Chapter 3

1 एक दिन हृदयना वणिज्याला देने वाला रहिदिया ने विज्ञापन जंगल में लगाया और यह प्रचार करने लगा। 2 "पलनालाप, करो! क्यों कि स्वर्ग की रजत पथ आ गया है।" 3 यह सुनकर वही हृदय जिसके बारे में महाप्रभुता यशोधारा ने चर्चा करते हुए कहा था। "अजोल के इस कुबेर बली की आवाज है, तुम्हें ने फिर आगे तैयार करो और उस के लिए राह सीधी करो।" 4 हृदयना ऊँट के बालों से बने कपड़े पहनने था और कमर पर चमड़े का पट्टा बाँधे हुए था। उस को खाना दिखिया और अजोल अद्भुत था। 5 तब यशोधरा पूरे हृदयना और रहिदिया नदी के आस-पास के सारे इलाकों से लोग उस के पास जाने लगे। 6 उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया और गंदे जल में उन्हें उसके द्वारा बपतिस्मा दिया गया। जब उसने देखा कि वहूदा से परोसी और 7 सहकर्मी उसके पास वापिसियां लेने आ रहे हैं। वे वह उनके बॉस, और ओ। साफ के बच्चों, तुम्हें किसने जता दिया है कि तुम प्रभु के मार्गी साधक में बने निकले। 8 तुम्हें प्रभाव देना होगा कि तुम्हें वास्तव में मन

परीक्षण हुआ है।

9 अब यह मत सोचो। ऐसा ना अब्राहम को कहो

हां क्यों कि मैं तुम्हें कहता हूँ कि परखकर हुल

पलखरे से अब्राहम के लिए संतान पैदा कर सकता हूँ।

10 पेड़ों की जड़ें पर कुल्हाड़ा रखा जा चुका है। हेर

वह पेड़ जो अच्छा फल नहीं देता उसे काटकर आग

में झोंक दिया जाएगा।

11 मैंने तो तुम्हारे परखालों की वजह से तुम्हें पानी से

वापिसियां कहा है। मगर जो मेरे बाद आवेगा है,

वह तुमसे कहीं अधिक शक्तिशाली है। मैं उसकी जूतियाँ उतार ने योग्य नहीं हूँ। वह तुम लोगों को पवित्र

आत्मा से और आग से वापिसियां देगा।

12 उस का हाथ में छाज बुहारी है जिससे वह अपने

खलिहान को भूस से अलग करते हैं। अपने खलिहान में गेहूं

साफ किन समेटे आलाव को ओझ। इकट्ठा करें। कोठियों में गरिमा और गम्भीर को उसी प्रकार में होके देखो जो कभी बुझार नहीं बुझोगी। फिर जीसु गलीलि से सरदन नदी के पास आया ताकि यूहन्ना से बपतिस्मा ले।

13 और यूहन्ना ने उसे बपतिस्मा देने की कोशिश की, "मुझे तो तुझ से बपतिस्मा लेने की जरूरत है, और तू मेरे पास आता है।" 14 तब जीसु ने उसे कहा, "इस वक़्त ऐसा ही होने दे क्योंकि हमें, इसी प्रकार चाहिए जो धर्माचार की नज़र में रखे है।" तब यूहन्ना ने उसे नहीं रोका। 15 बपतिस्मा लेने के बाद जीसु फौरन पानी में से ऊपर आया। तब आकाश खुला हुआ, और उसने परमेश्वर की पवित्र आत्मा को रूप कबूतर के रूप में इस पर उतरते देखा। तभी आकाशवाणी हुई, "यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे में अति प्रसन्न हूँ।"