Genesis 32

Genesis 32:3

कनान के मार्ग पर चलते हुए याकूब ने किसे सन्देश भेजा था?

कनान के मार्ग पर चलते हुए याकूब ने अपने भाई एसाव को सन्देश भेजा था।

Genesis 32:5

याकूब द्वारा यह सन्देश भेजने का कारण क्या था?

याकूब एसाव के अनुग्रह की दृष्टि चाहता था।

Genesis 32:7

याकूब को जब समाचार मिला कि एसाव चार सौ पुरूषों के साथ आ रहा है तब याकूब ने क्या किया?

याकूब डर गया और अपने लोगों को दो भागों में बांट दिया कि यदि एसाव आक्रमण करे तो दूसरा दल भाग जाये।

Genesis 32:8

याकूब को जब समाचार मिला कि एसाव चार सौ पुरूषों के साथ आ रहा है तब याकूब ने क्या किया?

याकूब डर गया और अपने लोगों को दो भागों में बांट दिया कि यदि एसाव आक्रमण करे तो दूसरा दल भाग जाये।

Genesis 32:11

याकूब ने यहोवा से क्या विनती की?

याकूब ने यहोवा से विनती की कि वह उसे एसाव के हाथों से बचा ले।

Genesis 32:12

याकूब ने यहोवा को उसकी कौन सी प्रतिज्ञा का स्मरण करवाया था?

याकूब ने यहोवा को स्मरण कराया कि उसने याकूब को समृद्धि प्रदान करने की और उसके वंशजों को समुद्री बालू के किनकों के समान बढ़ाने की प्रतिज्ञा की है।

Genesis 32:20

याकूब ने क्या सोचा कि वह अपने भाई एसाव को भेट भेजकर पूरा कर सकता है?

याकूब सोचता था की यह भेंट जो मेरे आगे-आगे जाती है, उसके द्वारा वह एसाव के क्रोध को शान्त करेगा कि जब वह उस से मिले तब वह उसे स्वीकार करेगा।

Genesis 32:22

याकूब उस रात अकेला कैसे रह गया था?

उसने अपनी पत्नी और दासियों को बच्चों के साथ यब्बोक नदी के पार भेज दिया था।

Genesis 32:24

उस रात सूर्योदय तक याकूब ने क्या किया?

याकूब एक पुरूष के साथ सुबह तक मल्ल युद्ध करता रहा।

Genesis 32:25

याकूब को वह पुरूष हरा न सका तो उसने क्या किया?

उस पुरूष ने याकूब की जांघ को छुआ;और याकूब की जाँघ की नस चढ़ गई।

Genesis 32:26

उस पुरूष को जाने देने से पूर्व याकूब ने क्या मांगा?

याकूब ने उसे विवश किया कि वह उसे आशीर्वाद दे।

Genesis 32:28

उस व्यक्ति ने क्या कहा उसके बाद याकूब किस नाम से बुलाया जाएगा?

उसने कहा कि याकूब का नाम अब इस्राएल होगा।

Genesis 32:30

याकूब ने क्या कहा कि उसने उस रात आमने-सामने देखा?

याकूब ने कहा कि उसने परमेश्वर को आमने-सामने देखा है।

Genesis 32:32

उस रात के बाद याकूब के साथ कैसा शारीरिक विकार सदा के लिए हो गया था?

उस रात के बाद याकूब अपनी जांघ की क्षति के कारण सदा के लिए लंगड़ाता रहा।