1
भइया रेओ, का तुम ना जनत हओ-मए व्यवस्था जानन बालेनसे मसक रहो हौं कि आदमीनको जीवनकाल तक इकल्लो रहन तक नियन्त्रण करतहए ।
2
उदाहरणके ताहिं, एक व्यहा भइ बैयर बाको लोगा जिन्दाहोन तक अपन लोगा सँग कानुनि रुपमे बँधी रहत हए,अगर बक लोगा मरिगव तव लोगाको नाता कानुनसे बो मुक्त हुइ जात हए ।
3
अगर लोगा जिन्दा होतमे फिर बो दुस्रो लोगा करके बक सँग रहएगी तओ बो व्यभिचारी कहिलाइगी। पर लोगा मरजए हए तौ बो जा कानुनसे मुक्त हुइ जए है, और दुसरो लोगासे व्यहा करे से फिर बो व्यभिचारी ना हुइ हए ।
4
अइसी मिर भइया रेओ,तुम फिर ख्रीष्टको शरीरसे व्यवस्थक ताहिं मरे हौ, काहेकी तुम औरोआदमी, अर्थात् मौतसे जिन्दा भओ ख्रीष्टसँग एक होबौ, और हम परमेश्वरके ताहिं फल फलामै।
5
जब हम पापी स्वभावमे अपन जीवन बितात रहएँ, तव मृत्युको फल फलान ताहिं व्यवस्थासे उत्तोजित करो भव हमर पापमय खराब अभिलाषा हमर अंगमे काम करत रहए ।
6
पर अब हमके वन्धनमे करन व्यवस्थाके ताहिं मरके हम अब बोसे मुक्त भए हैं, और हम पुरानो लिखो विधानके अधिनमे नाए पर पवित्र आत्माके नयाँ जीवनमे सेवा करएँ कहिके अैसो भौ हए ।
7
अैसो हए कहेसे"हम का कहैँ तौ? का व्यवस्था पाप हए? आईसो कबहु ना होए । अगर व्यवस्था नहुइतोत मै पाप पता नाए पैतो, काहेकी अगर व्यवस्था ""तए लोभ मत कर"" कहिके व्यवस्था ना कहितो त लोभ करन का हए बो पता ना पैतो ।"
8
पर पाप आज्ञामे मौका पाईके मिरमे सबए मेलको लोभ उत्पन्न कराई । व्यवस्था बिना त पाप मुर्दा जैसो हए ।
9
व्यवस्था बिना रहत एक दओंमए जिन्दा भौ, पर आज्ञा आओ तव पाप जाग उठो, और मै मरी गौ ।
10
जीवनको प्रतिज्ञा देनबालो बहे आज्ञा मिर ताहिं मौत लाई ।
11
काहेकी पापके आज्ञासे मौका पाएके मोके ठगी, और बहेसे मोके मारी ।
12
व्यवस्था पवित्र है, और आज्ञा पवित्र, न्याय सङ्गत और अच्छो हए ।
13
तव का जा अच्छो हए, बहे मिर ताहिं मौत लाइ का ? अईसो कबहु ना होबए! पर पाप पापैको रुपमे दिखाबै कहिके अच्छी बातसे पाप मिरमे मृत्यु उत्पन्नकरि रहो हए, काहेकी आज्ञासे पाप सब घेनसे पापमय बनए ।
14
काहेकी हम जानत हैं कि व्यवस्था आत्मिक हए, पर मए शारीरिक हौ, और पापैमे बिचो हौ ।
15
काहेकी जो मए करत हौं, बो ना समखत हौ । काहेकी मए जो करन चाहत हौं बो मए ना करत हौ । पर बहे करत हौं, जो मए घृणा करत हौं ।
16
पर मए जो करन न चाहो भौ मए करत हौं कहेसे व्यवस्था अच्छो हए कहिके मए सहमत हौं ।
17
जहेमारे अब बो करन बालो मए ना हौ, पर मिर भितर बास करन बारो पाप हए ।
18
काहेकी मोए पता हए, कि मिरमे, या मिर पापमय स्वभावमे कछु अच्छी बात ना हए । जो अच्छो हए, बो करन इच्छा मिरमे हय, पर मए बो पुरा ना कर पात हौं ।
19
काहेकी अच्छो काम जो मए करन चाहत हौं, बो मए ना करत हौं, पर दुष्ट काम जो मए करन ना चाहत हौं, बहे मए करे करत हौं ।
20
अब मए जो इच्छा ना करत हौ, बहे करतहौं कहेसे बो मए ना हौं, पर मिर भितर रहनबारो पाप हए ।
21
अइसी एक नियमसे काम करो मए पात हौ । जब मए भलो करन चाहत हौं, तव दुष्टताके मिर जौने ठाडो देखत हौं ।
22
काहेकी मै मिर पुरो हृदय से परमेश्वरको व्यवस्थामे आनन्दित होत हौं ।
23
पर मिर अंगनमे दुसरो नियमसे मिर मनमे रहो नियम सँग युध्द करत हौं । और मिर अंगनमे बास करन बारो पापको नियमसे मोके वन्धनमे करलेत हए ।
24
हाए, मएकित्तो दु:खी आदमी हौ! जा मौतकि शरीरमे मोके कौन छुटाय हए ?
25
येशू ख्रीष्ट हमर प्रभुद्वारासे परमेश्वरके धन्यवाद होबए । तभैमारे मए स्वयम अपने मनसे परमेश्वरको व्यवस्थाको सेवा करत हौं, पर मिर पापमय स्वभावसे मए पापको व्यवस्थाको सेवा करत हौं ।