परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की रचना की थी।
परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मंडराता था।
परमेश्वर ने कहा, "उजियाला हो"।
परमेश्वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल को और उसके ऊपर के जल को अलग-अलग किया।
परमेश्वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल को और उसके ऊपर के जल को अलग-अलग किया।
परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा इकट्ठे हुए जल को उसने समुद्र कहा।
परमेश्वर ने पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष तीसरे दिन रचा।
परमेश्वर ने पृथ्वी से हरी घास, तथा बीजवाले छोटे-छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष तीसरे दिन रचा।
वे दिन को रात से अलग करने और नियत समयों, दिनों, और वर्षों का कारण है।
परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं और तारागण को भी बनाया।
पांचवे दिन परमेश्वर ने पानी के प्राणियों की और पक्षियों की रचना की।
फूलो-फलो और बढ़ जाओं।
परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप में बनाया है।
परमेश्वर ने मनुष्यों कप समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार दिया।
परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उसकी समानता में बनाया था।
फूलो-फलो और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो।
बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ और बीज वाले फल उन्हें भोजन हेतु दिए थे।
परमेश्वर ने सब कुछ देखकर सोचा, “वह बहुत ही अच्छा है।”