Checking Manual

तर्जुमा जाँच का तआर्रुफ़

This section answers the following question: हम तर्जुमा जाँच क्यों करते हैं?

तर्जुमा जाँच

तआर्रुफ़

हम तर्जुमा जाँच क्यों करते हैं?

तर्जुमा अमल के तौर पर, यह ज़रूरी है के तर्जुमे को कई लोग जाँच करें इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए के यह वाज़े तौर पर उसी पैग़ाम को इत्तिला कर रहा है जिसका इत्तिला इसे करना चाहिए। एक इब्तदाई मुतर्जिम जिससे उसका तर्जुमा जाँच करने को कहा गया था एक दफ़ा कहा, “लेकिन मैं अपनी मादरी ज़बान बिल्कुल ठीक बोलता हूँ। तर्जुमा उसी ज़बान के लिए है। मज़ीद क्या ज़रुरत है?” जो उसने कहा वह सच था, लेकिन ज़हन में रखने के लिए दो और बातें हैं।

एक बात यह है के हो सकता है वह माख़ज़ मतन को सहीह तौर पर न समझ पाया हो, और लिहाज़ा जो शख्स जो जानता हो के इसे क्या कहना चाहिए वह तर्जुमे को दुरुस्त करने के क़ाबिल हो सकता है। यह हो सकता है क्योंके उसने माख़ज़ मतन में किसी जुमले या बयान को सहीह तौर पर नहीं समझा। इस सूरत में, कोई और शख्स जो माख़ज़ मतन को अच्छी तरह समझता हो तर्जुमे को दुरुस्त कर सकता है।

या ऐसा हो सकता है के किसी ख़ास जगह बाईबल का क्या इत्तिला करने का मतलब था इसकी बाबत वह कुछ न समझा हो। इस सूरत में, जो शख्स बाईबल को अच्छी तरह जनता हो, जैसे के कोई बाईबल का उस्ताद या कोई बाईबल तर्जुमा जाँचने वाला, तर्जुमे को दुरुस्त कर सकता है।

दूसरी बात यह है के, अगरचे मुतर्जिम बहुत अच्छी तरह जान सकता है के मतन को क्या कहना चाहिए, जिस तरीक़े से उसने इसका तर्जुमा किया है इसका मतलब किसी दूसरे शख्स के लिए कुछ और हो सकता है। यानी, कोई दूसरा शख्स यह सोच सकता है के तर्जुमा मुतर्जिम के इरादे के अलावा कोई और बात कर रहा है, या जो शख्स तर्जुमे को सुन रहा है या पढ़ रहा है हो सकता है न समझे के मुतर्जिम क्या कहने की कोशिश कर रहा था।

यह अक्सर होता है जब एक शख्स कोई जुमला लिखता है और फिर कोई दूसरा इसे पढता है (या बाज़ औक़ात यहाँ तक के पहला शख्स अगर इसे दोबारा पढता है), जिसे वो समझते हैं जो मुसन्निफ़ का मतलब था यह उससे कुछ मुख्तलिफ़ कहता है। मुन्दर्जा जैल जुमले को एक मिशाल के तौर पर लें।

यूहन्ना पतरस को हैकल ले गया और फिर वह घर गया।

उसके ज़हन में जब उसने यह लिखा था, मुसन्निफ़ का मतलब था के पतरस घर गया, लेकिन कारी का ख़याल था के मुसन्निफ़ का शायद यह मतलब था के यूहन्ना ही घर गया था। जुमले को तब्दील करने की ज़रुरत है ताके यह ज़ियादा वाज़े हो।

नीज़, तर्जुमे की टीम उनके काम में बहुत क़रीब और मुब्तिला होती है, और लिहाज़ा उन्हें बाज़ औक़ात ऐसी ग़लतियाँ नज़र नहीं आती हैं जो दूसरे आसानी से देख सकते हैं। इन वजूहात की बिना पर यह जाँचना हमेशा ज़रूरी है के कोई दूसरा तर्जुमा से क्या समझता है ताके हम इसे ज़ियादा दुरुस्त और ज़ियादा वाज़े बना सकें।

यह जाँच दस्ती जाँच की अमल के लिए एक रहनुमा है। यह आपकी मुतद्दद क़िस्म के जाँच में रहनुमाई करेगा जो आपको इन मसाएल को हल करने की इजाज़त देगा। हमारा यक़ीन है के बहुत सारे लोगों का मुख्तलिफ़ क़िस्म की जाँच करने का नतीजा तेज़ तर जाँच का अमल, वसीअ पैमाने पर कलीसिया की शिरकत और मिलकियत की इजाज़त, और बेहतर तर्जुमे बनाना होगा।

जिन चीज़ों की जाँच करने की ज़रुरत है उनकी मज़ीद मिशालों के लिए, इस पर जाएँ: जाँच के लिए चीज़ों की क़िस्में.

  • क्रेडिट्स: इक्तबास इजाज़त के ज़रिये इस्तेमाल किया गया, © 2013, SIL बैन उल अक़वामी, हमारी आबाई सक़ाफ़त का इश्तिराक करना, p. 69.*

जाँच दस्ती का तआर्रुफ़

This section answers the following question: जाँच दस्ती क्या है?

तर्जुमा जाँच दस्ती

यह दस्ती बयान करती है के बाईबल तर्जुमे को दीगर ज़बानों (OLs) में दुरुस्तगी, वज़ाहत, और क़ुदरतीपन के लिए किस तरह जाँच करें। (गेटवे ज़बानों (GLs) के जाँच की अमल के लिए, देखें गेटवे ज़बान दस्ती). यह तर्जुमा जाँच दस्ती तर्जुमे के लिए मंज़ूरी हासिल करने की अहमियत और ज़बान इलाक़े की कलीसिया के रहनुमाओं से तर्जुमा के अमल पर भी गुफ्तगू करता है।

दस्ती तर्जुमा जाँच के लिए हिदायात के साथ शुरू होती है जो तर्जुमा टीम एक दूसरे के कामों की जाँच के लिए इस्तेमाल करेगी। इन जाँचों में शामिल हैं ज़बानी साथी जाँच और [टीम ज़बानी हिस्सा जाँच]. फिर तर्जुमाकोर सॉफ्टवेयर के साथ तर्जुमा की जाँच के लिए तर्जुमा टीम के इस्तेमाल के लिए हिदायात हैं। इनमें शामिल हैं तर्जुमा अल्फ़ाज़ जाँच और तर्जुमा नोट्स जाँच.

इसके बाद, तर्जुमा टीम को वज़ाहत और क़ुदरतीपन के लिए ज़बान बिरादरी के साथ तर्जुमे के जाँच की ज़रुरत होगी। यह ज़रूरी है क्योंके ज़बान के दूसरे बोलने वाले बातों को कहने के बेहतर तरीक़ों का मशवरा दे सकते हैं जो हो सकता है के तर्जुमा टीम ने न सोचा हो। बाज़ औक़ात तर्जुमा टीम तर्जुमे को अज़ीब ओ ग़रीब शक्ल देती हैं क्योंके वो माख़ज़ ज़बान के अल्फ़ाज़ की बहुत क़रीबी से पैरवी करती हैं। ज़बान के दूसरे बोलने वाले उनको ठीक करने में मदद कर सकते हैं। एक और जाँच जो तर्जुमा टीम इस वक़्त कर सकती है वह है OL पासबान या कलीसिया रहनुमा जाँच. चूँके OL पासबान गेटवे ज़बान (GL) में बाईबल से वाक़िफ हैं, वो GL बाईबल के तर्जुमे की दुरुस्तगी के लिए जाँच कर सकते हैं। वो गलतियाँ भी पकड़ सकते हैं जो तर्जुमा टीम ने नहीं देखा क्योंके तर्जुमा टीम इतने क़रीब है और अपने काम में मुब्तिला है। नीज़, तर्जुमे की टीम में बाईबल के बारे में कुछ महारत या इल्म की कमी हो सकती है जो दूसरे OL पासबानों के पास हो सकती हैं जो तर्जुमे की टीम का हिस्सा नहीं हैं। इस तरह से, पूरी ज़बान बिरादरी इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए मिलकर काम कर सकती है के हदफ़ ज़बान में बाईबल का तर्जुमा दुरुस्त, वाज़े, और क़ुदरती है।

बाईबल के तर्जुमे की दुरुस्तगी की जाँच के लिए मज़ीद जाँच है इसे तर्जुमाकोर में लफ्ज़ सफ़बन्दी टूल का इस्तेमाल करते हुए बाईबल की असल ज़बानों के साथ सफ़बन्द करना। इन तमाम जाँचों को अंजाम देने के बाद, OL कलीसिया नेटवर्क्स के रहनुमा तर्जुमे की नज़रसानी करना और अपने तौसीक़ देना चाहेंगे। क्योंके कलीसियाई नेटवर्क्स के बहुत से रहनुमा तर्जुमे की ज़बान नहीं बोलते, एक वापस तर्जुमा बनाने के लिए भी हिदायात हैं, जो लोगों को ऐसी ज़बान में तर्जुमा जाँच करने की सहूलियत देता है जिसमे वह बोलते नहीं हैं।


जाँच का मक़सद

This section answers the following question: जाँच का मक़सद क्या है?

जाँच क्यों?

जाँच का मक़सद एक ऐसा तर्जुमा बनाने के लिए तर्जुमा टीम की मदद करना है जो दुरुस्त, क़ुदरती, वाज़े, और कलीसिया को क़ुबूल हो। तर्जुमा टीम भी इस मक़सद को हासिल करना चाहती है। यह आसान लग सकता है, लेकिन यह करना अस्ल में बहुत मुश्किल है, और तर्जुमे को हासिल करने के लिए बहुत सारे लोग और बहुर सारे नज़रसानियाँ लेता है। इसी वजह से, जाँचने वाले एक ऐसा तर्जुमा बनाने के लिए तर्जुमा टीम की मदद करने में बहुत ही अहम किरदार अदा करते हैं जो दुरुस्त, क़ुदरती, वाज़े, और कलीसिया को क़ुबूल हो।

दुरुस्त

वो जाँचने वाले जो पासबान, कलीसियाई रहनुमा, और कलीसियाई नेटवर्क्स के रहनुमा हैं, तर्जुमा टीम को एक ऐसा तर्जुमा बनाने में मदद करेंगे जो दुरुस्त है। वो यह तर्जुमे को माख़ज़ ज़बान के साथ मोवाज़ना करने के ज़रिये करेंगे, और जब भी मुमकिन हो, बाईबल के अस्ल ज़बानों के साथ भी। (दुरुस्त तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें दुरुस्त तर्जुमा बनाएँ.)

वाज़े

वो जाँचने वाले जो ज़बान बिरादरी के अरकान हैं, तर्जुमा टीम को ऐसा तर्जुमा बनाने में मदद करेंगे जो वाज़े हो। वो यह तर्जुमा को सुनने और उन मक़ामात की निशानदेही करके करेंगे जहाँ तर्जुमा उलझा हुआ है या उनके लिए मानी ख़ेज़ नहीं है। फिर तर्जुमा टीम उन जगहों को ठीक कर सकती है ताके वो वाज़े हों। (वाज़े तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें वाज़े तर्जुमा बनाएँ.)

क़ुदरती

वो जाँचने वाले जो ज़बान बिरादरी के अरकान हैं, तर्जुमा टीम को ऐसा तर्जुमा बनाने में भी मदद करेंगे जो क़ुदरती हो। वो यह तर्जुमा को सुनने और उन मक़ामात की निशानदेही करके करेंगे जहाँ तर्जुमा अज़ीब लगता है और आवाज़ उस तरह की नहीं आती है जिस तरह कोई उनकी ज़बान बोलने वाला कहेगा। फिर तर्जुमा टीम उन जगहों को ठीक कर सकती है ताके वो क़ुदरती हों। (क़ुदरती तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें क़ुदरती तर्जुमा बनाएँ.)

कलीसिया-मंज़ूरशुदा

वो जाँचने वाले जो ज़बान बिरादरी में कलीसिया के अरकान हैं, तर्जुमा टीम को ऐसा तर्जुमा बनाने में मदद करेंगे जो उस बिरादरी की कलीसिया को मंजूरशुदा और क़ुबूल है। वो यह उस ज़बान बिरादरी की दूसरी कलीसियाओं के अरकान और रहनुमाओं के साथ मिलकर काम करके करेंगे। जब अरकान और रहनुमा जो किसी ज़बान बिरादरी की कलीसियाओं की नुमाइंदगी करते हैं, एक साथ मिलकर काम करते और राज़ी होते हैं के तर्जुमा अच्छा है, फिर यह उस बिरादरी की कलीसियाओं में क़बूल होगा और इस्तेमाल किया जायेगा। (कलीसिया के मंज़ूरशुदा तर्जुमे की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें कलीसिया-मंजूरशुदा तर्जुमे.)


जाँच के इख्तियार और अमल

This section answers the following question: बाईबल के तर्जुमे को जाँच करने के इख्तियार और जाँच के अमल में क्या फ़र्क है?

वज़ाहत

जवाबदेही

बाईबल तारीख़ी (पूरी तारीख़ में) और आफ़ाक़ी (पूरी दुनिया में) कलीसिया से ताल्लुक़ रखती है। कलीसिया का हर हिस्सा कलीसिया के दूसरे हिस्से के सामने जवाबदेह है, इसमें के हम बाईबल जो कहती है उसका किस तरह तर्जुमा करते, ऐलान करते और ज़िन्दगी गुज़ारते हैं। बाईबल के तर्जुमे के सिलसिले में, दुनिया की हर ज़बान का उन मानी का इज़हार करने का अपना एक तरीक़ा होगा जो बाईबल में है। इसके बावजूद, कलीसिया का वह हिस्सा जो हर ज़बान बोलता है कलीसिया के दूसरे हिस्सों के सामने जवाबदेह होता है के वह उस मानी को किस तरह ज़ाहिर करते हैं। इसी वजह से, जो लोग बाईबल का तर्जुमा करते हैं उन को यह ज़रूर मुतालआ करना चाहिए के दूसरों ने उसका तर्जुमा किस तरह किया है। लाज़िम है के उनकी रहनुमाई की जाए और इस्लाह के लिए खुले रहें उन दूसरों के ज़रिये जो बाईबल की ज़बानों में माहिर हैं और किस तरह कलीसिया ने तारीख के ज़रिये बाईबल को समझा है और इसकी तर्जुमानी की है।

इख्तियार और सलाहियत

ऊपर ज़िक्र किये गये समझ के साथ, हम भी यह तस्दीक़ करते है के कलीसिया जो हर ज़बान बोलती है उसे ख़ुद फ़ैसला करने का इख्तियार हासिल है के उनकी ज़बान में बाईबल की अच्छी मयार का तर्जुमा क्या है और क्या नहीं है। बाईबल तर्जुमे को जाँच करने और मंज़ूरी देने का इख्तियार (जो मुश्तक़िल है) सलाहियत से अलग है, या बाईबल तर्जुमे को जाँचने के अमल को अंजाम देने की क़ाबिलियत (जिसमे इज़ाफ़ा किया जा सकता है)। बाईबल तर्जुमे के मयार को तय करने का इख्तियार उस कलीसिया से ताल्लुक़ रखता है जो तर्जुमे की ज़बान बोलती है, और उनकी मौजूदा क़ाबिलियत, तजुर्बे, या वसाएल तक रसाई से आज़ाद है जो बाईबल के तर्जुमे की जाँच में सहूलियत पैदा करते हैं। लिहाज़ा जब किसी ज़बान के गिरोह में कलीसिया को यह इख्तियार हासिल है के वह ख़ुद ही बाईबल के अपने तर्जुमे की जाँच और मंज़ूरी से सके, अफ़शाएकलाम टूल्स जिसमे तर्जुमाअकादमी के ये मॉड्यूल्स शामिल हैं, यह यक़ीनी बनाने के लिए तजवीज़ किये गये हैं के हर कलीसिया में भी एक बेहतरीन अमल इस्तेमाल करके अपने बाईबल के तर्जुमे के मयार को जाँचने की सलाहियत मौज़ूद हो। यह टूल्स हर ज़बान गिरोह में कलीसिया को बाईबल के बारे में कुछ जो बाईबल के माहिरीन ने कहा है और कलीसिया के दूसरे हिस्सों में इसका दूसरी ज़बानों में तर्जुमा किस तरह किया गया है उन तक रसाई हासिल करने के लिए तैयार किये गए हैं।

तर्जुमे की जाँच के अमल को इस जाँच दस्ती के बाक़ी हिस्से में बयान किया जायेगा।


ज़बानी साथी जाँच

This section answers the following question: दूसरे मेरे काम की जाँच में मेरी मदद कैसे कर सकते हैं?

ज़बानी साथी जाँच किस तरह करें

इस मरहले पर, आप पहले ही मॉड्यूल में उस हिदायतनामे की पैरवी करते हुए जो [पहला मुसव्वदा] कहलाता है, अपने तर्जुमे के कम अज़ कम एक बाब के मुसव्वदे के इक़दामात से गुज़र चुके हैं। अब आप तैयार हैं के दूसरे इसकी जाँच करने में, कोई ग़लती या मसाएल ढूँढने में, और इसे बेहतर बनाने में आपकी मदद करें। इससे पहले के वो बाईबल की बहुत सी कहानियाँ या अबवाब तर्जुमा करें मुतर्जिम या तर्जुमा टीम को अपने तर्जुमे की जाँच करनी चाहिए, ताके वो तर्जुमा अमल में गलतियों को जितना जल्दी हो सके सहीह कर सकें। इस अमल में बहुत से इक़दामात को तर्जुमा ख़त्म होने से पहले कई दफ़ा करने की ज़रुरत होगी। ज़बानी साथी जाँच करने के लिए, इन इक़दामात की पैरवी करें।

  • किसी साथी को अपना तर्जुमा पढ़ें (तर्जुमा टीम का कोई रुकन) जिसने इस क़तआ पर काम न किया हो।
  • साथी पहली दफ़ा क़ुदरतीपन के लिए सुन सकता है (माख़ज़ मतन को देखे बगैर) और आपको बता सकता है के कौन से हिस्से आपकी ज़बान में क़ुदरती नहीं लगते। बाहम, आप सोच सकते हैं के किस तरह कोई इस मानी को आपकी ज़बान में कहेगा।
  • इन नज़रियात को अपने तर्जुमे के ग़ैर क़ुदरती हिस्सों को तब्दील करके ज़ियादा क़ुदरती बनाने के लिए इस्तेमाल करें।
  • फिर उस क़तआ को दोबारा अपने साथी को पढ़ें। इस दफ़ा, साथी माख़ज़ मतन की पैरवी करते हुए तर्जुमा सुनकर दुरुस्तगी की जाँच कर सकता है। इस क़दम का मक़सद यह यक़ीनी बनाना है के तर्जुमा दुरुस्त तौर पर असल कहानी या बाईबल क़तआ के मानी का इत्तिला करता है।
  • अपका साथी आपको बता सकता है अगर कोई ऐसा हिस्सा है जहाँ कुछ इज़ाफ़ा किया गया था, ग़ायब था, या माख़ज़ मतन से मोवाज़ना करते वक़्त तब्दील हो गया।
  • तर्जुमे के उन हिस्सों को सहीह करें।
  • बिरादरी के उन अरकान के साथ दुरुस्तगी की जाँच करना भी मददगार साबित हो सकता है जो तर्जुमा टीम का हिस्सा नहीं हैं। उन्हें तर्जुमा की ज़बान बोलने वाले, बिरादरी में जिनका एहतराम हो, और, अगर मुमकिन है, बाईबल को माख़ज़ ज़बान में अच्छी तरह जानने वाले होना चाहिए। ये जाँचने वाले तर्जुमा टीम को उनकी अपनी ज़बान में कहानी या बाईबल क़तआ के मानी को बेहतरीन तरीक़े से तर्जुमा करने की बाबत सोचने में मदद करेंगे। इस तरीक़े से बाईबल क़तआ की जाँच करने में एक से ज़ियादा शख्स का होना मददगार हो सकता है, क्योंके अक्सर मुख्तलिफ़ जाँचने वाले मुख्तलिफ़ चीजों को देखेंगे।
  • दुरुस्तगी की जाँच में मज़ीद मदद के लिए, देखें दुरुस्तगी-जाँच.

अगर आप किसी चीज़ के बारे में मुतमईन नहीं हैं तो, तर्जुमा टीम के दीगर अरकान से पूछें।


टीम ज़बानी हिस्सा जाँच

This section answers the following question: हम बतौर टीम अपना तर्जुमा कैसे जाँच कर सकते हैं?

एक टीम के तौर पर किसी क़तआ या बाब की जाँच करने के लिए, एक टीम ज़बानी हिस्सा जाँच करें। इसे करने के लिए, हर मुतर्जिम टीम के बाकी लोगों के लिए अपने तर्जुमे को बुलन्द आवाज से पढ़ेगा। हर हिस्से के आख़िर में, मुतर्जिम रुकेगा ताके टीम हिस्से पर गुफ़्तगू कर सके। मिशाली तौर पर, हर तहरीरी तर्जुमे को पेश किया जाता है जहाँ सभी इसे देख सकते हैं जबके मुतर्जिम मतन को ज़बानी तौर पर पढता है।

टीम अरकान के फ़राइज़ तक़सीम किये गए हैं – यह अहम है के हर एक टीम रुकन एक वक़्त में सिर्फ़ मुन्दर्जा जैल किरदारों में से एक अदा करे।

  1. एक या ज़ियादा टीम के अरकान क़ुदरतीपन के लिए सुनें। अगर कुछ ग़ैर क़ुदरती है तो, हिस्से को पढ़ने के आख़िर में वो इसे कहने के लिए एक ज़ियादा क़ुदरती तरीक़े का मशवरा दें।
  2. एक या ज़ियादा टीम के अरकान माख़ज़ मतन के साथ पैरवी करें, ऐसी कोई भी चीज़ नोट करें जो इज़ाफ़ा किया गया है, ग़ायब है, या तब्दील किया गया है। हिस्से को पढ़ने के आख़िर में, वो टीम को चौकस करें के कुछ इज़ाफ़ा किया गया है, ग़ायब है, या तब्दील किया गया है।
  3. दूसरा टीम रुकन तर्जुमकोर के रिपोर्ट मोड के साथ पैरवी करते हुए माख़ज़ मतन में तमाम नुमायाँ करदा कलीदी शराअत को नोट करता है। फिर टीम पढ़ने में सतह पर आने वाली किसी भी दूसरी परेशानी के साथ, तर्जुमा में ऐसी कोई भी कलीदी शराअत पर गुफ़्तगू करती है जो मुतज़ाद या नामुनासिब लगता है। अगर यह मोड दस्तयाब नहीं है, तो टीम का यह रुकन टीम के कलीदी इस्तलाह स्प्रेडशीट पर कलीदी शराअत को तलाश कर सकता है।

जब तक टीम अपने तर्जुमे से मुतमईन न हो जाए तब तक इन इक़दामात को बतौर ज़रूरी दोहराया जा सकता है।

इस मक़ाम पर, तर्जुमा को पहला मसव्वदा समझा जाता है, और टीम को भी मुन्दर्जा जैल करने की ज़रुरत होती है।

  1. तर्जुमा टीम में किसी को तर्जुमास्टूडियो में मतन को दाख़िल करने की ज़रुरत है। अगर टीम मसव्वदा करने के आग़ाज़ से ही तर्जुमास्टूडियो का इस्तेमाल कर रही है, तो फिर टीम ने जो तब्दीलियाँ की हैं, इस मक़ाम पर सिर्फ़ उन्हें ही दाख़िल होने की ज़रुरत है।
  2. तर्जुमे का एक नया आवाज़ रिकॉर्डिंग बनाया जाना चाहिए, जिसमे वो तमाम तब्दीलियाँ और बेहतरी शामिल हों जो टीम ने किये हैं।

तर्जुमास्टूडियो फाइलें और आवाज़ रिकॉर्डिंग को दरवाज़ा43 पर टीम के ज़ख़ीरे में अपलोड किया जाना चाहिए।


तर्जुमालफ्ज़ जाँच

This section answers the following question: किस तरह मैं अपने तर्जुमे में अहम अल्फ़ाज़ की दुरुस्तगी की जाँच कर सकता हूँ?

तर्जुमाकोर में तर्जुमालफ्ज़ की जाँच कैसे करें

  • तर्जुमाकोर में साइन इन करें
  • उस तजवीज़ (बाईबल की किताब) को चुनें जिसकी आप जाँच करना चाहते हैं
  • अल्फ़ाज़ के क़िस्म या क़िस्मों को चुनें जिसकी आप जाँच करना चाहते हैं
  • अपनी गेटवे ज़बान को चुनें
  • “चलायें” पर क्लिक करें
  • बाईबल की आयत के दाएँ तरफ़ ज़ाहिर होने वाले हिदायात पर अमल करके बाएं तरफ अल्फ़ाज़ की फ़ेहरिस्त में काम करें।
  • माख़ज़ लफ्ज़ को बेहतर समझने के लिए, आप नीली बार में मुख़्तसर तआरीफ़, या दाएँ जानिब वाले पैनल में तवीलतर पढ़ सकते हैं।
  • फ़ेहरिस्त में लफ्ज़ या फ़िक़रे के लिए तर्जुमा को चुनने (नुमायाँ करने) के बाद, “महफ़ूज़ करें” पर क्लिक करें।
  • गौर करें के जो लफ्ज़ तर्जुमालफ्ज़ के लिए चुना गया था इस क़रीने में मानी ख़ेज़ है या नहीं।
  • अगर आप को लगता है के तर्जुमालफ्ज़ तर्जुमा के लिये एक अच्छा तर्जुमा है, फिर “महफ़ूज़ करें और जारी रख्खें” पर क्लिक करें।
  • अगर आप को लगता है के आयत के साथ कोई मसअला है या उस लफ्ज़ या फ़िक़रे के लिए तर्जुमा अच्छा नहीं है, फिर या तो इसे बेहतर बनाने के लिए आयत को तरमीम करें, या किसी को यह बताते हुए तब्सरा करें जो आपके काम की नज़र सानी करेगा यहाँ तर्जुमे के साथ जो आप सोचते हैं ग़लत भी हो सकता है।
  • अगर आपने तरमीम कर लिया है, आपको दोबारा से अपना चुनाव करने की ज़रुरत हो सकती है।
  • जब आपका तरमीम या तब्सरा करना ख़त्म हो गया हो, “महफ़ूज़ करें और जारी रख्खें” पर क्लिक करें। अगर आप सिर्फ़ एक तर्जुमालफ्ज़ के बारे में तब्सरा करने को तरजीह देते हैं और इसके लिए चुनाव नहीं करते हैं, फिर अगले लफ्ज़ पर जाने के लिए फ़ेहरिस्त में बाएं तरफ़ अगली आयत पर क्लिक करें।

उन तमाम आयात के लिए चुनना हो जाने के बाद जहाँ तर्जुमालफ्ज़ आता है, उस लफ्ज़ के लिए फ़ेहरिस्त को नज़रसानी किया जा सकता है। मुन्दर्ज़ा ज़ैल हिदायात नज़रसानी करने वाले के लिये या तर्जुमा टीम के लिए हैं।

  • अब आप तर्जुमा की एक फ़ेहरिस्त देख सकेंगे जो बाएं तरफ़ के हर एक तर्जुमालफ्ज़ के तहत हर एक तर्जुमालफ्ज के लिए किये गए थे। अगर आप देखते हैं के तर्जुमालफ्ज़ मुख्तलिफ़ आयात में मुख्तलिफ़ तरीक़े से तर्जुमा किया गया था, तो आप उन जगहों का जायज़ा लेना चाहेंगे जहाँ इख्तेलाफ़ात है, यह देखने के लिए के क्या इस्तेमाल किया गया हदफ़ लफ्ज़ हर क़रीने के लिए दुरुस्त था।
  • आप किसी तब्सरे का भी जायज़ा लेना चाहेंगे जो दूसरों ने किये थे। वह करने के लिए, ऊपर बाएं तरफ़ “मेनू” के दाएँ तरफ़ क़ीफ़ की अलामत पर क्लिक करें। एक फ़ेहरिस्त खुलेगी, जिसमें लफ्ज़ “तब्सरे” शामिल है।”
  • “तब्सरे” के साथ वाले ख़ाने पर क्लिक करें। इससे वह तमाम आयात ग़ायब हो जायेंगी जिनमे तबसरे नहीं हैं।
  • तब्सरे पढ़ने के लिए, फ़ेहरिस्त में पहली आयत पर क्लिक करें।
  • “तब्सरा” पर क्लिक करें।
  • तब्सरा पढ़ें, और फ़ैसला करें के आप इसके बारे में क्या करेंगे।
  • अगर आप आयत में तरमीम करने का फ़ैसला करते हैं, तब “मन्सूख करें” पर क्लिक करें फिर “आयत तरमीम करें” पर। इससे एक छोटी स्क्रीन खुलेगी जहाँ आप आयत को तरमीम कर सकते हैं।
  • जब आप तरमीम करना ख़त्म कर चुकें, तब्दीली के लिए वजह को चुनें, और फिर “महफ़ूज़ करे” पर क्लिक करें।
  • इस अमल को तब तक जारी रख्खें जब तक के आप उन तमाम तब्सरों पर काम नहीं कर लेते जो आपके लिए छोड़े गए थे।

अगर आपको यक़ीन नहीं है के क्या किसी तर्जुमालफ्ज़ के लिए कोई तर्जुमा एक ख़ास क़रीने में दुरुस्त है, तो तर्जुमालफ्ज़ की स्प्रेडशीट से मशवरा करना मददगार साबित हो सकता है जो तर्जुमा टीम ने बनाया था जब वो तर्जुमा कर रहे थे। आप तर्जुमा टीम में दूसरों के साथ किसी मुश्किल लफ्ज़ पर गुफ़्तगू भी करना चाह सकते हैं और एक साथ हल तलाशने की कोशिश कर सकते हैं। बाज़ क़रीनों में आपको एक मुख्तलिफ़ लफ्ज़ इस्तेमाल करने की ज़रुरत हो सकती है, या तर्जुमालफ्ज़ से गुफ़्तगू करने का एक और तरीक़ा ढूंढें, जैसा के एक तवील फ़िक़रा इस्तेमाल करना।


### तर्जुमा नोट्स जाँच

This section answers the following question: मैं तर्जुमा नोट्स जाँच कैसे कर सकता हूँ?

तर्जुमाकोर में तर्जुमा नोट्स जाँच कैसे करें

  1. तर्जुमाकोर में साइन इन करें
  2. उस तजवीज़ (बाईबल की किताब) को चुनें जिसकी आप जाँच करना चाहते हैं
  3. नोट्स की उस क़िस्म या क़िस्मों को चुनें जिनकी आप जाँच करना चाहते हैं
  4. अपनी गेटवे ज़बान को चुनें
  5. “चलायें” पर क्लिक करें। जाँच की जाने वाली आयात की फ़ेहरिस्त बाएँ तरफ़ नोट्स के मुख्तलिफ़ क़िस्मों में तक़सीम होगी।
  6. जाँचने के लिए एक आयत को चुनें, और उस आयत के लिए नोट को पढ़ें जो नीली बार में है। तमाम आयात को किसी नए क़िस्म में मुन्तक़िल करने से पहले एक ही क़िस्म में जांचना बेहतरीन है।

कुछ नोट्स एक ज़ियादा आम मसअले का हवाला देते हैं जिसका इत्तलाक़ उस मख्सूस आयत पर होता है जिसका जाँच किया जा रहा है। इस ज़ियादा आम मसअले को समझने के लिए और किस तरह यह मौजूदा आयत पर इत्तलाक़ होता है, दाएँ तरफ के पैनल में मालूमात को पढ़ें।

  1. नोट में लफ्ज़ या फ़िक़रे के लिए तर्जुमे को चुनने (नुमायाँ करने) के बाद, “महफ़ूज़ करें” पर क्लिक करें।
  2. गौर करें के तर्जुमा जो उस लफ्ज़ या फ़िक़रे के लिए चुना गया था इस क़रीने में मानी ख़ेज़ है या नहीं।
  3. नोट जिस मसअले की बाबत बात करता है, उस पर गौर करते हुए फ़ैसला करें के तर्जुमा सहीह है या नहीं।
  4. इन चीज़ों पर गौर करने के बाद, अगर आपको लगता है के तर्जुमा एक अच्छा तर्जुमा है, तब “महफ़ूज़ करें और जारी रख्खें” पर क्लिक करें।
  5. अगर आपको लगता है के आयत के साथ कोई मसअला है या उस लफ्ज़ या फ़िक़रे के लिए तर्जुमा अच्छा नहीं है, फिर या तो आयत को बेहतर बनाने के लिए तरमीम करें या कोई तब्सरा करके किसी को बताएँ जो आपके काम की नज़रसानी करेगा, यहाँ तर्जुमे के साथ आप का ख़याल ग़लत भी हो सकता है।

अगर आपने तरमीम किया है तो, आपको अपनी चुनाव दोबारा करने की ज़रुरत होगी।

  1. जब आप अपना तरमीम या तब्सरा करना ख़त्म कर लें, “महफ़ूज़ करें और जारी रख्खें” पर क्लिक करें। अगर आप उस लफ्ज़ या फ़िक़रे के लिए सिर्फ़ एक तब्सरा करने को तरजीह देते हैं और इसके लिए चुनाव नहीं करते, तब अगली आयत पर जाने के लिए बाएँ तरफ फ़ेहरिस्त में अगली आयत पर क्लिक करें।

एक क़िस्म की नोट में तमाम आयात के लिए चुनाव कर लेने के बाद, उस क़िस्म में तर्जुमों की फ़ेहरिस्त का जायज़ा लिया जा सकता है। हिदायात जो आगे आते हैं वो जायज़ा लेने वालों के लिए या तर्जुमा टीम के लिए हैं।

  1. अब आप बाएँ तरफ़ तर्जुमों की एक फ़ेहरिस्त को देखेंगे जो हर तर्जुमानोट की क़िस्म के तहत हर तर्जुमानोट के लिए बनाए गए थे। उस क़िस्म को चुनें जिसका आप जायज़ा लेना चाहते हैं। यह हो सकता है के तर्जुमा टीम के मुख्तलिफ़ अरकान की मुख्तलिफ़ ख़ुसूसियात होंगी। मिशाल के तौर पर, एक टीम रुकन इस्तआरे का जायज़ा लेने में बहुत अच्छा हो सकता है, जबके दूसरा मुश्किल क़वायद को समझने और सहीह करने में बहुत अच्छा हो सकता है, जैसा के ग़ैर फ़आल बयान के तअमीरात।
  2. आप किसी भी तब्सरे का जायज़ा लेना चाहेंगे जो दूसरों के ज़रिये किये गए थे। ऐसा करने के लिए, ऊपर बायीं तरफ़ “मेनू” के दायें कीफ़ की अलामत पर क्लिक करें। एक फ़ेहरिस्त खुलेगी, जिसमे लफ्ज़ “तब्सरे” शामिल होगा।
  3. “तब्सरे” के अगले ख़ाने पर क्लिक करें। इससे वो तमाम आयतें जिनमे तब्सरे नहीं हैं ग़ायब हो जाएँगी।
  4. तब्सरे पढ़ने के लिए, फ़ेहरिस्त में पहली आयत पर क्लिक करें।
  5. “तब्सरे” पर क्लिक करें।
  6. तब्सरा पढ़ें, और फ़ैसला करें के आप इसकी बाबत क्या करेंगे।
  7. अगत आप आयत को तरमीम करने का फ़ैसला करते हैं, तब “मन्सूख़ करें” पर क्लिक करें और फिर “आयत तरमीम करें” पर। इससे एक छोटी स्क्रीन खुलेगी जहाँ आप आयत को तरमीम कर सकते हैं।
  8. जब आप तरमीम करना ख़त्म कर चुकें, तो तब्दीली की वजह के लिए चुनें, और फिर “महफ़ूज़ करें” पर क्लिक करें।
  9. इस अमल को जारी रख्खें जब तक के आपने उस तमाम तब्सरों पर काम ना कर लिया हो जो आपके लिए छोड़े गए थे।

किसी नोट की क़िस्म या बाईबल किताब का जायज़ा लेना ख़त्म कर लेने के बाद, आप को अभी भी कुछ आयात या नोट जाँचों की बाबत सवालात हो सकते हैं। आप तर्जुमा टीम में दूसरों के साथ किसी मुश्किल आयत पर गुफ़्तगू करना और एक साथ हल तलाश करने की कोशिश करना चाह सकते हैं, मज़ीद बाईबल तर्जुमा वसाएल का मुतालआ करें, या सवाल को किसी बाईबल के तर्जुमे के माहिर से रुजूअ करें।


ज़बान बिरादरी जाँच

This section answers the following question: ज़बान बिरादरी किस तरह मेरे काम की जाँच में मदद कर सकती है?

ज़बान बिरादरी जाँच

तर्जुमा टीम के एक टीम की हैसियत से मुसव्वदा तैयार करने और जाँचने के इक़दामात मुकम्मल करने और तर्जुमाकोर में जाँच अन्जाम देने के बाद, तर्जुमा हदफ़ ज़बान बिरादरी के ज़रिये जाँच के लिए तैयार है। बिरादरी तर्जुमा के पैग़ाम को वाज़े और क़ुदरती तौर पर हदफ़ ज़बान में इत्तिला करने में तर्जुमा टीम की मदद करेगी। ऐसा करने के लिए, तर्जुमा मजलिस लोगों को बिरादरी जाँच के अमल में तरबियत देने का इन्तखाब करेगी। ये वही लोग हो सकते हैं जो तर्जुमा कर रहे हैं।

ये लोग पूरे ज़बान बिरादरी में जायेंगे और तर्जुमे को ज़बान बिरादरी के अरकान के साथ जाँच करेंगे। बेहतरीन होगा अगर वो यह जाँच मुख्तलिफ़ क़िस्म के लोगों के साथ करें जिसमें, नौजवान, बूढ़े, मर्द और औरत, और ज़बान इलाक़े के मुख्तलिफ़ हिस्सों से बोलने वाले शामिल हों। यह तर्जुमे को हर एक के लिए क़ाबिल ए फ़हम बनाने में मदद करेगा।

तर्जुमे के क़ुदरती पन और वज़ाहत की जाँच के लिए, इसका माख़ज़ मतन के साथ मोवाज़ना करना मददगार नहीं है। बिरादरी के साथ होने वाली इन जाँचों के दौरान, किसी को भी माख़ज़ ज़बान बाईबल को नहीं देखना चाहिए। माख़ज़ ज़बान बाईबल को लोग दोबारा दूसरे जाँच के लिए देखेंगे, जैसा के दुरुस्तगी के लिए, लेकिन इन जाँचों के दौरान नहीं।

क़ुदरती पन की जाँच के लिए, आप तर्जुमे का एक हिस्सा ज़बान बिरादरी के लोगों को पढ़ेंगे या रिकॉर्डिंग बजायेंगे। आप तर्जुमे को पढ़ने या बजाने से पहले, सुनने वाले लोगों को बताएँ के आप चाहते है के वो आपको रोकें अगर वो कुछ ऐसा सुनते हैं जो उनकी ज़बान में क़ुदरती नहीं है। (तर्जुमे को क़ुदरतीपन के लिए किस तरह जाँच करें इस पर मज़ीद मालूमात के लिए, देखें क़ुदरती तर्जुमा.) जब वो आपको रोकें, पूछें के क्या क़ुदरती नहीं था, और पूछें के वो इसे और ज़ियादा क़ुदरती तरीक़े से किस तरह कहेंगे। उनके जवाब को लिखें या रिकॉर्ड करें, बाब और आयत के साथ जहाँ यह जुमला था, ताके तर्जुमा टीम जुमले को तर्जुमे में इस तरीक़े से कहने पर गौर कर सके।

तर्जुमे की वज़ाहत की जाँच के लिए, हर खुली बाईबल की कहानी और बाईबल के हर बाब के लिए सवालात और जवाबत का मजमुआ मौज़ूद है जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं। जब ज़बान बिरादरी के अरकान सवालात का आसानी से जवाब दे सकते हों, आप जानेंगे के तर्जुमा वाज़े है। (सवालात के लिए देखें http://ufw.io/tq/).

इन सवालात के इस्तेमाल के लिए इन इक़दामात की पैरवी करें:

  1. तर्जुमे के क़तआ को ज़बान बिरादरी के एक या ज़ियादा अरकान के लिए जो सवालात का जवाब देंगे पढ़ें या बजाएँ। ज़बान बिरादरी के ये अरकान लाज़मी तौर पर वह लोग होने चाहिए जो पहले तर्जुमे में शामिल नहीं हुए हैं। दूसरे अल्फ़ाज़ में, बिरादरी के वो अरकान जिनसे सवालात पूछा जाता है उन्हें पहले से उन सवालात के जवाबत नहीं मालूम होने चाहिए तर्जुमे पर काम करने के ज़रिये या बाईबल के पिछले इल्म से। हम चाहते हैं के वो इन सवालात के जवाब सिर्फ़ कहानी या बाईबल के क़तआ को सुनने या पढ़ने के ज़रिये देने के क़ाबिल हों। इस तरह से हम जानेंगे के तर्जुमा वाज़े तौर पर इत्तिला दे रहा है या नहीं। इसी वजह से, यह अहम है के बिरादरी के अरकान इन सवालात के जवाब देने के दौरान किसी बाईबल को ना देखें।

  2. बिरादरी के अरकान से उस क़तआ के लिए कुछ सवालात पूछें, एक वक़्त में एक सवाल। हर कहानी या बाब के लिए सारे सवालात का इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं है अगर ऐसा लगता है के बिरादरी के अरकान तर्जुमे को अच्छी तरह समझ रहे हैं।

  3. हर सवाल के बाद, ज़बान बिरादरी का एक रुकन सवाल का जवाब देगा। अगर वह शख्स सिर्फ़ “हाँ” या “ना” में जवाब देता है तब साएल को मज़ीद सवाल करने चाहिए ताके उसे यक़ीन हो सके के तर्जुमा अच्छी तरह इत्तिला दे रहा है। एक और सवाल कुछ ऐसा हो सकता है, “आप इसे कैसे जानते हैं?” या “तर्जुमा का कौन सा हिस्सा आपको यह बताता है?”

  4. वह शख्स जो जवाब देता है उसे लिखें या रिकॉर्ड करें, बाब और बाईबल की आयत या जिस खुली बाईबल कहानी की बाबत आप बात कर रहे हैं उस कहानी और फ्रेम नंबर के साथ। अगर उस शख्स का जवाब उस तजवीज़ करदा जवाब से मिलता जुलता है जो सवाल के लिए फ़राहम किया गया है, फिर तर्जुमा उस वक़्त पर वाज़े तौर पर सहीह मालूमात को इत्तिला कर रहा है। जवाब को सहीह होने के लिए तजवीज़ करदा जवाब की तरह बिल्कुल यकसां होना जरूरी नहीं है, लेकिन बुनियादी तौर पर इसे एक ही मालूमात देना चाहिए। बाज़ औक़ात तजवीज़ करदा जवाब काफी तवील होते हैं। अगर वह शख्स तजवीज़ करदा जवाब के सिर्फ़ हिस्से के साथ जवाब देता है, वह भी सहीह जवाब है।

  5. अगर जवाब ग़ैर मुतवाक्को है या तजवीज़ करदा जवाब से काफी मुख्तलिफ़ है, या अगर वह शख्स सवाल का जवाब नहीं दे सकता, फिर तर्जुमा टीम को तर्जुमे के उस हिस्से की नज़रसानी करने की ज़रुरत होगी जो मालूमात को इत्तिला देता है ताके यह मालूमात को ज़ियादा वाज़े तौर पर इत्तिला दे।

  6. ज़बान बिरादरी के मुतद्दद अफ़राद से एक जैसे सवालात ज़रूर पूछें, जिसमे मर्द और औरत और नौजवान और बूढ़े, अगर मुमकिन हो तो, ज़बान बिरादरी के मुख्तलिफ़ इलाकों के लोग भी शामिल हों। अगर कई लोगों को एक ही सवाल का जवाब देना मुश्किल होता है तब वहाँ तर्जुमे के उस हिस्से के साथ शायद कोई मसअला है। लोगों को जो परेशानी और ग़लत फ़हमी है उसका एक नोट बनाएँ, ताके तर्जुमा टीम तर्जुमे की नज़रसानी कर सके और इसे ज़ियादा वाज़े बना सके।

  7. जब तर्जुमा टीम तर्जुमे के एक क़तआ की नज़रसानी कर ले, तब उस क़तआ के लिए उसी सवाल को ज़बान बिरादरी के कुछ दूसरे अरकान से पूछें, यानी, ज़बान के दूसरे बोलने वालों से पूछें जो उसी क़तआ की जाँच में पहले शामिल नहीं हुए। अगर वो सवालात का सहीह तौर पर जवाब देते हैं, फिर उस क़तआ का तर्जुमा अब अच्छी तरह इत्तिला दे रहा है।

  8. इस अमल को हर कहानी या बाईबल बाब के साथ दोहरायें जब तक के ज़बान बिरादरी के अरकान सवालात का अच्छी तरह जवाब न दे सकें, यह ज़ाहिर करता है के तर्जुमा सहीह मालूमात को वाज़े तौर पर इत्तिला दे रहा है। जब ज़बान बिरादरी के वो अरकान जिन्होंने तर्जुमे को पहले नहीं सुना सवालात का जवाब सहीह तौर से दे सकें, तर्जुमा कलीसिया रहनुमा के दुरुस्तगी जाँच के लिए तैयार है।

बिरादरी तशख़ीस सफ़ह पर जाएँ और वहाँ सवालात का जवाब दें। (देखें ज़बान बिरादरी तशख़ीस सवालात)

तर्जुमे को वाज़े बनाने की बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें वाज़े. तर्जुमा सवालात के अलावा और भी तरीक़े हैं जिन्हें आप बिरादरी के साथ तर्जुमे की जाँच के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इन दीगर तरीक़ों के लिए, देखें दीगर तरीक़े.


बिरादरी जाँच के लिए दीगर तरीक़े

This section answers the following question: तर्जुमे की वज़ाहत और क़ुदरतीपन की जाँच के लिए मैं कौन से दीगर तरीक़े इस्तेमाल कर सकता हूँ?

दीगर जाँच के तरीक़े

सवालात पूछने के साथ साथ, दीगर जाँच के तरीक़े हैं जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं यह यक़ीनी बनाने के लिए के तर्जुमा वाज़े, पढ़ने में आसान, और सुनने वालों के लिए क़ुदरती है। यहाँ बाज़ दीगर तरीक़े है जिनकी आप कोशिश करना पसन्द कर सकते हैं:

  • दोबारा बताने का तरीक़ा: आप, मुतर्जिम या जाँचने वाला, एक क़तआ या कहानी पढ़ सकते हैं और किसी दूसरे से दोबारा बताने के लिए कहें जो कहा गया था। अगर वह शख्स आसानी से क़तआ को दोबारा बता सकता है, फिर क़तआ वाज़े था। किसी भी ऐसे जगह का बाब और आयत के साथ नोट बनाएँ जिसे वह शख्स छोड़ दिया हो या ग़लत बताया हो। उन्हें ज़ियादा वाज़े बनाने के लिए तर्जुमा टीम को तर्जुमे में उन जगहों की नज़रसानी करने की ज़रुरत हो सकती है। किसी भी मुख्तलिफ़ तरीक़ों का भी नोट बनाएँ जो चीज़ें उस शख्स ने कहीं जिसका मानी वही है जैसा के तर्जुमे में। यह हो सकता है के चीज़ों को कहने के ये तरीक़े तर्जुमे के तरीकों के मुक़ाबले ज़ियादा क़ुदरती हों। तर्जुमे को ज़ियादा क़ुदरती बनाने के लिए तर्जुमा टीम इन तरीक़ों का इस्तेमाल उसी चीज़ को कहने के लिए कर सकती है।
  • पढ़ने का तरीक़ा: आपके अलावा दूसरा कोई, मुतर्जिम या जाँचने वाला, तर्जुमे का एक क़तआ पढ़ सकता है जबके आप सुनें और उन जगहों को नोट करें जहाँ वह शख्स रुकता है या गलतियाँ करता है। इससे यह ज़ाहिर होगा के तर्जुमे को पढ़ना और समझना कितना आसान या कितना मुश्किल है। तर्जुमे में उन जगहों पर नज़र करें जहाँ पढ़ने वाला रुका या गलतियाँ कीं और गौर करें के क्या है जो तर्जुमे के उस हिस्से को मुश्किल बनाया। तर्जुमा टीम को उन नुकतों पर तर्जुमे की नज़रसानी करने की ज़रुरत हो सकती है ताके पढ़ना और समझना आसान हो।
  • मुतबादिल तर्जुमा पेश करें: तर्जुमे में कुछ जगहों पर तर्जुमा टीम को किसी माख़ज़ लफ्ज़ या फ़िक़रे को बयान करने के बेहतरीन तरीक़े का यक़ीन नहीं भी हो सकता है। इस सूरत में, दूसरे लोगों से पूछें के वो इसका तर्जुमा कैसे करेंगे। उनके लिए जो माख़ज़ ज़बान को नहीं समझते, बयान करें जो आप कहने की कोशिश कर रहे हैं और पूछें के वो इसे कैसे कहेंगे। अगर मुख्तलिफ़ तर्जुमे यकसां अच्छे लगते हैं तो, लोगों को एक ही ख़याल के दो तर्जुमों के दरमियान इन्तखाब पेश करें और उनसे पूछें के उनके ख़याल में कौन सा मुतबादिल तर्जुमा ज़ियादा वाज़े है।
  • जायज़ा लेने वाले का दरामद: दूसरों को अपना तर्जुमा पढ़ने दें जिनका आप एहतराम करते हैं। उनसे कहें के नोट करें और बताएँ के कहाँ इसे बेहतर बनाया जा सकता है। बेहतर अल्फ़ाज़ के इन्तखाब, ज़ियादा क़ुदरती तासरात, और हिज्जे की तरतीब की भी तलाश करें।
  • मुज़ाकरा गिरोह: लोगों से तर्जुमे को बुलन्द आवाज़ में एक गिरोह में पढ़ने के लिए कहें और लोगों को वज़ाहत के लिए सवालात पूछने की इजाज़त दें। उन अल्फ़ाज़ पर तवज्जो दें जो वह इस्तेमाल करते हैं, चूँकि मुतबादिल अल्फ़ाज़ और तासरात तभी आते है जब कोई एक मुश्किल नुक़ते को समझाने की कोशिश कर रहा हो, और ये मुतबादिल अल्फ़ाज़ और तासरात जो तर्जुमे में हैं उनसे बेहतर हो सकते हैं। उस बाब और आयत के साथ जिनके बारे में वो हैं, उन्हें लिखें। तर्जुमा टीम इनका इस्तेमाल तर्जुमे को बेहतर बनाने के लिए कर सकती है। उन जगहों का भी नोट बनाएँ जहाँ लोग तर्जुमे को नहीं समझते ताके तर्जुमा टीम उन जगहों को और वाज़े बना सके।

वाज़े तर्जुमा

This section answers the following question: अगर तर्जुमा वाज़े है तो मैं कैसे बता सकता हूँ?

एक वाज़े तर्जुमा

तर्जुमा वाज़े होना चाहिए। इसके मानी है के कोई भी जो इसे पढ़ता या सुनता है आसानी से समझ सके के यह क्या कहने की कोशिश कर रहा है। ख़ुद को पढ़ने के ज़रिये यह देखना मुमकिन है के क्या तर्जुमा वाज़े है। लेकिन यह और भी बेहतर होगा अगर आप इसे बुलन्द आवाज़ में ज़बान बिरादरी के किसी दूसरे को पढ़ें। जैसा के आप तर्जुमा पढ़ते हैं, ज़ैल में दर्ज सवालात ख़ुद से पूछें, या उस शख्स से पूछें जिस को आप पढ़ रहें हैं, यह देखने के लिए के क्या तर्जुमा का पैग़ाम वाज़े है। जाँच के इस हिस्से के लिए, नए तर्जुमे को माख़ज़ ज़बान तर्जुमे के साथ मोवाज़ना न करें। अगर किसी जगह पर मसअला है तो, इसका नोट बनाएँ ताके बाद में आप इस मसअले पर तर्जुमा टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।

  1. क्या तर्जुमे के अल्फ़ाज़ और फ़िक़रे पैग़ाम को क़ाबिल ए फ़हम बनाते हैं? (क्या अल्फ़ाज़ उलझे हुए हैं, या वह आप को साफ़ साफ़ बताते हैं के मुतर्जिम का क्या मतलब है?)
  2. क्या आपको बिरादरी के अरकान तर्जुमे में पाए जाने वाले अल्फ़ाज़ और तासरात इस्तेमाल करते हैं, या मुतर्जिम ने क़ौमी ज़बान से बहुत से अल्फ़ाज़ मुस्तआर लिए हैं? (क्या आपके लोग इस तरीक़े से बात करते हैं जब वो आपकी ज़बान में अहम बातें कहना चाहते हैं?)
  3. क्या आप मतन को आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं के मुसन्निफ़ आगे क्या कह सकता है? (क्या मुतर्जिम कहानी सुनाने का एक अच्छा अन्दाज़ इस्तेमाल कर रहा है? क्या वह बातों को इस तरीक़े से बता रहा है जो मानी ख़ेज़ हैं, ताके हर हिस्सा इससे ठीक बैठे के पहले क्या आया और बाद में क्या होगा? क्या आप को इसे समझने के लिए रुकना पड़ता है और कोई हिस्सा दोबारा पढ़ना पड़ता है?

इज़ाफ़ी मदद:

  • क्या मतन वाज़े है, यह तअीन करने का एक तरीक़ा यह है के कुछ आयात को एक वक़्त में बुलन्द आवाज़ से पढ़ें और किसी से जो सुन रहा है उससे हर हिस्से के बाद कहानी को दोबारा सुनाने के लिए कहें। अगर वह शख्स आपके पैग़ाम को आसानी से दोबारा बयान कर सकता है, फिर तहरीर वाज़े है। तर्जुमे की जाँच के दीगर तरीक़ों के लिए, देखें दीगर तरीक़े.
  • अगर कोई ऐसी जगह है जहाँ तर्जुमा वाज़े नहीं है, तो इसका एक नोट बनाएँ ताके आप इस पर तर्जुमा टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।

क़ुदरती तर्जुमा

This section answers the following question: क्या तर्जुमा क़ुदरती है?

एक क़ुदरती तर्जुमा

बाईबल का तर्जुमा करना ताके यह क़ुदरती हो के मानी है:

तर्जुमा ऐसा लगना चाहिए जैसे के यह किसी हदफ़ ज़बान बिरादरी के रुकन के ज़रिये लिखा गया था – न के किसी ग़ैर मुल्की के ज़रिये। तर्जुमे को उसी तरीक़े से बातें कहनी चाहिए जिस तरह हदफ़ ज़बान के बोलने वाले उन्हें कहते हैं। जब कोई तर्जुमा क़ुदरती होता है, इसे समझना बहुत आसान है।

तर्जुमे की क़ुदरतीपन की जाँच के लिए, इसे माख़ज़ मतन से मोवाज़ना करना मददगार नहीं है। क़ुदरतीपन के इस जाँच के दौरान, किसी को भी माख़ज़ मतन बाईबल नहीं देखना चाहिए। लोग माख़ज़ मतन बाईबल को दोबारा दूसरे जाँचों के लिए देखेंगे, जैसा के दुरुस्तगी के लिए, लेकिन इस जाँच के दौरान नहीं।

तर्जुमे की क़ुदरतीपन की जाँच के लिए, लाज़िम है के आप या ज़बान बिरादरी का दूसरा रुकन इसे बुलन्द आवाज़ में पढें या इसका कोई रिकॉर्डिंग बजायें। किसी तर्जुमे की क़ुदरतीपन के लिए तशखीस करना मुश्किल है जब आप सिर्फ़ इसे काग़ज़ पर देख रहे हों। लेकिन जब आपके लोग ज़बान को सुनते हैं, वो फ़ौरन ही जान लेंगे के यह सहीह लगता है या नहीं।

आप इसे बुलन्द आवाज़ से एक दूसरे शख्स को या लोगों के एक गिरोह को पढ़ सकते हैं जो हदफ़ ज़बान बोलते हों।आप पढ़ना शुरू करने से पहले, सुनने वाले लोगों को बताएँ के आप चाहते है के वो आपको रोकें अगर वो कुछ ऐसा सुनते हैं जो इस तरह नहीं लगता जैसे आपकी ज़बान बिरादरी से कोई शख्स इसे कहता। जब कोई आपको रोके, तब आप एक साथ इस पर गुफ़्तगू कर सकते हैं के किस तरह कोई इसी बात को एक ज़ियादा क़ुदरती अन्दाज़ में कहेगा।

आपके गाँव में ऐसी सूरते हाल की बाबत सोचना मददगार होगा जिस में लोग उसी तरह की बात करेंगे जिस की बाबत तर्जुमा बात आकर रहा है। उन लोगों का तसव्वर करे जिन्हें आप जानते हैं उस चीज़ की बाबत बात करते हुए, और फिर उस तरह से बुलन्द आवाज़ में कहें। अगर दूसरे राज़ी हों के यह इसे कहने का एक अच्छा और क़ुदरती तरीक़ा है, फिर इसे तर्जुमे में उसी तरीक़े से लिखें।

तर्जुमे के एक क़तआ को कई दफ़ा पढ़ना या बजाना भी मददगार साबित हो सकता है। लोगों को मुख्तलिफ़ चीज़ें नज़र आएँगी हर दफ़ा जब वो इसे सुनते हैं – चीज़ें जो ज़ियादा क़ुदरती तरीक़े से कही जा सकती हैं।


पसन्दीदा अन्दाज़

This section answers the following question: क्या तर्जुमा टीम ने एक पसन्दीदा अन्दाज़ का इस्तेमाल किया?

पसन्दीदा अन्दाज़ में तर्जुमा

जब आप नए तर्जुमे को पढ़ते हैं, तो ख़ुद से ये सवालात पूछें। ये वो सवालात हैं जो यह तअीन करने में मदद करेंगे के तर्जुमा इस अन्दाज़ में किया गया है या नहीं जो के ज़बान बिरादरी के लिए पसन्दीदा है:

  1. क्या तर्जुमा इस तरीक़े से लिखा गया है जो ज़बान बिरादरी के नौजवान और बूढ़े दोनों आसानी से समझ सकते हैं? (जब भी कोई बोलता है तो, वह छोटे या बूढ़े हाज़रीन के लिए अपने अल्फ़ाज़ का इन्तखाब तब्दील कर सकता है। क्या यह तर्जुमा ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल करते हुए किया गया है जो नौजवान और बूढ़े दोनों को अच्छी तरह से इत्तिला दे सकता है?)
  2. क्या इस तर्जुमे का अन्दाज़ ज़ियादा रस्मी या ग़ैर रस्मी है? (क्या बोलने के अन्दाज़ के तरीक़े को मक़ामी बिरादरी तरजीह देती है, या इसे कम ओ बेश रस्मी होना चाहिए?)
  3. क्या तर्जुमा में बहुत सारे अल्फ़ाज़ इस्तेमाल हुए हैं जो किसी दूसरी ज़बान से मुस्तआर किये गए थे, या ये अल्फ़ाज़ ज़बान बिरादारी का पसन्दीदा हैं?
  4. क्या मुसन्निफ़ ने वसीअ ज़बान बिरादरी के लिए पसन्दीदा ज़बान की एक मुनासिब सूरत इस्तेमाल की? (क्या मुसन्निफ़ आपकी ज़बान की बोली से वाक़िफ है जो आपके इलाक़े में पाया जाता है।? क्या मुसन्निफ़ ने ज़बान की ऐसी सूरत इस्तेमाल की है जो सारी ज़बान बिरादरी अच्छी तरह समझती है, या उसने ऐसी सूरत इस्तेमाल की है जो सिर्फ़ एक छोटे इलाक़े में इस्तेमाल होती है?)

अगर कोई ऐसी जगह है जहाँ तर्जुमा, ज़बान को ग़लत अन्दाज़ में इस्तेमाल करता है, तो इस पर एक नोट बनाएँ ताके आप इसे तर्जुमानी टीम के साथ बहस कर सकें।


ज़बान बिरादरी तश्ख़ीस सवालात

This section answers the following question: मैं किस तरह ज़ाहिर कर सकता हूँ के बिरादरी तर्जुमे की मंज़ूरी देती है?

इस सफ़ह को बिरादरी के जाँचने वालों के लिए एक जाँच फ़ेहरिस्त के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, और तर्जुमा टीम और बिरादरी के रहनुमाओं के ज़रिये भरकर छापा जा सकता है, और इस तर्जुमे के लिए की गयी जाँच की अमल के एक रिकॉर्ड के तौर पर रख्खा जा सकता है।

हम, तर्जुमा टीम के अरकान, तस्दीक़ करते हैं के हमने ________ के तर्जुमे को ज़बान बिरादरी के साथ जाँच लिया है।

  • हमने तर्जुमा को बूढों और नौजवानों के साथ, और आदमियों और औरतों के साथ जाँच लिया है।
  • हमने तर्जुमासवालात का इस्तेमाल करते हुए बिरादरी के साथ तर्जुमे को जाँच लिया है।
  • हमने तर्जुमे को समझने में वाज़े और आसान बनाने के लिए दुरुस्त किया है उन जगहों पर जहाँ बिरादरी के अरकान इसे अच्छी तरह नहीं समझते थे।

बराए महरबानी जै़ल में दर्ज सवालात के जवाब भी दें। इन सवालात के जवाब वसीअ मसीही बिरादरी के लोगों को यह जानने में मदद करेंगे के हदफ़ ज़बान बिरादरी ने इस तर्जुमे को वाज़े, दुरुस्त, और क़ुदरती पाया है।

  • कुछ हिस्सों की फ़ेहरिस्त बनाएँ जहाँ बिरादरी की राय मददगार थी। आपने इन हिस्सों को उनके लिए वाज़े बनाने के लिए किस तरह तब्दील किया?



  • कुछ अहम इस्तेलाहात के लिए वज़ाहत लिखें, यह बताते हुए के वो किस तरह माख़ज़ ज़बान में इस्तेमाल होने वाली इस्तेलाहात के मसावी हैं।



  • क्या बिरादरी इस बात की तस्दीक़ करती है के हिस्सों को बुलन्द आवाज़ में पढ़ते वक़्त ज़बान का बहाव अच्छा है? (क्या ज़बान इस तरह लगती है के मुसन्निफ़ आपकी बिरादरी का एक शख्स था?)



बिरादरी के रहनुमा इसमें उनके अपने मालूमात की इज़ाफ़ा करना या इस बाबत एक ख़ुलासा बयान करना चाह सकते हैं के किस तरह यह तर्जुमा मक़ामी बिरादरी के लिए पसन्दीदा है। वसीअ कलीसिया रहनुमाई को इस मालूमात की रसाई होगी, और यह उन्हें जाँच का अमल जो अब तक किया गया है उसे समझने और यक़ीन करने में मदद करेगा। इससे उन्हें मक़ामी मसीही बिरादरी के मंज़ूर करदा तर्जुमे की तौसीक़ करने में मदद मिलेगी, दोनों में, जब वे दुरुस्तगी की जाँच करते हैं और जब वो आख़िरी तौसीक़ की जाँच करते हैं।


दुरुस्तगी जाँच

This section answers the following question: कलीसिया के रहनुमा तर्जुमे को बेहतर बनाने में किस तरह मदद कर सकते हैं?

कलीसियाई रहनुमाओं के ज़रिये दुरुस्तगी जाँच

बिरादरी के अरकान के ज़रिये तर्जुमे की वज़ाहत और क़ुदरती जाँच हो जाने के बाद, इसका कलीसियाई रहनुमाओं के ज़रिये दुरुस्तगी के लिए जाँच किया जायेगा। ये इन कलीसियाई रहनुमाओं के लिए हिदायात है जो दुरुस्तगी की जाँच करते हैं। वो हदफ़ ज़बान को मादरी ज़बान के तौर पर बोलने वाले होने चाहिए और उन ज़बानों में से भी एक को अच्छी तरह समझने वाला होना चाहिए जिसमे माख़ज़ मतन दस्तयाब है। ये वही लोग नहीं होने चाहिए जिन्होंने तर्जुमा किया है। वो ऐसे कलीसिया के रहनुमा होने चाहिए जो बाईबल को अच्छी तरह जानते हों। आम तौर पर यह जायज़ा लेने वाले पासबान होंगे। कलीसिया के इन रहनुमाओं को ज़बान बिरादरी में ज़ियादा से ज़ियादा कलीसिया के मुख्तलिफ़ नेटवर्क्स की नुमाइंदगी करनी चाहिए।

इन जायज़ा लेने वालों को इन इक़दामात पर अमल करना चाहिए:

  1. तर्जुमा हिदयातनामा पढ़ें ताके इस बात का यक़ीन हो के तर्जुमा इनके साथ मुत्तफ़िक़ है जब वो तर्जुमा का जायज़ा लेते हैं।
  2. मुतर्जिम या तर्जुमा टीम के बारे में उन सवालात का जवाब दें जो मुतर्जिम क़ाबिलियत पर वाक़े हैं।
  3. तस्दीक़ करें, [पसन्दीदा अन्दाज़] पर सवालात पूछकर के तर्जुमा इस अन्दाज़ में किया गया है जो मतलूबा सामअीन का पसन्दीदा है।
  4. तस्दीक़ करें के तर्जुमा दुरुस्तगी जाँच पर हिदायतनामें की पैरवी करते हुए माख़ज़ मतन के मानी को दुरुस्त तरीक़े से बताता है।
  5. तस्दीक़ करें के मुकम्मल तर्जुमा पर दिए गए हिदायतनामे की पैरवी करते हुए तर्जुमा मुकम्मल है।
  6. आप,दुरुस्तगी जाँचने वाला, कई अबवाब या बाईबल की एक किताब का जायज़ा लेने के बाद, तर्जुमा टीम से मिलें और हर उस मसअले की बाबत पूछें जो आपने दरयाफ्त किया है। तर्जुमा टीम से गुफ़्तगू करें के वह किस तरह हर मसअले को हल करने के लिए तर्जुमा को तरतीब दे सकते हैं। बाद में तर्जुमे की टीम के साथ दोबारा मिलने का इरादा करें, जब वो तर्जुमा को तरतीब देने का और बिरादरी के साथ इसे जाँचने का वक़्त ले चुके हों।
  7. यह तस्दीक़ करने के लिए तर्जुमा टीम से दोबारा मिलें के उन्होंने मसअले को हल कर दिया है।
  8. तस्दीक़ करें के [दुरुस्तगी तस्दीक़] सफ़ह पर तर्जुमा अच्छा है।

दुरुस्तगी जाँच

This section answers the following question: मैं किस तरह दुरुस्तगी जाँच कर सकता हूँ?

पासबानों और कलीसियाई रहनुमाओं के ज़रिये दुरुस्तगी के लिए तर्जुमे की जाँच

इसे यक़ीनी बनाना बहुत अहम है के नया तर्जुमा दुरुस्त है। एक तर्जुमा दुरुस्त होता है जब असल की तरह यकसां मानी को इत्तिला करता हो। दूसरे अल्फ़ाज़ में, एक दुरुस्त तर्जुमा उसी पैग़ाम को इत्तिला करता है जो असल मुसन्निफ़ ने इत्तिला करने का इरादा किया था। एक तर्जुमा दुरुस्त हो सकता है अगरचे यह कम ओ बेश अल्फ़ाज़ इस्तेमाल करता है या ख्यालों को मुख्तलिफ़ तरतीब में रखता हो। असल पैग़ाम को हदफ़ ज़बान में वाज़े बनाने के लिए अक्सर यह ज़रूरी होता है।

अगरचे तर्जुमा टीम के अरकान तर्जुमे को दुरुस्तगी के लिए एक दूसरे के साथ ज़बानी साथी जाँच के दौरान जाँच लिए हैं, तो भी तर्जुमा बेहतर होता रहेगा, जैसा के यह बहुत से लोगों के ज़रिये जाँच किया जाता है, ख़ास तौर से पासबानों और कलीसियाई रहनुमाओं के ज़रिये। हर क़तआ या किताब एक कलीसियाई रहनुमा के ज़रिये जाँच हो सकता है, या, अगर बहुत से रहनुमा दस्तयाब हैं तो कलीसिया के बहुत से रहनुमा हर क़तआ या किताब की जाँच कर सकते हैं। कहानी या क़तआ की जाँच करने में एक से ज़ियादा अफ़राद का होना मददगार साबित हो सकता है क्योंके अक्सर मुख्तलिफ़ जांचने वाले मुख्तलिफ़ चीज़ों को देखेंगे।

वह कलीसियाई रहनुमा जो दुरुस्तगी की जाँच करते हैं उन्हें तर्जुमा की ज़बान बोलने वाला, और बिरादरी में क़ाबिल ए एहतराम, और बाईबल को माख़ज़ ज़बान में अच्छी तरह जानने वाला होना चाहिए। ये वही लोग नहीं होने चाहिए जिन्होंने उस क़तआ या किताब का तर्जुमा किया है जिसका वो जाँच कर रहे हैं। दुरुस्तगी जाँच करने वाले तर्जुमा टीम को यह यक़ीनी बनाने में मदद करेंगे के तर्जुमा सब कुछ वही कहता है जो माख़ज़ कहता है, और यह ऐसी चीज़ों का इज़ाफ़ा नहीं करता है जो माख़ज़ पैग़ाम का हिस्सा नहीं हैं। ताहम, ज़हन में रखें, दुरुस्त तर्जुमे में भी मफ़हूम मालूमात शामिल हो सकते हैं।

यह सच है के ज़बान बिरादरी अरकान जो ज़बान बिरादरी जाँच करते हैं, माख़ज़ मतन को लाज़मी तौर पर न देखें जब वो तर्जुमे को क़ुदरती और वाज़े के लिए जाँच करते हैं। लेकिन दुरुस्तगी की जाँच के लिए, दुरुस्तगी जाँच करने वाले लाज़मी तौर पर माख़ज़ मतन को देखें ताके वो नए तर्जुमे के साथ इसका मोवाज़ना कर सकें।

दुरुस्तगी की जाँच करने वाले कलेसियाई रहनुमाओं को इन इक़दामात पर अमल करना चाहिए:

  1. अगर मुमकिन है तो, वक़्त से पहले मालूम करें के आप कहानी की कौन सी मजमुआ या कौन सी बाईबल क़तआ की जाँच करेंगे।

अपनी समझ में आने वाली ज़बानों में मुतअद्दद वर्ज़न में क़तआ पढ़ें। नोट्स और तर्जुमाअल्फ़ाज़ के साथ ULT और UST वर्ज़न में क़तआ को पढ़ें। आप इन्हें तर्जुमास्टूडियो या बाईबल नाज़िर में पढ़ सकते हैं

  1. फिर हर दुरुस्तगी जाँच करने वाले को माख़ज़ ज़बान में अस्ल बाईबल क़तआ से मोवाज़ना करते हुए ख़ुद से तर्जुमे को पढ़ना (या रिकॉर्डिंग को सुनना) चाहिए। जाँच करने वाला इसे तर्जुमास्टूडियो का इस्तेमाल करते हुए कर सकता है। जाँचने वाले के लिए बुलन्द आवाज़ में तर्जुमा पढ़ना किसी के लिए मददगार साबित हो सकता है, जैसे के मुतर्जिम, जबके जाँचने वाला माख़ज़ बाईबल या बाईबलें साथ साथ देखते हुए पैरवी करता है। जैसा के जाँचने वाला तर्जुमा पढ़ता और इसे माख़ज़ के साथ मोवाज़ना करता है, उसे इन आम सवालात को ज़हन में रखना चाहिए:
  • क्या तर्जुमा अस्ल मानी में किसी चीज़ का इज़ाफ़ा करता है? (अस्ल मानी में मफ़हूम मालूमात) भी शामिल हैं।
  • क्या मानी का कोई हिस्सा ऐसा है जो तर्जुमा में छूट गया है?
  • क्या तर्जुमा ने किसी तरह से मानी को तब्दील कर दिया है?
  1. बाईबल क़तआ के तर्जुमे को कई दफ़ा पढ़ना या सुनना मददगार साबित हो सकता है। हो सकता है के आप पहली दफा में एक क़तआ या आयत में हर चीज़ पर तवज्जो न दे सकें। यह ख़ास तौर से सच है अगर तर्जुमा नज़रियात या जुमले के हिस्सों को माख़ज़ से मुख्तलिफ़ तरतीब में रखता है। आपको जुमले के एक हिस्से को जाँचने की ज़रुरत हो सकती है, फिर जुमले के दूसरे हिस्से को जाँचने के लिए दोबारा पढ़ें या सुनें। जब आप क़तआ को उतनी दफ़ा पढ़ या सुन लेते हैं जितनी इसके सारे हिस्सों को पाने में लगता है, तब आप अगले क़तआ में जा सकते हैं। यह जाँचने के मज़ीद तरीक़ों के लिए के तर्जुमा मुकम्मल है, देखें मुकम्मल.
  2. जाँचने वाले को नोट्स बनाना चाहिए जहाँ उसे लगता है के कोई परेशानी हो सकती है या कुछ और बेहतर होना है। हर जाँचने वाला इन नोट्स को तर्जुमानी टीम के साथ गुफ़्तगू करेगा। ये नोट्स किसी छपे हुए तर्जुमा ख़ाका के हासिये में, या किसी स्प्रेडशीट में, या तर्जुमाकोर के तबसरे की ख़ुसूसियात में हो सकते हैं।
  3. जाँचने वालों के इन्फ़िरादी तौर पर बाईबल की किसी बाब या किताब की जाँच के बाद, उन सब को मुतर्जिम या तर्जुमा टीम से मिलना चाहिए और साथ ही बाब या किताब का जायज़ा लेना चाहिए। अगर मुमकिन हो तो, तर्जुमा को दीवार पर प्रोजेक्ट करें ताके हर एक इसे देख सके। जैसा के टीम उन जगहों पर आती है जहाँ हर जाँचने वाले ने किसी मसअले या सवाल का नोट बनाया है, तो जाँचने वाले अपने सवालात पूछ सकते हैं या बेहतरी के लिए मशवरे दे सकते हैं। जैसा के जाँचने वाले और तर्जुमा की टीम सवालात और मशवरों पर गुफ़्तगू करती हैं, वो दीगर सवालात या बातें कहने के नए तरीक़ों के बारे में सोच सकते हैं। यह अच्छा है। जैसा के जाँचने वाले और तर्जुमा टीम एक साथ काम करते हैं, ख़ुदा बाईबल या क़तआ के मानी इत्तिला करने का बेहतरीन तरीक़ा दरयाफ्त करने में उनकी मदद करेगा।
  4. जाँचने वाले और तर्जुमा टीम के इस फ़ैसले के बाद के उन्हें क्या तब्दील करने की ज़रुरत है, तर्जुमा टीम तर्जुमे की नज़र सानी करेगी। अगर वह सभी तब्दीली के बारे में इत्तफाक़ राय रखते हैं तो, मुलाक़ात के दौरान ही यह काम कर सकते हैं।
  5. तर्जुमा टीम तर्जुमे की नज़र सानी करने के बाद, उन्हें इसे एक दूसरे को या ज़बान बिरादरी के दीगर अरकान को बुलन्द आवाज़ में पढ़ना चाहिए यह यक़ीनी बनाने के लिए के ये अभी भी उनकी ज़बान में क़ुदरती लगता है।
  6. अगर कोई बाईबल क़तआ या आयात ऐसे हैं जो अभी भी समझना मुश्किल हैं तो, तर्जुमा टीम को मुश्किल का नोट बनाना चाहिए। तर्जुमा टीम इन मसाएल का जवाब तलाश करने के लिए बाईबल तर्जुमा इमदाद या तबसरे में मज़ीद तहक़ीक़ करने के लिए अरकान को तफ़वीज़ कर सकते है, या वो बाईबल के दूसरे जाँचने वालों या मुशीरों से इज़ाफ़ी मदद तलब कर सकते हैं। जब अरकान मानी ढूँढ लें तो तर्जुमा करने वाली टीम दोबारा मिल सकती है ताके इस बात का फ़ैसला करें के उनकी ज़बान में क़ुदरती और वाज़े तौर पर इस मानी को कैसे बयान किया जाए।

इज़ाफ़ी सवालात

ये सवालात ऐसी किसी भी चीज़ को तलाश करने में मददगार साबित हो सकते हैं जो तर्जुमे में ग़लत हो सकती है:

  • क्या हर वह चीज़ जिसका ज़िक्र माख़ज़ ज़बान तर्जुमे में किया गया था, उसका ज़िक्र नए (मक़ामी) तर्जुमे के बहाव में भी हुआ है?
  • क्या नए तर्जुमे के मानी माख़ज़ तर्जुमे के पैग़ाम (ज़रूरी नहीं के लफ्ज़ी) की पैरवी किये हैं? (बाज़ औक़ात अगर अल्फ़ाज़ का तरतीब या नज़रियात का तरतीब माख़ज़ तर्जुमे से मुख्तलिफ़ होता है तो, यह इस तरह बेहतर लगता है और अब भी दुरुस्त है।)
  • क्या हर कहानी में तार्रुफ़ किये गए लोग वही बातें कर रहे थे जैस माख़ज़ ज़बान तर्जुमे में ज़िक्र किया गया था? (क्या यह देखना आसान था के नए तर्जुमे के वाक़यात कौन कर रहा था जब माख़ज़ ज़बान से इसका मोवाज़ना किया गया था?)
  • क्या नए तर्जुमे में ऐसे तर्जुमाअल्फ़ाज़ इस्तेमाल किये गये हैं जो माख़ज़ ज़बान के अल्फ़ाज़ की आपकी समझ के साथ मुताबिक़त नहीं रखते? चीज़ों के बारे में इस तरह सोचें: आपके लोग एक काहिन (जो ख़ुदा को क़ुर्बानी देता है) या हैकल (यहूदियों की क़ुर्बानी की जगह) के बारे में माख़ज़ ज़बान से बगैर कोई मुस्तआर लफ्ज़ इस्तेमाल किये किस तरह बात करते हैं?
  • क्या नए तर्जुमे में इस्तेमाल किये गए जुमले माख़ज़ ज़बान के ज़ियादा मुश्किल जुमलों को समझने में मददगार हैं? (क्या नए तर्जुमे के जुमले बाहम इस तरह रखे गए हैं जो बेहतर समझ लाते हैं और अब भी माख़ज़ ज़बान तर्जुमे के मानी पर पूरा उतरते हैं?
  • मतन के दुरुस्त होने का तअीन करने का दूसरा तरीक़ा यह है के तर्जुमा के बारे में फ़हम के सवालात पूछें जैसे, “किसने क्या, कब, कहाँ, कैसे, और क्यों किया”। ऐसे सवालात हैं जो पहले ही इसमें मदद के लिए तैयार किये गए हैं। (तर्जुमासवालात देखने के लिए http://ufw.io/tq/. पर जाएँ।) इन सवालात के जवाबात माख़ज़ ज़बान तर्जुमे के बारे में सवालों के जवाबात की तरह ही होने चाहिए। अगर वो नहीं हैं, तो तर्जुमे में मसअला है।

दीगर अमूमी क़िस्म की चीज़ों के लिए जिनकी जाँच की ज़रुरत है, जाँच के लिए चीज़ों की क़िस्में पर जाएँ।


दुरुस्तगी और बिरादरी की तस्दीक़

This section answers the following question: किस तरह कलीसिया के रहनुमा तस्दीक़ करते हैं के तर्जुमा दुरुस्त, वाज़े, क़ुदरती, और बिरादरी का पसन्दीदा है?

दुरुस्तगी और बिरादरी तशख़ीस की तस्दीक़ के लिए दस्तावेज़कारी

हम, हमारे ज़बान बिरादरी में कलीसियाई रहनुमा के हैसियत से मुन्दर्जा जैल की तस्दीक़ करते हैं:

  1. तर्जुमा ईमान और तर्जुमा हिदायत नामे की बयान के मुताबिक़ है ।
  2. तर्जुमा दुरुस्त, वाज़े, और हदफ़ ज़बान में क़ुदरती है।
  3. तर्जुमा ज़बान की पसन्दीदा अन्दाज़ का इस्तेमाल करती है।
  4. तर्जुमा एक मुनासिब हरूफ़ ए तहज्जी और हिज्जे का निज़ाम इस्तेमाल करती है।
  5. बिरादरी तर्जुमे को मंज़ूरी देती है।
  6. बिरादरी तशख़ीस फॉर्म मुकम्मल किया गया है।

अगर कोई बाक़ी मसाएल हैं तो, तौसीक़ जाँचने वालों की तवज्जो के लिए उनका एक नोट यहाँ बनाएँ।

दुरुस्तगी जाँचने वालों के नाम और ओहदे:

  • नाम:
  • ओहदा:
  • नाम:
  • ओहदा:
  • नाम:
  • ओहदा:
  • नाम:
  • ओहदा:
  • नाम:
  • ओहदा:
  • नाम:
  • ओहदा:

तौसीक़ जाँच – कलीसियाओं की एक नेटवर्क के जरिये तस्दीक़

This section answers the following question: तौसीक़ जाँच क्या है?

तौसीक़ जाँच

तौसीक़ जाँच उन लोगों के ज़रिये किया जाएगा जो ज़बान बिरादरी की कलीसिया के रहनुमाओं के ज़रिये मुन्तखिब किये गए हैं। ये लोग हदफ़ ज़बान के पहली ज़बान बोलने वाले हैं, बाईबल के बारे में साहिब ए इल्म हैं, और उनकी राय का कलीसिया के रहनुमाओं के ज़रिये एहतराम किया जाता है। अगर मुमकिन है, तो ये वो लोग होने चाहिए जिन्होंने बाईबल की ज़बानों और मवाद और तर्जुमा के उसूलों में तरबियत पायी है। जब ये लोग तर्जुमे की तस्दीक़ करते हैं, तो कलीसिया के रहनुमा तर्जुमे की तक़सीम और उनके साथ वाबस्ता लोगों के दरमियान इस्तेमाल की तस्दीक़ करेंगे।

अगर ये लोग ज़बान बिरादरी में मौज़ूद नहीं हैं, तब तर्जुमा तीं एक वापसीतर्जुमा तैयार करेगी ताके ज़बान बिरादरी के बाहर से बाईबल की माहिरीन तौसीक़ की जाँच कर सकें।

वो जो तौसीक़ की जाँच करते हैं उन्हें उनके अलावा दूसरे लोग होने चाहिए जिन्होंने पिछली दुरुस्तगी जाँच की थी। चूँकि तौसीक़ जाँच भी एक तरह का दुरुस्तगी जाँच है, तर्जुमें को ज़ियादा से ज़ियादा फ़ायदा मिलेगा अगर मुख्तलिफ़ लोग इनमे से हर एक जाँच करें।

तौसीक़ जाँच का मक़सद इस बात को यक़ीनी बनाना है के तर्जुमा दुरुस्त तौर पर अस्ल बाईबल मतन का पैग़ाम इत्तिला देता है और तारीख़ में और पूरी दुनिया में कलीसिया के सहीह अक़ीदे की अक्कासी करता है। तौसीक़ जाँच के बाद, कलीसिया के रहनुमा जो हदफ़ ज़बान बोलते हैं तस्दीक़ करें के तर्जुमा उनके लोगों के लिए क़ाबिल ए ऐतिमाद है।

बेहतरीन होगा अगर ज़बान बिरादरी में हर कलीसियाई नेटवर्क के रहनुमा बाज़ लोगों को मुक़र्रर करें या मंज़ूरी दें जो तौसीक़ जाँच करेंगे। इस तरीक़े से, तमाम कलीसियाई रहनुमा यह तस्दीक़ करने के क़ाबिल होंगे के तर्जुमा बिरादरी के तमाम कलीसियाओं के लिए क़ाबिल ए ऐतिमाद और मुफ़ीद है।

तौसीक़ जाँच के लिए हम जिस टूल का मशवरा देते हैं वो तर्जुमाकोर में सफ़बन्दी टूल है। मज़ीद जानने के लिए, सफ़बन्दी टूल पर जाएँ।

उन चीज़ों के बारे में मज़ीद जानने के लिए जिनकी जाँच की ज़रुरत है, जाँच के लिए चीज़ों की क़िस्में पर जाएँ।

तौसीक़ जाँच के साथ आगे बढ़ने के लिए, तौसीक़ जाँच के लिए इक़दामात पर जाएँ।


तौसीक़ जाँच के लिए इक़दामात

This section answers the following question: तौसीक़ के मरहले पर तर्जुमा जाँच करने के लिए मुझे कौन से इक़दामात की पैरवी करनी चाहिए?

तौसीक़ जाँच के लिए इक़दामात

ये इक़दामात तौसीक़ जाँच के दौरान कलीसिया नेटवर्क मन्दूबीन के पैरवी करने के लिए हैं। ये इक़दामात फ़र्ज़ करते हैं के जाँचने वाले को मुतर्जिम या तर्जुमा टीम तक बराह रास्त रसाई हासिल है, और रूबरू सवालात पूछ सकता है जब जाँचने वाला और तर्जुमा टीम एक साथ तर्जुमे का जायज़ा लेते हैं। अगर यह मुमकिन नहीं है तो, जाँचने वाले को तर्जुमा टीम के लिए जायज़ा लेने के लिए सवालात लिख लेना चाहिए। यह छपे हुए तर्जुमे के मुसव्वदे के हाशिये में, या स्प्रेडशीद में, या, तरजीहन, तर्जुमाकोर के तब्सरा ख़ुसूसियत का इस्तेमाल करते हुए हो सकता है।

जाँच से पहले

  1. वक़्त से पहले मालूम करें के आप कहानी की कौन सी सेट या बाईबल क़तआ की जाँच करेंगे।
  2. अगर मुमकिन है तो, क़तआ को किन्हीं भी ज़बानों में जो आप समझते हैं कई वर्ज़न में पढ़ें, जिसमे असल ज़बान भी शामिल हो।
  3. क़तआ को ULT और UST में पढ़ें, और नोट्स और तर्जुमाअल्फ़ाज़ को पढ़ें।
  4. ऐसे किसी भी हिस्से का नोट बनाएँ जो आप को लगता है के तर्जुमा करने के लिए मुश्किल हो सकता है।

तर्जुमा इमदाद और तब्सरे में इन क़तआ की तहक़ीक़ करें, जो आप दरयाफ्त करते है उनकी बाबत नोट बनाते हुए।

जाँच करने के दौरान

  1. क़तआ को सफ़बन्द करें। तर्जुमाकोर में सफ़बन्दी टूल का इस्तेमाल करते हुए असल ज़बान के क़तआ को सफ़बन्द करें। सफ़बन्दी अमल के नतीजे में, आपको तर्जुमे के हिस्सों की बाबत सवालात होंगे। तर्जुमाकोर में तब्सरा ख़ुसूसियत के साथ इनका नोट बनाएँ ताके आप इनकी बाबत तर्जुमा टीम से पूछ सकें जब आप मिलें, या ताके आपके मुलाक़ात से पहले तर्जुमा टीम उन्हें देख सके और उन पर गुफ़्तगू कर सके। सफ़बन्दी टूल की बाबत हिदायात के लिए, सफ़बन्दी टूल पर जाएँ।
  2. सवालात पूछें। जब आप तर्जुमा टीम के साथ हों और आप कुछ ख़िताब करना चाहें जो आपको लगता है के तर्जुमे में एक मसअला हो सकता है, तो मुतर्जिम को यह बयान न दें के तर्जुमे में कोई मसअला है। अगर आप हदफ़ ज़बान नहीं बोलते, तो आप नहीं जानते के मसअला है या नहीं। आप सिर्फ़ शक करते हैं के मसअला हो सकता है। यहाँ तक के अगर आप हदफ़ ज़बान बोलते हैं तो भी सवाल पूछना ज़ियादा शायस्ता है मुकाबले इसके के यह बयान दें के कुछ ग़लत है। आप कुछ इस तरह पूछ सकते हैं, “आपका इसे इस तरीक़े से कहने की बाबत क्या ख़याल है?” और फिर इसे तर्जुमा करने के लिए एक मुतबादिल तरीक़े का मशवरा दें। फिर आप एक साथ मुख्तलिफ़ तर्जुमा नज़रियात पर गुफ्तगू कर सकते हैं, और आप वजूहात दे सकते हैं के आपको ऐसा क्यों लगता है के एक मुतबादिल तर्जुमा दूसरे से बेहतर हो सकता है। तब, मुतबादिल पर गौर करने के बाद, मुतर्जिम और तर्जुमा टीम को फ़ैसला करना चाहिए के कौन सा बेहतरीन तरीक़ा है। एक बाईबल तर्जुमा जाँचने के दौरान सवालात पूछने की बाबत मौज़ूआत के लिए, देखें जाँचने के लिए चीज़ों की क़िस्में.
  3. हदफ़ ज़बान और तहज़ीब की दरयाफ्त करें। जो सवालात आप पूछेंगे वो यह दरयाफ्त करने के लिए होंगे के हदफ़ ज़बान में फ़िक़रे का क्या मानी है। बेहतरीन सवालात वो हैं जो मुतर्जिम की यह सोचने की बाबत मदद करते हैं के फ़िक़रे का क्या मानी है और इसे किस तरह इस्तेमाल किया जाता है। फ़ायदेमन्द सवालात हैं, “किन हालात में आपकी ज़बान में यह फ़िक़रा इस्तेमाल किया जाता है?” या “आमतौर पर ऐसी बातें कौन कहता है, और वो इसे क्यों कहते हैं?” मुतर्जिम को यह सोचने की बाबत मदद करना भी फ़ायदेमन्द है के कोई शख्स जो उसके गाँव से है क्या कहेगा अगर वह उसी हालत में हो जैसा के वह शख्स जो बाईबल में है।
  4. मुतर्जिम को सिखायें। हदफ़ ज़बान और तहज़ीब में किसी फ़िक़रे का मानी दरयाफ्त करने के बाद, आप मुतर्जिम को बता सकते हैं के माख़ज़ ज़बान और तहज़ीब में फ़िक़रे का क्या मानी है। फिर आप एक साथ फ़ैसला कर सकते हैं के वह फ़िक़रा जो तर्जुमे में है या वह फ़िक़रा जिसकी बाबत उसने अभी सोचा है, उनके मानी यकसां हैं या नहीं।

रास्त तौर पर तर्जुमे की जाँच करना

अगर आप हदफ़ ज़बान बोलते हैं, फिर आप तर्जुमे को पढ़ या सुन सकते हैं और इसकी बाबत तर्जुमा टीम से रास्त तौर पर पूछ सकते हैं।

तहरीरी वापसी तर्जुमे का इस्तेमाल करना

अगर आप हदफ़ ज़बान नहीं बोलते, फिर आप सफ़बन्दी करने में कामयाब नहीं होंगे। लेकिन आप कोई बाईबल उलेमा हो सकते हैं जो गेटवे ज़बान बोलता है और आप तर्जुमा टीम को उनका तर्जुमा बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इस सूरत में, गेटवे ज़बान में किसी वापसी तर्जुमे से काम करने की ज़रूरत होगी। इसे तर्जुमे से अलग लिखा जा सकता है, या इसे किसी सतरों के दरमियान लिखे हुए के तौर पर लिखा जा सकता है, यानी, तर्जुमे की हर सतर के नीचे वापसी तर्जुमे की लिखी हुई एक सतर। तर्जुमे को वापसी तर्जुमे के साथ मोवाज़ना करना आसान है जब वो सतरों के दरमियान लिखे हुए के तौर पर लिखे हों, और उस वापसी तर्जुमे को पढ़ना आसान है जो अलग से लिखा गया हो। हर तरीक़े की अपनी ताक़त होती है। वापसी तर्जुमा करने वाला शख्स कोई ऐसा होना चाहिए जो तर्जुमा बनाने में शामिल नहीं था। मज़ीद तफ्सीलात के लिए देखें वापसी तर्जुमा.

  1. अगर मुमकिन है तो, तहरीरी सूरत में लिखे हुए वापसी तर्जुमे का मुतर्जिम या तर्जुमा टीम के साथ रूबरू मुलाक़ात से पहले जायज़ा लें। यह आपको क़तआ की बाबत सोचने और उठने वाले सवालात पर मज़ीद तहक़ीक़ करने का वक़्त देगा इसलिए के जो वापसी तर्जुमा कहता है। जब आप तर्जुमा टीम से मुलाक़ात करते हैं तो इससे काफ़ी वक़्त बच जाएगा, क्योंके वहाँ काफ़ी मतन होंगे जिनकी बाबत आपको बात करने की ज़रुरत नहीं रही क्योंके आपने इसे वापसी तर्जुमे में पढ़ लिया और इसमें मसाएल नहीं थे। जब आप एक साथ मिलते हैं तो, आप बहुत ज़ियादा नतीजा ख़ेज़ होंगे क्योंके आप अपना सारा वक़्त मसअले वाले इलाक़े पर गुज़ार सकते हैं।
  2. जब आप वापसी तर्जुमे में से काम करते हैं तो, उन सवालात के नोट बनाएँ जो आप मुतर्जिम से पूछना चाहते हैं, यह तो वज़ाहत के लिए या तर्जुमे में मुमकिन मसाएल की बाबत सोचने में मुतर्जिम की मदद करने के लिए।
  3. मुतर्जिम को तर्जुमे की एक कॉपी के लिए कहें (अगर यह सतरों के दरमियान लिखा हुआ नहीं है), ताके तर्जुमे को वापसी तर्जुमे के साथ मोवाज़ना कर सकें और उन मवासल और दीगर ख़ुसूसियात जो हो सकता है के वापसी तर्जुमे में ज़ाहिर न हों, का नोट बना सकें जिनका हदफ़ ज़बान इस्तेमाल करती है। तर्जुमे पर नज़र करना भी उन जगहों की शिनाख्त करने में मदद कर सकता है जहाँ हो सकता है के वापसी तर्जुमा दुरुस्त तौर पर तर्जुमे की नुमाइंदगी न करता हो, मिशाल के तौर पर, जहाँ तर्जुमे में यकसां अल्फ़ाज़ इस्तेमाल किये गए हैं लेकिन वापसी तर्जुमे में वो मुख्तलिफ़ हैं। इस सूरत में, मुतर्जिम से यह पूछने अच्छा है के वापसी तर्जुमा मुख्तलिफ़ क्यों है, और क्या इसे सहीह करने की ज़रुरत है।
  4. अगत आप मुतर्जिम से मुलाक़ात के पहले वापसी तर्जुमे का जायज़ा नहीं ले सकते, तो मुतर्जिम के साथ इसमें काम करें, सवालात और मसाएल पर गुफ़्तगू करते हुए जब आप एक साथ काम करते हैं। अक्सर, जब वापसी तर्जुमे को तर्जुमे से मोवाज़ना किया जाता है, तो मुतर्जिम भी तर्जुमे में मसाएल का दरयाफ्त करेगा।

ज़बानी वापसी तर्जुमे का इस्तेमाल करना

अगर तहरीरी वापसी तर्जुमा नहीं है, तो किसी को लें जो हदफ़ ज़बान को जानता हो और कोई ऐसी ज़बान भी जिसे आप समझते हों, वो आपके लिए एक वापसी तर्जुमा बनाए। यह एक ऐसा शख्स होना चाहिए जो तर्जुमा करने में शामिल नहीं था। जब आप ज़बानी वापसी तर्जुमा सुनते हैं, तो उन अल्फ़ाज़ और फ़िक़रों का नोट बनाएँ जो ग़लत मानी इत्तिला देते या दीगर मसाएल पेश करते नज़र आते हैं। शख्स को क़तआ मुख़्तसर हिस्सों में, हर हिस्से के दरमियान रुकते हुए तर्जुमा करना चाहिए ताके आप हर हिस्से को सुनने के बाद अपने सवालात पूछ सकें।

जाँच करने के बाद

जाँच इजलास के बाद बाज़ सवालात को बाद के लिए अलाहेदा करने की ज़रुरत होगी। यक़ीनी तौर पर इन सवालात के जवाबात पर गुफ़्तगू करने के लिए किसी वक़्त दोबारा मिलने का मन्सूबा बनाएँ। ये होंगे:

  1. वो सवालात जो आप या किसी और को दरयाफ्त करने की ज़रुरत होगी, आमतौर पर बाईबल मतन की बाबत कुछ जो आपको तलाश करने की ज़रुरत होगी, जैसे बाईबल के अल्फ़ाज़ और फ़िक़रों के ज़ियादा दुरुस्त मानी, या बाईबल के लोगों या बाईबल के मक़ामों की फ़ितरत के दरमियान ताल्लुकात।
  2. हदफ़ ज़बान के दीगर बोलने वालों से पूछने के लिए सवालात। ये इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए होंगे के कुछ फ़िक़रे सहीह तौर पर इत्तिला दे रहे हैं, या हदफ़ ज़बान में कुछ शराअत की पस मन्ज़र दरयाफ्त करने के लिए। ये वो सवालात हैं जिन्हें तर्जुमा टीम को लोगों को पूछने की ज़रुरत होगी जब वे अपनी बिरादरी में वापस होंगे।

कलीदी अल्फ़ाज़

इस बात को यक़ीनी बनाएँ के तर्जुमा टीम बाईबल क़तआ से एक कलीदी अल्फ़ाज़ की फ़ेहरिस्त (अहम शराअत, जो तर्जुमाअल्फ़ाज़ के तौर पर भी जाने जाते हैं) रख रही है जिसका वो तर्जुमा कर रही है, हदफ़ ज़बान की उन शराअत के साथ जिसका इन हरएक अहम शराअत के साथ इस्तेमाल करने का उन्होंने फ़ैसला किया है। जैसा के आप बाईबल तर्जुमे में आगे बढ़ते हैं आप और तर्जुमा टीम को शायद हदफ़ ज़बान के इन शराअत को इस फ़ेहरिस्त में शामिल करने और तरमीम करने की ज़रुरत होगी। कलीदी अल्फ़ाज़ की फ़ेहरिस्त का इस्तेमाल ख़ुद को चौकस करने के लिए करें जब उस क़तआ में कलीदी अल्फ़ाज़ हों जिसका आप तर्जुमा कर रहे हैं। बाईबल में जब भी कोई कलीदी अल्फ़ाज़ हो, तो इस बात को यक़ीनी बनाएँ के तर्जुमा उसी शराअत या फ़िक़रे का इस्तेमाल करे जो उस कलीदी अल्फ़ाज़ के लिए चुना गया है, और यह भी यक़ीनी बनाएँ के हर दफ़ा यह मानी ख़ेज़ हो। अगर यह मानी ख़ेज़ नहीं है, फिर आपको इस पर गुफ़्तगू करने की ज़रुरत होगी के क्यों यह बाज़ जगहों में मानी ख़ेज़ है मगर दूसरों में नहीं। फिर आपको चुने हुए शराअत को तरमीम या तब्दील करने की ज़रुरत हो सकती है, या हदफ़ ज़बान में एक से ज़ियादा शराअत इस्तेमाल करने का फ़ैसला करें, उन मुख्तलिफ़ तरीकों में मुनासिब होने के लिए जिनमे वह कलीदी लफ्ज़ इस्तेमाल किया जाता है। इसे करने का एक मुफ़ीद तरीक़ा यह है के एक स्प्रेडशीट पर हर अहम शराअत पर नज़र रख्खें जिसमें इनके लिए ख़ाने हों, माख़ज़ ज़बान शराअत, हदफ़ ज़बान शराअत, मुतबादिल शराअत, और बाईबल की क़तआ के लिए जहाँ आप हर शराअत का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं के यह ख़ुसूसियत तर्जुमा स्टूडियो की मुस्तक़बिल वर्ज़न में मौज़ूद होंगी।

जब आप एक बाईबल की किताब के लिए तौसीक़ जाँच ख़त्म कर चुकें, इस पर सवालात के जवाब दें: तौसीक़ जाँच के लिए सवालात.


सफ़बन्दी टूल

This section answers the following question: मैं तौसीक़ की जाँच के लिए सफ़बन्दी टूल का इस्तेमाल किस तरह करूँ?

तौसीक़ की जाँच के लिए सफ़बन्दी टूल का इस्तेमाल

  1. तर्जुमाकोर में बाईबल की उस किताब का तर्जुमा लोड करें जिसकी आप जाँच करना चाहते हैं।
  2. लफ्ज़ सफ़बंदी टूल को चुनें।
  3. बाईं तरफ़ अबवाब और आयात मेनू का इस्तेमाल करते हुए नेविगेट करें।
  • जब आप मेनू फ़ेहरिस्त में किसी आयत पर इसे खोलने के लिए क्लिक करते हैं, तो उस आयत के अल्फ़ाज़ उमूदी फ़ेहरिस्त में ज़ाहिर होते हैं, ऊपर से नीचे तक तरतीब में, अबवाब और आयात की फ़ेहरिस्त के बिल्कुल दाएँ तरफ़। हर लफ्ज़ एक अलग ख़ाने में होता है।
  • उस आयत के लिए अस्ल ज़बान (यूनानी, इब्रानी, या अरामी) मतन के अल्फ़ाज़ भी अलग ख़ाने में हदफ़ ज़बान लफ्ज़ फ़ेहरिस्त के दाएँ तरफ़ एक हल्क़े में होते हैं। हर एक अस्ल ज़बान लफ्ज़ के ख़ाने के नीचे एक जगह है जिसे नुक़्तादार लकीर के साथ ख़ाका किया गया है।
  1. हर आयत में, हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ को लफ्ज़ बैंक में अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ के नीचे की जगह तक खींचें जो एक ही मानी बयान करते हैं।
  • लफ्ज़ को खींचने के लिए, क्लिक करें और बटन को दबाये रखें जैसा के आप हदफ़ ज़बान के हर एक लफ्ज़ ख़ाने को माख़ज़ (अस्ल) मतन के लफ्ज़ ख़ाने के नीचे की जगह में मुन्तक़िल करते हैं जिससे वह लफ्ज़ मुताबिक़त रखता है।
  • जब हदफ़ ज़बान का लफ्ज़ असल के लफ्ज़ ख़ाने के ऊपर हो, तो नुक़्तादार ख़ाका आपको यह बताने के लिए नीला हो जायेगा के लफ्ज़ वहीं छूट जायेगा। अगर आप ग़लती करते हैं या फैसला करते हैं के हदफ़ लफ्ज़ का ताल्लुक़ किसी और जगह से है तो, सिर्फ़ इसे दोबारा से वहीं खींचे जहाँ से इसका ताल्लुक़ है। हदफ़ ज़बान के अल्फ़ाज़ भी वापस फ़ेहरिस्त में खींचे जा सकते हैं।
  • अगर किसी आयत में दोहराए गए अल्फ़ाज़ हों, तो इस बात को यक़ीनी बनाएँ के सिर्फ़ वही अल्फ़ाज़ खींचे जाएँ जो अस्ल ज़बान आयत के उस हिस्से के मानी से ताल्लुक़ रखते हैं। फिर दोहराए गए अल्फ़ाज़ को अस्ल आयत के उस जगह खींचें जहाँ उस मानी को दोहराया गया है।
  • जब किसी आयत में एक ही हदफ़ ज़बान लफ्ज़ एक से ज़ियादा दफ़ा आते है तो, लफ्ज़ के हर मौक़े पर एक छोटा अलामत नंबर इसके बाद होगा। यह नंबर हर एक हदफ़ लफ्ज़ की सहीह अस्ल लफ्ज़ के साथ सहीह तरतीब में सफ़बन्दी करने में आपकी मदद करेगा।
  • ऐसे अल्फ़ाज़ के गिरोह बनाने के लिए जिनके मानी मसावी हैं आपको अस्ल ज़बान लफ्ज़ और/या हदफ़ ज़बान लफ्ज़ को मुत्तहिद करने की ज़रुरत हो सकती है। सफ़बन्दी का मक़सद हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ के सबसे छोटे गिरोह को अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ के सबसे छोटे गिरोह से मिलाना है जिनके मानी यकसां हैं।

जब आप इस अमल को एक आयत के लिए खत्म कर लिए हों तो, यह देखना आसान हो जाना चाहिए के क्या ऐसे कोई अल्फ़ाज़ हैं जो किसी में, हदफ़ लफ्ज़ बैंक या अस्ल ज़बान पेन में छूट गए हैं।

  • अगर हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ छूट गए हैं, इसका मतलब हो सकता है के किसी ऐसी चीज़ का इज़ाफ़ा किया गया है जिसका तर्जुमे से ताल्लुक़ नहीं है। अगर छूटे हुए अल्फ़ाज़ मफ़हूम मालूमात बयान कर रहे हों, तब वो वाक़ई में ज़ायद नहीं हैं और उस लफ्ज़ या अल्फ़ाज़ जिसकी वो वज़ाहत कर रहे हैं उनके साथ सफ़बन्द किये जा सकते हैं।
  • अगर असल ज़बान अल्फ़ाज़ छूट गए हैं, इसका मतलब हो सकता है के तर्जुमे में इन अल्फ़ाज़ का तर्जुमा शामिल करने की ज़रुरत है।
  • अगर आप तअीन करते है के तर्जुमे में ऐसे अल्फ़ाज़ हैं जो इसमें नहीं होने चाहिए या असल मतन के बाज़ अल्फ़ाज़ ग़ायब हैं, तब किसी को तर्जुमे की तरमीम करने की ज़रुरत होगी। आप या तो किसी और को बताने के लिए तब्सरा कर सकते हैं के तर्जुमे में क्या ग़लत है, या आप तर्जुमे को बराह रास्त तौर पर सफ़बन्दी टूल में तरमीम कर सकते हैं।

सफ़बन्दी का फ़लसफ़ा

सफ़बन्दी टूल एक से एक, एक से बहुत, बहुत से एक, और बहुत से बहुत सफ़बन्दी की हिमायत करता है। इसका मतलब है के एक या ज़ियादा हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ एक या ज़ियादा असल ज़बान अल्फ़ाज़ के साथ सफ़बन्द किये जा सकते हैं, जिस तरह दोनों ज़बानों के ज़रिये मुन्तकिल मानी का इन्तहाई दुरुस्त सफ़बन्दी हासिल करने के लिए ज़रूरी है। इस बात की परवाह न करें अगर हदफ़ ज़बान कुछ बयान करने के लिए अस्ल ज़बान के मुक़ाबले कम ओ बेश अल्फ़ाज़ इस्तेमाल करता है। क्योंके ज़बानें मुख्तलिफ़ हैं, इसकी तवक्को की जानी चाहिए। सफ़बन्दी टूल से, हम मानी को सफ़बन्द करते हैं, सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं। यह सबसे अहम है के हदफ़ तर्जुमा असल बाईबल के मानी को अच्छी तरह बयान करे, इसमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है के यह करने के लिए कितने अल्फ़ाज़ लगते हैं। हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ जो असल ज़बान मानी का बयान करते हैं, को सफ़बन्द करने के ज़रिए, हम देख सकते हैं के तर्जुमे में असल ज़बान के सारे मानी मौज़ूद हैं।

क्योंके हर हदफ़ ज़बान में जुमले की साख्त और वाज़े मालूमात की तादाद के लिए मुख्तलिफ़ तकाज़े होंगे जिनका फ़राहम होना लाज़मी है, अक्सर बाज़ ऐसे हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ होंगे जिनका किसी भी अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ के साथ कामिल मुताबिक़त नहीं होगा। अगर ये अल्फ़ाज़ वहाँ ऐसे मालूमात देने के लिए हैं जो जुमले को मानी देने के लिए ज़रूरी हैं, या कुछ मफ़हूम मालूमात फ़राहम करने के लिए जो जुमले को समझने के लिए ज़रूरी है, तो फ़राहम किये गए हदफ़ अल्फ़ाज़ को असल ज़बान उस लफ्ज़ के साथ सफ़बन्द होना चाहिये जो उनका इशारा करता है, या जिनकी वज़ाहत करने में वो मददगार है।

मुत्तहिद और ग़ैर मुत्तहिद करने के हिदायात

  • मुताद्दिद हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ को एक वाहिद अस्ल ज़बान लफ्ज़ के साथ सफ़बन्द करने के लिए, सिर्फ़ हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ को खींचे और मतलूबा असल ज़बान के लफ्ज़ के नीचे वाले ख़ाने पर छोड़ दें।
  • जब हदफ़ ज़बान लफ्ज़/अल्फ़ाज़ को असल ज़बान अल्फ़ाज़ के मजमुआ के साथ सफ़बन्द करने का इरादा हो, तो पहले असल ज़बान अल्फ़ाज़ के एक मजमुए को उसी ख़ाने में खींचें जैसा के दीगर असल ज़बान लफ्ज़ को। इस तरीक़े से मुतद्दिद असल ज़बान अल्फ़ाज़ एक साथ मुत्तहिद किये जा सकते हैं।
  • पहले मुत्तहिद किये गए असल ज़बान अल्फ़ाज़ को ग़ैर मुत्तहिद करने के लिए, सबसे दहनी तरफ़ के असल ज़बान लफ्ज़ को थोड़ा दायीं तरफ़ खींचें। एक छोटा सा नया सफ़बन्दी ख़ाना ज़ाहिर होगा, और ग़ैर मुत्तहिद असल ज़बान लफ्ज़ को उस ख़ाने में छोड़ा जा सकता है।
  • सबसे बाईं तरफ़ के असल ज़बान लफ्ज़ को भी खींचने और इसे इसके फ़ौरन बाईं तरफ़ के असल ज़बान लफ्ज़ के ख़ाने में छोड़ने के ज़रिये ग़ैर मुत्तहिद किया जा सकता है।
  • कोई भी हदफ़ ज़बान अल्फ़ाज़ जिन्हें असल ज़बान अल्फ़ाज़ के साथ सफ़बन्द किया गया था फिर लफ्ज़ फ़ेहरिस्त में वापस आ जाते हैं।
  • असल ज़बान अल्फ़ाज़ मुनासिब तरतीब में रहने चाहिए। अगर मुत्तहिद में 3 या ज़ियादा अस्ल ज़बान अल्फ़ाज़ हैं तो, सबसे दहनी तरफ के असल ज़बान लफ्ज़ को पहले ग़ैर मुत्तहिद करें। पहले मरकज़ी लफ्ज़/अल्फ़ाज़ को ग़ैर-मुत्तहिद करने के नतीजे में असल ज़बान के अल्फ़ाज़ बे तरतीब हो सकते हैं। जब ऐसा होता है तो, असल ज़बान अल्फ़ाज़ को उनके असल तरतीब में मुनासिब तरीक़े से वापस लाने के लिए उस ख़ाने में बचे हुए अल्फ़ाज़ को ग़ैर मुत्तहिद करें।

सफ़बन्दी के बाद

बाईबल किताब की सफ़बन्दी और तर्जुमे की बाबत सवालात बनाना और तब्सरे करना ख़त्म करने के बाद, यह वक़्त होगा के या तो सवालात तर्जुमा टीम को भेजें या तर्जुमा टीम के साथ इकठ्ठे मुलाक़ात करने और उनको बहस करने का मन्सूबा बनायें। इस अमल को मुकम्मल करने के इक़दामात के लिए, वापस जाएँ जहाँ आप तौसीक़ की जाँच के लिए इक़दामात सफ़ह पर छोड़े थे।


जाँच करने के लिए चीज़ों की क़िस्में

This section answers the following question: किस किस्म की चीज़ों को मुझे जाँच करना चाहिए?

जाँच करने के लिए चीज़ों की क़िस्में

  1. किसी भी चीज़ की बाबत पूछें जो आपको सहीह न लगती हो, ताके तर्जुमा टीम इसकी वज़ाहत कर सके। अगर यह उन्हें भी सहीह नहीं लगता, तो वो तर्जुमे को तरतीब दे सकते हैं। आम तौर पर:
  2. ऐसी किसी भी चीज़ की जाँच करें जो इज़ाफ़ा किया हुआ लगता है, जो माख़ज़ मतन के मानी का हिस्सा नहीं था। (याद रख्खें, असल मानी में भी मफ़हूम मालूमात.) शामिल होते हैं।
  3. ऐसी किसी भी चीज़ के लिए जाँच करें जो ग़ायब हुआ लगता हो, जो माख़ज़ मतन के मानी का हिस्सा था मगर तर्जुमे में शामिल नहीं किया गया।
  4. ऐसे किसी भी मानी के लिए जाँच करें जो माख़ज़ मतन के मानी के मुक़ाबले मुख्तलिफ़ लगता हो।
  5. इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए जाँच करें के मरकज़ी नुक़ता या क़तआ का मौज़ूअ वाज़े है। क़तआ जो कह रहा है या तालीम दे रहा है, तर्जुमा टीम को उसका ख़ुलासा करने के लिए कहें। अगर वो बुनियादी नुक़ते के तौर पर कोई मामूली नुक़ता चुनते हैं तो, हो सकता है उन्हें उस तरीक़े को तरतीब देने की ज़रुरत हो जिससे उन्होंने क़तआ को तर्जुमा किया है।
  6. जाँच करें के क़तआ के मुख्तलिफ़ हिस्से सहीह तरीक़े से मुन्सलिक हैं – यानी बाईबल क़तआ के वजूहात, इज़ाफ़े, नतीजे, आक़ीबतें, वगैरा हदफ़ ज़बान में मुनासिब मवासल के साथ निशानज़द किये गए हैं।
  7. तर्जुमाअल्फ़ाज़ की यकसानियत के लिए जाँच करें, जिस तरह तौसीक़ जाँच के लिए इक़दामात के पिछले हिस्से में वज़ाहत किया गया है। पूछें के किस तरह उस तहज़ीब में हर शराअत इस्तेमाल किया जाता है – शराअत का इस्तेमाल कौन करता है, और किस मौक़ों पर। यह भी पूछें के कौन से दीगर शराअत यकसां हैं और यकसां शराअत के दरमियान इख्तलाफात क्या हैं। ये मुतर्जिम को यह देखने में मदद करता है के क्या बाज़ शराअत के नापसन्दीदा मानी हो सकते हैं, और यह देखने में के कौन सी शराअत बेहतर हो सकती है, या क्या उन्हें मुख्तलिफ़ क़रीनों में मुख्तलिफ़ शराअत इस्तेमाल करने की ज़रुरत हो सकती है।
  8. तर्ज़ ए इज़हार की जाँच करें। बाईबल मतन में जब कोई तर्ज़ ए इज़हार हो तो, यह देखें के इसे किस तरह तर्जुमा किया गया है और यक़ीनी बनाएँ के यह उसी मानी का इत्तिला देता है। तर्जुमे में जहाँ तर्ज़ ए इज़हार हो तो, यह यक़ीनी बनाने के लिए जाँच करें के यह उसी मानी का इत्तिला देता है जो बाईबल मतन में है।
  9. यह देखने के लिए जाँच करें के तजरीदी ख़यालात किस तरह तर्जुमा किये गए थे, जैसे महब्बत, मुआफ़ी, ख़ुशी, वगैरा। इनमें से कई कलीदी अल्फ़ाज़ भी हैं।
  10. उन चीज़ों या तरीक़ों का तर्जुमा जाँच करें जो हदफ़ की तहज़ीब में नामालूम हो सकती हैं। तर्जुमा टीम को इन चीज़ों की तस्वीरें दिखाना और उनको वज़ाहत करना के वो क्या हैं, बहुत मददगार है।
  11. रूहानी दुनिया की बाबत अल्फ़ाज़ और वो हदफ़ की तहज़ीब में किस तरह समझी जाती हैं, इस पर गुफ़्तगू करें। यक़ीनी बनाएँ के तर्जुमे में जिन्हें इस्तेमाल किया गया है वो सहीह चीज़ का इत्तिला देती हैं।
  12. ऐसी किसी भी चीज़ की जाँच करें जो आपको लगता है के क़तआ में ख़ास तौर से समझने या तर्जुमा करने में मुश्किल हो सकती हैं।

इस तमाम चीज़ों को जाँचने और सहीह करने के बाद, इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए के अभी भी हर चीज़ का बहाव क़ुदरती है और सहीह मवासल का इस्तेमाल करती है, तर्जुमा टीम को लें के वो क़तआ को एक दूसरे को या उनकी बिरादरी के दूसरे अरकान को बुलन्द आवाज़ में दोबारा पढ़ें। अगर किसी इस्लाह से कोई चीज़ ग़ैर क़ुदरती लगती है तो, उन्हें तर्जुमे में इज़ाफ़ी तरतीब करने की ज़रुरत होगी। जाँच और नज़रसानी के इस अमल को उस वक़्त तक दोहराना चाहिए जब तक के हदफ़ की ज़बान में तर्जुमा वाज़े और क़ुदरती तौर पर इत्तिला न करे।


तौसीक़ जाँच के लिए सवालात

This section answers the following question: तौसीक़ जाँच में मैं क्या तलाश करूँ?

तौसीक़ जाँच के लिए सवालात

ये सवालात उनके लिए हैं जो तौसीक़ की जाँच कर रहे हैं ताके वो नया तर्जुमा पढ़ते वक़्त ज़हन में रखें।

तर्जुमा के हिस्से पढ़ने के बाद आप इन सवालात का जवाब दे सकते हैं या जब आप मतन में परेशानियों का सामना करते हैं। अगर आपका जवाब पहले गिरोह के सवालात में से किसी का भी “न” है तो, बराय करम मज़ीद तफ़सील से बयान करें, वह मख्सूस क़तआ शामिल करें जो आपको सहीह नहीं लगता है, और अपना मशवरा दें के किस तरह तर्जुमा टीम को इसे सहीह करना चाहिए।

ज़हन में रखें के तर्जुमा टीम का मक़सद माख़ज़ मतन के मानी को क़ुदरती और वाज़े तरीक़े से हदफ़ ज़बान में बयान करना है। इसके मानी है के उनको बाज़ शिक़ों के तरतीब को तब्दील करने की ज़रुरत हो सकती थी और उन्हें हदफ़ ज़बान में मुतद्दद अल्फ़ाज़ के साथ माख़ज़ ज़बान में मुतद्दद वाहिद अल्फ़ाज़ की नुमाइंदगी करनी पड़ी थी। दूसरी ज़बान (OL) के तर्जुमों में इन चीज़ों को परेशानी नहीं समझा जाता है। सिर्फ़ जिन औक़ात पर मुतर्जमीन को इन तब्दीलियों से गुरेज़ करना चाहिए वो हैं ULT और UST के गेटवे ज़बान (GL)तर्जुमों के लिए। ULT का मक़सद OL मुतर्जिम को यह दिखाना है के किस तरह असल बाईबल के ज़बानों ने मानी को बयान किया था, और UST का मक़सद उसी मानी को आसान और वाज़े सूरतों में बयान करना है अगरचे OL में किसी मुहावरे का इस्तेमाल ज़ियादा क़ुदरती हो सकता है। GL मुतर्जमीन को वो हदायतनामे याद रखना ज़रूरी है। लेकिन OL तर्जुमों के लिए, मक़सद हमेशा क़ुदरती और वाज़े, नीज़ दुरुस्त भी होना है।

यह भी ज़हन में रखें के हो सकता है मुतर्जमीन ने वो मालूमात शामिल किया हो जो असल सामअीन ने असल पैग़ाम से समझा होगा, लेकिन के असल मुसन्निफ़ ने वाज़े तौर पर बयान नहीं किया। जब यह मालूमात हदफ़ सामअीन को मतन समझने के लिए ज़रूरी हो तो, इसे वाज़े तौर पर शामिल करना अच्छा है। इसकी बाबत मज़ीद के लिए, देखें मफ़हूम और वाज़े मालूमात.

तौसीक़ सवालात

  1. क्या तर्जुमा ईमान के बयान और तर्जुमा हिदायतनामे के मुताबिक़ है?
  2. क्या तर्जुमा टीम ने माख़ज़ ज़बान के साथ साथ हदफ़ ज़बान और तहज़ीब के बारे में अच्छी समझ ज़ाहिर की?
  3. क्या ज़बान बिरादरी इस बात की तस्दीक़ करती है के तर्जुमा उनकी ज़बान में वाज़े और क़ुदरती तरीक़े से बोलता है?
  4. क्या तर्जुमा मुकम्मल है (क्या इसमें सारी आयात, वाक़यात, और मालूमात माख़ज़ के तौर पर मौज़ूद हैं)?
  5. मुतर्जमीन मुन्दर्जा जैल तर्जुमे के तरीकों में से किसकी पैरवी करते हुए नज़र आते हैं?
  6. लफ्ज़ बा लफ्ज़ तर्जुमा, माख़ज़ तर्जुमे की सूरत के बिल्कुल क़रीब रहते हुए
  7. जुमला बा जुमला तर्जुमा, क़ुदरती ज़बान के जुमले के साख्त का इस्तेमाल करते हुए
  8. मानी पर मबनी तर्जुमा, मक़ामी ज़बान के इज़हार की आज़ादी को मक़सद बनाते हुए
  9. क्या बिरादरी के रहनुमा महसूस करते हैं के मुतर्जमीन का पैरवी किया हुआ अन्दाज़ (जैसा के सवाल 4 में शिनाख्त किया गया है) बिरादरी के लिए मुनासिब है?
  10. क्या बिरादरी के रहनुमा महसूस करते हैं के मुतर्जमीन की इस्तेमाल की गयी बोली वसीअ ज़बान बिरादरी को इत्तिला देने के लिए बेहतरीन है? मिशाल के तौर पर, क्या मुतर्जमीन ने तासरात, फ़िक़रे मुत्तसिल, और हिज्जे इस्तेमाल किये हैं जो ज़बान बिरादरी के ज़ियादातर लोगों के ज़रिये पहचाने जायेंगे? इस सवाल को दरयाफ्त करने के मज़ीद तरीक़ों के लिए, देखें पसन्दीदा अन्दाज़.
  11. जब आप तर्जुमा पढ़ते हैं तो, मक़ामी बिरादरी में तहज़ीबी मसाएल के बारे में सोचें जो किताब में बाज़ क़तआ के तर्जुमे को मुश्किल बना सकते हैं। क्या तर्जुमा टीम ने इन क़तआ का तर्जुमा उस तरीक़े से किया है जो माख़ज़ मतन के पैग़ाम को वाज़े बनाता है, और ऐसी किसी भी ग़लत फ़हमी से गुरेज़ करता है जो तहज़ीबी मसाएल की वजह से हो सकता था?
  12. इन मुश्किल क़तआ में, क्या बिरादरी के रहनुमाओं को लगता है के मुतर्जिम ने ऐसी ज़बान का इस्तेमाल किया है जो उसी पैग़ाम का इत्तिला देती है जो माख़ज़ मतन में है?
  13. आप के फ़ैसले में, क्या तर्जुमा एक ही पैग़ाम को माख़ज़ मतन की तरह इत्तिला देता है? अगर तर्जुमा का कोई हिस्सा आपके जवाब के “न” होने की वजह है तो बराय करम नीचे दूसरे गिरोह के सवालात के जवाब दें।

अगर आप इस दूसरे गिरोह के सवालात में से किसी का जवाब “हाँ” देते है तो, बराय करम मज़ीद तफ़सील से वज़ाहत करें ताके तर्जुमा टीम यह जान सके के ख़ास मसअला क्या है, मतन के किस हिस्से को सहीह करने की ज़रुरत है, और आप किस तरह चाहेंगे के वो इसे सहीह करें।

  1. क्या तर्जुमे में कोई नज़रियाती गलतियाँ हैं?
  2. क्या आपको तर्जुमे में कोई ऐसे इलाक़े मिले जो क़ौमी ज़बान तर्जुमे या आपके मसीही बिरादरी में पाए जाने वाले ईमान के अहम मामलात से इख्तिलाफ़ करते हुए लगे?
  3. क्या तर्जुमा टीम ने ऐसे इज़ाफ़ी मालूमात या नज़रियात शामिल किये हैं जो माख़ज़ मतन के पैग़ाम का हिस्सा नहीं थे? (याद रखें, असल पैग़ाम में भी मफ़हूम मालूमात) शामिल होते हैं।
  4. क्या तर्जुमा टीम ने ऐसे मालूमात या नज़रियात छोड़ दिए हैं जो माख़ज़ मतन के पैग़ाम का हिस्सा थे?

अगर तर्जुमे में कोई दुश्वारी थी तो, तर्जुमे की टीम से मिलने के लिए मन्सूबा बनाएँ और इन मसाएल को हल करें। आप उनसे मिलने के बाद, तर्जुमा टीम को अपने नज़रसानी शुदा तर्जुमे की जाँच बिरादरी रहनुमाई के साथ करने की ज़रुरत हो सकती है ताके यह यक़ीनी बनाएँ के यह अभी भी अच्छी तरह इत्तिला दे रहा है, और फिर आपसे दोबारा मुलाक़ात करें।

जब आप तर्जुमे को मंज़ूरी देने के लिए तैयार हो, यहाँ जाएँ: तौसीक़ मंज़ूरी.


वापसी तर्जुमा

This section answers the following question: वापसी तर्जुमा क्या है?

वापसी तर्जुमा क्या है?

वापसी तर्जुमा बाईबल मतन का मक़ामी हदफ़ ज़बान (OL) से वापस वसीतर मवास्लात की ज़बान (GL) में तर्जुमा है। यह “वापसी तर्जुमा” कहलाता है क्योंके यह उसके बरखिलाफ मुख़ालिफ़ सम्त में एक तर्जुमा है जो मक़ामी हदफ़ ज़बान तर्जुमा बनाने के लिए किया गया था। वापसी तर्जुमे का मक़सद जो हदफ़ ज़बान नहीं बोलता उसे यह जानने की इजाज़त देना है के हदफ़ ज़बान तर्जुमा क्या कहता है।

वापसी तर्जुमा मुकम्मल तौर पर आम अन्दाज़ में नहीं किया जाता है, ताहम, क्योंके इसकी तर्जुमानी की ज़बान में क़ुदरतीपन एक मक़सद के तौर पर नहीं है (जो के इस सूरत में, वसीतर मवास्लात की ज़बान है)। इसके बजाय, वापसी तर्जुमे का मक़सद मक़ामी ज़बान के तर्जुमे के अल्फ़ाज़ और तासरात को लफ्ज़ी अन्दाज़ में पेश करना है, वसीतर मवास्लात की ज़बान के क़वायद और लफ्ज़ तरतीब का भी इस्तेमाल करते हुए। इस तरह तर्जुमा जाँचने वाले हदफ़ ज़बान मतन में अल्फ़ाज़ के मानी सबसे ज़ियादा वाज़े तौर पर देख सकते हैं और वापसी तर्जुमे को भी अच्छी तरह समझ सकते हैं और इसे ज़ियादा जल्दी और आसानी से पढ़ सकते हैं।


वापसी तर्जुमे का मक़सद

This section answers the following question: वापसी तर्जुमा क्यों ज़रूरी है?

वापसी तर्जुमा क्यों ज़रूरी है?

वापसी तर्जुमे का मक़सद बाईबल मवाद के किसी मुशावर या जाँचने वाले को जो हदफ़ ज़बान नहीं समझता, यह देखने के क़ाबिल होने की इजाज़त देना है के हदफ़ ज़बान तर्जुमे में क्या है, अगरचे वो हदफ़ ज़बान को नहीं समझता या समझती। इस तरह से, जाँचने वाला वापसी तर्जुमे के “ज़रिये देख” सकता है और हदफ़ ज़बान तर्जुमे की बगैर हदफ़ ज़बान को जाने जाँच कर सकता है। लिहाज़ा, वापसी तर्जुमे की ज़बान को ऐसी ज़बान होने की ज़रुरत है जो वापसी तर्जुमा करने वाला शख्स (वापसी मुतर्जिम) और जाँचने वाला दोनों अच्छी तरह समझते हों। अक्सर इसके मानी यह होता है के वापसी मुतर्जिम को हदफ़ ज़बान की मतन को वापस उसी वसीतर मवास्लात की ज़बान में तर्जुमा करने की ज़रुरत होगी जिसे माख़ज़ मतन के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।

कुछ लोग इसे ग़ैर ज़रूरी समझ सकते हैं, चूँकि बाईबल मतन पहले से ही माख़ज़ ज़बान में मौज़ूद है। लेकिन वापसी तर्जुमे का मक़सद याद रख्खें: यह जाँचने वाले को यह देखने की इजाज़त देने के लिए है के हदफ़ ज़बान तर्जुमे में क्या है। सिर्फ़ असल माख़ज़ ज़बान मतन को पढ़ना जाँचने वाले को यह देखने की इजाज़त नहीं देता के हदफ़ ज़बान तर्जुमे में क्या है। लिहाज़ा, वापसी मुतर्जिम को लाज़िम है के वापस वसीतर मवास्लात की ज़बान में एक नया तर्जुमा बनाए जो सिर्फ़ हदफ़ ज़बान तर्जुमे पर मबनी हो। इस वजह से, वापसी मुतर्जिम अपना वापसी तर्जुमा करने के दौरान माख़ज़ ज़बान मतन को देख नहीं सकता लेकिन सिर्फ़ हदफ़ ज़बान मतन को। इस तरह से, जाँचने वाला ऐसे किसी भी मसाएल की शिनाख्त कर सकता है जो हदफ़ जबान में मौज़ूद हो सकती हैं और उन मसाएल को हल करने के लिए मुतर्जिम के साथ काम कर सकता है।

वापसी तर्जुमा हदफ़ ज़बान तर्जुमे को बेहतर बनाने में भी बहुत मददगार साबित हो सकता है इससे पहले के जाँचने वाला इसे तर्जुमा जाँच करने के लिए इस्तेमाल करे। जब तर्जुमा टीम वापसी तर्जुमे को पढ़ती है, वो देख सकते हैं के किस तरह वापसी मुतर्जिम ने उनके तर्जुमे को समझा है। बाज़ औक़ात, वापसी मुतर्जिम उनके तर्जुमे को एक मुख्तलिफ़ तरह से समझा है मुक़ाबले इसके के जो वो इत्तिला देने का इरादा रखते थे। उन सूरतों में, वो अपने तर्जुमे को तब्दील कर सकते हैं ताके यह उस मानी को ज़ियादा वाज़े तौर पर इत्तिला दे जिसका वो इरादा रखते थे। जब तर्जुमा टीम वापसी तर्जुमे को जाँचने वाले को देने से पहले इस तरह इस्तेमाल करने के क़ाबिल होती है, तो वह अपने तर्जुमे में बहुत सारी बेहतरी कर सकते हैं। जब वो यह करते हैं, तो जाँचने वाला अपनी जाँच ज़ियादा तेज़ी से कर सकता है, क्योंके तर्जुमा टीम तर्जुमे में कई मसाएल को जाँचने वाले के साथ मुलाक़ात करने के पहले ही सहीह करने में कामयाब थी।


वापसी मुतर्जिम

This section answers the following question: वापसी तर्जुमा किसे करना चाहिए?

वापसी तर्जुमा किसे करना चाहिए?

अच्छा वापसी तर्जुमा करने के लिए, उस शख्स के पास तीन क़ाबिलियत लाज़मी तौर पर होनी चाहिए।

  1. वापसी तर्जुमा करने वाले शख्स को कोई ऐसा होना चाहिए जो मक़ामी हदफ़ ज़बान को मादरी-ज़बान के तौर पर बोलने वाला हो और वसीतर मवास्लात की ज़बान को भी अच्छी तरह बोलता हो। तहरीरी वापसी तर्जुमा बनाने के लिए, लाज़मी तौर पर उसे दोनों ज़बानों को अच्छी तरह पढ़ने और लिखने के क़ाबिल होना चाहिए।
  2. यह शख्स कोई ऐसा भी होना चाहिए जो उस मक़ामी हदफ़ ज़बान का तर्जुमा करने में शामिल नहीं था जिसका वह वापसी तर्जुमा कर रहा है। इसकी वजह यह है के किसी ने जो मक़ामी हदफ़ ज़बान तर्जुमा किया था यह जानता है के उसका तर्जुमा से किस मानी का इरादा था, और उसी मानी को वापसी तर्जुमे में रख देगा जिसके नतीजे में यह वैसे ही दिखता है जैसा माख़ज़ तर्जुमा। लेकिन यह मुमकिन है के कोई मक़ामी हदफ़ ज़बान बोलने वाला जिसने मक़ामी हदफ़ ज़बान तर्जुमे में काम नहीं किया था, तर्जुमे को मुख्तलिफ़ तौर पर समझेगा, या इसके कुछ हिस्सों को बिल्कुल नहीं समझेगा। जाँचने वाला यह जानना चाहता है के ये दूसरे मानी क्या हैं जो मक़ामी हदफ़ ज़बान के दूसरे बोलने वाले तर्जुमे से समझेंगे ताके वह उन जगहों को ज़ियादा वाज़े तौर पर सहीह मानी का इत्तिला देने वाला बनाने के लिए तर्जुमा टीम के साथ काम कर सके।
  3. वापसी तर्जुमा करने वाले शख्स को कोई ऐसा भी होना चाहिए जो बाईबल को अच्छी तरह न जानता हो। इसकी वजह यह है के वापसी मुतर्जिम को लाज़मी तौर पर सिर्फ़ वही मानी देना चाहिए जो वह हदफ़ ज़बान तर्जुमे को देखकर समझता है, उस इल्म से नहीं जो उसके पास दूसरी ज़बान में बाईबल पढ़ने से हो सकता है।

वापसी तर्जुमे की क़िस्में

This section answers the following question: किस क़िस्म के वापसी तर्जुमे मौज़ूद हैं?

किस क़िस्म के वापसी तर्जुमे मौज़ूद हैं?

ज़बानी

ज़बानी वापसी तर्जुमा वह है जो वापसी मुतर्जिम तर्जुमा जाँचने वाले को वसीतर मवास्लात की ज़बान में बोलता है जब वह तर्जुमे को हदफ़ ज़बान में पढ़ता या सुनता है। वह आम तौर पर इसे एक वक़्त में एक जुमला, या अगर जुमले मुख़्तसर हैं तो एक वक़्त में दो जुमले करेगा। जब तर्जुमा जाँचने वाला ऐसा कुछ सुनता है जो एक परेशानी हो सकता है, तो वह ज़बानी वापसी तर्जुमा करने वाले शख्स को रोकेगा ताके वह इसकी बाबत सवाल पूछ सके। तर्जुमा टीम के एक या ज़ियादा अरकान भी मौज़ूद होने चाहिए ताके वो तर्जुमे की बाबत सवालात का जवाब दे सकें।

ज़बानी वापसी तर्जुमे का एक फ़ायदा यह है के वापसी मुतर्जिम फ़ौरी तौर पर तर्जुमा जाँचने वाले तक क़ाबिल ए रसाई है और वापसी तर्जुमे की बाबत तर्जुमा जाँचने वाले के सवालात का जवाब दे सकता है। ज़बानी वापसी तर्जुमे का एक नुक़सान यह है के वापसी मुतर्जिम के पास तर्जुमे को बेहतरीन तरीक़े से वापसी तर्जुमा करने की बाबत सोचने के लिए बहुत कम वक़्त होता है और हो सकता है के वह तर्जुमे के मानी का बेहतरीन तरीक़े से बयान न कर पाए। यह तर्जुमा जाँचने वाले के लिए ज़ियादा सवालात पूछना ज़रूरी बना सकता है मुक़ाबले इसके के अगर तर्जुमें का मानी बेहतरीन तरीक़े से बयान किया जाता। दूसरा नुक्सान यह है के जाँचने वाले के पास भी वापसी तर्जुमे की तशख़ीस के लिए बहुत कम वक़्त होता है। दूसरा जुमला सुनने से पहले उसके पास एक जुमले की बाबत सोचने के लिए सिर्फ़ कुछ सेकेन्ड ही होते हैं। इस वजह से, वह सारे मसाएल को पकड़ नहीं सकता जो वह तब पकड़ पाता अगर उसके पास हर जुमले की बाबत सोचने के लिए ज़ियादा वक़्त होता।

तहरीरी

दो तरह के तहरीरी वापसी तर्जुमे हैं। दोनों के दरमियान इख्तिलाफ़ात के लिए, देखें तहरीरी वापसी तर्जुमे. ज़बानी वापसी तर्जुमे के मुक़ाबले एक तहरीरी वापसी तर्जुमे के कई फ़ायदे हैं। पहला, जब एक वापसी तर्जुमा लिखा जाता है, तर्जुमा टीम यह देखने के लिए इसे पढ़ सकती है के क्या कोई ऐसी जगहें हैं जहाँ वापसी मुतर्जिम ने उनके तर्जुमे को ग़लत समझ लिया है। अगर वापसी मुतर्जिम ने तर्जुमे को ग़लत समझा, फिर तर्जुमे के दूसरे कारअीन या सामअीन भी यक़ीनन इसे ग़लत समझेंगे, और लिहाज़ा तर्जुमा टीम को उन नुक़तों पर अपने तर्जुमे का जायज़ा लेने की ज़रुरत होगी।

दूसरा, जब वापसी तर्जुमे को लिखा जाता है, तो तर्जुमा जाँचने वाला तर्जुमा टीम को मिलने से पहले वापसी तर्जुमे को पढ़ सकता है और ऐसा कोई सवाल जो वापसी तर्जुमे से उठता है उसकी तहक़ीक़ करने के लिए वक़्त ले सकता है। यहाँ तक के जब तर्जुमा जाँचने वाले को किसी मसअले की तहक़ीक़ करने की ज़रूरत न हो, तो भी तहरीरी वापसी तर्जुमा उसे तर्जुमे की बाबत सोचने के लिए ज़ियादा वक़्त की इजाज़त देता है। वह तर्जुमे में ज़ियादातर मसाएल की शिनाख्त और ख़िताब कर सकता है और बाज़ औक़ात मसाएल के बेहतर हल निकाल सकता है क्योंके उसके पास हर एक की बाबत सोचने के लिए ज़ियादा वक़्त है मुकाबले इसके के जब उसके पास हर जुमले की बाबत सोचने के लिए कुछ ही सेकेण्ड होते हैं।

तीसरा, जब वापसी तर्जुमा लिखा जाता है, तो तर्जुमा जाँचने वाला तर्जुमा टीम को मिलने से पहले अपने सवालात को तहरीरी शक्ल में भी तैयार कर सकता है। अगर उनके मिलने के पहले वक़्त है और अगर उनके पास गुफ़्तगू करने का कोई तरीक़ा है, तो जाँचने वाला अपने सवालात तर्जुमा टीम को भेज सकता है ताके वो उसे पढ़ सकें और तर्जुमे के उन हिस्सों को तब्दील कर सकें जो जाँचने वाले के ख़याल में मसाएल हैं। यह तर्जुमा टीम और जाँचने वाले को जब वो एक साथ मिलते हैं, बाईबल के बहुत ज़ियादा मवाद का जायज़ा लेने के क़ाबिल होने में मदद करता है, क्योंके वो मिलने के पहले ही तर्जुमे में बहुत सी मसाएल को दूर करने में कामयाब थे। मुलाक़ात के दौरान, वह जो मसाएल बाक़ी हैं उन पर तवज्जो दे सकते हैं। ये आम तौर पर वो जगह हैं जहाँ तर्जुमा टीम ने जाँचने वाले के सवाल को नहीं समझा है या जहाँ जाँचने वाले ने हदफ़ ज़बान की बाबत कोई चीच नहीं समझा है और इसलिए सोचता है के कोई मसअला है जबके वहाँ कोई मसअला नहीं है। इस सूरत में, मुलाक़ात के वक़्त के दौरान तर्जुमा टीम जाँचने वाले को वज़ाहत कर सकती है के वह क्या है जो उसने नहीं समझा है।

चाहे जाँचने वाले को मुलाक़ात से पहले अपने सवालात तर्जुमा टीम के पास भेजने के लिए वक़्त न हो, फिर भी वे मुलाक़ात में ज़ियादा मवाद का जायज़ा लेने के क़ाबिल होंगे मुक़ाबले इसके के वे जितना किसी और तरह से जायज़ा लेने में कामयाब होते क्योंके जाँचने वाले ने वापसी तर्जुमा पहले ही पढ़ लिया है और अपने सवालात पहले ही तैयार कर लिए हैं। क्योंके उसके पास यह पिछला तैयारी का वक़्त था, वह और तर्जुमा टीम अपने मुलाक़ात का वक़्त सिर्फ़ तर्जुमे के इलाक़े के मसाएल पर गुफ़्तगू करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, बजाय इसके के सुस्त रफ़्तार से पूरे तर्जुमे को पढ़ें जैसा के एक ज़बानी वापसी तर्जुमा बनाते वक़्त करना ज़रूरी है।

चौथा, तहरीरी वापसी तर्जुमा, तर्जुमा जाँचने वाले के तनाव को दूर करता है जो किसी ज़बानी तर्जुमे को एक ही वक़्त में कई घन्टों तक सुनने और समझने पर तवज्जो देने से होता है जिस तरह यह उससे बोला जाता है। अगर जाँचने वाला और तर्जुमा टीम किसी शोर के माहौल में मुलाक़ात करते हैं, तो जाँचने वाले के लिए इस बात को यक़ीनी बनाने की मुश्किल के वह हर लफ्ज़ सहीह तौर पर सुनता है काफ़ी थकावट देने वाला हो सकता है। इरतिकाज़ का ज़हनी तनाव इस इमकान को बढ़ाता है के जाँचने से कुछ मसाएल छूट जायेंगे और नतीजे में वो बाईबल मतन में बगैर सहीह किये हुए रहते हैं। इन वजूहात से, जब भी मुमकिन हो हम तहरीरी वापसी तर्जुमे का मशवरा देते हैं।


तहरीरी वापसी तर्जुमे की क़िस्में

This section answers the following question: तहरीरी वापसी तर्जुमे की कौन सी क़िस्में मौज़ूद हैं?

दो क़िस्मों के तहरीरी वापसी तर्जुमे हैं।

सतरों के दरमियान लिखा हुआ वापसी तर्जुमा

सतरों के दरमियान लिखा हुआ वापसी तर्जुमा वह है जिसमें वापसी मुतर्जिम हदफ़ ज़बान तर्जुमे के हर लफ्ज़ के नीचे उस लफ्ज़ का तर्जुमा रखता है। इसका नतीजा एक ऐसे मतन में होता है जिसमें हदफ़ ज़बान तर्जुमे की हर सतर के बाद वसीतर मवास्लात की ज़बान में एक सतर होती है। इस तरह के वापसी तर्जुमे का फ़ायदा यह है के जाँचने वाला आसानी से देख सकता है के तर्जुमा टीम किस तरह हदफ़ ज़बान के हर लफ्ज़ का तर्जुमा कर रही है। वह ज़ियादा आसानी से हर एक हदफ़ ज़बान लफ्ज़ के मानी की ज़द को देख सकता है और मोवाज़ना कर सकता है के किस तरह इसे मुख्तलिफ़ क़रीने में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के वापसी तर्जुमे का नुक्सान यह है के वसीतर मवास्लात की ज़बान में मतन की सतर तर्जुमे के इन्फ़िरादी अल्फ़ाज़ से बनती है। यह मतन को पढ़ना और समझना मुश्किल बनाता है, और जाँचने वाले के ज़हन में वापसी तर्जुमों के दीगर तरीक़ों के मुक़ाबले ज़ियादा सवालात और ग़लत फहमियाँ पैदा कर सकता है। यही वजह है के हम बाईबल के तर्जुमे के लिए लफ्ज़ बा लफ्ज़ तरीक़े का मशवरा नहीं देते हैं!

आज़ाद वापसी तर्जुमा

आज़ाद वापसी तर्जुमा वह है जिसमें वापसी मुतर्जिम हदफ़ ज़बान तर्जुमे से किसी अलग जगह में वसीतर मवास्लात की ज़बान में एक तर्जुमा बनाता है। इस तरीक़े का नुक्सान यह है के वापसी तर्जुमा हदफ़ ज़बान तर्जुमे के साथ उतना करीबी से मुताल्लिक नहीं है। ताहम, वापसी तर्जुमे के साथ आयत एदाद और औक़ाफ़ शामिल करने के ज़रिये वापसी मुतर्जिम बाईबल का वापसी तर्जुमा करते वक़्त इस नुक्सान को दूर करने में मदद कर सकता है। दोनों तर्जुमों में आयत एदाद का हवाला देने और औक़ाफ़ की अलामतों को उनकी मुनासिब जगहों पर एहतियात से दोबारा रखने के ज़रिये, तर्जुमा जाँचने वाला इस बात पर नज़र रख सकता है के वापसी तर्जुमे का कौन सा हिस्सा हदफ़ ज़बान तर्जुमे के कौन से हिस्से की नुमाइंदगी करता है। इस तरीक़े का फ़ायदा यह है के वापसी तर्जुमा वसीतर मवास्लात की ज़बान के क़वायद और लफ्ज़ तरतीब का इस्तेमाल कर सकता है, और इस तरह जाँचने वाले के लिए इसे पढ़ना और समझना ज़ियादा आसान है। यहाँ तक के वसीतर मवास्लात की ज़बान के क़वायद और लफ्ज़ तरतीब का इस्तेमाल करते हुए, ताहम, वापसी मुतर्जिम को अल्फ़ाज़ की लफ्ज़ी तौर पर तर्जुमा करना याद रखना चाहिए। यह जाँचने वाले के लिए लफ्ज़ीपन और पढ़ने की अहलियत का सबसे ज़ियादा मुफ़ीद इम्तिज़ाज़ फ़राहम करता है। हम मशवरा देते हैं के वापसी मुतर्जिम आज़ाद वापसी तर्जुमे का यह तरीक़ा इस्तेमाल करे।


एक अच्छा वापसी तर्जुमा बनाने के लिए हिदायतनामा

This section answers the following question: एक अच्छा वापसी तर्जुमा बनाने के लिए क्या हिदायात हैं?

1. अल्फ़ाज़ और शिक़ों के लिए हदफ़ ज़बान का इस्तेमाल ज़ाहिर करें

इस मॉड्यूलके मक़ासद के लिए, “हदफ़ ज़बान” उस ज़बान से मुराद है जिसमे बाईबल मुसव्वदा बनाया गया था, और “वसीतर मवास्लात की ज़बान” उस ज़बान से मुराद है जिसमे वापसी तर्जुमा किया जा रहा है।

a. लफ्ज़ का मानी क़रीने में इस्तेमाल करें

अगर किसी लफ्ज़ का सिर्फ़ एक बुनियादी मानी है, तब वापसी मुतर्जिम को वसीतर मवास्लात की ज़बान में ऐसे लफ्ज़ का इस्तेमाल करना चाहिए जो पूरे वापसी तर्जुमे में बुनियादी मानी की नुमाइंदगी करता हो। अगर, ताहम, किसी लफ्ज़ का हदफ़ ज़बान में एक से ज़ियादा मानी है, ताके मानी उस क़रीने के लिहाज़ से बदलता हो जिसमे वो है, तब वापसी मुतर्जिम को वसीतर मवास्लात की ज़बान में ऐसे लफ्ज़ या फ़िक़रे का इस्तेमाल करना चाहिए जो उस तरीक़े की बेहतरीन नुमाइंदगी करता हो जिसमे वह लफ्ज़ उस क़रीने में इस्तेमाल किया गया था। तर्जुमा जाँचने वाले को उलझन से बचाने के लिए, वापसी मुतर्जिम दीगर मानी को पहली दफ़ा क़ोसैन में रख सकता है के वह लफ्ज़ का इस्तेमाल एक मुख्तलिफ़ तरीक़े में कर रहा है, ताके तर्जुमा जाँचने वाला देख और समझ सके के इस लफ्ज़ के एक से ज़ियादा मानी हैं। मिशाल के तौर पर, वह लिख सकता है, “आओ (जाओ)” अगर हदफ़ ज़बान लफ्ज़ पहले वापसी तर्जुमे में “जाओ” के तौर पर तर्जुमा किया गया था लेकिन नए क़रीने में इसका बेहतर तर्जुमा “आओ” के तौर पर किया गया है।

अगर हदफ़ ज़बान तर्जुमा किसी मुहावरे का इस्तेमाल करता है, तो तर्जुमा जाँचने वाले के लिए सबसे ज़ियादा मददगार है अगर वापसी मुतर्जिम मुहावरे का लफ्ज़ी (अल्फ़ाज़ के मानी के मुताबिक़) तर्जुमा करे, लेकिन फिर मुहावरे के मानी को क़ोसैन में रखे। इस तरह से, तर्जुमा जाँचने वाला देख सकता है के हदफ़ ज़बान तर्जुमा उस जगह में मुहावरे का इस्तेमाल करता है, और यह भी देख सकता है के इसके मानी क्या है। मिशाल के तौर पर, एक वापसी मुतर्जिम किसी मुहावरे का इस तरह तर्जुमा कर सकता है जैसे, “उसने बाल्टी को लात मारी (वह मर गया)।” अगर मुहावरा एक या दो से ज़ियादा दफ़ा आता है, तो वापसी मुतर्जिम को हर दफ़ा इसकी वज़ाहत जारी रखने की ज़रुरत नहीं है, लेकिन या तो इसका सिर्फ़ लफ्ज़ी तर्जुमा कर सकता है या सिर्फ़ मानी का तर्जुमा कर सकता है।

b. क़वायदी इज्ज़ा ए कलाम को यकसां रख्खें

वापसी तर्जुमे में, वापसी मुतर्जिम को हदफ़ ज़बान के क़वायदी इज्ज़ा ए कलाम की नुमाइंदगी वसीतर मवास्लात की ज़बान में उसी क़वायदी इज्ज़ा ए कलाम के साथ करनी चाहिए। इसके मानी है के वापसी मुतर्जिम को इस्म को इस्म के साथ, फ़अल को फ़अल के साथ, और तरमीम करने वाले को तरमीम करने वाले के साथ तर्जुमा करना चाहिए। इससे तर्जुमा जाँचने वाले को यह देखने में मदद मिलेगी के हदफ़ ज़बान कैसे काम करती है।

c. शिक़ के क़िस्मों को यकसां रख्खें

वापसी तर्जुमे में, वापसी मुतर्जिम को हदफ़ ज़बान के हर शिक़ की नुमाइंदगी वसीतर मवास्लात की ज़बान में उसी क़िस्म की शिक़ के साथ करनी चाहिए। मिशाल के तौर पर, अगर हदफ़ ज़बान की शिक़ किसी हुक्म का इस्तेमाल करती है, तब वापसी तर्जुमे को भी किसी मशवरे या दरख्वास्त की बजाय हुक्म का इस्तेमाल करना चाहिए। या अगर हदफ़ ज़बान की शिक़ ख़तीबाना सवाल का इस्तेमाल करती है, तब वापसी तर्जुमे को भी किसी बयान या दूसरे इज़हार के बजाय किसी सवाल का इस्तेमाल करना चाहिए।

d. औक़ाफ़ को यकसां रख्खें

वापसी मुतर्जिम को वापसी तर्जुमे में उसी औक़ाफ़ का इस्तेमाल करना चाहिए जैसा हदफ़ ज़बान तर्जुमे में है। मिशाल के तौर पर, जहाँ कहीं भी हदफ़ ज़बान तर्जुमे में कोमा हो, वापसी मुतर्जिम को भी वापसी तर्जुमे में कोमा रखना चाहिए। वक़फ़ा, अलामत ए अस्तजाब, अलामत ए इक्तबास, और तमाम औक़ाफ़ का दोनों तर्जुमों में यकसां मक़ाम पर होना ज़रूरी है। इस तरह से, तर्जुमा जाँचने वाले ज़ियादा आसानी से देख सकते हैं के वापसी तर्जुमे का कौन सा हिस्सा हदफ़ ज़बान तर्जुमे के कौन से हिस्से की नुमाइंदगी करता है। बाईबल की वापसी तर्जुमा करते वक़्त, इस बात को यक़ीनी बनाना भी काफी अहम है के सारे बाब और आयत एदाद वापसी तर्जुमे में सहीह मक़ामों पर हैं।

e. पेचीदा अल्फ़ाज़ के पूरे मानी का इज़हार करें

बाज़ औक़ात हदफ़ ज़बान में अल्फ़ाज़ वसीतर मवास्लात की ज़बान में अल्फ़ाज़ के मुक़ाबले ज़ियादा पेचीदा होंगे। इस सूरत में, वापसी मुतर्जिम को ज़रूरी होगा के वह हदफ़ ज़बान के लफ्ज़ को वसीतर मवास्लात की ज़बान में नुमाइंदगी के लिए किसी तवील फ़िक़रे का इस्तेमाल करे। यह ज़रूरी है ताके तर्जुमा जाँचने वाला जितना ज़ियादा मुमकिन हो मानी को देख सके। मिशाल के तौर पर, हदफ़ ज़बान में एक लफ्ज़ का तर्जुमा करने के लिए वसीतर मवास्लात की ज़बान में एक फ़िक़रे का इस्तेमाल करना ज़रूरी हो सकता है जैसे, “ऊपर जाओ” या “लेटे रहो”। नीज़, कई ज़बानों में ऐसे अल्फ़ाज़ होते हैं जो वसीतर मवास्लात की ज़बान में मसावी अल्फ़ाज़ के मुक़ाबले ज़ियादा मालूमात रखते हैं। इस सूरत में, यह सबसे ज़ियादा मददगार है अगर वापसी मुतर्जिम क़ोसैन में इज़ाफ़ी मालूमात को शामिल करे, जैसे “हम (मुश्तमिल),” या तुम (निसाए, जमा)।”

2. जुमले और मन्तक़ी साख्त के लिए वसीतर मवास्लात की ज़बान के अन्दाज़ का इस्तेमाल करें

वापसी तर्जुमे को वसीतर मवास्लात की ज़बान के लिए ऐसे जुमले के साख्त का इस्तेमाल करना चाहिए जो क़ुदरती है, ऐसा साख्त नहीं जो हदफ़ ज़बान में इस्तेमाल किया जाता है। इसके मानी है के वापसी तर्जुमे को वसीतर मवास्लात की ज़बान के लिए ऐसी लफ्ज़ की तरतीब का इस्तेमाल करना चाहिए जो क़ुदरती है, ऐसी लफ्ज़ की तरतीब नहीं जो हदफ़ ज़बान में इस्तेमाल किया जाता है। वापसी तर्जुमे को एक दूसरे के लिए मुताल्लिक़ फ़िक़रों और मन्तक़ी ताल्लुकात की निशानदेही करने का तरीक़ा भी इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे वजह या मक़सद, जो वसीतर मवास्लात की ज़बान के लिए क़ुदरती हैं। यह तर्जुमा जाँचने वाले के लिए वापसी तर्जुमे को पढ़ना और समझना आसान बनाएगा। इससे वापसी तर्जुमे की जाँच की अमल में भी तेज़ी आएगी।


तौसीक़ की मंज़ूरी

This section answers the following question: तौसीक़ जाँच के बाद किस तरह मैं तर्जुमे की तस्दीक़ कर सकता हूँ?

तौसीक़ की मंज़ूरी

मैं, ज़बान बिरादरी ज़बान बितादरी का नाम भरें की ख़िदमत करने वाले कलीसिया नेटवर्क या बाईबल तर्जुमा तंज़ीम कलीसिया नेटवर्क या बाईबल तर्जुमा तंज़ीम का नाम भरें के नुमाइन्दे की हैसियत से तर्जुमे की मंज़ूरी देता हूँ, और मुन्दर्जा जैल की तस्दीक़ करता हूँ।

  1. तर्जुमा ईमान के बयान और तर्जुमा हिदायतनामे के मुताबिक़ है।
  2. तर्जुमा हदफ़ ज़बान में दुरुस्त और वाज़े है।
  3. तर्जुमा ज़बान के पसन्दीदा अन्दाज़ का इस्तेमाल करता है।
  4. बिरादरी तर्जुमे की तस्दीक़ करती है।

अगर दूसरी दफ़ा तर्जुमा टीम से मुलाक़ात के बाद कोई परेशानी हल नहीं होती है तो, बराय करम उनका नोट यहाँ बनाएँ।

दस्तख़तशुदा: यहाँ दस्तख़त करें

ओहदा: अपना ओहदा यहाँ भरें

गेटवे ज़बानों के लिए, आपको माख़ज़ मतन अमल की पैरवी करने की ज़रुरत होगी ताके आपका तर्जुमा एक माख़ज़ मतन बन सके।


अच्छी वज़ाकारी की जाँच कैसे करें?

This section answers the following question: मुझे क्या करने की ज़रुरत है ताके तर्जुमा सहीह नज़र आये?

ऐसे जाँच हैं जिन्हें आप बाईबल की किताब के तर्जुमे के पहले, दौरान, और बाद में कर सकते हैं जिससे तर्जुमा ज़ियादा आसान हो जाता है, अच्छा नज़र आएगा और जितना मुमकिन हो सके पढ़ना आसान होगा। यहाँ इन उनवान पर मॉड्यूल्स वज़ाकारी और अशाअत के तहत इकठ्ठे किये गए हैं, लेकिन ये वो बातें हैं जिनकी बाबत तर्जुमा टीम को पूरे तर्जुमा अमल के दौरान सोचना और फ़ैसला करना चाहिए।

तर्जुमा करने से पहले

आपके तर्जुमा शुरू करने से पहले तर्जुमा टीम को जैल में दर्ज मसाएल के बारे में फ़ैसले करने चाहिए।

  1. हरूफ़ ए तहज्जी (देखें मुनासिब हरूफ़ ए तहज्जी)
  2. हिज्जे (देखें यकसां हिज्जे)
  3. औक़ाफ़ (देखें यकसां औक़ाफ़)

तर्जुमा करने के दौरान

आपके कई अबवाब तर्जुमा कर लेने के बाद, तर्जुमा टीम को इनमे से बाज़ फैसलों की नज़रसानी करने की ज़रुरत हो सकती है, उन मसाएल का ख़याल रखने के लिए जो उन्होंने तर्जुमे के दौरान दरयाफ्त की हैं। अगर पैरामतन आपके लिए दस्तयाब है, तो इस वक़्त यह देखने के लिए आप पैरामतन में यकसानियत की भी जाँच कर सकते हैं, अगर आप को हिज्जे और औक़ाफ़ की बाबत मज़ीद फ़ैसले करने की ज़रुरत है।

एक किताब ख़त्म करने के बाद

एक किताब ख़त्म करने के बाद, आप इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए जाँच कर सकते हैं के तमाम आयात मौज़ूद हैं, और आप हिस्से की सुर्ख़ियों के बारे में फ़ैसला कर सकते हैं। जब आप तर्जुमा करते हैं तो हिस्से की सुर्ख़ियों के लिए नज़रियात को लिखना भी आसान हो सकता है।

  1. क़ाफ़िया बन्दी (देखें मुकम्मल क़ाफ़िया बन्दी)
  2. हिस्से की सुर्ख़ियाँ (देखें हिस्से की सुर्ख़ियाँ)

मुनासिब हरूफ़ ए तहज्जी

This section answers the following question: क्या तर्जुमा मुनासिब हरूफ़ ए तहज्जी का इस्तेमाल करता है?

तर्जुमा के लिए हरूफ़ ए तहज्जी

जब आप तर्जुमा पढ़ते हैं तो, अल्फ़ाज़ को जिस तरीक़े से हिज्जा किया गया है उसकी बाबत ख़ुद से ये सवालात पूछें। ये सवालात यह तअीन करने में मदद करेंगे के क्या ज़बान की आवाजों की नुमाइंदगी के लिए मुनासिब हरूफ़ ए तहज्जी का इन्तखाब किया गया है और क्या अल्फ़ाज़ एक यकसां तरीक़े से लिखे गए हैं ताके तर्जुमा पढ़ने में आसानी होगी।

  1. क्या हरूफ़ ए तहज्जी नए तर्जुमे के ज़बान की आवाजों की नुमाइंदगी के लिए मुनासिब है? (क्या ऐसी आवाजें है जो एक मुख्तलिफ़ मानी बनाती है मगर उसी अलामत का इस्तेमाल दूसरी आवाज़ के लिए करना पड़ता है? क्या यह अल्फ़ाज़ को पढ़ना मुश्किल बनाता है? क्या इन हरूफों को तरतीब देने के लिए और फ़र्क ज़ाहिर करने के लिए इज़ाफ़ी अलामतों का इस्तेमाल हो सकता है?
  2. क्या किताब में इस्तेमाल किया गया हिज्जा यकसां है? (क्या ऐसे उसूल हैं जिन्हें मुसन्निफ़ को यह ज़ाहिर करने के लिए अमल करना चाहिए के मुख्तलिफ़ हालात में अल्फ़ाज़ किस तरह बदलते हैं? क्या इनको बयान किया जा सकता है ताके दूसरों को ज़बान आसानी से पढ़ने और लिखने का तरीक़ा मालूम हो जाए?)
  3. क्या मुतर्जिम ने ऐसे तासरात, फ़िक़रे, राब्ते, और हिज्जे इस्तेमाल किये हैं जो ज़बान की बेशतर बिरादरी के ज़रिये पहचाने जायेंगे?

अगर हरूफ़ ए तहज्जी या हिज्जा के बारे में कुछ है जो सहीह नहीं है, तो उसका एक नोट बनाएँ ताके आप उसकी तर्जुमानी टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।


यकसां हिज्जे

This section answers the following question: क्या तर्जुमे में अल्फ़ाज़ का यकसां तौर पर हिज्जा किया गया है?

कारी के लिए तर्जुमे को आसानी से पढ़ने और समझने के क़ाबिल होने के लिए, यह अहम है के आप अल्फ़ाज़ की यकसां तौर पर हिज्जा करें। यह मुश्किल हो सकता है अगर हदफ़ ज़बान में लिखने या हिज्जा करने की कोई रिवायत नहीं है। जब कई लोग किसी तर्जुमे के मुख्तलिफ़ हिस्सों पर काम कर रहे हों, वो यकसां अल्फ़ाज़ की एक दूसरे से मुख्तलिफ़ तौर पर हिज्जा कर सकते हैं। इस वजह से, तर्जुमा टीम के लिए यह अहम है के वो तर्जुमा शुरू करने के पहले मिलें और इस बाबत बात करें के किस तरह वो अल्फ़ाज़ को हिज्जे करने का मन्सूबा रखते हैं।

एक टीम के तौर पर, उन अल्फ़ाज़ पर गुफ़्तगू करें जिनके हिज्जे करना मुश्किल है। अगर अल्फ़ाज़ में ऐसी आवाजें हैं जिनकी नुमाइंदगी करना मुश्किल है, फिर आप को उस तहरीरी निज़ाम में तब्दीली करने की ज़रुरत हो सकती है जिसका आप इस्तेमाल कर रहे हैं (देखें अल्फ़ाबet/Orthography). अगर अल्फ़ाज़ के आवाजों की मुख्तलिफ़ तरीक़ों से नुमाइंदगी की जा सकती है, फिर टीम को इस बात पर राज़ी होने की ज़रुरत होगी के उनके हिज्जे किस तरह करने हैं। हरूफ़ ए तहज्जी तरतीब में इन अल्फ़ाज़ के मुत्तफ़िका हिज्जे की एक फ़ेहरिस्त बनाएँ। इस बात को यक़ीनी बनाएँ के टीम के हर रुकन के पास इस फ़ेहरिस्त की एक कॉपी हो जिससे वो तर्जुमा करते वक़्त मशवरा कर सकें। फ़ेहरिस्त में दीगर मुश्किल अल्फ़ाज़ शामिल करें जैसे ही आप उन पर से गुज़रते हैं, और यक़ीनी बनाएँ के ये हर एक की फ़ेहरिस्त में यकसां हिज्जे के साथ शामिल किये गए हैं। आपकी हिज्जे की फ़ेहरिस्त को बरक़रार रखने के लिए स्प्रेडशीट का इस्तेमाल मददगार साबित हो सकता है। इसे आसानी से अपडेट और इलेक्ट्रॉनिक के ज़रिये इश्तिराक किया जा सकता है, या मीआदी तौर पर छापा जा सकता है।

बाईबल में लोगों और मक़ामात के नाम को हिज्जे करना मुश्किल हो सकता है क्योंके उनमे से कई हदफ़ ज़बान में नामालूम हैं। इसको अपने हिज्जे की फ़ेहरिस्त में शामिल करना यक़ीनी बनाएँ।

हिज्जे की जाँच करने के लिए कंप्यूटर बड़े मददगार साबित हो सकते हैं। अगर आप किसी गेटवे ज़बान पर काम कर रहे हैं, तो वर्ड प्रोसेसर में पहले से ही लुग़त दस्तयाब हो सकती है। अगर आप किसी दूसरी ज़बान में तर्जुमा कर रहे हैं, तो आप वर्ड प्रोसेसर की तलाश करें-और-तब्दील करें ख़ुसूसियत का इस्तेमाल ग़लत हिज्जे के अल्फ़ाज़ को ठीक करने के लिए कर सकते हैं। पैरामतन में भी हिज्जे की जाँच की ख़ुसूसियत मौज़ूद है जो तमाम अल्फ़ाज़ के मुख्तलिफ़ हिज्जे की तलाश करेगा। यह इन्हें आपको पेश करेगा और फिर आप चुन सकते हैं के कौन से हिज्जे को इस्तेमाल करने का फ़ैसला आपने किया है।


यकसां औक़ाफ़

This section answers the following question: क्या तर्जुमा यकसां औक़ाफ़ इस्तेमाल करता है?

“औक़ाफ़” उन अलामतों से मुराद है जो इस बात की तरफ़ इशारा करते हैं के किस तरह किसी जुमले को पढ़ा या समझा जाना है। मिशालों में वक्फों के इशारे शामिल हैं जैसे कोमा या वक्फा और अलामत ए इक्तबास जो ख़तीब के ऐन अल्फ़ाज़ के इर्द गिर्द होते हैं। तर्जुमे को सहीह तौर से पढ़ने और समझने में कारी को क़ाबिल बनाने के लिए, यह अहम है के आप यकसां तौर पर औक़ाफ़ का इस्तेमाल करें।

तर्जुमा करने के पहले, तर्जुमा टीम को औक़ाफ़ के तरीक़ों पर फ़ैसले करने की ज़रुरत होगी जिसे आप तर्जुमे में इस्तेमाल करेंगे। औक़ाफ़ के उस तरीक़े को अपनाना सबसे आसान हो सकता है जिनका इस्तेमाल क़ौमी ज़बान करती है, या जो क़ौमी ज़बान बाईबल या मुताल्लिक़ ज़बान बाईबल इस्तेमाल करती है। एक दफ़ा जब टीम किसी तरीक़े का फ़ैसला कर लेती है, तो यक़ीनी बनायें के हर एक इसकी पैरवी करे। मुख्तलिफ़ अलामत ए इक्तबास को इस्तेमाल करने के सहीह तरीक़ों की मिशालों के साथ टीम के हर एक अरकान को रहनुमा परचा तक़सीम करना मददगार साबित हो सकता है।

यहाँ तक के रहनुमा परचा के साथ भी, मुतर्जमीन के लिए औक़ाफ़ में ग़लती करना आम बात है। इस वजह से, एक किताब तर्जुमा होने के बाद, हम इसे पैरामतन में दरामद करने का मशवरा देते हैं। आप पैरामतन में हदफ़ ज़बान में औक़ाफ़ के क़वायद दाख़िल कर सकते हैं, फिर मुख्तलिफ़ औक़ाफ़ जाँच जो इसमें है उसे चलायें। पैरमतन उन तमाम जगहों की फ़ेहरिस्त बनाएगा जहाँ यह औक़ाफ़ में गलतियाँ पाता है और उन्हें आप को दिखाएगा। फिर आप इन जगहों की नज़रसानी कर सकते हैं और देख सकते हैं के वहाँ कोई ग़लती है या नहीं। अगर कोई ग़लती है आप उसे ठीक कर सकते हैं। इन औक़ाफ़ जाँचों को चलाने के बाद, आप पुर ऐतिमाद हो सकते हैं के आपका तर्जुमा सहीह तरीक़े से औक़ाफ़ का इस्तेमाल कर रहा है।


मुकम्मल तर्जुमा

This section answers the following question: क्या तर्जुमा मुकम्मल है?

एक मुकम्मल तर्जुमा

इस हिस्से का मक़सद इस बात को यक़ीनी बनाना है के तर्जुमा मुकम्मल है। इस हिस्से में, लाज़मी है के नये तर्जुमे को माख़ज़ तर्जुमे से मोवाज़ना किया जाए। जैसा के आप दोनों तर्जुमे का मोवाज़ना करते हैं, ख़ुद से ये सवालात पूछें:

  1. क्या तर्जुमे में इसका कोई हिस्सा ग़ायब है? दूसरे अल्फ़ाज़ में, क्या तर्जुमे में उस किताब के सारे वाक़यात शामिल हैं जिसका तर्जुमा किया गया था?
  2. क्या तर्जुमे में उस किताब के सारे आयात शामिल हैं जिसका तर्जुमा किया गया था? (जब आप माख़ज़ ज़बान तर्जुमे की आयत नम्बर पर गौर करते हैं, क्या माख़ज़ ज़बान तर्जुमे में सारे आयात शामिल हैं?) बाज़ औक़ात तर्जुमो के दरमियान आयत नंबर में इख्तेलाफ़ात होते हैं। मिशाल के तौर पर, बाज़ तर्जुमों में बाज़ आयात को एक साथ जोड़ा जाता है या बाज़ औक़ात कुछ आयात को हाशिये में रखा जाता है। अगरचे इन क़िस्मों के इख्तेलाफ़ात माख़ज़ तर्जुमा और हदफ़ तर्जुमा के दरमियान हो सकते हैं, फिर भी हदफ़ तर्जुमा को मुकम्मल समझा जाता है। दीगर मालूमात के लिए, देखें मुकम्मल क़ाफ़िया बन्दी.
  3. क्या तर्जुमे में ऐसी कोई जगह है जहाँ लगता है के कुछ छूट गया है, या ऐसा लगता है के माख़ज़ ज़बान तर्जुमे में पाए जाने वाले पैग़ाम से मुख्तलिफ़ पैग़ाम मौज़ूद है? (अल्फ़ाज़ और तरतीब मुख्तलिफ़ हो सकते हैं, लेकिन ज़बान जिसे मुतर्जिम ने इस्तेमाल किया है उसे वही पैग़ाम देना चाहिए जैसा माख़ज़ ज़बान तर्जुमे में है।)

अगर कोई ऐसी जगह है जहाँ तर्जुमा मुकम्मल नहीं है, तो इसका एक नोट बनाएँ ताके आप इस पर तर्जुमा टीम के साथ गुफ़्तगू कर सकें।


मुकम्मल क़ाफ़ियाबन्दी

This section answers the following question: क्या कोई आयत तर्जुमे में ग़ायब हैं?

यह अहम है के आपके हदफ़ ज़बान तर्जुमे में वो तमाम आयात शामिल हों जो माख़ज़ ज़बान बाईबल में हैं। हम नहीं चाहते के ग़लती से कुछ आयात ग़ायब हो जाएँ। लेकिन याद रखें के इस बात की कोई अच्छी वजह हो सकती है के क्यों बाज़ बाईबल में कुछ ऐसी आयात हैं जो दूसरे बाईबल में नहीं हैं।

गुमशुदा आयात की वजूहात

  1. मतनी मुतग़यूरात - कुछ ऐसी आयात हैं जिनके बारे में बाईबल के कई उलेमा यक़ीन नहीं रखते के वो बाईबल में असल तौर पर थीं, बल्के बात में शामिल की गयी थीं। लिहाज़ा कुछ बाईबल के मुतर्जमीन उन आयात को शामिल न करना चुनते हैं, या उन्हें हाशिये के तौर पर शामिल करते हैं। (इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें मतनी मुतग़यूरात.) आपकी तर्जुमा टीम को यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के आप इन आयात को शामिल करेंगे या नहीं।
  2. मुख्तलिफ़ एदादी - कुछ बाईबल दूसरे बाईबल के मुक़ाबले आयत शुमारी का मुख्तलिफ़ निज़ाम इस्तेमाल करती हैं। (इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें बाब और आयत एदाद.) आपकी तर्जुमा टीम को यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के कौन सा निज़ाम इस्तेमाल करना है।
  3. आयत पुल - बाईबल के कुछ तर्जुमों में दो या ज़ियादा आयात के मवाद को दोबारा तरतीब दिया जाता है ताके मालूमात की तरतीब ज़ियादा मन्तक़ी या समझने में आसान हो। जब ऐसा होता है तो, आयत एदाद को मुत्तहिद किया जाता है, जैसे 4-5 या 4-6. बाज़ औक़ात UST ऐसा करती है। क्योंके सारे आयत एदाद ज़ाहिर नहीं होते या वो वहाँ ज़ाहिर नहीं होते जहाँ आप उन्हें होने की तवक्को करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे कुछ आयत ग़ायब हैं। लेकिन उन आयात के मवाद वहाँ हैं। (इसकी बाबत मज़ीद मालूमात के लिए, देखें आयत पुल.) आपकी तर्जुमा टीम को यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के आयत पुल का इस्तेमाल करें या नहीं।

ग़ायब आयात के लिए जाँच

अपने तर्जुमे के ग़ायब आयात की जाँच करने के लिए, किसी किताब का तर्जुमा हो जाने के बाद, तर्जुमे को पैरामतन में दरामद करें। फिर “बाब/आयत एदाद” के लिए जाँच को चलायें। पैरामतन आपको उस किताब में हर जगह की एक फ़ेहरिस्त देगा जिसे यह ग़ायब आयात के तौर पर पायेगा। फिर आप हर उन जगहों को देख सकते हैं और फ़ैसला कर सकते हैं के क्या आयत ऊपर के तीन वजूहात में से एक की वजह से किसी मक़सद से ग़ायब है, या यह ग़लती से ग़ायब है और आपको वापस जाने और उस आयत को तर्जुमा करने की ज़रुरत है।


हिस्से की सुर्ख़ियाँ

This section answers the following question: हमें किस क़िस्म की सुर्ख़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए?

हिस्से की सुर्ख़ियों की बाबत फ़ैसले

फ़ैसलों में से एक जो तर्जुमा टीम को करना होगा ये है के हिस्से की सुर्ख़ियों का इस्तेमाल करें या नहीं। हिस्से की सुर्ख़ियाँ बाईबल के हर हिस्से के उनवान की तरह होती हैं जो एक नये मौज़ू की शुरुआत करती हैं। हिस्से की सुर्ख़ियाँ लोगों को यह जानने देती है के वह हिस्सा किस बारे में है। बाज़ बाईबल के तर्जुमे उनका इस्तेमाल करती हैं, और दूसरी नहीं करतीं। आप क़ौमी ज़बान में बाईबल के अमल की पैरवी करना चाह सकते हैं जो ज़ियादातर लोग इस्तेमाल करते हैं। आप यह भी जानना चाहेंगे के ज़बान बिरादरी क्या तरजीह देती है।

हिस्से की सुर्ख़ियों का इस्तेमाल करने के लिए मज़ीद काम की ज़रुरत होती है, क्योंके आपको बाईबल के मतन के अलावा हर एक को लिखना या तर्जुमा करना पड़ेगा। यह आपके बाईबल के तर्जुमे को तवील भी बनाता है। मगर हिस्से की सुर्ख़ियाँ आपके कारअीन के लिए बहुत मददगार हो सकती हैं। हिस्से की सुर्ख़ियाँ यह ढूँढना बहुत आसान कर देती हैं के बाईबल मुख्तलिफ़ चीज़ों के बारे में कहाँ बात करती है। अगर कोई शख्स ख़ास तौर पर किसी चीज़ की तलाश कर रहा है, तो वह सिर्फ़ उस हिस्से की सुर्ख़ियों को पढ़ सकता है जब तक के उसे वह न मिल जाए जो उस मज़मून का तार्रुफ़ कराता हो जिस के बारे में वह पढ़ना चाहता है। फिर वह उस हिस्से को पढ़ सकता है।

अगर आपने हिस्से की सुर्ख़ियों को इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया है, फिर आपको यह फ़ैसला करने की ज़रुरत होगी के किस क़िस्म का इस्तेमाल करना है। फिर, आप यह जानना चाहेंगे के ज़बान बिरादरी किस क़िस्म के हिस्से की सुर्ख़ियों को तरजीह देती है, और आप क़ौमी ज़बान की अन्दाज़ पर अमल करने का भी इन्तखाब कर सकते हैं। उस क़िस्म के हिस्से की सुर्ख़ी का इस्तेमाल यक़ीनी बनाएँ जिस को लोग समझेंगे के यह उस मतन का हिस्सा नहीं है जिसका यह तार्रुफ़ कराता है। हिस्से की सुर्ख़ी सहीफ़े का हिस्सा नहीं है; यह सहीफ़े के मुख्तलिफ़ हिस्सों के लिए सिर्फ़ एक रहबर है। आप हिस्से की सुर्ख़ी के पहले और बाद में जगह रखकर और एक मुख्तलिफ़ क़िस्म के साँचे के हरूफ़ (हरूफ़ों का अन्दाज़), या हरूफ़ों के मुख्तलिफ़ नाप का इस्तेमाल करके यह बात वाज़े कर सकते हैं। देखें किस तरह क़ौमी ज़बान में बाईबल इसे करती है, और ज़बान बिरादरी के साथ मुख्तलिफ़ तरीक़ों की जाँच करें।

हिस्से की सुर्ख़ियों की क़िस्में

हिस्से की सुर्ख़ियों की कई मुख्तलिफ़ क़िस्में हैं। यहाँ कुछ मुख्तलिफ़ क़िस्में हैं, मिशाल के साथ के किस तरह हर एक मरकुस 2:1-12 में नज़र आएगा:

  • ख़ुलासा बयान: “एक मफ़्लूज आदमी को शिफ़ा देने के ज़रिये, यिसू ने गुनाहों को मुआफ़ करने के साथ साथ शिफ़ा बख्शी करने के लिए भी अपनी इख्तियार का मुज़ाहिरा किया।” यह हिस्से के मरकज़ी नुक़ते का ख़ुलासा पेश करने की कोशिश करता है, और पस यह एक पूरे जुमले में ज़ियादा से ज़ियादा मालूमात फ़राहम करता है।
  • वाज़ाहती तब्सरा: “यिसू एक मफ़्लूज आदमी को शिफ़ा देता है।” यह भी एक मुकम्मल जुमला है, लेकिन कारअीन को याद दिलाने के लिए बस इतनी मालूमात फ़राहम करता है के कौन सा हिस्सा मुन्दर्जा ज़ैल है।
  • मक़ामी हवाला: “मफ़्लूज का इलाज।” यह बहुत मुख़्तसर होने की कोशिश करता है, सिर्फ़ कुछ अल्फ़ाज़ का लेबल देता है। यह जगह बचा सकता है, लेकिन शायद सिर्फ़ उन लोगों के लिए मुफ़ीद है जो पहले से बाईबल को अच्छी तरह से जानते हैं।
  • सवाल: “क्या यिसू को शिफ़ा देने और गुनाहों को मुआफ़ करने का इख्तियार है?” यह एक ऐसा सवाल पैदा करता है जिसका जवाब हिस्से में मौज़ूद मालूमात देता है। बाईबल के बारे में बहुत सारे सवालात रखने वाले अफ़राद को यह ख़ासतौर पर मददगार साबित हो सकता है।
  • “के बारे में” तब्सरा: “यिसू का एक मफ़्लूज आदमी को शिफ़ा देने के बारे में।” इससे यह वाज़े होता है के यह आपको वह बताने की कोशिश कर रहा है हिस्सा जिसके बारे में है। यह वही हो सकता है जो यह देखना सबसे आसान बना देता है के सुर्ख़ी सहीफ़ा के अल्फ़ाज़ का हिस्सा नहीं है।

जैसा के आप देख सकते हैं, कई मुख्तलिफ़ क़िस्मों के हिस्सों की सुर्ख़ियाँ बनाना मुमकिन है, मगर उन सब का एक ही मक़सद है। वो सब कारी को मुन्दर्जा ज़ैल बाईबल के हिस्से की मरकज़ी मौज़ू के बारे में मालूमात देते हैं। बाज़ मुख़्तसर हैं, और बाज़ तवील हैं। बाज़ सिर्फ़ थोड़ी सी मालूमात देते हैं, और बाज़ मज़ीद देते हैं। आप मुख्तलिफ़ क़िस्मों के साथ तजुरबा करना चाह सकते हैं, और लोगों से पूछें के उनके ख़याल में कौन से क़िस्म उनके लिए सबसे ज़ियादा मददगार है।


अशाअत

This section answers the following question: हमारा तर्जुमा दरवाज़ा43 और अफ़शाएकलाम पर कैसे शायेअ हो सकता है?

दरवाज़ा43 और अफ़शाएकलाम.बाईबल पर अशाअत

  • तर्जुमे और जाँच के पूरे अमल के दौरान, तर्जुमे का मुसव्वदा सारिफ़ नाम के तहत जिसे आपने दरवाज़ा43 वेबसाइट पर चुना है, एक ज़ख़ीरे में अपलोड होगा और बरक़रार रख्खा जायेगा। यही है जहाँ तर्जुमास्टूडियो और तर्जुमाकोर मुसव्वदे को भेजते हैं जब आप उनसे अपलोड करने को कहते हैं।
  • जब जाँच मुकम्मल हो चुका हो और दरवाज़ा43 पर तर्जुमे में तमाम मुनासिब तरमीम किये जा चुके हों, तब जाँचने वाले या कलीसिया के रहनुमा अफ़शाएकलाम को अपनी शायेअ करने की ख्वाहिश से आगाह करेंगे, और अफ़शाएकलाम को तस्दीक़ के दस्तावेज़ात फ़राहम करेंगे के पासबान, बिरादरी, और [कलीसियाई नेटवर्क के रहनुमा] तस्दीक़ करते हैं के तर्जुमा क़ाबिल ए ऐतिमाद है। दस्तावेज़ात में अफ़शाएकलाम तर्जुमा हिदायतनामा और अफ़शाएकलाम [ईमान के बयान] की तस्दीक़ भी होती हैं। तवक्को की जाती है के तमाम तर्जुमा शुदा मवाद ईमान के बयान के इलाहियात के मुताबिक़ हैं और तर्जुमा हिदयातनामे के तरीक़ों और उसूलों की पैरवी किये हैं। अफ़शाएकलाम में तर्जुमों की दुरुस्तगी या असबात के तस्दीक़ का कोई तरीक़ा नहीं है, और इसलिए कलीसियाई नेटवर्क्स की रहनुमाई की सालमियत पर इन्हिसार करता है।
  • इन असबात को हासिल करने के बाद, अफ़शाएकलाम उस तर्जुमे की एक कॉपी बनाएगा जो दरवाज़ा43 पर है, डिजिटल तौर पर इसकी एक मुस्तहकम कॉपी अफ़शाएकलाम वेबसाइट पर शायेअ करेगा (देखें http://unfoldingword.bible) और इसे अफ़शाएकलाम मोबाइल एप पर दस्तयाब करेगा। एक छपने के लिए तैयार PDF भी बनाया जायेगा और डाउनलोड के लिए दस्तयाब होगा। दरवाज़ा43 पर जाँचे हुए वर्ज़न को तब्दील करना मुमकिन रहेगा, जो आइन्दा जाँच और तरमीम की इजाज़त देगा।
  • अफ़शाएकलाम को माख़ज़ के वर्ज़न नंबर को जानने की भी ज़रुरत होगी जिसे तर्जुमे के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह नंबर तर्जुमे के लिए वर्ज़न नंबर में शामिल किया जायेगा ताके माख़ज़ की हालत और तर्जुमे पर नज़र रखना आसान हो जाए क्योंके वक़्त के साथ साथ यह दोनों बेहतर और तब्दील होते रहते हैं। वर्ज़न नंबर्स की बाबत मालूमात के लिए, देखें माख़ज़ मतन और वर्ज़न नंबर्स.

जाँचने वालों की जाँच

इस दस्तावेज़ में बयान करदा अमल और जाँच का ढाँचा इस बात पर इन्हिसार करता है के मवाद की जाँच और नज़रसानी एक मुसलसल जारी अमल है, जैसा के उस कलीसिया के ज़रिये तयशुदा है जो मवाद इस्तेमाल करता है। मवाद के इस्तेमाल करने वालों की सबसे बड़ी तादाद से ज़ियादा से ज़ियादा इनपुट के नज़रिए के साथ राय लूप की हौसलाअफज़ाई की जाती है (और जहाँ मुमकिन है, तर्जुमा सॉफ्टवेयर में नमूना दिया गया है)। इस वजह से तर्जुमे के प्लेटफ़ॉर्म (देखें http://door43.org) पर मवाद के तर्जुमे लाइन्तहा दस्तयाब होते रहते हैं ताके इस्तेमाल करने वाले इसे बेहतर बनाना जारी रख्खें। इस तरीक़े से, कलीसिया बाईबल का ऐसा मवाद तैयार करने के लिए मिलकर काम कर सकती है जो वक़्त के साथ साथ सिर्फ़ मयार में इज़ाफ़ा होता है।


ख़ुद-तशख़ीस सुर्ख़ी

This section answers the following question: मैं तर्जुमानी के मयार का माक़ूल तौर पर तशख़ीस कैसे कर सकता हूँ?

तर्जुमा के मयार की ख़ुद-तशख़ीस

इस हिस्से का मक़सद एक ऐसे अमल की वज़ाहत करना है जिस के ज़रिये कलीसिया मुअतबर तौर पर अपने लिए किसी तर्जुमे के मयार का तअीन कर सके। मुन्दर्जा जैल तशख़ीस का मक़सद तर्जुमे की जाँच के लिए कुछ इन्तहाई अहम तकनीक की तजवीज़ करना है, बजाय इसके के हर क़ाबिल ए फ़हम जाँच की वज़ाहत जिसकी मुलाज़मत हो सकती है। आख़िरकार, यह फ़ैसला कलीसिया को करना चाहिए के कौन सा जाँच, कब, और किसके ज़रिये इस्तेमाल किया जाता है।

तशख़ीस का इस्तेमाल कैसे करें

इस तशख़ीस के तरीक़े में दो तरह के बयानात लगाये जाते हैं। बाज़ “हाँ/ना” बयानात हैं जहाँ एक मनफ़ी जवाब किसी मसअले की तरफ इशारा करता है जिसे लाज़मी तौर पर हल किया जाना चाहिए। दूसरे हिस्से यकसां-वज़न वाला तरीक़ा इस्तेमाल करते हैं जो तर्जुमे की टीम और जाँचने वालों को तर्जुमे के बारे में बयानात फ़राहम करता है। हर बयान का हिसाब 0-2 पैमाने पर जाँच करने वाले शख्स (तर्जुमा टीम से शुरू करके) के ज़रिये किया जाना चाहिए:

0 - राज़ी नहीं

1 - किसी हद तक राज़ी

2 - बहुत ज़ियादा राज़ी

जायज़े के इख्तताम पर, एक हिस्से में तमाम जवाबों की कुल क़ीमत शामिल की जानी चालिए और, अगर जवाब सही तौर पर तर्जुमे की हालत पर अक्स डालते हैं, यह क़ीमत जायज़ा लेने वाले को इस इमकान का अन्दाज़ा फ़राहम करेगी के तर्जुमा शुदा बाब बेहतरीन मयार का है। सुर्ख़ी को आसान और जायज़ा लेने वाले को तशख़ीस करने का एक माक़ूल तरीक़ा फराहम करने के लिए बनाया गया है जहाँ काम में बेहतरी की ज़रुरत है। मिशाल के तौर पर, अगर तर्जुमा “दुरुस्तगी” में निस्बतन बेहतर है लेकिन “क़ुदरतीपन” और “वज़ाहत” में काफ़ी कम है, तब तर्जुमा टीम को मज़ीद बिरादरी जाँच की ज़रुरत है।

सुर्ख़ी तर्जुमा शुदा बाईबल मवाद के हर बाब के लिए इस्तेमाल होने के इरादे से है। तर्जुमा टीम को अपने दीगर जाँचों को ख़त्म करने के बाद हर बाब की तशख़ीस करनी चाहिए, और फिर दर्जा 2 के कलीसियाई जाँचने वालों को इसे दोबारा करना चाहिए, और फिर दर्जा 3 के जाँचने वालों को भी इस जाँच फ़ेहरिस्त के साथ तर्जुमे की तशख़ीस करनी चाहिए। चूँकि हर दर्जे पर कलीसिया के ज़रिये बाब की मज़ीद तफ्सीली और वसीअ जाँच की जाती है, इसलिए बाब के नुकतों को पहले चार हिस्सों (जायज़ा, क़ुदरतीपन, वज़ाहत, दुरुस्तगी) में से हर एक से अपडेट करना चाहिए, जो कलीसिया और बिरादरी को यह देखने की इजाज़त देता है के तर्जुमा किस तरह बेहतर हो रहा है।

ख़ुद-तशख़ीस

अमल को पाँच हिस्सों में तक़सीम किया गया है: जायज़ा (तर्जुमे के ख़ुद के बारे में मालूमात), क़ुदरतीपन, वज़ाहत, दुरुस्तगी, और कलीसिया मंज़ूरी

1. जायज़ा
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “नहीं” या “हाँ” का दायरा लगाएँ।*

नहीं | हाँ यह तर्जुमा मानी पर मबनी तर्जुमा है जो असल मतन के मानी को क़ुदरती, वाज़े, और दुरुस्त तरीक़े से हदफ़ ज़बान में इत्तिला करने की कोशिश करता है।

नहीं | हाँ जो तर्जुमे की जाँच में शामिल हैं वो हदफ़ ज़बान के पहली-ज़बान बोलने वाले हैं।

नहीं | हाँ इस बाब का तर्जुमा ईमान के बयान के साथ रज़ामन्दी में है।

नहीं | हाँ इस बाब का तर्जुमा, तर्जुमा हिदायतनामे के मुताबिक़ किया गया है

2. क़ुदरतीपन: “यह मेरी ज़बान है”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

इस हिस्से को मज़ीद बिरादरी जाँच के ज़रिये मज़बूत किया जा सकता है। (देखें ज़बान बिरादरी जाँच)

0 1 2 जो इस ज़बान को बोलते हैं और इस बाब को सुन चुके हैं वो इस बात से राज़ी हैं के इसका तर्जुमा ज़बान की सहीह सूरत इस्तेमाल करते हुए किया गया है।

0 1 2 जो इस ज़बान को बोलते हैं वो इस बात से राज़ी हैं के इस बाब में इस्तेमाल किये गए कलीदी अल्फ़ाज़ इस तहज़ीब के लिए पसन्दीदा और सहीह हैं।

0 1 2 इस बाब में तशरीह और कहानियाँ उन लोगों के लिए समझना आसान हैं जो इस ज़बान को बोलते हैं।

0 1 2 जो इस ज़बान को बोलते हैं वो इस बात से राज़ी हैं के इस बाब में जुमले की साख्त और मतन की तरतीब क़ुदरती है और सहीह तौर पर बहती है।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में वो बिरादरी अरकान शामिल थे जो इस बाब का तर्जुमा करने में रास्त तौर पर शामिल नहीं हुए।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में ईमानदार और ग़ैर-ईमानदार दोनों शामिल थे, या कम अज़ कम वो ईमानदार जो बाईबल से निस्बतन नावाक़िफ हैं ताके वह सुनने से पहले यह न जान सकें के मतन को क्या कहना है।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में इस ज़बान को बोलने वाले कई मुख्तलिफ़ उमर के गिरोह शामिल थे।

0 1 2 क़ुदरतीपन के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में आदमी और औरत दोनों शामिल थे।

3. वज़ाहत: “मानी वाज़े है”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

इस हिस्से को मज़ीद बिरादरी जाँच के ज़रिये मज़बूत किया जा सकता है। (देखें ज़बान बिरादरी जाँच)

0 1 2 इस बाब का तर्जुमा उस ज़बान का इस्तेमाल करते हुए किया गया है जिस पर मक़ामी बोलने वाले राज़ी हैं के इसे समझना आसान है।

0 1 2 इस ज़बान के बोलने वाले राज़ी हैं के इस बाब में सारे नामों, जगहों, और फ़अल ज़माना के तर्जुमे सहीह हैं।

0 1 2 इस बाब में तर्ज़ ए इज़हार इस तहज़ीब के लोगों के लिए मानी ख़ेज़ हैं।

0 1 2 इस ज़बान के बोलने वाले राज़ी हैं के जिस तरीक़े से इस बाब का साख्त किया है वह मानी से तवज्जो नहीं फेरता।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायजे में वो बिरादरी अरकान शामिल थे जो इस बाब का तर्जुमा करने में रास्त तौर पर शामिल नहीं हुए।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में ईमानदार और ग़ैर-ईमानदार दोनों शामिल थे, या कम अज़ कम वो ईमानदार जो बाईबल से निस्बतन नावाक़िफ हैं ताके वह सुनने से पहले यह न जान सकें के मतन को क्या कहना है।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में इस ज़बान को बोलने वाले कई मुख्तलिफ़ उमर के गिरोह शामिल थे।

0 1 2 वज़ाहत के लिए इस बाब के तर्जुमे के जायज़े में आदमी और औरत दोनों शामिल थे।

4. दुरुस्तगी: “तर्जुमा वही इत्तिला देता है जो असल माख़ज़ मतन ने इत्तिला दिया था”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

इस हिस्से को मज़ीद दुरुस्तगी जाँच के ज़रिये मज़बूत किया जा सकता है। (देखें दुरुस्तगी जाँच)

0 1 2 इस बाब के लिए माख़ज़ मतन में तमाम अहम अल्फ़ाज़ की एक मुकम्मल फ़ेहरिस्त का इस्तेमाल इस बात को यक़ीनी बनाने में मदद करने के लिए किया गया है के तर्जुमे में सारे अल्फ़ाज़ मौज़ूद हैं।

0 1 2 इस बाब में सारे अहम अल्फ़ाज़ सहीह तौर पर तर्जुमा किये गए हैं।

0 1 2 इस बाब में सारे अहम अल्फ़ाज़ यकसां तौर पर तर्जुमा किये गए हैं, साथ ही साथ दूसरे जगहों में भी जहाँ अहम अल्फ़ाज़ ज़ाहिर होते हैं।

0 1 2 ताक़तवर तर्जुमा दावों को शिनाख्त और हल करने के लिए पूरे बाब के लिए तशरीही वसाएल इस्तेमाल किये गए हैं, जिसमे नोट्स और तर्जुमाअल्फ़ाज़ शामिल हैं।

0 1 2 माख़ज़ मतन के तारीख़ी तफ्सीलात (जैसे नाम, जगह, और वाक़िये) को तर्जुमे में महफ़ूज़ किया गया है।

0 1 2 तर्जुमा शुदा बाब में हर तर्ज़ ए इज़हार के मानी को असल के इरादे के साथ मोवाज़ना और सफ़बन्द किया गया है।

0 1 2 तर्जुमे को उन मक़ामी बोलने वालों के साथ जाँच किया गया है जो तर्जुमा करने में शामिल नहीं थे और इस बात पर राज़ी हैं के तर्जुमा दुरुस्तगी से माख़ज़ मतन के मतलूबा मानी को इत्तिला करता है।

0 1 2 इस बाब के तर्जुमे को कम अज़ कम दो माख़ज़ मतनों से मोवाज़ना किया गया है।

0 1 2 इस बाब के किसी भी मानी की बाबत तमाम सवालात औत इख्तिलाफात को हल कर दिया गया है।

0 1 2 लुग़वी तअरीफ़ें और असल मतनों के इरादे की जाँच के लिए इस बाब के तर्जुमे को असल मतनों (इब्रानी, यूनानी, अरामी) से मोवाज़ना किया गया है।

5. कलीसिया की मंज़ूरी: “तर्जुमे की क़ुदरतीपन, वज़ाहत, और दुरुस्तगी उस कलीसिया ने मंज़ूर किया है जो यह ज़बान बोलती है”
  • जैल में हर बयान के लिए या तो “0” या “1” या “2” का दायरा लगाएँ।*

नहीं | हाँ वो कलीसिया रहनुमा जिन्होंने इस तर्जुमे की जाँच की है, हदफ़ ज़बान के मक़ामी बोलने वाले हैं, और इसमें कोई ऐसा भी शामिल है जो उन ज़बानों में से एक को अच्छी तरह समझता है जिसमे माख़ज़ मतन दस्तयाब है।

नहीं | हाँ इस बाब के तर्जुमे को ज़बान बिरादरी के लोगों आदमी और औरत, बूढ़े और नौजवान, दोनों ने जायज़ा कर लिया है और इस बात पर राज़ी हैं के यह क़ुदरती और वाज़े है।

नहीं | हाँ इस बाब के तर्जुमे को कम अज़ कम दो मुख्तलिफ़ कलीसियाई नेटवर्क्स के कलीसिया रहनुमाओं ने जायज़ा कर लिया है और इस बात पर राज़ी हैं के यह दुरुस्त है।

नहीं | हाँ इस बाब के तर्जुमे को कम अज़ कम दो मुख्तलिफ़ कलीसियाई नेटवर्क्स के रहनुमा या उनके मन्दूबीन ने जायज़ा कर लिया है और इस ज़बान में बाईबल के इस बाब की एक वफ़ादार तर्जुमे की हैसियत से इसकी तस्दीक़ की है।