अध्याय ५

1 १) किसाका आपु विश्वास थी धर्मी डयरुत आपनो प्रभु यीशु मसीह नी वजय थी परमेश्वर नी हारी मेल राखा ।

2 २) जिनी द्वारा थी विश्वास नी वजय थी तो आशिर्वाद सुधी जिस आपु बनन स आपनी पहुच भी होनी अन परमेश्वर नी महिमा नी आशा प घमण्ड करा । 3 ३) निस्ता ईज नाहा आपु कलेश म भी घमण्ड करा ई जानीन कलेश थी धीरज थवा ।

4 ४) अन धीरज थी खरा लिंगवाना स अन खर लिंगवाथी आशा उत्पन होय स ।

5 ५) अन आशथी लाज नाहा यती किसाका पवित्र आत्मा जी आपला देयली आश तिनी वजय थी परमेश्वर नो प्रेम आपनी मन म डाकीलो स । 6 ६) किसाका जव हामु कमजोर आतल तव मसीह खरो समय प भक्ति हीनो नी करता मरनो ।

7 ७) कोन सी भी धर्मी वेकती नी करता मरत तो कमजोर स पन कोय जानका भला मनुष नी करता मरवानो होसलो देखाली का । 8 ८) पन परमेश्वर आपुस प सोतानो प्रेम नी भलाई सारी रिती थी करस तीनाम आपु पापी भी आतल तरु मसीह आपनी करता मर नो ।

9 ९) तहा किस आपु आमी तीनी रगत नी वजय थी धर्मी ढयरनो स त तो परमेश्वर नो गुरसा थी किसा नाहा बची सकनो । 10 १०) किसा बैरी होन नाहा का हालत म तीना पोर्या नी मृत्यु नी वजय री हामनो मेल परमेश्वर नी हारी होनो फिरी मेल होयन तिनो जिवन नी वजय री तुमला किसा न उद्धार मीयाव ।

11 ११) अन निस्ता ईज नाहा पन आपु आपनो प्रभु मसीह नी वजय थी आपनो मिलाव होनो स परमेश्वर नी खुशी थी स । 12 १२) ईसज का यक मनुष्य नी वजय थी पाप दुनिया म यनो अन पाप नी वजय थी मृत्यु यनी अन ईज रित थी मृत्यु बट मनुष्य प फयली गई किसाका बंटज पाप करनाल।

13 १३) किसाका व्यवस्था परमेश्वर नी आगय पाप दुनिया म आतलो पन जहा व्यवस्था नाहा तहा पाप गनवा म नहा यनो । 14 १४) तरु भी आदम थी त मुशा सुधी मृत्यु ल ते लोकस प भी राज चालवन जे आदम नी आज्ञाकारिता नी बराबर पाप नाहा करन ता तो यनारानो निशान आस ।

15 १५) पन जीस गुनानी इलत स तिसज आशीर्वाद नो वरदान थी नहा किसाका जव थक मनुष नो गलती थी मकत लोग मरन त परमेश्वर नो आशीर्वाद अन तिनो ‌तो दान यक मनुष ना मंजे यीशु मसीह नो आशीर्वाद थी होना मुकत लोको प खरज अधिकार थी होना । 16 १६) अन जीस यक मनुष ना पाप करवानो फय होनो तिसज दान नी हालत नहा किसाका यक नी कारण दण्ड नी आज्ञा ना फैसलो होनो ,पन मुकत ज पापोस थी ईसला वरदान बन्नो का लोक धर्मी साबित होई ।

17 १७) किसाका जव यक मनुष ना गलती नी वजय री मृत्यु न तो यकनी वजयरी राज करनो तो जे लोक आशीर्वाद अन धर्मरुपी वरदान बहुतायत थी भेट स ता यक मनुष ना अर्थात यीशु मसीह नि वजय री खरज अनन्त जीवन म राज करीत । 18 १८) ईनी करता यक गलती बट मन्स नी करता सजा नी आज्ञा नो कारण होनो तीसज यन धार्मिकता ना काम भी बट मन्स नी करता जीवन नी निमीत धर्मी साबित करवानो कारण होनो ।

19 १९) किसाका जिस यक मनुष्य नी आज्ञा नारा मानवाथी मुकत लोक पापी साबित होन तिसज यक मनुष नी आज्ञा मानवा थी मुकत लोक धर्मी साबित होईत । 20 २०) व्यवस्था वचम यय गय का अपराध मुकती होय पन जहा पाप वदार होनो तहा आशीर्वादीत भी वदार होन ।

21 २१) जिस का पाप मृत्यु ला फयलावतो गयो अन राज करनो तिसज हामनो प्रभु यीशु मसीह नी वजय थी आशीर्वाद भी अनन्त जीवन नी करता धर्मी साबित करीन राज करा ।