chapter 1

1 इससे वह मनुष्य उस वृक्ष जैसा सुदृढ़ बनता है

जिसको जलधार के किनारे रोपा गया है।

वह उस वृक्ष

2 समान है, जो उचित समय में फलता

और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।

वह जो भी करता है सफल ही होता है।

किन्तु दुष्ट जन

3 ऐसे नहीं होते।

दुष्ट जन उस भूसे के समान होते हैं जिन्हें पवन का झोका उड़ा ले जाता है।