल , सालों

ता'र्रुफ़:

कलाम में “साल ” का ह्क़ीक़ी मतलब था 354 दिनों का वक़्त । यह साल चाँद कैलेण्डर के मुताबिक़ था जब चाँद ज़मीन के एक चक्कर कर लेता है।

  • आज का साल शम्सी कैलेण्डर के मुताबिक़ 365 दिन का होता है और बारह महीने होते हैं, यह वक़्त ज़मीन की तरफ़ से सूरज के चक्कर का वक़्त है।
  • दोनों ही कैलेण्डरों में साल के बारह महीने हैं। चाँद कैलेण्डर के साल में तेरहवां महीना जोड़ा जाता है यह उस सच्चाई के लिए है कि चंद साल शम्सी साल से ग्यारह दिन छोटा है। इससे दोनों कैलेण्डरों को बरक़रार रखने में मदद मिलती है।
  • कलाम में सालों को 'अलामती शक्ल में भी काम में लिया जाता है जो किसी हादसे के लिए वक़्त की 'आम बात के लिए काम में लिया जाता है। इसकी मिसाल हैं “यहोवा का साल ” या “क़हत का साल” या “यहोवा के ख़ुश रहने के साल ”। ऐसे हवालों में “साल ” का तर्जुमा“वक़्त ” या “मौसम” या “वक़्त का वक्फा” किया जा सकता है।

(यह भी देखें:महीना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3117, H7620, H7657, H8140, H8141, G1763, G2094

सांस, सांस फूंकना, सांस लेता है, सांस फूँक दिया, सांस लेना

ता'अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस“ सांस फूंकना” और “सांस” हमेशा 'अलामती शक्ल में ज़िन्दगी देना या “ज़िन्दा होने के बारे में काम में लिए गए है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में इज़हार है कि ख़ुदा ने आदम में ज़िन्दगी की सांस फूंका। उसी लम्हे में आदम ज़िन्दा जान्दार हो गया।
  • जब 'ईसा ने शागिर्दों पर फूंका और उनसे कहा “रूह में” तब वह हक़ीक़त में उन पर सांस फूंक रहा था जो उन पर पाक रूह के तशरीह का हर एक था।
  • कभी-कभी “सांस लेना” या “सांस छोड़ना” का मतलब तलाफ़्फ़ुज़ करना से भी है।
  • "ख़ुदावन्द का सांस” या “यहोवा की सांस ” इस जुमले का 'अलामती तर्जुमा हमेशा बाग़ी और बदमा'श क़ौमों पर ख़ुदा का गज़ब डाला जाता है। इससे उसका ताक़तवर ज़ाहिर होता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “आख़िर सांस लेना” या मरना। इसका तर्जुमा हो सकता है, “उसने अपनी आख़िर सांस ली” या “उसकी सांस ख़त्म हो गई और वह मर गया “ या “उसने आख़िर बार हवा में सांस ली”।
  • किताब-ए-मुक़द्दस को “ख़ुदा की सांस से पाक हैं” इसका मतलब है कि ख़ुदा ने कलाम कहा या भेजा किए तब इंसानी लिखने वालों ने लिखा। अगर मुमकिन हो तो बहुत अच्छा यही होगा कि “ख़ुदावन्द की तलाश” का तर्जुमा जैसे का तैसे ही रहने दिया जाए क्योंकि इसका तर्जुमा करना सख्त होगा।
  • अगर“ख़ुदा की सांस से रचा गया” को जैसे का तैसे रखना क़बूल न हो तो इसको और तर्जुमें हो सकते हैं, “ख़ुदावन्द ” या “खुद की तरफ़ से लिखा ” या “ख़ुदा की तरफ़ से बोला गया” यह भी कहा जा सकता है कि “ख़ुदा ने कलामे मुक़द्दस के कलामों को सांस के ज़रिए ज़ाहिर किया”।
  • “सांस डालना” या “जान फूंकना” या “ज़िन्दगी देना” का तर्जुमा हो सकता है, “सांस लेने के लायक़ बनाना” या “दुबारह ज़िन्दा करना” या “जीने और सांस लेने के लायक़ करना” या “ज़िन्दगी देना”
  • अगर मुमकिन हो तो “ख़ुदावन्द कि सांस ” को मक़सदी ज़बान में सांस लफ्ज़ ही से तर्जुमा करें। अगर खुदा का सांस माना नहीं जाता है तो इसका तर्जुमा “ख़ुदा की ताक़त” या “ख़ुदा का तलाफ़्फ़ुज़ ” करें।
  • “सांस भी लेने (देना)” का तर्जुमा “कई इत्मिनान से सांस लेने के लिए आराम करना” या “'आम तौर से सांस लेने के लिए दौड़ना बंद करो”।
  • “सिर्फ़ एक सांस है” या “बहुत कम वक़्त का है”।
  • इसी तरह , “इंसान सांस भर का” होता है या “इंसान बहुत कम वक़्त ज़िन्दा रहता है” या “इंसानों की ज़िन्दगी बहुत कम है”। या “ख़ुदावन्द की बराबरी में इंसान की ज़िन्दगी इतनी छोटी है जितनी कि एक सांस होती है”।

(यह भी देखें: आदम, पौलुस , ख़ुदावन्द का कलम , ज़िन्दगी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3307, H5301, H5396, H5397, H7307, H7309, G1709, G1720, G4157

सिखाना, सिखाता है, पढ़ाया गया, ता’लीम , ता’लीमें , अनपढ़

ता’अर्रुफ़:

किसी को "सिखाने" का मतलब है कि उसे वह बताना जो वह पहले से न जानता हो। इसका मतलब आम तौर में "मा’लूमात ‘अता करने" का भी हो सकता है, जिसका बयान सीखने वाले इन्सान से नहीं होता। आम तौर पर मा’लूमात ज़ाहिरी या दानिस्ता तौर से दी जाती है। एक इन्सान का "तरबियत " या उसकी "ता’लीम " वह हैं जो उसने पढ़ाया है।

  • “उस्ताद ” वह है जो ता’लीम देता है। “सिखाना” की माज़ी काम है, “सिखाया जाता है”
  • ‘ईसा अपनी ता’लीमों में ख़ुदा और उसकी बादशाहत की बातें बताता था।
  • ‘ईसा के शागिर्द उसे “उस्ताद ” कहते थे। यह ख़ुदा के लिए इन्सानों में ता’लीम देनेवाले के लिए एक इज़्ज़त का ‘ओहदा था।
  • जिन मा’लूमातों की ता’लीम दी जाती है उनका ज़ाहिर होना या बोला जा सकता है।
  • “तरबियत ” ख़ुदा के बारे में दी जानेवाली ता’लीमों का दारोमदार और ज़िन्दगी गुज़ारने के बारे में ख़ुदा के हुक्म है। इसका तर्जुमा “ख़ुदा की ता’लीमें ” या “ख़ुदा जो सिखाता है” की शक्ल में हो सकता है।
  • मज़मून पर मुनहसिर “तुझे सिखाया गया” कातर्जुमा , “इन लोगों ने तुझे जो सिखाया” या “ख़ुदा ने तुझे जो सिखाया” हो सकता है।
  • “ता’लीम देना” के और तर्जुमें “कहना”, या “समझना” या “हुक्म देना” हो सकते है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ज़यादा तर होता है, “इन्सानों को ख़ुदा के बारे में समझाना”

(यह भी देखें: हुक्म, उस्ताद, ख़ुदा का कलाम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H502, H2094, H2449, H3045, H3046, H3256, H3384, H3925, H3948, H7919, H8150, G1317, G1321, G1322, G2085, G2605, G2727, G3100, G2312, G2567, G3811, G4994

सिपहसालार , सरदारों

ता’अर्रुफ़:

“सिपहसालार” लफ़्ज़ फ़ौज के रहनुमा का हवाला देता है, जो सिपाहियों के दस्ते का रहनुमाई करने के लिए जिम्मेदार होता है।

  • सिपहसालार एक छोटे झुण्ड या एक बड़े मजमे’ का रहनुमा हो सकता है, जैसे कि एक हजार आदमियों का मजमा’
  • यह लफ़्ज़ यहोवा के बारे में भी इस्ते’माल होता है कि वह फ़रिश्तों की फ़ौज का रहनुमा है।

सिपहसालार के और तर्जुमे की शक्ल हैं “रहनुमा” या “सरदार” या “हाकिम”

  • फ़ौज को “हुक्म देना” का तर्जुमा “रहनुमाई करना” या “ज़िम्मेदार होना” की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: हुक्म, हाकिमो, सूबेदार)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2710, H2951, H1169, H4929, H5057, H6346, H7101, H7262, H7218, H7227, H7229, H7990, H8269, G5506

सिपाही , सिपाहियों, शमशीर ज़न मर्द , बहादुरों

सच्चाई:

“सिपाही ” और “सैनिक” दोनों लफ़्ज़ सेना में जंग करनेवाले इन्सानों के बारे में हैं। लेकिन इनमें कुछ फ़र्क़ है।

  • “शमशीर ज़न मर्द” एक आम और एक ख़ास लफ़्ज़ है जो जंग के मुल्क में एक माहिर और हिम्मती इन्सान होता है।
  • यहोवा को तम्सीली शक्ल में “जंग करने वाला ” कहा गया है।
  • “सिपाही ” या’नी फ़ौज का एक फ़र्द जो किसी जंग में लड़ता है।
  • यरूशलीम में रोमी सिपाही निज़ाम बनाए रखने और क़ैदियों को मौत की सज़ा देने के लिए मुक़र्रर किए गए थे। वे ‘ईसा को सलीब देने से पहले उसे क़ैदी बनाए हुए थे और कुछ को उसकी क़ब्र पर रखवाली करने के लिए भी रखा गया था।
  • मुतरज्जिम को ध्यान देना है कि उसकी ज़बान में “शमशीर ज़न मर्द” और “सिपाही ” के लिए दो अलग-अलग लफ़्ज़ हैं, जिनका मतलब और इस्तेमाल भी अलग अलग है।

(यह भी देखें: हिम्मत , सलीब पर चढ़ाना, रोम, क़ब्र)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: , H352, H510, H1368, H1416, H1995, H2389, H2428, H2502, H3715, H4421, H5431, H5971, H6518, H6635, H7273, H7916, G4686, G4753, G4754, G4757, G4758, G4961

सिर

ता’अर्रुफ़:

“सिर”, शख़्स या जानवर के सिर का हड्डी का ढाँचा।

  • कभी-कभी “खोपड़ी” लफ़्ज़ का इस्ते'माल “सिर” के लिए भी किया जाता है जैसे “ सिर मुंडवाले”।
  • “ सिर की जगह ” गुलगता का एक और नाम है जहाँ 'ईसा को सलीब पर चढ़ाया गया था।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “सिर” या “सिर की हड्डी” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: सलीब पर चढ़ाना, गुलगता)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1538, H2026, H2076, H2490, H2491, H2717, H2763, H2873, H2874, H4191, H4194, H5221, H6936, H6991, H6992, H7523, H7819, G337, G615, G1315, G2380, G2695, G4968, G4969, G5407

सिर, सिरों, माथा, माथों, चन्दुए, टोपियाँ, पेशानी, गुलूबंद, सिर कटवा दिया

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “सिर” लफ़्ज़ को मुख़तलिफ़ ‘अलामती शक्लों में काम में लिया गया है।

  • इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल इन्सानों पर इख़्तियार रखने वाले के लिए किया गया है। “तूने मुझे क़ौम-क़ौम का सिर बनाया है।” इसका तर्जुमा हो सकता हैः "तू ने मुझे बादशाह बनाया है" या “तूने मुझे.... पर इख़्तियार दिया है।"
  • ‘ईसा को “कलीसिया का सिर कहा गया है। जिस तरह इन्सान का सिर उसके जिस्म के ‘आज़ा को हुक्म देता है उसी तरह ‘ईसा अपने “जिस्म” कलीसिया के अफ़राद का हुक्म देता है।
  • नया ‘अहद नामा सिखाता है कि शौहर अपनी बीवी का सिर है। उसे अपनी बीवी और ख़ानदान की रहनुमाई और ज़िम्मेदारी सौंपी है।
  • “उसके सिर पर उस्तरा न चलाया जाए” या’नी “वह न तो कभी अपने बाल कटवाए और न ही कभी दाढ़ी बनवाए।”
  • “सिर” का मतलब कभी-कभी किसी बात के शुरू’आती दौर या ज़रिया’ से होता है जैसे, “राह का सिर (शुरू’)”
  • “गेहूं का सिर” या’नी गेहूं या जौ के पौधे का वह ऊपरी हिस्सा जहाँ बीज होता है।
  • “सिर” का एक और ‘अलामती इस्ते’माल है जो इन्सान के पूरी इंसानियत का ‘इल्म कराता है जैसे “सफेद सिर” या’नी बूढ़े लोग या “यूसुफ़ का सिर” या’नी यूसुफ़। (देखें: हमअहनगी
  • इज़हार “इसका ख़ून उसके सिर पर हो” या’नी उसकी मौत का ज़िम्मेदारर यही इन्सान हो और सज़ा पाए।

तर्जुमे की सलाह

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “सिर” का तर्जुमा हो सकता है, “इख़्तियार” या “रहनुमाई और हुक्म देने वाला” या “ज़िम्मेदार इन्सान”
  • इज़हार “का सिर” का मतलब है पूरी इंसानियत लिहाज़ा इसका तर्जुमा सिर्फ इन्सान के नाम से किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, “यूसुफ़ का सिर” जुमले का तर्जुमा आसानी से किया जा सकता है, “यूसुफ़”
  • इज़हार “उसके ही सिर पर होगा” इस जुमले का तर्जुमा किया जा सकता है, “उस पर हो” या “वह सज़ा पाए” या “वही ज़िम्मेदार माना जाए” या “वह मुजरिम माना जाए”।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “शुरू’आत” या “ज़रिया’” या “हाकिम” या “रहनुमा” या “ऊपर”।

(यह भी देखें: अनाज

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H441, H1270, H1538, H3852, H4425, H4761, H4763, H5110, H5324, H6285, H6287, H6797, H6915, H6936, H7139, H7144, H7146, H7217, H7226, H7218, H7541, H7636, H7641, H7872, G346, G755, G2775, G2776, G4719

सींग, सींगों, सींग वाले

सच्चाई:

सींग, बहुत से जानवरों के सिर पर शख़्त नुकीले भाग होते हैं, जैसे मवेशी, भेड़, बकरी, हिरन।

  • भेड़ें(नर भेड़) की सींग से मोशीक़ी का सामान बनाया जाता था, जिसे “नरसिंगा” या “शोफार” कहता है जिसे ख़ास जश्न जैसे कि मज़हबी ‘ईदों पर फूंका जाता था।
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि धूप जलाने की और पीतल की क़ुर्बानगाह के चारों कोनों पर सींग जैसी नख्खाशी करें। अगरचे इन नख्खाशी को सींग कहते थे, वे हक़ीक़त में जानवरों के सींग नहीं थे।
  • सींग कभी-कभी पानी या तेल के बर्तन को भी कहा जाता था जिसकी बनावट सींग जैसी होती थी। तेल का ऐसा सींग का इस्ते’माल एक बादशाह के मसह के लिए काम में लिया जाता था, जैसे सैमुएल ने दाऊद के साथ किया|
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा तुरही लफ़्ज़ के तर्जुमे से एक बिल्कुल अलग लफ़्ज़ के ज़रिए’ किया जाना चाहिए।
  • सींग लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल ताक़त, क़ुव्वत, इख़्तियार और शान को ज़ाहिर करने के लिए भी काम में लिया गया है।

(यह भी देखें: इख़्तियार, गाय, हिरन, बकरी, क़ुव्वत शाही, भेड़, तुरही)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's:H3104, H7160, H7161, H7162, H7782, G2768

सुकून , पुर सुकून , पुर अमन , सुकून के लायक़ , सुलह कराने वाले

ता’अर्रुफ़:

“सुकून ” लफ़्ज़ वह हालात हैं जब किसी भी तरह का झगड़ा या फ़िक्र या खौफ़ न हो। “पुर सुकून ” इन्सान सुकून को महसूस करता है और उसे हिफ़ाज़त का यक़ीन होता है।

  • “सुकून” उस वक़्त को भी दिखाता है जब कौमें और मुल्क आपस में जंग नहीं करते हैं। इन लोगों के “पुर सुकून रिश्ते ” कहलाते हैं।
  • किसी इन्सान का क़बीले के साथ “सुलह क़ायम ” को करने का मतलब है जंग रोकने की कोशिश करना।
  • “सुकून बनाने वाला” वह इन्सान है जो इन्सान को हमेशा सुलह में रहने के लिए काम करता है या असर करने वाली बातें करता है।
  • इन्सान के साथ “सुकून बनाए रखने” का मतलब है उनके साथ जंग नहीं करने की हालत में रहना।
  • ख़ुदा और इन्सानों में अच्छे और सही रिश्ते तब पैदा होते हैं जब ख़ुदा इन्सानों को गुनाहों से बचा लेता है। इसे " ख़ुदा के साथ मेल" कहते हैं।
  • “फ़ज़ल और सुकून” का इस्तकबाल रसूल अपने ख़तों में ईमानदारों को दु’आ की शक्ल में लिखते थे।
  • “सुकून” लफ़्ज़ का बयान इन्सानों के साथ या ख़ुदा के साथ सही रिश्ते में रहने से भी है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 15:06 ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था ,कि वह कना’न में लोगों के किसी भी झुण्ड के साथ समझौता __सुलह __ क़ायम न करे,
  • __15:12__तब ख़ुदा ने इस्राईलियों को सारी हदों के साथ __ अमन __ अता’ किया
  • __16:03__तब ख़ुदा ने एक नजात दहिन्दा ‘अता किया, जिन्होंने उन्हें अपने दुश्मनों से बचाया और मुल्क में __ अमन __ लाया
  • 21:13 वह और लोगों के गुनाहों की वजह से मारा जाएगा। उसको सज़ा होने से ख़ुदा और लोगों के बीच में __ अमन __ क़ायम होगा।
  • 48:14 दाऊद इस्राईल का राजा था, लेकिन ‘ईसा पूरे जहान का बादशाह है! वह फिर से आएगा, और अपने बादशाहत पर इन्साफ़ और __ अमन __ के साथ हमेशा बाद्शाही करेगा।
  • 50:17 ‘ईसा अपनी सल्तनत पर __ अमन __ व इन्साफ़ के साथ हुकूमत करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H5117, H7961, H7962, H7965, H7999, H8001, H8002, H8003, H8252, G269, G31514, G1515, G1516, G1517, G1518, G2272

सुतून , लाटें, खम्भा, खम्भों

ता’अर्रुफ़:

“खम्भा” एक बड़ी खड़ी चोटी जिस पर छत को या मकान के और हिस्से को रोका जाए। “खम्भा” का दूसरा लफ़्ज़ सुतून होता है।

  • कलाम के ज़माने में मकान को सहारा देने के लिए जो खंभे बनाए जाते थे वे आम तौर पर एक ही पत्थर में से काटकर निकाले जाते थे।
  • पुराने ‘अहद नामे में शिमसोन को फ़िलिस्तियों ने क़ैदी बना लिया था तब उसने उनके हैकल के खंभों को गिराकर हैकल को बर्बाद कर दिया था।
  • कभी-कभी “खंभा” लफ़्ज़ किसी की क़ब्र या किसी हादसे की याद में खड़ी की गई चट्टान को भी कहा गया है।
  • यह लफ़्ज़ किसी देवी-देवता के बुत की इबादत के बारे में भी इस्तेमाल किया गया है। किसी गढ़ी हुई शकल के लिए भी इस लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया गया है जिसका तर्जुमा “मुजस्समा ” किया जा सकता है।
  • “खंभा” लफ़्ज़ किसी भी सुतून की शक्ल वाली चोटी के लिए किया जा सकता है जैसे आग का खंभा जो इस्राईलियों की जंगल में रात को रहनुमाई करता था या “नमक का खंभा” लूत की बीवी नमक का खंभा बन गई थी जब उसने पलट कर सदोम को देखा था।
  • किसी मकान को थामने वाली चोटी के लिए “खंभा” लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जाता है तो इसका तर्जुमा “खड़ी पत्थर की लाट का सहारा” या “थामने वाली पत्थर कीचोटी ” किया जा सकता है।
  • “खंभा” के और इस्तेमाल का तर्जुमा हो सकता है, “मुजस्समा ” या “ढेर” या “सुतून ” या “इमारत ” या “ऊंची चोटी ” वगैरह जो मज़मून के मुताबिक़ सही हो।

(यह भी देखें: बुनयाद, बुत, शकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H352, H547, H2106, H2553, H3730, H4552, H4676, H4678, H4690, H5324, H5333, H5982, H8490, G4769

सुपुर्द करे, सुपुर्द करना, सुपुर्द किया, सुपुर्दगी

ता’अर्रुफ़

सुपुर्द करने के लिए ख़ास मक़सद या जशन के लिए किसी चीज़ को अलग करना या अंजाम देना है|

  • दाऊद ने अपना सोना-चांदी ख़ुदा को सुपुर्द कर दिया था।
  • अक्सर लफ़्ज़ “सुपुर्दगी” ज़ाती वाक़े’ या जशन के बारे में है जिसको किसी ख़ास मक़सद के लिए कुछ अलग करना है|
  • क़ुर्बानगाह की सुपुर्दगी में ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी पेश की जाती थी।
  • नहमियाह ने यरूशलीम की दीवारों को एक नए ‘अहद के साथ दुबारा ता’मीर के लिए इस्राईल की रहनुमाई की, जो यह था सिर्फ़ ख़ुदा की ख़िदमत और अपने शहर की देखभाल करना| इस वाक़े’ में मोसीक़ी के सामान और गाने के साथ ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी शामिल थी|
  • लफ़्ज़ "सुपुर्द" का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, " एक ख़ास मक़सद के लिए ख़ास इन्तख़ाब करना” या “किसी ख़ास इस्ते’माल के लिए कुछ करना” या “एक ख़ास काम करने के लिए किसी को सुपुर्द करना”

(यह भी देखेँ: वा’दा करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2596, H2597, H2598, H2764, H4394, H6942, H6944, G1456, G1457

सुलह कराने वाला

ता’अर्रुफ़:

“सुलह कराने वाला” दो गिरोह या ज़्यादा लोगों के बीच के तनाज़े या परेशानी को हल करता है। वह आपसी मेल में उनकी मदद करता है।

  • गुनाह की वजह से इन्सान ख़ुदा का दुश्मन है जो उसके ग़ुस्से और सज़ा का हिस्सा है। गुनाह की वजह, ख़ुदा और उसके लोगों के दरमियान ता'अल्लुक़ टूटा हुआ है।
  • ‘ईसा बाप ख़ुदा और उसके लोगों के बीच सुलह कराने वाला है उसने गुनाह की क़ीमत चुकाने के लिए अपनी मौत के ज़रिए' उसने टूटे हुए ता'अल्लुक़ात को बहाल कर दिया है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “सुलह कराने वाला का तर्जुमा हो सकता है”, “बिचौलियाँ” या “मेल कराने वाला” या “अमन क़ायम करनेवाला”
  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमा की बराबरी “काहिन” लफ़्ज़ के तर्जुमा से करें। “सुलह कराने वाला” का तर्जुमा अलग लफ़्ज़ से करेंगे तो बेहतर होगा।

(यह भी देखें: काहिन, सुलह करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3887, G3312, G3316

सुलह की क़ुर्बानी, सुलह की क़ुर्बानियों

सच्चाई:

“सुलह की क़ुर्बानी” ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ इस्राईल में जो क़ुर्बानियाँ पेश होती थी उनमें से एक यह भी थी। * इसे कभी-कभी “शुक्र की क़ुर्बानी” या “शराकत कीक़ुर्बानी” भी कहा गया है।

  • इनमें एक बे’ऐब जानवर को क़ुर्बान किया जाता था और उस जानवर का ख़ून क़ुर्बान गाह पर छिड़का जाता था, उसकी चर्बी और जानवर को अलग जलाया जाता था।
  • इस क़ुर्बानी के साथ बेख़मीरी रोटी तथा ख़मीरी रोटी दोनों की क़ुर्बानी चढ़ाई जाती थी जिन्हें आतिशी क़ुर्बानी के ऊपर जलाया जाता था।
  • काहिन और ईमानदार दोनों को यह गोश्त खाने की इजाज़त थी।
  • इस क़ुर्बानी में ख़ुदा को अपने लोगों के साथ शराकत ज़ाहिर होती थी।

(यह भी देखें: आतिशी क़ुर्बानी, शराकत, सुलह की क़ुर्बानी, अनाज की क़ुर्बानी, काहिन, क़ुर्बानी, बे ख़मीरी रोटी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8002

सूअर, सूअरों, सूअर का गोश्त , सुअर

ता’अर्रुफ़:

सूअर एक चौपाया है जिसे गोश्त वाले खाने के लिए पाला जाता है। उसका गोश्त “पोर्क” कहलाता है। "सूअर" लफ़्ज़ अक्सर सुअर की पूरी नसल के लिए काम लिया जाता है।

  • ख़ुदा ने इस्राईलियों के लिए सूअर का गोश्त खाना मना किया था इसलिए उसे नापाक ठहराया था। यहूदी आज भी इसे नापाक मानते है और उसके गोश्त से नफ़रत करते हैं।
  • सूअरों को पाल कर गोश्त के लिए बेचा जाता है।
  • एक तरह की सूअर की नसल जंगल में रहती है, उसे “जंगली सूअर” कहते हैं। जंगली सूअर के दांत बड़े होते हैं, और वह बहुत खतरनाक होता है।

बड़े सूअरों को “शूकर” कहा जाता है।

(यह भी देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: नापाक

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2386, G5519

सूबा, सूबा, सूबे के मुता’अल्लिक़

सच्चाई:

सूबा , किसी मुल्क या सल्तनत का एक हिस्सा होता है। लफ़्ज़ "जाती सूबा " किसी ‘इलाक़े से जुडी खबर देता है, जैसे की सूबे का हाकिम।

  • मसलन , पुराने फारसी मुल्क सूबों में बटा था जैसे मादी, फारस, सीरिया और मिस्र।
  • नये ‘अहद नामे के ज़माने में रोमी सल्तनत सूबों में बंटा था जैसे मकिदुनिया, एशिया, सीरिया, यहूदिया, सामरिया, गलील तथा गलातिया।
  • हर सूबे का अपना मनसबदार था जो सल्तनत के बादशाह या हाकिम के मातहत था। ऐसे हाकिम को “मनसबदार ”या“नाज़िम ” कहते थे।
  • “सूबा ” और “जाती सूबा ” कातर्जुमा , “’इलाक़ा ” और “’इलाक़ाई ” किया जा सकता है।

(यह भी देखें :एशिया, मिस्र, एस्तेर, गलतिया, गलील, यहूदिया, मकिदुनिया, मेडे, रोम, सामरिया, सीरिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4082, H4083, H5675, H5676, G1885

सेला

ता'अर्रुफ़:

“सेला” 'इब्रानी ज़बान का एक लफ़्ज़ है जो ज़्यादातर ज़बूर में देखा जा सकता है। इसके कई एक मुनासिब मतलब हैं।

  • इसका मतलब हो सकता है “ठहरो और ता'रीफ़ करो” इसके ज़रिए' सुनने वालों को आगाह किया जाता है कि वह मुनासिब लफ़्ज़ों पर तवज्जोह करें।.
  • ज़्यादातर ज़बूर के गीत में लिखे गए थे, ऐसा माना जाता है कि “सेला लफ़्ज़ शायद मौसीक़ी का कोई लफ़्ज़ रहा होगा जिससे गायक को रूकने का इशारा दिया जाता था कि सिर्फ़ सितार बजाया जाए या सुनने वालों को हौसला अफ़्ज़ाई किया जाता था कि ज़बूर के लफ़्ज़ों पर गौर करें।

(यह भी देखें: ज़बूर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5542

सोख़्तनी क़ुर्बानी, आतिशी कुर्बानियाँ, आग के ज़रिए’ हदिया

ता’अर्रुफ़:

“सोख़्तनी क़ुर्बानी” ख़ुदा के सामने क़ुर्बानगाह पर जलाई जाने वाली क़ुर्बानी है। यह क़ुर्बानी इन्सानों के गुनाह के क़फ़्फ़ारे के लिए थी। इसे “आतिशी कुर्बानी” भी कहते थे।

  • इस क़ुर्बानी के जानवर अमूमन भेड़ या बकरी थे लेकिन बैल और परिन्दे भी चढ़ाए जाते थे।
  • जिल्द को छोड़कर पूरा जानवर जला दिया जाता था। खाल या जिल्द काहिन को दे दी जाती थी।
  • ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ यूहदियों को रोज़ दो सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश करनी होती थी।

(यह भी देखें: क़ुर्बानगाह, क़फ़्फ़ारा, बैल, काहिन, क़ुर्बानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H801, H5930, H7133, H8548, G3646

सोता, सोते, चश्मा, चश्मे, उमड़ता

ता’अर्रुफ़:

अलफ़ाज़ “सोता” और “चश्मा” का अक्सर मतलब होता है बहुत ज़्यादा पानी की ता’दाद जो क़ुदरती तरीक़े से ज़मीन से बहता है|

  • किताब-ए-मुक़द्दस में इस लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी किया गया है कि ख़ुदा से निकलने वाली बरकतों का हवाला दे या साफ़ करने वाली या पाक करने वाली चीज़ का हवाला दे।
  • नए ज़माने में, सोता इन्सान के ज़रिए’ बनाई हुई चीज़ होती है जिसमें पानी का बहाव होता है, जैसे पीने के पानी का सोता। यक़ीनी बनायें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा क़ुदरती पानी का ज़रिया’ को ज़ाहिर करे।
  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमें का मुक़ाबला “बाढ़” के तर्जुमे से करें।

(यह भी देखें: बाढ़

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H794, H953, H1530, H1543, H1876, H3222, H4002, H4161, H4456, H4599, H4726, H5033, H5869, H5927, H6524, H6779, H6780, H7823, H8444, H8666, G242, G305, G393, G985, G1530, G1816, G4077, G4855, G5453

सोना, सोने

ता’अर्रुफ़:

सोना पीले रंग की अच्छी धातु है जिससे ज़ेवरात और मज़हबी चीज़ें बनाई जाती हैं। पुराने ज़माने में यह सबसे ज़्यादा क़ीमती धातु थी।

  • कलाम के वक़्त में, सोने से अलग अलग चीज़ें बनाई जाती थी या चीज़ों पर सोना चढ़ाया जाता था।
  • ये चीज़ें थी क़ुन्दन दूसरे ज़ेवरात , बुत ,क़ुर्बान गाह और घर (ख़ेमा ) या हैकल की दूसरी चीज़ें जैसे 'अहद का सन्दूक़।
  • पुराने 'अहद नामे के वक़त में सोना ख़रीद -ओ-फ़रोख़्त के काम में आता था। उसे तराज़ू में तोल कर उसकी क़ीमत मा'लूम किया जाता था।
  • बा'द में सोने और चाँदी के सिक्के ख़रीद -ओ-फ़रोख़्त में काम में आने लगे।
  • जब किसी ऐसी चीज़ का ज़िक्र हो जो सोने की नहीं हो उस पर सिर्फ़ सोना चढ़ा हुआ था तो “सुनहरा” या “सोना चढ़ा” या “सोने से ढका हुआ ” तर्जुमा किया जा सकता है।
  • कभी-कभी किसी चीज़ को “सुनहरा” कहा जाता है, या'नी वह उसका रंग सोने जैसा है लेकिन सोने से बनी नहीं है।

(यह भी देखें: क़ुर्बानगाह , ‘अहद का सन्दूक़, झूठे मा’बूद , चांदी, ख़ेमा-ए-इज्तिमा' , हैकल )

किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1220, H1222, H1722, H2091, H2742, H3800, H4062, H5458, H6884, H6885, G5552, G5553, G5554, G5557

हक़ीर जाने ,हक़ीर

सच्चाई:

“हक़ीर जानने” का बयान बहुत ही ज़लील और बेइज़्ज़ती से है जो किसी चीज़ या इन्सान के लिए है। जो बात बहुत ही ज़लालत की हो उसे बेइज़्ज़ती (घिनौनी) कहते हैं।

  • ख़ुदा के लिए इन्कार ज़ाहिर करने वाला इन्सान या ख़सलत “हक़ीर” कहलाता है। इसका तर्जुमा “बहुत ज़लालत ” या “पूरी तरह बेइज़्ज़ती ” या “बुराई के लायक़ ” हो सकता है।
  • “हक़ीर जानना” या’नी किसी को अपने से कम अहमियत का या “कम लियाक़त का समझना।
  • ज़ेल कलाम का मतलब यही हो सकता है, “का इन्कार ” या “घिनौना समझना” या “नफ़रत करना” या “हक़ीर समझना”। इन सबका मतलब है, “ज़लालती ” या “बहुत बे इज़्ज़ती ” कह कर या करके।
  • जब बादशाह दाऊद ने ज़िना और क़त्ल किया तब ख़ुदा ने कहा, “तूने यहोवा के हुक्म को हक़ीर जानकर....” इसका मतलब है कि उसने अपने इस बुरे काम के ज़रिये’ ख़ुदा की बहुत बेइज़्ज़ती व ज़लील किया था।

(यह भी देखें: बेइज़्ज़ती)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H936, H937, H959, H963, H1860, H7043, H7589, H5006, G1848

हफ़्ते, हफ़्तों

ता'र्रुफ़:

“हफ़्ता” लफ्ज़ सात दिन के वक़्त के बारे में है।

  • यहूदी हफ़्ता का शुरू' शनीचर के ग़ुरूब से गिनते थे और हफ़्ते का आख़िर अगले शनिवार को ग़ुरूब आफ़्ताब तक मानते थे।

किताब ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ "हफ़्ता" का इस्ते'माल कभी कभी 'अलामती तौर सात वक़्त की चीज़ों की जमा', जैसे सात साल के तौर पर किया जा सकता है| "हफ़्ते की फ़सह" फ़सल कटने का एक जशन है जो फ़सह के सात हफ़्तों के बा'द होता है| इसे "पिन्तेकुस्त" भी कहते हैं|

(यह भी देखें: पिन्तेकुस्त)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7620, G4521

हम्द , हम्द , बड़ाई की,बड़ाई करते, बड़ाई की बात

ता’अर्रुफ़:

किसी की ता’रीफ़ करना या’नी उस इन्सान की पसंदीदगी और उसकी इज़्ज़त करना।

  • इन्सान ख़ुदा की हम्द करता है क्योंकि वह अज़ीम है और उसने दुनिया को नजात देने और बनाने के हैरानी के काम किए हैं।
  • ख़ुदा की हम्द में उसके कामों के लिए शुक्र होता है।
  • ख़ुदा की हम्द में हमेशा साज़ और हम्द गीत होते हैं।
  • ख़ुदा की हम्द उसकी इबादत का एक हिस्सा है।
  • “हम्द करना” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी के बारे में अच्छी बात कहना” या “लफ़्ज़ों के ज़रिये’ बहुत इज़्ज़त ‘अता करना” या “किसी का मदह सराई करना”।
  • “हम्द ” इस्म लफ़्ज़ का तर्जुमा “इज्ज़तदार इन्सान ” या “इज़्ज़त का लक़ब देना” या “अच्छाईयों का बयान ”।

(यह भी देखें: इबादत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 12:13 इस्राईलियों ने बहुत ख़ुश होकर ख़ुशी मनाया क्योंकि ख़ुदा ने उन्हें मौत व ग़ुलामी से बचाया! अब वह ख़ुदा की __इबादत __ करने की लिये आज़ाद थे |
  • 17:08 जब दाऊद ने यह लफ़्ज़ सुने, उसने फ़ौरन ही ख़ुदा की शुक्रगुज़ारी किया और उसकी __हम्द __ की, क्योंकि ख़ुदा ने दाऊद से अज़ीम इज़्ज़त और बहुत सी बरकतों का वा’दा किया था |
  • 22:07 तब ज़करियाह ने कहा कि, “ख़ुदावन्द ख़ुदा __ हम्द__, क्योंकि उसने अपने लोगों पर नज़र की और उनका छुटकारा किया है |
  • 43:13 और ख़ुदा की __हम्द __ करते हुए ख़ुशी करते थे और वे हर चीज़ एक दुसरे से बाटते थे |
  • 47:08 उन्होंने पौलुस और सीलास को क़ैदख़ाने के सबसे हिफ़ाज़ती हिस्से में रखा था और यहां तक कि उनके पैरों को भी बांध रखा था| फिर भी आधी रात को पौलुस और सीलास दुआ करते हुए ख़ुदा की __हम्द __ गा रहे थे |

शब्दकोश:

  • Strong's: H1319, H6953, H7121, H7150, G1229, G1256, G2097, G2605, G2782, G2783, G2784, G2980, G3853, G3955, G4283, G4296

हरम,हरमों

ता’अर्रुफ़:

“हरम” किसी शादी शुदा आदमी की दूसरी बीवी होती है। हरम अक्सर क़ानूनी तौर पर शादी की हुई बीवी नहीं होती है।

  • पुराने ‘अहद नामे में हरमें ज़्यादातर ख़ादिमा होती थी।
  • हरमों को या तो ख़रीदा जाता था, या जंग में जीता जाता था या क़र्ज़ चुकाने की जगह पर रखा जाता था।
  • बादशाह के लिए बहुत सी हरमें रखना ताक़त का निशान था।
  • नया ‘अहद नामा कहता है कि हरमें रखना ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3904, H6370

हल, हल चलाना, हल चलाया, हल जोतने, हलवाहों, जोतनेवाला, किसान, हल की फाल, अजोत

ता’अर्रुफ़:

“हल” खेत में ज़मीन जोतने का औज़ार होता है।

  • हल में नुकीली टिंगलियां होती है जिनसे ज़मीन खुदती है। उनका एक डंडा होता है जिसे पकड़कर किसान उसे सीधा रखता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में हल बैलों या और जानवरों के ज़रिये खींचा जाता है।
  • हल ज़्यादातर सख़्त लकड़ी के होते थे जिनके फल तांबे या लोहे के होते थे।

(यह भी देखें: ताँबा, बैल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H406, H855, H2758, H2790, H5215, H5647, H5656, H5674, H6213, H6398, G722, G723

हलीम, हलीमी

ता’अर्रुफ़:

“हलीम” लफ़्ज़ उस शख़्स को बताता है जो मूतमइन, नर्म, और ना इंसाफ़ी का सहनेवाला है। हलीमी ख़ाकसारी की क़ूव्वत है जब सख्ती और ताक़त का इस्ते'माल किया जाए।

  • हलीमी हमेशा ख़ाकसारी के साथ जुड़ी रहती है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “शरीफ़” या “मीठी” या “नर्म अन्दाज़ी” किया जा सकता है।
  • “हलीमी” का तर्जुमा “शराफ़त” या “ख़ाकसारी” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: ख़ाकसार)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6035, H6037, H6038, G4235, G4236, G4239, G4240

हवाले करना,हवाले करता है,हवाले किया है,हवाले करते, ‘अहद

ता’अर्रुफ़:

“हवाले करना”और ‘अहद” के बारे में फ़ैसला लेने से या कुछ करने का भरोसा देते हैं|

  • कोई इन्सान किसी काम को करने ‘अहद करता है, उसके लिए कहा जाता है कि वह करने के लिए तैयार है।
  • “काम सौंपना” या’नी किसी इन्सान को कोई काम देना। मसलन 2 कुरन्थियों में पौलुस कहता है कि ख़ुदा ने मेल-मिलाप की ख़िदमत हमें सौंप दी (या “सौंपा”) है।
  • इसी से मुता’लिक़ लफ़्ज़ है “हवाले करना” और “हवाले किया है” जो ग़लत काम के लिए इस्ते’माल किए गए हैं, जैसे “गुनाह करना” या “ज़िना करना” या “क़त्ल करना”।
  • “ख़िदमत सौंप दी” का तर्जुमा हो सकता है, “उसे काम सौंपा” या “उस पर एक काम के लिए यक़ीन किया” या “उसे एक काम दिया” या "उसे काम सौंपा।"
  • “सौंपना” का तर्जुमा हो सकता है, “काम जो दिया गया” या “’अहद जो किया गया ”।

(यह भी देखें: ज़िनाकारी, ईमान, ‘अहद, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H539, H817, H1361, H1497, H1500, H1540, H1556, H2181, H2388, H2398, H2399, H2403, H4560, H4603, H5003, H5753, H5766, H5771, H6213, H6466, H7683, H7760, H7847, G264, G2038, G2716, G3429, G3431, G3860, G3872, G3908, G4102, G4160, G4203

हसद, लालच

ता'र्र्फ़:

“हसद” लफ्ज़ का मतलब है किसी की दोलत या क़ाबिले ता'रीफ़ खुसूसियात की वजह से उससे जलना। “लालच” का मतलब है किसी चीज की मज़बूती से ख्वाहिश करना।

  • हसद 'आम तौर पर किसी दोसरे शख़स की सफलता, ख़ुश क़िस्मत या दोलत की वजह से नाकामी की मनफ़ी अहसास है।
  • लालच किसी और की जाएदाद, या यहाँ तक ​​कि किसी और का शोहर या बीवी की ख्वाहिश रखने की एक मज़बूत ख्वाहिश है।

(यह भी देखें: हसद ../kt/jealous.md))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H183, H1214, H1215, H2530, H3415, H5869, H7065, H7068, G866, G1937, G2205, G2206, G3713, G3788, G4123, G4124, G4190, G5354, G5355, G5366

हाकिम ,हाकिमों

ता’अर्रुफ़:

“हाकिम”लफ़्ज़ किसी क़ौम के सबसे ख़ास रहनुमा का इल्म कराता है |

  • इसकी मिसाल हैं ,”हाकिम मौसीक़ी कार”,”हाकिम काहिन “,और चुंगी लेने वालों का हाकिम “और “हाकिम बादशाह “|
  • इसका इस्ते’माल घर के ज़िम्मेदार के लिए भी किया जा सकता है जैसा पैदाइश बाब 36 में कुछ आदमियों को क़बीले को “हाकिमों” कहा गया है| इस बारे में “हाकिम”का तर्जुमा “रहनुमा” या “पेशवा बाप”हो सकता है|

इस्म की शक्ल में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “पेशवा” या “बादशाह “ किया जा सकता है जैसे “पेशवा बजाने वाला “ या “ओहदे दार काहिन “|

(यह भी देखें: हाकिम-काहिन, काहिन, चुंगी लेने वाला)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H47, H441, H5057, H5387, H5632, H6496, H7218, H7225, H7227, H7229, H7262, H8269, H8334, G749, G750, G754, G4410, G4413, G5506

हाकिम काहिनो

ता’अर्रुफ़:

सरदार काहिन ‘ईसा के वक़्त ख़ास यहूदी मज़हब के रहनुमा थे |

  • हैकल में ‘इबादत के लिए ज़रूरी हर एक बात के लिए सरदार काहिन जवाब देह थे | वह हैकल में आने वाले पूरे माल के मुख्तार थे |
  • वह आम काहिनों से ‘उहदे और इख़्तियार में ज्यादा अहम थे | सिर्फ़ सरदार काहिन का इख़्तियार सबसे ज़्यादा था |
  • सरदार काहिन ‘ईसा के ख़ास दुश्मनों में से थे और उन्होंने रोमी हाकिमो को ‘ईसा को क़ैदी बनाने और मौत की सज़ा देने के लिए मजबूर किया था |

तर्जुमे की सलाह :

  • ”हाकिम काहिन “ का तर्जुमा “हाकिम इमाम “या “ख़ास इमाम “या “आलिम इमाम” किया जा सकता है |
  • तय करें कि यह तर्जुमा “सरदार काहिन “के तर्जुमा से अलग हो |

(यह भी देखें: हाकिमसरदार काहिनयहूदी रहनुमा काहिन)

किताब-ए-मुकद्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3548, H7218, G749

हाकिम, क़ानून, क़ानूनी, हाकिम, हाकिमों, फैसलों, फैसलों, नामंजूर कर दिया

ता’अर्रुफ़:

“हाकिम” ‘आमतौर पर एक आदमी जो दीगर लोगों पर इख़्तियार रखता है, जैसे किसी मुल्क, बादशाही, या मज़हबी क़बीले का रहनुमा| एक हाकिम वह है जो "‘अहदनामे" और उसका इख़्तियार उसका "क़ानून" है।

पुराने ‘अहदनामे में बादशाह को भी हाकिम कहा जाता था जैसे इस जुमले में है, “इस्राईल पर हाकिम ठहराया” ख़ुदा को सबसे बड़ा बादशाह कहा गया है जो बादशाहों का बादशाह है। नये ‘अहदनामे में ‘इबादतख़ाने के रहनुमा को सरदार कहा गया है। नये ‘अहदनामे में एक और हाकिम था जिसे हाकिम कहा गया है। मज़मून पर मुनहस्सिर “हाकिम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “रहनुमा” या “इख़्तियार रखनेवाला इन्सान” किया जा सकता है। “हुकूमत करने” के काम का मतलब है, “रहनुमाई करना” या “किसी पर इख़्तियार रखना”। इसका मतलब वही है जैसे “बादशाही करना” जब बादशाह के बारे में होता है।

(यह भी देखें: इख़्तियार, हाकिम, बादशाह, ‘इबादतख़ाने)

किताब-ए-मुक़द्दस के के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H995, H1166, H1167, H1404, H2708, H2710, H3027, H3548, H3920, H4043, H4410, H4427, H4428, H4438, H4467, H4474, H4475, H4623, H4910, H4941, H5057, H5065, H5387, H5401, H5461, H5715, H6113, H6213, H6485, H6957, H7101, H7218, H7287, H7300, H7336, H7786, H7860, H7980, H7981, H7985, H7989, H7990, H8199, H8269, H8323, H8451, G746, G752, G755, G757, G758, G932, G936, G1018, G1203, G1299, G1778, G1785, G1849, G2232, G2233, G2525, G2583, G2888, G2961, G3545, G3841, G4165, G4173, G4291

हाथ, हाथों, हाथ किया, सौपना, के ज़रिए’, पर हाथ रखना, पर हाथ लगाता, दाहिना हाथ, दाहिने हाथ, के हाथ से

ता’अर्रुफ़:

“हाथ” को किताब-ए-मुक़द्दस में मुख़तलिफ़ तरीक़ों से ‘अलामती इस्ते’माल किया गया है|

  • किसी के “हाथ” में कुछ देने का मतलब है, कोई चीज़ किसी इन्सान के हाथ पर रख देना।

  • लफ़्ज़ “हाथ” को अक्सर ख़ुदा की क़ुव्वत और ‘अमल के बारे में इस्ते’माल हुआ है, जैसे जब ख़ुदा कहता है “क्या मेरा हाथ उन सब चीज़ों के लिए नहीं है” (देखें: मो’तबर

  • इज़हार जैसे “को पकड़वाया” या “के हाथों में कर दिया जाएगा” का मतलब है किसी के ताबे’ या इख़्तियार में किसी को देना।

  • “हाथ” के और ‘अलामती इस्ते’माल हैं।

  • “हाथ डालना” या’नी “नुक़सान पहुँचाना।”

  • “हाथों से बचाना” किसी को किसी के नुक़सान से बचाना।

  • “दायें तरफ़” होने की हैसियत होना का मतलब “दाहिनी तरफ़” या “के दायें”|

  • इज़हार “के हाथ के ज़रिए’” मतलब “से” या “ज़रिए’” किसी इन्सान के ‘अमल के बारे में है| मिसाल के तौर पर, “ख़ुदा के हाथों के ज़रिए’” या’नी ख़ुदा वही है जो सबकुछ करने का ज़रिया’ है|

  • हाथों को किसी पर रखना अक्सर उस शख़्स को बरकत देते वक़्त ऐसा किया जाता है|

  • लफ़्ज़ “हाथों के रखने” का मतलब है किसी को ख़ुदा की ख़िदमत में सुपुर्द करने के लिए या अच्छे होने की दु’आ करने के लिए।

  • जब पौलुस कहता है, “पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ” या’नी ख़त का वह हिस्सा उसके ज़रिए’ लिखा गया है न कि बोलकर किसी से लिखाया गया।

तर्जुमे की सलाह

  • ये इज़हार और अजज़ा-ए-कलाम का तर्जुमा और ‘अलामती इज़हार के ज़रिए’ किया जा सकता है जो एक जैसे मतलब के हों| या मतलब को सीधे अलफ़ाज़ का इस्ते’माल करके तर्जुमा किया जा सकता है।
  • इज़हार "उसे तूमार सौंप दिया" भी तर्जुमा किया जा सकता है "उसे तूमार दिया" या "तूमार को उसके हाथ में रख दिया।" यह उसे मुस्तक़िल तौर पर नहीं दिया गया था, लेकिन उस वक़्त इस्ते’माल करने के मक़सद से दिया गया था।
  • जब "हाथ" इन्सान के बारे में बताता है, जैसे "ख़ुदा के हाथों ने ऐसा किया," तब इसका तर्जुमा "ख़ुदा ने यह किया" किया जा सकता है|
  • एक इज़हार जैसे कि "उन्हें अपने दुश्मनों के हाथों में डाल दिया" या "उन्हें अपने दुश्मनों को सौंप दिया," का तर्जुमा किया जा सकता है, "उनके दुश्मनों को उन्हें जीतने की इजाज़त दी" या "उन्हें अपने दुश्मनों के ज़रिए’ पकड़ा गया" या "उनके दुश्मनों को उन पर इख़्तियार हासिल करने के लिए ताक़तवर बनाया।"
  • "हाथ से मरने" के लिए का तर्जुमा किया जा सकता है "ज़रिए’ मारा जाएगा।"
  • इज़हार "दाहिने हाथ पर" लफ़्ज़ का तर्जुमा "के दाहिनी ओर" के तौर में किया जा सकता है।
  • ‘ईसा के बारे में "ख़ुदा के दाहिने ओर पर बैठा", अगर यह उस ज़बान में इसे बड़ी ‘इज़्ज़त और बराबर इख़्तियार की हालत का हवाला नहीं देता है, तो उस मतलब के साथ एक अलग इज़हार का इस्ते’माल किया जा सकता है। या एक छोटी तफ़सील को जोड़ा जा सकता है: “ऊँचे इख़्तियार की हालत में, ख़ुदा के दाहिने तरफ़|”

(यह भी देखें: दुश्मन, बरकत देना, क़ैदी, ‘इज़्ज़त, क़ुव्वत

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H405, H2026, H2651, H2947, H2948, H3027, H3028, H3225, H3231, H3233, H3709, H7126, H7138, H8040, H8042, H8168, G710, G1188, G1448, G1451, G1764, G2021, G2092, G2176, G2902, G4084, G4474, G4475, G5495, G5496, G5497

हामिला , हमल, हामिला , हमला होना

ता’अर्रुफ़:

“हामिला” या “हामिला होना” के मा’नी हैं “औलाद को हमल में रखना” यह लफ़्ज़ जानवरों के लिए भी काम में लिया जा सकता है।

  • “हामिला होना” का तर्जुमा “हामिला का होना ” या इसके जैसा कोई लफ़्ज़ हो तो उसका इस्ते’माल करें।
  • इससे जुड़े लफ़्ज़ “हामिला होना”का तर्जुमा “हमल की शुरूआत”या हामिले का वक़्त “

इसका बयान किसी बात का करना या ख़्याल करना जैसे बनाना ,मंसूबा या काम से भी हो सकता है | इसके तर्जुमे की शक्लें हो सकती हैं, “ख़्याल करना ” या “मंसूबा बनाना” या “बनाना ” जो मज़मून के जैसा हो।

  • कभी-कभी यह लफ़्ज़ ‘अलामती शक्ल में काम में लिया जाता है जैसे ख़्वाहिश हामिला होकर गुनाह को पैदा करती है या’नी“जब गुनाह का पहला ख़्याल आता है” या “गुनाह का शुरूआती वक़्त ” या “जब गुनाह की शुरूआत होती है”।

(यह भी देखें: बच्चे दानी, हमल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2029, H2030, H2032, H2232, H2254, H2803, H3179, G1080, G1722, G2602, G2845, G4815

हासिल करना, हासिल करता, मिला, हासिल करते, लेनेवाला

ता’अर्रुफ़:

“हासिल करना” का ‘आम मतलब कोई दी हुई या पेश की गई या हाज़िर की हुई या हासिल किए हुए को क़ुबूल करना।

“हासिल करना” का मतलब दुख सहना या किसी बात का तजरुबा करना भी हो सकता है जैसे “उसे अपने ‘आमाल की सज़ा मिली” एक ख़ास मतलब भी है जिसमें हम किसी आदमी को हासिल करते है। मिसाल के तौर पर मेहमानों या ज़ायरीन का इस्तक़बाल करना या’नी उन्हें हासिल करके उनकी इज़्ज़त करना, जिससे उनके साथ रिश्ता बनाया जाए। “पाक-रूह का हदिया हासिल करना” का मतलब है हमें पाक रूह दिया गया है और हम अपने ज़िन्दगी में और अपने ज़िन्दगी के के ज़रिए’ उसे काम करने के लिए उसका इस्तक़बाल करते हैं। “‘ईसा को हासिल करना” का मतलब है मसीह ‘ईसा के के ज़रिए’ ख़ुदा के नजात का हदिया क़ुबूल करना। जब अन्धा इन्सान “नज़र का हदिया हासिल करता है” तो इसका मतलब है ख़ुदा ने उसे ठीक कर दिया है और उसे देखने की सलाहियत ‘अता की है।

तर्जुमे की सलाह:

मज़मून पर मुनहस्सिर “हासिल करना” का तर्जुमा, “क़ुबूल करना” या “इस्तक़बाल करना” या “तजरुबा करना” या “पाना” हो सकता है। “तुम क़ुव्वत पाओगे” इस इज़हार का तर्जुमा, “तुम्हें ताक़त दी जाएगी” या “ख़ुदा तुम्हें क़ुव्वत ‘अता करेगा” या “तुम्हें क़ुव्वत दी जाएगी (ख़ुदा के जारी’)” के तौर पर हो सकता है। "उसने नज़र हासिल की" जुमले का तर्जुमा, क्योंकि "देखने के लायक़ था" या "फिर से देखने में लायक़ हो गया" या "ख़ुदा के ज़रिए’ ठीक किया गया ताकि वह देख सके" के तौर पर किया जा सकता है।

(यह भी देखें: पाक रूह, ‘ईसा, ख़ुदावंद, नजात)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 21:13 नबियों ने यह भी कहा कि मसीह कामिल होगा जिसने कोई गुनाह न किया होगा | वह दीगर लोगों के गुनाहों की सज़ा लेने की वजह से मारा जाएगा | उसकी सज़ा होने से ख़ुदा और लोगों के बीच में सुकून क़ायम होगी |
  • __45:05__जब स्तिफ़नुस मरने पर था, वह दु’आ करने लगा कि, “ऐ ख़ुदावंद ‘ईसा मेरी रूह को हासिल कर |”
  • 49:06 ‘ईसा ने कहा कि कुछ लोग उसे हासिल करेंगे और नजात पाएँगे, लेकिन बहुत से लोग ऐसा नहीं करेंगे |
  • 49:10 जब ‘ईसा सलीब पर मरे, उन्होंने तुम्हारी सज़ा अपने ऊपर ले ली |
  • 49:13 जो कोई भी ‘ईसा पर ईमान करता और उसे ख़ुदावंद की शक्ल में क़ुबूल करता है ख़ुदा उसे बचाएगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1878, H2505, H3557, H3947, H6901, H6902, H8254, G308, G324, G353, G354, G568, G588, G618, G1183, G1209, G1523, G1653, G1926, G2210, G2865, G2983, G3028, G3335, G3336, G3549, G3858, G3880, G3970, G4327, G4355, G4356, G4687, G4732, G5264, G5274, G5562

हिदायत, हिदायत देता , हिदायत दिए, हिदायत देते रहना, , हुक्म, हुक्म देने वाला

सच्चाई:

"हुक्म" और "हिदायत" लफ़्ज़ों के बारे किसी काम को करने के पुख़्ता हुक्म है।

  • “हुक्म” देने से मतलब किसी को बताना कि वह ख़ास करके क्या काम करे।
  • जब 'ईसा ने अपने शागिर्दों को रोटी और मछलियाँ दी कि लोगों में बांट दें तब उसने उन्हें ख़ास हुक्म दिए कि कैसे करना है।
  • जुमलों के मुताबिक़ “हुक्म” लफ़्ज़ का तर्जुमा “कहना” या “हुक्म देना” या “ता'लीम देना” या “हुक्म देना” भी किया जा सकता है।
  • “हुक्म” देने का तर्जुमा “हुक्म” या “समझाना” या “उसने जो कहा है उसे करना” किया जा सकता है।
  • जब ख़ुदावन्द हुक्म देता है तब उसका तर्जुमा “फ़रमान” या “हुक्म” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: हुक्म, हुक्म, ता’लीम/सिखाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H241, H376, H559, H631, H1004, H1696, H1697, H3256, H3289, H3384, H4148, H4156, H4687, H4931, H4941, H5657, H6098, H6310, H6490, H6680, H7919, H8451, H8738, G1256, G1299, G1319, G1321, G1378, G1781, G1785, G2322, G2727, G2753, G3559, G3560, G3614, G3615, G3624, G3811, G3852, G3853, G4264, G4367, G4822

हिम्मत , हिम्मत बांधे, हौसला , हौसला अफ़ज़ाई , हिम्मत बाँधो, उदास, उदासी , उदास करना, मायूसी

सच्चाई:

“हिम्मत ” का मतलब है निडर होकर सामना करना या कठिन , ख़ौफ़नाक और मुश्किल का काम करना।

  • “दिलेरी ” (निडर ) हिम्मत दिखानेवाला आदमी चाहे वह ख़ौफ़ज़दह हो या उस पर छोड़ने का दबाव हो।
  • इन्सान पर जब दिमाग़ी या जिस्मानी दुख़ आता है तब वह ताक़त का इस्ते’माल करके कोशिश के साथ हिम्मत को ज़ाहिर करता है।
  • “हिम्मत बांधो” या’नि “डरो मत” या “ईमान रखो कि सब अच्छा होगा”
  • जब यशू’अ कना’न जैसे ख़तरनाक इलाक़े’ में दाख़िल होने की तैयारी कर रहा था तब मूसा ने उसे हौसला दिया कि वह “हिम्मत बांधकर और मज़बूत होकर” रहे।
  • “हिम्मत ” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है “बहादुर” या “निडर” या “दिलेर ”
  • मज़मून केमुताबिक़ , “हिम्मत बांधने” का तर्जुमा हो सकता है, “दिमाग़ी तौर से मज़बूत ” या “यक़ीन करना” या “मुस्तहकम रहना”।
  • “निडर होकर बोलना” का तर्जुमा “निडर होकर कहना” या “बिना किसी डर के कहना” या “यक़ीन के साथ कहना”।

“हौसला देना” और “हौसला ” ऐसे लफ़्ज़ हैं जिनके ज़रिये’ इन्सानों में हिम्मत , उम्मीद , यक़ीन और हिम्मत पैदा की जाती है।

  • ऐसा ही एक लफ़्ज़ है, “समझाना” (ता’लीम देना) जिसका मतलब है किसी से ग़लत काम को छुड़ाने का और सही व भले काम करने की गुज़ारिश करना।
  • पौलुस रसूल और नये अहद नामे के और मुसन्निफों ने ईमानदारों को समझाया कि वे आपस में मुहब्बत रखें और ख़िदमत करें।

"मायूसी " लफ़्ज़ का बयान ऐसा कुछ कहना या करना जिससे लोगों की उम्मीद , ख़ुद ‘एतिमाद और हिम्मत खो जाए और जिस काम में वे जानते है उन्हें ज़्यादा मेहनत करना चाहिए उन्हें उसे करने की ख़्वाहिश घट जाती है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “हौसला लफ़्ज़ के तर्जुमें ” “मिन्नत करना” या “सुकून देना” या “रहम दिल लफ़्ज़ों का इस्ते’माल करना” या “मदद करना एवं हिमायतकरना ” हो सकते हैं।
  • “हौसला अफ़ज़ाई की बातें” या’नी “ऐसी बातें जिनसे इन्सान को प्यार , क़ुबूलियत और ताक़त पाने का ‘इल्म ” हो।

(यह भी देखें: ख़ुद’एतिमादी, ता’लीम, डर. \ताक़त](../other/strength.md))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H533, H553, H1368, H2388, H2388, H2428, H3820, H3824, H7307, G2114, G2115, G2174, G2292, G2293, G2294, G3870, G3874, G3954, G4389, G4837, G5111

हिरन, हिरनी, हिरनियाँ, हिरन का बच्चा, हिरन, छोटी हिरन

ता’अर्रुफ़:

हिरन एक बड़ा, हलीम, चौपाया जानवर होता है, वह जंगलों और पहाड़ों में रहता मुज़क्कर जानवर के सिर बड़े सींग या मर्गी है|

  • लफ़्ज़ “हिरनी” मु’अन्नस हिरन के बारे में इस्ते’माल किया गया है, और हिरन के बच्चे “हिरन” कहलाते हैं।
  • लफ़्ज़ “हिरन” का हवाला मुज़क्कर हिरन से है।
  • एक “हिरन” हिरन की एक और क़िस्म है, “छोटी हिरन”।
  • हिरन के पतले मज़बूत पैर होते हैं जो उसको ऊँची कूद और दौड़ने में मदद करती हैं|
  • उनके खुर चिरे होते हैं जिनकी मदद से वह किसी भी ‘इलाक़े पर आसानी से चलते या दौड़ते हैं|

(यह भी देखें: अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करे)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में

शब्दकोश:

  • Strong's: H354, H355, H365, H3180, H3280, H6643, H6646

हुकूमत करना, मालिक , हुकूमतें, गवर्नर, गवर्नरो, हाकिम,

ता’अर्रुफ़:

गवर्नर वह शख़्स है जो किसी सल्तनत, ‘इलाक़ा या सरहद में हुकूमत करता है। “हुकूमत करना” या'नी रहनुमाई करना, लोगों का निज़ाम करना।

  • लफ़्ज़ "सूबे का हाकिम (हाकिम)" एक गवर्नर के लिए एक ज़्यादा ख़ास लक़ब था जो एक रोमन सूबा पर हुकूमत करते थे।

कलाम के वक़्त में हाकिम बादशाह या शहनशाह के ज़रिए' मुक़र्रर किए जाते थे, वह उसके ताबे' रहते थे।

  • "मालिक" सभी बादशाहों के होते हैं जो एक ख़ास मुल्क या सल्तनत पर हुकूमत करते हैं। यह हाकिम ऐसे क़ानून बनाते हैं जो अपने रहने वालों के सुलूक की रहनुमाई करते हैं ताकि उस मुल्क के सभी लोगों के लिए अमन, हिफ़ाज़त और ख़ुशहाली हो।

तर्जुमा की सलाह:

“गवर्नर” का तर्जुमा “हुक्मरान” या निगरानी ” या “'इलाक़े का रहनुमा ” या “एक छोटे 'इलाक़े का हाकिम” भी किया जा सकता है।

  • जुमले के तर्जुमा “बादशाहत करना” का तर्जुमा “ हुकूमत करना” या “रहनुमाई करना” या “निज़ाम करना” या “निगरानी करना” हो सकता है।
  • लफ़्ज़ "गवर्नर" का तर्जुमा "बादशाह" या "शहनशाह" के लफ़्ज़ों से अलग तरीक़े से तर्जुमा किया जाना चाहिए, क्यूँकि एक गवर्नर कम ताक़तवर हाकिम था जो उनके इख्तियार के ताबे' था।
  • लफ़्ज़ "हकिम" का तर्जुमा “रोमन गवर्नर” या “रोमन सूबे का हाकिम” की शक्ल में भी किया जा सकता है।

(यह भी देखें: इख्तियार , बादशाह , ताक़तवर , सूबा , रोम, हाकिम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H324, H1777, H2280, H4951, H5148, H5460, H6346, H6347, H6486, H7989, H8269, H8660, G445, G446, G746, G1481, G2232, G2233, G2230, G4232

हुकूमत, हुकूमत करने वाला, इन्तिज़ाम,हाकिम, बादशाहत

सच्चाई:

“इन्तिज़ाम और सरदार निज़ाम करने वाले" किसी मुल्क के रहने वाले लोगों के लिए सही तौर से इन्तिज़ाम करने के बारे में है ।

  • दानिएल और तीन आदमी बाबुल के इलाक़े का निज़ाम के लिए शाही हाकिम ठहराए गए थे ।
  • नये अहद नामे में निज़ाम के लिए , पाक रूह की किसी नेमत के बारे में है
  • जिस आदमी को निज़ाम की रूहानी नेमत हासिल है वह लोगों की रहनुमाईऔर निज़ाम करने के लायक़ होता है और घरों और जायदाद की देखभाल और रखरखाव कर सकता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • हादसे पर क़ायम, निज़ाम का तर्जुमा कुछ इस तरह हो सकता है , हुकूमत या बनाने वाला , या रहनुमाई , या देखभाल
  • “नाज़िम , या , काम करने वाला , या निज़ाम करने वाला , वगेरा इस तर्जुमा के मुख्तलिफ़ हिस्सा हैं ”
  • “हाकिम ” या “निगरा” या “इन्तिज़ाम करनेवाला” वगेरह इस तर्जुमा के मुमकिन हिस्सा हैं।

(यह भी देखें: बाबुल, दालिएल, ने'मत, हाकिम, हनन्नियाह, मिसाल, अज्रियाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5532, H5608, H5632, H6213, H7860, G2941

हुक्म मानना, हुक्म मानना, हुक्म माना, हुक्म मानने वाला, फ़रमाबरदार, फ़रमाबरदार, फ़रमाबरदार, नाफ़रमानी, नाफ़रमानी, नाफ़रमानी, नाफ़रमानी, नाफ़रमान

ता’अर्रुफ़:

"हुक्म मानना" का मतलब है ज़रूरी या हुक्म दी हुई बात को मानना। “हुक्मकारी” लफ़्ज़ हुक्म माननेवाले का किरदार ज़ाहिर करता है। “हुक्म मानने वाला" उस इन्सान के किरदार के बारे में है जो फ़रमाबरदार है, कभी-कभी हुक्म कुछ नहीं करता, जैसे “चोरी न करो”

अक्सर “हुक्म मानना” का इस्ते’माल हुक्म, इख़्तियार वाले आदमी के क़ानून को मानने के लिए किया जाता है|

  • मिसाल के तौर पर, लोग मुल्क के रहनुमाओं के ज़रिए’ बनाए गए कानूनों का ‘अमल करता है या बादशाही का या तंज़ीम का|
  • औलाद अपने वालिदैन के हुक्म मानते है, ख़ादिम अपने-अपने मालिक के हुक्म मानते है, इन्सान ख़ुदा के हुक्म मानते हैं और बाशिंदे अपने मुल्क के कवानीन का ‘अमल करते हैं।
  • जब कोई इख़्तियार में कोई हुक्म लोगों को देता है, तो वे ‘अमल करके इसका ‘अमल नहीं करते|
  • हुक्म मानने के तर्जुमे के तरीक़ों में कुछ लफ़्ज़ या जुमले शामिल हैं “हुक्म जो दिया गया करो” या “हुक्मों पर ‘अमल करो” या “वह करो जो ख़ुदा कहता है”
  • लफ़्ज़ “फ़रमाबरदार” का तर्जुमा हो सकता है, “जो हुक्म है उसे करना” या “हुक्मों पर ‘अमल करो” या “वह करना जो ख़ुदा हुक्म देता है”

(यह भी देखें: बाशिंदा, हुक्म, हुक्म नहीं मानना, बादशाही, शरी’अत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 03:04 नूह ने ख़ुदा का हुक्म माना। नूह और उसके तीन बेटों ने नाव बनाया वैसे ही की जैसे ख़ुदा ने उनसे कहा था।
  • 05:06 फिर इब्राहीम ने ख़ुदा का हुक्म माना, और अपने बेटे की क़ुर्बानी देने के लिये तैयार हो गया |
  • 05:10 क्यूँकि तुमने(इब्राहीम) मेरा हुक्म माना, इसलिए दुनिया के सारे ख़ानदान तेरे ख़ानदान के ज़रिए’ से बरकत पाएँगे।
  • 05:10 लेकिन मिस्रियों ने ख़ुदा पर भरोसा नहीं किया या हुक्म पर ’अमल नहीं किया।
  • 13:07 अगर वह लोग इन कवानीन पर ’अमल करेंगे, तो ख़ुदा अपने ‘अहद के मुताबिक़ उन्हें बरकत देगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1697, H2388, H3349, H4928, H6213, H7181, H8085, H8086, H8104, G191, G544, G3980, G3982, G4198, G5083, G5084, G5218, G5219, G5255, G5292, G5293, G5442

होशियार , ललकारना , बेचैन होना

सच्चाई:

होशियार , का मतलब है किसी ख़तरनाक नुक़सान के बारे में होशियार करना “घबरा जाना” किसी खतरनाक या डरावनी बात से हैरान और खौफ़ज़दः होना।

  • बादशाह यहूशफ़त मोआबियों के ज़रिए' यहूदा पर हमला करने के इरादे के बारे में सुनकर घबरा गया था।
  • ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि जब वह आख़िरी दिनों में मुसीबतों की बातें सुनें तो घबराएं नहीं।
  • तुरहियों को साँस बाँधकर फूँकना” या;नी ख़बरदार करना। पुराने ज़माने में तुरहियों को साँस बाँधकर फूँक कर बजाकर ख़बरदार करता था।

तर्जुमा की सलाह:

किसी को बेचेनकर देना” या'नी “किसी को हैरान करना” या “किसी को परेशानी में डाल देना”।

  • घबराना का तर्जुमा हो सकता है, “हैरान होना” या “डर जाना” या “बहुत परेशान हो जाना”।
  • तुरहियों को साँस बाँधकर फूँकना” का तर्जुमा “आम ख़बरदारी” या परेशानी के आने का ऐलान या “खतरे के बारे में ख़बरदारी देने के लिए तुरही फूंका”।

(यह भी देखें: यहूशफ़त, मोआब)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7321, H8643

हौज़, हौज़ों, कुआँ, कुओं

ता’अर्रुफ़:

“कुआँ” और “हौज़ ” किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में पानी के दो ज़रिए’ थे।

  • हौज़ ज़मीन में खोदकर बनाया जाता था कि ज़मीन के अन्दर का पानी वहाँ इकठ्ठा हो जाए।
  • हौज़ भी ज़मीन में खोदकर बनाया जाता था लेकिन वह बारिश का पानी इकठ्ठा करने के लिए था।
  • हौज़ ज़्यादातर चट्टानों को काटकर बनाए जाते थे और लेप लगाकर पानी को रूकने के लिए बनाए जाते थे कि उनमें पानी महफ़ूज़ रहे। “टूटा हुआ हौज़ ” में लेप फट जाता था और उसमें इकठ्ठा पानी बह जाता था।
  • हौज़ अक्सर लोगों के घरों के आंगन में मौजूद होता है जहाँ बारिश का पानी छत से निकलकर इकट्ठा होता है।
  • कुएँ ऐसी जगह मौजूद होते है जहाँ से बहुत से घरानों या पुरे ख़ानदानों के ज़रिये इस्तेमाल किया जा सके।
  • पानी इन्सानों और जानवरों के लिए बहुत ज़रूरी होता है इसलिए कुएँ के इस्तेमाल का इख्तियार व इख़्तिलाफ़ और झगड़ों की वजह होता था।
  • कुआँ और हौज़ दोनों ही को बड़े पत्थर से ढांक दिया जाता था कि उसमें कुछ न गिरे। कुएँ से पानी खींचने के लिए बाल्टी में रस्सी बांधकर पानी निकाला जाता था।
  • कभी-कभी सूखा हौज़ किसी को क़ैदी बनाने के लिए काम में आता था जैसा यूसुफ़ और यरमियाह के साथ किया गया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • कुएँ का तर्जुमा करने के लिए “गहरापानी का गड्ढा” “पानी के चश्मे का गहरा गड्ढा” या “पानी निकालने का गहरा गड्ढा” काम में ले सकते हैं।
  • “हौज़ ” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “पत्थर का गड्ढा खोदना ” या “पानी के लिए गहरा पतला छेद ” या “पानी इकठ्ठा करने का ज़मीन के अन्दर गड्ढा”
  • ये लफ़्ज़ मतलब में एक जैसे है। इन दोनों में जो फ़र्क़ है वह है कि कुएँ में पानी ज़मीन के अन्दर से निकलता है और हौज़ में पानी बारिश का होता है।

(यह भी देखें: यरमियाह , क़ैदख़ाना, इख़्तिलाफ़ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H875, H883, H953, H1360, H3653, H4599, H4726, H4841, G4077, G5421