अध्याय ४

1 (१)इनीज करता मन प्रिय भावस हीन जिम मनी मन लागिली लय सहा जे मनी खुशी अंन लुकुर

आसत नीनाम प्रिय भावस हीन प्रभु म यीज प्रकार थी स्पिर रवा।

2 (२) मय युऔदिया भी समजाडु।अंन सुन्तुखे लाभी का ते प्रभु म यक मन रवा ।

3 (३) येय खरो सहकर्मी मय तुला भी विनती करुस का तु त्यी बाई सनी मददत कर किसाका त्यों मनी हारी सुसमाचार फैलावाम करें मेस अंन मन बिसर सहकर्मी यो सनी हारी मईनत करन सई जिन नाम जीवन नी वारडीम लीखेला आसहा । 4 (४) प्रभु म इमेशा खुशी थी रवा मय आजु आकुका, खुशी थी रवा

5 (५) तुमनी कोमलता बंट मंन्स सय सय प्रगट हीय प्रभु नजुकज सइ,।

6 (६) किनसी भी गटिम चिंता नहा करसा पण दरेक गटिम तुमना निवेदन नी प्रार्थना अंन विनंती नी हारी धन्यवाद नी हारी देवनी समुर करवाम यसा,।

7 (७) तव देव नी शान्ति जी बटी समजनी बिलकुल बायर सइ तुमनी हृदय अंन विचार ना मसीह यीशु म सारीज राखी। 8 (८)इनिज करता भावस इनी,ज्यी गीडी सत्य आस अंन त्यी गीडै पदव नी सइ अंन त्यी गीडै सारे अंन त्यी गीडै पवित्र अंन त्यों गीडे मनला गमत, त्यों निदान जो सदगुण अंन प्रशंसा नी गैडै सअ तीसयज ध्यान थवा करजा ।

9 (९)त्यी गीडै तुमु मना यत सुगन सइ अंन ग्रहण करन अंन वनान सइ अंन मना म देखन तीसलाज पालन करजा तव देव जो शान्ति नी सीती सहा तुमनी हारी थवी । 10 (१०) मय प्रभु म यखा ख़ुश सहा आमी यनला दिन नी विचार मनी विषय म आ़जु जागी गयी तिसज तुमला सुरुवातम भी इनी विचार आतली पण तुमला अवसय नहा मियनी ।

11 (११)ईनश का मय सैतानी समय म कारण का इंसाकु किसाका ई सुख नी काजी दशाम मय सन्ती करु ।

12 (१२) मय दीन हीथा ना भी जानुसअ अंन वदवाना घटवाना सीखनो सइ ।

13 (१३) जो मला सामर्थ्य देय सहा तीम मय बंटा करी सकु सहा । 14 (१४) तरु भी तुमु भला करन का मनी कलेशम मनी हारी रन ।

15 (१५) थेय फिलीप्पियो तुमु आय भी जानत सहा का सुसमाचार प्रचार नी आरंभ म जव मय मकीदुनीया थी कायज नहा करनो तव तुमला छोडीन अंन कोनस्ज मंडढीला लेन देन नी विषय म मनी सहायता नहा करन ।

16 (१६) यीज प्रकार थी जव मय थिस्सलुनीक म आतली तव भी तुमु मनी समय पुरी करवा नी करता यकदाव नहा पण बैन्न दाव काय तरु मीकल नल ।

17 (१७) ई नहा का मय दान मागु सहा पण भय ईसडो कल आकुल सका जो तुमनी करता लाभ नी करता बढतो जाय । 18 (१८) मनाय बंटा आस वदार थी सअ पण जी वस्तु तुमु ईयकुदतीस नी हाथ मोक लनल थी तीसला बेटीन मय त्रप्त हयी गयो तील सुखदायक सुगंध अंन ग्रहण करवानी योग्य बलीदान सअ जो देवला पटस ।

19 (१९) अंन मनो देव भी सौतानी ती दन नी अनुसार जो महीमा सहीत मसीह यीशु म तुमनी हरेक समय ला पुरु कर सइ

20 (२०) आयनो देव अंन आबानी महिमा युगानुयुग होती रई आमीन । 21 (२१)हरेक पवित्र जनला जी यीशु मसीह म सअ नमस्कार करा। जे भाव मनी हारी सअ तुमला नमस्कार करुत स ।

22 (२२) बंट पवित्र लोग सला ज़रुर करीन जे कैसरन घराना न सआ तुमला भी नमस्कार करुत सइ ।

23 (२३)आयनी प्रभु मसीह नी अनुग्रह तुमनी आत्मा नी आरी लय ।