याकूब कनान देश में बस गया था।
यूसुफ ने अपने पिता को भाइयों के विषय अशुभ समाचार दिया था।
इस्राएल ने यूसुफ के लिए एक रंग बिरंगा अंगरखा बनवाया था।
यूसुफ के भाई उससे घृणा करने लगे थे और उसके साथ ठीक से बात भी नहीं करते थे।
यूसुफ ने स्वप्न में देखा कि उसका पूला सीधा खड़ा हो गया है और उसके भाइयों के पूलों ने उसके पूले को दण्डवत किया।
उसके भाई उससे और भी घृणा करने लगे।
यूसुफ ने स्वप्न देखा कि सूर्य, चांद और ग्यारह सितारे उसे दण्डवत कर रहे हैं।
सूर्य, चांद और सितारे यूसुफ के पिता, माता और भाइयों के प्रतीक थे।
याकूब ने यूसुफ को भेजा कि उसके भाइयों की कुशल की जानकारी लाकर उसे दे।
उन्होंने उसकी हत्या करके उसे एक गड्ढे में डाल देने की योजना बनाई।
रूबेन ने उनसे कहा कि वे यूसुफ को गड्डे में डाल दें कि वह बाद में उसे निकाल ले।
यूसुफ के भाइयों ने यूसुफ को इश्माएलियों के हाथ चाँदी के बीस टुकड़ों में बेच दिया।
यूसुफ को मिस्र ले जाया गया।
यूसुफ के भाइयों ने एक बकरी मारकर उसे रक्त में यूसुफ का वस्त्र रक्तरंजित करके याकूब को दिया।
यूसुफ के भाइयों ने एक बकरी मारकर उसे रक्त में यूसुफ का वस्त्र रक्तरंजित करके याकूब को दिया।
याकूब ने अपने वस्त्र फाड़े और टाट पहनकर कई दिन विलाप किया।
यूसुफ को मिस्र के फिरौन के एक अधिकारी, पोतीपर के हाथ बेच दिया।