2 २) अंन देव आबा नो भविष्य ज्ञान नो गत पवित्र आत्मा नो पवित्र करवानो करता आज्ञा मना , अंन यीशु मसिह नो रगत छाडो देवा थी पसंद करेला स तुला अत्यना अनुग्रह अंन शान्ति मयतो रहो! 3 ३) हामनो प्रभु यीशु मसिह ना परमेश्वर अंन आबा ना धन्यवाद होय, जो यीशु मसिह ला मरे लम थी जीवत हवानु करता हामनी मोठी माया थी जीवतो आशा नि करता नवो जन्म लेनो.
4 ४) अथवा एक अविनाशी अंन निर्मल, अंन अजर विरासत नी करता जो तुमनी करता स्वर्ग म थवे ली स!
5 ५) जिनो रक्षा देव नी सामर्थ्य थी विश्वास नो गत तो उध्दार नो करता, जो यनारो समय म प्रगत होई, का फरी जाहो 6 ६) इनी करता तु दाराय जाय स यद्यपि अवश्य स का आमि थोडाक दिन सुदि नायना प्रकार का परिक्षा नो मतलब दु:ख म स,
7 ७) अंन ई ईनी करता सका तुमनो पार खेलो विश्वास,जो आग थी ताए हुए नाशवान सोने से भी कतलो वधार बहुमुल्य स, यीशु मसिह ला प्रगत होनोल तव प्रशंसा, महीमा अंन आदार नो कारण रहो ( अय्यु :- २३:१० , भजन :- ६६:१० , यशा :- ४८:१० , याकु :-१:१२ ) 8 ८) तिला तुमु देखा वगर प्रेम करत स, अंन आमित तु तिय देखा वगर भी विश्वास करिन होईन ईस आनन्दित अंन मगन होत उई, जो वर्णन थी बाहार अंन महिमा थी भरेला स,
9 ९) अंन आपनो विश्वास ना प्राप्त करेलो कळ अथवा आत्मा ओ ना उध्दार प्राप्त कत रहो!
10 १०) यो उध्दार नि विषय म तो भविष्यवक्ता थी हेरी हुरीन अंन जांच - पडताल को जो तो दया नी विषय म जो तुमु सय होवाना हाथला भविष्यध्दाणी नी हाथली! 11 ११) जो ई गोट नी खोज करनल ते मसिह नो आत्मा जो तिसम हास अंन पयल थी मसिह नो दु:ख नो अंन तिनी बाद होई ति मसिह नी गवाही देव लागो ते कोनत अंन किसडो समय नी अंन संकेत करतो लो! ( पत :- १:२१ , यशा :- ५२ :१३-१४ , लुक :- २४ : २५-२७ )
12 १२) तिसय ई प्रगट करनो का तो आपनो नहा पण तुमनी सेवा नी करता गोट्यो आक तो लो जिनो समाचार आमि तुनि द्वारा मियनो जो पवित्र आत्मा नी द्वारा जो स्वर्ग थी मोकल, तुमला सुसमाचार वनाडनरो अंन ई गोटला स्वर्गगदुत भी ध्यान थी देखवानो लालसा रिखु लाग. 13 १३) ईनी करता आपनो बुद्धी नी कमर बधीन अंन सचेत रईन तो अनुग्रह नी पुरी आशा थवन, जो यीशु मसिह ला प्रगट होवानो समय तुमला मियनारो स!
14 १४) अंन आज्ञाकारी पोर्या नो गत आपनो अज्ञानता नो समय नो जुनि अभिलाषा ओ नो सद्दश हा बना. 15 १५) पण जिडो तुमला गगावनारो पवित्र स, तिस तुमु भी आपण बड पेवहारम पवित्र बना.
16 १६) किसाका लिखेला आस, पवित्र बना किसाका मय पवित्र आस! ( लैव्य :- ११:४४ , लैव्य :- १९:२ , लैव्य :- २०:७ )
17 १७) अंन जव का तु " हे आबा " आकीन तिला प्रार्थना करा स, जो काय नहा पक्षपात पड काम नो अनुसार न्याय कर स, तो आपनो परदेशी होवानो समय भय थी बितावा ( २ इति :-१९:७ , भजन :- २८:४ , यशा :- ५९:१८ , यिर्म :- ३:१९ , यिर्म :- १७:१० ) 18 १८) किसाका तु जानत स का तुमनो फालतुक पेवहार जो वडा वडील थी चालत पण तिना थी तुमना छोडवणार चांदी, सोना, नहात नाशवान वस्तू नो द्वारा नहा हाना ( भज:- ४९ : ७-८ , गल :- १-४ , यशा :- ५२:३ )
19 १९) पण नहा गलति अंन निष्कलंक मेडं नहात मसिह नो बहुमुल्य लहु नो प्रारा होनो. 20 २०) मसिह ला जगत नो सृष्टी नी पयल पसन करेल हाथल पन आमि ई अन्तिम युग म तुमनि करता प्रगट होनो,
21 २१) जो तिनि द्वारा तो परमेश्वर प विश्वास करत स, जो तिला मरेला मथी जिवतो करनो, अंन महीमा विश्वास देनो का तुमनो विश्वास अंन आशा परमेश्वर प स, 22 २२) अंत :जव का तुमु भायचारे नि निष्कपट प्रेम नि निमित्त खरा नी मानवानो आपण मनला पवित्र करनो, त तन - मन लगाडीन एक बीसरान ला वधार प्रेम थवा,
23 २३) कसाका तुमु नाशवान नह पण अविनाशी बीईतो परमेश्वर नी जिवित अंन कायम ठहरनेवाले वचन नी द्वारा नवो जन्म लेनो स, 24 २४) किसाका बड एक प्राणी चारानो गत स, अंन तिनी बडी शोला चारानो कुल नी गतस स चारो सुखाय जोय अंन कुल झडाप जात स,
25 २५) पण प्रभु ना वचन कायम स्थिर रय आस!