1
अब हे भाइयों, हमारे लिये प्रार्थना करो, कि प्रभु का वचन शीघ्र फैले और महिमा पाए, जैसा तुम में हुआ।
2
और हम भटके हुओं और दुष्ट मनुष्यों से बचे रहें क्योंकि हर एक में विश्वास नहीं।
3
परन्तु प्रभु सच्चा है*; वह तुम्हें दृढ़ता से स्थिर करेगा: और उस दुष्ट से सुरक्षित रखेगा।
4
और हमें प्रभु में तुम्हारे ऊपर भरोसा है, कि जो-जो आज्ञा हम तुम्हें देते हैं, उन्हें तुम मानते हो और मानते भी रहोगे।
5
परमेश्वर के प्रेम और मसीह के धीरज की ओर प्रभु तुम्हारे मन की अगुआई करे।
6
हे भाइयों, हम तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देते हैं; कि हर एक ऐसे भाई से अलग रहो, जो आलस्य में रहता है और जो शिक्षा उसने हम से पाई उसके अनुसार नहीं करता।
7
क्योंकि तुम आप ही जानते हो, कि किस रीति से तुम्हें हमारी-सी चाल चलनी चाहिए; क्योंकि हम तुम्हारे बीच में कभी आलसी तरीके से न चले।
8
और किसी की रोटी मुफ़्त में न खाई; पर परिश्रम और कष्ट से दिन रात काम करते रहे, कि तुम में से किसी पर बोझ न बनें ।
9
ऐसा नहीं कि है कि हमें तुमसे सहायता लेने का अधिकार नहीं; पर इसलिए मेहनत करते रहे कि अपने आप को तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएँ, कि तुम हमारी-सी चाल चल सको।
10
और जब हम तुम्हारे यहाँ थे, तब भी यह आज्ञा तुम्हें देते थे, कि यदि कोई काम न करना चाहे, तो वह खाने भी न पाए।
11
हम सुनते हैं, कि कितने लोग तुम्हारे बीच में आलसी चाल चलते हैं और अपने काम के प्रति लापरवाह हैं; और कुछ काम नहीं करते पर औरों के काम में हाथ डाला करते हैं*।
12
ऐसों को हम प्रभु यीशु मसीह में आज्ञा देते और समझाते हैं, कि शांति के साथ अपना काम करके अपनी अपनी कमाई का ही खाना खाया करें।
13
और तुम, हे भाइयों, भलाई करने में कभी थको मत।
14
यदि कोई हमारी इस पत्री की बात को न माने, तो उस पर ध्यान रखो; और उसकी संगति न करो, जिससे वह लज्जित हो;
15
तो भी उसे बैरी मत समझो पर भाई जानकर चिताओ।
16
अब शांति का प्रभु आप ही तुम्हें सदा और हर प्रकार से शान्ति दे: प्रभु तुम सब के साथ रहे।
17
मैं पौलुस अपने हाथ से* नमस्कार लिखता हूँ। हर पत्री में मेरा यही चिन्ह है: मैं इसी प्रकार से लिखता हूँ।
18
हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम सब पर बना रहे।