2 पर इन अन्तिम दिनों में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि की रचना भी की । (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3)
3 वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामहिमन् के दाहिने जा बैठा। 4 और स्वर्गदूतों से उतना ही उत्तम ठहरा*, जैसे उसका नाम उनके नामों से उत्तम हुआ, बड़े पद का वारिस होकर।
5 क्योंकि स्वर्गदूतों में से परमेश्वर ने कब किसी से कहा,
“तू मेरा पुत्र है;
आज मैं ही ने तुझे जन्माया है?”
और फिर यह,
“मैं उसका पिता हूँगा,
और वह मेरा पुत्र होगा?” (2 शमू. 7:14, 1 इति. 17:13, भज. 2:7)
6 और जब पहलौठे को जगत में फिर लाता है, तो कहता है, “परमेश्वर के सब स्वर्गदूत उसे दण्डवत् करें।” (व्य. 32:43, 1 पत. 3:22)7 और स्वर्गदूतों के विषय में यह कहता है,
“वह अपने दूतों को पवन,
और अपने सेवकों को धधकती आग बनाता है।” (भज. 104:4)
8 परन्तु पुत्र के विषय में कहता है,“हे परमेश्वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग रहेगा,
तेरे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड है।
9 तूने धार्मिकता से प्रेम और अधर्म से बैर रखा;इस कारण परमेश्वर, तेरे परमेश्वर, ने
तेरे साथियों से बढ़कर हर्षरूपी तेल से तुझे अभिषेक किया।” (भज. 45:7)
10 और यह कि, “हे प्रभु, आदि में तूने पृथ्वी की नींव डाली,और स्वर्ग तेरे हाथों की कारीगरी है। (भज. 102:25, उत्प. 1:1)
11 वे तो नाश हो जाएँगे*; परन्तु तू बना रहेगा और
वे सब वस्त्र के समान पुराने हो जाएँगे।
12 और तू उन्हें चादर के समान लपेटेगा,
और वे वस्त्र के समान बदल जाएँगे:
पर तू वही है
और तेरे वर्षों का अन्त न होगा।” (इब्रा. 13:8, भज. 102:25-26)
13 और स्वर्गदूतों में से उसने क्या किसी से कभी कहा,“तू मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ”? (मत्ती 22:44, भज. 110:1)
14 क्या वे सब परमेश्वर की सेवा टहल करनेवाली आत्माएँ नहीं; जो उद्धार पानेवालों के लिये सेवा करने को भेजी जाती हैं? (भज. 103:20-21)