अध्याय 3

1 (१) झिअज करता भावस झीन प्रभु म खुशा थी रवा यीज गोडा तुमला घडे घडे लिखवाम मला कायज नहा दुःख झीती अंन इमज तुम नी भलाई सा।

2 (२) कुव्रतर थी चीकीन रवा अंन त खराब,काम करनारज थी चीकिन रवा

3 (३) किसाका यरुज खतना वायत आयुज सझत जे देवनी आत्मा यवा थीं उयास करत अंन मसीह यीशु घमंड करत अंन शरीर यअ भरुसी नहा यवत । 4 (४) यण मयत शरीर यथी भरुसी राखी सकुस,अंन जर कली भी शरीर य भरुसी राखवा नी विचार संझ मय, तीना थी वहीं राखी सकुस।

5 (५) आढव दिनभ मनी खतना झीनी इस्त्राईलनी याथी अंन बिन्यामिन न गोत्र नी सइ इब्रानियो नी इब्रानि सइ व्यावस्था नी बाराम जर आकात करीसी सइ। 6 (६)खुशीनी बाराम आकत मंथ्डीनी सताडनारी अंन व्यावस्था नी बाराम आकत वगर गल्ती नी आतली ।

7 (७) यण जे जे गीडयी मनी लाभनी आतली तीसला मय मसीह नी वजय थी झनी समजी लेनी । 8 (८) नझत मय मनी प्रभु मसीह यीशु नी पईचान नी सारी कारण भरी गीटसला झनी समझु लागी जिनी,वजय थी मय बटी वस्तुसलानी झनी उकलीन अंन तीसला कवरी समझु किरा मय मसीह ला प्राप्त करु।

9 (९)अंन तीम बीटी जाव नझत आयनी तीई धामिकलानी शरीजी व्यावस्थानी सइ।नझत तीई धामिकता नी झरी जी मसीह प विश्वास करवा नी वजय थी अंन देवनी गुम थी जो विश्वास करवा थी मीय सहा ।

10 (१०) किरा मय तीला अंन तीनी नवी रुप नी सामर्थ्ययला अंन तीनी झरी दुःख म झरी झीयन मरवाना जानु अंन तीनी मृत्यु नी समानतला प्राप्त करु ।

11 (११)तिसज भय कीन्सी भी रीत थीं भरेलस मथी जीवी उटवानो जागाय यौचुउ । 12 (१२) महीने मतलब नहा का मला भेटी गया सझ का सिद्ध झियज गयास पण ताआ वस्तुला धरवाला देवडी,जाव सझा। जिनी करता मसीह यीशु मला घरनी सह

13 (१३) भावस झेन अंनी ई भावना नहा का मला घरी लेन सइ पण ईज आसका इज यक काम नी करता का जी गीडौ यसय रथ गयी सइ।

14 (१४)निशाना नी गुम दवड बी चालु सइ का तो इनाम बेटीजाय जिनी करता देव मला मसीह यीशु म उपर गमाव नी सइ । 15 (१५) अंन झायु सम जतल सिदध संंडा यीज विचार राखा अंन जर कीनसीबी गोटम तुमनी विसरी विचार ईत देव तीला भी तुमय थृगर कशी दीई ।

16 (१६) ईनिज करता जहां सुधी योचंसअ तीनीज अनुसार चाला । 17 (१७) भावस ईनी तुमु बंट मिईन मनी गत चाल चाला अंन तीसला वरका जे ईज रीत थीं चालत सहा, जिनी उदाहरण तुमु झमु सम देखत सई ।

18 (१८) किसाक कतलक ईसड चाल चालत से,।जिनी बाराम मय तुमला गडे गडे आकनी सा अंन आमी भी लडी लडीन आकु सइ का सौतानी चाल वाथी मसीह नी कु्सनी बैरी सइ ।

19 (१९) तीसनी अंन्त विनाश आसा तीसनी, ईशवर पेट सहा ते सोतानी लाजनी गोटसय घमंड करत सइ अंन पृथ्वी नी वस्तु सला मन लागाडीन रत सइ। 20 (20) पण आयनी स्वदेश स्वर्ग म सहा अंन आयु यक उदधारकरनारो प्रभु यीशु मसीह नी जाग ती यवानी वाट देखुन सइ

21 (२१) तो तिनी शक्ती नो तो प्रभाव नी अनुसार जिनी वजय थी ती बट वस्तु भला नीनी वचन करी सकत सइ आयनी दिन हीन देह नी रुय बदलीन तीनी महिमा नी देह अनुकूल बनावी दीही ।