इफिसियों 4
1
हूँ पौलुस, ज़ुंण प्रभू दी गुलाम आसा, हूँ करा तम्हां लै एही अरज़ कि ज़ेऊ कामां लै तम्हैं शादै दै आसा, तेता जोगी च़ाल च़ला।
2
अर्थात- सारी दीनता और नम्रता संघी, और धीर धरी करै बडै प्रेंमा संघै सैहा एकी दुजेए।
3
और मेल-मलापे बंधना दी करा आत्मां दी एकता डाहणें कोशिश।
4
एकै आसा देह, और एकै आसा आत्मां; ज़िहै तम्हैं ज़ुंण शादै दै थियै, थारी शादणेंए आसा एकैई आशा।
5
एकैई आसा प्रभू, एकै आसा विश्वास और एकैई आसा बपतिस्मअ।
6
और सोभियो आसा एकै परमेश्वर पिता, ज़ुंण सोभी परैंदै, सोभी बिच़ै और सोभी दी आसा।
7
पर हाम्हां सोभी आसा हरेकी लै मसीहे दाने परिणांमें साबै अनुग्रह भेटअ द।
8
तैहीता सह इहय बोला कि, सह उखळअ उछ़टै दी और बंधूआई निं तेऊ बाह्निं और माह्णुं लै दैनै दान।
9
(तेऊए उझै उखळणैं करै किज़ै भेटा, सिधअ अह कि सह होथअ त पृथूईए थाल्लै बी)
10
और ज़ुंण होथअ, अह आसा सहैई, ज़ुंण सारै सरगा का उझै बी उखळअ ताकि सोभी परिपूर्ण करी सके।
11
और तेऊ किऐ कई प्रेरित नियुक्त, और कई सुसमाच़ार शणांऊंणैं आळै, और कई दैनैं रखबालै और उपदेशक नियुक्त करी करै।
12
ज़ेता करै पबित्र लोग सिध होए, और सेऊआ च़ाकरीओ काम होए, और मसीहे देहीए उन्नति होए।
13
ज़ेभै तैणीं कि हाम्हैं सोभै विश्वास, और परमेश्वरे शोहरूए बछ़ैणां दी एक नां होए, और एक सिध मांह्णू नां बणीं जाऐ और मसीहे पूरै डील-डौला दी नां पुजी मुके,
14
ताकि हाम्हैं आजू लै बच्चै नां रहे, ज़ुंण मांह्णूए ठग बिद्आ और च़लाकी करै तिन्नें भरमाऊणैं आळी युक्ती, और उपदेशे और हर गल्ला करै उछाळा और हाम्हां ओर्ही-पोर्ही बदळा।
15
पर प्रेंम और सच्च़ाई दी च़लदी, सोभी गल्ला दी तेऊई दी, ज़ुंण म्हारअ मूँड आसा, अर्थात मसीहा दी बढदै रहे।
16
ज़िहअ करै सारी देह एकी ज़ोळे सहायता करै कठा मिलीकरै और संघा ज़ुळी करै, तेऊ प्रभावे साबै ज़ुंण हरेक हिस्से परिणांमा करै ह्आ, आपणैं आप बढाऊआ, कि तेऊए प्रेंमा दी तरक्की होए।
17
तैहीता हूँ बोला, और प्रभू दी दैआ हूँ चतैनगी कि ज़िहै होरी ज़ातीए लोग आपणैं मने अनर्थ रिती दी च़ला, तम्हैं निं ऐबै तिहै च़ली।
18
किल्हैकि तिन्नें बुधी आसा ग्ई दी न्हैरी ह्ई, और तेते कारण ज़ुंण अज्ञानता तिन्नां दी आसा, और तिन्नें मन काठै हणेंए बजह आसा तिंयां परमेश्वरे ज़िंदगी का ज़ुदै हुऐ दै।
19
और तिंयां आसा सुन्न ह्ई करै लुचपना दी लागै दै, कि तिंयांं सोभी प्रकारे गंदै काम आपणीं लालसा करै करे।
20
पर तम्हैं आसा मसीहे एही शिक्षा पाई दी,
21
कि तम्हैं सच्च़ी शुणीं दी और ज़िहअ प्रभू यीशू सच्च़अ आसा, तेऊई दी आसा तम्हैं सखाऊऐ दै,
22
कि तम्हैं आपणैं च़ालच़लणैं पराणैं मनुष्यादेही ज़ुंण भरमाऊणैंआळी अभिलाषा करै भ्रष्ट ह्आ, तेऊ खोला तम्हैं पोर्ही।
23
और आपणैं मनें आत्मिक स्वभावा दी बणां ऐबै न्ऊंऐं।
24
और ऐबै बाह्नां नंऊंईं मनुष्यादेही, ज़ुंण परमेश्वरे साबै सच्च़ाई, धार्मिकता और पबित्रता दी सृजी दी आसा।
25
इहय करै झ़ुठअ बोळणअ छ़ाडी करै, हरेक बोला आपणैं साथी संघी का सच्च़अ, किल्हैकि हाम्हैं आसा आप्पू मांझ़ै एकी दुजेए अंग।
26
क्रोध ता करा, पर पाप निं करा, धैळअ उडणैं तैणीं निं लोळी थारअ क्रोध रहअ।
27
और नां शैताना लै दैआ मौकअ।
28
च़ोरी करनैआळअ निं ऐबै भी च़ोरी करी; पर भलै कामां करना लै लागै आपणैं हाथै खटदअ-छपदअ, एते तैणीं कि ज़ै कसा ज़रूरत होए ता तेभै लोळी तेऊका किज़ै दैणां लै हुअ।
29
कोई बी गंदी गल्ला निं लोळी थारी खाखा का निखळी, पर ज़रूरतीए साबै बोळणीं तिंयांंई गल्ला ज़ुंण उन्नती करना लै उत्तम आसा, ताकि शुळणैं आळै लै तेता करै अनुग्रह होए।
30
और परमेश्वरे पबित्रात्मां लै निं शोग दैआ, ज़सा करै तम्हां लै छ़ुटकारे धैळी लै छ़ाप आसा लाई दैनीं दी।
31
सोभी रंगे कळविश, प्रकोप, क्रोध, कलह, निंदा, और बैरभावा संघी लोळी तम्हां का दूर हुई
32
और एकी दुजै लै ह्आ कृपालू, और करूणा करनैं आळै, और ज़िहअ परमेश्वरै मसीहा दी थारै अपराध माफ किऐ, तिहैई करा तम्हैं बी एकी दुजेए अपराध माफ।