Key Terms

, क़ुर्बानगाहें, क़ुर्बानगाह

ता’अर्रुफ़:

क़ुर्बानगाहएक पत्थर की तरह ऊँचा मक़ाम होता था जिस पर इस्राईली ख़ुदावन्द के लिए जले हुए जानवर या अनाज जला करके क़ुर्बान करते थे‏ ‏,

किताब-ए-मुक़द्दस के वक़्त में मिट्टी या बड़े-बड़े पत्थरों को एक साथ रखकर टीला सा बनाया जाता था।

  • कुछ ख़ास क़ुर्बानगाहें लकड़ी के बक्से जैसी बनाई जाती थी जिन पर सोना, पीतल या कांसा चढ़ाया जाता था।
  • इस्राईल के पड़ोस की क़ौमें भी अपने मा'बूदों के लिए क़ुर्बानगाहें बनाती थी।

(यह भी देखें: \ खुश्बू जलाने की क़ुर्बानगाह झूठे मा'बूद अनाज की क़ुर्बानी क़ुर्बान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

कलाम की कहानियों से मिसाल:

  • 03:14 उसने एक क़ुर्बानगाह बनाई, जिसे क़ुर्बानी के लिये इस्तेमाल किया जा सके और सभी तरह के जानवरों को क़ुर्बान किया।
  • 05:08 जब वह क़ुर्बानी की जगह पर पहुंच गए, तो इब्राहीम ने अपने बेटे इस्हाक़ को बांध दिया और उसे क़ुर्बानगाह पर रख दिया।
  • 13:09 एक इमाम ने जानवर को मारकर उसे क़ुर्बानगाह पर जला दिया
  • 16:06 उसने(गिदोन) एक नई क़ुर्बानगाह बनाई जो ख़ुदावन्द यहोवा के लिए बनाई वह पहले मा'बूदों के बुतों की क़ुर्बानगाह के पास पेश किया जाता था और उसमें मा'बूदों को क़ुर्बानी दी जाती थी ।

शब्दकोश:

  • Strong's: H741, H2025, H4056, H4196, G1041, G2379

'इबादतख़ाना

ता'अर्रुफ़:

“इबादतख़ाना” वह मक़ाम था जहाँ यहूदी लोग ख़ुदा की 'इबादत के लिए एक साथ मिलते थे।

  • पुराने वक़्त से, एक इबादतख़ाना की ख़िदमतों में दुआओं के वक़्त ,सहीफ़ा पढ़ना, और सहीफ़ों के बारे में ता'लीम शामिल है।
  • यहूदियों ने बुनियादी तौर से इबादतख़ानों को अपने ही शहरों में दु'आ करने और 'इबादत करने के लिए ता'मीर करना शुरू' किया, क्यूँकि उनमें से बहुत से यरूशलीम की हैकल से बहुत दूर रहते थे।
  • 'ईसा हमेशा इबादतख़ाने में ता'लीम देते थे और लोंगों को अच्छा करते थे।
  • “इबादतख़ाना” का ख़ुलासा वहाँ 'इबादत करने वाले झुण्ड से भी हो सकता है।

(यह भी देखें: अच्छा करना, यरूशलीम, यहूदी, दु'आ करना, हैकल, ख़ुदा का कलाम, ‘इबादत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4150, G656, G752, G4864

'ईसा , 'ईसा मसीह, मसीह 'ईसा

सच्चाई:

'ईसा ख़ुदावन्द का बेटा है। “'ईसा ” नाम का मतलब है, “यहोवा बचाता है” “मसीह” एक लक़ब है जिसका मतलब है, “मसह किया हुआ ” इसका दूसरा लफ़्ज़ है, “मसीहा”

यह दोनों नाम हमेशा साथ-साथ रखे गए हैं, “मसीह 'ईसा ” या “'ईसा मसीह”। इन नामों से ताक़त दी गई है कि ख़ुदावन्द का बेटा मसीह है जो लोगों को गुनाहों की हमेशा की सज़ा से बचाने आया था।

  • पाक रूह ने मो'जिज़े के तौर से ख़ुदावन्द के हमेशा के बेटे को इन्सानी शक्ल में पैदा किया। उसकी माँ से फ़रिश्ते ने कहा था कि उसका नाम “'ईसा ” रखा जाए क्यूँकि उसके तसव्वुर में लोगों को गुनाहों से बचान था।
  • 'ईसा ने हर एक मो'जिज़े वाले काम किए जिससे साबित हो गया था कि वह ख़ुदावन्द है और वह ख़ुदा या मसीह है।

तर्जुमा की सलाह:

  • हर एक ज़बानों में “'ईसा ” और “मसीह” के नाम ऐसे काम में ली जाती है कि उसका अदाइगी असल तौर के क़रीब हो। मिसाल के तौर पर, “’ईसा मसीह ”, “ईसा मसीह”, “ईसा मसीह” और “मसीह” ये कुछ ऐसे तरीक़े हैं जो इन नामों को अलग-अलग ज़बानों में तर्जुमा करते हैं।
  • “मसीह” लफ़्ज़ के लिए कुछ तर्जुमा सही “मसीह” लफ़्ज़ था उसकी शक्ल काम में लाते हैं।
  • मक़ामी या क़ौमी ज़बान में भी इन लफ़्ज़ों की हिज्जे पर तवज्जोह दें।

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: मसीह, ख़ुदावन्द, बाप ख़ुदावन्द, सरदार-काहिन, ख़ुदावन्द की बादशाही, मरियम, मुन्जी, ख़ुदावन्द का बेटा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 22:04 फ़रिश्ते ने उससे कहा, “तू हामला होगी, और तेरे एक बेटा पैदा होगा। तू उसका नाम __'ईसा __ रखना और वह मसीहा होगा।”
  • 23:02 "तू उसका नाम __'ईसा __ रखना (जिसका मतलब है, 'यहोवा बचाता है' )क्यूँकि वह अपने लोगों का उनके गुनाहों से नजात करेगा।"
  • 24:07 तो यहून्ना ने उनको ('ईसा ) बपतिस्मा दिया,जैसा कि __'ईसा __ ने कभी गुनाह नहीं किया था।
  • 24:09 सिर्फ़ एक ही ख़ुदावन्द है। लेकिन जब यूहन्ना ने __'ईसा __ को बपतिस्मा दिया, बाप ख़ुदावन्द को कहते सुना, __'ईसा __ बेटे को देखा, और पाक रूह को भी देखा।
  • 25:08'ईसा __ शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया,
  • 26:08 फिर __'ईसा __ गलील के पूरे 'इलाक़े में होकर फिरने लगा, और बड़ी भीड़ उसके पास आई। वह 'ईसा के पास बहुत से लोगों को लाए जो कई बीमारियों से बीमार थे, उनमें लंगड़े थे, और वह लोग थे, जो देख नहीं सकते, चल नहीं सकते, सुन नहीं सकते थे जो बोल नहीं सकते और इन सभी को __'ईसा __ ने अच्छा किया।
  • 31:03 'ईसा __ ने अपनी दु'आ पूरी की और वह शागिर्दों के पास चला गया। वह झील पर चलते हुए उनकी नाव कीतरफ़ आया।
  • 38:02 वह(यहूदा) जानता था कि यहूदी उस्तादों ने __'ईसा __ को मसीहा के शक्ल में क़ुबूल नहीं किया था और वह उसे क़त्ल कर डालने का मन्सूबा बना रहे थे।
  • 40:08 अपनी मौत के जरिए’__ 'ईसा __ ने लोगों के लिये ख़ुदावन्द के पास आने का रास्ता खोल दिया।
  • 42:11 ” ख़ुदा__ 'ईसा __ आसमान पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी आँखों से छिपा लिया। __'ईसा __ सब बातों पर हुकूमत करने के लिए ख़ुदावन्द की दाहिनी तरफ़ बैठ गया।
  • 50:17 __'ईसा __ और उसके लोग नई ज़मीन पर रहेंगे, और यहाँ जो कुछ भी पाया जाता है उसपर हमेशा बादशाही करेंगे। वह हर आँसू पोंछ देगा और फिर वहाँ कोई दुख, उदासी, रोना, बुराई, दर्द, या मौत नहीं होगी। __'ईसा __ अपनी बादशाही पर अमन व इन्साफ़ के साथ हुकूमत करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: G2424, G5547

‘अज़ीम ख़ुदावन्द

सच्चाई:

“‘अज़ीम ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ ख़ुदावन्द का लक़ब है। इसके बारे में उसकी 'अज़मत और इख्तियार से है।

इस लफ़्ज़ का मतलब “ख़ुद मुख़तारी” या “'आला ” जैसा ही है।

  • इस लक़ब में ऊँचा का मतलब जिस्मानी ऊँचाई या दूरी से नहीं है। इसका मतलब 'अज़मत से है।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “‘अज़ीम ख़ुदावन्द ख़ुदा” या “ बुलन्द जानदार ” या “'आला ख़ुदावन्द” या “सबसे बड़ा” या “ऊँचा” या “सबसे बड़ा ख़ुदावन्द ”
  • अगर “ऊँचा” लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया गया तो साबित करें कि उसका मतलब ऊँचाई या लम्बाई न हो।

(यह भी देखें: ख़ुदावन्द)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5945, G5310

‘अहद का सन्दूक़, यहोवा का सन्दूक़

ता'अर्रुफ़:

यह लफ़्ज़ एक ख़ास लकड़ी के सन्दूक़ के लिए है, जिस पर सोने की चादर चढ़ाई हुई थी। उसमें दस हुक्मों की पत्थर की दो तख्तियाँ थी। उसमें हारून की लाठी और मन्ना का मर्तबान भी था।

  • सन्दूक़ का तर्जुमा “बक्सा”, "पेटी" और "तिजोरी" भी किया जा सकता है।

इस सन्दूक़ में रखी चीज़ें इस्राईल को ख़ुदा के' 'अहद को याद कराती थी।

  • 'अहद का सन्दूक़ "बहुत मुक़द्दस जगह" में रखा हुआ था।
  • मिलाप वाले ख़ेमे में ख़ुदा की मौजूदगी बहुत मुक़द्दस जगह में 'अहद के सन्दूक़ के ऊपर थी। वहाँ वह इस्राईलियों के लिए मूसा से बातें करता था।
  • जिस वक़्त 'अहद का सन्दूक़ हैकल की मुक़द्दस जगह में था, उस वक़्त सिर्फ़ बड़ा हाकिम ही उस सन्दूक़ के क़रीब जा सकता था और वह भी साल में एक बार तौबा कफ़्फ़ारे के दिन पर।
  • कई अंग्रजी तर्जुमों में “'अहद के हुक्मों” का तर्जुमा लफ़्ज़ “गवाही (गवाही)” किया गया है। यह इस हक़ीक़त के बारे में बताता है कि दस हुक्म लोगों के साथ ख़ुदा के 'अहद का सुबूत या गवाह हैं। इसका तर्जुमा “ 'अहद का क़ानून” भी किया गया है।

(यह भी देखें: सन्दूक़, अहद, तौबा, मुक़द्दस जगह, गवाही, गवाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H727, H1285, H3068

‘आलम-ए-अर्वाह, अथाह गड्ढा

ता’अर्रुफ़:

“‘आलम-ए-अर्वाह” और “अथाह-गड्ढा” किताब-ए-मुक़द्दस में मौत के बारे में काम में लिए गए हैं और उस जगह को ज़ाहिर हैं जहां मरने के बा’द इन्सानों की रूहें जाती हैं। इनके मतलब एक से ही हैं।

  • पुराने ‘अहदनामे में “अथाह गड्ढे” का इब्रानी लफ़्ज़ (शिओल) अमूमन मौत की जगह को ज़ाहिर है
  • नये ‘अहदनामे में यूनानी लफ़्ज़ “‘आलम-ए-अर्वाह” (अथाह-गड्ढा) ख़ुदा के बाग़ियों की रूहों की जगह है। इन रूहों के लिए कहा गया है कि वे अथाह-गढ्ढे में डाली जायेंगी। यह कभी-कभी “आसमान पर उठाना” के मुख़्तलिफ़ ख़याल ज़ाहिर करने के लिए है जहां ‘ईसा के ईमानदारों की रूहें हैं।
  • मुकाशिफ़े की किताब में अथाह-गड्ढे के साथ मौत लफ़्ज़ जुड़ा है। आख़िरी वक़्त में मौत और ‘आलम-ए-अर्वाह दोनों आग की झील में डाले जायेंगे।

तर्जुमे की सलाह

पुराने ‘अहदनामे के लफ़्ज़ “अथाह गड्ढा” (‘आलम-ए-अर्वाह) का तर्जुमों “मुर्दों की जगह” या “मुर्दा रूहों की जगह” कुछ तर्जुमों में इसे “कुण्ड” या “मौत” कहा गया है-मज़मून पर मुनह्स्सिर।

  • नये ‘अहदनामे का लफ़्ज़ “’आलम-ए-अर्वाह” का तर्जुमा भी “बे-ईमान मुर्दा रूहों की जगह” या “ईमानदार मुर्दा इन्सानों की रूहों की जगह”।
  • कुछ तर्जुमों में “अथाह गड्ढा” और “‘आलम-ए-अर्वाह” का उसी ज़बान के तलफ़्फ़ुज़ में ज्यों का त्यों रखा गया है। (देखें: अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें)
  • एक जुमले को यह भी समझाने के लिए हर एक लफ़्ज़ में जोड़ा जा सकता है, ऐसा करने के मिसाल के तौर पर, "‘आलम-ए-अर्वाह, जगह जहाँ मरे हुए लोग हैं" और "अथाह-गड्ढा, मौत की जगह "।

(तर्जुमे की सलाह: अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: मौत, आसमान, ‘आलम-ए-अर्वाह, कब्र)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7585, G86

‘इज़्ज़त, ‘इज़्ज़त करता,

ता’अर्रुफ़:

“‘इज़्ज़त” और “‘इज़्ज़त करना” का मतलब है किसी का ‘इज़्ज़त करना, अदब करना या अहतराम करना |

  • ‘इज़्ज़त उस इन्सान की की जा सकती है जो ‘उहदे में बड़ा हो, ख़ास हो जैसे बादशाह या ख़ुदा
  • ख़ुदा ने मसीहियों को दूसरों का अहतराम करने का हुक्म दिया है।
  • औलाद से उम्मीद की गई है कि अपने वालिदैन का अहतराम करें जिसमें उससे ‘इज़्ज़त और फ़रमाबरदारी की उम्मीद भी की गई है।
  • “‘इज़्ज़त” और जलाल अलफ़ाज़ के साथ-साथ काम में लिया गया है, ख़ास करके ‘ईसा के बारे में। एक ही बात को कहने के ये दो तरीक़े हैं।
  • ख़ुदा का अहतराम करने का मतलब है उसका शुक्र करना और उसकी ता’रीफ़ करना और उसका हुक्म मानकर ‘इज़्ज़त ज़ाहिर करना तथा ऐसी ज़िन्दगी जीना जिससे ज़ाहिर हो कि वह कैसा बड़ा है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “‘इज़्ज़त” के और तर्जुमे के तरीके हैं, “किसी को ख़ास अहतराम दिखाना” या “’इज़्ज़त ज़ाहिर करना” या “बड़ी ‘इज़्ज़त देना”

“‘इज़्ज़त करना” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ास अहतराम करना” या “ता’रीफ़ करना” या “बड़ी इज़्ज़त देना” या “बड़ी खुसूसियत ज़ाहिर करना”

(यह भी देखें: बे’इज़्ज़ती, जलाल, बड़ाई करना, हम्द करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1420, H1921, H1922, H1923, H1926, H1927, H1935, H2082, H2142, H3366, H3367, H3368, H3372, H3373, H3374, H3444, H3513, H3519, H3655, H3678, H5081, H5375, H5457, H6213, H6286, H6437, H6942, H6944, H6965, H7236, H7613, H7812, H8597, H8416, G820, G1391, G1392, G1784, G2151, G2570, G3170, G4411, G4586, G5091, G5092, G5093, G5399

‘इबादत

ता’अर्रुफ़:

“’इबादत करना” या’नी किसी की इज़्ज़त करना, बड़ाई करना और हुक्म मानना, ख़ास करके ख़ुदा का।

  • इस लफ़्ज़ का हक़ीक़ी मतलब है, “झुकना” या “सजदा करना” कि किसी की हलीमी से इज़्ज़त करें।
  • हम ख़ुदा की ख़िदमत और इज़्ज़त करके, उसकी ता’रीफ़ करके और हुक्म मानकर उसकी ’इबादत करते हैं।
  • इस्राईलियों के ज़रिए ख़ुदा की ’इबादत में ज़्यादातर कुर्बानगाह पर जानवर की क़ुर्बानी पेश होती थी।
  • कुछ लोग झूठे मा’बूद की ‘इबादत करते थे।

तर्जुमे की सलाह:

  • “’इबादत” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है “सजदा करना” या “बड़ाई करना और ख़िदमत करना” या “इज़्ज़त करना और हुक्मों को मानना”।
  • कुछ मज़मूनों में इसका तर्जुमा हो सकता है, “हलीमी से ता’रीफ़ करना” या “इज़्ज़त और ता’रीफ़ करें।”

(यह भी देखें: क़ुर्बानी , ता’रीफ़, इज़्ज़त )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाल :

  • 13:04 ख़ुदा ने उन्हें ‘अहद दिया और कहा, "मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे ग़ुलामी के घर या’नी मिस्र मुल्क से निकाल लाया है। "तू मुझे छोड़ दूसरों को ख़ुदा करके न मानना |
  • 14:02 कना’नियो ने न तो ख़ुदा की ‘इबादत की और न ही हुक्मों को माना उन्होंने झूठे मा’बूदों की ’इबादत की, और बहुत से बुरे काम किए।
  • 17:06 दाऊद चाहता था कि वह एक हैकल को ता’मीर करें जिसमें सभी इस्राईली ख़ुदा की __’इबादत __ करें और क़ुर्बानियाँ पेश करें
  • 18:12 इस्राईली मुल्क के सभी बादशाह और बहुत से लोग बुतों की __’इबादत __ करते थे।
  • 25:07 तब ‘ईसा ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा ! ख़ुदा के कलाम में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि 'तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सजदा कर, और केवल उसी की '__’इबादत __ कर।’”
  • 26:02 सब्त के दिन वह(‘ईसा )__’इबादत __ करने की जगह पर गया।
  • 47:01 वहा पर वह लुदिया नाम की दीनी‘औरत से मिले जो कि कारोबारी थी। वह बहुत मुहब्बत के साथ ख़ुदावन्द की __’इबादत __ करती थी।
  • 49:18 ख़ुदा कहता है कि हम दुआ’ करें, उसका कलाम पढ़ें, और मसीही लोगों के साथ उसकी __ ’इबादत __ करें, और जो उसने हमारे लिए किया है वह दूसरों को बताएँ।

शब्दकोश:

  • Strong's: H5457, H5647, H6087, H7812, G1391, G1479, G2151, G2318, G2323, G2356, G3000, G3511, G4352, G4353, G4573, G4574, G4576

’अक़्लमंद ,‘अक़्ल

ता’आरुफ़:

“अक़्लमंद” वह इन्सान है जो समझता है कि करने के लिए क्या सही और अच्छा है और उसे करता है। “अक़्ल” जो सच और अच्छाई में सही है उसे समझना और उसको महसूस करना।

  • अक़्लमंद होना या’नी सही फ़ैसला लेने की सलाहियत , ख़ास करके ख़ुदा को ख़ुश करने वाले काम करना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में “दुनयावी अक़्ल” एक तम्सीली ज़ाहिरयत है जो इस दुनिया में इन्सानों की समझ में अक़्लमंदी को ज़ाहिर करती है जबकि वह हक़ीक़त में बेवक़ूफ़ी है।
  • इन्सान ख़ुदा की बात सुनकर और हलीमी से उसकी मर्ज़ी को मान करके अक़्ल मंद बनते हैं
  • अक़्लमंद इन्सान अपनी ज़िन्दगी में पाक -रूह के फल-ख़ुशी , हलीमी , मुहब्बत , सब्र -ज़ाहिर करता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “अक़्लमंद” लफ़्ज़ के और तर्जुमे हो सकते हैं, “ख़ुदा के फ़र्माबरदार ” या “समझदार और फ़र्माबरदार” या “ख़ुदा का खौफ़ माननेवाले।”
  • “अक़्ल” के तर्जुमे में एक ऐसा लफ़्ज़ या जुमला काम में लें जिसका मतलब है, “अक़्लमंदी की ज़िन्दगी ” या “समझदारी और फ़र्माबर्दारी की ज़िन्दगी ” या “सही फ़ैसला ”
  • “अक़्ल” और “अक़्लमंदी” के तर्जुमे और ख़ास लफ़्ज़ों जैसे रास्तबाज़ी या फ़र्माबर्दारी से अलग होना सही है।

(यह भी देखें: फ़र्माबर्दारी, फल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें :

  • __02:05__वह __ अक़्लमंद __ भी बनना चाहती थी, इसलिये उसने कुछ फल लिये और उसे खा लिया।
  • 18:01 जब सुलेमान ने __ अक़्ल __ माँगी, ख़ुदा उससे ख़ुश हुआ और उसे दुनिया का __सबसे अक़्लमंद __ आदमी बना दिया।
  • 2-3:09 कुछ वक़्त बाद __नजूमियों __ ने पूरब में एक तारा देखा।
  • 45:01 वह (स्तिफ़नुस) एक अच्छा इज़्ज़तदार इन्सान था और पाक रूह और __ अक़्ल __ से भरा था।

शब्दकोश:

  • Strong's: H998, H1350, H2445, H2449, H2450, H2451, H2452, H2454, H2942, H3820, H3823, H6195, H6493, H6912, H7535, H7919, H7922, H8454, G4678, G4679, G4680, G4920, G5428, G5429, G5430

’अहद , ‘अहदों,नया ‘अहद

ता’अर्रुफ़:

‘अहद एक ज़ाहिरी इक़रार नामा है जिसे दोनों फ़र्दों को निभाना होता है।

यह समझौता दो आदमियों , दो लोगों के झुण्ड में या ख़ुदा और इन्सानों के बीच हो सकता है।

  • इन्सान जब एक दूसरे के साथ ‘अहद बांधते हैं तब वे कुछ वा’दे करते हैं और उनका पूरा करना ज़रूरी होता है।
  • इन्सानों के बीच ‘अहद की मिसालें हैं, शादी , तिजारती समझौते तथा मुल्कों के बीच सुलह
  • पूरे कलाम में ख़ुदा ने अपने लोगों के साथ बहुत से ‘अहद बांधे हैं।
  • कुछ ‘अहदों में ख़ुदा ने बिना शर्त अपन किरदार निभाने का वा’दा किया है। * मिसाल के तौर पर जब ख़ुदा ने इन्सानों के साथ ‘अहद बांधा था कि वह ज़मीन को पानी के अज़ाब से कभी हलाक नहीं करेगा तो उसमें इन्सानों का कोई किरदार नहीं था ।
  • और वा’दों में ख़ुदा ने अपन किरदार निभाने की शर्तें रखी थी कि इन्सान हुक्मों को मानें और अपना फ़र्ज़ निभाएं।

इस लफ़्ज़ के तम्सीली”नया ‘अहद “’ईसा की कुर्बानी के ज़रिये ऐसे लोगों के साथ इरादा या ‘अहद से मतलब रखता है |

  • किताब-ए-मुक़द्दस के “नए ‘अहद नामे “के नाम से खुदा के “नए अहद “के बारे में बताया है |
  • ये नया अहद “पुराने अहद नामे “या पिछले अहद के बार ख़िलाफ़ है जिस को खुदा ने इस्राईलियों के साथ बना दिया था
  • नया “वादा”एक से ज़्यादा हैं क्यूँकि ये ‘ईसा की क़ुर्बानी पर मुनहसिर है जो मुकम्मल तौर पर लोगों के गुनाहों के लिए ज़ोर दिया गया है | पुराने अहद के तहत कुर्बानियों के ज़रिये नहीं किया |
  • ख़ुदा अपने लोगों के दिलों पर जो ‘ईसा में ईमान रखते हैं उन को हाकिम बनाता है | यह उन लोगों की वजह से है जो ख़ुदा की फरमाबरदारी और मुक़द्दस ज़िन्दगी को फिर से शुरू करना चाहते हैं |
  • नये सरदार को पूरे तरह आखीर के दिनों में पूरा करेगा जब खुदा ज़मीन पर ऐसे हाकिमो को कायेम करेगा | सब कुछ एक बार फिर बहुत अच्छा होगा ,क्यूँकि जब खुदा ने पहले दुनिया को बनाया |

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के तर्जुमें इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बंधा समझौता” या “पूरा सौंपना ” या “जुड़ा ” या “’अहद में बंधा ”।
  • कुछ ज़बानों में ‘अहद बांधने की एक तरफ़ा या दो तरफ़ा वा’दों के मुताबिक़ अलग-अलग लफ़्ज़ होते हैं। अगर ‘अहद एक तरफ़ा है तो इसका तर्जुमा “वा’दा” या “’अहद ” हो सकता है।
  • तय करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसा न सुनाई दे कि आदमियों ने ‘अहद को पेश किया है। ख़ुदा और आदमियों के बीच सब वादों में ख़ुदा ही ‘अहद का वाकिफ़ है।

नया ‘अहद “इस्तलाह “नए रस्मी ‘अहद “या ‘अहद को दिया “के तौर पर तर्जुमा किया जाता है | इन इज़हार में “नया”लफ़्ज़ ताज़ा या “नई किस्म “या दूसरे का मतलब है |

(यह भी देखें: नया ‘अहद, वा’दा)

किताब-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 04:09 फिर ख़ुदा ने अब्राम के साथ एक __’अहद __ बांधा। __’अहद __ दो जमा’तों के बीच एक रज़ामन्दी होती है।
  • 05:04 “मैं इस्माईल को भी एक बड़ी कौम बनाऊंगा, लेकिन मेरा __’अहद __ इसहाक़ के साथ होगा ।”
  • 06:04 एक लंबे वक़्त के बा’द इब्राहीम की मौत हो गयी, ख़ुदा ने इब्राहीम से जो __’अहद __ किया था उसके मुताबिक़ , ख़ुदा ने इसहाक़ को बरकत दी।
  • 07:10 ख़ुदा ने इब्राहीम के नस्लों के बारे में जो __’अहद __ उससे किया था , वह इब्राहीम से इसहाक़ और इसहाक़ से याक़ूब कोदिया ”
  • 13:02 ख़ुदा ने मूसा से कहा कि वह इस्राईलियों से कहे ,“ अब अगर तुम ज़रूर मेरी मानोगे, और मेरे __’अहद __ को माना करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरे लोग ठहरोगे, सारी ज़मीन तो मेरी है, और तुम मेरी निगाह में काहिनो का मुल्क और मुक़द्दस कौम ठहरोगे।”
  • 13:04 ख़ुदा ने उन्हें __'अहद __ दिया और कहा, “मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे ग़ुलामी के घर या’नी मिस्र मुल्क से निकाल लाया है। तू मुझे छोड़ दूसरों को ख़ुदा करके न मानना।”
  • 15:13 तब यशू’अ ने इस्राईलियों को वह __'अहद __ याद दिलाया जो उन्होंने ख़ुदा के साथ सीना पहाड़ पर किया था , कि वह उसको माना करेंगे।
  • 21:05 यर्मियाह नबी के ज़रिये' खुदा ने वा'दा किया था कि वह __'अहद __करेगा ,लेकिन सिनाई में इस्राईल के साथ किये गये 'अहद की तरह नहीं | में_वा'दा_ख़ुदा लोगों के दिल पर अपनी शरी'अत लिखेंगे लोग ख़ुदा को शख्सी तौर पर जानेगे वह उनके लोग होंगे और ख़ुदा उनके गुनाहों को मु'आफ़ करेगा | मसीह नया _'अहद _शुरू' करेगा |
  • 21:14 मसीह की मौत और दोबारा ज़िन्दा होने के ज़रिये से ,ख़ुदा गुनहगारों को बचाने और __'अहद __को शुरू और पूरा करने का मंसूबा बनायेगा | .
  • 38:05 फिर 'ईसा ने एक प्याला लिया और कहा,"इसे पियो | यह मेरा खून __'अहद __तुम्हारे लिए अहद का है जो तुम्हारे गुनाहों की मु'आफी के लिए बहाया जाता है | हर बार जब आप इसे पीते है तो मुझे याद रखने के लिए ऐसा करें |
  • 48:11 लेकिन ख़ुदा ने अब एक __'अहद __ बनाया है जो हर किसी के लिए मौजूद है |. इस वजह से __'अहद__किसी भी इन्सान की कौम से कोई भी 'ईसा में यक़ीन करके ख़ुदा के लोगों का हिस्सा बन सकता है |

शब्दकोश:

  • Strong's: H1285, H2319, H3772, G802, G1242, G4934

अच्छा, भलाई

ता’अर्रुफ़:

“अच्छा” लफ़्ज़ का मतलब जुमले के मुताबिक़ अलग-अलग हो सकते हैं। कई ज़बानों में इन अलग-अलग मतलबों का तर्जुमा करने के लिए अलग-अलग लफ़्ज़ होंगे।

  • आमतौर पर कोई बात अच्छी है अगर वह ख़ुदावन्द के ख़ासीयत , मक़सद और मर्ज़ी के मुताबिक़ है।
  • एक “अच्छी” चीज़ क़ाबिल क़ुबूल, अच्छी जीज़, मददगार, लायक़, फ़ायदेमन्द या सही तरीक़े में होगी।
  • ज़मीन अच्छी है तो वह उपजाऊ और पैदावार होगी।
  • “अच्छी” फ़सल या'नी पैदावार
  • एक शख़्स अपने काम में "अच्छा" हो सकता है कि वे क्या करते हैं अगर वह अपने काम या पेशे में होशियार हैं, जैसा कि "एक अच्छा किसान" है।
  • कलाम में “अच्छा” हमेशा बुरे के अलग है।
  • “भलाई” हमेशा ख़्यालों और काम में इख्लाक़ी के तौर पर नेक और रास्तबाज़ होना है।
  • ख़ुदावन्द की अच्छाई का मतलब है लोगों को अच्छी और फ़ायदे की चीज़ें देना। यह भी उसके इख़लाक़ी कमाल के बारे में है

तर्जुमा की सलाह:

  • मक़सदी ज़बान में “अच्छा” के लिए जो भी आम लफ़्ज़ है उसका इस्ते'माल किया जाए जब भी यह आम लफ़्ज़ मुनासिब और लाज़िम हो ख़ास करके ऐसे बारों में जहां यह लफ़्ज़ बुराई के अलग मतलब में ज़ाहिर हों ।
  • जुमले के मुताबिक़ इसके कई तर्जुमे हो सकते हैं, “रहम ” या "बहुत ख़ुश ग्वार " या “रास्तबाज़ ” या “ख़ुश इख़लाक़” या “फ़ायदे मन्द ”
  • “अच्छी ज़मीन ” का तर्जुमा हो सकता है, “उपजाऊ ज़मीन ” या “पैदावार की ज़मीन ” या “अच्छी फसल” का तर्जुमा “कामयाब फ़सल” या “बहुत ज़्यादा फ़सल”।
  • “भलाई करना” का मतलब है लोगों के फ़ायदे के काम और इसका तर्जुमा , “पर रहम करना” या “मदद करना” या “फ़ायदा पहुंचाना” हो सकता है।
  • “सबत के दिन भलाई करना” या'नी “किसी के फ़ायदे का काम सबत के दिन करना”।
  • जुमलों के मुताबिक़ “भलाई के तर्जुमा”, “बरकत ” या “रहम” या “ख़ुश” या “” या “पाकीज़गी ” की शक्ल हो सकते हैं।

(यह भी देखें: बुराई, मुक़द्दस, फ़ायदा, रास्तबाज़ )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:

  • 01:04 लेकिन ख़ुदावन्द ने देखा कि जो तख़लीक़ उसने की है वह अच्छी है।।
  • 01:11 ख़ुदावन्द ने अच्छे और बुरे के 'इल्म का दरख़्त लगाया।
  • 01:12 फिर ख़ुदावन्द ने कहा “आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है।”
  • 02:04 " ख़ुदावन्द इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम ख़ुदावन्द की तरह हो जाओगे और अच्छा और बुरे को समझोगे जैसा वह समझता है।"
  • 08:12 "आपने ग़ुलाम की शक्ल में मुझे बेचकर तुमने बुराई करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदावन्द ने भलाई के लिए बुराई का इस्ते'माल किया!"
  • 14:15 यसू'अ एक अच्छा रहनुमा था क्यूँकि वह ख़ुदावन्द पर ईमान करता था व उसके हुक्मो का पालन करता था।
  • 18:13 कुछ बादशाह अच्छे लोग भी थे, जिन्होंने बेहतर तरीक़े से हुकूमत की और ख़ुदा की 'इबादत की।
  • 28:01 “ऐ__बेहतर __ उस्ताद , हमेशा की ज़िन्दगी का वारिस होने के लिए मै क्या करूँ?” 'ईसा ने उससे कहा, “तू मुझे ‘अच्छा’ क्यों कहता है? जो __अच्छा __ है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदावन्द है"

शब्दकोश:

  • Strong's: H117, H145, H155, H202, H239, H410, H1580, H1926, H1935, H2532, H2617, H2623, H2869, H2895, H2896, H2898, H3190, H3191, H3276, H3474, H3788, H3966, H4261, H4399, H5232, H5750, H6287, H6643, H6743, H7075, H7368, H7399, H7443, H7999, H8231, H8232, H8233, H8389, H8458, G14, G15, G18, G19, G515, G744, G865, G979, G1380, G2095, G2097, G2106, G2107, G2108, G2109, G2114, G2115, G2133, G2140, G2162, G2163, G2174, G2293, G2565, G2567, G2570, G2573, G2887, G2986, G3140, G3617, G3776, G4147, G4632, G4674, G4851, G5223, G5224, G5358, G5542, G5543, G5544

अच्छी ख़बर, ख़ुशख़बरी

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुशख़बरी” लफ़्ज़ का असल मतलब में “अच्छी ख़बर,” है और ऐसी ख़बर और 'ऐलान के बारे में है जो लोगों को फ़ायदा पहुंचाता है या ख़ुश करता है।

  • कलाम में यह लफ़्ज़ सलीब पर ‘ईसा की क़ुर्बान के ज़रिए' से ख़ुदा की नजात के बारे में हमेशा इस्ते'माल किया जाता है।
  • ज़्यादातर अंग्रेजी कलामों में “अच्छी ख़बर” का तर्जुमा “ख़ुशख़बरी” किया गया है और ऐसे जुमले काम में लिए गए हैं जैसे “मसीह ‘ईसा की ख़ुशख़बरी” या “ख़ुदा की ख़ुशख़बरी” और “बादशाही की ख़ुशख़बरी”।

तरजुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ की कई शक्लें हैं, “अच्छी ख़बर”, “अच्छा 'ऐलान” या “ख़ुदा की नजात की ख़बर” या “ख़ुदावन्द ‘ईसा के बारे में अच्छी बातें सिखाता है”।
  • मज़मून के मुताबिक़ इस जुमले का तर्जुमा, “की ख़ुशख़बरी” का तर्जुमा के बारे में अच्छी ख़बर/ख़बर” या “से हासिल अच्छी ख़बर” या “ख़ुदा हमें जिन अच्छी बातों का 'इल्म देता है” या “ख़ुदा लोगों की नजात के बारे में क्या कहता है”।

(यह भी देखें: बादशाही, क़ुर्बानी, नजात)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 23:06 तब फ़रिश्ते ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्यूँकि देखो, मैं तुम्हें बड़ी ख़ुशी की ख़बर सुनाता हूँ” कि आज बैतलहम शहर में तुम्हारे लिए एक मुन्जी पैदा हुआ है, और यही मसीह ख़ुदा है।”
  • 26:03 ‘ईसा ने पढ़ा, “ ख़ुदा की रूह मुझ पर है, इसलिए कि उसने कंगालों को अच्छी ख़बर सुनाने के लिए बरकत दी है, और मुझे इसलिए भेजा है कि क़ैदियों को छुटकारे का और अंधों को बीनाई पानेकी ख़ुशख़बरी का 'ऐलान करूँ और कुचले हुओ को आज़ाद करूँ। यह ख़ुदा की महेरबानी का साल है।”
  • 45:10 फ़िलिप्पुस ने दूसरे सहीफ़ों का भी इस्तेमाल करके उसे ‘ईसा की ख़ुशख़बरी सुनाई।
  • 46:10 तब उन्होंने उन्हें कई कई जगहों में __ ‘ईसा के बारे में ‘ऐलान__ करने के लिये भेज दिया।
  • 47:01 एक दिन पौलुस और उसका दोस्त सीलास फ़िलिप्पी में __ ‘ईसा का 'ऐलान करने__ को गए।
  • 47:13 __ ‘ईसा की ख़ुशख़बरी__ को वह ऐलान करते गए और कलीसिया बढ़ती गईं।
  • 50:01 तक़रीबन 2,000 से ज़्यादा सालों से, दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा लोग __ ‘ईसा मसीह की ख़ुशख़बरी__ को सुन रहे हैं।
  • 50:02 जब ‘ईसा ज़मीन पर रहता था तो उसने कहा, "मेरे शागिर्दों ने दुनिया में हर जगह लोगों को ख़ुदा की बादशाही के बारे में ख़ुशख़बरी का 'ऐलान करेंगे, और फिर आख़िर आ जाएगा।"
  • 50:03 जन्नत में वापस जाने से पहले, ‘ईसा ने मसीहों से कहा कि वह उन लोगों को ख़ुशख़बरी सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना।

शब्दकोश:

  • Strong's: G2097, G2098, G4283

अदब, अदब करता, अदब किया, ख़ुदी

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “अदब” का मतलब है इख़लाक़ी सिफ़त के लिए हिदायात पर ‘अमल करने की सीख देना|

  • वालिदैन अपने बच्चों को इख़लाक़ी रहनुमाई और हिदायात के ज़रिए’ अदब सिखाते हैं और उन्हें ‘अमल करने की ता’लीम देते हैं|
  • इसी तरह ख़ुदा अपनी औलाद को (तहज़ीब) देता है कि तुम्हें ज़िन्दगी में अच्छे रूहानी फल लाने में मदद मिले जैसे, ख़ुशी, मुहब्बत और सब्र|
  • अदब में हिदायात होते हैं कि ख़ुदा को ख़ुश करने वाली ज़िन्दगी कैसे जिएं और ख़ुदा की मुख़ालिफ़त की सिफ़त के लिए सज़ा भी दी जाती है।
  • ज़ाती तहज़ीब, ज़िन्दगी में इख़लाक़ी और रूहानी उसूलों को अपनाने का ‘अमल है|

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “अदब” का तर्जुमा “ता’लीम और हिदायत ” या “इख़लाक़ी हिदायत” या “ग़लती की सज़ा” हो सकता है।
  • “अदब” इस्म लफ़्ज़ का तर्जुमा इख़लाक़ी ता’लीम” या “सज़ा” या “इख़लाक़ी सुधार” या “इख़लाक़ी रहनुमाई एक हिदायत हो सकता है।”

किताब-ए-मुक़द्स के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4148, G1468

अफ़सोस

ता’अर्रुफ़:

“अफ़सोस” लफ़्ज़ बड़ी मायूसी को ज़ाहिर करता है | इससे किसी को बड़ी तकलीफ़ों की हिदायत भी दी जाती है।

  • “अफ़सोस पर” नसीहत के साथ आता है कि वे गुनाहों की सज़ा पाएंगे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में बहुत जगहों में “अफ़सोस” लफ़्ज़ को दोहराया गया है जिसका ख़ास मतलब है डरावनी सज़ा की ताक़त ज़ाहिर करना है।
  • आदमी कहता है, “अफ़सोस मुझ पर” तो इसका मतलब है बड़ी तकलीफ़ की वजह से ग़म ज़ाहिर करना।

तर्जुमे की सलाह :

  • मज़मून के मुताबिक़ “अफ़सोस” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “गहरा दुख” या “ग़म ” या “मुसीबत ” या “हलाकत ”
  • ज़ाहिरयत का तर्जुमा करने के और तरीके़ " अफ़सोस करने के लिए ("शहर का नाम)" में शामिल हो सकते हैं, "यह (शहर के नाम) के लिए कितना खतरनाक होगा" या "(उस शहर) में लोगों को गहरी शक्ल से सज़ा दी जाएगी " या "उन लोगों को बहुत भुगतना होगा। "
  • ज़ाहिर यत, " अफ़सोस मुझे है!" या "मुझ पर अफ़सोस!" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है "मैं कितना दुखी हूँ!" या "मैं बहुत उदास हूँ!" या "यह मेरे लिए कितना ख़तरनाक है!"
  • ज़ाहिरयत "आप पर अफ़सोस " का भी तर्जुमा किया जा सकता है "आपको बहुत दुख होगा" या "आपको बड़ी परेशानियों का तजुर्बा होगा।"

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H188, H190, H337, H480, H1929, H1945, H1958, G3759

अफ़ोद

ता'अर्रुफ़:

“अफ़ोद” एक तरह का लिबास होता था जिसे इस्राईलियों के काहिन पहना करते थे। इसके दो हिस्से थे, आगे का और पीछे का, कंधों पर जुड़ा और कमर पर कपड़े के बेल्ट से बांधा जाता था।

  • एक और अफ़ोद था जो 'आम तौर पर मलमल का होता था और आम तौर पर काहिनों के ज़रिए' पहना जाता था।
  • सरदार काहिन का अफ़ोद सोने और नीले, बैंगनी और लाल धागे से ख़ास तौर पर कढ़ाई किया जाता था।
  • सरदार काहिन का चपरास अफ़ोद के सामने के हिस्से से जुड़ा होता था। काहिन के सीनाबन्द में ख़ुदा की ख्वाहिश जानने के लिए ऊरीम और तुमीम रहते थे।
  • मुंसिफ़ गिदोन ने बेवकूफ़ी से सोने से एक अफ़ोद बनाया और यह ऐसा कुछ बन गया जो इस्राईली बुत की शक्ल में ‘इबादत करते थे।

(यह भी देखें: काहिन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H641, H642, H646

अबदियत, हमेशा के लिए, हमेशा की ज़िन्दगी

ता'अर्रुफ़:

“अब्दियत” और “हमेशा” के मतलब तक़रीबन एक से ही हैं और हमेशा हाज़री या हमेशा के लिए बात का हवाला देते हैं।

  • “हमेशा के लिए” इस बात का हवाला देते हैं जिसकी न शरू' या न ही आख़िर है। यह भी ज़िन्दगी का हवाला देता हैं जो कभी ख़त्म नही होता है |
  • इस मौजूदह ज़मीन पर ज़िन्दगी के बा'द, इंसान ख़ुदावन्द के साथ जन्नत में या ख़ुदा से अलग जहन्नम में हमेशा ज़िन्दगी गुज़ारा करेंगे।

“हमेशा की ज़िन्दगी” और “अबदी की ज़िन्दगी” नये 'अहद नामें में ख़ुदावन्द के साथ जन्नत में हमेशा की ज़िन्दगी के लिए काम में लिए गए जुमले हैं।

  • “ हमेशा और हमेश "का ख़याल है की कभी कभी ख़त्म नहीं होता और इज़हार करता है कि हमेशा या हमेशा की ज़िन्दगी कि तरह है |

  • हमेशा के लिए" लफ्ज़ कभी ख़त्म होने वाला वक़्त नहीं है। * कभी-कभी इसका मतलब "बहुत लंबा वक़्त " की शक्ल में किया जाता है।

  • लफ्ज़ "हमेशा के लिए और हमेशा" जोर देता है कि कुछ हमेशा होता या वजूद में रहता है।

  • जुमले में "हमेशा और हमेशा"का इज़हार करने का एक तरीक़ा है जिसे अब्दी ज़िन्दगी या हमेशा की ज़िन्दगी किया है | उसके पास वक़्त का ख़याल भी है जो कभी नही ख़त्म होता है |

  • ख़ुदा ने कहा कि दाऊद का तख़्त हमेशा हमेश के लिए करे गा | यह हक़ीक़त है की दाऊद की नस्ल 'ईसा हमेशा बादशाह के तौर पर हुक्मरानी करेगा |

तर्जुमा की सलाह:

  • “हमेशा” और “सदाकाल” का तर्जुमा करने के दोसरे तरीक़े, “अबदी” या “कभी नहीं रूकनेवाला” या “हमेशा चलनेवाला” हो सकता है।

  • “अबदी ज़िन्दगी ” और “ला ज़वाल ज़िन्दगी” का तर्जुमा, “ज़िन्दगी जो कभी कभी ख़त्म नही होती या “ज़िन्दगी जो बग़ैर रुकने के बग़ैर जारी है ” या “ जिस्म का दोबारह हमेशा की ज़िन्दगी पाने के लिए” हो सकता है।

  • जुमले के तौर पर “हमेशा के लिए ” का तर्जुमा तरीक़ों, “वक़्त के बाहर हाज़री” या “ख़त्म न होने वाली ज़िन्दगी ” या “जन्नत की ज़िन्दगी ” हो सकता है।

  • मुक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमें में इस लफ्ज़ का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ग़ौर दें। (देखें: ना वाक़िफ़ लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें )

  • "हमेशा" का तर्जुमा "हमेशा" या "कभी ख़त्म नहीं होता" ज़रिए किया जा सकता है।

  • जुमले "हमेशा के लिए चलेगा" का तर्जुमा "हमेशा मौजूद" या "कभी नहीं रुक जाएगा" या "हमेशा जारी रहेगा" कि शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।

  • ज़बरदस्त जुमला "हमेशा के लिए और हमेशा" का तर्जुमा "हमेशा और हमेशा के लिए" या "कभी ख़त्म नहीं होता" या "जो कभी ख़त्म नहीं होता" कि शक्ल में भी किया जा सकता है।

  • दाऊद का तख़्त हमेशा तक जारी रहता है जैसाकि दौउद की नस्ल हमेशा के लिए करे गा " या "दौउद की एक नस्ल हमेशा के लिए करेगा " या "दाऊद की एक नस्ल हमेशा सल्तनत करेगी |

(यह भी देखें: दाऊद, हुक्मरानी, ज़िन्दगी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की मिसालें:

  • 27:01 एक दिन, यहूदियों के क़ानून में एक माहिरीन 'ईसा का इम्तिहान लेने के लिए आया था, उन्होंने कहा, "उस्ताद, मुझे हमेशा की ज़िन्दगी पाने के लिए क्या करना चाहिए ?"
  • 28:01 एक दिन, एक अमीर जवान हुक्मरान 'ईसा के पास आया और उससे पूछा, "अच्छा उस्ताद , मुझे क्या करना चाहिए __ हमेशा की ज़िन्दगी__को हासिल करने के लिए ?" 'ईसा ने उस से कहा, "तुम मुझसे क्यों पूछ रहे हो के अच्छा क्या है।? सिर्फ़ एक ही है जो अच्छा है, और वह ख़ुदावन्द है। लेकिन अगर तुम __ हमेशा की ज़िन्दगी__ पाना चाहते हो, तो ख़ुदा के क़ानून पर 'अमल करो । "
  • 28:10 'ईसा ने जवाब दिया, "जिसने मेरे नाम के लिए घर, भाइयों, बहनों, बाप, माँ, बच्चों या दोलत को छोड़ दिया है, उसे सौ गुना ज़्यादा मिलेगा और हमेशा की ज़िन्दगी भी हासिल करेगा।"

शब्दकोश:

  • Strong's: H3117, H4481, H5331, H5703, H5705, H5769, H5865, H5957, H6924, G126, G165, G166, G1336

अलग करना

ता’अर्रुफ़:

"अलग करना" इस जुमले का मतलब है किसी ख़ास मक़सद को पूरा करने के लिए किसी आदमी या चीज़ को अलग कर देना। यह भी, "अलग करना" उनसे आदमी या चीज़ "अलग करना"

  • जैसे इस्राईली ख़ुदावन्द की ख़िदमत के लिए अलग किये गए थे।
  • पाक रूह ने मसीही ईमानदारों को अन्ताकिया में हुक्म दिया कि वह पौलुस और बरनबास को उस काम के लिए अलग कर दें जो ख़ुदावन्द उनसे करवाना चाहता है।
  • ख़ुदावन्द की ख़िदमत के लिए “अलग” किया गया ईमानदार ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरा करने लिए वक़्फ़ होता है।
  • “पाक” का एक मतलब है कि ख़ुदावन्द का होने के लिए और दुनिया के गुनाहों के तरीक़े से अलग होने के लिए अलग किया गया।
  • किसी को "पाक" करने का मतलब ख़ुदावन्द की ख़िदमत के लिए उस आदमी को अलग करना।

तर्जुमा की सलाह :

  • “अलग करने” का तर्जुमा, “ख़ास तौर से चुनना” या “तुम में से अलग करना” या “किसी ख़ास काम के लिए अलग करना" हो सकते हैं।
  • अलग किया जाना” का तर्जुमा, “अलग किया गया (से)" ख़ास तौर से मुक़र्रर (के लिए)" हो सकता है।

(यह भी देखें: पाक, पाक करना, मुक़र्रर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2764, H4390, H5674, H6918, H6942, H6944, G37, G38, G40, G873

आखरी दिन, आख़िरी दिनों, बा’द के दिनों

ता’अर्रुफ़:

“आख़िरी दिनों” या “आख़िर के दिनों” इस ज़माने के आख़िर का हवाला देते हैं।

  • यह वक़्त नामा’लूम ‘अरसा है।
  • “आख़िरी दिन” इंसाफ़ का वक़्त होगा, ख़ुदा से फिरने वालों का इंसाफ़|

तर्जुमे की सलाह:

  • आख़िरी दिनों” का तर्जुमा हो सकता है, “ आख़िर दिनों” या “आख़िरी वक़्त."
  • कुछ मज़मूनों में, इसका तर्जुमा "दुनिया की आख़िर" या "जब यह दुनिया ख़त्म होती है" के तौर पर किया जा सकता है।

(यह भी देखें: ख़ुदा का दिन, इन्साफ़, फिरना, दुनिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H319, H3117, G2078, G2250

आज़माइश करने, आज़माइश

ता’अर्रुफ़:

किसी को आज़माइश में डालने का मतलब है कि उससे ग़लत काम करवाना।

  • आज़माइश में इन्सान ग़लत काम करना चाहता है।
  • इन्सान अपने गुनाहगारी मिज़ाज या और इन्सानों के ज़रिये आज़माइश में गिरता है।
  • शैतान भी इन्सानों को ख़ुदा की नाफ़रमानी और ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह करने की आज़माइश में डालता है ग़लत कामों के ज़रिये
  • शैतान ने ईसा की भी आज़माइश ली थी और उसने ग़लत काम करवाना चाहता था लेकिन ‘ईसा ने उसकी आज़माइश पर फ़तह पाकर गुनाह नहीं किया।
  • “ख़ुदा की आज़माइश” उसे कुछ ग़लत करने की कोशिश नहीं कर रहा है, बल्कि हठीलेपन और ना फ़रमानी में बने रहता है जब तक ख़ुदा उसे सज़ा देकर रद्दे ‘अमल नहीं करता। इसे भी “ख़ुदा की आज़माइश” लेना कहते हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • " आज़माइश करना" का तर्जुमा “गुनाह करवाने का कोशिश करना” या “लालच देना” या “गुनाह करने की ख़्वाहिश जगाना।”।
  • “ आज़माइश” के तर्जुमे की शक्ल हो सकते हैं, “आज़माइश में गिरानेवाली बातें” या “किसी को गुनाह का लालच देने वाली बातें” या “ऐसी बातें जो ग़लत काम करने की ख़्वाहिश पैदा करें।”

ख़ुदा की आज़माइश के बारे में इसका तर्जुमा “ख़ुदा को परखना” या “ख़ुदा को जांचना” या “ख़ुदा के सब्र को आज़माना ” या “ख़ुदा के ज़रिए’ सज़ा पाने की वजह होना” या “हठीलेपन की वजह ख़ुदा की नाफ़रमानी करते रहना”।

(यह भी देखें हुक्म न मानना, शैतान, गुनाह , आज़माइश )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 25:01 तब शैतान ‘ईसा से गुनाह कराने के लिये उनकी __ आज़माइश करने__ आया |
  • 25:08 ‘ईसा शैतान के __आज़माइश __नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया, तब फ़रिश्ते आए और ‘ईसा की ख़िदमत करने लगे |
  • 38:11 ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि दुआ करते रहो कि __ आज़माइश __ में न पड़ो |

शब्दकोश:

  • Strong's: H974, H4531, H5254, G551, G1598, G3985, G3986, G3987

आज़माना, जाँचना, इम्तेहान

ता’अर्रुफ़:

“आज़माना” का बयान मुश्किल या दुःख दर्द के महसूस करने से है जो इन्सान की ताक़त या कमज़ोरी को ज़ाहिर करता है।

  • ख़ुदा इन्सानों को जांचता है, लेकिन उनको गुनाह में नहीं गिराता था। लेकिन शैतान इन्सानों को गुनाह करने की आज़माइश में डालता है।
  • ख़ुदा कभी-कभी कसौटी पर रखकर इन्सान के गुनाह को ज़ाहिर करता है। आज़माइश एक इन्सान को गुनाह से दूर करने और ख़ुदा के क़रीब आने में मदद करती है।
  • सोना-चांदी को आग में तपा कर उनकी सफ़ाई और मज़बूती देखी जाती है। यह तक़लीफ़देह हालातों के ज़रिए’ इन्सानों को आज़माने की तस्वीर है।
  • “आज़मा कर देखना” या’नी “किसी को चुनौती देना कि अपनी अहमियत को साबित करे।”
  • ख़ुदा के आज़माने का मतलब है, उससे हमारे लिए एक मोजीज़ा कराने की कोशिश करना है, उसके रहम का ग़लत फ़ायदा उठाना।
  • ‘ईसा ने शैतान से कहा था कि ख़ुदा की आज़माइश करना सही नहीं है। वह बड़ी क़ुदरत वाला पाक ख़ुदा है जो सबके ऊपर है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “आज़माना ” का तर्जुमा हो सकता है, “चुनौती देना” या “कठिनाइयों को महसूस करवाना” या “साबित करना”।
  • “आज़माना ” के तर्जुमे की शक्ल हो सकते हैं, “चुनौती” या “कठिनाई”।
  • “परख कर देखना” का तर्जुमा हो सकता है, “आज़माइश करना” या “चुनौती देना” या “किसी के ख़ुद को साबित करने पर मजबूर करना।”
  • ख़ुदा के बारे में इसका तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा को मजबूर करने की कोशिश करना कि वह अपनी मुहब्बत को साबित करे।”
  • कुछ बयानों में, जब मज़मून ख़ुदा नहीं है, “परखना” का मतलब “आज़माना ” भी हो सकता है।

(यह भी देखें: आज़माइश करना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5713, H5715, H5749, H6030, H8584, G1242, G1263, G1303, G1957, G3140, G3141, G3142, G3143, G4303, G4828, G6020

आमीन, सच में

ता’अर्रुफ़:

“आमीन” लफ़्ज़ किसी की बात पर ज़ोर देना या तवज्जह करना ज़ाहिर करता है। इसका इस्तेमाल हमेशा दु'आ के आख़िर में होता है। कभी-कभी इसका तर्जुमा “सच में” किया जाता है।

  • दु'आ के आख़िर में “आमीन” लफ़्ज़ दु'आ के साथ इत्तिफ़ाक़ या दु'आ पूरी होने की मर्ज़ी ज़ाहिर करता है।
  • अपनी ता'लीमों में ईसा ने “आमीन” लफ़्ज़ के इस्तेमाल के ज़रिए' अपनी बात की सच्चाई पर ताक़त दी थी । इस लफ़्ज़ के बाद उसने हमेशा कहा, “और मैं तुमसे कहता हूं” कि वह पहले की बात से मुता'अल्लिक़ एक और बात कहे।
  • जब ईसा “आमीन” लफ़्ज़ का इस्तेमाल इस पतरह करता है तो कुछ अंग्रेजी कलाम (यू. एल. बी. भी) इसका तर्जुमा “सच में” या “सच कहता हूं” करती हैं।
  • एक और लफ़्ज़ “सच-सच” का तर्जुमा “यक़ीनन” या “वाक़ई , हक़ीक़त” किया जा सकता है।

तर्जुमा की सलाह

  • देखें कि कोई और ज़बान में से कोई ख़ास लफ़्ज़ या कोई जुमला है जो किसी कही गई बात पर ज़ोर देने के काम में ली जाती है।
  • दु'आ के आख़िर में या किसी बात के इत्तिफ़ाक़ में, “आमीन” तर्जुमा किया जा सकता है, “ऐसा ही हो”, या “ऐसा होने दे”, या “यह सच है”।
  • जब ईसा कहता है, “ मैं तुमसे सच सच कहता हूं” तो इसका तर्जुमा हो सकता है, “हां, मैं सच कहता हूं” या “यह सच है और मैं कहता हूं”।

“मैं तुमसे सच-सच कहता हूं” का तर्जुमा हो सकता है, “मैं तुमसे सच्ची बात कहता हूं” या “मैं सच्चे ख़याल से तुमसे कहता हूं” या “मैं जो तुमसे कहता हूं वह सच है”

(यह भी देखें:पूरा करना, सच)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H543, G281

आसमान, बादल, बादलों, आसमानी

ता’अर्रुफ़:

“जन्नत” वह मक़ाम है जहाँ ख़ुदा रहता है। मज़मून पर मुनहस्सिर, इस लफ़्ज़ का मतलब “बादल” भी है।

“आसमानों” वह है जिसे हम ज़मीन पर से देखते हैं, सूर्य, चाँद और सितारे। इसमें आसमानी जिस्म भी शामिल है, जैसे दूर दूर के सय्यारे जिन्हें हम ज़मीन से सीधे देख नहीं सकते।

  • “आसमान” वह स्थान है जो नीला है और उसमें साँस लेने के लिए हवा है। सूरज और चाँद को ‘आम तौर पर “आसमान में क़ायम” मानते हैं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के कुछ मज़मूनों में “जन्नत” का मतलब आसमान या ख़ुदा के रहने का मक़ाम भी होता है।
  • जहाँ जन्नत को ‘अलामती तौर पर काम में लिया गया है तो वह ख़ुदा के बारे में है। मिसाल के तौर पर, जब मत्ती “आसमान की बादशाही” लिखता है तो वह ख़ुदा की बादशाही का ज़िक्र करता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “आसमान” का ‘अलामती इस्ते’माल का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा”
  • मत्ती की किताब में “आसमान की बादशाही” को “आसमान” ही रखा जाए तो ठीक है क्योंकि यह लफ़्ज़ मत्ती के ज़रिए’ लिखी ख़ुशख़बरी का एक ख़ास लफ़्ज़ है।
  • “आसमानों” या “तारों” का तर्जुमा किया जा सकता है, “सूरज, चाँद और सितारे” या “क़ायनात में सब सितारे”।
  • “आसमान के तारों” का तर्जुमा किया जा सकता है, “आसमान के सितारे” या “कहकशाँ के सितारे” या “क़ायनात के सितारे”

(यह भी देखें: ख़ुदा की बादशाही

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:

  • 04:02 फिर उन्होंने आसमान तक लंबी चोटी ता’मीर की।
  • 14:11 उसने (ख़ुदा) उन्हें आसमान से रोटी दी, “जिसे मन्ना कहते थे।”
  • 23:07 तब अचानक फरिश्तों की जमा’अत ख़ुदा की ता’रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दी, “आसमान में ख़ुदा का जलाल और ज़मीन पर उन इन्सानों में जिनसे वह ख़ुश है, ।”
  • 29:09 तब ‘ईसा ने कहा, “इसी तरह अगर तुम में से हर एक अपने भाई को दिल से मु’आफ़ न करेगा, तो मेरा बाप जो आसमान में है , तुम से भी वैसा ही करेगा।”
  • 37:09 तब ‘ईसा ने आसमान की ओर देखा और कहा, “ऐ बाप, मैं आपका शुक्र करता हूँ कि आपने मेरी सुन ली है।
  • 42:11 तब ‘ईसा आसमान पर उठा लिया गया और एक बादल ने उसे उनकी नज़रों से छिपा लिया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1534, H6160, H6183, H7834, H8064, H8065, G932, G2032, G3321, G3770, G3771, G3772

इख़्तियार

ता’अर्रुफ़:

“इख़्तियार” लफ़्ज़ का मतलब लोगों, जानवरों या ज़मीन पर हुकूमत, क़ाबू, या इख़्तियार है|

  • ‘ईसा मसीह ने कहा है कि तमाम ज़मीन पर नबी, काहिन, और बादशाह के तौर पर हुकमरान हो|
  • मसीह ‘ईसा की सलीबी मौत के ज़रिए’ शैतान की बादशाही हमेशा के लिए हार गई है।
  • तख़लीक के वक़्त ख़ुदा ने कहा था कि इन्सान को मछली, परिन्दों और ज़मीन के सब जानदारों पर इख़्तियार है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर इस लफ़्ज़ का तर्जुमा होगा, “इख़्तियार”, “क़ुव्वत” या “क़ाबू”।
  • “पर इख़्तियार रखना” का तर्जुमा हो सकता है, “पर हुकूमत” या “इंतज़ाम करना”।

(यह भी देखें: इख़्तियार, क़ुव्वत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1166, H4474, H4475, H4896, H4910, H4915, H7287, H7300, H7980, H7985, G2634, G2904, G2961, G2963

इख़्तियार, हाकिमों

ता'अर्रुफ़:

“इख़्तियार” लफ़्ज़ किसी के ज़रिए' किसी पर ज़ोर और रोकने की ताक़त को बताता है।

  • बादशाहों और हुकूमती हाकिमों को हुकूमत करने वालों को लोगो पर उनका इख़्तियार होता है।
  • लफ़्ज़ " हाकिमों " लोगों, सरकारों या तन्ज़ीमों को बयान कर सकते है, जिनके पास दूसरों पर इख़्तियार है।
  • लफ़्ज़ " हाकिमों" उन रूहों के भी बारे में कर सकते हैं, जो उन लोगों पर इख़्तियार रखते हैं जिन्होंने ख़ुद को ख़ुदा के इख़्तियार के ताबे' नहीं किया है।
  • मालिक अपने ख़ादिमों या ग़ुलामों पर इख़्तियार रखते हैं। माँ-बाप के पास अपनी औलादों पर इख़्तियार है।
  • सरकारों को अपने बाशिन्दों को क़ाबू में करने वाले क़ानून बनाने का इख़्तियार या हक़ है।

तर्जुमा कीसलाह:

“इख़्तियार” का तर्जुमा “क़ाबू” या “सही” या “क़ाबिलियत” भी हो सकता है

  • कभी-कभी " इख़्तियार " का मतलब"ताक़त " के मतलब के साथ किया जाता है।
  • जब "हाकिमों " का इस्ते'माल लोगों या तन्ज़ीमों के बयान करने के लिए किया जाता है, जो लोगों पर हुकूमत करते हैं, तो इसे "हाकिमों" या "हुकूमतों" या "ताक़तों" की शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है।

“अपने इख़्तियार से” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “रहनुमाई के अपने इख़्तियार से” या “अपनी क़ाबिलियतों की बुनियाद पर”

  • कलाम, " इख़्तियार के ताबे’" का तर्जुमा किया जा सकता है, "फरमाबरदारी करने के लिए जिम्मेदार" या "और हुक्मों की फरमाबरदारी करना"।

(यह भी देखें: बाशिन्दे , हुक्म , हुक्म की फरमाबरदारी, ताक़त, हुकूमत

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H8633, G831, G1413, G1849, G1850, G2003, G2715, G5247

इन्साफ़ ,ना इन्साफ़ी ,ना इन्साफ़ी से भरा ,इंसाफ़ पसनद ,फ़ैसला,

ता;अर्रुफ़ :

इन्साफ़ " और "मुंसिफ़ " लोगों को ख़ुदा के क़ानूनों के मुताबिक़ सही तौर से फ़ैसला करने के बारे में बताता है। इंसानी क़ानून जो दूसरों के लिए सही सुलूक और ख़ुदा के वक़ार को ज़ाहिर करते हैं, वह भी हैं।

  • “इन्साफ़ ” या'नी लोगों के साथ सच्चा और सही सुलूक करना। यह ख़ुदावन्द की नज़रं में ग़लत और सही काम करना भी है।
  • “मज़हबी” सुलूक करना या'नी लोगों के साथ ऐसा सुलूक करना जो ख़ुदावन्द के क़ानून के मुताबिक़ सही बेहतर और मुनासिब है।
  • “इन्साफ़” पाना या'नी क़ानून के मुता'अल्लिक़ सही सुलूक हासिल करना, क़ानून की हिफ़ाज़त में या हुक्मों की ना फ़रमानी में।
  • कभी-कभी “इन्साफ़” का मतलब बड़ा होता है जैसे “मज़हबी” या “ख़ुदावन्द के हुक्मों पर ‘अमल करना”

"ना इंसाफ़ी से भरा " और "ना इंसाफ़ी" लफ़्ज़ लोगों को एक ग़लत और अक्सर नुक़सान दह तरीक़े के सुलूक करने के बारे में बताता है

एक "ना इंसाफ़ी " कुछ बुरा है जो किसी शख़्स के साथ किया जाता है जिसे बयान करना ठीक नहीं था। यह लोगों को ग़लत तरीक़े के सुलूक करने के बारे में बताता है। ना इंसाफ़ी का भी मतलब है कि कुछ लोगों से ग़लत तरह से सुलूक किया जाता है जबकि दूसरो से सही सुलूक किया जाता है।

  • जो कोई ग़लत रास्ते में काम कर रहा है और हसद किए जा रहा है तो वह लोगों से सही सुलूक नहीं करता |

“मज़हबी ठहराएगा” और “रास्तबाज़ ” का मतलब है क़ुसूरवार लोगों को रास्तबाज़ ठहराना। सिर्फ़ ख़ुदावन्द लोगों को हक़ीक़त में इन्साफ़ करने वाला ठहराया जा सकता है।

  • जब ख़ुदावन्द लोगों को रास्तबाज़ ठहराता है तब वह उनके गुनाह मु'आफ़ करके ऐसा कर देता है कि उन्होंने कभी गुनाह नहीं किया वह उन गुनाहगारों को ही रास्तबाज़ ठहराता है जो गुनाहों से बचने के लिए 'ईसा में ईमान करते हैं।
  • “रास्तबाज़ ” के बारे में ख़ुदावन्द के ज़रिए' लोगों के गुनाहों की मु'आफ़ी से और 'ऐलान से है कि वे इन्सान ख़ुदावन्द की नज़र में रास्तबाज़ है।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़, “सच्चा” का तर्जुमा करने की कई शक्ल हैं “इख्लाक़ी में सही” या “इन्साफ़ पसन्द ”।
  • “इन्साफ़” का तर्जुमा हो सकता है, “बिना तरफ़दारी के सुलूक” या “लायक़ नतीजा ”।
  • “सच्चा सुलूक” का तर्जुमा हो सकता है, “वफ़ादार सुलूक” या “ वफ़ादार सुलूक”
  • कुछ जुमलों में “सच्चा” का तर्जुमा “मज़हबी” या “खरा” भी हो सकता है।

जुमले के तौर पर, "ना इंसाफ़ी " का तर्जुमा "ग़लत" या "ग़ैर जानदार" या "गलत" के शक्ल में भी किया जा सकता है। ना इंसाफ़ी" जुमले का तर्जुमा "ना इन्साफ़ों " या "ना इंसाफ़ी लोगों" या "जो लोग दूसरों के साथ ग़लत सुलूक करते हैं" या "ग़लत लोग" या "जो लोग ख़ुदा की नाफ़रमानी करते हैं" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है। "ना इंसाफ़ी" लफ़्ज़ का तर्जुमा "ग़लत तरीक़े से" या "ग़लत तरीक़े से" या "ग़लत" के शक्ल में किया जा सकता है। "ना इन्साफ़" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "ग़लत ‘इलाज" या ग़लत ‘इलाज " या "ग़लत तरीक़े से सुलूक " शामिल हो सकता है

  • “मज़हबी ठहराना” का दूसरा तर्जुमा है, “(किसी) को मज़हबी का 'एलान करना” या “(किसी) के मज़हबी होने की वजह होना।”
  • लफ़्ज़ "फ़ैसला" का तर्जुमा "मज़हबी ठहराया जा रहा है" या "मज़हबी बनना" या "लोगों को मज़हबी होना" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • "नतीजे के तौर पर " जुमले का तर्जुमा हो सकता है "ताकि ख़ुदावन्द ने कई लोगों को सही ठहराया" या "जिसके नतीजे में ख़ुदावन्द ने लोगों को मज़हबी ठहराया।"
  • "हमारे फ़ैसले के लिए" जुमले के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है "ताकि हम ख़ुदा के ज़रिए' मज़हबी बनाया जा सके।"

(यह भी देखें:मु’आफ़ी , जुर्म , मज़हबी लोग) , मुंसिफ़ ,

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें :

  • __17:09__दाऊद ने कई सालों तक इन्साफ़ व वफ़ादारी के साथ हुकूमत किया, और ख़ुदावन्द ने उसे मुबारक बाद दी ।
  • 18:13 कुछ बादशाह अच्छे आदमी भी थे, जिन्होंने सही तौर से हुकूमत किया और ख़ुदावन्द की 'इबादत की।
  • 19:16 उन्होंने लोगों से कहा कि वह दूसरे मा'बूदों की 'इबादत करना बंद कर दे, और दूसरों के लिए इन्साफ़ और उन पर रहम करना शुरू' करें।
  • 50:17 'ईसा अपने मुल्क पर अमन व इन्साफ़ के साथ हुकूमत करेगा, और वह हमेशा अपने लोगों के साथ रहेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H2555, H3477, H5765, H5766, H5767, H6662, H6663, H6664, H6666, H8003, H8264, H8636, G91, G93, G94, G1342, G1344, G1345, G1346, G1347, G1738

इब्न-ए-आदम , इब्न-ए-आदम ,

ता'अर्रुफ़:

“इब्न-ए-आदम ,” यह लक़ब 'ईसा अपने लिए काम में लेता था। वह “मैं” या “मेरे” के बजाय इसी के ज़रिए' ख़ुद को इस्ते'माल करता था।

  • कलाम में “इब्न-ए-आदम” किसी आदमी के बारे में देने या उसे बात करने के लिए काम में लिया जाता था। इसका मतलब “आदमी” भी हो सकता है।
  • पुराने ‘अहद नामे की किताब , हिज़्क़ीएल में ख़ुदा हिज़्क़ीएल को बार-बार “ इब्न-ए-आदम ” कहता है। मिसाल में वह कहता है, “ऐ इब्न-ए-आदम नबूव्वत कर” ।
  • दानिएल ने “इब्न-ए-आदम” का ख़्वाब देखा कि वह बादलों पर सवार आ रहा है जो आनेवाले मसीह के बारे में है।
  • ‘ईसा ख़ुद कहता है कि इब्न-ए-आदम एक दिन बादलों में सवार होकर आएगा।
  • इब्न-ए-आदम का बादलों पर सवार होकर आना ज़ाहिर करता है कि मसीह 'ईसा ख़ुदा है।

तर्जुमा की सलाह:

  • ‘ईसा “इब्न-ए-आदम” जुमले को काम में लेता है तो इसका तर्जुमा “वह जो आदमी बना” या “आसमानी आदमी ”।
  • कुछ तर्जुमों ने कभी-कभी "मैं" या "मुझे" इस 'उन्वान के साथ ("मैं, इब्न-ए-आदम की शक्ल में) यह साबित करने के लिए शामिल करते है कि 'ईसा अपने बारे में बात कर रहे थे ।
  • यह साबित करने के लिए जांचें कि इस वक़्त का तर्जुमा ग़लत मतलब नहीं देता (जैसे कि किसी नाजायज बेटे की ओर इशारा करते हुए या ग़लत सोच देकर कि 'ईसा सिर्फ़ इन्सान थे)
  • जब किसी शख्स को हवाला दिया जाता है, " इब्न-ए-आदम का तर्जुमा "आप, एक इंसान" या "आप, आदमी" या "इंसान" या "आदमी" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: आसमान, बेटा, ख़ुदा का बेटा, यहोवा)

किताब-ए मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H120, H606, H1121, H1247, G444, G5207

इब्रानी, इब्रानियों

सच्चाई:

“इब्रानी” लोग इस्हाक़ और या’क़ूब के ज़रिए’ इब्राहीम की नसल के थे। किताब-ए-मुक़द्दस में इब्राहीम पहला इन्सान था जिसे “इब्रानी” कहा गया था।

  • “इब्रानी” लफ़्ज़ इब्रानियों की ज़बान के बारे में भी आता है। * पुराना ‘अदनामे को अक्सर लोगों ने इब्रानी ज़बान में लिखा था।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में मुख़तलिफ़ जगहों में, इब्रानियों को “यहूदी” या “इस्राईली” भी कहा गया है। ठीक होगा कि इन सब अलफ़ाज़ को उनकी असल शक्ल में ही रखा जाए, लेकिन यक़ीन किया जाए कि ये लफ़्ज़ एक ही क़ौम की जानकारी देते हैं।

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: इस्राईल, यहूदी, यहूदी रहनुमा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5680, G1444, G1445, G1446, G1447

इल्ज़ाम लगाना ,मुजरिम, बुराई ,सज़ा का हुक्म

ता’अर्रुफ़:

“इल्ज़ाम लगाना” और “सज़ा का हुक्म” या’नी ग़लत काम के लिए किसी का इन्साफ़ करना।

  • “इल्ज़ाम लगाना” में किसी इन्सान को उसके ग़लत काम के लिए सज़ा देना शामिल होता है।
  • कभी-कभी “इल्ज़ाम लगाना” के मा’नी किसी पर झूठा इल्ज़ाम लगाना या किसी का बेरहमी से इन्साफ़ करना होता है।

यह “इलज़ाम” लफ्ज़ किसी काम को ज़ाहिर करता है जो किसी पर किसी तरह की फटकार करता है |

तर्जुमा कीसलाह:

इस बात पर मुनहसिर है की इसका तर्जुमा किया जा सकता है “बीदमिज़ाजीका ‘अदालत “ या “ऐब जोई “ “इलजाम लगाना “का तर्जुमा किया जा सकता है “वह ग़लत है “उसके गुनाहों की सज़ा उसे ज़रूर मिलना है |

  • इस लफ़्ज़ “इल्ज़ाम”का ऐसा भी तर्जुमा किया जा सकता है “बदमिज़ाजी “और ज़ाहिर करता है “ग़लती की सज़ा”

(यह भी देखें: ‘अदालत . सज़ा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6064, H7034, H7561, H8199, G176, G843, G2607, G2613, G2631, G2632, G2633, G2917, G2919, G2920, G5272, G6048

इस्राईल, इस्राईली

सच्चाई:

“इस्राईल” ख़ुदावन्द के ज़रिए' या'क़ूब को दिया गया नाम था। इसका मतलब है, “वह ख़ुदावन्द के साथ जद्द-ओ-जहद करता है”

या'क़ूब की नसल “ इस्राईल के लोग”, “ इस्राईली क़ौम” या “इस्राईली” कहलाए।

  • ख़ुदावन्द ने इस्राईल के लोगों से 'अहद बाँधा था। वह उसके चुने हुए लोग थे।
  • इस्राईली क़ौम बारह क़बीलों की थी।
  • बादशाह सुलैमान के मरने से पहले इस्राईल दो मुल्क में अलग हो गया था।दक्खिनी मुल्क जो “यहूदा” कहलाया और उत्तरी मुल्क “इस्राईल”।
  • इस्राईल का तर्जुमा “इस्राईली लोग” या “ इस्राईली क़ौम” किया जाता है, जो जुमले पर मुन्हसिर करता है।

(यह भी देखें: या'क़ूब, [ इस्राईल का मुल्क, यहूदा, सल्तनत, इस्राईल के बारह क़बीले )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 08:15 बारह बेटों की औलाद से इस्राईल के बारह क़बीले बन गए।
  • 09:03 मिस्रियो ने इस्राईलियों से सख़्ती के साथ ख़िदमत करवाई, और यहाँ तक कि कई 'इमारतें व पूरे शहर को ता'मीर करवाया।
  • 09:05 एक इस्राईली 'औरत ने बेटे को पैदा किया।
  • 10:01 उन्होंने कहा, “इस्राईल का ख़ुदा यूँ कहता है, ‘मेरी रि'आया के लोगों को जाने दे !’”
  • 14:12 लेकिन इन सब के बावजूद भी, इस्राईली ख़ुदा व मूसा के ख़िलाफ़ बुड़बुड़ाते रहें।

*15:09_ ख़ुदावन्द उस दिन इस्राईल के लिए लड़ा । _ ख़ुदावन्द ने अमूरियों को उलझन में डाल दिया, और ओले भेजकर बहुत से अमूरियों को हलाक किया।

  • 15:12 जंग के बा'द, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को वह सारा मुल्क दिया, जिसे उसने उनको बुजुर्गों से क़सम खाकर देने को कहा था; और वह उसके हाकिम होकर उसमे बस गए। तब ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को सारी सीमा के साथ अमन 'अता किया |
  • 16:16 तो ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को फिर से सज़ावार किया, क्यूँकि उन्होंने बुतों की 'इबादत की थी।
  • 43:06 “ऐ इस्राईलियों यह बातें सुनो: 'ईसा नासरी एक शख़्स था, जिसने ख़ुदावन्द की ताक़त से कई अजीब कामों और निशानों को ज़ाहिर किया, जो ख़ुदावन्द ने तुम्हारे बीच उसके ज़रिए' कर दिखाए जिसे तुम ख़ुद ही जानते हो”

शब्दकोश:

  • Strong's: H3478, H3479, H3481, H3482, G935, G2474, G2475

ईमान

ता’रीफ़:

‘आम तौर पर “ईमान” का मतलब है किसी इन्सान या चीज़ में , यक़ीन, भरोसा या “ईमान” रखना।

  • “ “ईमान होना” या’नी किसी शख़्स में यक़ीन करना कि वह जो कहता है और सच और भरोसेमन्द है|
  • “‘ईसा में ईमान” का मतलब है, ‘ईसा के बारे में ख़ुदा की सब ता’लीमों को मानना। इसका मतलब ख़ास करके यह है इन्सान ‘ईसा और उसकी क़ुर्बानी पर और उनकी नजात तथा गुनाह की सज़ा से नजात के लिए उन पर भरोसा है।
  • ’ईसा में सच्चा ईमान इन्सान में रूहानी फल या अच्छा सुलूक पैदा करता है क्योंकि उसमें पाक रूह बसी होती है।
  • कभी-कभी “ईमान” ‘ईसा के बारे में सब ता’लीमों के बारे में होता है। जैसा इस इज़हार, “ईमान की सच्चाई” में है।
  • मज़मून जैसे "ईमान को थामे रहना" तथा ईमान को छोड़ने” लफ़्ज़ में “ईमान” ‘ईसा के बारे में तमाम ता’लीमों पर ‘ईमान लाने के बयान और हालत के बारे में है।

तर्जुमे की सलाह:

  • कुछ मज़मूनों में “ईमान” का तर्जुमा “यक़ीन” या “अहसास-ए-जुर्म” या “ऐ’तमाद” या “भरोसा” किया जा सकता है।
  • कुछ ज़बान में इन अलफ़ाज़ का तर्जुमा “ईमान करना” के फ़े’अल की शक्ल में किया जा सकता है।
  • इज़हार "ईमान रखना" का तर्जुमा" “‘ईसा पर ईमान करना" या "‘ईसा पर मुसलसल ईमान जारी रखें" के तौर पर किया जा सकता है।
  • ये जुमले "ईमान की गहरी सच्चाइयों को पकड़ना" का तर्जुमा, "उन्हें ‘ईसा के बारे में सारी सच्ची बातें मानना चाहिए जो उन्हें सिखाया गया है की शक्ल में किया जा सकता है ।"
  • इज़हार "ईमान में मेरा सच्चा बेटा" अलफ़ाज़ का तर्जुमा "मेरे बेटे की तरह है क्योंकि मैंने उसे ‘ईसा पर ईमान करने के लिए सिखाया था" या "मेरा सच्चा रूहानी बेटा, जो ‘ईसा पर ईमान करता है" का तर्जुमा किया जा सकता है।

(यह भी देखें: ईमान, क़ाबिल-ए-ईमान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:

  • 05:06 जब इसहाक़ जवान था, तो ख़ुदा इब्राहीम के __ ईमान __ की आज़माइश करते हुए कहा, की अपने इकलौते बेटे को लेकर क़ुर्बानी के तौर पर मार डालो।
  • 31:07 फिर उसने (‘ईसा ) पतरस से कहा, "तुम कम ईमान वाले इन्सान, तुमने शक क्यों किया?"
  • 32:16 ‘ईसा ने उससे कहा, "तुम्हारे __ ईमान __ ने तुमको चंगा किया है। सलामती से जाओ।"
  • 38:09 ‘ईसा ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी आज़माइश लेना चाहता है, लेकिन मैंने तुम्हारे लिये दु’आ की है, पतरस, तेरा __ ईमान __ कमज़ोर नहीं होगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H529, H530, G1680, G3640, G4102, G6066

ईमानदार, इमानदारी, बे-ईमान, बे-ईमानी

ता’अर्रुफ़:

ख़ुदा के लिए “ईमानदार” होने का मतलब मुसलसल ख़ुदा की ता’लीमों के मुताबिक़ रहने से है। इसका मतलब उसका ‘अमल करने के ज़रिए’ उसके लिए वफ़ादार होना। ईमानदार होने के बयान या हालत को "ईमानदारी" कहते है।

  • एक ईमानदार इन्सान हमेशा अपने वा’दों को बरक़रार रखने और दूसरे लोगों को अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए भरोसा रखता है|
  • ईमानदार शख़्स किसी काम को करने में मेहनत करता है चाहे वह बहुत वक़्त का और मुश्किल भी क्यों न हो।
  • ख़ुदा के लिए वफ़ादारी से मुसलसल करते रहने की मश्क़ करना, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है|

लफ़्ज़ ख़ुदा पर “बे-ईमान” का मतलब उस इन्सान से है, जो ख़ुदा हमसे करवाना चाहता है वह नहीं करता है| बे-ईमान की मश्क़ या शर्त को “बे-ईमानी” कहते हैं|

  • इस्राईल के लोगों को बे-ईमान कहते थे, जब उन्होंने बुतपरस्ती शुरू’ की और जब वह और तरह से ख़ुदा की नाफ़रमानी की|
  • शादी में, जो कोई ज़िना करता है, उससे अपने शौहर के लिए “बेवफ़ा” क़रार दिया जाता है|
  • ख़ुदा ने इस्राईल के नाफ़रमान रवैये के लिए “बे-ईमान” लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया| वह ख़ुदा की फ़रमाबरदारी या ‘इज़्ज़त करते थे|

तर्जुमे की सलाह:

  • बहुत से मज़मूनों में “ईमानदार” का तर्जुमा “वफ़ादार” या “ताबे’” या “मुनहस्सिर करने के क़ाबिल” भी किया जा सकता है।

  • और मज़मूनों में “ईमानदार” ऐसे अलफ़ाज़ या जुमलों के ज़रिए’ तर्जुमा किया जा सकता है जिनका मतलब हो, “भरोसा करते रहना” या “ख़ुदा पर ईमान करने और उसके फ़रमाबरदारी में लगे रहना”।

  • “ईमानदार” के तर्जुमे के और तरीक़े हो सकते हैं, “ईमान में मेहनत करते रहना” या “वफ़ादारी” या “भरोसेमन्द” या “ख़ुदा पर ईमान और फ़रमाबरदारी”

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “बे-ईमान” का तर्जुमा “ईमानदार नहीं” या “बे-ऐतिक़ादी” या “नाफ़रमान” या “वफ़ादार नहीं” के तौर पर किया जा सकता है|

  • अलफ़ाज़ “बे-ईमान” का तर्जुमा “वह लोग ख़ुदा पर ईमान नहीं रखते” या “बे-ईमान लोग” या “वे लोग जो ख़ुदा की नाफ़रमानी करते हैं” या “वह लोग जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत करते हैं” के तौर पर किया जा सकता है|

  • लफ़्ज़ “बे-ईमानी” का तर्जुमा “नाफ़रमान” या “बेवफ़ाई” या “नाफ़रमानी या भरोसा न करना” के तौर पर किया जा सकता है|

  • कुछ ज़बानों में, लफ़्ज़ “बे-ईमान” लफ़्ज़ “बे-ऐतिक़ादी “से मुता’अल्लिक़ है|

(यह भी देखें: ज़िना, यक़ीन, नाफ़रमानी, ईमान, भरोसा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 08:05 यहाँ तक की क़ैदख़ाने में भी यूसुफ़ ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहा और ख़ुदा ने उसे बरकत दी।
  • 14:12 फिर भी, ख़ुदा अपने ‘अहद पर वफ़ादार रहा जो उसने इब्राहीम, इस्हाक़, व या’क़ूब से बाँधी थी।
  • 15:13 लोग ने ‘अहद बाँधा था कि वे ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहेंगे व उसके हुक्मों का ‘अमल करेंगे।
  • 17:09 दाऊद ने कई सालों तक इंसाफ़ व वफ़ादारी के साथ हुकूमत की, और ख़ुदा ने उसे बरकत दिया। हालांकि, अपनी ज़िन्दगी के आख़िरी पड़ाव में उसने ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा गुनाह किया।
  • 18:04 तब ख़ुदा ने सुलैमान पर ग़ुस्सा किया, और उसकी नारास्ती की वजह उसे दंड दिया, और ‘अहद बाँधा कि सुलैमान की मौत के बा’द वह इस्राईल की बादशाही को दो हिस्सों में बाँट देंगा।
  • 35:12 “उसने बाप को जवाब दिया कि, ‘देख, मैं इतने साल आप के लिये ईमानदारी से काम कर रहा हूँ,
  • 49:17 लेकिन ख़ुदा ईमानदार है और यह कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों को मान लो, तो वह तुम्हें मु’आफ़ करेगा।
  • 50:04 अगर तुम आख़िर तक मेरे लिए वफ़ादार रहोगे, तो ख़ुदा तुम्हें बचाएगा!”

शब्दकोश:

  • Strong's: H529, H530, H539, H540, H571, H898, H2181, H4603, H4604, H4820, G569, G571, G4103

उम्मीद, उम्मीद की, उम्मीदें

ता’अर्रुफ़:

उम्मीद कुछ होने के लिए मज़बूत ख़्वाहिश है| उम्मीद मुस्तक़बिल के वाक़ि’ए या ग़ैर यक़ीनी मौक़े’ का इशारा बन सकता है|

  • किताब-ए-मुक़द्दस के में, लफ़्ज़ "उम्मीद" का मतलब "भरोसा"; भी है, जैसा कि "मेरी उम्मीद ख़ुदावन्द में है।" यह उन लोगों को हासिल करने की एक मुक़र्ररा उम्मीद को ज़ाहिर करता है जो ख़ुदा ने अपने लोगों से वा’दा किया है
  • कभी-कभी यूएलबी लफ़्ज़ को असल ज़बान में "ख़ुद’ऐतिमाद"; के तौर पर तब्दील कर देता है। यह ज्यादातर नए ‘अहदनामे में हालात के मुताबिक़ होता है, जहां लोग जो अपने मुन्जी की शक्ल में ‘ईसा पर ईमान करते हैं, उन्हें ख़ुदा ने वा’दा किया है, उसे हासिल करने का हौसला (या ख़ुद’ऐतिमाद या उम्मीद) है।
  • “कोई उम्मीद नहीं” का मतलब है किसी अच्छी बात का भरोशा नहीं। इसका मतलब है कि यह हक़ीक़त में बहुत यक़ीनी है कि ऐसा नहीं होगा।

तर्जुमे की सलाह:

  • ज़्यादातर मज़मूनों में ‘उम्मीद करना का तर्जुमा हो सकता है, “ख़्वाहिश करना” या “मिन्नत” या “उम्मीद करना।”
  • इज़हार "उम्मीद करने के लिए कुछ नहीं" का तर्जुमा "भरोसा करने के लिए कुछ नहीं" या "कुछ भी अच्छा नहीं की उम्मीद" के तौर पर भी किया जा सकता है
  • “कोई उम्मीद नहीं” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी भी अच्छी बात की उम्मीद नहीं होना” या “हिफ़ाज़त नहीं होना” या “यक़ीनी तौर से जान लेना कि कुछ भी अच्छा नहीं होगा।”
  • इज़हार "पर आपकी उम्मीदों को क़ायम किया है" का तर्जुमा "आपके ख़ुद’ऐतिमाद में डाल दिया है" या "पर भरोसा किया गया है" के तौर पर भी किया जा सकता है।
  • जुमला "मुझे आपके लफ़्ज़ में उम्मीद मिलती है" का तर्जुमा "मुझे पूरा भरोसा है कि आपका कलाम सच्चा है" या "आपका कलाम मुझे आपके अंदर भरोसा करने में मदद करता है" या "जब मैं आपके कलाम का ‘अमल करता हूँ, तो मुझे बरकत मिल जाएगी" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • "उम्मीद" जुमले का तर्जुमा, "ख़ुदा में भरोसा" या "सही जानना कि ख़ुदा ने जो वा’दा किया है। वह करेगा" या "तय करना कि ख़ुदा ईमान के क़ाबिल है" के तौर पर हो सकता है।

(यह भी देखें: बरकत, भरोसा, अच्छा, फ़रमाबरदारी, यक़ीन, ख़ुदा का कलाम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H982, H983, H986, H2620, H2976, H3175, H3176, H3689, H4009, H4268, H4723, H7663, H7664, H8431, H8615, G91, G560, G1679, G1680, G2070

ऐ’तिमाद, भरोसा, , भरोसेमंद, भरोसे के लायक़ ,भरोसे वाला

ता’अर्रुफ़:

किसी चीज़ या इन्सान पर “भरोसा” करने से मुराद उस चीज़ या इन्सान को सच्चा और भरोसेमंद मानने से है। उस यक़ीन को "भरोसा" भी कहा जाता है। “ए’तिमाद के लायक़ ” इन्सान पर भरोसा किया जा सकता है कि वह सही और सच को कहे और करे, और इसलिए जिसकी "भरोसे मंदी " की ख़ासियत है।

  • भरोसा, ईमान से मुन्सलिक है जब हम किसी पर भरोसा करते हैं तब हम उस पर ईमान रखते हैं कि उसने जिस बात का ‘अहद किया है उसे वह पूरा करेगा।
  • किसी पर भरोसा करने का मतलब है उस पर मुनहसिर रहना।
  • मसीह “पर भरोसा” करने का मतलब है यक़ीन करना कि वह ख़ुदा है, कि वह हमारे गुनाहों की सज़ा उठाने के लिए सलीब पर मरा और हमारी नजात के लिए उस पर मुनहसिर रहना।
  • “एक "भरोसेमंद कहावत" कुछ ऐसा करने के लिए हवाला देता है जिसे सच माना जा सके।

तर्जुमे के लिए सलाह:

  • “भरोसा” के तर्जुमे में, “यक़ीन ” या “ईमान ” या “पक्का ईमान ” या “मुनहसिर रहना” शामिल हो सकते हैं।
  • “में भरोसा रखो” का मतलब “भरोसा रखने” से मिलता जुलता है।
  • लफ़्ज़ "भरोसेमंद" का तर्जुमा “ईमानदार ” या “ऐ’तिमाद के लायक़” या “हमेशा भरोसे में है” हो सकता है।

(यह भी देखें: यक़ीन , ऐ’तिमाद , ईमान , भरोसेमंद , सच )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:

  • 12:12 जब इस्राईलियों ने देखा कि मिस्र के लोग मारे गए है, तो उन्होंने ख़ुदा पर भरोसा किया और यक़ीन करने लगे कि मूसा ख़ुदा का एक नबी है।
  • __14:15__यशू’अ एक अच्छा रहनुमा था क्योंकि वह ख़ुदा पर __भरोसा __ करता था व उसके हुक्मो को मानता था।
  • __17:02__दाऊद एक बहुत ही हलीम व रास्तबाज़ इन्सान था, जो ख़ुदा पर __भरोसा __ और उसके हुक्मों को मानता था।
  • 34:06 फिर ‘ईसा ने उन लोगों के बारे में एक कहानी बताई जो __ अपने ख़ुद के अच्छे कामों पर __भरोसा __ रखते थे और ग़ैर लोगों के साथ नफ़रत करते थे।

शब्दकोश:

  • Strong's: H539, H982, H1556, H2620, H2622, H3176, H4009, H4268, H7365, G1679, G3872, G3982, G4006, G4100, G4276

कफ़्फ़ारह

ता’अर्रुफ़:

“कफ़्फ़ारह” यह एक ऐसी क़ुर्बानी है जो ख़ुदा के इन्साफ़ को मुतमईन करने और उसके ग़ुस्से को रफ़ा’करने के लिए होती है।

  • ‘ईसा मसीह के लहू का क़ुर्बानी इन्सानी क़ौमों के गुनाहों के लिए ख़ुदा का कफ़्फ़ारह है।
  • सलीब पर ‘ईसा की मौत ने गुनाह के ख़िलाफ़ ख़ुदा के ग़ज़ब को रफ़ा’ कर दिया है। इसके ज़रिए’ख़ुदा इन्सान पर महरबानी की नज़र कर पाता है और उन्हें हमेशा की ज़िन्दगी देता है।

तरजुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तरजुमा “तमानत” या “ख़ुदा से गुनाह मु’आफ़ करवाना और इन्सानों को मिन्नत ‘अता करना” हो सकता है।
  • “कफ़्फ़ारह” लफ़्ज़ मतलब में “मिन्नत” के नज़दीक है। इन दोनों लफ़्ज़ के इस्तेमाल की बराबरी करना ज़रूरी है।

(यहभीदेखें: क़फ्फारा, हमेशा, मु’आफ़ करना, क़ुर्बानी

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G2434, G2435

कफ़्फ़ारा, तौबा करना, तौबा किया जाए, तौबा किया

ता’अर्रुफ़:

“तौब करना” और “कफ़्फ़ारा” के ख़ुदा के ज़रिए' लोगों के गुनाहों की क़ुर्बानी का इन्तिज़ाम और गुनाहों के लिए उसके ग़ुस्से को ख़ामोश करने से है।

  • पुराने 'अहद नामे के ज़माने में ख़ुदा ने इस्राईल के लिए फ़ौरी तौर पर इन्तिज़ाम किया था कि उनके गुनाहों की तौबा ख़ून की क़ुर्बानी चढ़ाने से की जाए जिसमें जानवर की क़ुर्बानी की जाटी थी ।
  • जैसा नये 'अहद नामे में लिखा है, सलीब पर मसीह की मौत ही गुनाह का सिर्फ़ एक सच्ची और हमेशा की तौबा है।
  • ईसा ने मरकर लोगों के गुनाहों की सज़ा को उठा लिया था। उसने अपने गुनाहों की क़ुर्बानीको मौत के ज़रिए' कफ़्फ़ारे की क़ीमत को चुका दिया है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “तौबा करना” का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए' किया जा सकता है जिसका मतलब “क़ीमत चुकाना” या “के लिए क़ीमत देना” या “किसी केगुनाहों की मु'आफ़ी करवाना” या “जुल्म से तौबा करना”।
  • “कफ़्फ़ारा” के तर्जुमे हो सकते हैं, “क़ीमत अदा करना ” या “गुनाहों की क़ीमत चुकाने की क़ुर्बानी” या “मु'आफ़ी का रास्ता हासिल करवाना”।
  • वाज़ेह करें कि इस लफ़्ज़ के तर्जुमे मे पैसों की कोई 'अलामत बयान न हो।

(यह भी देखें: कफ़्फ़ारे के ढकने, मु’आफ़ी , तौबा , मेल-मिलाप, छुटकारा दिलाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3722, H3725, G2643

कफ़्फ़ारे का ढकना

ता'अर्रुफ़:

“तौबा का ढकना” 'अहद के सन्दूक़ को ढंकने के लिए सोने का तख़्त था। कई अंग्रेजी तर्जुमों में इसे “तौबा का ढकना” भी कहा गया है।

  • तौबा का ढकना 115 सेन्टी-मीटर लम्बा और 70 सेन्टी-मीटर चौड़ा था।
  • तौबा के ढकने के ऊपर दो सोने के दो क़रूब थे उनके पंख एक दूसरे को छूते हुए थे
  • यहोवा का कहना था कि वह इस्राईलियों से मुलाक़ात करने के लिए तौबा के ढकने पर क़रूबों के फैले हुए पंखों के नीचे मौजूद होगा। सिर्फ़ सरदार काहिन को लोगों का नाज़िम होकर यहोवा के पास जाने की इजाज़त थी।
  • इस मक़ाम को “रहम का तख़्त” भी कहा गया है क्यूँकि यह गुनाहगार लोगों की नजात के लिए ख़ुदा के ज़रिए' ढके होने में उसके रहम को ज़ाहिर करता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमें कई तरह हो सकते हैं, “सन्दूक़ का ढकना जहां ख़ुदा नजात दिलाने का वा'दा करता है” या “वह मक़ाम जहाँ ख़ुदा सुलह करता है” या “सन्दूक़ का ढकना जहाँ ख़ुदा मु'आफ़ करके बहाल करता है”।
  • इसका मतलब “तरक़्क़ी का मक़ाम ” भी हो सकता है।
  • इस लफ़्ज़ की बराबरी “तौबा”, “सुलह” और “नजात” लफ़्ज़ों के तर्जुमें से करें।

(यह भी देखें: ‘अहद का सन्दूक़, तौबा, क़रूबों, कफ़्फ़ारा , छुटकारा दिलाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3727, G2435

कलीसिया, कलीसियाओं, कलीसिया

ता’अर्रुफ़:

नये ‘अहद नामे’ में "कलीसिया" का बयान मसीह के ईमानदारों का मुक़ामी जमात से है जो दुआ’ करने और ख़ुदा का कलाम सुनने के लिए रोज़ जमा’होते थे। “कलीसिया” लफ़्ज़ सब ईमानदारो के बारे में है।

  • इस लफ़्ज़ का हक़ीक़ी मा’नी है इज्तिमा’ या शराकत जो किसी ख़ास मक़सद से इकठ्ठे होते हैं |
  • जब यह लफ़्ज़ सब जगहों के सब ईमानदारों मसीह के पूरे बदन के बारे में हो तो कुछ किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमों में पहला हर्फ़ बड़ा लिखा गया है कि वह मुक़ामी कलीसिया से अलग दिखाई दे |
  • किसी शहर के ईमानदार अक्सर किसी एक के घर में इकठ्ठा होते थे | इन मुक़ामी कलीसियाओं को उस जगह का नाम दिया जाता था जैसे “इफिसुस की कलीसिया”।
  • किताब-ए-मुक़द्दास में "कलीसिया" का बयान मकान से नहीं है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “कलीसिया” लफ़्ज़ का तर्जुमा “एक साथ इकठ्ठा होना” या “इज्तिमा’” या “मजलिस” या “इकठ्ठे होने वाले” हो सकता है।
  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमे में काम में लिए गए लफ़्ज़ या जुमले का मतलब एक झुण्ड से नहीं सब ईमानदारों से होना है।
  • वाज़े’करें कि “कलीसिया” का तर्जुमा किसी मकान का मा’नी ज़ाहिर न करे।
  • पुराने ‘अहद नामे में “इज्तिमा’का जिस लफ़्ज़ से तर्जुमा किया गया है उस लफ़्ज़ का भी यहाँ इस्ते’माल किया जा सकता है |
  • मुक़ामी या क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे को भी देखें| (देखें:अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें:मजलिस,ईमान,मसीही ईमानदार

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 43:12 लगभग 3000 लोगों ने पतरस कि बात पर यक़ीन किया और ‘ईसा के शागिर्द बन गए। और उन्हें बपतिस्मा दिया गया और वे यरूशलीम की कलीसिया का हिस्सा बन गए।
  • 46:09 लेकिन अन्ताकिया में ज़्यादा तर लोग यहूदी नहीं थे, और पहली बार, उनमें से बहुत लोग ईमान लाकर ख़ुदा की ओर फिरे। बरनबास और शाऊल इन नए ईमानदारों को पढ़ाने, ‘ईसा के बारे में बताने और कलीसिया को मजबूत करने के लिये अन्ताकिया आए।
  • 46:10 तब अन्ताकिया की कलीसिया ने शाउल और बरनबास के लिए दु’आ करी और उन पर हाथ रखा। फिर कलीसिया ने उन्हें कई और जगहों में ‘ईसा के बारे में ऐलान करने के लिये भेज दिया।
  • 47:13 ‘ईसा की ख़ुशख़बरी को वह सुनाते गए और कलीसिया तरक़्क़ी करती गई।
  • 50:01 लगभग 2,000 से ज़्यादा सालों से, दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा लोग ‘ईसा मसीह की ख़ुशख़बरी को सुन रहे हैं। कलीसिया बढ़ रही है।

शब्दकोश:

  • Strong's: G1577

काम, अमल , काम , आमाल

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “काम”, “अमल ”, “आमाल ” ख़ुदा या इन्सानों के ज़रिए किए गये कामों के बारे में इस्तेमाल किए गए लफ़्ज़ हैं।

  • "काम " लफ़्ज़ का बयान मेहनत या कोई काम जो और लोगों लोगो के लिए किया गया हो।
  • ख़ुदा के “काम” और “उसके हाथों के काम” उन सब बातों के बारे में हैं जो ख़ुदा ने किए और करता है, जिससे दुनिया की तख्लीक़ , गुनाहगारों की नजात , पूरी दुनिया की ज़रूरतों को ‘अता करना और पूरी क़ायनात को एक जगह पर क़ायम रखना। “किरदार और आमाल ” ख़ुदा के मो’जिज़ा के बारे में इस्तेमाल करने के लिए भी किया गया है। जैसे की “आमाल की ताक़त” या “मो’जिज़ा”।
  • इन्सान के किरदार अच्छे और बुरे हो सकते हैं।
  • पाक रूह ईमानदारों को को भले काम करने की ताक़त ‘अता करती है जिन्हें “अच्छा फल” कहते हैं।
  • इन्सान भले कामों से नहीं ‘ईसा में यक़ीन के ज़रिये’ नजात पाता है।
  • इन्सान का “काम ” उसके गुज़र बसर या ख़ुदा की ख़िदमत के लिए किए गए काम हो सकते है। किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा के लिए कहा गया है कि वह “काम करता” है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “काम” और “किरदार ” को “करना ” या “किए गए काम ” में भी तर्जुमा कर सकते हैं।
  • ख़ुदा के “कामों ” या “कामों” और "उसके हाथों के काम" का तर्जुमा , “मो’जिज़ा ” या क़ुदरती काम ” या “उसके मो’जिज़ा” हो सकता है।
  • “ख़ुदा के काम ” ज़ाहिरयत का तर्जुमा “जो काम ख़ुदा कर रहा है” या "जो मो’जिज़ा ख़ुदा करता है" या “ख़ुदा जो हैरानी के काम करता है” या “सब कुछ जो ख़ुदा ने किया है” की शक्ल में हो सकता है।
  • “कामों ” का वाहिद “काम ” है जैसे “हर एक अच्छा काम ” या “हर एक अच्छा काम”
  • “काम ” का सही मतलब “ख़िदमत ” या “मसीही ख़िदमत भी होता है”। मसलन , ख़ुदावन्द में तेरी ख़िदमत ” का तर्जुमा हो सकता है “तू ख़ुदावन्द के लिए जो काम करता है”
  • “अपने कामों को जांचों” कलाम का तर्जुमा “मुक़र्रर करो कि तुम जो कर रहे हो वह ख़ुदा की मर्ज़ी है” या “तय करो कि तुम जो करते हो उससे ख़ुदा ख़ुश है”।
  • “पाक रूह के काम” इसका तर्जुमा “पाक रूह की ताक़त ” या “पाक रूह की ख़िदमत का काम ” या “पाक रूह जो काम करता है”

(यह भी देखें: फल, पाक रूह , मो’जिज़ा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4566, H4567, H4611, H4659, H5949, G2041

काहिन , काहिनो , काहिन ‘ओहदा

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए -मुक़द्दस में काहिन ख़ुदा के लोगों की ओर से ख़ुदा के लिए अदा करने वाले चढ़ावे के लिए चुना गया शख़्स “काहिन का ‘ओहदा ” उसके ‘ओहदे या उसकी ख़िदमत का नाम है।

  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने हारून और उसकी नसल को इस्राईल के लिए काहिन होने के लिए चुना था।
  • “काहिन का ‘ओहदा ” एक इख्तियार और ज़िम्मेदारी का था जो लेवियों के क़बीलों में बाप से बेटे को प् लेना होता था।
  • इस्राईल के कहिनो की ज़िम्मेदारी थी कि वे आदमियों के ज़रिये लायी गई क़ुर्बानी ख़ुदा कोपेश करें , इसके साथ हैकल के और काम की भी उनकी ज़िम्मेदारी थी
  • काहिन रोज़ दुआएं भी ख़ुदा को पेश करते थे और मज़हबी कामों को पूरा करते थे।
  • काहिन आदमियों को पूरी दुआ भी देते थे और उन्हें ख़ुदा की शरी’अत के बारे में सिखाते थे।
  • ‘ईसा के जमाने में काहिनों के अलग-अलग दर्जे थे जिनमें हाकिम काहिन और सरदार काहिन भी थे।
  • ‘ईसा हमारा “बड़ा सरदार काहिन ” है जो ख़ुदा की हुज़ूरी में हमारे लिए मिन्नत करता है। उसने ख़ुद को गुनाह की आख़िरी क़ुर्बानी करके पेश कर दिया। इसका मतलब है कि काहिनों के ज़रिये पेश की गयी क़ुर्बानी की अब ज़रूरत नहीं है।
  • नये ‘अहद नामे में ‘ईसा का हर एक ईमानदार “” कहा गया है, वह ख़ुद के लिए और इन्सानों के लिए मिन्नत करने के लिए सीधा ख़ुदा के पास आ सकता है।
  • पुराने ज़माने में ग़ैर क़ौमों के भी इबादत गार थे जो झूठे मा’बूद को क़ुर्बानी पेश करते थे, जैसे बा’ल देवता को।

तर्जुमे की सलाह:

  • तर्जुमे के मुताबिक़ “काहिन” का तर्जुमा “क़ुर्बानी पेश करने वालाआदमी ” या “ख़ुदा का ख़ास ” या “क़ुर्बानी चढ़ाने वाला ख़ास ” या “ख़ुदा के ज़रिये उसकी रहबरी करने के लिए मुक़र्ररइन्सान ”।
  • “काहिन” का तर्जुमा “बीच ” के तर्जुमे से अलग होना है।
  • कुछ तर्जुमों में हमेशा कहा जाता है, “इस्राईली काहिन” या “यहूदी काहिन ” या “यहोवा का काहिन ” या “बा’लका आबिद ” कि तय किया जाए कि वे आज के आबिदों की तरह नहीं थे।
  • “काहिन” लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के लिए आया लफ़्ज़ “हाकिम काहिन ” और “सरदार काहिन ” और “लेवीय” और “नबी ” से अलग होना चाहिए।

(यह भी देखें: हारून, हाकिम काहिन , सरदार काहिन , बीच , क़ुर्बानी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 04:07"मलिकिसिदक, अज़ीम ख़ुदा के काहिन "
  • 13:09 जो कोई भी ख़ुदा के क़ानूनों की नाफ़रमानी करता है, वह सुलह के ख़ेमे के सामने क़ुर्बानगाह पर ख़ुदा के लिये जानवर की क़ुर्बानी चढ़ाएगा | एक काहिन जानवर को मारकर उसे क़ुर्बानगाह पर जलाएगा | एक काहिन जानवर को मारकर उसे क़ुर्बानगाह पर जलाएगा | उस जानवर का ख़ून जिसकी क़ुर्बानी चढ़ाई गई है, ख़ुदा की निगाह में गुनाहगार आदमी के सभी जुर्मों को धो देंगा | ख़ुदा ने मूसा के भाई हारून और हारून की नसल को काहिन ‘ओहदे के लिये चुना |
  • 19:07 तब बा’ल के याजकों ने उस बछड़े को जो उन्हें दिया गया था, लेकर क़ुर्बानी के लिए तैयार किया, लेकिन उमसे आग न लगाई
  • __21:07काहिन वो है जो लोगों के जगह पर ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी पेश करता है, जिससे कि ख़ुदा उनके गुनाहों की वजह से उन्हें सज़ा न दे | काहिन ख़ुदा से लोगों के लिए दुआ’ भी करते थे |

शब्दकोश:

  • Strong's: H3547, H3548, H3549, H3550, G748, G749, G2405, G2406, G2407, G2409, G2420

कुफ़्र, कुफ़्र, ना हक़, किया कुफ़्र करना, कुफ़्र

ता'अर्रुफ़:

कलाम में “कुफ़्र” लफ्ज़ का ऐसे तरीक़े से बोलना है जो ख़ुदा या लोगों के बारे में ग़ज़बनाक गहरी बे'इज़्ज़ती ज़ाहिर करता है। “कुफ़्र” किसी का उस इन्सान के ख़िलाफ़ बोलना जो और लोगों के ख़याल से झूठा और बुरा हो |

  • ख़ुदावन्द की तौहीन करने का मतलब ज़्यादा तर यह होता था कि ख़ुदा के बारे में ग़लत बातें कह कर उसकी तौहीन करना या ख़ुदा की 'इज्ज़त को नुक्सान पहुंचाना या ऐसा ग़ैर अख्लाक़ी सुलूक करना जिससे ख़ुदावन्द की 'इज्ज़त गिरे।
  • आदमी ख़ुद को ख़ुदा कहे या अपने आप को भी ख़ुदा के बराबर एक ख़ुदा कहे तो वह कुफ़्र है।
  • कुछ अंग्रेजी ज़बान इसका तर्जुमा हो सकता है "बे'इज़्ज़ती" जब यह बे'इज्ज़त इन्सान के बारे में बताता है |

तर्जुमें की सलाह:

  • “कुफ़्र” का तर्जुमा किया जा सकता है, “किसी के ख़िलाफ़ बुरी बातें कहना” या “ख़ुदावन्द की तौहीन करना” या “बे'इज़्ज़त करना”
  • “बुराई ” के और तर्जुमा हो सकते हैं, “किसी के ख़िलाफ़ झूठी बातें कहना” या “बे'इज़्ज़त करना” या “झूठी अफवाह उड़ाना”।

(यह भी देखें: बे'इज़्ज़ती , बे'इज़्ज़ती )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H1288, H1442, H2778, H5006, H5007, H5344, G987, G988, G989

क़ुव्वत , ताक़तें

ता’अर्रुफ़:

“क़ुव्वत” लफ़्ज़ का मतलब है कुछ करने की हिम्मत या बहुत ज़्यादा ज़ोर लगाकर कुछ होना मुमकिन करना। “ताक़तों ” का बयान इन्सानों या रूहों से है जिनमें कुछ करने की अज़ीम क़ुदरत होती है।

  • “ख़ुदा की क़ुव्वत” या’नी सब कुछ मुमकिन बनाने की ख़ुदा कीक़ुदरत , ख़ास करके वे काम जो इन्सान के लिए नामुमकिन है।
  • ख़ुदा को अपनी पूरी दुनिया का पूरा इख़्तियार है।
  • ख़ुदा जो चाहता है उसे करने के लिए अपने लोगों को क़ुव्वत ‘अता करता है जिससे कि जब वे इंसानों को बीमारी से शिफ़ा ‘अता करें या और मोजिज़े करें तो वह ख़ुदा की क़ुदरत से माने जाएं।
  • ‘ईसा और रूह-उल-क़ुद्दूस भी ख़ुदा हैं इसलिए उनकी क़ुव्वत भी एक जैसी है।

तर्जुमे की सलाह :

  • मज़मून के मुताबिक़ “कुव्वत ” का तर्जुमा “ताक़त ” या “क़ुदरत ” या “हिम्मत ” या “मोजिज़ों कीताक़त ” या “ज़ोर ” हो सकता है।
  • “ताक़तों ” का तर्जुमा हो सकता है, “ताक़तवर जानदार ” या “क़ाबू में करने वाली रूहें ” या “इन्सानों को क़ब्ज़े करने वाले”
  • “हमें दुश्मन के हाथों से बचा” का तर्जुमा होगा, “हमें अपने दुश्मनों के ज़ुल्म से बचा” या “हमें अपने दुशमनों के ज़ोर से छुड़ा ले”। * यहां “ताक़त ” का मतलब है इन्सानों को क़ब्ज़े में करने और उन पर ज़ुल्म करने की जिस्मानी क़ुव्वत ”।

(यह भी देखें: रूह-उल-क़ुद्दूस, ‘ईसा , मोजिज़े)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 22:05 फ़रिश्ते ने उसको जवाब दिया, “रूह-उल-क़ुद्दूस तुझ पर उतरेगा, और ख़ुदा की __ क़ुव्वत __ तुझ पर साया करेगी | इसलिये वह पाक जो पैदा होनेवाला है, ख़ुदा का बेटा कहलाएगा |”
  • __26: 1शैतान की आज़माइश पर फतह पाने के बा’द, ‘ईसा जहाँ वह रहते थे गलील के ‘इलाक़े के लिए पाक रूह की क़ुव्वत __ में लौट आए।
  • 32:15 ‘ईसा ने फ़ौरन जान लिया कि मुझ में से __ क़ुव्वत __ निकली है |
  • 42:11 ‘ईसा के मरे हुओ में से जी उठने के चालीस दिनों के बा’द, उसने अपने शागिर्दों से कहा कि तुम यरूशलीम में ही रहना जब तक कि मेरा बाप से तुम्हे पाक रूह का __ क़ुव्वत __तुम्हे न दे |”
  • 43:06“हे इस्राईलियो ये बातें सुनो: ‘ईसा नासरी एक इन्सान था, जिसने ख़ुदा की क़ुव्वत से कई हैरानी के कामों और निशानों को ज़ाहिर किया, जो ख़ुदा ने तुम्हारे बीच उसके ज़रिये’ कर दिखाए जिसे तुम आप ही जानते हो |
  • 44:08 तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “’ईसा मसीह की क़ुव्वत से यह आदमी तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है |

शब्दकोश:

  • Strong's: H410, H1369, H2220, H2428, H2429, H2632, H3027, H3028, H3581, H4475, H4910, H5794, H5797, H5808, H6184, H7786, H7980, H7981, H7983, H7989, H8280, H8592, H8633, G1411, G1415, G1756, G1849, G1850, G2478, G2479, G2904, G3168

क़ुसूर, क़ुसूरों, धोका किया

ता’अर्रुफ़:

“क़ुसूर” का मतलब है कानूनों की ख़िलाफ़ वर्ज़ी करना या किसी इन्सान के इख्तियारों पर क़ब्ज़ा करना। “क़ुसूर” करने के काम को "क़ब्ज़ा " कहते है।

  • क़ुसूर एख़्लाक़ी या शहरी क़ानूनों का तोडना हो सकता है या किसी इन्सान के ख़िलाफ़ में गुनाह करना।
  • इस लफ़्ज़ का ता’अल्लुक़ “गुनाह ” और “क़ुसूर” लफ़्ज़ों से है, ख़ास करके जब यह ख़ुदा के हुक्म न मानने के बारे में हो।
  • सब गुनाह ख़ुदा के ख़िलाफ़ क़ुसूर हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • बयान के मुताबिक़ "तेरा क़ुसूर " का तर्जुमा हो सकता है "तेरे ख़िलाफ़ गुनाह " या “क़ानून तोड़ना” हो सकता है।
  • कुछ ज़बानों में मुहावरे हो सकते हैं जैसे “हद पार करना”, “क़ुसूर” के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • देखें कि यह लफ़्ज़ किताब-ए-मुक़द्दस में इसके मज़मून के मतलब के साथ कैसे मिलता है और इसकी बराबरी और एक जैसे लफ़्ज़ों के साथ करें जैसे “क़ुसूर करना” और “गुनाह करना”।

(यह भी देखें: [ नाफ़रमानी , नारास्ती के काम, गुनाह , ख़िलाफ़ वर्ज़ी करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H816, H817, H819, H2398, H4603, H4604, H6586, H6588, G264, G3900

कोने का पत्थर, ख़ास पत्थर

ता’अर्रुफ़:

“कोने का पत्थर” एक बड़ा पत्थर होता है जो ख़ास करके तराशा हुआ होता है और मकान की नींव में रखा जाता है।

  • मकान के और सब पत्थर इस कोने के पत्थर के साथ में रखे जाते हैं।
  • यह पत्थर कामिल तख्लीक़ की मज़बूती और इस्तिक़ामत के लिए बहुत अहमियत रखता है।
  • नये ‘अहद नामे में ईमानदारों की जमा’त को मिसाल के तौर पर एक हैकल कहा गया है जिसका कोने का पत्थर मसीह ‘ईसा है।
  • जिस तरह मकान के कोने का पत्थर पूरे मकान की जगह को संभालता है और सहारा देता है ठीक उसी तरह मसीह ‘ईसा ईमानदारों की जमा’त कोने का पत्थर है जिसके ज़रिये’वह संभाली हुई और मुस्तःक़म है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “कोने के पत्थर” का तर्जुमा “माकन का ख़ास पत्थर” या “नींव का पत्थर” किया जा सकता है।

यहां ध्यान दें कि मक़सदी ज़बान में मकान की नींव के किसी हिस्से के लिए कोई लफ़्ज़ है जो ख़ास बुनियाद है। अगर ऐसा लफ़्ज़ है तो उस लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • इसका तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “मकान के कोने के लिए काम में लिया गया नींव का पत्थर”
  • यह ज़रूरी है कि इस पत्थर के बड़े होने की सच्चाई से मा;मूर हो जो मकान के लिए एक ठोस और महफ़ूज़ सामान के तौर पर काम में लिया जाता है। अगर मकान की ता’मीर में पत्थर काम में नहीं लिए जाते हैं तो “बड़े पत्थर” के लिए कोई और लफ़्ज़ होगा और इसका ख़्याल ख़ास करके तराशा हुआ और जोड़ने के लिए बनाया गया है।

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H68, H6438, H7218, G204, G1137, G2776, G3037

ख़तना करना, ख़तना किया, ख़तना

ता’अर्रुफ़:

ख़तना करने के मा’नी है़ आदमी या बच्चे की अज़ो तनासुल की खाल काट देना। इसी रिश्ते से ख़तना की रस्म को किया जाता था।

  • ख़ुदा ने इब्राहीम को हुक्म दिया था कि उनके साथ बांधी ख़ुदा के ‘अहद के निशान की शक्ल में वह अपने घराने और ख़ादिमों का ख़तना करे।
  • ख़ुदा ने इब्राहीम की नसलों को भी यही हुक्म दिया था कि वे अपने घरों में पैदा हुए हर लड़के के पैदा होने पर ऐसा करना जारी रखें |
  • “दिल का ख़तना” या’नी इन्सान में से गुनाह का “निकलना” या गुनाह से तोबा करना |
  • रूहानी शक्ल में, “ख़तना” उन लोगों के बारे में बताता है जिन्हें ख़ुदा ने ‘ईसा के लहू से गुनाहों से पाक किया और जो उसके लोग हैं।
  • ”ना मख़्तून” के मा’नीहै जिनका जिस्मानी ख़तना नहीं हुआ है। इसका मख़सूस बयान उन लोगों से भी है जिनका रूहानी ख़तना नहीं हुआ है या’नी जिनका रिश्ता ख़ुदा से नहीं है।

“ना मख्तून’और मख्तून “एक मर्द से मुराद है जो जिस्मानी तौर पर संभले हुए नहीं हैं | तम्सीली शक्ल में इसका इस्तेमाल किया जाता है \

  • मिस्र एक मुल्क था और इसकी ज़रूरत थी | लिहाज़ा जब मिस्र के बारे में बात करता है तो “ग़ैरजानदार” की तरफ से शिकस्त दी सकती है, वह लोग जिन लोगों ने मिस्रियों कको ख़तना नहीं किया था उनसे इशारा किया|

किताब-ए-मुक़द्दस उन लोगों से इशारा करता है जो, “ग़ैर जानदार दिल” रखता है या “जो दिल में ग़ैर जानदार” हैं| * किताब-ए-मुक़द्दस उन लोगों को बताता करता है जिनके पास "मासूम दिल" है या जो "दिल में मासूम" हैं।

  • अगर ज़बान में खतना के लिए एक अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाता है या पता होता है, तो "नामख़्तून" का तर्जुमा बिना ख़तने का किया जा सकता"
  • बयान के मुताबिक़ पर तमसील "ग़ैरयक़ीनी " का तर्जुमा "जिन लोगों का खतना नहीं हुआ है" या "जो लोग खुदा से जुड़े नहीं हैं" के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है।
  • इस लफ़्ज़ की अजीब नफ्सों का तर्जुमा करने के और तरीकों में "ख़ुदा के लोग नहीं" या "उन लोगों की तरह बग़ावत शामिल हो सकते हैं जो ख़ुदा से जुड़ा नहीं हैं" या "जिन लोगों के पास ख़ुदा से मिलाकोई इशारा नहीं है।"
  • तम्सीली "दिल में ना मख्तून" का तर्जुमा "जिद्दी बगावत " या "यक़ीन करने से इंकार कर दिया" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है। हालांकि, अगर मुमकिन हो तो ज़ाहिर या एक तरह रखना बहुत है क्योंकि रूहानी खतना एक ख़ास तसव्वर है।

तर्जुमे की सलाह:

  • अगर मक़्सदी ज़बान में आदमियों का ख़तना किया जाता है तो यहाँ इसी लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया जाये |
  • इस लफ्ज़ के और तर्जुमे हो सकते हैं “चारों ओर से काटना”,गोलाई में काटना “ या “आगे की खाल काटना”|
  • जिन रिवायतो में ख़तना नहीं जाना जाता है वहाँ नुक्ता या फ़हरिस्तमें इसका बयान करना ज़रूरी है |
  • वाज़े’ करें कि इसका तर्जुमा औरतों के बारे में न हो| ज़रूरी है की इसका तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ के साथ किया जाये जिससे आदमियों के बारे में ज़ाहिर हो |

(यह भी देखें :अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें : इब्राहीम, मुआ’हदा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 05:03 "आपको अपने घराने में हर आदमी का ख़तना करना चाहिए।"
  • 05:05 उस दिन इब्राहीम ने उसके घर में सभी आदमियों का ख़तना किया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H4135, H4139, H5243, H6188, H6189, H6190, G203, G564, G1986, G4059, G4061

ख़ादिम, ख़ादिमों

ता’अर्रुफ़:

बुज़ुर्ग वह शख़्स होता है जो मक़ामी कलीसिया में ख़िदमत का काम करता है, और साथी ईमानदारों की ज़रूरतों जैसे, खाने या पैसे की मदद करता है|

  • “बुज़ुर्ग” लफ़्ज़ यूनानी लफ़्ज़ “डीकन” से लिया गया है, जिसका मतलब “नौकर” या “वज़ीर” है|
  • शुरू’आती कलीसिया के वक़्त ही से बुज़ुर्ग की ज़िम्मे’दारी कलीसिया में एक अच्छी ता’रीफ़ और ख़िदमत रही है।
  • मिसाल के तौर पर, नये ‘अहदनामे के ज़माने में बुज़ुर्ग तय करते थे कि ईमानदार जो पैसा और खाना फ़राहम करवाते थे, उसका बंटवारा बेवाओं में बिना तरफ़दारी से किया जाए।
  • “बुज़ुर्ग” लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है, “कलीसिया का ख़ादिम” या “कलीसियाई के काम करने वाला” या “कलीसिया का नौकर” या और कोई जुमला जिसके ज़रिए’ ज़ाहिर हो कि मक़ामी मसीही क़बीले के लिए फ़ायदेमन्द ख़ास काम के लिए रस्मी तौर पर मुक़र्रर किया गया शख़्स|

(यह भी देखें: वज़ीर, नौकर)

क़िताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G1249

ख़िदमत करना, ख़िदमत

ता’अर्रुफ़:

कलाम में “ख़िदमत” लफ़्ज़ का बयान लोगों को ख़ुदा के बारे में ता'लीम देना और उनकी रूहानी ज़रूरतों को पूरा करना ख़िदमत करने से था।

  • पुराने 'अहद नामे में काहिन हैकल में नज़र पेश करके ख़ुदा की ख़िदमत करते थे।
  • उनकी “ख़िदमत” में हैकल की देखरेख और लोगों की तरफ़ से ख़ुदा के लिए दु'आ करना भी होता था।
  • लोगों की ख़िदमत के काम में ख़ुदा के बारे में ता'लीम देकर उनकी रूहानी ख़िदमत करना भी था।
  • इसके बारे में उनकी दुनियावी ख़िदमत भी थी जैसे रोगियों की ख़बर लेना और ग़रीबों को खाना देना।

तर्जुमा की सलाह:

  • लोगों की ख़िदमत के बारे में “ ख़िदमत करना” का तर्जुमा “देखभाल ” या “ख़बर लेना” या “ज़रूरतें पूरी करना” भी हो सकता है।
  • लोगो की हैकल में ख़िदमत के बारे में “ख़ादिम” लफ़्ज़ का तर्जुमा” हैकल में ख़ुदा की ख़िदमत करना” या “लोगों के लिए ख़ुदा के सामने क़ुर्बानी पेश करना ” हो सकता है।
  • ख़ुदा की ख़िदमत के बारे में इसका तर्जुमा “ ख़िदमत करना” या “ख़ुदा के लिए काम करना” हो सकता है।
  • “ ख़िदमत की” का तर्जुमा “ख़बर ली” या “देखभाल किया” या “मदद की” हो सकता है।

(यह भी देखें: ख़िदमत करना, क़ुर्बान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6399, H8120, H8334, H8335, G1247, G1248, G1249, G2023, G2038, G2418, G3008, G3009, G3010, G3011, G3930, G5256, G5257, G5524

ख़ुदा का कलाम,ख़ुदा के कलामों ,यहोवा का कलाम ,ख़ुदावन्द का कलाम ,पाक कलाम ,किताब-ए-मुक़द्दस

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “ख़ुदा का कलाम ” उन सभी चीजों को बयान करता है जो ख़ुदा ने लोगों को बताया था। इसमें बोले गए और लिखे हुए पैग़ाम शामिल हैं। ‘ईसा को भी “ख़ुदा का कलाम ” कहा गया है।

“पाक कलाम ” का मतलब है “लिखा ”। नये .अहद नामे में “पाक कलाम ” का बयान इब्रानी किताब-ए-मुक़द्दस या पुराना ‘अहद नामे से है। ये लेख ख़ुदा वन्द का पैग़ाम है जो उसने इन्सानों से लिखने को कहा कि मुस्तक़बिल में पढ़ा जा सके।

  • इससे मुन्सलिक़ लफ़्ज़ है, “यहोवा का कलाम ” या “ख़ुदावंद का कलाम ” आमतौर पर ख़ुदा के ख़ास पैगामों के बारे में है जो किसी नबी या किसी आदमी को दिया गया।
  • कभी-कभी केवल यही लिखा है, “कलाम ” या “मेरा कलाम ” या “तेरा कलाम ” (ख़ुदा के कलाम के बारे में)
  • नये ‘अहद नामे में ‘ईसा को “कलाम ” या “ख़ुदा का कलाम ” कहा गया है। इन ‘ओहदों का मतलब है कि ‘ईसा खुदा को पूरी तरह ज़ाहिर करता है क्योंकि वह ख़ुद ख़ुदा है।

“कलाम की सच्चाई “का मतलब है की एक और तरीक़ा यह है की ख़ुदा के कलाम का हवाला देते हुए जो उस का ‘पैग़ाम “या “तदरीस “है यह सिर्फ़ एक लफ़्ज़ का हवाला नहीं देता है |

  • ख़ुदा का सच्चा वा’दा सब के लिए है उस की तखलीक और ‘ईसा के ज़रिये’ नजात का मन्सूबा बनाया |
  • तम्सीली मतलब “लफ़्ज़ों” ये हकीक़त पर ज़ोर देता है कि ख़ुदा ने हम से क्या कहा है ,वह सच्चा ,वफ़ादार और हक़ीक़ी है |

तर्जुमे की सलाह

  • मज़मून के मुताबिक़ इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के तरिके है, “यहोवा का पैग़ाम था” “ख़ुदा का पैग़ाम ” या “ख़ुदा की ता’लीमें ”

  • कुछ ज़बानों में इसका जमा’ ज़्यादा इखलाकी होगा, “ख़ुदा के कलाम ” या “यहोवा के कलाम ”

  • “यहोवा का कलाम पहुंचा” यह कलाम हमेशा खुदा के ज़रिये’ नबुव्वतों या इन्सानों को दिए गए पैग़ाम का शुरू’आत ज़ाहिर करती हैं। इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है, “यहोवा ने यह पैग़ाम दिया” या “ख़ुदा ने ये कलाम कहे”।

  • “किताब-ए-मुक़द्दस” या “पाक कलामों ” का तर्जुमा “लेखे” या “ख़ुदा के लिखे पैग़ाम” की शक्ल में किया जा सकता है। इस आयत का तर्जुमा " लफ़्ज़ " से अलग तरह से किया जाना चाहिए।

  • जब " लफ़्ज़ " अकेला होता है और यह ख़ुदा के कलाम को ज़ाहिर करता है, इसका तर्जुमा " पैग़ाम " या " ख़ुदा का लफ़्ज़ " या "ता’लीमों " की शक्ल में किया जा सकता है। मुन्दर्जा ज़ेल सलाह के मुताबिक़ तर्जुमो पर भी ध्यान दें।

  • जब किताब-ए-मुक़द्दस ‘ईसा को "लफ़्ज़" के तौर पर हवाला देती है, तो इस लफ़्ज़ का तर्जुमा "पैग़ाम " या "सच " की शक्ल में किया जा सकता है।

  • सच्चाई का कलाम “खुदा का सच्चा पैग़ाम है खुदा का लफ़्ज़ का तर्जुमा किया जा सकता है |

  • यह बहुत ज़रूरी तर्जुमे के लिए की सच्चाई के मतलब को शामिल करें |

(यह भी देखें: नबी, कलाम, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाले:

  • 25:07 ख़ुदा के कलाम __ में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि 'तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इज़्ज़त कर, और केवल उसी की ‘इबादत कर।’”
  • 33:06 तब ‘ईसा ने उन्हें समझाया कि, “बीज __ख़ुदा का कलाम __ है ।
  • 42:03 फिर ‘ईसा ने उन्हें समझाया कि __ख़ुदा का कलाम __ मसीहा के बारे में क्या कहता है
  • 42:07 ‘इसा ने कहा, जो बाते मैंने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम्हे बताई थी कि __ख़ुदा के कलाम __ में जो कुछ भी मेरे बारे में लिखा है वह सब पूरा होगा।" तब उसने __पाक कलाम __ समझने के लिये उनकी अक्ल खोल दी।
  • 45:10 फिलिप्पुस ने और __किताबों __ का भी इस्तेमाल करके उसे ‘ईसा की ख़ुश ख़बरी सुनाया।
  • 48:12 लेकिन ‘ईसा सबसे अज़ीम नबी है। वह __ ख़ुदा का कलाम __ है।
  • 49:18 ख़ुदा कहता है कि हम दुआ’ करें, उसका __कलाम __ पढ़ें, और मसीही लोगों के साथ उसकी ‘इबादत करें, और जो उसने हमारे लिए किया है वह दूसरों को बताएँ।

शब्दकोश:

  • Strong's: H561, H565, H1697, H3068, G3056, G4487

ख़ुदा की क़ौम , मेरे लोग

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुदा की क़ौम” या’नी ख़ुदा ने दुनिया में से जिन लोगों को बुलाकर अलग कर लिया कि उसके साथ ख़ास रिश्ते में रहें।

  • ख़ुदा कहता है “मेरे लोग ” तो वह उन लोगों के बारे में कह रहा है जिन्हें उसने चुन लिया है और उनके साथ उसका रिश्ता सबसे अलग है।
  • ख़ुदा की क़ौम उसके ज़रिये’ चुनी हुई है और दुनिया से अलग की गई है कि उसे ख़ुश करने की ज़िन्दगी जीएं। ख़ुदा उन्हें अपनी औलाद भी कहता है।
  • पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा के लोग (क़ौम) इस्राईल के बारे में है जिन्हें ख़ुदा ने चुन कर ग़ैर क़ौमों से अलग कर लिया कि उसकी ख़िदमत करें और उसका हुक्म मानें।
  • नये ‘अहद नामे में “ख़ुदा के लोग” का मक़सद उन सब इन्सानों से है जो ‘ईसा में यक़ीन करते हैं और उन्हें कलीसिया कहा गया है। कलीसिया में यहूदी और ग़ैर क़ौमें ईमान दार दोनों हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • “ख़ुदा की क़ौम ” का तर्जुमा “ख़ुदा के लोग” या “ख़ुदा की इबादत करने वाले लोग” या “ख़ुदा की ख़िदमत करने वाले लोग” या “ख़ुदा के अपने लोग”।
  • जब ख़ुदा कहता है, “मेरी क़ौम” तब उसका तर्जुमा हो सकता है, “जिन लोगों को मैंने चुन लिया है” या “मेरी इबादत करने वाले लोग” या “मेरे अपने लोग”
  • इसी तरह “तेरी क़ौम ” का तर्जुमा “तेरे अपने लोग” या “तुझे चुन लेने वाले लोग” हो सकता है।
  • “उसकी क़ौम” का तर्जुमा “उसके अपने लोग” या “जिन लोगों को ख़ुदा ने अपना हिस्सा चुन लिया” हो सकता है।

(यह भी देखें :इस्राईल, क़ौम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H5971, G2316, G2992

ख़ुदा की बादशाही, आसमान की बादशाही

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुदा की बादशाही” और “आसमान की बादशाही” दोनों ही ख़ुदा की बादशाही और इख़्तियार के बारे में है और जो उसकी क़ौम और पूरी मख़लूक़ पर है।

  • यहूदी “आसमान” लफ़्ज़ को अक्सर ख़ुदा के बारे में काम में लेते थे कि उसका सीधे तौर से नाम न लें। (देखें: मिजाज़-ए-‘इल्म बयान
  • नये ‘अहदनामे में मत्ती के ज़रिए’ लिखी किताब में मत्ती ख़ुदा की बादशाही को “आसमान की बादशाही” कहता है क्योंकि उसका बुनियादी तौर पर यहूदी सुनने वाले को लिख रहा था।
  • ख़ुदा की बादशाही का मतलब है ख़ुदा इन्सानों पर रूहानी तौर के साथ साथ जिस्मानी दुनिया पर भी बादशाही करता है|
  • पुराने ‘अहदनामे के नबियों ने कहा था कि ख़ुदा अपना मसीह भेजेगा कि वह रास्त्बाज़ी के साथ बादशाही करे। ख़ुदा का बेटा, ‘ईसा ही वह मसीह है जो ख़ुदा की बादशाही में अबद तक बादशाही करेगा।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “ख़ुदा की बादशाही” का तर्जुमा, “ख़ुदा की हुकूमत(बादशाह की शक्ल में)” या “जब ख़ुदा बादशाह की शक्ल में बादशाही करेगा” या “सब पर ख़ुदा की बादशाही” किया जा सकता है।
  • लफ़्ज़“आसमान की बादशाही” का तर्जुमा “बादशाह के तौर पर आसमान से ख़ुदा की हुकूमत” या “ख़ुदा जो आसमान में है बादशाही करता है” या “आसमान की बादशाही” या “सब कुछ पर आसमान की हुकूमत” के तौर पर भी किया जा सकता है। अगर यह आसान और ज़ाहिरी तौर पर तर्जुमा करना मुमकिन नहीं है, तो तर्जुमा "ख़ुदा की बादशाही" किया जा सकता है।
  • कुछ मुतरज्जिम अग्रेज़ी में हेवन(आसमान)लफ़्ज़ का पहला हर्फ़ बड़ा रखते हैं ताकि ये ख़ुदा का हवाला दे। और जुमलों में एक ‘अलामत इत्तिलाह शामिल कर सकते हैं, जैसे "आसमान की बादशाही" (मतलब 'ख़ुदा की बादशाही')। "
  • छपे हुए किताब-ए-मुक़द्दस के वर्क़ के नीचे इस तफ़सील में "आसमान" के मतलब को समझाने के लिए एक हाशिये का इस्ते’माल कर सकते है।

(यह भी देखें: ख़ुदा, आसमान, बादशाह, बादशाही, यहूदियों का बादशाह, हुकूमत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 24:02 उसने(यूहन्ना) उनसे कहा, “तौबा करो क्योंकि आसमान की बादशाही क़रीब आ गई है !”
  • 28:06 तब ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, "मैं तुम से सच सच कहता हुँ कि दौलतमन्द का आसमान की बादशाही में दाख़िल करना मुश्किल है। तुमसे, फिर कहता हूँ कि ख़ुदा की बादशाही में दौलतमन्द के दाख़िल करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना आसान है।”
  • 29:02 ‘ईसा ने कहा “ इसलिये आसमान की बादशाही उस बादशाह के जैसी है, जिसने अपने ग़ुलामों से हिसाब लेना चाहा।
  • 34:01 ‘ईसा ने उन्हें आसमान की बादशाही के बारे में और कहानियाँ बताई। मिसाल के लिये, उसने कहा, “आसमान की बादशाही राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी इन्सान ने लेकर अपने खेत में बो दिया।
  • 34:03 ‘ईसा ने एक और कहानी उन्हें बताई, “आसमान की बादशाही ख़मीर के समान है जिसको किसी ‘औरत ने लेकर कुछ आटे में मिला दिया और होते-होते वह सारा आटा ख़मीर हो गया।”
  • 34:04आसमान की बादशाही छिपी हुए दौलत की तरह है, जिसे किसी इन्सान ने खेत में छिपाया। एक दुसरे इन्सान को वह दौलत मिली और उसने भी उसे वापस छिपा दिया।”*

34:05ख़ुदा की बादशाही बेशक़ीमती मोती की तरह भी है।”

  • 42:09 उसने ऐसे कई तरीक़ों से अपने शागिर्दों को साबित किया कि वह ज़िन्दा है और उन्हें ख़ुदा की बादशाही की ता’लीम देता रहा।
  • 49:05 ‘ईसा ने कहा कि ख़ुदा की बादशाही इस दुनिया की सारी चीज़ों से कहीं ज़्यादा क़ीमती है।
  • 50:02 जब ‘ईसा ज़मीन पर रहता था तो उसने कहा, "मेरे शागिर्द दुनिया में हर जगह लोगों को ख़ुदा की बादशाही के बारे में ख़ुशख़बरी का ‘ऐलान करेंगे, और फिर आख़िर आ जाएगा।"

शब्दकोश:

  • Strong's: G932, G2316, G3772

ख़ुदा की मर्ज़ी

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुदा की मर्ज़ी का बयान ख़ुदा की ख़्वाहिश और मंसूबे से है।

  • ख़ुदा की मर्ज़ी ख़ास करके इन्सानों के साथ उनकी बातचीत से है और वह इन्सानों से अपने लिए कैसी रद्दे’अमल चाहता है, उससे मुन्सलिक है।
  • इसका बयान उसके मंसूबों और ख़्वाहिश से है जो उसकी पूरी तख्लीक के ता’अल्लुक में हैं।
  • “ख़्वाहिश करना” का मतलब है, “ठान लेना” या “आरज़ू करना” से है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ख़ुदा की मर्ज़ी ” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की ख़्वाहिश क्या है” या “ख़ुदा ने क्या मंसूबा बनाया है” या “ख़ुदा का मक़सद ” या “ख़ुदा को क्या ख़ुशी देता है”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6310, H6634, H7522, G1012, G1013, G2307, G2308, G2309, G2596

ख़ुदा के घर, यहोवा के घर

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “ख़ुदा के घर” (ख़ुदा का घर) और “यहोवा के घर (यहोवा का घर) या’नी ख़ुदा की ‘इबादत का मक़ाम|

  • यह लफ़्ज़ ज़्यादा खुसूसियत में ख़ेमा या हैकल के लिए काम में आता था।

कभी-कभी “ख़ुदा का घर”, ख़ुदा की क़ौम के लिए भी काम में लिया जाता था।

तर्जुमें की सलाह:

  • इबादत की जगह के बारे में इस जुमले का तर्जुमा “ख़ुदा की ‘इबादत का घर” या “ख़ुदा की ‘इबादत का मक़ाम” किया जा सकता है।

अगर यह हैकल का ख़ेमे के बारे में है तो इसका तर्जुमा “हैकल(या ख़ेमा)” किया जा सकता है जहाँ ख़ुदा की ‘इबादत की जाती है(या “जहा ख़ुदा हाज़िर होता है” या “जहाँ ख़ुदा अपने लोगों से मिलता है।”)

  • लफ़्ज़ “घर” का तर्जुमा में इस्ते’माल करना ज़रूरी है ताकि ये ज़ाहिर कर सकें कि ख़ुदा "बसता" है, ख़ुदा की रूह अपने लोगों के साथ है जो उसकी ‘इबादत करने की जगह में है।

(यह भी देखें: ख़ुदा की क़ौम, ख़ेमा, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H426, H430, H1004, H1005, H3068, G2316, G3624

ख़ुदा के बेटे

ता'अर्रुफ़:

“ख़ुदा के बेटे” यह एक 'अलामती जुमला है जिसके कई मुनासिब मतलब हैं।

  • नए 'अहद नामे में, “ख़ुदा के बेटे” या'नी 'ईसा के ईमादार और इसका मतलब हमेशा “ख़ुदा के बेटे” होता है क्यूँकि इसमें औरत और मर्द दोनों हैं।
  • इस लफ़्ज़ का इस्ते'माल ख़ुदा के साथ बाप बेटे के जैसा होता है जिसमें तुम को बेटे होने के सब ज़रूरतें हासिल हैं।
  • पैदाइश 6 में कुछ लोग “खुदा के बेटों” का तर्जुमा फ़रिश्तों से करते हैं जिसका मतलब बदरूह से है। ग़ैरों के ख़्यालों में इसका बयान ताक़त सियासी हुक्मरानों से है या शेत के औलादों से है।
  • नए 'अहद नामे में, “ख़ुदा के बेटे या'नी 'ईसा के ईमानदार और इसका मतलब हमेशा “ख़ुदा के बेटे ” होता है क्यूँकि इसमें मर्द और 'औरत दोनों हैं।
  • इस लफ़्ज़ का इस्ते'माल ख़ुदा के साथ बाप बेटे के जैसा होता है जिसमें तुम को सब ज़रूरतें हासिल हैं।
  • “ख़ुदा के बेटे” एक अलग लफ़्ज़ है: जो 'ईसा के बारे में है जो ख़ुदा का सिर्फ़ एकलौता बेटा है।

तर्जुमा की सलाह:

  • जब “ख़ुदा के बेटे” 'ईसा के ईमानदारों में है तो इसका तर्जुमा “ ख़ुदा की औलाद” हो सकता है।
  • पैदाइश 6:2 मैं “ख़ुदा के बेटे” के चार और तर्जुमे हैं “फ़रिश्ते” या “रूहानी आदमी ” या “अलौकिक प्राणियों” या “बदरूह”।
  • इसके अलावा “बेटे” का लिंक भी देखें।

(यह भी देखें: फ़रिश्ते, बदरूह, बेटे, [ख़ुदा के बेटे, हाकिम, रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H1121, G2316, G5043, G5207

ख़ुदा, ख़ुदाई, बुरा, ख़ुदा की राह , ना क़ाबिल-ए-एतमाद , ख़ुदा परस्ती

ता'अर्रुफ़: ##‏

“रास्तबाज़ी” लफ़्ज़ उस शख़्स को बयान करता है जो इस तरह के काम करता है जिनसे ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर होता है और ज़ाहिर होता है कि ख़ुदा कैसा है। "’इबादत" ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करके ख़ुदा की 'इज़्ज़त करने का किरदार है।

  • ‘इबादत का किरदार रखनेवाला शख़्स पाक रूह के फल ज़ाहिर करता है जैसे, मुहब्बत, ख़ुशी, अमन, सब्र, हलीमी, ख़ुद पर क़ाबू वगैरह ।
  • इबादत की ख़ासियतों से पता चलता है कि एक शख़्स में पाक रूह है और उसे अमल करना है।

"बुरा " और "बे बुनियाद " लफ़्ज़ उन लोगों का बयान करते हैं जो ख़ुदा के मुख़ालिफ़ हैं । बुरे रास्ते में रहते हैं ,बिना ख़ुदा के , ग़ैर जानदार , या बे बुनियाद , कहा जाता है |

इन लफ़्ज़ों का मतलब बहुत 'आम है। हालांकि, "ख़ुदा परस्ती" और "बे बुनियाद" एक बहुत गहराई से बयान कर सकते है जिसमें लोग या क़ौम ख़ुदा को क़ुबूल करने या उनके हुकूमत करने का इख्तियार भी क़ुबूल नहीं करते हैं

  • ख़ुदा‏ ‏ लेकिन फ़ैसला और ग़ुस्से का बयान करता है, जो हर वह शख्स को और उसके तरीकों को क़ुबूल नहीं करता है।

तर्जुमा‏ ‏की‏ ‏सलाह‏ ‏:

  • “ख़ुदा परस्त” का तर्जुमा “ख़ुदा के फ़रमाबरदार लोग” या “ख़ुदा के हुक्म मानने वाले लोग” (देखें: ना मुकम्मल

  • सिफ़त "ख़ुदा परस्त" का तर्जुमा "ख़ुदा के बारे में फ़रमाबरदारी " या "ईमानदार" या , ख़ुदा को ख़ुश " की शक्ल में किया जा सकता है।

  • " ख़ुदा परस्त के तरीक़े से" जुमलों का तर्जुमा "ऐसे तरीक़े से किया जा सकता है जो ख़ुदा पर अमल करता है" या "अमल और लफ़्ज़ों के साथ जो ख़ुदा को ख़ुश करते हैं।"

  • "इबादत" का तर्जुमा करने के तरीक़े में "ख़ुदा को ख़ुश करने वाले तरीक़े से काम करना" या "ख़ुदा पर 'अमल करना" या "एक ईमानदार तरीक़े से जी रहे" हो सकते हैं।

  • जुमलों के तौर पर, "ना रास्त" लफ़्ज़ का तर्जुमा "ख़ुदा से नाराज" या "ग़ैर इख़लाक़ी" या "ख़ुदा की नाफ़रमानी "की शक्ल में किया जा सकता है।

  • "बे दीन" और "बे बुनियाद" लफ़्ज़ का लफ़्ज़ी मतलब यह है कि लोग "ख़ुदा के बग़ैर" हैं या "ख़ुदा के बारे में कोई ख़्याल नहीं है" या "ऐसे तरीक़े से काम करना जो ख़ुदा को क़ुबूल नहीं करता है।"

  • "बे 'इज़्ज़ती" या "बे बुनियादी" का तर्जुमा करने के दूसरे तरीक़े "बदकारी" या "बुराई" या "ख़ुदा से बग़ावत" हो सकते हैं।

(यह‏ ‏भी‏ ‏देखें: ‘इज़्ज़त‏ ‏, हुक्म‏ ‏पर ‘अमल‏ ‏करना‏ ‏, रास्तबाज़‏ ‏, सादिक़, रास्तबाज़‏ ‏)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H1100, H2623, H5760, H7563, G516, G763, G764, G765, G2124, G2150, G2152, G2153, G2316, G2317

ख़ुदा, झूठे ख़ुदा, बहुत से ख़ुदा, देवी, बुत, बुतों, बुतपरस्त, बुतपरस्तों, बुतपरस्ती, बुतपरस्ती

ता’अर्रुफ़:

एक झूठा ख़ुदा वह है जिसकी ‘इबादत लोग एक सच्चे ख़ुदा को छोड़ कर करते हैं। लफ़्ज़ “देवी” मतलब होता है ख़ास तौर एक ‘औरत की शक्ल में झूठी मा’बूदा है।

  • झूठे देवी-मा’बूद मौजूद नहीं हैं। यहोवा ही इकलौता ख़ुदा है।
  • लोग कभी-कभी झूठे मा’बूदों के तौर पर ‘इबादत के लिए बुत बनाते थे|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, ख़ुदा के लोग बार-बार उसकी नाफ़रमानी करके इन झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करने लगे थे।
  • बदरूहें अकसर लोगों को धोखा देती हैं कि वे झूठे मा’बूदों और बुतों की ‘इबादत करें उनमें क़ुव्वत है।
  • बा’ल, दजोन, मोलक, ये तीन बहुत झूठे मा’बूदों में से थे जिनकी ‘इबादत किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में की जाती थी।
  • अशेरा और आरतिमिस (डायना) दो देवियां थी जिनकी ‘इबादत पुराने ज़माने में की जाती थी।

लोग बुत बनाते थे, कि उसकी ‘इबादत कर सकें| कुछ चीज़ों का "बुतपरस्त" के तौर पर ज़िक्र किया गया है अगर इसमें एक सच्चे ख़ुदा के अलावा किसी और चीज़ की ‘इज़्ज़त करना शामिल है।

  • लोग बुतों को उन झूठे मा’बूदों की रहनुमाई करने के लिए बनाते हैं जिन्हें वे ‘इबादत करते हैं।
  • ये झूठे मा’बूद मौजूद नहीं हैं; यहोवा के अलावा कोई ख़ुदा नहीं है।
  • कभी-कभी शैतान एक बुत के ज़रिए’ से काम करते हैं ताकि ऐसा लगता है कि इसमें ताक़त है, भले ही यह नहीं है।
  • बुत अक्सर सोने, चांदी, काँसा, या महंगी लकड़ी जैसी क़ीमती चीज़ों से बने होते हैं।
  • “बुत परस्त लोगों की बादशाही” का मतलब है “उन लोगों की बादशाही जो बुतों की ‘इबादत करते हैं” या उन लोगों की बादशाही जो ज़मीन चीज़ों की ‘इबादत करते हैं”
  • लफ़्ज़ " बुतों बनावट" एक "नक्काशीदार तस्वीर" या "बुत" के लिए एक और लफ़्ज़ है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मक़सदी ज़बान या आसपास की ज़बान में “ख़ुदा” या “झूठे ख़ुदा” के लिए कोई लफ़्ज़ होगा।
  • “बुत” लफ़्ज़ झूठे मा’बूदों के बारे में काम में लिया जा सकता है।
  • झूठे ख़ुदा के लिए ख़ुदा लफ़्ज़ और इकलौते सच्चे ख़ुदा के लिए ख़ुदा लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है। और ज़बानों में भी ऐसा हो सकता है
  • एक तरीक़ा यह भी है कि झूठे मा’बूदों के लिए एक पूरी तरह से अलग लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है।
  • कुछ ज़बानों में झूठे ख़ुदा के आदमी या ‘औरत में फ़र्क़ के लिए एक ज़्यादा लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जाता है।

(यह भी देखें: ख़ुदा, अशेरा, बा’ल, मोलक, शैतान, तस्वीर, बादशाही, ‘इबादत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 10:02 इन ख़ौफ़नाक मुसीबतों के ज़रिए’ ख़ुदा यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िर’औन व मिस्र के __ मा’बूदों__ से बहुत ज़्यादा ताक़तवर है।
  • 13:04 ख़ुदा ने उन्हें क़सम दी और कहा, “मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे मिस्र में से ग़ुलामी से बचाया। ” दूसरे ख़ुदा की ‘इबादत न करना
  • 14:02 उन्होंने(कनानियो) झूठे __ मा’बूदों__ की ‘इबादत की, और बहुत से बुरे काम किए।
  • __16:01_इस्राईलियों ने यहोवा के बजाय, कना’नियो के __मा’बूद __ की ‘इबादत करना शुरू’ कर दिया
  • 18:13 लेकिन यहूदाह बहुत से बादशाह बुरे, धोखेबाज़ और बुतपरस्त करने वाले थे। कुछ बादशाह झूठे मा’बूदों के लिए अपने बच्चों की भी क़ुर्बानी चढ़ाने लगे।

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H367, H410, H426, H430, H457, H1322, H1544, H1892, H2553, H3649, H4656, H4906, H5236, H5566, H6089, H6090, H6091, H6456, H6459, H6673, H6736, H6754, H7723, H8163, H8251, H8267, H8441, H8655, G1493, G1494, G1495, G1496, G1497, G2299, G2712

ख़ुदाई

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “ख़ुदाई” का मतलब ख़ुदा से मुता’अल्लिक़ सारी बातें।

  • कुछ तरीक़ों में इस लफ़्ज़ को इस तरह भी इस्ते’माल किया जा सकता है, “ख़ुदाई इख़्तियार” “ख़ुदाई फ़ैसला” “ख़ुदाई जलाल”।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के एक मज़मून में “ख़ुदाई” लफ़्ज़ झूठे मा’बूदों के बारे के बारे में भी काम में लिया गया है।

तर्जुमे की सलाह :

  • “ख़ुदाई” लफ़्ज़ के तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “ख़ुदा का” या “ख़ुदा से” या “ख़ुदा से मुता’अल्लिक़” या “ख़ुदाई सिफ़त”
  • मिसाल के तौर पर, “ख़ुदाई इख़्तियार” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा का इख़्तियार” या “ख़ुदा का दिया हुआ इख़्तियार”।
  • अलफ़ाज़ “ख़ुदाई जलाल” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा का जलाल” या “ख़ुदा में शामिल जलाल” या “ख़ुदा से ज़ाहिर जलाल”।
  • कुछ तर्जुमों में बुतों से मुता’अल्लिक़ किसी बात को बताने के लिए अलग अलफ़ाज़ का इस्ते’माल किया जाता है।

(यह भी देखें: इख़्तियार, झूठे मा’बूद, जलाल, ख़ुदा, इन्साफ़, क़ुव्वत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G2304, G2999

ख़ुदावन्द

सच्चाई:

कलाम में “ख़ुदावन्द” के बारे में हमेशा की ज़िन्दगी से है जिसने जाहान को इब्तिदा से बनाया है। ख़ुदावन्द का ज़हूर बाप ,बेटा और पाक रूह में है। ख़ुदावन्द का नाम यहोवा है।

ख़ुदावन्द हमेशा से है, जब कुछ भी नहीं था तब ख़ुदावन्द था और वह हमेशा तक रहेगा।

  • वही सिर्फ़ एक सच्चा ख़ुदावन्द है और उसका इख्तियार पूरे 'आलम पर है।
  • ख़ुदावन्द रास्तबाज़ी में सादिक़ , अज़ी म अक्लमंद , पाक, बे गुनाह , इन्साफ़ पसन्द ,हलीम और प्यार करने वाला है।
  • वह 'अहद रखनेवाला ख़ुदावन्द है जो अपनी क़समें हमेशा पूरी करता है।
  • इन्सान को ख़ुदावन्द की 'इबादत के लिए बनाया गया था और उसे हमेशा उसी की 'इबादत करना चाहिए।
  • ख़ुदावन्द ने अपना नाम “यहोवा” बताया है जिसका मतलब है, “वह है” या “मैं हूँ” या “जो हमेशा से है।”
  • कलाम में झूठे मा'बूदों का भी बयान है जो बे जान बुत हैं , उनकी इबादत इन्सान करता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ के तर्जुमें हो सकते हैं, “क़ुदरती ताक़त ” या “तख़लीक़ करने वाला ” या “रूहानी शख्सियत ”।
  • “ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ के दूसरे तर्जुमें हो सकते हैं, “रूहानी ख़ालिक़” या “आख़िर वक़्त तक रहने वाला ख़ुदा ” या “हमेशा रूहानी शख्सियत ”
  • तवज्जोह दें कि मक़ामी ज़बान में ख़ुदावन्द के लिए क्या लफ़्ज़ काम में लिया जाता है। हो सकता है कि मक़सदी ज़बान में ख़ुदावन्द के लिए एक लफ़्ज़ है। अगर है तो वाज़ेह करें कि उस लफ़्ज़ में सिर्फ़ एक सच्चे ख़ुदावन्द की ख़ासियत ज़ाहिर हो , जैसा ऊपर बयान किया गया है।
  • कई ज़बानों में ख़ुदावन्द लफ़्ज़ का पहला हर्फ़ बड़ा कर दिया जाता है कि वह झूठे मा'बूदों से अलग करा जा सके।
  • इस फ़र्क़ को ज़ाहिर करने के लिए ख़ुदावन्द और मा'बूद लफ़्ज़ों को दो अलग हरफ़ों के ज़रिए' बयान किया जाए।
  • “मैं उनका ख़ुदावन्द हूँगा और वह मेरे लोग होंगे” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “मैं ख़ुदावन्द इन लोगों पर राज करूंगा और वह मेरी 'इबादत करेंगे।”

(तर्जुमा की सलाह नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: बनाने, झूठे मा’बूद, बाप ख़ुदावन्द, पाक रूह , बुत , ख़ुदावन्द का बेटा , यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:

  • 01:01 ख़ुदावन्द ने छह दिनों में जहान और सब कुछ बनाया।
  • 01:15 ख़ुदावन्द ने अपनी शक्ल में आदमी और औरत को बनाया।
  • 05:03 "मैं ख़ुदावन्द सब से ज़्यादा ताक़तवर हूँ। मैं तुम्हारे साथ 'अहद बान्धूंगा।
  • 09:14 ख़ुदावन्द ने कहा, "मैं जो हूं, सो हूं। उनसे कहना, 'जिसका नाम मैं हूँ उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।' यह भी उनको बताओ, "मैं तुम्हारे बुजुर्गों इब्राहीम, इस्हाक़ और या'क़ूब का ख़ुदावन्द, यहोवा हूं।" हमेशा तक मेरा नाम यही रहेगा।'" है
  • 10:02 इन खौफ़नाक आफ़तों के ज़रिए' ख़ुदावन्द यह दिखाना चाहता था ,कि वह फ़िर'औन व मिस्र के मा'बूदों से कहीं ज़्यादा ताक़तवर है।
  • 16:01 इस्राईलियों ने यहोवा जो सच्चा ख़ुदावन्द है उसकी जगह पर, कन'आनियो के मा'बूद की 'इबादत करना शुरू' किया।
  • 22:07 और तू ऐ लड़के , __ ख़ुदावन्द__ का नबी कहलाएगा क्योंकि तू ख़ुदा का रास्ता तैयार करने के लिए उसके आगे आगे चलेगा।
  • 24:09 ” सिर्फ़ एक ही ख़ुदावन्द है। लेकिन जब यूहन्ना ने 'ईसा को बपतिस्मा दिया, उसने बाप ख़ुदावन्द को कहते सुना, बेटे ख़ुदावन्द को देखा, और पाक रूह को भी देखा।
  • 25:07 "कि ‘तू ख़ुदा अपने ख़ुदावन्द को 'इबादत कर, और सिर्फ़ उसी की ख़िदमत कर।’”
  • 28:01 "जो अच्छा है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदावन्द है।"
  • 49:09 लेकिन ख़ुदावन्द ने दुनिया के हर इन्सान से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर ईमान करे उसे उसके गुनाहों की सज़ा नहीं मिलेगी, लेकिन ख़ुदावन्द के साथ हमेशा की ज़िन्दगी पाएगा ।
  • 50:16 लेकिन एक दिन ख़ुदावन्द एक नया आसमान और एक नई ज़मीन को तैयार करेगा जो सही होगी।

शब्दकोश:

  • Strong's: H136, H305, H410, H426, H430, H433, H2486, H2623, H3068, H3069, H3863, H4136, H6697, G112, G516, G932, G935, G1096, G1140, G2098, G2124, G2128, G2150, G2152, G2153, G2299, G2304, G2305, G2312, G2313, G2314, G2315, G2316, G2317, G2318, G2319, G2320, G3361, G3785, G4151, G5207, G5377, G5463, G5537, G5538

ख़ुदावन्द का दिन, यहोवा का दिन

तफ़सील:

पुराने ‘अहद नामे में “यहोवा का दिन” एक मुक़र्रर वक़्त के बारे में है जब ख़ुदा इन्सानों को उनके गुनाह की सज़ा देगा|

  • नये ‘अहदनामे के लफ़्ज़ “ख़ुदावन्द का दिन” उस दिन या वक़्त के बारे में है जब ख़ुदावन्द ‘ईसा दुबारा आएगा और आख़िर के वक़्त में इन्सानों का इन्साफ़ करेगा।
  • यह आख़िर, इन्साफ़ और क़यामत का या आख़िरी वक़्त जिसे “आख़िरी दिन” भी कहते हैं| यह वक़्त तब शुरू’ होगा जब ख़ुदावन्द ‘ईसा गुनाहगारों का इन्साफ़ करने दुबारा आएगा और अपनी हमेशा की बादशाही क़ायम करेगा।
  • लफ़्ज़ “दिन” इन जुमलों में कभी-कभी हक़ीक़त में दिन के ही बारे में होता है या यह कभी “वक़्त” या “मौक़े” के बारे में हो सकता है जिसकी मुद्दत दिन से ज़्यादा हो सकती है।
  • कभी-कभी सज़ा को “ख़ुदा का ग़ज़ब नाज़िल होना” भी कहते हैं जो ईमान नहीं करने वालों पर आएगा।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, दूसरे तरीक़े से “यहोवा का दिन” का तर्जुमा हो सकता है, “यहोवा का वक़्त” या “वह वक़्त जब यहोवा अपने दुश्मनों को सज़ा देगा” या “यहोवा के ग़ज़ब का वक़्त."
  • “ख़ुदावन्द का दिन” का तर्जुमे दूसरे तरीक़े से हो सकते हैं, “ख़ुदावन्द के इन्साफ़ का वक़्त” या “वह वक़्त जब ख़ुदावन्द ‘ईसा इंसानों का इन्साफ़ करने आएगा”

(यह भी देखें: दिन, इन्साफ़ का दिन , ख़ुदावन्द, क़यामत, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3068, H3117, G2250, G2962

ख़ुदावन्द का बेटा, बेटा

सच्चाई:

“ख़ुदावन्द का बेटा” या'नी ‘ईसा, ख़ुदावन्द का कलाम, जो दुनिया में इन्सानी शक्ल में आया। उसे हमेशा “बेटा” भी कहा गया है।

  • ख़ुदावन्द के बेटे में बाप ख़ुदावन्द की सब ख़ासियतें हैं लेकिन वह ख़ुद ही ख़ुदावन्द है।
  • बाप ख़ुदावन्द, बेटे ख़ुदावन्द, और रूह-उल-क़ुदुस ख़ुदावन्द एक ही हैं।
  • इंसानी बेटों के ‘अलावः, ख़ुदावन्द का बेटा हमेशा सच्चाई में है।
  • शुरू' में ख़ुदावन्द का बेटा दुनिया को बनाने में सामिल था, बाप और रूह-उल-क़ुदुस के साथ।

'ईसा ख़ुदावन्द का बेटा होने की वजह बाप ख़ुदावन्द से मुहब्बत करता है और उसके हुक्मों पर 'अमल करता है और ख़ुदावन्द उससे मुहब्बत करता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ख़ुदावन्द का बेटा” के लिए “बेटा” ही तर्जुमा करना बेहतर लफ़्ज़ है जो ;अलामती ज़बान में इंसानी बेटों के लिए काम में लिया जाता है।
  • वाज़ेह करें कि “बेटा” लफ़्ज़ उस लफ़्ज़ से मुसाबेह हो जिसको बाप के लिए काम में लिया गया है और यह लफ़्ज़ बाप बेटे का रिश्ता ज़ाहिरकरने के लिए अलामती ज़बान में बहुत आम लफ़्ज़ है।
  • “बेटा” लफ़्ज़ को अगर कुछ इस तरह लिखा जाए कि उससे उसके ख़ुदावन्द होने की ख़ासियत ज़ाहिर हो तो मुनासिब होगा जैसे अंग्रेजी ज़बान में “एस” हर्फ़ को बड़ा लिख सकते हैं।
  • जुमले में "पबेटा" " ख़ुदावन्द का बेटा" की छोटी शक्ल है, खासकर जब यह उसी बारे में "बाप" के शक्ल में होता है।

(तर्जुमा की सलाह:नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: मसीह, बुजुर्गों, ख़ुदावन्द, ख़ुदावन्द बाप, रूह-उल-क़ुदुस, ‘ईसा, बेटा, ख़ुदावन्द का बेटा।)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 22:05 फ़रिश्ते ने समझाया, " रूह-उल-क़ुदुस तुम्हारे पास आएगा, और ख़ुदावन्द की ताक़त तुम पर सा या करेगी। इसलिए बच्चा पाक होगा, __ख़ुदावन्द का बेटा __।"
  • 24:09 ख़ुदावन्द ने यूहन्ना से कहा था कि, “ रूह-उल-क़ुदुस नीचे किसी एक पर उतरेगा जिसे तू बपतिस्मा देगा। वह ख़ुदावन्द का बेटा है।"
  • 31:08 शागिर्द हैरान थे। उन्होंने 'ईसा की 'इबादत की, और कहा, "सचमुच, तू __ ख़ुदावन्द का बेटा__ हैं।";
  • 37:05 मार्था ने जवाब दिया, "हां, मालिक ! मेरा यक़ीन है कि तुम मसीहा हो, ख़ुदावन्द का बेटा ।"
  • 42:10 इसलिए तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप, और __बेटे __, और रूह-उल-क़ुदुस के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दिए हैं, मानना सिखाओ। "
  • 46:06 फ़ौरन ही, शाऊल दमिश्क़ के यहूदियों से 'एलान करने लगा कि, "’ईसा __ ख़ुदावन्द का बेटा__ है!"
  • 49:09 लेकिन ख़ुदावन्द दुनिया में हर किसी से इतना प्यार करता था कि उसने अपना एकलौता बेटा दिया ताकि जो कोई भी 'ईसा पर ईमान करे, उसके गुनाहों की सज़ा नहीं दी जाएगी लेकिन वह हमेशा के लिए ख़ुदा के साथ ज़िंदा रहेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H426, H430, H1121, H1247, G2316, G5207

ख़ुदावन्द की दा’वत

ता’अर्रुफ़: ##‏

  • लफ़्ज़ “ख़ुदावन्द की दा’वत” रसूल पौलुस इस जुमले को फ़सह के की दा’वत के लिए काम में लेता है जो ‘ईसा ने अपने शागिर्दों के साथ उस रात खाया था जब यहूदी रहनुमाओं ने उसे बन्दी बनाया था।

  • इस खाने के वक़्त ‘ईसा ने फ़सह की रोटी को तोड़कर अपना जिस्म से कहा जो जल्दी ही परेशान किया जाएगा और मार डाला जायेगा।

  • मय के कटोरे को उसने अपना ख़ून कहा जो जल्द ही बहाया जायेगा जब वह गुनाह की क़ुर्बानी होकर मरेगा।

  • ‘ईसा ने हुक्म दिया था कि उसके शागिर्द जब भी इस दा’वत में शरीक हों तब वे उसकी मरने और जी उठने को हमेशा याद करें।

  • कुरिन्थियों की कलीसिया को लिखे ख़त में रसूल पौलुस ने मसीह के ईमानदारों के लिए इस दा’वत को एक हमेशा की मश्क़ बना दिया था।

  • आज कलीसियाएं ख़ुदावन्द की दा’वत के लिए “शराकत” लफ़्ज़ का इस्ते’माल करती हैं। “आख़री दा’वत” लफ़्ज़ का भी कभी-कभी इस्ते’माल किया जाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ुदावन्द का खाना” या “हमारे ख़ुदावन्द ‘ईसा का खाना” या “ख़ुदावन्द ‘ईसा को याद करने का खाना” भी कहा जा सकता है।

(यह भी देखें: फ़सह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G1173, G2960

ख़ुदावन्द की शक्ल, सूरत

ता’अर्रुफ़:

बुत का मतलब है किसी की शक्ल में या किरदार या जौहर में किसी की तरह । “ ख़ुदावन्द की सूरत” जुमले के मुताबिक़ अलग-अलग शक्ल में काम में लिया गया है।

  • शुरू' में ख़ुदावन्द ने इन्सान को “अपनी शक्ल ” में बनाया था या'नी उसकी बराबरी में। इसका मतलब है कि इन्सान की कुछ ख़ासियतें ख़ुदावन्द की सूरत को ज़ाहिर करती हैं जैसे जज़्बात को महसूस करने की सलाहियत, रद्द करने और ख़यालों का लेन देन करने की सलाहियत और रूह जो हमेशा रहती है ।
  • कलाम की ता'लीम के मुताबिक़ ‘ईसा, ख़ुदावन्द का बेटा, ख़ुदावन्द का जैसा है या'नी वह ख़ुदावन्द है। 'ईसा बनाया नहीं गया था जैसे इन्सान बनाएगए थे । शुरू'से ख़ुदावन्द के बेटे में ख़ुदावन्द की सब ख़ासियतें हैं, क्यूँकि उसके पास बाप ख़ुदावन्द का मुकम्मल जौहर है।

तर्जुमा की सलाह:

  • जब 'ईसा को ख़ुदावन्द की तरह कहा जाता है तो तर्जुमा हो सकता है, “ ख़ुदावन्द के 'एन मुताबिक़ में” या “ ख़ुदावन्द के जौहर में” या “ ख़ुदावन्द के हक़ीक़त में”।
  • इन्सान के बारे में “ ख़ुदावन्द ने उसे अपनी सूरत में बनाया” का तर्जुमा इस तरह के जुमलों से किया जाए जिनका मतलब है, “ ख़ुदावन्द ने उसे अपनी बराबरी में बनाया” या “ ख़ुदावन्द ने उसे अपने जैसी ख़ासियतों में बनाया”।

(यह भी देखें: शक्ल , ख़ुदावन्द का बेटा, ख़ुदावन्द का बेटा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4541, H1544, H2553, H6456, H6459, H6754, H6816, H8403, G504, G179

ख़ुदावन्द बाप , आसमानी बाप , बाप

सच्चाई:

यह लफ़्ज़ “ बाप ख़ुदावन्द” और “आसमानी बाप” सिर्फ़ एक सच्चे ख़ुदावन्द, यहोवा के बारे में हैं। उसी मतलब के साथ एक और लफ़्ज़ "बाप" है, जो सबसे ज़्यादा बार इस्ते'माल किया जाता था जब 'ईसा उससे बात कर रहा था

  • ख़ुदावन्द, बाप ख़ुदावन्द, बेटे ख़ुदावन्द और पाक रूह ख़ुदावन्द है। हर एक मुकम्मल ख़ुदावन्द होते हुए भी तीनों एक ही हैं। यह एक ऐसा राज़ है जिसे इन्सान पूरे तरीक़े समझ नहीं सकता।
  • बाप ख़ुदावन्द ने बेटे ख़ुदावन्द (‘ईसा) को दुनिया में भेजा और उसने अपने लोगों के लिए पाक रूह को भेजा।
  • जो बेटे ख़ुदावन्द में ईमान करता है वह बाप ख़ुदावन्द की औलाद बन जाता है और पाक रूह ख़ुदावन्द उसमें रहने लगता है। यह एक और राज़ है जिसे इन्सान पूरे तरीक़े समझ नहीं सकता।

तर्जुमा की सलाह:

  • “बाप ख़ुदावन्द” का साफ़ तर्जुमा , “बाप ” लफ़्ज़ हो सकता है, उसी लफ़्ज़ के साथ जो ज़बान आम तौर से एक इन्सानी बाप का बयान करने के लिए इस्ते'माल करता है।
  • “आसमानी बाप ” का तर्जुमा हो सकता है, बाप जो आसमान में है” या “बाप ख़ुदावन्द जो आसमान में है” या “हमारा आसमानी बाप ” है।
  • आमतौर पर जब "बाप " दारुल हुकूमत है, तो ख़ुदावन्द को बयान करता है।

(तर्जुमा की सलाह : नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: बुजुर्गों , ख़ुदावन्द, आसमान , पाक रूह , ‘ईसा , ख़ुदावन्द का बेटा)

किताएब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

1 यूहन्ना 02:22-23

किताएब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 24:09 सिर्फ़ एक ही ख़ुदावन्द है। लेकिन जब यूहन्ना ने 'ईसा को बपतिस्मा दिया, उसने बाप ख़ुदावन्द को कहते सुना, बेटा ख़ुदावन्द को देखा, और पाक रूह को भी देखा ।
  • 29:09 तब 'ईसा ने कहा, “इसी तरह अगर तुम में से हर एक अपने भाई को दिल से अगर मु'आफ़ न करेगा, तो मेरा बाप जो आसमान में है , तुम से भी वैसा ही करेगा"
  • 37:09 फिर ईसा ने आसमान की तरफ़ देखा और कहा, " बाप, मुझे सुनने के लिए मुबारक ।"

"* 40:07 तब ईसा ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! ऐ बाप, मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ।”

  • 42:10 इसलिए तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप, और बेटे , और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दी हैं, मानना सिखाओ।
  • 43:08 “ईसा अब आसमान में __ बाप ख़ुदावन्द__ के दाहिनी तरफ़ बैठा है।"
  • 50:10 तब ईमानदार अपने __ बाप ख़ुदावन्द__ की बादशाही में सूरज की तरह चमकेंगे।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H1, H2, G3962

ख़ुदावन्द यहोवा, यहोवा ख़ुदा

सच्चाई:

पुराने ‘अहदनामे में इस लफ़्ज़ का मतलब है एकलौता सच्चा ख़ुदा|

  • लफ़्ज़ “ख़ुदावन्द” उनवान है और यहोवा ख़ुदा का ज़ाती नाम है।
  • यहोवा के साथ ख़ुदा लफ़्ज़ भी लिखा जाता है, “यहोवा ख़ुदावन्द”

तर्जुमा के सुझाव:

  • अगर "यहोवा" का कोई रूप ख़ुदा के नाम के तर्जुमा के लिए इस्ते’माल किया जाता है, तो लफ़्ज़ "ख़ुदावन्द यहोवा" और "यहोवा ख़ुदावन्द" लफ़्ज़ का लफ़्ज़ी तौर से तर्जुमा किया जा सकता है। ध्यान दे कि “ख़ुदावन्द” का तर्जुमा ख़ुदा के बारे में ज़ाहिर करते वक़्त कैसा हो।
  • कुछ ज़बानों में उनवान के बा’द में लिखा जाता है, लिहाज़ा तर्जुमा होगा, “यहोवा ख़ुदावन्द”। ध्यान दे कि मक़सदी ज़बान में क़ुदरती क्या है:: “ख़ुदावन्द” उनवान “यहोवा” के पहले हो या बा’द में आन चाहिए।
  • “यहोवा ख़ुदावन्द” का तर्जुमा “ख़ुदा जो यहोवा कहलाता है” या “ज़िन्दा ख़ुदा” या “मैं हूँ जो ख़ुदा है”।
  • अगर तर्जुमा में “यहोवा” को यहोवा या ख़ुदा लिखा जा रहा है तो “ख़ुदावन्द यहोवा” का तर्जुमा होगा “ख़ुदावन्द ख़ुदा” या “ख़ुदा जो ख़ुदावन्द” है। और मुमकिन तर्जुमा हो सकते है, “मालिक ख़ुदावन्द” या “ख़ुदावन्द ख़ुदा”।
  • “ख़ुदावन्द यहोवा” का तर्जुमा, “ख़ुदावन्द-ख़ुदावन्द” कभी नहीं किया जाए क्योंकि पढ़ने वाले इन अलफ़ाज़ का फ़र्क़ नहीं देख पाएंगे जिन्हें इनके लिए रवायती तौर पर काम में लिया जाता था।

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: ख़ुदा, मालिक, ख़ुदावन्द, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H136, H430, H3068, G2316, G2962

ख़ुदावन्द, ख़ुदावन्दओं, गुरु, स्वामी, स्वामियों, श्रीमान, महोदय

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुदावन्द” लफ़्ज़ का मतलब है और लोगों पर मिलक़ियत या इख़्तियार रखना।

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा कभी-कभी “मालिक” भी किया जाता है जब ‘ईसा कें बारे में हो या गुलामों के मालिक के बारे में हो।
  • अंग्रेजी की कुछ कलामों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “जनाब” किया गया है जब कोई किसी ऊंचे ‘उहदे वाले को हलीमी मुख़ातिब कर रहा है।

जब अंग्रेज़ी मे “Lord” बड़े हर्फ़ से है, यह एक उनवान है जो ख़ुदा की तरफ इशारा करता है| (ध्यान दें, हालाँकि, जब इस किसी को मुख़ातिब करने के तौर पर इस्ते’माल किया जाता है या यह जुमले की शुरू’आत में होता है तो इसे दर्ज किया जा सकता है और इसका मतलब “जनाब” या “मालिक” है|

  • पुराने ‘अहदनामे में, इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल “ख़ुदावन्द ख़ुदा सबसे क़ुव्वतवाला” “ख़ुदावन्द यहोवा” या “ यहोवा हमारा ख़ुदा” जैसे इज़हारों में किया जाता है|
  • नए ‘अहदनामे में, रसूलों ने इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल “ख़ुदावन्द ‘ईसा” और “ख़ुदावन्द ‘ईसा मसीह” जैसे इज़हारों में किया था, जो बताते हैं कि ‘ईसा ख़ुदा है|
  • नए ‘अहदनामे में, “ख़ुदा” लफ़्ज़ का इस्ते’माल ख़ुदाके सीधे हवाले के तौर पर भी किया जाता है, ख़ासकर पुराने ‘अहदनामे से मज़मून में| मिसाल के तौर पर, पुराने ‘अहदनामे के बाब ने “मुबारक है वह जो यहोवा के नाम पर आता है” और नए ‘अहदनामे के बाब में “मुबारक है वह जो ख़ुदा के नाम पर आता है”

यू एल बी और यू डी बी में, “lord” उनवान का इस्ते’माल सिर्फ़ इब्रानी और ग्रीक अलफ़ाज़ का तर्जुमा करने के लिए किया जाता है जिसका मतलब है “ख़ुदा” यह कभी भी ख़ुदा के नाम (यहोवा) के तर्जुमे के तौर पर इस्ते’माल नहीं किया जा सकता है जैसा कि कई तर्जुमों में किया जाता है|

  • कुछ ज़बाने “ख़ुदावन्द” को “मालिक” या “हाकिम” या कुछ और लफ़्ज़ के तौर पर तर्जुमा करती हैं जो मिलकियत उया सबसे बड़ी हुकूमत को बताती हैं|
  • सही मज़मूनों में, कई तर्जुमा इस लफ़्ज़ के पहले हर्फ़ को पढ़ने वाले को ज़ाहिर करने के लिए दर्ज करते हैं कि यह एक उनवान जो ख़ुदा का ज़िक्र करता है|
  • नए ‘अहदनामे के मक़ामों के लिए जहाँ पुराने ‘अहदनामे से मिसाल दी गई है, लफ़्ज़ “ख़ुदा” का इस्ते’माल यह ज़ाहिर करने के लिए किया जा सकता है कि ख़ुदा का हवाला है|

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “मालिक” के बराबरी के साथ किया जा सकता है जब किसी ऐसे आदमी के बारे में बताता है जो ग़ुलामों का मालिक है| यह किसी नौकर के ज़रिए’ उस आदमी को मुख़ातिब करने के लिए किया जा सकता जिसके लिए वह काम करता है|
  • जब यह ‘ईसा के बारे में बताता है, अगर हवाले से पता चले की बोलने वाला उन्हें एक उस्ताद की शक्ल में देखता है, तो इसका तर्जुमा मज़हबी उस्ताद के लिए अदबी पते के साथ किया जा सकता है, जैसे “मालिक”
  • अगर मुख़ातिब करने वाला आदमी उसे नहीं जानता है, तो “ख़ुदा” का तर्जुमा ‘इज़्ज़त की शक्ल में किया जा सकता है जैसे कि “जनाब”| यह तर्जुमा और मज़मूनों के लिए इस्ते’माल किया जाएगा जिसमे एक आदमी को पते का हलीम कहा जाता है|

जब ख़ुदा बाप का ज़िक्र करते हैं, तो इस लफ़्ज़ को अंग्रेज़ी में “ख़ुदा” (असल) के तौर पर लिखा जाने वाला उनवान माना जाता है|

(यह भी देखे: ख़ुदा, ‘ईसा, हाकिम, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 25:05 ‘ईसा ने उसे कलाम से शैतान को जवाब दिया, उसने कहा, “ख़ुदा के कलाम में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आज़माइशपरीक्षा न करना।’”
  • 25:07 तब ‘ईसा ने उससे कहा, “ऐ शैतान दूर हो जा ! ख़ुदा के कलाम में वह अपने लोगों को हुक्म देता है कि 'तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सिज्दा कर, और सिर्फ़ उसी की ‘इबादत कर।’”
  • 26:03 यह ख़ुदावन्द की बरकत का साल है।
  • __27:02__मुन्तजिम ने जवाब दिया, “तू अपने ख़ुदा से अपने सारे दिल, रूह, क़ुव्वत और ,मन से मुहब्बत रखना। और अपने पड़ोसी से अपने समान मुहब्बत करना।”
  • 31:05 फिर पतरस ने ‘ईसा से कहा ‘ऐ उस्ताद’ अगर तू है, तो मुझे भी अपने पास पानी पर चलकर आने का हुक्म दे”
  • 43:09 “उसी ‘ईसा को जिसे तुमने सलीब पर चढ़ाया, लेकिन ख़ुदा ने उसे ख़ुदावन्द भी ठहराया और मसीह भी।”
  • __47: 3__इस बदरूह के ज़रिए’ वह दूसरों का मुस्तक़बिल बताती थी, जिससे अपने मालिकों के लिये नजूमी की शक्ल में बहुत पैसा कमा लाती थी।
  • 47:11 पौलुस ने जवाब दिया,"‘ईसा में ईमान करो, जो ख़ुदावन्द है, तो तू और तेरा ख़ानदान बच जाएगा।"

शब्दकोश:

  • Strong's: H113, H136, H1167, H1376, H4756, H7980, H8323, G203, G634, G962, G1203, G2962

ख़ुशख़बरी देने वाला, ख़ुशख़बरी सुनानेवाले

ता'अर्रुफ़:

“मुबश्शिर” इन्सानों को मसीह 'ईसा की ख़ुश ख़बरी सुनाता है।

  • “ख़ुश ख़बरी देने वाले” का हक़ीक़ी मतलब है “ख़ुशख़बरी सुनानेवाला”।
  • 'ईसा ने अपने शागिर्दों को भेजा कि इन्सानों में ख़ुश ख़बरी सुनाया करें कि 'ईसा और गुनाह के छुटकारे को उसके क़ुर्बानी के ज़रीए’ ख़ुदावन्द की रियासत का हिस्सा कैसे बनें।
  • सब मसीही ईमानदारों से आगाह किया जाता है कि इस ख़ुशख़बरी को सुनाएं।
  • कुछ ईमानदारों को ख़ास रूहानी ने'मत हासिल है कि इन्सानों में इस ख़ुशख़बरी का मु'अस्सिर तबलीग़ करें। यह लोग कहा जाता है कि इंजील का तोहफ़ा है और उसे " मुब्शशिरींन " कहा जाता है |

तर्जुमा की सलाह :

  • “ख़ुशख़बरी सुनाना” लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुशख़बरी सुनाने वाला” या “ख़ुशख़बरी का उस्ताद” या “अच्छी ख़बर सुनानेवाला शख्स ('ईसा के बारे में)” या “ख़ुशख़बरी का 'ऐलान करना।”

(यह भी देखें: ख़ुशख़बरी, रूह, ने'मत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G2099

ख़ून

ता'अर्रुफ़:

“ख़ून” लफ्ज़ का मतलब है, आदमी के जिस्म में जब चोट लगती है तब उसमें से निकलने वाली लाल रंग का पानी जैसा होता है। ख़ून इंसानों के जिस्म में ज़िन्दगी देने वाली गिज़ा लाता है।

  • ख़ून ज़िन्दगी की 'अलामत होती है और जब वह बहाया जाता है तो इसका मतलब है जान जाना या मौत।
  • जब आदमी ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी पेश करते थे तब वह जानवर का ज़बह करके उसका खून क़ुर्बानगाह पर उण्डेलते थे। यह जानवर की ज़िन्दगी की क़ुर्बानी की तरफ़ से इंसानों के गुनाह की क़ीमत चुकाने का निशान था।
  • सलीब पर 'ईसा की मौत कि तरफ़ से उसका ख़ून आदमी के गुनाह से आज़ादी को दिखता है और इंसानों के गुनाह की सज़ा की समझ करता है।
  • “गोश्त और ख़ून” एक जुमले हैं जो आदमी को ख़बरदार करता है।
  • “अपना ख़ून और गोश्त” इंसानों के ख़ून का रिश्ता दिखाता है।

तर्जुमें की सलाह:

  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा मक़सदी ज़बान में उसी लफ्ज़ /जुमले की तरफ़ से किया जाए जो ख़ून के लिए काम में लिया जाता है।
  • “गोश्त और ख़ून” का तर्जुमा किया जा सकता है, “आदमी” या “इंसानी क़ौम”।
  • जुमले के मुताबिक़“मेरा गोश्त और मेरा ख़ून” का तर्जुमा हो सकता है, “मेरा अपना ख़ानदान” या “मेरे अपने लोग” या “मेरे अपने लोग”।
  • अगर मक़सदी ज़बान में ऐसे जुमले के लफ्ज़ हें तो “गोश्त और खून” के तर्जुमें में उनका इस्ते'माल किया जाए।

(यह भी देखें: जिस्म )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों कि मिसाल:

  • __08:03__जब उसके भाई घर वापस आए तो उन्होंने यूसुफ़ के कपड़े लिये, और एक बकरे को मार के उसके __खून __ में उसे डुबा दिया।
  • 10:03 ख़ुदा ने नील नदी को __ख़ून__से भर दिया लेकिन फ़िर'औन का फिर भी जिद पर अड़ा रहा|
  • 11:05 इस्राईल के घरों के दरवाज़ों के चारों तरफ ख़ून था, इसलिए ख़ुदा उन घरों से चला गया और हर कोई उनमें हिफ़ाज़त से था | वह मेमने के ख़ून की वजह से बाख गए|
  • __13:09__जानवर के ख़ून जो क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ाया गया था वह इन्सान के गुनाहों को धोकर इन्सान को ख़ुदा की नज़र पाक कर देता है|
  • 38:05 तब 'ईसा ने एक कटोरा लिया और कहा इसे पी लो| नए 'अहद के लिए यह मेरा __ख़ून __है जो गुनाहों की मु'आफ़ी के लिए उंडेला है|
  • 48:10 जब कोई 'ईस पर यक़ीन करता है, 'ईसा का __खून __ उस शख्स के सब गुनाहों की क़ीमत चुका देता है, और ख़ुदा की सज़ा उस शख्स के ऊपर से हट जाती है।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1818, H5332, G129, G130, G131, G1420

ख़ेमा

ता’अर्रुफ़:

“ख़ुदा का डेरा” (घर ) एक ख़ास ख़ेमा था जिसमें इस्राईली वीरान के 40 सालों में ख़ुदा की इबादत करते थे।

  • ख़ुदा ने इस बड़े ख़ेमे को बनाने के लिए इस्राईलियों को तफ़सील से एहकाम ‘अता किए थे। इसके दो कमरे थे और यह एक बन्द आंगन से घिरा हुआ था।
  • इस्राईली जब भी वीराने में एक जगह से दूसरी जगह को जाते थे तब काहिन इस ख़ेमे को उखाड़कर नयी जगह में ले जाते थे। और अपनी छावनी के बीच में उसे खड़ा करते थे।
  • यह ख़ेमा लकड़ी के ढांचे पर कपड़े, बकरी के बाल तथा जानवर की खाल से बना हुआ था। उसके चारों ओर का मैदान परदों के ज़रिए’ घिरा हुआ था।
  • ख़ेमे के दो कमरे , पाक जगह (जिसमें धूप जलाने की क़ुर्बान गाह थी) और बेहद मुक़द्दस (जिसमें ‘अहद का सन्दूक़ रखा था) थे।
  • ख़ेमे के मैदान में एक क़ुर्बानगाह थी जिस पर जानवर की क़ुर्बानी जलाई जाती थी और एक हौदा था जिसमें रस्मी पोछ्न का पानी रहता था।
  • इस्राईलियों में इस ख़ेमे का इस्तेमाल ख़त्म हो गया था जब सुलैमान ने यरूशलीम में हैकल बना दिया।

तर्जुमे की सलाह:

  • “ख़ेमा ” का मतलब है “घर ”। इसका तर्जुमा हो सकता है, “पाक ख़ेमा ” या “ख़ेमा जिसमें ख़ुदा था” या “ख़ुदा का ख़ेमा ”
  • तय करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “हैकल ” लफ़्ज़ के तर्जुमे से अलग हो।

(यह भी देखें: क़ुर्बान गाह , धूप जलाने की क़ुर्बानगाह, ‘अहद का सन्दूक़़, हैकल , मिलापवाला तम्बू)

बाइबल सन्दर्भ:

शब्दकोश:

  • Strong's: H168, H4908, H5520, H5521, H5522, H7900, G4633, G4634, G4636, G4638

खोजे, खोजों

ता'र्रूफ़:

“खोजे” लफ्ज़ उस आदमी के बारे में है जिसका खस्सी किया गया हो। जवाब में यह लफ्ज़ सब सरकारी हुक्काम के लिए काम में आने लगा यहाँ तक कि ‘अदम इश्तहक़ाम के बगैर भी|

  • 'ईसा ने कहा कि कुछ शोक़ ऐसे ही पैदा हुए थे जो मुम्किना अज्साम की वजह से या जिन्सी तौर पर काम करने के क़ाबिल नही थे | कुछ नामर्दों की तरह कुँवारी ज़िन्दगी गुज़ारती हैं।
  • पुराने ज़माने में नामर्द शख्स बादशाह के ख़ादिम होते थे जिन्हें 'औरतों की हिफ़ाज़त के लिए रखा जाता था।
  • कुछ नामर्द इन्सान ख़ास रियास्ती अफ़सर होते थे जैसे कूश मुल्क के खोजे जिससे फ़िलिप्पुस ने रेगिस्तान में क़ुर्बानी की थी।

(यह भी देखें: फ़िलिप्पुस)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5631, G2134, G2135

ग़ज़ब, ग़ुस्सा

ता’अर्रुफ़:

क़हर एक मज़बूत ग़ज़ब नाक हालत है जो कभी-कभी ज़्यादा वक़्त में होता है। यह ख़ास करके ख़ुदा से बग़ावत करने वालों के गुनाह के लिए खुदा के इन्साफ़ पसन्द ‘अदालत और सज़ा के बारे में आता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “क़हर ” लफ़्ज़ अक्सर ख़ुदा के ख़िलाफ़ गुनाह करनेवालों के ख़िलाफ़ ख़ुदा के ग़ज़ब का बयान देता है।
  • “ख़ुदा का ग़ज़ब ” उसकी ‘अदालत और गुनाह की सज़ा का बयान देता है।
  • ख़ुदा का क़हर गुनाह से न फिराने वाला के लिए रास्तबाज़ी की सज़ा है।

तर्जुमें की सलाह :

  • तर्जुमे के मुताबिक़ , इस लफ़्ज़ के और तर्जुमे की शक्ल हो सकती है “ख़तरनाक ग़ुस्सा ” या “इन्साफ़ पसन्द’अदालत ” या “ग़ज़ब ”
  • ख़ुदा के क़हर के बारे में चर्चा करते वक़्त तय करें कि इसका तर्जुमा गुनाह की वजह से पैदा ग़ज़ब का दौरा के मतलब में न हो। ख़ुदा का ग़ुस्सा इन्साफ़ के साथ और पाक होता है।

(यह भी देखें: इन्साफ़ , गुनाह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H639, H2197, H2528, H2534, H2740, H3707, H3708, H5678, H7107, H7109, H7110, H7265, H7267, G2372, G3709, G3949, G3950

गन्धरस

ता’अर्रुफ़:

“लोबान” एक तेल या मसाला होता था जो मूर के पेड़ से निकाला हुआ गोंद होता था, यह दरख़्त अफ़्रीक़ा और एशिया में पाया जाता था यह लोबान जैसा ही होता है।

गन्धरस धूप, 'इत्र, और दवा बनाने और लाशों को दफ़नाने में काम आता था।

  • गन्धरस 'ईसा की पैदाइश पर नजूमियों के ज़रिए' पेश की गई नजरानों में से एक था।
  • ‘ईसा जब सलीब पर लटका हुआ था तब गन्धरस मिलाकर मय उसे दी गई थी कि उसकी दर्द कम जो जाए।

(यह भी देखें: लोबान, नजूमी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3910, H4753, G3464, G4666, G4669

ग़लती , बदकारी

ता’अर्रुफ़:

"ग़लती" लफ़्ज़ का मतलब और "गुनाह" का मतलब एक जैसा ही है लेकिन जुर्म का ज़्यादा ख़ास करके जानबूझ कर या बड़ी बदकारी से मुता'अल्लिक़ ग़लत काम करना।

  • “बदकारी का काम” का मतलब हक़ीक़त में है कि (शरी'अत को) घुमा फिरा के बयान करना। इसके बारे में बड़ी ना इंसाफ़ी है।
  • ग़लती कई लोगों के ख़िलाफ़ जानबूझकर, नुक़सान दह 'आमाल की शक्ल में बयान किया जा सकता है ।
  • “बदकारी के काम” का तर्जुमा हो सकता है, “ग़लत किरदार” या “बग़ावत” इन दोनों लफ़्ज़ों के ज़रिए' खौफ़नाक गुनाह की हालत ज़ाहिर होती है।

तर्जुमा के लिए सलाह:

  • “बदकारी के कामों” का तर्जुमा हो सकता है, “बदकार” या “सख्त 'अमल” या “नुक़सान देने वाला काम ”।
  • “बदकारी के काम” यह जुमले हमेशा मुख़ालिफ़ ज़ाहिर होते है जिसमें “गुनाह ” और “बग़ावत ” लफ़्ज़ आते हैं। लिहाज़ा इनके तर्जुमे में अलग-अलग लफ़्ज़ों का इस्ते'माल करना बहुत ज़रूरी है।

(यह भी देखें: गुनाह, नाफ़रमानी करना, जुर्म करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H1942, H5753, H5758, H5766, H5771, H5932, H5999, H7562, G92, G93, G458, G3892, G4189

गवाही, गवाही देना

ता’अर्रुफ़:

जब कोई आदमी "गवाही" देता है तो वह उसके बारे में एक बयान देता है जिसे वह जानता है, और यह दावा करते हुए कि बयान सच है। “गवाही” का मतलब “गवाही देने” से है।

  • इन्सान हमेशा उस बात की गवाही देता है, जिसका उसे शख्सी तजुर्बा है।
  • “झूठी गवाही” देने वाला आदमी किसी हादसे के बारे में सच नहीं कहता है।
  • कभी-कभी “गवाही” किसी नबी की नबुव्वत के बारे में भी होती है।
  • नये ‘अहद नामे में यह लफ्ज़ अक्सर ‘ईसा के मानने के बारे में है कि उन्होंने ‘ईसा की ज़िन्दगी , मौत और फिर से जी उठने की गवाही दी।

यह जुमला इस बात की गवाही देता है एक शख्स जो ख़ुद तजुर्बा रखता है कुछ जो हुआ है | आम तौर पर गवाही किसी शख्स के बारे जो कुछ हुआ सच है | यह जुमला “चश्म दीद गाह “वह शख्स वहां था और जो कुछ हुआ उसने देखा है |

““गवाही “जो हुआ उस को होते हुए देखा |

  • मश्क़ के तौर पर “गवाह”गवाही देता है और गवाह खड़ा करता है \ यह एक जैसा मतलब रखता है “आज़माने”के लिए |
  • गवाही उम्मीद रखती है की सच बोलना जो उन्होंने देखा और सुना है |
  • एक गवाह सच नहीं बोलता है जो कुछ हुआ वह झूठा गवाह है | उसने कहा “झूठी गवाही दो “और झूठे गवाह खड़े करो|

यह तजुर्बा “गवाही के बीच “मतलब ‘किसी का किसी के लिए सुबूत होन | उस मुआ’अहदा के लिए जो किया गया है | गवाही इस बात यक़ीनी करता है हर शख्स वह केरे जो उसने वा’दा किया है

तर्जुमे की सलाह:

  • “गवाही देना” या “गवाही देना” का तर्जुमा “सच को कहना” या “जो देखा और सुना उसे बताना” या “शख्सी तजुर्बे से कहना” या “सुबूत देना” या “जो हुआ उसका बयान करना”।
  • “गवाही” के तर्जुमे की शक्ल हो सकती हैं, “जो हुआ उसकी तफ़सील सुनाना” या “सच का सुनाना” या “सुबूत देना” या “जो कहा गया” या “नबुव्वत ”।

इस जुमले को, “ उनकी गवाही के तौर पर” तर्जुमा किया जा सकता है, “उन्हें सच्चाई दिखायें” या “उनको साबित करने के लिए कि सच क्या है”

  • “उनके ख़िलाफ़ गवाही ठहरे” का तर्जुमा “जिससे उन पर उनके गुनाह ज़ाहिर हों” या “उनका फ़रेब ज़ाहिर हो” या “जो साबित करे कि वे गलत हैं”।

  • “झूठी गवाही देना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “किसी के बारे में झूठी बातें कहना” या “ऐसी बातें कहना जो सच नहीं हैं”।

  • लफ़्ज़ “गवाह “या “चश्मदीद गवाह “जुमला में तर्जुमा किया जा सकता है जिस का मतलब ये है की ये शख्स उसे देखता है या जिस ने देखा है “या “कौन है जिसने देख और सुना (उन चीज़ों को)

  • कुछ है जो “एक गवाह “या “हमारे वा’दे का निशान “या “जिस चीच का सुबूत है की ये सच है |

  • जुमला “आप मेरे बारे में दूसरे लोगों को बताएं गे “या आप लोगों को सच्चाई सिखाएं गे जैसा मैंने तुम को सिखाया “या “आप लोगो को बतायें गे जो आप ने मुझे देखा मुझे सिखाया |

  • ”गवाह “करने के लिए तर्जुमा किया जा सकता की क्या देखा गया था “या “गवाही देना” या “क्या हुआ है “

  • ”गवाह “करने के लिए “कुछ देख कर “हो सकता है “या “किसी चीज़ का तजुर्बा “हो सकता है |

(यह भी देखें: ‘अहद का संदूक़, जुर्म, मुन्सिफ़, नबी , गवाही, हक़ीक़ी

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

-39:02-घर के अन्दर “यहूदाह के रहनुमाओं ने मुक़दमे पर ‘ईसा की आज़माइश की | उन्होंने बहुत से _झूठे गवाह _जो उन के बारे में झूठ बोला |

  • _39:04_सरदार काहिन ने अपने कपडे को ग़ुस्से में फ़ेंक दिया और कहा”हमें _गवाहों -की ज़रूरत नहीं | तुम ने उसे सुना है की वह खुदा का बेटा है | तुम्हारा फैसला क्या है ?
  • _42:08_ये भी सहीफ़े में लिखा गया कि मेरे शागिर्दों को ये ‘एलान किया जायेगा कि हर शख्स अपने गुनाहों की मु’आफ़ी के लिए तोबा करेंगे वह ये यरूशलीम में शुरू ‘करते हैं और फिर ये जगह तमाम झुण्डों पर जायेंगे | आप इन चीज़ों के _गवाह-हैं
  • _43:07_हम सब _गवाह_हैं कि खुदा ने ‘ईसा को दोबारा ज़िन्दा किया |

शब्दकोश:

  • Strong's: H5707, H5713, H5715, H5749, H6030, H8584, G267, G1263, G1957, G2649, G3140, G3141, G3142, G3143, G3144, G4303, G4828, G4901, G5575, G5576, G5577, G6020

गुनाह , गुनाहों, गुनाह करना, गुनाहगार, गुनाहगार, गुनाह करते रहना

ता’अर्रुफ़:

“गुनाह” काम, ख़याल और जो लफ़्ज़ ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ हैं। गुनाह का मतलब यह भी होता है कि हम वह काम न करें जो ख़ुदावन्द चाहता है।

  • वह हर एक काम जो ख़ुदावन्द का हुक्म या ख़ुशी के ख़िलाफ़ है बयान में वह बातें भी जिन्हें ग़ैर लोग नहीं जानते, गुनाह हैं।
  • ख़याल और काम जो ख़ुदावन्द की मर्ज़ी की फ़रमाबरदारी नहीं करते गुनाहगार कहलाते हैं।
  • क्यूँकि आदम ने गुनाह किया है, सभी इंसान एक " गुनाहगार फ़ितरत" के साथ पैदा होते हैं, जो एक क़ुदरती है जो उन्हें बराबर करता है और उन्हें गुनाह करने देता है।
  • “गुनाहगार” या'नी गुनाह करनेवाला, या सब इन्सान गुनाहगार हैं।
  • कभी-कभी “गुनाहगार ” लफ़्ज़ फ़रीसी जैसे मज़हबी लोगों के ज़रिए' शरी'अत पर 'अमल नहीं करनेवालों के लिए काम में लिया जाता था, फ़रीसियों के मुक़ाबले शरी'अत पर 'अमल नहीं करनेवालों के लिए।
  • “गुनाहगार” लफ़्ज़ उन लोगों के लिए भी काम में लिया जाता था जो ग़ैर लोगों से ज़्यादा गुनाहगार समझे जाते थे। मिसाल के तौर पर, जिज़्या लेनेवाले और तवाएफ़ ।

तर्जुमा की सलाह:

  • “गुनाह” का तर्जुमा ऐसे जुमले के ज़रिए' भी किया जा सकता है जिसका मतलब हो, “ ख़ुदावन्द का हुक्म न मानना” या “ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़चलना” या “बुरे काम और ख़्याल” या “ग़लत काम करना”।
  • “ गुनाह करना” का तर्जुमा “ ख़ुदावन्द की ना फ़रमामानी ” या “ग़लत काम करना” भी हो सकता है।
  • जुमले के मुताबिक़ “गुनाहगार” का तर्जुमा “ग़लत काम करने वाले” या “बुरे या “ग़ैर इखलाक़ी” या “बुरा” या “ ख़ुदावन्द से मुख़ालिफ़त ”
  • जुमले के मुताबिक़ गुनाहगार” का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए' किया जा सकता है जिसका मतलब हो “वह शख़्स जो गुनाह करता है” या “ग़लतकाम करनेवाला शख़्स” या “ ख़ुदावन्द के हुक्म न माननेवाला शख़्स”
  • “गुनाहगारों” का तर्जुमा ऐसे जुमले से भी किया जा सकता है जिनका मतलब हो “बहुत ज़्यादा गुनाहगार शख़्स” या “जिन लोगों को बहुत ज़्यादा गुनाहगार माना जाता है” या “ बहुत बुरा शख़्स”
  • “जिज़्या लेनेवाले और गुनाहगार” के तर्जुमें के कई तरीक़े हैं , “सरकार के लिए पैसा जमा' करनेवाले और बहुत ज़्यादा गुनाहगार लोग या “बहुत गुनाहगार शख़्स”।
  • " गुनाह के ग़ुलाम " या " गुनाह के ज़रिए’ हुक्म" के जुमलों में, "गुनाह" लफ़्ज़ का तर्जुमा "हुक्म न मानना" या " बुरी खवाहिशें और कामों " की शक्ल में किया जा सकता है।
  • वाज़ह करें कि इस वक़्त के तर्जुमे में गुनाहगार का सुलूक और ख़याल शामिल हो सकते हैं, यहां तक कि वह भी जो उस बारे में नहीं जानते हैं।
  • लफ़्ज़ "गुनाह" बराबर होना चाहिए, और "बदकार" और "बुराई" के लिए लफ़्ज़ों से अलग होना चाहिए।

(यह भी देखें:नाफ़रमानी, बुरा, जिस्म, जिज़्या लेनेवाला)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 03:15 ख़ुदावन्द ने कहा "मैं वा'दा करता हूँ कि मैं फिर कभी ज़मीन पर ला'नत नहीं भेजूँगा क्यूँकि लोग बुरे काम करते हैं, या बाढ़ पैदा करके दुनिया को हलाक कर देते हैं, भले ही लोग उस वक़्त से गुनाहगार होते हैं जब वह बच्चे होते हैं।
  • 13:12 ख़ुदावन्द उनके गुनाह की वजह उनके साथ बहुत गुस्सा था और उन्हें हलाक करने के मन्सूबे बनाए ।
  • 20:01 इस्राईलियों और यहूदियों के बादशाहों ने ख़ुदावन्द के ख़िलाफ़ गुनाह किया था। उन्होंने 'अहद को तोड़ा जो ख़ुदावन्द ने उनके साथ सीनै में बनाया था।
  • 21:13 नबियों ने यह भी कहा कि मसीह ऐसा होगा, जिसमें कोई गुनाह नहीं होगा। वह ग़ैर लोगों के गुनाह के लिए सज़ा हासिल करने के लिए मर जाएगा
  • 35:01 एक दिन, ‘ईसा कई जिज़्या लेनेवाले और कई गुनाहगारों को सिखा रहा था जो उन्हें सुनने के लिए जमा' हुए थे।
  • 38:05 तब 'ईसा ने एक कटोरा लिया और कहा, "इसे पी लो। यह नए 'अहद नामे का मेरा ख़ून है जो गुनाहों की मु'आफ़ी के लिए डाल दिया गया है।
  • 43:11 पतरस ने उनसे कहा, “तौबा करो, और तुम में से हर एक 'ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो ख़ुदावन्द तुम्हारे गुनाहों को मु'आफ़ करेगा।
  • 48:08 हम सभी हमारे गुनाहों के लिए मरने के लायक़ हैं!
  • 49:17 अगर्चे आप एक मसीही हैं, फिर भी आप गुनाह करने की आज़माइश में पड़ेंगे । लेकिन ख़ुदावन्द यक़ीन के लायक़ है और यह कहता है कि अगर तुम अपने गुनाहों को मान लो, तो वह तुम्हें मु'आफ़ करेगा। वह गुनाह के ख़िलाफ़ जंग करने के लिए तुम्हें ताक़त देगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H817, H819, H2398, H2399, H2400, H2401, H2402, H2403, H2408, H2409, H5771, H6588, H7683, H7686, G264, G265, G266, G268, G361, G3781, G3900, G4258

ग़ैर क़ौम, ग़ैर क़ौमों

सच्चाई:

"ग़ैर क़ौम" का मतलब है ग़ैर यहूदी लोग । ग़ैर क़ौम उन लोगों को कहते थे जो या'क़ूब की नसल नहीं थे।

  • कलाम में “मख़तून” लफ़्ज़ भी 'अलामती शक्ल से ग़ैर क़ौमों के लिए काम में लिया गया है क्यूँकि वह इस्राईलियों की तरह अपने लड़कों का ख़तना नहीं करते थे।
  • ख़ुदा ने यहूदियों को अपने लिए अलग करके चुन लिया था, इसलिए यहूदी ग़ैर लोगों को बाहरी लोग मानते थे जो कभी ख़ुदा के लोग नहीं हो सकते थे।
  • यहूदियों को तवारीख़ में अलग-अलग वक़्तों पर “इस्राईली” या “'इब्रानी” कहा गया है और सबको वे “ग़ैर क़ौम” कहते थे।
  • ग़ैर क़ौम का तर्जुमा “यहूदी नहीं” या “ ग़ैर यहूदी” या “ ग़ैर इस्राईली” (पुराने ‘अहद नामे में) या “ग़ैर-यहूदी” हो सकता है।
  • रवायतों के मुताबिक़ यहूदी ग़ैर क़ौम के साथ बैठ कर खाना नहीं करते थे या उनके साथ रिश्ता नहीं रखते थे, इस वजह से शुरू'आती कलीसिया में परेशानियाँ पैदा हुई थीं ।

(यह भी देखें: इस्राईल, या’क़ूब, यहूदी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1471, G1482, G1484, G1672

गोश्त

ता’अर्रुफ़ :

किताब-ए-मुक़द्दस में “गोश्त” इन्सान या जानवर के नरमी के बारे में बताता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “गोश्त” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल भी होता है जिसके ज़रिए’ सब इन्सानों या सब जानवरों का ज़िक्र होता है।

नये ‘अहदनामे में “गोश्त” लफ़्ज़ इन्सानों के गुनाहगार आदत के लिए काम में लिया गया है। इसका इस्ते’माल अक्सर रूहानी आदत के मुख़तलिफ़ किया जाता है।

  • “अपना गोश्त और ख़ून” किसी के साथ ख़ून के रिश्ते का हवाला देता है जैसे वालिदैन, भाई-बहन, औलाद, नाती-पोते।
  • इसका हवाला बुज़ुर्गों या नसलों से भी है।
  • “एक जिस्म” का मतलब शादीशुदा औरत और मर्द के जिस्मानी ता’अल्लुक़ से भी है|

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून में एक जानवर के जिस्म का तर्जुमा “जिस्म” या “जिल्द” या “गोश्त” किया जा सकता है|
  • जब ‘आम तौर पर सभी जानदार मख़लूक के लिए इस्ते’माल में लिया जाए, तब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “जानदार” या “हर एक चीज़ जो ज़िन्दा है” किया जा सकता है|
  • जब ‘आम तौर पर सभी इन्सानों के लिए इस्ते’माल में लिया जाए, तब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा है, “लोग ” या “इन्सानी क़ौम” या “सब ज़िन्दा लोग” हो सकता है|
  • इज़हार “जिस्म और ख़ून” का तर्जुमा हो सकता है “रिश्तेदार ” या “ख़ानदान” या “रिश्तेदार” या “ख़ानदानी नसल”। वहाँ वह मजमून हो सकता है, जहाँ इसका तर्जुमा “बुज़ुर्गों” या “नसलों” किया जा सकता है|
  • कुछ ज़बानों में इज़हार हो सकता है कि “गोश्त और ख़ून” मतलब में एक जैसे हैं|
  • इज़हार “एक गोश्त होना” का तर्जुमा “जिन्सी अजज़ा” या “एक जिस्म होना या “एक इन्सान का जिस्मानी और रूहानी तौर पर एक होना” हो सकता है| * इस इज़हार के तर्जुमे को जाँच कर पक्का करना लेना चाहिए कि यह मक़सदी ज़बान और रवायत के क़ुबूल करने लायक़ है या नहीं| (देखें: अलफ़ाज़). यह भी समझना चाहिए कि यह ‘अलामती है, और इसका मतलब यह नहीं है कि एक मर्द और ‘औरत जो "एक जिस्म होंगे" का लफ़्जी तौर से एक इन्सान बन गया है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H829, H1320, H1321, H2878, H3894, H4207, H7607, H7683, G2907, G4559, G4560, G4561

चुनना, मुक़र्रर करना, मुक़र्रर किया

ता’अर्रुफ़:

“ठहराए” और “ मुक़र्रर किया” या'नी किसी को किसी ख़ास काम या किरदार के लिए चुनना।

  • “ मुक़र्रर होना” के बारे में भी “चुना गया” कि कुछ हासिल करे जैसे “ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए ठहराया” लोग जो “ख़ुशहाल ज़िन्दगी के लिए ठहराया” या'नी वह ख़ुशहाल ज़िन्दगी के लिए चुने गए हैं।
  • “ मुक़र्ररा वक़्त ” या'नी ख़ुदा का “चुना हुआ वक़्त” या “मशवरे का वक़्त ” कि कोई घटना घटे।
  • “ठहराए” लफ़्ज़ का मतलब “हुक्म दिया ” या “किसी को किसी काम के लिए रखना”

तर्जुमा की सलाह:

  • नए जुमले का तर्जुमा “ठहराए” तर्जुमा के तरीक़े हो सकते हैं, “चुनना” या “सौंपना” या “क़ानूनी तौर पर चुन लेना “या“ इख्तियार देना”।
  • “ मुक़र्रर किया” का तर्जुमा हो सकता है, “सौंपा” या “योजना बनाई” या “ख़ास तरीक़े से चुना”।
  • “ मुक़र्रर किया गया” का तर्जुमा “चुना गया” हो सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H561, H977, H2163, H2296, H2706, H2708, H2710, H3198, H3245, H3259, H3677, H3983, H4150, H4151, H4152, H4487, H4662, H5324, H5344, H5414, H5567, H5975, H6310, H6485, H6565, H6635, H6680, H6923, H6942, H6966, H7760, H7896, G322, G606, G1299, G1303, G1935, G2525, G2749, G4287, G4384, G4929, G5021, G5087

चौथाई देश के राजा

ता’अर्रुफ़:

"चौथाई देश के बादशाह " लफ़्ज़ का मतलब है एक सरकारी हुक्मरान जो रोमी सल्तनत के एक हिस्से पर हुकूमत करता था। प्रत्येक चौथाई देश के राजा रोमी बादशाह के मातहत था।

  • मज़मून "चौथाई देश के राजा" का मतलब "चार शिरकत हाकिमों में से एक है।"
  • सम्राट डाइक्लेटीयन के तहत शुरू हुई थी, रोमी सल्तनत के चार ख़ास हिस्से हुए थे और हर एक हाकिम ने एक हिस्से पर हुकूमत किया।
  • "महान" हेरोदेस की बादशाहत जो ‘ईसा की पैदाइश के वक़्त बादशाह था, उसकी मौत के बाद चार हिस्सों में बाँटा गया था, और उसके बेटों ने "चौथाई मुल्क के बादशाह " या "चौथे के हाकिमों " की शक्ल में हुकूमत किया।
  • हर एक चौथाई मुल्क में एक या उससे ज़्यादा ‘इलाक़े’ जिन्हें "सूबा " कहा जाता है, जैसे गलील या सामरिया।
  • "हेरोदेस जो चौथाई मुल्क का बादशाह था" उसका बयान कई बार नए ‘अहद नामे किया गया है. वह "हेरोदेस अन्तिपास" नाम से भी जाने जाते थे।
  • "चौथाई देश के बादशाह ," लफ्ज़ का तर्जुमा , "इलाक़ाई हाकिम" या "सूबे का हाकिम " या“” या “हाकिम” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: बड़ा हाकिम , हेरोदेस अन्तिपास, सूबा , रोम, हाकिम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G5075, G5076

छुटकारे के लिये, छुड़ा लिया

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “छुटकारे के लिये” का मतलब है क़ैदी की आज़ादी के लिए मांगी गई रक़म या और कोई अदायगी।

  • फ़े’अलके तौर पर, लफ़्ज़ "छुटकारे का" दाम देना, किसी क़ैदी, ग़ुलाम या क़ैदख़ाने में रखे हुए इन्सान के लिए रक़म देना या बचाने के लिए किसी काम को ख़ुद-सुपुर्दगी के साथ करना। “दुबारा ख़रीद लेना” “आज़ाद कराने” जैसा ही है।
  • ‘ईसा ने ख़ुद को छुटकारे के क़ीमत के तौर पर दे दिया कि इन्सान को गुनाह की ग़ुलामी से आज़ाद कराए। इन्सानों के गुनाह की क़ीमत देकर अपने लोगों को दुबारा ख़रीद लेना किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा की "नजात" कहलाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “छुटकारे की क़ीमत चुकानी ” इसका तर्जुमा हो सकता है, “आज़ादी के लिए क़ीमत चुकाना” या “आज़ाद कराने के लिए क़ीमत चुकाना” या “ दुबारा ख़रीद लेना”।
  • “छुटकारे की क़ीमत चुकानी ” इसका तर्जुमा इस तरह हो सकता है “क़ीमत चुकाना” या "सज़ा का क़ीमत चुकाना(लोगों को आज़ाद करने के लिए)" या "ज़रूरी क़ीमत अदा करना।"
  • नाम "छुटकारे" का तर्जुमा "वापस ख़रीदना" या "एक जुर्माने का भुगतान " या "अदा की गई क़ीमत" (लोगों या जमीन को आज़ाद या ख़रीदने के लिए) की शक्ल में किया जा सकता है।
  • एक "छुटकारे का क़ीमत" और "छुटकारा" लफ़्ज़ का अंग्रेज़ी में एक ही मतलब है लेकिन कभी-कभी इसे थोड़ा अलग तरीक़े से इस्ते’माल किया जाता है। दीगर ज़बानों में इस तसव्वुर के लिए सिर्फ़ एक लफ़्ज़ हो सकता है।
  • यक़ीनी करें कि यह तर्जुमा “कफ़्फ़ारा” के तर्जुमा से अलग हो।

(यह भी देखें: कफ़्फ़ारा, छुटकारा दिलानेवाला)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1350, H3724, H6299, H6306, G487, G3083

छुड़ा ले, छुटकारा, छुटकारा, छुटकारा दिलानेवाला

ता’अर्रुफ़:

“छुड़ा ले” या “छुटकारा” को वापस ख़रीदने या किसी ऐसे इन्सान को ख़रीदने के बारे में बताया गया जो पहले मिलकियत में था, या क़ैदी था| इसे करने के ‘अमल को "छुटकारा" कहते है। मुन्जी (छुड़ानेवाला) वह इन्सान है जो किसी चीज़ या इन्सान को छुड़ा लेता है।

  • ख़ुदा ने इस्राईल को किसी चीज़ या इन्सान को छुड़ाने के क़ानून दिए थे।
  • मिसाल के तौर पर, किसी ग़ुलाम को क़ीमत चुका कर कोई इन्सान छुड़ा सकता था कि वह आज़ाद हो जाए। “फ़िरौती” भी इसी मश्क़ के बारे में है।
  • अगर किसी की ज़मीन बेची जा चुकी है तो उसका कोई ख़ानदानी उस ज़मीन को छुड़ा सकता है या “दुबारा ख़रीद” सकता है कि वह ख़ानदानी दौलत बनी रहे।
  • इन मश्क़ से ज़ाहिर है कि ख़ुदा गुनाहों के ग़ुलामी में रहनेवालों को कैसे छुड़ाता है, जब ‘ईसा सलीब पर मर गया था तब उसने इन्सानों के गुनाहों का पूरा क़ीमत चुका दिया और उन सबको छुड़ा लिया जो आज़ादी के लिए उसमें ईमान करते हैं। जो इन्सान ख़ुदा के ज़रिए’ छुड़ाए गए हैं वे गुनाह और गुनाह की सज़ा से आज़ाद हो गए हैं।

तर्जुमे की सलाह:

मज़मून पर मुनहस्सिर, “छुड़ाना” का तर्जुमा हो सकता है, “दुबारा ख़रीद लेना” या “आज़ाद होने की कीमत चुकाना(कोई)” या "फ़िरौती"।

  • लफ़्ज़ "छुटकारा" का तर्जुमा "" या "फ़िरौती होने की क़ीमत" या "दुबारा ख़रीद लेना" के तौर पर किया जा सकता है।
  • लफ़्ज़ "फ़िरौती" और “छुटकारा” बुनियादी तौर से एक ही मतलब है, इसलिए कुछ ज़बानों में इन दोनों अलफ़ाज़ का तर्जुमा करने के लिए सिर्फ़ एक लफ़्ज़ हो सकता है। लफ़्ज़ "फ़िरौती",ताहम, इसका मतलब भी ज़रूरी अदायगी हो सकता है।

(यह भी देखें: आज़ाद, फ़िरौती)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1350, H1353, H6299, H6302, H6304, H6306, H6561, H7069, G59, G629, G1805, G3084, G3085

छोड़ना, छोड़ देता, छोड़ दिया, छोड़ा

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “छोड़ना” का मतलब है किसी को ख़ारिज कर देना या किसी चीज़ को छोड़ देना। कोई जो “छोड़ा हुआ” है तो वह किसी के ज़रिए’ अकेला छोड़ दिया गया या अलग कर दिया गया है।

  • जब इन्सान ख़ुदा को “छोड़” देते हैं, तो वे नाफ़रमानी के ज़रिए’ उससे धोखा करते है।
  • जब ख़ुदा “इंसानों” को छोड़ देता है, तब उसने उनकी मदद करना छोड़ दिया है और उन्हें मुसीबत का तजुर्बा करने को दिया है कि वे उसके पास लौट आएं।
  • इस लफ़्ज़ का मतलब किसी चीज़ को छोड़ना भी है, जैसे ख़ुदा की ता’लीमों को छोड़ना या उनका ‘अमल नहीं करना।
  • लफ़्ज़ “छोड़ा हुआ” को माज़ी में काम में लिया जा सकता है जैसे “उसने तुझे छोड़ दिया” या जैसे किसी को "छोड़ दिया गया है" के बारे में।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के और भी तरीक़े हो सकते हैं, “छोड़ देना” या “नज़रअंदाज़ करना” या “छोड़ देना” या “से दूर हो जाना” या “पीछे छोड़ देना” मज़मून पर मुनहस्सिर|
  • ख़ुदा की शरी’अत को “छोड़” देने का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की शरी’अत का ‘अमल नहीं करना” इसका तर्जुमा यह भी हो सकता है उसकी ता’लीमों या शरी’अत को “रद्द कर देना” या “छोड़ देना” या “हुक्म की फरमाबरदारी न करना”।
  • जुमले “छोड़ा हुआ” का तर्जुमा “छोड़ा हुआ” या “ख़ारिज होना” हो सकता है।
  • इसका मतलब और ज़्यादा साफ़ ज़ाहिर करने के लिए तर्जुमे में मुख़तलिफ़ अलफ़ाज़ का इस्ते’माल करें, जो मज़मून पर मुनहस्सिर करता है कि मज़मून में किसी चीज़ या किसी शख़्स को छोड़ा गया है|

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H488, H2308, H5203, H5428, H5800, H5805, H7503, G646, G657, G863, G1459, G2641,

ज़मीर,’अक़्ल

ता’अर्रुफ़:

ज़मीर इन्सान की सोच का हिस्सा है जिसके ज़रिये ख़ुदा उसे होशियार करता है जब वह कुछ गुनाह करता है |

  • ख़ुदा ने इन्सान को ‘अक़्ल दिया है कि वह सही और ग़लत में फर्क़ कर पाए।
  • जो इन्सान ख़ुदा के हुक्म मानता है उसके लिए कहा जाता है कि उसकी ‘अक़्ल “पाक” या “साफ़” या “खालिस ” है।
  • अगर इन्सान का ज़मीर साफ़ है तो इसका मतलब है कि वह किसी भी गुनाह को छिपा नहीं रहा है |
  • अगर इन्सान अपने ज़मीर की बात न सुने और गुनाह करते वक़्त उसे गुनाह का इल्म न हो तो इसका मतलब है कि उसका ज़मीर ग़लत काम के लिए हस्सास नहीं है। किताब-ए-मुक़द्दस इसे दागा गया ज़मीर कहती है, जिस पर ऐसा निशान लगा है जैसा गर्म लोहे से दागा जाता है। ऐसे ज़मीर को “बे हिस” या “गन्दा” कहा जाता है।
  • इस लफ़्ज़ के मुमकिन तौर से तर्जुमे हो सकते हैं, “रूहानी नेक रहनुमा ” या “नेक ख़्याल”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G4893

जलन, हसद

ता’अर्रुफ़:

“जलन” और हसद” का बयान रिश्तों की सफ़ाई को महफ़ूज़ रखने की मज़बूती से है। इन लफ़्ज़ों में किसी चीज़ या इन्सान के लिए अपनापन बनाए रखने की मज़बूत ख़्वाहिश भी है।

  • इन लफ़्ज़ों के ज़रिए' इन्सान के ग़ुस्से को भी बयान किया जाता है जो शादी में धोकेबाज़ रहा है।
  • कलाम में इन लफ़्ज़ों के ज़रिए' लोगों को पाक रहने और गुनाह से बदनाम न होने की ख़ुदा की मज़बूत मर्ज़ी को भी ज़ाहिर किया गया है।
  • ख़ुदा अपने नाम का 'एजाज़ और एहतराम के लिए भी हसद रखता है।
  • किसी की कामयाबी और मक़बूलियत पर ग़ुस्सा को भी हसद कहते हैं। * यह “हस्सास” के बराबर है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “जलन” के तर्जुमे की कई शक्लें हो सकती हैं, “हिफ़ाज़त की मज़बूत मर्ज़ी” या “अपनेपन की मर्ज़ी ”
  • “हसद” का तर्जुमा “हिफ़ाज़त का मज़बूत एहसास” या “अपनेपन का एहसास”
  • ख़ुदा के लिए जब इस लफ़्ज़ का तर्जुमा करें तो ऐसा ज़ाहिर न हो कि ख़ुदा किसी से जलन रखता है।
  • इन्सानों के बारे में लोगों के ग़ुस्से से भरे ख़्यालों के बारे में जब कोई कामयाब होता है तब “जलना” या “जलन” लफ़्ज़ों का इस्ते'माल किया जा सकता है। लेकिन यह लफ़्ज़ ख़ुदा के लिए काम में न लें।

(यह भी देखें: हसद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7065, H7067, H7068, H7072, G2205, G3863

जलाल,जलाल से मा’मूर, ता’रीफ़, ता'रीफ़ करता है

ता’अर्रुफ़:

'आमतौर, “जलाल” का मतलब है, ‘इज़्ज़त, शान-ओ-शौकत और बहुत बड़ाई। जिसमें जलाल हो वह "जलाल से मा’मूर" कहलाता है।

  • कभी-कभी "जलाल" का मतलब बहुत क़ीमती और ख़ास भी होता है। कई बयानों में इसका मतलब, शान-ओ-शौकत, रोशनी या फ़ैसला भी होता है।
  • मिसाल के लिए, "चरवाहों की शान" का मतलब हरी चरागाहों को बताता है जहाँ उनके भेड़ों को खाने के लिए बहुत घास होती है।
  • ख़ास तौर से बड़ाई करके ख़ुदा का बयान करने में काम में ली जाती है क्यूँकि वह सारी दुनिया में सबसे ज़्यादा जलाल से मा'मूर है उसके जुमले में हर एक बात उसकी शान और उसकी शौकत को ज़ाहिर करती है।
  • जुमले "बड़ाई करने के लिए" का मतलब है कि कुछ के बारे में ग़ुरूर करना या फ़ख्र करना

“बड़ाई करे” या'नी किसी चीज़ या आदमी की 'इज़्ज़त और उसकी बड़ाई को ज़ाहिर करना । इसका असल मतलब है, “ता'रीफ़ करना”।

  • इन्सान ख़ुदा के अजीब कामों को बयान करके उसकी बड़ाई कर सकते हैं |
  • वह ख़ुदा की बड़ाई भी कर सकते है इस तरीक़े से जीकर की उसे 'इज़्ज़त मिले और दिखाते हुए की वह कितना अज़ीम और शानदार है।
  • कलाम में लिखा है कि ख़ुदा अपना जलाल ज़ाहिर करता है तो इसका मतलब है कि वह लोगों पर अपनी हैरत अँगेज़ काम ज़ाहिर करता है, जो हमेशा मो'जिज़ों के ज़रिए' होता है।
  • बाप ख़ुदा, बेटा ख़ुदा के जलाल का बेटे का कमाल , उसकी शान और 'अज़मत को ज़ाहिर करता है।
  • मसीह में ईमान करनेवाला हर एक शख़्स उसके साथ जलाल पाएगा। जब ज़िन्दगी के लिए उनका नया जन्म होगा तब वह उसके जलाल को ज़ाहिर करने के लिए तब्दील हो जाएंगे और तमाम तख्लीक़ पर उसका फ़ज़ल ज़ाहिर होगा।

तर्जुमा के लिए सलाह:

जुमलों के तौर पर "जलाल" का तर्जुमा कई तरीक़े से हो सकता है "अमन" या "रोशनी" या "’अज़मत" या"शानदार "’अज़ीमी" या इन्तिहाई क़द्र सामिल हो सकती है |

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “को जलाल देना” या “जलाल से भरा हुआ ” या “'अज़ीम दिखाई देने की वजह होना”।
  • मज़मून "ख़ुदा को जलाल दें" का तर्जुमा "ख़ुदा की 'अज़मत का ‘एजाज़" या "उसकी बड़ाई की वजह से ख़ुदा की ता'रीफ़ " या "दूसरों को बताएं कि ख़ुदा कितना 'अज़ीम है" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।
  • मज़मून "जलाल" का तर्जुमा "'इज़्ज़त" या "फ़ख्र में" या "ग़ुरूर" या "ख़ुशी लेने" की शक्ल में भी किया जा सकता ह

"जलाल" का तर्जुमा "जलाल देना" या "जलाल लाने" या "’अज़ीम दिखने की वजह " की शक्ल में भी किया जा सकता है।

  • “ख़ुदा की बड़ाई करना” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई करना” या “ख़ुदा की 'अज़मत का ज़िक्र करना” या “दिखाना कि ख़ुदा कैसा 'अज़ीम है”, या “ख़ुदा की (हुक्म की ‘इता’अतकरते हुए )एहतराम करना”।
  • लफ़्ज़ "जलाल हो" का तर्जुमा भी किया जा सकता है, "बहुत बड़ा होना दिखाया जाए" या "ता'रीफ़ की जाए" या "बुलंद हो।"

(यह भी देखें: बड़ाई करना, महिमा, फ़रमाबरदारी , बड़ाई )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 23:07 तब अचानक फ़रिश्तों का झुण्ड ख़ुदा की ता'रीफ़ करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया, “आसमान में ख़ुदा बड़ाई और ज़मीन पर उन लोगों में जिनसे वह ख़ुश है, अमन हो ।”
  • 25:06 फिर शैतान ने 'ईसा को निया की सारी सल्तनतों और उसकी शान-ओ-शौकत दिखाकर उससे कहा, “अगर तू गिरकर मुझे सिज्दा करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा।”
  • 37:01 यह सुनकर 'ईसा ने कहा, “यह बीमारी मौत की नहीं; लेकिन ख़ुदा के जलाल के लिए है।"
  • 37:08 ‘ईसा ने जवाब दिया , “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा था कि अगर तू मुझ पर यक़ीन करेगी, तो ख़ुदा के जलाल को देखेगी?”

शब्दकोश:

  • Strong's: H117, H142, H155, H215, H1342, H1921, H1922, H1925, H1926, H1935, H1984, H2892, H3367, H3513, H3519, H3520, H6286, H6643, H7623, H8597, G1391, G1392, G1740, G1741, G2620, G2744, G2745, G2746, G2755, G2811, G4888

जहन्नुम, आग की झील

ता’अर्रुफ़:

जहन्नुम बहुत दुखों और मुसीबतों का वह आख़िरी मक़ाम है जहां ख़ुदा उसके बाग़ियों को और ‘ईसा की क़ुर्बानी के ज़रिए’ उनकी नजात के मन्सूबे की मुख़ालिफ़त करनेवालों को सज़ा देगा। इसे “आग की झील” भी कहा गया है।

  • जहन्नुम को आग और बहुत मुसीबत का मक़ाम कहा गया है।
  • शैतान और उसके साथ की बदरूहें अबदी सज़ा के लिए जहन्नुम में डाली जाएंगी।
  • जो लोग उनके गुनाहों के लिए ‘ईसा के बलिदान में ईमान नहीं करते और नजात के लिए उसमें ईमान नहीं करते उन्हें भी हमेशा की सज़ा के लिए जहन्नुम में डाला जाएगा।

तर्जुमे की सलाह:

  • इन अलफ़ाज़ का तर्जुमा अलग-अलग अलफ़ाज़ के जरिए’ किया जाए क्योंकि वे अलग-अलग मज़मूनों में आते हैं।
  • कुछ ज़बानों में “आग की झील” का झील लफ़्ज़ काम में नहीं लिया जा सकता क्योंकि उस ज़बान में झील का मतलब पानी की झील है।
  • “जहन्नुम” लफ़्ज़ का तर्जुमा “मुसीबत का मक़ाम” या “तारीकी और मुसीबत का आख़िरी मक़ाम” किया जा सकता है।
  • “आग की झील” का तर्जुमा “आग का समन्दर” या “बहुत बड़ी आग” या “आग का इलाक़ा” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: जन्नत, मौत, आलम-ए-अर्वाह, अथाह गड्ढा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 50:14 वह (ख़ुदा) उन्हें __ जहन्नुम __ में फेंक देगा, जहाँ वे परेशानी में हमेशा रोएँगे और दाँत पीसेंगे। वह आग जो कभी नही बुझती उन्हें हमेशा जलाती रहेगी और कीड़े उन्हें हमेशा खाते रहेंगे।
  • 50:15 वह शैतान को __ जहन्नुम __ में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने ख़ुदा का हुक्म मानने के बजाय उसकी बात मानने का फ़ैसला किया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H7585, G86, G439, G440, G1067, G3041, G4442, G4443, G4447, G4448, G5020, G5394, G5457

जहाज़

ता'अर्रुफ़:

“जहाज़”, लफ़्ज़ लकड़ी के चौकोर डब्बे के जैसा बताता है जिसमें कोई चीज़ रखकर महफ़ूज़ की जाती है। जहाज़ बड़ी या छोटी हो सकती है जो मुन्हसिर करता है कि वह किस काम में ली जा रही है।

  • अंग्रेजी की किताब-ए-मुक़द्दस में “जहाज़” लफ़्ज़ सबसे पहले एक लकड़ी की चौकोर नाव के लिए काम में लिया गया लफ़्ज़ है जिसे नूह ने दुनिया के सैलाब से बचने के लिए बनाया था। इस जहाज़ का नीचे बराबर था और एक छत थी और दीवारें थी।
  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमा हो सकता हैं, “एक बहुत बड़ी नाव” या “बजरा” या “माल लाने वाली नाव ” या “बड़ी सन्दूक़ जैसी नाव”।
  • इस बहुत बड़ी नाव के लिए जो इब्रानी लफ़्ज़ काम में लिया गया है वह लफ़्ज़ वही है जिसे मूसा की माँ ने बच्चे मूसा को नील नदी में रखने के लिए टोकरी बनाई थी। इसका तर्जुमा हमेशा टोकरी किया जाता है।
  • “’अहद का सन्दूक़” में “सन्दूक़” के लिए एक अलग इब्रानी लफ़्ज़ का काम में लिया गया है। इसका तर्जुमा “डब्बा” या “सन्दूक़” या “बर्तन” किया जा सकता है।
  • “सन्दूक” का तर्जुमा किया जाए तब हर एक के बारे में देखें कि उसकी लम्बाई-चौड़ाई कितनी है और वह किस काम में लिया गया है, यह ज़्यादा ज़रूरी है।

(यह भी देखें: ‘अहद का सन्दूक़, टोकरी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H727, H8392, G2787

जहान का यहोवा, रब्बुल-आलमीन , आसमान का मेज़बान , आसमानों को मेज़बान , सारी कायनात का ख़ुदा

ता’अर्रुफ़:

  • “सेनाओं का यहोवा” और “सेनाओं का ख़ुदावन्द” ये लक़ब हजारों फ़रिश्तों पर ख़ुदावन्द के इख़्तियार को बताता हैं जो उसके हुक्मों पर 'अमल करते हैं।

  • “मेज़बान” या “मेज़बानों” ये लफ़्ज़ किसी भी बात की बड़ी ता'दाद को बयान करते हैं जैसे फ़ौज या सितारों की बड़ी ता'दाद। यह बुरी रूहों और सभी कई रूहों के बारे में भी है। बयान यह साबित करता है कि क्या बयान किया जा रहा है।

“आसमान की फ़ौज” सितारों, नछात्रों और दूसरी आसमानी चीज़ों के लिए काम में लिए जाते हैं।

  • नए 'अहद नामे में, मज़मून, "सेनाओं का ख़ुदा" का मतलब "सेनाओं का यहोवा" की तरह है, लेकिन इसको इस तरह से तर्जुमा नहीं किया जा सकता है क्यूँकि "यहोवा" 'इब्रानी लफ़्ज़ है नए 'अहद नामे में इस्ते'माल नहीं किया गया है।

तर्जुमा के लिए सलाह:

“सेनाओं का यहोवा” का तर्जुमा हो सकता है, “फ़रिश्तों पर हुकूमत करने वाला ख़ुदावन्द” या “फ़रिश्तों की फ़ौजों पर हुकूमत करने वाला ख़ुदावन्द” या “यहोवा जो फ़रिश्तों पर हुकूमत करता है।”

  • "सेनाओं का ख़ुदावन्द" और "सेनाओं का ख़ुदा" लफ़्ज़ों में "सेनाओं " के मज़मून का तर्जुमा उसी तरह से किया जाएगा जैसा कि ऊपर "सेनाओं का यहोवा" में लिखा गया है।
  • कुछ कलीसियाएं “यहोवा” लफ़्ज़ की जगह में “ख़ुदा”(मालिक अंग्रेजी के बड़े हर्फ़) लफ़्ज़ को काम में लेना ज़्यादा बेहतर समझते हैं क्यूँकि कई कलाम के मज़्मूनों में ऐसा ही इस्ते'माल किया गया है। ऐसी कलीसियाओं के लिए “सेनाओं का ख़ुदा” काम में लें और पुराने 'अहद नामे में "सेनाओं का यहोवा" काम में ले।

(यह भी देखें: फ़रिश्ता, अधिकार, ख़ुदावन्द, ख़ुदा, ख़ुदा, ख़ुदा यहोवा, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H3068, H6635

जान , रूह

ता'अर्रुफ़:

“रूह ” शख़्स का अन्दुरूनी ना दिखाई देने वाला अब्दी हिस्सा है। यह शख़्स का ग़ैर जिस्मानी हिस्सा है।

  • “रूह” और “जान” दो अलग नज़रयात हैं या वह दो अलग लफ़्ज़ हैं जो एक ही ख़याल को बयान करते हैं।
  • इन्सान जब मरता है तब उसकी रूह जिस्म को छोड़ देती है।
  • “रूह” लफ़्ज़ का इस्ते'माल कभी-कभी 'अलामती शक्ल में पूरे तौर पर बयान लिए किया गया है। मिसाल के तौर पर “ रूह गुनाह करती है” या'नी “इन्सान गुनाह करता है”, या “मेरी रूह थकी है” या'नी “मैं थका हुआ हूं।”

तर्जुमा की सलाह:

  • “रूह” का तर्जुमा “अन्दुरूनी आदमी ” या “अन्दुरूनी शख़्स”
  • कुछ बयानों में “मेरी रूह” का तर्जुमा, “मैं” या “मुझे” हो सकता है।
  • जुमले के मुताबिक़ “रूह” का तर्जुमा 'आम तौर पर “शख़्स” या “वह” या “उसे” हो सकता है।
  • कुछ ज़बानों में “रूह” और “रूह” के लिए एक ही लफ़्ज़ होता है।
  • 'इब्रानियों 4:12 में 'अलामती शक्ल में “जान और रूह को... अलग करके” का मतलब हो सकता है, “अन्दुरूनी शख़्स को समझना या अन्दुरूनी शख़्स को ज़ाहिर करना।”

(यह भी देखें: रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5082, H5315, H5397, G5590

ज़ाहिर करना, ज़ाहिर करना, ज़ाहिर किया, मुकाशिफ़ा

ता’अर्रुफ़:

“ज़ाहिर करना” या’नी किसी बात को जानने के क़ाबिल बनाना। “मुकाशिफ़ा” ज़ाहिर की गई कोई बात है।

  • ख़ुदा ने अपनी क़ायनात की हर एक तख़लीक के ज़रिए’ से ख़ुद को ज़ाहिर किया है और ज़ुबानी और तहरीरी पैग़ाम के इन्सान के साथ जुड़ने के ज़रिए’ भी।
  • ख़ुदा ख़्वाबों और रोया के ज़रिए’ भी ख़ुद को ज़ाहिर करता है।
  • पौलुस कहता है कि उसने “मसीह ‘ईसा के मुकाशिफ़ा के ज़रिए’” ख़ुशख़बरी हासिल की है तो उसके कहने का मतलब है कि ‘ईसा ख़ुद ने उसे ख़ुशख़बरी समझाई है।
  • नये ‘अहदनामे की किताब, “मुकाशिफ़ा” आख़िरी वक़्त से मुता’अल्लिक़ वाक़ि’आत का ख़ुदा के ज़रिए’ मुकाशिफ़ा है। उसने रोया के ज़रिए’ रसूल युहन्ना को सब ज़ाहिर किया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • “ज़ाहिर करना” के दीगर तर्जुमा के तरीक़े हैं, “समझाना” या “खोलना” या “साफ़ दिखाना”
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “मुकाशिफ़ा” के मुमकिन तर्जुमा हो सकते हैं, “ख़ुदा से रिश्ता” या “ख़ुदा ने जो बातें ज़ाहिर की” या “ख़ुदा के बारे में ता’लीमत”। अच्छा तो यही होगा कि इसी लफ़्ज़ में “ज़ाहिर करना” का मतलब रखा जाए।

“जहां मुकाशिफ़ा नहीं” इस जुमले का तर्जुमा “जब ख़ुदा इन्सानों पर ख़ुद को ज़ाहिर न करे” या “जब ख़ुदा इन्सानों से बातें न करे” या “ख़ुदा ने इन्सानों से राब्ता न किया” के तौर पर किया जा सकता है।

(यह भी देखें: ख़ुशख़बरी, ख़ुशख़बरी, ख़्वाब, रोया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H241, H1540, H1541, G601, G602, G5537

जाहो जलाल

ता’अर्रुफ़:

“जाहो जलाल”लफ़्ज़ का मतलब है अज़मत और शान के बारे में ख़ास कर बादशाह की ख़ासियतों का।

  • कलाम में “जाहो जलाल” ज़्यादातर ख़ुदा की शान के लिए काम में लिया गया है क्यूँकि वह दुनिया के ऊपर सबसे बड़ा बादशाह है।
  • “जाहो जलाल” बादशाह से बात करने के बारे में है।

तर्जुमा की सलाह :

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “अज़ीम बादशाहत ” या “शाही शान
  • “जाहो जलाल” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “आपकी अज़मत” या “आपकी शान” या मक़सदी ज़बान में एक हुकूमत से बात करने का एक रूहानी तरीक़ा ।

(यह भी देखें: बादशाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1347, H1348, H1420, H1923, H1926, H1935, H7238, G3168, G3172

जिज़्या , जिज़्यों

ता’अर्रुफ़:

“जिज़्या” या'नी किसी को दी गई या चढ़ाई गई चीज़। जिज़्या देने में बदले में किसी बात के लिए जाने की या किसी चीज़ के दिए जाने की उम्मीद नहीं की जाती है।

  • पैसा, खाना, कपड़ा वग़ैरह ग़रीबों को दिए जाते हैं तो उन्हें “जिज़्या” कहते हैं।
  • कलाम में ख़ुदा को नज़र की गई चीज़ या क़ुर्बानी को “जिज़्या” कहते हैं।
  • नजात की जिज़्या ख़ुदा 'ईसा में ईमान के ज़रिए' हमें देता है।
  • नए 'अहद नामे में लफ़्ज़ “ने'मत ” जो ख़ुदा के ज़रिए' दी गई ख़ास रूहानी कूव्वतें हैं जो ख़ुदा ईमानदारों को ग़ैर लोगों की ख़िदमत के लिए देता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “जिज़्या” का आम लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से किया जाए जिसका मतलब हो, “दी गई कोई चीज़ ।”
  • इन्सान की क़ाबिलियत या ने'मत के बारे में जो ख़ुदा देता है, “पाक रूह की ने'मत” इसका तर्जुमा हो सकता है, “रूहानी ताक़त” या “ पाक रूह से हासिल रूहानी क़ूव्वत ” या “ख़ुदा ख़ुसूसी रूहानी महारत ।”

(यह भी देखें: रूह , पाक रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H814, H4503, H4864, H4976, H4978, H4979, H4991, H5078, H5083, H5379, H7810, H8641, G334, G1390, G1394, G1431, G1434, G1435, G3311, G5486

ज़िन्दगी, ज़िन्दा रहना, रहा, ज़िन्दगी,जानदार, ज़िन्दा

ता’अर्रुफ़:

इन सब अलफ़ाज़ का मतलब है ज़िन्दा रहना, मरना नहीं इनका इस्ते’माल ‘अलामती तौर पर रूह में ज़िन्दा रहने के लिए भी किया जाता है। मुन्दर्ज़ा ज़ेल से ज़िक्र किया जाता है कि, “जिस्मानी ज़िन्दगी” और “रूहानी ज़िन्दगी” का क्या मतलब है

1. जिस्मानी ज़िन्दगी

  • जिस्मानी ज़िन्दगी जिस्म में रूह की हाज़िरी है। ख़ुदा ने आदम के जिस्म में ज़िन्दगी की सांस दी, और वह एक ज़िंदा हो गया।
  • एक "ज़िन्दगी" को "एक ज़िन्दगी बचाया गया" के बारे में भी इस्ते’माल किया जा सकता है।
  • कभी-कभी लफ़्ज़ "ज़िन्दगी" में रहने के तजरुबे के बारे में बताता है, "उसकी ज़िन्दगी ख़ुशहाल थी"
  • यह किसी इन्सान की ‘उम्र का भी ज़िक्र कर सकता है, जैसा कि इज़हार में "उसकी ज़िन्दगी की आख़िर" होता है।
  • "ज़िन्दा रहना" लफ़्ज़ का मतलब जिस्मानी तौर से जिंदा होने का ज़िक्र कर सकते हैं, जैसा कि "मेरी मां अभी भी ज़िन्दा है।" यह रहने के बारे में ज़िक्र कर सकता है, "वे शहर में रह रहे थे।"
  • किताब-ए-मुक़द्दस में, "ज़िन्दगी" का तसव्वुर अक्सर "मौत" के तसव्वुर से अलग है।

2. रूहानी ज़िन्दगी

  • एक इन्सान की रूहानी ज़िन्दगी है, जब वह ख़ुदा के साथ ‘ईसा पर ईमान करता है, तो उस इन्सान को पाक रूह के साथ रूहानी ज़िन्दगी में बदल जाता है।
  • इस ज़िन्दगी को "अबदी ज़िन्दगी" कहा जाता है, यह इशारा करने के लिए कि इसका आख़िर नहीं है।
  • रूहानी ज़िन्दगी के मुख़तलिफ़ रूहानी मौत है, जिसका मतलब है कि ख़ुदा से अलग होने और अबदी सज़ा का सामना करना।

तर्जुमें की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “ज़िन्दगी” का तर्जुमा “वजूद” या “इन्सान” या “जान” या “होना” या “तजरुबा” हो सकता है।
  • “रहना” लफ़्ज़ का तर्जुमा “रहना” या “बसना” या “वजूद में रहना” किया जा सकता है।
  • इज़हार “ज़िन्दगी की आख़िर” का तर्जुमा “ज़िन्दगी की सांस रूक जाए” हो सकता है।
  • इज़हार “जान बचा दी” का तर्जुमा “जीने दिया” या “क़त्ल नहीं की” किया जा सकता है।
  • इज़हार “जान ख़तरे में डाली” का तर्जुमा हो सकता है, “जान मुसीबत में डाली” या “ऐसा काम किया जो जान लेवा हो सकता था”।
  • जब किताब-ए-मुक़द्दस के मज़मून में रूहानी तौर से ज़िन्दा होने के बारे में बात की जाती है, “ मज़मून पर मुनहस्सिर "ज़िन्दगी" का तर्जुमा "रूहानी ज़िन्दगी" या "अबदी ज़िन्दगी" के तौर पर किया जा सकता है।
  • "रूहानी ज़िन्दगी" का तसव्वुर का भी तर्जुमा किया जा सकता है क्योंकि "ख़ुदा हमें अपनी रूहों में ज़िन्दा कर रहा है" या "ख़ुदा की रूह से नई ज़िन्दगी" या "रूह में ज़िन्दा किया जाना।"
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, इज़हार "ज़िन्दगी देना" का तर्जुमा "ज़िन्दा रहने के लिए" या "अबदी ज़िन्दगी दे" या "हमेशा के लिए जीना" के तौर पर भी किया जा सकता है।

(यह भी देखें: मौत, अबदी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 01:10 फिर ख़ुदा ने मिट्टी ली, और उससे एक आदमी बनाया, और उसमें ज़िन्दगी की साँस फूँक दी
  • 03:01 एक लंबे वक़्त के बा’द, बहुत से लोग दुनिया में रह रहे थे।
  • 08:13 जब यूसुफ़ के भाई अपने बाप या’क़ूब के पास पहुँचे और उससे कहा, यूसुफ़ अब तक ज़िन्दा है, यह सुन वह बहुत ख़ुश हुआ।
  • 17:09 हालांकि, अपनी ज़िन्दगी के आख़िरी वक़्त में उसने ख़ुदा के ख़िलाफ़ ख़ौफ़नाक गुनाह किया।
  • 27:01 एक दिन, यहूदी मज़हब में माहिर एक मुन्तज़िम ‘ईसा के पास उसकी आज़माइश लेने के लिए आया, और कहने लगा, “ऐ उस्ताद अबदी ज़िन्दगी का वारिस होने के लिए मैं क्या करूं?”
  • 35:05 ‘ईसा ने जवाब दिया, "मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ।"
  • 44:05 “तुम वही हो जिसने रोमी हुकूमत से कहा कि ‘ईसा को मार दिया जाएँ। तुम ने ज़िन्दगी के मुसन्निफ़ को मार डाला, लेकिन ख़ुदा ने उसे मरे हुओ में से जिलाया।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H1934, H2416, H2417, H2421, H2425, H5315, G198, G222, G227, G806, G590

जिस्म, जिस्मों

ता'अर्रुफ़:

“जिस्म ” का हवाला इंसान या जानवर के जिस्म से है। इस लफ्ज़ का इस्ते'माल जुमले कि शक्ल में किसी चीज़ या भीड़ के लिए भी किया गया है।

  • “जिस्म ” लफ्ज़ मुर्दा इंसान या मरा जानवर के बारे में भी काम में आता है। कभी इसका मतलब “मुर्दा जिस्म ” या “लाश” कहा गया है।
  • आख़िर फ़सह के खाने के वक़्त 'ईसा ने रोटी तोड़कर अपने शागिर्दों से कहा था, “यह मेरा जिस्म है” तो वह अपने जिस्म के बारे में कह रहा था जो कई गुनाहों के लिए तोड़ (मार डाला) जाएगा।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ईमानदारों के झुन्ड को “मसीह का जिस्म ” कहा गया है।
  • जैसे जिस्म के कई हिस्से होते हैं वैसे ही “मसीह के जिस्म ” के कई रुक्न हैं।
  • मसीह के जिस्म में हर एक ईमानदार की अपना एक ज़िम्मेदारी है कि मुकम्मल भीड़ की मदद करे कि वह एक साथ ख़ुदा की ख़िदमत करे और उसकी मेहमान नवाज़ी करे।

'ईसा इस बात की याद दिलाता है कि वह अपने ईमानदारों का "सर " है | जैसे इंसान का सिर अपने जिस्म को हिदायात देता है कि उसे क्या करना है वैसे ही 'ईसा ईमानदारों को हिदायत और सीधा रास्ता फ़राहम करता है कि उसके “जिस्म ” के 'आज़ा होने कि वजा उन्हें क्या करना है।

तर्जुमा की सलाह :

  • इस लफ्ज़ के तर्जुमा के लिए मक़सदी ज़बान में जिस्म के लिए 'आम तौर पर काम में लिए जाने वाले लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए। यक़ीन करें कि जिस लफ्ज़ का इस्ते'माल किया गया है वह बुरे काम तो नहीं।
  • कुछ ज़बानों में ईमानदारों की जमा’अत का हवाला देते वक़्त “मसीह का रूहानी जिस्म ” कहना ज़्यादा मुमकिन और अच्छा होगा।
  • जब 'ईसा कहता है, “यह मेरा जिस्म” है तो इसका सही तर्जुमा तफ़सील करने के लिए हासिए का इस्ते’माल करके किया जा सकता है |
  • कुछ ज़बानों में मुर्दा जिस्म के लिए एक अलग लफ्ज़ इस्ते'माल में लिया जाता है जैसे इंसान के लिए “लाश” और जानवर के लिए “मुर्दा जानवर।” इसके तर्जुमे में ऐसे लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें जिसका पूरा मतलब हो और क़ाबिले क़ुबूल भी हो।

(यह भी देखें: सिर , रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H990, H1320, H1460, H1465, H1472, H1480, H1655, H3409, H4191, H5038, H5085, H5315, H6106, H6297, H7607, G4430, G4954, G4983, G5559

जी उठना

ता’अर्रुफ़:

“जी उठने” का मतलब है मरने के बा’द दुबारा ज़िन्दा हो जाना।

  • किसी का पुनरूत्थान करना या’नी उसे मरने के बा’द दुबारा ज़िन्दा करना। सिर्फ़ ख़ुदा के पास ऐसी क़ुव्वत है।
  • लफ़्ज़ "जी उठने" अक्सर ‘ईसा के मरने के बा’द दुबारा ज़िन्दा के बारे में बताता है।
  • ‘ईसा ने कहा, “क़यामत और ज़िन्दगी मैं हूं”, तो उसके कहने का मतलब था कि वह क़यामत का ज़रिया’ है और वह इन्सान को दुबारा ज़िन्दा करता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “जी उठने” लफ़्ज़ का तर्जुमा, “फिर ज़िन्दा होना” या “मरने के बा’द फिर ज़िन्दा हो जाना” हो सकता है।
  • इस लफ़्ज़ का सही मतलब “ऊँचा उठना” या “उठाए जाना” (मौत से) है। इस लफ़्ज़ के मुमकिन तर्जुमा, “अंदरूनी इख़लाक़ी राह दिखाना” या “इख़लाक़ी ख़याल” हो सकते हैं

(यह भी देखें: ज़िन्दगी, मौत, खड़ा करना

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 21:14 मसीह की मौत और उसके जी उठने के ज़रिए’ से, ख़ुदा अपना मनसूबा साबित करेगा और गुनाहगारों को बचाने के लिए नए ‘अहद की शुरू’आत करेंगे |
  • 37:05 ‘ईसा ने जवाब दिया, "मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ।" जो कोई मुझ पर ईमान करता है वह अगर मर भी जाये, तौभी ज़िन्दा रहेगा”

शब्दकोश:

  • Strong's: G386, G1454, G1815

जुर्म , मुजरिम

ता’अर्रुफ़:

“जुर्म” का मतलब है गुनाह करने और जुर्म करने की हक़ीक़त ।

  • “ मुजरिम होना” या'नी मुजरिम साबित करने का इख़लाक़ी तरीक़ा ग़लत है जैसे ख़ुदा के हुक्म की ना फ़रमानी करना।
  • “मुजरिम” का उल्टा लफ़्ज़ है “बेक़ुसूर ”

तर्जुमा की सलाह:

  • कुछ ज़बानों में “इल्ज़ाम” का तर्जुमा “गुनाह का बोझ” या “गुनाह का शुमार” किया गया है।
  • “ मुजरिम होने” की तर्जुमें की शक्ल हो सकती हैं, “मुजरिम होना” या “इख़लाक़ी तौर पर ग़लत काम करना” या “गुनाह करना”

(यह भी देखें:बेक़ुसूर, नारास्ती के काम, सज़ा देना, गुनाह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 39:02 वह कई झूठे गवाह लाए जो 'ईसा के बारे में झूठ बोल रहे थे। हालांकि, उनके बयान एक दूसरे से नहीं मिल रहे थे, इसलिए यहूदी रहनुमा 'ईसा को मुजरिम साबित नहीं कर सके।
  • 39:11 ‘ईसा से बात करने के बा'द पिलातुस भीड़ में आया, और कहा, “मैं तो इस आदमी में कोई जुर्म नहीं पाता।” लेकिन यहूदी रहनुमाओं ने चिल्लाकर कहा कि, “इसे सलीब पर चढ़ा दो।” पिलातुस ने कहा कि, “मैं इसमें कोई जुर्म नहीं पाता।” वह और ज़ोर से चिल्लाने लगे। पिलातुस ने तीसरी बार कहा कि “मैं इसमें कोई जुर्म नहीं पाता।”
  • 40:04 ‘ईसा को दो डाकुओ के बीच सलीब पर चढ़ाया गया। उनमें से एक जब 'ईसा का मज़ाक़ उड़ा रहा था तो ,दूसरे ने कहा कि, “क्या तू ख़ुदा से नहीं डरता? हम __मुजरिम__हैं लेकिन ,यह तो बेगुनाह है।”
  • 49:10 अपने ही गुनाहों की वजह से , तुम मुजरिम हो और मौत के लायक़ हो।

शब्दकोश:

  • Strong's: H816, H817, H818, H5352, H5355, G338, G1777, G3784, G5267

जोश , जल्दबाज़ी

ता’अर्रुफ़:

“जोश ” और “जल्दबाज़ी ” का बयान किसी इन्सान या ख़्याल से क़ादिर-ए-मुतलक के हवाले होना।

  • जल्दबाज़ी का मतलब है किसी अच्छे काम के लिए मज़बूत ख्वाहिश और काम इससे अक्सर उस इन्सान का बयान होता है जो ईमानदारी से ख़ुदा के हुक्मों को मानता है और लोगों को भी ऐसी ता’लीम देता है।
  • जोशीले होने का मतलब है, किसी काम को करने में लगातार कोशिश करना और उसी में लगे रहना।
  • “ख़ुदावन्द की गैरत ” या “यहोवा की गैरत ” का मतलब है ख़ुदा का क़ुदरती काम कि उसके लोगों को बरकत मिले या इन्साफ़ हो।

तर्जुमे के लिए सलाह:

“जोश से भरा ” का तर्जुमा “लगातार कोशिश ” या “लगातार लगे रहना ” हो सकता है।

  • “जोश ” का तर्जुमा “ बीलोस इमानदारी ” या “फैलसा ” या “रास्तबाज़ी जोश” हो सकता है।
  • “तेरे घर की गैरत ” का तर्जुमा “तेरे हैकल को बड़ी इज़्ज़त की ख्वाहिश ” या “तेरे घर की निगरानी की जोश भरी मर्ज़ी ”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7065, H7068, G2205, G2206, G2207, G6041

ज्यों का त्यों करना, मज़बूत करना, दुबारा ता’मीर, दुबारा बनाना

ता’अर्रुफ़:

“ज्यों का त्यों करना” और “पहले जैसा” का मतलब है, पहले जैसी हालत बल्कि ज़्यादा अच्छा कर देना।

  • बीमार के जिस्मानी ‘आजा को ज्यों का त्यों करने का मतलब है, पूरा “ठीक” करना।
  • टूटे रिश्तों को सुधारने का मतलब है, “मेल करना” ख़ुदा गुनाहगारों को फेर लाता है और उन्हें अपने पास ले आता है।
  • इन्सान अपने देश में लौट आता है तो इसका मतलब है, “लौटा लाया जाना” या “वतन लौटना”।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “ज्यों का त्यों करना” का तर्जुमा “नया करना” या “चुकाना” या “लौटा आना” या “शिफ़ा करना” या “वापस लाना” हो सकता है।

इस लफ़्ज़ के और इज़हार, “नया करना” या “नया सा कर देना” हो सकता है।

  • जब दौलत "दुबारा ता’मीर" होती है, तो उसकी "मरम्मत" या "मुतबादिल" या "उसके मालिक को वापस" दिया गया है।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, "दुबारा ता’मीर” करने" का तर्जुमा "नया करना" या "शिफ़ा" या "मसालहत" की शक्ल में किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7725, H7999, H8421, G600, G2675

डर, डरता, डरा हुआ

ता’अर्रुफ़ :

लफ़्ज़ “डर” और “डरना” किसी शख़्स से नाख़ुशगवार अहसासात के बारे में बताते हैं जब अपने आप को या दूसरों को नुक़सान पहुँचे|

  • “डर” लफ़्ज़ इख़्तियार वाले इन्सान के लिए गहरी ‘इज़्ज़त और ख़ौफ़ के बारे में बताता है,
  • “यहोवा का डर” लफ़्ज़ “ख़ुदा का डर” या “ख़ुदावन्द का डर” से मुता’अल्लिक़ अलफ़ाज़ ख़ुदा का गहरा एहतराम और उसकी फरमाबरदारी के ज़रिए’ ख़ुदा की ‘इज़्ज़त ज़ाहिर करना| इस डर ने ख़ुदा की पाकी और गुनाहों से नफ़रत जानकार तरग़ीब पाई|
  • किताब-ए-मुक़द्दस ता’लीम देता है कि जो यहोवा का डर रखता है वह दानिशमन्द हो जाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “डरना” का तर्जुमा हो सकता है, “डर होना” या “गहरी ‘इज़्ज़त करना” या “अहतराम करना” या “ख़ौफ़ में होना”
  • लफ़्ज़ “डरा हुआ” का तर्जुमा “डरा हुआ” या “डरा हुआ” या “डरा” भी हो सकता है।
  • जुमला “सब पर ख़ुदावन्द का डर छा गया” इस जुमले का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “अचानक ही सबने ख़ुदा का गहरा ख़ौफ़ और ख़ुदा के लिेए ‘इज़्ज़त महसूस की” या “फ़ौरन, वह सब बहुत ता’अज्जुब और ख़ुदा के लिए गहरा अहतराम महसूस किया|
  • अलफ़ाज़ “मत डरो” का तर्जुमा “खौफ़नाक न हो” या “डरने से रुक जाओ” हो सकता है।
  • ग़ौर करें अलफ़ाज़ “यहोवा का डर” नये ‘अहद नामें में वाक़े’ नहीं हुआ है। अलफ़ाज़ “ख़ुदावन्द का डर” या “ख़ुदावन्द ख़ुदा का डर” आए हैं।

(यह भी देखें : ता’अज्जुब, ख़ौफ़, ख़ुदा, ताक़त, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H367, H926, H1204, H1481, H1672, H1674, H1763, H2119, H2296, H2727, H2729, H2730, H2731, H2844, H2849, H2865, H3016, H3025, H3068, H3372, H3373, H3374, H4032, H4034, H4035, H4116, H4172, H6206, H6342, H6343, H6345, H6427, H7264, H7267, H7297, H7374, H7461, H7493, H8175, G870, G1167, G1168, G1169, G1630, G1719, G2124, G2125, G2962, G5398, G5399, G5400, G5401

तजावुज़ करना, ख़िलाफ़ वर्ज़ी, जुर्म

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “तजावुज़ ” या’नी हुक्म , क़ानून या तहज़ीब का क़ानून तोड़ना। " ख़िलाफ़ वर्ज़ी " करने का मतलब है "जुर्म " करना।

  • तमसीली “जुर्म ” का बयान इस तरह भी किया जा सकता है “हद पार करना” या’नी “किसी इन्सान या आदमियों की अच्छाई की मुक़र्रर हद के पार जाना।”
  • “तजावुज़ ”, “गुनाह ”, “नारास्ती ” ये सब लफ़्ज़ ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ काम करना और उसके हुक्मों की ख़िलाफ़ वर्ज़ी करने के बारे में है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “तजावुज़ करना” का तर्जुमा , “गुनाह करना” या “नाफ़रमानी करने के लिए” या " ख़िलाफ़ वर्ज़ी करना" हो सकता है।
  • अगर किसी आयत में या तहरीर में दो अलग लफ़्ज़ों का इस्तेमाल किया गया है जिनका मतलब “गुनाह ”, “जुर्म ” या “नारास्त्त ” है तो यह ज़रूरी है कि अगर मुमकिन हो तो इन लफ़्ज़ों के तर्जुमे में अलग-अलग शक्लें काम में लें। किताब-ए-मुक़द्दस में अगर एक ही मतलब के लिखे हुए दो या ज़्यादा लफ़्ज़ों का का इस्तेमाल करती है तो उसका मक़सद है कि बात पर ज़ोर दिया जाए या उसकी अहमियत को ज़ाहिर किया जाए।

(देखें: मसावात )

(यह भी देखें: गुनाह , जुर्म करना, नारास्ती के काम)

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H898, H4603, H4604, H6586, H6588, G458, G459, G3845, G3847, G3848, G3928

तमसील ,तमसीलों

ता’अर्रुफ़:

“तमसील ” या’नी छोटी कहानी या ता’लीमी बयान जिसके ज़रिए’ अच्छाई का सबक़ सिखाया जाता है।

  • ‘ईसा तमसीलों के ज़रिए’ अपने शागिर्दों को ता’लीम देते थे। अगर चे ‘ईसा ने लोगों की भीड़ को तमसील सुनाई , लेकिन उनका मतलब नहीं समझाया था।
  • उनके शागिर्दों पर सच को ज़ाहिर करने के लिए तमसील कही जाती थीं , लेकिन ‘ईसा में ईमान नहीं रखने वाले फरीसी जैसे लोगों से वह सच छिपाया जाता था।
  • नातान नबी ने दाऊद पर उसका गुनाह जाहिर करने के लिए।
  • नेक सामरी की कहानी एक तमसील की मिसाल है। ‘ईसा के ज़रिए’ नई और पुरानी मशकों की बराबरी करना तमसील की ही मिसाल है जो एक ता’लीमी बयान था कि शागिर्दों को ‘ईसा की ता’लीम समझ में आ जाए।

(यह भी देखें :सामरिया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1819, H4912, G3850, G3942

तरस, रहम दिल

ता’अर्रुफ़:

“तरस” लफ़्ज़ का हवाला इन्सानों के लिए फ़िक्र के जज़्बे से है। ख़ास करके दर्द मन्द लोगों के लिए “तरस खाने वाला” इन्सानों की फ़िक्र करके उनकी मदद करता है।

  • “तरस” लफ़्ज़ का मतलब है इन्सानों की ख़बर लेना और उनकी मदद का कदम उठाना।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा को तरस खानेवाला कहा गया है, या’नी वह मुहब्बत करने व रहमदिल है।
  • कुलुस्से की कलीसिया को लिखे ख़त में पौलुस उनसे कहता है, “बडा तरस... किया करो” वह उन्हें हुक्म देता है कि वे आदमियों की ख़बर लें और जो ज़रूरतमन्द है, उनकी मदद करें।

तर्जुमे की सलाह:

“तरस” के मा’नी हैं “रहम का जज़्बा” यह एक अलग ज़बान है जिसका मा’नी है “तरस” या “रहम”। और ज़बानों में इसका कलाम अलग ज़बान होगी |

  • “तरस” (रहम) के तर्जुमे की और शक्लें हैं, “दिल की गहराई से ख़बर लेना” या “मदद रहम”
  • “तरस खाने वाला” (रहमदिल) का तर्जुमा “ख़बर लेने वाला और मदद करने वाला” या “गहरी मुहब्बत व रहम करने वाला”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2550, H7349, H7355, H7356, G1653, G3356, G3627, G4697, G4834, G4835

तौबा करके , तौबा, फिराया, तौबा

ता’अर्रुफ़:

“तौबा करके” और “तौबा” का हवाला गुनाह से फिरकर ख़ुदा के पास आने से है।

  • “तौबा करके” का लफ़्ज़ी मतलब है, “मन को बदलना”
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “तौबा” का मतलब है इन्सानी सोचने और काम करने के गुनाहगार ज़हन से मुड़ कर ख़ुदा के सोचने और काम करने की तरीक़ा अपनाना।
  • जब इन्सान सच में गुनाहों से तौबा करते हैं, तब ख़ुदा उन्हें मु’आफ़ कर देता है और उसके हुक्म के ‘अमल में उनकी मदद करता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “तौबा करना” का तर्जुमा ऐसे एक लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए’ किया जाए जिसका मतलब हो, “पीछे मुड़ना(ख़ुदा को)” या “गुनाह से हटे और ख़ुदा की ओर मुड़ें” या “ख़ुदा की ओर मुड़ें, गुनाह से दूर।”।
  • अक्सर लफ़्ज़ "तौबा" फ़े’अल का इस्ते’माल करके तर्जुमा "तौबा करके"किया जा सकता है। मिसाल के लिए, "ख़ुदा ने इस्राईल को मन फिराव दिया" का तर्जुमा किया जा सकता है "ख़ुदा ने तौबा करने के क़ाबिल किया है।"
  • तौबा का तर्जुमा करने के और तरीकों में "गुनाह से दूर होना" या "ख़ुदा की ओर मुड़कर गुनाह से दूर" हो सकता है।

(यह भी देखें: मु’आफ़, गुनाह, बदलना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों के मिसालें:

  • 16:02 कई सालों बाद, इस्राईलियों ने तौबा किया और ख़ुदा से कहा कि वह उन्हें बचाए |
  • 17:13 दाऊद को अपने किए हुए गुनाहों पर पछतावा हुआ और ख़ुदा ने उसे मु’आफ़ किया।
  • __19:18__वे( नबियों ने) लोगों को ख़बरदार किया कि अगर वह तौबा नैन करेंगे तो ख़ुदा उन्हें तबाह कर देगा|
  • 24:02 बहुत से आस पास के लोग युहन्ना को सुनने के लिए बाहर निकल आए | “पाक कलाम में यह भी लिखा था कि मेरे शागिर्द ‘ऐलान करेंगे कि हर एक को गुनाहों की मु’आफ़ी हासिल करने के लिये तौबा करना चाहिए।”
  • __42:08__युहन्ना ने उनसे कहा, “तौबा करो क्योंकि आसमान का बादशाही क़रीब आ गई है !”
  • 44:05 “तो अब इसलिये तौबा करो और ख़ुदा की ओर लौट आओ कि तुम्हारे गुनाह मिटाए जाएँ |”

शब्दकोश:

  • Strong's: H5150, H5162, H5164, G278, G3338, G3340, G3341

दाहिना हाथ

ता’अर्रुफ़:

“दाहिना हाथ” ‘अलामती शक्ल में किसी हाकिम के दाहिनी या किसी ख़ास इन्सान के दाहिने हाथ की ओर इज़्ज़त या क़ुव्वत का मक़ाम है।

  • दाहिना हाथ क़ुव्वत, इख़्तियार या ताक़त की ‘अलामत होता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में ‘ईसा को बाप ख़ुदा के दाहिनी ओर ईमानदारों के जिस्म(कलीसिया) का ख़ास और पूरी क़ायनात पर क़ाबू रखनेवाला ज़ाहिर किया गया है।.
  • दाहिना हाथ ख़ास ‘इज़्ज़त के पर तौर किसी के सिर पर रखा जाता था (जैसे बुज़ुर्ग या’क़ूब ने यूसुफ़ के बेटे इफ़्राईम के सिर पर दाहिना हाथ रखकर बरकत दी थी।)
  • दाहिने हाथ पर ख़िदमत करना” का मतलब था ऐसा इन्सान होना जिसकी ख़िदमत ख़ास करके उस आदमी के लिए मददगार और ख़ास है।

तर्जुमे की सलाह:

  • कभी-कभी दाहिना हाथ इन्सान के दाहिने हाथ के लिए भी काम में लिया जाता था जैसे रोमी सैनिकों ने ‘ईसा का ठट्ठा उड़ाने के लिए उसके दाहिने हाथ में सरंकडा पकवाया था। इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान में दाहिने हाथ के लफ़्ज़ के ज़रिए’ ही किया जाए।
  • ‘अलामती इस्ते’मालों के बारे में, अगर मक़सदी ज़बान में “दाहिने हाथ” के लिए ऐसे जुमले नहीं है तो देखें कि मक़सदी ज़बान में इसी मतलब के दीगर कोई जुमले है।
  • "के दाहिनी ओर" इज़हार का तर्जुमा "दाईं तरफ" या "’इज़्ज़त के मक़ाम पर" या "क़ुव्वत की हालत" या "मदद के लिए तैयार" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • "अपने दाहिने हाथ से" तर्जुमा करने के तरीक़े में "इख़्तियार के साथ" या "क़ुव्वत का इस्ते’माल" या "उनकी अजीब ताक़त के साथ" शामिल हो सकते हैं।
  • लफ़्ज़ी इज़हार "उसका दहिने हाथ और उसका ताक़तवर हाथ" ख़ुदा की क़ुदरत और बड़ी ताक़त पर ज़ोर देने के दो तरीक़ों का इस्ते’माल करता है। इस इज़हार का तर्जुमा करने का एक तरीक़ा "उसकी अजीब ताक़त और ताक़तवर हो सकती है।" (देखें: मुतवाज़ियत)
  • "उनका दहिने हाथ झूठ" के इज़हार इस शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, "उनके बारे में सबसे ‘इज़्ज़त वाली बात भी झूठ से बाग़ी है" या "उनकी जगह की ‘इज़्ज़त धोखे से बाग़ी है" या "वे अपने आप को ताक़तवर बनाने के लिए झूठ का इस्ते’माल करते हैं।"

(यह भी देखें:इल्जाम, बुराई, ‘इज़्ज़त, ताक़तवर, सज़ा, बग़ावत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3225, H3231, H3233, G1188

दिल, दिलों

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “दिल” लफ़्ज़ का इस्ते’माल अक्सर इन्सानों के ख़यालात, जज़्बातों, ख़्वाहिशों और उम्मीदों के लिए काम में लिया गया है।

  • “शख़्त दिल” एक ‘आम इज़हार है जिसका मतलब है ज़िद करके ख़ुदा के हुक्म न मानना।
  • इज़हार “अपने पूरे दिल से” या “मेरे पूरे दिल से” या’नी मुकम्मल ‘अज़म और ख़्वाहिश के साथ, बिना पीछे रुके कुछ करना।
  • इज़हार “दिल में बसा लेना” का मतलब है किसी बात को संजीदगी से लेते हुए ज़िन्दगी में शामिल कर लेना।
  • लफ़्ज़ “दिल टूटना” का मतलब बहुत दुःखी होना। वह इन्सान जज़्बाती तौर पर बहुत दुखी हुआ।

तर्जुमें की सलाह

  • कुछ ज़बानों में जिस्म के मुख़तलिफ़ हिस्सों का इस्ते’माल करते हैं जैसे, “पेट” या “कलेजा” ।
  • कुछ ज़बानों में इज़हार के लिए एक लफ़्ज़, दूसरे इज़हार के लिए इन तसव्वुरात में से दूसरा लफ़्ज़ काम में लिया जाता है।
  • अगर “दिल” या और जिस्मानी हिस्से इसका मतलब नहीं रखते, कुछ ज़बानों में ‘अलामती इज़हार के लिए ज़रूरी है जैसे “ख़याल” या “जज़्बात” लफ़्ज़ का इस्ते’माल करें|
  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “मेरे पूरे दिल से” या “मेरे पूरे मन से”, या इन जुमलों का तर्जुमा हो सकता है, “मेरी पूरी ताक़त से” या “पूरी सुपुर्दगी के साथ” या “पूरी तरह से ” या “पूरी सुपुर्दगी के साथ”।
  • इज़हार “दिल से” का तर्जुमा हो सकता है, “संजीदगी से सुलूक करना” या “अहतियात से ख़याल करना”।
  • इज़हार “शख़्त दिल” का तर्जुमा हो सकता है “ज़िद के साथ बग़ावत करना” या “हुक्म मानने से इन्कार करना” या “लगातार ख़ुदा का हुक्म नहीं मानना”
  • तर्जुमे के तरीक़े “दिल टूटना” हो सकते हैं “बहुत दुखी” या “गहरा जज़्बाती दुःख।

(यह भी देखें: शख़्त)

किताब-ए-मुक़द्दस जे बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1079, H2436, H2504, H2910, H3519, H3629, H3820, H3821, H3823, H3824, H3825, H3826, H4578, H5315, H5640, H7130, H7307, H7356, H7907, G674, G1282, G1271, G2133, G2588, G2589, G4641, G4698, G5590

दु'आ किया, मदाख़लत की, शफ़ा'अत

ता’अर्रुफ़:

“ दु'आ किया” या “शफ़ा'अत” का मतलब है किसी के लिए किसी से मिन्नत करना। कलाम में यह लफ़्ज़ दूसरों के लिए दु'आ करने के लिए काम में लिया गया है।

  • “के लिए शफ़ा'अत करना” और “शफ़ा'अत” का मतलब है लोगों के लिए ख़ुदा से दु'आ करना।
  • कलाम में लिखा है कि पाक रूह हमारे लिए मिन्नत करता है, या'नी वह हमारे लिए ख़ुदा से दु'आ करता है।
  • इन्सान किसी हाकिम से किसी तर्जुमा के लिए मिन्नत करके शफ़ा'अत करता है।

तर्जुमा के लिए सलाह:

  • “ शफ़ा'अत के दूसरे तर्जुमा की शक्ल में , “दु'आ करना”, या (किसी से) “गुज़ारिश करना” (किसी और के लिए) कुछ करने के लिए हो सकते हैं।
  • लफ़्ज़ "और मिन्नत" का तर्जुमा "इल्तिजा" या "दरख्वास्त" या "फ़ौरन दु'आ" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • जुमलों "के लिए शफ़ा'अत" के तर्जुमा "के लिए गुज़ारिश करने के लिए" या "की तरफ़ से दरख्वास्त करें" या "ख़ुदा से मदद मांगे" या "(किसी के लिए) ख़ुदा से मिन्नत करना" के शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: दु'आ करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6293, G1783, G1793, G5241

दुआ’ कर, दुआ’, दुआ’वों , दुआ’की

ता’अर्रुफ़

“दुआ’ कर” और “दुआ’” का मतलब है ख़ुदा से बातें करना। यह लफ़्ज़ आदमियों के ज़रिये’ किसी झूठे मा’बूद से बातें करने के लिए भी काम में आता है।

इन्सान चुप रहकर ख़्यालों में भी ख़ुदा से दुआ’करता है या रोज़ के कलामों के ज़रिये’ भी दुआ’करता है, ख़ुदा से अपनी ज़बान में बात करता है। कभी-कभी दुआ’लिखी हुई होती है जैसे दाऊद के गीतों में उसकी दुआ’एं लिखी हैं।

  • दुआ’में ख़ुदा से रहम , तकलीफों में मदद , या फ़ैसला लेने में अक़ल का गुज़ारिश भी होती है।
  • इन्सान ज़्यादातर बीमारियों की चंगाई या और शक्लों में ख़ुदा की मदद के लिए दुआ’ करते हैं।
  • इन्सान दुआ’ में ख़ुदा को शुक्र गुज़ारी देता है उसका सिताइश करता है।
  • दुआ’ में ख़ुदा के सामने अपने गुनाहों को मान लेना और मु’आफ़ी मांगना होता है।
  • ख़ुदा से बातें करने को उसके साथ रिश्ता बनाना भी कहते हैं। जब हमारी रूह उसकी रूह से राबता करती है, हमारे एहसासों को ज़ाहिर करना और उसकी मौजूदगी का सुख लेना।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ुदा से बात करना” या “ख़ुदा से रिश्ता बनाना ” हो सकता है। इस लफ़्ज़ का तर्जुमा बोले जाने वाले दुआ के लफ़्ज़ होना है।

(यह भी देखें: झूठे मा’बूद , छोड़ देनाता’रीफ़](../other/praise.md)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 06:05 इसहाक़ ने ख़ुदा से __ दुआ’ की__, और ख़ुदा ने उसकी मिन्नत सुनी इस तरह रिबका जुड़वाँ बेटों के साथ हामला हुई |
  • 13:12 मूसा ने ख़ुदा से __ दुआ’ की__ और ख़ुदा ने उसकी __ दुआ’ __ को क़ुबूल किया, और उन्हें हलाक नहीं किया |
  • 19:08 तब बा’ल के नबी यह कहकर बा’ल से __ दुआ’ करते__ रहे, “हे बा’ल हमारी सुन, हे बा’ल हमारी सुन |”
  • 21:07 आलिम ख़ुदा से लोगों के लिए __दुआ’ __ भी करते थे |
  • 38:11 ‘ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा कि __दुआ’ __ करते रहो कि आज़माइश में न पड़ो |
  • 43:13 शागिर्द लगातार रसूलों से ता’लीम पाने, और शराक़त रखने, और रोटी तोड़ने, और __ दुआ’ करने__ में मशगूल रहे |
  • 49:18 ख़ुदा कहता है कि हम __ दुआ’ करें__, उसका कलाम पढ़ें,

शब्दकोश:

  • Strong's: H559, H577, H1156, H2470, H3863, H3908, H4994, H6279, H6293, H6419, H6739, H7592, H7878, H7879, H7881, H8034, H8605, G154, G1162, G1189, G1783, G2065, G2171, G2172, G3870, G4335, G4336

दुनिया , दुनियावी

ता’अर्रुफ़:

“दुनिया”लफ़्ज़ आमतौर पर पूरी क़ायनात के उस हिस्से को ज़ाहिर करती है जहां इन्सान रहता हैं: “दुनियावी” लफ़्ज़ इस दुनिया के लोगों की बुरे अक़ीदे और बर्ताव का हवाला देता है।

  • आम मतलब में “दुनिया” आसमान और ज़मीन और जो कुछ उनमें है उसे ज़ाहिर करता है।
  • बहुत से बयानों में “दुनिया” का मतलब “दुनिया के लोग” होता है।
  • कभी-कभी इसका इशारा ज़मीन के बुरे लोगों या उन लोगों से है जो ख़ुदा के हुक्म नहीं मानते हैं।
  • रसूलों ने भी “दुनिया” लफ़्ज़ को इन्सानों के मतलबी मिज़ाज और ग़लत अक़ीदा के लिए काम में लिया है। इसका मतलब इन्सानी कोशिशों पर मुनहसिर रास्तबाज़ी के दिखावे के मज़हब पर मुनहसिर भी मा’लूम होता है।
  • इन ‘अक़ाएद पर मुनहसिर इन्सान और चीज़ों की ‘अलामतों को “दुनियावी” कहा गया है।

तर्जुमे की सलाह:

  • बयान के मुताबिक़ “दुनिया” का तर्जुमा “क़ायनात ” या “दुनिया के लोग” या “दुनिया की गलत बातें” या “दुनिया के इन्सानों के बुरे एख्लाक़ ” भी हो सकता है।
  • “पूरी दुनिया” का मतलब अक्सर “बहुत लोग” और ख़ास ‘इलाक़े के रहने वाले लोगों से होता है। मसलन , “सारी दुनिया के लोग मिस्र में आए।” इसका तर्जुमा हो सकता है, “आस-पास के मुल्कों से बहुत लोग मिस्र आए” या “मिस्र के आसपास के सब मुल्कों के लोग वहां आए”।
  • "रोमी सल्तनत में सब लोग मरदुम शुमारी के लिए अपना नाम लिखवाने के लिए अपने-अपने पैदाइश की जगह को गए" इसका तर्जुमा हो सकता है: "बहुत से लोग जो रोमी सल्तनत के मातहत के मुल्कों में रहते थे गए..."।
  • बयान के मुताबिक़ “दुनियावी ” का तर्जुमा “बुरा” या “गुनाह आलूदा ” या "लालची " या “बेदीन ” या “बुरा ” या “दुनिया के लोगों की ग़लत ‘एतिकादों के ज़रिये’मानूस ” हो सकता है।
  • “दुनिया को यह बातें कहना” का तर्जुमा “दुनिया के लोगों से यह बात कहना” हो सकता है,।
  • और बयानों में “दुनिया में” का तर्जुमा हो सकता है, “दुनिया के लोगों में रहते हुए” या “बेदीन लोगों में रहते हुए”

(यह भी देखें: बेकार , आसमान , रोम, बेदीन )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H776, H2309, H2465, H5769, H8398, G1093, G2886, G2889, G3625

दुबारा पैदा होना, ख़ुदावन्द में पैदाइश, नई पैदाईश

ता'अर्रुफ़:

“नए सिरे से पैदा होना” लफ्ज़ का इस्ते'माल पहली बार 'ईसा ने इंसान में बदलाव और रूहानी मौत से रूहानी ज़िन्दगी का बयान करने के लिए किया था। लफ्ज़ :ख़ुदा से पैदा" और "रूह से पैदा" की बराबरी एक शख्स को नई रूहानी ज़िन्दगी देने से किया गया है|

  • सब इंसान पैदाईश से रूहानी शक्ल से मिटे होते हैं लेकिन मसीह 'ईसा को अपना मुन्जी क़ुबूल करने पर वह “नये सिरे से पैदा” हैं।
  • रूहानी नई ज़िन्दगी के पल में, पाक रूह ईमानदारों के अंदर रहने लगता है और उसे ताक़त देता है कि वह रूहानी फल पैदा करे।
  • इंसान को नई ज़िन्दगी फ़राहम करना और ख़ुदा की औलाद बनाना ख़ुदा ही का काम है।

तर्जुमा की सलाह :

  • “नई पैदाईश” के तर्जुमा के और तरीक़े भी हैं, “नई ज़िन्दगी पाना” या “रूहानी पैदा होना”
  • अच्छा होगा कि इसका लाफ्ज़ी तर्जुमा किया जाए और मक़सदी ज़बान में बराबर लफ़्ज़ों का इस्ते'माल करें जिसका मतलब नए सिरे से पैदा हो।
  • “नई पैदाईश” का तर्जुमा “रूहानी पैदाईश” किया जा सकता है।
  • “ख़ुदावन्द से पैदा” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की तरफ़ नया बच्चा जैसा नया पैदा होना” या “ख़ुदा की तरफ़ से नई ज़िन्दगी दिया जाना”।
  • इसी तरह“रूह से पैदा” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक रूह की तरफ़ से नई ज़िन्दगी दिया जाना” या “ख़ुदावन्द की औलाद होने के लिए पाक रूह की तरफ़ से ताक़त दिया जाना” या “पाक रूह की तरफ़ नये बच्चे जैसी नई ज़िन्दगी दिया जाना”

(यह भी देखें: पाक रूह , नजात )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G313, G509, G1080, G3824

दोस्ती

ता’अर्रुफ़:

‘आम तौर पर “दोस्ती” लफ़्ज़ का मतलब है लोगों की भीड़ के अफ़राद के मा’रिफ़त दोस्ताना सलूक, एक सी बात चीत और तजुर्बे कार लोगों में।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में, लफ़्ज़ “दोस्ती” अक्सर मसीह के ईमानदारों की शराकत के बारे में बताता है।
  • मसीही दोस्ती एक मुश्तरका रिश्ता है, जो ईमानदार एक दूसरे के साथ रखते हैं उनका रिश्ता मसीह और पाक-रूह के साथ है।
  • इब्तिदाई मसीही अपनी दोस्ती का इज़हार ख़ुदा के कलाम की ता’लीम को सुनने और एक साथ दु’आ करके, और अपने सामान को आपस में बाँटने और एक साथ खाना खाने के ज़रिए’ इज़हार करते थे।
  • मसीही लोगों की दोस्ती ‘ईसा में ईमान के ज़रिए’ और सलीब पर उसकी क़ुर्बानी की मौत (जिसकी वजह ख़ुदा और इन्सानों कि मा’रिफ़त की दीवार गिराई गई थी) ज़रिए’ ख़ुदावन्द के साथ भी है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “दोस्ती के तर्जुमें के तरीक़े हो सकते हैं, “आपस में बाँटना” या “ता’ल्लुक़” या “साथ ” या “मसीही क़ौम”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H2266, H8667, G2842, G2844, G3352, G4790

नग़मा नग़मा

ता’अर्रुफ़:

“नग़मा” लफ़्ज़ एक पाक हम्द का बयान देता है जो नज़्म की शक्ल में लिखा गया है कि गाया जाए।

  • पुराने ‘अहद नामे में ज़ुबूर इन नगमों का मज्मू’आ है, बादशाह दाऊद और और इस्राईलियों जैसे मूसा, सुलैमान, आसाप व औरों ने इन नग़मो को लिखा था।
  • नगमा इस्राईलियों के ज़रिए’ ख़ुदा की इबादत में गाए जाते थे।
  • नगमा ख़ुशी , यक़ीन , एहतराम और दुःख और आप बीती का बयान करते हैं।
  • नये ‘अहद नामे में ईमानदारों से मिन्नत की गयी है कि ख़ुदा की इबादत में हम्द गाएं।

(यह भी देखें: दाऊद, ईमान , ख़ुशी , मूसा, पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2158, H2167, H2172, H4210, G5567, G5568

नज़ीर, नज़ीरों, नज़ीर की क़सम

सच्चाई:

“नज़ीर” वह इन्सान था जो नज़ीर होने की क़सम लेता था। ज़्यादातर आदमी यह क़सम लेते थे लेकिन ‘औरतें भी इस क़सम को लेती थी।

  • नज़ीर इन्सान मुक़र्ररा दिनों सप्ताहों या महीनों तक अंगूर का या अंगूर के रस का कोई ऐसी चीज़ या शराब या रस नहीं खाता-पीता था। इस ‘अरसे के दौरान वह अपने बाल काट नहीं सकते और मुर्दे के पास नहीं जा सकते थे।

जब वक़्त पूरा हो जाता था और क़सम पूरी हो जाती थी तब नज़ीर काहिन के पास जाकर क़ुर्बानी पेश करता था। इसमें उसके बालों को काटकर जलाया जाता था। और दीगर सब पाबंदी वाली बातों का ख़ात्मा हो जाता था।

  • शमसून किताब-ए-मुक़द्दस में एक मशहूर आदमी है जो नज़ीर था।
  • युहन्ना बपतिस्मा देने वाले को पैदाइश की नबूव्वत करते वक़्त फ़रिश्ते ने ज़करियाह से कहा था कि उसका यह बेटा शराब नहीं पिएगा, जिसका मतलब है कि वह एक नज़ीर था।
  • रसूल पौलुस ने भी एक वक़्त यह क़सम ली थी जो रसूलों के ‘आमाल की किताब के एक हिस्से से ज़ाहिर है।

(तर्जुमे की सलाह: नामों का तर्जुमा)

(यह भी देखें: युहन्ना (बपतिस्मा देनेवाला), क़ुर्बानी, शमसून, क़सम, ज़करियाह (पुराना ‘अहदनामा))

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5139

नफ़रत, ला’नत, ला’नती

ता’अर्रुफ़:

ला’नत “ लफ्ज़ का मतलब है बुराई और नफ़रत पैदा करने वाली बात

  • मिस्री लोग ‘इब्रानियों को ला’नती मानते थे |। इसका मतलब है कि मिस्री लोग इब्रानियों को पसन्द नहीं करते थे और उनके साथ रिश्ता नहीं रखना चाहते थे यहाँ तक कि उनके क़रीब भी नहीं आना चाहते थे।
  • कलाम में "ख़ुदावन्द के लिए ला’नती" बातें हैं। झूठ, ग़ुरूर, इंसानों की क़ुर्बानी, बुत की ‘इबादत, क़त्ल, हरामकारी का गुनाह, नाजायज़ रिश्ता
  • अपने शागिर्दों को आख़िरी वक़्त की ता’लीम देते वक़्त ईसा ने दानिएल नबी की नबुव्वत के बारे में बताया था जिसमें उजाड़ने वाली ला’नती चीज़ों की बात की गई थी जिसे ख़ुदावन्द से बग़ावत की तरह पैदा करके उसकी ‘इबाताद की जगह को नापाक किया जाएगा ।

तर्जुमा की सलाह:

  • “ला’नती चीज़ , का तर्जुमा जिस चीज़ से ख़ुदा नफ़रत करता है , या ग़लत चीज़ , या ग़लत काम की महारत , या बहुत बुरे काम |”।
  • अलामत के मुताबिक़ , नफ़रत , का तर्जुमा होगा , के लिए बहुत ही ग़लत , को नफ़रत , या को ना मंज़ूर , या नफरती चीज़ या नफ़रत पैदा करने वाली |
  • “उजाड़ने वाली खतरनाक चीज़ , का तर्जुमा , नापाक करने वाली चीज़ जिसमें लोगों को बहुत तकलीफ़ होती हो , या ऐसी चीज़ जिसके ज़रिए बहुत दुःख होता हो | ”।

यह भी देखें: हरामकारी, नापाक करना, उजाड़ [बुत](../kt/falsegod.md), क़ुर्बानी

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H887, H6292, H8251, H8262, H8263, H8441, G946

नबी , नबी , नबूव्वत ,नबूव्वतें ,नबीया , नबीय

ता’अर्रुफ़:

नबी ख़ुदा का पैग़ाम इन्सानों तक पहुंचाता है। नबूव्वत करनेवाली ‘औरत को नबीया कहते हैं।

  • नबी इन्सानों को गुनाहों से दूर होने और ख़ुदा का हुक्म मानने के लिए याद दिलाते थे।
  • नबूव्वत नबी का पैग़ाम था। नबूव्वत करना या’नी ख़ुदा का पैग़ाम सुनाना।
  • नबूव्वत हमेशा होने वाले हादसों का बयान था।
  • पुराने ‘अहद नामे की बहुत से नबूव्वतें पूरी हो चुकी हैं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में नबियों के ज़रिये’ लिखी गई किताबों को पेशेनगोई कहा गया है।
  • मसलन , “शरी’अत और नबूव्वत” इब्रानी पाक कलाम के बारे में कहा जाता था जिसे पुराना ‘अहद नामा कहा जाता था।
  • नबी के लिए इस्तेमाल पुराना लफ़्ज़ है, “पैग़म्बर ”।
  • कभी-कभी यह झाड़ फूंक करनेवालों या झूठे नबियों के लिए भी काम में लिया जाता था।

तर्जुमे की सलाह:

  • “नबी” का तर्जुमा किया जा सकता है, “ख़ुदा का बोलने वाला ” “ख़ुदा की तरफ़ से कहने वाला आदमी ” या “ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने वाला आदमी ”।
  • एक " नबी " का तर्जुमा "वह इन्सान जो रोया देखता है" या "वह इन्सान जो ख़ुदा से मुस्तक़बिल देखता है।"
  • “नबीया ” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता हैं, “ख़ुदा की बोलने वाली ” या “ख़ुदा की ओर से कहनेवाली ‘औरत ” या “ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने वाली ‘औरत ”।
  • “नबूव्वतें ” के लिए तर्जुमे हो सकते हैं, “ख़ुदा का पैग़ाम” या “नबूव्वतें का ख़बर”
  • मज़मून पर मुनहसिर “नबूव्वतें ” लफ़्ज़ का तर्जुमा होगा, “ख़ुदा का कलाम सुनाना” या “आने वाले वाक़ेयात के बारे में ख़ुदा का पैग़ाम पहुंचाना”।
  • इस तमसीली कलाम “शरी’अत और नबी” का तर्जुमा हो सकता है “शरी’अत और नबियों की किताबें ” या “ख़ुदा के बने क़ानून और उसके नबियों के पैगामों के बारे में सब लिखी बातें”
  • जब एक झूठे मा’बूदों के नबी (या दूर अंदेश) का जिक्र करते हैं, तो इसका मतलब "झूठे नबी (दूर अंदेश )" या "झूठे मा’बूदों के नबी (दूरअंदेश )" या "बा’ल के नबी" की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है, मिसाल के लिए ।

(यह भी देखें: बा’ल, नबूव्वत, झूठे मा’बूद, झूठे नबी, पूरा करना, क़ानून, रोया)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसालें:

  • 12:12 जब इस्राईलियों ने देखा कि मिस्र के लोग मारे गए है, तो उन्होंने ख़ुदा पर भरोसा किया और यक़ीन करने लगे कि मूसा ख़ुदा का एक नबी है।
  • 17:13 दाऊद ने जो कुछ भी किया उसे लेकर ख़ुदा का ग़ज़ब उस पर भड़का, ख़ुदा ने नातान नबी ज़रिए’ दाऊद को कहलवा भेजा कि उसके गुनाह कितने बुरे है |
  • 19:01 इस्राईलियों के तारीख़ भर में, ख़ुदा ने बहुत से नबी भेजे | नबी ने ख़ुदा के पैग़ाम को सुना और फिर लोगों को ख़ुदा का पैग़ाम बताया |
  • 19:06 इस्राईली बादशाहत के सभी लोगों समेत और बा’ल के साढ़े चार सौ 450 नबी कर्मेल पहाड़ पर इकट्ठा हुए |
  • 19:17 ज़्यादातर वक़्त , लोगों ने ख़ुदा के क़ानूनों का माना नही. वे अक्सर नबी के साथ बुरा सुलूक करते थे और कभी-कभी उन्हें मार भी डालते थे
  • 21:09 नबी यशायाह ने नबूव्वत की कि मसीहा एक कुंवारी से पैदा होगा।
  • 43:05 "यह वह बात है जो योएल नबी के ज़रिए’कही गई थी जिसमे ख़ुदा कहता है कि, “आखीर के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना रूह सब इन्सानों पर उँडेलूँगा |”
  • 43:07 "लेकिन यह उस नबूव्वतों को पूरा करता है जो कहता है, 'आप कब्र में अपने पाक लोगों को सड़ने नहीं देगा।'"
  • 48:12 मूसा एक बहुत बड़ा नबी था जिसने ख़ुदा के कलाम की मुनादी की थी | लेकिन ‘ईसा सबसे अज़ीम नबी है। वही ख़ुदा का कलाम है।

शब्दकोश:

  • Strong's: H2372, H2374, H4853, H5012, H5013, H5016, H5017, H5029, H5030, H5031, H5197, G2495, G4394, G4395, G4396, G4397, G4398, G5578

नाम, नामों, नाम पर

ता’अर्रुफ़:

  • किताब-ए-मुक़द्दस में “नाम” लफ़्ज़ के अनेक ‘अलामती इस्ते’माल हैं।

  • कुछ मज़मूनों में “नाम” इन्सान की शोहरत का हवाला देता है जैसे “अपने लिए नाम कमाएं।”

  • “नाम” लफ़्ज़ किसी यादगारी का हवाला भी देता है। मिसाल के तौर पर“बुतों का नाम मिटा दो”, या’नी बुतों को ऐसे बर्बाद कर दो कि उनकी यादगारी ही न रहे या उनकी ‘इबादत न की जाए।

  • “ख़ुदा के नाम में” बोलना मतलब उसकी क़ुव्वत और इख़्तियार में या उसके नुमाइंदे होकर बोलना।

  • लफ़्ज़ किसी का “नाम” तमाम इन्सान का हवाला देता है जैसे “आसमान के नीचे कोई और नाम नहीं जिससे हम नजात पाते हैं।” (देखें: सिफ़त

तर्जुमे की सलाह:

  • एक इज़हार जैसे “इसका अच्छा नाम” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उसकी अच्छी शोहरत।”
  • “के नाम में” कुछ करना, इसका तर्जुमा हो सकता है, के इख़्तियार में” या “की इजाज़त से” या “रहनुमाई में” काम करना।
  • “ऐसा करना कि इन्सान हमारे बारे में जाने” या “इंसानों को सोचने पर मजबूर करना कि हम ख़ास हैं।”
  • इज़हार "उसका नाम पुकारना" का तर्जुमा हो सकता है "उसे नाम देना" या "उसे पुकारना"।
  • "जो लोग आपके नाम से मुहब्बत रखते हैं" का तर्जुमा "जो आपसे प्यार करते है" के तौर पर किया जा सकता है।
  • इज़हार "बुतों के नामों को काट" का तर्जुमा "बुतों से छुटकारा पाना ताकि वे याद भी न आये" या "लोगों को झूठे मा’बूदों की इबादत करना बंद करने की वजह" या "सभी बुतों को पूरी तरह से तबाह कर दें ताकि लोग अब उनके बारे में न सोचे" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह बी देखें: बुलाहट)

‏##‏ किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में: ‏##

शब्दकोश:

  • Strong's: H5344, H7121, H7761, H8034, H8036, G2564, G3686, G3687, G5122

निशान, निशानियाँ,सुबूत, याद दिलाना

ता’अर्रुफ़:

निशान वह चीज़ , जो हादसा या काम है जो एक ख़ास मतलब ज़ाहिर करता है।

  • "याद कराने वाली बात" ऐसे इशारे हैं जो "याद दिलाने उन्हें याद करने में मदद करते है, जो कुछ वा'दा किया गया था:

  • ख़ुदावन्द ने आसमानी कमान ज़ाहिर किया जो इस क़सम को याद कराता है कि ख़ुदावन्द दुनिया को पानी के सैलाब के ज़रिए' इन्सानी क़ौम को फिर हलाक नहीं करेगा।

  • ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हुक्म दिया कि वह उसके 'अहद के निशान के तौर पर अपने बेटों का ख़तना करें।

  • निशान किसी बात को ज़ाहिर करते हैं या उसकी तरफ़ इशारा करते हैः

  • फ़रिश्ते ने चरवाहों को एक निशान दिया जिसके ज़रिए' वह बैतलहम में मा'सूम मसीह को पहचान पाए।

  • यहूदा ने 'ईसा को बोसा देकर मज़हबी रहनुमाओं पर निशान ज़ाहिर किया कि जिसे उन्होंने पकड़ना है वह 'ईसा यही है।

  • निशान किसी बात को सच्चा साबित करते है:

  • नबियों और रसूलों के ज़रिए' किए गए मो'जिज़े निशान थे कि वह ख़ुदा की ख़ुशख़बरी सुना रहे थे ।

  • ‘ईसा ने जो मो'जिज़े किए, वह साबित करते है कि वह हक़ीक़त में मसीहा था ।

(तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ “निशान” का तर्जुमा “इशारा” या “'अलामत” या “पहचान” या “सुबूत” या “सुबूत” या “इशारा करना” भी हो सकता है।
  • “हाथों से इशारा करना” का तर्जुमा “हाथों का इशारा” या “हाथों से इशारा करना” या “इशारा दिखाएँ” भी हो सकता है।
  • कुछ ज़बानों में निशान” जो किसी बात को साबित करता है और मो'जिज़े के लिए निशान का दूसरा लफ़्ज़ होता है।

(यह भी देखें: मो'जिज़ा, रसूल , मसीह, ‘अहद, ख़तना करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H226, H852, H2368, H2858, H4150, H4159, H4864, H5251, H5824, H6161, H6725, H6734, H7560, G364, G880, G1213, G1229, G1718, G1730, G1732, G1770, G3902, G4102, G4591, G4592, G4953, G4973, G5280

नोहा, नोहे, नोहा

ता’अर्रुफ़:

“नोहा करना” “नोहा” या’नी मातम, दुःख या ग़म का मज़बूत इज़हार|

कभी-कभी यह गुनाह का गहरा पछतावा या तबाही में मुब्तिला इन्सान के लिए रहम भी होता है।

  • नोहा में कराहना, रोना या रोना-पीटना होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “नोहा करना” का तर्जुमा “गहरा दुख मनाना” या “दुख से रोना पीटना” या “दुःखी होना” हो सकता है।
  • "नोहा करना" (या "मातम") का तर्जुमा "ज़ोर से नोहा और रोना" या "गहरा दु: ख" या "ग़म में रोना" या "नोहे की तरह कराहना" के तौर पर किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H56, H421, H578, H592, H1058, H4553, H5091, H5092, H5594, H6088, H6969, H7015, H8567, G2354, G2355, G2870, G2875

पत्थर, पत्थरों, पत्थराव

ता'अर्रुफ़:

पत्थर एक छोटी चट्टान का टुकड़ा होता है। "पत्थराव" करने के लिए किसी ने उसे मारने के इरादे से उस शख़्स पर पत्थर और बड़ी चट्टानें फेंकना है एक "पत्थरवाह" एक हादसाहै जिसमें किसी को पत्थरवाह किया गया था।

  • पुरावे वक़्त में, पत्थराव को लोगों के ज़रिए' किए गए जुर्मों की सज़ा की शक्ल में लोगों को सज़ा-ए-मौत देने का एक 'आम तरीक़ा था।
  • ख़ुदा ने इस्राईल के रहनुमाओं को हुक्म दिया था कि वह लोगों को कुछ गुनाहों के लिए मार डालें, जैसे ज़िनाकारी ।
  • नए 'अहद नामे में, ‘ईसा ने ज़िनाकारी में एक 'औरत को मु'आफ़ कर दिया और लोगों को उसे मारने से रोक दिया
  • स्तिफ़नुस, जो 'ईसा के बारे में गवाही देने के लिए कलाम में पहला शख़्स जिसको क़त्ल कर दिया गया था , उसे पत्थराव करके मार डाला गया था
  • लुस्त्रा शहर में, पौलुस रसूल को पत्थराव किया गया था, लेकिन वह अपने ज़ख़्मों से मरा नहीं।

(यह भी देखें: ज़िनाकारी, करना, ज़ुल्म , मौत , लुस्त्रा, गवाही)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H68, H69, H810, H1382, H1496, H1530, H2106, H2672, H2687, H2789, H4676, H4678, H5553, H5601, H5619, H6344, H6443, H6697, H6864, H6872, H7275, H7671, H8068, G2642, G2991, G3034, G3035, G3036, G3037, G4074, G4348, G5586

पहले से ठहराना, पहले से ठहराया

ता’अर्रुफ़:

“पहले से ठहराना” या “ पहले से ठहराया” इसका बयान वक़्त से पहले फ़ैसला लेना या मन्सूबा बनाना कि कुछ होगा।

  • यह लफ़्ज़ ख़ास करके ख़ुदा के बारे में है कि उसने इन्सानों को वक़्त से पहले ठहरा दिया कि वे हमेशा की ज़िन्दगी पाएं।
  • कभी-कभी यह लफ़्ज़ “पहले से ठहराए” का मतलब वक़्त से पहले फ़ैसला लेने के बारे में की काम में लिया जाता है।

तर्जुमे की सलाह :

  • “पहले से ठहराए” कातर्जुमा , “पहले से फ़ैसला लेना” या “वक़्त से पहले फ़ैसला लेने” के बारे में होता है।
  • “पहले से ठहराए गए” कातर्जुमा , “बहुत पहले फ़ैसला लिया गया” या “वक़्त से पहले मन्सूबे में था” वक़्त से पहले फ़ैसला लिया गया”।
  • “पहले से ठहराए गए” का तर्जुमा , “बहुत पहले से फ़ैसला लिया गया कि हम” या “वक़्त से पहले ही फ़ैसला ले लिया गया कि हम”।
  • ध्यान रखें कि इस जुमले का तर्जुमा “पहले से इल्म” से अलग हो।

(यह भी देखें: ‘इल्म साबिक़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G4309

पहिलौठे का इख्तियार

ता'अर्रुफ़ :

“पहिलौठे का इख्तियार” कलाम में 'इज्ज़त, ख़ानदान के नाम, जिस्मानी दौलत, जो पहले बेटे को दिया जाता है।

  • पहले बेटे के पहिलौठे होने के इख्त्तियार में बाप की वसीयत का दो गुना हिस्सा होता था।
  • बादशाह के पहिलौठे को बाप के मौत के बा'द हुकूमत करने का इख्तियार हासिल था।
  • 'ऐसौ ने अपने छोटे भाई या'क़ूब को अपना पहिलौठे का इख्तियार बेच दिया था। इस वजह से 'ऐसौ की जगह में या'क़ूब को पहिलौठे की बरकतें मिलीं।
  • पहिलौठे के इख्तियार में पहिलौठे की 'इज्ज़त होती है कि ख़ानदान की सब औलादों को पहिलौठे का नाम मिले।

तर्जुमा की सलाह :

  • “पहिलौठे का इख्तियार” के मुमकिन तर्जुमें हो सकते हैं, “पहले बेटे के इख्तियार और मीरास” या “ख़ानदान 'इज्ज़त” या “पहले बेटे के ख़ुशक़िसमत और इख़्तियार”

(यह भी देखें: पहिलौठे, मीरास , नसल)

किताब -ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1062, G4415

पाक करना, पाक ठहरेगा, तहज़ीब

ता’अर्रुफ़:

पाक करना का मतलब है, ख़ुदा की ख़िदमत के लिए किसी चीज़ या इन्सान को सौंप देना जिस इन्सान या चीज़ को मसह कर दिया गया उसे पाक और ख़ुदा के लिए अलग माना जाता था।

  • इस लफ़्ज़ का मतलब “पाक करने” जैसा ही है लेकिन इसका और मतलब है, किसी को पूरी तरह से ख़ुदा की ख़िदमत के लिए अलग करना।
  • ख़ुदा के लिए अलग की गई चीज़ों में क़ुर्बानी के जानवर , आतशी क़ुर्बान गाह और रहने के ख़ेमे थे।
  • ख़ुदा के लिए इन्सानों का भी मसह किया गया था, काहिन , इस्राईली लोग और पहिलौठा।
  • कभी-कभी “मसह” लफ़्ज़ का मतलब “पाकीज़गी” भी होता था। ख़ास करके जब इन्सान या चीजों को ख़ुदा की ख़िदमत के लिए तैयार किया जाता था जिससे कि वे पाक होकर ख़ुदा को क़ाबिल-ए-क़ुबूल हो।

तर्जुमे की सलाह:

  • “पाक करना” के ताजुमे हो सकते हैं, “ख़ुदा की ख़िदमत के लिए अलग करना" या "ख़ुदा की ख़िदमत के लिए पाक करना।”
  • "मुक़द्दस " और "पाक करना" का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ध्यान दे।

(यह भी देखें: पाक, खरा, पाक करने)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2763, H3027, H4390, H4394, H5144, H5145, H6942, H6944, G1457, G5048

पाक रूह से भर गए

ता’अर्रुफ़ :

  • लफ़्ज़ “रूह से भर गए” एक ‘अलामती जुमला है जिसका मतलब है कि पाक रूह को ताक़त देता है कि ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरी करे।

  • इज़हार “भर जाना” एक जुमला है जिसका मतलब हमेशा “क़ाबू होना” होता है।

  • इन्सान “पाक-रूह” से भर जाते हैं, जब वह पाक-रूह की रहनुमाई में रहते हैं और ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरी करने के लिए उस पर मुकम्मल तौर पर मुनहस्सिर करते हैं।

तर्जुमें की सलाह:

  • इस का तर्जुमा “पाक-रूह की ताक़त में” या “पाक-रूह के क़ब्ज़े में” हो सकता है। लेकिन इसका मतलब ऐसा न ज़ाहिर हो कि पाक-रूह मजबूर कर रहा है।
  • “वह पाक-रूह से भर गया” का तर्जुमा “वह मुकम्मल तौर पर पाक-रूह की ताक़त में जी रहा था” या “वह पाक-रूह की मुकम्मल रहनुमाई में था” या “पाक-रूह उसकी रहनुमाई कर रहा था”।
  • यह जुमला“रूह की ज़िन्दगी” के मुताबिक़ है लेकिन “रूह से भर गया” मुकम्मल तौर पर ज़ोर देता है कि जिसकी तरफ़ से इन्सान पाक-रूह को अपनी ज़िन्दगी का क़ाबू और असर सौंप देता है। लिहाज़ा मुम्किन हो तो इन दोनों का तर्जुमा अलग-अलग किया जाए।

(यह भी देखें:पाक रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G40, G4130, G4137, G4151

पाक रूह, ख़ुदा की रूह, ख़ुदावन्द की रूह, रूह

सच्चाई:

ये सब लफ़्ज़ पाक रूह के बारे में है, जो ख़ुदा है। इकलौता सच्चा ख़ुदा बाप, बेटा और पाक रूह है।

  • पाक रूह को “रूह” या “यहोवा की रूह” या “सच्चाई की रूह” भी कहा गया है।
  • क्योंकि पाक रूह ख़ुदा है, वह अपने खुसूसियत और कामों में बहुत मुक़द्दस है, बहुत ज़्यादा पाक और इख़लाक़ी कामिलियत में है।
  • बाप और बेटे के साथ पाक रूह भी क़ायनात की तख़लीक में मुतहर्रित थी।
  • जब ख़ुदा का बेटा ‘ईसा जब आसमान पर लौट गया, तब उसने अपने लोगों के लिए पाक रूह भेजी कि उनकी रहनुमाई करे, उन्हें ता’लीम दे, उन्हें इत्मिनान दे और ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करने के क़ाबिल बनाए।
  • पाक रूह ‘ईसा की रहनुमाई करती थी और ‘ईसा में ईमान करने वालों को भी राह दिखाती है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का सीधा तर्जुमा “पाक” और “रूह” अलफ़ाज़ के तर्जुमे से किया जा सकता है।
  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा, “पाक रूह”, या “रूह जो पाक है” या “ख़ुदा जो रूह है” हो सकता है।

(यह भी देखें: पाक, रूह, ख़ुदा, ख़ुदावन्द, ख़ुदा बाप, ख़ुदा का बेटा नज़्र

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों के मिसालें:

  • 01:01 लेकिन ख़ुदा की रूह वहाँ पानी के ऊपर थी।
  • 24:08 और ‘ईसा बपतिस्मा लेकर फ़ौरन पानी में से ऊपर आया, और उसने ख़ुदा की रूह को कबूतर की तरह उतरते और उसके ऊपर आते देखा।
  • __26: 1__शैतान की आज़माइश पर फ़तह पाने के बा’द, ‘ईसा जहाँ वह रहते थे गलील के ‘इलाक़े के लिए पाक रूह की क़ुव्वत में लौट आए।
  • 26:03 ‘ईसा ने पढ़ा, “ ख़ुदा की रूह मुझ पर है, इसलिये कि उसने कंगालों को ख़ुशख़बरी सुनाने के लिए मसह किया है, और मुझे इसलिये भेजा है कि बंधुओं को छुटकारे का और अंधों को नज़र पाने का ख़ुशख़बरी का ‘ऐलान करूँ और कुचले हुओ को आज़ाद करूँ।"
  • 42:10 तो जाओ, आसमानी बाप और पाक रूह के नाम पर उन्हें बपतिस्मा दो, सभी लोगों की जमा’अत के शागिर्द बनाओ और उन्हें उन सभी चीजों का ‘अमल करने के लिए सिखाओ जिसका मैंने तुमको हुक्म दी है। "
  • 43:03 वे सब पाक रूह से भर गए, और उन्होंने अन्य अन्य भाषओं में बोलना शुरू किया।
  • 43:08 "और ‘ईसा ने पाक रूह को भेजा है जैसा कि उसने वा’दा किया था कि वह करेंगे। पाक रूह उन चीज़ों की वजह बन रही है जो आप देख रहे हैं और सुन रहे हैं।"
  • 43:11 पतरस ने उनसे कहा, “तौबा करो, और तुम में से हर एक ‘ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा ले तो ख़ुदा तुम्हारे गुनाहों को मु’आफ़ करेगा। तब वह तुम्हें पाक रूह का हदिया देगा।।"
  • 45:01 वह (स्तिफनुस) एक अच्छा ‘इज़्ज़तदार इन्सान था और पाक रूह और ‘इल्म से भरा था।

शब्दकोश:

  • Strong's: H3068, H6944, H7307, G40, G4151

पाक, पाकीज़गी

ता’अर्रुफ़:

“पाक” और पाकीज़गी” का हवाला ख़ुदा के किरदार से है जो पूरी तरह से अलग है और किसी भी गुनाहगार और बेकामिल बात से अलग किया हुआ है।

  • सिर्फ ख़ुदा पूरी तरह से पाक है। वह इंसानों और चीज़ों को पाक बनाता है।
  • एक इन्सान जो पाक है ख़ुदा में बसता है और ख़ुदा की ख़िदमत और जलाल के लिए अलग किया हुआ है।
  • जिस चीज़ को ख़ुदा ने पाक मुक़र्रर कर दिया, वह उसके जलाल और इस्ते’माल के लिए अलग कर दी गई है जैसे कि एक क़ुर्बानगाह जो उसके क़ुर्बानी पेश करने के मक़सद के लिए है।
  • लोग उसकी इजाज़त के बिना उसके क़रीब नहीं आ सकते क्योंकि वे पाक और सिर्फ़ इन्सान हैं, गुनाहगार और बेकामिल|
  • पुराने ‘अहदनामे में, ख़ुदा ने काहिनों को पाक करके अपनी ख़िदमत के लिए अलग कर लिया था। उन्हें ख़ुदा के क़रीब जाने के लिए दुनियावी तौर पर गुनाहों से पाक होना होता था।
  • ख़ुदा कुछ मक़ामों और चीज़ों को भी पाकीज़गी में अलग कर लेता है जो उसकी होती हैं या जिनमें उसने अपने आप को ज़ाहिर किया है जैसे हैकल|

लफ़्ज़ी तौर पर, “नापाक” का मतलब है “पाक नहीं” यह कोई इन्सान या कोई चीज़ के बारे में बताता है जो ख़ुदा की ‘इज़्ज़त नहीं करता|

  • इस लफ़्ज़ का इस्ते’माल उसके बारे में है जो ख़ुदा को उसके ख़िलाफ़ बग़ावत करने के ज़रिए’ उसे बे’इज़्ज़त करता है|
  • एक ख़याल जिसे “नापाक” कहते है जिसका ज़िक्र हो सकता है, ‘आम, नजिस नापाक| यह ख़ुदा में नहीं बसता है|

लफ़्ज़ “मुक़द्दस” उन चीज़ों के बारे में बताता है जो ख़ुदा की ‘इबादत या बुरे काहिनों की झूठे मा’बूदों की ‘इबादत से मुता’अल्लिक़ हैं|

  • पुराने ‘अहद नामे में, लफ़्ज़ “मुक़द्दस” कम से कम उन चीज़ों के बारे में बताता है जैसे, पत्थर का सुतून और दीगर चीज़ें जिनका इस्ते’माल झूठे म’बूदों की ‘इबादत करने में किया जाता है| इसका तर्जुमा “मज़हबी” भी किया जा सकता है|
  • “मुक़द्दस गीत” और “मुक़द्दस मोशीकी” उस मोशीकी के बारे में है जो ख़ुदा की ता’रीफ़ में गाए या बजाये जाते हैं| इसका तर्जुमा हो सकता है “यहोवा की ‘इबादत के लिए मोशिकी” या “गीत जो ख़ुदा की हम्द करते हैं”
  • जुमले “मुक़द्दस ज़िम्मेदारी”, “मज़हबी ज़िम्मेदारी” या “रस्म” उनके बारे में हैं, जो ‘इबादत करने वाले लोगों की रहनुमाई करते हैं| यह बुरे काहिनों के झूठे मा’बूदों की ‘इबादत करने के ज़रिए’ रस्मी कारकरदगी का मुज़ाहिरे के बारे में भी बताता है|

तर्जुमे की सलाह:

  • “पाक” के तर्जुमे के तरीक़े शामिल हो सकते हैं, “ख़ुदा के लिए अलग रखना” या “ख़ुदा में बसना” या “पूरी तरह से साफ़” या “बिल्कुल बेगुनाह” या “गुनाहगारों से अलग”

  • “पाक करना” इसका अक्सर अंग्रेजी में तर्जुमा होता है “Sanctify(पाक)” इसका तर्जुमा ऐसे भी किया जा सकता है “ख़ुदा के जलाल से अलग होना (किसी का)|

  • “नापाक” इसके तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं “पाक नहीं” या “ख़ुदा में न बसना” या “ख़ुदा को ‘ईज़्ज़त न देना” या “ख़ुदा की तरफ़ से नहीं”

  • जुमले में “नापाक” का तर्जुमा किया जा सकता है “गन्दा”

(यह भी देखें: पाक रूह, रज़ामन्दी, पाक, अलग करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

  • 01:16 उस ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे पाक बनाया क्योंकि इस दिन ख़ुदा ने अपने काम से आराम लिया था।
  • 09:12 “जिस मक़ाम पर तू खड़ा है वह पाक ज़मीन है।”
  • 13:01 ,”अगर तुम मेरी मानोगे, और मेरे ‘अहद का ‘अमल करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरी हमेशा की दौलत ठहरोगे, पूरी ज़मीन तो मेरी है, और तुम मेरी नज़र में काहिनों की बादशाही और पाक क़ौम ठहरोगे।”
  • 13:05 तू सबत के दिन को पाक मानने के लिये याद रखना।
  • 22:05“इसलिये वह पाक जो पैदा होनेवाला है, ख़ुदा का बेटा कहलाएगा।”
  • 50:02 जबकि हम ‘ईसा के वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, तो ख़ुदा चाहता है कि हम ऐसी ज़िन्दगी जियें जो पाक हो और उसे ‘इज़्ज़त देता हो।

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H2455, H2623, H4676, H4720, H6918, H6922, H6942, H6944, H6948, G37, G38, G39, G40, G41, G42, G462, G1859, G2150, G2412, G2413, G2839, G3741, G3742

पाकी, पाक करना, पाकीज़गी

ता'अर्रुफ़:

पाक करने का मतलब है अलग करके पाक करना। पाक करना, पाक करने का तरीक़ा ।

  • पुराने 'अहद नामे में, कुछ लोग और कुछ चीज़ें ख़ुदावन्द की ख़िदमत के लिए अलग किए गए थे या पाक माने गए थे।
  • नये 'अहद नामे की ता'लीम के मुताबिक़ 'ईसा में ईमान रखने वालों को ख़ुदावन्द पाक करता है। या'नी वह उन्हें पाक करके अपनी ख़िदमत के लिए अलग कर लेता है।
  • 'ईसा में ईमान रखनेवालों को हुक्म दिया गया है कि वे ख़ुदावन्द के लिए ख़ुद को को पाक करें, हर एक काम में पाक ठहरें।

तर्जुमा की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़, " पाक करना" का तर्जुमा "अलग करना" या "मुक़द्दस करना" या "साफ़ करना" हो सकता हैं।
  • जब लोग अपने को साफ़ करते हैं, तो इसका मतलब है कि वह अपने को वक़्फ़ करके ख़ुदावन्द की ख़िदमत में ख़ुद को सुपुर्द करते हैं। "पाक" करना लफ़्ज़ कलाम में इस मतलब में इस्ते'माल किया जाता है।
  • "पाक" लफ़्ज़ का तर्जुमा "किसी को ख़ुद को सुपुर्द करना" हो सकता है।
  • मज़मून के तौर पर, जुमले "आपकी पाकीज़गी" का तर्जुमा "आपको मुक़द्दस बनाना" या "आपको अलग करना (ख़ुदावन्द के लिए)" या "क्या आपको पाक बनाता है" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: पाक करना, पाक, अलग करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6942, G37, G38

पिन्तेकुस्त, हफ़्तों की ‘ईद

सच्चाई:

“हफ़्तों की ‘ईद” एक यहूदी ‘ईद है जो फसह की ‘ईद के पचास दिन बाद मनायी जाती थी जिसे बाद में "पिन्तेकुस्त" कहा जाता था।

  • हफ़्तों की ‘ईद, पहले फलों की ‘ईद के सात हफ़्तों (पचास दिन) बाद मनायी जाती थी नये ‘अहद नामे के ज़माने में इस ‘ईद को “पिन्तेकुस्त” की ‘ईद कहते थे जिसके मतलब में एक हिस्सा “पचास” है।
  • हफ़्तों की ‘ईद अनाज की कटनी के शुरू’ की ख़ुशी में मनाया जाता था। यह वह वक़्त था जब ख़ुदा ने इस्राईल के लिए सबसे पहले पत्थर की तख़्तियों पर मूसा को शरी’अत दी थी।
  • नये अहद नामे में पिन्तेकुस्त का दिन ख़ास करके अहम था क्योंकि उस दिन ‘ईसा पर ईमान लाने वालों ने एक नए तरीक़े पाक रूह को पाया था।

(तर्जुमे की सलाह नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: ‘ईद, पहले फल, फ़सल, पाक रूह, खड़ा करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2282, H7620, G4005

पूरा कर, पूरा हुआ

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “पूरा कर” का मतलब है मुकम्मल या पूरा होना जिसकी उम्मीद की गयी थी|

  • जब एक नबूव्वत पूरी होती है, तो इसका मतलब है कि ख़ुदा ने नबूव्वत में जो पेशगोई की थी उसे पूरा किया।
  • अगर इन्सान अपने ‘अहद या क़सम पूरी करता है तो इसका मतलब है कि उसने जो कहा था उसे निभाया।
  • ज़िम्मेदारी को पूरा करने का मतलब है किसी दिए गए को या ख़ास काम को पूरा करना।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “पूरा करना” का तर्जुमा हो सकता है “ख़त्म करना” या “मुकम्मल करना” या “होने के लिए कुछ करना” या “हुक्म मानना” या “ज़ाहिर करना”
  • जुमला “पूरा किया जा चुका” का तर्जुमा हो सकता है, “सच हो गया” या “हो चुका है” या “मुकम्मल हो चुका है”
  • “पूरा करना” के तर्जुमे के तरीक़े जैसे “अपनी ख़िदमत पूरी करो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “मुकम्मल करो” या “निभाओ” या “इन्सानों की ख़िदमत वैसी करो जैसे ख़ुदा ने तुम्हें करने के लिए बुलाया है”।

(यह भी देखें: नबी, मसीह, वज़ीर, बुलाहट)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 24:04 युहन्ना ने वह पूरा किया जो यसा’याह नबी की किताब में लिखा था, “देख मैं अपने फ़रिश्ते को तेरे आगे भेजता हूँ, जो तेरे लिए राह दिखाएगा”
  • 40:03 सिपाहियों ने ‘ईसा के कपड़ों के लिये जुआ खेला। जब उन्होंने ये किया तो उन्होंने इस नबूव्वत को पूरा किया कि, “वे मेरे कपड़े आपस में बाँटते हैं, और मेरे लिबास के लिए जुआ खेलते हैं।”
  • 42:07 ‘ईसा ने कहा, "मैंने तुमसे कहा था कि ख़ुदा के कलाम में मेरे बारे में जो कुछ लिखा हुआ है वह पूरा होना चाहिए।"
  • __43:05__लेकिन यह वह बात है जो यूएल नबी के ज़रिए’ कही गई थी। ख़ुदा कहता है कि, “आख़िर के दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपनी रूह सब इन्सानों पर उँडेलूँगा।”
  • 43:07 “’ईसा की मौत हुई लेकिन उसी को ख़ुदा ने मौत के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया, और यह नबूव्वत की गई थी कि, ‘न तो उसकी जान आलम-ए-अर्वाह में छोड़ी गई और न उसका जिस्म सड़ने पाया।’
  • 44:05 अगरछे तुम्हें नहीं पता था कि क्या करते हो, लेकिन ख़ुदा ने तुम्हारे कामो का इस्ते’माल किया नबूव्वतों को __पूरा करने __के लिए, कि उसका मसीह दुःख उठाएगा, और मारा जाएगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1214, H5487, G1096, G4138

पैरवी, पैरवी करता, पैरवी के लायक़, तरफ़दारी

ता’अर्रुफ़:

“पैरवी” मतलब चुनना। जब कोई इन्सान किसी इन्सान की पैरवी करता है, तो वह उस इन्सान को मुस्बत की शक्ल में देखता है और उस इन्सान को औरों के मुक़ाबले ज्यादा फ़ायदा देता है।

  • “ख़ास पैरवी” का मतलब है, कुछ लोगों के साथ काम करने का मुनासिब रवैया करना, मगर दूसरों के साथ नहीं। इसका मतलब यह है कि एक इंसान को दूसरे या एक चीज़ को दूसरी को मुन्तख़ब करने का झुकाव क्यूँकि इन्सान या चीज़ को अहमियत दी जाती है| ‘आम तौर पर, तरफ़दारी को ग़लत माना जाता है।
  • ‘ईसा ख़ुदा और इन्सानों की “’इज़्ज़त में” बढ़ता गया। इसका मतलब है उन्होंने उसके किरदार और मिज़ाज को मंजूरी दे दी।
  • किसी का “पैरवी पाना” का मतलब है, किसी के ज़रिए’ किसी इन्सान को मन्जूर करना।
  • जब कोई बादशाह किसी की पैरवी करता है तो उसका मतलब अमूमन यह होता है कि बादशाह ने उसकी गुज़ारिश क़ुबूल कर ली है।
  • "पैरवी" किसी और इन्सान के लिए एक उनके फ़ायदे के लिए एक इशारा या कार्रवाई भी हो सकता है|

तर्जुमे की सलाह:

  • “पैरवी” लफ़्ज़ का तर्जुमा करने के और तरीक़ों में “फ़ज़ल” या “फ़ायदा” शामिल हो सकता है|
  • “यहोवा के ख़ुश रहने के साल” का तर्जुमा हो सकता है “साल(या वक़्त) के तौर पर किया जा सकता है जब यहोवा बड़ी बरकत लाएगा|”
  • "तरफ़दारी" लफ़्ज़ का तर्जुमा "मुख़तलिफ़" या "ता’अस्सुब" या "नाइन्साफ़ी का सुलूक " के तौर पर किया जा सकता है। * यह लफ़्ज़ "पसंदीदा" लफ़्ज़ से मुता’अल्लिक़ है, जिसका मतलब है "जो पसंद किया गया है या सबसे ज़्यादा अज़ीज़ है।"

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H995, H1156, H1293, H1779, H1921, H2580, H2603, H2896, H5278, H5375, H5414, H5922, H6213, H6437, H6440, H7521, H7522, H7965, G1184, G3685, G4380, G4382, G5485, G5486

फ़ख्र, फ़ख्र करना, फ़ख्र से भरा

ता'अर्रुफ़:

“फ़ख्र” या किसी चीज़ या आदमी के बारे में फ़ख्र की बातें करना। इसका मतलब हमेशा ख़ुद के बारे में बड़ाई करना होता है।

  • “फ़ख्र” आदमी अपने बारे में फ़ख्र करता है।

ख़ुदा ने इस्राईल के बुतों पर फ़ख्र करने के लिए लड़ा था। वह सच्चे ख़ुदावन्द कि जगह में बुतों की 'इबादत करते थे।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में लोगों की दौलत, जाएदाद, ताक़त, अच्छी खेती और कवानीन पर फ़ख्र करने का बयान किया गया है। इसका मतलब है कि वह इन बातों पर फ़ख्र करते थे और इन सबको देने वाले ख़ुदावन्द को नहीं मानते थे।
  • इसके अलावा ख़ुदावन्द इस्राईलियों से कहता था कि वह उससे जानने पर फ़ख्र करें।
  • रसूल पौलुस ख़ुदा में फ़ख्र करने की बात कहता है या ख़ुदावन्द ने उनके लिए जो किया है उसके लिए ख़ुश होकर उसकी ता'रीफ़ करें।

तर्जुमा की सलाह:

  • “फ़ख्र” के और तर्जुमें हो सकते है, “बड़ाई करना” या “फ़ख्र से कहना” या “फ़ख्र करना”
  • “फ़ख्र” लफ्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ्ज़ या बयान की ज़रिए’ किया जाए जिसका मतलब हो, “फ़ख्र की बातों से भरा” या “फ़ख्र से भरा हुआ” या “ख़ुद के बारे में बड़ाई करना”
  • ख़ुदावन्द को जानने में फ़ख्र करने के बारे में तर्जुमा हो सकता है, “में फ़ख्र करना” या “में बड़ाई करना” के बारे में ज़्यादा तर ख़ुश होना” या “के लिए ख़ुदावन्द को मुबारक कहना”
  • कुछ ज़बानों में “फ़ख्र” के दो लफ्ज़ हैं, एक मनफ़ी-फ़ख्र और दूसरा मुस्बत किसी के काम, ख़ानदान और मुल्क पर फ़ख्र करना।

तर्जुमा की सलाह:

(यह भी देखें: फ़ख्र )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1984, H3235, H6286, G212, G213, G2620, G2744, G2745, G2746, G3166

फ़ज़ल, फ़ज़ल करने वाला

ता’अर्रुफ़:

“फ़ज़ल” का मतलब है कि किसी शख़्स की मदद करना या उसको बरकत देना जबकि वह इस लायक़ नहीं है। “फ़ज़ल करने वाला” इस शख़्स को दिखता है जो किसी पर फ़ज़ल करता है।

  • गुनागार लोगों के बारे में ख़ुदावन्द का फ़ज़ल एक अनमोल ने'मत है।
  • फ़ज़ल के ख़याल में ग़लत और नुक़सान पहुंचानेवाला काम करने वाले लोगों को रहम दिखाना या मु'आफ़ करना।
  • जुमलों "फ़ज़ल हासिल करने के लिए" एक जुमला है जिसका मतलब है कि ख़ुदा से मदद और रहम हासिल करना है। इसके मतलब में किसी से ख़ुदावन्द का ख़ुश होना और उसकी मदद करने का मतलब ज़ाहिर होता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “फ़ज़ल” को दूसरे तर्जुमें की शक्ल हो सकती हैं “ख़ुदा की महेरबानी ” या “ ख़ुदावन्द का एहसान या “गुनाहगारों के लिए ख़ुदावन्द का रहम और मु'आफ़ी” या “रहम दिल महेरबान”।
  • “फ़ज़ल देने वाला ” का तर्जुमा हो सकता है, “फ़ज़ल से मा'मूर” या “रहम दिल ” या “रहम करने वाला ” या “रहम दिल महेरबान ”।
  • “ ख़ुदावन्द की नज़र में फ़ज़ल हासिल किया” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “उसने ख़ुदावन्द से रहम हासिल किया” या “ ख़ुदावन्द ने रहम दिल होकर उसकी मदद की” या "ख़ुदावन्द ने उस पर रहम दिखाया " या “ ख़ुदावन्द उससे ख़ुश हुआ और उसकी मदद की”।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2580, H2587, H2589, H2603, H8467, G2143, G5485, G5543

फ़रिश्ता, फ़रिशतों,ख़ास ,फ़रिश्ते

ता'अर्रुफ़:

फ़रिश्ते ख़ुदा के ज़रिए' बनाई गई एक ताक़तवर रूहानी क़ौम है। फ़रिश्ते ख़ुदा की ख़िदमत के लिए है, वह उसका हर एक हुक्म मानते हैं। “ हाकिम फ़रिश्ता” या'नी सब फ़रिश्तों पर हुकूमत या रहनुमाई करनेवाला।

  • "फ़रिश्ते" का हक़ीक़ी मतलब क़ासिद है ""।
  • " हाकिम फ़रिश्ता" का मतलब है, "ख़ास क़ासिद " कलाम में जिस " हाकिम फ़रिश्ता" का ज़िक्र किया गया है, वह मीकाईल है।
  • कलाम में फ़रिशतों ने इन्सानों को ख़ुदा की ख़बर सुनाई है। इन ख़बरों में हुक्म थे कि ख़ुदा इंसानों से क्या करवाना चाहता था।
  • फ़रिश्तों ने इन्सानों को मुस्तक़बिल के हादसाओं की जानकारी भी दी थी या पहले के हादसों की जानकारी दी थी।
  • फ़रिशतों के पास ख़ुदा का इख्तियार होता था, क्यूँकि वह उसके नुमाइन्दे थे। कलाम में कभी-कभी वह ऐसे बोलते थे जैसे ख़ुदा ख़ुद ही कह रहा हो।

इन ख़बरों में हुक्म थे कि ख़ुदा इन्सानों से क्या करवाना चाहता था।

  • फ़रिशतों ने इन्सानों को मुस्तक़बिल की की जानकारी भी दी थी या पहले के हादसों की जानकारी दी थी।1) “फ़रिश्ते जो यहोवा के नुमाइन्दे है” या “यहोवा की ख़िदमत करने वाला ” 2) इसके बारे में ख़ुद यहोवा हो सकता है, जो इन्सानों से बात करते वक़्त फ़रिश्ते सा दिखाई देता है। * फ़रिशते की ख़ुदा की ख़िदमत के कई शक्लें थीं, इन्सानों की हिफ़ाज़त करना और उन्हें क़ुव्वत अता करना।

तर्जुमा की सलाह:

  • “फ़रिश्ते” के तर्जुमा कई तरह कर सकते हैं, “ख़ुदा का क़ासिद” या “ख़ुदा का आसमानी ख़बर देने वाला ” या “ख़ुदा का क़ासिद "रूह ”।
  • “हाकिम फ़रिश्ता” का तर्जुमा “ख़ास फ़रिश्ते” या “ख़ास हाकिम फ़रिश्ता” या “फ़रिश्तों का रहनुमा ”।
  • तवज्जोह दें कि इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा क़ौमी ज़बान या और मक़ामी ज़बान में कैसे किया गया है।
  • “यहोवा का फ़रिश्ता” का तर्जुमा “यहोवा” और “फ़रिश्ते” के तर्जुमा सक्लों के ज़रिए' किया जाए। इससे उस जुमलें के अलग मतलब तर्जुमा में ज़ाहिर होगा। मुनासिब तर्जुमा हो सकते है, “यहोवा का फ़रिश्ता” या “यहोवा के ज़रिए' भेजा गया फ़रिशता” या “यहोवा, जो फ़रिश्ता सा दिखाई देता है।”

(यह भी देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: हाकिम, सिर, फ़रिश्ते, मीकाएल, हाकिम, खादिम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 02:12 ख़ुदा ज़िन्दगी के दरख्त का फल खाने से किसी को रोकने के लिये बाग़ के दरवाज़े पर ताक़तवर फ़रिशतों को रखा।
  • __22:03_फ़रिश्ते ने जकरियाह से कहा, "मैं ख़ुदा के ज़रिए' तुझे यह ख़ुशख़बरी सुनाने को भेजा गया हूँ।"
  • 23:06 अचानक, एक चमकता फ़रिश्ता उन्हें दिखाई दिया , और वह बहुत डर गए। तब फ़रिश्ते ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्यूँकि देखो, मैं तुम्हें बड़ी ख़ुशी की ख़ुशख़बरी सुनाता हूँ” तब फ़रिश्ते ने उनसे कहा, “ मत डरो; क्यूँकि देखो, मैं तुम्हें बड़े ख़ुशी की ख़ुशख़बरी सुनाता हूँ
  • 23:07 तब एका एक फ़रिशतों का झुण्ड ख़ुदा की बड़ाई करते हुए और यह कहते हुए दिखाई दिया,
  • 25:08 तब फ़रिश्ते आए और ईसा की ख़िदमत करने लगे।
  • 38:12 ईसा बहुत परेशान था और उसका पसीना खून की बूँदो की तरह था। ख़ुदा ने अपना एक फ़रिश्ता भेजा उसे क़ूव्वत देने के लिए।
  • 38:15 " क्या तू नहीं जनता कि मैं अपने बाप से मिन्नत कर सकता हूँ, और वह __फ़रिश्तों __ की पलटन अभी मेरे पास भेज देगा।"

शब्दकोश:

  • Strong's: H47, H430, H4397, H4398, H8136, G32, G743, G2465

फ़रीसी, फ़रीसियों

सच्चाई:

फ़रीसी ‘ईसा के वक़्त यहूदी रहनुमाओं का एक अहम असरदार मज़हब था।

  • उनमें से ज़्यादातर लोग बीच तबक़े’के तिजारती थे और कुछ फ़रीसी काहिन भी थे।
  • सब यहूदी रहनुमाओं में फ़रीसी मूसा की शरी’अत के मानने में और ग़ैर यहूदी क़ानूनों और रिवाजों के मानने में सबसे ज़्यादा सख्त इन्सान थे।
  • वह यहूदियों को आसपास की ग़ैर क़ौमों के असर से दूर रखने के बारे में बहुत ज़्यादा फ़िक्रमन्द रहते थे। फ़रीसी लफ़्ज़ “अलग करना” से आता है।
  • फ़रीसी मरने के बा’द के ज़िन्दगी को मानते थे, वे फ़रिश्तों और कई रूहानी जानदारों को भी मानते थे।
  • फ़रीसी और सदूकी ‘ईसा और शुरू’ की कलीसिया के दुश्मन थे।

(यह भी दखे: सलाह, यहूदी रहनुमा , क़ानून, सदूकी

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G5330

फ़सह

सच्चाई:

“फ़सह” यहूदियों के एक मज़हबी त्यौहार का नाम है जिसमें वे याद करते हैं कि ख़ुदा ने उनके बाप दादाओं को मिस्र की ग़ुलामी में से कैसे निकाला था।

  • इस त्यौहार का नाम उस सच्चाई से आता है कि ख़ुदा इस्राईलियों के घरों से होकर निकला लेकिन उसने उनके बेटों का हलाक नहीं किया जबकि मिस्र के सब पहिलौठे मारे गए थे।
  • फ़सह में एक मुकम्मल मेमने का गोश्त भूनकर खाया जाता था और रोटी ख़मीरी नहीं होती थी। इस खाने से उन्हें उस खाने की याद होता है जो उनके बाप दादाओं ने मिस्र से कूच करने से पहले रात को खाया था।
  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि वे हर साल ऐसा खाना खाकर याद करें इसलिए ख़ुशी मनाएं कि ख़ुदा कैसे उनके घराने में से निकलकर गया और उन्हें ग़ुलामी से आज़ादी दिलाई।

तर्जुमे की सलाह:

फ़सह का लफ़्ज़ के तर्जुमें में “होकर निकलने” की मिलने के लफ़्ज़ या और एक जैसे लफ़्ज़ों को मिलाने के ज़रिए’ किया जा सकता है।

  • अगर इस त्यौहार का नाम फ़रिश्ते के ज़रिए’ इस्राईलियों के बेटों को क़त्ल न करते हुए आगे बढना ज़ाहिर तौर से दिखाए तो बहुत मददगार होगा।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 12:14 ख़ुदा ने इस्राईलियों को हुक्म दिया कि वह हर साल फसह का त्यौहार मनाया करे, इस बात को याद करते हुए कि ख़ुदा ने उन्हें मिस्रियो की गुलामी से बचाया व उन्हें मिस्रियो पर फ़तहयाब किया |
  • 38:01 हर साल, यहूदी फसह का त्यौहार मनाते थे | यह एक त्यौहार था, जब वह याद करते थे कि ख़ुदा ने कई सदियों पहले मिस्र की गुलामी से उनके बाप दादाओं को बचाया था |
  • 38:04’ईसा यरूशलीम में अपने शागिर्दों के साथ फसह का दिन मना रहा था |
  • 48:09 जब ख़ुदा ने खून को देखा तो वह उनके घरों के पास से गुजर गया और उसने उनके जेठे बेटों को हलाक नहीं किया | इस हादसे को फसह कहा जाता है |
  • 48:10 ’ईसा हमारा फसह का मेम्ना है | वह कामिल और बेगुनाह था, और फसह के त्यौहार के दिन मारा गया था |

शब्दकोश:

  • Strong's: H6453, G3957

फ़ैसले का दिन

ता’अर्रुफ़:

“फ़ैसले का दिन” उस मुस्तक़बिल के वक़्त के बारे में है जब ख़ुदा लोगों का इन्साफ़ करेगा।

  • ख़ुदा ने अपने बेटे मसीह 'ईसा को सब लोगों का मुंसिफ़ ठहराया है।
  • फ़ैसले के दिन मसीह अपने रास्तबाज़ किरदार के तौर पर लोगों का फ़ैसला करेगा।

तर्जुमा की सलाह:

  • इसका तर्जुमा “फ़ैसले के दिन” हो सकता है क्यूँकि यह एक दिन से ज़्यादा वक़्त का होगा।
  • इस जुमले की दूसरी शक्ल में तर्जुमा हैं “आख़िर वक़्त जब ख़ुदा सब लोगों का इन्साफ़ करेगा।”
  • कुछ तर्जुमों में इस जुमले को बड़े हरफ़ों में लिखा जाता है कि इसे ख़ास दिन या वक़्त ज़ाहिर किया जाए। “ इन्साफ़ का दिन” या “ इन्साफ़ का वक़्त ”

(यह भी देखें: इन्साफ़, ‘ईसा, जन्नत, दोज़ख़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2962, H3117, H4941, G2250, G2920, G2962

बचाना, बचाता है, नजात, हिफ़ाज़त

ता’अर्रुफ़:

“बचाना” या'नी किसी बुरी या नुक़सानदह बात से बचना। “महफ़ूज़ रहना” या'नी नुक़सान या ख़तरे से बचना।

  • जिस्मानी ऐतबार से लोगों को नुक़सान, ख़तरे या मौत से बचाया या निकाला जा सकता है।
  • रूहानी मतलब में लोगों की "नजात" का मतलब है सलीब पर 'ईसा की मौत के ज़रिए’, गुनाह से मु'आफ़ किया गया और दोज़ख़ में सज़ा का हिस्सेदार होने से ख़ुदा ने उसे "बचा लिया" है।
  • लोग ख़तरे से इन्सानों को बचा सकते हैं लेकिन गुनाहों की हमेशा की सज़ा से सिर्फ़ ख़ुदावन्द ही इन्सानों को बचा सकता है।

नजात लफ़्ज़ का मतलब है किसी को बुराई और ख़तरे से बचाना

  • किताब-ए-मुक़द्दस में नजात रूहानी छुटकारे को बताता है जो उन लोगों के लिए बताया हैः जो तौबा करते हैं और 'ईसा पर ईमान रखते हैं
  • किताब-ए-मुक़द्दस ख़ुदा का अपने लोगों को उसके दुश्मनों से और बुराई से नजात दिलाना है नजात

तर्जुमा की सलाह:

  • “बचाना” का तर्जुमा “नजात दिलाना” या “नुक़सान से बचाना” या “नुक़सान के रास्ते से निकाल लेना” या “मरने से बचा लेना” हो सकता हैं।

  • इस जुमले में “जो कोई अपनी ज़िन्दगी बचाएगा”, लफ़्ज़ “बचाएगा” का तर्जुमा, “हुफ़ाज़त” या “महफ़ूज़ रखना” हो सकता है।

  • “महफ़ूज़” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़तरे से बचना” “वह जगह जहाँ कोई नुक़सान न पहुंचा पाए”।

  • नजात का जो लफ़्ज़ हैं उसका तेजुमा दुनियावी तरीक़े से भी कर सकते हैं "बचाना" या "निकालना"या लोगों को उनके गुनाहों की सज़ा से आज़ाद कराना

  • ख़ुदा मेरी नजात है ऐसा भी तर्जुमा हो सकता है ख़ुदा ही है जो मुझे बचाता है

  • आप नजात के कुँवें से पानी निकालना ,इसका तर्जुमा यह भी हो सकता हैं आप पानी से महफ़ूज़ निकल जाते हैं क्यूँकि ख़ुदा और उनकी हिफ़ाज़त करता है

((यह भी देखें: सलीब, छुड़ाना, सज़ा देना, नजात, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें :

  • __09:08मूसा ने अपने साथी इस्राईली को__बचाने की कोशिश की |
  • 11:02 ख़ुदा ने इन्तिज़ाम किया कि, वह शख्स जो उस पर यक़ीन करेंगा वह उसके पहलौठे बेटे को बचाएगा
  • __12:05__मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत! ख़ुदा ख़ुद ही तुम्हारे लिये लड़ेगा और तुम्हे बचाएगा
  • 12:13 इस्राईलियों ने अपनी आज़ादी का जश्न मनाने के लिये बहुत से गीत गाए, और ख़ुदा की 'इबादत की जिसने उन्हें मिस्रियो की फ़ौज से बचाया
  • 16:17 यह बात कई बार दोहराई गई,इस्राईली गुनाह करते थे , ख़ुदा उन्हें सज़ा देता था, और फिर वह तौबा करते थे, और फिर ख़ुदा उन्हें बचाने के लिए एक नजात देने वाला भेजता था
  • 44:08 तुमने 'ईसा को सलीब पर चढ़ाया, लेकिन ख़ुदा ने उसे मरे हुओं में से जिलाया। तुमने उसे क़ुबूल न किया, लेकिन और कोई दूसरा रास्ता नहीं है सिर्फ़ 'ईसा की क़ुव्वत के ज़रिए' ही नजात मिल सकती है ।”
  • __47:11__दारोगा घबरा गया और पौलुस और सीलास के पास आकर पूछा, “ऐ साहीबों __नजात __ पाने के लिए मैं क्या करूँ ?” पौलुस ने जवाब दिया, "’ईसा, जो मालिक है, उसपर यक़ीन करो तो तुम और तुमारा ख़ानदान नजात पाएगा।"
  • 49:12 अच्छे काम तुम्हें बचा नहीं सकते।
  • 49:13 जो कोई भी 'ईसा पर यक़ीन करता और उसे ख़ुदा की शक्ल में क़ुबूल करता है ख़ुदा उसे बचाएगा। लेकिन जो उसमें ईमान नहीं करता है ऐसे किसी शख्स को वह नहीं बचाएगा

शब्दकोश:

  • Strong's: H983, H2421, H3444, H3467, H3468, H4190, H4422, H4931, H6403, H7682, H7951, H7965, H8104, H8668, G803, G804, G806, G1295, G1508, G4982, G4991, G4992, G5198

बचे हुए

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “बचे हुए लोग” हक़ीक़त में बचे हुए लोगों या चीज़ों के बारे में है। इसका मतलब बड़ी मिक़दार में से छोड़ी गई चीज़ भी है।

  • “बचे हुए” अक्सर उन लोगों को ज़ाहिर करता है जो जान के ख़तरे से बच गए या सताव के बा’द भी जो इन्सान ख़ुदा के वफ़ादार रहे।
  • यसा’याह यहूदियों की एक जमा’अत को बचे हुए लोग के बारे में कहता है जो दुश्मनों के हमले से बच निकले और ‘अहद के मुल्क कना’न लौटे।
  • पौलुस भी “बचे हुए” लोगों का ज़िक्र करता है जिन्हें ख़ुदा ने चुना कि उसके फ़ज़ल के वारिस हों।
  • “बचे हुए” से यह भी मतलब निकलता है कि कुछ और लोग वफ़ादार नहीं थे, या जो बचे नहीं या जो चुने नहीं गए।

तर्जुमे की सलाह:

  • “इनमें से बचे हुए लोग” इस जुमले का तर्जुमा, “इन लोगों में से जो बाक़ी रह गए” या “जो लोग ईमानदार रहे” या “बचे हुए लोग” हो सकता है।
  • “बाकी सब लोग” का तर्जुमा, “बचे हुए सब लोग” या “बचे हुए लोग” हो सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3498, H3499, H5629, H6413, H7604, H7605, H7611, H8281, H8300, G2640, G3005, G3062

बच्चे ,बच्चा

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में “बच्चा” लफ़्ज़ अक्सर बच्चे के लिए काम में लिया गया है ,छोटी ‘उम्र के लिए भी इसका इस्ते’माल किया गया है | “बच्चे” जमा’ है और इसके तम्सीली इस्ते’माल भी हैं |

किताब-ए-मुक़द्दस में शागिर्दों या इमानदारों को भी कभी कभी “बच्चे” कहा गया है |

  • ”बच्चे” लफ़्ज़ कभी कभी नस्लों के लिए भी इस्ते’माल किया गया है |

  • ”की बच्चे “का मतलब किसी बात की ख़ासियत ज़ाहिर करने से भी होता है | इसकी कुछ मिसाल हैं :

  • रोशनी की औलाद

  • हुक्म मानने वाली औलाद

  • शैतान की औलाद

  • यह लफ़्ज़ रूहानी बेटे /बेटियों के बारे में आता है | मसलन ,”खुदा के बेटे “या ‘ईसा में ईमान रखने की वजह से ख़ुदा के लोग |

तर्जुमे की सलाह:

“औलाद “ का तर्जुमा “नसल”किया जा सकता है जब इसका बयान किसी के पोते-परपोतों से हो |

  • ”मज़मून के मुताबिक़ “की औलाद “का तर्जुमा “की सिफ़त रखने वाले लोग “ या “के जैसा बर्ताव करने वाले लोग “भी किया जा सकता है |
  • अगर मुमकिन हो तो “ख़ुदा की औलाद “को ज्यों का त्यों रखा जाये क्यूँकि किताब-ए-मुक़द्दस का एक ख़ास मज़मून है ,ख़ुदा हमारा आसमानी बाप है | इसका मुमकिन इख़्तियारी तर्जुमा हो सकता है ,”ख़ुदा के लोग “या “ख़ुदा की रूहानी औलाद “|
  • ’ईसा अपने शागिर्दों को “औलाद कहता है तो इसका तर्जुमा “प्यारे दोस्तों” या “मेरे प्यारे शागिर्दों “हो सकता है |
  • जब पौलुस और यूहन्ना ‘ईसा के ईमानदारों को “बच्चों कहते हैं तो इसका तर्जुमा “प्यारे ईमानदार साथियों”हो सकता है |
  • ”वा’दा” की औलाद’ का तर्जुमा हो सकता है “ख़ुदा के वा’दे को पाए हुए लोग “|

(यह भी देखें: नसलें, वा’दा बेटा, रूह, ईमान, प्यारे

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1069, H1121, H1123, H1129, H1323, H1397, H1580, H2029, H2030, H2056, H2138, H2145, H2233, H2945, H3173, H3205, H3206, H3208, H3211, H3243, H3490, H4392, H5271, H5288, H5290, H5759, H5764, H5768, H5953, H6185, H7908, H7909, H7921, G730, G815, G1025, G1064, G1471, G3439, G3515, G3516, G3808, G3812, G3813, G3816, G5040, G5041, G5042, G5043, G5044, G5206, G5207, G5388

बड़ी क़ुदरत

सच्चाई:

बहुत बड़ी क़ुदरत वाला,का हक़ीक़ी मतलब है ,सबसे ज़्यादा ताक़त वाला , कलाम में यह लफ्ज़ ख़ुदावन्द के लिए काम में लिया जाता है ,

  • बहुत बड़ी क़ुदरत वाला,या बड़ी ताक़त वाला ,लफ्ज़ ख़ुदावन्द के बारे में है और ज़ाहिर करते हैं कि उसे सब पर पूरा इख्तियार आय=और ताक़त हासिल है
  • इस लफ्ज़ के ज़रिए ख़ुदावन्द को 'उहदे वाले नाम दिए गए हैं बहुत बड़ी क़ुदरत वालाख़ुदावन्द , या , बड़ी ताक़त वाला ख़ुदा , या बहुत बड़ी क़ुदरत वालाख़ुदा ख़ुदावन्द

तर्जुमा की सलाह

  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा हो सकता , बड़ी ताक़त वाला , या बड़ी क़ुदरत वाला , या, ख़ुदावन्द जो बहुत बड़ी क़ुदरत वाला
  • बहुत बड़ी क़ुदरत वालाख़ुदा ख़ुदावन्द , का तर्जुमा हो सकता है , ताक़तवर हाकिम ख़ुदावन्द , या , बहुत बड़ी क़ुदरत वाला इख्तियार जताने वाला ख़ुदावन्द या ताक़तवर ख़ुदा जो एक बहुत बड़ा मालिक है,

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: ख़ुदावन्द, ख़ुदा, ताक़तवर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7706, G3841

बढाना, बुलन्द किया, ज़्यादा से ज़्यादा, ता'ज़ीम

ता'अर्रुफ़:

ऊँचा करना किसी की बहुत ज़्यादा ता'रीफ़ करना और 'इज़्ज़त देना। इसका मतलब किसी को ऊँची जगह पर रखना भी है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में ऊँचा करने का मतलब ख़ुदा को बढ़ाने के लिए इस्ते'माल किया जाता है।
  • जब इंसान अपनी बड़ाई करता है तब वह घमण्ड करता है और अपने बारे में मग़रूर है।

तर्जुमा की सलाह:

  • “बुलन्द करने” के तर्जुमें के तरीक़े हो सकते है “बहुत ज़्यादा ता'रीफ़” या “इन्तिहाई 'इज़्ज़त देना” या “ता’रीफ़ करना” या “किसी के बारे में ऊँची सोंच ज़ाहिर करना”।
  • कुछ जुमलों में इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों या जुमलों के ज़रिए’ हो सकता है जिन का मतलब, “ऊँची जगह पर रखना” या “ज़्यादा 'इज़्ज़त देना” या “फ़ख्र से कहना”
  • “अपनी बड़ाई मत करो” का तर्जुमा “अपने को बड़ा मत समझ” या “अपने बारे में बुरा न करें ”।
  • “जो अपने आपको बड़ा समझते हैं” इसका तर्जुमा, “जो अपने पर घमण्ड करते हैं” या “जो मग़रूर हैं”

(यह भी देखें:ता'रीफ़, 'ईबादत, जलाल, घमण्ड, घमण्डी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1361, H4984, H5375, H5549, H5927, H7311, H7426, H7682, G1869, G5229, G5251, G5311, G5312

बदरूह, बुरी रूह, नापाक रूह

ता’अर्रुफ़

ये सब अलफ़ाज़ बदरूहों के बारे में हैं जो ख़ुदा के मुखालिफ़ रूहें हैं।

  • ख़ुदा ने फ़रिश्ते की तख़लीक़ अपनी ख़िदमत के लिए की| शैतान ने जब ख़ुदा से मुख़ालिफ़त की तब कुछ फ़रिश्तों ने उसके साथ बग़ावत की और वे जन्नत से बाहर गिरा दिए गए। माना जाता है कि शैतान और बदरूहें ये “गिराए गए फ़रिश्ते” हैं।
  • इन बदरूहों को कभी-कभी “नापाक रूहें” भी कहा गया है। “नापाक” या’नी “ख़राब” या “बुरी” या “गन्दी”
  • शैतान की ख़िदमत में होने की वजह से वे बुरा काम करती हैं। कभी-कभी वे इन्सान में दाख़िल होकर उसे क़ाबू में कर लेती हैं।
  • वे इन्सान से ज़्यादा ताक़तवर होती हैं लेकिन ख़ुदा से ज़्यादा नहीं।

तर्जुमे की सलाह :

  • लफ़्ज़ “बदरूह” का तर्जुमा हो सकता है “बुरी रूह”
  • लफ़्ज़ “नापाक रूह” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़राब रूह” या “ग़लत रूह” या “बुरी रूह”
  • यक़ीनी करें कि इनमें से कोई भी लफ़्ज़ या जुमला जो इसके तर्जुमे में इस्ते’माल हो उस लफ़्ज़ के मतलब एक न हो जो शैतान के लिए काम में लिया जाए।
  • ये भी ख़याल रहे कि लफ़्ज़ “बदरूह” मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसा होगा। (देखें: नामा’लूम लफ़्ज़ का तर्जुमा कैसे करें

(ये भी देखें: बदरूह-से मुब्तिला, शैतान, झूठा मा’बूद, झूठे मा’बूद, फ़रिश्ता, बुराई, पाक)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

बाइबल कहानियों से मिसाल:

  • 26:09 बहुत से लोग जिनमें बदरूहें थी, उन्हें ‘ईसा के पास लाया गया। जब ‘ईसा उन्हें हुक्म देता, तब बदरूहे अक्सर यह चिल्लाते हुए बाहर निकलती थी कि, “तुम ख़ुदा के बेटे हों!”
  • 32:08 बदरूह उस आदमी में से निकलकर सूअरों के अन्दर गई।
  • 47:05 लिहाज़ा: एक दिन जब वह ख़ादिमा चिल्लाने लगी, पौलुस ने मुड़कर उस बदरूह से जो उसमे थी कहा, “मैं तुझे ‘ईसा मसीह के नाम से हुक्म देता हूँ कि उसमें से निकल जा। उसी घड़ी वह वह बदरूह उसमें से निकल गई।
  • 49:02 वह पानी पर चला, तूफान को रोक दिया, बहुत से बीमारों को चंगा किया, बदरूहों को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए काफ़ी हो।

शब्दकोश:

  • Strong's: H2932, H7307, H7451, H7700, G169, G1139, G1140, G1141, G1142, G4190, G4151, G4152, G4189

बदरूहों से मुब्तिला

ता’रीफ़:

एक शख़्स जो बदरूहों या बुरी रूहों से मुब्तिला हैं वह बदरूहों के ताबे’ रहता और बदरूह से ही करता है और सोचता है|

  • अक्सर बदरूह में मुब्तिला इन्सान अपने को या और किसी को नुक़सान पहुँचाता है क्यूँकि बदरूह उससे ऐसा करवाती है|
  • ‘ईसा ने बदरूह में मुब्तिला लोगों को चंगा किया; बदरूहों को हुक्म देकर कि उनमें से निकल जाएं। इसे अक्सर बदरूह निकालना कहा गया है।

तर्जुमे की सलाह:

  • दूसरे तरीक़े से इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “बदरूह के क़ाबू में” या “बदरूह के ज़रिए’ क़ाबू” या “बदरूह का अन्दर रहना”

(इसे देखें: बदरूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 26:09 बहुत से लोग जिनमें बदरूहें थी , उन्हें ‘ईसा के पास लाया गया।
  • 32:02 जब वह झील की दूसरी तरफ पहुँचे तो तुरन्त एक शख़्स जिसमे बदरूह थी, ‘ईसा के पास दौड़कर आया।
  • 32:06 बदरूह में मुब्तिला इन्सान ने ऊँचे लफ़्ज़ से चिल्लाकर कहा “ऐ ‘ईसा सबसे बड़े ख़ुदा के बेटे, मुझे तुझ से क्या काम है? मेहरबानी करके मुझे परेशानी न दे!”
  • 32:09 लोगों ने आकर उसको जिसमें बदरूहें थीं, कपड़े पहने और इत्मिनान से बैठे देखा और एक ‘आम इन्सान की तरह सुलूक करते पाया ।
  • 47:03 हर दिन जब वह (पौलुस और सिलास) दु’आ करने की जगह जाते थे, तो एक ख़ादिमा उनका पीछा करती थी जिसमें बदरूह थी

शब्दकोश:

  • Strong's: G1139

बपतिस्मा देना, बपतिस्मा लिया, बपतिस्मा

ता'अर्रुफ़:

नए 'अहद नामे में "बपतिस्मा देना " और ,"बपतिस्मा" , का मतलब ईमानदार को रूहानी तरह से पानी में नहलाना कि उसके गुनाह से छुटकारा और मसीह के साथ मुत्तफ़िक़ होना।

  • पानी के "बपतिस्में के अलावह किताब-ए-मुक़द्दस ,पाक रूह बपतिस्मे" और आग के बपतिस्में" की भी बात करती है" |
  • " बपतिस्मा" लफ्ज़ कलाम में बड़े दुख के तजुर्बा के लिए भी काम में लिया जाता है |

तर्जुमा की सलाह:

  • मसीही लोग पानी के बपतिस्में के बारे में अलग-अलग ख़याल रखते हैं | तो अच्छा होगा कि इसका तर्जुमा 'अवामी तौर में किया जाए जिसमें पानी के इसते'माल के मुख्तलिफ़ तरीक़े हों |
  • शर्तों के मुताबिक़ "बपतिस्मा" का तर्जुमा पाकीज़गी,उण्डेलना" "डूबाना" "धोना" या रुहानी तरह " से पाक करना" , हो सकता है | मिसाल के तौर पर, पानी से तुम्हें "बपतिस्मा देने का तर्जुमा पानी" में डुबकी, हो सकता है |
  • लफ्ज़ "बपतिस्मा" का तर्जुमा "पाकीज़गी" " डालना, डुबकी " सफ़ाई या, रूहानी " धुलाई, " की शक्ल में किया जा सकता है |
  • जब यह दर्द ज़ाहिर करता है, तो "बपतिस्मा" का तर्जुमा ख़तरनाक तकलीफ़ का वक़्त, या " दुख से आजाद साफ़ हों" |
  • यह भी ख़याल करें कि इस लफ्ज़ का तर्जमा किसी मुक़ामी या क़ौमी ज़बान में कलाम-ए-मुक़द्दस तर्जुमा में किया गया है|

( यह भी देखें: नावाकिफ़ लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखें: युहन्ना बपतिस्मा देने वाला, तौबा करना, पाक रूह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

बाइबल कहानियों से मिसाल:

  • 24:03_ जब उन लोगों ने यूहन्ना का पैगाम सुना, उन्होंने अपने-अपने गुनाहों से तौबा की, और युहन्ना ने उनको बपतिस्मा दिया| बहुत से मज़हबी रहनुमा युहन्ना से बपतिस्मा लेने को आए, लेकिन उन्होंने न तौबा की और न ही अपने गुनाहों का इक़रार किया |
  • {24:06](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/06) अगले दिन,'ईसा युहन्ना के पास उससे __बपतिस्मा __लेने को आया
  • {24:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/24/07) यूहन्ना ने 'ईसा से कहा, मैं इस लायक़ नहीं कि तुझे __बपतिस्मा __ दूँ | मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की ज़रूरत है।”
  • 42:10 इसलिये तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें बाप और बेटा और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो और उन्हें सब बातें जो मैंने तुम्हें हुक्म दिया है मानना सिखाओ "
  • 43:11 पतरस ने उनको जवाब दिया, तौबा करो और तुम में से हर एक 'ईसा मसीह के नाम से__ बपतिस्मा__ ले तो ख़ुदावन्द तुम्हारे गुनाहों को मा'फ़ करेगा
  • 43:12 लगभग 3000 लोगों ने पतरस की बात पर यक़ीन किया और 'ईसा के शागिर्द बन गए| और उन्हें बपतिस्मा दिया गया और वह यरुशलीम की कलीसिया का हिस्सा बन गए|
  • 45:11 फिलिप्पुस और कूश मुल्क का हाकिम रास्ते में चलते चलते वह किसी पानी की जगह पहुँचे| तब कूश के हाकिम ने कहा, "देख" देख यहाँ कुछ पानी है , क्या मैं बपतिस्मा ले सकता हूँ|
  • 46:05 शाऊल फौरन देखने लगा, और हनन्याह ने उसे बपतिस्मा दिया|
  • 49:14 'ईसा तुम्हें उस यक़ीन करने वाले और बपतिस्मा लेने के लिए बुलाता है

शब्दकोश:

  • Strong's: G907

बरकत, मुबारक, बरकत देना

ता'अर्रुफ़:

किसी को “बरकत” देना या किसी शख्स या चीज़ के लिए अच्छी और फ़ायदे मन्द बात होने की तमन्ना करना।

  • किसी को बरकत देने का मतलब उसके लिए सही और फ़ायदे की ख़याल ज़ाहिर करना।
  • किताब-ए- मुक़द्दस के ज़माने में बाप हमेशा अपनी औलाद को ‘आम तौर पर बरकत देते थे।
  • लेकिन आदमी जब ख़ुदावन्द को “मुबारक”कहता है तब इस लफ्ज़ का मतलब है, वह उसकी ता'रीफ़ कर रहे हैं।
  • कभी-कभी “बरकत” लफ्ज़ खाना को खाने से पहले उसे पाक करना भी होता है या ख़ुदावन्द को खाने के लिए मुबारकबाद देना और उसकी ता'रीफ़ करना।

तर्जुमें की सलाह:

  • “बरकत” देने का तर्जुमा“ हलीमी से फ़राहम करना” या “किसी पर ज़्यादा से ज़्यादा रहम और फ़ज़ल ज़ाहिर करना” भी हो सकता है।

“ख़ुदावन्द ने बहुत बरकत दी” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा ने बहुत अच्छी चीज़ें दी” या “ख़ुदा उसे समझ फ़राहम करेगा”।

  • “वह मुबारक है” इसका तर्जुमा हो सकता है, “वह बहुत फ़ायदा उठाएगा” या “वह अच्छी-अच्छी चीज़ें हासिल करेगा” या “ख़ुदावन्द उसे समझ फ़राहम करेगा”।
  • “मुबारक है वह आदमी जो” इसका तर्जुमा हो सकता है, “कितना मुबारक है वह आदमी जो”
  • इज़हार जैसे “मुबारक है ख़ुदा” का तर्जुमा“रब की ता'रीफ़ हो” या “ यहोवा की ता'रीफ़ करो” या “मैं ख़ुदा की ता'रीफ़ करता हूँ”।
  • खाने को बरकत देने के बारे में इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “खाने के लिए ख़ुदा का शुक्र किया” या “खाने के लिए ख़ुदावन्द की ता'रीफ़ की” या “ख़ुदा की ता'रीफ़ करके खाने को पाक किया”।

(यह भी देखें: ता'रीफ़ करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:

  • 01:07 ख़ुदा ने देखा कि यह अच्छा था और उसने उन्हें बरकत दी
  • 01:15 ख़ुदा ने अपनी शक्ल में आदम और हव्वा को बनाया। उस ने उन्हें बरकत दी और उन से कहा, “कई बच्चों और पोतो को पैदा करो और ज़मीन में भर जाओ!”
  • 01:16 इसलिये ख़ुदा जो कुछ कर रहा था उन सब से आराम लिया। उस ने सातवें दिन को बरकत दी और उसे पाक किया क्योंकि इस दिन ख़ुदा ने अपने काम से आराम लिया था।
  • 04:04 "मैं तुम्हारा नाम 'अज़ीम करूँगा। मैं __बरकत __ दूँगा उनको जो तुझे बरकत देगा, और जो तुझे ला’नत करेगा, उसे मैं ला’नत दूँगा। ज़मीन के सभी ख़ानदानों को तेरे वजह से बरकत दी जाएगी। "
  • __ [04:07](rc://ur-deva/tn/help/obs/04/07)__ मलिकसिदक ने अब्राम को बरकत दी और कहा, " ख़ुद मुख्तार ख़ुदावन्द जो आसमान और ज़मीन का मालिक है अब्राम को बरकत दे।"
  • __ [07:03](rc://ur-deva/tn/help/obs/07/03)__ इसहाक़ अपनी __बरकत __ 'ऐसौ को देना चाहता था।
  • __ [08:05](rc://ur-deva/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक कि जेल में, यूसुफ़ ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहा, और ख़ुदा ने उसे बरकत दिया

शब्दकोश:

  • Strong's: H833, H835, H1288, H1289, H1293, G1757, G2127, G2128, G2129, G3106, G3107, G3108, G6050

बर्रा, ख़ुदा का बर्रा

ता’अर्रुफ़:

“मेम्ना” भेड़ का बच्चा। भेड़ चौपाया जानवर होता है जिसके घने ऊन जैसे बाल होते हैं, और ख़ुदा को उसकी क़ुर्बानी पेश की जाती थी। ‏‘‏’ईसा को “ख़ुदा का मेम्ना” कहा जाता था क्योंकि उसे इन्सानों के गुनाहों की क़ीमत चुकानी पड़ी थी

  • इन जानवरों का आसानी से भटक जाना मुमकिन था लिहाज़ा उन्हें हिफ़ाज़त की ज़रूरत थी। ख़ुदा इन्सानों का मुक़ाबला भेड़ों से करता है।
  • ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ इसे क़ुर्बानी पेश करने के लिए भेड़ या मेम्ने को जिस्मानी तौर से बे’ऐब होना था।
  • ‘ईसा को ख़ुदा का मेम्ना कहा गया है, क्योंकि वह इन्सानों के गुनाहों के लिए क़ुर्बानी पेश किया गया था। वह एक कामिल बे’ऐब क़ुर्बानी थी क्योंकि वह गुनाह से आज़ाद था।

तर्जुमे की सलाह:

  • अगर मक़ामी ज़बान में भेड़ जाना हुआ लफ़्ज़ है, तो उसके बच्चे के नाम के इस्ते’माल से तर्जुमा किया जाए जैसे “मेम्ना” या “ख़ुदा का मेम्ना” ।
  • "ख़ुदा का बर्रा" का तर्जुमा "ख़ुदा का (क़ुर्बानी)बर्रा" या "मेम्ना, ख़ुदा के लिए क़ुर्बानी चढ़ाया गया" या " ख़ुदा की ओर से (क़ुर्बानी)मेम्ना" के तौर पर किया जा सकता है।
  • अगर भेड़ अनजान है तो इस लफ़्ज़ का तर्जुमा "एक भेड़ का बच्चा" किया जा सकता है और हाशिये में उस भेड़ का ज़िक्र करें। हाशिए में भेड़ और भेड़ के बच्चों का मुक़ाबला जानवरों से किया जाता है जो झुंडों में रहता है, जो कि डरपोक और बेघर है, और वह अक्सर भटकते हैं।
  • यह भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है।

(देखें: अनजान अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: भेड़, चरवाहा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • __05:07__जब इब्राहीम और इस्हाक़ क़ुर्बानी की जगह की ओर जा रहे थे, इस्हाक़ ने पूछा, " ऐ मेरे बाप, देख, क़ुर्बानी के लिए लकड़ी तो हैं; लेकिन बर्रा कहाँ है?"
  • 11:02 ख़ुदा ने कहा कि, वह इन्सान जो उस पर ईमान करेंगा वह उसके पहलौठे बेटे को बचाएगा। हर ख़ानदान एक कामिल बर्रे की क़ुर्बानी देंगा।
  • 24:06 अगले दिन, ‘ईसा युहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने को आया | जब यूहन्ना ने उसे देखा, तो कहा, “देख ! यह ख़ुदा का बर्रा है, जो दुनिया के गुनाहों को दूर ले जाएगा।”
  • 45:08 वह पढ़ रहा था, “वह भेड़ की तरह हलाक होने को पहुँचाया गया, और जैसा बर्रा अपने ऊन कतरने वालों के सामने चुपचाप रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुँह न खोला।
  • 48:08 जब ख़ुदा ने इब्राहीम से उसके बेटे इस्हाक़ को क़ुर्बानी करने को कहा, तब ख़ुदा ने इस्हाक़ की जगह पर इब्राहीम को क़ुर्बानी ‘अदा करने के लिए एक __बर्रा __ ‘अता किया। हम सब इन्सान अपने गुनाहों की वजह से मौत के लायक़ है। लेकिन ख़ुदा ने ‘ईसा को भेजा, ख़ुदा का बर्रा, कि वह हमारी जगह पर अपने आप को क़ुर्बान करे।
  • 48:09 जब ख़ुदा ने मिस्र पर आख़िरी बीमारी भेजी, उसने हर इस्राईली ख़ानदान से कहा कि वह एक कामिल बर्रे की क़ुर्बानी दे और उसका ख़ून अपने दरवाज़े के ऊपर व चारों ओर उंडेले।

शब्दकोश:

  • Strong's: H7716, G721, G2316

बांधना, बन्धन, बाँधा

ता'अर्रुफ़:

  • “बांधना” या किसी चीज़ को बांधकर रखना या महफ़ूज़ जगह में रखना। बंधी हुई या मिली हुई चीज़ें“बन्धन” में कहलाती हैं। लफ्ज़ “बंधा हुआ” इस लफ़्ज़ का माज़ी है|

  • “बाँधा” होने का मतलब है किसी चीज़ से लिपटा या बाँधा होना।

  • 'अलामती शक्ल में इंसान किस सिफ़त से “बंधा” होता है जिसका मतलब कि उसने जो 'अहद किया है उसे "पूरा करना" उसके लिए ज़रूरी है।

  • “बंधन” में होना या किसी भी बांधने वाली चीज़ या हदों में बंधे होना या किसी को जेल में डालना। इसका हवाला हमेशा ज़ंजीर, बेड़ियों या रस्सी से है जो इन्सान की आज़ादी को रूकावट करती है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में रस्सी या ज़ंजीर बन्दियों को दीवार या पत्थर के फर्श में बांध कर रखने के लिए थी।

  • “बांधना” लफ्ज़ घाव पर पट्टी बांधने के लिए भी काम में लिया जाता था कि घाव भर जाए।

  • मुर्दा को भी कपड़ों में लपेटा जाता था कि दफ़न के लिए तैयार करें।

  • “बन्धन” 'अलामती शक्ल में गुनाह के लिए भी काम में लिया गया है क्योंकि वह आदमी को अपने क़ाबू में कर लेता है या ग़ुलाम बना लेता है।

  • बन्धन दो इंसानों के क़रीबी रिश्ते में भी होता है, जिसमें वह एक दूसरे को दिमाग़ी, रूहानी और जिस्मानी नुक़ते नज़र में ता'उन देते हैं। यह शादी के बन्धन में भी है

  • शौहर-बीवी एक दूसरे से बंधे होते हैं। यह एक ऐसा बन्धन है जिसे ख़ुदा नहीं चाहता कि कभी तोड़ा जाए।

तर्जुमें की सलाह:

  • “बांधना” लफ्ज़ का तर्जुमा “बंधन के मातहत करना” या “मिलकर करना” या “लपेटें”
  • 'अलामती शक्ल में, इसका तर्जुमें"को क़ब्ज़े में करने के लिए" या "रोकने के लिए" या "से (कुछ) को रखने के लिए" हो सकता है।
  • "बांधना" लफ्ज़ का ख़ास इस्ते'माल मत्ती 16 और 18 में "मना' करना" या "इजाज़त नहीं" है।
  • “बन्धनों” लफ्ज़ का तर्जुमा "ज़ंजीरों" या "रस्सियों" या "बंधन" भी हो सकता है।
  • 'अलामत शक्ल से “बन्धन” लफ्ज़ का तर्जुमा "गाँठ" या "ता'ल्लुक़" या "क़रीबी रिश्ता" भी हो सकता है।
  • जुमले "अमन का बंधन" का मतलब है "एक साथ में होना, जो लोग एक-दूसरे के साथ +क़रीबी ता'लुक़ात में लोगों को लाते हैं" या "एक साथ बांधने से अमन मिलता है।"
  • "बांध" का तर्जुमा "चारों तरफ़ लपेटो" या "पर एक पट्टी डाल" कि शक्ल में किया जा सकता है।
  • क़सम के साथ अपने आप को "बांधना" करने के लिए का तर्जुमा "क़सम को पूरा करने का वा'दा" या "क़सम को पूरा करने का वा'दा" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • जुमले के मुताबिक़“बाँधा” का तर्जुमा "बंधे" या "बांध" या "ज़ंजीर" या "पाबन्दी (पूरा करने के लिए)" या "करने की ज़रूरत है" हो सकता है।

(यह भी देखें: पूरा, अमन, जेल, ख़ादिम, क़सम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H247, H481, H519, H615, H631, H632, H640, H1366, H1367, H1379, H2280, H2706, H3256, H3533, H3729, H4147, H4148, H4205, H4562, H5650, H5656, H5659, H6029, H6123, H6616, H6696, H6872, H6887, H7194, H7405, H7573, H7576, H8198, H8244, H8379, G254, G331, G332, G1195, G1196, G1198, G1199, G1210, G1397, G1398, G1401, G1402, G2611, G2615, G3734, G3784, G3814, G4019, G4029, G4385, G4886, G4887, G5265

बारहों, ग्यारहों

ता’अर्रुफ़:

“बारहों” का बयान उन आदमियों से है जिन्हें ‘ईसा ने चुना कि उसके क़रीबी शागिर्द या रसूल हों। यहूदा की ख़ुदकशी के बा’द, वे “ग्यारहों” कहलाते थे।

  • ‘ईसा के बहुत और शागिर्द थे लेकिन “बारहों” यह ‘ओहदा उन्हें इसलिए दिया गया था क्योंकि वह ‘ईसा के बहुत करीब थे।
  • इन बारह शागिर्दों के नाम, मत्ती 10, मरकुस 3, तथा लूका 6 में ज़ेरे फ़हरिस्त हैं।
  • ‘ईसा के आसमान पर उठाये जाने के बा’द इन ग्यारहों ने मत्तिय्याह को यहूदा की जगह में चुन लिया था। तब वे फिर से “बारहों” कहलाए।

तर्जुमे की सलाह:

  • कुछ ज़बानों में इस्म लफ़्ज़ इसमें जोड़ना ज़्यादा साफ़ और ज़्यादा ख़ास होता है, “बारह शागिर्द ” या “’ईसा के ख़ास बारह शागिर्द ”।
  • “ग्यारहों” का तर्जुमा हो सकता है, “’ईसा के बचे ग्यारहशागिर्द ”।
  • कुछ तर्जुमों में पहला हर्फ़ बड़ा काम में लेकर दिखाया जाता है कि यह ‘ओहदे का नाम था जैसे “वे बारह” या “वे ग्यारह”।

(यह भी देखें: रसूल, शागिर्द

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G1427, G1733

बुराई, बदकार, बदकारी

ता'अर्रुफ़:

“बुरा और बदकार” दोनों का हवाला उन बातों से है जो ख़ुदावन्द की ख़ुसूसियात और मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है।

  • “बुरा” लफ्ज़ इन्सान के किरदार का बयान करता है, “बदकार” लफ्ज़ इन्सान के सुलूक का बयान करता है। ताहम, मतलब में दोनों लफ्ज़ बराबर हैं।
  • “बुराई” का मतलब इन्सान के ज़रिए’ किए गए बुरे काम को ज़ाहिर करता हैं।
  • बुराई के नतीजे वाज़ह तौर से दिखाए जाते हैं कि लोग कैसे क़त्ल करते हैं, चोरी करते हैं, बदनाम करते हैं और ज़ालिमाना और बेरहम होते हैं।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ “बुराई” और बदकारी का तर्जुमा “बुरा” या “गुनहगार” या “ग़ैर अख्लाक़ी” हो सकता है।
  • इसका तर्जुमा दोसरी तरह हैं, “अच्छी नहीं” या “रास्त्बाज़ नहीं” या “अख्लाक़ी नहीं”
  • यक़ीन करें कि इनके तर्जुमें के लफ्ज़ और मक़सदी ज़बान में ‘आम हवाले के साथ हों।

(यह भी देखें:नाफ़रमान, गुनाह , अच्छा, रास्तबाज़, बदरूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें :

  • __ [02:04](rc://ur-deva/tn/help/obs/02/04)__ "ख़ुदावन्द इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम ख़ुदा की तरह हो जाओगे और अच्छा और बुरे को समझोगे जैसा वह समझता है।"
  • 03:01 एक लंबे वक़्त के बा'द, बहुत से लोग दुनिया में रह रहे थे। वह बहुत __बदकार __ और तशदुद्द थे।
  • 03:02 लेकिन नूह ने ख़ुदावन्द से फ़ज़ल पाया। वह बदकार लोगों के बीच रहने वाला एक रास्तबाज़ शख्स था।
  • 04:02 ख़ुदावन्द ने देखा कि अगर वह सभी एक साथ मिलकर बुराई करते हैं, तो वह और भी ज़्यादा गुनाह करेंगे।
  • 08:12 "आपने ग़ुलाम कि शक्ल में मुझे बेचकर तुमने बुराई करने की कोशिश की, लेकिन ख़ुदा ने भलाई के लिए अच्छा इस्ते'माल किया!"
  • 14:02 वह (कना'नी) ने झूठे मा'बूदों की पूजा की और कई __ बुरे__ काम किए।
  • 17:01 लेकिन फिर वह (शाऊल) एक __बदकार __ शख्स बन गया, जिसने ख़ुदा का हुक्म नहीं माना , इसलिए ख़ुदा ने एक अलग शख्स को चुना जो एक दिन उसके जगह पर बादशाह बनेगा।
  • 18:11 इस्राईलियों के नए रियासत में, सभी बादशाह बुरे थे
  • 29:08 बादशाह इतना ग़ुस्से में था कि उसने __बदकार __ ग़ुलाम को जेल में फेंक दिया जब तक कि वह उसके सारे क़र्ज़ को अदा न कर दे।
  • 45:02 उन्होंने कहा, "हमने सुना है वह(स्तिफनुस) मूसा और ख़ुदा के बारे में __ बुरी__ बातें कहता है!"
  • 50:17 वह ('ईसा ) हर आंसू को मिटा देगा उसके बा'द कोई दर्द , दुःख, रोने, बुराई, दर्द या मौत नहीं होगी।

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H605, H1100, H1681, H1942, H2154, H2162, H2617, H3415, H4209, H4849, H5753, H5766, H5767, H5999, H6001, H6090, H7451, H7455, H7489, H7561, H7562, H7563, H7564, G92, G113, G459, G932, G987, G988, G1426, G2549, G2551, G2554, G2555, G2556, G2557, G2559, G2560, G2635, G2636, G4151, G4189, G4190, G4191, G5337

बुलाना ,पुकारा ,पुकारना ,कहलाता

ता’रीफ़:

बुलाना’’ और “पुकारना” के हक़ीक़ी मा’ने हैं ,किसी दूर खड़े इन्सान को ऊँचे लफ़्ज़ों में कुछ कहना | "पुकारना "के मा'ने किसी ख़ास को बुलाना | इसके बहुत से तम्सीली मा’ने हैं

  • “पुकारना “मतलब दूर खड़े किसी आदमी से ऊंचे लफ़्ज़ों में कुछ कहना | इसके मा’ने मदद माँगना भी होता है ख़ास कर ख़ुदा से |
  • किताब-ए-मुक़द्दस में “बुलाना “के मा’नी हैं” तलब करना “या आने का हुक्म या “आने की गुज़ारिश |
  • ख़ुदा इन्सानों को बुलाता है कि उसके पास आयें और उसके लोग हों यह उनकी बुलाहट है |
  • बुलाया “ लफ़्ज़ का किताब-ए-मुक़द्दस में मा’नी है ,ख़ुदा ने इन्सानों को मुक़र्रर किया या चुन लिया कि उसकी औलाद हों ,उसके ख़ादिम हों और ‘ईसा के ज़रिए’नजात की ख़बर के बताने वाले हों
  • इस लफ़्ज़ को किसी का नाम देने के मज़मून में भी काम में लिया जाता है | मिसाल के तौर पर “वह यूहन्ना कहलाया “जैसे कि “उस का नाम यूहन्ना रखा गया “या उसका नाम यूहन्ना हुआ “|
  • नाम से पुकारा जाना “ मतलब किसी को किसी और का नाम दिया जाना | ख़ुदा कहता है कि उसने अपने लोगों को अपने नाम से बुलाया है |
  • एक अलग कलाम “मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है “|ख़ुदा उस ख़ास इन्सान का नाम ख़ुद से जानता है और उसे ख़ास करके चुन लिया है |

तर्जुमे की सलाह:

  • “बुलाना “का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ों में किया जाये जिनके मा’नी “तलब करना “हो जिसमे बुलाहट की मर्ज़ी और मक़सद शामिल हों |
  • “तुझे पुकारता हूँ “इसका तर्जुमा हो सकता है “तुमसे मदद माँगता हूँ “या तुझसे शिद्दत से मिन्नत करता हूँ “|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में लिखा है कि ख़ुदा ने हमें बुलाया कि इसकी ख़िदमत करे तो इसका तर्जुमा किया जा सकता है ,उसके ख़ादिम होने के लिए “हमें ख़ास करके चुना”या “हमें मुक़र्रर किया”
  • ”उसका नाम पुकारा “इसका तर्जुमा हो सकता है “उसको नाम देना “
  • “उसका नाम पुकारा “इसका तर्जुमा हो सकता है “उसका नाम है “या उसको नाम दिया गया है |
  • पुकारना “इसका तर्जुमा हो सकता है ,”ऊंचे लफ़्ज़ में कहना “या चिल्लाने “ऊँची आवाज़ में कहना “ लेकिन ध्यान रखें कि इसके तर्जुमे में अल्फ़ाज़ों में ग़ुस्से का निशान ज़ाहिर न हो |
  • तुम्हारी बुलाहट “इसका तर्जुमा हो सकता है “तुम्हारा मक़सद “या तुम्हारे लिए ख़ुदा का मक़सद या “तुम्हारे लिए ख़ुदा का अहम काम “
  • ख़ुदावन्द का नाम पुकारना “इसका तर्जुमा किया जा सकता है ,”ख़ुदावन्द की तलाश करो और उस पर भरोसा रखो “या ख़ुदा में यक़ीन करके उसके हुक्म मानो |
  • किसी बात के लिए “पुकार करना “इसका तर्जुमा हो सकता है “मांग करना “या तलब करना “या “हुक्म देना “
  • तुम मेरे नाम से बुलाये गये हो “इसका तर्जुमा हो सकता है “मैंने तुम्हें अपना नाम दिया है कि दिखाऊँ तुम मेरे हो “|
  • “जब ख़ुदा कहता है “मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है “तो इसका तर्जुमा हो सकता है ,”मै तेरा नाम जानता हूँ और तुझे चुन लिया है “|

(यह भी देखें: दुआ करना )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

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शब्दकोश:

  • Strong's: H559, H2199, H4744, H6817, H7121, H7123, G154, G363, G1458, G1528, G1941, G1951, G2028, G2046, G2564, G2821, G2822, G2840, G2919, G3004, G3106, G3333, G3343, G3603, G3686, G3687, G4316, G4341, G4377, G4779, G4867, G5455, G5537, G5581

बे क़ुसूर

ता'अर्रुफ़:

“बे क़ुसूर लफ्ज़” का ज़बानी मतलब है, “बिना किसी इलज़ाम के”। यह उस आदमी के बारे में काम में लिया जाता है जो पूरे दिल से ख़ुदावन्द का हुक्म मानता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह मा'सूम हैं।

  • इब्राहीम और नूह ख़ुदावन्द की नज़र में में बे 'इल्ज़ाम थे।
  • जिस आदमी को "मा'सूम " माना जाता है, वह ख़ुदावन्द को 'इज्ज़त देनेवाला सुलुक रखता है।
  • एक कलाम की आयत के मुताबिक़ मा'सूम आदमी “ख़ुदा का डर मानता है और गुनाह से दूर रहता है”।

तर्जुमा की सलाह:

  • इसका तर्जुमा इस तरह भी हो सकता है “जिसके किरदार में कोई कमी न हो” या "पूरी तरह से ख़ुदावन्द का फ़र्माबरदार है” या “गुनाह से दूर रहना” या “बुराई से दूर रहना है”

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H5352, H5355, G273, G274, G298, G338, G410, G423

बे-ईमान, धोखा

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “बे-ईमान” का मतलब ईमान से अलग या ईमान न करना।

  • इस लफ़्ज़ के ज़रिए’ उन लोगों का ज़िक्र किया गया है जो ख़ुदा में ईमान नहीं करते। उनके ईमान में कमी ग़ैर इख़लाक़ी तरीक़े से देखी जाती है।
  • यरमियाह नबी ने इस्राईल पर यक़ीन किया कि वह ख़ुदा के के लिए बे-ईमान और नाफ़रमान है।
  • उन्होंने बुतों की ‘इबादत की और उन लोगों के और शर्मनाक रिवाजों पर ‘अमल किया जिन्होंने ख़ुदा की ‘इबादत या फरमाबरदारी नहीं की

तर्जुमे की सलाह

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “बे-ईमान” लफ़्ज़ का तर्जुमा “बे-ईमान” या “ईमान न करना” या “ख़ुदा के नाफ़रमान” या “ईमान न करना” किया जा सकता है।
  • “बे-ईमानी” का लफ़्ज़ का तर्जुमा “यक़ीन न करना” या “बे-ईमानी” या “ख़ुदा से बग़ावत” किया जा सकता है।

(यह भी देखें: नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: ईमान नहीं करने वाले, वफ़ादार, नाफ़रमानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G571

बेक़ुसूर

ता’अर्रुफ़:

“बेक़ुसूर” लफ़्ज़ का मतलब है, जुर्म या ग़लत काम का क़ुसूरवार न होना। इसके बारे में 'आम तौर पर उन लोगों से है जो बुरे कामों में नहीं हैं।

  • किसी शख़्स पर ग़लत काम का इल्ज़ाम लगाया गया और उसने वह काम नहीं किया तो वह बेक़ुसूर है।
  • कभी-कभी “बेक़ुसूर” लफ़्ज़ का इस्ते'माल उन लोगों के लिए किया जाता है जो किसी बुरे काम को नहीं करने के 'अलावह भी सज़ावार किए जाते हैं, जैसे दुश्मन की फ़ौज “बेक़ुसूरों” पर हमला करती है।

तर्जुमा की सलाह:

  • ज़्यादातर जुमलों में “बेक़ुसूर” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है: "क़ुसूरवार नहीं " या "इल्ज़ाम नहीं" या "मुजरिम नहीं"
  • जब 'आमतौर पर बेक़ुसूर लोगों के बारे में हो तो इसका तर्जुमा होगा, “जिन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया” या “जो बुराई में हिस्सेदार नहीं हैं”।
  • एक जुमला बार-बार काम में लिया जाता है, “ बेक़ुसूर का ख़ून” इसका तर्जुमा हो सकता है, “लोग जिन्होंने ग़लत काम नहीं किया कि उन्हें मार डाला गया”
  • “बेक़ुसूर का ख़ून”बहाना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “ बेक़ुसरों का क़त्ल” उन लोगों का क़त्ल करना जिन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया”
  • किसी का क़त्ल करने के बारे में “के ख़ून से बेक़ुसूर” का तर्जुमा किया जा सकता है, “क़त्ल का मुजरिम नहीं”।
  • ‘ईसा की ख़ुशख़बरी को क़ुबूल नहीं करने वालों के बारे में तर्जुमा होगा, “के ख़ून से बेक़ुसूर” का तर्जुमा होगा, “रूहानी शक्ल से मुर्दा हों या नहीं, वह उसके ज़िम्मेदार नहीं हैं” या “इस 'एलान को क़ुबूल करें या न करें, वह ज़िम्मेदार नहीं”।
  • जब यहूदा ने कहा, “मैंने एक बेगुनाह शख़्स को क़त्ल करवाया है” तो उसके कहने का मतलब है, "मैंने एक ऐसे आदमी के साथ धोकेबाज़ी की जिसने कोई जुर्म नहीं किया है" या "मैंने एक बेगुनाह शख़्स को मौत के मुंह में धकेल दिया।
  • पिलातुस ने 'ईसा के बारे में कहा, “मैं इस रास्तबाज़ के ख़ून से बेक़ुसूर हूं” इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “मैं इस आदमी के क़त्ल का ज़िम्मेदार नहीं जिसने मौत के लायक़ कोई काम नहीं किया है।”

(यह भी देखें: क़ुसूर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 08:06 दो साल बा'द भी, __बेक़ुसूर __ होने के बावजूद यूसुफ़ क़ैदखाने में था।
  • 40:04 उनमें से एक जब 'ईसा का ठट्ठा उड़ा रहा था तो ,दूसरे ने कहा कि, “क्या तू ख़ुदावन्द से नहीं डरता? हम मुजरिम है पर ,यह तो बेगुनाह है।”
  • 40:08 तब सिपाही जो 'ईसा का पहरा दे रहे थे, वह सब कुछ जो हुआ था उसे देखकर कहा कि, “यह आदमी __रास्तबाज़ __ था। सचमुच यह ख़ुदावन्द का बेटा था।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H2136, H2600, H2643, H5352, H5355, H5356, G121

बेख़मीरी रोटी

ता’अर्रुफ़:

“बेख़मीरी रोटी” बेख़मीरी या'नी खट्टा करने वाले पदार्थ के बिग़ैर रोटी। यह रोटी पतली होती है क्यूँकि उसे फूलने के लिए उसमें ख़मीर नहीं होता है।

  • जब ख़ुदा ने इस्राईलियेां को मिस्र की ग़ुलामी से छुड़ाया था तब कहा था कि आटे को ख़मीर होने की 'अहद किए बिना वह फ़ौरन वहाँ से निकलें। लिहाज़ा उन्होंने खाने में बेख़मीरी रोटी खाई थी। तब से उनके सालाना 'ईद में बेख़मीरी रोटी का इस्ते'माल किया जाता था कि उन्हें उस वक़्त को याद करवाए।
  • कभी-कभी ख़मीर गुनाह की मु'आफ़ी भी कहा गया है,लिहाज़ा बेख़मीरी रोटी लोगों की ज़िन्दगी से गुनाह से छुटकारे को बताती है , या'नी ख़ुदा को 'इज़्ज़त देनेवाली ज़िन्दगी ।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमा में कई शक्लें हो सकती हैं, “बिना ख़मीर की रोटी” या “बिना फूली रोटी."
  • वाज़ेह करें कि इसका तर्जुमा आपके ज़रिए' “ख़मीर” के तर्जुमा से अलग हो।
  • कुछ जुमलों में “बेख़मीरी रोटी” का तर्जुमा “बेख़मीरी रोटी की 'ईद” से है और इसका तर्जुमा वैसे ही किया जाए।

(यह भी देखें: रोटी, मिस्र, जशन, ‘ईद, ख़ादिम, ख़ादिम, ख़मीर)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4682, G106

बेटे, बेटों

ता’अर्रुफ़:

एक आदमी और एक 'औरत का बेटा उसके पूरी ज़िन्दगी के लिए उनका "बेटा" कहलाता है उसे उस आदमी का बेटा और उस 'औरत का एक बेटा भी कहा जाता है एक "गोद लिया बेटा" एक आदमी है जिसे क़ानूनी शक्ल से एक बेटे के'उहदे में रखा गया है।।

  • कलाम में “बेटा” लफ़्ज़ हमेशा 'अलामती शक्ल में किसी भी शख़्स की औलाद के बारे में इस्ते'माल किया गया है। जैसे पोता या परपोता
  • “बेटा” लफ़्ज़ को जुमले में किसी लड़के या आदमी से कम उम्र के शख़्स के लिए इस्ते'माल किया जा सकता है।
  • “नए 'अहद नामे में ख़ुदा के बेटे” मसीह के ईमानदारों के बारे में इस्ते'माल किया गया है।
  • ख़ुदा ने इस्राईल को अपना "पहलौठ बेटा" कहा। यह इस्राईल मुल्क को ख़ुदा के ज़रिए' ख़ास लोगों की शक्ल में चुनने के बारे में है। यह उनके ज़रिए' ख़ुदा की नजात या नजात का पैग़ाम आया, जिसके नातीजे के साथ कि दूसरे लोग उसकी रूहानी औलाद बन गए।
  • “का बेटा” का रूहानी शक्ल में हमेशा एक मतलब होता है कि “ शख़्स में किसी की ख़ासियत” हैं। इसकी मिसाल है, “रोशनी की औलाद”, “फ़रमाबरदारी की औलाद ”, “ अमन का बेटा” “गर्ज के बेटे”।
  • "बेटा" इस जुमले का इस्ते'माल हमेशा यह ज़ाहिर करने के लिए भी किया जाता है कि मा'लूम हो की इस शख़्स का बाप कौन है। यह अलफ़ाज़ 'औलादों और कई मक़ामों में भी काम में लिए गए हैं ।
  • बाप का नाम रोशन करने के लिए” “का बेटा” ज़्यादातर एक ही नाम के लोगों को एक दूसरे से अलग बयान करने के लिए काम में लिया जाता है। मिसालके तौर पर , सदूक का बेटा अजरियाह” और “नातन का बेटा अजरियाह -1 बादशाह 4 और 2 बादशाह 15 में “अमसियाह का बेटा अजरियाह ।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के बारे में ज़्यादातर 'अलामती ज़बान के उसी लफ़्ज़ को काम में लिया जाए जो “बेटा” के लिए काम आता है।
  • “ ख़ुदा का बेटा” जुमले का तर्जुमे में “बेटा” के लिए जिस लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'आमतौर पर किया जाता है, उसी का इस्ते'माल करें।
  • जब “बेटा” की जगह में किसी औलाद को ज़ाहिर किया जाता है तब “औलाद” लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया जाए जैसे 'ईसा को दाऊद की औलाद कहा जाता था। या औलादों में भी जहां “बेटा” लफ़्ज़ किसी औलाद का इन्कार कराता है।
  • कभी-कभी “बेटों” का तर्जुमा “औलाद ” किया जा सकता है, जब मर्द-’औरत दोनों को एह साथ ज़िक्र किया जा रहा हो। मिसाल के तौर पर “ख़ुदा का बेटा” का तर्जुम, “ख़ुदा की औलाद” किया जा सकता है क्यूँकि इसमें मर्द-’औरत दोनों को एक साथ ज़िक्र किया जा है।
  • ‘अलामती शक्ल में, “का बेटा” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “जिसमें ख़ासियत हैं” या “की शक्ल ” या “में ख़ासियत हैं” या “की तरह सुलूक है”

(यह भी देखें: अजरियाह, औलाद, बुजुर्गों, पहलौठा, ख़ुदा का बेटा, ख़ुदा का बेटा।)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 04:08 ख़ुदावन्द ने अब्राम से 'अहद के साथ फिर से बात की कि उसे एक बेटा होगा और आसमान में तारे की तरह में कई नसल होंगी ।
  • 04:09 ख़ुदावन्द ने कहा, "मैं तुमको तुम्हारे शरीर से एक बेटा दूँगा।"
  • 05:05 तक़रीबन एक साल बा'द, जब इब्राहीम 100 साल का था और सारा 90 की , सारा ने इब्राहीम के बेटे को जन्म दिया।
  • __05:08__जब वह क़ुर्बानी की जगह पर पहुंच गए, तो इब्राहीम ने अपने बेटे इस्हाक़ को बांध दिया और उसे क़ुर्बानगाह पर रख दिया। वह अपने बेटे को मारने ही पर था, जब ख़ुदावन्द ने कहा, "रुको! लड़के को चोट न पहुंचा! अब मुझे मा'लूम है कि तुम मुझ से डरते हो क्यूँकि तुमने मुझसे अपने बेटे को भी न रख छोड़ा।"
  • __09:07__जब उसने बच्चे को देखा, उसने अपने बेटे के गोद में ले लिया।
  • 11:06 ख़ुदावन्द ने मिस्र के सब पहलौठे बेटों को मार डाला।
  • __18:01__कई सालों के बा'द, दाऊद की मौत हो गई, और उसके __बेटा __ सुलैमान ने शासन शुरू किया।
  • 26:04"क्या यह यूसुफ़ बेटा है ?‚" उन्होंने कहा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H1060, H1121, H1123, H1248, H3173, H3206, H3211, H4497, H5209, H5220, G3816, G5043, G5207

बेवक़ूफ़, बेवक़ूफ़ लोग, बेवक़ूफ़ी, हिमाक़त

ता’अर्रुफ़:

“बेवक़ूफ़” या’नी ग़लत फ़ैसला करनेवाला ख़ास करके नाफ़रमानी का फ़ैसला करनेवाला। लफ़्ज़ “बेवक़ूफ़” लफ़्ज़ बे-‘अक़्ल इन्सान या सुलूक का ज़िक्र करता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस, में पागल/बेवक़ूफ़ लफ़्ज़ उस इन्सान के लिए काम में लिया गया है जो ख़ुदा को नहीं मानता था या उसके हुक्म नहीं मानता है इसका मुख़तलिफ़ मुक़ाबला अमूमन उस इन्सान से किया गया है जो ख़ुदा में ईमान करता है और उसके हुक्मों की फरमाबरदारी करता है।
  • ज़ुबूर में दाऊद बेवक़ूफ़ को ऐसा इन्सान कहता है जो ख़ुदा में ईमान नहीं करता या उसके हुक्मों को नहीं मानता है। वह क़ायनात में ख़ुदा के पहचान के सब सुबूतों को अनदेखा करता है।
  • पुराने ‘अहदनामे की किताब अम्साल में भी बेवक़ूफ़ या बे-‘अक़्ल का किरदार बयान किया गया है।
  • लफ़्ज़“बेवक़ूफ़ी” उस काम के बारे में बताता है जो बेवक़ूफ़ का है क्योंकि वह काम ख़ुदा की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ है। अक्सर “बेवक़ूफ़ी” का मतलब बेतुका या खतरनाक भी होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • लफ़्ज़ “बेवक़ूफ़ी” का तर्जुमा “बेवक़ूफ़ इन्सान” या “‘ बे-अक़्ल इंसान” या “कुंद ज़हन इन्सान” या “पागल इन्सान” किया जा सकता है।
  • “बेवक़ूफ़” के तर्जुमा के तरीक़े हैं, “समझ में कम” या “बे-‘अक़्ल” या “कुंद ज़हन”।

(यह भी देखें: ‘अक़्लमन्द)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H191, H196, H200, H1198, H1984, H2973, H3684, H3687, H3688, H3689, H3690, H5034, H5036, H5039, H5528, H5529, H5530, H5531, H6612, H8417, H8602, H8604, G453, G454, G781, G801, G877, G878, G3471, G3472, G3473, G3474, G3912

भाई, भाइयों

ता'अर्रुफ़:

“भाई” लफ़्ज़ हमेशा उस मर्द के बारे में होता है जिसके माँ/बाप किसी और के भी माँ/बाप हों ।

  • पुराने 'अहद नामें में “भाइयों” लफ़्ज़ रिश्ते के लिए एक 'आम लफ़्ज़ था जैसे एक ही क़बीला, ख़ानदान या क़ौम के अफ़राद ।
  • नये 'अहद नामें में रसूल 'आम तौर पर ईमानदारों को भाई कहते थे, 'औरत-मर्द दोनों को क्योंकि मसीह में सब ईमानदार एक ही रूहानी ख़ानदान के फ़र्द माने जाते थे जिनका आसमानी बाप ख़ुदा है।
  • कभी-कभी रसूलों ने ईमानदार 'औरतों के लिए भी बहन लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया या कि मर्द और 'औरत दोनों को मुख़ातिब किया जा रहा है। मिसाल के तौर पर, या'क़ूब ज़ोर देकर सभी ईमानदारों के बारे में बात कर रहा है, जब वह "एक भाई या बहन को खाना या कपड़ों की ज़रूरत है" कहता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • अच्छा तो होगा कि इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान के उस लफ्ज़ से किया जाए जो सगे भाई लफ्ज़ से किया जाए जब तक कि इसका मतलब गलत न समझा जाए।
  • पुराने 'अहद नामें में खास करके “भाइयों” लफ्ज़ 'आम तौर पर एक ही ख़ानदान या एक ही क़बीला या एक ही क़ौम के अफ़राद के लिए काम में लिया गया है इसका मुमकिन तर्जुमा हो सकता है “ख़ानदान” या “क़बीले” या “इस्राईली भाई।”
  • मसीह में साथी-ईमानदार के लिए इसका तर्जुमा हो सकता है “मसीही भाई” या “रूहानी भाई”।
  • अगर 'औरत मर्द दोनों की बात की जा रही है और भाई लफ़्ज़ का मतलब गलत समझा जा सकता है तो रिश्तों के 'आम तौर पर लफ्ज़ का इस्ते'माल किया जाए जिसमें 'औरत मर्द दोनों हों।
  • 'औरत-मर्द ईमानदारों के लिए काम में आनेवाला तर्जुमा लफ्ज़ हो सकता है, “ईमानदारों के साथी” या “मसीही भाई-बहन”।
  • जुमले पर ग़ौर दें कि सिर्फ़ मर्दों को मुख़ातिब किया गया है या 'औरत - मर्द दोनों को।

(यह भी देखें:रसूल , ख़ुदा बाप, बहन, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H251, H252, H264, H1730, H2992, H2993, H2994, H7453, G80, G81, G2385, G2455, G2500, G4613, G5360, G5569

मन्नत, मन्नतें, क़सम खाई

ता’अर्रुफ़:

मन्नत एक क़सम है जो इन्सान ख़ुदा के सामने करता है। इन्सान ख़ुदा के ख़ास अदब में या उसके लिए दीनदारी के लिए कुछ करने का ‘अहद करता है।

  • मन्नत मानने के बाद इन्सान उसे पूरा करने के लिए मजबूर हो जाता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के मुताबिक़ इन्सान मन्नत पूरी न कर पाए तो ख़ुदा से सज़ा पाता है।
  • कभी-कभी इन्सान मन्नत मानता है कि ख़ुदा उसकी हिफ़ाज़त करे उसकी ख़बर ले तो वह कोई एक काम ख़ुदा के लिए करेगा।
  • लेकिन ज़रूरी नहीं कि ख़ुदा उसकी मांग को पूरा करे।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ , “मन्नत” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक’अहद ” या “ख़ुदा से किया गया वा’दा ”।
  • मन्नत एक ख़ास तरह की क़सम है जो ख़ुदा को दी जाती है।

(यह भी देखें: ‘अहद, क़सम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5087, H5088, G2171

मन्ना

ता’अर्रुफ़:

मन्ना सफ़ेद रंग का एक तरह का अनाज था जिसका इन्तिज़ाम ख़ुदा ने इस्राईलियों के लिए किया था जब वह मिस्र से निकल करके 40 साल जंगल में थे।

  • मन्ना सफ़ेद रंग का रूई जैसा सामान था जो बराबर रोज़ाना सुबह के वक़्त ओस में पाया जाता था। यह खाने में शहद की तरह मीठा होता है,।
  • सबत के बर'अक्स इस्राई ली रोज़ाना मन्ना जमा' करते थे।
  • सबत के एक दिन पहले ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ इस्राईलियों को दोगुणा मन्ना जमा' करना होता था कि सबत के दिन उन्हें मेहनत न करना पड़े।
  • “मन्ना” लफ़्ज़ का मतलब है, “यह क्या है?”
  • कलाम में मन्ना को “आसमानी रोटी” या “आसमानी अनाज” कहा गया है।

तर्जुमा की सलाह:

  • इसका तर्जुमा इस तरह किया जा सकता है, “ सफ़ेद रूई जैसा सामान” या “आसमानी खाना”।
  • यह भी याद रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है। (देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: रोटी, रेगिस्तान, अनाज, आसमान, सबत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4478, G3131

मसह करना, मसह किया हुआ , मसह

ता’अर्रुफ़:

“मसह करना” लफ्ज़ का मतलब है, किसी आदमी या चीज़ पर तेल उण्डेलना। कभी-कभी तेल में मसाले मिलाए जाते थे कि उसमें से ख़ुशबू हो। यह लफ्ज़ पाक रूह के लिए ख़ास तौर से भी काम में लिया गया है जब वह किसी को चुनकर क़ूव्वत 'अता करता है।

पुराने 'अहद नामे में काहिनों, बादशाहों और नबियों को तेल से मसह किया जाता था कि उन्हें ख़ुदा के लिए एक ख़ास ख़िदमत के लिए अलग किया जाए।

  • क़ुर्बानगाह और ख़ेम-ए-इन्तिमा' का भी तेल से मसह किया जाता था ताकि ज़ाहिर हो कि वे ख़ुदा की ता'रीफ़ और इबादत के काम लेने के लिए थी।
  • नये अहद नामे में बीमारों की शिफ़ा के लिए तेल से मसह किया जाता था।
  • नये अहद नामे में दो बार किसी औरत ने 'इबादत के लिए ईसा का ख़ुशबूदार तेल से मसह किया था। एक बार ईसा ने कहा कि ऐसा करके वह 'औरत उसे मुस्तक़बिल में दफ़नाने के लिए तैयार कर रही है।
  • ईसा की मौत के बा'द उसके साथियों ने उसकी लाश को दफन के लिए तेल और ख़ुशबूदार तेल से मसह करके तैयार किया था।
  • “मसीह” (इब्रानी ज़बान) और “ख्रीस्त” (यूनानी ज़बान) का मतलब है, “मसह (एक)”।
  • मसीह ईसा एक ऐसा आदमी था जिसे चुना गया था और नबी, सरदार काहिन और बादशाह की तरह उसका मसह किया गया था।

तर्जुमा की सलाह :

  • जुमलों के मुताबिक़ “मसह ” का तर्जुमा “ऊपर तेल डालना” या “तेल डालना” या “ख़ुशबूदार तेल डालकर मसह करना” हो सकता है।
  • “मसह होना” का तर्जुमा “तेल से मसह होना” या “मुक़र्रर होना” या “मसह किया होना” किया जा सकता है।
  • कुछ जुमलों में “मसह ” का तर्जुमा “चुना” हो सकता है।
  • “मसह किया हुआ काहिन” का तर्जुमा “काहिन जिसका मसह तेल से किया गया है” या “काहिन जो तेल डाल कर अलग किया गया” हो सकता है।

(यह भी देखें: मसीह, मसह करना, सरदार काहिन , यहूदियों का बादशाह, काहिन, नबी )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H47, H430, H1101, H1878, H3323, H4397, H4398, H4473, H4886, H4888, H4899, H5480, H8136, G32, G218, G743, G1472, G2025, G3462, G5545, G5548

मसीह ,मसीहा

सच्चाई:

“मसीह” या “खिरिस्त”का मा’नी है ,”मसह पाए -लोग” और ख़ुदा के बेटे ‘ईसा के बारे में

  • ”मसीह” या “क्राइस्ट”दोनो लफ़्ज़ नए ‘अहद नामे में ख़ुदा के बेटे के बारे में हैं जिसे ख़ुदा बाप ने अपने लोगों पर बादशाहत करने और गुनाह व मौत से उनको नजात देने के लिए मसह किया है |
  • पुराने ‘अहद नामे में नबियों ने ज़मीन पर मसीह के आने से सैकड़ों साल पहले इसकी नबूव्वतत की थी |
  • पुराने ‘अहद नामे में “मसह पाए (लोग)”आने वाले मसीह के बारे में कहा गया है |
  • ’ईसा ने इन नबूव्वतों में से कई को पूरा किया और कई मो’जिज़े किये जो साबित करता है कि वह मसीहा” है और बाक़ी बची हुई नबूव्वतें ‘ईसा के वापस आने पर पूरी होंगी |
  • "मसीह" लफ़्ज़ को अक्सर "मसीह" और “मसीह ‘ईसा “के लक़ब की शक्ल में इस्ते’माल किया जाता है |
  • "मसीह" भी उसके नाम की शक्ल में "’ईसा मसीह" की शक्ल में इस्ते’माल किया गया ।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा इसके मा’नी के साथ किया जा सकता है ,”मसह पाए लोग”या “ख़ुदा का मसह पाए नजात देने वाले |
  • बहुत सी ज़बानों में इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा किया गया है जो “क्राईस्ट “या “मसीह” जैसे दिखते या सुनाई देते हैं |(देखें:अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें )
  • तर्जुमा शुदह लफ़्ज़ की शक्ल में लफ़्ज़ की ता’रीफ़ के ज़रिये’ जाना किया जा सकता है ,”मसीह” मसह किया एक “|
  • किताब-ए-मुक़द्दस में इसका तर्जुमा बा उसूल बनाये रखें ताकि इसे वाज़े’ किया जा सके कि एक ही लफ़्ज़ का इस्ते’माल किया जा रहा है|
  • वाज़ेह करें कि “मसीहा” और “मसीह” के तर्जुमें के बारे में अच्छी तरह से काम करते है जहाँ आयत एक ही कलाम में होते हैं |(जैसे यूहन्ना ,1-41)|

(यह भी देखें :नामों का तर्जुमा कैसे करें )

(यह भी देखें: ख़ुदा का बेटा ,दाऊद , ‘ईसा ,मसह करना

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 17:07 मसीह ख़ुदा का चुना हुआ है जो दुनिया को गुनाह से छुड़ाएगा।
  • 17:08 लेकिन हक़ीक़त में, मसीह के आने से पहले इस्राईलियों को एक लम्बे वक़्त तक इंतजार करना पड़ा, लगभग 1,000 साल तक।
  • 21:01 शुरू’ से ही, ख़ुदा ने मसीह को भेजने का मन्सूबा बनाया था।
  • 21:04 ख़ुदा ने राजा दाऊद से वा’दा किया है कि मसीह दाऊद की अपनी नसल में से एक होगा।
  • 21:05 मसीह __ नए ‘अहद की शुरूआत करेगा।
  • 21:06 ख़ुदा के नबियों ने यह भी कहा कि, मसीह एक नबी भी होगा, एक आलिम भी और एक बादशाह भी होगा।
  • 21:09 यशायाह नबी ने नबूव्वत की थी , कि एक कुँवारी से मसीह पैदा होगा।
  • 43:07 "लेकिन ख़ुदा ने उस नबूव्वत को पूरा करने के लिए फिर से जिंदा उठाया जो कहता है, 'आप कब्र में अपने __ पाक लोगों__ को सड़ने नहीं देगा।'"
  • 43:09 "लेकिन ख़ुदा ने उसे ख़ुदावन्द भी ठहराया और मसीह भी!"
  • 43:11 पतरस ने उन्हें जवाब दिया, "आप में से हर एक को तोबा करना चाहिए और ‘ईसा _ मसीह_ के नाम पर बपतिस्मा लेना चाहिए ताकि ख़ुदा आपके गुनाह को माफ़ करे।"
  • 46:06 शाउल यहूदियों से बहस करता था, और इस बात का सुबूत देता था कि ‘ईसा ही मसीह है।

शब्दकोश:

  • Strong's: H4899, G3323, G5547

मसीह का मुख़ालिफ़, मसीह के मुख़ालिफ़

ता’अर्रुफ़:

“मसीह का मुख़ालिफ़” लफ्ज़ के बारे में उस इन्सान या ता'लीम से है जो मसीह ईसा और उसके काम के ख़िलाफ़ है। दुनिया में बहुत मसीह के मुख़ालिफ़ हैं।

  • रसूल यूहन्ना लिखता है कि अगर कोई यह ता'लीम देकर इन्सानों को रास्ते से गुमराह करे कि 'ईसा मसीह नहीं है या इन्कार करे कि ईसा ख़ुदा नहीं और इन्सान भी नहीं है , तो वह मसीह का मुख़ालिफ़ है।
  • कलाम की ता'लीम के मुताबिक़ दुनिया में मसीह के मुख़ालिफ़ की रूह है जो ईसा के काम की मुख़ालिफ़त करती है।
  • नये ‘अहद नामे की किताब मुक़ाश्फा में लिखा हे कि एक आदमी “मसीह का मुख़ालिफ़” होगा जो आख़िरी वक़्त में ज़ाहिर होगा। वह ख़ुदा के लोगों को हलाक करने की कोशिश करेगा लेकिन वह ईसा के ज़रिए' शिकस्त किया जाएगा।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ्ज़ के तर्जुमे हो सकते हैं, ऐसे लफ्ज़ या जुमले हो सकते हैं जिनका मतलब हो, “मसीह का मुख़ालिफ़” या “मसीह का दुश्मन” या “मसीह की ख़िलाफ़त करनेवाला आदमी ”

“मसीह के मुख़ालिफ़ की रूह ” का तर्जुमा हो सकता है, “रूह जो मसीह के ख़िलाफ़ है”।या “(कोई) मसीह के बारे झूठी ता'लीम देता है” या “मसीह के बारे में झूठी ता'लीम पर यक़ीन करने का रवैया” या “बुरी रूह जो मसीह के बारे में झूठी ता'लीम देती है।”

(यह भी देखें: मसीह, ज़ाहिर करना, मुसीबत )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G500

मसीह में, ‘ईसा में, ख़ुदा में, उसमें

ता’अर्रुफ़:

“मसीह में” और 'आम लफ़्ज़ों का मतलब है ईमान के ज़रिए' मसीह 'ईसा में रिश्ता रखना।

  • इसके जैसे कई और लफ़्ज़ हैं, “मसीह 'ईसा में, ‘ईसा मसीह में, ख़ुदा 'ईसा में, ख़ुदा 'ईसा मसीह में”।
  • “मसीह में” इस जुमले के मुनासिब मतलब हैं, “क्यूँकि तुम मसीह के हो” या “मसीह के साथ तुम्हारे रिश्ते के ज़रिए'” या “मसीह में तुम्हारे ईमान के तौर पर”
  • इन सब जुमलों के मतलब हैं, ‘ईसा में ईमान और उसके शागिर्द होने की हालत में।
  • ग़ौर करें: * याद रखें: कभी-कभी “में” लफ़्ज़ काम के साथ ता'अल्लुक़ है। मिसाल, “मसीह में मुत्तफ़िक़ ” या'नी मसीह के 'इल्म से जो फ़ायदा हासिल होते हैं, उसमें इतिफाक़ होना। “मसीह” में बड़ाई करना या'नी ख़ुश होकर ख़ुदा की ता'रीफ़ करना कि 'ईसा क्या है और उसने क्या किया। मसीह में “ईमान करना” या'नी उसमें नजात का यक़ीन करना और उसे जानना।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ ,“मसीह में” और “ख़ुदा में” (और मुता'अल्लिक़ जुमले ) तर्जुमा करने के अलग तरीक़े यह हो सकते हैं:

  • “जो मसीह के हैं ”

  • “क्यूँकि तुम मसीह में यक़ीन करते हो”

  • "क्यूँकि मसीह ने हमें बचा लिया"

  • "ख़ुदा की ख़िदमत में"

  • "ख़ुदा पर भरोसा "

  • “क्यूँकि ख़ुदा ने जो कुछ किया”

  • जो लोग मसीह में "ईमान करते हैं" या जो मसीह पर "ईमान रखते हैं," वह यक़ीन करते हैं कि 'ईसा ने क्या सिखाया है और उन पर यक़ीन कर रहे हैं ताकि सलीब पर उनकी क़ुर्बानी की वजह से उन्हें बचाया जा सके ताकि उनके गुनाहों के लिए क़ीमत को अदा किया जा सके। कुछ ज़बानों में एक लफ़्ज़ हो सकता है जो कामों का तर्जुमा करता है जैसे "ईमान करना" या "साझा करें" या "ईमान में"।

(यह भी देखें: मसीह, ख़ुदा, ‘ईसा, ईमान , ईमान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G1519, G2962, G5547

मसीही

ता’अर्रुफ़:

‘ईसा के आसमान पर उठाये जाने के कुछ वक़्त बा’द ईमानदारों को “मसीही” कहा गया जिसका मा’नी है, “मसीह के मानने वाले ”

  • अन्ताकिया शहर में ‘ईसा के मानने वालों को सबसे पहले “मसीही” कहा गया था।
  • मसीही शख़्स वह इन्सान है जो ईमान रखता है कि ‘ईसा ही ख़ुदा का बेटा है और ‘ईसा ही में ईमान रखता है कि उसने उसका गुनाह मु’आफ़ किया।
  • आज “मसीही” लफ़्ज़ मसीही मज़हब मानने वाले के बारे में काम में लिया जाता है लेकिन वह शख़्स हक़ीक़त में ‘ईसा की पैरवी नहीं करता है। किताब-ए-मुक़द्दस में "मसीही" लफ़्ज़ का मा’नी यह नहीं है।
  • क्योंकि किताब-ए-मुक़द्दस में “मसीही” लफ़्ज़ हमेशा उस इन्सान के लिए काम में लिया गया है जो हक़ीक़त में ‘ईसा में यक़ीन करता है, मसीही लोगों को "ईमानदार " भी कहते हैं।

तर्जुमे की सलाह:

इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “मसीह को मानने वाला” या “मसीह का पैरोकार” या “मसीह आदमी” जैसा।

  • वाज़े’ करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा शागिर्द और रसूल लफ़्ज़ों के तर्जुमे से अलग हो।
  • होशियारी से तर्जुमा करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ‘ईसा पर ईमान रखने वाले सब लोगों के बारे में हो न कि किसी एक क़बीले या क़ौम से हो

यह भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है | (देखें:अनजाने लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे )

(यह भी देखें :अन्ताकियामसीहइबादतख़ाना़शागिर्दईमानदार‘ईसाख़ुदा का बेटा

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 46:09 और शागिर्द सब से पहले अन्ताकिया ही में "मसीही" कहलाए।
  • 47:14 पौलुस और ग़ैर __मसीही__रहनुमाओं ने अनेक शहरों में ‘ईसा का मुनादी किया और लोगों को ख़ुदा के कलाम की ता’लीम दी।
  • 49:15 अगर तुम ‘ईसा पर और जो कुछ उसने आपके लिए किया उस पर ईमान रखते हो हो, तो आप एक मसीही हो!
  • 49:16 अगर तुम एक मसीही हो, तो जो कुछ ‘ईसा ने किया उसकी वजह से ख़ुदा ने तुम्हारे गुनाह माफ़ कर दिए हैं।
  • 49:17 अगर आप एक मसीही हैं, फिर भी आप गुनाह करने की आज़माइश में पड़ोगे।
  • 50:03 आसमान में वापस जाने से पहले, ‘ईसा ने मसीहों से कहा कि वे उन लोगों को ख़ुशख़बरी सुनाएँ जिन्होंने इसे कभी नहीं सुना।
  • 50:11 जब ‘ईसा वापस आएगा, तो हर मसीही जो मरा है वह मुर्दों में से जी उठेगा और उससे आसमान में मिलेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: G5546

महबूब

ता'अर्रुफ़:

"महबूब " लफ्ज़ जज़्बे का इज़हार है जो किसी को ज़ाहिर करता जो किसी के अज़ीज़ और प्यारा है।

  • “'महबूब” लफ्ज़ का लफ़्ज़ी मतलब है “'अज़ीज़ लोग” या “जिसे मुहब्बत की जाए”
  • ख़ुदावन्द ने 'ईसा के लिए कहा कि वह उसका “'प्यारा बेटा है”
  • मसीह कलीसियाओं के ख़तों में, रसूल अपने ईमानदारों को अज़ीज़ के तौर पर बताता है |

तर्जुमें की सलाह:

इस लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “महबूब”, या “ 'अज़ीज़ लोग ” या “बहुत अज़ीज़” या “बहुत प्यारा”

  • मज़मून में क़रीबी दोस्तों के बारे में बताने के लिए इसका तर्जुमा हो सकता है, “मेरे 'अज़ीज़ दोस्त ” या “मेरे क़रीबी दोस्त” अंग्रेज़ी ज़बान में यह कहना 'आम है, “मेरे 'अज़ीज़ दोस्त पौलुस” या “पौलुस, मेरे 'अज़ीज़ दोस्त ” और ज़बानों में यह और भी आसान है जो और भी तरीक़े से कह सकते हैं|
  • गौर करें कि “'अज़ीज़ ” लफ्ज़ ख़ुदा की मुहब्बत से आता है, जो बिना शर्त है, बे ख़ुदगर्ज़ी और जिसमें क़ुर्बानी हो।

(यह भी देखें: मुहब्बत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

शब्दकोश:

  • Strong's: H157, H1730, H2532, H3033, H3039, H4261, G25, G27, G5207

मान लेना, मानकर, क़ुबूल करना , इक़रार करना

ता’रीफ़:

इक़रार करने के मा’नी हैं क़ुबूल करना या ज़ोर देकर कहना कि कोई बात सच है | * “इक़रार करना”कहना या क़ुबूल करना है कि कोई बात सच है |

  • “इक़रार” का बयान ख़ुदा के बारे में सच्चाई का निडरता से बयान करने से है। इसका बयान अपने गुनाह मान लेने से भी है।

कलाम में लिखा है कि अगर कोई इन्सान ख़ुदा के सामने अपने गुनाहों का इक़रार करे तो ख़ुदा उन्हें मुआ’फ़ कर देगा |

  • याक़ूब अपने ख़त में लिखता है कि ईमानदार एक दूसरे के सामने अपने गुनाहों को मान लें तो इससे रूहानी शिफ़ा मिलती है।
  • पौलुस रसूल ने फ़िलिप्पी की कलीसिया को ख़त लिखा कि एक दिन हर एक लोग इक़रार करेंगे कि ‘ईसा ही ख़ुदावन्द है।
  • पौलुस ने यह भी कहा है कि इन्सान अगर ‘ईसा को ख़ुदावन्द कहकर इक़रार करें और यक़ीन करें कि ख़ुदा ने उसे मरे हुओं में से जिलाया तो वह नजात पाएंगे।

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून के मुताबिक़ “इक़रार करना”(मान लें)का तर्जुमा “क़ुबूल करना” या “गवाही देना” या मुनादी करना” या “मानना” या “साबित करना”हो सकता है|
  • ”इक़रार” के तर्जुमे की शक्ल हो सकती है ,”मनादी” या “गवाही” या “ईमान का कहना” या “गुनाह का इक़रार”

(यह भी देखें: ईमान, गवाही)

किताब-ए-मुक़द्दस:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3034, H8426, G1843, G3670, G3671

मीरास होना, वरासत, हिस्सा, वारिस

ता’अर्रुफ़:

“मीरास” माँ बाप या किसी से ख़ास रिश्ता की वजह से कोई क़ीमती चीज़ हासिल करना। यह "वरासत" का एलान है।

  • दुनियावी वरासत में पैसा, ज़मीन, या दूसरी जायदाद हासिल होती है।

  • रूहानी वरासत में 'ईसा में ईमान करनेवालों को ख़ुदावन्द देता है- इस ज़िन्दगी हमेशा की ज़िन्दगी में उसके साथ।

  • कलाम ख़ुदा के लोगों की उसकी वरासत (हिस्सा) कहती है जिसका मतलब है वह उसके लोग हैं। वह उसकी क़ीमती जायदाद हैं।

  • ख़ुदा ने इब्राहीम और उसकी नसलों से वा'दा किया था कि कन'आन उनका हिस्सा होगा कि वह हमेशा के लिए उनका होगा।

  • इसका 'अलामती और रूहानी मतलब भी है, जिसमें ख़ुदा के लोगो के लिए कहा गया है कि, “ज़मीन के वारिस होंगे”। इसका मतलब है, अमीर होंगे और ख़ुदा से बरकत पाएंगे, दुनियावी और रूहानी बरकतें ।

  • नए 'अहद नामे में ख़ुदा ने वा'दा किया है कि जो 'ईसा में ईमान करते है वह “नजात पाएंगे” और “हमेशा की ज़िन्दगी के वारिस” होंगे। इसका तर्जुमा इस तरह भी हो सकता है, “ख़ुदा की बादशाही के वारिस होंगे” यह एक रूहानी विरासत है जो हमेशा के लिए रहती है।

  • इस जुमले के दूसरे 'अलामती मतलब भी हैं,

  • कलाम में लिखा है, कि ' अक़्लमन्द आदमी “जलाल के हिस्सेदार ” होंगे और रास्तबाज़ लोगों का “हिस्सा अच्छी चीज़ें” होंगी ।

  • “वादों का वारिस” होने का मतलब है, वह सब चीज़ें हासिल करना जिनका वा'दा ख़ुदा ने अपने लोगों से किया है।

  • इस लफ़्ज़ का ग़लत इस्ते'माल भी किया जाता है जो मूर्ख और नाफ़रमान लोगों के बारे में है, “बेवक़ूफों का हिस्सा बेवक़ूफ़ी” ही होती है और “उनके हिस्से में बेवक़ूफ़ी” ही बेवक़ूफ़ी होती है। इसका मतलब है कि वह अपने गुनाह के कामों की सज़ा पाने को हैं जिसमें सज़ा और बदकार ज़िन्दगी गुजारते हैं ।

तर्जुमा की सलाह:

  • जैसे हमेशा किया जाता है, पहले यह देखें कि 'अलामती ज़बान में “वारिस” या “हिस्सा” (वारिस) के लिए लफ़्ज़ हैं, उनका इस्ते'माल करें।
  • जुमले पर क़ायम, “हिस्से ” को तर्जुमा की कई शक्ल है, “हासिल करना” या “इख्तियार में लेना” या “वारिस होना”।
  • “जुमलों पर क़ायम ” (विरासत) का तर्जुमा हो सकता हैं “महफ़ूज़ हिस्सा” या “विरासत पाना”।
  • जब ख़ुदा के लोगों को उसका हिस्सा कहा गया है तो उसका तर्जुमा होगा, “उनके वफ़ादार ईमानदार लोग”
  • “वारिस” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ से किया या जुमले से किया जा सकता है जिसका मतलब, “ख़ुश नसीब औलाद जो बाप की जायदाद हासिल करता है” या “(ख़ुदा की) रूहानी जायदाद या बरकत हासिल करने के लिए।”।
  • लफ़्ज़ "विरासत" का तर्जुमा "ख़ुदा से मुबारकबाद" या "विरासत में मिली बरकतों" की शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: वारिस, कन'आन, वा’दे का मुल्क )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 04:06 जब अब्राम कन'आन मुल्क पहुंचा तब ख़ुदावन्द ने उससे कहा कि,’’ अपने चारों तरफ़ देख’’ क्यूँकि जितनी ज़मीन तुझे दिखाई देती है, उस सब को मैं तुझे और तेरी नसल को दूँगा।
  • 27:01 एक दिन, यहूदियों के क़ानून में एक ;आलिम 'ईसा का इम्तिहान लेने के लिए आया था, उन्होंने कहा, "उस्ताद, मुझे हमेशा की ज़िन्दगी __ पाने के लिए__ क्या करना चाहिए ?"
  • 35:03 “किसी आदमी के दो बेटे थे। उनमें से छोटे बेटे ने बाप से कहा, ‘ऐ बाप, जायदाद में से जो हिस्सा मेरा है वह मुझे दे दीजिए।’ तो बाप ने अपने दोनों बेटो में अपनी जायदाद बाँट दी।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H2490, H2506, H3423, H3425, H4181, H5157, H5159, G2816, G2817, G2819, G2820

मु’आफ़ करना, मु’आफ़ करता, मु’आफ़ किया, मु’आफ़ी, मु’आफ़ करना, मु’आफ़ किया

ता’अर्रुफ़:

किसी को मु’आफ़ करने का मतलब है कि उसके लिए शिक़ायत न रखना जिसने कोई नुक़सान दायक काम किया है। “मु’आफ़ी” किसी को मु’आफ़ करने का काम है

  • किसी को मु’आफ़ करने का मतलब है, उसके ग़लत काम के लिए सज़ा न देना।
  • इस लफ़्ज़ का ‘अलामती मतलब के ज़रिए’ इस्ते’माल किया जाता है “ख़ारिज करना” जैसा इस इज़हार में है, “क़र्ज़ मु’आफ़ करना”
  • जब इन्सान गुनाहों को क़ुबूल करता है तब ख़ुदा ‘ईसा की सलीबी मौत की क़ुर्बानी की बुनियाद पर उन्हें मु’आफ़ कर देता है।
  • ‘ईसा ने अपने शागिर्दों को ता’लीम दी कि जैसे उसने उन्हें मु’आफ़ किया है वैसे ही वे भी दूसरों को मु’आफ़ करें।

लफ़्ज़ "मु’आफ़ी" का मतलब है किसी को गुनाहों के बदले मु’आफ़ कर देना और उसे सज़ा न देना|

  • यह लफ़्ज़ एक जैसे मतलब रखते हैं “मु’आफ करना” लेकिन किसी शख़्स को जो मुजरिम है उसे सज़ा ने देने के लिए रवायती फ़ैसले का मतलब शामिल हो सकता|
  • कानून की ‘अदालत में, एक मुंसिफ़ एक मुजरिम के जुर्म पाकर उसे मु’आफ़ कर सकता है|
  • अगरचे, हम गुनाहों की मुजरिम हैं, ‘ईसा मसीह ने हमें अपनी सलीब पर मौत क़ुर्बानी की बुनियाद पर हमें जहन्नम में सज़ा देने से मु’आफ़ किया है,

तर्जुमे की सलाह:

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, “मु,आफ़ करना” के तर्जुमे हो सकते हैं, “मु’आफ़ी” या “ख़ारिज करना” या “आजाद करना” या “मुख़ालिफ़त कुछ न रखना”।
  • लफ़्ज़ "मु’आफ़ करना" का तर्जुमा किसी लफ़्ज़ या जुमले ज़रिए’ किया जा सकता है जिसका मतलब है "नाराजगी न रखने की मशक़" या "किसी को बेगुनाह क़रार देना" या "मु’आफ़ करने का काम"।
  • अगर आपकी ज़बान में मु’आफ़ करने का रवायती फ़ैसले के लिए कोई लफ़्ज़ हो, तो उस लफ़्ज़ का इस्ते’माल “मु’आफ़ी” के लिए किया जाए|

(यह भी देखें: गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 07:10 लेकिन ‘ऐसौ या’क़ूब को पहले ही मु’आफ़ कर चुका था, और वह एक दूसरे को देखकर बहुत ही ख़ुश हुए।
  • 13:15 मूसा पहाड़ पर फिर चढ़ गया और उसने दु’आ की कि ख़ुदा उन लोगों के गुनाहों को मु’आफ़ कर दे। ख़ुदा ने मूसा की दु’आ सुनी और उन्हें मु’आफ़ किया
  • 17:13 दाऊद को अपने किए हुए गुनाहों पर पछतावा हुआ और ख़ुदा ने उसे मु’आफ़ किया
  • 21:05 नए ‘अहदनामे में, ख़ुदा अपनी शरी’अत लोगों के दिलों में लिखता है, जो लोग ख़ुदा को ज़ाती तौर पर जानते हैं, वह ये लोग होते हैं, और ख़ुदा उनके गुनाहों को मु’आफ़ करता हैं|
  • 29:01 एक दिन पतरस ने पास आकर ‘ईसा से पूछा , “ए ख़ुदावन्द, अगर मेरा भाई गुनाह करता रहे, तो मैं उसे कितनी बार मु’आफ़ करूँ?”
  • __29:08__तू ने जो मुझ से मिन्नत की, तो मैं नेतेरा वह पूरा क़र्ज़ मु’आफ़ कर दिया
  • 38:05 फिर उसने मय का कटोरा लिया और कहा, “इसे पिओं। यह नए ‘अहद का मेरा ख़ून है, जो बहुतों के गुनाहों को मु’आफ़ी के लिये बहाया जाता है।

शब्दकोश:

  • H5546, H5547, H3722, H5375, H5545, H5547, H7521, G859, G863, G5483

मुक़द्दस

ता’अर्रुफ़:

लफ़्ज़ “मुक़द्दस” किताब-ए-मुक़द्दस में एक ‘उहदे का नाम है जो हमेशा ख़ुदा का हवाला देता है।

  • पुराने ‘अहदनामे में यह नाम ज़्यादातर “इस्राईल के मुक़द्दस” के जुमले में ज़ाहिर होता है।
  • नये ‘अहदनामे में ‘ईसा को भी “मुक़द्दस” कहा गया है।
  • “मुक़द्दस” किताब-ए-मुक़द्दस में कभी-कभी फ़रिश्ते के लिए काम में लिया गया है।

तर्जुमे की सलाह:

सही लफ़्ज़ है, “मुक़द्दस लोग”("एक" के साथ मुंसलिक किया जा रहा है।) कई ज़बाने (जैसे अंग्रेज़ी) इसे इस्म के साथ तर्जुमा करेंगे(जैसे "एक" या "ख़ुदा") ।

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ुदा, जो पाक है” या “अलग किए गए लोग” हो सकता है।
  • जुमले "इस्राईल के मुक़द्दसों" का तर्जुमा "पाक ख़ुदा जिसकी इस्राईली ‘इबादत करते हैं" या "पाक लोग जो इस्राईल पर हुकूमत करने वाले" के तौर पर किया जा सकता है।
  • सही है कि इस लफ़्ज़ के तर्जुमें में उसी लफ़्ज़ या जुमले का इस्ते’माल करना है जिसे "पाक" का तर्जुमा करने के लिए इस्ते’माल किया जाता है।

(यह भी देखें: पाक, ख़ुदा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2623, H376, H6918, G40, G3741

मुक़द्दस , पाक लोग

त'अर्रुफ़:

लफ़्ज़ "मुक़द्दस" का लफ़्ज़ी मतलब है " मुक़द्दस लोग" और 'ईसा में ईमानदारों के बारे में बयान करता है।

  • कलीसियाई तवारीख़ में, आगे चलकर नेक कामों के लिए मशहूर आदमी के लिए "मुक़द्दस" लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया गया है लेकिन यह लफ़्ज़ नये 'अहद नामे के वक़्त के दौरान ऐसा इस्ते'माल नहीं किया गया था।
  • 'ईसा के ईमानदारों को मुक़द्दस लोग इसलिए नहीं कहा गया है कि उन्होंने अच्छे काम किए लेकिन मसीह 'ईसा ने जो किया उन कामों में यक़ीन करने की वजह से उन्हें मुक़द्दस लोग कहा गया है। वही उन्हें मुक़द्दस बनाता है।

(तर्जुमा की सलाह:

  • "मुक़द्दस लोग" या "'ईसा के पाक ईमानदार" या "पाक" या " पाक लोग" या "’ईसा के मुक़द्दस ईमानदार" या "अलग किए गए लोग।"
  • ख़बरदार रहें कि इस जुमलों के ज़रिए' किसी ख़ास झुण्ड का ख़याल बयान न हो।

(यह भी देखें: मुक़द्दस)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2623, H6918, H6922, G40

मुक़द्दस जगह

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस में, “मुक़द्दस जगह” और “बहुत मुक़द्दस जगह” ख़ेमा या हैकल के दो कमरों के बारे में आते हैं।

  • “मुक़द्दस जगह” पहला कमरा था जिसमें धूप जलाने की क़ुर्बानगाह और नज़्र की रोटियाँ रखने की मेज थी।
  • “बहुत मुक़द्दस जगह” दूसरा कमरा या जिसमें ‘अहद का सन्दूक रखा हुआ था।
  • एक मोटी, भारी पर्दे बाहरी कमरे को भीतरी कमरे से अलग करता है।
  • बहुत मुक़द्दस जगह में सिर्फ़ सरदार काहीं दाख़िल हो सकता था।
  • कभी-कभी मुक़द्दस जगह पूरे हैकल या ख़ेमे के लिए काम में लिया गया है। कभी-कभी पाक मक़ाम ख़ुदा के लिए अलग किए गए किसी भी मक़ाम के बारे में होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “ मुक़द्दस जगह” का तर्जुमा “ख़ुदा के लिए अलग किया गया कमरा” या “ख़ुदा से मुलाक़ात करने का ख़ास कमरा” या “ख़ुदा का ख़ास मक़ाम”
  • “बहुत मुक़द्दस जगह” का तर्जुमा “ख़ुदा के लिए ख़ास अलग कमरा” या “ख़ुदा से मुलाक़ात करने का ज़्यादा ख़ास कमरा”
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “मुक़द्दस जगह” का तर्जुमा “ख़ुदा का मसह किया हुआ मक़ाम” या “ख़ुदा के ज़रिए’ अलग किया गया मक़ाम” या “हैकल में पाक मक़ाम” या “ख़ुदा के हैकल का आँगन”।

(यह भी देखें: ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह, ‘अहद का सन्दूक, रोटी, मुक़द्दस ठहरना, आँगन, परदा, पाक, अलग करना, ख़ेमा, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1964, H4720, H4725, H5116, H6918, H6944, G39, G40, G3485, G5117

मुक़द्दस जगह

ता'अर्रुफ़:

"मुक़द्दस जगह" का लफ़्ज़ी मा'ना है, "पाक घर" और इसके बारे में उस जगह से है जिसे ख़ुदावन्द ने मुक़द्दस और पाक बनाया। इसके बारे में महफ़ूज़ और हिफ़ाज़ती मक़ाम से भी हो सकता है।

  • पुराने 'अहद नामे में "मुक़द्दस जगह" हमेशा ख़ेमा या हैकल के लिए काम में लिया जाता था जिनमें "मुक़द्दस-मक़ाम" और "मुक़द्दस जगह" थे।
  • ख़ुदावन्द मुक़द्दस जगह को अपनी रि'आया इस्राईल के दरमियान अपने रहने की जगह को कहता था।
  • वह ख़ुद को भी "मुक़द्दस जगह" या अपने लोगों के लिए एक महफ़ूज़ जगह कहता था जहां उन्हें हिफ़ाज़त हासिल थी।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ में बुनियादी मा'ना है, "मुक़द्दस जगह" या "वह जगह जो अलग की गईं है।"
  • मज़मून के मुताबिक़ "मुक़द्दस जगह" लफ़्ज़ का तर्जुमा "मुक़द्दस मक़ाम" या "मुक़द्दस घर " या " ख़ुदावन्द की मुक़द्दस जगह" या "हिफ़ाज़त की मुक़द्दस जगह" या " हिफ़ाज़त की पाक जगह" भी किया जा सकता है।
  • " मुक़द्दस जगह का शेकेल" का तर्जुमा हो सकता है "घर के ख़ेमे के लिए दिए गए शेकेल की तरह " या "हैकल के रख-रखाव के लिए जिज़्या की शक्ल में शेकेल।"
  • नुक़ता: ख़बरदार रहें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा आज के 'इबादतख़ाने के 'इबादत के घर का मतलब ज़ाहिर न करे।

(यह भी देखें: पाक, पाक रूह, पाक, अलग करना, ख़ेमे, जिज़्या, हैकल, )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H4720, H6944, G39

मुनाफ़िक़, मुनाफ़िक़ों, मुनाफ़िक़त

ता’अर्रुफ़:

“मुनाफ़िक़” लफ़्ज़ उस इन्सान के बारे में है जो रास्तबाज़ दिखने के लिए कुछ करता है लेकिन छिपकर बुरे काम करता है। “मुनाफ़िक़त” ऐसा सुलूक है जो इन्सानों को धोखा दे कि वह रास्तबाज़ इन्सान है।

  • मुनाफ़िक़ इन्सान अच्छे काम करते हुए दिखाना चाहते हैं कि इन्सान उन्हें अच्छा इन्सान समझें।
  • मुनाफ़िक़ अक्सर दूसरों की बुराई करते हैं जबकि वे आप वैसे काम करते हैं।
  • ‘ईसा फ़रीसियों को मुनाफ़िक़ कहता था क्योंकि वे रास्तबाज़ी के काम ऐसे करते थे जैसे ख़ास लिबास पहनना, ख़ास खाना खाना लेकिन वे इन्सानों के साथ रहम का और बेतरफ़दारी का सुलूक नहीं करते थे।
  • मुनाफ़िक़ इन्सान दूसरों के ‘ऐब देखता है लेकिन अपने ‘ऐब क़ुबूल नहीं करता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • कुछ ज़बानों का इज़हार है जैसे, “दोमुहाँ” मुनाफ़िक़ों और मुनाफ़िक़त के ‘आमाल की तफ़सील करता है
  • “मुनाफ़िक़” के तर्जुमे के और तरीक़े हैं, “झूठा” या “ढोंगी” या “बहुत धोखा देने वाला इन्सान”।
  • “मुनाफ़िक़त” का तर्जुमा “धोखा” या “झूठे काम” या “दिखावा” किया जा सकता है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H120, H2611, H2612, G505, G5272, G5273

मुन्जी , बचाने वाला

सच्चाई:

“बचाने वाला” या'नी किसी को परेशानी से उबारने वाला इसका मतलब लोगों की हौसला अफ़ज़ाई करनेवाले या उनके लिए इन्तिज़ाम करनेवाले से भी हो सकता है।

  • पुराने 'अहद नामे में ख़ुदा को इस्राईल का मुन्जी कहा गया है, क्यूँकि उसने ज़्यादातर उन्हें दुश्मनों के हाथो से छुड़ाया था और उन्हें क़ुव्वत 'अता की थी और उनकी ज़रूरतों को पूरा किया था।
  • नए 'अहद नामे में “मुन्जी” लफ़्ज़ 'ईसा मसीह के लिए एक लक़ब या तफ़सीली तौर से काम में लिया गया है क्ययूँकि वह लोगों को उनके गुनाहों की हमेशा की सज़ा से बचाता है। वह उन्हें गुनाह की गिरफ़्त से भी छुड़ाता है।

तर्जुमा की सलाह:

  • मुम्किन हो तो “मुन्जी” का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ से किया जाना ज़रूरी है जो “नजात करने” और “नजात” से ही मूत'अल्लिक़ हो।
  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमें हो सकते हैं, “नजात करनेवाला” या "छुड़ाने वाला ख़ुदा" या "परेशानी से बचानेवाला" या “दुश्मनों से बचानेवाला” या ‘ईसा, गुनाहों से बचानेवाला (लोगो को)।

(यह भी देखें: छुटकारा देना, ‘ईसा, नजात, बचाना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H3467, G4990

मुन्तख़ब हुआ, मुन्तख़ब हुए, इन्तख़ाब करना, मुन्तख़ब लोग, मुन्तख़ब हुआ, मुन्तख़ब ।

ता’अर्रुफ़:

“मुन्तख़ब हुए” का हक़ीक़ी मतलब है “मुन्तख़ब लोग” या “मुन्तख़ब हुई क़ौम” उन लोगों के बारे में है जिन्हें ख़ुदावन्द ने अपने लोग होने के लिए मुक़र्रर किया या अलग किया है। “मुन्तख़ब हुआ” या “ख़ुदावन्द का चुना हुआ”, 'अनवान जो 'ईसा को दिखाता है, जो मुन्तख़ब हुआ वह मसीह है।

  • “मुन्तख़ब करना” लफ्ज़ का मतलब है किसी चीज़ को या किसी आदमी को मुन्तख़ब करना या किसी बात पर फैसला लेना। यह लफ्ज़ अक्सर ख़ुदावन्द की तरफ़ इंसानों को मुक़र्रर करने के लिए इस्ते'माल होता था कि वह अब उसके हैं और उसकी ख़िदमत के लिए हैं।
  • “मुन्तख़ब हुए” का मतलब है “मुन्तख़ब” या “मुक़र्रर” कुछ होने के लिए या कुछ करने के लिए।
  • ख़ुदावन्द ने इंसानों को पाक होने के लिए मुन्तख़ब किया, अच्छा रूहानी फ़ल लाने के लिए ख़ुदावन्द की तरफ़ से अलग किए गए। यही वजह है कि उन्हें “मुन्तख़ब हुए” या "मुन्तख़ब हुआ" कहते हैं।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में कभी-कभी “मुन्तख़ब हुओं” लफ्ज़ का इस्ते'माल किसी ख़ास शख्स के लिए किया गया है जैसे मूसा, दाऊद जिन्हें ख़ुदावन्द ने अपनी क़ौम के रहनुमा मुक़र्रर किया था। यह इस्राईल के उन लोगों के बारे में बताता है जो ख़ुदा के ज़रिए’ चुने गए हैं|
  • “मुन्तख़ब हुआ” एक पुराना लफ्ज़ है जिसका मतलब है “मुन्तख़ब हुए” या “मुन्तख़ब हुए लोग” मक़सदी ज़बान में यह लफ्ज़ जब मसीही ईमानदारों के लिए इस्ते'माल किया गया तो यह जमा' में है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस के पुराने तहरीर में “मुन्तख़ब हुआ” लफ्ज़ नये 'अहद नामें और पुराने 'अहद नामें दोनों में “अलग किए हुओं” के लिए इस्ते'माल किया गया है। ज़्यादा जदीद तहज़ीबों में “मुन्तख़ब हुआ” लफ्ज़ सिर्फ़ उन लोगों के लिए इस्ते'माल किया गया है, जिसकी नजात ख़ुदावन्द ने मसीह 'ईसा के ज़रिए' किया है। किताब-ए-मुक़द्दस में दीगर जगहों में इस लफ्ज़ का तर्जुमा “मुन्तख़ब हुआ” के शक्ल में तर्जुमा करते हैं।

तर्जुमे की सलाह:

  • लिहाज़ा : अच्छा तो यह होगा कि इस लफ्ज़ का तर्जुमा, “मुन्तख़ब हुए लोग ” या “मुन्तख़ब हुई क़ौम” किया जाए। इसका तर्जुमा "उन लोगों के शक्ल में भी किया जा सकता है जिसे ख़ुदावन्द ने मुन्तख़ब" या "जिन्हें ख़ुदावन्द ने अपने लोग होने के लिए मुक़र्रर किया।"
  • “जो मुन्तख़ब किए गए” का तर्जुमा इस तरह भी किया जा सकता है, “जिन्हें मुक़र्रर किया” या “जो अलग किए गए” या “जिन्हें ख़ुदावन्द ने मुन्तख़ब किया ”।
  • “मैंने तुझे चुन लिया है” इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “मैंने तुम्हें मुक़र्रर किया है” या “मैंने तुम्हें अलग किया है”।
  • 'ईसा के बारे में, “मुन्तख़ब हुआ” का तर्जुमा “ख़ुदावन्द का मुन्तख़ब किया” या “ख़ुदा का ख़ास मुक़र्रर मसीह” या “जिसे ख़ुदा ने मुक़र्रर किया है” कि शक्ल में किया जा सकता है।

(यह भी देखें: मुक़र्रर, मसीह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H970, H972, H977, H1262, H1305, H4005, H6901, G138, G140, G1586, G1588, G1589, G1951, G4400, G4401, G4758, G4899, G5500

मुंसिफ़, इन्साफ़ करता, इन्साफ़, फ़ैसला

ता’अर्रुफ़:

“मुंसिफ़” और “इन्साफ़” का बयान किसी सही या ग़लत काम के फ़ैसले से होता है।

  • “ख़ुदावन्द का इन्साफ़” या'नी किसी को गुनाहगार ठहराने का फ़ैसला।
  • ख़ुदावन्द का इन्साफ़ हमेशा लोगों को गुनाह की सज़ा देना होता है।
  • “इन्साफ़ करने” का मतलब “मुजरिम ठहराना” है। ख़ुदावन्द अपने लोगों से कहता है कि वह एक दूसरे का ऐसा इन्साफ़ न करें।
  • इसका एक और मतलब है “के बीच का फ़ैसला” या “दो आदमियों का इन्साफ़ करना” कि तनाज़े में कौन सही है।
  • कुछ जुमलों में ख़ुदावन्द के “इन्साफ़” का मतलब है ख़ुदावन्द ने किस बात को सही और इन्साफ़ का फ़ैसला ठहराया है। यह उसके हुक्म, क़ानून या हुक्मों की हिदायत से है।
  • “इन्साफ़” का ख़ुलासा अक़्लमन्दी से फ़ैसला लेने की ताक़त । जिस शख़्स में “इन्साफ़” की कमी है उसमें अक़्लमन्दी के फ़ैसला लेने की क़ाबिलियत नहीं है।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमलों के मुताबीक़ “इन्साफ़ करना” का तर्जुमा हो सकता है, “फ़ैसला लेना” या “मुजरिम ठहराना” या “सज़ा देना” या “हुक्म देना”
  • “इन्साफ़” का तर्जुमा हो सकता है “सज़ा” या “फ़ैसला” या “हुक्म” या “हुक्म” या “मुजरिम”
  • कुछ जुमलों में “इन्साफ़ में” का तर्जुमा “इन्साफ़ के दिन” या “ख़ुदावन्द के ज़रिए'लोगों के इन्साफ़ का वक़्त” हो सकता है।

(यह भी देखें: हुक्म, मुंसिफ़, इन्साफ़ के दिन, मुनासिब, क़ानून, शरी’अत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में :

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 19:16 उन नबियों ने लोगों को हिदायत देना शुरू' किया कि, अगर उन्होंने बुरे काम करना बंद न किया, और ख़ुदावन्द के हुक्म पर 'अमल करना शुरू' न किया, तब ख़ुदावन्द उन्हें मुजरिम ठहराएगा और उन्हें सज़ावार करेंगा।
  • __21:08__बादशाह वह होता है जो मुल्क पर हुकूमत करता है और लोगों का इन्साफ़ करता है। मसीह एक सच्चा बादशाह होगा जो की दाऊद के तख़्त पर बैठा होगा। वह हमेशा के लिए दुनिया पर बादशाहत करेगा, और हमेशा सच्चाई से इन्साफ़ करेगा और सही फ़ैसला लेगा।
  • 39:04 इस पर सरदार काहिन ने ग़ुस्से में अपने कपड़े फाड़े और कई मज़हबी रहनुमाओं से कहा कि, “अब हमें गवाहों की क्या ज़रुरत। तुमने अभी सुना है कि इसने अपने को ख़ुदावन्द का बेटा कहा है। तुम्हारा क्या इन्साफ़ है?”
  • 50:14 लेकिन जो 'ईसा पर ईमान नहीं करेंगे ख़ुदावन्द उनमें से हर एक का इन्साफ़ करेंगे। वह उन्हें दोज़ख़ में फेंक देगा, जहाँ वह तकलीफ़ में हमेशा रोएँगे और दाँत पीसेंगे।

शब्दकोश:

  • Strong's: H148, H430, H1777, H1778, H1779, H1780, H1781, H1782, H2940, H4055, H4941, H6414, H6415, H6416, H6417, H6419, H6485, H8196, H8199, H8201, G144, G350, G968, G1106, G1252, G1341, G1345, G1348, G1349, G2917, G2919, G2920, G2922, G2923, G4232

मुहब्बत, मुहब्बत करता है, अज़ीज़, मुहब्बत की

ता’अर्रुफ़:

किसी इन्सान से मुहब्बत करने का मतलब है, उस इन्सान की ख़बर लेना और उसे फ़ायदा पहुंचाने के काम करना। “मुहब्बत” के मुख़तलिफ़ मतलब होते हैं जिनके लिए मुख़तलिफ़ ज़बानों में मुख़तलिफ़ लफ़्ज़ होते हैं।

  1. ख़ुदा की मुहब्बत इन्सान की भलाई पर मुनहस्सिर होती है चाहे उसमें ख़ुद का फ़ायदा न हो। ऐसी मुहब्बत जो इन्सानों की परवाह करती है चाहे वे कुछ भी करते हों। ख़ुदा ख़ुद मुहब्बत है और सच्ची मुहब्बत का ज़रिया’ है।
  • ‘ईसा ने इस मुहब्बत का मुज़ाहरा किया कि है कि गुनाह और मौत से बचाने के लिए अपने आपको क़ुर्बानी पेश कर दिया। उसने अपने पैरोकारों को सिखाया कि नज़राने की मुहब्बत करें।
  • जब लोग इस तरह की मुहब्बत से दूसरों को मुहब्बत करते हैं, तो वे उन तरीक़ों से काम करते हैं जो वे यह सोचते हैं कि दूसरों की तरक़्क़ी के लिए क्या वजह होगी। ऐसी मुहब्बत ख़ास करके दूसरों को मु’आफ़ करती है।
  • यू.एल.बी. में “मुहब्बत” लफ़्ज़ ऐसा ही ख़ुद सुपुर्दगी या मुहब्बत है जब तक कि तर्जुमा का हाशिया अलग मतलब का ज़िक्र न करे।
  1. नये ‘अहदनामे में लफ़्ज़ का एक और हवाला है, भाईचारे की मुहब्बत या “दोस्त की मुहब्बत या ख़ानदानी फ़र्द की मुहब्बत”
  • यह लफ़्ज़ दोस्तों और घर के अफ़राद की क़ुदरती मुहब्बत का हवाला देता है।
  • इस का इस्ते’माल ऐसे मज़मूनों में भी हो सकता है जैसे वे दा’वत में ख़ास मक़मों में बैठने की ख़्वाहिश रखते हैं। या’नी उन्हें ऐसा करने की “बहुत ज़्यादा ख़्वाहिश” या “ गहरी चाहत”
    • “मुहब्बत” लफ़्ज़ का हवाला ‘औरत-आदमी में रोमानी रिश्ते की मुहब्बत है ।
  1. ‏‘‏’अलामती तौर पर इज़हार, “मैंने या’क़ूब से मुहब्बत की है और ‘ऐसौ को नफ़रती जाना है।” यहां “मुहब्बत” लफ़्ज़ का मतलब है कि ख़ुदा ने या’क़ूब को चुना कि ख़ुदा के साथ कलाम के बारे में रहे। इसका तर्जुमा “चुना” भी हो सकता है। ताहम ‘ऐसौ को भी ख़ुदा ने बरकतें दी थी, उसे कलाम के मुता’अल्लिक़ इम्तियाज़ हासिल नहीं थे। “नफ़रती” लफ़्ज़ का ‘अलामती इस्ते’माल किया गया है जिसका मतलब है “छोड़ा हुआ” या “नहीं चुना।”

तर्जुमा की सलाह:

  • जब तक कि तर्जुमा से मुता’अल्लिक़ हाशिये में और मतलब समझाया न जाए यू.एल.बी. में “मुहब्बत” लफ़्ज़ ख़ुदा से हासिल ख़ुद सुपुर्दगी की मुहब्बत का हवाला देता है।
  • कुछ ज़बानों में ख़ुदा की बिना ख़ुदगर्ज़, सुपुर्दगी की मुहब्बत के लिए ख़ास लफ़्ज़ हो सकता है। इस लफ़्ज़ के तर्जुमा हो सकते हैं, “सुपुर्दगी, वफ़ादार देखरेख” या “बिना ख़ुदगर्ज़ होकर ख़िदमत करना” या “ख़ुदा की मुहब्बत।” यक़ीनी बनाएँ, कि ख़ुदा की मुहब्बत का तर्जुमा हो सकता है, औरों के फ़ायदे के लिए अपनी ख़्वाहिशों को मारना और कोई कुछ भी करे उनसे मुहब्बत निभाते रहना।
  • कभी-कभी “मुहब्बत” लफ़्ज़ का मतलब होता है दोस्तों और ख़ानदानी अफ़राद के लिए गहरी ख़िदमत का ख़याल रखना। कुछ ज़बानों में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले से किया जा सकता है जिसका मतलब है, “बहुत अज़ीज़ समझना” या “ख़बर लेना” या “गहरा लगाव होना।”
  • जिन मज़मूनों में “मुहब्बत” लफ़्ज़ किसी के लिए पुरज़ोर चाहत ज़ाहिर करे तो उस का तर्जुमा हो सकता है, “पुरज़ोर ख़्वाहिश” या “बहुत ज़्यादा चाहना” या “बहुत ज़्यादा पसन्द करना”।
  • कुछ ज़बानों में एक अलग लफ़्ज़ होता है जिसके ज़रिए’ शौहर-बीवी के बीच रोमानी मुहब्बत या जिस्मानी ता’अल्लुक़ की मुहब्बत को ज़ाहिर किया जाता है।
  • बहुत सी ज़बानों में "मुहब्बत" लफ़्ज़ को फ़े’अल के तौर पर ज़ाहिर करना होता है। मिसाल के तौर पर, उनमें “मुहब्बत सब्र है, मुहब्बत रहमदिल है, इस जमले का तर्जुमा हो सकता है, “जब कोई किसी से मुहब्बत करता है, वह उसके साथ सब्र दिखाता है, उस पर रहम करता है।”

(यह भी देखें:‘अहद, मौत, क़ुर्बानी, बचाना, गुनाह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 27:02 मुन्तजिम ने जवाब दिया, “तू अपने ख़ुदा से अपने सारे दिल, रूह, क़ुव्वत और ,दिल से मुहब्बत रखना। और अपने पड़ोसी से अपने बराबर मुहब्बत करना।”
  • 33:08 “कंटीली ज़मीन वे इन्सान है जिन्होंने कलाम सुना, और दुनिया की फ़िक्र और दौलत का धोखा, और दीगर चीज़ों का लालच उनमें समाकर ख़ुदा के लिए उसकी मुहब्बत को दबा देता है।”
  • 36:05 जैसे पतरस बोल ही रहा था कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह लफ़्ज़ निकला : “ यह मेरा अज़ीज़ बेटा है, जिससे में मुहब्बत करता हूँ”
  • 39:10 हर वह इन्सान जिसे सच्चाई से मुहब्बत है, मुझे सुनेगा।”
  • 47:01 वह(लुदिया) बहुत मुहब्बत के साथ ख़ुदावन्द की ‘इबादत करती थी।
  • __48:01__ख़ुदा ने जब दुनिया की तख़लीक की , तो सब कुछ एकदम सही था। दुनिया में कोई गुनाह नहीं था। आदम और हव्वा एक-दूसरे से और ख़ुदा से मुहब्बत करते थे।
  • __49:03__उसने(‘ईसा) सिखाया कि तुम्हें दूसरे लोगों को उसी तरह मुहब्बत करना है जैसे कि आप ख़ुद से मुहब्बत करते हैं।
  • 49:04 उसने(‘ईसा) यह भी सिखाया कि तुम्हें किसी भी चीज़, अपनी दौलत से भी ज्यादा ख़ुदा को मुहब्बत करना चाहिए।
  • 49:07 ‘ईसा ने सिखाया कि ख़ुदा गुनाहगारों से बहुत मुहब्बत करता है।
  • 49:09 लेकिन ख़ुदा ने क़ायनात के हर इन्सान से इतनी ज़्यादा मुहब्बत की कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई ‘ईसा पर ईमान करे उसे उसके गुनाहों की सज़ा नहीं मिलेगी, लेकिन हमेशा ख़ुदा के साथ रहेगा।
  • 49:13 ख़ुदा तुमसे मुहब्बत करता है और चाहता है कि तुम ‘ईसा पर ईमान करो ताकि वह तुमसे एक क़रीबी रिश्ता क़ायम रख सके।

शब्दकोश:

  • Strong's: H157, H158, H159, H160, H2245, H2617, H2836, H3039, H4261, H5689, H5690, H5691, H7355, H7356, H7453, H7474, G25, G26, G5360, G5361, G5362, G5363, G5365, G5367, G5368, G5369, G5377, G5381, G5382, G5383, G5388

मुहर्रिर , मुहर्रिरों

ता'अर्रुफ़:

मुहर्रिर वह हाकिम थे जो हुकूमती या मज़हबी दस्तावेज़ को हाथ से लिखने या नक़ल करने के काम की ज़िम्मेदारी को पूरा करते थे। यहूदी मुहर्रिरों को "यहूदी शरी'अत के 'आलिम" भी कहा जाता था।

  • मुहर्रिरों का काम था कि पुराने 'अहद नामे की किताबों की कापी बनाकर महफ़ूज़ रखें।
  • वह ख़ुदा की शरी'अत पर मज़हबी ख़यालों की वाक्ये और दस्तावेज़ की कापी बनाकर महफ़ूज़ रखते थे।
  • कभी-कभी मुमुहर्रिर बहत ही ख़ास हुकूमती हाकिम भी होते थे।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में बहत ही ख़ास मुहर्रिर थे बारूक और एज्रा।
  • नए अहद नामे में, यह लफ़्ज़ "मुहर्रिर " का तर्जुमा "शरी'अत के ‘आलिम " भी किया गया है।
  • नए 'अहद नामे के वक़्त , मुहर्रिर हमेशा एक मज़हबी जमा'अत "फ़रीसी" के लोग थे और इन दोनों जमा'अतें बार-बार एक साथ ज़िक्र में रही हैं।

(यह भी देखें: क़ानून, फ़रीसी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H5608, H5613, H7083, G1122

मेल करना, मेल-मिलाप, मेल मिलाप कर लिया, मिलाप

ता’अर्रुफ़:

“मेल करना” और “मेल मिलाप” का हवाला “सुकून बनाने” से है, उनके दरमियान जो पहले एक दूसरे के दुश्मन थे। "मिलाप" सुकून बनाने का काम है

किताब-ए-मुक़द्दस में यह लफ़्ज़ अक्सर ख़ुदा के बारे में है कि वह इन्सानों के साथ मेल करता है जो मसीह ‘ईसा उसके बेटे की क़ुर्बानी के ज़रिए’ है। गुनाह की वजह से सब इन्सान ख़ुदा के दुश्मन हैं। लेकिन उसकी करूणा प्रेम के कारण, ख़ुदा ने ‘ईसा के के ज़रिए’ उसके साथ मेल करने की राह बनाई है। गुनाहों का क़ीमत चुकाने के लिए ‘ईसा की क़ुर्बानी में ईमान करके इन्सान मु’आफ़ किए जाते हैं और ख़ुदा के साथ उनका मेल होता है।

तर्जुमे की सलाह:

लफ़्ज़ "मेल करना" का तर्जुमा "सुकून बनाने" या "अच्छे रिश्तों को दुबारा क़ायम करने" या "मित्र बनने के लिए" की शक्ल रिश्तों में किया जा सकता है। “मेल-मिलाप” का तर्जुमा “अच्छे रिश्तों को बनाना” या “सुकून बनाना” या “सुकूनत का रिश्ता क़ायम करना” की शक्लमें किया जा सकता है।

(यह भी देखें: सुकून, क़ुर्बानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2398 , H3722 , G604 , G1259 , G2433 , G2643, G2644

मो'जिज़ा, मो'जिज़ों, अजीब, हैरतके कामों, निशान, निशानों

ता’अर्रुफ़:

“मो'जिज़ा” एक ऐसा अजीब काम है जो ख़ुदावन्द ने किए जो इन्सान के लिए मुम्किन नही है।

  • 'ईसा के मो'जिज़ों में आंधी को शान्त करना, अंधे आदमी को बीनाई देना ।
  • मो'जिज़ों को अजीब काम भी कहा गया है क्यूँकि उन्हें देखकर इन्सान हैरान और ता'अज्जुब से भर जाता है।
  • “अजीब काम” के बारे में आम तौर से ख़ुदावन्द की ताक़त से ता'अज्जुब वाले काम से भी है जैसे जब उसने आसमान और ज़मीन को बनाया ।
  • मो'जिज़ों को “निशान” भी कहा गया है क्यूँकि वे ख़ुदावन्द के क़ादिर होने का इशारा या सुबूत हैं, जहान पर उसका पूरा इख्तियार है।
  • कुछ मो'जिज़े ख़ुदावन्द के आज़ादी के काम हैं जैसे जब उसने इस्राईलियों को मिस्र की ग़ुलामी में से निकाला था और दानिएल को शेरों के नुक़सान से महफ़ूज़ रखा था।
  • दूसरे मो'जिज़े हैं, ख़ुदावन्द की सज़ा जैसे नूह के वक़्त में उसने पानी का सैलाब भेजा या मूसा के वक़्त में मिस्र पर मुसीबतें डालीं।
  • ख़ुदावन्द के दूसरे कई मो'जिज़ों में बीमारों को अच्छा करना और मुर्दों को जिलाना था।
  • 'ईसा के ज़रिए' बीमारों की शिफ़ा, आंधी शान्त करना, पानी पर चलना, मुर्दों को जिलाना ख़ुदावन्द की ताक़त का ज़हूर था। यह सब मो'जिज़े थे।
  • ख़ुदावन्द ने नबियों और रसूलों को भी ताक़त दिया कि वह मो'जिज़े करें जैसे बीमारी को शिफ़ा दूसरे ताक़तवर काम जो सिर्फ़ ख़ुदावन्द की ताक़त से ही मुम्किन थे।

तर्जुमा की सलाह:

  • “मो'जिज़े” और “अजीब कामों” के तर्जुमा हो सकते हैं, “ख़ुदावन्द के नामुम्किन काम ” या “ख़ुदावन्द की ताक़त के काम ” या “ख़ुदावन्द के हैरत अंगेज़ काम”
  • “निशान और मो'जिज़ा” एक ऐसा जुमला है जिसका बार-बार इस्ते'माल किया गया है, इसका तर्जुमा हो सकता है, “सबूत और मो'जिज़े” या “ख़ुदावन्द की ताक़त को साबित करने वाले हैरत अंगेज़ काम” या “क़ुदरती मो'जिज़ा जिनसे ख़ुदावन्द की अज़मत ज़ाहिर होती है”
  • तवज्जोह दें कि क़ुदरती निशान का मतलब है किसी बात को साबित करने के निशान से अलग है। इन दोनों का मतलब एक जैसा हो सकता है।

(यह भी देखें: ताक़त, नबी, रसूल, निशान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 16:08 ख़ुदावन्द इस्राईलियों को बचाने के लिए गिदोन का इस्ते'माल करना चाहता है, इसके लिए उसने ख़ुदावन्द से दो निशान पूछे |
  • 19:14 ख़ुदावन्द ने एलीशा के ज़रिए' बहुत से मो'जिज़े किए |
  • 37:10 कई यहूदी उसका यह काम देखकर, उस पर ईमान किया।
  • 43:06 “ऐ इस्राईलियो ये बातें सुनो: 'ईसा नासरी एक आदमी था, जिसने ख़ुदावन्द की ताक़त से कई अजीब कामों और निशानों को ज़ाहिर किया, जो ख़ुदावन्द ने तुम्हारे बीच उसके ज़रिए' कर दिखाए जिसे तुम ख़ुद ही जानते हो |”
  • 49:02 'ईसा ने बहुत से मो'जिज़े किये जो यह साबित करते हैं कि वह ख़ुदावन्द है | वह पानी पर चला, तूफ़ान को शांत किया, बहुत से बीमारों को अच्छा किया, बदरूहों को निकाला, मुर्दों को ज़िन्दा किया, और पांच रोटी और दो छोटी मछलियों को इतने खाने में बदल दिया कि वह 5,000 लोगों के लिए काफ़ी हो |

शब्दकोश:

  • Strong's: H226, H852, H2368, H2858, H4150, H4159, H4864, H5251, H5824, H5953, H6381, H6382, H6383, H6395, H6725, H7560, H7583, H8047, H8074, H8539, H8540,, G880, G1213, G1229, G1411, G1569, G1718, G1770, G1839, G2285, G2296, G2297, G3167, G3902, G4591, G4592, G5059

यक़ीन, यक़ीन करे, यक़ीन किया, ईमानदार, ईमान, बे-ईमान, बे-ईमानों , बे-ईमान,

ता'अर्रुफ़:

“यक़ीन” और “ में यक़ीन करना” क़रीबी रिश्ते में हैं लेकिन इसके मा'ने में फ़र्क बहुत कम है।

1.ईमान

  • यक़ीन करने के लिए कुछ यह कुबूल या यक़ीन है कि यह सच है |
  • यक़ीन करने के लिए किसी को ये तस्लीम करना है कि क्या उस शख्स ने सच कहा है |

2. यक़ीन करना

  • "यक़ीन रखना " किसी शख्स को " उस पर यक़ीन रखना " का मतलब है| * उस पर यक़ीन करने का मतलब है कि इन्सान वही है कि जो कहता है कि वह है, कि वह हमेशा सच बोलता है , और वह वही करेगा जो उसने करने का वा'दा किया है |
  • जब कोई शख्स वाक़'ई किसी चीज़ पर यक़ीन रखता है तो वह ऐसे तरीक़े से काम करेगा जो उस 'अक़ीदे को ज़ाहिर करता है |
  • उस जुमले में "ईमान लाए "'आम तौर पर उसी मा'ने में "ईमान लाए "है |
  • " 'ईसा में यक़ीन रखना " का मतलब ये है कि वह ख़ुदा का बेटा है, ये कि वह ख़ुद ही ख़ुदा है जो इन्सान बन गया और हमारे गुनाहों की अदाइगी करने के लिए जो क़ुर्बानी के तौर पर मर गया | * उसका मतलब ये है कि उसे नजाते दहिन्दा के तौर पर 'ऐतमाद करना और उसी तरह से उसकी 'इज़्ज़त करना है |

किताब-ए-मुक़द्दस में "जो शख्स ईमान लाता है और 'ईसा मसीह पे नजात दहिन्दा के तौर पर अनह्सार करती है उस से मुराद है "

  • लफ्ज़ी मा'ने का मतलब है " जो शख्स ईमान लाता है "
  • लफ्ज़ मसीही " आख़िर कार ईमानदारों के लिए ख़ास 'अन्वान बन गया क्यूँकि यह इशारा करता है कि मसीह में ईमान रखते हैं और उनकी ता'लीमात की इता'अत करते हैं |

" बे 'ऐतक़ाद "किसी चीज़ या किसी को यक़ीन नही करता, |

  • किताब-ए-मुक़द्दस में, "बे-ईमानी" 'ईसा पर 'ऐतमाद नही करता या भरोसा नही करता है कि वह एक नजात दहिन्दा है|
  • एक शख्स जो 'ईसा के बारे में ईमान नही रखता , "उसे बे ईमान "कहा जाता है |

तर्जुमा की सलाह :

  • “यक़ीन करने” का तर्जुमा हो सकता है“जानना कि सच क्या है” या “अच्छा होने का 'इल्म ” किया जा सकता है।

  • "यक़ीन रखने" के तौर पर " मुकम्मल तौर पर 'ऐतमाद " या " 'ऐतमाद और इता'अत " के तौर पर तर्जुमा किया जा सकता है या " मुकम्मल तौर पर 'अमल करें |"

  • कुछ तर्जुमा शायद " 'ईसा में मोमिन " या मसीह " में ईमान लाने के लिए तरजीह देते हैं |

  • यह लफ्ज़ का तर्जुमा भी किया जा सकता है जिसका मतलब है "कि जो शख्स 'ईसा पर 'एतमाद रखता है "या "जो कोई 'ईसा को जान्ता है और उसके लिए ज़िन्दा रहता है "

  • तर्जुमा करने का दूसरा तरीक़ा " 'ईसा का पैरोकार "या " जो शख्स 'ईसा को जानता है और उसकी इता'अत करता है" हो सकता है |

  • मसीह में किसी ईमानदार के लिए एक 'आम लफ्ज़ है, जबकि " शागिर्द और रसूल ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए इस्ते'माल किया गया है जो 'इसा को जानता था जबकि वह ज़िन्दा था | ये सबसे बहतर है कि उन शरायत को मुख्तलिफ़ तरीक़ों से तर्जुमा करें, ताकि उन्हें अलग रखने के लिए |

  • "बे 'ऐतक़ाद"तर्जुमा करने के दुसरे तरीकों में " ईमान की कमी"या" ईमान नहीं लाना"शामिल हो सकता है |

"जो शख्स 'ईसा में यक़ीन नहीं करता " या"किसी ऐसे शख्स को जो नजात दहिन्दा के तौर पर 'ईसा में 'एतमाद नही है " पर तर्जुमा किया जा सकता है |

‏(‏यह भी देखें: \ ईमान , \ रसूल , \ 'ईसाई , \ शागिर्द , \ यक़ीन , \ 'ऐतमाद ‏)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों की मिसालें:

  • 03:04 नूह ने लोगों को बाढ़ के बारे में आगाह किया, और कहा कि ख़ुदा की तरफ़ दिल फिराओ पर उन्होंने नूह पर यक़ीन नहीं किया।
  • 04:08 अब्राम ने ख़ुदा के 'अहद पर यक़ीन किया। ख़ुदा ने 'ऐलान किया कि अब्राम रास्तबाज़ है, क्योंकि उसने ख़ुदा के 'अहद पर यक़ीन किया है।
  • 11:02 ख़ुदा ने कहा कि, वह इन्सान जो उस पर यक़ीन करेंगा वह उसके पहिलौठे बेटे को बचाएगा।
  • 11:06 लेकिन मिस्रियों ने ख़ुदा पर यक़ीन नहीं किया था या उनके हुक्मों की इता'अत नहीं की थी |
  • 37:05'ईसा ने जवाब दिया " मैं क़यामत और ज़िन्दगी हूँ | जो भी ईमान लाएगा वह और में ज़िन्दा रहूँगा | हर कोई यक़ीन रखता है मैं कभी नहीं मरूंगा | क्या आप यक़ीन रखते हैं ?"
  • 43:01'ईसा मसीह के आसमान में जाने के बा'द, शागिर्द यरूशलीम में रहेंगे क्यूँकि 'ईसा ने उन्हें हुक्म दिया था | ईमानदार एक साथ दु'आ करने के लिए जमा' हुए थे |
  • __43:03__जब __ईमानदार__सब एक साथ थे, अचानक वह घर जहाँ वह एक मौजूद थे वह तेज़ हवा की तरह आवाज़ से भरा हुआ था फ़िर कुछ जो आग की लपट की तरह लगती थी जैसे तमाम ईमानदारों के सरों पर आया ठहरी |
  • 43:13 हर दिन ज़्यादा _ईमानदारों की तादाद बढ़ती रही |
  • 46:06 उस दिन से यरुशलीम में बहुत से लोगों ने ईसा के ईमानदारों को सताना शुरू' किया इसलिए ईमानदार दूसरी जगह भाग गए | लेकिन उसके बावजूद भी, उन्होंने हर जगह 'ईसा के बारे में तबलीग़ की |
  • 46:01 साऊल एक जवान आदमी था जो उन लोगों के कपड़ों की देख रेख कर रहा था, जो लोग इस्तिफुनुस को क़त्ल किया था| उसने 'ईसा पर यक़ीन नहीं किया, इसलिए उन्होंने ईमानदारों को परेशान किया

‏_‎* __46:09_यरूशलीम में ज़ूल्म व सितम से भागने वाले कुछ __ईमानदार __ अन्ताकिया शहर में चले गए और 'ईसा के बारे में तबलीग़ की। यह अन्ताकिया कि 'ईसा में __ईमान लाने वालों __ को पहले "मसीही" कहा गया।

  • __47:14__उन्होंने बातों में ईमानदार की हौसला अफज़ाई और सिखाने के लिए बहुत से ख़ुतूत भी कलीसियाओं लिखे |

शब्दकोश:

  • Strong's: H539, H540, G543, G544, G569, G570, G571, G3982, G4100, G4102, G4103, G4135

यहूदी, यहूदियों का, यहूदियों

सच्चाई:

यहूदी वह लोग है जो इब्राहीम के पोते या'क़ूब की औलाद थे। “यहूदी” लफ़्ज़ “यहूदा” से आया था।

लोग इस्राईलियों को यहूदी तब कहने लगे थे जब वह बाबुल से यहूदा मुल्क लौट आए थे।

  • मसीह 'ईसा यहूदी था। लेकिन यहूदी मज़हब के रहनुमाओं ने ;ईसा का इन्कार किया और उसको मार डालने की मांग की।
  • “यहूदी लफ़्ज़ हमेशा यहूदियों के रहनुमाओं के बारे में लिया जाता था, सब यहूदियों के लिए नहीं। इन बारों में कुछ तर्जुमों में “के रहनुमा” को जोड़ा जाता है कि मतलब साफ़ बयान हो।

(यह भी देखें: इब्राहीम, या’क़ूब, इस्राईल, बाबुल, यहूदी रहनुमा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 20:11 इस्राईलियों को अब यहूदी कहा जाता था और उनमें से ज़्यादातर लोगों ने अपनी पूरी ज़िन्दगी बाबुल में गुज़ार दी थी |
  • 20:12 लिहाज़ा सत्तर साल तक जिला वतनी के बा'द, यहूदियों का एक छोटा गिरोह यरूशलीम को वापस लौट आया।
  • 37:10 कई यहूदी उसका यह मो'जिज़ा देखकर, उस पर ईमान लाए ।
  • 37:11 लेकिन यहूदियों के मज़हबी उस्ताद 'ईसा से हसद रखते थे, इसलिए उन्होंने आपस में मिलकर मन्सूबा बनाना चाहा कि कैसे वह 'ईसा और लाजर को क़त्ल सके।
  • 40:02 पिलातुस ने हुक्म दिया कि 'ईसा के सिर के ऊपर सलीब पर यह लिख कर लगा दिया जाए कि, “यह यहूदियों का बादशाह है।”
  • __46:06__फ़ौरन ही, शाऊल दमिश्क़ के यहूदियों से 'ऐलान करने लगा कि, "’ईसा ख़ुदावन्द का बेटा है!"

शब्दकोश:

  • Strong's: H3054, H3061, H3062, H3064, H3066, G2450, G2451, G2452, G2453, G2454

यहोवा

सच्चाई:

“यहोवा” ख़ुदा का नाम है, उसने उस जलती हुई झाड़ी पर मूसा को यह नाम बताया था

  • “यहोवा” नाम उस लफ़्ज़ से आता है जिसका मतलब है “होना” या “हक़ीक़त में है।”
  • “यहोवा” के मुनासिब मतलब हो सकते हैं, “वह है” या “मैं हूँ” या “वह जो होता है”।
  • इन नाम का मतलब है ख़ुदा हमेशा से ज़िन्दा है और रहेगा। इसका मतलब हमेशा मौजूद भी है।
  • लिखी हुई रवायत , कई कलाम के जुमलों का लफ़्ज़ "ख़ुदा" को ज़ाहिर करने के लिए "यहोवा" इस्ते'माल किया है। यह रवायत इस सच्चाई से हुई है कि तवारीख़ की शक्ल से, यहूदी लोग डरते हैं कि यहोवा के नाम का मतलब ग़लत तरीक़े से न हो इसलिए जहाँ भी बाब में यहोवा आया वहाँ वह ख़ुदा कहने लगे। अक्सर कलाम में "ख़ुदा"(मालिक) को अंग्रेजी में बड़े हरफ़ों से लिखा जाता है कि ख़ुदा के नाम की 'इज़्ज़त हो।
  • यू.एल.बी. और यू.डी.बी. ख़ुदा के नाम को “यहोवा” ही लिखते हैं जैसा 'इब्रानी ज़बान के पुराने 'अहद नामे में है।
  • नये 'अहद नामे में “यहोवा” नाम का इस्ते'माल नहीं किया गया है; सिर्फ़ “ख़ुदा” के लिए यूनानी लफ़्ज़ का इस्ते'माल किया जाता है, यहाँ तक कि पुराने 'अहद नामे की मिसाल में भी।
  • पुराने 'अहद नामे में जब ख़ुदा ख़ुद के बारे में कहता है तब वह लक़ब की जगह में अपना नाम लेता है।
  • लक़ब “मैं” और “मुझ” के ज़रिए' यू.एल.बी. के बाबों के लिए साबित करती है कि कहनेवाला ख़ुदा ही है।

तर्जुमा की सलाह :

  • “यहोवा” लफ़्ज़ की जगह में “मैं हूँ” या “ज़िन्दा ख़ुदा” या “हक़ीक़ी” या “वह जो ज़िन्दा है” काम में लिया जा सकता है।
  • यह लफ़्ज़ इस तरह लिखा जाए जो “यहोवा” लफ़्ज़ की हिज्जे दिखाई दे।
  • कुछ कलीसिया की क़ौमों में "यहोवा" लफ़्ज़ का इस्ते’माल करना पसंद नहीं करते हैं और बदले में रवायती तौर पर "ख़ुदा"(ख़ुदा को अंग्रेजी में बड़े हरफ़ों में) का इस्ते’माल करते हैं। एक ज़रूरी ख़याल यह है कि यह उलझन हो सकती है जब बड़े पैमाने पर पढ़ा जा सकता है क्यूँकि यह मज़मून "ख़ुदा" के जैसा होगा। कुछ ज़बानों में निशान जोड़े जा सकते है जो फ़र्क़ करता है “ख़ुदा” (ख़ुदा को अंग्रेजी में बड़े हरफ़ों में)को नाम के तौर पर (यहोवा) और “ख़ुदा” को उनवान के तौर पर।
  • अगर मुनासिब हो तो बेहतर यही होगा कि जहां-जहां यहोवा का नाम आता है उसे ज्यों का त्यों ही रखें लेकिन कुछ तर्जुमों में लक़ब का ही इस्ते'माल किया गया है कि बाब को ज़्यादा सही और आसान बनाया जाए।
  • कुछ इस तरह से मिसाल लिखें, "यहोवा यूं कहता है।"

(तर्जुमा की सलाह नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: ख़ुदावन्द, ख़ुदा, ख़ुदा, मूसा, ज़ाहिर करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 09:14 ख़ुदा ने मूसा से कहा मैं जो हूँ सो हूँ। उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।” मैं यहोवा हूँ “तुम्हारे बाप दादा ,इब्राहीम , इस्हाक़ , और या'क़ूब , का ख़ुदा ”, उनसे कहना “जिसका नाम मैं हूँ
  • 13:04 ख़ुदा ने उन्हें क़सम दी और कहा, "मैं तेरा ख़ुदा यहोवा हूँ, जो तुझे ग़ुलामी के घर या'नी मिस्र मुल्क से निकाल लाया है। तू मुझे छोड़ दूसरों को ख़ुदा करके न मानना।‏”
  • 13:05 “तू अपने लिये कोई बुत खोदकर न बनाना, न किसी की ख़ुदा बनाना, तू उनकी 'इबादत न करना क्योंकि मैं तेरा ख़ुदा यहोवा जलन रखने वाला ख़ुदा हूँ।"
  • 16:01 इस्राईलियों ने यहोवा जो सच्चा ख़ुदा है उसकी जगह पर, कन'आनियो के मा'बूद की 'इबादत करना शुरू' किया।
  • 19:10 फिर एलियाह ने दु'आ की, ऐ इब्राहीम, इस्हाक़ और इस्राईल के ख़ुदा __ यहोवा!__ आज यह ज़ाहिर कर कि इस्राईल में तू ही ख़ुदा है, और मैं तेरा ग़ुलाम हूँ,

शब्दकोश:

  • Strong's: H3050, H3068, H3069

याहूदियों का बादशाह, यहूदियों का बादशाह

ता’अर्रुफ़

“यहूदियों का बादशाह” लफ़्ज़ एक उनवान है, जो ‘ईसा मसीह के बारे में बताता है|

  • पहली बार जब किताब-ए-मुक़द्दस इस उनवान को दर्ज करता तब इसका इस्ते’माल उन ‘अक़्लमन्द इंसानों के ज़रिए’ जिन्होंने बैतलहम का सफ़र उस बच्चे को देखने के लिए किया जो “यहूदियों का बादशाह” था
  • फ़रिश्ते ने मरियम को बताया कि उसके बेटा बादशाह दाऊद की नसल से होगा, जिसकी बादशाही हमेशा तक क़ायम रहेगी|
  • ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने से पहले रोमन सिपाहियों ने मज़ाक़ से ‘ईसा को “यहूदियों का बादशाह” कहा| यह उनवान लकड़ी की तख़्ती पर भी लिखा गया था और ‘ईसा के सलीब के ऊपर लगाया गया था|
  • ‘ईसा हक़ीक़त में यहूदियों का बादशाह है और सारी मख़लूक का बादशाह है|

तर्जुमे की सलाह:

  • "यहूदियों के बादशाह" लफ़्ज़ का तर्जुमा "यहूदियों पर बादशाह" या "बादशाह जो यहूदियों पर हुकूमत करता है" या "यहूदियों का सबसे बड़ा हाकिम" के तौर में भी किया जा सकता है।
  • तर्जुमे में और जगहों में “का राजा” जुमले का तर्जुमा कैसे किया जाता है देखने के लिए जाँचें|

( यह भी देखें: : नसल, यहूदी, ‘ईसा, बादशाह, बादशाही, ख़ुदा की बादशाही, ‘अक़्लमन्द लोग)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानिओं से मिसालें:

  • 23:09 कुछ वक़्त के बा’द, पूरबी मुल्कों के ‘अक़्लमन्द लोगों ने आसमान में एक तारा देखा| उन्होंने इसका मतलब समझा कि नया__यहूदियों का बादशाह__ पैदा हुआ था|
  • 39:09 पिलातुस ने ‘ईसा से पूछा, "क्या तुम यहूदियों के बादशाह हो?"
  • 39:12 रोमी सिपाहियों ने ‘ईसा को मारा और शाही लिबास और उसके ऊपर काँटे से बने ताज़ को लगाया| तब उन्होंने यह कहकर उसका मज़ाक़ उड़ाया, “देखो, यहूदियों का बादशाह”
  • 40:02 पिलातुस ने हुक्म दिया कि वे किसी निशान पर “यहूदियों का बादशाह” लिखें और उसे ईसा के ऊपर सलीब पर लगायें|

शब्दकोश:

  • Strong's: G935, G2453

रखवाला, रखवाले

ता’अर्रुफ़:

“रखवाला” लफ़्ज़ के हक़ीक़ी मा’ने हैं चरवाहा। इसका इस्ते’माल ईमानदारों की जमा’त के रूहानी रहनुमाके लिए भी किया जाता है।

  • अंग्रेजी कलाम में यह लफ़्ज़ एक ही बार इफिसियों के ख़त में आया है। यह लफ़्ज़ वही है जिसको “चरवाहा” कहा गया है।
  • कुछ जबानों में “रखवाले” के लिए “चरवाहा” लफ़्ज़ काम में लिया गया है।
  • यह वही है जो ‘ईसा के लिए काम में लिया गया था, “अच्छा चरवाहा”

तर्जुमे की सलाह :

  • सबसे अच्छा तो यही होगा कि इस लफ़्ज़ कातर्जुमा , “चरवाहा” किया जाए।
  • इस लफ़्ज़ के और तर्जुमे हो सकते हैं, “रूहानी चरवाहा” या “चरानेवाला

(यह भी देखें: चरवाहा, भेंड)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H7462, G4166

रब्बी

ता’अर्रुफ़:

“रब्बी” लफ़्ज़ का सही मतलब है “मेरा मालिक” या “मेरा उस्ताद”

  • यह एक इज़्ज़त वाला ‘उहदा है जो यहूदी मज़हबी उस्ताद के लिए काम में लिया जाता था, ख़ास करके ख़ुदा की शरी’अत का उस्ताद|
  • युहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को और ‘ईसा को भी कभी-कभी शागिर्द “रब्बी” कहते थे।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमा के तरीक़े हो सकते हैं, “मेरा मालिक” या “मेरे उस्ताद” या “मो’अज़्ज़िज़ उस्ताद” या “मज़हबी उस्ताद” कुछ ज़बानों में ऐसे अहतराम को बड़े हर्फ़ में लिखा जाता है तो कुछ में नहीं लिखा जाता है।
  • मक़सदी ज़बान में उस्तादों को मुख़ातिब करने का एक ख़ास तरीक़ा हो सकता हैं।
  • यक़ीनी बनाएँ कि इस लफ़्ज़ के ऐसे तर्जुमें से ‘ईसा किसी मदरसे का उस्ताद न समझ में आए।
  • उसी ज़बान के या क़ौमी ज़बान की किताब-ए-मुक़द्दस तर्जुमा में “रब्बी” के तर्जुमा पर भी ध्यान दें।

देखें: नामा’लूम अलफ़ाज़ का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: उस्ताद)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G4461

रसूल, रसूलों, रिसालत

ता’अर्रुफ़:

“रसूलों”, ईसा के ज़रिए' भेजे गए आदमी जो ख़ुदा और उसकी बादशाही के नबी थे। “रसूलियत” या'नी रसूल होने के लिए चुने गए आदमियों का 'उहदा और इख्तियार ।

  • “रसूल” लफ़्ज़ का मतलब है, “ख़ास मक़सद के लिए भेजा गया आदमी ”। रसूल के पास वही इख्तियार होता है जो भेजनेवाले के पास है।
  • ईसा के वह बारह ख़ास शागिर्द पहले रसूल थे। दूसरे आदमी, जैसे कि पौलुस और या'क़ूब भी रसूल हुए थे।
  • ख़ुदा के क़ूव्वत से रसूल बेख़ौफ़ होकर ख़ुशख़बरी सुनाने के लायक़ हुए थे और वह बीमारों को चंगा करते थे और बदरूहों को भी निकालते थे।

तर्जुमा की सलाह:

  • “रसूल” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमलों के ज़रिए' भी किया जा सकता है जिसका मा'ना “भेजा गया आदमी” या “भेजा गया” या “लोगों को ख़ुदा का पैग़ाम सुनाने के लिए बुलाया गया और भेजा गया आदमी ”।
  • “रसूल” और “शागिर्द” लफ़्ज़ों का तर्जुमा मुखतलिफ़ लफ़्ज़ो में किया जाना ज़रूरी है।

इस बात का भी ध्यान रखें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान के कलाम तर्जुमा में कैसा है। (देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे)

(यह भी देखें: इख्तियार, चेले, या'क़ूब (जब्दी का बेटा), पौलुस, बारह)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :

  • 26:10 फिर ईसा ने बारह लोगों को चुना, जो कि रसूल कहलाए। रसूल ईसा के साथ-साथ चलते थे और वह ईसा से सीखते थे।
  • 30:01 ईसा ने 'एलान करने के लिए और कई अलग- अलग शहरों में लोगों को सिखाने के लिए अपने __शागिर्दों __ को भेजा।
  • 38:02 ईसा के शागिर्दों में से एक यहूदा नाम का एक आदमी था। वह शागिर्दों के माल की देखभाल करता था, वह पैसों से मुहब्बत करता था और अकसर उसमें से चुराता था।
  • 43:13 शागिर्द लगातार रसूलों से ता'लीम पाने, और शाथ रखने, और रोटी तोड़ने, और दु'आ करने में मशगूल रहे।
  • 46:08 तब बरनबास ने उसे अपने साथ रसूलों के पास ले जाकर उनको बताया कि दमिश्क़ में इसने कैसे ग़लत तरीक़े से ईसा के नाम से 'एलान किया।

शब्दकोश:

  • Strong's: G651, G652, G2491, G5376, G5570

रहम, रहमदिल

ता’अर्रुफ़:

“रहम” और “रहमदिल” लफ़्ज़ों का मतलब है ज़रूरत मन्द लोगों की मदद करना ख़ास करके जब वह कमज़ोर और लाचार हों।

  • “रहम” का मतलब यह भी है कि लोगों को उनकी ग़लती की सज़ा न देना।
  • कोई ताक़तवर आदमी जैसे बादशाह को “रहमदिल” कहा जाता है जब वह अपनी रि'आया को नुक़सान पहुंचाने की बदले उनके साथ रहम का सुलूक करता है।
  • रहमदिल होने का मतलब यह भी है कि किसी को हमारे साथ बुराई करने के लिए मु'आफ़ कर देना।
  • जब हम बड़ी ज़रूरत में फंसे लोगों की मदद करते हैं तब हम रहम होता है।
  • ख़ुदा हम पर रहम करता है और चाहता है कि हम दूसरों के साथ भी रहम के जैसा सुलूक करें।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ “रहम” का तर्जुमा “एहसान” या “शफ़क़त” या “”रहम भी किया जा सकता है।
  • “रहमदिल” का तर्जुमा “ रहम दिखाना” या “किसी पर महेरबान होना” या “बख़्शने वाला” होना।
  • “रहम दिखाना” या “ रहम करना” का तर्जुमा “रहम के जैसे सुलूक करना” या “रहम दिखाना” भी हो सकता है।

(यह भी देखें: रहम, मु’आफ़)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुकद्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 19:16 उन्होंने लोगों से कहा कि वह मा'बूदों की 'इबादत करना बंद कर दें, और दूसरों के लिए इन्साफ़ और उन पर रहम करना शुरू' करें।
  • 19:17 एक बार यरमियाह नबी को सूखे कुएँ में डाल दिया और उसे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया। कुएँ में पानी नहीं सिर्फ़ दलदल थी, और यरमियाह कीचड़ में धंस गया, लेकिन तब बादशाह ने उस पर रहम किया और उसने अपने ख़ादिमों को हुक्म दिया कि मरने से पहले उसे कुएँ में से निकाल लाए।
  • 20:12 फ़ारस की सल्तनत बहुत ही मज़बूत थी लेकिन हारे हुए लोगों के लिए रहम रहमदिल था।
  • 27:11 तब 'ईसा ने क़ानून के माहिर से पूछा, “ तुम्हें क्या लगता है इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा?” उसने जवाब दिया, “ वही जिसने उस पर रहम किया।”
  • 32:11 लेकिन 'ईसा ने उससे कहा, "नही, मैं चाहता हूँ कि तुम घर लौट जाओ और जाकर अपने दोस्तों और ख़ानदान के लोगों को वह सब बता जो ख़ुदा ने तुझ पर रहम करके तेरे लिए कैसे बड़े बड़े काम किए हैं |
  • 34:09 लेकिन जिज़्या लेने वाला फ़रीसी दूर खड़े होकर, आसमान की तरफ़ आँखें उठाना भी न चाहा, इसके बजाए अपनी छाती पीट-पीटकर कहा, ‘ऐ ख़ुदा मुझ पर रहम कर क्यूँकि मैं गुनाहगार हूँ।’”

शब्दकोश:

  • Strong's: H2551, H2603, H2604, H2616, H2617, H2623, H3722, H3727, H4627, H4819, H5503, H5504, H5505, H5506, H6014, H7349, H7355, H7356, H7359, G1653, G1655, G1656, G2433, G2436, G3628, G3629, G3741, G4698

रास्तबाज़, रास्तबाज़ी

ता’अर्रुफ़:

“रास्तबाज़ी ” ख़ुदा की भलाई, इन्साफ़, वफ़ादारी और मुहब्बत के बारे में काम में लिया गया लफ़्ज़ है। इन ख़ुसूसियत के होने से ख़ुदा "रास्तबाज़" बनता है। क्योंकि ख़ुदा रास्तबाज़ है, उसके लिए गुनाह की सज़ा देना ज़रूरी है।

  • इन अलफ़ाज़ के ज़रिए’ ख़ुदा के फ़रमाबरदार और नेक इन्सान का भी किरदार का ज़िक्र किया जाता है। लेकिन सबने गुनाह किया है, इसलिए ख़ुदा को छोड़ कोई भी पूरा रास्तबाज़ नहीं है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में जिन लोगों को "रास्तबाज़" कहा गया है वे हैं नूह, अय्यूब, इब्राहीम, ज़करियाह और इलीशिबा।
  • नजात के लिए ‘ईसा में ईमान करनेवालों को ख़ुदा गुनाहों से पाक करता है और ‘ईसा की रास्तबाज़ी की वजह से उन्हें रास्तबाज़ कहता है।

लफ़्ज़ "नारास्त" का मतलब होता है गुनाह गार और अख़लाक़ी तौर पर बाग़ी| "नारास्त" गुनाह और गुनाहगार होने की हालत के बारे में बताता है|

  • ये लफ़्ज़ ख़ास तौर से ऐसे तरीक़े से जीने का ज़िक्र करते हैं जो ख़ुदा की ता’लीमत और हुक्मों का ज़िक्र करते हैं|
  • नारास्त लोग अपने ख़्यालों और ‘आमाल में ग़ैरइख़लाक़ी हैं|
  • कभी-कभी “नारास्त” उन लोगों के बारे में बात करता है जो ‘ईसा में ईमान करते हैं|

“ईमानदार” और “इमानदारी” लफ़्ज़ ऐसे तरीक़े से काम करते हैं जो ख़ुदा के क़वानीन पर ‘अमल करते हैं|

  • इन अलफ़ाज़ का मतलब सीधे खड़े होने और आगे का ख़याल शामिल है|
  • एक इन्सान जो “ईमानदार” है वह कोई है जो ख़ुदा के क़वानीन का ‘अमल करता है और अपनी मर्ज़ी की ख़िलाफ़ काम नहीं करता है|
  • लफ़्ज़ जैसे "सदाक़त" और "रास्तबाज़ी" एक जैसे मतलब रखते हैंऔर कभी कभी मुतवाज़ी ता’मीरात में इस्ते’माल होते हैं, जैसे “सदाक़त और रास्तबाज़ी” (देखें: मुतवाज़ी

तर्जुमे की सलाह:

  • जब ख़ुदा का ज़िक्र होता है, तब “रास्तबाज़” का तर्जूमा होगा, “पूरी तरह से भला और इन्साफ़ पसन्द” या “हमेशा वफ़ादारी निभानेवाला” हो सकता हैं।

  • ख़ुदा की “रास्तबाज़ी” का तर्जुमा “कामिल वफ़ादारी और भलाई” हो सकता है।

  • ख़ुदा के फ़रमाबरदार इन्सानों के ज़िक्र में “रास्तबाज़” लफ़्ज़ का तर्जुमा हो सकता है, “अख़लाक़ में सही” या “इन्साफ़ पसन्द ” या “ख़ुदा के ख़ुश करनेवाली ज़िन्दगी गुज़ारने वाले के तौर पर हो सकता हैं”।

  • “रास्तबाज़” का तर्जुमा “रास्तबाज़ लोग” या “ख़ुदा का डर मानने वाले लोग” के तौर पर हो सकता है।

  • पमज़मून पर मुनहस्सिर “रास्तबाज़ी” का तर्जुमा एक ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए’ किया जा सकता है जिसका मतलब, “अच्छाई” या “ख़ुदा के सामने कामिल होना” या ख़ुदा के हुक्म मानकर सही सुलूक करना” या “पूरी तरह से कामिलियत के काम करना” हो सकता है।

  • कभी-कभी “रास्तबाज़” लफ़्ज़ का इस्ते’माल ‘अलामती शक्ल में भी किया जा सकता है जिसका मतलब ऐसे इन्सानों से किया गया है जो ख़ुद को रास्तबाज़ समझते हैं” या “लोग जो रास्तबाज़ दिखते है।”

  • लफ़्ज़"नारास्त" का तर्जुमा हो सकता है “रास्तबाज़ नहीं”

  • मज़मून पर मुनहस्सिर, तर्जुमे के और तरीक़े शामिल हो सकते हैं जैसे “बुरा” या “ग़ैरअख़लाक़ी” या “लोग जो ख़ुदा के ख़िलाफ़ बग़ावत” या “गुनाहगार”|

  • जुमले "नारास्त" का तर्जुमा हो सकता है “नारास्त लोग”|

  • लफ़्ज़ "नारास्त" का तर्जुमा हो सकता है "गुनाह" या "बुरे ख़याल या ‘आमाल "बुराई."

  • अगर मुमकिन हो, ये सब से बेहतर है कि इस तरह इसका तर्जुमा करें जो अपने रिश्ते को “रस्तबाज़, रास्तबाज़ी” से ज़ाहिर करें|

  • “सीधे” तर्जुमा करने के तरीक़े में “सही तरीक़े से किरदार” या “जो सही तरीक़े से काम करना है” या ख़ुदा के क़वानीन पर ‘अमल” या “ख़ुदा के फरमाबरदार” या “ सही तरीक़े से सुलूक करना” शामिल हो सकता है|

  • “ईमानदारी” लफ़्ज़ का तर्जुमा “इख़लाक़ी पाकी” या “अच्छा इख़लाक़ी किरदार” या “अच्छाई” के तौर पर किया जा सकता है|

  • “सीधे” जुमले का तर्जुमा “सीधे लोग” या “सीधे लोग” की शक्ल में किया जा सकता है|

(यह भी देखें: बुराई, वफ़ादार, अच्छा, पाक, integrity, पाक, क़ानून, शरी’अत, हुक्म मानना, सही, रास्तबाज़, गुनाह, ग़ैरक़ानूनी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 03:02 लेकिन नूह ने ख़ुदा की तरफ़दारी पायी. वह रास्तबाज़ आदमी था, और बदकारों की बीच रहता था|
  • 04:08 ख़ुदा ने इब्राहीम को __रास्तबाज़__मुकर्रर किया था क्यूँकि वह ख़ुदा के ‘अहदनामे में ईमान करता था|
  • 17:02 दाऊद एक हलीम और __रास्तबाज़__इंसान था जो ख़ुदा में ईमान और उसकी फरमाबरदारी करता था|
  • 23:01 यूसुफ़, जिसने मरियम से मंगनी की थी, जो एक रास्तबाज़ इन्सान था|
  • 50:10 तब__रास्तबाज़__ लोग अपने ख़ुदाबाप की बादशाही में सूरज की तरह चमकते हैं|”

शब्दकोश:

  • Strong's: H205, H1368, H2555, H3072, H3474, H3476, H3477, H3483, H4334, H4339, H4749, H5228, H5229, H5324, H5765, H5766, H5767, H5977, H6662, H6663, H6664, H6665, H6666, H6968, H8535, H8537, H8549, H8552, G93, G94, G458, G1341, G1342, G1343, G1344, G1345, G1346, G2118, G3716, G3717

रूह , रूहें , रूहानी

त'अर्रुफ़:

“रूह ” इन्सान का वह ग़ैर जिस्मानी हिस्सा है जो दिखाई नहीं देता है। मरने के वक़्त रूह शरीर को छोड़ देती है। “रूह” लफ़्ज़ रवय्या या जज़्बात हालत को भी दिखता है।

  • “रूह ” का शरीर नहीं होता है, ख़ास करके बदरूह का।
  • इन्सान की रूह वह 'अज़ू है जो ख़ुदा को जानती है और उसमें ईमान करती है।
  • “रूहानी ” लफ़्ज़ का 'आम मतलब है, ग़ैर जिस्मानी दुनिया का कोई भी वजूद ।
  • कलाम में इसका बयान उस किसी भी बात से है जो ख़ुदा से त'अल्लुक़ रखती है, ख़ास करके पाक रूह से।
  • मिसाल केतौर पर , “रूहानी खाना ” या'नी ख़ुदा की ता'लीमें जो इन्सान की रूह की परवरिश करती हैं। “रूहानी, अक़्ल” का मतलब \इल्म और रास्तबाज़ी के जैसा सुलूक जो पाक रूह की ताक़त से हासिल होता है।
  • ख़ुदा रूह है और उसने दूसरे रूहानी मख़लूक़ात को पैदा किया है जिसके शरीर नहीं हैं।
  • फ़रिश्ते रूहानी रूहें हैं इनमें ख़ुदा से बग़ावत करके बदरूह बननेवाली रूहें भी हैं।
  • “रूह” लफ़्ज़ का मतलब “का सा किरदार” जैसे “'अक़्ल की रूह” या “एलियाह की रूह में”।
  • रवय्या और जज़्बात के तौर में “रूह” के बारे में होगा, “खौफ़ की रूह ” या “हसद की रूह ”

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ “रूह” के तर्जुमा की कई शक्लें हो सकती हैं, “गैर जिस्मानी ” या “अन्दुरूनी हिस्सा ” या “अन्दुरूनी वजूद ”।
  • कुछ बयानों में “रूह ” का तर्जुमा “बदरूह” या “बुरी रूहानी ” से हो सकता है।
  • कभी-कभी “आत्मा” शब्द मनुष्य की भावना को व्यक्त करने के लिए काम में लिया जाता है जैसे “मेरी रूह अन्दर ही अन्दर परेशान थी”। इसका तर्जुमा “मेरी रूह परेशान थी” या “मुझे गहरा दुख़” हो सकता है।
  • “की रूह” का तर्जुमा “का किरदार” या “का अन्दाज़” या “का रवय्या” या “सोच के ज़रिए' ख़ासियत” हो सकता है।
  • ख़ुलासे के तौर पर, "रूहानी" का तर्जुमा "ग़ैर रूहानी" या " पाक रूह से" या "ख़ुदा" या "ग़ैर -जिस्मानी दुनिया का हिस्सा" की शक्ल में किया जा सकता है।
  • मुनासिब जुमला " रूहानी दूध" का तर्जुमा "ख़ुदा की बुनियादी ता’लीम " या "ख़ुदा की ता'लीमों की शक्ल में भी किया जा सकता है जो रूह की परवरिश करते हैं (जैसे दूध करता है)।"
  • जुमला रूहानी पुख़्तगी " का तर्जुमा "ख़ुदा के सुलूक के तौर पर किया जा सकता है जो पाक रूह की फ़रमाबरदारी करता है।"
  • लफ़्ज़ "रूहानी तोहफ़ा " की शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है "ख़ास सलाहियत पाक रूह देता है ।

(यह भी देखें: फ़रिश्ते, बदरूह, पाक रूह , जान)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 13:03 तीसरे दिन तक, वह अपने आप को रूहानी शक्ल से तैयार करे ,जब ख़ुदा सीनै पहाड़ पर आया तो बादल गरजने और बिजली चमकने लगी और पहाड़ पर काली घटा छा गई फिर नरसिंगे की बड़ी ज़ोर से आवाज़ हई |
  • 40:07 तब 'ईसा ने रोते हुए कहा, “पूरा हुआ! ऐ बाप , मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ | ” तब 'ईसा का सिर झुक गया, और उसने अपनी रूह को ख़ुदा के हाथ में सौंप दिया |
  • 45:05 जब स्तिफ़नुस मरने पर था, वह दु'आ करने लगा कि, “ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा 'ईसा मेरी रूह को क़ुबूल कर |”
  • 48:07 सभी लोगों का झुण्ड'ईसा की वजह से मुबारक हुआ, क्यूँकि हर कोई जिसने 'ईसा पर ईमान किया अपने गुनाहों से छुटकारा पाया, और इब्राहीम का एक __रूहानी __ नसल बना |

शब्दकोश:

  • Strong's: H178, H1172, H5397, H7307, H7308, G4151, G4152, G4153, G5326, G5427

ला’नत , ला’नती , ला’नत दे, कोसता है

ता’अर्रुफ़:

यह लफ़्ज़ “ला’नत ” का मतलब है कि नकारात्मक चीज़े किसी आदमी या चीज़ के साथ हो जिसे ला’नत दी जा रही है।

  • ला’नत एक बोल है कि किसी की नुक़सान हो।
  • किसी को ला’नत देना एक कलाम या ख़्वाहिश भी हो सकती है कि उस आदमी के साथ बुरा हो।
  • इसका बयान किसी के लिए किसी के ज़रिए’ सज़ा देना या दिया जाना या कुछ बुरा सोचना होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “बुरा करवाना” या “बुराई का ऐलान करना” या “बुरी बातें होने की क़सम खाना”, हो सकता है।
  • फ़र्माबरदार इन्सानों पर ख़ुदा की ला’नत के बारे में तर्जुमा इस तरह हो सकता है, “बुराई होने की इजाज़त के ज़रिये सज़ा देना”
  • “ला’नती ” लफ़्ज़ जब आदमियों के लिए हो तो इसका तर्जुमा हो सकता है “(इसआदमी ) ज्यादा परेशानी का तजुर्बा होगा”।
  • जुमलों "ला’नती होना" का तर्जुमा किया जा सकता है, "(उस आदमी ) कठिनाइयों का तजुर्बा हो सकता है।"
  • जुमलों , "ला’नती ज़मीन है" का तर्जुमा किया जा सकता है, "ज़मीन उपजाऊ नहीं होगी।"
  • “ला’नती हो, जिस दिन मै पैदा हुआ" का भी तर्जुमा किया जा सकता है, "मैं इतना दुखी हूं, बेहतर होता कि मै पैदा ही नहीं होता।"
  • हालांकि, अगर मकसदी ज़बान में जुमलों "ला’नती है" है और इसका मतलब एक ही है, तो उसी जुमले को रखना अच्छा है।

(यह भी देखें: बरकत)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसाल:

  • 02:09 ख़ुदा ने साँप से कहा, “तुम __ला’नती __ हों।”
  • 02:11 “अब ज़मीन __ला’नती __ है, और तुम्हें उसकी पैदावार खाने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी।”
  • 04:04 “जो तुझे बरकत देंगे उन्हें मैं बरकत दूँगा और जो तुझे __ला’नत __ देंगे उन्हें मैं __ला’नत __ दूँगा।”
  • 39:07 तब पतरस क़सम खाने लगा, “अगर मैं उस आदमी को जानता हूँ तो ख़ुदा मुझे __ला’नत __ दे।”
  • 50:16 क्योंकि आदम और हव्वा ने ख़ुदा की हुक्म उदूली किया और इस दुनिया में गुनाह को लाए, इसलिये ख़ुदा ने इसे बद्दुआ दिया और इसे हलाक करने का फ़ैसला किया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H422, H423, H779, H1288, H2763, H2764, H3994, H5344, H6895, H7043, H7045, H7621, H8381, G331, G332, G685, G1944, G2551, G2652, G2653, G2671, G2672, G6035

लायक़, क़ीमती, नालायक़ , निकम्मा

ता’अर्रुफ़:

“लायक़ ” लफ़्ज़ किसी ऐसे इन्सान या चीज़ का बयान करता है जो बड़ाई या इज़्ज़त के लायक़ है। “क़ीमत ” या’नी क़ीमती या ख़ास होना “निकम्मा” या’नी किसी काम का नहीं

  • “लायक़ ” या’नी काम का या ख़ास
  • “नालायक़ ” या’नी ख़ास काम के लायक़ नहीं
  • लायक़ मा’लूम न होना या’नी किसी की बराबरी में कम अहमियत का होना या इज़्ज़त और रहम के सुलूक के क़ाबिल न होना।
  • “नालायक़” और “निकम्मा” मुन्सलिक़ लफ़्ज़ हैं लेकिन इनके मतलब अलग-अलग हैं। नालायक़ या’नी इज़्ज़त या मान के लायक़ नहीं । “निकम्मा” या’नी किसी काम का नहीं या किसी अहमियत का नहीं।

तर्जुमे की सलाह

  • “लायक़ ” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ाबिलयत ” या “ख़ास ” या “फ़ायदेमंद ”।
  • “क़ीमत ” का तर्जुमा हो सकता है “इज़्ज़त ” या “अहमियत ”
  • “की क़ीमत ” का तर्जुमा हो सकता है, “क़ीमती होना” या अहम होना।
  • “उसकी क़ीमत .... से ज़्यादा है” का तर्जुमा हो सकता है, "की बराबरी में ज़्यादा क़ीमती है।",
  • मज़मून पर मुनहसिर “नालायक़” का तर्जुमा हो सकता है, “बिना अहमियत ” या “बे इज़्ज़त ” या “बेकार ”
  • “निकम्मा” का तर्जुमा हो सकता है, “किसी काम का नहीं” या “किसी मक़सद का नहीं” या “बिना अहमियत ”

(यह भी देखें: इज़्ज़त

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H117, H639, H1929, H3644, H4242, H4373, H4392, H4592, H4941, H6994, H7939, G514, G515, G516, G2425, G2661, G2735

लेपालक, गोद लेना, अपनाना

ता’अर्रुफ़:

“गोद लेना” और “लेपालक” या'नी माँ-बाप के 'अलावह किसी के ज़रिए' किसी को क़ानूनी तौर से गोद लेने का रद्द-ए-'अमल ।

  • कलाम में “लेपालक”लफ़्ज़ का इस्ते'माल 'अलामती शक्ल में किया गया है जो ज़ाहिर करता है कि ख़ुदा, लोगों को अपने ख़ानदान का मिम्बर बनाता है, उन्हें अपना रूहानी बेटा -बेटी बना लेता है।
  • लेपालक औलाद होने की वजह ईमानदार मसीह ईसा के साथ वारिस हो गए हैं और उन्हें ख़ुदा के बेटा -बेटी की सब ज़रूरतें हासिल होती हैं।

तर्जुमा की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमा में ऐसा लफ़्ज़ काम में लिया जाए जो माँ-बाप और औलाद के ख़ास रिश्ते को दिखाए । वाजेह " करें कि इसका 'अलामती या रूहानी मतलब साबित हो।
  • “लेपालक बेटों का तजुर्बा ” इसका तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा के ज़रिए' बेटा होने के लिए गोद ले लेना” या “ख़ुदा की (रूहानी )औलाद होना”।
  • "बेटों को गोद लेने का इन्तिज़ार करें" इसका तर्जुमा हो सकता है, "ख़ुदा के बच्चे बनने के लिए तैयार हैं " या "उम्मीद में ख़ुदा के लिए इन्तिज़ार करे बच्चों की शक्ल में हासिल करने के लिए"
  • जुमला "उन्हें अपनाने" के तौर में तर्जुमा किया जा सकता है "उन्हें अपने बच्चों की शक्ल में हासिल करें" या "उन्हें ख़ुद (रूहानी ) बच्चों को बनाते हैं।"

(यह भी देखें: वारिस, हाकिम होना, रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G5206

वा’दा की सच्चाई,वा’दा की वफ़ादारी ,महरबानी

ता’अर्रुफ़:

इस लफ़्ज़ से ख़ुदा के ज़रिये’ उसके लोगों से किये गए वह वा’दों को पूरा करने लिए ख़ुदा की वफ़ादारी ज़ाहिर होती है।

  • “ख़ुदा ने इस्राईल से जो वादे किये थे वे रस्मी मुआ’हदः “’अहद ” में थे
  • यहोवा के “वा’दा की यक़ीन के लायक़ ” या “वा’दे की वफ़ादारी ” का मतलब है कि वह अपने लोगों से किये गये वा’दों को पूरा करता है।
  • ;अहद के वा’दों को पूरा करने में ख़ुदा की वफ़ादार का मतलब है, उसके लोगों के लिए उसके फज़ल की मर्ज़ी |
  • “वफ़ादार ” (मुहब्बत /महरबानी ) एक और लफ़्ज़ है जिसका मतलब है वा’दे को करना और कहने में सौंपना व मुनहसिर करने लायक़ जिससे किसी को फ़ायदा हो।

तर्जुमे की सलाह:

इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मुनहसिर करेगा कि “’अहद ” और “यक़ीन के लायक़ ” तर्जुमा कैसे किया गया है।

  • इस लफ़्ज़ के तर्जुमे के और तरीके हैं, “भरोसे मन्द मुहब्बत ” या “वफ़ादारी के साथ हवाले करना ” या “यक़ीनी मुहब्बत |”।

(यह भी देखें: अहद, ईमान, फ़ज़ल, इस्राईल, ख़ुदा के लोग, वा’दा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H2617

वा’दा,वा’दे ,वा’दा किया

ता’अर्रुफ़:

वा’दा किसी काम को करने का ‘अहद है इन्सान किसी बात का वा’दा करता है तो वह उसे करने को ज़िम्मा लेता है।

  • किताब-ए-मुक़द्दस में ख़ुदा ने अपने लोगों से अनेक वा’दे किये हैं।
  • वा’दे ज़ाहरी समझौतों जैसे ‘अहदों का एक ख़ास हिस्सा होते हैं।
  • वा’दा अक्सर क़सम के साथ किया जाता है कि उसका पूरा किया जाना अटल है।

तर्जुमें की सलाह :

  • “ वा’दा” लफ़्ज़ का तर्जुमा , “सौपना ” या “यक़ीन दिलाना ” या “ईमान ” हो सकता है।
  • “किसी काम को करने का वा’दा” का तर्जुमा , “किसी को यक़ीन दिलाना कि आप कुछ करेंगे” या “किसी काम को करने का ज़िम्मा ”हो सकता है।

(यह भी देखें: ’अहद, क़सम, ‘अहद )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 03:15 ख़ुदा ने कहा "मैं वादा करता हूँ कि मैं फिर कभी ज़मीन पर ला’नत नहीं दूंगा क्योंकि लोग बुरे काम करते हैं, या बाढ़ पैदा करके दुनिया को हलाक कर देते हैं, भले ही लोग उस वक़्त से गुनाहगार होते हैं जब वे बच्चे होते हैं।
  • 03:16 ख़ुदा ने बादल में पहला कमान बनाया रखा ’अहद के निशान की शक्ल में। जब भी आसमान में कमान दिखाई देगा, ख़ुदा अपने ’अहद_ को याद करेगा और लोग भी।
  • 04:08 ख़ुदा ने अब्राम से कहा और दुबारा ’अहद किया कि उसको एक बेटा होगा और उसकी औलाद आसमान में तारो की तरह होगी। अब्राम ने ख़ुदा के ’अहद पर यक़ीन किया।
  • 05:04 तुम्हारी बीवी , सारह को एक बेटा होगा - वह वा’दा का बेटा होगा।
  • 08:15 'अहद__वा'दा__ ख़ुदा ने जो ‘अहद अब्राहम से कियाथा , इब्राहीम के बा’द इसहाक़ से, इसहाक़ के बाद याक़ूब और उसके बारह बेटों व उसके घराने से|
  • __17:14__जबकि दाऊद ख़ुदा के लिए भरोसे के लायक़ न रहा, लेकिन ख़ुदा अपने ’अहद पर खरा था।
  • 50:01 ‘ईसा ने वादा किया कि दुनिया के आखीर में वह वापस आएगा। अगरचे वह अभी तक वापस नहीं आया है, लेकिन वह अपना वा’दा पूरा करेगा।

शब्दकोश:

  • Strong's: H559, H562, H1696, H8569, G1843, G1860, G1861, G1862, G3670, G4279

वा’दे का मुल्क

सच्चाई:

“वा’दे का मुल्क ” किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों में आता है कलाम की ख़बर में नहीं। यह कना’न मुल्क के बारे की एक बदल है वह मुल्क जो ख़ुदा ने इब्राहीम और उसके नसलों को देने का वा’दा किया था।

  • जब इब्राहीम ऊर शहर में रहता था तो ख़ुदा ने उसे हुक्म दिया कि वह वहाँ से निकल कर कना’न मुल्क में चला जाए। वह और उसकी नसले इस्राईली वहाँ अनेक सालों तक रहे।
  • जब भयंकर अकाल की वजह वहाँ खाना ख़त्म हो गया तब इस्राईली मिस्र चले गए।
  • चार सौ सालों के बा’द ख़ुदा ने इस्राईलियों को मिस्र की ग़ुलामी से आज़ादी दिलाई और उन्हें लौटाकर कना’न लाया, वह जगह जिसे देने की वा’दा ख़ुदा ने उनसे किया था

तर्जुमे की सलाह:

  • “वा’दे का मुल्क ” इसका तर्जुमा हो सकता है, “वह मुल्क जिसके लिए ख़ुदा ने इब्राहीम से कहा था कि वह उसे देगा”। या “वह मुल्क जिसका वा’दा ख़ुदा ने इब्राहीम से किया था ”, या “जिस मुल्क का वा’दा ख़ुदा ने अपने लोगों से किया था ” या “कना’न मुल्क ”।
  • किताब-ए-मुक़द्दस की तहरीरों में किसी न किसी शक्ल में यह “ख़ुदा के वा’दे का मुल्क ” ज़ाहिर होता है।

(यह भी देखें: कना’न, वा’दा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 12:01 अब वह (इस्राईली) ग़ुलाम नहीं रहे, और वह __ वा’दे की ज़मीन __ पर जा रहे थे!!
  • 14:01 इस्राईलीयों को सीने पहाड़ पर शरी’अत देने के बा’द, जिनका उन्हें ;अहद के मुताबिक़ मानना था, ख़ुदा ने इस्राईलियों की रहबरी __ वा’दे की ज़मीन __, कनान तक किया |.
  • 14:02 ख़ुदा ने जो ‘अहद इब्राहीम , इसहाक़ और याक़ूब से किया था, कि वह ‘अहद की ज़मीन उनकी नसलों को देंगा, लेकिन अब वहाँ बहुत से लोगों के झुण्ड रहते हैं |
  • 14:14 फिर ख़ुदा लोगों को __ वा’दे की ज़मीन __ के किनारे तक फिर से ले गया
  • 15:02 इस्राईलियों को __ वा’दे की ज़मीन __ में दाख़िल करने से पहले यरदन नदी को पार करना था |
  • __15:12__जंग के बा’द, ख़ुदा ने इस्राईल के हर एक क़बीले को __ वा’दे की ज़मीन __ में अपना अपना हिस्सा दिया |
  • 20:09 यह वह वक़्त था जब ख़ुदा के लोगों को __वा’दे की ज़मीन __ को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, यह मुद्दत वहाँ से निकलने की कहलाई |

शब्दकोश:

  • Strong's: H776, H3068, H3423, H5159, H5414, H7650

शरी’अत, मूसा की शरी’अत, ख़ुदा की शरी’अत, यहोवा की शरी’अत

ता’अर्रुफ़:

ये सब लफ़्ज़ हुक्मों और इस्राईल के ‘अमल के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ मूसा को दिए गए हुक्मों का हवाला देते हैं। “शरी’अत” और “ख़ुदा की शरी’अत” अलफ़ाज़ ‘आम’तौर पर उन सब बातों के बारे में इस्ते’माल किए गए है जो ख़ुदा चाहता है कि उसकी क़ौम माने।

  • मज़मून पर मुनहस्सिर “शरी’अत” का मतलब होगाः

  • पत्थर की पट्टियों पर इस्राईल के ‘अमल करने के लिए ख़ुदा के ज़रिए’ दस हुक्म

  • मूसा को दिए गए सब कानून

  • पुराने ‘अहदनामे की पहली पांच किताबें

  • पूरा पुराना ‘अहदनामा (जिसे नये ‘अहदनामे में पाक कलाम कहा गया है।)

  • ख़ुदा के सब हुक्म और मर्ज़ी |

  • “शरी’अत और नबी” नये ‘अहदनामे में इब्रानी कलाम (या पुराना ‘अहदनामा) के लिए काम में लिया गया जुमला है।

तर्जुमे की सलाह:

  • इस लफ़्ज़ का तर्जुमा जमा’ में “शरी’अतें” किया जा सकता है क्योंकि वे कई हैं।
  • “मूसा की शरी’अत” का तर्जुमा हो सकता है, “इस्राईल को देने के लिए ख़ुदा ने मूसा को जो कानून सुनाए”।
  • मज़मून पर मुनहस्सिर “मूसा की शरी’अत” का तर्जुमा, “मूसा को सुनाए गए ख़ुदा के कानून” या “मूसा के ज़रिए’ लिखे गए ख़ुदा के उसूलों” या "नियम जो कि ख़ुदा ने इस्राईलियों को देने के लिए मूसा को दिया था" के तौर पर हो सकता है।
  • “शरी’अत” या “ख़ुदा की शरी’अत” के तर्जुमा में, “ख़ुदा से हासिल उसूल” या “ख़ुदा के हुक्म” या “ख़ुदा ने जो कानून दिए” या “ख़ुदा के ज़रिए’ महकूम सब बातें” या “ख़ुदा के सब हुक्म” भी शामिल हो सकते है।
  • “यहोवा की शरी’अत” का तर्जुमा , “यहोवा की शरी’अत” या “ख़ुदा के ज़रिए’ ‘अमल के लिए लागू कानून” या “यहोवा के हुक्म के मुताबिक़ बातें” के तौर पर भी हो सकता है।

(यह भी देखें: हिदायत, मूसा, दस हुक्म, जायज़, यहोवा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस कहानियों से मिसालें:

  • 13:07 ख़ुदा ने और भी बहुत सी शरी’अतों व कवानीन का ‘अमल करने के लिये कहा। अगर वह लोग इन शरी’अतों का ‘अमल करेंगे, तो ख़ुदा अपने ‘अहद के मुताबिक़ उन्हें बरकत और उनकी हिफ़ाज़त करेगा। अगर वे इन कवानीन का ‘अमल नहीं करेंगे तो वह सज़ा के हक़दार बनेंगे।\
  • 13:09 जो कोई भी ख़ुदा के शरी’अतों को नज़रंदाज़ करता है, वह मिलापवाले तम्बू के सामने क़ुर्बानगाह पर ख़ुदा के लिये जानवर की क़ुर्बानी पेश करेगा\
  • 15:13 तब यशू’अ ने इस्राईलियों को वह ‘अहद याद दिलाया जो उन्होंने ख़ुदा के साथ सीनै पहाड़ पर बाँधा था, कि वह उसका ‘अमल करेंगे। इस्राईलियों ने ‘अहद बाँधा था कि वे ख़ुदा के लिए वफ़ादार रहेंगे और उसके हुक्मों का ‘अमल करेंगे।
  • __16:01__यशू’अ के मरने के बाद, इस्राएलियों ने ख़ुदा की आज्ञा का पालन नहीं किया और न ही ख़ुदा की व्यवस्थाओं का पालन किया और न ही बचे हुए कनानियो को बाहर निकाला।\
  • 21:05 नए ‘अहद में ख़ुदा अपनी शरी’अत उनके दिलों पर लिखेगा, और लोग ख़ुदा को जानेंगे कि वह ख़ुदा के लोग है, और ख़ुदा उनका गुनाह मु’आफ़ करेगा।\
  • 27:01 ‘ईसा ने जवाब दिया, “ख़ुदा की शरी’अत में क्या लिखा है?”\
  • 28:01 ‘ईसा ने उससे कहा, “तू मुझे अच्छा क्यों कहता है?” जो अच्छा है वह सिर्फ़ एक ही है, और वह ख़ुदा है। लेकिन अगर तू अबदी ज़िन्दगी का वारिस बनना चाहता है, तो ख़ुदा के हुक्मों पर ‘अमल करना।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H430, H1881, H1882, H2706, H2710, H3068, H4687, H4872, H4941, H8451, G2316, G3551, G3565

शागिर्द, शागिर्दों

ता’अर्रुफ़:

“शागिर्द” लफ़्ज़ उस इन्सान के बारे में है जो उस्ताद के साथ बहुत वक़्त गुज़ारता है और उस्ताद के किरदार और ता’लीमों से सीखता है।

  • जो लोग ‘ईसा के पीछे चलते थे और उसकी ता’लीमों को सुनकर उन पर ‘अमल करते थे, वे उसके “शागिर्द” कहलाते थे।
  • यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के भी शागिर्द थे।
  • ‘ईसा के ख़िदमत के वक़्त के दौरान में उसके बहुत से शागिर्द थे और जो उसकी पैरवी करते और उसकी ता’लीमों को सुनते थे।
  • ‘ईसा ने बारह शागिर्दों को चुना कि उसके क़रीबी पैरोकार हों, ये शख़्स उसके “रसूल” कहलाए।
  • ‘ईसा के बारह रसूल उसके “शागिर्द” या “बारहों” जाने गए|
  • ‘ईसा अपने आसमान पर जाने दे ठीक पहले, उसने अपने शागिर्दों को हुक्म दिया कि वे लोगों को ता’लीम दें और उन्हें भी ‘ईसा के शागिर्द बनना सिखाएं।
  • जो कोई ‘ईसा पर ईमान रखता और उसकी ता’लीमों का ‘अमल करता है वह ‘ईसा का शागिर्द कहलाता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “शागिर्द” लफ़्ज़ का तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ या जुमले के ज़रिए’ किया जाए जिसका मतलब है, “पैरवी करने वाला” या “तलबा” या “लफ़्ज़” या “सीखने वाला”।
  • यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा दर्जे में ‘इल्म हासिल करने वाले तलबा के जैसा नहीं।
  • यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “रसूल” लफ़्ज़ के तर्जुमे से अलग लफ़्ज़ हो।

(यह भी देखें: रसूल, यक़ीन, ‘ईसा, युहन्ना (बपतिस्मा देने वाला), बारहों)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-इ-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 30:08 ‘ईसा ने रोटियाँ और मछलियाँ तोड़-तोड़ कर शागिर्दों को दी कि वे लोगों को परोसे। __ शागिर्दों __ ने रोटियाँ और मछलियाँ सब में बाँट दी, और रोटियाँ और मछलियाँ कम नहीं पड़ी।
  • 38:01 ‘ईसा मसीह के अवामी ता’लीमों के तीन साल बा’द अपनी पहली ता’लीम शुरू’ की। ‘ईसा ने अपने __ शागिर्दों __ से कहा कि वह यरूशलीम में उनके साथ ‘ईद का जश्न मनाना चाहता था, और यह वही जगह है जहाँ उसे मार डाला जाएगा।
  • 38:11 फिर वह गतसिमनी नाम की एक जगह में अपने __ शागिर्दों __ के साथ आया। ‘ईसा ने अपने __ शागिर्दों __ से कहा कि दु’आ करते रहो कि आज़माइश में न पड़ो।
  • 42:10 ‘ईसा ने अपने __ शागिर्दों __ से कहा, “ आसमान और ज़मीन का सारा इख़्तियार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाओ, सब क़ौमों के लोगों को शागिर्द बनाओ और उन्हें बाप, और बेटे, और पाक रूह के नाम से बपतिस्मा दो और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें हुक्म दिया है, ‘अमल करना सिखाओ।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H3928, G3100, G3101, G3102

शैतान, शैतान, बुरा

सच्चाई :

शैतान ख़ुदावन्द के ज़रिए' पैदा की हुई एक रूहानी रूह है, लेकिन ख़ुदावन्द से बग़ावत करके वह उसका दुश्मन हो गया। शैतान को " बुरा" भी कहा गया है।

  • शैतान ख़ुदावन्द और उसकी पूरी काइनात से नफ़रत करता है, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द का मक़ाम लेकर ख़ुदावन्द के जैसी 'इबादत करवाना चाहता है।
  • शैतान इन्सानों को ख़ुदावन्द से बग़ावत करने की आज़माइश में डालता है।
  • ख़ुदावन्द ने अपने बेटे, 'ईसा को भेजा, कि इन्सानों को शैतान की गिरफ़्त से आज़ाद कराए।

शैतान लफ़्ज़ का मतलब है, "बैरी" या "दुश्मन ।"

  • शैतान लफ़्ज़ का मतलब है, "इल्ज़ाम लगाने वाला।"

तर्जुमा की सलाह:

  • "शैतान" लफ़्ज़ का तर्जुमा " इल्ज़ाम लगाने वाला" या "बुरा" या "बदरूहों का बादशाह" या "ख़ास बदरूह" की शक्ल में भी तर्जुमा किया जा सकता है।
  • "इबलीस" का तर्जुमा "मुख़ालिफ़" या "बैरी" किया जा सकता है या और कोई लफ़्ज़ जिससे साबित हो कि वह शैतान है।
  • इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा बदरूह और बुरी रूह से अलग होना है।
  • ध्यान दें कि इन लफ़्ज़ों का तर्जुमा मक़ामी या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है।

(देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करे)

(तर्जुमा की सलाह: नामों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: बदरूह, बुराई, \ ख़ुदा की बादशाही](../kt/kingdomofgod.md), आज़माइश करना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 21:01 जिस साँप ने हव्वा को धोखे से फल खिलाया था वह शैतान था | वा'दा का मतलब यह था कि मसीह __शैतान__को पूरी तरह से शिकस्त देंगा |
  • 25:06 फिर शैतान ने 'ईसा को दुनिया के सारी सल्तनत और उसकी शान-ओ-शौक़त दिखाकर उससे कहा, "अगर तू गिरकर मुझे सिजदा करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा |"
  • 25:08'ईसा शैतान के लालच में नहीं आया, तब शैतान उसके पास से चला गया|
  • 33:06 तब 'ईसा ने उन्हें समझाया कि, "बीज ख़ुदावन्द का कलाम है।" रास्ता एक ऐसा शख्स होता है जो ख़ुदावन्द का कलाम सुनता है, लेकिन उसे समझ में नहीं आता है, और शैतान उस कलाम को उससे ले जाता है।"
  • __38:07__रोटी खाते ही, यहूदा में शैतान दाख़िल हो गया।
  • __48:04__ख़ुदावन्द ने वा'दा किया कि हव्वा की ही एक औलाद शैतान का सिर कुचलेगा, और शैतान उसकी एड़ी को डसेगा | इसका मतलब यह हुआ कि, शैतान मसीह को मार देगा, लेकिन ख़ुदावन्द उसे तीसरे दिन फिर ज़िन्दा कर देगा | 'ईसा शैतान की ताक़त को हमेशा के लिए कुचल देगा |
  • 49:15 ख़ुदावन्द ने तुम्हें शैतान की बादशाही की तारीकी से बाहर निकाला और तुम्हें ख़ुदावन्द की बादशाही की रोशनी में रखा है |
  • 50:09 "जंगली दाने उन लोगों की रहनुमाई करते हैं जो __बुराई __ से त'अल्लुक़ रखते हैं| जिस दुश्मन ने जंगली बीज बोये वह शैतान की रहनुमाई करता है।"
  • 50:10 "जब दुनिया का ख़ात्मा होगा, तो जो लोग शैतान के हैं उन सभी लोगों को फ़रिश्ते एक साथ जमा'करेंगे और उन्हें एक धहकती आग में डाल देंगे, जहाँ वे खौफ़नाक मुसीबत की वजह से रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे |
  • 50:15 जब 'ईसा वापस आएगा तो वह शैतान और उसकी बादशाही को हमेशा के लिये ख़त्म कर देगा| वह शैतान को दोज़ख़ में डाल देगा जहाँ वह उन लोगों के साथ हमेशा जलता रहेगा, जिन्होंने ख़ुदावन्द के हुक्म मानने की बजाय उसकी बात मानने का इन्तख़ाब किया|

शब्दकोश:

  • Strong's: H7700, H7854, H8163, G1139, G1140, G1141, G1142, G1228, G4190, G4566, G4567

सच्चा, सच्चाई, हक़ीक़त

ता’अर्रुफ़:

“सच्चा” और “सच्चाई” हक़ीक़त के ख़्याल से मुन्सलिक़ हैं, वारदात जो हक़ीक़त मेंहुए , और जो बातें हक़ीक़त में कही गई। ऐसी सोंच को "सच्चा" कहते है।

  • सच्ची बातें, सच्ची, हक़ीक़ी इख्तियार , सही तथा सच्चाई पर मुनहसिर होती हैं।
  • सच एक समझ, ईमान , हक़ीक़त या सच्चा कहना होता है।
  • यह कहना कि एक नबूव्वत "सच हो गई" या "सच हो जाएगी" का मतलब है कि यह हक़ीक़त में नबूव्वत जैसा हुआ या ऐसा ही होगा।
  • सच में एक ख़्याल समाया होता है कि मुनहसिर एवं भरोसेमंदी का काम किया जाए।
  • ‘ईसा ने अपने कलामों में ख़ुदा के सच को ज़ाहिर किया था।
  • ख़ुदा का कलाम सच है। वह पहले गुज़री हुई बातों की चर्चा करता है और ख़ुदा के बारे में तथा उसकी पूरी तख्लीक़ के बारे में हक़ीक़त की ता’लीम देता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • बारे में और सिलसिले के बुनयाद पर "सच" का तर्जुमा ऐसे भी हो सकता है: "हक़ीक़त " या "पहले " या "सही" या "सही " या "यक़ीनी " या "सच्चाई से भरपूर "।
  • "सच्चाई " लफ़्ज़ के तर्जुमे हो सकते है "जो सच हा" या " हक़ीक़त " या "यक़ीनी बात" या "तरीक़ा "।
  • "पूरा होना" जुमले के तर्जुमे हो सकते है: "हक़ीक़त में हो जाना" या "पूरा हो जाना" या "नबूव्वत पूरी होना"
  • "सच्चाई से चलते हुए" या "सच बोले" इन जुमलों के तर्जुमे हो सकते है: "सच कहना" या "जो हक़ीक़त में हुआ वह कहना" या " क़ाबिल-ए-क़ुबूल बात कहना"
  • “सच्चाई को क़ुबूल करना” का तर्जुमा “ख़ुदा के बारे में हक़ीक़त पर ईमान रखना ”
  • “रूह और सच्चाई में ख़ुदा की इबादत करें”, इस जुमले में, “सच्चाई में” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा ने हमें जो ता’लीम दी है उसका फ़र्मादारी से मानना”

(यह भी देखें :ईमान, वफादार , पूरा , मानना , नबी , समझदार )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों सेमिसालें:

  • 02:04 साँप ने औरत को जवाब दिया, “यह सच नहीं है ! तुम नहीं मरोगे।
  • 14:06 फ़ौरन ही कालेब और यशु’अ , और दो जासूस कहने लगे, "हाँ यह सही है कि कना’न के लोग लम्बे और तेज़ है , पर हम यक़ीनी तौर से उन्हें हरा देंगे ! ख़ुदा हमारे लिये उनसे जंग करेगा।"
  • 16:01 इस्राईलियों ने यहोवा जो सच्चा ख़ुदा है उसकी जगह पर, कना’नियो के मा’बूद की इबादत करना शुरू’ किया।
  • __31:08__उन्होंने ‘ईसा की ‘इबादत करी, और उसे कहा, सचमुच, तू ख़ुदा का बेटा है |”
  • 39:10 मैं ख़ुदा के बारे में सच बताने के लिये ज़मीन पर आया हूँ | हर वह आदमी जिसे __सच्चाई __से मुहब्बत है, मुझे सुनेगा | पिलातुस ने कहा, “सच क्या है?”

शब्दकोश:

  • Strong's: H199, H389, H403, H529, H530, H543, H544, H551, H571, H935, H3321, H3330, H6237, H6656, H6965, H7187, H7189, G225, G226, G227, G228, G230, G1103, G3303, G3483, G3689, G4103, G4137

सदूक़ी, सदूक़ियों

ता’अर्रुफ़ :

मसीह 'ईसा के ज़माने में सदूक़ी यहूदियों के काहिनों में से एक सियासती गिरोह खड़ा हुआ था। जो रोमी बादशाह का मुख़ालिफ़ था और क़यामत में यक़ीन नहीं करता था।

  • कई सदूक़ी मालदार ऊँचे दर्जे के यहूदी थे जिनके हाथ में ताक़तवर रहनुमाई के 'उहदे थे जैसे हाकिम काहिन और सरदार काहिन ।
  • सदूक़ियों की ज़िम्मेदारी में हैकल की देखरेख करना काहिनीय ख़िदमतें जैसे क़ुर्बानी पेश करना था।
  • सदूक़ियों और फ़रीसियों ने 'ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिए रोमी हाकिमों को मजबूर किया था।
  • ‘ईसा ने इन दो गिरोहों की ख़ुद ग़र्ज़ी और धोके की मज़म्मत की थी।

(यह भी देखें: हाकिम-काहिनो , मजमा’, सरदार काहिन, धोका, यहूदी रहनुमाओं, फ़रीसी, काहिन)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G4523

सबत

ता'अर्रुफ़:

"सबत" लफ़्ज़ का मतलब है हफ़्ते का सातवां दिन, जिसके लिए ख़ुदावन्द ने इस्राईल को हुक्म दिया था कि उस दिन, आराम करें, कोई काम न करें।

  • ख़ुदावन्द ने छः दिन में 'आलम को बनाया, और सातवें दिन आराम किया। इसी तरह, ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हुक्म दिया था कि सातवें दिन को पाक मानकर आराम का ख़ास दिन रखें और उसमें 'इबादत करें।
  • " सबत के दिन को पाक रखने" का हुक्म दस हुक्मों में एक है जिन्हें ख़ुदावन्द ने पत्थर की तख्तियों पर लिखकर मूसा को इस्राईल के लिए दिए थे।
  • यहूदी दिनों के शुमार के मुताबिक़, सबत का दिन जुमा' सूरज ग़ुरुब के बा'द से शुरू' होकर शनीचर सूरज गुरूब तक होता था।
  • कलाम में कभी-कभी सिर्फ़ सबत की जगह पर "सबत का दिन" कहा गया है।

तर्जुमा की सलाह:

  • इसको इस तरह से भी तर्जुमा किया जा सकता है जैसे कि "आराम का दिन" या "आराम के लिए दिन" या "काम नहीं करने का दिन" या " ख़ुदावन्द के आराम का दिन।"
  • कुछ तर्जुमों में इस लफ़्ज़ को बड़े हरफ़ों में लिखकर ज़ाहिर किया जाता है कि यह एक ख़ास दिन है, जैसे कि "आराम का दिन" या "आराम का दिन।"
  • याद रहे कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा मक़ामी ज़बान या क़ौमी ज़बान में कैसे किया गया है।

(यह भी देखें: नए लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें)

(यह भी देखें: आराम )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल :

  • 13:05"तू सबत के दिन को पाक मानने के लिये याद रखना | छ: दिन तो तू मेहनत करके अपना सब काम-काज करना, लेकिन सातवा दिन तेरे ख़ुदावन्द यहोवा के लिये आराम का दिन है |"
  • 26:02'ईसा नासरत शहर के पास गया, जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था | सबत के दिन वह ‘'इबादत करने की जगह पर गया |
  • 41:03'ईसा को दफ़नाने के दिन के बा’द सबत का दिन था, और यहूदियों को उस दिन क़ब्र पर जाने की इजाज़त नहीं थी|

शब्दकोश:

  • Strong's: H4868, H7676, H7677, G4315, G4521

सरदार काहिन

ता’अर्रुफ़:

“सरदार काहिन” वह काहिन था जो सब इस्राईली काहिनों का रहनुमा मुक़र्रर किया जाता था जिसकी ख़िदमत का ‘अरसा एक साल था।

  • सरदार काहिन की ख़ास ज़िम्मेदारियाँ थीं| एक सिर्फ़ वही था जो साल में एक बार ख़ास क़ुर्बानी चढ़ाने के लिए साल में एक बार हैकल के सबसे मुक़द्दस मक़ाम में दाख़िल हो सकता था।
  • इस्राईल में काहिन तो बहुत थे लेकिन एक बार में एक ही सरदार काहिन होता था।
  • जब ‘ईसा को बन्दी बनाया गया था तब क़ैफ़ा सरकारी सरदार काहिन था। कभी-कभी क़ैफ़ा के ससुर हन्ना को भी दर्ज़ किया गया है, क्यूँकि वह माज़ी का सरदार काहिन था और यक़ीनन क़ौम पर उसकी क़ुव्वत और इख़्तियार अब भी था।

तर्जुमें की सलाह:

  • “सरदार काहिन” का तर्जुमा “ सरदार काहिन” या “सबसे बड़ा काहिन” किया जा सकता है।
  • यक़ीनी करें कि इस लफ़्ज़ का तर्जुमा “ख़ास काहिन” से अलग किया जाए।

(यह भी देखें: हन्ना, क़ैफ़ा, सरदार काहिन, काहिन, हैकल)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 13:08 सरदार काहिन के अलावा कोई भी कमरे के पीछे दाख़िल नहीं हो सकता था, क्यूँकि वहाँ ख़ुदा रहता था|
  • 21:07 मसीह जो एक कामिल __ सरदार काहिन__ के पास आएगा जो अपने आप को ख़ुदा के लिए कामिल कुर्बानी के तौर पर पेश करेगा|
  • 38:03 यहूदी रहनुमाओं, ने सरदार काहिन की रहनुमाई में ‘ईसा को धोखा देने के लिये यहूदाह को तीस चाँदी के सिक्के तोलकर दे दिए |
  • 39:01 फ़ौजियों ने ‘ईसा की दु’आ के लिए __ सरदार काहिन__ के घर में ‘ईसा की रहनुमाई की और सरदार काहिन के लिए उससे सवाल पूँछे|
  • 39:03 आख़िर में, सरदार काहिन ने ‘ईसा की ओर देखकर उससे कहा कि, “हमें बता कि क्या तू मसीह है, ज़िन्दा ख़ुदा का बेटा?”
  • 44:07 दूसरे दिन, ऐसा हुआ कि यहूदी काहिन पतरस और यूहन्ना को लेकर सरदार काहिन और दीगर मज़हबी इमामों के पास गए।
  • 45:02 तब मज़हबी इमामों ने स्तिफनुस को पकड़कर ‘अदालत-ए-आलिया में ले गए और उसे सरदार काहिन और दीगर यहूदी रहनुमाओं के सामने खड़ा किया गया जहाँ कई और झूठे गवाहों ने स्तिफनुस के बारे में झूठ बोला।
  • 46:01 सरदार काहिन ने शाऊल को यह हुक्म दिया की वह दमिश्क़ शहर में जाकर वहाँ के मसीहियों को पकड़कर वापस यरूशलीम ले आए।
  • 48:06 ‘ईसा सबसे बड़ा सरदार काहिन है। दूसरे काहिनों से अलग, उसने अपने आप को उस एकलौती क़ुर्बानी के तौर पर सुपुर्द कर दिया जो दुनिया के सभी इन्सानों के गुनाहों को हटा सकती है। ‏‘‏ईसा सबसे अच्छा सरदार काहिन है क्योंकि उसने सभी इन्सानों के सभी गुनाहों की सज़ा , जो उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में कभी भी किया हो, अपने ऊपर ले लिया।

शब्दकोश:

  • Strong's: H7218, H1419, H3548, G748, G749

सलीब

ता’अर्रुफ़:

किताब-ए-मुक़द्दस के ज़माने में सलीब एक लकड़ी का खंभा होता था जिसे ज़मीन में गाड़ कर खड़ा किया जाता था, उसके ऊपरी हिस्से में एक तिरछा खंभा जोड़ा जाता था।

  • रोमी सल्तनत के वक़्त में, रोमी हुकूमत ने ख़ताकारों को सलीब पर बांध कर या कीलों से ठोंक कर मरने के लिए छोड़ देते थे।
  • ‘ईसा पर ख़ता का झूठा इल्ज़ाम लगाकर रोमियों ने उसे सलीब की मौत दी थी।
  • ध्यान दें कि यह काम "पार करना" एक अलग लफ़्ज़ है, जिसका मतलब है कि किसी नदी के किनारे या झील के दूसरी ओर जाना।

तर्जुमें की सलाह:

  • इसका तर्जुमा मक़सदी ज़बान में सलीब का मतलब ज़ाहिर करने वाले लफ़्ज़ से किया जा सकता है।
  • सलीब की बयान इस तरह करें कि ज़ाहिर हो कि उस पर आदमियों को मौत की सज़ा दी जाती थी जैसे “सलीबी ” या “पेड़ की मौत ”।
  • मुक़ामी ज़बान और क़ौमी ज़बान के किताब-ए-मुक़द्दस के तर्जुमे में इस लफ़्ज़ का तर्जुमा कैसे किया गया है उस पर भी ध्यान दें। (देखें: अनजान लफ़्ज़ों का तर्जुमा कैसे करें

(यह भी देखे: सलीब पर चढ़ाना, रोम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 40:01 सिपाहियों के ज़रिये’ ‘ईसा का मज़ाक उड़ाने के बा’द, वह ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिये ले गए। उन्होंने ‘ईसा से वो __सलीब __ उठवाया जिस पर उसे मरना था।
  • 40:02 सिपाही ‘ईसा को उस जगह पर ले गए जो गुलगुता या खोपड़ी की जगह कहलाती है, वहाँ पहुँचकर __सलीब __ पर उसके हाथों और पाँवों को कीलो से ठोक दिया।
  • 40:05 यहूदी और और लोग जो भीड़ में थे वह ‘ईसा का मज़ाक उड़ा रहे थे। यह कहकर कि, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो __सलीब __ पर से उतर जा, और अपने आप को बचा। तब हम तुझ पर ईमान लायेंगे ”
  • 49:10 जब ‘ईसा __सलीब __ पर मरे, उन्होंने तुम्हारा क़ुसूर अपने ऊपर ले लिया।
  • 49:12 तुम्हें यक़ीन करना होगा कि ‘ईसा ख़ुदा का बेटा है, कि वह तुम्हारी जगह __सलीब __ पर क़ुर्बान हुआ, और यह कि ख़ुदा ने उसे फिर मुर्दों में से ज़िन्दा कर दिया।

शब्दकोश:

  • Strong's: G4716

सलीब पर चढ़ा, सलीब पर चढ़ाया

ता’रीफ़:

“सलीब पर चढ़ा” या’नी किसी को सलीब पर लटका कर छोड़ देना कि वह दर्द में होकर मर जाए।

  • मुजरिम को सलीब पर बांध कर लटकाया जाता या कीलों से ठोंक कर लटकाया जाता था। सलीब पर लटकाया हुआ आदमी ख़ून की कमी से या सांस लेने में कठिनाई की वजह से मर जाता था।
  • पुराने रोमी सल्तनत में सजाए-ए- मौत की यह तरकीब हमेशा काम में ली जाती थी, ख़ास करके ख़तरनाक मुजरिमों के लिए या हुकूमत के बाग़ियों के लिए।
  • यहूदियों के रहनुमाओं ने रोमी हाकिमों को मजबूर किया कि वह ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिए सिपाहियों को हुक्म दे। सिपाहियों ने ‘ईसा को कीलों से सलीब पर ठोंका था। ‘ईसा ने मरने से पहले छः घंटे दुःख उठाया था।

तर्जुमे की सलाह:

  • सलीब पर चढ़ाने का तर्जुमा किया जा सकता है, “सलीब पर मौत ” या “सलीब पर कीलों से ठोक कर सज़ा -ए-मौत देना”।

(यह भी देखें: सलीब, रोम

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 39:11 लेकिन यहूदी रहनुमाओं और भीड़ ने चिल्लाकर कहा कि, “उसे सलीब पर चढाओं।”
  • 39:12 लेकिन पिलातुस डर गया कि कही कोलाहल न मच जाए, इसलिये उसने ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाए जाने के लिए सिपाहियों को सौंप दिया।
  • 40:01 सिपाहियों के ज़रिये’ ‘ईसा का मज़ाक उड़ाने के बा’द, वह ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाने के लिये ले गए। उन्होंने ‘ईसा से वो सलीब उठवाया जिस पर उसे मरना था।
  • 40:04 ‘ईसा को दो डाकुओ के बीच सलीब पर चढ़ाया गया।
  • 43:06 “हे इस्राईलियो ये बातें सुनो: ‘ईसा नासरी एक इन्सान था, जिसने ख़ुदा की ताक़त से कई मोजिज़े के कामों और निशानों को ज़ाहिर किया, जो ख़ुदा ने तुम्हारे बीच उसके ज़रिये’कर दिखाए जिसे तुम आप ही जानते हो तुम ने गुनहगारों के हाथ उसे सलीब पर चढ़वाकर मार डाला।”
  • 43:09 "उसी ‘ईसा को जिसे तुमने सलीब पर चढ़ाया।”
  • 44:08 तब पतरस ने उन्हें जवाब दिया, “’ईसा मसीह की क़ुव्वत से यह आदमी तुम्हारे सामने भला चंगा खड़ा है। तुमने ‘ईसा को सलीब पर चढ़ाया, लेकिन ख़ुदा ने मरे हुओं में से जिलाया।”

शब्दकोश:

  • Strong's: G388, G4362, G4717, G4957

साफ़ , पाक करना , सफ़ाई

ता’अर्रुफ़:

“साफ़ ” या’नी बे‘ऐब या “ऐसी कोई चीज़ मिली न हो जो नहीं होनी चहिए। किसी चीज़ को साफ़ करना या’नी उसे किसी भी नापाक या गन्दगी करनेवाली से चीज़ आज़ाद करना, साफ़ बनाना।

  • पुराने ‘अहद नामे के हुक्मों के मुताबिक “साफ करना” और “साफ़ होना” ख़ासकर किसी चीज़ या आदमी को एसी बातों से पाक करना जो चीज़ या आदमी को नापाक बनाती है जैसे बीमारी , जिस्मानी सुख या बच्चे की पैदाइश से।
  • पुराने ‘अहद नामे में आदमियों का गुनाहों से पाकी के भी हल थे कि कैसे गुनाहों से पाक या आज़ाद हुआ जाए आमतौर पर जानवरों की क़ुर्बानी से है। लेकिन यह एक नामुकम्मल शरी’अत थी, इसलिए क़ुर्बानी बार-बार पेश करनी होती थी।
  • नये ‘अहद नामे में साफ़ होने का मतलब है गुनाहों से धुल जाना।
  • आदमियों के लिए पूरा और गुनाह से छुटकारा केवल तोबा करना और ‘ईसा में ईमान और उसकी मौत के ज़रिए’ ख़ुदा की मु’आफ़ी को क़ुबूल करने के ज़रिए’ होता है।

तर्जुमे की सलाह:

  • “पाक करने” का तर्जुमा हो सकता है, “पाक बनाना” या “साफ करना” या “सब नापाकियों को दूर करना” या “गुनाहों से छुटकारा पाना”
  • “उनके पाक होने के दिन पूरे हुए” इस जुमले का तर्जुमा हो सकता है, “जब मुक़र्रेर दिनों तक रूकने के बाद उन्होंने ख़ुद को पाक कर लिया”
  • “गुनाहों से पाक होना” इसका तर्जुमा हो सकता है, “इन्सानों के लिए गुनाहों से पूरा हल का रास्ता मुहय्या करा दिया”।
  • तर्जुमे के और शक्ल “पाक होना” का तर्जुमा “हल ” या “रूहानी सफ़ाई ” या “रस्म के मुताबिक़ पाक होना” हो सकता है।

(यह भी देखें: तोबा , पाक , रूह )

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1249, H1252, H1253, H1305, H1865, H2134, H2135, H2141, H2212, H2398, H2403, H2561, H2889, H2890, H2891, H2892, H2893, H3795, H3800, H4795, H5343, H5462, H6337, H6884, H6942, H8562, G48, G49, G53, G54, G1506, G2511, G2512, G2513, G2514

साफ़,साफ़ सुथरा,साफ़ किया ,साफ़ करना ,साफ़ होना ,धुलना ,धुलाई ,धोया ,गन्दा

ता’अर्रुफ़:

“साफ़” के मा’नी हैं मैल या दाग न होना | कलाम में इसका इस्ते’माल अक्सर ‘अलामती शक्ल में किया जाता है कि इसके मा’नी “साफ़” या “पाक” या”बे गुनाह “हो |

  • ”सफ़ाई” किसी चीज़ को साफ़ करने की तरतीब है| इसका तर्जुमा “धोना”या “साफ़ करना “हो सकता है |

पुराने ‘अहद नामे में ख़ुदा ने इस्राईल को बताया था कि उसने कौन कौन से जानवरों को “साफ़”और कौन कौन से जानवरों को “गन्दा”मुक़र्रर किया है | केवल साफ़ जानवर ही खाने और क़ुर्बानी पेश करने के लिए काम में लिए जा सकते हैं | इस बारे में "साफ़" लफ़्ज़ के मा’नी है कि जानवर क़ुर्बानी पेश करने में ख़ुदा को क़ुबूल के लायक़ है।

  • जिस आदमी को जिल्दी बीमारी होता था वह गन्दा माना जाता था जब तक कि उसकी बीमारी से आज़ाद न हो जाए। जिल्दी सफ़ाई के हुक्मों पर ‘अमल करना ज़रूरी था उस आदमी को फिर “साफ़” किया जाने के लिए।
  • कभी कभी “साफ़”लफ़्ज़ को ‘अलामती शक्ल में रूहानी सफ़ाई के लिए इस्ते’माल किया जाता था|

किताब-ए-मुक़द्दस की ज़बान में “गन्दा” लफ़्ज़ किसी ख़ास चीज़ तरफ़ इशारा है जिसको ख़ुदा ने ज़ाहिर कर दिया है की न उसे छूना,खाना,न क़ुर्बानी पेश करना |

  • ख़ुदा ने इस्राईलियों को इस बारे में बतादिया है कि कौन सा जानवर तुम्हारे लिए “साफ़”और कौन है “गन्दा” नापाक जानवरों को न खाने की इजाज़त थी न क़ुर्बानी पेश करने की |

लोग जो जिल्दी बीमारी मे है बताया गया है की वह नापाक होंगे जब तक उनको शिफ़ा न मिल जाये | अगर इस्राईल कोई ऐसी “नापाक” चीज़ छूता है तो वह भी कुछ वक़्त के लिए नापाक हो जायेंगे |

  • ख़ुदा की फरमाबरदारी हुक्म करता है उस बारे में न छूना ,न खाना ,कोई गन्दी चीज़ इस्राईली लोग इसको ख़ुदा की इबादत से दूर रखें |
  • जिस्मानी और मजहबी समझ का निशान है “मज़हबी समझ “
  • दूसरे नज़र आने वाले गुनाह “बदरूह “जो बुरी रूह को ज़ाहिर करता है |

तर्जुमे की सलाह :

  • इस लफ़्ज़ का अनुवाद “स्वच्छ” एवं “शुद्ध” के लिए काम में आने वाले सामान्य शब्दों में किया जा सकता है।
  • इसमें तर्जुमा करने के और तरीके शामिल हो सकते हैं, "पाक शक्ल से साफ" या "ख़ुदा को कुबूल "
  • "साफ़ "; का तर्जुमा"धुलाई" या "पाक" ज़रिये’किया जा सकता है।
  • वाज़े’करें कि "साफ़" और "पाक" के लिए इस्तेमाल किए गए लफ़्ज़ों को भी एक ज़ाहिरी मा’नीमें समझा जा सकता है।

“गन्दा” के मा’नी हैं इस का तर्जुमा ऐसे करें “नापाक”या “जो ख़ुदा की निगाह में मुनासिब नहीं””जिस्मानी नापाकी” या ऐब दार “ जो बताता है बदरूह या एक गंदी रूह “गन्दी” इसका तर्जुमा हो सकता है “बुरा “ऐब दार “ ये तर्जुमा ज़ाहिर करता है रूहानी नापाकी | यह किसी भी चीज़ को ज़ाहिर करता है जो खुदा ने बता दिया है जो ना मुनासिब हो छूने ,खाने ,और क़ुर्बानी पेश करने में

(यह भी देखें: पाक,बुरा, नापाक, क़ुर्बानी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1249, H1252, H1305, H2134, H2135, H2141, H2398, H2548, H2834, H2889, H2890, H2891, H2893, H2930, H2931, H2932, H3001, H3722, H5079, H5352, H5355, H5356, H6172, H6565, H6663, H6945, H7137, H8552, H8562, G167, G169, G2511, G2512, G2513, G2839, G2840, G3394, G3689

सिय्यून की बेटी

ता’अर्रुफ़

“सिय्यून की बेटी” इस्राईल के लोगों का ज़िक्र करने करने के लिए एक मा’क़ूल तरीक़ा है| इसका इस्ते’माल अमूमन नबूव्वतों में किया जाता है |

  • पुराने ‘अहदनामे में “सिय्यून” लफ़्ज़ यरुशलीम का दूसरा नाम है|
  • “सिय्यून” और “यरुशलीम” दोनों लफ़्ज़ इस्राईल के लिए काम में लिए गए हैं|
  • लफ़्ज़ “बेटी” परेशानी या अफ़सोस का लफ़्ज़ है| यह ख़ुदावन्द के ज़रिए’ उसकी क़ौम के लिए उसके सब्र और निगहबानी की एक इस्ता’रा है|‏

तर्जुमे की सलाह:

  • इसके तर्जुमे के तरीक़े हो सकते हैं, “सिय्यून से, मेरी बेटी इस्राईल” या “सिय्यून के लोग, जो मेरे लिए बेटी जैसे हैं” या “सिय्यून, मेरे अज़ीज़ लोग इस्राईल|
  • लफ़्ज़ रखना बेहतर है “सिय्यून” इस इज़हार में यह किताब-ए-मुक़द्दस में कई बार इस्ते’माल हुआ है| इसके ‘अलामती मतलब और नबूव्वत के इस्ते’माल की वज़ाहत के लिए एक नुक़्ते को भी शामिल किया जा सकता है|
  • इस इज़हार के तर्जुमे में “बेटी” यह भी इसतिलाह में रखना बेहतर है, क्यूँकि इसे सही तरीक़े से समझा जा सके|

(यह भी देखें: यरुशलीम, नबी, सिय्यून)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H1323, H6726

सिय्योन, सिय्योन पहाड़

ता’अर्रुफ़:

“सिय्योन” या “सिय्योन पहाड़ ” एक मज़बूत क़िले’ के बारे में है जिसे बादशाह दाऊद ने यबूसियों से जीता था। दोनो लफ़्ज़ यरूशलीम के बारे में और शक्लों में हुए थे।

  • सिय्योन पहाड़ और मोरिय्याह पहाड़ वे दो पहाड़ थे जिन पर यरूशलीम शहर बसा हुआ था। आगे चलकर “सिय्योन” और “सिय्योन पहाड़ ” इन पहाड़ों और यरूशलीम शहर के नाम जैसे हुए। कभी-कभी ये लफ़्ज़ यरूशलीम के हैकल के बारे में भी काम में लिए गए हैं। इस्त’अरह)
  • दाऊद ने सिय्योन या यरूशलीम को “दाऊदशहर ” नाम दिया था। यह जगह दाऊद के अपने जगह , बैतलहम से अलग थी जिसे दाऊद का शहर भी कहा गया है।
  • “सिय्योन” लफ़्ज़ के और तम्सीली शक्लों में भी काम में लिया गया है, जैसे इस्राईल के लिए या ख़ुदा के रूहानी मुल्क के लिए या उस नए आसमानी यरूशलीम के लिए जिसे ख़ुदा बनाएगा

(यह भी देखें: इब्राहीम, दाऊद, यरूशलीम, बैतलहम, यबूसी)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6726

सूबेदार ,सूबेदारों

ता’रीफ़:

सूबेदार रोमी फ़ौज का हाकिम था जिसके मातहत सौ सिपाही होते थे |

  • इसका तर्जुमा ऐसे लफ़्ज़ से किया जा सकता है जिसका मा’नी हो “सौ आदमियों का रहनुमा” या “सिपाही का रहनुमा” या “सौ का असरदार हाकिम”|
  • एक सूबेदार ‘ईसा के पास दरख़्वास्त लेकर आया था कि वह उसके ख़ादिम को शिफ़ा दे
  • ‘ईसा के मस्लूबियत का गवाह सूबेदार ‘ईसा की मौत को देखकर हैरान हो गया था |
  • ख़ुदा ने एक सूबेदार को पतरस के पास भेजा कि पतरस उसे ‘ईसा की ख़ुश ख़बरी सुनाये |

(यह भी देखें :रोम)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G1543, G2760

हरामकारी ,हरामकार बदकार, हराम्कारियाँ ,हराम्कारियों ,हरामकारनी

ता'अर्रुफ़:

"हरामकार" ,यहाँ तक कि शादी शुदा आदमी के ज़रिये शादी की हदों से बाहर जिस्मानी रिश्ता बनाने का गुनाह दोनों ही हरामकारी के मुजरिम हैं हरामकारी ,ऐसा सुलूक या ऐसा गुनाह करने वाला आदमी

  • "हरामकारी" क्या हैं, हाराम्कारी करने वाले आदमी के बारे में
  • ज़ानी, हरामकारी करने वाली औरत के बारे में
  • हरामकारी -शौहर-बीवी के ज़रिए शादी में किए गए वादों को तोड़ना है
  • ख़ुदावन्द ने इस्राईलियों को हरामकारी नहीं करने का हुक्म दिया
  • "हरामकारों" ,नए तौर से इस्राईल के लिए काम में लिया गया है जब वह ख़ुदावन्द के ख़ुदा परस्त नहीं होते थे ख़ास करके जब वह झूठे ख़ुदा की इबादत करते थे

तर्जुमा की सलाह:

  • अगर मुश्किल ज़बान में "हरामकारी" का तर्जुमा है तो इसका तर्जुमा एक ही तरह से किया जा सकता है , किसी और की बीवी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना , या "किसी और के रफीक़-ए-हयात के साथ नाजायज़ रिश्ता बनाना"
  • कुछ ज़बानों में "हरामकारी" को साफ़ तौरसे इबयान नहीं किया जाता है जैसे , किसी और के रफीक़-ए-हयात के साथ सोना , या अपनी बीवी से दग़ाबाज़ी करना (देखें)
  • जब '' हरामकारी '' का इस्तेमाल किसी मुनासिब मतलब में किया जाता है, तो धोकेबाज़ शौहर /बीवी के साथ तुलना की जा रही उनके हुक्म न मानने वाले लोगों के बारे में ख़ुदावन्द के ख़्यालों के बारे में बयान करने के लिए, यह सबसे अच्छा तर्जुमा करना है अगर यह सही ज़बान में सही ढंग से नहीं बयान किया जाए, तो "हरामकारी" का मुनासिब इस्तेमाल "धोकेबाज़ी" या "बुराई" या "दगाबाज़ शौहर की तरह" के शक्ल में तर्जुमा किया जा सकता है।

(यह भी देखे: \ अहद, [वादा](../kt/covenant.md), [हरामकारी](../other/fornication.md), \ के साथ सोना, \ इमानदार)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

कलाम की कहानियों से मिसाल:

  • 13:06 "तू हरामकारी न करना।
  • __28:02 ज़िनाकारी मत करना
  • __34;07 मज़हबी रहनुमाओं ने अपने दिल में इस तरह दुआ की , ऐ खुदावन्द मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि मैं दूसरे आदमी की तरह अंधेर करने वाला ना इंसाफ़ी और हरामकारी नहीं और न इस महसूल लेने वाले की तरह हूँ

शब्दकोश:

  • Strong's: H5003, H5004, G3428, G3429, G3430, G3431, G3432

हलाक हो, हलाक हुए, हलाक हो रहे, हलाकत

ता’अरुफ़:

“हलाक होना” का मतलब है मरना या बर्बाद होना, अक्सर तशद्दुद के ज़रिये’या ग़ज़ब के ज़रिये’ किताब-ए-मुक़द्दस में इसका मतलब है दोज़ख़ में हमेशा के लिए सज़ा पाना |

  • “हलाक होने वाले” आदमी वह है जिनके लिए यह दोज़ख़ मुक़र्रर हैं क्योंकि उन्होंने अपने नजात के लिए ‘ईसा पर ‘ईमान लाने से इन्कार किया है।
  • यूहन्ना 3:16 की ता’लीम के मुताबिक़ “हलाक होना” या’नी हमेशा के लिए अदन में न होना।

तर्जुमे की सलाह :

  • मज़मून पर मुनहसिर इसके तर्जुमे हो सकते हैं “हमेशा कीमौत ” या “दोज़ख़ की सज़ा भुगतना ” या “हलाक होना”।
  • तय करें कि “हलाक होने” का मतलब है, हमेशा के लिए दोज़ख़ में होना न कि केवल “मुस्तक़बिल में ख़त्म होना”

(यह भी देखें: मौत, हमेशा)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H6, H7, H8, H1478, H1820, H5486, H5595, H6544, H8045, G599, G622, G684, G853, G1311, G2704, G4881, G5356

हलीम, हलीम, हलीम बनाया, हलीमी

ता’अर्रुफ़:

“हलीम” लफ़्ज़ उस इन्सान के लिए काम में लिया जाता है जो अपने आपको औरों से बड़ा नहीं समझता है। वह न तो घमण्डी है न मग़रूर है। हलीमी हलीम होने की खुसीसियतहै।

  • ख़ुदा के सामने हलीम होने का मतलब है ख़ुदा की बड़ाई, अक़्ल और कामिलियत के सामने अपने आप की कमज़ोरी और नाकामिलियत को समझना।
  • इन्सान अगर हलीम बने तो वह ख़ुद को कम हैसियत के मक़ाम में रखता है।
  • हलीमी का मतलब है अपने से ज़्यादा दूसरों की ज़रूरत की ख़बर लेना।
  • हलीमी का मतलब यह भी है कि अपने ने’मतों तथा क़ाबिलियत के इस्ते’माल के वक़्त किसी की ख़िदमत में हदों का ‘अमल करना।

“हलीम बनो” का तर्जुमा, “मग़रूर न होना” हो सकता है।

  • “ख़ुदा के सामने हलीम बनो” का तर्जुमा हो सकता है, “ख़ुदा की बड़ाई को क़ुबूल करके अपनी मर्ज़ी से ख़ुदा के ताबे’ कर दो”।

(यह भी देखें: घमण्ड

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसालें:

  • 17:02 दाऊद एक बहुत ही __ हलीम__ व रास्तबाज़ आदमी था, जो ख़ुदा के हुक्मों का फ़रमाबरदारी करता था।
  • 34:10 “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह(ख़ुदा)हलीम करेगा, और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”

शब्दकोश:

  • Strong's: H1792, H3665, H6031, H6035, H6038, H6041, H6800, H6819, H7511, H7807, H7812, H8213, H8214, H8215, H8217, H8467, G858, G4236, G4239, G4240, G5011, G5012, G5013, G5391

हुक्म,हुक्मों ,हुक्म दिया,हुक्म,ख़ुदा का हुक्म

ता’अर्रुफ़:

“हुक्म देना”या’नी किसी को कुछ करने का हुक्म देना | “हुक्म” इन्सान को दिया गया हुक्म है|

अगरचे इन लफ़्ज़ों के बुनियादी तौर पर एक ही मा’नी हैं ,”हुक्म” अक्सर ख़ुदा के कुछ ज़रूरी हुक्मों को बताता है जो ज़्यादा सख़्त और मुस्तहकम हैं,जैसे “दस हुक्म’|

  • हुक्म अस्बाती हो सकता है (अपने माँ -बाप की इज्ज़त करना) “या न मंज़ूरी करना (“चोरी मत कर”)
  • “हुक्म हाथ में लेना” या’नी“इख़्तियार संभालना” या किसी काम या इन्सान की ज़िम्मेदारी संभालना”।

तर्जुमे की सलाह:

  • “इन्तिज़ाम ” लफ़्ज़ का तर्जुमा अलग मा’नी में किया जाना सबसे अच्छा है। “हुक्म” और “फ़रमान” की ता’रीफ़ से भी इसकी बराबरी करें।
  • कुछ मुतर्जिम अपनी ज़बान में एक ही लफ़्ज़ के ज़रिए’ हुक्म और ख़ुदा के हुक्म का तर्जुमा करना पसंद कर सकते हैं।
  • और मुतर्जिम ख़ुदा के हुक्म के लिए एक ख़ास लफ़्ज़ का इस्ते’माल करना पसंद कर सकते हैं, जो कि मुक़ामी, सख़्त हुक्मो को जो ख़ुदा ने बनाए हैं।

(देखें: हुक्म, फ़रमान, इन्तिज़ाम, दस हुक्मो)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: H559, H560, H565, H1696, H1697, H1881, H2706, H2708, H2710, H2941, H2942, H2951, H3027, H3982, H3983, H4406, H4662, H4687, H4929, H4931, H4941, H5057, H5713, H5749, H6213, H6310, H6346, H6490, H6673, H6680, H7101, H7218, H7227, H7262, H7761, H7970, H8269, G1263, G1291, G1296, G1297, G1299, G1690, G1778, G1781, G1785, G2003, G2004, G2008, G2036, G2753, G3056, G3726, G3852, G3853, G4367, G4483, G4487, G5506

हैकल

सच्चाई:

हैकल पर कोटे से घिरा हुआ एक मकान था जहां इस्राईली दुआ करने और क़ुर्बानी पेश करने आते थे। यह हैकल मोरिय्याह पहाड़ पर यरूशलीम शहर में था।

  • हैकल लफ़्ज़ पूरे हैकल ‘इलाक़े के बारे में काम में लिया जाता था जिसमें ख़ास मकान का घिरा हुआ मैदान भी था। कभी-कभी यह केवल मकान के बारे में काम में लिया गया है।
  • हैकल के दो हिस्से थे, पाक जगह और मुक़द्दस जगह
  • ख़ुदा हैकल को अपना घर कहता था।
  • बादशाह सुलैमान ने अपने शाही वक़्त के दौरान हैकल को ता’मीर किया। यह यरूशलीम में इबादत की मुक़र्रर जगह माना जाता था।
  • नये ‘अहद नामे में कहा गया है, “रूह-उल-कुद्दूस काहैकल ” तो वह इमानदारों के झुण्ड का हवाला देता है क्योंकि पाक रूह उनमें रहता है।

तर्जुमे की सलाह :

  • हैकल में इन्सानों की मौजूदगी की जब चर्चा की गई है तो इसका मतलब है कि वे मकान के बाहर मैदान में थे। इसका तर्जुमा किया जा सकता है, “हैकल के आंगनों में” या “हैकल के मैदान में”।
  • जब मकान की चर्चा की जा रही हो तो कुछ ज़बानों में इसका तर्जुमा होगा, “हैकल में” या “हैकल के मकान में” कि साफ़ समझ में आए।
  • “हैकल ” तर्जुमे की शक्ल में “ख़ुदा का पाक घर” या “पाक इबादतकी जगह ” किया जा सकता है।
  • किताब-ए-मुक़द्दस में हैकल का बयान “यहोवा काघर ” या “ख़ुदा का घर” से है।

(यह भी देखें: क़ुर्बानी, सुलैमान, बाबेल, पाक रूह , सुलह का ख़ेमा, आंगन, सिय्योन, घराना)

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

किताब-ए-मुक़द्दस की कहानियों से मिसाल:

  • 17:06 दाऊद चाहता था कि वह एक __ हैकल __ की ता’मीर करे जिसमें सभी इस्राईली ख़ुदा की इबादत करें और क़ुर्बानी पेश करें |
  • __18:02__यरुशेलीम में, सुलैमान ने अपने बाप के मनसूबे के मुताबिक़ एक __घर __ बनाने का फ़ैसला किया और उसके लिए समान इकठ्ठा किया | अब लोग सुलह के ख़ेमे की जगह पर उस घर में ख़ुदा की इबादत करते और क़ुर्बानी पेश करते थे ख़ुदा __घर __ में मौजूद था, और वह अपने लोगों के साथ रहता था |
  • 20:07 उन्होंने यरूशलीम को जीत लिया, हैकल को बर्बाद कर दिया, और शहर व __ हैकल __ की सभी क़ीमती चीज़ों को उनसे छीन कर ले गए |
  • 20:13 जब वह लोग वापस यरूशलीम लौटे, उन्होंने __ हैकल __ और साथ ही शहर की आस पास की दीवारों की भी फिर से ता’मीर किया |
  • 25:04 तब शैतान ‘ईसा को __ हैकल __ के ऊँची जगह पर ले गया और उससे कहा, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है: ‘वह तेरे लिये अपने फ़रिश्तों को हुक्म आज्ञा देगा, और वह तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे | कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे |'"
  • 40:07 जैसे ही ‘ईसा की मौत हुई, वहा भूकंप आया और __ हैकल __ का बड़ा परदा जो इन्सानों को ख़ुदा की मौजूदगी से दूर रखता था ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया |

शब्दकोश:

  • Strong's: H1004, H1964, H1965, H7541, G1493, G2411, G3485

हौसला, हौसलाअफ्ज़ाई

ता'अर्रुफ़:

“समझा” या'नी अच्छा काम करने के लिए हौसला अफज़ाई करना और दरख्वास्त करना। ऐसी हौसला को “हौसलाअफ्ज़ाई” कहलाती है।

  • “हौसला देने” का मक़सद है इंसान को गुनाह को छोड़ करके ख़ुदा की मर्ज़ी पर चलने के लिए मुता'स्सिर करना।
  • नये 'अहद नामें में ईमानदारों को ता'लीम दी गई है कि एक दूसरे को सख्ती से और वैसे मुहब्बत से समझाएं।

तर्जुमा की सलाह:

  • जुमले के मुताबिक़ “हौसला” का तर्जुमा “ज़्यादा दरख्वास्त करना” या “क़ायल करना” या “सलाह देना” भी हो सकता है।
  • यक़ीन करें कि इस लफ्ज़ का तर्जुमा ऐसा न लगे कि समझाने वाला नाराज़ है। इस लफ्ज़ से क़ुव्वत और संजीदगी से आगाह करना चाहिए लेकिन नाराज़गी का इज़हार नही होना चाहिए |
  • ज़्यादा तर जुमलों में “हौसला” का तर्जुमा“हौसला अफज़ाई” से मुख्तलिफ़ होना है जिसका मतलब है मुता'स्सिर करना, यक़ीन दिलाना, या इत्मिनान देना है।
  • इस लफ्ज़ का तर्जुमा “झिड़कना” से भी मुख्तलिफ़ होना है जिसका मतलब है ग़लत सुलूक के लिए आगाह कर देना, या सुधारना है।

किताब-ए-मुक़द्दस के बारे में:

शब्दकोश:

  • Strong's: G3867, G3870, G3874, G4389