2 २) दरेक प्रकार थी काय न काय पयल त भगवान ना वचन तिसला सौपी गय ।( रोम.९:४) 3 ३) जर थोलाक गदार लिंगी भी त काय होना काय ते गदार होवाथी भगवान नी सच्चाई यरु जाही का?
4 ४) काय नाहा पन भगवान खरो अन इर एक मनुष लुच्चो रही जिस लिखी ला स तिनाती तु सोतानी गोठयो म धर्मी रही न्याय करीत तो समय तु जिकी जास ।( भजन ५१:४, भजन ११६:११) 5 ५) पन नाहा हामनो अधर्म भगवान नी धार्मीकता साबित करी देतो हुई त हामु काय आकुत ,काय ईस का भगवान गशो कर आस गलत सका ? ( ई त मय मन्स नी यवार परी आकु स)
6 ६) कवज नाहा नाहात फिरी भगवान किस काय दुनिया नो न्याय करी ? 7 ७) जर मनी लुचाय नी वजय री भगवान नी सच्चाई तीनी महिमा नी करता वदारज देखाईत फिरी कीसा पापी नी बरा बर मय सजा नी लायक बनावी देत सत ।
8 ८) आपु जर बुराई नाहा करवा त भलाई लीगी ? जिस आपुस ई गलती लगाली भी देहीत अन काय आकत स का ईस ना ईज आकवाना स पन ईसलसला गलत साबित करवाना सारा स । 9 ९) त काय होना काय आपु तिसना थी सार सत कवज नाहा किसाका आपु यहुदीया अन युनानीयो भेनी सप ई गलती लगाली देन सत का ते बड न बड पाप नी वश म सत ।
10 १०) जिस लिखीला स कोयज नाहा धर्मी मीय यक भी नाहा ।( सभो. ७:२०) 11 ११) कोय समजदार नाहा न कोय भगवान ला ढुंडनारा नाहा ।
12 १२) बड भटकी गय सत बट न बट निकम्म बनी गय कोय दया करनारा नाहा यक भी नाहा ।( भजन .३, भजन ५३:१) 13 १३) तिसना बोसाडा उगाली ली घोरी नी गत स तिसनी जीभ थी चाल खन सत तिसना होटस म सापल सना जेर स ।( भजन ५:९, भजन १४०:३)
14 १४) अन तिसना मुय श्राप अन कलवाईट थी भराय ला स।( भजन १०:७) 15 १५) तिसना पाग रगत होवाल वानी कर्ता तयारी म रइत।
16 १६) अन तिसना रस्ता म नाश अन क्लेश स ।
17 १७) ते सारो रस्तो नाहा जान तक।( यशायाह ५९:८)
18 १८) तिसनी डोयासनी सुमुर भगवान नो डर भी नाहा मीय ।( भजन ३६:१) 19 १९) हामला मालुम स का यवस्था ती काय आक स तिसलाज आक स जो यवस्था नी नजुक स तिनी कर्ता का दरेक ना मुय बन्द करी देवा अन बटी दुनिया भगवान नी सजा नी बरा बर भोगीत ।
20 २०) किसाका यवस्था ना कामथी कोय जनावर तिसनी समुर धर्मी नाहा बनाव तिनी कर्ता का यवस्था नीति वजरी पाप ना मालूम मिय स। 21 २१) पन आमी बिगर यवस्था भगवान नी धार्मीकता देखाय देना स जिनी गवाही यवस्था अन भविष्य आकनारा देयत सत ।
22 २२) मंजे भगवान नी ती धार्मीकता जि ईशु देव प विश्वास करवा थी बटो विश्वास करनार नी करता स किसाका तिनाम भेदभाव नाहा मीय । 23 २३) ईनी करता का बट ज पाप करन सत अन भगवान नि महिमा थी दुर रहील सत ।
24 २४) पन तिसनो अनुग्रह थी तो छुटकारो नी मदत री जो ईशु देवम स से खर मर धर्मी हइरावी जाईत । 25 २५) तिला भगवान न तिना रगत नी वजटारी यक ईस प्रायाचित इरावनो जो विशास करनार थी काम करनारो होयत स का जो पाप पयल करिल सत अन जिप भगवान न सोतानी सहन शक्ति री थान नाहा देनो तिसना विषय म तो सोतानी धार्मिकता देखाल।
26 २६) नाहात आमी ईज घलीम तीनी धार्मिकता देखाई का तिनाथी ती तुज धर्मी लीगस अन जो ईशु देव प विश्वास करत तिसला भी धर्मी करावनारो होई । 27 २७) त घमण्ड करवाना नी कर्ता रहीत तिनो त जागो भी नाहा कोन सी यवस्था नो वजयरी ? काय कर्म नी यवस्था थी नाहा पन विश्वास नी यवस्था नि मदत थी।
28 २८) ईनी करता आपु ई परस्थी प यहीचुत स का मनुष यवस्था ना काम नी वगर विश्वास नी वजय री धर्मी साबित होयत स । 29 २९) काय परमेश्वर फकत यहुदियों स नो सं? काय बिसरी समाज नो नाहा ? ईव बिसरी समाज नो भी आस ।
30 ३०) किसाका यकज परमेश्वर से जो ठडो करनार सला भी विश्वास थी अन ठडो करी रहीन सत तीस लाभी विश्वास नी मदत थी धर्मी साबित होईत । 31 ३१) त काय हामु यवस्था ला विश्वास नी वजय री यरुज जावालुत स? कवज नाहा पन यवस्था ला जोग करुत स?