वे पुरुष हारान के थे।
लाबान की पुत्री राहेल भी अपनी भेड़ों को लेकर कुएं पर आई थी।
याकूब ने कुएं के मुंह पर से पत्थर हटाया और भेड़ों को पानी पिलाया।
याकूब ने राहेल से कहा कि वह उसके पिता का परिजन है, तब राहेल दौड़कर घर गई और अपने पिता को समाचार दिया।
लाबान याकूब से भेंट करने के लिए दौड़कर गया और उसे गले लगाकर चूमा तथा उसे अपने घर ले आया।
लिआ: बड़ी पुत्री थी और उसकी आँखें धुंधली थीं, छोटी पुत्री राहेल थी रूपवती और सुन्दर थी।
लिआ: बड़ी पुत्री थी और उसकी आँखें धुंधली थीं, छोटी पुत्री राहेल थी रूपवती और सुन्दर थी।
उनमें समझौता हुआ कि राहेल को पाने के लिए याकूब सात वर्ष तक लाबान की सेवा करेगा।
सात वर्ष की सेवा याकूब को थोड़े ही दिनों के बराबर लगी क्योंकि याकूब राहेल से प्रेम करता था।
विवाह की रात लाबान ने याकूब को राहेल के स्थान में लिआ दी थी।
विवाह की रात लाबान ने याकूब को राहेल के स्थान में लिआ दी थी।
लाबान ने अपनी बेटी लिआ को उसकी दासी होने के लिये अपनी दासी जिल्पा दी।
विवाह की रात लाबान ने याकूब को राहेल के स्थान में लिआ दी थी।
लाबान ने याकूब से कहा कि पहिलौठी से पूर्व छोटी का विवाह करना उनकी प्रथा में नहीं था।
राहेल को पाने के लिए याकूब और सात वर्ष लाबान की सेवा करेगा।
लाबान ने बिल्हा को अपनी बेटी राहेल की दासी होने के लिये दिया।
यहोवा ने लिआ को सन्तानोत्पति की क्षमता दी परन्तु राहेल निःसंतान रही।
लिआ सोचती थी कि यदि वह पुत्रों को जन्म देगी तो याकूब उससे प्रेम करेगा।
लिआ के पहले बेटे का नाम रूबेन था।
लिआ ने यहूदा को जन्म देने के बाद कहा, “अब की बार तो मैं यहोवा का धन्यवाद करूँगी।”