2 २ अन जो गोटयो तु खुब साक्षीदारनी सामने मनाथी वनानो स तो विश्वासी मनुसला सोपी दे जो बिसरालबी सिखाडी वाना योग्य होय 3 मसीह यीशु ना सारा योद्धा नी गत मनी हारी दुःख उठावा
4 ४ जवय कोय योद्धा लडाय प जात स त ईनिकरता का आपन वरीष्ठ अधिकारीला खुशी कर आपन आप ला संसार नी कामम नही फसाळता
5 ५ फिरी आखाड म लडाय करनार जर विधी नी गत नहा लड तो मुकुट नहा पोवतो 6 जो कोनो मेहनत कर स फल नो अंश पयल ति तिला मियु जोय
7 ७ जो मय आकु आस तिप दयान देवा अन प्रभु तुला बठ गोटयो नी समज दिई । 8 ८ यीशु मसीह ला याद थव जो दाऊदनी वंश थी होनो अन मरेलमथी जिवतो होनो अन यो मनो सारो समाचार नी गत स
9 ९ जिनी करता मय कुकमींनी गत दुःख उठाव स यहा सुदी नी कैद थी स पन परमेश्वर नो वचन कैद नहा
10 १० ईनी करता मय पसंद करेल लोक नी करता बड सय स का तेबी तो उद्धार नी जो मसीह यीशु म स कायम महीमा नी हारी मय 11 ई गोट खरी स का नहात हामु तिनी हारी मरी गयोस त तिनी हारी जिवतोबी रहसु
12 १२ जर हामु धीर थी विचार करु त तिनी हारी राज्य भी करी जर हामु तिनी नहा आकी त ते भी हामला नहा आकी
13 १३ जर हामु विश्वासघाती भी होय तरुबी तो विश्वास नी योग्य बनी रहत स 14 ई गोटयोसनी सुधी तिलास देपाक अन प्रभु नी गत पिता देय का शब्द प तर्क विर्तक नहा करवा करा जिनाथी काय लाभ नहा होता पन वनानार बिगडी जात स
15 १५ आपन आपनाला परमेश्वर ला गृहणयोग्य अन ईसडा काम करनार बनावानो कोशिश कर जो लाजवाया नाहा जोय अन जो सत्य नो वचन ला सारी रीती ती काम म लाव स 16 १६ पन अशुद्ध बकवास थी बची रवा किसाका ईसड लोक आजु बी अभक्तीम वदत जाई
17 १७ अन तिनो वचन सडला घाव नी गत फैलती जात स हुमिनयुस अन फिलेतुस तिना मती स
18 १८ जो ई आकीन का पुनरूत्थान होय गयोस सत्य थी भटकी गया स अन कतलानो विश्वास ला उलटा पलटा करी देत स 19 तरूभी परमेश्वर नी मजबुत पाया बनी रयस अन तिप ई छाप लागनी स प्रभु आपला नाला वयकस अन जो कोय प्रभु ना नाव लेयस तो अर्धम थी बची रही
20 २० मोटा घरम नहा काय सोना-चांदी नहा पन लाकडाना अन माटडाना बासना भी होय स कोय कोय अदर अन कोय कोय अनादर नी करता
21 २१ जर कोय आपना आपनाला ईनाथी शुध्द करीत तो आदर नो पात्र अन पवित्र ठहरावी अन स्वामी नी काम यई अन बट सार काम नी करता तैयार होई 22 जिवानी नी अभिलाषा थी पय अक जो शुध्द मन थी प्रभु ना नाव लय स तिनी हारी धार्मिकता अन विश्वास अन प्रॆम अन मिय बेटना पिछा कर
23 २३ पन मुर्ख अन अज्ञान नो वादथी अलग र कीसाका तु नाहा समजतो का ईनाथी लडाय होय स 24 २४ अन प्रभु ना सेवक लडाय करनारो नहा होवु जोय पन बट्ट नी हारी कोमल अन शिकाडवामा निपुण अन सहन करनारो होवु जोय
25 २५ अन विरोध करनारला नम्रता थी समझाव काय जान परमेश्वर तिसला मन फिरावानो मन दे का ते भी सत्य ला वयकी
26 २६ अन ईनाथी शैतान नी ईच्छा पुरी करवा नी करता सचेत होईन शैतान ना फन्दा थी छुटी जाई