पाठ - 7

1 पानी के बातकव जो ननि लिया निक्को हे | 2 परन्तु व्यभिचार के डरा गया अवरी प्यना ता म्ठाला पानी के पती भागाव हारे| 3 पयना पानी के मठाला हाक्को हारे अवरी मठाला पानी मेतेय्य पुरो खाय्ये | 4 मठाला पानीके देह पर अधिकार हा हे पयना ओवरी हा बेहयरे | 5 ननि दुहारो से अलग हा हा होनु नानी प्राथना अवकाश हा मिलो हा रे फिरे डा संग रेहोरी अस्य्य्म कारने हा हियारे | 6 परन्तु जो की ना हा अमुती घयु | 7 में ना आय हु चाहोरे की मनसला क डा परमेस्वर की ओवरी सेबिसेस बारदाने मिलो री डा संग ओवरी कोइला प्रकार | 8 परन्तु में नानी बिधाता ही जब ना विश्वास धय्त्री | 9 परन्तु नानि सययम ओवरी बरती हा ज्छय ही बराती कमातुरे तबतया रेहोरी | 10 जेको बरातिव ना क ता बरतिए हिये नानी ब्रातिना ता प्रभु आज्ञा हिये की मठा ता पयला दी अलग ही हारे | 11 आवरी अलगे लय ही हारे तो बराती दोहोरो बराती ये ना जिघय ही ना पानीके पयला या वापस जिबेही| 12 दोहोलादी के प्रभु में ना हा कयला भवाए के मेथव के बिसबास ना संग गुहारे अवरी ना परसने पिहारे | 13 ओवरी जो स्त्री पयला बिसबास थारे ओवरी संग गुहके ना के पसंदे पिए | 14 क्योकि एई हा ख्यरे पवित्र ठहरता हे अवरी मेतवजोहो विशबास गह्यहारे पय्लाके कारण जो पवित्र ठहर हा ननि लडके भालोना असुद्ध गुहा परन्तु तबयता पवित्र हिरी | 15 परन्तु जो पयला जों बिस्वास हा था उना अलग हो ही हारे जाहो लय अलग दो इन्द्ला कोइला भावासिला या भनालय बन्ध्या हे ओवरी परन्तु नानी परमेस्वर नानी ता मने नयी मिलाके ता नुका | 16 क्योकि हे स्त्री न हा देह्येरे पानी के उदारक्र ननि पयला तू की तू ना पानी के मेतेका उदार हास्य सारे | 17 पुरे जेसा प्रभु ना ओवरी एकदा को नाय बुलाया बोसा ना हा सा सकोरे हाखानी में ठहरोयेरे | 18 जो यतताना ना जोहो नानी खतनहितनाय तवयता बुलाव तश्य ही | 19 न यत्ना हन्नू हे ओवरी ना खतरनाक ही परन्तु नानी परमेस्वर की आज्ञा का पालन खाय्नी हांगा मनो येरे जम्मा हन्नू हे | 20 हरडा जने जोसो दसा नाय नोकात पी हारा हिये नानी आया रेहासी | 21 तू जो ना दास की दिशा नाके बुलाव हारे चिंता ता खयनी तू स्वतंत्र किया हो ओवरी जोहो स्वतंत्र की दशा हा में नाइ बुलावया गय मसीह के दास ही| 22 कोइला जो की दास ला की दिसा नानी प्रभु नुका ओवरी प्रभु स्वतन्त्रता गयतरा इंदल स्वतंत्र को दिसा को नानी मसीह के दास बुलावा हे | 23 तुम ननिक दाम बईने ओवरी मोल अवरी म्न्सला दास न बनौनी | 24 हे भेरियो जो हो कोइला जो ब दिशा में नय हामय जिक्क तवयता नानी परमेस्वर के संगे हे रे | 25 जब नक् कुवारियो प्रभु क ना आज्ञा ये हो मिलौरे परन्तु विस्वास जोसो लय दया जगा प्रभु ना मझे पर की आईला अनुसारे ना समपत्ती बेहाने | 26 सो मेरे ना समझा ना निक्को लागे रे की आजकल नानी कलेक्सन लय कारण मन्सला जोसो वोसो हे| 27 यदि तेरे नानी मेतेला आईला यंत्र न कर ओवरी यदि मनसला ओवरी की योजना कर | 28 परन्तु यदि तू ना बराती हो जगई हे पाप हा नाता कुवारी बयह हा जिगही जाए तो कोलऐ परन्तु ऐसे शारीरिक दुख हीरे ओवरी बेचे चाहरो | 29 हे भाहुवाला नाइ इन्द की ना समय पानीके मानो को इंदल मानोका नंग मेतेग निक्को हे | 30 ऐ हंगय करे सा रे माने हा करे को आनन्द खई हा करे को ना मोल गातुरे हो की मानी आईला पास हन्नू हे | 31 ओवरी अइ संसार भानडी वाले इन्द की संसार हो | 32 सोना में हा चाहो हारे आप्यला चिन्तना ना ही प्रभु नानी प्रश्न रखे | 33 परन्तु नाक विवाहित मनसला संसार के ब्त्काऊ की चिंता हो | 34 ना विविध ओवरी विविधा की नानी के भेद भाव प्रभु में पानी के बह देह पानीके आत्माऊ दोनों पवित्र हो| 35 नानी के अय ब्त्काव नानिके ब्त्काव नानिके फसउ हारे के बरन ना मरा हन्नू हाउरे अए खानी जवानीदल जाए | 36 ओवरी यदि कोइला पानीके उस कुवारी ना सीए प्रयोजन होए तो अंतर नानी पानी के मनय ठाने बेसा पाप हा हा | 37 परन्तु नानिके जो डह रेहोरे परियोज्क हा ही बरन अरथ नंग अर्थ इचा पुरो खयनी | 38 सो जो ना अपनी पानी के कुवारी नानी बाराती हा जी हाय ही| 39 जब तक नानी कोइलता स्त्री नानी त्वता हा सीरी आहलाई बंधी हुई | 40 परन्तु जेसे वा यदि अंदल ही गुवा तो न के विचार या ओवरी भी धन्य वा परमेस्वर के आत्मा नाया लय वा|