1
अब मूर्ति के सामने चड़ाव प्रसाद के बारे मा हम जानी थय, की ज्ञान घमण्ड पैईदा करा थय लकिन प्रेम उन्नती पैदा करा थय |
2
अगर केहू समझय की हम कुछ जानी थय,तव जेस जानय का चाही वस नाही जानत |
3
लकिन अगर केहू परमेश्वर से प्यार करा थय तव परमेश्वर वाका पाहिचानाथय |
4
तव मूर्ति के सामने चड़ाव प्रसाद का खाय के बारे म जानी थय, की मूरत दुनिया म कुछू नाही बाय,अउर ऐक का छोड़ दुसर केहू परमेश्वर नाही बाय |
5
अउर बादर अउर धरती पैय बहुत भगवन हये(जईसय बहुत भगवान बहुत प्रभु हए)
6
तभाव हमरे लागे एकै परमेश्वर हय, मतलब पिता जेकरे तरफ से सब कुछ बाय,अउर हम वकरी ताय ,अउर एकै प्रभु बाय जेसे सबकुछ बना ,अउर हमहू वही से |
7
लकिन सबका ई बुधि नाहीं;केतना तव अब मूरत का कुछ समझ कय चड़ावा परसाद कुछ समझ कय खाय लागे,कमजोर बुधि के नाते अशुद्ध होय जाथे |
8
खान हमय परमेश्वर के नगीचे नाय फुचावत,अगर न खाई तव क्वनव,नुकसान नाही खाई तव कवनव फायदा नांही |
9
लकिन हुसियार रहव कहू यस न हुवय की कमजोर की ताय ठोकर कय करण बनव |
10
अगर तुहय समझदार का मूरत के सामने खात देखे,अउर अगर कमजोर मनाई होए तव वाहू के अन्दर खाय का बिचार जरुर आये |
11
यही से तोहरे ज्ञान के कारण कमजोर भाई जेकरी ताय प्रभु यीशु मरे उ नाश होई जाये।
12
यही से भाई कय अपराध करय से ,उनके कमजोर बुधि का छोट पहुचावे के कारण तू मसीह कय अपराध करा थेव |
13
यही से कहना अगर तोहरे भाय का ठोकर खवावे,तव यसे कभव कवनव करण के मांस न खाई, अउर यस न होय की अपने भाई के ठोकर कय करण बनी |