“हे बाँझ, तू जो नहीं जनती आनन्द कर,
तू जिसको पीड़ाएँ नहीं उठती, गला खोलकर जयजयकार कर!
क्योंकि त्यागी हुई की सन्तान सुहागिन की सन्तान से भी अधिक है।“
28 हे भाइयों, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं। 29 और जैसा उस समय शरीर के अनुसार जन्मा हुआ आत्मा के अनुसार जन्मे हुए को सताता था, वैसा ही अब भी होता है। 30 परन्तु पवित्रशास्त्र क्या कहता है? “दासी और उसके पुत्र को निकाल दे, क्योंकि दासी का पुत्र स्वतंत्र स्त्री के पुत्र के साथ उत्तराधिकारी नहीं होगा।” 31 इसलिए हे भाइयों, हम दासी के नहीं परन्तु स्वतंत्र स्त्री की सन्तान हैं।