1
इसलिए तुम लोगों को दिखाने के लिए प्रकाश में के काम न करो, नहीं तो प्रभु स्वर्गीय पिता से कुछ न पाओगे। जब तुम दान को तो लोगो दिखाने के लिए न करो। वरना जैसे धरती मक्खियाँ भरे रहते पंख करते हैं ताकि लोग तुम्हारा बड़ाई करें मैं तुम से सच कहता हूँ, कि वे प्रभु फल पा चुके।
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जब तू दान कर, तो तुम्हारा बायां हाथ जो जानने नहीं की तुम्हारा दाहिना हाथ कौनसा करता है।
4
तो तुम्हारा छुपा गुप्त रहे और तुम्हारा पिता गुप्त में तुम्हे फल दे सके।
5
जब तुम प्रार्थना करो, कपटियों के नायो न बनो उन्हें मनुष्य द्वारा सड़कों के किनारे खड़े हो कर प्रार्थना करे ताकि लोग उन्हें देखे। इसलिए मैं तुमसे सच कहता हूँ कि वे प्रभु फल पा चुके।
6
पर जब तुम प्रार्थना करने के लिए जाते हो तो तुम्हे प्रभु घर, घर के कमरे बंद कर के प्रार्थना को प्रभु पिता से, जो गुप्त में है। तब तुम्हारा पिता जोजो गुप्त में है, तूने मेरे बूढ़े फल दिया।
7
जब तुम प्रार्थना करो, कपट जाली के तरह बढ़ाई ना करो, वे सोचते हैं, की उन के बहुत कथन से उन के सुना जायेगा।
8
इसलिये उन के तरह ना बनो। क्योंकि तुम्हारे पिता भजन से पहिले जानते की तुम्हें क्या जरूरत है।
9
इस तरह से प्रार्थना करो। हमारे पिता जो स्वर्ग में है।
10
तुझरा नाम पवित्र से पवित्र माना जाये।
11
प्राप के राज्य आये। प्राप के इच्छा पूरा हो। जैसे पृथ्वी जैसे स्वर्ग में है।
12
रोज के रोटी हमको दे। हमारे गलती को माफ करे। जो हमको माफ करते, उन को हमे माफ करते है।
13
हमें परिश्रम में नों लो। लेकिन हमें बुरे वली समझना।।
14
प्रभु, हम लोगों गलती गम मेरे ना करें, तो हमारे स्वर्गीय पिता (तुम्हारे) गलती बख्श माफ करेगा।
15
जब तुम वस्त्र रखते हो, तो कपटपन के तथा प्रभु चेहरा जो बना। और जो प्राण चेहरा कहोगे, तो लोग की मुलम ये वे करत। रहते हो, जो तुम से सच्चा कहे। टं, की उन को प्रभु फल मिले। (सुखी)
16
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लेकिन जब तुम कपट रखते हो, प्राणन सर पर, तब लागय प्रभु प्राणन चेहरा धरे ले।
18
मनो लोगों को मालूम न हो की तुम कपट रखते हो। केवल प्रभु पिता जो गुप्त में है, वह तुम्हारे गलत में देखता है, तुम्हें फल दे।
19
ईशा काल के विषय धयान ना करो। जहां पर मिट्टी फोर काड़ी फकल फोर आंखें चुर करले।
20
उस पे बख्श स्वर्ग के लिए प्राण धरा वर्त्तो, जहां मिट्टी फोर काड़ी बख्श ना कर पायगा। जहां चोर चोरी न करें, जागर ?
21
प्रभु जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन है।
22
प्रभु दृष्टि की उजाला है। प्रभु तुम्हारा प्रकाश प्रकट हो तो तुम्हारा पुरा दृष्टि रौशनी से भरा है।
23
प्रभु तुम्हारा प्रकाश बुझा है, तो पूरा दृष्टि प्रंधकार से भरा है। प्रभु तुम्हारा बत्ती तुम में जो है वही जल रही है, तो कितना बड़ा प्रंधकार है।
24
कोई द्वे स्वामी के सेवा नहीं कर सकते हैं। वह एक से नफरत करेगा और दूसरा से प्रेम करेगा। या एक से चिपकुट रहेगा और दूसरा से नफरत करेगा। तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते हो।
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तो मैं
तुम से कहता हूँ, प्राणों जीवन के
लिये चिन्ता नहीं करें, क्या खायें, क्या पहनें।
शरीर के लिये क्या पीयेंगे। प्राणों से
श्रेण पहेले आ, किया जीवन भोजन।
बड़ा सकता हूँ?