बहुत लंबे समय पहले परमेश्वर के आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की
यह संसार और इसकी सब वस्तुओं की शुरूआत की बात है।
आकाश, पृथ्वी और वो सब जो इन में मौजूद है
यह यहाँ आसमान की बात करता है।
परमेश्वर ने अभी संसार में कोई क्रम नहीं बनाया था
गहरा पानी
पानी की सतह
परमेश्वर ने आदेश दिया रोशनी हो जाए और रोशनी हो गई
परमेश्वर रोशनी को देखकर खुश हुए और उसे अच्छा कहा, यहाँ अच्छे का अर्थ उचित और मनभावन है
परमेश्वर ने रोशनी को दिन और अंधेरे को रात कहकर अलग किया।
परमेश्वर ने ये काम ब्रम्हांड के अस्तित्व के पहले दिन किये
यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।
परमेश्वर ने आदेश दिया और पानी दो हिस्सों में बँट गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
“बहुत बड़ी खाली जगह“ ।यहुदी लोगों के अनुसार,ऐसी खाली जगह जो एक कटोरे को उल्टा करने के जैसे होती है।
पानी के मध्य (बीच) में
इस तरह परमेश्वर ने पानी के बीच खाली जगह बना कर उसे दो भागों में बाँट दिया।जैसा परमेश्वर ने कहा वैसा ही हो गया।यह वाक्य दर्शाता है कि परमेश्वर जब कहते हैं तो क्या कर सकते हैं।
“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।
यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।
यह सृष्टि का दूसरा दिन था।
परमेश्वर के आदेश अनुसार सारा पानी इकट्ठा हो गया।
परमेश्वर के आदेश अनुसार सूखी धरती अर्थात पानी के बिना धरती दिखाई देने लग पड़ी।
ऐसी धरती जो पानी से ढकी हुई नहीं है।इसका अर्थ यह नहीं कि वहाँ खेती न की जा सके।
“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।
धरती या ज़मीन
परमेश्वर ने धरती और समुद्र को देखकर उन्हें अच्छा कहा।
यह एक आज्ञा है। परमेश्वर ने आज्ञा दी कि पृथ्वी से हरी घास उगे।
वनस्पति, हर पौदा जो बीज उत्पन करते हैं। फलदाई - हर पेड़ जो फल उत्पन करते हैं।
वह वृक्ष और पौदे जिनके तने कठोर नहीं बल्कि मुलायम होते हैं।
वह फलदाई पेड़ जिनके फलो के बीच मे ही उनके बीज भी होते हैं।
अपने जैसे पेड़ पौदों की किस्म को उत्पन्न करते हैं
अत: “यह वाक्यांश यह दर्शाता है कि जो कुछ परमेश्वर ने होने को आदेश दिया और वैसा ही पृथ्वी पर हो गया।
यह उन पेड़ पौदों को दर्शाता है जिन्हे परमेश्वर ने अपने एक शब्द से ही उत्पन किया और वह उन्हे देख कर खुश हुआ।
यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।
यह ब्रम्हांड के अस्तित्व का तीसरा दिन था
आकाश में रोशनियाँ चमके और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
ऐसी चीजें जो आकाश में रोशनी में चमकती हैं।यहाँ ज्योतियाँ सूरज,चाँद और तारों को दर्शाती हैं।
आकाश की बहुत बड़ी खाली जगह में।
दिन को रात से अलग करने के लिए। जब सूरज हो तो मतलब ये दिन है और चाँद तारों का मतलब रात
यहाँ इसका अर्थ उन बातों से है जो किसी बात को दर्शाती हैं
अर्थात जो किसी बात की तरफ संकेत(इशारा) करता है।
ऐसे समय जो लोगों ने त्योहारों और अन्य कामों के लिए अलग किए हैं।
सूरज,चाँद और तारे समय के बीतने को दिखाते हैं। इस से हमें पता चलता है कि दिनों, महीनों और वर्षों में आने वाले वृत्तांत कब होंगे।
परमेश्वर ने आदेश दिया कि ये रोशनियाँ धरती पर चमकें और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
ताकि धरती पर रोशनी चमके क्योंकि धरती की अपनी रोशनी नहीं होती परन्तु वह
“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।
इस तरह परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं जो ये दर्शाता है कि जब परमेश्वर ने कहा उसने किया।
दो बड़ी रोशनियाँ सूरज और चाँद को दर्शाती हैं।
दिन का निर्देश करने के लिए जैसे कोई हाकिम लोगों के एक समूह के साथ करता है।
यह केवल दिन की रोशनी का समय को दर्शाता है।
कम चमकने वाली रोशनी
आकाश के अंतरिक्ष में
एक समय को प्रकाशमय और दूसरे को अंधियारा बनाकर
यहाँ परमेश्वर सूरज ,चाँद और तारे देखकर खुश हुआ।
यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।
यह सृष्टि का चौथा दिन था।
परमेश्वर ने आदेश दिया कि पानी हर प्रकार की मछलियों और समुद्री जीवों से भर जाऐ और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
परमेश्वर ने आदेश दिया कि पक्षी आकाश में उड़ें और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
आकाश में उड़ने वाले जीव
आकाश की बहुत बड़ी खाली जगह में।
परमेश्वर ने इस प्रकार रचना की
समुद्र में रहने वाले विशाल जानवर
जीवित प्राणी, जो अपनी ही किस्म की जाति से पैदा हो सकते हैं।
हर एक उड़ने वाला जीव जिसके पंख हों।
परमेश्वर उड़ने वाले पक्षियों और समुद्री जीव -जन्तुओं (मछलियों) को देखकर खुश हुऐ।
परमेश्वर ने जिन जीव जन्तुओं को बनाया था उन्हें आशिषित किया।
परमेश्वर ने समुद्री जीवों को अपने ही समान जीवों को पैदा करने के लिए आशिषित किया ताकि वे समुद्र को अपनी प्रजातियों से भर दें।
गिनती में कई गुणा बढ़ जाना।
परमेश्वर ने आदेश दिया कि पक्षी गिनती में कई गुणा बढ़ जाऐं और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
हर एक उड़ने वाला जीव जिसके पंख होते हैं
यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने पूरे दिन को ऐसे बताया जैसे इसके दो हिस्से हों।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है।
यह सृष्टि का पाँचवाँ दिन था।
परमेश्वर ने आदेश दिया कि धरती कई प्रकार के जीवित प्राणियों को पैदा करे और वैसा ही हो गया।यह परमेश्वर के आदेश से हुआ।
ताकि हर एक जीव अपने जैसे अन्य जीवों को पैदा कर सके
परमेश्वर ने हर प्रकार के घरों में रखने वाले,धरती पर रेंगनेवाले,और जंगलों में रहने वाले जानवरों को उत्पन्न किया।
ऐसे जानवर जिनकी देखभाल लोग करते हैं।
बहुत छोटे जीव जो धरती पर रेंगते हैं।
“जंगली जानवर“
“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।
इस तरह परमेश्वर ने जंगली जानवरों की सृष्टि की।
परमेश्वर धरती पर जीवित रहने वाले जानवरों को देखकर खुश हुआ।
यहाँ पर “हम“ शब्द बहुवचन को दर्शाता है। इसके कुछ संभव कारण ये हो सकते हैं 1) परमेश्वर स्वर्ग में रहने वाले स्वर्गदूतों से बातचीत कर रहा था। २) या नये नियम के अनुसार परमेश्वर त्रिएकत्व (पिता,पुत्र,पवित्र आत्मा) के रुप में बात कर रहे हैं।
"मानव जाति" या “लोग”
इन दो वाक्यों का एक ही मतलब है। यह पद हमें ये नहीं बताता कि परमेश्वर ने मानव को किस रीति में अपने जैसा बनाया। यहाँ इसका यह अर्थ नहीं है कि जैसे परमेश्वर खुद हैं वैसा, क्योंकि परमेश्वर का कोई शरीर नहीं होता
“शासन करें” या “उन पर अधिकार रखें”
यह दोनो वाक्य एक ही बात दर्शाते हैं कि परमेश्वर ने मानव को अपने जैसा बनाया।
परमेश्वर ने मनुष्य की रचना दूसरी सब चीजों को बनाने के समान नहीं की। परमेश्वर ने जैसे सारी सृष्टि की रचना बोलकर की थी,वैसे मानव की रचना नहीं की,
परमेश्वर ने जिस आदमी और औरत को बनाया था, उन्हें आशिषित किया।
परमेश्वर ने आदमी और औरत को अपने ही समान लोगों को पैदा करने के लिए कहा ताकि वे गिनती में बहुत अधिक बढ़ जाऐं।यहाँ“ बढ़ जाओ“ का अर्थ है गिनती में अधिक बढ़ जाओ।
धरती को लोगों से भर दो।
परमेश्वर बोलना जारी रखता है।
आकाश में उड़ने वाले सभी पक्षी
इन जीवों में पौधों से अलग तरह का जीवन था।पौधे जीवों के समान साँस नहीं लेते तथा जीव पौधों को खाने के रुप में प्रयोग करते हैं अर्थात् ऐसा जीवन जो शारिरिक रुप में ही संभव है।
“उसी तरह हो गया“।परमेश्वर ने जो आदेश दिया उसी तरह हो गया।यह वाक्य इस अध्याय में बार-बार आता है और हर स्थान पर इसका अर्थ एक समान है।
परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की रचना करने के बाद देखा
परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की रचना करने के बाद देखा कि सब बहुत ही अच्छा है और खुश हुऐ।
यह पूरे दिन को दर्शाता है।लेखक ने इसे पूरा दिन कहा जबकि यह दो हिस्से हैं।यहूदियों की रीति के अनुसार,सूरज के छिपते ही अगला दिन शुरु हो जाता है
यह सृष्टि का छठवाँ दिन था।