Genesis 1

Genesis 1:1

आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।

बहुत लंबे समय पहले परमेश्‍वर के आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की

आदि में

यह संसार और इसकी सब वस्तुओं की शुरूआत की बात है।

आकाश और पृथ्वी

आकाश, पृथ्वी और वो सब जो इन में मौजूद है

आकाश

यह यहाँ आसमान की बात करता है।

बेडौल और सुनसान पड़ी थी

परमेश्‍वर ने अभी संसार में कोई क्रम नहीं बनाया था

गहरे

गहरा पानी

जल

पानी की सतह

Genesis 1:3

उजियाला हो

परमेश्वर ने आदेश दिया रोशनी हो जाए और रोशनी हो गई

परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है

परमेश्वर रोशनी को देखकर खुश हुए और उसे अच्छा कहा, यहाँ अच्छे का अर्थ उचित और मनभावन है

उजियाले को अंधियारे से अलग किया।

परमेश्वर ने रोशनी को दिन और अंधेरे को रात कहकर अलग किया।

सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया

परमेश्‍वर ने ये काम ब्रम्हांड के अस्तित्व के पहले दिन किये

सांझ हुई फिर भोर हुआ

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।

Genesis 1:6

एक ऐसा अन्तर हो... दो भाग हो जाए।”

परमेश्वर ने आदेश दिया और पानी दो हिस्सों में बँट गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।

अन्तर

“बहुत बड़ी खाली जगह“ ।यहुदी लोगों के अनुसार,ऐसी खाली जगह जो एक कटोरे को उल्टा करने के जैसे होती है।

जल के बीच

पानी के मध्य (बीच) में

परमेश्‍वर ने अन्तर करके जल को अलग-अलग किया

इस तरह परमेश्वर ने पानी के बीच खाली जगह बना कर उसे दो भागों में बाँट दिया।जैसा परमेश्वर ने कहा वैसा ही हो गया।यह वाक्य दर्शाता है कि परमेश्वर जब कहते हैं तो क्या कर सकते हैं।

वैसा ही हो गया

“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।

सांझ हुई फिर भोर हुआ

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।

दूसरा दिन

यह सृष्टि का दूसरा दिन था।

Genesis 1:9

जल... इकट्ठा हो जाए

परमेश्वर के आदेश अनुसार सारा पानी इकट्ठा हो गया।

सूखी भूमि दिखाई दे

परमेश्वर के आदेश अनुसार सूखी धरती अर्थात पानी के बिना धरती दिखाई देने लग पड़ी।

सूखी भूमि

ऐसी धरती जो पानी से ढकी हुई नहीं है।इसका अर्थ यह नहीं कि वहाँ खेती न की जा सके।

वैसा ही हो गया।

“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।

पृथ्वी

धरती या ज़मीन

परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है

परमेश्वर ने धरती और समुद्र को देखकर उन्हें अच्छा कहा।

Genesis 1:11

“पृथ्वी से हरी घास उगे।

यह एक आज्ञा है। परमेश्‍वर ने आज्ञा दी कि पृथ्वी से हरी घास उगे।

बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष।

वनस्पति, हर पौदा जो बीज उत्पन करते हैं। फलदाई - हर पेड़ जो फल उत्पन करते हैं।

पेड़

वह वृक्ष और पौदे जिनके तने कठोर नहीं बल्कि मुलायम होते हैं।

फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्हीं में एक-एक की जाति के अनुसार होते हैं

वह फलदाई पेड़ जिनके फलो के बीच मे ही उनके बीज भी होते हैं।

अपनी-अपनी के अनुसार

अपने जैसे पेड़ पौदों की किस्म को उत्पन्न करते हैं

वैसा ही हो गया

अत: “यह वाक्‍यांश यह दर्शाता है कि जो कुछ परमेश्वर ने होने को आदेश दिया और वैसा ही पृथ्वी पर हो गया।

परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।

यह उन पेड़ पौदों को दर्शाता है जिन्हे परमेश्‍वर ने अपने एक‍ शब्द से ही उत्पन किया और वह उन्हे देख कर खुश हुआ।

तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ।

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।

तीसरा दिन

यह ब्रम्हांड के अस्तित्व का तीसरा दिन था

Genesis 1:14

आकाश में ज्योतियों हों;

आकाश में रोशनियाँ चमके और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।

आकाश के अन्तर में ज्योतियों हों

ऐसी चीजें जो आकाश में रोशनी में चमकती हैं।यहाँ ज्योतियाँ सूरज,चाँद और तारों को दर्शाती हैं।

आकाश में

आकाश की बहुत बड़ी खाली जगह में।

दिन को रात से अलग करने के लिये

दिन को रात से अलग करने के लिए। जब सूरज हो तो मतलब ये दिन है और चाँद तारों का मतलब रात

चिन्हों

यहाँ इसका अर्थ उन बातों से है जो किसी बात को दर्शाती हैं

यहाँ इसका अर्थ उन समयों से है जो पर्व मनाने के लिए और लोगों के बाकी कामों के लिए अलग लिए हैं

अर्थात जो किसी बात की तरफ संकेत(इशारा) करता है।

समयों

ऐसे समय जो लोगों ने त्योहारों और अन्य कामों के लिए अलग किए हैं।

समयों,और दिनों, और वर्षों के लिए

सूरज,चाँद और तारे समय के बीतने को दिखाते हैं। इस से हमें पता चलता है कि दिनों, महीनों और वर्षों में आने वाले वृत्तांत कब होंगे।

वे ज्योतियाँ आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देनेवाली ठहरें

परमेश्वर ने आदेश दिया कि ये रोशनियाँ धरती पर चमकें और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।

पृथ्वी पर प्रकाश देनेवाली ठहरें,

ताकि धरती पर रोशनी चमके क्योंकि धरती की अपनी रोशनी नहीं होती परन्तु वह

वैसा ही हो गया

“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।

Genesis 1:16

परमेश्‍वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं

इस तरह परमेश्‍वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं जो ये दर्शाता है कि जब परमेश्‍वर ने कहा उसने किया।

दो बड़ी ज्योतियाँ

दो बड़ी रोशनियाँ सूरज और चाँद को दर्शाती हैं।

दिन पर प्रभुता करने के लिये

दिन का निर्देश करने के लिए जैसे कोई हाकिम लोगों के एक समूह के साथ करता है।

दिन

यह केवल दिन की रोशनी का समय को दर्शाता है।

छोटी ज्योति या कम चमकने वाली ज्योति

कम चमकने वाली रोशनी

आकाश में

आकाश के अंतरिक्ष में

उजियाले को अंधियारे से अलग करें

एक समय को प्रकाशमय और दूसरे को अंधियारा बनाकर

परमेश्‍वर ने देखा कि यह अच्छा है।

यहाँ परमेश्‍वर सूरज ,चाँद और तारे देखकर खुश हुआ।

सांझ हुई फिर भोर हुआ

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।

चौथा दिन

यह सृष्टि का चौथा दिन था।

Genesis 1:20

जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए,

परमेश्‍वर ने आदेश दिया कि पानी हर प्रकार की मछलियों और समुद्री जीवों से भर जाऐ और वैसा ही हो गया।यह परमेश्‍वर के आदेश से हुआ।

पक्षी... उड़ें

परमेश्‍वर ने आदेश दिया कि पक्षी आकाश में उड़ें और वैसा ही हो गया।यह परमेश्‍वर के आदेश से हुआ।

पक्षी

आकाश में उड़ने वाले जीव

आकाश के अन्तर में

आकाश की बहुत बड़ी खाली जगह में।

परमेश्‍वर ने सृष्टि की

परमेश्‍वर ने इस प्रकार रचना की

बड़े-बड़े जल-जन्तु

समुद्र में रहने वाले विशाल जानवर

एक-एक जाति के

जीवित प्राणी, जो अपनी ही किस्म की जाति से पैदा हो सकते हैं।

हर उड़नेवाला पक्षी

हर एक उड़ने वाला जीव जिसके पंख हों।

परमेश्‍वर ने देखा कि यह अच्छा है।

परमेश्‍वर उड़ने वाले पक्षियों और समुद्री जीव -जन्तुओं (मछलियों) को देखकर खुश हुऐ।

Genesis 1:22

आशीष दी

परमेश्‍वर ने जिन जीव जन्तुओं को बनाया था उन्हें आशिषित किया।

फूलो-फलो और बढ़ जाओ,

परमेश्‍वर ने समुद्री जीवों को अपने ही समान जीवों को पैदा करने के लिए आशिषित किया ताकि वे समुद्र को अपनी प्रजातियों से भर दें।

बढ़ जाओ

गिनती में कई गुणा बढ़ जाना।

पक्षी बढ़ जाऐं

परमेश्‍वर ने आदेश दिया कि पक्षी गिनती में कई गुणा बढ़ जाऐं और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।

पक्षी

हर एक उड़ने वाला जीव जिसके पंख होते हैं

सांझ हुई फिर भोर हुआ

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।

पाँचवाँ दिन

यह सृष्टि का पाँचवाँ दिन था।

Genesis 1:24

पृथ्वी से जीवित प्राणी, उत्‍पन्‍न हों

परमेश्वर ने आदेश दिया कि धरती कई प्रकार के जीवित प्राणियों को पैदा करे और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।

हर एक अपनी जाति के अनुसार

ताकि हर एक जीव अपने जैसे अन्य जीवों को पैदा कर सके

घरेलू पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी के वन पशु,

परमेश्वर ने हर प्रकार के घरों में रखने वाले,धरती पर रेंगनेवाले,और जंगलों में रहने वाले जानवरों को उत्पन्न किया।

घरेलू पशु,

ऐसे जानवर जिनकी देखभाल लोग करते हैं।

रेंगनेवाले जन्तु,

बहुत छोटे जीव जो धरती पर रेंगते हैं।

पृथ्वी के वन पशु,

“जंगली जानवर“

वैसा ही हो गया

“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।

परमेश्‍वर ने वन-पशुओं को बनाया

इस तरह परमेश्‍वर ने जंगली जानवरों की सृष्टि की।

परमेश्‍वर ने देखा कि यह अच्छा है।

परमेश्‍वर धरती पर जीवित रहने वाले जानवरों को देखकर खुश हुआ।

Genesis 1:26

“हम बनाएँ

यहाँ पर “हम“ शब्द बहुवचन को दर्शाता है। इसके कुछ संभव कारण ये हो सकते हैं 1) परमेश्‍वर स्वर्ग में रहने वाले स्वर्गदूतों से बातचीत कर रहा था। २) या नये नियम के अनुसार परमेश्‍वर त्रिएकत्व (पिता,पुत्र,पवित्र आत्मा) के रुप में बात कर रहे हैं।

मनुष्य

"मानव जाति" या “लोग”

अपने स्वरूप के अनुसार, अपनी समानता में

इन दो वाक्यों का एक ही मतलब है। यह पद हमें ये नहीं बताता कि परमेश्‍वर ने मानव को किस रीति में अपने जैसा बनाया। यहाँ इसका यह अर्थ नहीं है कि जैसे परमेश्‍वर खुद हैं वैसा, क्योंकि परमेश्वर का कोई शरीर नहीं होता

अधिकार रखें।

“शासन करें” या “उन पर अधिकार रखें”

परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को रचा..मनुष्य की रचना की।

यह दोनो वाक्य एक ही बात दर्शाते हैं कि परमेश्वर ने मानव को अपने जैसा बनाया।

परमेश्‍वर ने मनुष्‍य की रचना की

परमेश्‍वर ने मनुष्य की रचना दूसरी सब चीजों को बनाने के समान नहीं की। परमेश्‍वर ने जैसे सारी सृष्टि की रचना बोलकर की थी,वैसे मानव की रचना नहीं की,

Genesis 1:28

परमेश्‍वर ने उनको आशीष दी

परमेश्वर ने जिस आदमी और औरत को बनाया था, उन्हें आशिषित किया।

फूलो-फलो और बढ़ जाओ

परमेश्वर ने आदमी और औरत को अपने ही समान लोगों को पैदा करने के लिए कहा ताकि वे गिनती में बहुत अधिक बढ़ जाऐं।यहाँ“ बढ़ जाओ“ का अर्थ है गिनती में अधिक बढ़ जाओ।

पृथ्वी में भर जाओ

धरती को लोगों से भर दो।

Genesis 1:30

सामान्य जानकारी:

परमेश्‍वर बोलना जारी रखता है।

आकाश के सभी पक्षी,

आकाश में उड़ने वाले सभी पक्षी

जिनमें जीवन का प्राण हैं,

इन जीवों में पौधों से अलग तरह का जीवन था।पौधे जीवों के समान साँस नहीं लेते तथा जीव पौधों को खाने के रुप में प्रयोग करते हैं अर्थात् ऐसा जीवन जो शारिरिक रुप में ही संभव है।

वैसा ही हो गया

“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।

तो क्या देखा

परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की रचना करने के बाद देखा

वह बहुत ही अच्छा है

परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की रचना करने के बाद देखा कि सब बहुत ही अच्छा है और खुश हुऐ।

सांझ हुई फिर भोर हुआ

यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने इसे पूरा दिन कहा जबकि यह दो हिस्से हैं।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है

छठवाँ दिन

यह सृष्टि का छठवाँ दिन था।