सर्प ने हव्वा से पूछा, "क्या सच है कि परमेश्वर ने कहा, ‘तुम इस वाटिका के किसी भी वृक्ष का फल न खाना?’"
सर्प ने कहा, "तुम निश्चय न मरोगे"।
सर्प ने कहा कि वे परमेश्वर के तुल्य हो जायेंगे, उन्हें भले और बुरे का ज्ञान हो जायेगा।
उसने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने के लिए अच्छा है और देखने में मनभाऊ है, और बुद्धि देने के लिए चाहने योग्य भी है।
स्त्री ने तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।
फल खाते ही उनकी आंखें खुल गईं और उन्हें अपने नंगेपन का बोध हुआ।
वे परमेश्वर से छिप गए थे।
आदमी इसलिए छिपा क्योंकि वे नंगा था और वह डर गया।
आदम ने हव्वा को दोष दिया था।
हव्वा ने सर्प को दोष दिया था।
परमेश्वर ने कहा वो उनके बीच बैर उत्पन्न करूँगा।
परमेश्वर ने स्त्री के प्रसव पीड़ा को बहुत बढ़ाया।
परमेश्वर ने भूमि को श्राप दिया कि पुरूष पसीना बहाकर दुख के साथ पृथ्वी की उपज खायेगा।
आदम ने उसे हव्वा कहा क्योंकि वह सब जीवित मनुष्यों की माता हुई।
परमेश्वर ने उनके लिए चमड़े के वस्त्र बनाये थे।
परमेश्वर ने कहा आदम को भले और बुरे का ज्ञान हो गया था इसलिए उसे जीवन के वृक्ष का फल नहीं खाना था, क्योंकि तब वह सदैव जीवित रहेगा।
परमेश्वर ने उसे अदन की वाटिका से बाहर निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग में करूबों को नियुक्त कर दिया।