अध्याय : ३

1 १ पन ई जानी थव का शेवट ला दिन म कठिन टाईम यही ।

2 २ किसाका मनुस स्वार्थी धन ना लोभी , बडाई खोर, अभिमानी ,निंदाक अन माय - बाप नी आज्ञा टालनार कृतघ्न, अपवित्र,

3 ३ दया रहीत क्षमा रहीत, दोष लगारनार असयमी कठोर, सालाना विरोधी ,

4 ४ विश्वासघाती, हंटी, अभिमानी अन परमेश्वर न नहा पन सुख विलास न ज पसंद करनार होई। 5 ५ ते भक्ती नो रुप धरीत पन तिनी शक्ती ला नहा मानाव ईसळथी दूर रवाना।

6 ६ ईनामयीक लोग स ,जे घरम दपतो दपतो घुसी यय स अन ते निर्बल बायो नो वश म करी लेत स, जो पाप थी दाबायल्या अन बटी गतनी लालसा ओ नी वंश म स।

7 ७ अन कायम सिखाती रय स पन खरानी वयकात तीप लुगी नहा पोचती। 8 अन जिस यन्नेस अन यम्ब्रेस म मुसा नी विरोध करनल तिसज ई भी खरानो विरोध करत स, यत इसळ मनुस स, जिनी बुध्दी भ्रष्ट होय गया स अन ते विश्वास नी विषय म बिन काम ना स

9 ९ पन ते तिनाथी आगय नहा वदी सकत किसाका जिस तिनी अज्ञानता बटा मनुस प देखानो तिसला इसनबी होय जाई 10 पन तुत शिक्षण चाल-चलन मनस विश्वास दयावानी शक्ती प्रेम धीर

11 ११ तकलीफ अन पीडा म मनो साथ देनो अन ईसको दु:ख भी जो आन्ताकिया अन इकुनियुम अन लुस्त्रा म माप पडनल हाय ईसडो तकलीपला सपनो अन प्रभु मला तै बठथी छोडवनो

12 १२ पन जतला मसीह यीशु म भक्ती नी हारी जीवन बिताळवाना ईच्छा स ते बठ सतावला जाई

13 १३ अन खराब अन लडकारनो धोखा देत अन धोका देत बिगडीत जात 14 पन तु ई गोट्यो प तु सीखनो स अन विश्वास करनो ई जानीन मजबुत बना रय का तु कोनस लोक थी सीखनो स

15 १५ अन नानपनापथी पवित्र शास्त्र तुनो जकनिलोस जो तुला मसीह प विश्वास करवाथी उद्धार मियवकनी करता बुध्दिमान बनी रत स 16 १६ पुरा पवित्र शास्त्र परमेश्वर नी प्रेरणाथी रचाय गया स अन उपदेश अन समझवाना अन सुधारवानक अन धार्मीकता नी शिक्षाणी करता लाभ दायक स।

17 १७ तिसामा परमेश्वर ना जन सिध्द वनाना अन बट्ट ऐक सारा काम नी करता तैयार होय जाई