पाठ 2

1 हम अपने पहरे पर खड़ा रहब ला, अऊर गुम्मट पे चढ़ के ठहरल रहब अऊर ताकत रहब की ऊ हमसे का कहियन? हम अपन दिहल उलाहना के विषय में का उत्तर देई? 2 फेर यहोवा हमसे कहलन, " दर्शन क बात लिख दे वरन् पटियन पे अच्छा अच्छा लिख दे कि दौड़त हुए भी ठीक से पढ़ल जा। 3 काहेंकि ई दर्शन क बात नियत समय पे पूरा होए वाला ह, वरन् एनकर पूरा होए क समय वेग से आवत ह, एमे धोखा नाही होई। चाहे एमे विलंब भी हो, तोभी ओनकर बाट जोहते रहिया, काहेंकि ऊ निश्चय (जरूर) पूरा होई अऊर ओमे देर ना होई। 4 देखा ओनकर मन फुलल ह, ओनकर मन सीधा नाही ह, लेकिन धर्मी अपन विश्वास के जरिए जिंदा रहियन। 5 दाखमधु से धोखा होला, अहंकारी अदमी घर में नाही रहलन, अऊर ओकर लालसा अधोलोक के जईसे पूरा नाही होला, अऊर मृत्यु के जईसे ओकर पेट नाही भरला। ऊ सब जातियन के अपने पास खींच लेवलन अऊर सब देश के लोगन के अपने लगवा इकट्ठा करीके रखेलन। 6 का ऊ सब ओकर दृष्टांत चला के अऊर ओनके ताना मार के नाही कहियन "हाय ओनपे जवन पराया क धन छीन छीन के धनवान हो जालन, कब तक? हाय ओनपे जवन अपन घर बंधक के समान से भर लेवलन।" 7 जवन तोहसे कर्जा लेवलन, का ऊ लोग अचानक नाही उठीहन ? का ऊ नाही जगिहन जवन तोहके परशानी में डलिहन? 8 अऊर का तू ओनसे लूट नाही जईबा? तू त बहुत जातियन के लूट लेले हया, एही से सब बचल लोग तोहके लूट लिहन। एकर कारण मनुष्य क हत्या ह, अऊर ऊ उपद्रव भी जवन तू ई देश अऊर राजधानी अऊर एकरे सब रह वालेन पे कईले हया। 9 हाय ओनपे, जे अपन घर के खातिर अन्याय के लाभ क लोभी हयन ताकि ऊ अपन घोंसला ऊंचा जगह बना के परशानी से बचीहन। 10 तू बहुत से जातियन के काटके अपने घर खातिर लज्जा क योजना बंधला, अऊर अपन ही प्राण क दोषी ठहरला। 11 काहेंकि घर के दीवार क पत्थर दोहाई देत ह अऊर ओनकर छत क कड़ी उ ओनके स्वर में स्वर मिला के उत्तर देवेलन। 12 हाय ओनपे जवन खून करके नगर के बनावलन अऊर कुटिलता करके शहर के मजबूत करेलन। 13 देखा, का सेनाओं क यहोवा के तरफ से ई नाही होला की देश क लोग मेहनत त करेलन परन्तु आग क कौर होलन अऊर राज्य राज्य क लोगन क मेहनत बेकार ठहरला। 14 काहेंकि धरती यहोवा क महिमा के ज्ञान से अईसन भर जाई जईसे समुन्दर जल से भर जाला। 15 हाय ओनपे, जवन अपन पड़ोसी के मदिरा पिलावलन अऊर ओमे विष मिला के ओनके मतवाला कर देवेलन की ओनके नंगा देखी। 16 तू महिमा क बदले अपमान ही से भर गयल हया। तू भी पिया अऊर अपने के खतनाहीन प्रगट करिहा। जवन कटोरा यहोवा के दाहिने हाथ में रहला ऊ घुमके तोहरो तरफ भी जाई अऊर तोहार वैभव तोहरे छांट से अशुद्ध हो जाई। 17 काहेंकि लबानोन में तोहार करल उपद्रव अऊर ऊंहा क जंगली पशुअन पे तोहार करल उत्पात, जेसे ऊ डर गईल रहलन। तोहरे ऊपरा आ पड़ी। ई मनुष्यन क हत्या अऊर ऊ उपद्रव के कारण होई। जवन ई देश अऊर राजधानी अऊर ओकरा सब रह वालन पे कईले रहला। 18 खुदल मूरत में का लाभ देख के बनावे वाला ओके खोदले हयन? फेर झूठ सिखावे वाला अऊर ढलल मूरत में का लाभ देख के ढाले वाले ओनपे इतना भरोसा रखेलन कि ना बोले वाले अऊर निकम्मी मूरत बनईहे? 19 हाय ओनपे जवन काठ से कहलन, जाग, या अबोल्ट पत्थर से, उठ। का ऊ सिखईयन? देखा ऊ सोना चांदी में मढ़ल बा लेकिन ओमें सांस नाही ह। 20 लेकिन यहोवा अपन पवित्र मंदिर में हयन। पूरा धरती ओनकरा सामने शांत रहिए।