14 इसलिए, हे प्रियों, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्न करो कि तुम शान्ति से उसके सामने निष्कलंक और निर्दोष ठहरो। 15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसा हमारे प्रिय भाई पौलुस ने भी, उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है। 16 उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है, जिनमें कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है और जिनके अर्थों को अनपढ़ और अस्थिर लोग, अपने ही नाश के लिए मोड़ लेते हैं, जैसा वे पवित्रशास्त्र की अन्य बातों को भी करते हैं।
17 इसलिए हे प्रियों, तुम लोग पहले से ही इन बातों को जानकर चौकस रहो, ऐसा न हो कि तुम अधर्मियों के भ्रम में फँसकर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो। 18 परन्तु हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ। उसकी महिमा अब भी हो और युगानुयुग होती रहे। आमीन।